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रायपुर। शौर्यपथ।
छत्तीसगढ़ सरकार ने पुलिस विभाग में 7 आईएएस अधिकारियों के तबादले किए हैं। राज्य शासन द्वारा जारी आदेश के अनुसार इन अधिकारियों को नई जिम्मेदारियों के साथ विभिन्न स्थानों पर पदस्थ किया गया है। यह तबादला सूची पुलिस प्रशासन में नई नीति और बेहतर संचालन के उद्देश्य से जारी की गई है।
स्थानानुसार तबादला सूची
श्री मोहित गर्ग (IPS 2013) को पुलिस अधीक्षक, रायपुर से सहायक पुलिस महानिरीक्षक, पुलिस मुख्यालय, छत्तीसगढ़, नया रायपुर बनाया गया है।
श्री चन्दन सिंह राठौर (IPS 2014) को पुलिस अधीक्षक, मण्डल मुख्यालय, विरसीनी भाटापुर से पुलिस अधीक्षक (ट्रेनिंग/ऑपरेशन्स), पुलिस अकादमी, जगदलपुर एवं अतिरिक्त प्रभार नागरिक सुरक्षा अधिकारी, नया रायपुर नियुक्त किया गया है।
सुश्री अंकिता शर्मा (IPS 2018) को पुलिस अधीक्षक, सरगुजा से पुलिस अधीक्षक, रायगढ़ बना दिया गया है।श्री युधवीर अखंड कुमार (IPS 2018) को पुलिस अधीक्षक, कोंडागांव से सहायक पुलिस महानिरीक्षक, पुलिस मुख्यालय, नया रायपुर के पद पर स्थानांतरित किया गया है।
श्रीमती रत्ना सिंह (IPS 2019) को सहायक पुलिस महानिरीक्षक, पुलिस मुख्यालय, नया रायपुर से पुलिस अधीक्षक, मण्डल मुख्यालय, विरसीनी भाटापुर नियुक्त किया गया है।
श्री प्रफुल्ल ठाकुर (IPS 2015), वर्तमान में सम्भागीय 4थी वाहिनी, छत्तीसगढ़ सशस्त्र बल, सक्ती से स्थानांतरित कर पुलिस अधीक्षक, सक्ती बनाया गया है।
श्री पंकज चन्र (IPS 2015), वर्तमान में 13वीं वाहिनी, छत्तीसगढ़ सशस्त्र बल, बांगों से पुलिस अधीक्षक, कोंडागांव बनाया गया है।
प्रशासनिक महत्व
इन तबादलों से जिला पुलिस प्रशासन में नया नेतृत्व आएगा और टीमों के प्रबंधन में ताजगी मिलेगी।
कुछ अधिकारियों को राज्य के मुख्यालय में भेजा गया है जिससे राज्य स्तर पर पुलिस की नई रणनीति और कार्य-योजना पर बल मिलेगा।माओवादी प्रभावित क्षेत्रों (जगदलपुर, कोंडागांव, आदि) में भी अनुभवी अधिकारियों की नियुक्ति की गई है, जिससे कानून व्यवस्था में सुधार और आंतरिक सुरक्षा रणनीति मजबूत होने की उम्मीद है।निष्कर्षछत्तीसगढ़ सरकार द्वारा किए गए इन नियुक्तियों से पुलिस प्रशासन की दक्षता और जिम्मेदारी दोनों बढ़ेगी।
इन अधिकारियों के अनुभव और नई जिम्मेदारियों से राज्य में कानून व्यवस्था को एक नई दिशा मिलने की संभावना है।
हर जिले में गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य शिक्षा और स्थानीय युवाओं के लिए नए रोजगार अवसर
रायपुर / शौर्यपथ /
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की एक और महत्वपूर्ण घोषणा को राज्य सरकार ने मूर्त रूप दे दिया है। राज्य के 9 नए नर्सिंग कॉलेजों के भवन निर्माण के लिए 78 करोड़ 15 लाख रुपए की प्रशासकीय स्वीकृति जारी कर दी गई है। यह निर्णय छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य शिक्षा और कौशल विकास को नई दिशा देने वाला कदम माना जा रहा है।
प्रदेशभर में खुलेंगे 9 नर्सिंग कॉलेज
प्रत्येक नर्सिंग कॉलेज के भवन निर्माण के लिए 8 करोड़ 68 लाख रुपए की राशि स्वीकृत की गई है। ये कॉलेज दंतेवाड़ा, बैकुंठपुर, बीजापुर, बलरामपुर, जशपुर, रायगढ़, धमतरी, जांजगीर-चांपा और नवा रायपुर (अटल नगर) में स्थापित किए जाएंगे।
इन संस्थानों की स्थापना से दूरस्थ और जनजातीय अंचलों के विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण नर्सिंग शिक्षा प्राप्त करने का अवसर मिलेगा। साथ ही स्थानीय युवाओं को रोजगार और आत्मनिर्भरता के नए द्वार खुलेंगे।
मुख्यमंत्री का दृष्टिकोण
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कहा —
“हमारा उद्देश्य है कि प्रदेश के हर युवा को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य शिक्षा मिले और हर जिले में आधुनिक स्वास्थ्य सेवाओं के लिए कुशल मानव संसाधन तैयार हो।
9 नए नर्सिंग कॉलेजों की स्वीकृति स्वास्थ्य शिक्षा क्षेत्र में नया अध्याय जोड़ेगी। यह पहल युवाओं के लिए रोजगार और आत्मनिर्भरता के अवसर बढ़ाएगी।”
