August 04, 2025
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धर्म संसार / शौर्यपथ / प्रभु यीशु के जन्म की ख़ुशी में मनाया जाने वाला क्रिसमस का त्योहार पूरी दुनिया में मनाया जाता है। यह त्योहार कई मायनों में बेहद खास है। क्रिसमस को बड़ा दिन, सेंट स्टीफेंस डे या फीस्ट ऑफ़ सेंट स्टीफेंस भी कहा जाता है। प्रभु यीशु ने दुनिया को प्यार और इंसानियत की शिक्षा दी। उन्होंने लोगों को प्रेम और भाईचारे के साथ रहने का संदेश दिया। प्रभु यीशु को ईश्वर का इकलौता प्यारा पुत्र माना जाता है। इस त्योहार से कई रोचक तथ्य जुड़े हैं। आइए जानते हैं इनके बारे में।
क्रिसमस ऐसा त्योहार है जिसे हर धर्म के लोग उत्साह से मनाते हैं। यह एकमात्र ऐसा त्योहार है जिस दिन लगभग पूरे विश्व में अवकाश रहता है। 25 दिसंबर को मनाया जाने वाला यह त्योहार आर्मीनियाई अपोस्टोलिक चर्च में 6 जनवरी को मनाया जाता है। कई देशों में क्रिसमस का अगला दिन 26 दिसंबर बॉक्सिंग डे के रूप मे मनाया जाता है। क्रिसमस पर सांता क्लॉज़ को लेकर मान्यता है कि चौथी शताब्दी में संत निकोलस जो तुर्की के मीरा नामक शहर के बिशप थे, वही सांता थे। वह गरीबों की हमेशा मदद करते थे उनको उपहार देते थे। क्रिसमस के तीन पारंपरिक रंग हैं हरा, लाल और सुनहरा। हरा रंग जीवन का प्रतीक है, जबकि लाल रंग ईसा मसीह के रक्त और सुनहरा रंग रोशनी का प्रतीक है। क्रिसमस की रात को जादुई रात कहा जाता है। माना जाता है कि इस रात सच्चे दिल वाले लोग जानवरों की बोली को समझ सकते हैं। क्रिसमस पर घर के आंगन में क्रिसमस ट्री लगाया जाता है। क्रिसमस ट्री को दक्षिण पूर्व दिशा में लगाना शुभ माना जाता है। फेंगशुई के मुताबिक ऐसा करने से घर में सुख समृद्धि आती है। पोलैंड में मकड़ी के जालों से क्रिसमस ट्री को सजाने की परंपरा है। मान्यता है कि मकड़ी ने सबसे पहले जीसस के लिए कंबल बुना था।

आंगनबाड़ी केंद्र 05 अप्रैल से 30 जून तक सुबह 7 से 11 बजे तक संचालित होंगे*

रायपुर । शौर्यपथ । प्रदेश में गर्मी की अधिकता के कारण बच्चों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए आंगनबाड़ी केंद्र संचालन की अवधि में परिवर्तन किया गया है। आंगनबाड़ी केंद्र अब सुबह 7 से 11 बजे तक संचालित होंगे। आंगनबाड़ी केंद्र संचालन का समय 6 घंटे से घटाकर 4 घंटे कर दिया गया है। ग्रीष्म कालीन की समाप्ति के बाद एक जुलाई 2023 से आंगनबाड़ी केंद्र फिर से सुबह 9.30 से 3.30 बजे तक 6 घंटे संचालित होंगे। इस संबंध में मंत्रालय से महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा 05 अप्रैल को सभी जिला महिला एवं बाल विकास अधिकारियों, जिला कार्यक्रम अधिकारियों और सभी परियोजना अधिकारियों को आदेश जारी कर दिया गया है।

दुर्ग । शौर्यपथ । दुर्ग जिले में 4 वर्ष के लंबे कार्यकाल के बाद जिला जनसंपर्क कार्यालय के सहायक संचालक श्री सौरभ शर्मा का स्थानांतरण जनसंपर्क संचनालय रायपुर होने पर जिला जनसंपर्क कार्यालय दुर्ग के अधिकारी एवं कर्मचारी गणों द्वारा उन्हें भावभीनी विदाई दी गई। सभी ने उनकी उपस्थिति में बिताए गए अविस्मरणीय पलों को याद किया और उनके नेतृत्व व मार्गदर्शन के लिए उन्हें धन्यवाद ज्ञापित किया।

    इस अवसर पर जिले के सभी पत्रकार बंधु ने भी क्रमवार अपनी उपस्थिति दर्ज कराकर उनके उज्जवल भविष्य की कामना की।

   विदाई के इस क्षण में सहायक संचालक श्री आर. नटेश, श्री प्रदीप कंवर एवं अन्य अधिकारी व कर्मचारीगण उपस्थित थे।

