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बिलासपुर / शौर्यपथ / मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आज बिलासपुर के राजेन्द्र नगर चौक में पद्मश्री स्व.पंडित श्याम लाल चतुर्वेदी की मूर्ति का अनावरण किया। कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने स्व.पंडित श्याम लाल चतुर्वेदी जी की मूर्ति बनाने वाले मूर्तिकार रमेश दुबे का भी सम्मान किया।
उल्लेखनीय है कि स्मार्ट सिटी योजना के तहत मिट्टी तेल गली सड़क का 8 करोड़ रूपये की लागत से उन्नयन करते हुए सड़क का नामकरण बिलासपुर के गौरव पद्मश्री स्व.पंडित श्याम लाल चतुर्वेदी के नाम पर किया गया है।
स्व.पंडित श्याम लाल चतुर्वेदी का प्रेरणादायी जीवन एक कवि, एक लेखक, एक पत्रकार, एक अध्यापक, एक संपादक का अनूठा संगम था। स्व. पंडित श्यामलाल चतुर्वेदी राजभाषा आयोग के प्रथम अध्यक्ष थे। वे जीवन पर्यन्त एक स्वतंत्र पत्रकार के रूप में कार्य करते रहे। छत्तीसगढ़ की ठेठ परंपरा, लोक शैली, भाषा शैली का प्रतिनिधित्व करते हुए पंडित श्याम लाल चतुर्वेदी जी ने अपनी कई रचनाओं किताबों के जरिये छत्तीसगढ़ की माटी की महक, छत्तीसगढ़ की संस्कृति को देश और दुनिया के लोगों तक पहुंचाया।
कार्यक्रम में लोक निर्माण और गृह मंत्री एवं जिले के प्रभारी मंत्री ताम्रध्वज साहू, नगरीय प्रशासन मंत्री डॉ. शिवकुमार डहरिया, संसदीय सचिव श्रीमती रश्मि आशीष सिंह, महापौर रामशरण यादव, बिलासपुर विधायक शैलेष पाण्डेय, कलेक्टर डॉ.सारांश मित्तर, पुलिस अधीक्षक प्रशांत अग्रवाल, अटल श्रीवास्तव, विजय केशरवानी, स्व.पंडित श्याम लाल चतुर्वेदी के पुत्र शशिकांत चतुर्वेदी, सूर्यकांत चतुर्वेदी सहित अन्य लोग बड़ी संख्या में मौजूद थे।
रायपुर / शौर्यपथ / मुख्यमंत्री भूपेश बघेल आज दोपहर विकासखंड पामगढ़ में आयोजित गुरु घासीदास जयंती समारोह में शामिल हुए। मुख्यमंत्री ने पामगढ़ स्थित जैतखाम पर पहुंच कर बाबा गुरु घासीदास के चित्र पर माल्यार्पण करके पूजा अर्चना की। मुख्यमंत्री बघेल ने सफेद झंडा (पालो) को पकड़ कर जैतखाम की परिक्रमा की और जैतखाम पर झंडा चढ़ाते हुए प्रदेशवासियों की खुशहाली और समृद्धि की कामना की। बाबा गुरु घासीदास के पूजा अर्चना कार्यक्रम में नगरीय प्रशासन मंत्री डॉ. शिव कुमार डहरिया, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी एवं ग्राम उद्योग मंत्री गुरु रुद्रकुमार भी शामिल हुए।
मुख्यमंत्री ने इस दौरान कहा कि बाबा गुरु घासीदास के द्वारा कहे गए आदर्श वाक्य मनखे मनखे एक समान को आत्मसात करने से ही मानव जीवन का कल्याण हो सकता है। उन्होंने कहा कि सभी मानवों को एक समान मानते हुए राज्य सरकार बिना भेदभाव के सभी वर्ग के लोगों के हित में काम कर रही है और बाबा जी के आदर्शों और नैतिकता के रास्ते पर चलते हुए ही प्रदेश सरकार ने सफलतम 2 वर्ष पूरे कर लिए हैं। उन्होंने कहा कि सभी वर्गों के हित को ध्यान में रखकर राज्य सरकार योजना बना रही है। मुख्यमंत्री ने पामगढ़ में सभा को सम्बोधित करते हुए सभी लोगों को राज्य और देश के विकास में भागीदार बनने की अपील भी की।
