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नई दिल्ली / शौर्यपथ / वाशिंगटन अमेरिका के सीमा शुल्क एवं सीमा सुरक्षा अधिकारियों को वाशिंगटन डीसी के उपनगर में अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे पर भारत से लौटे एक यात्री के सामान से उपले बरामद हुए हैं. भारतीय यात्री जिस बैग में उपले लाया था, उसे हवाईअड्डे पर ही छोड़ गया था. अधिकारियों ने बताया कि अमेरिका में उपलों पर प्रतिबंध है, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इससे अत्यधिक संक्रामक मुंहपका-खुरपका रोग हो सकता है.
अमेरिकी सीमा शुल्क एवं सीमा सुरक्षा (सीबीपी) ने बताया कि इन्हें नष्ट कर दिया गया है.
विभाग की ओर से सोमवार को जारी एक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, ‘यह गलत नहीं लिखा गया. सीबीपी कृषि विशेषज्ञों को एक सूटकेस में से दो उपले बरामद हुए हैं.' बयान के अनुसार, यह सूटकेस चार अप्रैल को ‘एअर इंडिया' के विमान से लौटै एक यात्री का है.
सीबीपी के बाल्टीमोर ‘फील्ड ऑफिस' के ‘फील्ड ऑपरेशंस' कार्यवाहक निदेशक कीथ फलेमिंग ने कहा, ‘मुंहपका-खुरपका रोग जानवरों को होने वाली एक बीमारी है, जिससे पशुओं के मालिक सबसे ज्यादा डरते हैं... और यह सीमा शुल्क एवं सीमा सुरक्षा के कृषि सुरक्षा अभियान के लिए भी एक खतरा है.'
सीबीपी ने कहा कि उपलों को दुनिया के कुछ हिस्सों में एक महत्वपूर्ण ऊर्जा और खाना पकाने का स्रोत भी बताया गया है. इसका इस्तेमाल कथित तौर पर ‘स्किन डिटॉक्सीफायर‘, एक रोगाणुरोधी और उर्वरक के रूप में भी किया जाता है. सीबीपी के अनुसार, इन कथित फायदों के बावजूद मुंहपका-खुरपका रोग के खतरे के कारण भारत से यहां उपले लाना प्रतिबंधित है.
नई दिल्ली / शौर्यपथ / ढाका चीन ने अमेरिका के नेतृत्व वाले क्वॉड संगठन को लेकर बांग्लादेश को धमकी दी है. चीन ने बांग्लादेश से कहा है कि अगर वो इस संगठन में शामिल होता है तो चीन के साथ उसके संबंध खराब होंगे. दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों को "काफी नुकसान" होगा. बता दें कि जापान, ऑस्ट्रेलिया, भारत और अमेरिका क्वॉड के सदस्य हैं. क्वॉड यानी क्वॉड्रीलेटरल सिक्योरिटी डायलॉग इन देशों के बीच ऐसा समझौता है जो हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने के लिए किया गया है. इस संगठन से चीन की चिढ़ कई बार सामने आ चुकी है.
बांग्लादेश में चीन के राजदूत ली जिमिंग का यह बयान चीन के रक्षा मंत्री वेई फेंघे के पिछले हफ्ते बांग्लादेश की यात्रा के बाद आया है. फेंघे ने इस दौरे पर बांग्लादेश के राष्ट्रपति अब्दुल हमीद से मुलाकात की थी और बीजिंग और ढाका को दक्षिण एशिया में "सैन्य गठबंधन" स्थापित करने वाली बाहरी शक्तियों के खिलाफ एकजुट होने का आह्वान किया था.
राजदूत ली ने सोमवार को बांग्लादेश में आयोजित राजनयिक संवाददाता संघ की वर्चुअल बैठक में कहा, "स्पष्ट रूप से बांग्लादेश का इस छोटे क्लब (क्वॉड) में भाग लेना एक अच्छा विचार नहीं होगा क्योंकि यह हमारे द्विपक्षीय संबंधों को काफी नुकसान पहुंचाएगा."
चीनी राजदूत की इस विवादित टिप्पणी पर बांग्लादेश के विदेश मंत्री डॉ. एके अब्दुल मोमन ने कहा कि ढाका एक गुटनिरपेक्ष और संतुलित विदेश नीति बनाए रखने में विश्वास रखता है और इन सिद्धांतों के आधार पर ही तय करेगा कि आगे क्या करना है. उन्होंने कहा, "हम एक स्वतंत्र और संप्रभु राज्य हैं. हम अपनी विदेश नीति तय करते हैं. लेकिन हां, कोई भी देश अपनी स्थिति को बनाए रख सकता है."
