April 26, 2024
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भारत

भारत (689)

खाद्य विभाग ने प्रदेश के सभी कलेक्टरों को लिखा पत्र
केंद्र सरकार द्वारा जारी आदेश 31 मार्च 2024 तक के लिए रहेगा प्रभावशील
व्यापारी-थोक विक्रेता के लिए स्टॉक लिमिट 3000 टन, रिटेलर और बिग चेन रिटेलर के लिए 10 टन
प्रोसेसर्स के लिए वार्षिक संस्थापित क्षमता का 75 प्रतिशत
व्यापारिक संस्थान प्रति शुक्रवार देंगे स्टॉक की जानकारी

रायपुर / शौर्यपथ / छत्तीसगढ़ खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग द्वारा गेहूं का स्टॉक लिमिट का निर्धारण कर दिया गया है। इस आशय का पत्र मंत्रालय महानदी भवन से 15 जून को प्रदेश के सभी कलेक्टरों को जारी कर दिया गया है। गौरतलब है कि भारत सरकार उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय द्वारा 12 जून 2023 को राजपत्र में प्रकाशित कर गेहूं के लिए स्टॉक लिमिट का निर्धारण करने का आदेश दिया गया था।
खाद्य विभाग द्वारा जारी पत्र में कहा गया है कि व्यापारी-थोक विक्रेता के लिए 3000 टन का स्टॉक लिमिट तय किया गया है। इसी प्रकार रिटेलर (प्रत्येक रिटेल आउटलेट के लिए 10 टन), बिग चेन रिटेलर (प्रत्येक आउटलेट के लिए 10 टन) और उनके सभी डिपो पर 3000 टन स्टॉक लिमिट का निर्धारण किया गया है। इसी तरह प्रोसेसर्स (वार्षिक संस्थापित क्षमता का 75 प्रतिशत या मासिक स्थापित क्षमता के बराबर मात्रा को 2023-24 के शेष महीनों से गुणा करके जो भी कम हो) स्टॉक लिमिट का निर्धारण किया गया है।
पत्र में कहा गया है कि स्टॉक सीमा के लिए संबंधित विधिक इकाईयां भारत सरकार के पोर्टल में स्टॉक की स्थिति की घोषणा करेगी और यदि उनके पास निर्धारित स्टॉक सीमा से अधिक है तो वे अधिसूचना जारी होने के तीस दिनों के भीतर स्टॉक निर्धारित सीमा में करें।
पत्र में कलेक्टरों को व्यापारियों की बैठक लेकर आदेश की जानकारी देने के निर्देश दिए गए हैं। संबंधित व्यापारिक संस्थानों को प्रति शुक्रवार स्टॉक की जानकारी देने को कहा गया है। भारत सरकार द्वारा जारी यह आदेश 31 मार्च 2024 तक की अवधि के लिए प्रभावशील रहेगा।

नई दिल्ली । भारतीय जनता पार्टी द्वारा इन दिनों मोदी सरकार के 9 साल के कार्यकाल की उपलब्धियों के बारे में सोशल मीडिया पर बढ़-चढ़कर प्रचार किया जा रहा है इस प्रचार में यह भी शामिल किया गया कि मोदी सरकार के कार्यकाल में बाघों के संरक्षण में रिकार्ड बढ़ोतरी हुई है सोशल मीडिया पर भाजपा द्वारा यह प्रचार किया जा रहा है पिछले 8 सालों में बाघों में 42% की रिकार्ड बढ़ोतरी हुई है । भाजपा सोशल मीडिया ने एक कैप्शन है किया गया है जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कैमरे के द्वारा जंगल में फोटो शूट कर रहे हैं ।

  उस कैप्शन में साल 2014 और 2022 के बाघों की संख्या एवं रिकॉर्ड बढ़ोतरी की प्रतिशत हो अंकित किया गया है जिसमें साल 2014 में भारत में बाघों की संख्या 2226 और साल 2022 में बाघों की संख्या 3167 दिखाई गई है। इस हिसाब से 2014 से 2022 तक 42% बढ़ोतरी की गई है जिसे एक रिकॉर्ड  के रूप में दर्शाया गया है अगर इसके पिछले गणना को देखें तो साल 2006 में बाघों की संख्या 1411 थी । अगर इसी गणना को आधार मानें तो साल 2006 में बाघों की संख्या की बढ़ोतरी साल 2014 तक 58% यानी 2226 हो गई हैं इस हिसाब से बाघों की संख्या में जो वृद्धि मनमोहन सरकार में हुई उसके लिहाज से मोदी सरकार में वृद्धि दर लगभग 16% कम रही तो फिर किस नजरिए से भारतीय जनता पार्टी द्वारा प्रचारित किया जा रहा है यह समझ से परे है क्या भारतीय जनता पार्टी द्वारा सोशल मीडिया पर अधूरे आंकड़ों का प्रचार कर मोदी सरकार का महिमामंडन कर आम जनता को गुमराह किया जा रहा है । 

