October 24, 2025
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धर्म संसार / शौर्यपथ / प्रभु यीशु के जन्म की ख़ुशी में मनाया जाने वाला क्रिसमस का त्योहार पूरी दुनिया में मनाया जाता है। यह त्योहार कई मायनों में बेहद खास है। क्रिसमस को बड़ा दिन, सेंट स्टीफेंस डे या फीस्ट ऑफ़ सेंट स्टीफेंस भी कहा जाता है। प्रभु यीशु ने दुनिया को प्यार और इंसानियत की शिक्षा दी। उन्होंने लोगों को प्रेम और भाईचारे के साथ रहने का संदेश दिया। प्रभु यीशु को ईश्वर का इकलौता प्यारा पुत्र माना जाता है। इस त्योहार से कई रोचक तथ्य जुड़े हैं। आइए जानते हैं इनके बारे में।
क्रिसमस ऐसा त्योहार है जिसे हर धर्म के लोग उत्साह से मनाते हैं। यह एकमात्र ऐसा त्योहार है जिस दिन लगभग पूरे विश्व में अवकाश रहता है। 25 दिसंबर को मनाया जाने वाला यह त्योहार आर्मीनियाई अपोस्टोलिक चर्च में 6 जनवरी को मनाया जाता है। कई देशों में क्रिसमस का अगला दिन 26 दिसंबर बॉक्सिंग डे के रूप मे मनाया जाता है। क्रिसमस पर सांता क्लॉज़ को लेकर मान्यता है कि चौथी शताब्दी में संत निकोलस जो तुर्की के मीरा नामक शहर के बिशप थे, वही सांता थे। वह गरीबों की हमेशा मदद करते थे उनको उपहार देते थे। क्रिसमस के तीन पारंपरिक रंग हैं हरा, लाल और सुनहरा। हरा रंग जीवन का प्रतीक है, जबकि लाल रंग ईसा मसीह के रक्त और सुनहरा रंग रोशनी का प्रतीक है। क्रिसमस की रात को जादुई रात कहा जाता है। माना जाता है कि इस रात सच्चे दिल वाले लोग जानवरों की बोली को समझ सकते हैं। क्रिसमस पर घर के आंगन में क्रिसमस ट्री लगाया जाता है। क्रिसमस ट्री को दक्षिण पूर्व दिशा में लगाना शुभ माना जाता है। फेंगशुई के मुताबिक ऐसा करने से घर में सुख समृद्धि आती है। पोलैंड में मकड़ी के जालों से क्रिसमस ट्री को सजाने की परंपरा है। मान्यता है कि मकड़ी ने सबसे पहले जीसस के लिए कंबल बुना था।

By- नरेश देवांगन

जगदलपुर, शौर्यपथ। गुरुवार को यातायात विभाग की हाईवे पेट्रोलिंग टीम ने दंतेश्वरी माता दर्शन हेतु जगदलपुर से दंतेवाड़ा जा रहे पद यात्री श्रद्धालुओं की सुरक्षा और सेवा का सराहनीय काम किया। टीम ने केवल सड़क सुरक्षा सुनिश्चित नहीं की, बल्कि लगातार पैदल यात्रा कर रहे श्रद्धालुओं के पैरों में पड़े छालों का भी ध्यान रखते हुए उन्हें प्राथमिक उपचार के रूप में मरहम-पट्टी बाँधकर राहत प्रदान की। श्रद्धालुओं ने इस मानवीय पहल की मुक्त कंठ से प्रशंसा करते हुए कहा, “पैदल चलते-चलते जब पैरों में छाले पड़ गए थे, तब हाईवे पेट्रोलिंग टीम ने हमारी मदद कर हमें राहत दी। यह हमारी यात्रा को और भी सुरक्षित और सुखद बना गया।” इस संवेदनशील सेवा ने श्रद्धालुओं में सुरक्षा का भरोसा जगाया और प्रशासन की संवेदनशील छवि को और मजबूत किया।

दुर्ग। शौर्यपथ।

राजनीति की ऊँचाइयाँ जब किसी नेता को मंत्री पद तक ले जाती हैं, तब अक्सर जीवन में प्रोटोकॉल और व्यस्तताओं का ऐसा जाल बुन जाता है कि पुराने मित्र और रिश्ते धीरे-धीरे पीछे छूट जाते हैं। परंतु यह भी एक सच्चाई है कि जो मित्र सच्चे होते हैं, वे किसी पद या ताज के मोह के कारण नहीं, बल्कि अपनत्व और आत्मीयता की डोर से जुड़े रहते हैं।

