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धमतरी शौर्यपथ
कोरोना वायरस (कोविद-19) के संक्रमण से रोकथाम एवं बचाव के लिए शासन के निर्देश अनुसार धमतरी जिले से बाहर प्रदेशों में कमाने गए मजदूरों को वापस संबंधित जिले में लाने की कार्रवाई की जा रही है। इसके तहत 11 मई से 17 मई तक अन्य राज्यों से जिले के मजदूर ट्रेन के जरिए वापस आएंगे। कलेक्टर एवं जिला दण्डाधिकारी रजत बंसल ने इन मजदूरों को राजधानी रायपुर स्थित रेल्वे स्टेशन से धमतरी जिले में लाकर उनके निवासी होने वाले तहसीलों में बने क्वारेंटाईन सेंटरों तक पहुंचाने के लिए श्रम पदाधिकारी श्री अजय हेमंत देशमुख को नोडल अधिकारी नियुक्त किया है, जिनका मोबाईल नंबर 93298-30003 है। साथ ही समन्वय अधिकारियों की भी नियुक्ति की गई है।
कलेक्टोरेट से मिली जानकारी के मुताबिक कार्यपालन अभियंता लोक निर्माण विभाग हरिराम ध्रुव, मोबाईल नंबर 94252-09344 और कार्यपालन अधिकारी, क्रेडा पुरैना मोबाईल नंबर 98279-57670 की ड्यूटी 12 एवं 13 मई को लगाई गई है। इसी तरह कार्यपालन अधिकारी, जिला अंत्यावसायी जैन, मोबाईल नंबर 98261-36339 और अनुविभागीय अधिकारी, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी सेवा संभाग धमतरी बी.पी.पटेल मोबाईल नंबर 91312-66605 की ड्यूटी 14 एवं 15 मई को लगाई गई है। कार्यपालन अभियंता, पीएमजीएसवाय श्री आर.के.गर्ग मोबाईल नंबर 94064-37739 और उप संचालक समाज कल्याण विभाग श्री एम.एल.पाॅल मोबाईल नंबर 94255-45727 की ड्यूटी 16 एवं 17 मई को लगी है। उक्त अधिकारी श्रम पदाधिकारी अजय हेमंत देशमुख के निर्देशन में संबंधितों को उनके तहसील में बनाए गए क्वारेंटाईन सेंटरों तक मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत से समन्वय स्थापित कर पहुंचाएंगे।*
धमतरी शौर्यपथ
कोविद-19 कोरोना वाचयरस के संभावित संक्रमण की रोकथाम के लिए कलेक्टर श्री रजत बंसल के निर्देशानुसार गठित संयुक्त जांच दल के द्वारा व्यावसायिक प्रतिष्ठानों में लगातार दबिश देकर निर्धारित दर से अधिक कीमत पर आवश्यक वस्तुओं का विक्रय करने वाले व्यवसायियों के विरूद्ध कार्रवाई की जा रही है। इसी क्रम में आज नगर की कतिपय दुकानों में नमक की कमी होने तथा अधिक मूल्य में बेचे जाने की शिकायत प्राप्त हुई। खाद्य विभाग, नापतौल, खाद्य एवं औषधि प्रशासन तथा नगर निगम के संयुक्त जांच दल द्वारा उक्त शिकायत पर संज्ञान लेते हुए नगर के विभिन्न व्यापारिक प्रतिष्ठानों की जांच की गई। इस दौरान सिहावा रोड पर स्थित मेसर्स गजानन किराना स्टोर्स तथा आदेश किराना स्टोर्स में दबिश दी गई, जहां पर आवश्यक वस्तु में शामिल नमक को अधिकतम निर्धारित