December 08, 2025
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चंपारण की आखिरी रैली में प्रधानमंत्री ने किया नीतीश को मुखिया घोषित, युवाओं की बंपर वोटिंग से बदलते दिखे बिहार के समीकरणशौर्यपथ राजनीति।

    चम्पारण। शौर्यपथ राजनीती। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 अपने निर्णायक मोड़ पर पहुंच चुका है। प्रथम चरण की बंपर 65% से अधिक वोटिंग के बाद राजनीतिक समीकरण तेज़ी से बदलते दिख रहे हैं। अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दूसरे और अंतिम चरण के प्रचार के आखिरी दिन पश्चिम चंपारण की ऐतिहासिक रैली में बड़ा ऐलान करते हुए कहा — “नहीं चाहिए कट्टा सरकार, अबकी बार नीति सरकार।

   ”इस बयान के साथ ही प्रधानमंत्री ने स्पष्ट संकेत दे दिया कि यदि आईएनडीआईए गठबंधन की सरकार बनती है, तो उसके मुखिया नीतीश कुमार ही होंगे। यह वही नीतीश हैं जिन पर पहले चरण से पहले एनडीए खेमे में “मुख्यमंत्री चेहरा” को लेकर संशय बना हुआ था। गृह मंत्री अमित शाह ने भी पहले चरण के मतदान से पहले कहा था कि परिणामों के बाद विधायक दल की बैठक में मुख्यमंत्री का चयन होगा। लेकिन अब परिस्थितियाँ बदल चुकी हैं — बंपर मतदान ने बिहार की राजनीति में नई हवा बहा दी है।

     प्रधानमंत्री मोदी की रैली में उमड़े जनसैलाब और युवाओं की भारी भागीदारी ने स्पष्ट संकेत दिया है कि बिहार का मतदाता इस बार निर्णायक भूमिका निभाने जा रहा है। रैली में प्रधानमंत्री ने कटाक्ष भरे अंदाज में कहा कि बिहार को अब "कट्टा और भ्रष्टाचार" की राजनीति नहीं चाहिए, बल्कि "विकास की नीति" चाहिए — और यह नीति केवल नीतीश सरकार ही दे सकती है।राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि प्रथम चरण की उच्च मतदान दर और मोदी का यह अंतिम चुनावी संदेश मिलकर बिहार में नई दिशा निर्धारित कर सकते हैं।

  पीएम मोदी ने स्पष्ट कर दिया कि अब वे अगली बार जनता से सीधे शपथ ग्रहण समारोह में मुलाकात करेंगे।अब निगाहें 11 नवंबर को होने वाले अंतिम चरण के मतदान पर टिकी हैं, जब यह तय होगा कि मोदी की "नीति सरकार" का नारा बिहार के जनादेश में कितना असर दिखा पाता है।

शौर्यपथ / राजस्थान /
कुचामन सिटी, 7 नवंबर 2025: कुचामन सिटी में हनुमानगढ़-किशनगढ़ हाईवे के किनारे कई होटलों और ढाबों को अपराधियों के लिए अड्डा बनाकर देह व्यापार संचालित किया जा रहा था। पुलिस ने इस अवैध कारोबार का पर्दाफाश करते हुए अचानक छापेमारी कर 5 महिलाओं और 4 पुरुषों को संदिग्ध अवस्था में गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार आरोपियों में शौरभ, किशन, आशीष और प्रकाश जैसे स्थानीय युवक शामिल हैं।

पुलिस के मुताबिक, स्थानीय युवतियों के साथ-साथ कोलकाता सहित विभिन्न राज्यों और यहां तक कि कुछ विदेशी युवतियों को भी इस अवैध व्यापार में एजेंट मोबाइल फोन पर उनकी तस्वीरें दिखाकर ग्राहकों को उपलब्ध कराते थे। विदेशी युवतियों की पहचान के आधार पर उनकी दरें अधिक रखी जाती थीं। हाईवे किनारे कई होटलों और ढाबों के संचालक पुलिस छापे से पहले अपने प्रतिष्ठान बंद कर फरार हो गए।

