March 14, 2025
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नई दिल्ली / शौर्यपथ / कैबिनेट ने बुधवार को फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री के लिए प्रोडक्शन लिंक स्कीम को मंजूरी दे दी है. केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावडेकर ने बुधवार को यह जानकारी देते हुए बताया कि कैबिनेट ने फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री के लिए प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव स्कीम के लिए 10,900 करोड रुपए इंसेंटिव या सब्सिडी के तौर पर देने को मंजूरी दी है. इस मौके पर केंद्रीय वाणिज्‍य मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि केंद्र सरकार की ओर से लाए गए तीन कृषि कानूनों को लेकर कुछ लोगों ने किसानों को भ्रमित करने की कोशिश की है और एक नेगेटिव माहौल बनाने की कोशिश की है लेकिन आज देश के किसान समझ गए हैं कि नए कानून उनके लिए सिर्फ एक विकल्प है.
उन्‍होंने कहा क‍ि यह कानून किसानों के हित में बनाए गए हैं और इस संदर्भ में देश में फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री में कैसे निवेश बढ़े, ग्लोबल प्लेयर्स भारत के फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री में ज्यादा निवेश करें, इसका रास्ता प्रोडक्शन लिंग इंसेंटिव स्कीम से खुला है. फूड प्रोसेसिंग सेक्टर के लिए प्रोडक्शन लिंक इंसेंटिव स्कीम से करीब ढाई लाख रोजगार के अवसर पैदा होंगे

नई दिल्ली / शौर्यपथ / रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने रिकरिंग कार्ड पेमेंट में बड़ी राहत दी है. RBI ने एडीशनल ऑथेन्टिकेशन की डेडलाइन 30 सितंबर तक बढ़ाने का फैसला किया है.नए नियम के अंतर्गत, जिसे एक अप्रैल 2021 से लागू किया जाना था, आवर्ती लेनदेन को आगे बढ़ाने के लिए कस्‍टमर को एडीशनल ऑथेन्टिकेशन की जरूरत होती.
शुरुआत में इस नियम को 2,000 रुपये तक के आवर्ती लेनदेन के लिए लागू करने की योजना बनाई गई थी लेकिन आरबीआई ने दिसंबर में घोषणा की थी कि हितधारकों के आग्रह पर इस सीमा को 5000 रुपये तक बढ़ा दिया गया है. इस सीमा से अधिक के ट्रांजेक्‍शन को एडीशनल वनटाइम पासवर्ड की जरूरत होगी.आरबीआई ने अगस्‍त 2019 में सभी वाणिज्यिक बैंकों, कार्ड पेमेंट नेटवर्क और नेशनल पेमेंट कार्पोरेशन ऑफ इंडिया को आवर्ती लेनदेन के लिए इस बड़े बदलाव के बारे में सूचित किया था.यह नियम न केवल बैंकों और क्रेडिट-डेविट कार्ड व अन्‍य प्रीप्रेड पेमेंट इंस्‍ट्रुमेंट ऑफर करने वाले वित्‍तीय संस्‍थानों बल्कि मोबाइल पेमेंट वालेट्स और यूपीआई बेस्‍ड पेमेंट को सक्षम बनाने वाले साधनों पर लागू होगा

नंदीग्राम (पश्चिम बंगाल)/शौर्यपथ / निर्वाचन आयोग ने पश्चिम बंगाल के पूर्व मेदिनीपुर जिले में नंदीग्राम विधानसभा क्षेत्र में बुधवार को सीआरपीसी की धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा लागू कर दी. इस हाई प्रोफाइल सीट पर गुरुवार को मतदान होगा. एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इसके अलावा ईसी ने एक हेलीकॉप्टर की मदद से इलाके में निगरानी भी शुरू कर दी है. उन्होंने बताया कि निर्वाचन क्षेत्र की संवेदनशीलता को देखते हुए जो लोग नंदीग्राम के मतदाता नहीं हैं उन्हें क्षेत्र में प्रवेश करने नहीं दिया जा रहा है.