मूल्य से अधिक कीमत पर बेचा जाना पाया गया। उक्त दोनों दुकानों के संचालकों के विरूद्ध नियमानुसार वैधानिक कार्रवाई कर उनसे 3-3 हजार रूपए का जुर्माना वसूल किया गया। खाद्य अधिकारी ने बताया कि नमक की कमी के संबंध में उड़ाई गई अफवाह पर बताया गया कि नगरपालिक निगम क्षेत्रांतर्गत नमक की कोई कमी नहीं है तथा व्यापारियों के पास इसका पर्याप्त स्टाॅक उपलब्ध है। मांग के अनुरूप जिले में नमक की आपूर्ति सामान्य है। उन्होंने बताया कि प्रशासन द्वारा सभी व्यापारियों को नमक के साथ-साथ अन्य आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति बनाए रखने एवं निर्धारित मूल्य पर ही विक्रय करने के निर्देश दिए गए हैं। उल्लेखनीय है कि संयुक्त जांच दल के द्वारा बाजार में दैनिक उपभोग की आवश्यक वस्तुएं जैसे चावल, दाल, आलू, प्याज, गेहूं, तेल, नमक, आटा आदि की उपलब्धता एवं कीमतों के संबंध में व्यावसायिक प्रतिष्ठानों में सतत् औचक निरीक्षण कर इसकी जांच की जा रही है।
दुर्ग / शौर्यपथ / दुर्ग लोकसभा के सांसद विजय बघेल द्वारा ये ब्यान दिया गया कि मजदूरो से केंद्र सरकार यात्रा पैसे नहीं ले रही और ८५ प्रतिशत की सब्सिडी दे रही किरायो में किन्तु सच्चाई यह है कि १ मई से ४ मई तक के हर प्रमुख अखबारों में चेनल में रेलवे विभाग द्वारा ब्यानके के आधार पर खबर प्रकाशित हुई थी कि रेल्वे द्वारा मजदूरो से टिकिट के पैसे लिए जा रहे है और कई विडिओ भी वाइरल हुए . टिकिट के घमासान में जब कांग्रेस अध्यक्ष ने टिकिट के खर्चे का वहां करने का एलान किया तब रेल विभाग द्वारा टिकिट में ८५ प्रतिशत केंद्र और १५ प्रतिशत का किराया राज्यों की सरकार से लेने की बात कही . दुर्ग सांसद विजय बघेल इसे राजनीती परिपेक्ष्य में जोड़ कर कांग्रेस को आड़े हांथो लिया किन्तु ब्यान देते समय शायद १ मई से ४ मई तक की कार्य प्रणाली और टिकिट के घमासान को याद नहीं रखे . क्या आम जनता को अधूरा सच परोसना वर्तमान समय में सही है ऐसी हालत में जब देश के प्रधानमंत्री बार-बार सन्देश दे रहे है कि सभी राज्य की सरकारों का पूर्ण सहयोग मिल रहा है ऐसे में अधूरी बातो के आधार पर राजनीती कहा तक न्यायसंगत है . देश की दो बड़ी पार्टी कांग्रेस और भाजपा के विचारधारा में विरोधाभास है और लोकतंत्र में लोकतान्त्रिक विरोध का भी एक महत्तवपूर्ण स्थान होता है यही लोकतंत्र की खूबसूरती भी है किन्तु वर्तमान समय में जिस तरह की पीड़ा देश झेल रहा है और आम जनता की आर्थिक स्थिति बिगड़ गयी है वैसे समय भी राजनीती का ऐसा परिदृश्य कहा तक जायज है . वर्तमान समय में संकट में सिर्फ जनता ही नहीं राज्य सरकारों की भी आर्थिक स्थिति डांवाडोल हो गयी है .