उन्होंने कहा, "स्वाभाविक रूप से, वह (चीनी राजदूत) एक देश का प्रतिनिधित्व करते हैं. वे कह सकते हैं कि वे क्या चाहते हैं. हो सकता है कि वे नहीं चाहते (बांग्लादेश क्वाड में शामिल हो)." मोमन ने आगे कहा कि अभी तक क्वाड की तरफ से किसी ने भी बांग्लादेश से बात नहीं की है.
नई दिल्ली /शौर्यपथ / श्रीनगर जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग में सुरक्षाबलों ने लश्कर-ए-तैयबा के तीन आतंकियों को मार गिराया है. सुरक्षाबलों को खुफिया जानकारी मिली थी कि अनंतनाग जिले के वाइलो इलाके में आतंकी छिपे हुए हैं. सूचना मिलते ही सेना, सीआरपीएफ और पुलिस ने इलाके की घेराबंदी कर तलाशी अभियान शुरु कर दिया. सेब के एक बाग में आतंकियों ने जब खुद को सुरक्षाबलों से घिरा पाया तो गोलीबारी शुरू कर दी.
सुरक्षा बलों ने पहले आतंकियों से आत्म समर्पण करने को कहा लेकिन जब वे नहीं माने तो सुरक्षाबलों ने जवाबी कार्रवाई शुरू कर दी. इस ऑपेरशन में तीनों आतंकी ढ़ेर कर दिये गए. अभी तक मारे गए आतंकियों की पहचान नहीं हो पाई है. फिलहाल सुरक्षा बल घटनास्थल पर तलाशी अभियान चला रहे है. इससे पहले पास में ही शोपियां जिले में छह मई को हुई मुठभेड़ में सुरक्षा बलों ने तीन आतंकियों को मार गिराया था.
न्यूज एजेंसी भाषा की एक अन्य खबर के मुताबिक, सुरक्षाबलों ने जम्मू-कश्मीर के पुंछ जिले में रविवार को आतंकवादियों के एक ठिकाने पर छापा मारा और 19 हथगोले बरामद किए. सुरक्षा बलों ने साथ ही ग्रेनेड हमलों से सीमावर्ती जिले में शांति भंग करने की आतंकवादी योजना को भी नाकाम कर दिया. एक रक्षा प्रवक्ता ने बताया कि अभियान के दौरान किसी को भी गिरफ्तार नहीं किया गया। यह अभियान सुरनकोट के फगला इलाके में सेना और पुलिस ने संयुक्त रूप से चलाया था.
आतंकवादियों द्वारा एनएच 144ए (जम्मू-पुंछ राजमार्ग) पर सुरक्षा बलों को निशाना बनाए जाने की सटीक सूचना के आधार पर राष्ट्रीय राइफल्स और पुलिस ने फगला इलाके में संयुक्त अभियान चलाया.
नई दिल्ली / शौर्यपथ / कोरोना वायरस ने अब गांवों की ओर भी रुख कर लिया है. हालात यह हैं कि उत्तर प्रदेश और बिहार में शव अब श्मशानों के बजायों नदियों में तैरते नजर आए हैं. इससे संक्रमण फैलने का खतरा और अधिक बढ़ गया है. ऐसे ही कुछ शव गंगा और यमुना नदी में बहते हुए पाए गए हैं. केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने इस पर चिंता जताते हुए ट्वीट किया है. उन्होंने कहा कि राज्यों को ऐसी घटनाओं को संज्ञान में लेते हुए इस बारे में पूरी जांच करानी चाहिए. शेखावत ने अपने ट्वीट में लिखा, 'बिहार के बक्सर क्षेत्र में मां गंगा में तैरते मिले शवों की घटना दुर्भाग्यजनक है. यह निश्चित ही पड़ताल का विषय है.मां गंगा की निर्मलता और अविरलता के लिए मोदी सरकार प्रतिबद्ध है. यह घटना अनापेक्षित है. संबंधित राज्य इस संदर्भ में तुरंत संज्ञान लें.'