रायपुर । शौर्यपथ । मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने आज यहाँ अपने निवास कार्यालय से गोधन न्याय योजना के तहत पशुपालक ग्रामीणों, गौठानों से जुड़ी महिला समूहों और गौठान समितियों को 5 करोड़ 32 लाख रूपए की राशि ऑनलाइन जारी किया ।इसके अंतर्गत 16 मार्च से 31 मार्च तक खरीदे गए 1 लाख 45 हजार क्विंटल गोबर के एवज में 2 करोड़ 91 लाख रूपए का भुगतान किए जाने के साथ ही गौठान समितियों को 1.43 करोड़ रूपए और महिला समूहों को 98 लाख रूपए की लाभांश राशि शामिल है।इस अवसर पर कृषि मंत्री श्री रविन्द्र चौबे, उद्योग मंत्री श्री कवासी लखमा, मुख्यमंत्री के सलाहकार श्री विनोद वर्मा, छत्तीसगढ़ राज्य खनिज विकास निगम के अध्यक्ष श्री गिरीश देवांगन, राज्य गौ सेवा आयोग के अध्यक्ष महंत रामसुंदर दास कृषि विभाग के विशेष सचिव डॉ. अय्याज एफ. तम्बोली मुख्यमंत्री निवास में उपस्थित हैं तथा मुख्यमंत्री के सलाहकार श्री प्रदीप शर्मा और राज्य नोडल अधिकारी RIPA श्री गौरव सिंह वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये जुड़े है । 

  मुख्यमंत्री श्री बघेल ने कहा कि गोधन न्याय योजना में हम लोगों ने निरंतर उपलब्धियां हासिल की है, लेकिन स्वावलंबी गौठानों की संख्या में जिस तेजी से वृद्धि हो रही है, वह हमारी सबसे बड़ी उपलब्धि है, क्योंकि इस योजना का मुख्य उद्देश्य ही अपने गांवों को आर्थिक रूप से स्वावलंबी बनाना है। गोबर विक्रेताओं को दी जा रही राशि में से 01 करोड़ 67 लाख रुपए की राशि स्वावलंबी गौठानों की ओर से स्वयं भुगतान की जा रही है। जबकि विभाग की ओर से 01 करोड़ 24 लाख रुपए का भुगतान किया जा रहा है। गौठान समितियों को स्वावलंबन के लिए प्रोत्साहित करने के लिए हम लोगों ने स्वावलंबी गौठान समिति के अध्यक्षों को 750 रुपए और सदस्यों को 500 रुपए हर महीने प्रोत्साहन राशि देने का निर्णय लिया है। किसान भाइयों को यह खुशखबरी तो पहले ही मिल चुकी होगी कि आने वाले नवंबर महीने से अब 20 क्विंटल प्रति एकड़ के मान से धान की खरीदी की जाएगी। इसकी मांग किसान भाइयों द्वारा बहुत लंबे समय से की जा रही थी। निश्चित रूप से इसका लाभ ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मिलेगा।

  इसी तरह राजीव गांधी ग्रामीण भूमिहीन कृषि मजदूर न्याय योजना का भी अब विस्तार कर दिया गया है। अब नगर पंचायतों और अनुसूचित क्षेत्र की नगर पालिकाओं के भूमिहीन कृषि मजदूरों को भी इस योजना का लाभ मिलेगा। इस योजना का लाभ लेने के लिए भूमिहीन कृषि मजदूर 15 अप्रैल तक अवश्य आवदेन कर दें। 01 अप्रैल से गांवों में सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण भी शुरू किया गया है, क्योंकि 2011 के बाद से जनगणना ही नहीं हो पाई है। इस सर्वेक्षण से नये हितग्राही भी चिन्हित होंगे। उन्हें भी आवास, गैस सिलेंडर, शौचालय जैसी योजनाओं का लाभ मिल पाएगा। 01 अप्रैल से ही शिक्षित बेरोजगारों से बेरोजगारी भत्ते के लिए आवेदन लेना भी शुरू कर दिया है। इसके लिए उन्हें ऑन लाइन आवेदन की सुविधा दी गई है। पहले ही दिन 6000 से ज्यादा बेरोजगारों के आवेदन मिले, जिसे उसी दिन मंजूर भी कर लिया गया।

  आज इस कार्यक्रम के माध्यम से जिन किसानों, गोबर विक्रेताओं, पशुपालकों, गौठान समितियों और स्व सहायता समूहों के खाते में राशि का अंतरण हो रहा है, उन सभी को बहुत बधाई ।

दुर्ग । शौर्यपथ । प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महामंत्री व जिला सहकारी केंद्रीय बैंक, दुर्ग के अध्यक्ष राजेंद्र साहू ने दुर्ग जिला पंचायत अध्यक्ष शालिनी यादव के निधन पर गहरा दुःख प्रकट किया है। श्रीमती शालिनी यादव के शोक संतप्त परिवारजनों के प्रति संवेदना प्रकट करते हुए राजेंद्र ने दिवंगत आत्मा की शांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना की है। राजेंद्र ने कहा कि श्रीमती शालिनी यादव बेहद सरल स्वभाव की कांग्रेस नेत्री थी। जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर रहते हुए श्रीमती यादव हमेशा जिले के ग्रामीण इलाकों के विकास के प्रति सजग रही। उनके निधन से दुर्ग जिले में कांग्रेस को अपूरणीय क्षति हुई है। 

रायपुर । शौर्यपथ । मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल आज राजधानी रायपुर के एमजी रोड स्थित जैन दादबाड़ी में सकल जैन श्रीसंघ द्वारा आयोजित भगवान महावीर जन्मकल्याणक महोत्सव कार्यक्रम में शामिल हो रहे हैं। । मुख्यमंत्री श्री बघेल ने दादाबाड़ी परिसर स्थित जैन मंदिर में भगवान महावीर की पूजा अर्चना कर प्रदेशवासियों की सुख समृद्धि और खुशहाली की कामना की। इस अवसर पर भगवान महावीर जन्म कल्याणक महोत्सव समिति से अध्यक्ष श्री मनोज कोठारी, श्री सुशील कोचर, श्री विजय गंगवाल , श्री पारस चोपड़ा सहित समिति के अनेक सदस्यगण उपस्थित हैं।

