April 18, 2024
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भारत

भारत (687)

रायपुर / शौर्यपथ / भारत निर्वाचन आयोग के दिशा-निर्देशों के अनुसार निर्वाचन कार्य में नियोजित अधिकारियों, कर्मचारियों, सुरक्षाबलों आदि के निर्वाचन कर्तव्य के दौरान मृत्यु/घायल होने की स्थिति में छत्तीसगढ़ राज्य प्रतिकर नियमानुसार अनुग्रह राशि की स्वीकृति की गई है।
  विधानसभा निर्वाचन-2023 के अंतर्गत प्रथम चरण के निर्वाचन के दौरान जिला कांकेर में केन्द्रीय सुरक्षा बल के एक कर्मी की नक्सल हिंसा में मृत्यु होने के कारण 30 लाख रुपए की अनुग्रह प्रतिकर भुगतान राशि की स्वीकृति की जा रही हैं। दन्तेवाड़ा जिला में केन्द्रीय सुरक्षाबल के एक कर्मी की निर्वाचन कर्तव्य के दौरान मृत्यु होने के कारण 15 लाख रुपए की अनुग्रह प्रतिकर भुगतान राशि की स्वीकृति की जा रही है।
  कोंडागांव जिले में केशकाल में तीन निर्वाचन कर्मियों की दुर्घटना में मृत्यु होने के कारण नियमानुसार 15 लाख रुपए प्रति कर्मी के मान से कुल 45 लाख रुपए की अनुग्रह प्रतिकर भुगतान राशि की स्वीकृति की जा रही है। इसके अतिरिक्त निर्वाचन कर्तव्य के दौरान नक्सली हिंसा में घायल विभिन्न कर्मियों को भी नियमानुसार अनुग्रह प्रतिकर भुगतान राशि की स्वीकृति की जा रही है।

वंचित परिवारों को सुविधा देने का अनुरोध किया, निर्माण प्रोत्साहन 12000 से बढ़ाकर 30000 रुपए करने की मांग
पिछली सरकार ने 4000 करोड़ खर्च कर बनाए थे 32 लाख शौचालय, तब भी 23.2 प्रतिशत परिवार वंचित
”अतिवाद प्रभावित तथा दुर्गम क्षेत्रों में ग्राम पंचायतों के माध्यम निर्माण की स्वीकृति मिले”

रायपुर / शौर्यपथ / मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर चिंताई जताई है कि पिछली सरकार द्वारा राज्य को ओडीएफ घोषित किए जाने के बावजूद 15 लाख परिवार उन्नत शौचालय सुविधा से वंचित हैं। श्री बघेल ने इन परिवारों को यह सुविधा उपलब्ध कराने की मांग प्रधानमंत्री से की है। साथ ही कहा है कि उन्नत शौचालय निर्माण की प्रोत्साहन राशि 12000 रुपए प्रति परिवार से बढ़ाकर 30000 रुपए की जानी चाहिए। उन्होंने अतिवाद प्रभावित तथा दुर्गम क्षेत्रों में ऐसे शौचालयों का निर्माण ग्राम पंचायतों के माध्यम से स्वीकृत करने का अनुरोध किया है।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पत्र में लिखा है कि भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय के तत्वावधान में कराये गये राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 6 (2019-21 ) में यह पाया गया है कि छत्तीसगढ़ के शहरी क्षेत्रों में 88.2 प्रतिशत परिवार एवं ग्रामीण क्षेत्रों के 73.5 प्रतिशत परिवार उन्नत शौचालय सुविधा का लाभ उठा रहे हैं। इस तरह राज्य के कुल परिवारों में से 76.8 प्रतिशत परिवार उन्नत शौचालय सुविधा का उपयोग कर रहे हैं तथा 23.2 प्रतिशत परिवार इस सुविधा से वंचित हैं। विगत माह राज्य सरकार द्वारा कराये गये सामाजिक आर्थिक सर्वेक्षण के दौरान शौचालयों के भौतिक सत्यापन से राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 के जारी आंकड़ों की पुष्टि होती है।
मुख्यमंत्री बघेल ने पत्र में आगे कहा है कि पूर्ववर्ती सरकार के कार्यकाल में राज्य में 32 लाख से अधिक शौचालय निर्मित किये हुये थे तथा जनवरी 2018 में संपूर्ण राज्य को ओ.डी.एफ घोषित किया गया था। शौचालयों के निर्माण में लगभग 4,000 करोड़ रुपये से अधिक राशि का व्यय हुआ था। इतनी राशि व्यय करने के बाद भी राज्य के लगभग 15 लाख परिवारों को वर्तमान में उन्नत शौचालय की सुविधा न होना चिंता एवं जांच का विषय है।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र के माध्यम से अनुरोध करते हुए लिखा है कि भारत सरकार के प्रशासकीय विभाग द्वारा स्वतंत्र तृतीय पक्ष के माध्यम से वस्तुस्थिति की जांच करायी जाये तथा राज्य की भौगोलिक एवं जनांकिकीय स्थिति को ध्यान में रखते हुये उन्नत शौचालय सुविधा रहित परिवारों के लिए शौचालय निर्माण हेतु प्रति परिवार प्रोत्साहन राशि को 12,000 रू के स्थान पर 30,000 रू करते हुए राशि स्वीकृत की जावे एवं अतिवाद प्रभावित तथा दुर्गम क्षेत्रों में ग्राम पंचायतों के माध्यम से शौचालय निर्माण की सहमति दी जाये।