अधिकारी ने बताया, ‘नंदीग्राम संवेदनशील निर्वाचन क्षेत्र है जहां ममता बनर्जी और शुभेंदु अधिकारी जैसे हाई प्रोफाइल उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं. हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि कानून एवं व्यवस्था की स्थिति बिगड़े नहीं और लोग बिना किसी डर के मतदान कर सकें.' उन्होंने कहा, ‘‘निषेधाज्ञा लगाने की यही वजह है जो शुक्रवार आधी रात तक लागू रहेगी. जो व्यक्ति नंदीग्राम का मतदाता नहीं होगा उसे मतदान खत्म होने तक इलाके में प्रवेश करने नहीं दिया जाएगा.''
उन्होंने बताया कि धारा 144 लागू होने से पांच या उससे अधिक लोगों के इकट्ठा होने पर पाबंदी है.अधिकारी ने बताया कि इस निर्वाचन क्षेत्र में केंद्रीय बलों की 22 टुकड़ियों को तैनात किया जा रहा है. इस क्षेत्र में कुल 355 मतदान केंद्र हैं और इनमें से 75 प्रतिशत केंद्रों पर वेबकास्ट की सुविधा है. उन्होंने बताया कि राज्य पुलिस के साथ मिल कर केंद्रीय बलों ने इलाके में अहम स्थानों पर वाहनों की जांच शुरू कर दी है.

उन्होंने कहा, ‘‘नंदीग्राम में प्रवेश करने देने से पहले वाहनों की अच्छे से तलाशी ली जाएगी. बाहर के किसी वाहन को प्रवेश नहीं करने दिया जाएगा.'' साथ ही उन्होंने कहा कि अगर कोई व्यक्ति बाधा डालने की कोशिश करता पाया गया तो ‘‘उससे सख्ती से निपटा जाएगा.' अधिकारी ने बताया कि ईसी ने मतदान वाले दिन इलाके में 22 कर्मियों का त्वरित प्रतिक्रिया दल (क्यूआरटी) तैनात करने का भी फैसला किया है.
उन्होंने बताया कि ईसी ने अधिकारियों का एक दल भी गठित किया है जो मतदान वाले दिन नंदीग्राम में चुनावी प्रक्रिया पर नजर रखेगा.
उन्होंने कहा कि ईसी ने स्थानीय अधिकारियों से बुधवार रात तक सभी लंबित गिरफ्तारी वारंट लागू करने को भी कहा है और विभिन्न मामलों में आरोपी लोगों को हिरासत में लेने को कहा है.
नंदीग्राम में वीरानी छाई हुई और केवल कुछ ही दुकानें खुली हुई हैं. ई-रिक्शा और ऑटो जैसे वाहन नहीं चल रहे हैं और लोग घरों में हैं. सोनाचूरा के एक निवासी ने कहा, ‘‘हम एक अप्रैल को यहां शांतिपूर्ण मतदान चाहते हैं. लोगों को शांतिपूर्ण माहौल मिलना चाहिए ताकि वे बिना किसी डर के अपने वोट डाल सकें.''

कोलकाता / एजेंसी / तृणमूल कांग्रेस की सुप्रीमो और पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने कांग्रेस की कार्यकारी अध्‍यक्ष सोनिया गांधी और विपक्ष के अन्‍य नेताओं को पत्र लिखा है. इस पत्र में ममता ने लिखा है कि लोकतंत्र पर बीजेपी के हमलों के खिलाफ पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव के बाद साझा संघर्ष करने का वक्‍त आ गया है. ममता का यह लेटर ऐसे समय सामने आया है जब पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव चल रहे हैं. सख्‍त शब्‍दों वाले करीब सात पेज के इस लेटर में कहा गया है कि समय आ गया है कि बीजेपी की ओर से लोकतंत्र और संविधान पर किए जा रहे 'हमले' के खिलाफ एकजुट होकर प्रभावी तरीके से संघर्ष किया जाए और देश के लोगों के सामने विश्‍वसनीय विकल्‍प पेश किया जाए .विवादित नए कानून जो केंद्र के प्रतिनिधि, दिल्‍ली के उप राज्‍यपाल को दिल्‍ली की चुनी हुई सरकार के खिलाफ अधिकार देता है, के साथ ही ममता ने ऐसी सात घटनाओं का जिक्र किया है जिसे वे लोकतंत्र और संघीय ढांचे पर बीजेपी का हमला मानती हैं.