इसी सत्य को सहजता से परिभाषित करते हुए स्कूल शिक्षा मंत्री गजेन्द्र यादव आज सुबह दुर्ग शहर में अपने पुराने मित्र मंडली के बीच सामान्य चाय-नाश्ते की चर्चा में शामिल हुए। गंजपारा स्थित एक होटल में बिना किसी औपचारिकता और प्रोटोकॉल के, मंत्री अपने साथियों के साथ पुराने दिनों की यादें ताजा करते नज़र आए।

जहां राजनीति और सरकारी दायित्वों का बोझ हर पल मंत्री के कंधों पर होता है, वहीं यह दृश्य शहरवासियों के लिए चर्चा का विषय बन गया कि इतना बड़ा पद पाने के बावजूद भी मंत्री यादव अपने आत्मीय रिश्तों को जीवित रखना नहीं भूले। यह इस बात का प्रतीक है कि पद भले ही अस्थायी हो, मगर मित्रता जीवन की अमूल्य धरोहर है जो हर परिस्थिति में साथ रहती है।

राजनीति और जिम्मेदारियों की कठोर राह में जब कोई नेता अपने पुराने दिनों की स्मृतियों और दोस्तों के संग बिताए पलों को सहेजकर आगे बढ़ता है, तब यह संदेश और गहरा हो जाता है कि –

? “मंत्री है तो क्या हुआ, इंसानियत और मित्रता ही असली पहचान है।”

दुर्ग। शौर्यपथ। प्रदेश में शिक्षा व्यवस्था सुधार की दिशा में उठाए जा रहे सख्त कदमों के बीच स्कूल शिक्षा मंत्री एवं दुर्ग विधायक गजेन्द्र यादव की कार्यप्रणाली का बड़ा असर…

दुर्ग कांग्रेस: नए चेहरों से ही मिलेगी मजबूती

आज की राजनीति में कांग्रेस को अपने संगठन में बड़ा बदलाव लाने की सख्त जरूरत है। दशकों से चली आ रही परिवारवाद की राजनीति ने पार्टी को कमजोर किया है, जिससे कई समर्पित कार्यकर्ता अपनी पूरी जिंदगी पार्टी के लिए काम करते रहे, लेकिन उन्हें कभी शीर्ष नेतृत्व में जगह नहीं मिली। अगर कांग्रेस इस परिवारवाद से हटकर नए और अनुभवी चेहरों को मौका देती है, तो यकीनन वह मजबूत होगी।

अगर हम बात दुर्ग कांग्रेस की करें, तो मौजूदा समय में यह संगठन काफी कमजोर दिखाई देता है। इसकी निष्क्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि दुर्ग जिला मुख्यालय में होने वाले हर विरोध प्रदर्शन या आंदोलन की कमान अक्सर दुर्ग ग्रामीण कांग्रेस अध्यक्ष के हाथ में होती है, और बाकी सभी बड़े नेता उनके पीछे-पीछे चलते नजर आते हैं। चाहे वो पूर्व सांसद प्रत्याशी राजेश साहू हों, पूर्व महापौर आर.एन. वर्मा और धीरज बाकलीवाल हों, या पूर्व विधायक अरुण वोरा, सभी आज एक ही अगुवाई में आंदोलन करते दिखते हैं। मंच पर अपनी वरिष्ठता का हवाला देकर ये नेता अपनी जगह तो बना लेते हैं, लेकिन संगठन में इनकी सक्रिय भागीदारी कहीं नजर नहीं आती।

क्या सिर्फ मंच की राजनीति से काम चलेगा?

मंच पर पहुंचने की इस राजनीति के भरोसे अगर दुर्ग कांग्रेस के नेता बैठे रहे, तो वे आम जनता के बीच अपनी मजबूत पहचान कभी नहीं बना पाएंगे। जबकि, आज की राजनीति में जमीन पर काम करने वाले कार्यकर्ताओं की जरूरत है। आज दुर्ग में भाजपा के पास गजेंद्र यादव जैसे कैबिनेट मंत्री, ललित चंद्राकर जैसे दर्जा प्राप्त मंत्री और सरोज पांडे जैसी राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं। भाजपा में नए कार्यकर्ताओं को भी यह उम्मीद रहती है कि संगठन उन्हें कभी भी कोई महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दे सकता है।