सरकार आर्थिक स्थिति पर नियंत्रण करने अलग अलग तरह के उपाय कर रही है . छत्तीसगढ़ में शराब विक्रय पर राजनीती जोरो पर है विपक्ष भाजपा लगातार सरकार को चुनावी वादे याद दिला रही है . कोई भी पार्टी चुनावी के समय दर्जनों में चुनावी वादे करती है ऐसा सिर्फ एक ही पार्टी के साथ नहीं सभी के साथ होता है . भाजपा ने चुनावी वादे में प्रतिवर्ष करोडो की नौकरी की बात कही थी , अन्तराष्ट्रीय बाज़ार में रूपये की स्थिति मजबूती की बात कही थी कच्चे तेल की कीमत के अनुसार बाज़ार मूल्य की बात कही , ऍफ़डीआई में ४९ प्रतिशत का विरोध की बात कही ऐसे कई वादे है जो चुनावी वादे ही साबित हुए जिसका विरोध विपक्षी पार्टी करती रही है उसी तरह कांग्रेस ने भी चुनावी वादों की झड़ी लगाईं जिसमे किसानो की कर्ज माफ़ी , समर्थन मूल्य पर धान खरीदी , शराब बंदी , जैसे कई वादे किये उसमे से कुछ पूरा किये और कुछ को पूरा करने की तयारी कर रहे है . किन्तु वर्तमान समय में सांसद बघेल द्वारा शराब बंदी पर सरकार को घेरना ऐसे समय में जब सरकार ने आर्थिक स्थिति का हवाला देते हुए आम जनता से सहयोग की और मदद की अपील की उस समय सरकार को चुनावी वादे याद दिलाने से ज्यादा ज़रूरी है कि सांसद होने के नाते केंद्र सरकार से छत्तीसगढ़ की जनता के लिए आर्थिक सहायता राशि की मांग करे . छत्तीसगढ़ ने ९ सांसद देश को दिए है किन्तु ९ सांसद में से शायद ही किसी संसद ने प्रदेश के सरकार के लिए विशेष आर्थिक पैकेज की मांग की होगी . कहा थे ये संसद जब प्रदेश सरकार ने समर्थन मूल्य बढाने के लिए और किसानो को उनके फसल का उचित मूल्य दिलाने के लिए केंद्र से गुहार लगाईं थी आखिर फसल की कीमत में वृद्धि होती तो किसानो का ही फायदा होता ना कि प्रदेश सरकार कार का आखिर में प्रदेश सरकार ने ही किसानो के अंतर मूल्य को देने का वादा किया और इस संकट की घडी में उसे देने का भी एलान कर दिया . प्रदेश की जनता की खुशहाली के लिए प्रदेश के ही जनप्रतिनिधियों का मौन रहना क्या तर्क संगत है .
भाजपा ने १५ साल के राज में ऐसी कई योजना निकाली और गरीब परिवार को जन्म से लेकर मृत्यु तक की वस्तुए मुफ्त में देने की कवायद शुरू की साथ ही प्रदेश में १५ सालो तक जनता को खुलकर शराब भी पिलाई सत्ता के आखिरी पड़ाव में शराब बिक्री का अधिकार भी शासन ने अपने हांथो में ले जनता को खूब झक कर शराब भी पिलाई अब शराब बंदी की बात कह रही है . भूपेश सरकार ने शराब बंदी का वडा किया और उसे चुनाव पूर्व तक इसको अमल में लाना ही होगा किन्तु शराब बंदी के कारण होने वाली आर्थिक हानि के भरपाई के लिए भी कोई मार्ग निकलना होगा . समय के साथ जिस तरह वादे पुरे हो रहे है शराबबंदी पर भी किया वादा पूरा होगा और अगर ऐसा न हुआ तो जनता मतदान में इसका जवाब देगी किन्तु वर्तमान समय में कोरोना संकट से जंग ज़रूरी है और इस समय कोरोना को हराना है ना कि एक दुसरे पर आरोप लगाना है .