देश में कोरोना के केसों में कमी आई है लेकिन अभी भी प्रतिदिन तीन लाख से अधिक केस दर्ज हो रहे हैं.मंगलवार यानी 11 मई की सुबह 8 बजे तक पिछले 24 घंटे में कोविड-19 के 3,29,942 नए केस सामने आए हैं और इस अवधि में 3,876 मरीजों की मौत हुई है. स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार, 24 घंटे में 3,29,942 नए मामले दर्ज हुए हैं, इस अवधि में 3876 लोगों को जान गंवानी पड़ी है. देश में कोरोना के एक्टिव मामलों की संख्या इस समय 3,71,5221 हैं. पॉजिटिविटी रेट इस समय 17.83% है.
गौरतलब है कि हाल ही में संदिग्ध कोरोना संक्रमितों का शव यूपी की सीमा से सटे बिहार के बक्सर जिले के चौसा के समीप नदी में सोमवार को बहता हुआ पाया गया. चौसा के प्रखंड विकास पदाधिकारी अशोक कुमार ने न्यूज एजेंसी भाषा को बताया कि स्थानीय चौकीदार द्वारा इस बारे में सूचित किए जाने पर हमने अब तक इनमें से 15 शव बरामद कर लिए हैं. मृतक में से कोई भी बक्सर जिला के निवासी नहीं हैं. उन्होंने कहा कि उस पार उत्तर प्रदेश के कई जिले नदी के किनारे स्थित हैं और हो सकता है कि वहां शवों को गंगा में बहा दिया गया जो हमें नहीं पता. उधर यूपी के हमीरपुर जिले में यमुना नदी में शव नजर आने के बाद लोगों में दहशत फैल गई और यह संदेह भी जताया गया कि यह कोविड-19 से जान गंवाने वालों की लाशें हैं. हालांकि, सोमवार को जिला प्रशासन के अधिकारियों ने इस दावे को खारिज कर दिया. हमीरपुर के जिलाधिकारी ज्ञानेश्वर त्रिपाठी ने सोमवार को जारी एक बयान में कहा, ‘‘ लोगों से बातचीत तथा शव को देखने से प्रथम दृष्टया ये कोरोना वायरस से हुई मृत्यु से संबंधित नहीं पाए गये, क्योंकि शव के ऊपर सामान्य परंपरागत शवों के कपड़े थे और किसी भी शव पर कोरोना से मृत्यु होने पर की जाने वाली पैकिंग नहीं थी.''
नई दिल्ली /शौर्यपथ / सेंट्रल विस्टा परियोजना का निर्माण रोकने संबंधी याचिका पर केंद्र सरकार ने दिल्ली हाईकोर्ट में हलफमाना दाखिल किया है. केंद्र ने इस याचिका को कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग बताते हुए कहा है कि यह परियोजना को रोकने का एक और प्रयास है. याचिका को जुर्माने के साथ खारिज करने की मांग की गई है. हलफनामे में केंद्र ने कहा है कि याचिका में जहां काम रोकने की मांग की गई है वो सेंट्रल विस्टा परियोजना नहीं है बल्कि सेंट्रल विस्टा एवेन्यू (राजपथ के दोनों ओर) है, जहां गणतंत्र दिवस समारोह होता है और पर्यटकों और आम लोग वहां आते हैं. कांट्रेक्ट के अनुसार, यह कार्य 10 नवंबर, 2021 तक पूरा किया जाना है. हलफनामे में यह भी कहा गया है कि परियोजना का उद्घाटन पीएम द्वारा नहीं किया गया था, जैसा कि याचिका में कहा गया है. इसकी गलत जानकारी शरारतपूर्ण ढंग से दी गई है. 19 अप्रैल को कर्फ्यू लगाए जाने से पहले साइट पर 400 कर्मचारी थे. ये तब से साइट पर हैं और पूरी तरह से अधिसूचना का अनुपालन कर रहे हैं. इस मामले पर हाईकोर्ट बुधवार सुनवाई करेगा.