वहीं, कांग्रेस में कार्यकर्ता आपस में यही चर्चा करते रहते हैं कि आखिर कब तक वे सिर्फ झंडे उठाएंगे और सड़कों पर लड़ते रहेंगे। हाल ही में हुए 'वोट चोर गद्दी छोड़' आंदोलन में कई समर्पित कार्यकर्ताओं को मंच पर जगह नहीं मिली, और पूर्व महापौर आर.एन. वर्मा और धीरज बाकलीवाल जैसे अनुभवी नेता भी दरकिनार नजर आए। दूसरी तरफ परिवार वाद के मंचाधीन वर्चस्व को  प्रमुख स्थान पर देखकर एक बार फिर कार्यकर्ताओं के बीच यह चर्चा शुरू हो गई कि क्या उनका इस्तेमाल सिर्फ झंडे और डंडे के लिए ही होता रहेगा?

भविष्य की राह और कार्यकर्ताओं का विश्वास

वर्तमान और पिछली राजनीति में काफी अंतर आ गया है। कांग्रेस संगठन को यह बदलाव स्वीकार करना होगा। दुर्ग में राजेंद्र साहू, धीरज बाकलीवाल, क्षितिज चंद्राकर, जयंत देशमुख, दीपक दुबे, विजेंद्र पटेल, अभिषेक बोरकर, और अयूब खान जैसे कई युवा और अनुभवी नेताओ की लंबी फौज हैं, जिन्हें जिले की जिम्मेदारी दी जा सकती है। ये नेता हर क्षेत्र में आम जनता के बीच अपनी एक अलग छवि बनाए हुए हैं और सभी को साथ लेकर बखूबी काम कर सकते हैं।

राजनीति की यह मांग अब बढ़ती जा रही है कि सालों से जमे पुराने चेहरों की जगह नए चेहरों को सामने लाया जाए। एक ही चेहरे से आम जनता भी ऊब चुकी है। नए और ऊर्जावान नेता ही राजनीति में आम जनता के बीच पकड़ को मजबूत करते हैं। अगर कांग्रेस में कार्यकर्ताओं की अनदेखी होती रही, तो कोई बड़ी बात नहीं है कि आने वाले समय में दुर्ग कांग्रेस मुट्ठी भर लोगों तक सिमट कर रह जाएगी और दुर्ग में भाजपा का वर्चस्व और मजबूत होगा। कांग्रेस को यह समझना होगा कि जमीन पर काम करने वाले कार्यकर्ता ही पार्टी की असली ताकत हैं। अगर उन्हें सही सम्मान और जिम्मेदारी नहीं मिलेगी, तो पार्टी कमजोर होगी और जनता का विश्वास भी खो देगी। दुर्ग कांग्रेस को अब अपनी इस पुरानी राजनीति को छोड़कर भविष्य की ओर कदम बढ़ाना होगा। तभी वह विपक्ष की भूमिका को मजबूती से निभा पाएगी और आम जनता के बीच अपनी पहचान बना पाएगी।

क्षेत्र में चल रही राजनीतिक चर्चाओं केआधर पर

दुर्ग। शौर्यपथ।

दुर्ग जिला भाजपा की नई कार्यकारिणी घोषित कर दी गई है, जिसमें संगठन ने 18 पदाधिकारियों को विभिन्न जिम्मेदारियां सौंपी हैं। यह कदम भाजपा के संगठन को बूस्ट देने और आगामी राजनीतिक चुनौतियों का प्रभावी तरीके से सामना करने के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

भाजपाध्यक्ष सुरेंद्र कौशिक की अध्यक्षता में दुर्ग जिला भाजपा की 18 सदस्यीय नई कार्यकारिणी का गठन किया गया।

कार्यकारिणी में 6 उपाध्यक्ष, 2 महामंत्री, 6 मंत्री, 2 कोषाध्यक्ष व सह-कोषाध्यक्ष तथा 2 कार्यालय मंत्री नियुक्त किए गए हैं, जिससे सभी वर्गों और अनुभवी कार्यकर्ताओं को प्रतिनिधित्व मिला है।

कार्यकारिणी की घोषणा प्रदेश अध्यक्ष की सहमति से की गई है, जिससे भाजपा की संगठनात्मक शक्ति बढ़ाने का संदेश गया है।

पदाधिकारियों से संगठन की नीतियों को जमीनी स्तर पर लागू करने और लाभकारी योजनाओं का प्रचार-प्रसार करने की अपेक्षा जताई गई है।

इससे पार्टी की स्थानीय रणनीति और सम्पर्क शक्ति मजबूत होगी, साथ ही सामाजिक संतुलन और युवा नेताओं का समावेश पार्टी की बढ़ती स्वीकार्यता को दर्शाता है।