स्वास्थ्य मंत्री की प्रतिक्रिया
स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने इस निर्णय को ऐतिहासिक बताते हुए कहा —
“मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के दूरदर्शी नेतृत्व में राज्य सरकार ने स्वास्थ्य शिक्षा को नई दिशा देने वाला कदम उठाया है।
9 नए नर्सिंग कॉलेजों की स्वीकृति से प्रदेश के युवाओं को गुणवत्तापूर्ण नर्सिंग शिक्षा, रोजगार और आत्मनिर्भरता के बेहतर अवसर मिलेंगे।”
वित्त मंत्री का मत
वित्त मंत्री ओ. पी. चौधरी ने कहा — “मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में सरकार शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे बुनियादी क्षेत्रों को प्राथमिकता दे रही है। 9 नए नर्सिंग कॉलेजों के लिए 78 करोड़ 15 लाख रुपए की स्वीकृति इस प्रतिबद्धता का प्रतीक है कि सरकार युवाओं के लिए अवसर सृजन और सेवा क्षेत्र को सशक्त बनाने के लिए समर्पित है।”
यह निर्णय प्रदेश के स्वास्थ्य शिक्षा क्षेत्र को मजबूत बनाने के साथ-साथ जनसेवा और कौशल विकास की दिशा में राज्य सरकार की प्रतिबद्धता को और दृढ़ करता है। यह पहल छत्तीसगढ़ को स्वास्थ्य सेवाओं और मानव संसाधन विकास के क्षेत्र में नए आयाम स्थापित करने की दिशा में अग्रसर करेगी।
रायपुर / शौर्यपथ / मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में प्रदेश में शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ करने की दिशा में एक और बड़ा कदम उठाया गया है। राज्य शासन के वित्त विभाग ने आज 5000 शिक्षकों के पदों पर भर्ती की सहमति प्रदान कर दी है। यह निर्णय मुख्यमंत्री श्री साय की उस घोषणा के अनुरूप है, जिसमें उन्होंने प्रदेश के शैक्षणिक ढांचे को मज़बूत बनाने और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की थी।
मुख्यमंत्री साय ने कहा कि शिक्षा किसी भी राज्य की प्रगति की नींव होती है, और छत्तीसगढ़ सरकार का उद्देश्य है कि हर बच्चे तक ज्ञान और अवसर दोनों पहुंचे। उन्होंने कहा कि यह भर्ती न केवल शिक्षण व्यवस्था को गति देगी बल्कि युवाओं के लिए रोज़गार के नए अवसर भी सृजित करेगी। मुख्यमंत्री श्री साय ने वित्त विभाग द्वारा दी गई सहमति को ‘नए छत्तीसगढ़ के निर्माण की दिशा में ऐतिहासिक कदम’ बताया। 5000 पदों हेतु शिक्षा विभाग शीघ्र भर्ती प्रक्रिया प्रारम्भ करेगा। इन पदों की पूर्ति से ग्रामीण एवं आदिवासी अंचलों में शिक्षकों की कमी काफी हद तक दूर होगी, जिससे शिक्षण की निरंतरता और गुणवत्ता में उल्लेखनीय सुधार होगा।
राज्य शासन ने पिछले कुछ महीनों में शिक्षा सुधार से जुड़े कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं। विद्यालय भवनों के निर्माण, डिजिटल शिक्षा सामग्री के प्रसार, और शिक्षकों के प्रशिक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से प्रदेश में शिक्षा की गुणवत्ता को नई ऊँचाइयों पर ले जाने का लक्ष्य रखा गया है।
प्रदेश में शिक्षकों की कमी लंबे समय से एक प्रमुख चुनौती रही है। कई ग्रामीण क्षेत्रों में विद्यालयों में विषयवार शिक्षकों की उपलब्धता सीमित थी। नई भर्ती से इन क्षेत्रों में शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ किया जाएगा, जिससे बच्चों को अब अपने ही गाँव और क्षेत्र में बेहतर शिक्षा प्राप्त करने का अवसर मिलेगा। साथ ही, यह पहल प्रदेश में शिक्षण के स्तर को राष्ट्रीय औसत के बराबर लाने में सहायक सिद्ध होगी।
मुख्यमंत्री साय के नेतृत्व में प्रदेश सरकार शिक्षा को सर्वांगीण विकास का आधार मानते हुए लगातार निवेश कर रही है। स्कूल इन्फ्रास्ट्रक्चर के आधुनिकीकरण से लेकर छात्रवृत्ति, मध्याह्न भोजन और छात्र हितैषी योजनाओं तक, सरकार का फोकस हर स्तर पर शिक्षा के दायरे को व्यापक बनाना है। शिक्षकों की यह नई भर्ती उसी दीर्घकालिक दृष्टि का हिस्सा है, जो ‘विकसित छत्तीसगढ़’ के विज़न को साकार करने की दिशा में अग्रसर है। इस निर्णय से जहाँ शिक्षा प्रणाली को नई ऊर्जा मिलेगी, वहीं हजारों युवाओं के सपनों को साकार करने का मार्ग भी खुलेगा। यह पहल मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में ‘शिक्षित, सक्षम और आत्मनिर्भर छत्तीसगढ़’ की दिशा में एक निर्णायक कदम साबित होगी।
"मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय जी की मंशा के अनुरूप शिक्षा को राज्य की शीर्ष प्राथमिकता बनाया गया है। वित्त विभाग द्वारा 5000 शिक्षकों के पदों की भर्ती की सहमति देना इसी संकल्प का हिस्सा है। शिक्षा में किया गया प्रत्येक निवेश प्रदेश के भविष्य में किया गया निवेश है। इस निर्णय से स्कूलों में शिक्षकों की कमी पूरी होगी, ग्रामीण व आदिवासी अंचलों में पढ़ाई की गुणवत्ता बढ़ेगी और हजारों युवाओं को रोजगार के अवसर मिलेंगे। वित्तीय अनुशासन बनाए रखते हुए शिक्षा जैसे मूलभूत क्षेत्र को संसाधन उपलब्ध कराना हमारी सरकार की जिम्मेदारी और प्रतिबद्धता दोनों है।" - वित्त मंत्री श्री ओ.पी. चौधरी
"शिक्षा राज्य के विकास की सबसे सशक्त आधारशिला है। हमारी सरकार का संकल्प है कि छत्तीसगढ़ के हर बच्चे को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिले और हर विद्यालय में योग्य शिक्षक उपलब्ध हों। वित्त विभाग द्वारा 5000 शिक्षकों के पदों पर भर्ती की सहमति उसी दिशा में एक बड़ा कदम है। यह निर्णय न केवल शिक्षा के क्षेत्र को सशक्त करेगा, बल्कि प्रदेश के युवाओं के लिए रोजगार के अवसर भी बढ़ाएगा।" - मुख्यमंत्री विष्णु देव साय
मुख्यमंत्री साय ने प्रधानमंत्री मोदी के प्रवास की तैयारियों का लिया व्यापक जायज़ा: सभी तैयारियाँ निर्धारित समय-सीमा के भीतर पूर्ण करने अधिकारियों को दिए निर्देश
रायपुर / शौर्यपथ /
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आगामी छत्तीसगढ़ प्रवास के मद्देनज़र मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने आज नवा रायपुर में विभिन्न कार्यक्रम स्थलों का निरीक्षण कर तैयारियों की विस्तृत समीक्षा की। मुख्यमंत्री साय ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का छत्तीसगढ़ आगमन राज्य के लिए गौरव का अवसर है। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि इस दौरान प्रत्येक व्यवस्था उत्कृष्टता का प्रतीक बने और प्रदेश की संस्कृति, आत्मगौरव एवं प्रगति की झलक हर स्थल पर दृष्टिगोचर हो।
मुख्यमंत्री ने विभिन्न स्थलों का किया निरीक्षण
मुख्यमंत्री साय ने सबसे पहले नवा रायपुर स्थित सत्य साईं हॉस्पिटल का निरीक्षण किया। उन्होंने कार्यक्रम की रूपरेखा, सभागार व्यवस्था, मंच और आमंत्रित अतिथियों के बैठने की व्यवस्था का जायजा लिया।
इसके पश्चात मुख्यमंत्री साय प्रजापिता ब्रह्मकुमारी ध्यान केंद्र पहुँचे, जहाँ उन्होंने प्रधानमंत्री के प्रस्तावित कार्यक्रम की बिंदुवार समीक्षा की। उन्होंने ध्यान केंद्र के सभागार, मेडिटेशन रूम एवं बाहरी परिसर का निरीक्षण करते हुए सभी व्यवस्थाओं को समय पर पूर्ण करने के निर्देश दिए।
ट्राइबल म्यूज़ियम बनेगा जनजातीय अस्मिता का प्रतीक
मुख्यमंत्री साय ने शहीद वीर नारायण सिंह स्मारक सह जनजातीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानी संग्रहालय का निरीक्षण किया। उन्होंने कहा कि यह संग्रहालय जनजातीय समाज की वीरता, बलिदान और अस्मिता का अमर प्रतीक बनेगा। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया कि संग्रहालय के प्रत्येक अनुभाग को इस प्रकार तैयार किया जाए कि वह आगंतुकों को छत्तीसगढ़ के जनजातीय स्वतंत्रता संग्राम के गौरवशाली अध्याय से गहराई से परिचित करा सके। उन्होंने प्रदर्शनी दीर्घाओं, मल्टीमीडिया गैलरी, स्मृति कक्ष और बाहरी परिसर की व्यवस्थाओं की भी समीक्षा की।
राज्योत्सव स्थल बनेगा छत्तीसगढ़ की उपलब्धियों का दर्पण
मुख्यमंत्री साय ने नवा रायपुर स्थित राज्योत्सव स्थल का भी दौरा किया और तैयारियों की जानकारी ली। उन्होंने मुख्य मंच, पार्किंग क्षेत्र, विभागीय डोम, प्रदर्शनी दीर्घा, वीआईपी दीर्घा और आमजन के लिए बनाए गए मार्गों का निरीक्षण किया। उन्होंने कहा कि राज्योत्सव छत्तीसगढ़ की उपलब्धियों, संस्कृति और आत्मविश्वास का उत्सव है, इसलिए यह आयोजन उत्कृष्टता की नई मिसाल बने।