बिलासपुर / शौर्यपथ / राउत नाच और काक्षन सोहाई तो पूरे प्रदेश में अलग अलग जगहों में होता है लेकिन बिलासपुर में इसका भव्य आयोजन करते हुए इसे महोत्सव की तरह मनाया जाता है। बिलासपुर का राउत नाच महोत्सव प्रदेश में ही नहीं प्रदेश के बाहर भी अपनी खासियत के लिए जाना जाता है। यह महोत्सव बिलासपुर की पहचान है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आज बिलासपुर में 43वें राउत नाच महोत्सव का शुभारंभ करते हुए यह बात कही।
मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि बिलासपुर में राउत नाचा उत्सव की शुरूआत छोेटे से बाजार के रूप में हुई लेकिन पूर्व मंत्री स्व. श्री बी.आर.यादव एवं श्री कालीचरण यादव के प्रयासों से यह महोत्सव 43वें वर्ष में आ पहुंचा है। उन्होंने कहा कि भगवान कृष्ण के समय से ही गौ-पालन प्रचलित है। गौ का महत्व धार्मिक पुराणों में भी मिलता है लेकिन वर्तमान समय में देश में गायों की दुर्दशा हो रही है साथ ही चरवाहों की स्थिति भी खराब हो रही है। इनकी दुर्दशा को रोकने के लिए छ.ग.सरकार ने गोठान की व्यवस्था और चरवाहांे की व्यवस्था बनाई है। गोठान में चारा, पानी, चरवाहे की व्यवस्था के साथ साथ गोबर खरीदने की शुरूआत भी छत्तीसगढ़ में की गई। आज सरकार 2 रूपये किलो में गोबर खरीद रही है और एक रूपये किलों में चावल गरीबों को दिया जा रहा है। गोठानों में उपलब्ध गोबर को बेचकर आज चरवाहे हजारों रूपए कमा रहे हैं। यह उनके आय का स्त्रोत बन गया है। गोबर से वर्मी कम्पोस्ट बनाकर महिलाओं को भी रोजगार मिल रहा है। रासायनिक खाद के दुष्प्रभाव को रोकने के लिए वर्मी कम्पोस्ट के उपयोग से जैविक खेती की ओर बढेंगे और बीमारी से दूर होंगे। इस सोच के साथ छत्तीसगढ़ सरकार कार्य कर रही है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राउत नाच महोत्सव का यह 43वां वर्ष यह सतत् रूप से चलता रहे, इसके लिए हर संभव मदद की जाएगी। उन्होंने महोत्सव में भाग लेेने वाले प्रत्येक नर्तक दल को 5-5 हजार रूपए देने और पशु औषाधालय निर्माण की घोषणा की। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए लोक निर्माण मंत्री एवं जिले के प्रभारी ताम्रध्वज साहू ने अपने उद्बोधन में कहा कि छत्तीसगढ़ की संस्कृति, वेशभूषा, खाना, रीति-रीवाज को आगे बढ़ाने का कार्य छत्तीसगढ़ सरकार कर रही है। छत्तीसगढ़ के पारम्परिक पकवानों की खुशबू देश की राजधानी तक महक रही है।
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि नगरीय प्रशासन मंत्री डॉ. शिव डहरिया ने कहा कि छत्तीसगढ़ में लोक कला, संस्कृति, परम्परा को जीवंत करने का कार्य छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा किया जा रहा है। इस अवसर पर संसदीय सचिव एवं तखतपुर विधायक श्रीमती रश्मि सिंह, बिलासपुर विधायक शैलेष पाण्डेय, अपेक्स बैंक के अध्यक्ष बैजनाथ चंद्राकर, नगर निगम के महापौर रामशरण यादव, भिलाई के महापौर एवं विधायक देवेन्द्र यादव, अटल श्रीवास्तव ने संबोधित किया। इस अवसर पर स्वागत उद्बोधन कृष्ण कुमार यादव ने दिया। आभार प्रदर्शन राउत नाचा महोत्सव आयोजन समिति के अध्यक्ष डॉ. कालीचरण यादव ने किया।
