October 24, 2025
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धर्म संसार / शौर्यपथ / प्रभु यीशु के जन्म की ख़ुशी में मनाया जाने वाला क्रिसमस का त्योहार पूरी दुनिया में मनाया जाता है। यह त्योहार कई मायनों में बेहद खास है। क्रिसमस को बड़ा दिन, सेंट स्टीफेंस डे या फीस्ट ऑफ़ सेंट स्टीफेंस भी कहा जाता है। प्रभु यीशु ने दुनिया को प्यार और इंसानियत की शिक्षा दी। उन्होंने लोगों को प्रेम और भाईचारे के साथ रहने का संदेश दिया। प्रभु यीशु को ईश्वर का इकलौता प्यारा पुत्र माना जाता है। इस त्योहार से कई रोचक तथ्य जुड़े हैं। आइए जानते हैं इनके बारे में।
क्रिसमस ऐसा त्योहार है जिसे हर धर्म के लोग उत्साह से मनाते हैं। यह एकमात्र ऐसा त्योहार है जिस दिन लगभग पूरे विश्व में अवकाश रहता है। 25 दिसंबर को मनाया जाने वाला यह त्योहार आर्मीनियाई अपोस्टोलिक चर्च में 6 जनवरी को मनाया जाता है। कई देशों में क्रिसमस का अगला दिन 26 दिसंबर बॉक्सिंग डे के रूप मे मनाया जाता है। क्रिसमस पर सांता क्लॉज़ को लेकर मान्यता है कि चौथी शताब्दी में संत निकोलस जो तुर्की के मीरा नामक शहर के बिशप थे, वही सांता थे। वह गरीबों की हमेशा मदद करते थे उनको उपहार देते थे। क्रिसमस के तीन पारंपरिक रंग हैं हरा, लाल और सुनहरा। हरा रंग जीवन का प्रतीक है, जबकि लाल रंग ईसा मसीह के रक्त और सुनहरा रंग रोशनी का प्रतीक है। क्रिसमस की रात को जादुई रात कहा जाता है। माना जाता है कि इस रात सच्चे दिल वाले लोग जानवरों की बोली को समझ सकते हैं। क्रिसमस पर घर के आंगन में क्रिसमस ट्री लगाया जाता है। क्रिसमस ट्री को दक्षिण पूर्व दिशा में लगाना शुभ माना जाता है। फेंगशुई के मुताबिक ऐसा करने से घर में सुख समृद्धि आती है। पोलैंड में मकड़ी के जालों से क्रिसमस ट्री को सजाने की परंपरा है। मान्यता है कि मकड़ी ने सबसे पहले जीसस के लिए कंबल बुना था।

विजयादशमी का पर्व आज हिंसा और भ्रम पर विकास और विश्वास की विजय का साक्षी – मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय
रायपुर / शौर्यपथ / धर्म और न्याय की विजय का प्रतीक विजयादशमी का पर्व इस बार छत्तीसगढ़ में हिंसा और भ्रम पर विकास और सुशासन की ऐतिहासिक विजय का भी प्रतीक बन गया। मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय ने बीजापुर में 103 नक्सलियों के आत्मसमर्पण पर सुरक्षा बलों को बधाई देते हुए कहा कि यह कदम प्रदेश के शांतिपूर्ण और समृद्ध भविष्य की दिशा में एक निर्णायक पड़ाव है।
  मुख्यमंत्री साय ने कहा कि राज्य सरकार की “आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति 2025” और “नियद नेल्ला नार योजना” ने लाल आतंक के भ्रम से भटके लोगों के दिलों में विश्वास और आशा का दीप प्रज्वलित किया है। “पूना मारगेम अभियान” से प्रेरित होकर बीजापुर में कुल 103 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है। इनमें से 49 नक्सली वे भी हैं, जिन पर कुल 1 करोड़ 6 लाख 30 हजार रुपए तक का इनाम घोषित था।
 मुख्यमंत्री ने कहा कि आत्मसमर्पण करने वाले प्रत्येक व्यक्ति को नई शुरुआत के लिए 50 हजार रुपए की प्रोत्साहन राशि प्रदान की गई है। साथ ही, नक्सल उन्मूलन नीति के अंतर्गत उन्हें सम्मानजनक जीवन जीने और समाज की मुख्यधारा में शामिल होने का अवसर दिया जा रहा है। अब तक 1890 से अधिक माओवादी आत्मसमर्पण कर चुके हैं, जो सरकार की नीतियों की प्रभावशीलता और जनता के विश्वास का प्रत्यक्ष प्रमाण है।
  मुख्यमंत्री साय ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के मार्गदर्शन और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह जी के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ सरकार का संकल्प है कि 31 मार्च 2026 तक नक्सलवाद का पूर्ण उन्मूलन किया जाएगा और आत्मसमर्पित लोगों को सुरक्षित, सम्मानजनक एवं उज्ज्वल भविष्य दिया जाएगा।


