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धर्म संसार / शौर्यपथ / प्रभु यीशु के जन्म की ख़ुशी में मनाया जाने वाला क्रिसमस का त्योहार पूरी दुनिया में मनाया जाता है। यह त्योहार कई मायनों में बेहद खास है। क्रिसमस को बड़ा दिन, सेंट स्टीफेंस डे या फीस्ट ऑफ़ सेंट स्टीफेंस भी कहा जाता है। प्रभु यीशु ने दुनिया को प्यार और इंसानियत की शिक्षा दी। उन्होंने लोगों को प्रेम और भाईचारे के साथ रहने का संदेश दिया। प्रभु यीशु को ईश्वर का इकलौता प्यारा पुत्र माना जाता है। इस त्योहार से कई रोचक तथ्य जुड़े हैं। आइए जानते हैं इनके बारे में।
क्रिसमस ऐसा त्योहार है जिसे हर धर्म के लोग उत्साह से मनाते हैं। यह एकमात्र ऐसा त्योहार है जिस दिन लगभग पूरे विश्व में अवकाश रहता है। 25 दिसंबर को मनाया जाने वाला यह त्योहार आर्मीनियाई अपोस्टोलिक चर्च में 6 जनवरी को मनाया जाता है। कई देशों में क्रिसमस का अगला दिन 26 दिसंबर बॉक्सिंग डे के रूप मे मनाया जाता है। क्रिसमस पर सांता क्लॉज़ को लेकर मान्यता है कि चौथी शताब्दी में संत निकोलस जो तुर्की के मीरा नामक शहर के बिशप थे, वही सांता थे। वह गरीबों की हमेशा मदद करते थे उनको उपहार देते थे। क्रिसमस के तीन पारंपरिक रंग हैं हरा, लाल और सुनहरा। हरा रंग जीवन का प्रतीक है, जबकि लाल रंग ईसा मसीह के रक्त और सुनहरा रंग रोशनी का प्रतीक है। क्रिसमस की रात को जादुई रात कहा जाता है। माना जाता है कि इस रात सच्चे दिल वाले लोग जानवरों की बोली को समझ सकते हैं। क्रिसमस पर घर के आंगन में क्रिसमस ट्री लगाया जाता है। क्रिसमस ट्री को दक्षिण पूर्व दिशा में लगाना शुभ माना जाता है। फेंगशुई के मुताबिक ऐसा करने से घर में सुख समृद्धि आती है। पोलैंड में मकड़ी के जालों से क्रिसमस ट्री को सजाने की परंपरा है। मान्यता है कि मकड़ी ने सबसे पहले जीसस के लिए कंबल बुना था।
राष्ट्रीय मंत्री अरविंद मेनन और छत्तीसगढ़ प्रतिनिधिमंडल के साथ बूथ स्तर तक जीत सुनिश्चित करने की बनी रणनीति
पटना/छपरा / शौर्यपथ /
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 का शंखनाद होते ही भारतीय जनता पार्टी ने अपने चुनावी अभियान में संगठन और समन्वय की शक्ति को एकजुट कर दिया है।
इसी क्रम में छत्तीसगढ़ के कैबिनेट मंत्री एवं दुर्ग विधायक श्री गजेन्द्र यादव ने बिहार के सारण-छपरा क्षेत्र में पहुंचकर भाजपा प्रत्याशियों के पक्ष में प्रचार की कमान संभाली।
मंत्री यादव ने बिहार में चुनावी अभियान को गति देते हुए भाजपा के राष्ट्रीय मंत्री एवं मध्यप्रदेश के पूर्व संगठन महामंत्री अरविंद मेनन की उपस्थिति में आयोजित महत्वपूर्ण संगठनात्मक बैठक में भाग लिया।
इस बैठक में प्रत्येक बूथ पर भाजपा की जीत सुनिश्चित करने की रणनीति पर विस्तारपूर्वक चर्चा हुई और कार्यकर्ताओं में नई ऊर्जा का संचार हुआ।
“भाजपा की ताकत कार्यकर्ताओं में है। जब प्रत्येक बूथ सशक्त होगा, तभी बिहार में पुनः डबल इंजन की सरकार बनेगी।”
— गजेन्द्र यादव, मंत्री, छत्तीसगढ़ शासन
बैठक में महाराजगंज सांसद जनार्दन सिंह सिगरीवाल, भाजपा जिलाध्यक्ष रंजीत सिंह, तथा सभी विधानसभा प्रभारी, संयोजक और विस्तारक उपस्थित रहे।
सभी ने बिहार में पुनः एनडीए की प्रचंड जीत सुनिश्चित करने का संकल्प लिया।
प्रचार के दौरान प्रतिनिधिमंडल ने सारण पश्चिम भाजपा जिलाध्यक्ष स्व. बृजमोहन सिंह के निवास पर पहुँचकर श्रद्धांजलि अर्पित की।
मंत्री यादव ने कहा —
“भाजपा संगठन को सशक्त बनाने में स्व. बृजमोहन सिंह जी का योगदान अविस्मरणीय रहेगा। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति और परिवार को शक्ति दें।”
मंत्री यादव ने बनियापुर विधानसभा क्षेत्र में भाजपा प्रत्याशी श्री केदारनाथ सिंह एवं समर्पित कार्यकर्ताओं से मुलाक़ात की।
उन्होंने संगठन की तैयारियों की समीक्षा करते हुए कहा कि जनता के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जनकल्याणकारी नीतियों को पहुँचाना ही विजय की कुंजी है।
छपरा विधानसभा क्षेत्र में मंत्री यादव ने भाजपा प्रत्याशी श्रीमती छोटी कुमारी के समर्थन में कार्यकर्ताओं की बैठक ली और भव्य नामांकन रैली में सम्मिलित हुए।
रैली में जनता से अपील की गई कि वे विकास, विश्वास और सेवा की डबल इंजन सरकार को पुनः अवसर दें।
कार्यक्रम में पूर्व विधायक श्री सी.एन. गुप्ता सहित बड़ी संख्या में कार्यकर्ता और समर्थक उपस्थित रहे।
“बिहार की जनता का उत्साह स्पष्ट संकेत दे रहा है कि इस बार भी भाजपा की प्रचंड सरकार बनने जा रही है।”
