September 17, 2024
Hindi Hindi
मुख्यमंत्री ( सफलता की कहानी )

मुख्यमंत्री ( सफलता की कहानी ) (229)

प्रदेश के किसानों को मिलेगी बड़ी राहतरू 5700 करोड़ रूपए की राशि डीबीटी के माध्यम से चार किश्तों में जाएगी किसानों के खातों में
प्रदेश में धान, मक्का और गन्ना (रबी) के 19 लाख किसानों को मिलेगा फायदा
प्रथम किश्त के रूप में 1500 करोड़ रूपए कृषकों के खातों में होगा ऑनलाईन अंतरण
किसानों को खेती किसानी से जोडऩे देश में अपने किस्म की पहली योजना
मुख्यमंत्री बघेल ने योजना के शुभारंभ कार्यक्रम की तैयारियों की समीक्षा की

रायपुर / शौर्यपथ / पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न स्वर्गीय राजीव गांधी के शहादत दिवस 21 मई के दिन छत्तीसगढ़ सरकार किसानों के लिए न्याय योजना शुरू कर रही है। दिल्ली से श्रीमती सोनिया गांधी और राहुल गांधी वीडियो कांफ्रेसिंग के जरिए इस योजना के शुभारंभ कार्यक्रम में शामिल होंगे। मुख्यमंत्री बघेल और मंत्रीमण्डल के सदस्यगण मुख्यमंत्री निवास कार्यालय में आयोजित कार्यक्रम में दोपहर 12 बजे स्वर्गीय राजीव गांधी के तैल चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित करेंगे। इसके पश्चात् किसानों को दी जाने वाली 5700 करोड़ रूपए की राशि में से प्रथम किश्त के रूप में 1500 करोड़ रूपए की राशि के कृषकों के खातों में ऑनलाईन अंतरण की जाएगी। कार्यक्रम में जिलों से सांसद, विधायक, अन्य जनप्रतिनिधि, किसान और विभिन्न योजनाओं के हितग्राही भी वीडियो कांफ्रेसिंग से जुड़ेंगे।
मुख्यमंत्री बघेल आज यहां अपने निवास कार्यालय में योजना के शुभारंभ के लिए की जा रही तैयारियों की वरिष्ठ अधिकारियों के साथ समीक्षा भी की। गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ देश में पहला ऐसा राज्य है जो किसानों को सीधे तौर पर बैंक खातों में राशि ट्रांसफर कर 5700 करोड़ रूपए की राहत प्रदान कर रहा है। कोरोना संकट के काल में किसानों को छत्तीसगढ़ सरकार राजीव गांधी किसान न्याय योजना के माध्यम से बड़ी राहत प्रदान करने जा रही है। इस योजना का उद्देश्य फसल उत्पादन को प्रोत्साहित करना और किसानों को उनकी उपज का सही दाम दिलाना है।
मुख्यमंत्री बघेल कार्यक्रम के आरंभ में राजीव गांधी किसान न्याय योजना के संबंध में संक्षिप्त उद्बोधन देगें । कार्यक्रम में किसानों को दी जाने वाली 5700 करोड़ रूपए की राशि में से प्रथम किश्त के रूप में 1500 करोड़ रूपए की राशि के कृषकों के खातों में अंतरित की जाएगी। इस अवसर पर जिला मुख्यालयों में उपस्थित योजना के हितग्राहियों के साथ ही महिला स्व-सहायता समूहों के सदस्यों, महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना और लघु वनोपज के हितग्राही तथा गन्ना और मक्का उत्पादक किसानों से वीडियो कांफ्रेसिंग से जरिए चर्चा भी की जाएगी।
छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा ग्रामीण अर्थव्यवस्था को गति देने तथा कृषि के क्षेत्र में रोजगार के नए अवसर सृजित करने लिए यह महत्वाकांक्षी योजना लागू की जा रही है। इस योजना से न केवल प्रदेश में फसल उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा बल्कि किसानों को उनकी उपज का सही दाम भी मिलेगा। इस योजना के तहत प्रदेश के 19 लाख किसानों को 5700 करोड़ रूपए की राशि चार किश्तों में सीधे उनके खातों में अंतरित की जाएगी। यह योजना किसानों को खेती-किसानी के लिए प्रोत्साहित करने की देश में अपने तरह की एक बडी योजना है।