  उन्होंने कहा कि यह परिवर्तन केवल बस्तर की धरती तक सीमित नहीं, बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ के शांतिपूर्ण, समृद्ध और विकसित भविष्य की ओर एक सशक्त कदम है।

रायपुर / शौर्यपथ / मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने ०२ अक्टूबर को राजधानी रायपुर स्थित मुख्यमंत्री निवास कार्यालय में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय श्री लाल बहादुर शास्त्री की जयंती पर उनके छायाचित्र पर पुष्प अर्पित कर नमन किया।
  मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि महात्मा गांधी ने सत्य और अहिंसा के मार्ग से देश की आज़ादी के आंदोलन को नई दिशा दी। गांधी जी का जीवन हमें यह संदेश देता है कि दृढ़ निष्ठा और सत्याग्रह के मार्ग से कठिन परिस्थितियों का सामना किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि आज भी गांधी जी के विचार समाज को एक बेहतर दिशा देने में उपयोगी हैं और हम सबको उनसे प्रेरणा मिलती है।
  पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय श्री लाल बहादुर शास्त्री को याद करते हुए मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि शास्त्री जी ने अपने सार्वजनिक जीवन में सादगी और सेवा को सर्वोपरि रखा। उन्होंने जय जवान जय किसान का का नारा देकर जनता का मनोबल बढ़ाया। मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि शास्त्री जी की निष्ठा और ईमानदारी हमेशा नागरिकों को प्रेरित करती रहेगी।
इस अवसर पर छत्तीसगढ़ खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति निगम के अध्यक्ष श्री संजय श्रीवास्तव  उपस्थित थे।

By - नरेश देवांगन 

​जगदलपुर, शौर्यपथ। विश्व प्रसिद्ध 75 दिवसीय बस्तर दशहरा पर्व के प्रमुख अनुष्ठानों में से एक भीतर रैनी की रस्म गुरुवार को पूरी हुई। इस दौरान भव्य आठ चक्कों वाले विजय रथ की परिक्रमा हुई, जिसे खींचने के लिए कोड़ेनार और किलेपाल क्षेत्र के दूर-दराज के गाँवों से बड़ी संख्या में आदिवासी जन जुटे और बारिश के बावजूद रथ को बड़े उत्साह के साथ खींचा।

गुरुवार को बस्तर दशहरा के महत्वपूर्ण दिन भीतर रैनी की रस्म निभाई गई, पिछले वर्ष तैयार आठ चक्कों वाले विशाल विजय रथ को सुसज्जित कर विधि विधान के साथ पूजा अनुष्ठान के पश्चात संचालन किया गया। मां दंतेश्वरी के छत्र को रथारूढ़ करने के बाद पुलिस जवानों द्वारा हर्ष फायर कर सलामी दी गई। इसके बाद रथ को खींचा गया।

इस विशाल रथ को मावली मंदिर, जगन्नाथ मंदिर, गोल बाजार चौक, गुरु नानक चौक होते हुए दंतेश्वरी मंदिर तक परिक्रमा कराई गई। इस विशाल आठ चक्के के विजय रथ में जहां दंतेश्वरी मां की डोली और छत्र विराजमान थी, वहीं इसके सामने सुसज्जित वाहन में दंतेवाड़ा से आई मावली मां की डोली और छत्र विराजमान थी। रथ के सामने बस्तर संभाग के विभिन्न क्षेत्रों से दशहरा में पहुंचे देवी-देवताओं के छत्र, डोली, और लाठ लिए पुजारी, सेवक चल रहे थे वहीं आंगादेव पूरे मार्ग पर दौड़ते हुए मार्ग के अवरोध हटाने में जुटे नजर आए। इस विहंगम दृश्य को देखने के लिए विभिन्न क्षेत्रों से आए ग्रामीणों के साथ ही नागरिकगण भी जुटे रहे। लगातार हो रही बारिश के बीच भी बस्तर दशहरे का आकर्षण एवं वैभव नजर आया।

