August 12, 2025
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शौर्यपथ

शौर्यपथ

लाइफस्टाइल /शौर्यपथ /कोरोना वायरस से बचाव के लिए हर बेजोड़ कोशिश भी की जा रही है। वैक्सीनेशन अभियान भारत में तेजी से चलाया जा रहा है। इसी के साथ अलग - अलग पद्धति का प्रयोग भी किया जा रहा है ताकि इस बीमारी से लोगों की जान बचाई जा सकें। उन्हीं में से एक है
प्लाज्मा थैरेपी।
संपूर्ण देश में जो कोविड पैशेंट्स ठीक हो गए हैं उनसे प्लाज्मा डोनेट करने के लिए कहा जा रहा है। आखिर ये प्लाज्मा क्या है? कैसे इसे डोनेट किया जा सकता है? कौन इसे डोनेट कर सकता है और कौन नहीं? कब इसे डोनेट किया जा सकता है? आइए जानते हैं प्लाज्मा के बारे में सबकुछ -
प्लाज्‍मा क्या है?
प्लाज्मा खून में मौजूद तरल पदार्थ होता है। यह पीले रंग का होता है। इसकी मदद से सेल्स और प्रोटीन शरीर के विभिन्न अंगों में खून पहुंचाता है। शरीर में इसकी मात्रा 52 से 62 फीसदी तक होती है। वहीं रेड ब्लड सेल्स 38 से 48 फीसदी तक होता है।
प्लाज्मा थैरेपी क्या होती है?
जो व्यक्ति कोविड-19 से ठीक हो गए है। उनकी बॉडी से खून निकालकर प्लाज्मा को अलग किया जाता है। जिस कोविड पैशेंट की बॉडी से प्लाज्मा लिया जाता है उसके ब्लड में एंटीबाडीज होती है। वह एंटीबाडीज एंटीजन से लड़ने में मदद करती है। यह एंटीबाडीज कोविड संक्रमितों को दी जाती है। डॉ के मुताबिक एक इंसान के प्लाज्मा से दो इंसानों का इलाज किया जा सकता है।
प्लाज्मा कब डोनेट किया जा सकता है?
कोविड से ठीक होने के दो सप्ताह यानि 14 दिन बाद आप रक्त डोनेट कर सकते हैं।
प्लाज्मा कौन डोनेट नहीं कर सकता है?
डायबिटीज, कैंसर, हाइपरटेंशन, किडनी, लिवर के पैशेंट प्लाज्मा डोनेट नहीं कर सकते हैं।
प्लाज्मा से रिएक्शन का खतरा भी रहता है?
इससे एलर्जिक रिएक्शन, सांस लेने में प्रॉब्लम हो सकती है। हालांकि आज की स्थिति में प्लाज्मा से कई लोग ठीक हो रहे हैं। यह समस्या बहुत दुर्लभ स्थिति में हो रही है। इटली में प्लाज्मा थेरेपी से मृत्यदर में गिरावट दर्ज की गई है।
वैक्सीन और प्लाज्मा थेरेपी में क्या अंतर है?
दोनों आपकी बॉडी में एंटीबाडीज पैदा करती है। लेकिन तरीका अलग - अलग है। जी हां, वैक्सीन किसी वायरस को आपकी बॉडी में फैलने से रोकने में मदद करती है। यह आपके इम्यून सिस्टम को मजबूत करती है। इसका परीक्षण कर इसे बनाया जाता है। करीब 1 साल या उससे अधिक समय भी लग जाता है।
प्लाज्मा किसी व्यक्ति के बॉडी में तैयार एंटीबाडीज की मदद से दूसरे की बॉडी में दिया जाता है। इससे कोरोना से ठीक हो चुके एक व्यक्ति के द्वारा दूसरे व्यक्ति का इलाज किया जाता है।
प्लाज्मा थेरेपी का इस्तेमाल किन - किन देशों में किया जा रहा है?
प्लाज्मा थेरेपी का इस्तेमाल आज के वक्त में भारत सहित अन्य 20 देशों में भी किया जा रहा है। उनमें - अमेरिका, ब्रिटेन, स्पेन और इटली प्रमुख देश हैं।