दुर्ग । शौर्यपथ । नगर पालिक निगम सीमा क्षेत्र अंतर्गत आयुक्त लोकेश चन्द्राकर ने अफसरों के साथ विकास कार्यो की प्रगति देखने को सिविल लाइन गौरवपथ में डिवाइडर निर्माण कार्य एव स्टेशन रोड़ पर पौधा रोपण के लिए स्थल निरीक्षण किये और अफसरों को निर्देशित किये।इस दौरान डिवाईडर कार्य सहित अन्य कार्यो की प्रगति रिपोर्ट देखे।निरीक्षण के दौरान आयुक्त ने कहा निर्माण कार्यो में खामियां मिलने पर कार्रवाही की जाएगी।इस दौरान सहायक अभियंता जितेंद्र सैमया, उद्यान प्रभारी अनिल सिंह के अलावा ठेकेदार मौजूद रहें।उन्होंने शहर के चौक चौराहों में सौंदर्यीकरण एवम स्टेशन रोड ग्रीन चौक के आस पास आकर्षक दिखने वाले पौधे लगाने को कहा।खंबो में लाइटिंग की व्यवस्था भी किया जा रहा है।जिसमे दुर्ग शहर ओर भी सुंदर नजर आने लगेगा।गौरतलब है कि विधायक अरुण वोरा एवं महापौर धीरज बाकलीवाल शहर के विकास को लेकर बेहद गंभीर है। उन्होने शहर सौंदर्यीकरण के कई कार्य कराने की स्वीकृति प्रदान की है, जिसके चलते शहर के कई प्रमुख मार्ग अलग ही स्वरूप में नजर आयेंगे, सौंदर्यीकरण को लेकर इसकी विभागीय प्रक्रिया भी जल्दी पूरी की जा रही है।आयुक्त लोकेश चन्द्राकर ने शहर में चल रहे विकास कार्यो को शीघ्र अतिशीघ्र पूरा करने के निर्देश अफसरों को दिए ताकि।नागरिको को बेहतर सुविधाएं मिल सके।सड़क नाली, वार्डो की प्रकाश व्यवस्था,सफाई के अलावा पेयजल सहित सभी मूलभूत विकास कार्य को प्रगति रिपोर्ट ली।

रायपुर । शौर्यपथ । छत्तीसगढ़ में कांग्रेस नेताओं के यहां की जा रही ईडी की कार्यवाही को लेकर कांग्रेस संचार प्रमुख सुशील आनंद शुक्ला ने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डी.वाय, चंद्रचूड़, छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा तथा कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को पत्र लिखकर शिकायत किया है। पत्र में लिखा है-

 

प्रति

माननीय डी.वाय. चंद्रचूड़ जी,

मुख्य न्यायाधीश,

सर्वोच्च न्यायालय,

नईदिल्ली

 

माननीय रमेश सिन्हा जी

मुख्य न्यायाधीश,

उच्च न्यायालय,

बिलासपुर (छ.ग.)

 

माननीय मल्लिकार्जुन खड़गे जी

अध्यक्ष

आल इंडिया कांग्रेस कमेटी

 

विषय :- प्रर्वतन निदेशालय (ई.डी.) के अधिकारियों द्वारा जांच के नाम पर की जा रही अवैधानिक कार्यवाहियों पर रोक लगाने संबंधी।

 

महोदय,

हम अत्यंत विनम्रतापूर्वक ई.डी. अधिकारियों द्वारा विगत कुछ अवधि से प्रकरणों की जांच के नाम पर विशुद्ध राजनीतिक आधार पर की जा रही अमानवीय एवं अवैधानिक कार्यवाहियों की ओर आपका ध्यान आकृष्ट करना चाहते है।

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में दिनांक 24 फरवरी से कांग्रेस का महाधिवेशन होना था। महाधिवेशन के सफल आयोजन को रोकने के उद्देश्य से महाधिवेशन के मात्र 4 दिन पहले कार्यक्रम के कांग्रेस के 6 प्रमुख आयोजकों के घरों में ई.डी अधिकारियों द्वारा छापेमारी की कार्यवाही की गयी। आश्चर्य की बात है कि ई.डी. अधिकारियों द्वारा कांग्रेस पदाधिकारियों को न तो छापे के औचित्य (Reason to belive) के बारे में जानकारी दी गयी और न प्रकरण क्रमांक (ECIR Number) की जानकारी दी गयी। छापों में कुछ भी रिकवरी न होने के कारण ई.डी. अधिकारियों की शर्मिंदगी का आलम यह है कि छापेमारी की कार्यवाही से जब्त चल अचल संपत्तियों का ब्यौरा आज तक सार्वजनिक नहीं किया जा सका है। ई.डी. अधिकारियों द्वारा राजनीतिक आधार पर की गयी इस कार्यवाही के विरूद्ध कांग्रेसी कार्यकर्ताओं द्वारा ई.डी. कार्यालय के समक्ष प्रदर्शन किये गये तथा ई.डी. अधिकारियों को गैर राजनीतिक आधार पर निष्पक्ष एवं न्यायिक कार्यवाही करने हेतु ज्ञापन भी सौंपे गये। चूंकि रायपुर के महापौर एजाज ढेबर इन प्रदर्शनों में सक्रिय थे अतः राजनीतिक द्वेष वश दिनांक 29 मार्च 2023 को उनके एवं उनके परिजनों के विभिन्न आवासीय परिसरों में ई.डी. अधिकारियों द्वारा छापेमारी की कार्यवाही की गयी। महापौर की 85 वर्षीय माता जी को नमाज पढ़ने तक की अनुमति नही दी गयी तथा उनके घर में उपलब्ध लगभग 8 लाख रू. की राशि, जिसका पूरा हिसाब दिया गया था, जब्त कर ली गयी। इन छापों के संबंध में भी न तो सर्च के औचित्य के संबंध में कोई जानकारी दी गई और न ही ''sheduled offence'' के बारे में जानकारी कोई विवरण दिया गया।