पारम्परिक वेशभूषा में राउत नाचा का आनंद लिया मुख्यमंत्री ने
कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री को यादवों के पारम्परिक वेशभूषा से संवारा गया। मुख्यमंत्री बघेल कलगी, पागा, जैकेट, कौड़ी पहनकर लाठी लेकर नृतकों के गोल घेरे में पहुंचे और उनके साथ गड़वा बाजा और मुरली के धुन में दोहा पढ़ते हुए नृत्य का आनंद उठाया। उनके साथ नृत्य में अन्य अतिथि भी शामिल हुए।
कार्यक्रम में मुख्यमंत्री के सलाहकार प्रदीप शर्मा, विनोद वर्मा, खनिज विकास निगम के अध्यक्ष गिरीश देवांगन, जिला पंचायत अध्यक्ष अरूण सिंह चौहान सहित जनप्रतिनिधि, नागरिकगण एवं प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों से आये हुए राउत नर्तक दल उपस्थित थे।
रायपुर / शौर्यपथ / छत्तीसगढ़ में राज्य शासन के राजस्व विभाग के अंतर्गत राज्य के विभिन्न राजस्व न्यायलयों में करीब 6 लाख 96 हजार 842 दर्ज राजस्व प्रकरणों में से अब तक 5 लाख 32 हजार 646 विभिन्न राजस्व प्रकरणों की निराकरण कर लिया गया है। उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ शासन द्वारा जनहित में सभी राजस्व प्रकरणों का निराकरण ई-कोर्ट के जरिए किया जा रहा है। ई-कोर्ट प्रणाली से राजस्व प्रकरण तीव्रता से निराकृत किए जा रहे हैं। जिससे प्रदेश में आमजनों के राजस्व प्रकरण शीघ्रता से निराकृत हो रहे हैं।
प्रदेश के विभिन्न जिलों में राजस्व प्रकरणों के निराकृत प्रकरणों में कबीरधाम में 25 हजार 466 प्रकारण का निराकरण किया गया है। कोण्डागांव में 9 हजार 638, कोरबा में 17 हजार 539, कोरिया में 13 हजार 437, गरियाबंद में 8 हजार 76 और गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही में एक हजार पांच राजस्व प्रकरण निकराकृत किए गए हैं। जशपुर जिले में 23,950, जांजगीर-चांपा में 35 हजार 314, दंतेवाड़ा में 5 हजार 527, दुर्ग में 54 हजार 917, धमतरी में 25546, नारायणपुर में दो हजार 288, बेमेतरा में 13 ,630, बलरामपुर में 9986, बलौदाबाजार में 16,485, बालोद में 24 हजार 445 और बिलासपुर जिले के राजस्व न्यायालयों में 31 हजार 814 राजस्व संबंधी प्रकरण निराकृत कर लिए हैं। इसी तरह से मुंगेली जिले में 8 हजार 838, महासमुंद में 15 हजार 864 और राजनांदगांव में 47 हजार 400 राजस्व प्रकरण निराकृत किए जा चुके हैं। रायपुर में 30 हजार 755 और रायगढ़ में 26 हजार 716 सुकमा जिले में तीन हजार 577, सरगुजा में 15 हजार 789 और सूरजपुर में 19 हजार 446 राजस्व प्रकरणों का निराकरण राजस्व न्यायालयों में किया गया है। इसी प्रकार से संभाग स्तरीय राजस्व न्यायालयों में दुर्ग संभाग से एक हजार 87, बस्तर संभाग से 461, बिलासपुर संभाग में 160, रायपुर संभाग में 80 और सरगुजा संभाग में एक हजार 60 राजस्व प्रकरण निराकृत किए गए हैं।