खाना खजाना /शौर्यपथ / कोरोना महामारी ने एक बार फिर से पूरी दुनिया को चारदीवारी में कैद करके रख दिया है। लेकिन मौके का फायदा उठाया जाए तो यह समय बहुत उपयोगी हो सकता है। यह वक्त ऐसा है कि बच्चे घर में रहकर कई तरह की रेसिपी सीख सकते हैं।
1. पॉपकॉर्न- बच्चे अलग-अलग तरह के पॉपकॉर्न घर पर बना सकते हैं।
सामग्री- डेढ़ चम्मच तेल, पौन कटोरी मक्की, चीज, पैरी-पैरी मसाला या जीरावन और नमक।
विधि- सबसे पहले गैस पर कुकर रखकर उसमे डेढ़ चम्मच तेल डालें। तेल हल्का सा गर्म होने के बाद उसमें मक्की डाल दें और कुकर पर सिर्फ ढक्कन रख दें। सेफ्टी के लिए आप उसे 2 मिनट पकड़ भी सकते हैं। धीरे-धीरे मक्की फूटने लगेगी। जब सारी मक्की फूट जाएं तब उसे एक बड़े बर्तन में निकालकर गरम-गरम पॉपकॉर्न पर स्वादनुसार नमक डाल लें। इसके बाद आपके पास चीज या पैरी-पैरी मसाला हो तो वह भी डाल सकते हो। मैगी मसाला भी डाल सकते हैं। यह नहीं होने पर जीरावन भी डाल सकते हो। बस देखो आपके पॉपकॉर्न तैयार हो गए।
2. पुलाव
सामग्री- चावल बने हुए, हरी मिर्च, प्याज, स्वीट कॉर्न, अनार के दाने, दाख, काजू और खड़ा मसाला।
विधि- सबसे पहले कड़ाही में ढाई चम्मच तेल रखें, उसे हल्का सा गर्म होने दें। इसके बाद उसमें हींग, थोड़ी राई और जीरा डालें। इसके बाद बारीक कटे हुए प्याज, स्वीट कॉर्न, शिमला मिर्च, हरी मिर्च और खड़ा मसाला डाल दीजिए। सब्जी हल्की सी बफ जाने के बाद उसमें हल्दी डाल दें। सब अच्छे से मिक्स कर लें। आखिरी में चावल डाल दें। आपका पुलाव तैयार है।
3. सैंडविच
सामग्री- ब्रेड, सेंव, टोमेटो सॉस, हरी चटनी, गोल कटे हुए प्याज, बटर और चीज
विधि- सबसे पहले ब्रेड पर हरी चटनी लगाएं। उस पर हल्का-सा टॉमेटो सॉस लगाएं। फिर गोल प्याज के टुकड़े रखें, सेंव डाले और चीज बारीक करके डाल दें। दूसरी ब्रेड पर आप सिर्फ हरी चटनी लगाएं। इससे ब्रेड फीकी नहीं लगेगी। इसके बाद तवा गरम कर उस पर हल्का सा बटर डाल दें और ब्रेड रखकर सेक लें। जब तक सैंडविच दोनों तरफ से हल्का सा कड़क नहीं हो जाता है तब तक उसे सेंकते रहें। अब गरमा-गरम आपका सेंव प्याज सैंडविच तैयार है।
4. रोटी पोहा
सामग्री- बासी रोटी, बारीक प्याज, 1 हरी मिर्च, नमक, चीनी, तेल
विधि- सबसे पहले रोटी को अच्छा बारीक कर लें। इसके बाद उसमें पहले ही नमक और चीनी स्वादानुसार मिक्स कर लें। एक कड़ाही में 2 चम्मच तेल रखें। हल्का सा गरम होने पर थोड़ी सी राई, हल्दी, हरी मिर्च और प्याज डाल दें। प्याज हल्के से पकने के बाद रोटी का चूरा डाल दें। ध्यान रहे ज्यादा देर तक गैस पर नहीं पकाएं। इससे वह कड़क हो जाएंगे। गैस बंद करने से पहले उसमें थोड़ा सा पानी का छिड़काव कर दें। ताकि वह नरम रहें। इसके बाद आप इसे हरा धनिया, सेंव और नींबू डालकर खा सकते हैं।
5. भजिए
जी हां, कभी भी भूख लगने पर आप एक साथ कई वैरायटी के भजिए बना सकते हैं। आलू, प्याज, आम, केले। सभी को बनाने की विधि एक ही है। एक ही जैसा बेसन का घोल बनेगा।
सामग्री- 1 कटोरी बेसन, 1 कटोरी पानी, आलू, प्याज, आम और केले के छोटे-छोटे पीसेस तैयार करके रख लें। लाल मिर्च, नमक, जीरा, हरी मिर्च, हींग, तेल।
विधि- सबसे पहले बेसन को घोल लें। ध्यान रहे बेसन पतला नहीं हो। इसके बाद उसमें 1 चम्मच लाल मिर्च, स्वादनुसार नमक, थोड़ा सा जीरा, बारीक हरी मिर्च, आखिरी में थोड़ा-सा तेल भी मिक्स करें।। सभी को अच्छे से मिक्स कर लें। इसके बाद कड़ाही रखकर उसमें तेल डाल लें। गर्म होने पर एक-एक कर सभी तरह के भजिए बना लीजिए।

आस्था /शौर्यपथ / इस साल अक्षय तृतीया 14 मई 2021 को है। अक्षय तृतीया को सर्वसिद्ध मुहूर्त माना गया है। जिस तरह दीपावली के दिन लक्ष्मी की कृपा प्राप्त की जा सकती है उसी तरह अक्षय तृतीया को भी लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए उपाय किए जा सकते हैं...
अक्षय तृतीया पर बना है धन योग का संयोग
अक्षय तृतीया पर चंद्रमा का शुक्र के साथ शुक्रवार को वृष राशि में गोचर, धन, समृद्धि और निवेश के लिए बहुत ही शुभ फलदायी है। अक्षय तृतीया पर चंद्रमा संध्या काल में मिथुन राशि में प्रवेश करेंगे। मिथुन राशि में इस समय मंगल का संचार हो रहा है। ऐसे में चंद्रमा के मिथुन राशि में आने से यहां धन योग का निर्माण होगा।
लॉक डाउन के कारण अगर आप सोना नहीं खरीद सकते हैं तो निराश होने की आवश्यकता नहीं है। आप मात्र 5 रुपए की चीज घर में रखकर भी शुभता प्राप्त कर सकते हैं।
1। मिट्टी का दीपक : मिट्टी की महत्ता सोने के बराबर है। अगर सोने की खरीदी न कर सके तो मिट्टी का कोई भी पात्र या मिट्टी का एक छोटा दीपक भी अक्षय तृतीया के दिन घर में शुभता ला सकता है।
2। मौसमी फल : अक्षय तृतीया के शुभ मुहूर्त में मौसम के रसीले फल रखना भी शुभ होता है। आप कम से कम कीमत में अच्छे फल रख सकते हैं।
3। कपास : अक्षय तृतीया पर 5 रुपए की कपास यानी रुई भी रखी जा सकती है।
4। नमक : अक्षय तृतीया पर सेंधा नमक घर में रखना शुभ माना जाता है। लेकिन इस नमक का सेवन कतई न करें।
5। पीली सरसो : मुट्ठी भर पीली सरसो रखने से मां लक्ष्मी का आशीष मिलता है।
लॉक डाउन के कारण खरीदी सम्भव नहीं है तो घर में रखी सामग्री को शुद्धकर प्रयोग कर सकते हैं.....
अक्षय तृतीया शुभ मुहूर्त
तृतीया तिथि का आरंभ: 14 मई 2021 को प्रात: 05 बजकर 38 मिनट से।
तृतीया तिथि का समापन: 15 मई 2021 को प्रात: 07 बजकर 59 मिनट तक।
अक्षय तृतीया पूजा मुहूर्त: प्रात: 05 बजकर 38 मिनट से दोपहर 12 बजकर 18 मिनट तक
अवधि: 06 घंटा 40 मिनट