प्रदेश में दुर्ग सांसद जिस तरह से सरकार को घेरने की कोशिश कर रहे है क्या उनका उद्देश्य शराबबंदी है या शराब बंदी के सहारे प्रदेश अध्यक्ष के दौड़ में अपनी उपस्थिति दर्ज करने की .स्थिति चाहे जो भी हो राजनितिक परिवेश चाहे जो भी हो किन्तु वर्तमान समय में राजनीति से ज्यादा ज़रूरी कोरोना से मुक्ति की है . कोरोना की जंग अगर समाज ना जीत पाए तो शायद राजनीती करने वाले ही ना रहे , आम जनता ही ना रहे , गरीब ही ना रहे . कोरोना के कारण ऐसे कई परिवार है जो आर्थिक बोझ के तले दबे हुए है और सामान्य स्थिति में आने में जाने कितने साल लग जाए . आज देश का हर नागरिक चिंतित है और कोरोना से मुक्ति का साधन खोज रहा है ऐसे समय में राजनीती ना कर सिर्फ जनता के हित का ही सोंचना ज्यादा ज़रूरी है . शराब समाज के लिए हानिकारक है किन्तु सालो की आदत को एक ही पल में ख़त्म करना असंभव सा है किन्तु असंभव नहीं शराब बंदी से एक स्वक्ष समाज का निर्माण होता है और इसका विरोध सही है किन्तु वर्तमान समय में शराबबंदी से ज्यादा ज़रूरी कोरोना से मुक्ति है जिसके लिए सभी को मिलकर लड़ना है और महामारी को भगाना है ...
धमतरी शौर्यपथ
घर पर पढ़ाई और शिक्षा के उद्देश्य से शैक्षणिक कार्यक्रमों
समस्त विद्यार्थियों, एवम अभिभावकों को सूचित किया जाता है कि दिनाँक 11 मई'2020 सोमवार से दूरदर्शन नेशनल (DD National) चैनल पर घर पर पढ़ाई और शिक्षा के उद्देश्य से शैक्षणिक कार्यक्रमों का प्रसारण प्रतिदिन किया जायेगा, जिसका टाइम टेबल निम्नानुसार है ।
? 10:00 am से 10:30 am - मीना की दुनिया एवं जीवन कौशल
-10:30 am से 11:00 am - प्राथमिक शाला प्रसारण (कक्षा 1 से 5)
-11:00 am से 11:30 am - माध्यमिक शाला प्रसारण (कक्षा 6 से 8)
-11:30 am से 12:00 noon - कक्षा 9 व 11 हेतु प्रसारण
-12:00 noon से 01:00 pm - कक्षा 10 हेतु प्रसारण
-01:00 pm से 02:00 pm - कक्षा 12 हेतु प्रसारण
डीडी नेशनल चैनल सभी प्रकार के ऐंटीना एवं केबल कनेक्शन में है।
समस्त अभिभावक अपने बच्चों को उनकी कक्षानुसार समय पर कृपया टीवी* देखने की अनुमति प्रदान करें।
रायपुर / शौर्यपथ / घरेलु हिंसा को रोकने के लिए राजधानी पुलिस की चुप्पी तोड़ो मुहिम कारगर साबित हो रहा है। पुलिस ने यह अभियान महिलाओं को घरेलू हिंसा से बचाने और उनकी शिकायतों के त्वरित निवारण के लिए 29 अप्रैल को शुरू किया था। लॉकडाउन पीरियड में 50 दिन की सोशल डिसटेंसिंग से लोग घरों में रहने की वजह से तनावग्रस्त हो रहे हैं। इसका नतीजा घरेलू हिंसा के रुप में सामने आ रहाहै। घरेलू हिंसा के मामले लॉकडाउन शुरू होने के बाद से अचानक बढ़ गए हैं।
लॉकडाउन के दौरान घरेलू हिंसा को रोकने के लिए कॉल करने पर पीडि़तों के पास पुलिस की टीम पहुंच रही है। 1जनवरी 2020 से मार्च तक पुलिस के पास घरेलू हिंसा से जुड़े कुल 135 मामले आए थे। लेकिन केवल लॉकडाउन की अवधि 29 अप्रेल से 8 मई तक 10 दिन में 50 से ज्यादा नए प्रकरण पुलिस तक पहुंचे हैं।