दशहरे की रौनक में बस्तर पुलिस का सराहनीय योगदान

नरेश देवांगन की खास रिपोर्ट 

जगदलपुर, शौर्यपथ। बस्तर दशहरा अपनी परंपरा और भव्यता के लिए पूरी दुनिया में मशहूर है। इन दिनों जगदलपुर शहर में लाखों श्रद्धालु और पर्यटक जुट रहे हैं, जिससे भीड़ नियंत्रण और सुरक्षा एक बड़ी चुनौती बन जाती है। इस चुनौती को बस्तर पुलिस बखूबी संभाल रही है।

पुलिस अधीक्षक शलभ कुमार सिन्हा के कुशल नेतृत्व में सुरक्षा व्यवस्था लगातार सुदृढ़ की जा रही है। श्री सिन्हा स्वयं व्यवस्था पर नजर बनाए हुए हैं और समय-समय पर मैदानी हालात का जायजा ले रहे हैं।

अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक महेश्वर नाग के मार्गदर्शन में उप पुलिस अधीक्षक (यातायात) संतोष जैन और यातायात प्रभारी मधुसूदन नाग अपनी टीम के साथ शहर के मुख्य मार्गों पर मुस्तैदी से डटे हुए हैं। बैरिकेड्स, ट्रैफिक डायवर्जन और पार्किंग की स्पष्ट व्यवस्था से श्रद्धालुओं को सुरक्षित और सुगम मार्ग मिल रहा है।

भीड़भाड़ वाले इलाकों में अतिरिक्त जवानों की तैनाती और अधिकारियों की लगातार फील्ड निगरानी से दशहरे की रौनक में किसी तरह की अव्यवस्था नहीं दिख रही है। पुलिस जवान श्रद्धालुओं को लगातार मार्गदर्शन और सहयोग प्रदान कर रहे हैं।

स्थानीय नागरिक और बाहर से आए पर्यटक पुलिस की इस मुस्तैदी की खुले दिल से तारीफ कर रहे हैं। लोगों का कहना है, “इस बार दशहरा का आनंद दोगुना हो गया है, क्योंकि पुलिस की सतर्कता ने हमें पूरी सुरक्षा और भरोसे का माहौल दिया है।”

निस्संदेह, दशहरे के इस ऐतिहासिक पर्व में बस्तर पुलिस का योगदान लगातार व्यवस्था और अनुशासन बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। एसपी और उनकी टीम की यह तत्परता पूरे समाज में सुरक्षा और विश्वास का सकारात्मक संदेश दे रही है।

नरेश देवांगन की खास रिपोर्ट 

जगदलपुर, शौर्यपथ। राजमहल परिसर में मीना बाजार का ‘‘मौत का कुआँ’’ खेल इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है, लेकिन कारण रोमांच नहीं बल्कि लापरवाही है। लगभग 30 साल पुरानी गाड़ियों को बिना तकनीकी जांच और बिना सुरक्षा इंतज़ाम मौत के कुएँ में झोंक दिया गया। फिटनेस शुल्क भरकर कागज़ी मंजूरी तो दिला दी गई, मगर यह कौन तय करेगा कि सड़क पर चलने लायक वाहन मौत का कुआँ जैसे खतरनाक खेल में भी दौड़ाए जा सकते हैं?