धर्म संसार / शौर्यपथ /अमावस्या के दिन चन्द्र नहीं दिखाई देता अर्थात जिसका क्षय और उदय नहीं होता है उसे अमावस्या कहा गया है, तब इसे 'कुहू अमावस्या' भी कहा जाता है। अमावस्या सूर्य और चन्द्र के मिलन का काल है। इस दिन दोनों ही एक ही राशि में रहते हैं। इस बार अमावस्या वैशाख अमावस्या की तिथि अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार 11 मई 2021 को मंगलवार के दिन है। मंगलवार होने के कारण इसे भौम अमावस्या या भौमवती अमावस्या भी कहते हैं। भौमवती अमावस्या तिथि 10 मई की रात 09 बजकर 55 मिनट से प्रारंभ हो जाएगी जो 12 मई को 12 बजकर 29 मिनट पर समाप्त होगी। ऐसे में हनुमानजी की पूजा का महत्व बढ़ जाता है।
अमावस्या की प्रकृति : अमा‍वस्या के दिन भूत-प्रेत, पितृ, पिशाच, निशाचर जीव-जंतु और दैत्य ज्यादा सक्रिय और उन्मुक्त रहते हैं। ऐसे दिन की प्रकृति को जानकर विशेष सावधानी रखनी चाहिए। इस दिन किसी भी प्रकार की तामसिक वस्तुओं का सेवन नहीं करना चाहिए। इस दिन शराब आदि नशे से भी दूर रहना चाहिए। इसके शरीर पर ही नहीं, आपके भविष्य पर भी दुष्परिणाम हो सकते हैं।
ज्योतिष में चन्द्र को मन का देवता माना गया है। अमावस्या के दिन चन्द्रमा दिखाई नहीं देता। ऐसे में जो लोग अति भावुक होते हैं, उन पर इस बात का सर्वाधिक प्रभाव पड़ता है। लड़कियां मन से बहुत ही भावुक होती हैं। इस दिन चन्द्रमा नहीं दिखाई देता तो ऐसे में हमारे शरीर में हलचल अधिक बढ़ जाती है। जो व्यक्ति नकारात्मक सोच वाला होता है उसे नकारात्मक शक्ति अपने प्रभाव में ले लेती है।
हनुमान पूजा :
1. अमावस्या के दिन विशेष रूप से हनुमानजी की पूजा या उनका पाठ करने से व्यक्ति नकारात्मक विचार और शक्तियों से बच जाता है। इसके लिए हनुमान चालीसा पढ़ें, बजरंग बाण बढ़ें या सुंदरकाण्ड पढ़ें। हनुमानजी की मूर्ति या तस्वीर के सामने दीपक जलाएं और साफ आसन पर बैठकर हनुमान चालीसा का पाठ करें। आप चाहें तो श्रीराम दूताय नम: मंत्र का जाप भी कर सकते हैं।
2. मंगल दोष से मुक्ति के लिए इस दिन हनुमान जी को सिंदूर का चोला चढ़ाएं, गुड़ और चने का प्रसाद बांटें, चमेली के तेल और सिंदूर से अभिषेक करें। हनुमान मंत्र का जाप करें।
3. हनुमानजी को पान का बीड़ा अर्पित करें और अपनी मनोकामना उन्हें बताएं। भय से मुक्ति हेतु इस दिन निरंत हनुमानजी के 12 नामों का जप करते रहें।
भौमवती अमावस्या के दिन तांबे का त्रिकोण मंगल यंत्र घर में स्थापित करके नित्य इसकी पूजा कर मंगल स्तोत्र का पाठ करें। यंत्र पर लाल चंदन का तिलक करें। इससे आपको धनलाभ प्राप्त होगा। भौमवती अमावस्या के दिन श्रीयंत्र की विधिवत पूजा करें और श्रीसूक्त का पाठ करें। यह उपाय करने से भी आपकी आर्थिक संकट दूर होगा और आपको धन लाभ मिलेगा।

शौर्यपथ लेख /  3 अप्रैल 2021 एक ऐसा दिन जब नक्सलियों के कायराना हमले में हमारे 22 जांबाज भाई शहीद हो गए। इस दुखद घटना से मेरे जेहन में अपने दंतेवाड़ा और सुकमा में बिताए 4 वर्षों की स्मृतियां उभरने लगीं। यहां घटित हर नक्सली घटना के बाद विशेषज्ञों और बुद्धिजीवियों में यही चर्चा होती है कि नक्सलवाद ग्रामीणों के समर्थन पर टिका है और इसी के बूते फलफूल रहा है। मुझे तब लगता है कि सबसे बड़ा दुष्प्रचार ग्रामीणों के लिए यही होगा कि उन्हें नक्सलियों से जोड़ा जाए और उन्हें नक्सलियों का हितैषी माना जाए। यह बात कॉरपोरेट ऑफिस में बैठकर या किसी ऐसी बड़ी घटना होने के बाद एक या 2 दिन घटनास्थल जाकर नक्सल प्रभावित क्षेत्र के गांव में भ्रमण कर नहीं जानी जा सकती, मैं ऐसा इसलिए कह रहा हूं, क्योंकि मैंने अपने कार्यकाल के 4 साल 2015 से 19 नक्सल प्रभावित क्षेत्र दंतेवाड़ा एवं सुकमा में बिताए हैं, जिसमें 3 साल मैंने एसडीओपी दोरनापाल के रूप में जो कि सुकमा जिले में स्थित है कार्य किया है। इस दौरान हमने वहां ग्रामीणों को जोडऩे वाला एक अभियान तेदमुन्ता बस्तर चलाया जिसके तहत हम नक्सल गढ़ कहे जाने वाले सुकमा के अति नक्सल प्रभावित गांव में जाकर ग्रामीणों के साथ बैठक कर उन से निरंतर संवाद स्थापित कर वहां की वास्तविक स्थिति को समझा है। इसलिए मैं यह दावे के साथ कह सकता हूं कि कोई भी ग्रामीण नक्सलियों का साथ नहीं देना चाहता, क्योंकि वह चाहते ही नहीं कि उनके क्षेत्र में नक्सलवाद रहे। ऐसा कहने के पीछे तार्किक कारण यह है कि तेदमुंता बस्तर अभियान के दौरान जब हम अनेक गांव में जाकर बैठक लेते थे। तब हम वहां उपस्थित ग्रामीणों को पूछते थे कि क्या आप नक्सलवाद का खात्मा चाहते हैं तो वह बोलते थे हां।
फिर हम उन्हें बताते थे कि 3 तरीके से नक्सलवाद को खत्म किया जा सकता है।
पहला शिक्षा जिसमें हम बताते थे कि शिक्षा के माध्यम से नक्सलवाद खत्म किया जा सकता हैं परंतु यह एक लंबी प्रक्रिया है जिसमें आने वाली पीढ़ी नक्सलवाद के चंगुल से मुक्त हो जाएगी। दूसरा एकता इसके माध्यम से प्रत्येक गांव नक्सलियों के खिलाफ खड़ा होकर उनसे प्रश्न करेगा कि 40 वर्षों में नक्सलियों ने उन्हें क्या दिया है? और इस प्रकार नक्सलियों का विरोध एक-एक करके सभी गांव वाले करना शुरू करेंगे और इस एकजुटता और एकता के माध्यम से नक्सलवाद खत्म किया जा सकता है।
तीसरा तरीका 1857 की क्रांति जैसा कुछ जिसमें हम कोई दिन निर्धारित करेंगे और इस दिन सभी गांव वाले एक साथ अपने अपने घरों एवम गांव से निकलेंगे, और बड़ी संख्या में उस क्षेत्र की ओर जाएंगे जहां पर नक्सली रहते हैं, और पूरी एक श्रृंखला बनाते हुए हम गांव, जंगल, नदी, पहाड़ पार करते उनको खोजते हुए आगे बढ़ते जाएंगे। हमारे हाथ में जो भी औजार हथियार, डंडा, हँसिया, धनुष आये उसे लेकर चलेंगे, और जो भी नक्सली मिले उसे बोलें या तो आत्मसमर्पण कर दे नहीं तो वह मारा जाएगा। इस प्रकार हम पूरे नक्सली खत्म कर देंगे। तब उनके बीच से कोई पूछता था इसमें पूरे गांव वाले जाएंगे ना ? क्योंकि उन्हें डर था कि कोई एक गांव वाले भी यदि नही जाएंगे तो उनको खतरा हो जाएगा।