बता दें कि 50 वर्ष पहले भारत में टाइगर संरक्षण प्रोजेक्ट शुरू हुआ था जिसके तहत बाघों के संरक्षण के लिए लगातार सरकारी प्रयास करती रही हैं और यह लगातार जारी है किंतु इस तरह अधूरी जानकारी देकर आम जनता को लोकतंत्र में कब तक गुमराह किया जाता रहेगा इसमें कोई दो राय नहीं कि पूर्ववर्ती सरकार एवं वर्तमान सरकार दोनो ने ही बाघों के संरक्षण में महत्वपूर्ण पहल किए हैं किंतु अधूरे आंकड़े प्रस्तुत कर आम जनता को लोकतंत्र में गुमराह करना क्या सही है ।

नई दिल्ली । पूरे देश में विपक्षी पार्टियों द्वारा लगातार आरोप  जा रहा है कि केंद्र सरकार ईडी और सीबीआई का इस्तेमाल सत्ता हथियाने के लिए कर रही है दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने तो यहां तक कह दिया कि केंद्र सरकार को अब ईडी और सीबीआई का नाम बदलकर बीजेपी सेना रख देनी चाहिए वहीं अब तमिलनाडु से बड़ी खबर आ रही है कि तमिलनाडु की स्टालिन सरकार ने सीबीआई पर जांच के लिए आम सहमति वापस ले ली है अब अगर सीबीआई को तमिलनाडु में जांच करनी होगी तो उसे राज्य सरकार की अनुमति लेनी पड़ेगी बता दें कि तमिलनाडु भारत का ऐसा 10 वा राज्य बन गया जहां सीबीआई जांच की सहमति वापस ले ली गई है । 

तमिलनाडु सरकार ने बुधवार को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) जांच के लिए आम सहमति वापस ले ली. केंद्र की बीजेपी सरकार के खिलाफ सत्तारूढ़ डीएमके की आलोचना के बीच सरकार ने यह कदम उठाया है । डीएमके ने इससे पहले कहा था कि केंद्र सरकार विपक्षी नेताओं को चुप कराने के लिए केंद्रीय जांच एजेंसियों का इस्तेमाल कर रही है । 

भारत के वह 10 राज्य जिन्होंने अपनी सहमति वापस ली

छत्तीसगढ़, झारखंड, केरल, मेघालय, मिजोरम, पंजाब, राजस्थान, तेलंगाना और पश्चिम बंगाल  , तमिलनाडु शामिल हैं ।

नई दिल्ली । भारतीय जनता पार्टी द्वारा सोशल मिडिया में मोदी सरकार के 9 साल के कार्यकाल की उपलब्धियों के बारे में सोशल मीडिया में लगातार प्रचार किया जा रहा है अचानक एक प्रचार देखा गया जिसमें ईज डूइंग ऑफ बिजनेस के मामले में भारत 2022 में 63 वें पायदान पर पहुंच गया है । वहीं दूसरी तरफ भारत के कई प्रमुख समाचार पत्रों एवं मीडिया चैनलों ने 2020 2021 में यह खबर प्रसारित की थी कि विश्व बैंक ने अब इज डूइंग बिजनेस रैंकिंग को जारी करना बंद कर दिया है । कारण यह बताया गया कि बैंकों की आंशिक रिपोर्ट में अनियमितता पाए जाने की जानकारी मिलने पर यह रैंकिंग बंद कर दिया गया ।