नई दिल्ली। शौर्य पथ। लोकसभा के मानसून सत्र में कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष सांसद राहुल गांधी के भाषण के बाद अपना भाषण देने भारतीय जनता पार्टी की नेता एवं केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने राहुल गांधी पर "फ्लाइंग किस" करने का आरोप लगाया हालांकि सचिवालय से इसके कोई वीडियो एविडेंस नहीं होने की जानकारी भी सामने आ रही है इस तथाकथित फ्लाइंग किस मामले पर पूरे देश में एक बहस का मुद्दा छोड़ गया है । राहुल गांधी पर आरोप लगाने वाली केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के आरोप के बाद सोशल मीडिया पर स्मृति ईरानी के संबंध में कई तरह की बातें लिखी जा रही है। कई सोशल मीडिया एक्टिविटीज ने भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह मामले पर स्मृति ईरानी के मौन रहने के मुद्दे को महिला सम्मान के साथ जोड़कर तीखे प्रहार किए हैं तो वहीं कई लोगों ने मणिपुर में महिलाओं के साथ हुए दुर्व्यवहार पर स्मृति ईरानी के मौन रहने पर उंगली उठाई। वहीं कई ट्रेलर्स ने स्मृति ईरानी के पुराने फोटो जिसमें वह सिटी मारते हुए नजर आ रही हैं को पोस्ट करते हुए मर्यादा की बात लिखी किसी किसी पोस्ट में पीएम मोदी के कुछ इशारों को आपत्तिजनक बताते हुए भी स्मृति ईरानी पर कड़े प्रहार किए हैं वही कुछ ट्रोलर्स द्वारा स्मृति ईरानी के द्वारा किए गए विवाह संबंध (बता दें की स्मृति ईरानी ने जिस व्यक्ति से शादी की पहले वह व्यक्ति उसकी सहेली का पति हुआ करता था) पर अपनी राय व्यक्त करते हुए टिप्पणी की.

  केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के द्वारा लगाए गए आरोपों के बाद स्मृति ईरानी के पुराने कार्यों पुराने फोटो एवं भाजपा के कई पुराने फोटो के साथ अब स्वयं स्मृति ईरानी ही घिरती  नजर आ रही हैं । तभी तो भारत में एक कहावत मशहूर है कि अगर आप किसी पर एक उंगली उठाओ तो 4 उंगली स्वयं पर भी उठ जाती है आज यही हाल केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी का हो रहा है हर तरफ से उन पर राजनीतिक प्रहार है जारी है एक बार फिर देश के ज्वलंत मुद्दे मणिपुर के मामले पर सरकार की मंशा साफ नहीं हुई वही ज्वलंत मुद्दे को छोड़कर नेताओं में फ्लाइंग किस को लेकर बस छिड़ी हुई है। एक बार फिर देश की जनता को बरगलाने में और मुद्दों से ध्यान भटकाने में राजनीतिक दल सफल हो गए।