हलफनामे के अनुसार, सराय काले खां से कार्यस्थल के लिए सामग्री और श्रमिकों के परिवहन के लिए अनुमति 19-30 अप्रैल को दी गई थी, अब ये लोग साइट पर ही रह रहे हैं. 250 श्रमिकों के लिए कार्यस्थल पर कोविड अनुरूप सुविधा स्थापित की गई है जिन्होंने काम करने और काम जारी रखने की इच्छा व्यक्त की है. कोविड प्रोटोकॉल के सख्त कार्यान्वयन के साथ-साथ, कोविड प्रोटोकॉल (स्वच्छता, थर्मल स्क्रीनिंग, सामाजिक दूरी, मास्क) का पालन किया जा रहा है. साइट पर ही टेस्टिंग, आइसोलेशन और चिकित्सा सहायता के लिए अलग सुविधा है. यहां काम करने वाले लोगों को तत्काल चिकित्सा सुविधा और उचित देखभाल की सुविधा उपलब्ध है जो अन्यथा चिकित्सा बुनियादी ढांचे पर बोझ के कारण मुश्किल होती. कांट्रेक्टर ने सभी श्रमिकों के स्वास्थ्य बीमा प्रदान किया है, यह याचिका गलत है और झूठ पर आधारित है.
याचिकाकर्ता ने तथ्यों को छिपाया है क्योंकि इन व्यवस्थाओं का विवरण सभी सार्वजनिक डोमेन में है.दिल्ली में 16 स्थानों पर निर्माण गतिविधियां और परियोजनाएं चल रही हैं और फिर भी याचिकाकर्ता ने केवल सेंट्रल विस्टा पर भी याचिका दाखिल की है. इससे उनका इरादा पता चलता है.
नई दिल्ली / शौर्यपथ/गाजीपुर बिहार के बक्सर के बाद अब उत्तर प्रदेश के गाजीपुर में गंगा के किनारे शव मिलने का मामला सामने आया है. मंगलवार को गाजीपुर के गंगा तट पर कुछ शव दिखाए दिए है. गाजीपुर और बक्सर के बीच करीब 55 किलोमीटर की दूरी है. बक्सर में सोमवार को दर्जनों शव पानी में तैरते हुए दिखाई दिए थे. इन लाशों को देखने के बाद बिहार के अधिकारियों ने तर्क दिया था कि यह उत्तर प्रदेश से आई हैं. अधिकारियों के अनुसार बिहार में शवों को पानी में डालने की परंपरा नहीं है. जिस तरह उत्तर भारत के ग्रामीण इलाकों में संक्रमण के मामले तेजी से सामने आ रहे हैं, उसको देखते हुए इन शवों के कोविड संक्रमित होने का संदेह जताया जा रहा है.
आशंका व्यक्त की जा रही है कोविड मरीजों की मौत के बाद ग्रामीणों ने डर से शवों को नदी में प्रवाहित कर दिया होगा. गौर हो कि गांवों में कोविड मरीजों के अंतिम संस्कार के नियमों के पालन का अभाव देखा जा रहा है. ऐसे में इन बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि कोविड संक्रमित होने के बाद शवों को नदी में बहा दिया गया हो. शवों के किनारे आने के बाद स्थानीयों में डर है कि दूषित पानी के कारण संक्रमण और तेजी से फैलेगा, वहीं अधिकारी इस मामले की जांच में जुटे हुए हैं. गाजीपुर के जिलाअधिकारी एमपी सिंह ने समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए कहा कि फिलहाल हम जांच कर रहे हैं कि यह शव कहां से आए हैं.
वहीं स्थानीय लोगों प्रशासन पर अनदेखी का भी आरोप लगा रहे हैं. स्थानीय निवासी अखंड ने समाचार एजेंसी से बात करते हुए कहा कि हमने इस मामले की जानकारी अधिकारियों को दी थी लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई थी. अगर इसी तरह हालात हैं तो हमें डर है कि जल्द ही हम भी कोरोना संक्रमण की चपेट में आ जाएंगे.