    बता दे भारत में ईज आफ डूइंग बिजनेस रैंकिंग के लिए विश्व बैंक भारत देश के केवल 2 शहरों का चुनाव करता है जिसमें दिल्ली और मुंबई शहरों की भागीदारी रहती है। ऐसे में बड़ा सवाल ये उठता है कि जब ईज आफ डूइंग बिजनेस की रैंकिंग 2020 से बंद है तो भारतीय जनता पार्टी के सोशल मीडिया में किस आधार पर 63  रैंकिंग 2022 दर्शाया जा रहा है क्या सोशल मीडिया के जरिए भारतीय जनता पार्टी झूठा प्रचार कर आम जनता को उपलब्धियों की गलत जानकारी दे रही है या फिर समाचार पत्र या न्यूज़ चैनल के द्वारा तत्कालीन समय में ईज आफ डूइंग बिजनेस रैंकिंग के बंद होने की गलत खबर चलाकर टीआरपी बढ़ाया गया था आखिर भारत की आम जनता को उपलब्धियों के साथ सच्चाई जानने का भी पूरा अधिकार है भारतीय लोकतंत्र में आम जनता को सरकार की उपलब्धियों की सही सही जानकारी होना भविष्य के निर्माण के लिए अत्यधिक आवश्यक है और भारत सरकार किया लोकतांत्रिक जिम्मेदारी बनती है कि आम जनता तक अपनी उपलब्धियों की अपने कार्यों के आतंकी सही सही जानकारी प्रदान करें ताकि आम जनता नव निर्माण के लिए अपने प्रधान को चुने ना कि गलत जानकारियों के आधार पर कोई भी पार्टी सत्ता में काबिज हो । 

  

नई दिल्ली । दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल ने केंद्र सरकार पर बड़ा प्रहार करते हुए कहा कि केंद्र सरकार द्वारा सीबीआई और ईडी का पुरजोर इस्तेमाल किया जा रहा है दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल ने कहा कि सीबीआई और ईडी का नाम बदलकर अब बीजेपी सेना रख देना चाहिए । सीएम केजरीवाल ने आगे कहा कि पहले सीबीआई या ईडी किसी के घर या संस्थान पर रेड मारती थी तो आम जनता को लगता था कि जरूर कुछ गलत हुआ है तभी सीबीआई या ई डी की रेट पड़ी है पहले सीबीआई और ईडी कि समाज में काफी इज्जत थी किंतु अब यह सिर्फ बीजेपी का हथियार बन रही है।

 नई दिल्ली / २०१४ में सत्ता में आने के बाद केंद्र सरकार ने नमामि गंगे योजना बना कर गंगा नदी की सफाई की बात कही थी जिसमे 21 हजार करोड़ का बजट भी रखा गया किन्तु वर्तमान स्थिति यह है कि गंगा की सफाई की योजना की गति कछुवे की चाल की तरह चल रही है जबकि इस पर मिली जानकारी के अनुसार अब तक 13 हजार करोड़ खर्च भी हो चुके है वही समय सीमा भी २०२१ में समाप्त हो गयी . नमामि गंगे प्रोजेक्ट को 5 वर्ष का अतिरिक्त समय दे दिया गया है और उस समय में भी दो वर्ष बीत चुके है किन्तु जिस रफ़्तार से कार्य प्रगति पर है उससे यह नहीं लगता कि बचे हुए अतिरिक्त समय पर भी यह प्रोजेक्ट पूरा हो जायेगा .
   बता दे कि केंद्र सरकार ने भारत में मां के नाम से पूजे जाने वाली गंगा नदी की सफाई के लिए आज से 8 साल पहले नमामि गंगे की पहल की थी. इसका मकसद नदी की सफाई और उसे उसके पुराने पावन-निर्मल रूप में लौटा लाने का था. किन्तु करोड़ों रुपये भी पड़ गए कम और मां गंगा अब भी रह गई मैली.स्वच्छ गंगा राष्ट्रीय मिशन के तहत गंगा की सफाई के लिए 13000 करोड़ रुपये जारी किए जा चुके हैं.