— गजेन्द्र यादव
छपरा में आयोजित इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) दिवाली मिलन समारोह में मंत्री यादव ने चिकित्सकों से आत्मीय संवाद किया।
उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश की स्वास्थ्य सेवाओं में आए परिवर्तनकारी सुधारों की जानकारी साझा की और भाजपा प्रत्याशी श्रीमती छोटी कुमारी के पक्ष में समर्थन की अपील की।
राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में छत्तीसगढ़ भाजपा की उपस्थिति ने अभियान में नई ऊर्जा भर दी है।
18 अक्टूबर की नामांकन रैली के बाद से छत्तीसगढ़ के विधायक और मंत्री लगातार बिहार के विभिन्न क्षेत्रों में सक्रिय हैं, जिनमें कैबिनेट मंत्री गजेन्द्र यादव की भूमिका सबसे प्रभावशाली रही है।
“एक राष्ट्र, एक संगठन, एक लक्ष्य — यही भाजपा की ताकत है।”
बिहार की धरती पर अब स्पष्ट दिख रहा है —
“डबल इंजन का इंजन फिर गरजने को तैयार है।”
बिहार चुनाव प्रवास से लौटने के बाद रायपुर में लगातार राजनीतिक व सामाजिक कार्यक्रमों में सक्रिय रहीं — मुख्यमंत्री विष्णु देव साय और विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह से की सौजन्य भेंट
रायपुर, 19 अक्टूबर 2025।
दीपावली और धनतेरस के पावन पर्व पर छत्तीसगढ़ की युवा एवं उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए सम्मानित विधायक सुश्री भावना बोहरा ने राजनीति, समाज और संस्कृति के संगम से सजे कार्यक्रमों में अपनी सक्रिय उपस्थिति दर्ज कराई। उन्होंने स्वदेशी, सेवा और सादगी के संदेश के साथ जनसंपर्क की नई मिसाल प्रस्तुत की।
विधायक भावना बोहरा ने भाजपा प्रदेश कार्यालय, कुशाभाऊ ठाकरे परिसर, रायपुर में “हर घर स्वदेशी, घर-घर स्वदेशी” थीम पर बनी रंगोली में सहभागिता कर आत्मनिर्भर भारत का सशक्त संदेश दिया। उन्होंने कहा कि “स्वदेशी अपनाना केवल आर्थिक आत्मनिर्भरता नहीं, बल्कि राष्ट्र गौरव का प्रतीक है।”
बोहरा ने कैबिनेट मंत्री श्री गुरु खुशवंत साहेब के नवा रायपुर, अटल नगर स्थित नवीन शासकीय आवास में आयोजित गृह प्रवेश समारोह में भाग लिया और उन्हें हार्दिक शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा —
“जनसेवा के इस घर में सदैव सद्भाव, सकारात्मक निर्णय और लोककल्याण के विचार प्रवाहित हों।”
विधायक बोहरा ने मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय से मुलाकात कर उन्हें धनतेरस व दीपावली की शुभकामनाएं दीं। इस दौरान राज्य के समग्र विकास, महिला व युवा सशक्तिकरण, किसान कल्याण और नक्सल उन्मूलन जैसे विषयों पर विस्तृत चर्चा हुई।
“मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय जी के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ निरंतर विकास और सुशासन के नए अध्याय लिख रहा है। अंतिम व्यक्ति तक विकास पहुँचना ही हमारा ध्येय है।”
— भावना बोहरा, विधायक, पंडरिया
बिहार चुनाव प्रवास से लौटने के पश्चात भावना बोहरा ने स्पीकर हाउस, रायपुर में विधानसभा अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह से भेंट कर उनका कुशलक्षेम जाना और जन्मदिन व दीपावली की शुभकामनाएं दीं।
दोनों के बीच राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों पर विचारोत्तेजक चर्चा हुई।
“डॉ. सिंह जी का अनुभव और सादगी युवा नेतृत्व के लिए सदैव प्रेरक रही है। प्रभु श्रीराम उन्हें उत्तम स्वास्थ्य और दीर्घायु प्रदान करें।”
— भावना बोहरा
दीपावली की पूर्व संध्या पर विधायक भावना बोहरा ने कहा —
“यह पर्व केवल दीप प्रज्वलन का नहीं, बल्कि आत्मबल, स्वदेशी और समाजहित की ज्योति जलाने का अवसर है।”
उन्होंने आम नागरिकों के सुख, शांति और समृद्धि की मंगलकामनाएं दीं।
निरंतर सक्रियता, संतुलित विचार और समाज के प्रति गहरी संवेदना के कारण विधायक भावना बोहरा आज छत्तीसगढ़ की युवा नेतृत्व की अग्रणी आवाज़ बन चुकी हैं।
विधानसभा में “उत्कृष्ट विधायक” सम्मान प्राप्त करने वाली बोहरा का जनसेवा के प्रति समर्पण उन्हें राज्य के अग्रणी जनप्रतिनिधियों में विशेष स्थान दिलाता है।