     राज्य सरकार इस योजना के जरिए किसानों को खेती किसानी के लिए प्रोत्साहित करने के लिए खरीफ 2019 से धान तथा मक्का लगाने वाले किसानों को सहकारी समिति के माध्यम से उपार्जित मात्रा के आधार पर अधिकतम 10 हजार रूपए प्रति एकड़ की दर से अनुपातिक रूप से आदान सहायता राशि दी जाएगी। इस योजना में धान फसल के लिए 18 लाख 34 हजार 834 किसानो को प्रथम किश्त के रूप में 1500 करोड़ रूपए की राशि प्रदान की जाएगी। योजना से प्रदेश के 9 लाख 53 हजार 706 सीमांत कृषक, 5 लाख 60 हजार 284 लघु कृषक और 3 लाख 20 हजार 844 बड़े किसान लाभान्वित होंगें।
इसी तरह गन्ना फसल के लिए पेराई वर्ष 2019-20 में सहकारी कारखाना द्वारा क्रय किए गए गन्ना की मात्रा के आधार पर एफआरपी राशि 261 रूपए प्रति क्विंटल और प्रोत्साहन एवं आदान सहायता राशि 93.75 रूपए प्रति क्विंटल अर्थात अधिकतम 355 रूपए प्रति क्विंटल की दर से भुगतान किया जाएगा। इसके तहत प्रदेश के 34 हजार 637 किसानों को 73 करोड़ 55 लाख रूपए चार किश्तों में मिलेगा। जिसमें प्रथम किश्त 18.43 करोड़ रूपए की राशि 21 मई को अंतरित की जाएगी।
     छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा इसके साथ ही वर्ष 2018-19 में सहकारी शक्कर कारखानों के माध्यम से खरीदे गए गन्ना की मात्रा के आधार पर 50 रूपए प्रति क्विंटल की दर से प्रोत्साहन राशि (बकाया बोनस) भी प्रदान करने जा रही है। इसके तहत प्रदेश के 24 हजार 414 किसानों को 10 करोड़ 27 लाख रूपए राशि दी जाएगी। राज्य सरकार ने इस योजना के तहत खरीफ 2019 में सहकारी समिति, लैम्पस के माध्यम से उपार्जित मक्का फसल के किसानों को भी लाभ देने का निर्णय लिया है। मक्का फसल के आकड़े लिए जा रहे हैं, जिसके आधार पर आगामी किश्त में उनको भुगतान किया जाएगा।
         इस योजना में राज्य सरकार ने खरीफ 2020 से इसमें धान, मक्का, सोयाबीन, मूंगफली, तिल, अरहर, मूंग, उड़द, कुल्थी, रामतिल, कोदो, कोटकी तथा रबी में गन्ना फसल को शामिल किया है। सरकार ने यह भी कहा है कि अनुदान लेने वाला किसान यदि गत वर्ष धान की फसल लेता है और इस साल धान के स्थान पर योजना में शामिल अन्य फसल लेता हैं तो ऐसी स्थिति में उन्हें प्रति एकड़ अतिरिक्त सहायता दी जायेगी।
छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा प्रदेश की अर्थव्यवस्था को गतिशील और मजबूत बनाने के लिए लॉकडाउन जैसे संकट के समय में किसानों को फसल बीमा और प्रधानमंत्री किसान सम्मान योजना के तहत 900 करोड़ की राशि उनके खातों में अंतरित की गई है। मुख्यमंत्री बघेल के नेतृत्व में राज्य सरकार द्वारा इसके पहले लगभग 18 लाख किसानों का 8800 करोड़ रूपए का कर्ज माफ किया गया है साथ ही कृषि भूमि अर्जन पर चार गुना मुआवजा, सिंचाई कर माफी जैसे कदम उठाकर किसानों को राहत पहुंचाई गई है।

मुख्यमंत्री के निर्देश पर कार्ययोजना तैयार करने मुख्य सचिव की अध्यक्षता में समिति गठित
समिति दो माह में तैयार करेगी विस्तृत कार्ययोजना का प्रस्ताव