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री के पत्र में कहा गया है कि गैर-भाजपा दलों द्वारा शासित राज्यों में केंद्र, राज्यपाल के कार्यालय का दुरुपयोग कर निर्वाचित सरकारों के लिए समस्याएं पैदा कर रहा है. ममता ने यह भी लिखा है कि NCT विधेयक का पारित होना एक ‘‘गंभीर विषय'' है और भाजपा सरकार ने लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित सरकार की सभी शक्तियों को छीन लिया है.एनसीटी एक्‍ट का जिक्र करते हुए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने लिखा कि उप राज्यपाल को दिल्ली का अघोषित वायसराय बना दिया गया, जो गृह मंत्री और प्रधानमंत्री के लिए एक प्रतिनिधि (प्रॉक्सी) के रूप में काम कर रहे हैं.
सोनिया गांधी के अलावा यह पत्र एनसीपी अध्‍यक्ष शरद पवार, डीएमके के स्‍टालिन, शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे, वायएसआर कांग्रेस प्रमुख जगनमोहन रेड्डी, बीजेडी प्रमुख नवीन पटनायक, तेलंगाना राष्‍ट्र समिति के प्रमुख के चंद्रशेखर राव, समाजवादी पार्टी के अध्‍यक्ष अखिलेश यादव, राष्‍ट्रीय जनता दल के तेजस्‍वी यादव और आम आदमी पार्टी के संयोजन अरविंद केजरीवाल को भी भेजा गया है. खास बात यह है कि माकपा और भाकपा को पत्र नहीं भेजा गया है .

शोर्यपथ खास । UPSC यानी यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन (Union Public Service Commission) जैसा की नाम से ही प्रतीत होता है, यह परीक्षा कितना मुश्किल होता है। लेकिन फिर भी हर साल लाखों की तादाद में लोग इस परीक्षा के लिए फॉर्म भरते हैं और इस परीक्षा में सफल होने वाले लोग IAS, IPS और IFS जैसे पदों पर कार्यरत होते हैं। लेकिन बहुत से लोग IAS और IPS को एक ही मान लेते हैं और उन्हें इनके बीच के अंतर की जानकारी नहीं होती। इसलिए आज हम आपको यह बताने वाले हैं कि IAS और IPS किसे कहते हैं, इनमें से कौन-सा पोस्ट ऊंचा होता है, इनके बीच क्या अंतर होता है, ये किस पद पर कार्यरत हो सकते हैं या फिर इनकी सैलरी कितनी होती है इत्यादि के बारे में।
कौन हो सकता है आईएएस -
IAS जिसका फुल फॉर्म इंडियन एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विस (Indian Administrative Service) है। UPSC की परीक्षा में ज़्यादा नंबर आने पर IAS पोस्ट प्राप्त होता है जिसके जरिए आप ब्यूरोक्रेसी में प्रवेश करते हैं। IAS के लिए चुने गए लोगों को विभिन्न मंत्रालयों या जिलों का मुखिया बनाया जाता है।
कौन हो सकता है आईपीएस -
वहीं IPS यानी इंडियन पुलिस सर्विस (Indian police service) के द्वारा आप पुलिस यूनिट के बड़े-बड़े अफसरों में शामिल होते हैं। इसमें अगर पोस्ट की बात की जाए तो आप ट्रेनी आईपीएस से डीजीपी या इंटेलिजेंस ब्यूरो, सीबीआई चीफ तक भी पहुँच सकते हैं। बता दें, यूपीएससी परीक्षा में 3 लेवल- प्रीलिम्स, मेंस और इंटरव्यू होता है.