अमृता सोरी, ए एस पी (इन्वेस्टीगेशनयूनिट फॉर क्राइम अगेंस्ट वीमेन –आईयूसीएडब्ल्यू) के नेतृत्व में चल रहे चुप्पी तोड़ अभियान से जुड़ी पुलिस टीम वर्ष2018 से 1500 पेंडिंग शिकायतों में कॉल कर प्रतिदिन 100 महिलाओं से संपर्क कर रही है। पुराने शिकायतों से जुड़ी पीडि़त 550 महिलाओं से संपर्क कर शिकायत दर्ज किए गए हैं और उनकी समस्याओं पर निराकरण के लिए चर्चा कर काउंसिलिंग भी करायी जा रही है।
इसके बाद भी मामला नहीं सुलझने पर पुलिस ने 5 लोगों के खिलाफ एफआईआर और 2 लोगों पर प्रतिबंधात्मक कार्रवाई की गई है। लॉकडाउन की अवधि में पीड़ित महिलाओं का थाना आकर शिकायत कर पाना संभव नहीं था इसलिए इस अभियान के तहत रायपुर पुलिस द्वारा पीड़ित महिलाओं को दूरभाष के माध्यम से संपर्क कर सहायता प्रदान की जा रही है।
रायपुर पुलिस द्वारा शुरुआत किये गए चुप्पी तोड़ अभियान को अच्छी प्रतिक्रिया मिल रही हैं। इस मुहिम के क्रियान्वयन हेतु अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक,आई.यू.सी.ए.डब्ल्यू. रायपुर के पर्यवेक्षण में दो टीम गठित की गयी है जिसमें महिला थाना एवं महिला सेल प्रभारी द्वारा प्रकरणों का निराकरण किया जायेगा एवं इस अभियान के तहत पीड़ित महिलाओं से संपर्क करने के लिए ग्यारह बिंदुओं का प्रोफार्मा तैयार किया गया था। वहीं शिकायत बताने के लिए जारी नंबर पर टेलीफोन, और वाट्सअप मैसेज के माध्यम से घर बैठे दर्ज करा सकते हैं। यह नम्बर हैं: 0771-4247110, 9479190127 और व्हाट्सअप्प नम्बर है: 9479191250.
घरेलू हिंसा बढऩे को लेकर स्पर्श क्लीनिंक के मनोरोग चिकित्सक डॉ. अविनाश शुक्ला का कहना है इनमें नशे की पूर्ति नहीं होने से चिड़चिड़ापन और आर्थिक तंगी को प्रमुख माना जा रहा है। साथ ही लॉकडाउन के कारण लोग इन दिनों सामान्या से ज्याजदा तनाव में हैं। चाहे व्यापारी हो, श्रमिक हो लॉकडाउन से काम बंद होने से आर्थिक बोझ व कोरोना वायरस को लेकर स्वास्थ्य की चिंता के बीच सोशल डिसटेंसिंग में पुरुष वर्ग द्वारा घरों से बाहर नहीं निकलने से तनाव महसूस कर रहे हैं। घरों में 24 घंटे रहने से वक्त तो ज्यादा मिल रहा है परिवार के लिए लेकिन पति-पत्नी के बीच रिलेशनशीप में सौहाद्र नहीं है। छुटियों के बीच दूसरे शहर घूमने जाने का प्लान और बच्चों का स्कूल नहीं होने से दिनभर घर में माहौल उबाऊ होने लगा है। इस वजह से भी पति-पत्नी के बीच विवाद और झगड़े की स्थिति बन रही है।