    रायपुर / शौर्यपथ / मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राज्य के भूमिहीन कृषि मजदूरों को ‘न्याय’ योजना के द्वितीय चरण में शामिल करने का निर्णय लिया है। मुख्यमंत्री बघेल ने इसके लिए विस्तृत कार्ययोजना तैयार करने के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में समिति गठित कर दी गई है, यह समिति दो माह में विस्तृत कार्ययोजना का प्रस्ताव तैयार कर मंत्रिपरिषद के अनुमोदन के लिए प्रस्तुत करेगी।
मुख्यमंत्री के निर्देश पर गठित समिति में अतिरिक्त मुख्य सचिव वित्त, अतिरिक्त मुख्य सचिव मुख्यमंत्री सचिवालय, प्रमुख सचिव ग्रामीण विकास, श्रम विभाग के सचिव तथा अनुसूचित जाति-जनजाति तथा अन्य पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग के सचिव इस समिति के सदस्य हैं।

रायपुर / शौर्यपथ  / मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने महाराष्ट्र के यवतमाल जिले में आज हुए सड़क हादसे से छत्तीसगढ़ की दो महिला श्रमिकों की हुई मृत्यु पर गहरा दुख व्यक्त किया है। उन्होंने सड़क दुर्घटना में मृत श्रमिकों के परिजनों को 4-4 लाख रूपए और घायलों को 50-50 हजार रूपए की सहायता राशि प्रदान करने को कहा है। मुख्यमंत्री ने दुर्घटना में घायल 6 श्रमिकों के बेहतर उपचार के लिए अधिकारियों को आवश्यक पहल करने के निर्देश दिए हैं। उल्लेखनीय है कि ये मजदूर राज्य के  बिल्हा क्षेत्र के रहने वाले है जो महाराष्ट्र यवतमाल से बस द्वारा छत्तीसगढ़ लौट रहे थे।

रायपुर / शौर्यपथ / छत्तीसगढ़ की सीमा में प्रवेश के बाद आज दो प्रवासी गर्भवती श्रमिक माताओं ने सुरक्षित प्रसव के जरिये स्वस्थ कन्याओं को जन्म दिया। दोनों ही माताएं अलग-अलग समय में अपने परिजनों के साथ राजनांदगांव जिले के बागनदी बार्डर पहुंची थीं, जहां उन्हें प्रवस पीड़ा शुरू हो गई। प्रशासन ने उन्हें तुरत स्वास्थ्य केंद्रों में पहुंचाकर सुरक्षित प्रसव का इंतजाम किया।
मूलतः कटई बेमेतरा निवासी श्रीमती त्रिवेणी साहू ने बागनदी बार्डर के उपस्वास्थ्य केंद्र में बच्ची को जन्म दिया। वहीं महाराष्ट्र के पुणे से आईं 28 वर्षीय सुरेखा पति कुमार सिंह निषाद ने छुरिया स्थित स्वास्थ्य केंद्र में बच्ची को जन्म दिया। छत्तीसगढ़ की सीमा में सुरेखा को प्रसव पीड़ा शुरु होने पर उन्हें पहले निकट के अस्तपाल पहुंचाया गया, जहां से छुरिया रेफर कर दिया गया। सुरेखा मूलतः दुर्ग जिले के सुखरीकला गांव की निवासी है।
    दोनों ही मामलों में सुरक्षित प्रसव कराने में राजनांदगांव जिले के स्वास्थ्य विभाग के अमले ने तत्परता से कार्य किया। जिला कलेक्टर मौर्य ने स्वयं स्वस्थ्य केंद्र पहुंचकर जच्चा-बच्चा के स्वास्थ्य की जानकारी ली।
छत्तीसगढ़ की विभिन्न सीमाओं से हर रोज प्रवेश कर रहे हजारों मजदूरों को गंतव्य तक पहुंचाने के लिए शासन ने बसों के इंतजाम किए हैं। बसों की रवानगी से पहले मजदूरों के भोजन-पानी, चरणपादुका के प्रबंध के साथ-साथ उनका स्वास्थ्य परीक्षण भी किया जाता है। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने सभी कलेक्टरों को निर्देश जारी किए हैं कि प्रवासी श्रमिक परिवारों में शामिल महिलाओं तथा बच्चों के स्वास्थ्य की विशेष देखभाल की जाए। क्वारेंटीन सेंटर में भी उनका विशेष ध्यान रखा जाए।

अब तक 15 ट्रेनों से 22 हजार श्रमिकों को की हुई सकुशल वापसी
वाहन एवं अन्य माध्यमों से 83 हजार 172 श्रमिक लौटे छत्तीसगढ़