एक आईएएस और आईपीएस में क्या अंतर होता है -
IAS और IPS में अंतर की बात करे तो इन दोनों में सबसे पहला अंतर होता है कि एक IAS हमेशा फॉर्मल ड्रेस में रहते हैं जिनका कोई ड्रेस कोड नहीं होता। तो वहीं, एक IPS को ड्यूटी के दौरान वर्दी पहनना अनिवार्य होता है। दूसरा अंतर है कि एक IAS अपने साथ एक या दो बॉडीगार्ड रख सकते हैं लेकिन एक IPS के साथ पूरी की पूरी पुलिस फोर्स चलती है। एक IAS को मेडल से सम्मानित किया जाता है तो वहीं एक IPS को “स्वॉर्ड ऑफ़ ऑनर अवार्ड” से नवाज़ा जाता है।
आईएएस और आईपीएस के क्या कार्य होते हैं -
बात अगर IAS और IPS के काम के बारे में की जाए तो एक IAS के कंधे पर पूरे लोक प्रशासन, नीति निर्माण और कार्यान्वयन की जिम्मेदारी होती है। तो वहीं एक IPS अपने क्षेत्र की कानून व्यवस्था बनाए रखने और अ पराधों को रोकने की जिम्मेदारियों को पूरी करता है।
कितनी होती है इनकी सैलरी -
एक IAS अफसर के कंधे पर ढेर सारी जिम्मेदारियाँ होती हैं। उन्हें सरकारी विभाग और कई मंत्रालयों का कार्य संभालना होता है और एक IPS अधिकारी को सिर्फ़ पुलिस विभाग में काम करना होता है। इनके काम और इनके जिम्मेदारियों को देखते हुए इनकी सैलरी निर्धारित की जाती है। दोनों की सैलरी में बहुत कम अंतर होता है। सातवें पे कमीशन के बाद एक IAS अधिकारी का वेतन 56,100 से 2.5 लाख प्रति माह होता है। इसके साथ ही उन्हें और भी कई सुविधाएँ मुहैया कराई जाती हैं। तो वहीं दूसरी ओर एक IPS अधिकारी की सैलरी प्रति माह 56,100 से लेकर 2,25,000 मिलते हैं। इन्हें भी कई सारी सुविधाएँ दी जाती हैं।
कौन ज्यादा शक्तिशाली होता है -
यहाँ एक और बात जानना बहुत आवश्यक है कि एक क्षेत्र में सिर्फ़ एक ही IAS होते हैं तो वही दूसरी ओर एक क्षेत्र में एक से अधिक IPS भी हो सकते हैं। IAS को उच्च पद का होने के कारण किसी भी जिले का डीएम बनाया जाता है तो वहीं उससे नीचे पद का होने के कारण IPS को जिले का एसपी बनाया जाता है। एक IAS और एक IPS दोनों UPSC परीक्षा के द्वारा ही आते हैं लेकिन सिर्फ़ रैंक ऊपर नीचे होने के कारण किसी को IAS का पद मिलता है तो किसी को IPS का। इन दोनों में IAS का पद ऊंचा होता है। एक IAS अगर डीएम बनता है तो वह पुलिस विभाग के साथ-साथ और भी कई विभागों का हेड होता है इसलिए इनके पास पावर ज़्यादा होता है और एक IPS को सिर्फ़ अपने पुलिस विभाग का काम देखना पड़ता है। इस तरह इस आर्टिकल के माध्यम से हमने आपको बताया कि एक आईएएस और एक आईपीएस में क्या फ़र्क़ होता है? इसके साथ ही आपको बताया इनके कार्यों को उनके वेतन और इनसे जुड़ी ढेर सारी बातों को।

नई दिल्ली / शौर्यपथ / पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के बीचे एक ऑडियो क्लिप से प्रदेश में नया विवाद खड़ा हो गया है. टीएमसी ने एक ऑडियो क्लिप जारी की थी, जिसमें भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मुकुल रॉय को कथित रूप से यह कह रहे हैं कि चुनाव आयोग को कैसे प्रभावित करना है. केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने रविवार को कहा कि वह जानना चाहते हैं कि फोन किसने टैप किया. इसमें क्या गोपनीय है. हमने चुनाव आयोग को लिखित में दे दिया है. अमित शाह ने बताया, "दो भाजपा नेता अधिकारियों के तबादलों की मांग पर एक फोन कॉल पर चर्चा कर रहे थे. ये मांग लिखित में की गई थी. इसमें कुछ भी गुप्त नहीं है. जिस सवाल को उठाने की जरूरत है वह यह है कि फोन टैप किसने किया?'