तीसरे तरीक़े को सुनने के बाद एक अजीब सी खुशी उनके चेहरे में दिखाई देती थी। जैसे वह यह बोल रहे हो कि काश ऐसा हो पाता जब मैं यहां पूछता कि इन तीनों ही तरीकों में से कौन सा तरीका आप नक्सलवाद के खात्मे के लिए चुनेंगे? तो वह हंसते हुए तीसरे तरीके की ओर इशारा करते, उनके इस संकेतों से यह स्पष्ट था कि वो कितने आतुर हैं कि नक्सलवाद उनके क्षेत्र से समाप्त हो जाए। क्योंकि उन्हें भी पता है कि नक्सलियों ने उन्हें इन 40 सालों में कुछ नहीं दिया ना सड़क ना बिजली ना पानी ना स्वास्थ्य सुविधाएं अगर नक्सली जनता के लिए लड़ रहे हैं तो इन 40 वर्षों में नक्सली जनता को मूलभूत सुविधाए तो दे ही सकते थे। अपितु सरकार द्वारा दी जा रही सुविधाओं से भी उन्हें नक्सली मरहूम कर रहे है। नक्सलवाद की जमीनी हकीकत जानने के लिए यह जानना भी आवश्यक है कि छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद आया कैसे ? छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद 1980 के आसपास तेलंगाना क्षेत्र से आए 7 समूहों जो की 7 - 7 सदस्यों के रूप में आए थे, वहां से पनपा। इन लोगों ने कैसे छत्तीसगढ़ को पूरे भारत का नक्सलवाद का केंद्र बना दिया इसके लिए यहां की भौगोलिक सांस्कृतिक एवं पिछड़ेपन की परिस्थिति प्रमुख रही। मेरे विचार से इस क्षेत्र में नक्सल समस्या इसलिए नहीं है क्योंकि ये क्षेत्र विकसित नहीं है या यहाँ विकास नहीं हुआ है 7 बस्तर क्षेत्र के आदिवासी तो पकृति के साथ जीते है , एवं अपनी विकसित संस्कृति के साथ वे खुश थे। उन्हें शहरी मॉल संस्कृति या औद्योगीकरण की चाह नहीं थी , ना ही वे संचयी प्रवित्ति के लोग है वे तो सुबह जंगल जाकर वनोपज संग्रह कर शाम उसे उपभोग करना जैसी अपनी सिमित आवश्कताओं से खुश रहते थे 7 जब नक्सल लीडर इन क्षेत्र में आये तो उन्हें यहाँ के निवासियो का भोलापन तथा निस्वार्थ छबि तथा यहाँ की भौगोलिक स्थिति उपयुक्त लगी , फिर यहाँ के भोले भाले आदिवासियों को बहकाने का उन्होंने खेल खेला 7 इन लीडरो ने उन आदिवासियों को यह विशवास दिला दिया की सरकार या प्रशासन उनके जल , जंगल, जमीन पर अधिकार कर लेगी, और उन्हें यहाँ से बेदखल कर देगी। उन्होंने इस क्षेत्र में चलने एवम् खुलने वाले खनिज खदानों एवम् उनसे होने वाले विस्थापितों का उदाहरण प्रस्तुत किया। साथ ही व्यापारियो द्वारा किये जा रहे शोषण आदि का भी हवाला दिया , और उन्हें धीरे धीरे अपने साथ मिलाना शुरू किया 7 फिर इन खनिज खदानों के कारण होने वाले जमीन अधिग्रहण एवम् विस्थापन का विरोध शुरू हुआ , इन सब पर नियत्रण करने के लिए अधिक से अधिक पुलिस बल को यहाँ स्थापित किया गया 7 इस तरह नक्सलियो को यहाँ अपना विस्तार करने के लिए एक उपयुक्त नींव मिल गयी। इस प्रकार नक्सलियों के द्वारा इस झूठ के दम पर अपना प्रचार करना शुरू कर दिया गया। परंतु ऐसा नहीं था कि उस समय लोगों को यह समझ नहीं आ रहा था कुछ लोग ऐसे भी थे जिन्हें यह एहसास हो चुका था कि नक्सली झूठे है और जल, जंगल, जमीन की बात कर वे लोगों को बरगला रहे हैं। ऐसे लोगों ने जब उनका विरोध करना शुरू किया तो नक्सलियों ने अपना असली चेहरा दिखाना शुरू किया। नक्सलियों द्वारा ऐसी पहली राजनीतिक हत्या 1986 में माड़वी जोगा नामक ग्राम पटेल