यह अवैध कारोबार लंबे समय से चल रहा था और इससे शहर का सामाजिक ताना-बाना प्रभावित हो रहा था। पिछले वर्ष राजस्थान पत्रिका ने इस मसले पर स्टिंग ऑपरेशन कर पुलिस का ध्यान भी आकर्षित किया था। लेकिन अब कुचामन पुलिस अधीक्षक ऋचा तोमर, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक नेमीचंद खारिया और डीएसपी अरविंद विश्नोई के नेतृत्व में चल रही कार्रवाई से इस नृशंस कारोबार को रोकने के प्रयास में नया संकल्प दिखा है।

पुलिस ने आश्वासन दिया है कि ऐसे अभियानों के जरिए इस प्रकार की गैरकानूनी गतिविधियों पर पारदर्शिता और नियंत्रण बनाए रखा जाएगा। कुचामन जैसे शिक्षा नगरी में सुरक्षा और नैतिकता सुनिश्चित करने के लिए यह कदम एक महत्वपूर्ण पहल माना जा रहा है। इस कार्रवाई से स्थानीय लोगों में कानून व्यवस्था बनाए रखने की उम्मीदों को बल मिला है।

यह मामला उस सामाजिक समस्या की ओर इशारा करता है जहां शिक्षा और विकास के बावजूद अनैतिक गतिविधियां बढ़ रही हैं, जिसका कड़ा मुकाबला करने के लिए प्रशासन सख्त कदम उठा रहा है। पुलिस आगे भी इस पर गंभीर निगरानी रखेगी और आवश्यक कार्रवाई करती रहेगी।

यह कार्रवाई कुचामन सिटी में बढ़ते अपराध के खिलाफ एक ठोस संदेश है कि अवैध और अनैतिक कामों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

(यह जानकारी पुलिस के आधिकारिक बयानों तथा स्थानीय समाचार स्रोतों पर आधारित है।)

   जयपुर / शौर्यपथ / राजस्थान के बारां जिले की अंता विधानसभा सीट पर उपचुनाव को लेकर इस बार वसुंधरा राजे, बीजेपी और कांग्रेस तीनों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। बीजेपी ने पूर्व सीएम वसुंधरा राजे की पसंद पर मोरपाल सुमन को मैदान में उतारा, वहीं कांग्रेस ने गहलोत सरकार के मंत्री प्रमोद जैन भाया पर फिर से भरोसा दिखाया है। निर्दलीय उम्मीदवार नरेश मीणा की जबरदस्त मौजूदगी इस बार मुकाबले को त्रिकोणीय बना रही है, जिससे सारे सियासी समीकरण उलझ गए हैं.

राजनैतिक समीकरण और विश्लेषण
    बीजेपी के लिए अंता सीट सिर्फ जीत का सवाल नहीं, बल्कि पूर्व सीएम वसुंधरा राजे की साख से भी जुड़ी हुई है। उनकी पसंद के प्रत्याशी मोरपाल सुमन का मुकाबला स्थानीय मुद्दों, विकास और क्षेत्रीय मतदाताओं की अपेक्षाओं से है। राजे ने अपनी कोर टीम के साथ क्षेत्र में डेरा डाला है और खुद प्रचार की कमान संभाल रखी है.
कांग्रेस ने दो बार के विधायक और मंत्री प्रमोद जैन भाया पर भरोसा जताया है, जिनकी पहचान स्थानीय विकास और सामाजिक सक्रियता के आधार पर मजबूत मानी जा रही है। भाया पिछड़े क्षेत्र में सुलभ छवि और पूर्ववर्ती कार्य के आधार पर मतदाताओं को लुभा रहे हैं.
निर्दलीय नरेश मीणा युवा और मीणा समाज के बीच लोकप्रियता के साथ मैदान में हैं, जिन्हें आम आदमी पार्टी और आरएलपी जैसी विपक्षी ताकतों का समर्थन मिला है। वह बीजेपी और कांग्रेस दोनों के वोटों में महत्वपूर्ण सेंधमारी की संभावना रखते हैं.