SHOURYAPATH NEWS । रायपुर/ प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि झूठो बयान बाजी और झूठे आरोप लगाने को ही भाजपा विपक्ष का धर्म समझ बैठी है।यह दुःखद है की वैश्विक महामारी के इस दौर में भी प्रदेश की विपक्षी पार्टी सिर्फ राजनैतिक प्रोपोगंडा में लगी है ।कोरोना के दूसरी लहर की शुरुआत में राज्य में कोरोना का संक्रमण तेजी और भयावह रूप से बढ़ा ।राज्य सरकार और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सूझ बूझ से आज छत्तीसगढ़ में टेस्टिंग से ले कर इलाज तक की सारी सुविधाएं व्यवस्थित है ।राज्य में ऑक्सीजन बेड से ले कर वेंटिलेटर पर्याप्त उपलब्ध है ।रिकवरी दर बढ़ी है संक्रमण दर घटी है ।देश भर के अन्य राज्यो के भयावह हालात की तुलना में राज्य अपने नागरिकों को बेहतर चिकित्सा उपलब्ध करवा रहा है। ऐसे समय भी भाजपाई आरोप लगाने की घटिया राजनीति से ऊपर नही उठ पा रहे है। कांग्रेस के प्रवक्ता सुशील आनंद शुक्ला ने भाजपा से पांच सवाल पूछा है - 1-पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह राज्य सरकार से पूछते है हर महीने 25 लाख वेक्सीन कहा से आएगी ?राज्य सरकार ने तो दोनों ही कम्पनियों को 75 लाख डोज का ऑर्डर दे दिया है ।और ऑर्डर देने की तैयारी है ।15 करोड़ का अग्रिम भुगतान भी हो गया है।रमन सिंह राज्य सरकार से सवाल तो पूछ रहे लेकिन केंद्र से उन्होंने राज्य को वैक्सीन दिलवाने में के लिये पत्राचार फोन आदि कोई प्रयास क्यो नही किया ? रमन सिंह जब भाजपा नेताओं के साथ राज्यपाल से मिलने गए तो उन्होंने राज्यपाल महोदय से प्रदेश के द्वारा ऑर्डर की गई 75 लाख वैक्सीन की डिलवरी जल्दी करवाने की केंद्र से पहल करने का अनुरोध क्यो नही किया ? 2 भाजपा के नेता मुख्य मंत्री से वर्चुवल मीटिंग करने क्यो तैयार नही हुये ? यदि उनके पास वास्तव में कोरोना से निपटने के कोई ठोस महत्वपूर्ण सुझाव थे उसे नही दे कर क्या भाजपा अपनी विपक्ष की जिम्मेदारी से भाग नही रही ? भाजपा ने प्रेस कांफ्रेंस ले कर जो सुझाव दिया उन सुझावो को केंद्र को क्यो नही देते ? 3 कोरोना काल मे जब सोशल डिस्टेंसिग महत्व पूर्ण और आवश्यक है तब सोशल डिस्टेंसिग के बजाय प्रत्यक्ष मीटिंग करके भाजपा क्या संदेश देना चाहती थी ? मुख्य मंत्री द्वारा वर्चुवल मीटिंग का प्रस्ताव यदि विपक्ष का अपमान है तो क्या मोदी जी लगातार जो मुख्यमंत्रियों से वर्चुवल मीटिंग कर रहे ।केंद्रीय मंत्री मंडल की वर्चुबल बैठक लिए क्या यह सब उन सबको अपमानित करने के लिए कर रहे है ? 4 राज्य में कोरोना वैक्सीन की कमी है इस कारण वेक्सिनेशन प्रभावित हो रहा भाजपा के लोकसभा के 9 सांसदों राज्य सभा के 2 सांसदों और केंद्रीय राज्यमंत्री ने छत्तीसगढ़ को वैक्सीन की आपूर्ति दिलवाने के लिए क्या प्रयास किये ?राज्य को सस्ता वैक्सीन दिलवाने के लिए कब क्या प्रयास किया । 5-नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक कहते है छत्तीसगढ़ ने पीएम केयर से खराब वेंटिलेटर खरीदे है ।राज्य के स्वास्थ्य मंत्री ने स्पष्ट कर दिया कि छत्तीसगढ़ ने पीएम केयर से कोई वेंटिलेटर नही खरीदा ।केंद्र ने पीएम केयर के फंड से वेंटिलेटर भेजे थे जिनमें से 70 खराब को बनवाया गया उनमें से 4 सुधर भी नही पाए ।जब कि यह स्प्ष्ट हो गया केंद्र ने छत्तीसगढ़ को घटिया वेंटिलेटर भेजे थे ।राज्य पर आरोप लगाने वाले नेता प्रतिपक्ष ने केंद्र से पूछा कि राज्य को इस आपदा के समय घटिया वेंटिलेटरो की सप्लाई कर राज्य की जनता के प्राणों को संकट में क्यो डाला गया ? कोरोना काल मे सिर्फ झूठे बयान बाजी को अपना कर्तब्य समझने वाले भाजपा नेताओ में साहस हो तो राज्य की जनता को इन सवालों के जबाब दें।
नई दिल्ली /शौर्यपथ / पटना बिहार के लोकप्रिय नेता पप्पू यादव की गिरफ्तारी मामले में नीतीश कुमार सरकार में अलग-अलग राय सामने आई है. नीतीश सरकार में दो सहयोगी जीतन राम मांझी और मुकेश मल्लाह ने पप्पू यादव की गिरफ़्तारी का विरोध किया है. पप्पू की गिरफ्तारी को लेकर विरोध जताते हुए पूर्व सीएम जीतन राम मांझी ने कहा, 'कोई जनप्रतिनिधि यदि दिन-रात जनता की सेवा करे और उसके ऐवज़ में उसे गिरफ़्तार किया जाए ऐसी घटना मानवता के लिए ख़तरनाक है.' नीतीश सरकार में मंत्री मुकेश मल्लाह/साहनी ने भी इस मामले में जीतनराम मांझी की ही तरह राय जताई है. मुकेश ने ट्वीट किया, 'जनता की सेवा ही धर्म होना चाहिए. पप्पू यादव को गिरफ्तार करना असंवेदनशील है.'