साथ ही अमित शाह ने कहा, जमीनी स्तर पर मौजूद भाजपा कार्यकर्ताओं से मिली जानकारी के मुताबिक पार्टी पश्चिम बंगाल में प्रथम चरण के चुनाव में 30 सीटों में से 26 पर जीत हासिल करेगी. उन्होंने कहा कि भाजपा के पक्ष में भारी मतदान हुआ है.
अमित शाह ने साथ ही कहा कि 'जिस तरह तुष्टिकरण के हालात थे. जन कल्याण का पैसा करप्शन में चला गया. बंगाल की जनता के हाथ निराशा लगी. बंगाल में टीएमसी आने के बाद भी स्थिति सुधरी नहीं. बंगाल में कोरोना से निपटने से लेकर महिला सुरक्षा जैसे मामलों में ममता सरकार विफल रही. बंगाल में आशा की जोत जगाने में हम कामयाब रहे. बंगाल की जनता मोदी ने जी को असीम प्रेम दिया है. चुनाव आयोग को शांतिपूर्ण चुनाव कराने में बड़ी सफलता मिली है. एक भी व्यक्ति के मरे बिना, गोली चले बिना, बम चले बिना चुनाव हुए. हम बंगाल में 200 से ज्यादा सीट जीतेंगे. असम में भी हम ज़्यादा बहुमत से सरकार बनाएंगे'
बता दें, पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के पहले चरण में शनिवार को 30 सीटों के लिए हुए मतदान के बीच भाजपा ने एक ऑडियो क्लिप जारी किया जिसमें कथित रूप से मुख्यमंत्री ममता बनर्जी नंदीग्राम से एक भाजपा नेता को फिर से तृणमूल में शामिल होने और उन्हें जीतने में मदद करने के लिए मनाती सुनाई दे रही हैं। इसके बाद सत्तारूढ़ दल ने इसपर तुरंत प्रतिक्रिया देते हुए एक ऑडियो क्लिप जारी किया है जिसमें भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मुकुल रॉय को कथित रूप उद्योगपति और पार्टी नेता शिशिर बाजोरिया से यह कहते हुए सुना जा सकता है कि चुनाव आयोग को कैसे प्रभावित करना है.