मनोरोग चिकित्सक डॉ. शुक्ला ने बताया , कोरोना वायरस की वजह से जारी लॉक डाउन की स्थिति ने सभी की दिनचर्चा को बदलकर रख दिया है। ऐसे में घरों में बढ़ते आपसी तनाव यानी घरेलू हिंसा को खत्म करने के लिए पति –पत्नी के बीच बातचीत के तौर तरीकों में कुछ नयापन का एहसास होना चाहिए। एक दूसरे के भावनाओं का आदर करना चाहिए। किसी बात पर ठेस लगने जैसे कठोर भाषा का प्रयोग करने से बचना चाहिए। जो पत्नी को पसंद नहीं ऐसा कार्य बार-बार नहीं करना चाहिए। पत्नी् को बच्चों के सामने नहीं डांटना चाहिए बल्कि उनकी प्रशंसा करना चाहिए। जरुरत पड़े तो आपसी मतभेद को खत्म करने के लिए मैरीज काउंसलर से भी परामर्श लेना चाहिए।
धमतरी शौर्यपथ
आश्रय स्थलों में ठहरे हुए प्रवासी श्रमिकों को अवसाद, चिंता, बेचैनी और घबराहट दूर करने के लिये नियमित रूप से परामर्श प्रदान किया जा रहा है ।इसी के तहत लाभांडी स्थित आश्रय स्थल में रुके लगभग 100 प्रवासी श्रमिकों को चिंता से उबारने के लिये विशेषज्ञों द्वारा परामर्श प्रदान किया गया ।
ज़िले के विभिन्न आश्रय स्थलों में रुके छत्तीसगढ के अलावा अन्य राज्यों के प्रवासी श्रमिकों को ज़िला मानसिक स्वास्थ्य द्वारा गठित दल के माध्यम से परामर्श दिया गया है ।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, रायपुर डॉ मीरा बघेल ने बताया परामर्श के लिए तीन सदसीय दल का गठन किया गया है जोनियमित रुप से प्रवासी श्रमिकों के लियें बने आश्रय स्थलों पर जा कर सेवाएंप्रदानकर रहे है। ज्यादातर श्रमिक घर पहुंचने की चिंता को लेकर अवसाद से ग्रसित है।लॉक डाउन में घर से और परिवार से दूर पर होने वाली बेचैनी और घबराहट महसूस कर रहे है जिसको दूर करने के लिए विषय विशेषज्ञों द्वारा उन्हें सलाह दी जा रही है ।
मनोचिकित्सक डॉ.अविनाश शुक्ला ने बताया साफ-सफाई, सोशल डिस्टेंसिंग और आपसी व्यवहारिक वातावरण बनाने की सलाह दी जाती है| मुख्य रूप से लोगों में परिवार से मिलने के प्रति चिंता ज्यादा है, जिसकी समझाइश देकर और फोन के माध्यम से बात करवाकर उनके तनाव को कम करने का प्रयास किया जा रहा है।
मनोवैज्ञानिक सुश्री ममता गिरी गोस्वामी ने बताया लॉक डाउन के चलते में आश्रय स्थल में रहने वाले काफी प्रवासी श्रामिकों कुछ भी अच्छा नहीं लग रहा है। यह लोग किसी भी तरह अपने-अपने घरों को जाना चाह रहे हैं। उन्हें अपने परिवार की चिंता सता रही है। परामर्श के दौरान देखने में आया है कि अधिकतर यही सोच रहे हैं कि उनकी पीछे परिवार का पालन पोषण कैसे हो रहा होगा । उन्हें खाना मिल रहा है या भूखे हैं। परामर्श में उन्हें समझाया गया कि सरकार उनका ध्यान रख रही है।
सुप्रीम कोर्ट ने दिया था आदेश
कोविड-19 के संक्रमण को ध्यान में रखते हुए प्रवासी श्रमिकों का मानसिक तनाव दूर करने के संबंध में 31 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने जागरूकता कार्यक्रम चलाने का आदेश दिया। न्यायालय के आदेश पर राज्य मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के द्वारा सभी मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी और सिविल सर्जन को पत्र लिखकर निर्देश दिया है।
प्रवासियों को तनाव दूर करने के दिए गए सुझाव
