
CONTECT NO. - 8962936808
EMAIL ID - shouryapath12@gmail.com
Address - SHOURYA NIWAS, SARSWATI GYAN MANDIR SCHOOL, SUBHASH NAGAR, KASARIDIH - DURG ( CHHATTISGARH )
LEGAL ADVISOR - DEEPAK KHOBRAGADE (ADVOCATE)
धर्म संसार / शौर्यपथ / प्रभु यीशु के जन्म की ख़ुशी में मनाया जाने वाला क्रिसमस का त्योहार पूरी दुनिया में मनाया जाता है। यह त्योहार कई मायनों में बेहद खास है। क्रिसमस को बड़ा दिन, सेंट स्टीफेंस डे या फीस्ट ऑफ़ सेंट स्टीफेंस भी कहा जाता है। प्रभु यीशु ने दुनिया को प्यार और इंसानियत की शिक्षा दी। उन्होंने लोगों को प्रेम और भाईचारे के साथ रहने का संदेश दिया। प्रभु यीशु को ईश्वर का इकलौता प्यारा पुत्र माना जाता है। इस त्योहार से कई रोचक तथ्य जुड़े हैं। आइए जानते हैं इनके बारे में।
क्रिसमस ऐसा त्योहार है जिसे हर धर्म के लोग उत्साह से मनाते हैं। यह एकमात्र ऐसा त्योहार है जिस दिन लगभग पूरे विश्व में अवकाश रहता है। 25 दिसंबर को मनाया जाने वाला यह त्योहार आर्मीनियाई अपोस्टोलिक चर्च में 6 जनवरी को मनाया जाता है। कई देशों में क्रिसमस का अगला दिन 26 दिसंबर बॉक्सिंग डे के रूप मे मनाया जाता है। क्रिसमस पर सांता क्लॉज़ को लेकर मान्यता है कि चौथी शताब्दी में संत निकोलस जो तुर्की के मीरा नामक शहर के बिशप थे, वही सांता थे। वह गरीबों की हमेशा मदद करते थे उनको उपहार देते थे। क्रिसमस के तीन पारंपरिक रंग हैं हरा, लाल और सुनहरा। हरा रंग जीवन का प्रतीक है, जबकि लाल रंग ईसा मसीह के रक्त और सुनहरा रंग रोशनी का प्रतीक है। क्रिसमस की रात को जादुई रात कहा जाता है। माना जाता है कि इस रात सच्चे दिल वाले लोग जानवरों की बोली को समझ सकते हैं। क्रिसमस पर घर के आंगन में क्रिसमस ट्री लगाया जाता है। क्रिसमस ट्री को दक्षिण पूर्व दिशा में लगाना शुभ माना जाता है। फेंगशुई के मुताबिक ऐसा करने से घर में सुख समृद्धि आती है। पोलैंड में मकड़ी के जालों से क्रिसमस ट्री को सजाने की परंपरा है। मान्यता है कि मकड़ी ने सबसे पहले जीसस के लिए कंबल बुना था।
जगदलपुर, शौर्यपथ। बस्तर की प्राकृतिक सुंदरता और सांस्कृतिक धरोहर को देश-दुनिया के सामने लाने के उद्देश्य से आज जगदलपुर में “कनेक्ट बस्तर” का भव्य शुभारंभ हुआ। यह अनूठी पहल पर्यटन और संस्कृति को बढ़ावा देने के साथ-साथ स्थानीय रोजगार सृजन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
उद्घाटन समारोह का शुभारंभ पारंपरिक स्वागत और दीप प्रज्वलन के साथ हुआ। कार्यक्रम में वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री केदार कश्यप मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। विशिष्ट अतिथियों में किरण सिंह देव (विधायक), वेद प्रकाश पाण्डेय (बीजेपी जिला अध्यक्ष), रूप सिंह मंडावी (पूर्व जिला अध्यक्ष) सहित अन्य जनप्रतिनिधि शामिल हुए।
समारोह में समिति द्वारा चयनित वाहनों को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया गया। इसके साथ ही विभिन्न पर्यटन स्थलों पर आधारित विशेष पैकेज और एक ब्राउज़र प्लेटफॉर्म भी लॉन्च किया गया, जिससे पर्यटक बस्तर की खूबसूरती को डिजिटल माध्यम से आसानी से खोज सकेंगे।
कार्यक्रम के दौरान कही गई अहम बातें वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री केदार कश्यप ने कहा,
“बस्तर क्षेत्र केरल से बड़ा है और इसकी प्राकृतिक सुंदरता अद्वितीय है। वर्ष 2026 तक इस क्षेत्र को नक्सलमुक्त बनाने का लक्ष्य है। पर्यटन को उद्योग के रूप में विकसित करके स्थानीय लोगों को बड़े पैमाने पर रोजगार उपलब्ध कराया जाएगा।”
विधायक किरण सिंह देव ने कहा,“‘कनेक्ट बस्तर’ बस्तर के लिए एक महत्वपूर्ण पहल है। इससे गाँवों के लोगों को रोजगार मिलेगा और क्षेत्र की सांस्कृतिक विरासत को विश्व पटल पर पहचान मिलेगी।”
इस कार्यक्रम के प्रमुख आयोजकों में सीसीएफ सुश्री स्टायलो मंडावी, नवीन कुमार (निदेशक, कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान) और उत्तम गुप्ता (डीएफओ बस्तर वनमंडल) रहे। कार्यक्रम का समापन भूषण साहू, डिप्टी एमडी, बस्तर वन मंडल द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ किया गया।
‘कनेक्ट बस्तर’ के प्रमुख उद्देश्य
पर्यटन बढ़ावा: बस्तर को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक प्रमुख पर्यटन स्थल के रूप में स्थापित करना।
सांस्कृतिक संवर्धन: बस्तर की लोकसंस्कृति, लोकनृत्य, संगीत, हस्तशिल्प और त्योहारों को बढ़ावा देना।
स्थानीय रोजगार: होमस्टे, गाइडिंग, हस्तशिल्प और पर्यटन से जुड़े रोजगार के अवसर सृजित करना।
प्रकृति एवं वन्यजीव संरक्षण: पर्यटकों में पारिस्थितिकी और जैव विविधता संरक्षण के प्रति जागरूकता फैलाना।
सांस्कृतिक और प्राकृतिक अनुभव: झरनों, गुफाओं, मंदिरों और बस्तर की पारंपरिक जीवनशैली का अनुभव कराना।
‘कनेक्ट बस्तर’ पहल न केवल पर्यटन को बढ़ावा देगी बल्कि बस्तर की सांस्कृतिक पहचान और पारिस्थितिक संरक्षण को भी नई ऊँचाई प्रदान करेगी।
महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने में सहायक होगा महतारी सदन- उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा
जगदलपुर, शौर्यपथ। प्रदेश के प्रत्येक ग्राम पंचायतों में ग्रामीण महिलाओं को स्वावलंबी एवं आत्मनिर्भर बनाने तथा आपसी समरसता स्थापित करने सामायिक कार्यक्रमों में सामूहिक भागीदारी तथा महिला सशक्तिकरण के उद्देश्य से उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा के निर्देशानुसार महतारी सदन का निर्माण कार्य किया जाना है। उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा के प्रयास से 166 महतारी सदन की स्वीकृति आदेश जारी किया गया है, इसके लिए 49 करोड़ 80 लाख रुपये की स्वीकृति जारी की गई है। उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा ने कहा कि न्यू इंडिया के ग्रोथ साइकल में महिलाओं की भागीदारी लगातार बढ़ रही है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आत्मनिर्भर भारत अभियान महिलाओं की क्षमता को देश के विकास के साथ जोड़ रहा है। प्रदेश के ग्राम पंचायतों में बनने जा रहा महतारी सदन भी इसी दिशा में एक प्रयास है। उन्होंने कहा कि लगातार ग्राम भ्रमण के दौरान महिलाओं द्वारा बैठने की स्थान न होने की शिकायत की और बैठने हेतु स्थान दिलाने की मांग की जाती रही इसलिए महतारी सदन बनाने का विचार आया। ततपश्चात महिलाओं को रोजगार दिलाने और उनको काम काज के लिए स्थान उपलब्ध कराने के लिए प्रदेश सरकार गांवों में महतारी सदन बनाने जा रही है। अब तक 368 महतारी सदन की स्वीकृति इसी उद्देश्य को पूर्ति के लिये जारी किया गया है। कार्यों में एकरूपता के दृष्टिकोण से पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग द्वारा कार्य का एक मानक डिजाईन एवं प्राक्कलन तैयार किया गया है। प्रति महतारी सदन की लागत राशि रुपये 30 लाख होगी।
5 वर्षो में सभी ग्राम पंचायतों में महतारी सदन बनाने की योजना
प्रदेश के सभी ग्राम पंचायतों में महतारी सदन बनाया जाएगा। महतारी सदन बनाने की शुरुआत हो गयी है। पहले चरण में प्रदेश के प्रत्येक विकासखंड में महतारी सदन बनना प्रारंभ किया जा रहा है व 5 साल में सभी ग्राम पंचायत में महतारी सदन बनेंगे। प्रदेश में बनने वाले महतारी सदन का निर्माण लगभग 25 सौ वर्गफुट में कराया जाएगा। सदन में कमरा, शौचालय, बरामदा, हाल, किचन और स्टोररूम जैसी सुविधाएं शामिल हैं। पानी के लिए ट्यूबवेल के साथ वाटर हार्वेस्टिंग भी किया जाएगा। महिलाओं की सुरक्षा के लिए इसमे बॉउंड्रीवाल भी बनाये जाएंगे। महतारी सदन में सामुदायिक शौचालय का भी निर्माण किया जाएगा।
बस्तर जिले में नए आठ महतारी सदन स्वीकृत
बस्तर जिले में आठ नए महतारी सदन निर्माण की स्वीकृति प्रदान की गई है। इसमें बस्तर विकासखंड का करंदोला, केशरपाल, चमिया, परचनपाल जगदलपुर विकासखंड का आड़ावाल, दरभा विकासखंड का दरभा और ग़ुमड़पाल, बकावंड विकासखंड का करपावन्ड शामिल है। उल्लेखनीय है कि पूर्व में भी बस्तर जिले में 10 महतारी सदन निर्माण की स्वीकृति राज्य शासन द्वारा प्रदान की जा चुकी है, जिसमें दरभा विकासखंड के चिंगमपाल, तोकापाल विकासखंड के परपा और लोहंडीगुड़ा विकासखंड के उसरीबेड़ा में महतारी सदन के निर्माण का कार्य पूर्ण हो चुका है। शेष महतारी सदन निर्माण का कार्य प्रगति पर हैं।
जगदलपुर, शौर्यपथ। छत्तीसगढ़, जिसे "धान का कटोरा" के रूप में जाना जाता है, एक कृषि प्रधान राज्य है, जहां की संस्कृति और परंपराएं गहरे रूप से खेती-किसानी और प्रकृति से जुड़ी हुई हैं। यहां के त्यौहार और पर्व न केवल सामाजिक और सांस्कृतिक समृद्धि को दर्शाते हैं, बल्कि किसानों और उनके पशुधन के प्रति सम्मान और कृतज्ञता को भी व्यक्त करते हैं। इनमें से एक प्रमुख और लोकप्रिय पर्व है पोला, जो छत्तीसगढ़ के ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में बड़े उत्साह और हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। यह पर्व विशेष रूप से किसानों और उनके बैलों के प्रति समर्पित है, जो खेती-किसानी में उनकी सबसे महत्वपूर्ण सहायता करते हैं।
पोला छत्तीसगढ़ का एक पारंपरिक और सांस्कृतिक पर्व है, जो भाद्रपद मास की अमावस्या को मनाया जाता है। यह पर्व मुख्य रूप से कृषि और पशुधन, विशेषकर बैलों की पूजा से जुड़ा है। छत्तीसगढ़ के अलावा, यह पर्व महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, तेलंगाना, और कर्नाटक जैसे राज्यों में भी विभिन्न रूपों में मनाया जाता है। यह त्यौहार किसानों के लिए विशेष महत्व रखता है, क्योंकि यह उनकी मेहनत और पशुधन के योगदान को सम्मान देने का अवसर प्रदान करता है। पोला पर्व का मूल उद्देश्य खेती-किसानी में बैलों के योगदान को मान्यता देना और उनकी पूजा करना है। यह छत्तीसगढ़ की सनातन परंपराओं और कृषि संस्कृति से गहराई से जुड़ा हुआ है। बैल, जो खेती-किसानी में किसानों के सबसे बड़े सहायक हैं, इस दिन विशेष सम्मान के पात्र बनते हैं। यह पर्व मानसून के समापन और खरीफ फसल की बोआई के बाद मनाया जाता है, जो किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण समय होता है।