बिलासपुर / शौर्यपथ / 2020 माह अक्टुबर में जिस तरह से मरवाही उपचुनाव में नामांकन स्क्रुटनी के बाद जिस तरह से उपचुनाव में प्रत्याशी अमित जोगी, ऋचा जोगी के नामाकंन पत्र को अमान्य हुए उससे यह सवाल उठता है कि छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस जिसे सामान्य शब्दों में जेसीसीजे कहा जाता है के कार्यकर्ता और समर्थकों की का पुरा दल लूट लिया गया। उसका नेतृत्व करा क्या रहा था। पार्टी के इस तरह से बिखर जाने के लिए उत्तरदायी कौन है। नामाकंन पत्र निरस्त हो जाने के बाद भी पार्टी की ओर से अधिकृत ब्यान ना आना किस ओर संकेत करता है।
कांग्रेस के कुछ नेता जिस तरह से जोगी और भाजपा के बीच मित्रता की कहानी बताते है वैसे ही कुछ दुर्भीसंधी के संकेत तो कांग्रेस और जोगी के बीच भी दिखाई देती। किन्तु इन संकेतो को ना तो कोई देख रहा है और यदि कोई देख भी रहा है तो लिख नही रहा है। नामांकन निरस्त होंगे इसकी पठकथा पूर्व में ही लिखि जा चुकी थी। ऋचा जोगी का जाति प्रमाण पत्र जो अब निलंबित है उसका आवेदन आॅनलाईन भरा गया और प्रमाण पत्र भी आॅनलाईन ही डाउनलोड हुआ है। जो लोग दो दिन प्रमाणपत्र कैसे बन गया प्रश्न करते है, उन्हें यह पता होना चाहिए की जाति प्रमाणपत्र 12 घंटे में भी बन जाता है। जेसीसीजे के नेतृत्व को प्रशासनिक गतिविधिया और उनके द्वारा लिए जाने वाले निणर्य का पूर्व आभास था। तभी तो वे न्यायालय की शरण में जाने की बात करते थे, किन्तु जाते नही थे। मरवाही के निर्वाचन अधिकारी के कक्ष में जेसीसीजे प्रत्याशी की ओर से जो विधि विशेषज्ञ खड़े होते थे।
याद करें जब मरवाही का नामाकंन बिलासपुर जिले के निर्वाचन अधिकारी के कक्ष में जमा होता था, तब विधि विशेषज्ञ कौन होते थे। जोगी-जोगी एंड जोगी के नामाकंन पत्रों पर जो लोग वर्ष 2020 में आपत्ती कर रहे थे वे ही लोग पिछले दो आम सभा चुनाव में आपत्ती करते थे, और प्रत्याशी के और से जवाब देने का काम कौन करता था? वे चेहरे याद होंगे। राज्य की जिस राजनैतिक परिस्थिति में जेसीसीजे का निर्माण हुआ और जिस तरह से कार्यकर्ता तथा नेता जुड़े उनमे से कुछ ने तो अपनी वापसी विधानसभा चुनाव की आहट शुरू होते ही कर दी थी। ऐसे लोग वापसी कारण व्यक्तिवादी राजनीति बताते है। चुनाव के परिणामों में जेसीसीजे को पांच विधायक का आकड़ा प्राप्त था। यहां तक की जोगी जी के कुशन नेतृत्व के कारण कांग्रेस को कोटा जैसी परंपरागत सीट पर भी मात मिली। किन्तु कभी भी ऐसा नही हुआ की सार्वजनिक रूप से पांचो विधायक मरवाही में एक साथ आए है।
जबकि मरवाही से ही जेसीसीजे का जन्म हुआ। अजीत जोगी के गुजर जाने के बाद जिस तरह से जेसीसीजे का कारवां लुटा है, उससे पार्टी के नेतृत्व की क्षमता पर प्रश्न चिन्ह लग गया है आखिरकार एक मान्यता प्राप्त राजनैतिक दल का ऐसा बिखराव इस तरह हो जाए और उस चुनाव चिन्ह पर जीते हुउ विधायक खामोशी रहे। इससे दुर्भीसंधी का संकेत तो जाता ही है।