कोविड -19 के संबंध में केवल विश्वसनीय माध्यमों से ही जानकारी प्राप्त करें। ऐसे में केंद्र या राज्य सरकार द्वारा जारी किए गए वेबसाइट व हेल्पलाइन से जानकारी लेना लाभकारी है ।
व्हाट्सएप, फेसबुक या अपने पड़ोसी द्वारा बताई गई जानकारी पर जल्द विश्वास न करें और न ही जल्दी चितित हो।
स्वस्थ रहने के लिए संतुलित आहार लें। पर्याप्त पानी व नींद लेने के साथ प्रतिदिन व्यायाम करें।
घर पर खेलना, कुछ नया कौशल सीखने या सिखाने का अभ्यास करें। प्रतिदिन कुछ देर ध्यान करने के साथ दस मिनट तक सांस लेने व छोड़ने की क्रिया का अभ्यास करें।
प्रियजनों से फोन से बात करें। साथ ही साबुन या हैंडवाश से हाथ धोते हुए शारीरिक दूरी हर हाल में बनाए रखें। सरकार व प्रशासन द्वारा आप की सुरक्षा के लिए जो नियम बनाए जाए उसका पालन करें।
जीवन को जीतना है
डॉ. शैल चन्द्रा की कविता
क्या हुआ जो घरों में बंद हैं।
होगा आगे आनंद ही आनंद है।
अभी इक्कीस दिन सब्र के साथ रहो घर के अंदर।
नहीं तो महाप्रलय का आएगा समंदर।
बाहर घूमने वालों कुछ दिन खा लो दाल -रोटी।
भीड़ लगाने वालों संभलो,
वरना कोरोना नोच लेगी तुम्हारी बोटी -बोटी।
यह वक्त जिंदगी और मौत का छोड़ रही है सवाल।
भीड़ बढ़ाकर मत करो तुम बवाल।
घर में रहकर लगा दो हर द्वार में ताले।
बच जाओगे तुम हो किस्मत वाले।
हर हालत में बाहर न रखना कदम ।
वरना निकल जायेगा तुम्हारा दम।
घर में रहकर कोरोना को हराना है।
मौत को मात देकर जीवन को जीतना है।
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मौत मंडरा रहा है सर पर।
रहो लोगों तुम घर पर।
घर पर रहने से ही बचोगे।
इसी तरह मौत से जंग जीतोगे।
घर पर रहना ही देशभक्ति है।
कोरोना से लड़ने की यही शक्ति है।
धमतरी/नगरी शौर्यपथ
*नगरी के ग्राम गोरेगांव की घटना
लॉकडॉउन की वजह से गांव की गलियों में पसरे सन्नाटे की वजह से जंगली जानवर रिहायशी इलाकों में पहुंच रहे हैं। आज सुबह गोरेगांव निवासी प्रदीप अटल खाम जब अपने घर के पीछे बाड़ी में कटहल तोड़ने गए तो वहां वन्य पशु बारहसिंगा देखकर आश्चर्यचकित हो गए। सूचना लगने पर बारहसिंगा देखने ग्राम वासियों का हुजूम उमड़ पड़ा।
घायल बारहसिंगा की जानकारी वन विभाग के अधिकारियों को दी गई।
जब तक कि वन विभाग नगरी के अधिकारी घायल बारहसिंह के बचाव के लिए पहुंचते उसके पहले ही ग्रामीणों को देखकर घबराया हुआ बारहसिंह से जंगलों की ओर भाग गया।
ग्रामीणों का कहना है की रियासी इलाके में पहुंचने के बाद कुत्तों के झुंड ने बारहसिंह को घेरा लिया होगा ।जिससे वह घायल हो गया। और प्राण बचाने बाड़ी में आ धुसा।
ग्रामीणों ने ये भी बताया की कुछ लोग इन वन्य प्राणियों के शिकार भी कर रहे हैं । हो सकता है उन्ही शिकारियों के कुत्तें के झुंड ने बारहसिंह को घायल किया होगा।
धमतरी शौर्यपथ ।
हरी सब्जी बेचकर लॉक-डाउन में भी हर महीने कमा रहे
