October 24, 2025
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शौर्यपथ

शौर्यपथ

दुर्ग। शौर्यपथ । गाय को गऊ माता का दर्जा देने वाली सरकार और नगर निगम की जिम्मेदारी पर बड़ा सवाल खड़ा हो रहा है। धार्मिक दृष्टिकोण से गऊ माता को 33 कोटि देवी–देवताओं का वास माना जाता है, मगर व्यावहारिक स्तर पर उनकी दुर्दशा सड़कों पर खुलेआम दिखाई देती है। शहर की प्रमुख गलियों से लेकर कॉलोनियों तक आवारा मवेशियों का डेरा है। यह नजारा सिर्फ दुर्ग का ही नहीं, बल्कि प्रदेश के अधिकांश शहरों में आम हो चला है।

शहर की सड़कों पर आवारा पशुओं के झुंड दुर्घटनाओं को न्यौता दे रहे हैं। आए दिन राहगीर और वाहन चालक हादसों का शिकार हो रहे हैं। रात में बंद पड़ी स्ट्रीट लाइट और गड्ढों से भरी सड़कें खतरे को और बढ़ा देती हैं। नागरिक सवाल कर रहे हैं कि आखिर शहरी सरकार कब जागेगी?

### निगम प्रशासन पर आरोप

दुर्ग नगर निगम की वर्तमान महापौर **श्रीमती अलका बाघमार** और उनकी टीम की निष्क्रियता को लेकर शहर में चर्चा तेज है। नगर निगम का यह कार्यकाल इतिहास में सबसे अधिक अनुभवहीन और निष्क्रिय शहरी सरकार के रूप में दर्ज हो रहा है। पिछले छह महीनों में शहर की स्थिति और भी बदहाल होती गई है। सफाई व्यवस्था चरमराई हुई है, नाली–नालों की हालत खराब है और नागरिक सुविधाएं पूरी तरह से उपेक्षित पड़ी हैं।

### जनता का सवाल – “गऊ माता” सिर्फ राजनीतिक नारा?

लोगों का कहना है कि गाय को “गऊ माता” कहकर सम्मान देना आसान है, मगर उनकी सुरक्षा और देखभाल पर ठोस नीति बनाना कठिन साबित हो रहा है। दुर्ग की सड़कों पर बैठी और घूमती गऊ माता न सिर्फ यातायात बाधित कर रही हैं, बल्कि उनकी दुर्दशा शहर की बदइंतजामी का आईना भी दिखाती है।

### समाधान की ओर

शहरवासियों का मानना है कि यदि सरकार और निगम प्रशासन वास्तव में गऊ माता की महिमा और सम्मान में विश्वास रखते हैं, तो उन्हें सड़कों पर छोड़कर मरने के लिए नहीं, बल्कि सुरक्षित गौशालाओं और योजनाओं में स्थान मिलना चाहिए। इसके साथ ही शहरी सरकार को आवारा पशुओं के प्रबंधन, सड़क मरम्मत और स्ट्रीट लाइट व्यवस्था जैसी बुनियादी जिम्मेदारियों को प्राथमिकता पर लेना होगा।

फिल्मी दुनिया। शौर्यपथ। डैनी के शोले छोड़ने के बाद सिप्पी कैंप में खलबली मची थी। शूटिंग शुरू होने में एक महीने से भी कम वक्त रह गया था। और गब्बर सिंह कोई मामूली नहीं, फिल्म का केंद्रीय किरदार था। गब्बर का किरदार निभाने के लिए ऐसा शख्स चाहिए था जो ना सिर्फ अच्छा एक्टर हो, बल्कि एक करिश्माई व्यक्तित्व का मालिक भी हो। गब्बर सिंह उतना ही मजबूत दिखना चाहिए था जितने कि फिल्म के दूसरे स्टार्स थे। गलत कास्टिंग करने की कोई गुंजाइश नहीं थी। अगर गब्बर सिंह के लिए किसी गलत एक्टर को चुन लिया जाता तो पूरी फिल्म बर्बाद हो सकती थी। रमेश सिप्पी और उनके पिता गोपालदास परमानंद सिप्पी(जी.पी.सिप्पी) ने रंजीत और प्रेम चोपड़ा के नामों पर विचार किया। रंजीत के नाम पर तो मुहर लगने ही वाली थी। मगर जाने क्यों, रमेश सिप्पी के मन को संतुष्टी नहीं मिली। और रंजीत को कास्ट करने का विचार ड्रॉप कर दिया गया।