   रायपुर / शौर्यपथ / नोवेल कोरोना वायरस (कोविड-19) के संक्रमण की रोकथाम के लिए लागू लॉकडाउन से उत्पन्न परिस्थितियों के कारण छत्तीसगढ़ के बाहर अन्य राज्यों में फंसे प्रदेश के श्रमिकों तथा अन्य लोगों को लगतार वापसी जारी हैं। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की पहल एवं निर्देशन पर राज्य एवं राज्य के बाहर फंसे लगभग 3 लाख लोगों को त्वरित राहत पहुंचाई गई है। साथ ही प्रदेश के श्रमिकों को वापस लाने के लिए राज्य सरकारों से समन्वय कर 45 ट्रेनों की सहमति प्रदान की गई हैं।
        श्रम मंत्री डॉ. शिवकुमार डहरिया ने बताया कि भवन एवं अन्य सन्ननिर्माण कर्मकार कल्याण मण्डल द्वारा प्रवासी श्रमिकों को वापस छत्तीसगढ़ लाने के लिए स्पेशल ट्रेन के लिए विभिन्न रेल मण्डलों को श्रमिकों के यात्रा व्यय के लिए आवश्यक राशि का भुगतान किया जा रहा है। वर्तमान में 34 हजार 284 यात्रियों को 23 ट्रेनों से वापस लाने के लिए एक करोड़ 99 लाख 58 हजार 360 रूपए का भुगतान किया गया है।
राज्य सरकार इसके अलावा लॉकडाउन के कारण श्रमिकों एवं अन्य लोगों को जो छत्तीसगढ़ राज्य के सीमाओं पर पहुंच रहे है एवं राज्य की ओर से गुजरने वाले सभी श्रमिकों के लिए नाश्ता, भोजन, स्वास्थ्य परीक्षण एवं परिवहन की निःशुल्क व्यवस्था ने श्रमिकों कोे काफी राहत पहुंचा रही है। मुख्यमंत्री श्री बघेल के निर्देश पर छत्तीसगढ़ के सभी सीमाओं पर पहुंचने वाले प्रवासी श्रमिकों को, चाहें वो किसी भी राज्य के हो, उन्हें छत्तीसगढ़ का मेहमान मान कर शासन-प्रशासन के लोग उनके हरसंभव मदद कर रहे है।
        मंत्री डॉ. डहरिया ने बताया कि लॉकडाउन से उत्पन्न परिस्थितियों के कारण देश के अन्य राज्यों में फंसे छत्तीसगढ़ के 2 लाख 51 हजार 867 श्रमिक तथा 22 हजार 168 अन्य लोगों इस तरह कुल 2 लाख 73 हजार 935 लोगों ने अब तक वापस अपने गृहग्राम आने के लिए राज्य शासन द्वारा जारी लिंक के माध्यम से ऑनलाईन पंजीयन करवाया है। उन्होंने बताया कि शासन द्वारा अन्य प्रदेशों में छत्तीसगढ़ के संकटापन्न प्रवासी श्रमिकों को वापस लाने के लिए लगभग 45 ट्रेनों की सहमति राज्य सरकार द्वारा प्रदान की गई है। भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण मंडल द्वारा 34 हजार 284 श्रमिकों को छत्तीसगढ़ वापस लाने 23 ट्रेनों के लिए विभिन्न रेल मण्डलों को लगभग 2 करोड़ का भुगतान किया गया है। अब तक 15 ट्रेनों के माध्यम से लगभग 22 हजार प्रवासी श्रमिकों को वापस लाया जा चुका है। वाहन एवं अन्य माध्यमों से अन्य राज्यों में फंसे लगभग 83 हजार 172 श्रमिक सकुशल अपने गृहग्राम लौट चुके है। छत्तीसगढ़ में अन्य राज्यों के फंसे हुए लगभग 30 हजार से अधिक श्रमिकों को उनके गृह राज्य भेजा गया है। इसके अतिरिक्त छत्तीसगढ़ के भीतर ही 11 हजार से अधिक श्रमिकों को एक जिले से अपने गृह जिला तक पहुंचाया गया है।
        छत्तीसगढ़ के 2 लाख 51 हजार 867 प्रवासी श्रमिक सहित तीन लाख से अधिक लोगों को जो देश के अन्य राज्यों में होने की सूचना मिलने पर उनके द्वारा बतायी गई समस्याओं का त्वरित निदान करते हुए उनके लिए भोजन, राशन, नगद, नियोजकों से वेतन तथा रहने एवं चिकित्सा आदि की व्यवस्था उपलब्ध कराई गई है। इसके साथ ही श्रम विभाग के अधिकारियों का दल गठित कर विभिन्न औद्योगिक संस्थाओं, नियोजकों एवं प्रबंधकों से समन्वय कर (राशन एवं नगद) आदि की व्यवस्था भी की जा रही है। प्रदेश के 26 हजार 102 श्रमिकों को 36 करोड़ रूपए बकाया वेतन का भुगतान कराया गया है। लॉकडाउन के द्वितीय चरण में 21 अप्रैल से शासन द्वारा छूट प्रदत्त गतिविधियों एवं औद्योगिक क्षेत्रों में लगभग 98 हजार श्रमिकों को पुनः रोजगार उपलब्ध कराया गया है। वहीं छोटे-बड़े 1246 कारखानों में पुनः कार्य प्रारंभ हो गया है।

