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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार की सुरक्षा, विकास और पुनर्वास आधारित एकीकृत रणनीति से देश नक्सल-मुक्ति के लक्ष्य की ओर — मार्च 2026 तक नक्सलवाद का सम्पूर्ण उन्मूलन केंद्र का लक्ष्य।
नई दिल्ली,/ shouryapath news /
भारत में वामपंथी उग्रवाद यानी नक्सलवाद के विरुद्ध केंद्र सरकार की सशक्त रणनीति अब निर्णायक परिणाम दे रही है। 2014 से 2024 के बीच नक्सली हिंसा की घटनाओं में 53% की कमी आई है, जबकि नक्सल प्रभावित जिलों की संख्या 126 से घटकर केवल 18 रह गई है।
पिछले एक दशक में 576 किले सदृश पुलिस थाने, 336 नए सुरक्षा कैंप, 68 नाइट लैंडिंग हेलीपैड, और सैकड़ों किलोमीटर सड़क व संचार नेटवर्क तैयार हुए हैं — जिससे नक्सल प्रभावित इलाकों में शासन, सुरक्षा और विकास का नया युग शुरू हुआ है।
2014–2024 के बीच नक्सली घटनाएं 16,463 से घटकर 7,744 रह गईं।
मुठभेड़ों में मारे गए सुरक्षा कर्मियों की संख्या 1,851 से घटकर 509 और आम नागरिकों की मौतें 4,766 से घटकर 1,495 हो गईं — यानी क्रमशः 73% और 70% की गिरावट।
केवल वर्ष 2025 में ही 270 नक्सली मारे गए, 680 गिरफ्तार हुए और 1,225 ने आत्मसमर्पण किया। ‘ऑपरेशन ब्लैक फॉरेस्ट’ जैसे अभियानों ने बीजापुर, सुकमा और महाराष्ट्र में उग्रवादियों को मुख्यधारा से जुड़ने के लिए प्रेरित किया।
पिछले दस वर्षों में केंद्र ने नक्सली क्षेत्रों में 576 सशक्त पुलिस स्टेशन और 336 सुरक्षा कैंप स्थापित किए।
ड्रोन सर्विलांस, सैटेलाइट इमेजिंग, एआई-बेस्ड डेटा एनालिटिक्स और साइबर ट्रैकिंग जैसी अत्याधुनिक तकनीकों से अब सुरक्षा बलों की निगरानी क्षमता कई गुना बढ़ी है।
इससे नक्सली ठिकानों की पहचान, मूवमेंट ट्रैकिंग और सटीक कार्रवाई संभव हुई है।
एनआईए और ईडी ने नक्सलियों की ₹52 करोड़ से अधिक की संपत्ति ज़ब्त की है।
राज्यों ने भी ₹40 करोड़ की अतिरिक्त संपत्ति जब्त कर दी है। इससे शहरी नक्सली तंत्र और उनके सूचना युद्ध की क्षमता को गहरा झटका लगा है।
‘सिक्योरिटी रिलेटेड एक्सपेंडिचर योजना’ के तहत पिछले 11 वर्षों में राज्यों को ₹3,331 करोड़ मिले — जो पिछले दशक की तुलना में 155% अधिक है।
‘स्पेशल इन्फ्रास्ट्रक्चर स्कीम’ के अंतर्गत ₹991 करोड़ की स्वीकृति, और विकास के लिए ‘स्पेशल सेंट्रल असिस्टेंस’ से ₹3,769 करोड़ के प्रोजेक्ट्स स्वीकृत हुए हैं।
सड़क संपर्क: 17,589 किमी सड़कों के निर्माण हेतु ₹20,815 करोड़ स्वीकृत; जिनमें से 12,000 किमी सड़कों का कार्य पूरा।
मोबाइल कनेक्टिविटी: ₹6,290 करोड़ से अधिक लागत के 4जी टावर — 8,527 में से 2,602 चालू।
वित्तीय पहुंच: 1,007 बैंक शाखाएं, 937 एटीएम और 37,850 बैंकिंग संवाददाता कार्यरत; 5,899 डाकघर 90 जिलों में सेवा दे रहे हैं।
शिक्षा व कौशल: 46 आईटीआई और 49 कौशल विकास केंद्र संचालित, 48 जिलों में रोजगारोन्मुख प्रशिक्षण जारी।
स्थानीय सहभागिता: 2018 में गठित बस्तरिया बटालियन में 1,143 रंगरूट — जिनमें 400 स्थानीय युवा, सुरक्षा अभियानों का प्रतीक।
सरकार की “ट्रेस–टारगेट–न्यूट्रलाइज” नीति से प्रमुख नक्सली गढ़ जैसे बुध पहाड़, पारसनाथ, बरमशिया और चक्रबंधा लगभग मुक्त हुए।
2024 में सुरक्षा बलों ने 26 बड़ी मुठभेड़ों में शीर्ष नक्सली कैडरों को ढेर किया —
1 ज़ोनल समिति सदस्य, 5 उप-ज़ोनल, 2 राज्य समिति सदस्य, 31 डिविजनल और 59 एरिया समिति सदस्य मारे गए।