रायपुर / शौर्यपथ / सामान्य प्रेक्षक जयसिंह ने आज कलेक्टरेट में आयोजित बैठक में मरवाही उपनिर्वाचन 2020 हेतु जिले में कानून व्यवस्था की स्थिति की जानकारी ली। उन्होंने जिले में उपलब्ध पुलिस बल की संख्या, केंद्रीय बलों की आवश्यकता की जानकारी ली। उन्होंने मतदान केंद्रों पर पर्याप्त संख्या में सुरक्षा बलों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। उन्होंने समय-समय पर फ्लैग मार्च का आयोजन करने की बात कही। उन्होंने केंद्रीय फोर्स की उपलब्धता, उनके रुकने की व्यवस्था इत्यादि की जानकारी ली। उन्होंने प्रीवेंटिव एक्शन, डिटेंशन बांड, आर्म्स डिपोजिशन इत्यादि के बारे में जानकारी ली। प्रेक्षक ने कहा कि पक्षपात रहित होकर कार्यवाही करें।
उन्होंने कहा कि किसी भी सभा या रैली का आयोजन बिना सक्षम अधिकारी की अनुमति के ना हो पाए, इस बात का ध्यान रखें। उन्होंने किसी भी प्रकार के अफवाहों की स्थिति में पुलिस द्वारा सक्षमतापूर्वक निपटने की तैयारी के बारे में जानकारी ली। उन्होंने निर्वाचन में सभी आवश्यक कार्यवाही समयबद्ध तरीके से हो, यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। उन्होंने अंतरराज्यीय सीमा और अंतरजिला सीमावर्ती क्षेत्रों में पुलिस बलों की विशेष निगरानी की बात कही। बैठक में सीमावर्ती क्षेत्रों में वाहनों की कड़ी चेकिंग हेतु निर्देश दिए गए। बैठक में पुलिस बलों को समन्वय के साथ काम करते हुए निर्वाचन संबंधी सभी आवश्यक दायित्वों का साक्षमतापूर्वक निर्वहन करने के निर्देश दिए गए। इस अवसर पर पुलिस अधीक्षक सूरज सिंह परिहार ने जिले में कानून व्यवस्था के संबंध में पुलिस की तैयारियों के संबंध में विस्तार से जानकारी दी।इस अवसर पर अपर कलेक्टर अजीत बसंत, एडिशनल एसपी संजय महादेवा, एडिशनल एसपी श्रीमती प्रतिभा तिवारी सहित अन्य अधिकारीगण उपस्थित थे।
पेंड्रा / शौर्यपथ / मरवाही उपचुनाव में नामांकन दाखिल करने की आखिरी तारीख गुरुवार को थी। जनता कांग्रेस के प्रमुख अमित जोगी और ऋचा जोगी दोनों ने नामांकन दाखिल किया है। जिस वक्त जोगी परिवार नामांकन दाखिल करने आया, कलेक्टोरेट परिसर में कांग्रेस के प्रत्याशी और खुद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल मौजूद थे। सियासी नाराजगी दोनों खेमों में दिखी जानिए फिर क्या हुआ। रायपुर ।
जीत के लिए अजीत आर्शीवाद
छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस (जेसीसीजे) के अध्यक्ष अमित जोगी ने शुक्रवार को नामांकन दाखिल किया। उनके साथ पत्नी ऋचा जोगी ने भी पर्चा भरा है। खास बात यह है कि एक दिन पहले ही ऋचा जोगी के जाति प्रमाणपत्र को निरस्त करने की खबरें सामने आई थीं। जेसीसीजे अध्यक्ष अमित जोगी तय समय के अनुसार दोपहर करीब 1 बजे पिता और पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी की समाधि पर पहुंचे और उन्हें पुष्पांजलि अर्पित की। इसके बाद पत्नी ऋचा जोगी और मां व कोटा विधायक डॉ. रेणु जोगी के साथ नामांकन पत्र जमा करने के लिए निर्वाचन कार्यालय पहुंचे।
कांग्रेस का नामांकन भी दाखिल