पोला पर्व की तैयारियां कई दिन पहले से शुरू हो जाती हैं।
पोला पर्व के दिन, सुबह से ही उत्साह का माहौल होता है।किसान अपने बैलों को नदी या तालाब में ले जाकर स्नान कराते हैं। इसके बाद बैलों को रंगों, कपड़ों, घुंघरू, घंटियों, और कौड़ियों से सजाया जाता है। उनके सींगों पर पॉलिश और रंग लगाए जाते हैं, और गले में आभूषण पहनाए जाते हैं। बैलों को विशेष भोजन, जैसे गुड़ और चावल का मिश्रण, खिलाया जाता है। जिनके पास बैल नहीं होते, वे मिट्टी या लकड़ी से बने बैलों की पूजा करते हैं। पूजा में चंदन का टीका, धूप, अगरबत्ती, और माला का उपयोग किया जाता है। घरों में महिलाएं पारंपरिक छत्तीसगढ़ी पकवान बनाती हैं, जैसे चीला, गुड़हा, अनरसा, सोहरी, चौसला, ठेठरी, खुरमी, बरा, मुरकु, भजिया, तसमई आदि। ये व्यंजन चावल, गुड़, तिल, और अन्य स्थानीय सामग्रियों से तैयार किए जाते हैं, जो छत्तीसगढ़ की पारम्परिक खाद्य संस्कृति को दर्शाते हैं।
बच्चों के लिए यह पर्व विशेष रूप से रोमांचक होता है। वे मिट्टी या लकड़ी से बने खिलौनों, जैसे बैल और रसोई के बर्तनों के साथ खेलते हैं। कुछ क्षेत्रों में इस दिन बैल दौड़ प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं, जो पर्व के उत्साह को और बढ़ाती हैं।
पोला पर्व का महत्व केवल धार्मिक या कृषि तक सीमित नहीं है; यह सामाजिक, सांस्कृतिक, और पर्यावरणीय दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। बैल खेती-किसानी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उनकी पूजा करके किसान अपनी समृद्धि और प्रगति के लिए आभार व्यक्त करते हैं। यह पर्व छत्तीसगढ़ की समृद्ध सांस्कृतिक परंपराओं को जीवित रखता है। बच्चों को मिट्टी के खिलौनों जैसे खेलों के माध्यम से अपनी संस्कृति और प्रकृति के महत्व का ज्ञान होता है। बैलों और प्रकृति की पूजा के माध्यम से यह पर्व पर्यावरण और पशुधन के संरक्षण का संदेश देता है। यह हमें हमारी जड़ों और प्रकृति के साथ जुड़ाव की याद दिलाता है।
आधुनिक युग में, जहां मशीनों ने खेती-किसानी में बैलों की भूमिका को कुछ हद तक कम कर दिया है, फिर भी पोला पर्व अपनी प्रासंगिकता बनाए रखता है। यह पर्व न केवल सांस्कृतिक धरोहर को संजोता है, बल्कि हमें यह भी सिखाता है कि हमें अपने पर्यावरण और पशुधन का सम्मान करना चाहिए। शहरी क्षेत्रों में भी यह पर्व छोटे स्तर पर मनाया जाता है, जहां लोग मिट्टी के बैलों की पूजा करते हैं और पारंपरिक व्यंजनों का आनंद लेते हैं।
सिर्फ रेलवे संरेखण से 150 मीटर के भीतर आने वाले खसरों पर जारी रहेगा प्रतिबंध
दुर्ग / शौर्यपथ / कलेक्टर अभिजीत सिंह ने खरसिया-नया रायपुर-परमलकसा रेल परियोजना के लिए दुर्ग जिले के प्रभावित 23 गांवों में भू-अर्जन संबंधी प्रतिबंध में आंशिक छूट देने के निर्देश दिए है। ज्ञात हो कि खरसिया-नया रायपुर-परमलकसा परियोजना नई रेलवे लाइन में पाटन अनुभाग के ग्राम ठकुराईनटोला, बठेना, देमार अरसनारा, नवागांव, देवादा, सांतरा, मानिकचौरी, बोहारडीह, फेकारी, धौराभाठा तथा दुर्ग अनुभाग के ग्राम घुघसीडीह, खोपली, बोरीगारका, पुरई, कोकड़ी, कोड़िया, भानपुरी, चंदखुरी, कोनारी, चंगोरी, बिरेझर, थनौद इस प्रकार कुल 23 ग्राम सम्मिलित है। पूर्व आदेश के अनुसार इन गांवों की सभी भूमियों पर खाता विभाजन, अंतरण, व्यपवर्तन और खरीदी-बिक्री पर पूरी तरह से रोक लगाई गई थी। जिसे अब आंशिक छूट देने का निर्णय लिया गया है।
उल्लेखनीय है कि दक्षिण-पूर्व-मध्य रेलवे, बिलासपुर के उप मुख्य अभियंता/निर्माण द्वारा नई सूची उपलब्ध कराई गई है। जिसके अनुसार अब केवल उन खसरों पर प्रतिबंध जारी रहेगा जो रेलवे संरेखण से 150 मीटर की परिधि के अंतर्गत आते हैं। रेलवे द्वारा प्रस्तुत सूची में शामिल खसरों को छोड़कर, शेष सभी भूमियों पर लगा प्रतिबंध तत्काल प्रभाव से हटा दिया गया है। उक्त आदेश तत्काल प्रभावशील हो गया है।
आंशिक रूप से प्रतिबंधित क्षेत्र में ग्राम करगाडीह और पाउवारा भी शामिल
कलेक्टर सिंह ने छत्तीसगढ़ भू-राजस्व संहिता (संशोधन) अधिनियम 2024 के तहत उक्त 23 ग्रामों के अलावा ये दुर्ग अनुभाग के दो नए गांव करगाडीह और पाउवारा में भूमि अंतरण, खाता विभाजन एवं व्यपवर्तन को आंशिक रूप से प्रतिबंधित किया है। दक्षिण-पूर्व-मध्य रेलवे, बिलासपुर द्वारा दी गई नई सूची के आधार पर उक्त गांवों को भी अब परियोजना में शामिल किया गया है। प्राप्त जानकारी के अनुसार भू-अधिग्रहण की प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने और बिचौलियों को मुनाफा कमाने से रोकने के लिए दोनों गांवों में रेलवे ट्रैक के 150 मीटर के दायरे में आने वाली निजी जमीनों/खसरों पर तत्काल प्रभाव से खाता विभाजन, अंतरण, व्यपवर्तन और खरीदी-बिक्री पर रोक लगाई गई है। जिन व्यक्तियों की जमीन/खसरा इस प्रतिबंध से प्रभावित हुई है, वे अपना आवेदन प्रस्तुत कर सकते हैं। इन आवेदनों पर रेलवे विभाग से राय लेने के बाद उचित निर्णय लिया जाएगा।