की गई, क्योंकि वह नक्सलियों की हकीकत जान कर उनके विरोध में उठ खड़ा हुआ था। उसके बाद लगातार नक्सलियों द्वारा हत्याओं का सिलसिला शुरू हुआ जो आज तक अनवरत जारी है। अब मैं फिर से उसी पुराने प्रश्न पर आता हूं क्या ग्रामीण नक्सलियों का समर्थन करते हैं ? इसके जवाब में मैं यहां बताना चाहूंगा कि तेदमुन्ता बस्तर अभियान के दौरान जब मैं विभिन्न गांव में बैठकें लेता तो उस संवाद में हमारा उनसे एक प्रश्न होता था कि इस गांव से कितने ग्रामीणों को की हत्या नक्सलियों द्वारा अभी तक की गई है ? आप विश्वास नहीं करेंगे हमने ऐसा कोई भी गांव नहीं पाया जहां नक्सलियों द्वारा ग्रामीणों की हत्या नहीं की गई हो और कोई कोई गांव उदाहरण दोरनापाल जगरगुंडा रोड से 5 किलोमीटर अंदर दूरी पर स्थित पालामडग़ू गांव में नक्सलियों ने विभिन्न समय पर 17 ग्रामीणों को मौत के घाट उतारा था। बैठकों के दौरान हमने पाया कि औसतन 4 से 5 ग्रामीणों की हत्या सभी गांव में नक्सलियों द्वारा की गई थी। उनमें से कुछ गांव का नाम मैं बताना चाहूंगा गोलगुंडा, पोलमपल्ली, पालामडग़ु, अर्र्णमपल्ली, जग्गावरम, डब्बाकोन्टा, रामाराम, पिडमेल, कांकेरलंका, पुसवाड़ा, तिमिलवाड़ा, बुर्कापाल, चिंतागुफा गोडेलगुड़ा, मेड़वाही, इत्तगुड़ा, पेंटा, मिसमा, पेदाकुर्ति, गगनपल्ली, एर्राबोर...... यूं तो गांव के नामों की सूची काफी लंबी है, परंतु इन उदाहरणों से मैं आपको यह बताना चाहता हूं कि, आप इन गांव में हुए नक्सली बर्बरता और हत्या की जानकारी ले सकते हैं।
अब मैं आपको यह पूछना चाहूंगा कि देश के बाहुबली गुंडे इनके खिलाफ कितने लोगों ने आवाज बुलंद करने की हिम्मत की है? जिन्होंने भी हिम्मत कि ऐसे गुंडों बदमाशों ने उनकी हत्या कर दिया या करवा दी तो नक्सली भी इन गुंडे बदमाशों से कहां अलग है? कोई उनके खिलाफ आवाज उठाता है, तो पूरे गांव वालों को बुलाकर जनअदालत लगाकर निर्ममता पूर्वक सबके सामने में उसकी हत्या कर दी जाती है। और उस पर झूठे आरोप लगाए जाते हैं कि वह पुलिस मुखबिर है, ऐसे झूठे आरोप लगाकर हत्या करना उनकी एक रणनीति का हिस्सा है, क्योंकि वे आतंक का माहौल बनाकर लोगों को अपने विरुद्ध ना खड़े हो इसके लिए हत्या का उदाहरण प्रस्तुत करते है। ग्राम पलामडग़ू में जब मैं एक बार बैठक लेने गया तो वहां पर ग्रामीणों से मैंने पूछा कि आप नक्सलियों का साथ क्यों देते हैं? तो वहाँ उपस्थित ग्रामीणों में से बैठा हुआ एक युवक खड़ा हुआ और बहुत हिम्मत करते हुए उसने बोला अगर हम उनका साथ नहीं देंगे सर तो वह ( नक्सली ) हमें मार देंगे। बाद में मुझे पता चला कि पूर्व में उस युवक के पिता की हत्या भी नक्सलियों के द्वारा कर दी गई थी।
यह लेख मैंने वहाँ रहते हुए अपने अनुभव के आधार पर लिखा है। और कोशिश की है कि वहाँ की सच्चाई आप लोगों तक पहुँचाऊ। मुझे पूरा विश्वास है कि एक दिन जरूर आएगा जब स्थानीय आदिवासी नक्सलवाद से त्रस्त होकर तीसरा तरीका अपनाते हुए अपने घरों से गांव से निकलेंगे, और उस दिन पूरे आदिवासी नक्सलवाद का खात्मा सुनिश्चित करेंगे। और वह दिन कोई सरकार द्वारा प्रायोजित या राजनीतिक आंदोलन (सलवा जुडूम जैसा) से प्रभावित ना होकर उनका स्वत:स्फूर्त आंदोलन होगा, जिसमें नक्सलवाद का खात्मा निश्चित ही होगा।