दिल्ली की राउज एवेन्यु कोर्ट ने छत्तीसगढ़ में कोयला ब्लॉक आवंटन में अनियमितता से जुड़े एक मामले में राज्यसभा के पूर्व सदस्य विजय दर्डा, उनके बेटे देवेंद्र दर्डा और कारोबारी मनोज कुमार जयसवाल को बुधवार को चार साल की सजा सुनाई।

      नई दिल्ली / एजेंसी / दिल्ली की राउज एवेन्यु कोर्ट ने छत्तीसगढ़ में कोयला ब्लॉक आवंटन में अनियमितता से जुड़े एक मामले में राज्यसभा के पूर्व सदस्य विजय दर्डा, उनके बेटे देवेंद्र दर्डा और कारोबारी मनोज कुमार जयसवाल को बुधवार को चार साल की सजा सुनाई। अदालत के आदेश के बाद तीनों दोषियों को हिरासत में ले लिया गया। विशेष न्यायाधीश संजय बंसल ने पूर्व कोयला सचिव एच. सी. गुप्ता और दो पूर्व वरिष्ठ लोक सेवकों- के. एस. क्रोफा और के. सी. समरिया को भी तीन साल की सजा सुनाई।
कोयला घोटाले में 13वीं दोषसिद्धि में अदालत ने 13 जुलाई को सात आरोपियों को भारतीय दंड संहिता की धारा 120-बी (आपराधिक साजिश रचना) एवं 420 (जालसाजी) और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के प्रासंगिक प्रावधानों के तहत दोषी ठहराया था। कोयला घोटाला केंद्र की पूर्ववर्ती मनमोहन सिंह सरकार के कार्यकाल में सामने आया एक बड़ा घोटाला था।
  हालांकि, इन तीनों दोषियों को अदालत ने निजी मुचलके पर जमानत दे दी, ताकि वे अपनी दोषसिद्धि और सजा को हाईकोर्ट में चुनौती दे सकें। अदालत ने मामले में दोषी ठहराई गई कंपनी जेएलडी यवतमाल एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड पर 50 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया।

नई दिल्ली / एजेंसी / जिस पर सारे देश की निगाहें थी उस पर इलाहाबाद कोर्ट ने सुनवाई को एक दिन और बाधा दिया बता दे कि इलाहाबाद हाई कोर्ट ने बुधवार को वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वे पर कल (गुरुवार) तक रोक लगा दी है. कोर्ट कल फिर इस मामले की सुनवाई करेगा.
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर मस्जिद इंतजामिया अंजुमन कमेटी (मुस्लिम पक्ष) ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी. हाई कोर्ट ने आज (बुधवार को) इस पर सुनवाई की.इसके पहले सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने सर्वे पर बुधवार (आज) शाम पांच बजे तक रोक लगा दी थी.इलाहाबाद हाई कोर्ट में आज सुनवाई के दौरान एएसआई के एडीशनल डायरेक्टर मौजूद रहे.
इस मामले में हिंदू पक्ष की ओर से पेश हुए वकील विष्णु शंकर जैन ने पत्रकारों को बताया, " एएसआई की ओर से कोर्ट में एक हलफ़नामा पेश किया गया और बताया गया कि वो जितना भी काम करने की बात कर रहे हैं, उसे मौजूदा ढांचे को नुकसान नहीं पहुंचेगा."
उन्होंने बताया, " इस पर अंजुमन इंतज़ामिया के वकील ने कहा है कि उन्हें ये हलफ़नामा पढ़ने का वक़्त दिया जाए. ऐसे में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कल गुरुवार को दोपहर साढ़े तीन बजे एक बार फिर इस मामले की सुनवाई रखी है. तब तक के लिए सुप्रीम कोर्ट की ओर से जारी किया गया अंतरिम आदेश को जारी रखने का आदेश पारित किया है. अब तक सुनवाई होने तक एएसआई का सर्वे नहीं होगा."
वाराणसी की अदालत ने कहा था सर्वे के लिए
बीते शुक्रवार को वाराणसी की अदालत ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण यानी एएसआई से ज्ञानवापी मस्जिद का सर्वे करने के लिए कहा था.सोमवार की सुबह एएसआई की टीम के क़रीब 30 सदस्य मस्जिद सर्वे करने के लिए पहुंचे थे.इस सर्वे के दौरान हिंदू पक्ष के वकील भी मौजूद थे. इस सर्वे का मुस्लिम पक्ष ने बहिष्कार किया था. मुस्लिम पक्ष का कहना था कि जब इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हो रही है, तो उसका इंतज़ार किया जाना चाहिए. सोमवार को सर्वे के दौरान मस्जिद में ईंटों, परिसर को मापा गया. मस्जिद की तस्वीरें, वीडियो भी रिकॉर्ड की गईं. ये सर्वे चल ही रहा था, तभी सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान सर्वे पर बुधवार शाम पांच बजे तक रोक लगाई और मुस्लिम पक्ष को इलाहाबाद हाईकोर्ट जाने के लिए कहा.