रायपुर / शौर्यपथ / प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने आरोप लगाया है कि सरकार की लापरवाही के कारण छत्तीसगढ़ में आयुष्मान योजना ठप होने की स्थिति में पहुंच गई है। उन्होंने कहा कि निजी अस्पतालों को पिछले 17 माह से भुगतान नहीं किया गया, जिसके चलते अस्पतालों ने गरीबों का इलाज बंद करने की अंतिम चेतावनी सरकार को दे दी है।
दीपक बैज ने कहा— “यदि निजी अस्पताल आयुष्मान योजना के तहत गरीब मरीजों का इलाज बंद कर देंगे तो हजारों जरूरतमंद लोग संकट में आ जाएंगे। कई गंभीर बीमारियों का इलाज केवल निजी अस्पतालों में ही संभव है, जबकि सरकारी अस्पतालों पर पहले से ही भारी दबाव है।”
कांग्रेस शासन में स्वास्थ्य ढांचे को किया गया था मजबूत
बैज ने दावा किया कि पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने स्वास्थ्य सेवाओं को 2018 की तुलना में ढाई गुना बेहतर किया था।
जिला अस्पतालों को मल्टी स्पेशलिटी सेंटर में बदला गया था।
ब्लॉक स्तर पर भर्ती सुविधा विकसित की गई।
डायलिसिस व क्रिटिकल केयर यूनिट शुरू किए गए।
25 लाख तक की मुख्यमंत्री विशेष स्वास्थ्य सहायता योजना लागू की गई।
4000 से अधिक डॉक्टर, नर्स और तकनीकी स्टाफ की नियमित भर्ती की गई।
हाट बाजार क्लिनिक, मोहल्ला क्लीनिक, दाई दीदी क्लिनिक, हमर अस्पताल और हमर लैब जैसे कार्यक्रम शुरू किए गए।
भाजपा शासन में स्वास्थ्य सेवाएं बदहाल – बैज
बैज ने कहा कि भाजपा सरकार के आने के बाद महज़ 11 महीनों में ही प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था चरमराकर रह गई है। मेकाहारा से लेकर उपस्वास्थ्य केंद्र तक की स्थिति भगवान भरोसे है। मलेरिया, पीलिया और डायरिया जैसी बीमारियों से रोज मौतें हो रही हैं। सुकमा के गोगुंडा गांव में 15 दिनों में 10 आदिवासियों की मलेरिया से मौत हो गई। मलेरिया संक्रमण दर 8 गुना बढ़ चुकी है। हमर अस्पताल, हाट बाजार क्लिनिक और मोहल्ला क्लिनिक जैसे जनकल्याणकारी कार्यक्रम ठप हो चुके हैं।
त्वरित निर्णय की मांग
दीपक बैज ने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने तत्काल निजी अस्पतालों का बकाया भुगतान नहीं किया तो आयुष्मान योजना के तहत इलाज पूरी तरह बंद हो जाएगा और गरीब जनता को गंभीर परिणाम भुगतने होंगे।
आदि कर्मयोगी अभियान की तैयारियों की समीक्षा
राजनांदगांव / शौर्यपथ / भारत सरकार के जनजातीय कार्य मंत्रालय द्वारा जनजातीय अंचलों तक सरकारी योजनाओं की पहुँच सुनिश्चित करने के उद्देश्य से "आदि कर्मयोगी अभियान" शुरू किया जा रहा है। इस संबंध में आदिम जाति कल्याण विभाग के प्रमुख सचिव श्री सोनमणि बोरा ने शुक्रवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से प्रदेश के सभी कलेक्टरों से तैयारियों की समीक्षा की।
राजनांदगांव जिले से कलेक्टर डॉ. सर्वेश्वर नरेन्द्र भुरे एवं जिला पंचायत की मुख्य कार्यपालन अधिकारी सुश्री सुरूचि सिंह कलेक्टोरेट स्थित एनआरसी कक्ष से बैठक में जुड़े।
सेवा, समर्पण और सुशासन पर फोकस
प्रमुख सचिव श्री बोरा ने बताया कि यह अभियान प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिवस 17 सितंबर से गांधी जयंती 2 अक्टूबर तक सेवा पर्व के रूप में संचालित होगा। इसका उद्देश्य जमीनी स्तर के अधिकारियों एवं कर्मचारियों को सशक्त करना, उनकी नेतृत्व क्षमता बढ़ाना और ग्राम स्तर पर शासकीय सेवाओं की प्रदायगी को मजबूत बनाना है।
ट्राइफेड के प्रबंध निदेशक श्री हृदेश कुमार ने इस अवसर पर छत्तीसगढ़ के आदिवासी विकास कार्यों की सराहना की और कहा कि केन्द्र सरकार को राज्य से बड़ी उम्मीदें हैं। अभियान का लक्ष्य "जनजातीय ग्राम विजन 2030" तैयार करना है, जो विकसित भारत मिशन 2047 की तर्ज पर जनजातीय गांवों के समग्र विकास का मार्ग प्रशस्त करेगा।
जिले में 105 ग्राम पंचायतों में सेवा केंद्र
कलेक्टर डॉ. भुरे ने बताया कि जिले की 105 आदिवासी बहुल ग्राम पंचायतों में "आदि सेवा केंद्र" स्थापित किए जाएंगे। योजनाओं के बेहतर क्रियान्वयन के लिए युवाओं को "आदि साथी" के रूप में प्रशिक्षित किया जाएगा।
जिले में पंचायत, आदिवासी विकास, महिला एवं बाल विकास, स्वास्थ्य, पीएचई, वन और शिक्षा विभाग के 7 मास्टर ट्रेनर्स को प्रशिक्षण प्रदान किया जा चुका है। ये मास्टर ट्रेनर्स सितंबर के पहले सप्ताह में प्रत्येक ब्लॉक से 5 ब्लॉक मास्टर ट्रेनर्स को प्रशिक्षित करेंगे।
अन्य प्रमुख पहल
जिले में केन्द्र सरकार द्वारा प्रधानमंत्री जनजातीय न्याय महाअभियान (पीएम जनमन) और धरती आबा जनजातीय उत्कर्ष अभियान भी संचालित किए जा रहे हैं। इनके तहत चयनित ग्रामों में
आधार कार्ड, आयुष्मान कार्ड, राशन कार्ड, जाति प्रमाणपत्र जैसे दस्तावेज बनाए जा रहे हैं।