 पापियों के पाप धोने वाली मोक्षदायिनी गंगा को खुद ही सफाई की पुरजोर दरकार होगी. 9 साल पहले देश के पीएम मोदी द्वारा तब इस प्रोजेक्ट को लेकर कई बाते कही गई थी किन्तु आज इस विषय पर ना तो पीएम मोदी कोई बात कह रहे है और ना ही सरकार के मंत्री .इंसान की हर तरह की गंदगी, अपशिष्ट जैसे  पापों को धोते-धोते गंगा नदी दम तोड़ने के कगार पर खड़ी है. यही वजह रही कि भारत सरकार ने दम तोड़ती गंगा नदी को जिलाने के लिए राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन- एनएमसीजी की शुरुआत की थी. लेकिन गंगा आज भी बिलख रही है कि करके गंगा को खराब, देते गंगा की दुहाई, क्या करे बेचारी कि इसे अपने ही लोग डुबोते हैं...
  दरअसल गंगा का ये जिक्र हम अचानक ही नहीं कर रहे हैं. पिछले साल 30 दिसंबर को राष्ट्रीय गंगा परिषद की बैठक इसकी एक वजह है. इसमें नमामि गंगे पहल को लेकर कई खुलासे हुए और गंगा को साफ करने की कोशिशों को बढ़ावा देने पर जोर दिया गया.
हीरा बेन को आखिरी विदाई और मां गंगे की फिक्र
  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दिसंबर २०२२  को मां हीरा बेन को आखिरी विदाई देने के बाद वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन को हरी झंडी दिखाई. उन्होंने इसी तरीके राष्ट्रीय गंगा परिषद की दूसरी बैठक की भी अध्यक्षता की. ये बैठक तब 3 साल बाद हुई, पीएम मोदी इस बैठक के लिए कोलकाता जाने वाले थे, लेकिन अपनी मां के निधन की वजह से उन्होंने वर्चुअली ही इसमें शिरकत की. इस दौरान नमामि गंगे पहल को और मजबूत करने के तरीकों पर चर्चा की गई. किन्तु छह माह बीत गए बैठक को आज भी स्थिति की रफ़्तार सुस्त .
   योजना के तहत छोटे शहरों में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के विस्तार और गंगा और उसकी सहायक नदियों में सफाई की कोशिशों को बढ़ाने को लेकर बात हुई. गंगा के किनारे हर्बल खेती को बढ़ाने के तरीकों पर भी जोर दिया गया. इसके साथ ही नदी किनारे पर्यटन के बुनियादी ढांचे को बढ़ावा देने की जरूरत पर भी बल दिया गया.इससे कई लोगों को रोजी-रोटी कमाने के मौके मिल सकते हैं. इस बैठक में सबसे बड़ी बात निकल कर सामने आई कि सरकार साल 2014 से लेकर अब तक गंगा की सफाई पर 13000 करोड़ रुपये से अधिक खर्च कर चुकी है.इसमें सबसे अधिक खर्चा उत्तर प्रदेश को दिया गया.

सफाई पर 9 साल में करोड़ों रुपये खर्च
  सरकार के महत्वाकांक्षी नमामि गंगे कार्यक्रम को अमलीजामा पहनाने के लिए जवाबदेह राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन- एनएमसीजी ने शुक्रवार को राष्ट्रीय गंगा परिषद को इस कार्यक्रम में साल 2014 से अब-तक हुए खर्चे के बारे में जानकारी दी. दरअसल सरकार ने गंगा और उसकी सहायक नदियों का "कायाकल्प" करने के लिए 31 मार्च, 2021 तक की अवधि के लिए 2014-15 में नमामि गंगे की शुरुआत की थी. हालांकि बाद में इस कार्यक्रम को 31 मार्च, 2026 तक 5 साल के लिए और बढ़ा दिया गया था.
  जानकारी के मुताबिक केंद्र ने वित्तीय वर्ष 2014-15 से 31 अक्टूबर, 2022 तक एनएमसीजी को कुल 13,709.72 करोड़ रुपये जारी किए हैं. एनएमसीजी ने 13,046.81 करोड़ रुपये की इस रकम में से अधिकांश राज्य सरकारों, स्वच्छ गंगा राज्य मिशनों (एसएमसीजी) और इस कार्यक्रम के तहत परियोजनाओं के कार्यान्वयन के लिए अन्य एजेंसियों को खर्च के लिए जारी किए थे. इसमें सबसे अधिक रुपये नदियों को सफाई के लिए उत्तर प्रदेश को दिए गए.
   गंगा में व्याप्त गंदगी को लेकर एबीपी न्यूज़ ने खबर प्रकाशित की थी जिसमे कई स्थानों पर गंगा का जल नहाने लायक भी नहीं होने की बात कही थी साथ में एक फोटो भी टैग किया गया था
न्यूज़ की हेड लाइन कुछ ऐसी थी ...
दो साल में 10 गुना गंदी हुई गंगा, बक्सर से लेकर कहलगांव का पानी तो नहाने लायक भी नहीं

सार ...