राज्य में विगत 3-4 दिनों से ई.डी. अधिकारियों द्वारा लगभग 40 स्थानों में छापेमारी की ताबड़तोड़ कार्यवाहियां की गयी। इन छापों में भी रिकवरी की कोई जानकारी सार्वजनिक नहीं की गयी है और न ही यह जानकारी सार्वजनिक की गयी है कि किस अपराध की विवेचना अंतर्गत यह कार्यवाहियां की जा रही है। प्राप्त जानकारी के अनुसार सभी छापों में मिलाकर कुल रिकवरी नाम मात्र की ही है।

हाल ही में मारे गये छापों तथा प्रकरण की विवेचना के दौरान ई.डी. अधिकारियों द्वारा की जा रही अनेक अमानवीय एवं अवैधानिक कार्यवाहियां करने की भी जानकारी प्राप्त हो रही है। सभी छापों के दौरान ई.डी. अधिकारी 24 घंटे से अधिक अवधि तक निर्देष नागरिकों के परिसरों में रहे तथा उसके ठीक बाद उन सभी को समन्स की प्रति देकर सी.आर.पी.एफ जवानों की अभिरक्षा में ई.डी. कार्यालय लाया गया। जन मानस में यह संदेश गया कि सभी व्यक्तियों को गिरफ्तार कर ई.डी. कार्यालय ले जाया गया। समाचार पत्रों में इस सयश की खबरों की प्रतियां संलग्न है। (संलग्न-1)। ई.डी. कार्यालय में अधिकांश लोगों को पूछताछ के नाम पर लगभग 24 घंटे रखा गया। दिनांक 9 मार्च सुबह 6ः00 बजे से 31 मार्च सुबह 6ः00 बजे तक (लगभग 48 घंटे) बंधक की तरह रखा गया। इन 48 घंटो में किसी को सोने तक नहीं दिया गया तथा न ही किसी बाहरी व्यक्ति से बात-चीत करने की अनुमति दी गयी। 48 घंटे बिना विश्राम किये तथा मानसिक यंत्रणा से गुजरने के बाद भी पुनः अधिकांश व्यक्तियों को 31 मार्च शाम को ई.डी. कार्यालय तलब किया गया तथा फिर उन्हें 1 अप्रैल की अल-सुबह वापस जाने दिया गया। विगत 2 दिनों में अनेक गवाहों से ई.डी अधिकारियों द्वारा निर्ममता पूर्वक मारने पीटने की भी शिकायतें प्राप्त हुई है। एक भद्र महिला को तो रात 11ः00 बजे पूछताछ के नाम सी.आर.पी.एफ जवानों की कस्टडी में ई.डी. कार्यालय लाये जाने तथा उनके अधिवक्ताओं के वहां पहुंचने पर रात लगभग 12ः00 बजे छोड़ा गया। उक्त सभी तथ्यों की पुष्टि ई.डी. कार्यालय में लगे सी.सी.टी.वी कैमरों एवं ई.डी. दफ्तर में संधारित रजिस्टर में आसानी से की जा सकती है।

विगत कुछ माहों में राज्य के अनेक शासकीय कार्यालयों में ई.डी. अधिकारियों द्वारा 30 घंटे तक सर्च की कार्यवाहियां की गयी। अनेक वरिष्ठ आई.ए.एस. एवं आई.पी.एस अधिकारियों को ई.डी. कार्यालय बुलाकर प्रताड़ित किया गया इन सभी कार्यवाहियों का भी कोई विवरण सार्वजनिक नहीं किया गया। ई.डी. अधिकारी राज्य के अधिकारियों को भयभीत कर राज्य की व्यवस्था को ठप करना चाहते है।

ई.डी. अधिकारियों द्वारा छत्तीसगढ़ राज्य में अचानक इतनी अधिक सक्रियता सिर्फ इसलिये दिखायी जा रही है क्योंकि इसी वर्ष नवंबर माह में राज्य में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं इन चुनावों में भाजपा की पराजय निश्चित जानकर ही ई.डी. अधिकारियों द्वारा राजनीतिक आकाओं के इशारे पर राजनीति से प्रेरित होकर अन्य विपक्षी राज्य की तरह ही छत्तीसगढ़ में भी ई.डी. का दमन चक्र जारी है।

आदरणीय महोदय हम सब ई.डी. की निष्पक्ष एवं न्यायिक प्रक्रिया अंतर्गत की जाने वाली प्रत्येक कार्यवाही का स्वागत करते है लेकिन लोकतंत्र को कुचलने के उद्देश्य से की गयी कार्यवाही का अहिंसक एवं न्यायिक प्रतिरोध अवश्य किया जाना चाहिये। आगामी कुछ माहों में राज्य में ई.डी. का दमन जारी रहने की पूर्ण संभावना है। पूर्व में भी माननीय मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल जी द्वारा केन्द्र सरकार से ई.डी. अधिकारियों की ज्यादतियों पर रोक लगाने का अनुरोध किया गया था, जिसका कोई असर दिखाई नहीं देता।