मुख्यमंत्री साय ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि सभी कार्य निर्धारित समय-सीमा के भीतर पूरे किए जाएँ और सुरक्षा, स्वच्छता तथा आमजन की सुविधा से जुड़े सभी बिंदुओं पर विशेष ध्यान दिया जाए।
इस अवसर पर वन मंत्री केदार कश्यप, मुख्य सचिव विकास शील, मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव सुबोध सिंह, प्रमुख सचिव सोनमणि बोरा, पुलिस महानिदेशक अरुण देव गौतम, सचिव राहुल भगत सहित विभिन्न विभागों के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
छत्तीसगढ़ के पर्यटन मानचित्र पर नई पहचान बनेगा ‘जशपुर जम्बूरी 2025’
छत्तीसगढ़ के जशपुर में सजेगा ‘जशपुर जम्बूरी 2025’ — रोमांच, संस्कृति और परंपरा का अद्भुत उत्सव
रायपुर / शौर्यपथ / छत्तीसगढ़ का पर्वतीय और हरियाली से आच्छादित जिला जशपुर एक बार फिर उत्सव, संस्कृति और रोमांच का केंद्र बनने जा रहा है। यहाँ आगामी 6 से 9 नवम्बर 2025 तक आयोजित होने वाले ‘जशपुर जम्बूरी 2025’ में प्रदेश और देशभर से पर्यटक प्रकृति की गोद में रोमांचक अनुभवों, जनजातीय परंपराओं और सामुदायिक उत्सव के रंगों का आनंद लेंगे। यह आयोजन प्राकृतिक सौंदर्य, जनजातीय परंपराओं और आधुनिक रोमांच का अद्भुत संगम प्रस्तुत करेगा।
प्रकृति की गोद में चार दिन का उत्सव
जशपुर अपनी प्राकृतिक सुंदरता, झरनों, पहाड़ियों और हरे-भरे जंगलों के कारण पहले से ही पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है। इन चार दिनों में यह जिला उत्साह, उमंग और अनूठे अनुभवों का जीवंत मंच बन जाएगा। देशभर से आने वाले सैलानी यहां रोमांचक खेलों, सांस्कृतिक प्रस्तुतियों और जनजातीय लोकपर्वों की रंगीन झलक का आनंद लेंगे।
हॉट एयर बलून और पैरामोटरिंग का रोमांच
इस वर्ष का सबसे बड़ा आकर्षण रहेगा हॉट एयर बलून और पैरामोटरिंग शो, जिसमें प्रतिभागी मधेश्वर पहाड़ियों के ऊपर से उड़ान भरकर जशपुर की भव्यता को नई ऊँचाई से देख सकेंगे। नीले आसमान और हरी वादियों का यह संगम एक अविस्मरणीय अनुभव बनेगा।
कयाकिंग, एटीवी और मोटर बोटिंग से मिलेगा एडवेंचर का आनंद
फेस्टिवल में कयाकिंग, मोटर बोटिंग और एटीवी राइड्स जैसी गतिविधियाँ रोमांच प्रेमियों को अपनी सीमाओं को परखने का अवसर देंगी। झरनों की धारा में कयाकिंग और जंगलों के बीच मिट्टी के रास्तों पर एटीवी चलाने का रोमांच हर आगंतुक के लिए यादगार रहेगा।
फॉरेस्ट ट्रेकिंग और प्राकृतिक अनुभव
प्रकृति प्रेमियों के लिए विशेष फॉरेस्ट ट्रेकिंग ट्रेल्स तैयार की गई हैं। घने पेड़ों के बीच, फूलों की महक और पक्षियों की चहचहाहट में चलना जशपुर की जैव विविधता से गहरा जुड़ाव कराएगा। यह पर्यावरण और पर्यटन के बीच सामंजस्य का प्रतीक है।
खुले आसमान तले स्टार गेज़िंग सेशन्स
रात्रिकालीन आयोजनों में स्टार गेज़िंग सेशन्स विशेष आकर्षण होंगे। तारों से सजे जशपुर के निर्मल आसमान में सैकड़ों नक्षत्रों को निहारने का अनुभव आगंतुकों को अद्भुत शांति और विस्मय का एहसास कराएगा।
लोककला, संगीत और बोनफायर नाइट्स से सजेगा हर शाम का माहौल ,हर शाम बोनफायर नाइट्स में जनजातीय लोकनृत्य, संगीत और हँसी से भरी संध्याएँ होंगी। पारंपरिक गीतों की धुन और आग की लपटों के बीच साझा होती मुस्कानें इस आयोजन को आत्मीयता का नया अर्थ देंगी।
फेस्टिवल में स्थानीय व्यंजनों का विशेष स्टॉल आकर्षण का केंद्र रहेगा। स्थानीय पारंपरिक पकवानों के स्वाद से पर्यटक छत्तीसगढ़ की मिट्टी की असली महक महसूस करेंगे।
‘जशपुर जम्बूरी’ केवल एक पर्यटन आयोजन नहीं, बल्कि जनजातीय गौरव और सांस्कृतिक आत्मसम्मान का उत्सव भी है। पारंपरिक हस्तशिल्प, लोककला प्रदर्शनी और आदिवासी परिधानों की झलक इस आयोजन को विशिष्ट बनाएगी।जशपुर प्रशासन और पर्यटन विभाग ने पर्यटकों की सुविधा के लिए ठहरने, खानपान, सुरक्षा और स्वच्छता की संपूर्ण व्यवस्था की है।