पूर्व सांसद और जन अधिकार पार्टी (जाप) के अध्यक्ष राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव को मंगलवार सुबह गिरफ्तार कर लिया गया है. उन्होंने खुद ट्वीट करके यह जानकारी दी है. उन्होंने ट्वीट में लिखा है, 'मुझे गिरफ्तार कर पटना के गांधी मैदान थाना लाया गया है.' जानकारी के मुताबिक उन पर सरकारी काम में बाधा डालने और लॉकडाउन के नियमों का उल्लंघन करने का आरोप है.
गौरतलब है कि पप्पू ने एक स्थान पर धावा बोलकर दो दर्जन से ज्यादा एंबुलेंस बिना इस्तेमाल के रखे होने का मामले का खुलासा किया था. सभी एंबुलेंस की खरीदारी सारण से लोकसभा सांसद राजीव प्रताप रूडी के कोष से की गई थी. इस मामले में उन पर दो प्राथमिकियां भी दर्ज की गई हैं. पूर्व सांसद पर हाल के दिनों में अस्पतालों में अनधिकृत प्रवेश को लेकर कुछ और जगहों पर भी प्राथमिकी दर्ज हुई है.बता दें, इसके बाद शनिवार को पप्पू यादव ड्राइवरों की पूरी टीम के साथ मीडिया के सामने आए थे. उन्होंने दावा किया था कि उनके पास 40 ड्राइवर हैं, इन सभी का नाम लिखकर सरकार के पास भेजा जाएगा. बताते चलें कि बीजेपी सांसद राजीव प्रताप रूडी ने पप्पू यादव को ड्राइवर लाकर सभी एंबुलेंस चलवाने की चुनौती दी थी. जिसके जवाब में पप्पू यादव अपनी पूरी टीम के साथ पहुंचे और दावा किया वह इन 40 ड्राइवरों से एंबुलेंस चलवाने के लिए तैयार हैं.
SHOURYAPATH vishesh । “तीन बार पूछा यह तरबूज कितने का है और वह टिकटिकी बांधे मुझे देख रहा था, फिर एक बार बोला आपने मेरी बेटी की जान बचाई थी । मैं सोच में पड़ गई कब और आज तक सोचती हूं“किसी का जीवन बचाना परमात्मा के हाथ में होता है हम तो उसकी रस्सी से बंधे एक कलाकार है । यह बात 1987-88 की है जब वह गोल बाजार में फल लेने गई थी। लेकिन नर्स सावित्री चंद्राकर अब तक नहीं समझ पाई उसने कब और किसकी जान बचाई थी क्योंकि अपने 37 वर्ष के नर्सींग प्रोफेशन में उसने कई लोगों की मदद की है। 9 मई को स्वास्थ्य विभाग में सेवा करते हुए सावित्री के 37 वर्ष पूरे हुए । पहली पोस्टिंग पिथौरा पीएचसी में हुई थी जो वर्तमान में सीएचसी हो गया है । वर्ष 1984 की बात याद करते हुए सावित्री कहती है उन दिनों पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद जहां पूरे देश में हालत खराब थे तो प्रदेश में भी हालात बिगड़ गए थे। शाम को अस्पताल से एक व्यक्ति मुझे लेने आया और बोला चलो गोली निकालनी है लेकिन में समझ नहीं पाई क्या हुआ था। ``वह साइकिल पर बैठाकर मुझको अस्पताल तक लेकर गया । एक सब्जी वाले को गोली लगी हुई थी जिसकी