 

गृह मंत्री आएँ तो फिटनेस सख़्त, जनता आए तो सब ढीला

विडंबना देखिए—4 अक्टूबर को लालबाग के स्वदेशी मेला में देश के गृहमंत्री अमित शाह कार्यक्रम में संभावित मौजूदगी है। वहाँ मंच की मजबूत लकड़ी से लेकर बिजली के तार तक की फिटनेस जांची जा रही है। हर विभाग का अफसर मैदान में उतरकर पसीना बहा रहा है ताकि कार्यक्रम में सुरक्षा पर कोई सवाल न उठे।

लेकिन दूसरी तरफ़ मीना बाजार, जहाँ रोज़ हज़ारों आम नागरिक जुट रहे हैं, वहाँ जगह जगह कटे केबल बिना इन्सुलेटेट तार जैसी जानलेवा, बिना फिटनेस जाँच के झूला पर सवारी साथ ही मौत का कुआँ लगभग 30 साल पुरानी गाड़ियाँ दौड़ रही हैं। न फिटनेस की असली जांच, न सुरक्षा उपकरण, न ही जिम्मेदार अधिकारियों की मौजूदगी। लगता है प्रशासन के लिए जनता की जान किसी कागज़ी फिटनेस सर्टिफिकेट से भी सस्ती है।

 

दोहरे मानक पर सवाल

जनता पूछ रही है—

क्या फिटनेस सर्टिफिकेट का मतलब यह भी है कि गाड़ियाँ मौत का कुआँ में उड़ाई जा सकती हैं?

जब गृह मंत्री आते हैं तो सुरक्षा की परत दर परत जांच होती है, मगर जनता की भीड़ के लिए जिम्मेदार क्यों खामोश हैं?

क्या नियम-कानून सिर्फ खास मेहमानों पर लागू होते हैं और आम जनता महज़ भीड़ समझी जाती है?

 

कार्यवाही की मांग 

स्थानीय लोगों ने कहा कि यह दोहरा रवैया जनता के विश्वास पर सीधा चोट है। अगर प्रशासन सिर्फ़ नेताओं और खास मेहमानों के लिए ही सुरक्षा सुनिश्चित करेगा, तो आम जनता की जान का जिम्मेदार कौन होगा? उन्होंने मांग की है कि आयोजकों और जिम्मेदार अधिकारियों पर सख़्त कार्यवाही हो, वरना आने वाले दिनों में मीना बाजार जैसी जगहें रोमांच नहीं बल्कि मौत का गढ्ढा साबित होंगी।

 

विभागीय जानकारों की माने तो फिटनेस नियम क्या कहते हैं?

निजी वाहनों की आरसी (RC) केवल 15 वर्ष तक वैध रहती है।

इसके बाद वाहन चलाने के लिए फिटनेस सर्टिफिकेट का नवीनीकरण अनिवार्य है।

फिटनेस का नवीनीकरण यह साबित करता है कि गाड़ी सड़क पर साधारण परिस्थितियों में चलने लायक है।

जोखिमभरे खेल या स्टंट (जैसे मौत का कुआँ) के लिए कोई भी कानून फिटनेस को मान्यता नहीं देता।

ऐसे आयोजनों के लिए अलग सुरक्षा मापदंड और अनुमति आवश्यक है।

 

सवाल अभी भी बाकी…

क्या 30 साल पुरानी गाड़ियों को मौत का कुआँ में उतारना कानून की अवहेलना नहीं है?

जब फिटनेस सिर्फ सड़क पर चलने की इजाजत देता है, तो विभाग ने इन वाहनों को जोखिमभरे खेल में क्यों नज़रअंदाज़ किया?

 

इस मामले पर क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी श्री बंजारे का कहना है की परमिशन हमारे यहाँ से नहीं लिया गया है इसकी शिकायत भी हमें मिली है जिस पर मैंने उड़न्दस्ता की टीम को जाँच के लिए मैंने उड़न्दस्ता प्रभारी व इंस्पेक्टर को बोल दिया है की जाके इसकी फिटनेस, रजिस्ट्रेशन, पाल्यूशन की जाँच कर ले ओर किसी प्रकार की कमी पाई जाती है तो उस पर जुर्माना करें हमारे पास मौत की कुआँ पे चलने वाली गाड़ियों को लेकर कोई गाइड लाइन अभी नहीं आया है यें लोग प्राइवेट गाड़ियों को चलाते है व्यवसायिक गाड़ीयां तो है नहीं यदि इस टाइप से चला रहे होंगे तो फाइन होगा मौत के कुआँ मे करतब दिखा रहे है सुरक्षा नियमों का पालन नहीं हो रहा है तो इसके लिए मै यातायात प्रभारी से बात कर बोलूंगा की नियमों का पालन करवाये ताकि किसी प्रकार का भविष्य मे हादसा ना हो बीते वर्ष भी इस मामले की शिकायत प्राप्त हुई थी जिसकी जाँच कर लगभग पचास हजार रुपए जुर्माना लगाया गया था जुर्माना लगाने के बाद भी ऐसा होगा तो जप्ती की कार्यवाही कर न्यायलय पेश किया जायेगा।