मरवाही उपचुनाव में नामांकन के अंतिम दिन शुक्रवार को कांग्रेस उम्मीदवार डॉ. केके ध्रुव ने पर्चा दाखिल किया। दो सेट में जमा किए गए नामांकन में पहले मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम मौजूद रहे। दूसरा सेट जमा करने के दौरान मंत्री जयसिंह अग्रवाल और कोरबा सांसद ज्योत्सना महंत मौजूद थीं।कार्यालय से बाहर निकले मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने फिर मीडिया से बात की। उन्होंने कहा, गौरेला-पेंड्रा-मरवाही जिला बनाने की मांग वर्षों से लंबित पड़ी थी। खुशी है कि इसे मेरे कार्यकाल में पूरा किया जा सका है। मरवाही अब विकास की नई गाथा लिखेगा।
बिलासपुर / शौर्यपथ / मरवाही विधानसभा क्षेत्र में कुल 237 मतदान केन्द्र है, और मतदाताओं की संख्या एक लाख 90 हजार 254 के लगभग है। जिसमें से महिलाओं मतदाताओं की संख्या 96 हजार और पुरूष मतदाता 93 हजार के लगभग है। इन मतदाताओं को संभालने के लिए कांग्रेस ने अपने 48 विधायकों को सैक्टरवाईज़ जिम्मेदारी दी है। चार मंत्रियों को ही उतार दिया है। छत्तीसगढ़ एक ऐास प्रदेश है जिसने दो बरा उपचुनाव में मुख्यमंत्री को चुनाव लड़ते देखा। पहली बार विभाजित मध्यप्रदेश के वक्त अर्जुन सिंह ने खरसियां जिला रायगढ़ से चुनाव लड़ा और दुसरी बार छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद 2001 में अजीत जोगी ने मरवाही विधानसभा से उपचुनाव लड़ा।
दोनो चुनाव के बीच लंबा अंतराल था, और दो बड़े अंतर थे अर्जुन सिंह के चुनाव में कांग्रेस के विधायक लक्ष्मी पटेल ने इस्तिफा देकर सीट खाली की थी जबकि मरवाही में भाजपा के रामदयाल उईके ने अपनी सीट छोड़ दी थी। खरसियां का उपचुनाव राजनैतिक इतिहास में हमेशा याद किया जाता है। क्योंकि यहां पर अर्जन सिंह जैसे दिग्गज राजनेता को जीत के लिए एड़ीचोटी का जोड़ लगाना पड़ा। वे मात्र 8 हजार वोट से जीत पाए थे और हारने के बावजूद पराजीत प्रत्याशी दिलीप सिंह जुदैव का जुलूस आज भी खरसियां की जनता को याद है। इससे उल्ट कहानी मरवाही की थी। 2001 में मरवाही ने अजीत जोगी ने जीत की जो इमारत खड़ी की वह 2018 तक बढ़ती ही चली गई। फिर चाहे चुनाव अजीत जोगी लड़ रहे हो या अमित जोगी। कभी भी कैसी भी परिस्थिति में जीत का आकड़ा 40 हजार से नीचे नहीं गया। वर्ष 2018 के चुनाव में अजीत जोगी को मात्र एक मतदान के लिए कटरा में हार मिली और वहां भी वे प्रत्याशी से नही नोटा से हारे।
2018 के चुनाव में मरवाही में नोटा को 4 हजार 501 वोट मिला। कटरा में नोटा 89, जोगी 78, कांग्रेस गुलाब सिंह राज 64 और भाजपा अर्चना पोर्ते 58 मत पाएं थे। मरवाही जैसे आदिवासी बहुल्य क्षेत्र में नोटा को प्राप्त होने वाला वोट राजनैतिक पंडितों को आश्र्चय में डालता है। 4 सेक्टरों में कांग्रेस ने जिन लोगों को जिम्मेदारी दी है। उसमें सासंद, संसदीय सचिव और विधायक शामिल है। उत्तर क्षेत्र में के प्रभारी उत्तम वासुदेव और मंत्री गुरू रूद्र कुमार है। दक्षिण क्षेत्र में विधायक शैलेष पांडेय और मंत्री डाॅक्टर प्रेम साय सिंह।