सुरक्षा बल अबूझमाड़ जैसे दुर्गम गढ़ों तक पहुँचने में सफल हुए हैं।
2024–2025 में छत्तीसगढ़ सहित देशभर में 1,574 नक्सलियों ने हथियार छोड़े।
सरकार पुनर्वासित कैडरों को ₹5 लाख (उच्च रैंक), ₹2.5 लाख (मध्यम/निम्न रैंक) और ₹10,000 मासिक वजीफा (36 माह) के साथ व्यावसायिक प्रशिक्षण दे रही है।
इस नीति ने संघर्षरत युवाओं को सम्मानजनक जीवन की नई राह दी है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में नक्सलवाद के विरुद्ध भारत की रणनीति सुरक्षा, विकास और सामाजिक न्याय का त्रिवेणी संगम बन चुकी है।
सरकार का लक्ष्य मार्च 2026 तक भारत को पूर्णत: नक्सल-मुक्त बनाना है।
एक दशक की निर्णायक नीति ने उन इलाकों को, जो कभी भय के प्रतीक थे, अब अवसर और प्रगति के केंद्रों में बदल दिया है।
— रिपोर्ट: शौर्यपथ डिजिटल / शरद पंसारी
स्रोत: गृह मंत्रालय, भारत सरकार (प्रशासनिक प्रेस विज्ञप्ति 25 अक्टूबर 2025)
नई दिल्ली /शौर्यपथ / लखनऊ के आलमबाग इलाके में रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) के ब्रह्मोस मिसाइल सिस्टम इंजीनियर 30 वर्षीय आकाशदीप गुप्ता की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। हाल ही में शादी हुए आकाशदीप दिवाली मनाने परिवार के साथ लखनऊ आए थे। मंगलवार की रात अचानक तबीयत बिगड़ने पर उन्हें लोकबंधु अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। मृत्यु की असली वजह का पता पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही चलेगा। शुरुआती जांच में हार्ट अटैक की संभावना जताई गई है, लेकिन पुलिस को स्थिति पूरी तरह स्पष्ट करने के लिए रिपोर्ट का इंतजार है।
आकाशदीप गुप्ता ब्रह्मोस मिसाइल प्रोजेक्ट के एक महत्वपूर्ण सदस्य थे, और उनकी इस मौत से परिवार एवं रक्षा विभाग में शोक की लहर है। मामले की तहकीकात में सुरक्षा एजेंसियां भी सक्रिय हैं, ताकि किसी भी संदिग्ध पहलू का पता लगाया जा सके।यह खबर सोशल मीडिया में फैल रही भावनाओं को लेकर संवेदनशीलता से लिखी गई है, और सही जानकारी के लिए पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार जारी है।
पटना | ब्यूरो रिपोर्ट, शौर्यपथ न्यूज़ नेटवर्क
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 जैसे-जैसे नज़दीक आ रहा है, सियासी बयानबाज़ी और आरोप-प्रत्यारोपों का दौर तेज़ हो गया है।
महागठबंधन जहां 28 अक्तूबर को अपना संयुक्त घोषणा पत्र जारी करने और राहुल गांधी-तेजस्वी यादव की साझा रैली के ज़रिए विपक्षी अभियान की शुरुआत करने जा रहा है, वहीं सत्तारूढ़ एनडीए ने विपक्ष पर तीखा पलटवार शुरू कर दिया है।
राजद नेता तेजस्वी यादव ने पटना में आयोजित जनसभा में नीतीश कुमार सरकार पर सीधा हमला बोलते हुए कहा —
“यह सरकार जनता की उम्मीदों पर खरी नहीं उतर रही। अब बिहार को नई दिशा और नई सोच की ज़रूरत है। नीतीश सरकार अब चलाने लायक नहीं रही।”
तेजस्वी ने आरोप लगाया कि बेरोजगारी, पलायन और शिक्षा व्यवस्था की दुर्दशा से राज्य फिर पीछे जा रहा है। उन्होंने कहा कि महागठबंधन का आगामी घोषणा पत्र युवाओं के भविष्य और आर्थिक न्याय पर केंद्रित होगा।
राजद के आरोपों का जवाब देते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने एक चुनावी सभा में कहा —
“बिहार के लोग लालू-राबड़ी के उस दौर को भूले नहीं हैं, जब अपराध और भ्रष्टाचार चरम पर था। अगर वह सरकार फिर आई, तो बिहार फिर से जंगलराज में लौट जाएगा।”
