
CONTECT NO. - 8962936808
EMAIL ID - shouryapath12@gmail.com
Address - SHOURYA NIWAS, SARSWATI GYAN MANDIR SCHOOL, SUBHASH NAGAR, KASARIDIH - DURG ( CHHATTISGARH )
LEGAL ADVISOR - DEEPAK KHOBRAGADE (ADVOCATE)
धर्म संसार / शौर्यपथ / प्रभु यीशु के जन्म की ख़ुशी में मनाया जाने वाला क्रिसमस का त्योहार पूरी दुनिया में मनाया जाता है। यह त्योहार कई मायनों में बेहद खास है। क्रिसमस को बड़ा दिन, सेंट स्टीफेंस डे या फीस्ट ऑफ़ सेंट स्टीफेंस भी कहा जाता है। प्रभु यीशु ने दुनिया को प्यार और इंसानियत की शिक्षा दी। उन्होंने लोगों को प्रेम और भाईचारे के साथ रहने का संदेश दिया। प्रभु यीशु को ईश्वर का इकलौता प्यारा पुत्र माना जाता है। इस त्योहार से कई रोचक तथ्य जुड़े हैं। आइए जानते हैं इनके बारे में।
क्रिसमस ऐसा त्योहार है जिसे हर धर्म के लोग उत्साह से मनाते हैं। यह एकमात्र ऐसा त्योहार है जिस दिन लगभग पूरे विश्व में अवकाश रहता है। 25 दिसंबर को मनाया जाने वाला यह त्योहार आर्मीनियाई अपोस्टोलिक चर्च में 6 जनवरी को मनाया जाता है। कई देशों में क्रिसमस का अगला दिन 26 दिसंबर बॉक्सिंग डे के रूप मे मनाया जाता है। क्रिसमस पर सांता क्लॉज़ को लेकर मान्यता है कि चौथी शताब्दी में संत निकोलस जो तुर्की के मीरा नामक शहर के बिशप थे, वही सांता थे। वह गरीबों की हमेशा मदद करते थे उनको उपहार देते थे। क्रिसमस के तीन पारंपरिक रंग हैं हरा, लाल और सुनहरा। हरा रंग जीवन का प्रतीक है, जबकि लाल रंग ईसा मसीह के रक्त और सुनहरा रंग रोशनी का प्रतीक है। क्रिसमस की रात को जादुई रात कहा जाता है। माना जाता है कि इस रात सच्चे दिल वाले लोग जानवरों की बोली को समझ सकते हैं। क्रिसमस पर घर के आंगन में क्रिसमस ट्री लगाया जाता है। क्रिसमस ट्री को दक्षिण पूर्व दिशा में लगाना शुभ माना जाता है। फेंगशुई के मुताबिक ऐसा करने से घर में सुख समृद्धि आती है। पोलैंड में मकड़ी के जालों से क्रिसमस ट्री को सजाने की परंपरा है। मान्यता है कि मकड़ी ने सबसे पहले जीसस के लिए कंबल बुना था।
राजनंदगांव। शौर्यपथ/गौरी नगर स्टेशन के पास एक महिला, दुलारी सोनवानी, ने कोतवाली थाना पहुंचकर सूचना दी कि उनका पति किशन सोनवानी आत्महत्या की धमकी दे रहा है। सूचना मिलते ही कोतवाली थाना प्रभारी नंदकिशोर गौतम और उनकी टीम तुरंत घटना स्थल की ओर रवाना हुई।
थाना टीम ने किशन सोनवानी को गौरी नगर के पास बन रहे अंडरब्रिज पर पाया, जहां युवक लगभग 10-12 फीट पानी में छलांग लगाने की कोशिश कर रहा था। इसी बीच थाना स्टाफ राम खिलावन ने साहसिक कदम उठाते हुए अंडरब्रिज में उतरकर युवक को सुरक्षित बाहर निकाला। उसके बाद किशन सोनवानी को तुरंत जिला अस्पताल ले जाकर प्राथमिक उपचार दिया गया और फिर उसे पेंड्री स्थित मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया।
बताया जा रहा है कि युवक की स्थिति अब खतरे से बाहर है। कोतवाली पुलिस की तत्परता और स्टाफ की बहादुरी से एक जीवन बचाने में सफलता मिली, जिसे स्थानीय लोग सराहना कर रहे हैं।
पूर्व सैनिकों ने बच्चों को बताया भारतीय वायुसेना का गौरवशाली इतिहास, बढ़ाई देशभक्ति की भावना