डिजिटल प्लेटफॉर्म पर भी बढ़ेगी पहचान
इस आयोजन में देशभर से एडवेंचर प्रेमी, फोटोग्राफर, ट्रैवल ब्लॉगर और इनफ्लुएंसर भाग लेंगे, जिससे जशपुर की पहचान राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर डिजिटल माध्यमों से और सशक्त होगी।
"हमारा प्रयास है कि जशपुर की प्रकृति और संस्कृति को राष्ट्रीय पहचान मिले। जशपुर जम्बूरी 2025’ न केवल छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक पहचान को प्रखर करेगा, बल्कि पर्यटन, उद्यमिता और सामुदायिक सहभागिता को नई ऊर्जा देगा। यह आयोजन राज्य के लिए गौरव और विकास दोनों का प्रतीक बनेगा। ऐसे आयोजन न केवल पर्यटन को बढ़ावा देते हैं, बल्कि स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार और आत्मनिर्भरता के नए अवसर भी पैदा करते हैं। जशपुर के लोग जितने सादगीपूर्ण हैं, उतने ही उत्साही और साहसी भी हैं।
‘जशपुर जम्बूरी’ जैसे आयोजन इस क्षेत्र की पहचान को राष्ट्रीय पटल पर स्थापित कर रहे हैं। यह फेस्टिवल छत्तीसगढ़ को ‘एडवेंचर टूरिज्म हब’ के रूप में आगे बढ़ाएगा।" - मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय
दुर्ग / शौर्यपथ /
शासकीय विश्वनाथ यादव तामस्कर स्नातकोत्तर स्वशासी महाविद्यालय (वी. वाय. टी. कॉलेज), दुर्ग के भूगोल विभाग द्वारा बालोद जिले में विस्तार गतिविधि कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम में एम.ए. (द्वितीय एवं चतुर्थ सेमेस्टर) तथा बी.ए. वर्ग के छात्र-छात्राओं ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। आयोजन महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. अजय कुमार सिंह एवं विभागाध्यक्ष डॉ. अनिल कुमार मिश्रा के निर्देशन में रुसा 2.0 योजना के अंतर्गत संपन्न हुआ।
इस कार्यक्रम का उद्देश्य विद्यार्थियों को भूगोल विषय के व्यवहारिक ज्ञान से अवगत कराना, उनके शैक्षणिक अनुभवों को समृद्ध करना और उन्हें पर्यावरणीय मुद्दों के प्रति संवेदनशील बनाना था।
संवाद और शैक्षणिक गतिविधियाँ
विस्तार कार्यक्रम के अंतर्गत साइंस कॉलेज, दुर्ग एवं शासकीय महाविद्यालय, बालोद के भूगोल विषय के विद्यार्थियों के बीच संवाद सत्र आयोजित किया गया। इसमें निम्न विषयों पर चर्चा हुई —
भूगोल विषय का अन्य विषयों से संबंध
ग्लोबल वार्मिंग और उसके प्रभाव
वर्षा जल संचयन (रेन वाटर हार्वेस्टिंग)
सुदूर संवेदन (रिमोट सेंसिंग) के वैज्ञानिक पहलू
भूगोल विषय में करियर के अवसर
पर्यावरण संरक्षण और सतत विकास
कार्यक्रम के दौरान विद्यार्थियों ने न केवल विषयवस्तु को व्यवहारिक रूप से समझा, बल्कि एक-दूसरे के अनुभवों से भी सीखा। उनकी संज्ञानात्मक और विश्लेषणात्मक क्षमताओं को विकसित करने के लिए क्विज प्रतियोगिता सहित अन्य ज्ञानवर्धक गतिविधियाँ भी आयोजित की गईं।
प्राचार्य और प्राध्यापकों के विचार
शासकीय महाविद्यालय, बालोद के प्राचार्य डॉ. जे. के. खलको ने कार्यक्रम की सराहना करते हुए कहा कि “ऐसे संवाद विद्यार्थियों के ज्ञानवर्धन के लिए अत्यंत उपयोगी हैं। ये न केवल उनकी विषय रुचि बढ़ाते हैं बल्कि उन्हें अपने विचार स्पष्ट रूप से रखने का आत्मविश्वास भी देते हैं।”
वहीं भूगोल विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ. गोपचंद खरे ने कहा कि “संवाद से विद्यार्थियों में आत्मविश्वास आता है और वे अपने विचारों को व्यक्त करने के लिए प्रेरित होते हैं।” उन्होंने कार्यक्रम में सहयोग देने वाले शिक्षकों का आभार व्यक्त किया।
सिया देवी और तंदुला बांध का अध्ययन
विस्तार गतिविधि के अगले चरण में विद्यार्थियों ने सिया देवी, बालोद का स्थल अध्ययन किया। अध्ययन के दौरान विद्यार्थियों ने —
सिया देवी के धार्मिक एवं सांस्कृतिक महत्व,
उसकी भूगर्भिक संरचना,
चट्टानों की विशेषताओं, तथा
झरने के आसपास के पर्यावरणीय प्रभावों का विश्लेषण किया।
इसके पश्चात तंदुला बांध का भ्रमण किया गया, जहाँ विद्यार्थियों ने जल संसाधन प्रबंधन, स्थानीय व्यवसाय, और कृषि कार्यों पर इसके प्रभाव का अध्ययन किया।