नई दिल्ली / शौर्यपथ / केन्द्र सरकार द्वारा भाजपा शासित राज्यों और गैर भाजपा शासित राज्यों में भेदभाव की निति की हमेशा आलोचना होती रही ए अलग बात है कि चाटुकारिता की आगोश में कई मिडिया चेनल देश की जनता को सच्चाई दिखाने की जगह गुमराह करते नजर आते है किन्तु कुछ बाते ऐसी सामने आ ही जाती है जिसे चाहकर भी दबाया या छुपाया नहीं जा सकता . ऐसे ही एक मामले में देश के सर्वोच्च न्यायालय सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र सरकार को महिला आरक्षण के मामले में फटकार लगाई और केन्द्र सरकार की नीतियों कि आलोचना की सुनवाई के दौरान मणिपुर का सन्दर्भ भी सामने आया .
सुप्रीम कोर्ट ने सवाल उठाया कि राज्य में महिलाओं के लिए आरक्षण क्यों लागू नहीं किया गया? सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से कहा, आप अपनी ही पार्टी की राज्य सरकारों के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं करते? सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से कहा- आप अन्य राज्य सरकारों के खिलाफ तो कड़ा रुख अपनाते हैं जो आपके प्रति उत्तरदायी नहीं हैं, लेकिन जिस राज्य में आपकी पार्टी की सरकार होती है, वहां आप कुछ नहीं करते.
जज ने पूछे सवाल ...
जस्टिस कौल ने पूछा कि क्या महिलाओं के लिए आरक्षण के खिलाफ कोई प्रावधान है? महिलाओं की भागीदारी का विरोध क्यों जबकि जीवन के सभी क्षेत्रों में महिलाएं समान रूप से शामिल हैं. इसके जवाब में एटॉर्नी जनरल नागालैंड ने कहा कि ऐसे महिला संगठन हैं जो कहते हैं कि उन्हें आरक्षण नहीं चाहिए और ये कोई छोटी संख्या नहीं है. ये पढ़ी-लिखी महिलाएं हैं.
क्या है मामला ..
आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट एक अवमानना ​​याचिका पर सुनवाई कर रहा है जिसमें नागालैंड सरकार और नागालैंड राज्य चुनाव आयोग पर महिलाओं के लिए 33% आरक्षण के साथ स्थानीय निकाय चुनाव कराने के अपने आदेश का पालन न करने का आरोप लगाया गया है. इस मामले की सुनवाई कर रहे जस्टिस कौल ने कहा, आरक्षण यह सुनिश्चित करता है कि न्यूनतम स्तर का प्रतिनिधित्व हो. आरक्षण सकारात्मक कार्रवाई की अवधारणा है. उसी पर महिला आरक्षण आधारित है. आप संवैधानिक प्रावधान से कैसे बाहर निकलते हैं? मुझे यह समझ में नहीं आता.