शाह ने कहा कि भाजपा-जदयू सरकार ने बिहार को विकास के रास्ते पर आगे बढ़ाया है और अब कोई पीछे नहीं धकेल सकता।
इधर, जन अधिकार पार्टी (JAP) के प्रमुख पप्पू यादव को आयकर विभाग (IT) द्वारा नोटिस भेजे जाने की खबर ने राजनीतिक हलचल और बढ़ा दी है।
पप्पू यादव ने इसे “राजनीतिक प्रतिशोध” बताते हुए कहा है कि वे जनता की आवाज़ उठाने से पीछे नहीं हटेंगे।
भारत निर्वाचन आयोग ने बिहार चुनाव के पहले चरण के मतदान की घोषणा कर दी है, जिसमें 121 विधानसभा सीटों पर वोटिंग होगी।
पटना जिला प्रशासन ने मई 2025 में मतदान केंद्रों और परिवहन व्यवस्था के लिए निविदा सूचना जारी की थी।
28 अक्तूबर को महागठबंधन पटना में विशाल रैली के माध्यम से संयुक्त घोषणा पत्र जारी करेगा। इसमें राहुल गांधी और तेजस्वी यादव एक साथ मंच पर रहेंगे।
यह कार्यक्रम न केवल बिहार, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर विपक्षी एकता का प्रतीक माना जा रहा है।
बिहार की राजनीति में अब स्पष्ट दो ध्रुव बन चुके हैं —
एक ओर एनडीए “विकास और स्थिरता” की बात कर रहा है,
दूसरी ओर महागठबंधन “बदलाव और सामाजिक न्याय” का नारा दे रहा है।
पप्पू यादव का मामला, अमित शाह के बयान और तेजस्वी के तीखे आरोपों के बीच अब बिहार का चुनाव पूरी तरह सियासी टकराव के निर्णायक चरण में प्रवेश कर चुका है।
28 अक्तूबर को महागठबंधन का घोषणा पत्र और राहुल-तेजस्वी की रैली
तेजस्वी बोले – “नीतीश सरकार चलाने लायक नहीं”
अमित शाह ने चेताया – “लालू-राबड़ी की सरकार आई तो लौटेगा जंगलराज”
पप्पू यादव को IT विभाग का नोटिस
पहले चरण में 121 सीटों पर मतदान की अधिसूचना जारी
? रिपोर्ट: शौर्यपथ संवाददाता
? :
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? :
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में महागठबंधन 28 अक्तूबर को संयुक्त घोषणा पत्र जारी करेगा। राहुल गांधी और तेजस्वी यादव पटना रैली से चुनावी अभियान की शुरुआत करेंगे। पहले चरण में 121 सीटों पर मतदान होगा। गृह मंत्री अमित शाह ने घुसपैठियों को चुन-चुनकर बाहर करने की बात कही।
पटना | ब्यूरो रिपोर्ट, शौर्यपथ न्यूज़ नेटवर्क
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में अब चुनावी सरगर्मी अपने चरम पर पहुँच चुकी है। निर्वाचन आयोग ने पहले चरण के मतदान की घोषणा करते हुए बताया कि 121 विधानसभा क्षेत्रों में वोटिंग होगी। इसी बीच महागठबंधन ने बड़ा राजनीतिक ऐलान करते हुए 28 अक्तूबर को अपना संयुक्त घोषणा पत्र जारी करने और राहुल गांधी व तेजस्वी यादव की साझा रैली आयोजित करने की घोषणा की है।
महागठबंधन के घटक दल — राजद, कांग्रेस, वामदल और अन्य सहयोगी संगठन — ने साझा एजेंडा तय कर लिया है। घोषणा पत्र में रोजगार, शिक्षा, महंगाई, किसानों की आय, और बिहार को विशेष राज्य का दर्जा प्रमुख मुद्दे होंगे।
राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की यह साझा उपस्थिति विपक्षी एकता की नई तस्वीर पेश करेगी।
?️ “यह चुनाव बिहार के भविष्य और देश की दिशा तय करेगा।”
— राहुल गांधी, कांग्रेस नेता
वहीं एनडीए खेमे ने भी प्रचार तेज कर दिया है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बिहार में जनसभा को संबोधित करते हुए कहा —
“घुसपैठियों को चुन-चुनकर बिहार से बाहर करेंगे। देश की सुरक्षा पर कोई समझौता नहीं होगा।”
यह बयान भाजपा की चुनावी रणनीति को रेखांकित करता है, जिसमें सुरक्षा और राष्ट्रहित प्रमुख विषय बन गए हैं।