रमेश सिप्पी उस वक्त गब्बर सिंह के कैरेक्टर को लेकर इतने डैस्पेरेट थे कि वो प्रेमनाथ जी को भी गब्बर के रोल में इमैजिन करने लगे थे। प्रेमनाथ जी को साइन करने के बारे में सोचने लगे थे। लेकिन जब रमेश सिप्पी यथार्थ के धरातल पर वापस लौटे तो उन्हें अहसास हुआ कि प्रेमनाथ जी के साथ काम करना किसी भी डायरेक्टर के लिए बड़ा मुश्किल होता है। और वैसे भी शोले में पहले ही कई बड़े कलाकार थे। एक साथ इतनी स्टार ईगो झेलना भी तो हैक्टिक होता। उस वक्त सलीम खान ने अमजद खान का नाम सुझाया।

अमजद खान के पिता ज़कारिया खान उर्फ जयंत एक वक्त पर हीरो और बाद में मशहूर चरित्र अभिनेता थे। अमजद उनके छोटे बेटे थे। पिता बेशक नामी कलाकार रहे हों। लेकिन अमजद खान तब सिर्फ एक स्ट्रगलिंग एक्टर थे। एक दफा अमजद के पिता ने उन्हें हीरो के तौर पर लॉन्च करने के लिए 'पत्थर के सनम' नाम से एक फिल्म अनाउंस की थी। लेकिन वो फिल्म कभी बन ना सकी। अमजद ने के.आसिफ को फिल्म 'लव एंड गॉड' में असिस्ट किया था। लव एंड गॉड में अमजद के पिता जयंत ने भी काम किया था। और विकीपीडिया की मानें तो वो उनकी आखिरी फिल्म भी थी। अमजद ने भी एक छोटा सा रोल 'लव एंड गॉड' फिल्म में निभाया था। 

कुल मिलाकर फिल्म जगत में अमजद खान की तब कोई पहचान नहीं थी। लेकिन थिएटर जगत में वो बहुत मशहूर थे तब। सबसे पहले साल 1963 में जावेद अख्तर ने अमजद को दिल्ली के ताल कटोरा स्टेडियम में हुए यूथ फैस्टिवल के दौरान हुए 'ऐ मेरे वतन के लोगों' नाम के नाटक में आर्मी अफसर का किरदार निभाते देखा था। कुछ साल बाद रमेश सिप्पी ने भी मुंबई में हुए एक नाटक में अमजद खान को देखा था। उस नाटक में रमेश सिप्पी की बहन सुनीता सिप्पी उर्फ सोनी ने अमजद खान की मां का किरदार जिया था। लेकिन गब्बर सिंह के किरदार के लिए जब माथापच्ची चल रही थी तब ना तो रमेश सिप्पी को और ना ही जावेद अख्तर को अमजद खान का नाम याद आया। 

डैनी के शोले छोड़ने के कुछ दिनों बाद इत्तेफाक से बांद्रा के बैंडस्टैंड इलाके में सलीम खान और अमजद खान की मुलाकात हुई। सलीम खान अमजद के पिता को जानते थे। अमजद जब छोटे थे तब उनके पिता से मिलने सलीम खान उनके घर जाते भी थे। उस दिन अमजद खान और सलीम खान की बात हुई तो सलीम खान ने अमजद से पूछा कि वो क्या कर रहे हैं आजकल। अमजद ने बताया कि वो थिएटर कर रहे हैं। फिल्मी काम तब कुछ खास था नहीं अमजद के पास। सलीम खान ने अमजद के बारे में काफी सुन रखा था। उस दिन अमजद से मिलने के बाद गब्बर के किरदार की गुंजाइश सलीम खान को दिखी भी। उन्होंने अमजद से कहा कि मैं तुमसे कोई वादा तो नहीं करूंगा। लेकिन एक बड़ी फिल्म में एक बहुत अच्छा रोल है। मैं तुम्हें डायरेक्टर से मिला दूंगा। क्या पता तुम्हारी किस्मत से या कोशिश से ये रोल तुम्हें मिल जाए। ये इस फिल्म का सबसे फाइन रोल है। 

सलीम खान ने रमेश सिप्पी से अमजद खान का ज़िक्र किया। अमजद को मिलने के लिए बुलाया गया। उनसे दाढ़ी बढ़ाने को कहा गया। सलीम-जावेद और रमेश सिप्पी ने अमजद के बारे में काफी विचार किया। अमजद लग तो फिट रहे थे। लेकिन उनकी कोई पहचान तब नहीं थी। सलीम-जावेद की तरफ से तो अमजद खान फाइनल थे। लेकिन आखिरी फैसला तो रमेश सिप्पी को ही लेना था। इत्तेफाक से उसी दिन एक्टर सत्येन कप्पू जी भी सिप्पीज़ के ऑफिस आए थे। रामलाल का कैरेक्टर निभाने के लिए उन्हें तब तक साइन किया जा चुका था। सलीम खान ने उस दिन सत्येन कप्पू से पूछा,"कप्पू साहब, क्या अमजद खान आपसे अच्छा आर्टिस्ट है?" कप्पू जी ने फौरन जवाब दिया,"हां, मुझसे अच्छा एक्टर है। यंग है। उसकी थिंकिंग भी फ्रैश है।"