ई.डी. कार्यालय में पूछताछ कक्षों को छोड़कर अन्य सभी स्थानों पर सी.सी.टी.वी. कैमरे लगे हुये है। माननीय सर्वोच्च न्यायालय के अनेक बार निर्देश दिये जाने के बाद भी ई.डी. अधिकारियों द्वारा गवाहों से पूछ-ताछ की कार्यवाहीं सी.सी.टी.वी. कैमरे के सामने सिर्फ इसलिये नहीं की जा रही ताकि ई.डी. अधिकारियों द्वारा गवाहों को डराने धमकाने तथा मारपीट कर मनचाहा बयान नोट करने में कठिनाई न हो। ई.डी. अधिकारियों को पूछताछ कक्ष में सी.सी.टी.वी. कैमरे लगाने में यदि आर्थिक कठिनाई है तो छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी इस खर्च को वहन करने को तैयार है।

देश के वर्तमान हालातों को देखते हुये देश में स्वस्थ लोकतंत्र को जीवित रखने में सिर्फ न्यायपालिका से ही आशा बची है। विनम्र अनुरोध है कि केंद्रीय जांच एजेंसियों द्वारा राज्य में न्यायिक प्रक्रिया अनुरूप तथा निष्पक्ष कार्यवाही सुनिश्चित करने हेतु केन्द्र एवं राज्य सरकारों को समुचित निर्देश देने का कष्ट करें।

रायपुर । शौर्यपथ । छत्तीसगढ़ में कांग्रेस नेताओं के यहां की जा रही ईडी की कार्यवाही को लेकर कांग्रेस संचार प्रमुख सुशील आनंद शुक्ला ने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डी.वाय, चंद्रचूड़, छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा तथा कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को पत्र लिखकर शिकायत किया है। पत्र में लिखा है-

 

प्रति

माननीय डी.वाय. चंद्रचूड़ जी,

मुख्य न्यायाधीश,

सर्वोच्च न्यायालय,

नईदिल्ली

 

माननीय रमेश सिन्हा जी

मुख्य न्यायाधीश,

उच्च न्यायालय,

बिलासपुर (छ.ग.)

 

माननीय मल्लिकार्जुन खड़गे जी

अध्यक्ष

आल इंडिया कांग्रेस कमेटी

 

विषय :- प्रर्वतन निदेशालय (ई.डी.) के अधिकारियों द्वारा जांच के नाम पर की जा रही अवैधानिक कार्यवाहियों पर रोक लगाने संबंधी।

 

महोदय,

हम अत्यंत विनम्रतापूर्वक ई.डी. अधिकारियों द्वारा विगत कुछ अवधि से प्रकरणों की जांच के नाम पर विशुद्ध राजनीतिक आधार पर की जा रही अमानवीय एवं अवैधानिक कार्यवाहियों की ओर आपका ध्यान आकृष्ट करना चाहते है।

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में दिनांक 24 फरवरी से कांग्रेस का महाधिवेशन होना था। महाधिवेशन के सफल आयोजन को रोकने के उद्देश्य से महाधिवेशन के मात्र 4 दिन पहले कार्यक्रम के कांग्रेस के 6 प्रमुख आयोजकों के घरों में ई.डी अधिकारियों द्वारा छापेमारी की कार्यवाही की गयी। आश्चर्य की बात है कि ई.डी. अधिकारियों द्वारा कांग्रेस पदाधिकारियों को न तो छापे के औचित्य (Reason to belive) के बारे में जानकारी दी गयी और न प्रकरण क्रमांक (ECIR Number) की जानकारी दी गयी। छापों में कुछ भी रिकवरी न होने के कारण ई.डी. अधिकारियों की शर्मिंदगी का आलम यह है कि छापेमारी की कार्यवाही से जब्त चल अचल संपत्तियों का ब्यौरा आज तक सार्वजनिक नहीं किया जा सका है। ई.डी. अधिकारियों द्वारा राजनीतिक आधार पर की गयी इस कार्यवाही के विरूद्ध कांग्रेसी कार्यकर्ताओं द्वारा ई.डी. कार्यालय के समक्ष प्रदर्शन किये गये तथा ई.डी. अधिकारियों को गैर राजनीतिक आधार पर निष्पक्ष एवं न्यायिक कार्यवाही करने हेतु ज्ञापन भी सौंपे गये। चूंकि रायपुर के महापौर एजाज ढेबर इन प्रदर्शनों में सक्रिय थे अतः राजनीतिक द्वेष वश दिनांक 29 मार्च 2023 को उनके एवं उनके परिजनों के विभिन्न आवासीय परिसरों में ई.डी. अधिकारियों द्वारा छापेमारी की कार्यवाही की गयी। महापौर की 85 वर्षीय माता जी को नमाज पढ़ने तक की अनुमति नही दी गयी तथा उनके घर में उपलब्ध लगभग 8 लाख रू. की राशि, जिसका पूरा हिसाब दिया गया था, जब्त कर ली गयी। इन छापों के संबंध में भी न तो सर्च के औचित्य के संबंध में कोई जानकारी दी गई और न ही ''sheduled offence'' के बारे में जानकारी कोई विवरण दिया गया।