जगदलपुर, शौर्यपथ। 93वें भारतीय वायुसेना दिवस के अवसर पर बस्तर के जिला सैनिक कल्याण कार्यालय, जगदलपुर परिसर में एक विशेष कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस अवसर पर बस्तर के पूर्व सैनिकों और उनके परिजनों ने स्कूली बच्चों के साथ भारतीय वायुसेना के शौर्य, पराक्रम और गौरव का उत्सव मनाया।
कार्यक्रम का शुभारंभ राष्ट्रीय ध्वज को सलामी देने के साथ किया गया। तत्पश्चात विंग कमांडर जे. पी. पात्रो (सेवानिवृत्त), जिला सैनिक कल्याण अधिकारी ने बच्चों को भारतीय वायुसेना के गौरवशाली इतिहास, उसकी भूमिका और राष्ट्र की सुरक्षा में उसके अद्वितीय योगदान के बारे में विस्तार से बताया।
कल्याण आयोजक सूबेदार अरविंद कुमार ने बच्चों को सशस्त्र बलों में शामिल होकर देशसेवा के लिए प्रेरित किया। वहीं सूबेदार भानु प्रताप द्विवेदी ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ सहित विभिन्न अभियानों में वायुसेना की वीरता की झलकियां साझा कीं। समारोह का संचालन हवलदार तोप सिंह द्वारा किया गया।
बच्चों के साथ उपस्थित शिक्षकों ने भी इस आयोजन की सराहना करते हुए कहा कि ऐसे कार्यक्रमों से विद्यार्थियों में देशभक्ति और अनुशासन की भावना का विकास होता है।
कार्यक्रम के अंत में पूर्व सैनिकों ने संकल्प लिया कि वे भविष्य में भी ऐसे आयोजनों के माध्यम से युवा पीढ़ी को प्रेरित करते रहेंगे, ताकि बस्तर के बच्चे भी एक दिन नीली वर्दी पहनकर आसमान में देश का गौरव बढ़ाएं।
जगदलपुर, शौर्यपथ। बस्तर जिले के ऐतिहासिक चंदैया मेमोरियल मेथोडिस्ट एपिस्कोपल चर्च, जिसे स्थानीय लोग लाल चर्च के नाम से भी जानते हैं, में वार्षिक शांति महोत्सव का भव्य शुभारंभ हो चुका है। हर वर्ष की तरह इस बार भी यह चार दिवसीय आयोजन क्षेत्र में आध्यात्मिक ऊर्जा, प्रेम और एकता का संदेश फैला रहा है। 9 अक्टूबर की शाम चर्च परिसर में ज्योति प्रज्वलन और विशेष प्रार्थना के साथ महोत्सव की शुरुआत हुई। आयोजन का मुख्य उद्देश्य प्रभु यीशु मसीह के सुसमाचार को जन-जन तक पहुंचाना और समाज में शांति व विश्वास का माहौल बनाना है।
तीन दिन विशाल सभा, 12 अक्टूबर को विशेष आराधना
महोत्सव के तहत 9, 10 और 11 अक्टूबर को लाल चर्च परिसर के हैरल्ड चेपल मैदान में प्रतिदिन सायं विशाल सुसमाचार सभाएँ आयोजित की जा रही हैं, जबकि 12 अक्टूबर को चर्च के भीतर विशेष आराधना की जाएगी। इस वर्ष मुंबई से आए प्रेरित विल्सन फर्नाडिस मुख्य वक्ता के रूप में प्रभु का वचन प्रचारित कर रहे हैं। महोत्सव का विषय लूका रचित सुसमाचार 10:2 पर आधारित है — “पके खेत बहुत हैं, परंतु मजदूर थोड़े हैं, इसलिए खेत के स्वामी से विनती करो कि वह अपने खेत काटने को मजदूर भेज दे।”
उत्साह और एकता का माहौल
प्रचार समिति की अध्यक्षा श्रीमती अल्पना जॉन ने बताया कि यह आयोजन हर वर्ष की तरह इस बार भी अत्यंत उत्साहपूर्ण है। कलीसिया के बुजुर्गों, युवाओं और बच्चों की संयुक्त भागीदारी से पूरा वातावरण सेवा, समर्पण और एकता से भरा हुआ है।