रायपुर । शौर्यपथ । छत्तीसगढ़ के सीनियर आईपीएस जीपी सिंह को भारत सरकार ने कंप्लसरी रिटायर कर दिया है। सर्विस रिव्यू कमेटी की सिफारिश पर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने यह फैसला किया है। जीपी 94 बैच के छत्तीसगढ़ कैडर के आईपीएस हैं। वे एडीजी रैंक के अधिकारी हैं।

सितंबर 2022 में फिर सर्विस रिव्यू कमेटी की बैठक हुई और उसने जीपी सिंह को अनिवार्य सेवानिवृति देने की सिफारिश की। करीब 10 महीने से यह मामला केंद्र में लटका हुआ था और अब लग रहा था कि शायद चुनाव के कारण अब टल जाए। मगर आज अचानक खबर आ गई कि जीपी सिंह को केंद्र सरकार ने रिटायर कर दिया है।

छापा, गिरफ्तारी, जमानत...

   जीपी सिंह की आईपीएस की सर्विस अभी आठ साल बची है। एडीजी ईओडब्लू से हटने के बाद 30 जून 2021 को ईओडब्लू का छापा पड़ा था। 11 जनवरी 2022 को उन्हें गुडगांव से गिरफ्तार किया गया। 5 जुलाई 2022 को उन्हें सस्पेंड कर दिया गया। पूरे चार महीने रायपुर जेल में रहने के बाद वे जमानत पर रिहा हुए थे।

जीपी सिंह मामले में कब कब क्‍या हुआ..

– एसीबी की टीम ने एक जुलाई 2021 को सिंह के पुलिस लाइन स्थित सरकारी बंगले पर सुबह 6 बजे छापा मारने पहुंची। पुलिस लाइन के साथ ही राजनांदगांव और ओडिशा के 15 अन्य स्‍थानों पर जांच की कार्यवाही की गई।

– लगभग 68 घंटे से भी ज्यादा समय तक चली छापे की कार्यवाही के दौरान 10 करोड़ की अघोषित संपत्ति के साथ बंगले के पीछे गटर से कई दस्‍तावेज मिले थे।

– छापे से मिली संपत्ति के आधार पर एसीबी ने जीपी सिंह के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले में एफआईआर दर्ज की। इसके आधार पर सरकार ने 5 जुलाई को उन्हें सस्पेंड किया।

– 8 जुलाई 2021 की रात जीपी सिंह के घर से मिले दस्तवोज के आधार पर उनपर राजद्रोह का केस दर्ज किया गया।

– 9 जुलाई 2021 को जीपी सिंह ने हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल की है जिसमें सीबीआई जांच की मांग की गई।

– मामले की जांच के बाद 11 जनवरी 2022 को जीपी सिंह को नोएडा से गिरफ्तार किया गया।

– मई 2022 में उन्‍हें जमानत (IPS GP Singh) मिली।

#dprjansampark  #bhupeshbaghel 

कंप्लसरी रिटायरमेंट वाले चौथे आईपीएस

अनिवार्य सेवानिवृति वाले जीपी सिंह छत्तीसगढ़ के चौथे आईपीएस अधिकारी होंगे। उनसे पहले राजकुमार देवांगन, एएम जुरी और केसी अग्रवाल को पिछली सरकार में फोर्सली रिटायर किया गया था। इनमें से केसी अग्रवाल को हालांकि बाद में कैट से राहत मिल गई थी। और वे बाद में सरगुजा पुलिस रेंज के आईजी भी रहे।

देश का एक हिस्सा जलता रहा और पीएम मोदी विदेश यात्राएं करते रहे ... क्या यही है भाजपा का चाल, चरित्र और चेहरा : राजेंद्र साहू
मोदी ने मणिपुर में महिलाओं के साथ हुए शर्मनाक अत्याचार पर संवेदना तक नहीं जताई
83 दिनों के बाद नींद से जागे : रोज 18 घंटे क्या करते हैं मोदी