दुर्ग / शौर्यपथ / राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन अंतर्गत संविदा भर्ती हेतु 11 जनवरी 2025 के माध्यम से 38 पद हेतु विज्ञापन प्रकाशित किया गया है। उक्त विज्ञापित पदों की अनंतिम संवर्गवार चयन सूची दुर्ग जिले के विभागीय वेबसाईट www.durg.gov.in में अपलोड की गई है। उपरोक्त चयनित अभ्यर्थियों के मूल दस्तावेज सत्यापन एवं पदस्थापना स्थल चयन हेतु 17 अक्टूबर 2025 को कार्यालय मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी दुर्ग के सभागार में प्रात: 10 बजे से उपस्थित होने हेतु सूचना प्रसारित किया गया था। उक्त दिवस में ऐसे चयनित अभ्यर्थी जो किसी कारणवश उपस्थित नही हो पाये थे, उन्हें 07 नवम्बर 2025 तक कार्यालयीन दिवस व समय में पुन: उपस्थित होने हेतु अंतिम अवसर प्रदान किया जाता है। निर्धारित तिथि तक मूल दस्तावेज सत्यापन एवं पदस्थापना स्थल चयन हेतु उपस्थित नही होने की स्थिति में प्रतीक्षा सूची से अभ्यर्थी का चयन में वरीयता प्रदान की जाएगी। विस्तृत जानकारी हेतु दुर्ग जिले की वेबसाईट स्रह्वह्म्द्द.द्दश1.द्बठ्ठ में अवलोकन व डाउनलोड किया जा सकता है।
दुर्ग / शौर्यपथ / मुख्यमंत्री उच्च शिक्षा प्रोत्साहन छात्रवृत्ति योजना वर्ष 2025-26 हेतु स्वीकृति प्रदान की गई है। जिसके तहत् राज्य के प्रतिभावान निम्न आय वर्ग के विद्यार्थी जो कि राष्ट्रीय स्तर के उच्च व्यवसायिक संस्थानों जैसे आईआईटी, एम्स, आईआईएम, एनएलयू, एमबीबीएस जैसे संस्थाओं में शिक्षण सत्र 2025-26 में प्रवेश प्राप्त कर अध्ययन कर रहे हैं उन्हे तात्कालिक सहायता प्रदान की जाएगी। आदिवासी विकास विभाग के सहायक आयुक्त से प्राप्त जानकारी के अनुसार उक्त योजना के तहत् आमंत्रण करने हेतु विद्यार्थी छत्तीसगढ़ राज्य का मूल निवासी होना चाहिए। विद्यार्थी को छत्तीसगढ़ राज्य हेतु अधिसूचित अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं अन्य पिछड़े वर्ग की सूची में शामिल होना चाहिए। उल्लेखित संस्था में चयन की पात्रता के साथ ही चयन होने का प्रमाण पत्र एवं प्रवेश लेने हेतु संस्था द्वारा जारी सूचना पत्र होना चाहिए। अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए पालक की वार्षिक आय रूपए 2.50 लाख से अधिक नहीं होनी चाहिए। शासकीय सेवकों के आश्रित इस योजना के पात्र नहीं होगे किन्तु चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के बच्चे इस योजना का लाभ ले सकेंगे। इच्छुक एवं पात्र अभ्यर्थियों से 25 अक्टूबर 2025 तक कार्यालयीन समय में ऑफलाईन आवेदन आमंत्रित किए गए है। पात्रता, शर्ते तथा आवेदन पत्र का प्रारूप जिले की वेबसाईट- कनतह.हवअ.पद से डाउनलोड की जा सकती है। अभ्यर्थी आवेदन पत्र निर्धारित प्रपत्र में जिले के सहायक आयुक्त, आदिवासी विकास कार्यालय में अंतिम तिथि तक जमा कर सकते है।
उप मुख्यमंत्री ने बस्तर ओलंपिक की तैयारियों की समीक्षा की
खेल मैदानों की उपलब्धता, उनकी मैपिंग, भोजन, यातायात, आवास, प्राथमिक चिकित्सा, निर्णायकों एवं रेफरियों की व्यवस्था के लिए अग्रिम तैयारी सुनिश्चित करने के दिए निर्देश
अब तक 2.72 लाख खिलाड़ियों का पंजीयन, 20 अक्टूबर तक करा सकते हैं पंजीयन
रायपुर / शौर्यपथ / बस्तर ओलंपिक-2025 की तैयारियाँ अब अंतिम चरण में हैं। उप मुख्यमंत्री तथा खेल एवं युवा कल्याण मंत्री श्री अरुण साव ने आज वरिष्ठ विभागीय अधिकारियों तथा बस्तर संभाग के सभी जिला खेल अधिकारियों की बैठक लेकर इसकी तैयारियों की समीक्षा की। उन्होंने नवा रायपुर स्थित विश्राम भवन में आयोजित बैठक में बस्तर ओलंपिक के व्यापक और सुव्यवस्थित आयोजन के लिए विकासखंड स्तरीय आयोजनों पर विशेष ध्यान देने के निर्देश दिए। उन्होंने खेल मैदानों की उपलब्धता, उनकी मैपिंग, भोजन, यातायात, आवास, प्राथमिक चिकित्सा, निर्णायकों एवं रेफरियों की व्यवस्था के लिए अग्रिम तैयारी सुनिश्चित करने को कहा। खेल एवं युवा कल्याण विभाग के सचिव यशवंत कुमार और संचालक श्रीमती तनूजा सलाम भी समीक्षा बैठक में उपस्थित थीं। बस्तर संभाग के सभी जिला खेल अधिकारी वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से बैठक में शामिल हुए।
उप मुख्यमंत्री साव ने बैठक में बस्तर ओलंपिक की पंजीयन प्रक्रिया एवं व्यापक प्रचार-प्रसार की समीक्षा की। उन्होंने ग्राम स्तर से लेकर जिला स्तर तक प्रचार-प्रसार की योजनाओं—जैसे दीवार लेखन, मशाल यात्रा, पोस्टर, बैनर, पैंपलेट वितरण, हाट-बाज़ारों में प्रचार इत्यादि की जानकारी ली। उन्होंने इसे और अधिक प्रभावी बनाने के निर्देश दिए। खेल एवं युवा कल्याण विभाग के अधिकारियों ने बताया कि बस्तर ओलंपिक के लिए अब तक 2 लाख 72 हजार से अधिक प्रतिभागियों का पंजीयन हो चुका है। 20 अक्टूबर तक पंजीयन कराया जा सकता है। इस पर श्री साव ने प्रत्येक विकासखण्ड में पंजीयन की स्थिति की समीक्षा कर जिन क्षेत्रों में पंजीयन कम हैं, वहां विशेष अभियान चलाकर ज्यादा से ज्यादा पंजीयन सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। उन्होंने महिलाओं की तुलना में पुरुष प्रतिभागियों के कम पंजीयन को देखते हुए जिला खेल अधिकारियों को पुरुषों की भागीदारी बढ़ाने के लिए विशेष प्रयास करने को कहा।