प्रधानमंत्री आवास, पेयजल, बिजली और सड़क जैसी 17 विभागीय योजनाओं के तहत सामुदायिक विकास कार्य कराए जा रहे हैं। इन 105 ग्रामों में छुरिया ब्लॉक के 67, डोंगरगढ़ के 28, डोंगरगांव के 8 और राजनांदगांव के 2 गांव शामिल हैं।
तीन स्तरों पर लागू होगा अभियान
अभियान को आदि कर्मयोगी, आदि सहयोगी और आदि साथी—तीन स्तरों पर लागू किया जाएगा।
आदि कर्मयोगी : राज्य से ग्राम स्तर तक के सरकारी अधिकारी व कर्मचारी।
आदि सहयोगी : युवा नेतृत्वकर्ता, शिक्षक, डॉक्टर, समाजसेवी आदि।
आदि साथी : स्वयं सहायता समूह के सदस्य, जनजातीय नेतृत्वकर्ता, स्वयंसेवक एवं सांस्कृतिक प्रतिनिधि।
लक्ष्य – आत्मनिर्भर और सशक्त जनजातीय गांव
"आदि कर्मयोगी अभियान" का दीर्घकालिक लक्ष्य 2030 तक जनजातीय गांवों का समग्र विकास सुनिश्चित करना है। इसमें शिक्षा, स्वास्थ्य, बुनियादी सुविधाओं और आजीविका के अवसरों का विस्तार कर गांवों को आत्मनिर्भर और सशक्त बनाना शामिल है।
सोनारपाल में की जाएगी उद्यानिकी महाविद्यालय की स्थापना-मंत्री केदार कश्यप
जगदलपुर, शौर्यपथ। प्रदेश के वन एवं जलवायु परिवर्तन, परिवहन, सहकारिता तथा संसदीय कार्य मंत्री केदार कश्यप ने कहा कि क्षेत्र में उद्यानिकी फसल की ओर किसानों के रुझान को देखते हुए शीघ्र ही सोनारपाल में उद्यानिकी महाविद्यालय की स्थापना की जाएगी।
गुरुवार को मंत्री केदार कश्यप ने बोड़नपाल और सोनारपाल में आयोजित कार्यक्रमों में 80 लाख 57 हजार रुपए लागत के 10 विकास कार्यों का भूमिपूजन अवसर पर कहा कि हमारी सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में निर्माण कार्यों को गति दी हैण् 18 लाख आवासों के निर्माण की स्वीकृति इस बात का साक्ष्य है। हमारी सरकार ने लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने का कार्य किया साथ ही विकास कार्यों को एक नई दिशा दी है। उन्होंने इस दौरान क्षेत्रीय ग्रामीणों की मांग पर सोनारपाल में मंदिर के निकट हैंडपंप खनन, बड़ेपारा तारागांव में 2 मीटर पुलिया, सोनारपाल ठाकुरपारा में 2 मीटर पुलिया, माता मंदिर तारागांव में भवन, स्कूल में शेड निर्माण, बाकेल में धान खरीदी केंद्र, डेढ़ करोड़ रूपए की लागत से एनीकट निर्माण, जल जीवन मिशन के तहत पानी टंकी का निर्माण, खालेपारा बाकेल में हैंडपंप स्थापाना एवं सिलाई सेंटर स्थापना की घोषणा भी की।
मंत्री केदार कश्यप ने सोनारपाल में आयोजित कार्यक्रम में 34 लाख 32 हजार रुपए और बोड़नपाल-2 में आयोजित कार्यक्रम में 46 लाख 25 हजार रुपए के कार्यों का भूमिपूजन कर क्षेत्रवासियों को बड़ी सौगात दी। उन्होंने सोनारपाल में 46 लाख 25 हजार रुपए के कार्यों का भूमिपूजन किया, जिनमें चपका ग्राम पंचायत के मारीपारा स्थित माध्यमिक विद्यालय के पास 5 लाख रुपए की लागत से 2 मीटर पुलिया निर्माण, इसी ग्राम पंचायत में मारीपारा से बंगा घर तक 9 लाख 60 हजार रुपए की लागत से 300 मीटर सीसी सड़क का निर्माण, सोनारपाल ग्राम पंचायत में मेन रोड हनुमान मंदिर से संतोषी किराना दुकान तक चार लाख रुपए की लागत से 200 मीटर नाली निर्माण और क्षमता विकास योजना के तहत 5 लाख रुपए की लागत से सीएससी भवन निर्माण कार्य, तारागांव ग्राम पंचायत में बस्तर विकास प्राधिकरण के तहत 6 लाख 50 हजार रुपये की लागत से जोगी घर से मोसू घर तक 200 मीटर सी.सी. रोड निर्माण कार्य और छत्तीसगढ़ राज्य कृषि विपणन बोर्ड द्वारा ग्राम तारागांव माता मंदिर में 4 लाख 22 हजार रुपये की लागत से बाजार शेड निर्माण का भूमिपूजन किया।
मंत्री श्री कश्यप ने इसके साथ ही बोड़नपाल 02 में आयोजित कार्यक्रम में कुल 46 लाख 25 हजार रुपए के कार्यों का भूमिपूजन किया। इसमें छात्रावास बेसोली के क्रीड़ा परिसर में बस्तर विकास प्राधिकरण के अंतर्गत 16 लाख 14 हजार रुपये की लागत से हाई मास्ट लाइट की स्थापना और बेसोली स्कूलपारा श्यामलाल घर के पास डीएमएफ के तहत 3 लाख 30 हजार रुपए की लागत से डेढ़ मीटर पुलिया निर्माण, ग्राम पंचायत बाकेल में छत्तीसगढ़ राज्य कृषि विपणन बोर्ड द्वारा माता मंदिर के पास साप्ताहिक बाजार में 23 लाख 51 हजार रुपए की लागत से बाजार शेड निर्माण और अमडीगुड़ा पारा के पिकड़वाही नाला में डीएमएफ के अंतर्गत 3 लाख 30 हजार रुपए की लागत से डेढ़ मीटर पुलिया निर्माण कार्य का भूमिपूजन भी किया। उन्होंने कहा कि इससे क्षेत्र में अधोसंरचना के विकास और जनसुविधाओं में वृद्धि होगी। इन सभी विकास कार्यों से बस्तर क्षेत्र में ग्रामीणों को बेहतर सुविधाएं मिलेंगी और स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा मिलेगा। श्री कश्यप ने इस अवसर पर ग्रामीणों को आश्वस्त करते हुए कहा कि राज्य सरकार बस्तर के सर्वांगीण विकास के लिए प्रतिबद्ध है और भविष्य में भी ऐसे ही जनहितैषी कार्य जारी रहेंगे। इस अवसर पर बस्तर जनपद पंचायत अध्यक्ष संतोष बघेल, जिला पंचायत सदस्य निर्देश दीवान एवं श्रीमती शकुंतला कश्यप सहित क्षेत्र के जनप्रतिनिधिगण, अनुविभागीय दंडाधिकारी ऋषिकेश तिवारी सहित अन्य अधिकारी और बड़ी संख्या में क्षेत्र के ग्रामीण उपस्थित रहे।