राज्य में विगत 3-4 दिनों से ई.डी. अधिकारियों द्वारा लगभग 40 स्थानों में छापेमारी की ताबड़तोड़ कार्यवाहियां की गयी। इन छापों में भी रिकवरी की कोई जानकारी सार्वजनिक नहीं की गयी है और न ही यह जानकारी सार्वजनिक की गयी है कि किस अपराध की विवेचना अंतर्गत यह कार्यवाहियां की जा रही है। प्राप्त जानकारी के अनुसार सभी छापों में मिलाकर कुल रिकवरी नाम मात्र की ही है।

हाल ही में मारे गये छापों तथा प्रकरण की विवेचना के दौरान ई.डी. अधिकारियों द्वारा की जा रही अनेक अमानवीय एवं अवैधानिक कार्यवाहियां करने की भी जानकारी प्राप्त हो रही है। सभी छापों के दौरान ई.डी. अधिकारी 24 घंटे से अधिक अवधि तक निर्देष नागरिकों के परिसरों में रहे तथा उसके ठीक बाद उन सभी को समन्स की प्रति देकर सी.आर.पी.एफ जवानों की अभिरक्षा में ई.डी. कार्यालय लाया गया। जन मानस में यह संदेश गया कि सभी व्यक्तियों को गिरफ्तार कर ई.डी. कार्यालय ले जाया गया। समाचार पत्रों में इस सयश की खबरों की प्रतियां संलग्न है। (संलग्न-1)। ई.डी. कार्यालय में अधिकांश लोगों को पूछताछ के नाम पर लगभग 24 घंटे रखा गया। दिनांक 9 मार्च सुबह 6ः00 बजे से 31 मार्च सुबह 6ः00 बजे तक (लगभग 48 घंटे) बंधक की तरह रखा गया। इन 48 घंटो में किसी को सोने तक नहीं दिया गया तथा न ही किसी बाहरी व्यक्ति से बात-चीत करने की अनुमति दी गयी। 48 घंटे बिना विश्राम किये तथा मानसिक यंत्रणा से गुजरने के बाद भी पुनः अधिकांश व्यक्तियों को 31 मार्च शाम को ई.डी. कार्यालय तलब किया गया तथा फिर उन्हें 1 अप्रैल की अल-सुबह वापस जाने दिया गया। विगत 2 दिनों में अनेक गवाहों से ई.डी अधिकारियों द्वारा निर्ममता पूर्वक मारने पीटने की भी शिकायतें प्राप्त हुई है। एक भद्र महिला को तो रात 11ः00 बजे पूछताछ के नाम सी.आर.पी.एफ जवानों की कस्टडी में ई.डी. कार्यालय लाये जाने तथा उनके अधिवक्ताओं के वहां पहुंचने पर रात लगभग 12ः00 बजे छोड़ा गया। उक्त सभी तथ्यों की पुष्टि ई.डी. कार्यालय में लगे सी.सी.टी.वी कैमरों एवं ई.डी. दफ्तर में संधारित रजिस्टर में आसानी से की जा सकती है।

विगत कुछ माहों में राज्य के अनेक शासकीय कार्यालयों में ई.डी. अधिकारियों द्वारा 30 घंटे तक सर्च की कार्यवाहियां की गयी। अनेक वरिष्ठ आई.ए.एस. एवं आई.पी.एस अधिकारियों को ई.डी. कार्यालय बुलाकर प्रताड़ित किया गया इन सभी कार्यवाहियों का भी कोई विवरण सार्वजनिक नहीं किया गया। ई.डी. अधिकारी राज्य के अधिकारियों को भयभीत कर राज्य की व्यवस्था को ठप करना चाहते है।

ई.डी. अधिकारियों द्वारा छत्तीसगढ़ राज्य में अचानक इतनी अधिक सक्रियता सिर्फ इसलिये दिखायी जा रही है क्योंकि इसी वर्ष नवंबर माह में राज्य में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं इन चुनावों में भाजपा की पराजय निश्चित जानकर ही ई.डी. अधिकारियों द्वारा राजनीतिक आकाओं के इशारे पर राजनीति से प्रेरित होकर अन्य विपक्षी राज्य की तरह ही छत्तीसगढ़ में भी ई.डी. का दमन चक्र जारी है।

आदरणीय महोदय हम सब ई.डी. की निष्पक्ष एवं न्यायिक प्रक्रिया अंतर्गत की जाने वाली प्रत्येक कार्यवाही का स्वागत करते है लेकिन लोकतंत्र को कुचलने के उद्देश्य से की गयी कार्यवाही का अहिंसक एवं न्यायिक प्रतिरोध अवश्य किया जाना चाहिये। आगामी कुछ माहों में राज्य में ई.डी. का दमन जारी रहने की पूर्ण संभावना है। पूर्व में भी माननीय मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल जी द्वारा केन्द्र सरकार से ई.डी. अधिकारियों की ज्यादतियों पर रोक लगाने का अनुरोध किया गया था, जिसका कोई असर दिखाई नहीं देता।

ई.डी. कार्यालय में पूछताछ कक्षों को छोड़कर अन्य सभी स्थानों पर सी.सी.टी.वी. कैमरे लगे हुये है। माननीय सर्वोच्च न्यायालय के अनेक बार निर्देश दिये जाने के बाद भी ई.डी. अधिकारियों द्वारा गवाहों से पूछ-ताछ की कार्यवाहीं सी.सी.टी.वी. कैमरे के सामने सिर्फ इसलिये नहीं की जा रही ताकि ई.डी. अधिकारियों द्वारा गवाहों को डराने धमकाने तथा मारपीट कर मनचाहा बयान नोट करने में कठिनाई न हो। ई.डी. अधिकारियों को पूछताछ कक्ष में सी.सी.टी.वी. कैमरे लगाने में यदि आर्थिक कठिनाई है तो छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी इस खर्च को वहन करने को तैयार है।