नई दिल्ली में आयोजित इकोनॉमिक कॉन्क्लेव में शामिल हुए छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री
ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने पर दिया जोर

रायपुर / शौर्यपथ / छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने पर ही देश और राज्य में आर्थिक सुधार और बुनियादी बदलाव हो सकते हैं। इस दौरान उन्हांेने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने पर जोर दिया। मुख्यमंत्री बघेल आज नई दिल्ली में आयोजित 7 वें इंडियन इकोनॉमिक कॉन्क्लेव में शामिल हुये, जहां उन्होंने देश की अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए आम लोगों को आर्थिक रूप से सक्षम करने की बात कही। कॉन्क्लेव में देश भर से आए अन्य गणमान्य लोग भी उपस्थित रहे।
इकोनॉमिक कॉन्क्लेव में मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि ग्रामीण विकास पर आधारित योजनाओं से छत्तीसगढ़ के गांवों में सवा दो सालों में ही बड़ा बदलाव दिख रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार के गठन के साथ ही हमने छत्तीसगढ़ के आर्थिक विकास के लिए एक रोड मैप तैयार किया। जिसके तहत सबसे पहले किसानों का ऋण माफ किया, 25 सौ रूपए प्रति क्विंटल में धान खरीदी की, आदान सहायता के रूप में किसानों को 5 हजार करोड़ रूपए की राशि दी, समर्थन मूल्य पर वनोपज की खरीदी की गयी, मनरेगा के तहत रोजगार उपलब्ध कराए, जिससे किसानों, गरीब और मजदूरों की आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ।
मुख्यमंत्री बघेल ने एक सवाल के जवाब में कहा कि आने वाले वर्षों में छत्तीसगढ़ का देश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान होगा। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ ग्रामीण अर्थव्यवस्था को फोकस कर विकास के मार्ग पर अग्रसर है।
राज्य सरकार विभिन्न योजनाओं के माध्यम से गावों में रोजगार के अवसर बढ़ा रही है। कोर सेक्टर के अलावा ग्रामोद्योग को बढ़ावा दे रही है। उन्होंने कहा छत्तीसगढ़ सरकार रोजगार के साथ ही स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण कार्य कर रही है। इस दौरान मुख्यमंत्री ने बताया कि कोरोना से उत्पन्न आर्थिक संकट के काल में भी छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था गतिशील बनी रही। इस दौरान आटोमोबाइल सेक्टर में तेजी, जीएसटी संग्रहण में बढ़ोतरी और सर्वाधिक वनोपज की खरीदी की गयी।

विशेष बीमारियों वाले 45 वर्ष से अधिक आयु के व्यक्तियों को चिकित्सक के प्रमाण पत्र के साथ लगेगा टीका , पंजीकरण कोविन 2 एप में और आन साइट भी होगा

रायपुर / शौर्यपथ / राष्ट्रव्यापी कोविड-19 टीकाकरण अभियान अभियान में 1 मार्च, 2021 से अब इसमें 60 वर्ष से अधिक आयु के सभी नागरिक तथा विशेष बीमारियों के साथ 45 से 59 वर्ष के आयु वर्ग में आने वाले व्यक्ति शामिल होंगे। केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने वैक्सीन एडमिनिस्ट्रेशन (को-विन) पर अधिकार प्राप्त समूह के अध्यक्ष तथा कोविड-19 वैक्सीन एडमिनिस्ट्रेशन पर राष्ट्रीय विशेषज्ञ समूह (एनईजीवीएसी) के सदस्य डॉ. आर.एस. शर्मा के साथ राज्यों तथा केंद्रशासित प्रदेशों के स्वास्थ्य सचिवों और एमडी (एनएचएम) के साथ टीकाकरण पर वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से उच्चस्तरीय बैठक की अध्यक्षता की। कल आयोजित इस कान्फ्रेन्स में राज्य की अपर मुख्य सचिव स्वास्थ्य श्रीमती रेणु जी पिल्ले,संचालक स्वास्थ्य सेवाएं नीरज बंसोड,राज्य टीकाकरण अधिकारी डाॅ अमर सिंह शामिल हुए।