बस्तर जिले के शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु इस महोत्सव में शामिल हो रहे हैं। सभी मिलकर प्रभु की आराधना, स्तुति और महिमा कर रहे हैं तथा नई आध्यात्मिक शक्ति और आशीषें लेकर लौट रहे हैं।
विशेष प्रार्थनाओं के विषय
इस महोत्सव में विशेष प्रार्थनाएँ की जा रही हैं—
1. सुसमाचार सारे जगत में पहुँचे
2. महोत्सव में पवित्र आत्मा की उपस्थिति बनी रहे
3. वक्ता सामर्थी प्रचार करें
4. पास्टर्स, अगुवे एवं वर्शिप टीम के लिए
5. आयोजन का उद्देश्य पूर्ण हो और प्रभु को महिमा मिले
6. उत्तम मौसम एवं अनुकूल वातावरण के लिए
7. सभी प्रबंधों व आयोजकों के लिए
8. अंतिम दिनों की जागृति के लिए
9. आत्माएँ बचाई जाएँ और प्रभु का राज्य बढ़े
यह शांति महोत्सव न केवल चर्च समुदाय के लिए, बल्कि पूरे जगदलपुर शहर के लिए शांति, विश्वास और सकारात्मकता का संदेश लेकर आया है।
जगदलपुर, शौर्यपथ। जिला बस्तर में पुलिस अधीक्षक शलभ कुमार सिन्हा के कुशल मार्गदर्शन में अवैध शराब तस्करी के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान के तहत भानपुरी पुलिस को बड़ी सफलता मिली है। पुलिस ने तीन लग्जरी वाहनों से 55 पेटी अंग्रेजी शराब (कुल 2750 पौवा) जब्त कर 7 आरोपियों को गिरफ्तार किया है। जब्त सामग्री की कुल कीमत लगभग 18 लाख रुपये आंकी गई है। यह कार्यवाही अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक महेश्वर नाग और अनुविभागीय अधिकारी भानपुरी प्रवीन भारती के पर्यवेक्षण तथा थाना प्रभारी निरीक्षक हर्ष कुमार धुरंधर के नेतृत्व में की गई।
मुखबिर की सूचना पर पुलिस टीम ने ग्राम फरसागुड़ा मार्ग में घेराबंदी कर तीन वाहनों — स्कॉर्पियो N (CG04-QD-7778), सियाज (CG04-PB-7951) और डस्टर (CG04-HD-6858) — को पकड़ा। वाहनों की तलाशी में मध्यप्रदेश निर्मित अंग्रेजी शराब बरामद की गई।
गिरफ्तार आरोपियों की पहचान —
1️⃣ मयंक गनवीर (23 वर्ष), निवासी प्रगति नगर रिसाली, भिलाई
2️⃣ अमन राय (25 वर्ष), निवासी मड़ोदा, उतई, दुर्ग
3️⃣ धनराज सिंह ठाकुर उर्फ लाला (26 वर्ष), निवासी सुपेला, भिलाई
4️⃣ चिराग यादव उर्फ चिकू (19 वर्ष), निवासी सेक्टर-10, भिलाई
5️⃣ हूपेंद्र नाग (28 वर्ष), निवासी मुरकुची, भानपुरी
6️⃣ जितेंद्र कुर्रे उर्फ कल्लू (30 वर्ष), निवासी जामकोटपारा, कोण्डागांव
7️⃣ प्रमेन्द्र कुर्रे उर्फ छोटू (24 वर्ष), निवासी जामकोटपारा, कोण्डागांव
पुलिस ने आरोपियों के कब्जे से गोवा व्हिस्की की 55 पेटियां (495 लीटर), तीन लग्जरी वाहन और 9 एंड्रॉइड मोबाइल फोन जब्त किए हैं। सभी के खिलाफ आबकारी अधिनियम की धारा 34(2), 36 तथा बीएनएस की धारा 281 के तहत अपराध दर्ज कर आगे की विवेचना जारी है।
पुलिस अधीक्षक शलभ कुमार सिन्हा ने जिले में अवैध तस्करी पर रोक लगाने के लिए कड़ा रुख अपनाया है। उनके मार्गदर्शन में पुलिस लगातार सक्रियता दिखा रही है। हालिया कार्यवाही से यह साफ है कि बस्तर पुलिस अपराधियों को किसी भी सूरत में बख्शने के मूड में नहीं है।
भानपुरी पुलिस की यह कार्यवाही जिले में कानून व्यवस्था और जनसुरक्षा के प्रति पुलिस की सजगता का उत्कृष्ट उदाहरण मानी जा रही है।
नियमों की उड़ रही धज्जियाँ, आदेश की शर्तें टूटीं — फिर भी अधिकारी मौन, ऐसे में कार्यवाही करेगा कौन?