देश के वर्तमान हालातों को देखते हुये देश में स्वस्थ लोकतंत्र को जीवित रखने में सिर्फ न्यायपालिका से ही आशा बची है। विनम्र अनुरोध है कि केंद्रीय जांच एजेंसियों द्वारा राज्य में न्यायिक प्रक्रिया अनुरूप तथा निष्पक्ष कार्यवाही सुनिश्चित करने हेतु केन्द्र एवं राज्य सरकारों को समुचित निर्देश देने का कष्ट करें।

रायपुर । शौर्यपथ । छत्तीसगढ़ में कांग्रेस नेताओं के यहां की जा रही ईडी की कार्यवाही को लेकर कांग्रेस संचार प्रमुख सुशील आनंद शुक्ला ने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डी.वाय, चंद्रचूड़, छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा तथा कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को पत्र लिखकर शिकायत किया है। पत्र में लिखा है-

 

प्रति

माननीय डी.वाय. चंद्रचूड़ जी,

मुख्य न्यायाधीश,

सर्वोच्च न्यायालय,

नईदिल्ली

 

माननीय रमेश सिन्हा जी

मुख्य न्यायाधीश,

उच्च न्यायालय,

बिलासपुर (छ.ग.)

 

माननीय मल्लिकार्जुन खड़गे जी

अध्यक्ष

आल इंडिया कांग्रेस कमेटी

 

विषय :- प्रर्वतन निदेशालय (ई.डी.) के अधिकारियों द्वारा जांच के नाम पर की जा रही अवैधानिक कार्यवाहियों पर रोक लगाने संबंधी।

 

महोदय,

हम अत्यंत विनम्रतापूर्वक ई.डी. अधिकारियों द्वारा विगत कुछ अवधि से प्रकरणों की जांच के नाम पर विशुद्ध राजनीतिक आधार पर की जा रही अमानवीय एवं अवैधानिक कार्यवाहियों की ओर आपका ध्यान आकृष्ट करना चाहते है।

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में दिनांक 24 फरवरी से कांग्रेस का महाधिवेशन होना था। महाधिवेशन के सफल आयोजन को रोकने के उद्देश्य से महाधिवेशन के मात्र 4 दिन पहले कार्यक्रम के कांग्रेस के 6 प्रमुख आयोजकों के घरों में ई.डी अधिकारियों द्वारा छापेमारी की कार्यवाही की गयी। आश्चर्य की बात है कि ई.डी. अधिकारियों द्वारा कांग्रेस पदाधिकारियों को न तो छापे के औचित्य (Reason to belive) के बारे में जानकारी दी गयी और न प्रकरण क्रमांक (ECIR Number) की जानकारी दी गयी। छापों में कुछ भी रिकवरी न होने के कारण ई.डी. अधिकारियों की शर्मिंदगी का आलम यह है कि छापेमारी की कार्यवाही से जब्त चल अचल संपत्तियों का ब्यौरा आज तक सार्वजनिक नहीं किया जा सका है। ई.डी. अधिकारियों द्वारा राजनीतिक आधार पर की गयी इस कार्यवाही के विरूद्ध कांग्रेसी कार्यकर्ताओं द्वारा ई.डी. कार्यालय के समक्ष प्रदर्शन किये गये तथा ई.डी. अधिकारियों को गैर राजनीतिक आधार पर निष्पक्ष एवं न्यायिक कार्यवाही करने हेतु ज्ञापन भी सौंपे गये। चूंकि रायपुर के महापौर एजाज ढेबर इन प्रदर्शनों में सक्रिय थे अतः राजनीतिक द्वेष वश दिनांक 29 मार्च 2023 को उनके एवं उनके परिजनों के विभिन्न आवासीय परिसरों में ई.डी. अधिकारियों द्वारा छापेमारी की कार्यवाही की गयी। महापौर की 85 वर्षीय माता जी को नमाज पढ़ने तक की अनुमति नही दी गयी तथा उनके घर में उपलब्ध लगभग 8 लाख रू. की राशि, जिसका पूरा हिसाब दिया गया था, जब्त कर ली गयी। इन छापों के संबंध में भी न तो सर्च के औचित्य के संबंध में कोई जानकारी दी गई और न ही ''sheduled offence'' के बारे में जानकारी कोई विवरण दिया गया।

राज्य में विगत 3-4 दिनों से ई.डी. अधिकारियों द्वारा लगभग 40 स्थानों में छापेमारी की ताबड़तोड़ कार्यवाहियां की गयी। इन छापों में भी रिकवरी की कोई जानकारी सार्वजनिक नहीं की गयी है और न ही यह जानकारी सार्वजनिक की गयी है कि किस अपराध की विवेचना अंतर्गत यह कार्यवाहियां की जा रही है। प्राप्त जानकारी के अनुसार सभी छापों में मिलाकर कुल रिकवरी नाम मात्र की ही है।