श्री साव ने बैठक में अधिकारियों से कहा कि बस्तर ओलंपिक अब केवल क्षेत्रीय आयोजन नहीं रह गया है, बल्कि इसकी ख्याति पूरे देश में फैल चुकी है। अतः इसे राष्ट्रीय महत्व का आयोजन मानते हुए विकासखंड से लेकर संभाग स्तर तक उच्च गुणवत्ता और समयबद्धता के साथ आयोजित किया जाए। उन्होंने राष्ट्रीय स्तर के निर्णायकों की भागीदारी सुनिश्चित करने तथा राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों को प्रेरणा स्रोत के रूप में आमंत्रित करने के भी निर्देश दिए। उन्होंने 25 अक्टूबर से प्रारंभ होकर 5 नवंबर तक होने वाले विकासखंड स्तरीय आयोजनों के लिए सभी जिलों को समय पूर्व संपूर्ण तैयारी सुनिश्चित करने के भी निर्देश दिए।
उप मुख्यमंत्री ने फुटबॉल, हॉकी, वॉलीबॉल जैसे खेलों में पंजीयन बढ़ाने के लिए विशेष प्रयास करने तथा खेल विभाग से प्राप्त बजट के अतिरिक्त जिला कलेक्टरों के सहयोग से सीएसआर निधि से वित्तीय आवश्यकताओं की पूर्ति करने को कहा। खेल एवं युवा कल्याण विभाग की उप संचालक श्रीमती रश्मि ठाकुर तथा खेल अधिकारी श्री गिरीश शुक्ला भी बैठक में मौजूद थे।
ग्रामीण महिलाओं की आत्मनिर्भरता की दिशा में सराहनीय कदम, सक्ती प्रशासन का सतत सहयोग
रायपुर / शौर्यपथ / दीपावली जैसे प्रमुख त्यौहार के अवसर पर छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन (बिहान) के तहत कार्यरत जिला सक्ती की महिलाओं ने आत्मनिर्भरता की दिशा में एक नई मिसाल पेश की है। ग्राम पलाड़ीखुर्द की राधा कृष्ण स्व-सहायता समूह की सदस्याएं अपने “संगिनी” ब्रांड के अंतर्गत आकर्षक गिफ्ट हैम्पर तैयार कर रही हैं, जिनमें विभिन्न प्रकार के सुगंधित एवं डिज़ाइनर मोम उत्पाद शामिल हैं।
महिलाओं की सशक्तिकरण और रोज़गार सृजन की दिशा में महत्वपूर्ण पहल
यह अभिनव पहल महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण और रोज़गार सृजन की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान दे रही है। जिला प्रशासन सक्ती द्वारा दीदियों को उत्पाद निर्माण, पैकेजिंग और विपणन के लिए निरंतर सहयोग एवं मार्गदर्शन प्रदान किया जा रहा है। समूह की सदस्य श्रीमती पुष्पा दीदी ने बताया कि समूह द्वारा त्यौहारी सीजन को ध्यान में रखते हुए राखी, रंगोली, आचार, गुलाल, तथा मोम उत्पाद जैसे विविध वस्तुओं का निर्माण किया जाता है। उन्होंने कहा कि इन गतिविधियों से हमें न केवल आर्थिक लाभ मिला है बल्कि आत्मविश्वास भी बढ़ा है।
समूह को 2 लाख रुपये तक की आय
पुष्पा दीदी ने आगे बताया कि समूह की दीदियों ने पूर्व में आर-सेटी (त्ैम्ज्प्) से डिज़ाइनर कैंडल बनाने का प्रशिक्षण प्राप्त किया था। इसके बाद यूट्यूब वीडियो के माध्यम से गिफ्ट हैम्पर तैयार करने का विचार आया। इस समय जिले की विभिन्न इंडस्ट्रीज और संस्थानों से गिफ्ट हैम्पर के ऑर्डर प्राप्त हुए हैं, जिनकी आपूर्ति दीदियों द्वारा समय पर और आकर्षक पैकेजिंग में की जा रही है। इस पहल से समूह को लगभग 1 लाख 50 हजार से 2 लाख रुपये तक का व्यवसाय प्राप्त होने की संभावना है। इन्हें अभी तक लगभग 60 हज़ार रुपए के गिफ्ट हैंपर के ऑर्डर मिल चुके हैं । यह प्रयास ग्रामीण महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाते हुए उन्हें स्थायी आजीविका और उद्यमिता के नए अवसर प्रदान कर रहा है। बिहान मिशन के तहत संचालित यह पहल महिलाओं की सृजनशीलता, परिश्रम और नवाचार की उत्कृष्ट मिसाल है, जो अन्य समूहों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बनेगी।
मढ़ौरा और कुशेश्वरस्थान की सीटों पर चुनावी समीकरण बदल सकते हैं, पर क्या आयोग देगा 'दूसरा मौका'?
पटना | विशेष रिपोर्ट —
बिहार चुनाव 2025 में जहां नेता जनसमर्थन के लिए पसीना बहा रहे हैं, वहीं दो उम्मीदवारों की राजनीति तकनीकी गलती के जाल में फंस गई है।
लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) की सीमा सिंह (मढ़ौरा) और वीआईपी पार्टी के गणेश भारती (कुशेश्वरस्थान) का नामांकन रद्द हो गया है — एक फॉर्म-B की गड़बड़ी में तो दूसरा सिंबल सिग्नेचर की कमी में।
अब सवाल यह है कि —
? क्या ये दोनों उम्मीदवार अब भी मैदान में उतर सकते हैं?
? या फिर यह चुनाव ‘तकनीकी गलती बनाम राजनीतिक किस्मत’ की कहानी बन जाएगा?