मुख्यमंत्री बघेल ने नागर विमानन मंत्री भारत सरकार ज्योतिरादित्य एम. सिंधिया को लिखा पत्र
बिलासपुर नगर को उड़ान -5 योजना में जोड़ने हेतु शीघ्र कार्यवाही करने का किया अनुरोध
केंद्र द्वारा उड़ान-5 योजना में बिलासपुर को शामिल नहीं किए जाने की जानकारी मिलने पर लिखा पत्र
बिलासपुर एयरपोर्ट में नियमित हवाई सेवा आरंभ करने के उद्देश्य से टर्मिनल भवन, रनवे विस्तार, सुरक्षा उपकरणों की व्यवस्था पर राज्य के बजट से व्यय किए गए 45 करोड़ रुपये

रायपुर / शौर्यपथ / छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने नागर विमानन मंत्री भारत सरकार  ज्योतिरादित्य एम. सिंधिया को पत्र लिखकर उनसे छत्तीसगढ़ के बिलासपुर नगर को उड़ान -5 योजना में जोड़ने हेतु शीघ्र कार्यवाही करने का अनुरोध किया है। ताकि अंचल के लोगों को देश के अन्य भागों में आने-जाने की सुविधा मिले और क्षेत्र के आर्थिक विकास में सहायता मिल सके। मुख्यमंत्री ने पत्र में लिखा है कि यह जानकारी प्राप्त हुई है कि केन्द्रीय विमानन मंत्रालय ने बिलासपुर नगर को उड़ान -5 योजना में शामिल नहीं किया है। बिलासपुर अंचल के लोगों में केंद्र सरकार के इस निर्णय से निराशा एवं रोष व्याप्त है। श्री बघेल ने पत्र में उल्लेख किया है कि बिलासपुर राज्य का दूसरा महत्वपूर्ण नगर है। राज्य का उच्च न्यायालय बिलासपुर में स्थित होने के कारण भी यहां नियमित हवाई सेवा की सुविधा उपलब्ध कराया जाना अत्यंत आवश्यक है।
  मुख्यमंत्री ने पत्र में यह भी लिखा है कि राज्य सरकार द्वारा डी.जी.सी.ए. तथा केन्द्रीय विमानन मंत्रालय के परामर्श से बिलासपुर एयरपोर्ट में नियमित हवाई सेवा आरंभ करने के उद्देश्य से टर्मिनल भवन, रनवे विस्तार, सुरक्षा उपकरणों की व्यवस्था इत्यादि व्यवस्थाएं सुनिश्चित करने राज्य के बजट से 45 करोड़ रुपये व्यय किया जा चुका है।
   राज्य सरकार के अथक प्रयासों से बिलासपुर को देश के एयर लिंक से जोड़ा गया तथा वहां से जबलपुर, नई दिल्ली, प्रयागराज, इन्दौर इत्यादि हेतु हवाई सेवाएं प्रारम्भ की गयी थी। बिलासपुर आने एवं जाने वाले सभी विमानों में यात्रियों की संख्या उत्साहवर्धक थी किन्तु अज्ञात कारणों से बाद में इन्दौर की विमान सेवा बन्द कर दी गयी। मुख्यमंत्री बघेल ने नागर विमानन मंत्री सिंधिया से पत्र में अनुरोध किया है कि छत्तीसगढ़ के बिलासपुर नगर को उड़ान -5 योजना में जोड़ने हेतु शीघ्र कार्यवाही करें ताकि अंचल के लोगों को देश के अन्य भागों में आने-जाने की सुविधा मिले और क्षेत्र के आर्थिक विकास में सहायता मिल सके।

समाचार सार .....
प्रथम खेलो इंडिया जनजाति खेल राष्ट्रीय प्रतियोगिता में छत्तीसगढ़ को मिला पदक
आवासीय तीरंदाजी तथा एथलेटिक अकादमी के खिलाड़ियों ने जीते पदक
आवासीय तीरंदाजी अकादमी बिलासपुर के कुबेर सिंह को 30 मीटर में सिल्वर मैडल मिला और ओवर ऑल में दूसरा पोजिशन रहा
आवासीय एथलेटिक अकादमी बिलासपुर की खिलाड़ी कुमारी तर्निका टेटा ने 100 मीटर विमेंस प्रतियोगिता में रजत पदक जीता
राज्य खेल प्रशिक्षण केंद्र बिलासपुर में 25 मई को राज्य के विभिन्न खेल विधाओं के खिलाड़ियों का चयन ट्रायल खेल एवं युवा कल्याण विभाग द्वारा आयोजित किया गया था
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल तथा खेल एवं युवा कल्याण मंत्री उमेश पटेल ने खिलाड़ियों को दी बधाई