भारत निर्वाचन आयोग ने बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की अधिसूचना जारी करते हुए पहले चरण के मतदान की तारीखें तय की हैं।
पटना जिला प्रशासन ने 7 मई 2025 को निविदा सूचना जारी की थी, जिसके अंतर्गत मतदान केंद्रों, परिवहन व्यवस्था, और सुरक्षा प्रबंधन की तैयारी शुरू कर दी गई थी।
राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि 28 अक्तूबर की राहुल-तेजस्वी रैली बिहार में विपक्षी एकता की परख होगी। यह केवल राज्य की नहीं, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर विपक्ष की रणनीतिक एकजुटता का संदेश भी है।
बिहार का यह चुनाव सत्ता परिवर्तन से अधिक, आने वाले 2029 लोकसभा चुनावों की दिशा तय करने वाला साबित हो सकता है।
28 अक्तूबर को महागठबंधन का संयुक्त घोषणा पत्र जारी होगा
राहुल गांधी और तेजस्वी यादव करेंगे पटना में साझा रैली
पहले चरण में 121 सीटों पर मतदान की घोषणा
अमित शाह बोले — “घुसपैठियों को चुन-चुनकर बिहार से बाहर करेंगे”
पटना जिला प्रशासन ने मई 2025 में निविदा सूचना जारी की थी
? रिपोर्ट: शौर्यपथ संवाददाता
पटना। शौर्यपथ ।
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में एनडीए (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) और इंडिया (I.N.D.I.A.) गठबंधन, यानी महागठबंधन—दोनों में कई प्रमुख और क्षेत्रीय पार्टियां शामिल हैं। यहां दोनों गठबंधनों की पार्टियों का हाल का ब्यौरा प्रस्तुत है:
एनडीए (NDA) गठबंधन में शामिल पार्टियां
भारतीय जनता पार्टी (BJP)
जनता दल (यूनाइटेड) [JDU]
हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) – जीतन राम मांझी की पार्टी
लोक जनशक्ति पार्टी (राम विलास) [LJP (RV)] – चिराग पासवान की पार्टी
राष्ट्रीय लोक जनतांत्रिक मोर्चा (रालोमो) – उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी
वर्तमान चुनाव में एनडीए में कुल 5 प्रमुख पार्टियां शामिल हैं।
इंडिया (I.N.D.I.A.)/महागठबंधन में शामिल पार्टियां
राष्ट्रीय जनता दल (RJD)
कांग्रेस (INC)
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माले) [CPI (ML)]
विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) – मुकेश सहनी की पार्टी
महागठबंधन/इंडिया में फिलहाल 4 मुख्य पार्टियां सक्रिय भूमिका निभा रही हैं, जिनमें वीआईपी की भी हाल ही में आमद हुई है।
अतिरिक्त जानकारी
दोनों गठबंधनों में क्षेत्रों के अनुसार कुछ छोटी पार्टियां और वैकल्पिक गठबंधन, सीटों के बंटवारे व स्थानीय समीकरण से भी जुड़ सकते हैं।
हालिया चुनावी समझौतों के कारण गठबंधनों में आंशिक बदलाव संभावित रहते हैं, किंतु ऊपर दी गई सूची वर्तमान हालत पर आधारित है।
पटना। शौर्यपथ ।
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की राजनीतिक लड़ाई अब निर्णायक मोड़ पर है। इंडिया गठबंधन (महागठबंधन) ने पहली बार तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री और मुकेश सहनी को उपमुख्यमंत्री के रूप में पेश करते हुए चुनावी समीकरण को पूरी तरह बदल दिया है। कांग्रेस के दिग्गज अशोक गहलोत की मौजूदगी में सार्वजनिक मंच पर गठबंधन के सभी दल—आरजेडी, कांग्रेस, वामदलों और वीआईपी के नेताओं—ने महागठबंधन की एकजुटता पर मुहर लगाई।