एलजेपी (रामविलास) की प्रत्याशी सीमा सिंह का नामांकन इसलिए रद्द हुआ क्योंकि उनके फॉर्म B — यानी पार्टी की आधिकारिक अनुमति पत्र — में त्रुटि पाई गई।
निर्वाचन अधिकारी ने सुधार का मौका दिया, लेकिन वे निर्धारित समय में संशोधित दस्तावेज़ नहीं जमा कर सकीं।
चिराग पासवान ने इस पर नाराज़गी जताते हुए कहा —
“यह एक मामूली तकनीकी गलती है, हमने चुनाव आयोग से पुनर्विचार का आग्रह किया है।”
राजनीतिक पर्यवेक्षकों के मुताबिक, सीमा सिंह के पर्चा रद्द होने से मढ़ौरा सीट पर एनडीए की स्थिति कमजोर हुई है और आरजेडी गठबंधन को अप्रत्यक्ष बढ़त मिल सकती है।
दरभंगा जिले की कुशेश्वरस्थान सीट से गणेश भारती का नामांकन इसलिए रद्द हुआ क्योंकि पार्टी सिंबल पत्र पर वीआईपी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष संतोष सहनी के हस्ताक्षर मौजूद नहीं थे।
हालांकि गणेश भारती ने दो सेट नामांकन किए थे — एक पार्टी प्रत्याशी के रूप में और दूसरा निर्दलीय रूप में।
पहला नामांकन रद्द होने के बावजूद अब वे निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में मैदान में रहेंगे।
यह फैसला महागठबंधन के लिए झटका माना जा रहा है, क्योंकि वीआईपी पार्टी आरजेडी गठबंधन की सहयोगी है।
चुनाव आयोग के नियम साफ़ कहते हैं —
“नामांकन रद्द होने के बाद उम्मीदवारी सीधे तौर पर बहाल नहीं की जा सकती।”
हालाँकि दो रास्ते हैं—
पुनर्विचार याचिका:
उम्मीदवार यह साबित कर सकता है कि नामांकन रद्द करने में प्रक्रिया संबंधी गलती हुई।
आयोग चाहे तो समीक्षा कर सकता है, लेकिन आम तौर पर यह दुर्लभ होता है।
हाई कोर्ट में रिट याचिका:
उम्मीदवार न्यायिक हस्तक्षेप मांग सकता है, पर यह लंबी प्रक्रिया होती है और चुनावी शेड्यूल में बाधा नहीं डालती।
कानूनी विशेषज्ञों का कहना है —
“अगर त्रुटि तकनीकी है और सुधार का अवसर दिया गया था, तो नामांकन दोबारा बहाल होने की संभावना बेहद कम होती है।”
मढ़ौरा (सरन) — एनडीए के लिए बड़ा नुकसान
कुशेश्वरस्थान (दरभंगा) — महागठबंधन की मुश्किलें बढ़ीं
दोनों सीटें रणनीतिक रूप से अहम हैं —
मढ़ौरा पटना-बिहारशरीफ बेल्ट के समीकरण तय करती है,
तो कुशेश्वरस्थान मिथिलांचल का वोट पैटर्न प्रभावित करती है।
इन दोनों मामलों ने बिहार चुनाव 2025 में एक नया शब्द जोड़ा है —
‘टेक्निकल टर्निंग पॉइंट’
जहाँ एक हस्ताक्षर या एक फॉर्म की ग़लती पूरे राजनीतिक समीकरण बदल सकती है।
निष्कर्ष:
सीमा सिंह और गणेश भारती की उम्मीदवारी अब आयोग या अदालत के निर्णय पर टिकी है।
पर मौजूदा संकेत यही कहते हैं — अब मैदान में वापसी आसान नहीं होगी।
तकनीकी गलती अब बिहार की राजनीति का सबसे चर्चित ‘फैक्टर’ बन चुकी है।
दुर्ग। शौर्यपथ। इस बार दीपावली से पहले ही शहर के दीये बुझने की चिंता आम हो चुकी है। नगर निगम दुर्ग का हाल ऐसा है कि उजाले का उत्सव अब सिर्फ एक ओर झुक गया है — महापौर श्रीमती अलका बाघमार के निवास की ओर। शहर की सड़कों, ठेकेदारों के घरों और कार्यालयों में अंधकार और निराशा पसरी है, जबकि महापौर निवास पर रोशनी के झरने और सजावटें यह बता रही हैं कि सत्ता का उत्सव जनता की भावनाओं से अलग राह पर बढ़ चला है।कभी शहर की जनता ने बहुत विश्वास और उम्मीद के साथ श्रीमती अलका बाघमार को चुना था। जनता का मानना था कि यह नाम दुर्ग के विकास का नया अध्याय लिखेगा, पर अब वही जनता अपने ही निर्णय पर मौन पछतावा व्यक्त कर रही है।
दरअसल, नगर निगम दुर्ग के इतिहास में यह पहला कार्यकाल है जब जनता, ठेकेदार और अधिकारी-कर्मचारी—तीनों ही वर्ग एक साथ हतोत्साहित और निराश नजर आ रहे हैं। ऐसा सामूहिक अवसाद पहले कभी किसी महापौर के कार्यकाल में देखने को नहीं मिला।शहर के हालात खुद बयान दे रहे हैं —
सड़कों पर गड्ढे आम दृश्य बन चुके हैं, गलियों में कचरे के ढेर सजावटी झालरों का मज़ाक उड़ाते हैं, आवारा पशु रात्रि प्रहरी बने बैठे हैं, और प्रशासन बस ‘दीये जलाओ, सच्चाई मत दिखाओ’ की नीति पर चलता दिख रहा है।वित्तीय मोर्चे पर स्थिति और भी गंभीर है — ठेकेदार महीनों से भुगतान की प्रतीक्षा में हैं। सूत्रों के अनुसार, इस बार दीपावली के पहले उन्हें मात्र 20 से 30 प्रतिशत रकम ही दी जा सकेगी। बाकी रकम का कोई स्पष्ट उत्तर नहीं। इस कारण ठेकेदारों के पास न तो मजदूरी बांटने को धन है, न अपने घरों में दीये जलाने की हिम्मत।फिर भी, महापौर के आवास पर इस बार दीपों का उत्सव पहले से कहीं अधिक चमकदार रहेगा। आखिरकार प्रोटोकॉल का आनंद उजाले की गारंटी देता है, और विकास कार्यों की अधूरी फाइलें उस प्रकाश में शायद कम ही दिखाई देती हैं।
बाघमार जी के नेतृत्व में नगर सरकार के कार्यक्रम भले ही फोटो फ्रेम में परफेक्ट दिखते हों, पर जमीनी शहर बदहाली के अंधेरे में डूबा है।जनता आज यही सोच रही है —
"जिनके घर में बिजली हर वक्त रहती है, उन्हें शहर के अंधेरे का एहसास कैसे होगा?"