लेख - विवेक शुक्ला
सीएसपी , दुर्ग शहर ( छत्तीसगढ़ पुलिस )

दुर्ग / शौर्यपथ / दुर्ग नगर पालिक निगम में नित नए विवादों और घोटालो के बिच एक नया मामला सामने आया है . दुर्ग नगर निगम में भूपेश सरकार की नीतियों के प्रसार के लिए शासन से जो भी सामग्री आती है वह कूड़े के ढेर में परिवर्तित हो जाती है . दुर्ग नगर निगम में आज भी ऐसे कई स्थान है जहां भूपेश सरकार की योजनाओं के प्रसार के लिए आने वाली सामग्री जो नियमानुसार आम जनता तक पहुंचाने का कार्य दुर्ग नगर निगम के जिम्मे है वह प्रसार सामग्री आज दुर्ग निगम के कमरों में कूड़े के ढेर की शक्ल में पड़ी है .


छत्तीसगढ़ में १५ साल बाद कांग्रेस सरकार के मुखिया भूपेश बघेल ने जनहित से जूसी ऐसी कई योजनाये जमीन पर उतारी है जिससे समूह चलाने वाली महिलाओं को , किसानो को , बिजली उपभोक्ताओं को , जमीन खरीदी बिक्री में आसान नियमो से सम्बंधित जैसी कई योजनाओं का प्रसार करने के लिए शासन ने और सम्बंधित विभाग ने प्रसार सामग्री के रूप में पोस्टर , बेनर , पत्रिका आदि बनाया और निकाय क्षेत्रो में इसके प्रसार के लिए निगम प्रशासन के सुपुर्द किया किन्तु दुर्ग निगम एक ऐसा निगम बनता जा रहा है जो अपने हर कार्य में एक ना एक विवाद को जन्म दे ही देता है . वर्तमान मे यही लापरवाही दुर्ग निगम मे भी देखने को मिल रही है और इस बार दुर्ग निगम के अधिकारियों ने आम जनता के साथ नहीं प्रशासन के साथ भी लापरवाही वाला व्यवहार कर दिया .


जिस प्रसार सामग्री को बांटने की जवाबदारी मंत्रालय से मिली उस प्रसार सामग्री को निगम प्रशासन ने कूड़े के ढेर के रुप मे बदल दिया . दुर्ग के नव नियुक्त निगम आयुक्त हरेश मंडावी ने जब पद भार ग्रहण किया तब निगाम्के हर हिस्से का निरिक्षण किया किन्तु तब भी उन्हें शासन की प्रसार सामग्री नजर नहीं आयी ये आश्चर्य की बात है . विगत तीन महीनो से ये प्रसार सामग्री निगम के कई कमरों में कूड़े के ढेर के रूप में राखी है और कोई भी अधिकारी इस पर गंभीर नहीं . सुनने में यह भी आ रहा है कि इसमें से कई ढेर को निगम के कुछ कर्मचारियों द्वारा रद्दी के भाव में भी बेज दिया गया है .
निगम की इस लापरवाही पर क्या दुर्ग जिलाधीश संज्ञान लेंगे या मामला एक बार फिर फाइल में दब जायेगा . अब देखना यह है कि प्रदेश के कांग्रेस सरकार की योजनाओं की प्रसार सामग्री के कूड़े के ढेर में बदलने पर निगम की कांग्रेस सरकार के मुखिया क्या कदम उठाते है ?

रायपुर / शौर्यपथ / आज पूरे विश्व के सामने कोरोना संकट छाया हुआ है। संकट से निपटने देश एवं प्रदेश जी जान से जुटा है। यह हमारी परीक्षा की घड़ी है, किसी भी कठिन परीक्षा की घड़ी का सामना करना हो तो धैर्य होना आवश्यक है। यदि हम हिम्मत रखे और योजनाबद्ध तरीकों से प्रयास करें तो जरूर सफलता मिलती है। ये बात इस कोरोना संकट में भी लागू होती है। पहले की अपेक्षा कोरोना संक्रमण सुधर रही है और जल्द ही इस संकट से मुक्ति पा लेंगे। यह बात राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके ने स्वामी विवेकानंद तकनीकी विश्वविद्यालय भिलाई द्वारा आयोजित वेबिनार ‘‘कोविड-19 जागरूकता एवं बचाव’’ में अपने संबोधन में कही। राज्यपाल ने चिकित्सकों, स्वास्थ्यकर्मी, सफाई-कर्मचारी, सुरक्षाबल, पुलिसकर्मी, मीडियाकर्मी सहित सभी कोरोना वारियर्स को धन्यवाद देते हुए कहा कि जिस प्रकार से इस संकट के पहले चरण में और अब भी जिस समर्पण भाव से सेवा कर रहे है वह सराहनीय है।
राज्यपाल ने कहा कि कोरोना के खिलाफ अब तक बड़ी मजबूती से और बड़े धैर्य से जो लड़ाई हम सभी ने लड़ी है। इसका श्रेय आप सभी राज्यवासियों को ही जाता है। जिसने अनुशासन व धैर्य के साथ कोरोना से लड़ते हुए राज्य को और देश को यहां तक लाए हैं। मुझे विश्वास है कि जनभागिदारी की ताकत से हम कोरोना के तूफान को परास्त कर पाएंगे।
उन्होंने कहा कि वर्तमान में हमारा राज्य संकट से जूझ रहा है, ऐसे प्रतिकूल परिस्थितियों मंे शैक्षणिक संस्थाओं की भूमिका भी अहम हो जाती है। इस समय हमें लड़ाई को जीतने के लिए सही सलाह और सहयोग को प्राथमिक्ता देनी है। मैं सभी कालेजों के प्रिंसिपल और निदेशकों सेआग्रह करती हूं कि अपने कॉलेज के छात्र-छात्राओं और अध्यापकों के माध्यम से जागरूकता अभियान चलाए और आम जनता को जागरूक करें। साथ ही जरूरतमंद को चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराना, फोन या वाटसअप पर डाक्टरों से परामर्श दिलाना-काउंसलिंग कराना, उनके मन का डर का दूर करने के लिए स्थानीय निवासियों की सहायता से सकारात्मक वातावरण विकसित करना इत्यादी प्रयास करें।
उन्होंने कहा कि भारत में कोरोना वायरस के खिलाफ प्रभावी वैक्सीन बनाने का काम काफी पहले शुरू कर दिया था और हम सफल भी हुए। हमारे वैज्ञानिकों ने दिन रात एक करके बहुत कम समय में देशवासियों के लिए वैक्सीन विकसित किया हैं। आज दुनिया की सबसे सस्ती वैक्सीन भारत के पास है। एक टीम एफर्ट के साथ हमारा भारत दो मेड इन इंडिया वैक्सीन के साथ दुनिया का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान शुरू कर पाया।
उन्होंने कहा कि टीकाकरण के पहले चरण से ही गति के साथ ही इस बात पर जोर दिया गया कि ज्यादा से ज्यादा क्षेत्रों में जरूरतमंदों तक वैक्सीन पहुंचे और फ्रंटलाइन वर्कर जैसे चिकित्सक, पुलिसकर्मी इत्यादि को वैक्सीनेशन किया गया। अब 18 वर्ष के ऊपर आयु वाले को वैक्सीन लगाया जा रहा है। अतः मेरा आग्रह है कि अधिक से अधिक लोग वैक्सीनेशन कराएं। इस वेबिनार में कुलपति श्री एम.के. वर्मा सहित विश्वविद्यालय से संबंधित विभिन्न कॉलेजों के निदेशक एवं प्राचार्यगण उपस्थित थे।