इस बार महागठबंधन ने सामाजिक संतुलन साधने के लिए EBC, यादव, मुस्लिम और निषाद-मल्लाह वर्गों को जोड़ने का रणनीतिक दांव चला है। टिकट बंटवारे में कांग्रेस, आरजेडी, वाम दल और वीआईपी के उम्मीदवारों ने अपने-अपने परंपरागत आधार के साथ नई जातीय परतें जोड़ दी हैं, जिससे गठबंधन की ताकत कई गुना हो गई है। दूसरी ओर एनडीए पर आरोप लगे हैं कि वह महाराष्ट्र की तर्ज पर चुनाव जीतते ही मुख्यमंत्री बदलने की योजना बना रही है। विपक्ष का कहना है कि नीतीश कुमार का यह ‘आखिरी चुनाव’ होगा और उन्हें चुनाव बाद दरकिनार किया जा सकता है।
महागठबंधन ने महिलाओं की स्थिति, बेरोजगारी, कानून-व्यवस्था और गरीब वर्ग की चिंता को चुनावी नरेटिव का हिस्सा बनाया। इंडिया गठबंधन के संदेश में साफ तौर पर यह झलक रहा है कि बिहार को एक नई शुरुआत की जरूरत है, और जनता को मुख्यमंत्रियों के चेहरों... और वादों के बीच धोखे में नहीं रहना चाहिए।
यह चुनाव अब केवल वोटों की नहीं, बल्कि सामाजिक समीकरण, असली मुद्दों और नेतृत्व की प्रामाणिकता की लड़ाई बन गया है। सभी दल अपनी रणनीति के साथ मैदान में हैं, लेकिन महागठबंधन की सामूहिक घोषणा और लक्ष्य अब बिहार की जनता को बदलाव की उम्मीद दे रही है।
पटना। शौर्यपथ।
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 का एक नया और दिलचस्प चेहरा अब सामने आ रहा है—जहां छत्तीसगढ़ के दो यादव नेता अलग-अलग खेमों से बिहार की सियासत में मोर्चा संभाले हुए हैं। भाजपा से छत्तीसगढ़ के मंत्री गजेंद्र यादव और कांग्रेस से विधायक देवेंद्र यादव दोनों ही अपनी-अपनी पार्टियों के लिए बिहार के यादव वोट बैंक को साधने की जिम्मेदारी निभा रहे हैं।
यादव समुदाय, जो कि बिहार की कुल आबादी का लगभग 14.26 प्रतिशत हिस्सा है, हर चुनाव में सत्ता की कुंजी साबित होता है। इसलिए इस बार दोनों राष्ट्रीय दलों ने अपने यादव नेताओं को बिहार के मैदान में उतारकर एक तरह से ‘यादव बनाम यादव’ सियासी संघर्ष की नींव रख दी है ।
गजेंद्र यादव को भाजपा नेतृत्व ने बिहार में एनडीए के पक्ष में यादव वोटों को आकर्षित करने की प्रमुख जिम्मेदारी सौंपी है। वे न केवल प्रदेश के एकमात्र यादव मंत्री हैं, बल्कि संगठन और प्रचार की कमान भी संभाले हुए हैं। वहीँ कांग्रेस के लिए देवेंद्र यादव, जो दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष और बिहार चुनाव के सह प्रभारी भी हैं, लगातार बिहार में महागठबंधन को धार देने के लिए सक्रिय हैं। देवेंद्र यादव पर पार्टी में टिकट वितरण को लेकर विवादों के बावजूद कांग्रेस का विश्वास बरकरार है ।
छत्तीसगढ़ का ये यादव समीकरण बिहार में सिर्फ यादव वोट तक सीमित नहीं है, बल्कि यह दोनों राज्यों की सियासत पर असर डालने लगा है। भाजपा की तरफ से गजेंद्र यादव को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की चुनावी रणनीति का "संगठनिक स्तंभ" माना जा रहा है, वहीं कांग्रेस में देवेंद्र यादव की भूमिका “भूपेश बघेल टीम” के हिस्से के रूप में देखी जा रही है—जो संगठन पुनर्जीवन का प्रयास कर रही है।
राजनीतिक रणनीतिकारों के अनुसार, बिहार की इस ‘यादव बनाम यादव’ जंग का असर ना केवल नीतीश-तेजस्वी समीकरण पर पड़ेगा, बल्कि छत्तीसगढ़ के राजनीतिक शक्ति-संतुलन को भी नया आयाम देगा। गजेंद्र यादव जहां भाजपा के लिए “यादव समुदाय का सेतु” बनना चाहते हैं, वहीं देवेंद्र यादव कांग्रेस के लिए “वोटर पुनःसंयोजन का प्रतीक” बनने की दिशा में काम कर रहे हैं।
बिहार चुनाव 2025 न केवल प्रदेश की सत्ता का फैसला करेगा, बल्कि यह भी तय करेगा कि यादव राजनीति की आवाज किस खेमे से अधिक गूंजेगी—गजेंद्र या देवेंद्र?