रायपुर / शौर्यपथ / छत्तीसगढ़ के औद्योगिक विकास और वैश्विक निवेश को नई दिशा देने के उद्देश्य से प्रदेश के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय 10 दिवसीय विदेश यात्रा पर आज जापान और दक्षिण कोरिया के लिए रवाना हुए। मुख्यमंत्री के पदभार संभालने के 18 माह बाद यह उनकी पहली विदेश यात्रा है, जिसे प्रदेश के विकास की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय जापान के ओसाका में आयोजित वर्ल्ड एक्सपो में शामिल होंगे तथा वहां इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑटोमोबाइल्स और फूड प्रोसेसिंग जैसे क्षेत्रों में निवेश आकर्षित करने का प्रयास करेंगे। इन क्षेत्रों में जापान और दक्षिण कोरिया दोनों ही देश वैश्विक स्तर पर अग्रणी हैं और छत्तीसगढ़ में इन क्षेत्रों में उद्योगों के लिए अपार संभावनाएं मौजूद हैं।
पत्रकारों से चर्चा करते हुए मुख्यमंत्री ने बताया कि नई औद्योगिक नीति के अंतर्गत अब तक करीब 6.30 लाख करोड़ रुपये के एमओयू (MoU) हो चुके हैं। इनमें से कई परियोजनाओं पर काम भी प्रारंभ हो चुका है और शेष को भी शीघ्र गति दी जाएगी। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि इन निवेश प्रस्तावों के जरिए प्रदेश में न केवल औद्योगिक ढांचा मजबूत होगा, बल्कि बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर भी सृजित होंगे।
मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा –
"छत्तीसगढ़ में अपार संभावनाएं हैं। इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑटोमोबाइल्स और फूड प्रोसेसिंग के क्षेत्र में हम राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर पर छत्तीसगढ़ को एक नई पहचान दिलाएंगे। हमारी कोशिश है कि यहां के संसाधनों और क्षमता को उद्योगों के माध्यम से विकास का मजबूत आधार बनाया जाए।"
प्रदेश सरकार की नई औद्योगिक नीति निवेशकों के लिए अनुकूल माहौल प्रदान कर रही है, जिसके चलते देश-विदेश की प्रमुख कंपनियां छत्तीसगढ़ की ओर आकर्षित हो रही हैं। मुख्यमंत्री की इस यात्रा से प्रदेश और एशियाई औद्योगिक महाशक्तियों—जापान व दक्षिण कोरिया—के बीच आर्थिक सहयोग और निवेश की नई राह खुलने की संभावना प्रबल हो गई है।
छत्तीसगढ़, जो अब तक अपनी खनिज संपदा और कृषि उत्पादन के लिए देशभर में प्रसिद्ध रहा है, अब उच्च तकनीक, मैन्युफैक्चरिंग और वैश्विक औद्योगिक साझेदारी का नया केंद्र बनने की ओर अग्रसर है। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की यह विदेश यात्रा निश्चित ही प्रदेश के औद्योगिक एवं आर्थिक भविष्य की दिशा तय करने में महत्वपूर्ण साबित होगी।
20 अगस्त को तीन नए चेहरों ने ली शपथ, विभाग भी आवंटित — पूर्व CM बोले, कांग्रेस सरकार को नहीं मिली थी अनुमति, अब भाजपा ने कैसे कर लिया विस्तार?
रायपुर। शौर्यपथ ।
छत्तीसगढ़ की राजनीति एक बार फिर गरमाती दिख रही है। प्रदेश में हाल ही में हुए मंत्रिमंडल विस्तार के बाद मुख्यमंत्री के साथ कुल 14 मंत्रियों की सरकार अब सत्ता संचालन कर रही है। 20 अगस्त को शपथ ग्रहण के साथ ही तीन नए चेहरों – दुर्ग से गजेंद्र यादव, आरंग से गुरु खुशवंत सिंह एवं सरगुजा संभाग से राजेश अग्रवाल – को कैबिनेट मंत्री बनाया गया और देर शाम इन्हें विभाग भी आवंटित कर दिए गए।
लेकिन, इस विस्तार के तुरंत बाद प्रदेश की राजनीति में भूचाल आ गया। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भाजपा सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि “मौजूदा मंत्रिमंडल अवैधानिक है।” बघेल के मुताबिक, कांग्रेस सरकार ने 2018 से ही 14 मंत्री शामिल करने की कोशिशें की थीं और इस विषय को न केवल विधानसभा में उठाया गया बल्कि केंद्र को भी प्रस्ताव भेजा गया था, मगर तत्कालीन केंद्र शासन ने अनुमति नहीं दी।
अब सवाल यह उठ रहा है कि भाजपा सरकार ने किस आधार पर 14 मंत्रियों का मंत्रिमंडल गठित किया और क्या इसे केंद्र की औपचारिक मंजूरी मिली है?
"हरियाणा मॉडल" की तर्ज पर छत्तीसगढ़
सूत्र बताते हैं कि राज्य में "हरियाणा मॉडल" अपनाते हुए 14 सदस्यों की कैबिनेट बनाई गई है। लेकिन पूर्व CM के आरोपों ने यह बहस शुरू कर दी है कि क्या इस मॉडल को प्रदेश में लागू करने के लिए संवैधानिक प्रक्रिया पूरी की गई है, या फिर यह सिर्फ़ राजनीतिक प्रयोग है?
सियासी गर्माहट और आने वाले सवाल
भूपेश बघेल के बयान के बाद से कांग्रेस हमलावर है और भाजपा को इस पर स्पष्टीकरण देना होगा कि आखिर अब जो संख्या बढ़ाई गई, उसकी संवैधानिक वैधता क्या है। प्रदेश की सियासत में अब चर्चाओं का नया दौर शुरू हो गया है—“क्या राज्य सरकार ने केंद्र की मंजूरी लेकर ही यह कदम उठाया है या फिर यह निर्णय सिर्फ़ राजनीतिक दबाव और दिखावे के तहत लिया गया?”