बैठक में राज्यों तथा केंद्रशासित प्रदेशों को डिजीटल प्लेटफॉर्म को-विन के वर्सन 2.0 की मूल विशेषताओं की जानकारी दी गई। यह जनसंख्या आकार का सॉफ्टवेयर है और हजारों प्रोसेसिंग क्षमता रखता है। आयु उचित समूहों के टीकाकरण का नया चरण देश में कोविड टीकाकरण को कई गुणा बढ़ा देगा। इस चरण में चिन्हित आयु समूहों के नागरिकों और टीकाकरण के वर्तमान चरण से वंचित और छूटे हुए स्वास्थ्य सेवाकर्मियों तथा फ्रंटलाइनकर्मी अपनी पसंद के टीकाकरण केंद्र चुन सकते हैं। निजी क्षेत्र के अस्पताल कोविड टीकाकरण केंद्र के रूप में शामिल किए जाएंगे ताकि टीकाकरण की गति बढ़ाई जा सके।
यह बताया गया कि सभी टीकाकरण केंद्र (सीवीसी) के पास निम्नलिखित अलग-अलग स्वास्थ्य सुविधाएं होंगीः- एसएचसी पीएचसी सीएचसी जैसी सरकारी स्वास्थ्य सुविधाएं, आयुष्मान भारत स्वास्थ्य और वेलनेस केंद्र सब-डिविजन अस्पताल, जिला अस्पताल तथा मेडिकल कॉलेज अस्पताल शामिल होंगे। केंद्र सरकार स्वास्थ्य सेवा (सीजीएचएस) आयुष्मान , प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (एबी-पीएम जेएवाई) तथा इसी तरह की राज्य स्वास्थ्य बीमा योजनाओं के अंतर्गत पेनल में शामिल सभी निजी अस्पताल शामिल किए जाएंगे।
राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों से यह सुनिश्चित करने को कहा गया है कि निजी स्वास्थ्य सुविधाओं को कोविड टीकाकरण केंद्र के रूप में काम करने के लिए उनके पास टीकारण प्रक्रिया के लिए पर्याप्त स्थान होना चाहिए। टीके की शीशी के भंडारण के लिए मूल कोल्ड चेन उपकरण होने चाहिए। टीका लगाने वाले लोगों तथा स्टाफ की अपनी टीम होनी चाहिए। किसी एईएफआई मामले के प्रबंधन के लिए पर्याप्त सुविधा होनी चाहिए।
टीका लगाने के इच्छुक व्यक्तियों को अपने साथ निम्नलिखित फोटो, आईडी दस्तावेज लाने होंगे आधार कार्ड,निर्वाचक फोटो पहचान पत्र (ईपीआईसी), ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन के मामले में पंजीकरण के समय निर्दिष्ट फोटो आईडी कार्ड (यदि आधार या ईपीआईसी नहीं है) 45 वर्ष से 59 वर्ष के आयु समूह के नागरिकों के लिए बीमारी का प्रमाण पत्र (पंजीकृत डॉक्टर से हस्ताक्षरित) हेल्थ केयर वर्कर और फं्रटलाइन वर्कर एफएल डब्लयू के लिए रोजगार प्रमाण-पत्र अधिकारिक पहचान पत्र (दोनों में से एक फोटो और जन्म तिथि के साथ)
राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को पंजीकरण की सरल प्रक्रिया बताई गई। पंजीकरण तीन प्रकार से होगा । पहला एडवांस सेल्फ रजिस्ट्रेशन लाभार्थी अग्रिम रूप से को-विन 2.0 पोर्टल डाउनलॉड करके तथा आरोग्य सेतू आदि जैसे आईटी एप्लीकेशनों के माध्यम से अपना पंजीकरण करा सकते हैं। पंजीकरण कराने पर कोविड टीकाकरण के रूप में काम करने वाले सरकारी तथा निजी अस्पतालों की जानकारी और तिथि तथा समय की उपलब्धता की जानकारी मिलेगी। लाभार्थी अपनी पसंद का सीवीसी चुन सकेगा और टीकाकरण के लिए अप्वाइंटमेंट बुक कर सकेगा। दूसरा विकल्प ऑनसाइट रजिस्ट्रेशन का होगा जो साइट पर अपने को रजिस्टर कराने की अनुमति देता है जो स्वयं रजिस्टर नहीं कर पाए थे। तीसरा विकल्प सुविधाजनक कोहोर्ट पंजीकरण का होगा जिसके तहत राज्य एवं केंद्रशासित सरकार अपनी ओर से हितग्राहियों के समूह का चयन कर उन्हे टीका लगवाएगी। इसके लिए आशा, मितानीन,पंचायत राज संस्थाओं के प्रतिनिधियों और स्वसहायता समूहों की मदद ली जा सकती है। सभी का कोविन प्लेटफार्म में पंजीयन होगा। सरकारी अस्पतालों में यह निःशुल्क होगा और निजी अस्पतालों में पूर्व निर्धारित शुल्क देना होगा।