स्वच्छता ही सेवा पखवाड़ा के तहत किया गया स्वच्छता अभियान

जगदलपुर,शौर्यपथ। स्वच्छता ही सेवा पखवाड़ा के अंतर्गत आज विशेष कार्यक्रम का आयोजन सिरहासार चौक स्थित शहीद स्मारक परिसर में किया गया। इस अवसर पर उप मुख्यमंत्री अरुण साव और वन मंत्री केदार कश्यप ने महात्मा गांधी की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर उन्हें नमन किया। कार्यक्रम में उप मुख्यमंत्री एवं नगरीय प्रशासन मंत्री श्री साव ने प्रदेश के नगरीय निकायों द्वारा स्वच्छता के लिए किए जा रहे कार्यों की जानकारी साझा की और कहा कि स्वच्छता हमारे संस्कार का विषय होना चाहिए, हमारे बड़े बुजुर्ग स्वच्छता को लेकर हमें प्रेरित करते थे। स्वच्छता जन आंदोलन बन गया है, हरेक व्यक्ति की सहभागिता से देश, प्रदेश और नगर को स्वच्छ - स्वस्थ बनाने का प्रयास है। उन्होंने जगदलपुर शहर को स्वच्छ बनाने के लिए सभी नागरिकों की सहभागिता जरूरी बताया। इस मौके पर उप मुख्यमंत्री ने सभी उपस्थित लोगों को स्वच्छता बनाए रखने की शपथ दिलवाई और समाज में स्वच्छता को जीवन का अभिन्न हिस्सा बनाने का संकल्प लिया गया।

इसके बाद सिरहासार परिसर के समीप मंत्रियों, महापौर संजय पांडेय, सभापति खेमसिंह देवांगन, आयुक्त नगर निगम प्रवीण वर्मा, नगर निगम के एमआईसी के सदस्य, जनप्रतिनिधियों, नगर निगम के अधिकारियों, कर्मचारियों और आम नागरिकों की सहभागिता से नगर में स्वच्छता अभियान चलाया गया। लोगों ने आसपास की साफ-सफाई कर ‘स्वच्छता ही सेवा’ का संदेश दिया।कार्यक्रम में अन्य अतिथियों ने भी शहीद स्मारक की प्रतिमाओं पर माल्यार्पण किया। साथ ही स्वच्छता अभियान के तहत स्वच्छता दौड़ में सहभागी बने बच्चों को प्रशस्ति पत्र भी वितरण किया गया ।

By - नरेश देवांगन 

जगदलपुर, शौर्यपथ। विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरा पर्व की एक और अत्यंत महत्वपूर्ण रस्म 'मावली परघाव' बुधवार की रात को पूरी श्रद्धा और भव्यता के साथ अदा की गई। यह रस्म दो देवियों के मिलन के रूप में जाना जाता है, जिसे जगदलपुर के दन्तेश्वरी मंदिर प्रांगण और कुटरूबाड़ा के समीप पारंपरिक रीति-रिवाजों से निभाया गया। इस ऐतिहासिक रस्म को देखने के लिए हर साल की तरह इस बार भी रात को बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं का जनसैलाब उमड़ा। माटी पुजारी कमलचंद भंजदेव की अगुवाई में किए गए मावली परघाव के अवसर पर उप मुख्यमंत्री अरुण साव, वन मंत्री केदार कश्यप, सांसद एवं बस्तर दशहरा समिति के अध्यक्ष महेश कश्यप, जगदलपुर विधायक किरण देव, महापौर संजय पांडे, कमिश्नर डोमन सिंह, पुलिस महानिरीक्षक सुन्दरराज पी, कलेक्टर हरीस एस, पुलिस अधीक्षक शलभ सिन्हा उपस्थित रहे। दंतेवाड़ा से मावली माता की डोली के साथ पुजारी, कलेक्टर कुणाल दुदावत, पुलिस अधीक्षक गौरव राय भी पहुंचे।