By- नरेश देवांगन
जगदलपुर, शौर्यपथ। लगातार समाचारों के माध्यम से मीना बाजार की अनियमितता, लापरवाही और सुरक्षा मानकों की अनदेखी को उजागर किया जा रहा है। फिर भी विभागीय जिम्मेदार अधिकारी आज भी कार्रवाई से बचते दिख रहे हैं। प्रशासन की यह चुप्पी अब सवालों के घेरे में है — क्या मीना बाजार वाकई विभागीय संरक्षण में चल रहा है?
नगर दण्डाधिकारी कार्यालय, जगदलपुर द्वारा जारी आदेश पत्र 11/09/2025 में स्पष्ट उल्लेख है कि —
“मीना बाजार / प्रदर्शनी में आयोजन के दौरान यदि किसी प्रकार की दुर्घटना होती है, तो उसकी पूरी जिम्मेदारी आयोजन संचालक की होगी।”
साथ ही आदेश में यह भी कहा गया है कि —
“उपरोक्त शर्तों के उल्लंघन पाये जाने की स्थिति में अनुमति स्वयंमेव निरस्त मानी जावेगी एवं संचालक के ऊपर नियमानुसार कार्यवाही की जावेगी।”
लेकिन ज़मीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है।
आदेश की लगभग हर शर्त का खुलेआम उल्लंघन हो रहा है — फिर भी न अनुमति निरस्त हुई, न किसी संचालक पर कार्रवाई हुई। यानी आदेश अब बस कागज़ों पर ज़िंदा है, जबकि मैदान में उसकी कोई औकात नहीं बची? यह स्थिति यह दर्शाती है कि न तो संचालक प्रशासनिक आदेशों को गंभीरता से ले रहे हैं, और न ही निगरानी करने वाले अधिकारी अपनी भूमिका निभा रहे हैं। ऐसा लग रहा है मानो आदेश सिर्फ फाइलों और नोटिस बोर्डों तक सीमित रह गया है, जबकि मैदान में जिम्मेदारी से बचने का खेल खुलकर खेला जा रहा है।
मीना बाजार परिसर में लगे हर झूले, और मनोरंजन साधनों पर संचालकों ने पोस्टर चस्पा कर रखे हैं —
“किसी भी प्रकार की दुर्घटना होने पर कम्पनी जिम्मेवार नहीं होगी।”
यह वही संचालक हैं जिन्हें आदेश के अनुसार जनता की सुरक्षा की पूरी जिम्मेदारी उठानी थी। मगर वे पहले ही अपने हाथ खड़े कर चुके हैं — और प्रशासन सब देखकर भी मूकदर्शक बना हुआ है।ऐसे मे अगर कोई हादसा होता है तो आखिर जनता न्याय के लिए किसके दरवाजे पर दस्तक देगी? क्या संचालक यह कहकर बच जाएंगे कि झूला कंपनी जिम्मेदार है, या कंपनी यह कहकर कि हमने पहले ही लिखा था कि हम जिम्मेदार नहीं हैं?