आगे की राजनीतिक दिशा
एक तरफ भाजपा सरकार अपने नए मंत्रियों के साथ प्रशासनिक गति पकड़ने की तैयारी कर रही है, वहीं दूसरी ओर विपक्ष इस “ग़ैरक़ानूनी मंत्रिमंडल” के मुद्दे पर आर-पार की लड़ाई की रणनीति बना रहा है। आने वाले दिनों में इस मसले पर न केवल विधानसभा में तेज़ हलचल देखने को मिलेगी, बल्कि प्रदेश की जनता भी सरकार और विपक्ष दोनों की राजनीतिक चालों पर कड़ी नज़र बनाए रखेगी।
? यह खबर राजनीतिक निहितार्थों से भरपूर है और सीधे तौर पर जनता के विश्वास बनाम संवैधानिक वैधता की बहस खड़ी करती है।
दुर्ग शहर की अव्यवस्था से जनता निराश, अतिक्रमण और गंदगी ने बढ़ाई परेशानी; कैबिनेट मंत्री बने गजेंद्र यादव से विकास की नई गाथा लिखने की आस
दुर्ग / शौर्यपथ / नगरीय निकाय चुनाव के दौरान भारतीय जनता पार्टी प्रत्याशी श्रीमती अलका बाघमार ने शहरवासियों से अतिक्रमण मुक्त दुर्ग, स्वच्छ और व्यवस्थित बाजार, भ्रष्टाचार पर कड़ी कार्रवाई जैसी कई बड़ी घोषणाएँ की थीं। इन वादों पर भरोसा जताते हुए दुर्ग की जनता ने मतदान के माध्यम से उन्हें महापौर के रूप में चुना। लेकिन महज़ कुछ महीनों के कार्यकाल में ही नगर सरकार की कार्यप्रणाली सवालों के घेरे में आ गई है।
शहर के मुख्य मार्गों पर आवारा पशुओं का जमावड़ा, जवाहर नगर से सुराना कॉलेज तक फैली गंदगी और कचरे के ढेर, सड़कों के किनारे अवैध अतिक्रमण, जगह-जगह बुझी पड़ी स्ट्रीट लाइटें और थोड़ी-सी बारिश में ही पूरे शहर का जलभराव जैसी समस्याओं ने जनता को निराश किया है। दो महीने तक चले 'महासफाई अभियानÓ का परिणाम भी कुछ घंटों की बारिश में ही धुल गया।
इन हालातों ने न केवल महापौर की कार्यशैली पर बल्कि महापौर चयन में निर्णायक भूमिका निभाने वाले दुर्ग लोकसभा सांसद विजय बघेल की भूमिका पर भी सवाल खड़े किए हैं। जनता का मानना है कि जिस प्रत्याशी को उन्होंने सांसद के प्रभाव से चुना, वही अब अपेक्षाओं पर खरी नहीं उतर पा रही हैं।
जनता की आवाज़
व्यापारीयो का कहना है – "बाजार क्षेत्र में हर दिन ट्रैफिक जाम और गंदगी से जूझना पड़ता है। हम उम्मीद कर रहे थे कि महापौर बनने के बाद कुछ सुधार होगा, परंतु हालात जस के तस हैं।"
स्थानीय निवासियों ने कहा – "महज कुछ घंटों की बारिश में ही पूरा इलाका जलमग्न हो जाता है। बच्चे स्कूल नहीं जा पाते, बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। जनता पूछ रही है कि आखिर सफाई और नालों की देखरेख का जिम्मा किसका है?"
सुराना कॉलेज के छात्र बोले – "हमारे कॉलेज के सामने कचरे के ढेर और आवारा मवेशियों की समस्या महीनों से बनी हुई है। प्रशासन और नगर निगम दोनों ही सिर्फ आश्वासन देते हैं।"
अब नजरें टिकी हैं मंत्री गजेंद्र यादव पर
ऐसे में अब उम्मीद की किरण दिख रही है दुर्ग शहर के विधायक गजेंद्र यादव से, जिन्हें हाल ही में प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाया गया है। यह संयोग स्वर्गीय हेमचंद यादव के बाद पहली बार आया है जब दुर्ग शहर विधानसभा का कोई विधायक मंत्री पद से सुशोभित हुआ है।
जनता को विश्वास है कि गजेंद्र यादव के मंत्री बनने से शहर के विकास की नई गाथा लिखी जाएगी। बड़े पद के साथ बड़ी जिम्मेदारी भी आती है और अब नागरिकों की अपेक्षा है कि मंत्री गजेंद्र यादव गुटबाजी और राजनीतिक खींचतान से ऊपर उठकर दुर्ग के लिए ठोस कार्य करेंगे।
दुर्ग की जनता चाहती है कि—
सड़कों और नालों की तत्काल मरम्मत हो,
अतिक्रमण पर कड़ी कार्रवाई की जाए,
स्वच्छता और प्रकाश व्यवस्था को प्राथमिकता मिले,
और जिला मुख्यालय के रूप में दुर्ग का विकास पूरे प्रदेश में मिसाल बने।
आज दुर्ग की जनता जिस अव्यवस्था और उपेक्षा से गुजर रही है, उससे निकलने का रास्ता केवल मजबूत राजनीतिक इच्छाशक्ति और संवेदनशील नेतृत्व ही दिखा सकता है। ऐसे में शहरवासियों की निगाहें एक बार फिर अपने विधायक और अब मंत्री बने गजेंद्र यादव पर टिकी हैं कि वे दुर्ग की तकदीर बदलने की दिशा में निर्णायक कदम उठाएँ।
?? विश्लेषण बॉक्स
राजनीतिक समीकरण:दुर्ग महापौर चुनाव में विजय बघेल की भूमिका ने भाजपा की स्थानीय राजनीति में हलचल मचाई थी। महापौर पर सवाल खड़े होने से उनकी साख भी प्रभावित हो रही है। गजेंद्र यादव की सक्रियता अब भाजपा के भीतर संतुलन साधने में अहम साबित हो सकती है।
मुख्य चुनौतियाँ:
नगरीय निकाय में भ्रष्टाचार और अव्यवस्था पर अंकुश लगाना
सफाई व्यवस्था और जलभराव की स्थायी समस्या का समाधान
शहर में अवैध अतिक्रमण और यातायात अव्यवस्था पर सख्त कार्रवाई
जनता की उम्मीदों को जल्द ठोस कामों में बदलना
संभावनाएँ:यदि गजेंद्र यादव अपने मंत्री पद का प्रभाव शहर के विकास में दिखा पाते हैं तो वे न केवल दुर्ग बल्कि प्रदेश स्तर पर भी एक मजबूत नेतृत्वकर्ता के रूप में उभर सकते हैं। वहीं, यदि अव्यवस्था जस की तस रही तो इसका सीधा राजनीतिक असर आगामी चुनावों पर पड़ सकता है।
राज्य में 17 सितंबर से 2 अक्टूबर तक चलेगा यह अभियान
रायपुर / शौर्यपथ / मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की पहल पर छत्तीसगढ़ में “आदि कर्मयोगी अभियान” 17 सितंबर से 2 अक्टूबर 2025 तक चलाया जाएगा। छत्तीसगढ़ सहित देशभर के अनेक राज्यों में संचालित हो रहे इस अभियान का उद्देश्य जनजातीय अंचलों में सेवा, समर्पण और सुशासन की भावना के साथ शासकीय योजनाओं का प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित करना है।