पटना। शौर्यपथ।
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की प्रक्रिया जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है, वैसे-वैसे चुनावी समीकरणों में अप्रत्याशित बदलाव दिखाई देने लगे हैं। नामांकन पत्रों की जांच के बाद कई प्रमुख राजनीतिक दलों के उम्मीदवारों के पर्चे निरस्त कर दिए गए हैं, जिससे सियासी हलचल तेज हो गई है।
चुनाव आयोग की जानकारी के अनुसार, पहले चरण में 121 सीटों पर कुल 1314 उम्मीदवारों ने पर्चा भरा था, जिनमें से 315 नामांकन रद्द कर दिए गए। वहीं दूसरे चरण की 122 सीटों के लिए हुई जांच में 519 उम्मीदवारों के नामांकन खारिज हुए हैं ।
प्रमुख उम्मीदवार जिनके पर्चे रद्द हुए
मौजूदा राजनीतिक समीकरणों में सबसे बड़ा झटका राष्ट्रीय जनता दल (RJD) को लगा है। कैमूर जिले की मोहनिया सीट से आरजेडी प्रत्याशी श्वेता सुमन का नामांकन निर्वाचन आयोग ने रद्द कर दिया है। आयोग ने पाया कि श्वेता सुमन उत्तर प्रदेश के चंदौली जिले की मूल निवासी हैं और बिहार निर्वाचन सूची में उनका नाम दर्ज नहीं था। इस वजह से उनका नामांकन अमान्य करार दिया गया ।
सुगौली विधानसभा (मोतिहारी) से विकासशील इंसान पार्टी (VIP) के प्रत्याशी शशि भूषण सिंह का नामांकन अधूरी दस्तावेज़ी प्रक्रिया के चलते निरस्त हुआ है। वहीं मढ़ौरा (सारण) सीट से एनडीए घटक लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) की उम्मीदवार सीमा सिंह का पर्चा भी तकनीकी कारणों से खारिज कर दिया गया ।
इसके अलावा वाल्मीकिनगर (पश्चिमी चंपारण) से जनसुराज पार्टी के दीर्घ नारायण प्रसाद, लालगंज (वैशाली) से राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी की सीमा सुंदरी देवी, डेहरी (रोहतास) से बसपा के धनजी कुमार, और चिरैया (पूर्वी चंपारण) से आरएलजेपी के सलाउद्दीन समेत कई प्रत्याशियों के नामांकन भी खारिज हुए हैं ।
सियासी असर और दलों की रणनीति
आरजेडी और वीआईपी दोनों के लिए यह स्थिति झटका साबित हो रही है क्योंकि तीनों प्रभावित सीटें पहले से ही उनके लिए महत्वपूर्ण मानी जाती थीं। अब महागठबंधन को इन सीटों पर नए चेहरों की तलाश करनी होगी जबकि एनडीए की ओर से एलजेपी(आर) को भी मढ़ौरा सीट पर नए सिरे से रणनीति बनानी पड़ रही है ।
निष्कर्ष
6 और 11 नवंबर को मतदान और 14 नवंबर को मतगणना से पहले नामांकन निरस्त होने की इस स्थिति ने बिहार की सियासत में नया मोड़ ला दिया है। चुनाव विश्लेषकों का कहना है कि इतनी बड़ी संख्या में पर्चे रद्द होना अभूतपूर्व है और इसका असर कई सीटों पर मुकाबले की दिशा तय कर सकता है