दुर्ग / शौर्यपथ / शहर में पेयजल की व्यवस्था को बेहतर करने एवं अमृत मिशन के मंथर गति से चल रहे कार्यों को गति देने के लिए दुर्ग निगम महापौर धीरज बाकलीवाल लगातार कार्यो पर नजर रखे हुए है । पिछले सप्ताह  विधायक वोरा ने भी अमृत मिशन के कार्यों की निष्पादन एजेंसी व मॉनिटरिंग के लिए नियुक्त पीडीएमसी के अधिकारियों की जमकर क्लास लेते हुए हर 7 दिन में कार्य प्रगति की समीक्षा करने के निर्देश दिए थे . उसी कड़ी में आज महापौर व दुर्ग विधायक ने 11 एमएलडी फिल्टर प्लांट पहुंच कार्यों का निरीक्षण किया। वोरा ने कहा कि पटरी पार के वार्डों में अतिशीघ्र पेयजल व्यवस्था दुरुस्त करने की आवश्यकता है ट्रांसपोर्ट नगर व हनुमान नगर की नवनिर्मित पानी टंकियों को इसी सप्ताह तैयार कर वार्ड नं 15 करहिडीह क्षेत्र व वार्ड 19 से 22 के निवासियों को शुद्ध पेयजल की आपूर्ति प्रारंभ की जाए। साथ ही वार्ड नंबर 39, 31 व 32 के लिए शिक्षक नगर टंकी को नवीन पाइप लाइन से जोडऩे व सिकोला भाठा एवं एसटीएफ कालोनी बघेरा में भी सही प्रेशर से पानी सप्लाई के लिए रविवार तक का अल्टीमेटम दिया। महापौर धीरज बाकलीवाल ने अमृत मिशन के अधिकारियों को पार्षदों से संपर्क कर एजेंसी द्वारा किए जा रहे नल कनेक्शन एवं वाटर मीटर फिटिंग के कार्यों का फीड बैक लेकर सभी वार्डों में कनेक्शन प्रदाय को गति देने के निर्देश दिया। इस दौरान एमआईसी दीपक साहू, पार्षद बृजलाल पटेल जल विभाग से ए आर राहंगडाले, नारायण ठाकुर मौजूद थे।

दुर्ग / शौर्यपथ / लॉकडान में भी लगातार लोगों की सेवा में नगर निगम के स्वास्थ्य प्रभारी एवं केलाबाड़ी के पार्षद हमीद खोखर लगे हुए है। वे कोरोना के संक्रमण से लोगों को बचाने गली मोहल्लों में स्वयं उपस्थित होकर लगातार सेनेटाईज्ड करवा रहे है एवं कोरोना के अलावा गंदगी से कोई और बीमारी लोगों को न हो इसके लिए सफाई कर्मचारियों को लगाकर साफ सफाई भी करवाने में जुटे हुए है। इसके अलावा वे लॉकडाउन में लोगों की स्थिति को देखते हुए वे अपने निर्वाचन क्षेत्र केलाबाड़्ी में घर घर सब्जी और आवश्कयतानुसा अन्य सामग्री भी वितरण करवा रहे है। हमीद खोखर ने बताया कि वे अपने वार्ड 41 नंबर केलाबाड़ी में नूरी मस्जिद के पीछे, कोलकाता वाली खाला के घर के आसपास, नंदू परिहार, के घर के आसपास, सैयद बाडा के समीप, राजपूत भाभी के घर के पास, अजहर आटाचक्की वाली लाईन , रफीक भाई के घर के आस पास सहित वार्ड के लगभग सभी लोगों के यहा वे हरी सब्जी का वितरण करवाये है। उन्होंने कहा कि यह कार्य मेरे द्वारा सेवा भाव से किया जा रहा है, लॉक डाउन की इस घड़ी में मेरे द्वारा छोटा सा प्रयास किया गया।
आप सभी की दुआएं और आशीर्वाद मुझपर जीवन भर सदा बना रहे । इस नेक कार्य में देबू यादव , इमरान भाई, मोहम्मद अतीक, दानिश भाई, बाबू भाई, मोहसिन भाई, शकील भाई, रहमान भाई और वार्ड की मेरी माताओं बहनों ने मिलकर सब्जी का पैकेट तैयार किया है
हमीद खोखर ने कहा कि जिस उम्मीदों के साथ लोगों ने मुझे पार्षद बनाया है, मैं चाहता हूं कि मैं उनके उम्मीदों पर पूरा का पूरा खरा उतरू और मुझसे जितना हो सके उतना सेवा करूं। इसके अलावा राज्य सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं को भी लोगों तक पहुंचाकर इस कोरोना काल में राहत पहुंचा सकूं।
उल्लेखनीय है कि हमीद खोखर लगातार लोगों की सेवा करते हुए अपने मतदाताओं के उम्मीदों पर हमेशा खरे उतरते है, जिसके कारण वे पिछले बार केलाबाड़ी से निर्दलीय चुनाव जीते थे वहीं इस बार वें कांग्रेस से अच्छे मतों से चुनाव जीते है और निगम में स्वास्थ्य प्रभारी का कार्यभार संभाल रहे है और उनसे जितना हो सके उतना लोगों हर प्रकार से मदद कर रहे है। इस कोरोना काल में लोगों को ऑक्सीजन उपलब्ध कराने से लेकर अस्पताल पहुंचवाने के साथ ही लोगों को प्रोत्साहित करवाकर कोरोना के संक्रमण से हमेशा बचे रहे इसके लिए वे लोगों को वेक्सिन लगवाने का कार्य करने के साथ ही वे वेक्सिनेशन सेंटर भी लोगों को पहुंचवा रहे हैं।लॉकडाउन में भी लोगों की सेवा में लगे है पार्षद हमीद खोखर
दुर्ग। लॉकडान में भी लगातार लोगों की सेवा में नगर निगम के स्वास्थ्य प्रभारी एवं केलाबाड़ी के पार्षद हमीद खोखर लगे हुए है। वे कोरोना के संक्रमण से लोगों को बचाने गली मोहल्लों में स्वयं उपस्थित होकर लगातार सेनेटाईज्ड करवा रहे है एवं कोरोना के अलावा गंदगी से कोई और बीमारी लोगों को न हो इसके लिए सफाई कर्मचारियों को लगाकर साफ सफाई भी करवाने में जुटे हुए है। इसके अलावा वे लॉकडाउन में लोगों की स्थिति को देखते हुए वे अपने निर्वाचन क्षेत्र केलाबाड़्ी में घर घर सब्जी और आवश्कयतानुसा अन्य सामग्री भी वितरण करवा रहे है। हमीद खोखर ने बताया कि वे अपने वार्ड 41 नंबर केलाबाड़ी में नूरी मस्जिद के पीछे, कोलकाता वाली खाला के घर के आसपास, नंदू परिहार, के घर के आसपास, सैयद बाडा के समीप, राजपूत भाभी के घर के पास, अजहर आटाचक्की वाली लाईन , रफीक भाई के घर के आस पास सहित वार्ड के लगभग सभी लोगों के यहा वे हरी सब्जी का वितरण करवाये है। उन्होंने कहा कि यह कार्य मेरे द्वारा सेवा भाव से किया जा रहा है, लॉक डाउन की इस घड़ी में मेरे द्वारा छोटा सा प्रयास किया गया।
आप सभी की दुआएं और आशीर्वाद मुझपर जीवन भर सदा बना रहे । इस नेक कार्य में देबू यादव , इमरान भाई, मोहम्मद अतीक, दानिश भाई, बाबू भाई, मोहसिन भाई, शकील भाई, रहमान भाई और वार्ड की मेरी माताओं बहनों ने मिलकर सब्जी का पैकेट तैयार किया है
श्री खोखर ने कहा कि जिस उम्मीदों के साथ लोगों ने मुझे पार्षद बनाया है, मैं चाहता हूं कि मैं उनके उम्मीदों पर पूरा का पूरा खरा उतरू और मुझसे जितना हो सके उतना सेवा करूं। इसके अलावा राज्य सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं को भी लोगों तक पहुंचाकर इस कोरोना काल में राहत पहुंचा सकूं।
उल्लेखनीय है कि हमीद खोखर लगातार लोगों की सेवा करते हुए अपने मतदाताओं के उम्मीदों पर हमेशा खरे उतरते है, जिसके कारण वे पिछले बार केलाबाड़ी से निर्दलीय चुनाव जीते थे वहीं इस बार वें कांग्रेस से अच्छे मतों से चुनाव जीते है और निगम में स्वास्थ्य प्रभारी का कार्यभार संभाल रहे है और उनसे जितना हो सके उतना लोगों हर प्रकार से मदद कर रहे है। इस कोरोना काल में लोगों को ऑक्सीजन उपलब्ध कराने से लेकर अस्पताल पहुंचवाने के साथ ही लोगों को प्रोत्साहित करवाकर कोरोना के संक्रमण से हमेशा बचे रहे इसके लिए वे लोगों को वेक्सिन लगवाने का कार्य करने के साथ ही वे वेक्सिनेशन सेंटर भी लोगों को पहुंचवा रहे हैं।