चार दिन बाद अमजद खान का एक स्क्रीनटेस्ट हुआ। सिप्पीज़ के ऑफिस के गार्डन में अमजद खान की कुछ तस्वीरें ली गई। कहने के मुताबिक अमजद खान ने दाढ़ी बढ़ा ली थी। अपने दांत भी उन्होंने काले किए थे। उनका डिक्शन एकदम सही था। भाषा भी एकदम परफेक्ट थी। आखिरकार अमजद खान को गब्बर सिंह के रोल के लिए फाइनल कर दिया गया। वो तारीख थी 20 सितंबर 1973. अमजद खुशी-खुशी हॉस्पिटल की तरफ दौड़े। उसी दिन उनकी पत्नी शैला ने एक बेटे को जन्म दिया। अमजद ने बेटे का नाम रखा शादाब। जो शादाब खान नाम से कुछ फिल्मों में एक्टिंग भी कर चुका है। #AmjadKhan #DannyDenzongpa #RameshSippy #Sholay

   राजनांदगांव / शौर्यपथ / सेवा पखवाड़ा अंतर्गत समाज कल्याण विभाग द्वारा गांधी सभागृह राजनांदगांव में दिव्यांगजनों के लिए सांस्कृतिक कार्यक्रम पुरस्कार वितरण, सहायक उपकरण वितरण एवं सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती किरण वैष्णव, जिला पंचायत सदस्य श्रीमती जागृति साहू, श्रीमती देवकुमारी साहू व श्रीमती किरण बारले, पूर्व जनपद सदस्य श्रीमती मीना पुरेरी, मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत सुश्री सुरूचि सिंह, नगर निगम पार्षद व चेयरमेन स्वास्थ्य विभाग श्री शैंकी बग्गा, नियामत हुद्दा एवं अन्य जनप्रतिनिधि उपस्थित थे। जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती किरण वैष्णव शासन द्वारा दिव्यांगजनों के लिए चलाए जा रहे विभिन्न कार्यक्रमों एवं योजनाओं की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि दिव्यांगजनों के लिए इस तरह के कार्यक्रम एवं शिविरों का आयोजन होते रहना चाहिए। उन्होंने कार्यक्रम के आयोजन के लिए समाज कल्याण विभाग की सराहना की। मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत सुश्री सुरूचि सिंह ने सेवा पखवाड़ा अन्तर्गत समाज कल्याण विभाग द्वारा दिव्यांग एवं बुजुर्गों के लिए किए जा रहे कार्यों की प्रशंसा की।
कार्यक्रम में भगवान महावीर समता वृद्धाश्रम में लाभान्वित वृद्धजनों का सम्मान तिलक लगाकर पुष्पहार पहना कर एवं शाल भेंट कर किया गया। दिव्यांग शालेय बच्चों, आस्था अभिलाषा, मनोकामना एवं शासकीय बौद्धिक मंदता के विशेष बच्चों ने सांस्कृतिक कार्यक्रमों की मनोहर प्रस्तुति दी। बच्चों ने नशामुक्ति, स्वच्छता अभियान, नारी सशक्ति पर आधारित सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति दी। एकल एवं समूह नृत्य में प्रथम, द्वितीय व तृतीय स्थान प्राप्त करने वाले प्रतिभागियों को अतिथियों द्वारा पुरस्कृत किया गया। दिव्यांगजनों के लिए दीर्घकालीन सेवा भावना के लिए अभिलाषा संस्था के सचिव श्री सीए रूपम सोनछत्रा, आस्था के संस्थापक अध्यक्ष श्री हेमंत तिवारी एवं वर्तमान अध्यक्ष महेन्द्र सुराना, मनोकामना मनोविकास शाला के संस्थापक अध्यक्ष श्री रत्ना ओस्तवाल, भगवान महावीर समता वृद्धाश्रम के संस्थापक श्री गौतम पारख एवं नगर में संचालित समता जनकल्याण के निदेशक एवं तृतीय लिंग के लिए सक्रियता से कार्यरत श्री शिशुपाल खोब्रागढ़े को स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया। इसी प्रकार पूर्व में खेल कूद प्रतियोगिता के विजयी प्रतिभागियों को पुरस्कृत किया गया। कार्यक्रम में शिविर के माध्यम से दिव्यांगजनों के लिए सहायक उपकरण वितरण किया गया। साथ ही दिव्यांगता प्रमाण पत्र नवीनीकरण, यूडीआईडी, बसपास भी बनाये गए। उप संचालक समाज कल्याण श्रीमती वैशाली मरडवार ने स्वागत उद्बोधन प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का संचालन आस्था की संयुक्त सचिव एवं मीडिया प्रभारी सुश्री निखत परवीन खान ने किया। सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रतियोगिता के निर्णायक के रूप में अभिलाषा संस्था की सचिव एवं चाटर्ड एकाउन्टेंट श्रीमती रूपम सोनछत्रा, सर्व शिक्षा अभियान के बीआरपी श्रीमती देवकी सिंह रेड्डी उपस्थित थे। स्वास्थ्य परीक्षण में डॉ. महाकालकर सहित उनकी टीम का सराहनीय सहयोग प्राप्त हुआ। इस अवसर पर जनप्रतिनिधि, अधिकारी, कर्मचारी, दिव्यांग व वृद्धजन, नगरवासी उपस्थित थे।

