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धर्म संसार / शौर्यपथ / प्रभु यीशु के जन्म की ख़ुशी में मनाया जाने वाला क्रिसमस का त्योहार पूरी दुनिया में मनाया जाता है। यह त्योहार कई मायनों में बेहद खास है। क्रिसमस को बड़ा दिन, सेंट स्टीफेंस डे या फीस्ट ऑफ़ सेंट स्टीफेंस भी कहा जाता है। प्रभु यीशु ने दुनिया को प्यार और इंसानियत की शिक्षा दी। उन्होंने लोगों को प्रेम और भाईचारे के साथ रहने का संदेश दिया। प्रभु यीशु को ईश्वर का इकलौता प्यारा पुत्र माना जाता है। इस त्योहार से कई रोचक तथ्य जुड़े हैं। आइए जानते हैं इनके बारे में।
क्रिसमस ऐसा त्योहार है जिसे हर धर्म के लोग उत्साह से मनाते हैं। यह एकमात्र ऐसा त्योहार है जिस दिन लगभग पूरे विश्व में अवकाश रहता है। 25 दिसंबर को मनाया जाने वाला यह त्योहार आर्मीनियाई अपोस्टोलिक चर्च में 6 जनवरी को मनाया जाता है। कई देशों में क्रिसमस का अगला दिन 26 दिसंबर बॉक्सिंग डे के रूप मे मनाया जाता है। क्रिसमस पर सांता क्लॉज़ को लेकर मान्यता है कि चौथी शताब्दी में संत निकोलस जो तुर्की के मीरा नामक शहर के बिशप थे, वही सांता थे। वह गरीबों की हमेशा मदद करते थे उनको उपहार देते थे। क्रिसमस के तीन पारंपरिक रंग हैं हरा, लाल और सुनहरा। हरा रंग जीवन का प्रतीक है, जबकि लाल रंग ईसा मसीह के रक्त और सुनहरा रंग रोशनी का प्रतीक है। क्रिसमस की रात को जादुई रात कहा जाता है। माना जाता है कि इस रात सच्चे दिल वाले लोग जानवरों की बोली को समझ सकते हैं। क्रिसमस पर घर के आंगन में क्रिसमस ट्री लगाया जाता है। क्रिसमस ट्री को दक्षिण पूर्व दिशा में लगाना शुभ माना जाता है। फेंगशुई के मुताबिक ऐसा करने से घर में सुख समृद्धि आती है। पोलैंड में मकड़ी के जालों से क्रिसमस ट्री को सजाने की परंपरा है। मान्यता है कि मकड़ी ने सबसे पहले जीसस के लिए कंबल बुना था।
खेल / शौर्यपथ / ब्यूनस आयर्स। मुफलिसी में पले-बढ़े अर्जेंटीना के इन युवाओं के लिए उम्मीद की किरण थी तो बस फुटबॉल। अभावों के बीच अभ्यास में इन्होंने भविष्य का लियोनेल मेस्सी या कार्लोस टेवेज बनने का सपना संजोया लेकिन कोरोनावायरस महामारी ने इनकी उम्मीदों पर मानों तुषारापात कर दिया।
यहां फोर्ट अपाचे के अपार्टमेंट ब्लॉक के बाहर कार्लोस टेवेज का भित्तिचित्र और उसके नीचे लिखा वाक्य ‘मैं उस जगह से आया हूं, जहां कामयाब होना नामुमकिन माना जाता है’, इन युवा फुटबॉलरों के लिए संजीवनी की भांति रहा है।
टेवेज ब्यूनस आयर्स के सबसे गरीब इलाके से निकलकर दूसरी श्रेणी के क्लब अलमाग्रो तक पहुंचे। 16 बरस के आसपास के तमाम फुटबॉलरों के लिए उनकी कामयाबी मील का पत्थर बन गई लेकिन फिर कोरोनावायरस ने दुनिया में दस्तक दी।
पिछले 80 दिन से यहां कोई खेल नहीं हुआ है और ना ही भविष्य में जल्दी होने की संभावना है। ऐसे में अर्जेंटीना के गरीब इलाकों से निकले फुटबॉलरों की बेहतर जिंदगी की एकमात्र उम्मीद भी छिनती नजर आ रही है।
एक फुटबॉलर ने कहा, ‘इस महामारी ने सब कुछ छीन लिया। यह भयावह है। हम घर में बैठे हुए हैं।’ ब्राजील, चिली या पेरू जैसे बाकी लातिन अमेरिकी देशों की तरह तबाही का मंजर अर्जेंटीना में नहीं दिखा लेकिन फुटबॉल के दीवाने इस देश में महामारी के दूरगामी दुष्प्रभाव युवा फुटबॉलरों के कैरियर पर जरूर दिख रहे हैं। इनमें से कइयों ने फुटबॉल छोड़ने का मन बना लिया तो कई ड्रग्स या शराब की लत के शिकार हो रहे हैं । कई खतरनाक अवैध खेलों में शामिल हो गए हैं जो फुटबॉल मैदानों के पास रहने वाले खिलाड़ियों और दर्शकों के बीच इस समय लोकप्रिय है।