दुर्ग / शौर्यपथ / मणिपुर हिंसा की आग में जलता रहा किन्तु देश के पीएम मौन रहे महिलाओं केसाथ हुए वीभत्स मानवता को शर्मशार करने वाली घटना के बाद आखिरकार मणिपुर के विषय में पीएम मोदी का मौन टुटा और उन्होंने इस घटनाप्र ह्रदय से पीड़ा हुई की बात कही किन्तु तब तक पूरा देश केंद्र सरकार और राज्य सरकार से सवाल करने लगा .
   दुर्ग से केन्द्रीय ग्रामीण बैक के अध्यक्ष और प्रदेश कांग्रेस में महामंत्री एवं मुख्य वक्ता राजेन्द्र साहू ने पीएम मोदी से तीखे सवाल किये  .प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महामंत्री राजेंद्र साहू ने कहा है कि हिंसा से जल रहे मणिपुर के मामले में पीएम नरेंद्र मोदी 83 दिनों बाद नींद से जागे हैं। उनके समर्थक दावा करते हैं कि पीएम मोदी 18 घंटे काम करते हैं। अगर ऐसा होता तो इतने दिनों तक मौन धारण नहीं करते। दुर्भाग्य ये है कि उन्होंने मणिपुर में महिलाओं के साथ हुए शर्मनाक अत्याचार पर संवेदना भी नहीं जताई।
इससे पहले हाथरस मामले और महिला पहलवानों के साथ हुई बदसलूकी के मामले में भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महिलाओं के सम्मान में कभी कुछ नहीं कहा। उन्होंने महिला पहलवानों के मामले में आरोपी बृजभूषण को संरक्षण ही दिया। यह दर्शाता है कि देश की महिलाओं के लिए पीएम नरेंद्र मोदी असंवेदनशील हैं ? देश के लिए 18 घंटे काम करते तो पीएम इतने असंवेदनशील नहीं होते।
राजेंद्र ने कहा कि भाजपा बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का नारा देने में आगे हैं लेकिन सच ये है कि पिछले 9 साल के मोदी शासनकाल में महिलाएं सबसे ज्यादा असुरक्षित और असहज हैं। पीएम मोदी महिलाओं के साथ हुए दुर्व्यहार और अत्याचार को रोकने में कमजोर साबित हुए हैं। देश की महिलाएं पीएम की कमजोरी को देख रही है।
राजेंद्र ने कहा कि छत्तीसगढ़ में लूट, ठगी, मारपीट जैसे मामलों में आरोपियों के नग्न प्रदर्शन को मणिपुर हिंसा से जोड़कर पीएम मोदी ने देश की जनता को गुमराह करने का प्रयास किया है। पीएम का बयान देश को नुकसान पहुंचाने वाले तत्वों को संरक्षण देता है। राजेंद्र ने कहा कि इससे पहले भी देश को आर्थिक नुकसान पहुंचाने वाले अडानी, विजय माल्या, ललित मोदी, मेहुल चौकसे जैसे लोगों को मोदी ने ही संरक्षण देकर साबित कर दिया कि पीएम नरेंद्र मोदी की सरकार देश को लूटने वाले और खंडित करने वालों को संरक्षण देती है।
राजेंद्र ने कहा कि मणिपुर हिंसा को लेकर पीएम नरेंद्र मोदी ने गंभीरता नहीं दिखाई। मणिपुर के मुख्यमंत्री को तत्काल बर्खास्त करना चाहिए। इस मामले में पूरी तरह विफल रहे गृहमंत्री अमित शाह से भी इस्तीफा लिया जाना चाहिए। हिंसा से जलते एक राज्य को लेकर 83 दिनों तक चुप्पी साधे रहना पीएम नरेंद्र मोदी की देश के प्रति बेपरवाही साबित करती है। दुर्भाग्य ये है कि जब देश का एक हिस्सा जलता रहा तब पीएम मोदी विदेश यात्राएं करते रहे। क्या यही है भाजपा का चाल, चरित्र और चेहरा ...