सीट का सामाजिक समीकरण और मतदान
   अंता सीट पर करीब 2.28 लाख मतदाता हैं—116783 पुरुष, 111477 महिला और 4 थर्ड जेंडर वोटर।
   जातिगत समीकरण निर्णायक हैं: माली, मीणा, अनुसूचित जाति, धाकड़ आदि प्रमुख समूह हैं, जिनकी गोलबंदी पर चुनावी परिणाम निर्भर करेगा.
 बीजेपी-कांग्रेस दोनों को आपसी खींचतान और भितरघात का सामना करना पड़ रहा है; वहीं नरेश मीणा के समर्थन से इलाके का युवा—खासकर मीणा समाज—सक्रिय रूप से तीसरी ताकत को उभरता देख रहा है.

चुनावी मुद्दे और प्रचार
    चुनाव में स्थानीय विकास, किसानों की समस्या, सिंचाई-सुविधाएं और बेरोजगारी जैसा ज्वलंत मुद्दे प्रभावी हैं। प्रचार के अंतिम दौर में दोनों बड़े दलों के दिग्गज नेता—वसुंधरा राजे, सीएम भजनलाल शर्मा, अशोक गहलोत—डोर टू डोर, रोड शो और रैलियों कर माहौल गर्म किए हुए हैं.सुरक्षा के कड़े इंतजाम के बीच 11 नवंबर को मतदान होगा, जबकि नतीजे 14 नवंबर को आएंगे।
अंता उपचुनाव राज्य के लिए केवल एक सीट का सवाल नहीं, बल्कि राजे और गहलोत जैसे बड़े नेताओं की प्रतिष्ठा और मीणा समाज की गोलबंदी की नई दिशा तय करने वाला महासंग्राम बन गया है.

पहले चरण में 18 जिलों की 121 सीटों पर 60.25% मतदान; युवाओं और महिलाओं की बड़ी भागीदारी से बढ़ी उम्मीदें, नीतीश-तेजस्वी दोनों खेमे में बढ़ा आत्मविश्वास

पटना / शौर्यपथ /
लोकतंत्र की भूमि बिहार ने गुरुवार को एक बार फिर अपनी राजनीतिक जागरूकता और जनभागीदारी से पूरे देश को संदेश दिया। विधानसभा चुनाव 2025 के पहले चरण में 18 जिलों की 121 सीटों पर औसतन 60.25 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया — जो पिछले 25 वर्षों में सर्वाधिक है।
यह आँकड़ा केवल वोटिंग प्रतिशत का नहीं, बल्कि लोकतंत्र के प्रति जनता के विश्वास और युवा मतदाताओं की सक्रिय भागीदारी का प्रतीक है।

 ऐतिहासिक मतदान, नए बिहार की झलक

शाम पाँच बजे तक प्राप्त आँकड़ों के अनुसार बिहार के ग्रामीण और शहरी दोनों इलाकों में उत्साहपूर्ण मतदान देखने को मिला। 1990 के दशक के बाद यह पहला मौका है जब मतदान का प्रतिशत 60 के पार पहुँचा।
2020 के विधानसभा चुनाव में जहाँ 57.29% मतदान हुआ था, वहीं इस बार 3 प्रतिशत से अधिक वृद्धि दर्ज की गई है।
सबसे अधिक वोटिंग बेगूसराय में 67.32% और समस्तीपुर में 66.65% रही, जबकि पटना जिले में 55.02% मतदान हुआ।
मधेपुरा, मुजफ्फरपुर, गोपालगंज और लखीसराय जैसे जिलों में मतदाताओं ने लोकतंत्र के इस पर्व को उत्सव की तरह मनाया।

 सियासत की परीक्षा – 16 मंत्रियों और कई दिग्गजों की किस्मत ईवीएम में बंद

पहले चरण में नीतीश सरकार के 16 मंत्रियों समेत तेजस्वी यादव, तेज प्रताप यादव, अनंत सिंह, मैथिली ठाकुर, उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा जैसे दिग्गज उम्मीदवारों की किस्मत ईवीएम में कैद हो गई।कुल 1,314 उम्मीदवारों की प्रतिष्ठा दाँव पर है।45,341 मतदान केंद्रों पर शांतिपूर्ण तरीके से मतदान हुआ, जिन पर चार लाख से अधिक मतदानकर्मी और 65,000 से अधिक पोलिंग एजेंट तैनात रहे।