अब सवाल उठना लाजिमी है
जब आदेश में साफ लिखा है कि उल्लंघन पर अनुमति स्वतः निरस्त मानी जाएगी, तो अब तक कार्रवाई क्यों नहीं?
क्या प्रशासन किसी दबाव में है?
क्या मीना बाजार को विभागीय संरक्षण प्राप्त है?
स्थानीय नागरिकों और समाजसेवियों का कहना है कि अगर यही स्थिति किसी छोटे व्यापारी या स्थानीय आयोजन में होती, तो अगले ही दिन नोटिस और सीलिंग की कार्यवाही शुरू हो जाती। लेकिन यहाँ अधिकारी खुद मौन हैं — जैसे सब कुछ किसी “सेटिंग सिस्टम” के तहत चल रहा हो? मीना बाजार में जारी यह अव्यवस्था अब केवल लापरवाही नहीं, बल्कि प्रशासनिक आदेशों का मखौल बन चुकी है।कानून और नियमों की खुली अवहेलना के बीच सवाल यही उठता है कि — क्या बस्तर प्रशासन ने अपनी जिम्मेदारी कुर्सी की छाया में कहीं खो दी है? अब वक्त आ गया है कि बस्तर प्रशासन जागे और अपने ही आदेश का सम्मान करे। वरना जनता यह मानने को मजबूर होगी कि यह पूरा खेल विभागीय संरक्षण की छाया में चल रहा है?
भिलाई।शौर्यपथ । सिख मार्शल आर्ट गतका की ध्वजा एक बार फिर छत्तीसगढ़ की औद्योगिक नगरी भिलाई में फहराने जा रही है। शुक्रवार, 10 अक्टूबर 2025 को 13वीं नेशनल गतका चैम्पियनशिप का भव्य उद्घाटन समारोह गुरुनानक इंग्लिश सीनियर सेकेंडरी स्कूल, सेक्टर-6 में प्रातः 10 बजे से आरंभ होगा।
इस राष्ट्रीय आयोजन के मुख्य अतिथि दुर्ग लोकसभा सांसद विजय बघेल होंगे, जबकि कार्यक्रम की अध्यक्षता पूर्व विधानसभा अध्यक्ष एवं वरिष्ठ नेता प्रेम प्रकाश पांडेय करेंगे।
नेशनल गतका एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष श्री हरजीत सिंह ग्रेवाल और छत्तीसगढ़ सिख पंचायत के चेयरमैन श्री जसवीर सिंह चहल विशिष्ट अतिथि के रूप में समारोह में शामिल होंगे।
आयोजन की व्यवस्था न्यू गतका स्पोर्ट्स एसोसिएशन छत्तीसगढ़ द्वारा की जा रही है।
संस्था के अध्यक्ष इंदरजीत सिंह (छोटू), महासचिव जरवण सिंह खालसा, और कोषाध्यक्ष मलकीत सिंह (लल्लू) ने बताया कि इस प्रतियोगिता में देशभर से आने वाले खिलाड़ियों के बीच पारंपरिक शौर्यकला का रोमांचक प्रदर्शन देखने को मिलेगा।
गतका केवल युद्धकला नहीं, बल्कि सिख परंपरा, अनुशासन और आत्मसंयम का प्रतीक है। आयोजकों ने कहा —
“हमारा उद्देश्य गतका के माध्यम से युवाओं में साहस, सम्मान और सेवा की भावना को जागृत करना है।”
कार्यक्रम में शहर और प्रदेश के अनेक गुरुद्वारा समितियाँ, युवा सेवा संस्थान, तथा खेल प्रेमी बड़ी संख्या में शामिल होंगे। आयोजन समिति ने समस्त नागरिकों से अपील की है कि वे अपनी उपस्थिति से इस ऐतिहासिक क्षण की शोभा बढ़ाएं।
नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में विकास की गति तेज करने के लिए सरकार सतत प्रयासरत – मुख्यमंत्री साय