दिवाली का यह विरोधाभास पूरे शहर में गूंज रहा है — महापौर की जगमग दिवाली और शहर की बुझी उम्मीदें।इतिहास के पन्नों में यह वर्ष शायद उसी नाम से याद किया जाएगा —
जब नगर निगम दुर्ग की महापौर श्रीमती अलका बाघमार के नेतृत्व में विकास नहीं, बल्कि हताशा ने रिकॉर्ड बनाया।फिलहाल, शहर की दीवारें अब भी रोशनी के इंतजार में हैं,
और जनता अब भी यह उम्मीद संजोए हुए है कि कभी ऐसा सवेरा आएगा जब दीप सबके घर जलेंगे — न कि सिर्फ सत्ता के घर।
जगदलपुर, शौर्यपथ। राज्य शासन की व्यापक नक्सल उन्मूलन नीति और शांति, संवाद एवं विकास पर केंद्रित सतत प्रयासों के परिणामस्वरूप बस्तर संभाग में आज नक्सल विरोधी मुहिम को ऐतिहासिक सफलता मिली है। ‘पूना मारगेम – पुनर्वास से पुनर्जीवन’ कार्यक्रम के अंतर्गत दण्डकारण्य क्षेत्र के 210 माओवादी कैडरों ने हिंसा का मार्ग त्यागकर समाज की मुख्यधारा में लौटने का निर्णय लिया है।
यह आत्मसमर्पण विश्वास, सुरक्षा और विकास की दिशा में बस्तर की नई सुबह का संकेत है। लंबे समय से नक्सली गतिविधियों से प्रभावित अबूझमाड़ और उत्तर बस्तर क्षेत्र में यह ऐतिहासिक घटनाक्रम नक्सल उन्मूलन अभियान के इतिहास में एक निर्णायक मोड़ के रूप में दर्ज होगा।
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में राज्य शासन द्वारा अपनाई गई व्यापक नक्सल उन्मूलन नीति ने क्षेत्र में स्थायी शांति की मजबूत नींव रखी है। पुलिस, सुरक्षा बलों, स्थानीय प्रशासन, सामाजिक संगठनों और सजग नागरिकों के समन्वित प्रयासों से हिंसा की संस्कृति को संवाद और विकास की संस्कृति में परिवर्तित किया जा सका है।
यह पहली बार है जब नक्सल विरोधी अभियान के इतिहास में इतनी बड़ी संख्या में वरिष्ठ माओवादी कैडरों ने एक साथ आत्मसमर्पण किया है। आत्मसमर्पण करने वालों में एक सेंट्रल कमेटी सदस्य, चार डीकेएसजेडसी सदस्य, 21 डिविजनल कमेटी सदस्य सहित अनेक वरिष्ठ माओवादी नेता शामिल हैं। इन कैडरों ने कुल 153 अत्याधुनिक हथियार—जिनमें AK-47, SLR, INSAS रायफल और LMG शामिल हैं—समर्पित किए हैं। यह केवल हथियारों का समर्पण नहीं, बल्कि हिंसा और भय के युग का प्रतीकात्मक अंत है—एक ऐसी घोषणा, जो बस्तर में शांति और भरोसे के युग की शुरुआत का संकेत देती है।
मुख्यधारा में लौटने वाले प्रमुख माओवादी नेताओं में सीसीएम रूपेश उर्फ सतीश, डीकेएसजेडसी सदस्य भास्कर उर्फ राजमन मांडवी, रनीता, राजू सलाम, धन्नू वेत्ती उर्फ संतू, आरसीएम रतन एलम सहित कई वांछित और इनामी कैडर शामिल हैं। इन सभी ने संविधान पर आस्था व्यक्त करते हुए लोकतांत्रिक व्यवस्था में सम्मानजनक जीवन जीने का संकल्प लिया।
यह ऐतिहासिक आयोजन जगदलपुर पुलिस लाइन परिसर में हुआ, जहाँ आत्मसमर्पित कैडरों का स्वागत पारंपरिक मांझी-चालकी विधि से किया गया। उन्हें संविधान की प्रति और शांति, प्रेम एवं नए जीवन का प्रतीक लाल गुलाब भेंट कर सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) अरुण देव गौतम ने कहा कि “पूना मारगेम केवल नक्सलवाद से दूरी बनाने का प्रयास नहीं, बल्कि जीवन को नई दिशा देने का अवसर है। जो आज लौटे हैं, वे बस्तर में शांति, विकास और विश्वास के दूत बनेंगे।” उन्होंने आत्मसमर्पित कैडरों से समाज निर्माण में अपनी ऊर्जा लगाने का आह्वान किया।
इस अवसर पर एडीजी (नक्सल ऑपरेशन्स) विवेकानंद सिन्हा, सीआरपीएफ बस्तर रेंज प्रभारी, कमिश्नर डोमन सिंह, बस्तर रेंज आईजी सुंदरराज पी., कलेक्टर हरिस एस., बस्तर संभाग के सभी पुलिस अधीक्षक, वरिष्ठ अधिकारी और सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधि उपस्थित थे।
कार्यक्रम के दौरान पुलिस विभाग द्वारा आत्मसमर्पित माओवादियों को पुनर्वास सहायता राशि, आवास और आजीविका योजनाओं की जानकारी दी गई। राज्य शासन इन युवाओं को स्वरोजगार, कौशल विकास और शिक्षा से जोड़ने के लिए प्रतिबद्ध है, ताकि वे आत्मनिर्भर और सम्मानजनक जीवन जी सकें।
मांझी-चालकी प्रतिनिधियों ने कहा कि बस्तर की परंपरा सदैव प्रेम, सहअस्तित्व और शांति का संदेश देती रही है। जो साथी अब लौटे हैं, वे इस परंपरा को नई शक्ति देंगे और समाज में विश्वास की नींव को और मजबूत करेंगे।
कार्यक्रम के अंत में सभी आत्मसमर्पित कैडरों ने संविधान की शपथ लेकर लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति अपनी निष्ठा व्यक्त की। उन्होंने प्रतिज्ञा ली कि वे अब हिंसा के बजाय विकास और राष्ट्रनिर्माण की दिशा में योगदान देंगे।