एनडीए का दावा – विकास पर मुहर, महागठबंधन का पलटवार – वोट चोरी का डर

पहले चरण की वोटिंग समाप्त होते ही सियासी दावे भी तेज हो गए।
जदयू प्रवक्ता राजीव रंजन प्रसाद ने कहा कि “बिहार के जागरूक मतदाताओं ने नीतीश कुमार के विकास और सुशासन पर मुहर लगा दी है, एनडीए दोबारा सत्ता में आएगा।”
डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी ने दावा किया – “पहले चरण में ही एनडीए 100 सीटें जीत रहा है। ज्यादा वोटिंग का फायदा हमें मिलेगा।”

वहीं, महागठबंधन की ओर से राहुल गांधी ने पूर्णिया की सभा में आरोप लगाया कि “बिहार में लाखों नाम वोटर लिस्ट से काट दिए गए हैं। भाजपा चुनाव चोरी की कोशिश कर रही है, लेकिन युवाओं और जेन-जी को संविधान की रक्षा करनी है।”

 युवा वोटरों की एंट्री – ‘Gen-Z’ बना बिहार चुनाव का गेम चेंजर

चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक इस बार राज्य के कुल मतदाताओं में 25% हिस्सा 18-29 वर्ष आयु वर्ग के मतदाताओं का है।
हर चौथा वोटर युवा है — यानी भविष्य का बिहार खुद अपने मत से गढ़ रहा है।
बेगूसराय में 25.16%, मधेपुरा में 24.66% और खगड़िया में 24.29% जेन-जी वोटर हैं।

यह नई पीढ़ी जाति या धर्म की राजनीति से परे रोजगार, पारदर्शिता, शिक्षा और इंटरनेट कनेक्टिविटी जैसे मुद्दों पर वोट डाल रही है।
विश्वविद्यालय परिसरों से लेकर सोशल मीडिया तक, इन युवाओं की सक्रियता ने इस चुनाव को विचार और विज़न की जंग में बदल दिया है।

चुनाव आयोग की सख्त निगरानी – हर बूथ पर CCTV की नजर

मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार, निर्वाचन आयुक्त एस.एस. संधू और विवेक जोशी ने दिल्ली स्थित नियंत्रण कक्ष से पूरे बिहार की वोटिंग प्रक्रिया पर नज़र रखी।
राज्य के 45,000 से अधिक मतदान केंद्रों से लाइव फीड मंगवाए जा रहे थे।
इस बार पहली बार सभी बूथों पर CCTV कैमरे लगाए गए, जिससे पारदर्शिता और सुरक्षा दोनों सुनिश्चित हो सके।

 दूसरा चरण 11 नवंबर को, नतीजे 14 नवंबर को

पहले चरण की शांतिपूर्ण और रिकॉर्ड तोड़ वोटिंग ने अब दूसरे चरण की जंग को और रोचक बना दिया है।
11 नवंबर को शेष जिलों में मतदान होगा और 14 नवंबर को मतगणना के बाद यह स्पष्ट हो जाएगा कि बिहार की जनता ने नीतीश कुमार को फिर मौका दिया या तेजस्वी यादव को सत्ता की कुर्सी सौंपी।

 “लोकतंत्र की असली जीत जनता की भागीदारी से होती है”

चुनाव विश्लेषकों के मुताबिक, इस बार मतदान दर में वृद्धि का सीधा संबंध युवाओं और महिलाओं की बढ़ती जागरूकता से है।
महिलाओं ने गाँव-गाँव में लंबी कतारों में खड़े होकर मतदान किया, जबकि पहली बार वोट डालने वाले युवाओं ने इसे “अपना पहला राजनीतिक वक्तव्य” बताया।

समापन टिप्पणी:

बिहार का यह पहला चरण सिर्फ राजनीतिक दलों की परीक्षा नहीं, बल्कि लोकतंत्र की परिपक्वता और जनसक्रियता का उत्सव भी है।
25 साल बाद जब मतदान का प्रतिशत 60 के पार पहुँचा, तो यह केवल आँकड़ा नहीं रहा — यह बिहार की जनता की परिपक्व सोच, लोकतंत्र के प्रति आस्था और परिवर्तन की पुकार बन गया।


  नई दिल्ली / एजेंसी /
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के प्रथम चरण का मतदान 6 नवंबर को होगा, जिसमें 18 जिलों की 121 विधानसभा सीटों पर करीब 3 करोड़ 75 लाख मतदाता अपनी भागीदारी से लोकतंत्र की मजबूत पड़ताल करेंगे। यह चुनाव बिहार की राजनीति में निर्णायक मोड़ साबित होने जा रहा है, जहां हर वर्ग की उम्मीदें जुड़ी हैं और राजनीतिक दलों के माथे चिन्हित मुख्यमंत्री चेहरे को लेकर जटिलता बनी हुई है।
एनडीए गठबंधन ने इस चुनाव में मुख्यमंत्री चेहरा घोषित करने से परहेज किया है, और मुख्यमंत्री पद को चुनाव के बाद गठबंधन के बीच विचार-विमर्श के बाद तय करने का सस्पेंस बरकरार रखा है। इसके पीछे भाजपा और जदयू सहित सहयोगी दलों के मतभेद और गठबंधन की रणनीतिक विवेकशीलता संकेतित होती है। इसके बावजूद नरेंद्र मोदी, जेपी नड्डा और नीतीश कुमार जैसे वरिष्ठ नेता प्रचार में सक्रिय हैं, यह संदेश फैलाने के लिए कि विकास और स्थिरता एनडीए का मूल मंत्र है। भाजपा और जदयू की सीटों का बंटवारा पहले ही तय हो चुका है, और 121 सीटों के लिए एनडीए अपना पूर्ण जोर लगा रही है।
   वहीं, इंडिया गठबंधन ने मुख्यमंत्री चेहरे के रूप में तेजस्वी यादव को स्पष्ट रूप से घोषित किया है। राजद के युवा नेता तेजस्वी यादव ने अपने दमदार प्रचार अभियान से बिहार के युवाओं और ग्रामीण मतदाताओं के बीच गहरी पकड़ बनाई है। कांग्रेस, सीपीआई तथा अन्य सहयोगी दलों के समर्थन से महागठबंधन ने अपना चेहरा साफ करते हुए चुनावी मैदान पर पैर जमा लिए हैं। तेजस्वी यादव की छवि युवा, सशक्त और बदलाव के लिए तैयार नेतृत्व की है, जो महंगाई और बेरोजगारी के मुद्दों को प्रमुखता से उठाते हैं।
       तीसरे मोर्चे के रूप में उभर रही जनसुराज पार्टी ने भी इस चुनाव में अपनी अलग पहचान बनाने की कोशिश की है। खास तौर पर युवाओं और नए मतदाताओं के बीच यह पार्टी तेजी से लोकप्रिय हो रही है, जो परंपरागत राजनीति में बदलाव की उम्मीद रखती है। राजनीतिक विश्लेषक बताते हैं कि जनसुराज पार्टी का उदय दोनों बड़े गठबंधनों को उनकी पुराने वोट बैंक में सेंध लगाने की चुनौती दे रहा है।    
    यह चुनाव एक ऐसे दौर में हो रहा है जहां मतदाता अधिक जागरूक और समझदार बन चुके हैं, और मतदाताओं की भागीदारी इस बात की मिसाल होगी कि किस प्रकार लोकतंत्र की आस्था समूचे समाज को जोड़े रखती है।
संक्षिप्त तथ्य:

प्रथम चरण के 3.75 करोड़ मतदाता न केवल बिहार के भविष्य का फैसला करेंगे, बल्कि देश के लोकतंत्र की ताकत और उसकी बहुलतावादी संस्कृति को भी एक जीता-जागता संदेश देंगे। चुनाव आयोग ने भी स्वतंत्र, निष्पक्ष और शांतिपूर्ण मतदान के लिए व्यापक सुरक्षा व्यवस्था की है।