सहभागिता
इस अवसर पर साइंस कॉलेज, दुर्ग के सहायक प्राध्यापक प्रशांत दुबे, डॉ. ओमकुमारी वर्मा, डॉ. डूमन लाल साहू सहित कुल 70 विद्यार्थी उपस्थित रहे। यह कार्यक्रम विद्यार्थियों के लिए अत्यंत ज्ञानवर्धक और प्रेरणादायक सिद्ध हुआ। इसने भूगोल विषय की व्यवहारिक समझ को सुदृढ़ किया तथा पर्यावरणीय विषयों और संसाधन प्रबंधन के प्रति छात्रों में जागरूकता बढ़ाई।
रिपोर्ट: शौर्यपथ संवाददाता / शरद पंसारी
स्थान: दुर्ग–बालोद
स्रोत: वी.वाय.टी. कॉलेज भूगोल विभाग / साइंस कॉलेज दुर्ग एवं शासकीय महाविद्यालय, बालोद
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पटना। शौर्यपथ ।
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में एनडीए (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) और इंडिया (I.N.D.I.A.) गठबंधन, यानी महागठबंधन—दोनों में कई प्रमुख और क्षेत्रीय पार्टियां शामिल हैं। यहां दोनों गठबंधनों की पार्टियों का हाल का ब्यौरा प्रस्तुत है:
एनडीए (NDA) गठबंधन में शामिल पार्टियां
भारतीय जनता पार्टी (BJP)
जनता दल (यूनाइटेड) [JDU]
हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) – जीतन राम मांझी की पार्टी
लोक जनशक्ति पार्टी (राम विलास) [LJP (RV)] – चिराग पासवान की पार्टी
राष्ट्रीय लोक जनतांत्रिक मोर्चा (रालोमो) – उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी
वर्तमान चुनाव में एनडीए में कुल 5 प्रमुख पार्टियां शामिल हैं।
इंडिया (I.N.D.I.A.)/महागठबंधन में शामिल पार्टियां
राष्ट्रीय जनता दल (RJD)
कांग्रेस (INC)
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माले) [CPI (ML)]
विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) – मुकेश सहनी की पार्टी
महागठबंधन/इंडिया में फिलहाल 4 मुख्य पार्टियां सक्रिय भूमिका निभा रही हैं, जिनमें वीआईपी की भी हाल ही में आमद हुई है।
अतिरिक्त जानकारी
दोनों गठबंधनों में क्षेत्रों के अनुसार कुछ छोटी पार्टियां और वैकल्पिक गठबंधन, सीटों के बंटवारे व स्थानीय समीकरण से भी जुड़ सकते हैं।
हालिया चुनावी समझौतों के कारण गठबंधनों में आंशिक बदलाव संभावित रहते हैं, किंतु ऊपर दी गई सूची वर्तमान हालत पर आधारित है।
पटना। शौर्यपथ ।
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की राजनीतिक लड़ाई अब निर्णायक मोड़ पर है। इंडिया गठबंधन (महागठबंधन) ने पहली बार तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री और मुकेश सहनी को उपमुख्यमंत्री के रूप में पेश करते हुए चुनावी समीकरण को पूरी तरह बदल दिया है। कांग्रेस के दिग्गज अशोक गहलोत की मौजूदगी में सार्वजनिक मंच पर गठबंधन के सभी दल—आरजेडी, कांग्रेस, वामदलों और वीआईपी के नेताओं—ने महागठबंधन की एकजुटता पर मुहर लगाई।
इस बार महागठबंधन ने सामाजिक संतुलन साधने के लिए EBC, यादव, मुस्लिम और निषाद-मल्लाह वर्गों को जोड़ने का रणनीतिक दांव चला है। टिकट बंटवारे में कांग्रेस, आरजेडी, वाम दल और वीआईपी के उम्मीदवारों ने अपने-अपने परंपरागत आधार के साथ नई जातीय परतें जोड़ दी हैं, जिससे गठबंधन की ताकत कई गुना हो गई है। दूसरी ओर एनडीए पर आरोप लगे हैं कि वह महाराष्ट्र की तर्ज पर चुनाव जीतते ही मुख्यमंत्री बदलने की योजना बना रही है। विपक्ष का कहना है कि नीतीश कुमार का यह ‘आखिरी चुनाव’ होगा और उन्हें चुनाव बाद दरकिनार किया जा सकता है।
महागठबंधन ने महिलाओं की स्थिति, बेरोजगारी, कानून-व्यवस्था और गरीब वर्ग की चिंता को चुनावी नरेटिव का हिस्सा बनाया। इंडिया गठबंधन के संदेश में साफ तौर पर यह झलक रहा है कि बिहार को एक नई शुरुआत की जरूरत है, और जनता को मुख्यमंत्रियों के चेहरों... और वादों के बीच धोखे में नहीं रहना चाहिए।
यह चुनाव अब केवल वोटों की नहीं, बल्कि सामाजिक समीकरण, असली मुद्दों और नेतृत्व की प्रामाणिकता की लड़ाई बन गया है। सभी दल अपनी रणनीति के साथ मैदान में हैं, लेकिन महागठबंधन की सामूहिक घोषणा और लक्ष्य अब बिहार की जनता को बदलाव की उम्मीद दे रही है।