रायपुर / शौर्यपथ / बस्तर अंचल को महाराष्ट्र से जोड़ने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग 130-डी के निर्माण को नई गति मिली है। छत्तीसगढ़ शासन ने कुतुल से नीलांगुर (महाराष्ट्र सीमा) तक 21.5 किलोमीटर हिस्से के निर्माण के लिए टेंडर प्रक्रिया पूरी कर ली है। इस सड़क के निर्माण के लिए न्यूनतम टेंडर देने वाले ठेकेदार से अनुबंध की प्रक्रिया शर्तों सहित पूरी करने के निर्देश लोक निर्माण विभाग मंत्रालय द्वारा प्रमुख अभियंता, राष्ट्रीय राजमार्ग परिक्षेत्र रायपुर को दिए गए हैं। कुल तीन खंडों में निर्मित होने वाले 21.5 किलोमीटर सड़क के निर्माण हेतु लगभग 152 करोड़ रुपए न्यूनतम टेंडर दर प्राप्त हुई है, जिसे छत्तीसगढ़ शासन ने मंजूरी प्रदान कर दी है।
यह उल्लेखनीय है कि कुतुल, नारायणपुर जिले के अबूझमाड़ क्षेत्र में स्थित है और कुतुल से महाराष्ट्र सीमा पर स्थित नीलांगुर की दूरी 21.5 किलोमीटर है। यह नेशनल हाईवे 130-डी का हिस्सा है। इस सड़क का निर्माण टू-लेन पेव्ड शोल्डर सहित किया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि एनएच-130डी राष्ट्रीय राजमार्ग है, जिसकी कुल लंबाई लगभग 195 किलोमीटर है। यह एनएच-30 का शाखा मार्ग (स्पर रूट) है। यह कोण्डागांव से शुरू होकर नारायणपुर, कुतुल होते हुए नीलांगुर (महाराष्ट्र सीमा) तक जाता है। आगे महाराष्ट्र में यह बिंगुंडा, लहरे, धोदराज, भमरगढ़, हेमा, लकासा होते हुए आलापल्ली तक पहुँचता है, जहाँ यह एनएच-353डी से जुड़ जाता है। इस मार्ग के विकसित होने से बस्तर क्षेत्र सीधे राष्ट्रीय राजमार्ग नेटवर्क से जुड़ जाएगा और व्यापार, पर्यटन एवं सुरक्षा को बड़ी मजबूती प्राप्त होगी।
नेशनल हाईवे 130-डी का कोण्डागांव से नारायणपुर तक का लगभग 50 किमी हिस्सा निर्माणाधीन है। नारायणपुर से कुतुल की दूरी 50 किमी है और वहाँ से महाराष्ट्र सीमा स्थित नीलांगुर तक 21.5 किमी की दूरी है। इस राष्ट्रीय राजमार्ग की कुल लंबाई 195 किमी है, जिसमें से लगभग 122 किमी का हिस्सा कोण्डागांव-नारायणपुर से कुतुल होते हुए नीलांगुर तक छत्तीसगढ़ राज्य में आता है। इस सड़क के बन जाने से बस्तर अंचल को महाराष्ट्र से सीधा और मजबूत सड़क संपर्क मिलेगा तथा नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सुरक्षित एवं सुगम यातायात सुविधा सुलभ हो सकेगी।
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के सहयोग से इस नेशनल हाईवे के अबूझमाड़ इलाके में स्थित हिस्से के लिए फॉरेस्ट क्लियरेंस और निर्माण की अनुमति प्राप्त हुई, जिससे इस महत्वाकांक्षी परियोजना के निर्माण का रास्ता खुल गया है। राष्ट्रीय राजमार्ग 130-डी केवल सड़क नहीं बल्कि बस्तर अंचल की प्रगति का मार्ग है। हमारी सरकार ने इस परियोजना को तेजी देने के लिए लगातार प्रयास किए हैं। इस सड़क से बस्तर के लोगों को सीधा लाभ मिलेगा। यह सड़क न केवल छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र को जोड़ेगी, बल्कि बस्तर अंचल के सामाजिक एवं आर्थिक विकास में भी अहम भूमिका निभाएगी। नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में विकास की गति तेज करने के लिए यह परियोजना मील का पत्थर साबित होगी।
- मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय
बीजापुर के 32 पूर्व माओवादियों ने सीखा कुक्कुटपालन और बकरीपालन का गुर
समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए शासन की अभिनव पुनर्वास नीति से मिल रहा लाभ
रायपुर / शौर्यपथ / माओवाद का रास्ता छोड़कर समाज की मुख्यधारा में लौटे बीजापुर जिले के 32 आत्मसमर्पित माओवादियों ने अब विकास और स्वरोजगार की ओर एक महत्वपूर्ण कदम बढ़ाया है। इन सभी ने जगदलपुर स्थित क्षेत्रीय स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान में एक महीने का कुक्कुटपालन और बकरीपालन का विशेष प्रशिक्षण सफलतापूर्वक पूरा किया है। इस प्रशिक्षण के माध्यम से पूर्व नक्सलियों ने न केवल पशुपालन के वैज्ञानिक तरीके सीखे, बल्कि एक सफल उद्यमी बनने की बारीकियों को भी जाना। एक माह की गहन ट्रेनिंग में आत्मसमर्पित माओवादियों को कुक्कुटपालन और बकरीपालन से संबंधित हर महत्वपूर्ण जानकारी दी गई। यहां उन्होंने उन्नत नस्लों का चयन, चारा प्रबंधन और संतुलित आहार की जानकारी, टीकाकरण, रोगों की पहचान और उपचार के तरीके के साथ सरकारी योजनाओं का लाभ लेने, ऋण प्राप्त करने और अपने उत्पादों को बाजार तक पहुंचाने की रणनीति के संबंध में प्रशिक्षण लिया।
प्रशिक्षण लेने वाले एक आत्मसमर्पित माओवादी ने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि जंगल में जीवन बहुत मुश्किल और खाली था। प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय की पहल पर आत्मसमर्पित माओवादियों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए जो पुनर्वास नीति बनाई गई है, वह एक अभिनव प्रयास है। जिससे अब हम अपने हाथों से काम करके परिवार के लिए एक स्थिर और सम्मानजनक जीवन-यापन कर सकते हैं। सरकार के इस कदम से हमें बहुत हिम्मत मिली है।
(विशेष व्यंग्य): लेखक- शरद पंसारी, संपादक- शौर्यपथ दैनिक समाचार
दुर्ग। 'सेनापति का पता नहीं और फ़ौज चली जंग लड़ने,' यह कहावत इन दिनों दुर्ग कांग्रेस पर इतनी सटीक बैठती है कि खुद कहावत को भी इस पर नाज़ हो रहा होगा। दुर्ग शहर कांग्रेस का हाल यह है कि यहाँ अध्यक्ष महोदय (गया पटेल) ने पिछले साल ही त्यागपत्र रूपी 'श्वेत ध्वज' प्रदेश संगठन के सामने फहरा दिया था। भले ही संगठन ने कागज़ी तौर पर इस्तीफ़ा स्वीकार नहीं किया है, लेकिन ज़मीनी हकीकत यही है कि दुर्ग कांग्रेस एक साल से 'सेनापति विहीन' यानी बिना मुखिया के ही 'विपक्ष की जंग' लड़ने का नाटक कर रही है।
फ़िलहाल स्थिति यह है कि दुर्ग कांग्रेस की लंका में हर छोटे-बड़े 'नामधारी' नेता स्वयं को राम, लक्ष्मण और हनुमान तीनों समझ रहा है। लेकिन सबसे बड़ी समस्या बाहर के 'शत्रु' नहीं, बल्कि भीतर के 'विभीषण' और 'शकुनि' हैं। कुछ नेता अपनी छोटी-छोटी राजनीतिक रोटियाँ सेंकने के लिए संगठन के भीतर ही षड्यंत्रों का ताना-बाना बुन रहे हैं, ठीक वैसे ही जैसे महाभारत में शकुनि ने किया था। और कुछ 'विभीषण' बनकर भाजपा की जीत की पटकथा अंदरखाने से लिख रहे हैं।