पदाधिकारियों की सूची में विविधता और अनुभव

उपाध्यक्ष, महामंत्री, मंत्री, कोषाध्यक्ष, सह-कोषाध्यक्ष आदि सभी पदों पर अनुभवी और सक्रिय नेताओं को मौका दिया गया है — जो संगठनात्मक मजबूती की दृष्टि से सुखद और प्रेरणादायक है।

भाजपा की नई टीम से स्थानीय राजनीति में तेज़ बदलाव और संगठन को चुनावी रूप से तैयार रखने की उम्मीद जताई जा रही है।

यह कार्यकारिणी दुर्ग जिले की भाजपा संगठन को नयी ऊर्जा और दिशा देने के लिए बनी है।

By - नरेश देवांगन 

जगदलपुर, शौर्यपथ। पुलिस अधीक्षक शलभ कुमार सिन्हा के निर्देश एवं अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक महेश्वर नाग के मार्गदर्शन में बस्तर पुलिस ने यातायात सुरक्षा को लेकर एक सराहनीय कदम उठाया है।

नवरात्र पर्व के दौरान दंतेश्वरी माता जी के दर्शन हेतु दंतेवाड़ा जा रहे पदयात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उनके बैग पर सड़क सुरक्षा के मद्देनज़र रेडियम रिफ्लेक्टर स्टीकर लगाए जा रहे हैं। यह पहल 22 सितंबर 2025 से निरंतर जारी है।

प्रतिदिन हजारों श्रद्धालु जगदलपुर मार्ग से होते हुए दंतेवाड़ा पहुँच रहे हैं और अनुमान है कि पूरे नौ दिनों में लगभग एक लाख से अधिक श्रद्धालु इस मार्ग से गुजरेंगे। ऐसे में पुलिस द्वारा की गई यह पहल दुर्घटनाओं से बचाव में महत्वपूर्ण साबित हो रही है।

बस्तर पुलिस की इस पहल की हर ओर प्रशंसा हो रही है। श्रद्धालुओं ने भी पुलिस विभाग का आभार जताया है और कहा कि इस व्यवस्था से उन्हें रात के समय यात्रा करने में विशेष रूप से सुरक्षा का एहसास हो रहा है।

 दुर्ग / शौर्यपथ / स्कूल शिक्षा मंत्री श्री गजेंद्र यादव ने आज सरस्वती साइकिल योजना के तहत तिलक उच्चतर माध्यमिक कन्या शाला में 55 छात्राओं को साइकिल वितरण किया। उन्होंने कक्षा 10वीं एवं 12वीं में प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय स्थान प्राप्त छात्राओं को सम्मानित किया। स्कूल शिक्षा मंत्री श्री यादव ने अपने उद्बोधन में कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार शासकीय विद्यालयों के छात्रों के भविष्य गढऩे में तत्पर है। गुजरात मॉडल की तरह छत्तीसगढ़ में भी सेटेलाइट के माध्यम से शिक्षा की व्यवस्था की जाएगी। जिससे विद्यालय में विषय शिक्षकों की कमी दूर हो सकेगी एवं छात्र-छात्राओं को शिक्षा का बेहतर लाभ मिल सकेगा। उन्होंने यह भी कहा कि पूर्व काल की तरह पुन: प्राथमिक कक्षाओं में बारहखडी का अभ्यास कराया जाए, जिससे बच्चे भाषा का बेहतर ज्ञान प्राप्त कर सके। साथ ही गणितीय संक्रियाओं को भी बेहतर तरीके से समझाने हेतु प्रयास किए जाए। मंत्री श्री यादव ने बताया कि उन्होंने 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षा तिलक कन्या विद्यालय से ही दी हैं अत: इस विद्यालय से उनका भावनात्मक संबंध रहा है। उन्होंने कहा विद्यालय के लिए मांगने की आवश्यकता नहीं है मुझे जो बेहतर लगेगा विद्यालय के लिए करूंगा। मंत्री श्री यादव ने प्राचार्य की मांग के अनुसार अत्याधुनिक डोम तैयार करने की घोषणा की। उन्होंने सभी को शुभकामनाएं दी और कहा कि अभाव से अच्छा सीखने का और कोई माध्यम नहीं हो सकता। सभी सुविधाएं देने पर सीखने की गति कम होती है अत: बच्चे पढ़ाई पर विशेष रूप से ध्यान दें। छत्तीसगढ़ शासन शैक्षणिक सुविधाओं की पूर्ति के लिए हर संभव प्रयास कर रही है।

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