दस हजार रुपए
मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गांरटी योजना) ग्रामीणों की जिंदगी कैसे बदल रही है, इसकी मिसाल हैं किसान श्री उत्तम साहू। जिले के कुरूद विकासखंड के ग्राम चर्रा निवासी सीमांत किसान श्री उत्तम पहले मजदूरी करते थे। मनरेगा के तहत खेत में कुएं के निर्माण के बाद अब वे साल भर साग-सब्जियों की खेती करते हैं, जिसे बेचकर उनके जीवन की दशा और दिशा दोनों बदल गई। वे सब्जी बेचकर मौजूदा लॉक-डाउन के प्रतिकूल दौर में भी हर महीने औसतन दस हजार रूपए की शुद्ध आय अर्जित कर रहे हैं। कुएं के निर्माण और सब्जी की खेती शुरू करने के बाद उनकी आर्थिक स्थिति लगातार मजबूत होती जा रही है।
किसान श्री साहू मनरेगा से अपने खेत में कुआं खुदाई के दिनों को याद करते हुए बताते हैं कि कुआं निर्माण के समय उनके साथ उनकी पत्नी श्रीमती पुनिया बाई, बेटे महेन्द्र और पुत्रवधु महेश्वरी ने भी काम किया था। उनके परिवार को मजदूरी के रुप में 26 हजार 436 रुपए मिले थे। कुएं के निर्माण में एक लाख 88 हजार रूपए की लागत आई थी। उत्तम साल भर भरे रहने वाले अपने कुएं में एक हॉर्स-पॉवर का पंप लगाकर सब्जियों की खेती कर रहे हैं। उनके खेतों में अभी चेंच भाजी, अमारी भाजी, पटवा भाजी, धनिया पत्ती, गलका, करेला, टमाटर और नींबू का उत्पादन हो रहा है। मौजूदा लॉक-डाउन में बाजार न जाकर वे गलियों में आवाज देकर सुरक्षित ढंग से सब्जियां बेच रहे हैं। इससे हर महीने उन्हें औसतन दस हजार रूपए की आमदनी हो रही है। उन्होंने बताया कि महात्मा गांधी नरेगा से बने कुएँ के कारण आज लॉक-डाउन में भी उनकी रोजी-रोटी पर किसी तरह का फर्क नहीं आया। सब्ज़ियों की रोजाना बिक्री बदस्तूर जारी है।‘
उल्लेखनीय है कि कोविड-19 का संक्रमण रोकने लागू देशव्यापी लॉक-डाउन में मनरेगा के अंतर्गत आजीविका संवर्धन के लिए निर्मित परिसम्पत्तियों ने हितग्राहियों को आर्थिक संबल प्रदान करने के साथ ही ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी गतिमान बनाए रखा है। मनरेगा के कार्यों का लाभ व्यक्तिगत और सामुदायिक दोनों स्तर पर मिल रहा है। जॉबकार्डधारियों की निजी भूमि पर डबरी निर्माण, निजी तालाब निर्माण, भूमि सुधार, कूप निर्माण, मुर्गी शेड, बकरी शेड, पशु शेड और मिश्रित फलदार पौधरोपण जैसे आजीविका सृजन और संवर्धन होने से ग्रामीणों के जीवन में तेजी से बदलाव आ रहा है।
मनरेगा से जुड़कर ग्रामीणों को जो आर्थिक संसाधन प्राप्त हुए हैं, उससे वे मौजूदा हालात में काफी राहत महसूस कर रहे हैं। लॉक-डाउन से निपटने गांव-गांव में मनरेगा से ज्यादा से ज्यादा हितग्राहीमूलक कार्य शुरू किए जा रहे हैं। इससे हितग्राहियों को लंबे समय तक फायदा देने वाले संसाधन के साथ ही स्थानीय स्तर पर ग्रामीणों को सीधे रोजगार मिल रहा है। यह हितग्राही के साथ श्रमिकों को भी आर्थिक संबल दे रहा है।