छत्तीसगढ़। शौर्यपथ ।
छत्तीसगढ़ के 2003 बैच के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी रतनलाल डांगी पर गंभीर यौन शोषण व मानसिक उत्पीड़न के आरोप लगे हैं। बिलासपुर में पदस्थ एक सब-इंस्पेक्टर की पत्नी ने पुलिस मुख्यालय में 15 अक्टूबर 2025 को डीजीपी को लिखित शिकायत दर्ज कराई है, जिसमें उन्होंने बताया है कि 2017 से डांगी उनका शोषण कर रहे हैं। आरोप है कि डांगी ने सोशल मीडिया और वीडियो कॉल के माध्यम से पीड़िता को मानसिक व शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया। विरोध करने पर धमकी भी दी गई कि अगर उन्होंने मन मानी नहीं तो उनके पति का तबादला नक्सल प्रभावित क्षेत्र में कर दिया जाएगा।
पुलिस मुख्यालय ने इस गंभीर मामले में दो सदस्यीय जांच कमेटी बनाई है, जिसमें आईपीएस डॉ. आनंद छाबड़ा और आईपीएस मिलना कुर्रे को जांच का दायित्व सौंपा गया है। जांच के तहत दोनों पक्षों के बयान लिए जा रहे हैं और शिकायत के साथ प्रस्तुत डिजिटल साक्ष्यों की भी समीक्षा होगी।
प्रदेश के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने इस मामले पर कहा है कि चाहे कोई भी अधिकारी हो, आरोपों की निष्पक्ष जांच होगी और दोषी पाए जाने पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने स्पष्ट किया कि इस मामले में किसी को भी बख्शा नहीं जाएगा।
रतनलाल डांगी ने खुद इस मामले में डीजीपी को पत्र लिखकर जांच की मांग की है और आरोपों से अपने आपको बेदाग बताया है। वहीं, पुलिस महकमे में इस मामले को लेकर हड़कंप मचा हुआ है और उच्च अधिकारियों ने आदेश जारी कर जांच प्रक्रिया शुरू कर दी है।
यह मामला छत्तीसगढ़ पुलिस और शासन प्रशासन के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया है, जिसमें दोषियों पर जल्द और सख्त कार्रवाई की उम्मीद है। इस घटना ने पुलिस विभाग की छवि पर सवाल उठाए हैं और लंबे समय से चली आ रही शिकायतों को लेकर खलबली मची है।
इस उच्च स्तरीय मामले में आने वाले दिनों में जांच रिपोर्ट के आधार पर आगे की कानूनी और प्रशासनिक कार्रवाई की जाएगी।
यह खबर प्रदेश की राजनीति और प्रशासनिक व्यवस्था में गंभीर चर्चा का विषय बनी हुई है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की इस मामले में सख्त प्रतिक्रिया को पुलिस विभाग और जनता दोनों ने सकारात्मक संकेत के रूप में लिया है।
दीपक वैष्णव की ख़ास रिपोर्ट
कोंडागांव / शौर्यपथ / कोंडागांव जिले के चिलपुटी स्थित शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में हुई एक गंभीर कहानी अब झूठे जांच-प्रतिवेदनों और प्रशासनिक मिलीभगत के आरोपों के केंद्र में आ गई है। दैनिक अख़बार में प्रकाशित खबर के बाद सूचना का अधिकार (RTI) से प्राप्त दस्तावेजों ने खुलासा किया है कि विद्यालय के पूर्व प्रभारी प्रिंसिपल कृष्णा सिंह के पक्ष में कथित तौर पर मंगाई गई और अधूरी जांच रिपोर्ट तैयार कर प्रशासन को गुमराह करने का प्रयास किया गया।
पत्रकारों व ग्रामीणों की शिकायत का सार:
खबरों में यह आरोप था कि प्रधानाचार्य कृष्णा सिंह ने अपने पद के दुरुपयोग के तहत चौकीदार श्यामलाल यादव के पुत्र को स्कूल में कार्य करवा लिया — यानी “बाप की जगह बेटा” को सरकारी वेतन पर काम पर लगाया गया। शिकायत में यह भी कहा गया कि चौकीदार स्वास्थ्य खराब होने का बहाना कर रहा है, जबकि उसका पुत्र नियमित रूप से स्कूल में उपस्थित दिखाया गया। इस खबर के बाद जिला प्रशासन ने जांच कराई — पर उसी जांच की प्रतिवेदनों में ऐसे कई अंतर पाए गए जो शंकास्पद हैं।
RTI दस्तावेजों और जांच रिपोर्ट में पायी गई गड़बड़ियाँ (मुख्य बिंदु)
गैर-व्यावहारिक बयान और अभावित गवाहों का उल्लेख — जांच रिपोर्ट में केवल स्कूल के पदस्थ शिक्षकों का उल्लेख है, किन्तु किसी भी शिक्षक के बयान के साथ उनका नाम, दिनांक या हस्ताक्षर नहीं जोड़ा गया। ऐसे अनाम—निराधार बयानों को रिपोर्ट में तथ्य के रूप में पेश किया गया है।