सांता क्लारा क्लब के अध्यक्ष डेनियल लोपेज ने कहा, ‘सड़क पर यह सब दिख रहा है। बच्चों ने यहां शरण ली थी पर अब नहीं रह सकते।’ इस क्लब में 170 लड़के लड़कियां प्रशिक्षण ले रहे थे लेकिन अब इस क्लब को किचन में बदल दिया गया है, जहां गरीबों के लिए खाना पकता है।
मनोरंजन / शौर्यपथ / बॉलीवुड अभिनेता अजय देवगन ने हाल ही में एक फिल्म 'लालबाजार' को अपनी आवाज दी है। यह फिल्म ओटीटी प्लेटफॉर्म पर रिलीज होने वाली है। इस फिल्म का प्रीमियर 19 जून को जी5 पर किया जाने वाला है। हाल ही में इस फिल्म की स्टार कास्ट ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की जिसमें सभी कलाकारों ने अजय देवगन को अपनी आवाज देने के लिए शुक्रिया कहा।
देव डी और ब्लैक फ्राईडे जैसी फिल्में करने वाले कलाकार देवेंद्र भट्टाचार्य का कहना था कि मैंने लाल बाजार इसलिए की क्योंकि इस बार उन्हें कोलकाता का एक नया रूप देखने को मिला। आमतौर पर फिल्मों में जब भी दिखाया जाता है तो कोलकाता का दुर्गा पूजा धूल और नगाड़ों के तरीके से ही दिखाया जाता है। जबकि इस फिल्म में शायद पहली बार कोलकाता की पुलिस और उसके बारे में इतनी गहराई से बताया गया और यही बात मुझे बहुत अच्छी लगी जैसे यह ऑफर मिला मैंने इस फिल्म के लिए और इस रोल के लिए झट से हां बोल दिया।
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लाल बाजार में ही काम करने वाली अभिनेत्री सौरासनी मैत्र का कहना था कि यह फिल्म 2 भाषाओं में शूट की गई है हम नहीं चाहते थे कि कोलकाता की जो असली बंगाली संस्कृति है उसे कहीं मिस किया जाए साथ ही में हम यह भी नहीं चाहते थे कि इसको एक ही भाषा में रखकर इसके दर्शक सीमित किया जाएं। इसलिए हमने हिंदी और बंगाली दोनों में ही इसे शूट किया। एक बार हम बंगाली में शूट करते थे पूरा सीन लेते थे और दूसरी बार हम हिंदी में लिया करते थे तो जैसे बंगाली समझ में आती है वह बंगाली में स्वयं को देखें और जो हिंदी में जाना चाहता है वह हिंदी में फिल्म देखें।
इस फिल्म में ऋषिता भट्ट भी दिखाई देने वाली हैं जो कि एक टीवी पत्रकार के रूप में नजर आने वाली है। अपने इस रोल के बारे में बताते हुए ऋषिता भट्ट ने कहा कि रोल की तैयारी के लिए मैंने किसी भी पत्रकार को नहीं चुना ना मैंने उनसे बात की लेकिन मुझे यह रोल बहुत अच्छा लगा। मेरे इस रोल में प्रोफेशनल जिंदगी भी दिखाई दिखाई देने वाली हैं, साथ ही मेरी पर्सनल लाइफ पर भी जोर दिया गया है। कैसे इन दोनों को साथ में लेकर में चल रही हूं वह आपको फिल्में देखना मिलेगा इससे ज्यादा मैं कुछ अभी तो नहीं बता सकती लेकिन इतना कह सकती हूं कि मेरे लिए वेब सीरीज दो भाषाओं में शूट करना मजेदार ही रहा है।
सबसे अच्छी बात यह रही कि जब भी मैं ट्रैवल करती थी मुझे बार-बार परेशान नहीं होना पड़ता था मैं शूट करती थी वहीं पर अपनी डबिंग करती थी और काम पूरा खत्म करके ही अपने घर लौटती थी।
फिल्म लालबाजार असली घटना पर आधारित है जिसमें रेड लाइट एरिया में होने वाली कुछ हत्याओं को दिखाया गया है और कैसे कोलकाता पुलिस ने सुलझाया है इस बारे में बताया गया है। यह फिल्म 19 जून को जी5 पर रिलीज होने वाली है।