SHOURYAPATH. मुंबई की एक सर्द होती दीवाली की शाम... जब पूरा देश दीपों के उजाले में रमा था, उसी क्षण भारतीय सिनेमा ने अपनी सबसे बड़ी मुस्कराहट खो दी। हास्य के सम्राट, शोले के अमर किरदार ‘अंग्रेज़ों के ज़माने के जेलर’ असरानी अब नहीं रहे। सोमवार, 20 अक्टूबर 2025 की दोपहर 3:30 बजे उन्होंने जुहू के आरोग्य निधि अस्पताल में अंतिम सांस ली। 84 वर्ष की आयु में वह हमें हमेशा के लिए छोड़ गए ।
उनके भतीजे अशोक असरानी और मैनेजर बाबू भाई ने पुष्टि की कि उन्हें फेफड़ों में पानी भरने की समस्या थी। वे पिछले चार दिनों से अस्पताल में भर्ती थे। विडंबना यह रही कि अपनी अंतिम सांस लेने से कुछ घंटे पहले ही असरानी ने इंस्टाग्राम पर अपने चाहने वालों को 'हैप्पी दीवाली' की शुभकामनाएं दी थीं — यह उनके प्रशंसकों के लिए अब हमेशा की तरह यादों में दर्ज आखरी संदेश बन गया ।
परिवार की शांति की इच्छा, शांत अंतिम विदाईउनकी पत्नी मंजू असरानी ने पति की अंतिम इच्छा का सम्मान करते हुए किसी सार्वजनिक कार्यक्रम से बचने का निर्णय लिया। इसलिए उन्हीं की इच्छा अनुसार सांताक्रूज़ श्मशान घाट में रात आठ बजे बेहद सादगी और निःशब्द वातावरण में अंतिम संस्कार किया गया। न दीप जलाए गए, न पुष्पवर्षा हुई — बस रौशनी के बीच एक रूहानी सन्नाटा था, जैसे हँसी का कोई गीत अधूरा रह गया हो ।
अभिनय की विरासत, हँसी का इतिहास1 जनवरी 1941 को राजस्थान के जयपुर में जन्मे गोवर्धन असरानी ने वर्षों तक हिंदी सिनेमा को अपनी अनोखी टाइमिंग, भोलेपन और व्यंग्य की छौंक से सजाया। चुपके चुपके, रफू चक्कर, बावर्ची, चल मुरारी हीरो बनने, मेरे अपने जैसी फिल्मों से उन्होंने हँसी को नया अर्थ दिया। पर 1975 की शोले में उनका संवाद — “हम अंग्रेज़ों के ज़माने के जेलर हैं…” — भारतीय सिनेमा की स्मृतियों में अमर हो गया ।
उनका अभिनय केवल कॉमेडी नहीं था; वह मानवता का अनुवाद था — एक ऐसी हँसी जो लोगों के दुख भुला देती थी। उनके अंदर का कलाकार हमेशा एक शरारती बच्चे की तरह जीता रहा — जो हर दृश्य में सादगी, व्यथा और करुणा के रंग बिखेर देता था।बॉलीवुड में शोक की लहरअसरानी के निधन की खबर से फिल्म जगत में गहरा सन्नाटा फैल गया। अमिताभ बच्चन, अक्षय कुमार, अनीस बज्मी, जॉनी लीवर, शत्रुघ्न सिन्हा, परेश रावल और अन्य सितारों ने सोशल मीडिया पर भावभीनी श्रद्धांजलि दी। अक्षय कुमार ने लिखा — “आपने हमें हँसना सिखाया सर, आज आँखें नम हैं पर दिल आभारी है।”
एक युग का अंत -गोवर्धन असरानी वह अभिनेता थे जिन्होंने ‘कॉमेडी’ को एक कला बनाया। आज जब उनके संवादों की गूँज सिनेमा के गलियारों में सुनाई देगी — तो वह हँसी की गूँज होगी जिसमें छिपा है सिनेमा का सबसे सच्चा भाव: इंसानियत।वो चले गए, पर उनके शब्द अब भी गूंजते हैं —
“हम अंग्रेज़ों के ज़माने के जेलर हैं”…
और अब शायद ऊपर स्वर्ग में भी कोई हँसी रोक नहीं पा रहा होगा।” ???
Feb 09, 2021 Rate: 4.00