 मोहला / शौर्यपथ / जिले के विकासखण्ड के सभी सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों में स्वस्थ नारी, सशक्त परिवार अभियान के अंतर्गत जेरियाट्रिक मेगा कैंप का सफलतापूर्वक आयोजन किया गया। इस विशेष स्वास्थ्य शिविर में क्षेत्र के बुजुर्ग नागरिकों, विशेषकर वरिष्ठ महिलाओं और पुरुषों के लिए रक्तचाप, शुगर टेस्ट, नेत्र परीक्षण एवं मानसिक स्वास्थ्य की स्क्रीनिंग की गई।
       मोहला सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में आयोजित मुख्य कार्यक्रम में जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती नम्रता सिंह की उपस्थिति विशेष रही। इस अवसर पर उन्होंने चलने में असमर्थ माताओं को वॉकर तथा जरूरतमंद बुजुर्गों को वॉकिंग स्टिक प्रदान की। इसके साथ ही कार्यक्रम में 70 वर्ष से अधिक आयु के वरिष्ठ नागरिकों के आयुष्मान वय वंदन कार्ड भी बनाए गए, जिससे उन्हें सरकारी स्वास्थ्य योजनाओं का सीधा लाभ मिल सके। कार्यक्रम में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. विजय खोब्रागडे, खंड चिकित्सा अधिकारी डॉ.सीमा ठाकुर, डीपीएम डॉ.राकेश वर्मा, बीईटीओ श्री नेताम सहित स्वास्थ्य विभाग के अन्य अधिकारी-कर्मचारी उपस्थित रहे।
       स्वास्थ्य विभाग द्वारा आयोजित इस जेरियाट्रिक कैंप का मुख्य उद्देश्य वरिष्ठ नागरिकों के स्वास्थ्य की समुचित देखभाल करना, उन्हें सहायक उपकरण उपलब्ध कराना एवं आयुष्मान कार्ड के माध्यम से नि:शुल्क स्वास्थ्य सेवाओं से जोड़ना रहा। इस तरह के आयोजन से ग्रामीण अंचलों में रहने वाले बुजुर्गों को स्वास्थ्य सेवाओं का प्रत्यक्ष लाभ प्राप्त होता है और उन्हें सशक्त एवं आत्मनिर्भर जीवन जीने का अवसर मिलता है।