 चुनाव आयोग ने कड़ी सुरक्षा के बीच शांतिपूर्ण मतदान सुनिश्चित किया है।
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 का पहला चरण मतदान लोकतंत्र की जीवंतता और राजनीतिक प्रतिस्पर्धा का सशक्त उदाहरण होगा, जहां मतदान में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने वाले हर मतदाता की भूमिका निर्णायक होगी। मुख्यमंत्री चेहरे को लेकर सस्पेंस तथा दो गठबंधनों का पूर्ण तैयारी में होना इस चुनाव को और भी नाटकीय और महत्वाकांक्षी बनाता है, जिससे बिहार एवं पूरी देश की निगाहें इस महायुद्ध पर टिकी हैं।
यह चुनाव बिहार के जन-जीवन, सामाजिक गतिशीलता और आर्थिक विकास के लिए न केवल एक चुनाव है, बल्कि एक नई उम्मीद और नए भारत का संदेश भी है।

 पिछले विधानसभा चुनाव 2020 में एनडीए को 125 सीटें मिली थीं, जिसमें भाजपा ने 74 और जदयू ने 43 सीटें जीतीं। महागठबंधन को 110 सीटों का साथ मिला था, जिसमें राजद के हिस्सेदारी 75 सीटों की थी। इस बार विधानसभा चुनाव में मुख्य मुद्दे विकास, रोजगार, महंगाई, जातीय समीकरण और धर्म के साथ-साथ सामाजिक एवं आर्थिक स्थिरता हैं। मतदाता इन विषयों पर गहराई से विचार कर अपने मत का प्रयोग करेंगे।

"पिता की हत्या कर शव दफनाने का आरोप, बेटे ने 30 साल बाद डीएम से की शिकायत; गांव में फैली सनसनी"

  हाथरस। शौर्यपथ। मुरसान क्षेत्र के गांव गिंलोदपुर निवासी पंजाबी सिंह ने अपने पिता बुद्ध सिंह की हत्या के 30 साल पुराने रहस्य को उजागर किया है। आरोप है कि उसकी मां उर्मिला देवी, दो भाई प्रदीप और मुकेश ने गांव के ही धनी व्यक्ति राजवीर के साथ मिलकर कपड़ा ठूंसकर और गला दबाकर हत्या की थी।

उस वक्त पंजाबी सिंह सिर्फ 9 साल का था और उसे चुप रहने की धमकी दी गई। कई वर्षों तक वह वारदात को लगभग भूल चुका था, लेकिन हाल ही में उसके भाई ने शराब के नशे में घटना का जिक्र किया, जिससे उसकी यादें ताजा हो गईं।

प्रशासनिक कार्रवाई : शिकायतकर्ता ने जिला मजिस्ट्रेट और उच्चाधिकारियों को प्रार्थना पत्र देकर नरकंकाल की तलाश में खुदाई कराने की मांग की। डीएम के आदेश पर सदर एसडीएम, मुरसान थाने की पुलिस और बल के साथ मकान में करीब 15 फीट तक खुदाई शुरू की गई। खुदाई के बाद नरकंकाल बरामद कर लिया गया, जिसे डीएनए टेस्ट के लिए भेजा गया है।

गांव में सनसनी और प्रतिक्रियाशव बरामद होने के बाद गांव में दहशत और चर्चा का माहौल है। पुलिस ने फिलहाल जांच और डीएनए रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्यवाही शुरू कर दी है।

यह मामला न केवल कानून की जटिलता बल्कि पारिवारिक संबंधों में छुपे दर्द और रहस्य को भी उजागर करता है; डीएनए टेस्ट और उच्च स्तर की जांच के बाद ही अंतिम निष्कर्ष सामने आएंगे।

सेमीफाइनल में पांच विकेट से दर्ज की अद्भुत जीत, हरमनप्रीत और जेमिमा ने रचा इतिहास