रात-कार्यकर्ता का दिन में 'पुत्र द्वारा खाना पहुँचाने' जैसा विरोधाभासी बयान — रिपोर्ट में लिखा गया है कि चौकीदार का पुत्र रोज स्कूल खाना पहुँचाया करता था; जबकि चौकीदार की ड्यूटी रात्रि में है — रात में चौकीदार विद्यालय की निगरानी करता है और दिन में शिक्षक उपस्थित रहते हैं। यह तर्क व व्यावहारिकता से मेल नहीं खाता।
श्रमिक की अस्वस्थता एवं चिकित्सीय दस्तावेजों का समय-क्रम — सूत्रों व RTI से मिली जानकारी के अनुसार चौकीदार का मेडिकल रिकॉर्ड और चिकित्सीय प्रमाणपत्र पत्रकार के स्कूल पहुंचने व खबर प्रकाशित होने के कुछ ही दिनों पहले विद्यालय/विभाग में जमा कराए गए थे, जिससे शक उठता है कि मेडिकल दस्तावेज घटनाक्रम के अनुरूप बाद में तैयार कर दिए गए।
जांच समिति का गठन और जिम्मेदारियों का अनियमित वितरण — जांच समिति में नरेंद्र कुमार नायक (प्राचार्य) को जांच अधिकारी व इरसाद (इरशाद) अंसारी (सहायक विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी) को प्रस्तुतकर्ता नामित किया गया था। हालांकि RTI प्रतिलेखों से प्रतीत होता है कि ये अधिकारी स्वयं पूर्वप्रभारी के अनुकूल रिपोर्ट तैयार करने में सक्रिय रहे।
चौकीदार की वास्तविक स्थिति — स्थानीय सूत्रों का कहना है कि श्यामलाल यादव वर्षों पहले लकवे से प्रभावित हुए थे और वे स्वयं दैनिक कार्य करने में सक्षम नहीं हैं। ऐसे व्यक्ति के स्थान पर पुत्र का अनियमित तौर पर नियुक्त/काम करवाने के आरोपों की गंभीरता और जांच की आवश्यकता बनती है।
दस्तावेज क्या कहते हैं — निष्पक्षता बनाम छिपाने की साज़िश
RTI से प्राप्त जांच प्रारूप व शासकीय आदेशों के संलग्न प्रतिलिपियों का विश्लेषण दर्शाता है कि जांच समिति ने मूलभूत प्रक्रिया — गवाहों के साक्ष्य, हस्ताक्षर, दिनांक और चिकित्सीय प्रमाणों की वैधता — पर समुचित प्रश्न नहीं उठाए या उठाकर भी सही दस्तावेज नहीं दिए। इससे यह आशंका जोर पकड़ती है कि रिपोर्ट को घटना के अनुरूप मोड़कर तैयार किया गया, ताकि पूर्वप्रभारी को अनावश्यक लाभ/रक्षा दी जा सके।
स्थानीय प्रतिक्रिया और माँगें
ग्रामवासी, शिक्षक व स्थानीय अभियंताओं ने कहा कि यदि ऐसा सच है तो संबंधित अधिकारियों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई की जानी चाहिए — न केवल रिपोर्ट तैयार करने वाले सदस्यों के विरुद्ध बल्कि उस प्रकरण की वास्तविकता छिपाने के लिए मंथन करने वालों के विरुद्ध भी। ग्रामीणों ने स्पष्ट मांग की है कि इस मामले की स्वतंत्र रूप से पुनः जांच कराई जाए और यदि आवश्यकता हो तो FIR के तहत धाराओं के मुताबिक कार्रवाई की जाए (संभावित धाराएँ — धोखाधड़ी, सरकारी कागजातों में हेराफेरी/झूठे दस्तावेज, सार्वजनिक पद का दुरुपयोग इत्यादि)।
क्या कहा जाना चाहिए प्रशासन को — सुझाव
इस मामले की निष्पक्ष और स्वतंत्र जांच तृतीय-पक्ष (जिला से बाहर) अधिकारी अथवा एसपी/डीएम स्तर द्वारा करवाई जाए।
जांच समिति की ओर से पेश की गई रिपोर्ट में दिये गए सभी बयानों के मूल साक्ष्य (हस्ताक्षरित बयान, उपस्थिति सूची, चिकित्सा प्रमाण) सार्वजनिक किए जाएं।
यदि जांच में अनियमितता सिद्ध होती है तो तत्काल अनुलग्न अधिकारियों/जांच सदस्यों के विरुद्ध अनुशासनात्मक व आवश्यक कानूनी कार्यवाही की जाए। चौकीदार व उसके पुत्र की नियुक्ति/भुगतान संबंधी समस्त दस्तावेजों की भी स्वतंत्र ऑडिट करवाई जाए।
प्रेस की भूमिका और प्रशासन की जवाबदेही
यह मामला सिर्फ एक शिक्षक बनाम चौकीदार का मामूली विवाद नहीं है; यह सार्वजनिक भरोसे और सरकारी तंत्र की विश्वसनीयता से जुड़ा प्रश्न है। मीडिया द्वारा उठाई गई शिकायतों पर प्रशासन को पारदर्शिता के साथ जवाब देना होगा। वर्तमान RTI दस्तावेजों व प्राप्त जानकारियों के आधार पर यह आग्रह किया जा रहा है कि कागजी रिपोर्टों के बारे में प्रशासन जल्दीबाजी में निष्कर्ष पर न पहुंचे — बल्कि सत्यापन के लिए स्वतंत्र जांच सुनिश्चित करे, ताकि दुहराव और संभावित साज़िशों से बचा जा सके।
Feb 09, 2021 Rate: 4.00