माईजी की डोली का भव्य स्वागत

परंपरा के अनुसार, दंतेवाड़ा से मावली देवी की छत्र डोली और दंतेश्वरी का छत्र जगदलपुर के दंतेश्वरी मंदिर लाए गए। दंतेवाड़ा से पहुंची माईजी की डोली और छत्र का भव्य स्वागत राजपरिवार सदस्य कमलचंद भंजदेव और समस्त बस्तरवासियों ने किया। इस दौरान आतिशबाजियां की गईं और फूलों की बारिश की गई, जिसने पूरे माहौल को भक्तिमय बना दिया। माईजी की डोली के स्वागत की इस अनूठी परंपरा को देखने के लिए बड़ी संख्या में स्थानीय लोग भी पहुंचे थे।

'मावली परघाव' रस्म में फूल से बना साफा एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह साफा केवल जंगल में पाए जाने वाले फूलों से तैयार किया जाता है। राजा को यह साफा पहनाया जाता है और इसकी विशेष पूजा की जाती है। इसी साफा को पहनकर देवी की डोली को राजमहल परिसर स्थित दंतेश्वरी मंदिर में स्थापित किया जाता है, जिसके बाद इसे दशहरा पर्व के अन्य रस्मों में शामिल किया जाता है।

बस्तर दशहरा की परंपरा के अनुसार, बस्तर माटी पुजारी कमलचंद भंजदेव ने माईजी की डोली की पूजा अर्चना की। पूजा के बाद माईजी की डोली को दशहरा पर्व के समापन होने तक मंदिर के भीतर रखा गया है। इन सदियों पुरानी रीति-रिवाजों और परंपराओं का निर्वहन बस्तर की सांस्कृतिक समृद्धि को दर्शाता है।

रायपुर । शौर्यपथ । राजधानी रायपुर के इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय परिसर आज भावनाओं और संकल्पों का साक्षी बना, जहाँ मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय राज्य स्तरीय **अंतर्राष्ट्रीय वृद्धजन दिवस** कार्यक्रम में शामिल हुए। मुख्यमंत्री ने अपने गरिमामय संबोधन में बुजुर्गों को समाज की धरोहर बताते हुए कहा कि **“वृद्धजनों का आशीर्वाद ही समाज की सबसे बड़ी संपत्ति है”।**

कार्यक्रम में उन्होंने बुजुर्गों को शॉल और श्रीफल भेंट कर सम्मानित किया और समस्त समाज से अपील की कि **बुजुर्गों के सम्मान और सहयोग को जीवन का संस्कार बनाया जाए।**

#### मुख्यमंत्री की ऐतिहासिक घोषणाएँ

- राज्यभर में बुजुर्गों की देखभाल और सुविधा के लिए **‘सियान गुड़ी’ योजना** को और प्रभावी बनाया जाएगा।

- रायपुर, बिलासपुर, कोरबा और दुर्ग में **पीपीपी मॉडल पर अत्याधुनिक वृद्धाश्रम** स्थापित किए जाएंगे, जहाँ स्वास्थ्य, मनोरंजन और देखभाल की सभी सुविधाएँ उपलब्ध होंगी।

- रायपुर में **दिव्यांगजनों के सहायक उपकरणों की रिपेयरिंग हेतु सर्विस सेंटर** स्थापित किया जाएगा, जिससे दिव्यांगजन समय पर और सुलभ सेवा प्राप्त कर सकें।

#### नशामुक्त समाज की ओर कदम

कार्यक्रम के अवसर पर मुख्यमंत्री ने **नशामुक्त भारत अभियान** के तहत **25 नशामुक्ति रथों** को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। उन्होंने कहा कि युवा पीढ़ी को नशे से दूर रखना सरकार की प्राथमिकता है और इसके लिए समाज के हर वर्ग का सहयोग जरूरी है।