 बिजली बिल से राहत के साथ पर्यावरण संरक्षण को मिल रहा प्रोत्साहन       
 मोहला / शौर्यपथ / प्रधानमंत्री सूर्यघर मुफ्त बिजली योजना आज उपभोक्ताओं को राहत देने का कार्य कर रही है। योजना अंतर्गत आमजन को रियायती दरों पर घर की छतों पर सोलर पैनल लगाने की सुविधा प्रदान की जा रही है, जिससे वे स्वयं बिजली की जरूरतें पूरी कर सकते है और बिजली बिल से राहत पा सकते हैं।
 ग्राम मुरेठीटोला निवासी श्रीमती उर्मिला बाई भुआर्य ने बताया कि सीएससी सेंटर संचालक श्री जसपाल सिंह से योजना की जानकारी मिली। जिसके पश्चात उन्होंने भी घर की छत पर सोलर रूफटॉप सिस्टम लगवाया है। पहले जहां हर माह उन्हें एक हजार से दो हजार रुपए बिजली बिल का भुगतान करना पड़ता था, लेकिन अब मासिक बिजली बिल लगभग शून्य हो गया है, जिससे श्रीमती उर्मिला बिजली बिल के भुगतान की राशि से अच्छी खासी बचत कर पा रही है।
 श्रीमती उर्मिला ने कहा कि यह योजना हमारे जैसे मध्यमवर्गीय परिवारों के लिए बहुत फायदेमंद है। स्वच्छ ऊर्जा अपनाकर न केवल पर्यावरण की रक्षा कर रहे हैं, बल्कि हर माह की बचत से भविष्य की योजनाओं को पूरा करने में आसानी होगी। उन्होंने बताया कि एक वर्ष पूर्व उनके द्वारा योजना का लाभ लेने के लिए आवेदन किया गया था। कुछ ही दिनों में विभागीय स्वीकृति पश्चात उनकी छत पर 1 लाख 20 हजार रुपए की लागत से 2 किलोवाट का सोलर पैनल लग गया। इसके लिए उन्हें केंद्र सरकार द्वारा 60 हजार की सब्सिडी भी प्राप्त हुई। उन्होंने कहा कि यह केवल आर्थिक राहत नहीं है, बल्कि बिजली जैसी महत्वपूर्ण ऊर्जा उत्पादन में अपना अहम योगदान दे रही हैं। सौर ऊर्जा पर्यावरण संरक्षण की दृष्टि से भी लाभदायक है। इससे किसी प्रकार का प्रदूषण नहीं होता और न ही प्रकृति को हानि पहुंचती है।

मैत्री महोत्सव में शामिल हुए मुख्यमंत्री:उत्कृष्ट कार्य करने वालों को किया सम्मानित, आचार्य विद्यासागर कल्याण सेवा संस्था के लोगो का किया विमोचन

      रायपुर / शौर्यपथ / मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय आज राजधानी रायपुर में सकल दिगम्बर जैन समाज द्वारा आयोजित मैत्री महोत्सव में शामिल हुए। पंडित दीनदयाल उपाध्याय ऑडिटोरियम में पूज्य आर्यिकारत्न 105 अंतर्मति माताजी ससंघ के मंगल सान्निध्य में आयोजित गुरु शरणम् – मैत्री महोत्सव – क्षमादान उत्सव में विधायक श्री राजेश मूणत, जैन समाज के पदाधिकारियों सहित बड़ी संख्या में गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री श्री साय ने मंच पर पूज्य आर्यिकारत्न 105 अंतर्मति माताजी ससंघ को श्रीफल भेंटकर आशीर्वाद प्राप्त किया। कार्यक्रम में जैन समाज की पारंपरिक पगड़ी और गमछा पहनाकर मुख्यमंत्री का सम्मान किया गया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य करने वाले व्यक्तियों को सम्मानित किया तथा आचार्य विद्यासागर कल्याण सेवा संस्था के लोगो का विमोचन भी किया।
मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने कहा कि मैत्री महोत्सव केवल एक आयोजन नहीं, बल्कि आत्मिक जागृति और शुद्धिकरण का पावन अवसर है। भारत की पुण्यभूमि केवल सभ्यता और संस्कृति की जननी ही नहीं, बल्कि आध्यात्मिकता की जीवंत प्रयोगशाला भी रही है। यहाँ धर्म केवल पूजा तक सीमित नहीं है, बल्कि जीवन जीने की कला है।
उन्होंने कहा कि भगवान महावीर स्वामी ने ‘जियो और जीने दो’ का संदेश दिया। हाल ही में मनाए गए क्षमादान पर्व का सार यही है कि ‘उत्तम क्षमा, सबसे क्षमा और सबको क्षमा’—यही बड़प्पन है और यही वसुधैव कुटुम्बकम का वास्तविक संदेश है। जैन धर्म ने इस भावना को सबसे सुंदर और गहन रूप में प्रस्तुत किया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जैन समाज परोपकारी समाज है और इसके सेवा भाव का लाभ छत्तीसगढ़ को निरंतर मिलता रहेगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि अहिंसा, अपरिग्रह और अनेकांत के सिद्धांत समरस समाज की आधारशिला हैं। मैं पूज्य आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के पावन स्मरण और पूज्य आर्यिकारत्न 105 अंतर्मति माताजी ससंघ के मंगल सान्निध्य में उन सभी संतों को नमन करता हूँ, जिन्होंने अपने संयम, तप और साधना से समाज को दिशा दी है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आचार्य श्री विद्यासागर जी का जीवन-दर्शन हम सबके लिए प्रेरणास्रोत है। उन्होंने सिखाया कि सच्चा धर्म त्याग, सेवा और आत्मसंयम में है। यह छत्तीसगढ़ का सौभाग्य है कि आचार्य जी ने अपने कठोर साधना के अनेक वर्ष यहाँ व्यतीत किए और चंद्रगिरी तीर्थ पर समाधि ली।
श्री साय ने कहा कि जैन धर्म के तीर्थंकरों के दिए आदर्श—अहिंसा परमो धर्मः, अनेकांतवाद, सत्य और संयम—केवल जैन समाज की धरोहर नहीं, बल्कि पूरे राष्ट्र की आत्मा हैं।
कार्यक्रम में सकल दिगम्बर जैन समाज के अध्यक्ष श्री विनोद बड़जात्या ने आचार्य विद्यासागर कल्याण सेवा संस्था द्वारा संचालित आचार्य विद्यासागर कल्याण योजना की जानकारी दी और समाज के सभी लोगों से इस योजना से जुड़ने की अपील की। सीआईआई के अध्यक्ष श्री संजय बड़जात्या ने भी सभा को संबोधित किया।
मुख्यमंत्री श्री साय ने जैन तीर्थों के निर्माण और संरक्षण के लिए श्री मनीष जैन, आयुर्वेद सेवा के लिए श्री विजय गोधा तथा समाज सेवा के लिए श्री सुनील संगोलिया को सम्मानित किया। उन्होंने चांदी पर उत्कीर्ण गुरु-स्मृति तथा आचार्य श्री विद्यासागर द्वारा रचित हाइकू, जिसे चांदी पर उत्कीर्ण किया गया है, का विमोचन भी किया।
इस अवसर पर जैन समाज के अनेक पदाधिकारी और गणमान्य नागरिक उपस्थित थे। इनमें सर्वश्री नरेन्द्र जैन, यशवंत जैन, रतनलाल बड़जात्या, सुधीर बाकलीवाल सहित अन्य प्रतिष्ठित व्यक्तित्व शामिल थे।