  नई दिल्ली। शौर्यपथ। लौह संकल्प, दमदार प्रदर्शन और अटूट जज़्बे ने भारत के तिरंगे को एक बार फिर ऊंचा कर दिया। महिला विश्वकप 2025 के सेमीफाइनल मुकाबले में भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने ऑस्ट्रेलिया को 5 विकेट से हराकर फाइनल में प्रवेश किया। यह जीत सिर्फ एक मैच नहीं, बल्कि भारतीय महिलाओं की शक्ति और आत्मविश्वास का जीवंत प्रतीक बनी।जेमिमा रोड्रिगेज ने अपनी सधी हुई पारी से मुश्किल हालातों में टीम को संभाला, वहीं कप्तान हरमनप्रीत कौर ने आगे बढ़कर नेतृत्व किया और जीत को सुनिश्चित किया।

   गेंदबाजों ने disciplined spell डालते हुए ऑस्ट्रेलिया को बड़े स्कोर से रोका और मैदान पर भारत का वर्चस्व स्थापित किया।इस ऐतिहासिक प्रदर्शन के साथ टीम इंडिया अब विश्व क्रिकेट के शिखर की ओर कदम बढ़ा चुकी है। यह जीत बताती है कि भारतीय बेटियां खेल के हर मैदान में दुनिया को मात देने का जज्बा रखती हैं। पूरा देश इस गौरव के क्षण पर गर्वित है।

प्रमुख — राजनाथ सिंह: “विपक्ष वक्फ बोर्ड को लेकर झूठ बोलता है; संसद में बना कानून कोई नहीं हटा सकता” | अमित शाह: “बिहार में मुख्यमंत्री की कुर्सी खाली नहीं” | NDA ने मैथिली को आधिकारिक दर्जा दिलाया — रैलियों में विकास का वादा और परिवारवाद पर हमला

 पटना / एजेंसी / बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण के समीकरण तेज होते जा रहे हैं और भाजपा ने मोर्चा संभालते हुए केन्द्र के बड़े नेताओं — रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और गृहमंत्री अमित शाह — को दरभंगा और पटना में रैलियों के लिए उतार दिया है। भाजपा नेताओं ने रैली-सभाओं में विपक्ष पर तीखे प्रहार किए और विकास व सामान्य न्यायकथा पर जोर देते हुए मतदाताओं से समर्थन मांगा।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने दरभंगा के हायाघाट में जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि विपक्ष लगातार वक्फ बोर्ड को लेकर भ्रम फैला रहा है। उनके शब्दों में, “जो कानून संसद में बना है, वो बना रहेगा। संसद में बना कानून कोई नहीं हटा सकता।” राजनाथ ने यह भी कहा कि भाजपा धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं करती और अफवाहों से जनता को गुमराह नहीं होने दिया जाएगा। उन्होंने RJD और कांग्रेस के कार्यकाल के दौरान विकास पर लगी ‘ब्रेक’ की बात कर के NDA की विकास-क्षमता को उभारने की कोशिश की — “अगर विकास को रोकना था तो केवल NDA ही उसे तोड़ सकता है,” उनके शब्द रहे।

रक्षा मंत्री ने पटना में कहा कि पहले ‘ना खाता न बही, जो लालू कहे वही सही’ जैसा नारा चलता था, पर अब वह दौर खत्म हो चुका है। उन्होंने कानून-व्यवस्था और अपराध के खिलाफ कड़ा रुख अपनाने का आश्वासन भी दिया: “अगर एक भी बच्चे का अपहरण हो जाए तो हम उसको उल्टा कर देंगे।”

दो दिन पूर्व तेजस्वी यादव द्वारा कथित तौर पर वक्फ बिल फाड़ने की धमकी के राजनीतिक संकेतों के मद्देनजर राजनाथ के ये बयान खास संदेश दे रहे हैं — भाजपा चाहती है कि वक्फ से जुड़ी किसी भी अफवाह को चुनावी बहस नहीं बनने दिया जाए।