गौरेला क्षेत्र अर्जुन तिवारी और मोहम्मद अकबर, पेंड्रा क्षेत्र में मोहित केरकेटा और मंत्री कवासी लखमा को जिम्मेदारी मिलीं 4 मंत्री 48 विधायक आकड़ा थोड़ा छोटा है। असल में प्रदेश के मुखिया ने मरवाही में अपने मंत्री मंडल को उतार दिया है। प्रत्याशी भले ही केके धु्रव किन्तु चुनाव में सीधे मुख्यमंत्री की प्रतिष्ठा जुड़ी है। इस कथा का पुरा सार नामाकंन जांच के बाद पढ़ने मिलेगा।
बिलासपुर / शौर्यपथ / मरवाही विधानसभा क्षेत्र में कुल 237 मतदान केन्द्र है, और मतदाताओं की संख्या एक लाख 90 हजार 254 के लगभग है। जिसमें से महिलाओं मतदाताओं की संख्या 96 हजार और पुरूष मतदाता 93 हजार के लगभग है। इन मतदाताओं को संभालने के लिए कांग्रेस ने अपने 48 विधायकों को सैक्टरवाईज़ जिम्मेदारी दी है। चार मंत्रियों को ही उतार दिया है। छत्तीसगढ़ एक ऐास प्रदेश है जिसने दो बरा उपचुनाव में मुख्यमंत्री को चुनाव लड़ते देखा। पहली बार विभाजित मध्यप्रदेश के वक्त अर्जुन सिंह ने खरसियां जिला रायगढ़ से चुनाव लड़ा और दुसरी बार छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद 2001 में अजीत जोगी ने मरवाही विधानसभा से उपचुनाव लड़ा। दोनो चुनाव के बीच लंबा अंतराल था, और दो बड़े अंतर थे अर्जुन सिंह के चुनाव में कांग्रेस के विधायक लक्ष्मी पटेल ने इस्तिफा देकर सीट खाली की थी जबकि मरवाही में भाजपा के रामदयाल उईके ने अपनी सीट छोड़ दी थी।
खरसियां का उपचुनाव राजनैतिक इतिहास में हमेशा याद किया जाता है। क्योंकि यहां पर अर्जन सिंह जैसे दिग्गज राजनेता को जीत के लिए एड़ीचोटी का जोड़ लगाना पड़ा। वे मात्र 8 हजार वोट से जीत पाए थे और हारने के बावजूद पराजीत प्रत्याशी दिलीप सिंह जुदैव का जुलूस आज भी खरसियां की जनता को याद है। इससे उल्ट कहानी मरवाही की थी। 2001 में मरवाही ने अजीत जोगी ने जीत की जो इमारत खड़ी की वह 2018 तक बढ़ती ही चली गई। फिर चाहे चुनाव अजीत जोगी लड़ रहे हो या अमित जोगी। कभी भी कैसी भी परिस्थिति में जीत का आकड़ा 40 हजार से नीचे नहीं गया। वर्ष 2018 के चुनाव में अजीत जोगी को मात्र एक मतदान के लिए कटरा में हार मिली और वहां भी वे प्रत्याशी से नही नोटा से हारे। 2018 के चुनाव में मरवाही में नोटा को 4 हजार 501 वोट मिला। कटरा में नोटा 89, जोगी 78, कांग्रेस गुलाब सिंह राज 64 और भाजपा अर्चना पोर्ते 58 मत पाएं थे।
मरवाही जैसे आदिवासी बहुल्य क्षेत्र में नोटा को प्राप्त होने वाला वोट राजनैतिक पंडितों को आश्र्चय में डालता है। 4 सेक्टरों में कांग्रेस ने जिन लोगों को जिम्मेदारी दी है। उसमें सासंद, संसदीय सचिव और विधायक शामिल है। उत्तर क्षेत्र में के प्रभारी उत्तम वासुदेव और मंत्री गुरू रूद्र कुमार है। दक्षिण क्षेत्र में विधायक शैलेष पांडेय और मंत्री डाॅक्टर प्रेम साय सिंह। गौरेला क्षेत्र अर्जुन तिवारी और मोहम्मद अकबर, पेंड्रा क्षेत्र में मोहित केरकेटा और मंत्री कवासी लखमा को जिम्मेदारी मिलीं 4 मंत्री 48 विधायक आकड़ा थोड़ा छोटा है। असल में प्रदेश के मुखिया ने मरवाही में अपने मंत्री मंडल को उतार दिया है। प्रत्याशी भले ही केके धु्रव किन्तु चुनाव में सीधे मुख्यमंत्री की प्रतिष्ठा जुड़ी है। इस कथा का पुरा सार नामाकंन जांच के बाद पढ़ने मिलेगा।