मुख्यमंत्री जीएसटी 2.0 रिफॉर्म्स "धन्यवाद मोदी जी" कार्यक्रम में हुए शामिल, पद्मश्री प्राप्त विभूतियों और राष्ट्रीय खिलाड़ियों को किया सम्मानित
रायपुर / शौर्यपथ /
राजधानी रायपुर के मेडिकल कॉलेज सभागार में आयोजित जीएसटी 2.0 रिफॉर्म्स "धन्यवाद मोदी जी" कार्यक्रम में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय शामिल हुए। उन्होंने कहा कि जीएसटी रिफॉर्म्स से आर्थिक क्षेत्र में ऐतिहासिक बदलाव आए हैं, जिनका सीधा लाभ आम जनता को मिल रहा है। जीएसटी दरों में कटौती से 140 करोड़ देशवासियों के जीवन में खुशी आई है।
   कार्यक्रम का आयोजन व्यापार प्रकोष्ठ, आर्थिक प्रकोष्ठ और व्यवसायी प्रकोष्ठ के तत्वावधान में किया गया। रायपुर संभाग के छत्तीसगढ़ चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज की भी उपस्थिति रही।
  मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का यह साहसिक और ऐतिहासिक निर्णय है। उन्होंने धारा 370 हटाने और ट्रिपल तलाक बिल जैसे कठिन निर्णय लेकर यह साबित किया है कि असंभव लगने वाले कार्य भी संभव हैं। जीएसटी रिफॉर्म्स आम लोगों को आर्थिक मजबूती देने वाला कदम है।
   मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में बताया कि वे लगातार लोगों के बीच जाकर जीएसटी दरों में कटौती से मिले लाभ की जानकारी ले रहे हैं। हाल ही में एक मार्ट में गृहणियों से मुलाकात के दौरान उन्होंने महसूस किया कि रसोई के बजट में उल्लेखनीय कमी आई है। गृहणियों के चेहरों पर मुस्कान जीएसटी सुधारों की सफलता का प्रमाण है। किसानों को भी बड़ी राहत मिली है। ट्रैक्टर शोरूम की जानकारी के अनुसार ट्रैक्टर की कीमतों में 65 हजार से 1 लाख रुपये तक की कमी दर्ज हुई है।
  मुख्यमंत्री ने कहा कि विकसित छत्तीसगढ़ के निर्माण में व्यापारियों का बड़ा योगदान होगा। प्रदेश की नई औद्योगिक नीति निवेशकों को आकर्षित कर रही है। हाल ही में जापान और कोरिया की यात्रा के दौरान इन्वेस्टर कनेक्ट कार्यक्रम आयोजित किए गए, जिनमें एशियाई निवेशकों ने छत्तीसगढ़ में निवेश की गहरी रुचि दिखाई। औद्योगिक निवेश से प्रदेश में बड़े पैमाने पर रोजगार का सृजन होगा।
  सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा किए गए जीएसटी सुधार अभूतपूर्व हैं। यह कदम आम आदमी को मजबूत बना रहा है। आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में कमी से जहां जनता को सीधा लाभ मिल रहा है, वहीं देश की अर्थव्यवस्था भी सुदृढ़ हो रही है।
  कार्यक्रम में समाज के विभिन्न क्षेत्रों में विशिष्ट योगदान के लिए पद्मश्री प्राप्त विभूतियों और राष्ट्रीय खिलाड़ियों को सम्मानित किया गया। इनमें जॉन मार्टिन नेल्सन, डॉ. राधेश्याम बारले, उषा बारले, डॉ. पुखराज बाफना, फुलबासन बाई यादव, शमशाद बेगम, डॉ. भारती बंधु, अनुज शर्मा, मदन सिंह चौहान, सबा अंजुम, अजय कुमार मंडावी, हेमचन्द मांझी, पंडी राम, जागेश्वर यादव, राजेन्द्र प्रसाद, राजेश चौहान और नीता डुमरे शामिल रहे।
  इस अवसर पर सांसद रूपकुमारी चौधरी, विधायक पुरन्दर मिश्रा, मोतीलाल साहू, अनुज शर्मा, संपत अग्रवाल, छत्तीसगढ़ राज्य नागरिक आपूर्ति निगम के अध्यक्ष संजय श्रीवास्तव, सीजीएमएससीएल के अध्यक्ष दीपक म्हस्के, छत्तीसगढ़ अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष अमरजीत सिंह छाबड़ा, छत्तीसगढ़ चेम्बर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष सतीश थौरानी, अखिलेश सोनी, श्रीचंद सुंदरानी, लाभचंद बाफना, यशवंत जैन, नवीन मार्कण्डेय, रमेश ठाकुर, जयंती पटेल, हर्षिता पांडेय, अजय भसीन सहित रायपुर संभाग के छत्तीसगढ़ चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के पदाधिकारी उपस्थित रहे।