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा है कि आदि कर्मयोगी अभियान के अंतर्गत जनजातीय परिवारों को मूलभूत सुविधाओं से लाभान्वित किया जाना है, अतः इस कार्य को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाए। इस अभियान के अंतर्गत राज्य के 28 जिलों, 128 विकासखंडों और 6,650 आदिवासी बहुल ग्रामों को शामिल किया गया है। अभियान के संचालन हेतु ग्राम स्तर पर 1,33,000 से अधिक कैडर (एनजीओ, स्वयंसेवी, पंचायत प्रतिनिधि, युवा एवं सेवाभावी संगठन) तैयार किए जाएंगे। ये कैडर आवास, सड़क, स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार जैसी बुनियादी सुविधाओं से संबंधित योजनाओं के क्रियान्वयन तथा ग्राम विकास की योजना निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
अभियान के अंतर्गत प्रशिक्षण कार्यक्रम राज्य, जिला, ब्लॉक और ग्राम स्तर पर चरणबद्ध रूप से आयोजित किए जाएंगे। प्रत्येक चयनित ग्राम में “आदि सेवा केंद्र” की स्थापना की जाएगी, जो शासकीय सेवाओं की प्रदायगी और जनभागीदारी को प्रोत्साहित करने का केंद्र बनेगा। पूरे अभियान के दौरान ‘आदि सेवा केंद्र’ के माध्यम से ‘सेवा पर्व’ और ‘आदि कर्मयोगी सेवा अभियान’ का संचालन किया जाएगा। इस कार्य में स्थानीय जनप्रतिनिधियों की भी महत्वपूर्ण भूमिका होगी।
आदिम जाति विकास तथा अनुसूचित जाति विकास विभाग, पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक विकास विभाग द्वारा निर्धारित विस्तृत दिशा-निर्देशों के अनुसार जिलों में एनजीओ, सीएसओ तथा स्थानीय वालंटियर्स का चयन कर उन्हें प्रशिक्षित किया जाएगा। साथ ही ग्रामों के “ट्राइबल विलेज विजन 2030” का निर्माण भी किया जाएगा। इस दौरान शिकायत निवारण शिविर, जनजागरूकता अभियान तथा “आदिवासी सेवा दिवस” का आयोजन किया जाएगा।
दुर्ग/रायपुर / शौर्यपथ /
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय कल 18 अगस्त (सोमवार) को दुर्ग जिले के एकदिवसीय प्रवास पर रहेंगे। मुख्यमंत्री सचिवालय से जारी कार्यक्रम के अनुसार वे विभिन्न विकास एवं लोकार्पण कार्यक्रमों में शामिल होंगे।
मुख्यमंत्री साय सुबह 11:45 बजे रायपुर स्थित अपने निवास सिविल लाइंस से कार द्वारा प्रस्थान करेंगे और दोपहर 12:30 बजे भिलाई स्थित शंकराचार्य परिसर सुपेला, जिला दुर्ग पहुंचेंगे।
दोपहर 12:30 बजे से 01:30 बजे तक वे भाजपा नवीन जिला कार्यालय भवन लोकार्पण कार्यक्रम में शामिल होंगे। इसके पश्चात 02:00 बजे वे शंकराचार्य परिसर से प्रस्थान कर मुख्यमंत्री कार्यालय परिसर, सुपेला, भिलाई पहुंचेंगे।
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय दोपहर 02:05 बजे से 03:05 बजे तक श्रमन्यूज / लोकार्पण कार्यक्रम - नगर पालिक निगम भिलाई में शामिल होंगे। इसके बाद वे 03:05 बजे भिलाई से रायपुर के लिए रवाना होंगे और 03:50 बजे रायपुर स्थित मुख्यमंत्री निवास लौटकर विश्राम करेंगे।
सुरक्षा व्यवस्था को देखते हुए मुख्यमंत्री को ‘Z प्लस श्रेणी’ की सुरक्षा प्रदान की गई है। उनके साथ सुरक्षा अधिकारी एवं अन्य अधिकारी भी रहेंगे। विशेष रूप से, मुख्यमंत्री का रक्त समूह ‘O+ve’ तथा रिपोर्टेड ब्लड ग्रुप भी ‘O+ve’ है, जिसकी सूचना संबंधित विभागों को दी गई है।
इस दौरे को लेकर प्रशासन एवं पुलिस विभाग को आवश्यक सुरक्षा एवं सतर्कता संबंधी सभी इंतज़ाम करने के निर्देश दिए गए हैं।
दुर्ग / शौर्यपथ / शहर में कानून व्यवस्था और सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए दुर्ग पुलिस ने शनिवार को अचानक चेकिंग अभियान चलाया। ग्रीन चौक पर एडिशनल एसपी, दुर्ग सीएसपी, यातायात प्रभारी और मोहन नगर थाना प्रभारी की टीम ने चारों तरफ से नाकेबंदी कर मोटरसाइकिल, ई-रिक्शा सहित सभी वाहनों की सघन जांच शुरू की।
चेकिंग के दौरान पुलिस ने बिना कागज़ात वाले दर्जनों वाहनों के चालान काटे और कई संदिग्धों को पूछताछ किया गया । टीम ने हेलमेट न पहनने वालों पर भी सख्ती बरती।
अधिकारियों का कहना है कि यह अभियान आगे भी जारी रहेगा, ताकि शहर में अवैध गतिविधियों पर अंकुश और यातायात व्यवस्था में सुधार हो सके।
रायपुर / शौर्यपथ / सेना भर्ती कार्यालय, भोपाल द्वारा आगामी 22 अगस्त से 2 सितम्बर 2025 तक विदिशा के स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स स्टेडियम में सेना भर्ती रैली आयोजित की जाएगी। इस रैली में मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के विभिन्न श्रेणियों के उम्मीदवारों का चयन किया जाएगा।
सेना भर्ती कार्यालय, रायपुर (छत्तीसगढ़) के अंतर्गत केंद्रीय नियंत्रण श्रेणी के पदों—सिपाही फार्मा, सिपाही तकनीकी नर्सिंग सहायक, धर्म गुरु (जेसीओ), जेसीओ कैटरिंग, एजुकेशन हवलदार और हवलदार सर्वेयर ऑटोमेटेड कार्टोग्राफर—की भर्ती प्रक्रिया 31 अगस्त से 1 सितम्बर 2025 को होगी।
इन पदों के लिए केवल वे ही उम्मीदवार पात्र होंगे जिन्होंने सेना द्वारा जून-जुलाई 2025 में आयोजित कॉमन एंट्रेंस एग्जाम (सीईई) उत्तीर्ण किया है। रैली के दौरान अभ्यर्थियों की शारीरिक दक्षता, दस्तावेज़ों की जांच और चिकित्सीय परीक्षण किया जाएगा।
भर्ती में शामिल होने वाले योग्य उम्मीदवारों को प्रवेश पत्र शीघ्र ही उनके ई-मेल पर भेज दिए जाएंगे। भर्ती स्थल पर प्रवेश केवल प्रवेश पत्र पर अंकित तिथि और समय के अनुसार ही मिलेगा। विशेष रूप से ध्यान देने योग्य है कि अभ्यर्थियों की दौड़ रात्रि 1 बजे से प्रारंभ होगी।
रैली में भाग लेने के लिए उम्मीदवारों को एडमिट कार्ड, सभी आवश्यक दस्तावेज़ अधिसूचना अनुसार तथा आधार कार्ड से लिंक मोबाइल फोन साथ लाना अनिवार्य होगा।