प्रदेश नेतृत्व की 'महा-अनदेखी' और केंद्रीय नेतृत्व का 'हास्यास्पद प्रयास'
दुर्ग कांग्रेस के अस्तित्व पर मंडराता सबसे बड़ा खतरा आपसी कलह से भी बड़ा है: प्रदेश कांग्रेस नेतृत्व की उदासीनता। ऐसा लगता है जैसे प्रदेश कांग्रेस ने दुर्ग शहर इकाई को लगभग 'भूल' ही दिया है। एक साल से अध्यक्ष का इस्तीफा लटका है, गुटबाजी चरम पर है, लेकिन रायपुर से कोई प्रभावी दखल नहीं।
इस बीच, जब लगा कि आग बुझाने के लिए कोई तो आएगा, तब केंद्रीय नेतृत्व ने पर्यवेक्षक भेजे। मगर कमाल देखिए! गुटों की लड़ाई इतनी ज़ोरदार निकली कि केंद्रीय नेतृत्व को अपना भेजा हुआ पर्यवेक्षक ही वापस बुलाना पड़ा। इस कदम ने आग बुझाने के बजाय, जली हुई गाड़ी पर पेट्रोल छिड़कने का काम किया है। यानी, शीर्ष नेतृत्व ने खुद ही यह मान लिया कि दुर्ग कांग्रेस के मामले इतने पेचीदा हैं कि उनसे सुलझ नहीं पाएंगे।
यह 'महा-अनदेखी' और केंद्रीय नेतृत्व का यह 'हास्यास्पद प्रयास' ही है जिसने दुर्ग कांग्रेस को संगठनात्मक शून्य में धकेल दिया है।
आपसी कटाक्ष और भाजपा का 'चटकारे' वाला जश्न
कांग्रेस की फ़ौज ने अपना सारा 'युद्ध कौशल' एक-दूसरे पर 'तीरंदाजी' में झोंक रखा है। एक-दूसरे पर छींटाकशी करना, आरोप-प्रत्यारोप लगाना और नीचा दिखाना यहाँ की सबसे बड़ी 'संगठनात्मक गतिविधि' बन चुकी है। अभिव्यक्ति की आज़ादी का आलम यह है कि हर नेता, जिसे मंच पर बैठने के प्रोटोकॉल का आनंद लेने की आदत है, आज स्वयं को ज़मीनी नेता घोषित कर रहा है, जबकि उनके पद की गरिमा सिर्फ़ मंच की हद तक ही सीमित है।
यह अच्छा भी है! आखिर 'घर के घर में ही जंग' हो तो कम से कम बाहर नुकसान होने का डर तो नहीं रहता।
दुर्ग कांग्रेस की इस 'महाभारत' ने विपक्षी भाजपा के लिए एकदम 'अनुकूल परिस्थिति' का निर्माण कर दिया है। भाजपा कार्यालय में नेतागण बड़े आराम से बैठकर कांग्रेस का यह 'तमाशा' देख रहे हैं और 'चटकारे' ले रहे हैं। उन्हें तो अब किसी भी विरोध का सामना करने की ज़रूरत ही नहीं पड़ रही।
लब्बोलुआब यह है कि सेनापति ने पहले ही हथियार डाल दिए हैं, प्रदेश नेतृत्व ने आँखें मूंद ली हैं, केंद्रीय नेतृत्व ने पर्यवेक्षक को वापस बुलाकर अपनी लाचारी दिखा दी है, और 'सेना' सिर्फ बड़े पद की लालसा में एक-दूसरे को नीचा दिखाने में व्यस्त है। यदि शीर्ष नेतृत्व ने जल्द ही इस 'विभीषण-शकुनि' युक्त और अध्यक्षविहीन इकाई को नहीं संभाला, तो दुर्ग में कांग्रेस का अस्तित्व सिर्फ 'यादों' में सिमट कर रह जाएगा।
वाह रे दुर्ग कांग्रेस! तुम्हारी यह वीरगाथा इतिहास के पन्नों में सुनहरे अक्षरों से नहीं, बल्कि 'व्यंग्य' की स्याही से लिखी जाएगी!