  रायपुर / शौर्यपथ / भारत मंडपम, नई दिल्ली में 25 से 28 सितम्बर तक आयोजित वर्ल्ड फूड इंडिया 2025 में छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले का ब्रांड जशप्योर ने अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज कराई। आदिवासी महिलाओं की मेहनत और नवाचार से तैयार किए गए महुआ और मिलेट्स आधारित उत्पादों ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर छत्तीसगढ़ की एक नई पहचान बनाई।

एक समय था जब महुआ का उपयोग सिर्फ शराब बनाने के लिए होता था। छत्तीसगढ़ राज्य में हुए नवाचार से अब महुआ से कई अन्य पौष्टिक खाद्य सामग्री बनने लगी है। जिससे महुआ की छवि अब धीरे-धीरे बदल रही है। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय की दूरदर्शी सोच और पहल ने महुआ को शराब से हटाकर पोषण और खाद्य सामग्री से जोड़ दिया है। मुख्यमंत्री श्री साय का कहना है कि महुआ और मिलेट्स जैसे पारंपरिक उत्पादों को आधुनिक विज्ञान और नवाचार के साथ जोड़कर हम ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने के साथ-साथ पोषण और स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी छत्तीसगढ़ का योगदान बढ़ा रहे हैं।

वर्ल्ड फूड इंडिया 2025 में जशप्योर द्वारा प्रदर्शित महुआ नेक्टर को इसके उच्च पोषण मूल्य और दूध, मिठाइयों व पेय पदार्थों में प्राकृतिक स्वीटनर के रूप में उपयोग के लिए विशेष सराहना मिली। महुआ आधारित च्यवनप्राश (बिना शक्कर, गुड़ और शहद), महुआ टी, कूकीज और एनर्जी स्नेक्स ने भी आगंतुकों का ध्यान आकर्षित किया। जशपुर के पारंपरिक मिलेट (कुटकी), कोदो और बकव्हीट से तैयार उत्पाद पन्द्रह से अधिक वैरायटी के मिलेट पास्ता, पौष्टिक स्नैक्स और बेकरी प्रोडक्ट्स ने दर्शकों को आकर्षित किया है। इन उत्पादों ने साबित किया कि ये अनाज भविष्य के सुपरफूड हैं।