मुख्यमंत्री बघेल ने दी बधाई और शुभकामनाएं

नई दिल्ली /रायपुर / शौर्यपथ / राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू के हाथों आज नई दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ को भूमि सम्मान से नवाजा गया। इसके साथ ही प्रदेश के दो जिलों सरगुजा और बेमेतरा को भी भूमि प्रबंधन और प्रशासन के लिए भूमि सम्मान प्लेटिनम सर्टिफिकेट से सम्मानित किया गया है। डिजिटल इंडिया लैण्ड रिकार्ड मॉर्डनाइजेशन प्रोग्राम (डीआईएलआरएमपी) के मौजूदा चार घटकों के बेहतर क्रियान्वयन के लिए प्रदेश और दो जिलों को यह सम्मान मिला है।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि प्रदेश को भूमि प्रबंधन के लिए सम्मान मिलना पूरे छत्तीसगढ़ के लिए गौरव की बात है। उन्होंने प्रदेश के राजस्व विभाग और सरगुजा तथा बेमेतरा जिला प्रशासन को इस उपलब्धि के लिए बधाई और शुभकामनाएं दी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि डीआईएलआरएमपी अंतर्गत प्रदेश में बेहतर काम हुए हैं। भूमि संबंधी जानकारियां आम लोगों को आसानी से उपलब्ध हो रही है। जमीन से जुड़ी जानकारियां ऑनलाईन मौजूद है और बरसों पुराने महत्वपूर्ण दस्तावेजों का व्यवस्थित संधारण करने का काम किया गया है।
नई दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित समारोह में राज्य स्तर पर भू-अभिलेखों के डिजिटाईजेशन और प्रबंधन के लिए सचिव राजस्व विभाग नीलम नामदेव एक्का, महानिरीक्षक पंजीयन एवं अधीक्षक मुद्रांक श्रीमती किरण कौशल, संचालक भू-अभिलेख रमेश शर्मा ने राष्ट्रपति के हाथों भूमि सम्मान प्राप्त किया। इसी प्रकार जिला स्तर पर भू-अभिलेखों के डिजिटाईजेशन और प्रबंधन के लिए बेमेतरा कलेक्टर पीएस एल्मा और सरगुजा कलेक्टर कुंदन कुमार को भी भूमि सम्मान प्लेटिनम सर्टिफिकेट प्रदान किया गया।
गौरतलब है कि डिजिटल इंडिया लैण्ड रिकार्ड मॉर्डनाइजेशन प्रोग्राम (डीआईएलआरएमपी) अंतर्गत प्रदेश में भूमि प्रबंधन से जुड़े 95 प्रतिशत कार्य पूर्ण हो चुके हैं। इसी तरह भूमि प्रबंधन से जुड़े चार घटकों लैण्ड रिकार्ड का डिजिटाइजेशन, पंजीयन कार्यालय का तहसील कार्यालय से समन्वय, मॉर्डन रिकार्ड रूम तथा सर्वे-रिसर्वे का कार्य प्रदेश के सरगुजा और बेमेतरा जिले में शतप्रतिशत पूर्ण हो चुका हैं। ये जिले भूमि प्रबंधन में देश के शीर्ष जिलों में शामिल हैं। प्रदेश के अन्य जिलों में भी तेजी से कार्य पूर्ण हो रहे हैं।
भू-अभिलेखों के डिजिटाईजेशन का मिल रहा लोगों को सीधा फायदा
भूमि संबंधी सभी रिकार्ड्स के डिजिटाईजेशन से लोगों को अपनी जमीन से जुड़ी जानकारियां रियल-टाइम पर उपलब्ध हो रही है। इस जानकारी को मोबाइल से कही से भी और किसी भी वक्त इंटरनेट के माध्यम से देखा जा सकता है। भूमि संबंधी रिकार्ड के डिजिटाईजेशन और इसके प्रबंधन से भूमि संबंधी जानकारी अब लोगों की आसान पहुंच में है। लोगों को भूमि संबंधी अभिलेख प्राप्त करने के लिए शासकीय कार्यालयों के चक्कर नहीं काटने पड़ रहे है।
लोगों को आसानी से सभी अभिलेख मिलने से जमीन से जुड़े धोखा-धड़ी के मामले में भी कमी आयी है। भूमि संबंधी न्यायालयों में मुकदमें भी कम हुए है। भू-अभिलेखों के कम्प्यूटरीकरण से ऐसे प्रमाण पत्र जिनमें भू-अभिलेखों की जानकारी की आवश्यकता होती है उन प्रमाण पत्रों के लिए आसानी से दस्तावेज उपलब्ध हुए है। इससे लोगों को आसानी से आय, जाति, निवास प्रमाण पत्र मिल रहा है। इस पूरी व्यवस्था का उद्देश्य नागरिक को राईट ऑफ रिकार्ड (रिकॉर्ड का अधिकार) भी सुनिश्चित करना है।

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