दुर्ग / शौर्यपथ / दुर्ग के अहिवारा क्षेत्र में पिछले दिनों सरपंच पति नरेश कुर्रे और नंदनी थाने के एसआई और आरक्षक पर 30 हजार रूपये लेकर मामला दबाने की बात की आग अब जिला पुलिस अधीक्षक कार्यालय एवं मिडिया के सामने आने के बाद जिस तरह सरपंच पति ने प्रेस कांफ्रेंस कर ये बात कबुलकर ली थी कि पूर्व में वह शराब कोचिया के कार्य में छोटे पैमाने पर सलंग्न था किन्तु तकरीबन दो साल से धर्मपत्नी के सरपंच बनने के बाद इस कार्य से पूरी तरह किनारा कर चुके होने की बात नरेश कुर्रे ने कही थी साथ ही बदनामी न हो इस डर से नंदनी थाने के एसआई व आरक्षक को ३० हजार देने के बाद भी कार्यवाही हो जाने पर इसकी शिकायत जिला पुलिस अधीक्षक से की गयी .
विभिन्न समाचार पत्रों व निजी चेनल में खबर प्रकाशित होते ही अब नंदिनी थाना भी अपने बचाव में आते हुए नरेश कुर्रे के विरुद्ध शिकायतों के अम्बार की लिस्ट को एवं कार्यवाही निष्पक्ष किये जाने की बात पर प्रेस विज्ञप्ति ज़ारी करते हुए अपना पक्ष मजबूत रखने आगे आ गए .
नंदनी पुलिस द्वारा ज़ारी मामलो की लम्बी लिस्ट के बारे में जब नरेश कुर्रे से शौर्यपथ समाचार ने बात की तो नरेश कुर्रे का कथन है था कि १२ मामलो में ११ मामले में माननीय न्यायालय द्वारा बरी किया जा चुका है सिर्फ एक ही मामला लंबित है इनमे से कई मामले ऐसे भी रहे जो पहली ही तारीख में बरी किये गए .
बता दे की नरेश कुर्रे के उपर लगे १० मामले आबकारी एक्ट के तहत दर्ज हुए एवं दो मामले आईपीसी की धारा के तहत दर्ज हुए . नरेश कुर्रे का कहना है कि अब जब मेरे द्वारा सभी कार्य वर्षो पहले छोड़ दिए गए है किन्तु फिर भी इस तरह मुझ पर कार्यवाही और नया मामला दर्ज ना हो इसलिए ३० हजार की रकम दी गयी किन्तु रकम लेने के बाद भी कार्यवाही कर बदनामी की गयी इसी बात की निष्पक्ष जांच की मांग करते हुए जिला पुलिस अधीक्षक महोदय के समक्ष शिकायत प्रस्तुत किया हूँ एवं न्याय की उम्मीद करता हूँ .
वही नंदनी थाना प्रभारी से शौर्यपथ समाचार पत्र ने माम्लेके बारे में जानना चाहा तो थाना प्रभारी द्वारा कहा गया कि मामले की जाँच उच्च अधिकारियो द्वारा की जा रही है अतः कुछ भी कहने में असमर्थता दिखाई . अब देखना है कि इस मामले में आने वाले दिनों में क्या नया रंग सामने आता है . बता दे कि नरेश कुर्रे के द्वारा की गयी शिकायत के बाद जिलापोलिस अधीक्षक प्रशांत ठाकुर ने मामले की जाँच के आदेश दे दिये है .

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