प्रदर्शनी में आए अंतरराष्ट्रीय डेलिगेट्स ने जशपुर की आदिवासी महिलाओं की मेहनत और नवाचार की सराहना की। विशेष रूप से एस्वातिनी (Eswatini) देश के कृषि मंत्री और कृषि निदेशक ने महुआ नेक्टर का स्वाद चखकर इसकी गुणवत्ता और पोषण मूल्य की प्रशंसा की।

जशप्योर के पीछे जशपुर की आदिवासी महिला उद्यमी हैं, जो जय जंगल एफपीसी के तहत काम कर रही हैं। उन्होंने फ़ूड-ग्रेड हार्वेस्टिंग और वैज्ञानिक प्रोसेसिंग के माध्यम से महुआ और मिलेट्स को आधुनिक सुपरफूड में बदल दिया है। छत्तीसगढ़ सरकार ग्रामीण उत्पादों को बढ़ावा देने और आदिवासी महिलाओं की आजीविका सशक्त बनाने के लिए लगातार प्रयासरत है।

वर्ल्ड फूड इंडिया 2025 में जशप्योर की प्रभावी उपस्थिति इस बात का प्रमाण है कि परंपरा, मेहनत, नवाचार और मुख्यमंत्री की दूरदर्शी सोच मिलकर ग्रामीण अर्थव्यवस्था और छत्तीसगढ़ की खाद्य संस्कृति को वैश्विक पहचान दिला सकते हैं। जशप्योर अब महुआ और मिलेट्स को शराब की पहचान से हटाकर पोषण और खाद्य की मुख्यधारा से जोड़ने का प्रतीक बन चुका है।

  रायपुर / शौर्यपथ / छत्तीसगढ़ लोक शिक्षण संचालनालय के आदेशानुसार  राज्य के कुल 1227 प्रधान पाठक (प्राथमिक शाला) और बी.एड. प्रशिक्षित स्नातकोत्तर शिक्षक (एल.वी.) को व्याख्याता/व्याख्याता (एल.बी.) टी. संवर्ग में पदोन्नत करने हेतु ऑनलाइन ओपन काउंसलिंग का आयोजन किया गया। यह काउंसलिंग 25 से 28 सितम्बर तक शासकीय शिक्षक शिक्षा महाविद्यालय, शंकर नगर, रायपुर में संपन्न हुई।
    काउंसलिंग के पहले तीन दिनों में अनुपस्थित रहे अभ्यर्थियों के लिए चौथे दिन यानि 28 सितम्बर को विशेष काउंसलिंग आयोजित की गई। इसमें संस्कृत, अंग्रेजी, अर्थशास्त्र, भूगोल और गणित विषय के 5 अभ्यर्थियों की काउंसलिंग कराई गई। इसके अतिरिक्त 165 अनुपस्थित अभ्यर्थियों को लॉटरी के माध्यम से उनके संबंधित जिले/संभाग की शालाओं में रिक्त पदों पर स्थान आवंटित किया गया।
  कुल 1102 अभ्यर्थियों में से 937 अभ्यर्थी काउंसलिंग में उपस्थित रहे, जिससे उपस्थित रहने का प्रतिशत 85.03 प्रतिशत रहा। काउंसलिंग में चयनित सभी अभ्यर्थियों को उनके द्वारा चयनित विद्यालयों में पदस्थापना के लिए नोडल अधिकारी द्वारा नियुक्ति आदेश जारी कर दिए गए हैं।

  रायपुर / शौर्यपथ / मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय ने आज अमर शहीद भगत सिंह की जयंती के अवसर पर राजधानी रायपुर स्थित भगत सिंह चौक पहुँचकर उनकी प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की और माल्यार्पण कर उन्हें नमन किया।

मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय ने कहा कि अमर शहीद भगत सिंह भारत के स्वतंत्रता संग्राम के वह तेजस्वी नायक थे, जिन्होंने अपने अदम्य साहस, अटूट देशभक्ति और सर्वोच्च बलिदान से आने वाली पीढ़ियों के लिए अमिट प्रेरणा छोड़ी है। उनका जीवन हमें यह सिखाता है कि राष्ट्रहित सर्वोपरि है और स्वतंत्रता के लिए त्याग ही सच्ची देशभक्ति का प्रतीक है। मुख्यमंत्री ने कहा कि भगत सिंह के विचार और आदर्श आज भी युवाओं को राष्ट्र निर्माण में सक्रिय भागीदारी के लिए प्रेरित करते हैं।

इस अवसर पर रायपुर उत्तर विधायक श्री पुरंदर मिश्रा, सीजीएमएससी अध्यक्ष श्री दीपक म्हस्के, अल्पसंख्यक बोर्ड के अध्यक्ष श्री अमरजीत छाबड़ा एवं अन्य गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।

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