‘वंदे मातरम्’ की गूंज के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ। यह क्षण केवल 210 माओवादी कैडरों के आत्मसमर्पण का नहीं, बल्कि बस्तर में विश्वास, विकास और शांति के नए युग की शुरुआत का प्रतीक बन गया।
भोरमदेव सहकारी शक्कर कारखाना के गन्ना उत्पादक किसानों को 11.09 करोड़ रुपये का बोनस भुगतान
रायपुर / शौर्यपथ /
उपमुख्यमंत्री श्री विजय शर्मा के सतत प्रयासों एवं किसान हितैषी दृष्टिकोण के परिणामस्वरूप भोरमदेव सहकारी शक्कर कारखाना कवर्धा द्वारा जिले के गन्ना उत्पादक किसानों को दीपावली पर्व के अवसर पर बड़ा आर्थिक लाभ प्रदान किया गया है। कारखाना प्रबंधन द्वारा पिछले पेराई सत्र में गन्ना विक्रय करने वाले किसानों को शासन की ओर से 11.09 करोड़ रुपये का बोनस भुगतान किया गया है। यह बोनस भुगतान उपमुख्यमंत्री श्री विजय शर्मा के विशेष पहल एवं प्रयासों से संभव हुआ है। उनके नेतृत्व में किसानों के हितों को सर्वाेच्च प्राथमिकता देते हुए समयबद्ध भुगतान और बोनस वितरण सुनिश्चित किया गया है।
भोरमदेव सहकारी शक्कर कारखाना कवर्धा ने पेराई सत्र 2024-25 के दौरान किसानों से खरीदे गए गन्ने का 115.44 करोड़ रुपये का संपूर्ण भुगतान कर प्रदेश की सभी शुगर मिलों में अग्रणी स्थान प्राप्त किया है। यह उपलब्धि कारखाने की पारदर्शी कार्यप्रणाली, कुशल प्रबंधन एवं सहकारिता की सुदृढ़ भावना का परिचायक है। दीपावली से पूर्व किसानों को बोनस भुगतान प्राप्त होने से पूरे जिले के कृषक समुदाय में हर्ष एवं उत्साह का वातावरण व्याप्त है। बोनस राशि के भुगतान न केवल किसानों की आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ बनाएगी, बल्कि किसानों का विश्वास को और अधिक मजबूत करेगी।
संपादकीय लेख: 25 वर्षी युवा लोकगायिका मैथिली ठाकुर अब बिहार की राजनीति के नए चेहरे के रूप में उभर रही हैं। भारतीय जनता पार्टी ने उन्हें दरभंगा जिले की अलीनगर विधानसभा सीट से टिकट दिया है, और इस तरह उनकी सार्वजनिक यात्रा संगीत मंच से राजनीतिक मंच तक पहुंच गई है
।मैथिली ठाकुर ने कहा है कि वे "राजनीति खेलने नहीं, बल्कि परिवर्तन लाने" आई हैं । लेकिन सवाल यह है कि क्या एक युवा कलाकार, जिसके पास राजनीतिक अनुभव नगण्य है, एक ऐसे लोकतांत्रिक तंत्र का सुचारु संचालन कर पाएगा जहाँ विकास नीतियों, प्रशासनिक दृष्टिकोण और जनता की उम्मीदों की कसौटी पर हर निर्णय परखा जाता है?राजनीति बनाम लोकप्रियताभारतीय राजनीति में यह नया प्रयोग नहीं है कि कला या खेल के मंच से आए प्रतिष्ठित चेहरे चुनावी अखाड़े में कदम रखते हैं।
राजेश खन्ना से लेकर अमिताभ बच्चन, सचिन तेंदुलकर से गौतम गंभीर और कंगना रनौत तक — सबने अपने-अपने क्षेत्र की प्रसिद्धि को जनसेवा में बदलने की कोशिश की, लेकिन सबसे बड़ा प्रश्न यही रहा कि लोकप्रियता क्या प्रशासनिक दक्षता में बदल सकती है?
अक्सर देखा गया है कि ऐसे जनप्रतिनिधियों की पहचान क्षेत्रीय विकास से अधिक पार्टी की रणनीतिक छवि या प्रचार शक्ति के रूप में रह जाती है।युवा ऊर्जा और राजनीतिक अनुभव का द्वंद्वमैथिली ठाकुर की लोकप्रियता मिथिला और बिहार भर में निर्विवाद है। वे ब्राह्मण समुदाय से आने वाली लोकगायिका हैं, जिनके गीतों में संस्कृति, भक्ति और लोक परंपराओं की सुगंध है । यह सामाजिक सम्मान उन्हें वोटों में बदलने में मदद दे सकता है।
लेकिन विधानसभा का दायित्व केवल भावना और करिश्मे से नहीं निभाया जा सकता।
विकास योजनाओं की मांग, बजट आवंटन, नौकरशाही से संवाद और स्थानीय जनहित परियोजनाओं की निगरानी — ये सभी ऐसे कार्य हैं जिनके लिए अनुभव, संगठन और गहरी राजनीतिक समझ की आवश्यकता होती है।राजनीतिक दलों की रणनीति और जनता का हितराजनीतिक दलों का यह प्रयास होता है कि वे जनआकर्षण वाले चेहरों को टिकट देकर अपने वोटबैंक को मजबूत करें। बीजेपी का भी यही दांव इस बार मैथिली ठाकुर के नाम पर है ।
ऐसे में यह जोखिम भी बना रहता है कि किसी सेलिब्रिटी प्रत्याशी की भूमिका केवल पार्टी की सीट संख्या बढ़ाने तक सीमित रह जाए, जबकि जनता के असल मुद्दे – बेरोजगारी, स्वास्थ्य, शिक्षा, सड़क और सिंचाई – पीछे छूट जाएं।
इस प्रवृत्ति में लोकतंत्र की आत्मा कमजोर पड़ती है, क्योंकि व्यक्ति का जनाधार भावनाओं पर टिका होता है, न कि नीतियों के ठोस क्रियान्वयन पर।जनसेवा या जनआकर्षण?अलीनगर विधानसभा का जातीय और सामाजिक समीकरण जटिल है। यहां मुस्लिम और ब्राह्मण वोटर निर्णायक माने जाते हैं ।