हाल ही में मारे गये छापों तथा प्रकरण की विवेचना के दौरान ई.डी. अधिकारियों द्वारा की जा रही अनेक अमानवीय एवं अवैधानिक कार्यवाहियां करने की भी जानकारी प्राप्त हो रही है। सभी छापों के दौरान ई.डी. अधिकारी 24 घंटे से अधिक अवधि तक निर्देष नागरिकों के परिसरों में रहे तथा उसके ठीक बाद उन सभी को समन्स की प्रति देकर सी.आर.पी.एफ जवानों की अभिरक्षा में ई.डी. कार्यालय लाया गया। जन मानस में यह संदेश गया कि सभी व्यक्तियों को गिरफ्तार कर ई.डी. कार्यालय ले जाया गया। समाचार पत्रों में इस सयश की खबरों की प्रतियां संलग्न है। (संलग्न-1)। ई.डी. कार्यालय में अधिकांश लोगों को पूछताछ के नाम पर लगभग 24 घंटे रखा गया। दिनांक 9 मार्च सुबह 6ः00 बजे से 31 मार्च सुबह 6ः00 बजे तक (लगभग 48 घंटे) बंधक की तरह रखा गया। इन 48 घंटो में किसी को सोने तक नहीं दिया गया तथा न ही किसी बाहरी व्यक्ति से बात-चीत करने की अनुमति दी गयी। 48 घंटे बिना विश्राम किये तथा मानसिक यंत्रणा से गुजरने के बाद भी पुनः अधिकांश व्यक्तियों को 31 मार्च शाम को ई.डी. कार्यालय तलब किया गया तथा फिर उन्हें 1 अप्रैल की अल-सुबह वापस जाने दिया गया। विगत 2 दिनों में अनेक गवाहों से ई.डी अधिकारियों द्वारा निर्ममता पूर्वक मारने पीटने की भी शिकायतें प्राप्त हुई है। एक भद्र महिला को तो रात 11ः00 बजे पूछताछ के नाम सी.आर.पी.एफ जवानों की कस्टडी में ई.डी. कार्यालय लाये जाने तथा उनके अधिवक्ताओं के वहां पहुंचने पर रात लगभग 12ः00 बजे छोड़ा गया। उक्त सभी तथ्यों की पुष्टि ई.डी. कार्यालय में लगे सी.सी.टी.वी कैमरों एवं ई.डी. दफ्तर में संधारित रजिस्टर में आसानी से की जा सकती है।

विगत कुछ माहों में राज्य के अनेक शासकीय कार्यालयों में ई.डी. अधिकारियों द्वारा 30 घंटे तक सर्च की कार्यवाहियां की गयी। अनेक वरिष्ठ आई.ए.एस. एवं आई.पी.एस अधिकारियों को ई.डी. कार्यालय बुलाकर प्रताड़ित किया गया इन सभी कार्यवाहियों का भी कोई विवरण सार्वजनिक नहीं किया गया। ई.डी. अधिकारी राज्य के अधिकारियों को भयभीत कर राज्य की व्यवस्था को ठप करना चाहते है।

ई.डी. अधिकारियों द्वारा छत्तीसगढ़ राज्य में अचानक इतनी अधिक सक्रियता सिर्फ इसलिये दिखायी जा रही है क्योंकि इसी वर्ष नवंबर माह में राज्य में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं इन चुनावों में भाजपा की पराजय निश्चित जानकर ही ई.डी. अधिकारियों द्वारा राजनीतिक आकाओं के इशारे पर राजनीति से प्रेरित होकर अन्य विपक्षी राज्य की तरह ही छत्तीसगढ़ में भी ई.डी. का दमन चक्र जारी है।

आदरणीय महोदय हम सब ई.डी. की निष्पक्ष एवं न्यायिक प्रक्रिया अंतर्गत की जाने वाली प्रत्येक कार्यवाही का स्वागत करते है लेकिन लोकतंत्र को कुचलने के उद्देश्य से की गयी कार्यवाही का अहिंसक एवं न्यायिक प्रतिरोध अवश्य किया जाना चाहिये। आगामी कुछ माहों में राज्य में ई.डी. का दमन जारी रहने की पूर्ण संभावना है। पूर्व में भी माननीय मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल जी द्वारा केन्द्र सरकार से ई.डी. अधिकारियों की ज्यादतियों पर रोक लगाने का अनुरोध किया गया था, जिसका कोई असर दिखाई नहीं देता।

ई.डी. कार्यालय में पूछताछ कक्षों को छोड़कर अन्य सभी स्थानों पर सी.सी.टी.वी. कैमरे लगे हुये है। माननीय सर्वोच्च न्यायालय के अनेक बार निर्देश दिये जाने के बाद भी ई.डी. अधिकारियों द्वारा गवाहों से पूछ-ताछ की कार्यवाहीं सी.सी.टी.वी. कैमरे के सामने सिर्फ इसलिये नहीं की जा रही ताकि ई.डी. अधिकारियों द्वारा गवाहों को डराने धमकाने तथा मारपीट कर मनचाहा बयान नोट करने में कठिनाई न हो। ई.डी. अधिकारियों को पूछताछ कक्ष में सी.सी.टी.वी. कैमरे लगाने में यदि आर्थिक कठिनाई है तो छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी इस खर्च को वहन करने को तैयार है।

देश के वर्तमान हालातों को देखते हुये देश में स्वस्थ लोकतंत्र को जीवित रखने में सिर्फ न्यायपालिका से ही आशा बची है। विनम्र अनुरोध है कि केंद्रीय जांच एजेंसियों द्वारा राज्य में न्यायिक प्रक्रिया अनुरूप तथा निष्पक्ष कार्यवाही सुनिश्चित करने हेतु केन्द्र एवं राज्य सरकारों को समुचित निर्देश देने का कष्ट करें।

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