गोली मैंने निकाली। लेकिन जीवन में कभी कभी लगता है कितने लोगों की सेवा की जाते समय कोई धन्यवाद का एक शब्द भी नहीं कहकर गया’’ सावित्री कहती है । सावित्री कहती हैं कि सन 1980-81 में डीकेएस से नर्सिंग की ट्रेनिंग करने के उपरांत 14 वर्ष पिथौरा पीएचसी में 3 वर्ष डीकेएस रायपुर में 16 वर्ष माना (रायपुर) के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में 1 वर्ष धरसींवा में सेवाएं दी। वर्तमान में 2017 से जिला चिकित्सालय पंडरी में मैट्रन के पद पर कार्य कर रही है । अपने जीवन के अनुभव को साझा करते हुए सावित्री कहती हैं कि कोरबा 1983 में एक रिश्तेदार के घर डिलीवरी हुई बच्चा प्री-मेच्योर था। प्रसव के उपरांत बच्चा नीला पड़ गया । ``कोरबा से रायपुर आने में बस से लगभग 6 घंटे हम लोग लगे । मैं बच्चे को रस्ते भर थपथपाती रही, मुंह से कृत्रिम सांस देती रही चुटकी भरती रही ।डीकेएस अस्पतल रायपुर में लाकर उसको एडमिट कराई और वह बच्चा बच गया । उस बच्चे को देखकर आज भी लगता है । जीवन की असली सफलता यही होती है कि हम किसी का जीवन बचा सके ।‘’
नई दिल्ली /शौर्यपथ / मैंने देहरादून की घाटी में लगभग सात वर्ष बिताए हैं, जहां मैं एक परिसर के अंदर निवास करती थी. इस परिसर में प्राकृतिक वनस्पतियों और साल के जंगलों को अपने सभी गैर-कंक्रीट क्षेत्रों पर बरकरार रखा गया था. प्रकृति, हरियाली, पक्षी, तितलियां, जुगनू, छोटे स्तनपायी जैसे मुश्क बिलाव, जंगली नेवले और सर्दियों के सूरज में सरीसृप मुझे बिना किसी प्रयास के उपलब्ध थे. अपने शहर कोलकाता वापस जाने पर, मुझे कुछ समय लगा अपने नए वातावरण के साथ समायोजित होने में जैसे कि आमतौर पर होता है, शहरों में खुले मैदान और हरियाली तो नहीं होती है, उल्टा शहरी ज़िन्दगी काफी भागम-भाग भरी होती है. एक शहरवासी होते हुए, प्रकृति के नज़दीक जाने के जितने मौके हो सकते हैं, मैं उन्हें तलाशने लगी. पार्क, झीलों, पेड़ों से पंक्तिबद्ध रास्तों पर उपलब्ध हरियाली एवं फूलों की छोटी खुराक पर मेरा ध्यान गया और मैंने पाया कि हमारा नज़रिया हमारी रुचि के अनुसार बदल सकता है.
महामारी के समय घर पर रहते हुए मेरा नज़रिया हर हरे पत्ते की और बदला और महसूस हुआ कि घने जंगल सा पूर्ण अनुभव न सही, किन्तु ये सुक्ष्म पौधे भी हमें प्रकृति के नज़दीक होने का आभास दे सकते है. मैंने महसूस किया कि अपनी खिड़की पर समय बिताना और पौधों को ताकना समय के साथ उनकी पत्ती और तने के स्वरूप में वृद्धि और बदलाव को देखना, मुझे प्रकृति और जीवन में संतोष पाने की बहुत जरूरी समझ दे रहा था.