वर्ष 2021-22 के केन्द्रीय बजट में एक्साइज ड्यूटी में कमी कर की गई है ‘कृषि अधोसंरचना विकास सेस‘ लगाने की घोषणा
एक्साइज ड्यूटी कम करने से राज्य को होगा 900 से 1000 करोड़ रूपए का नुकसान
लोक कल्याणकारी कार्यक्रमों पर होगा विपरीत असर
कोविड महामारी के दुष्प्रभावों के कारण आर्थिक गतिविधियों में पड़ा है विपरीत असर: राज्य के राजस्व में 30 प्रतिशत की कमी संभावित
केन्द्र से नहीं मिली है जी.एस.टी. की 3700 करोड़ रूपए की राशि
राज्य के चावल के कोटे में कटौती से भी बड़ी हानि होना संभावित

रायपुर / शौर्यपथ / मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने केन्द्रीय वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण को पत्र लिखकर उनसे छत्तीसगढ़ राज्य को मिलने वाली एक्साइज ड्यूटी के रूप में मिलने वाली राशि पूर्ववत् देने का अनुरोध किया है।
मुख्यमंत्री ने पत्र में लिखा है कि- वर्ष 2020-21 कोविड महामारी के दुष्प्रभावों के कारण वित्तीय दृष्टि से अत्यंत कठिन वर्ष रहा है। इस वर्ष राज्य में सभी आर्थिक गतिविधियों पर विपरीत प्रभाव पड़ने के कारण राज्य के स्वयं के वित्तीय स्रोतों में लगभग 30 प्रतिशत की कमी आना संभावित है। हाल ही में वर्ष 2021-22 के केन्द्रीय बजट में पेट्रोलियम पदार्थों, सोने-चांदी एवं अन्य अनेक वस्तुओं पर एक्साइज ड्यूटी में कमी कर उसके स्थान पर ‘कृषि अधोसंरचना विकास सेस‘ आरोपित करने की घोषणा आपके द्वारा की गई है। इससे राज्य को आगामी वित्तीय वर्ष में 900 से 1000 करोड़ रूपए की अतिरिक्त क्षति होना संभावित है।
मुख्यमंत्री बघेल ने पत्र में यह भी उल्लेख किया है कि वित्तीय वर्ष 2020-21 में राज्य की जी.एस.टी. क्षतिपूर्ति मद में केन्द्र सरकार से अभी भी 3700 करोड़ रूपए की राशि प्राप्त होना शेष है। केन्द्र सरकार द्वारा पूर्व में राज्य से 60 लाख टन चावल लेने की घोषणा के बाद राज्य के चावल के कोटे में 16 लाख टन की कटौती कर दी गई है, जिसके कारण भी राज्य द्वारा संग्रहित अतिरिक्त धान के निराकरण में राज्य को बड़ी हानि होना संभावित है।
मुख्यमंत्री ने पत्र में लिखा है कि ‘कृषि अधोसंरचना विकास कोष‘ स्थापना का निर्णय स्वागत योग्य है, किन्तु एक्साइज ड्यूटी कम करने के निर्णय से राज्य के संसाधनों पर विपरीत असर पड़ना निश्चित है। पूर्व से ही वित्तीय संकट से जूझ रहे राज्य को एक्साइज ड्यूटी कटौती से होने वाली अतिरिक्त क्षति से राज्य के नागरिकों के हितों के लिए चलाए जा रहे लोक कल्याणकारी कार्यक्रमों पर विपरीत असर होगा। उन्होंने केन्द्रीय वित्त मंत्री से अनुरोध किया है कि केन्द्र की तुलना में राज्यों के पास उपलब्ध सीमित संसाधनों को देखते हुए छत्तीसगढ़ राज्य को मिलने वाली एक्साइज ड्यूटी के रूप में मिलने वाली राशि पूर्ववत् प्राप्त होने का निर्णय लेने का कष्ट करें, ताकि राज्य को किसी अतिरिक्त वित्तीय क्षति का सामना न करना पड़े।

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