  
     रायपुर / शौर्यपथ / ओडिशा के भुवनेश्वर में प्रथम खेलो इंडिया जनजाति खेल राष्ट्रीय प्रतियोगिता में छत्तीसगढ़ के खिलाड़ियों को विभिन्न स्पर्धाओं में पदक मिले हैं। आवासीय तीरंदाजी अकादमी बिलासपुर तथा एथलेटिक अकादमी के खिलाड़ियों ने पदक जीते हैं। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल एवं खेल युवा कल्याण मंत्री उमेश पटेल ने खिलाड़ियों के अच्छे प्रदर्शन के लिए बधाई दी है। आवासीय तीरंदाजी अकादमी बिलासपुर के कुबेर सिंह को 30 मीटर में सिल्वर मेडल मिला है और ओवरऑल चैंपियनशिप में वे दूसरे पोजीशन में रहे हैं। इसी तरह से आवासीय एथलेटिक अकादमी बिलासपुर की खिलाड़ी कुमारी तर्निका टेटा ने 100 मीटर वीमेन्स स्पर्धा में रजत पदक जीता है। राज्य के प्रशिक्षण केंद्र बिलासपुर में 25 मई को राज्य के विभिन्न खेल विधाओं के खिलाड़ियों का चयन ट्रायल खेल एवं युवा कल्याण विभाग द्वारा आयोजित किया गया था।
   प्रतियोगिता में आज आयोजित हुए विमेन फुटबॉल सेमीफाइनल में छत्तीसगढ़ की टीम ने त्रिपुरा को 4-0 से हराकर फाइनल में प्रवेश किया। इस प्रतियोगिता में बालिका फुटबॉल एकेडमी रायपुर की खिलाड़ी किरण पिस्दा ने तीन गोल किए जबकि बस्तर की पिंकी कश्यप ने एक गोल किया। फाइनल मैच छत्तीसगढ़ और झारखंड के बीच 12 जून को खेला जाएगा। उल्लेखनीय है कि भुवनेश्वर में आयोजित हो रही इस प्रतियोगिता में 18 राज्यों के 5000 एथलीट हिस्सा ले रहे हैं।

नई दिल्ली / भारतीय जनता पार्टी ने मंगलवार को कर्नाटक में 200 यूनिट से अधिक बिजली का उपयोग करने वाले उपभोक्ताओं के लिए बिजली दरों में बढ़ोतरी के लिए कांग्रेस सरकार पर हमला किया। चुनाव के दौरान कांग्रेस ने सभी को 200 यूनिट मुफ्त बिजली देने का वादा किया था. सिद्धारमैया की कर्नाटक सरकार ने सोमवार को घरेलू उपभोक्ताओं के लिए 200 यूनिट मुफ्त बनाने की योजना शुरू की।
   हालांकि, टाइम्स नाउ ने बताया कि राज्य सरकार ने 200 से अधिक इकाइयों का उपयोग करने वाले उपभोक्ताओं के लिए 2.89 रुपये प्रति यूनिट की बढ़ोतरी की है। अब कांग्रेस सरकार भाजपा के निशाने पर आ गई है, जो कह रही थी कि कांग्रेस द्वारा किया गया वादा पूरा करना आसान नहीं है।
   वही भाजपा के अआरोपो का जवाब देते हुए कांग्रेस नेता सुप्रिया श्रीनाते ने कहा कि कर्नाटका में बिजली के दाम भाजपा ने बढ़ाये और अब ख़ुद ही नौटंकी कर रहे हैं. बिजली के दाम बढ़ाने का ऑर्डर 12.05.2023 को भाजपा की सरकार ने दिया वही इस ऑर्डर को निरस्त करना मुमकिन नहीं है क्योंकि केंद्र की मोदी सरकार ने नये क़ानून बना कर राज्यों के हाथ बांध दिये . लेकिन ख़ुशख़बरी यह है कि कर्नाटका के 2.16 करोड़ बिजली के उपभोक्ताओं में से 2.14 करोड़ को कांग्रेस की ‘गृहज्योति योजना’ का लाभ मिलेगा क्योंकि वो 200 यूनिट से कम बिजली खर्चते हैं ऐसे में 200 यूनिट से ज्यादा बिजली खर्च करने वालो को यह लाभ नहीं मिलेगा इस प्रकार तक़रीबन 90 प्रतिशत उपभोक्ताओ को इसका लाभ मिल रहा है वही 2 लाख वो धनाढ्य जो 200 यूनिट से ज़्यादा बिजली इस्तेमाल करते हैं उनकी मुसीबत भी भाजपा ने ही बढ़ायी है .

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