अमित शाह ने दरभंगा के अलीनगर में आयोजित रैली में आरोपों का पलटवार करते हुए आरोप लगाया कि कांग्रेस और RJD परिवारवाद पर आधारित हैं। शाह ने उदाहरण देते हुए कहा कि 25 वर्षीय संगीतकार मैथिली ठाकुर को बिना किसी राजनीतिक पृष्ठभूमि के भाजपा ने टिकट दिया — और सवाल उठाया कि क्या कांग्रेस या RJD में ऐसा संभव है। शाह ने निशाना साधते हुए कहा, “सोनिया जी राहुल को प्रधानमंत्री बनाना चाहते हैं। लालू जी अपने बेटे को मुख्यमंत्री बनाना चाहते हैं। मैं बताना चाहता हूँ — दिल्ली में नरेंद्र मोदी और बिहार में नीतीश कुमार के रहते अभी कोई वैकेंसी खाली नहीं है।”

शाह ने अपने भाषण में NDA सरकार की उपलब्धियों का भी जिक्र किया — मैथिली भाषा को आधिकारिक दर्जा दिलवाना, संविधान का भाषा में अनुवाद, तथा मिथिला क्षेत्र में देवी सीता के मंदिर निर्माण की पहल — और जो स्थान उन्होंने दौरे पर देखे, उन्हें राम सर्किट से जोड़ने की बात कही।

राजनीतिक समीकरणों पर कटाक्ष के साथ, भाजपा केंद्रीय नेतृत्व ने यह संदेश भी दिया कि गठबंधन के भीतर सीटों के बंटवारे और नेतृत्व स्थिर हैं — मतदाताओं के सामने ‘स्थिरता और विकास’ की डोर रखना पार्टी का उद्देश्य दिखा।

इसी सिलसिले में झारखंड के नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने पटना में कहा कि मुसलमान भाजपा को वोट नहीं देते फिर भी केंद्र की कल्याणकारी योजनाओं का लाभ सबको बिना भेदभाव पहुँचा दिया गया है। मरांडी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीतियों के तहत योजनाओं के सार्वभौमिक वितरण की बात कह कर भाजपा की सामाजिक समावेशन छवि को रेखांकित किया।

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी शहाबुद्दीन के गढ़ सीवान में रैली की जहां RJD और शहाबुद्दीन परिवार पर निशाना साधा गया। योगी ने कहा कि RJD प्रत्याशी ‘ओसामा’ के नाम के हिसाब से ही उनके कृत्य हैं और मतदाताओं से NDA उम्मीदवारों को समर्थन देने का आग्रह किया।

   

सागर। शौर्यपथ  । जनपद पंचायत सागर कार्यालय में सोमवार को उस समय अफरातफरी मच गई जब सड़ेरी निवासी एक महिला ने कार्यालय परिसर में खड़ी जनपद सदस्य की कार में तोड़फोड़ कर दी। महिला का आरोप है कि पंचायत सदस्य के परिवार ने उसकी पैतृक जमीन पर कब्जा कर रखा है, जिसकी शिकायत वह महीनों से कर रही थी, लेकिन अधिकारियों ने कोई सुनवाई नहीं की।

महिला ने कहा कि उसने कई बार जनपद से लेकर जिला प्रशासन तक आवेदन दिए, मगर कार्रवाई न होने से नाराज होकर उसने यह कदम उठाया। घटना की जानकारी मिलते ही जनपद कार्यालय के कर्मचारी और पुलिस मौके पर पहुंची। पुलिस ने स्थिति संभालते हुए वाहन का पंचनामा तैयार किया और महिला से पूछताछ शुरू कर दी है।

सूत्रों के अनुसार, विवादित जमीन गांव सड़ेरी में ग्राम पंचायत की सीमा के भीतर स्थित है और इस मामले को पहले भी ग्रामीण सभा में उठाया जा चुका है। जनपद सदस्य के परिजन अपनी ओर से कब्जे के आरोपों से इनकार कर रहे हैं। उनका कहना है कि जमीन पर उनका वैध हक है, जिसके दस्तावेज मौजूद हैं।

फिलहाल पुलिस ने महिला के खिलाफ तोड़फोड़ की धाराओं में मामला दर्ज कर जांच प्रारंभ कर दी है। वहीं, प्रशासनिक स्तर पर भी इस विवाद की तहकीकात के आदेश दिए जाने की संभावना जताई जा रही है।

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