मैथिली ठाकुर का संगीत से जुड़ा सामाजिक सामंजस्य उन्हें एक पुल का प्रतीक बना सकता है, बशर्ते उनकी प्राथमिकता जनसेवा हो, न कि केवल छवि-प्रबंधन।
यदि वे वास्तव में क्षेत्र की मूलभूत आवश्यकताओं — महिला सशक्तिकरण, युवाओं के लिए रोजगार तथा सांस्कृतिक संरक्षण — के लिए योजनाबद्ध कार्य करती हैं, तो वे राजनीति के भीतर लोकसंस्कृति की नई परिभाषा गढ़ सकती हैं।
अन्यथा, वे भी उसी पंक्ति में आ जाएंगी जहाँ कई नामचीन चेहरे केवल चुनावी चमक बनकर रह गए।निष्कर्ष: लोकतंत्र में जिम्मेदारी प्रसिद्धि से बड़ी हैजिस प्रकार मंच पर एक कलाकार अपनी मधुरता से आत्माओं को छूता है, उसी प्रकार एक विधायक को जनता के जीवन को वास्तविक सुधारों से स्पर्श करना होता है।
मैथिली ठाकुर की राजनीतिक यात्रा यदि संवेदनशीलता, पारदर्शिता और सक्रियता से भरी रही तो वे नई पीढ़ी की प्रेरणा बन सकती हैं।
अन्यथा, राजनीति में उनका प्रवेश भी सिर्फ एक और "सेलिब्रिटी प्रयोग" बन जाएगा — जहाँ कला की गरिमा और लोकतंत्र की गहराई, दोनों ही प्रचार की परतों में ढक जाएंगी ।
1.11 लाख रूपये की कर चुकी हैं बिक्री
गौरेला पेंड्रा मरवाही / शौर्यपथ / प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी की आत्मनिर्भर भारत की संकल्प को पूरा करने की दिशा में स्वसहायता समूह की महिलाएं अपनी योगदान दे रहीं हैं। दीपावली पर्व के अवसर पर कलात्मक दीयों और पूजा सामग्री का निर्माण करके स्थानीय हाट बाजारों में बिक्री करके समृद्ध हो रहीं हैं। जिला प्रशासन एवं ग्रामीण आजीविका मिशन के सहयोग से पेंड्रा जनपद की पांच महिला स्वसहायता समूहों की 12 महिलाएं मिलकर अब तक 70 हजार मिट्टी के दीये तैयार कर लिए हैं। इसके साथ ही अगरबत्ती, बाती एवं तोरण तैयार कर स्थानीय बाजारों-कोटमी, नवागांव और कोड़गार हाट बाजार में बेच रही हैं। समूह द्वारा निर्मित दीये रायपुर में आयोजित सरस मेला में भी प्रदर्शित किया गया है और बेचे भी जा रहे हैं। समूह द्वारा अब तक 1 लाख 11 हजार 500 रूपये की दीयों एवं पूजा सामग्री का बिक्री की जा चुकी है।
समूह की सदस्य ग्राम झाबर निवासी श्रीमती क्रांति पुरी ने बताया कि इस काम से उन्हें करीब 9 हजार रुपये का मुनाफा हुआ है। उन्होंने कहा कि इस वर्ष की दिवाली उनके लिए बहुत खास बन गई है और वे इस आय से काफी खुश हैं। ब्लॉक मिशन प्रबंधक सुश्री मंदाकिनी कोसरिया ने जानकारी दी कि इस कार्य से सीधे तौर पर पांच महिला स्वसहायता समूहों के परिवारों को आर्थिक लाभ मिल रहा है। इससे महिलाएं न सिर्फ आत्मनिर्भर बन रही हैं, बल्कि अपने परिवार की आर्थिक स्थिति सुधारने में भी सक्षम हो रही हैं। यह पहल न केवल स्थानीय स्तर पर रोजगार सृजन कर रही है, बल्कि परंपरागत दीयों के उपयोग को भी बढ़ावा दे रही है। मिट्टी के दीयों की बिक्री से जहां महिलाओं की आमदनी बढ़ी है, वहीं पर्यावरण के लिए भी अनुकूल विकल्प है।
रायपुर / शौर्यपथ / छत्तीसगढ़ में बस्तर वन मंडल के आसना में राज्य के पहले वन विज्ञान केन्द्र की स्थापना की जायेगी। राष्ट्रीय कैम्पा मिशन भारत सरकार द्वारा इसकी स्वीकृति दे दी गई है। राष्ट्रीय कैम्पा की 23वीं क्रियान्वयन समिति की बैठक में पायलट बेसेस पर झारखंड, छत्तीसगढ़, उड़िसा, महाराष्ट्र, उत्तराखंड और मध्यप्रदेश में एक-एक वन विज्ञान केन्द्र शुरू करने का निर्णय लिया गया है। छत्तीसगढ़ में बस्तर के आसना में वन विज्ञान केन्द्र शुरू होगा। इसके संचालन, प्रशिक्षण और पाठ्यक्रमों के निर्धारण के लिए मुख्य वन संरक्षक जगदलपुर वृत्त की अध्यक्षता में प्रदेश स्तरीय सलाहकार समिति का गठन किया गया है। इस समिति में 8 विषय विशेषज्ञों को भी शामिल किया गया है।
वन विज्ञान केन्द्र की सलाहकार समिति में इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर के कुलपति डॉ. गिरिश चंदेल सहित जशपुर के श्री राजेश गुप्ता, शहीद महेन्द्र कर्मा विश्वविद्यालय बस्तर के सह-प्राध्यापक डॉ. संजीवन कुमार, रायपुर के श्री गिरीश कुबेर, श्री राजीव शर्मा, डॉ. एम.एल. नायक, श्री सुबोध मनोहर पांडे और पूणे महाराष्ट्र के डॉ. राहुल मुंगीकर को शामिल किया गया हैै। सरगुजा वृत्त के मुख्य वनसंरक्षक भी समिति के सदस्य होंगे। बस्तर के वन मंडलाधिकारी को समिति का सदस्य सचिव मनोनित किया गया है। समिति में नामांकित विषय विशेषज्ञों को वन विज्ञान केन्द्र के संचालन, प्रशिक्षण और पाठ्यक्रम निर्धारण में सहयोग के लिए किसी प्रकार का मानदेय या वेतन नहीं दिया जायेगा।
Feb 09, 2021 Rate: 4.00