#### पर्यटन विकास को नई गति

मुख्यमंत्री श्री साय ने **पर्यटन साथी पहल** के तहत जिला प्रशासन रायपुर और ईज़ माई ट्रिप के बीच हुए एमओयू की सराहना करते हुए कहा कि इससे छत्तीसगढ़ की पर्यटन संभावनाओं को राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर नई पहचान मिलेगी।

### निष्कर्ष

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने इस अवसर पर एक **संवेदनशील, दूरदर्शी और समर्पित नेतृत्व** का परिचय देते हुए न केवल बुजुर्गों के सम्मान का संदेश दिया बल्कि युवाओं, दिव्यांगजनों और पर्यटन विकास की दिशा में भी ऐतिहासिक पहल की। यह कार्यक्रम छत्तीसगढ़ के लिए **“समावेशी विकास और मानवीय संवेदनाओं का नया संकल्प”** बनकर उभरा।

  

रायपुर। शौर्यपथ। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने विजयादशमी (दशहरा) के अवसर पर प्रदेश और देशवासियों को हार्दिक शुभकामनाएं दीं। उन्होंने अपने संदेश में कहा कि विजयादशमी बुराई पर अच्छाई और असत्य पर सत्य की विजय का प्रतीक है। यह पर्व हमें धर्म, साहस और सत्यनिष्ठा के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।

मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि यह पर्व केवल एक परंपरा नहीं, बल्कि समाज को नैतिक मूल्यों की ओर अग्रसर करने वाला उत्सव है। भगवान श्रीराम की मर्यादा और रावण पर उनकी विजय हमें यह सिखाती है कि कठिन परिस्थितियों में भी सत्य और धर्म का मार्ग ही हमें स्थायी सफलता की ओर ले जाता है।

उन्होंने प्रदेशवासियों से अपील की कि वे विजयादशमी पर्व को आपसी भाईचारे, सद्भावना और समृद्धि के संकल्प के साथ मनाएं और समाज को एकजुट तथा सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ाने में योगदान दें।

  

रायपुर, मंत्रालय। शौर्यपथ । मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने आज मंत्रालय महानदी भवन में विभागीय सचिवों और विभागाध्यक्षों की मैराथन बैठक लेकर प्रशासनिक कार्यप्रणाली को पारदर्शी और तेज़ बनाने की ठोस पहल की। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देशित किया कि शासन के सभी कार्यों में पारदर्शिता और समयबद्धता सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए।

उन्होंने **ई-ऑफिस प्रणाली को सभी विभागों में अनिवार्य रूप से लागू करने** की सराहनीय घोषणा की, जिससे फाइलों की गति तेज होगी और जवाबदेही बढ़ेगी। साथ ही, **जेम पोर्टल के माध्यम से खरीदी में शत-प्रतिशत पारदर्शिता** सुनिश्चित करने पर बल दिया।

बैठक में मुख्यमंत्री ने बड़ा निर्णय लेते हुए कहा कि **1 दिसंबर से मंत्रालय में उप सचिव स्तर से ऊपर के सभी अधिकारियों के लिए बायोमैट्रिक अटेंडेंस अनिवार्य** किया जाएगा। उन्होंने कहा कि यह व्यवस्था अनुशासन और जवाबदेही की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।

प्रदेश के रजत जयंती वर्ष को **“अटल निर्माण वर्ष”** के रूप में मनाने की घोषणा करते हुए मुख्यमंत्री ने निर्माण कार्यों में तेजी लाने के निर्देश दिए। उन्होंने सड़कों के सुधार और रखरखाव को सुगम आवागमन तथा विकास का आधार बताते हुए इसे प्राथमिकता देने को कहा। साथ ही, जनता की समस्याओं के **त्वरित निराकरण** पर जोर देते हुए सभी विभागों से बेहतर समन्वय के साथ गुणवत्तापूर्ण कार्य करने का आह्वान किया।

? मुख्यमंत्री के इन निर्देशों को प्रदेश में पारदर्शी शासन और पूंजीगत व्यय की गति बढ़ाने की ऐतिहासिक पहल माना जा रहा है।

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