एक आम भारतीय शहर, यदि बहुत अधिक नहीं तो निश्चित रूप से चंपा, बोगनविलिया, कृष्ण चुरा, राधा चुरा, अमलतास, गुलाबी सिरिस और कुछ अन्य पेड़ों से भरा तो हो सकता है. पर्यावरण अनुसंधान के क्षेत्र में होने के नाते मुझे सर्वेक्षणों के लिए जंगलों की यात्रा करने के लिए कई अवसर भी मिल जाते थे. कुल मिलाकर मैंने शहरवासी और प्रकृति प्रेमी के बीच का संतुलन पा लिया था. अपने आपको हलचल से भरे नए परिवेश में इस प्रकार समायोजित करने के एक साल के भीतर, विनाशकारी महामारी आई और इसके साथ तालाबंदी हुई जिससे किसी भी बाहरी गतिविधि पर रोक लग गई. घर पर सीमित रहने के शुरुआती दिन तो ठीक-ठाक बीत गए, किन्तु कुछ ही दिनों में मैं एक बंधक की तरह महसूस करने लगी और मुझे घबराहट तथा बेचैनी रहने लगी. साफ़ ज़ाहिर था कि प्रकृति के बीच समय न व्यतीत कर पाने की बेचैनी थी. मैं खुले आसमान, हरे-भरे बाग़ और घने पेड़ों के लिए तरस गई थी.
इस समय पर मैंने अपनी खिड़की के पाल पर रखे कुछ पौधों में अपना संतोष तलाश करना शुरू कर दिया. इस समय तक पौधों की बागबानी करना केवल एक शौक था और ये मेरी खिड़कियों के सौंदर्य में वृद्धि करते थे. कित्नु महामारी के समय घर पर रहते हुए मेरा नज़रिया हर हरे पत्ते की और बदला और महसूस हुआ कि घने जंगल सा पूर्ण अनुभव न सही, किन्तु ये सुक्ष्म पौधे भी हमें प्रकृति के नज़दीक होने का आभास दे सकते है. मैंने महसूस किया कि अपनी खिड़की पर समय बिताना और पौधों को ताकना समय के साथ उनकी पत्ती और तने के स्वरूप में वृद्धि और बदलाव को देखना, मुझे प्रकृति और जीवन में संतोष पाने की बहुत जरूरी समझ दे रहा था.
महामारी के दौरान हममें से ज्यादातर लोगों ने पक्षियों के चहकने की आवाज बहुत सुनी, क्योंकि तालाबंदी की वजह से हमारे वातावरण में काफी शांति थी. चाहे वह केवल एक मुखर मैना थी, या विनम्र हाउस स्पैरो, या कभी-कभी बौराने वाला कबूतर का गुटर गूं या गर्मियों में गूंजती कोयल की कुहू थी, वे सभी हमारे चिंतित और उदास मन पर धुन का औषधीय लेप लगाते थे. 2020 में महामारी के दौरान और अब भी 2021 में इसकी दूसरी लहर के दौरान, मैं अपने पौधों के साथ अपने सुबह के शुरुआती कुछ मिनट बिता रही हूं.
अपने अनुभव से मैं कह सकती हूं कि शहर के निवासी, अगर अपने उपलब्ध हरे स्थानों के साथ समय बिताते हैं तो कुछ पंख वाले आगंतुकों के साक्षी हो सकते हैं. स्वॉलोटेल बटरफ्लाई का थोड़ा सा स्पंदन, टेलर बर्ड का एक संक्षिप्त ठहराव, ओरिएंटल मैगपाई रॉबिन द्वारा एक जोर की सीटी, बैंगनी सनबर्ड द्वारा एक त्वरित मंडराना और कॉमन टाइगर बटरफ्लाई का फूलों में रस खोजना, ये सभी गतिविधियां अति मनमोहक हैं. चूंकि मैं एक व्यस्त शहर में रहती हूं, ये आगंतुक मेरी खिड़की पर बहुत कम हैं, किन्तु प्रत्येक यात्रा के साथ वे मेरे दिन को खुशी और उत्साह से भरते हैं, चाहे उनका ठहरना अत्यंत संक्षिप्त हो.
महामारी का यह दौर जब सामाजिक अलगाव आवश्यक है, प्रकृति के ये दूत मेरे उदास दिनों में आनंद के कुछ क्षणों का उपहार देते हैं, खासकर जब मैं चिंता और घबराहट से जूझती हूं. मेरा मानना है कि प्रकृति में पुनर्वृद्धि की शक्ति है, बशर्ते हम इसे अपने आंगन, बरामदे या खिड़की में आमंत्रित करना चाहते हों. जब प्रकृति हमारे समक्ष होती है, तो यह हमसे कुछ भी खर्च कराए बिना, हमारी व्यस्त, रोबोटिक शहरी ज़िन्दगी में आनंद, उत्सव, स्फूर्ति और जीवंतता लाती है.