    राजनांदगांव / शौर्यपथ / धूप और गम के बादल अब छंटने लगे हंै। कोविड-19 संक्रमण के कारण लॉकडाऊन में फंसे प्रदेश एवं अन्य प्रवासी श्रमिकों की पीड़ा को महसूस कर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बागनदी बार्डर से उनके गंतव्य तक पहुंचाने के लिए बस की व्यवस्था करने के निर्देश दिए है। महाराष्ट्र, गुजरात, तेलंगाना, आंध्रप्रदेश, मध्यप्रदेश, राजस्थान से बड़ी संख्या में श्रमिक बागनदी बार्डर आ रहे है। जिला प्रशासन ने तत्परता एवं सक्रियता से श्रमिकों के आवागमन के लिए बागनदी चेक पोस्ट में व्यवस्था की है। कलेक्टर जयप्रकाश मौर्य निरंतर बागनदी चेक पोस्ट का निरीक्षण कर रहे है और व्यवस्था की निगरानी कर रहे हंै। श्रमिकों की सहायता के लिए काऊंटर बनाए गए है। विभिन्न राज्यों से आने वाले श्रमिक सहायता केन्द्र में अपने गांव की ओर जाने वाले बसों का पता पूछकर जाने की तैयारी में खुश दिखाई दिए। बागनदी बार्डर में श्रमिकों के लिए सूखे नाश्ते एवं पेयजल की व्यवस्था की गई है। उन्हें ओआरएस घोल एवं शर्बत दिया जा रहा है। चेक पोस्ट में उनके स्वास्थ्य परीक्षण के लिए काऊंटर बनाया गया है। समीप ही पुलिस सहायता केन्द्र में श्रमिकों को जानकारी देने के साथ ही मदद की जा रही है। श्रमिकों के पंजीयन के लिए दो काउंटर बनाए गए है। प्रवासी श्रमिकों को उनके राज्य तक एवं छत्तीसगढ़ के श्रमिकों को उनके जिलों तक पहुंचाने के लिए लगभग 100 बसें लगी हुई है।
    राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक 53 में स्थित बागनदी बार्डर में प्रतिदिन लगभग 10 से 15 हजार श्रमिक सीमा में प्रवेश कर रहे है। महाराष्ट्र, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, गुजरात, मध्यप्रदेश से आने वाले यात्री लगातार आ रहे हंै। महाराष्ट्र एवं गुजरात परिवहन विभाग की बसों एवं उन राज्यों से आने वाले ट्रकों के माध्यम से बढ़ी संख्या में यात्रियों को बागनदी चेक पोस्ट के समीप उतार दिया जाता है। जिससे बागनदी चेक पोस्ट पर हजारों लोगों की भीड़ एकत्र हो रही है। सीमा पर आने वाले यात्री छत्तीसगढ़, झारखंड, बिहार, ओडि़सा, पश्चिम बंगाल के निवासी
      जिले में लाकडाउन की समयावधि में प्रथम चरण (24 मार्च से 13 अप्रैल 2020), द्वितीय चरण (14 अप्रैल से 3 मई 2020) एवं तृतीय चरण (4 मई से 17 मई 2020) को मिलाकर अब तक राजनांदगांव के अंतर्राज्यीय सीमाओं से लगभग 2 लाख 10 हजार लोग प्रवेश कर चुके है। प्रवासी मजदूरों की जाने की व्यवस्था अंतर्गत पका हुआ भोजन एवं सूखा राशन लगभग 60 हजार से अधिक लोगों को प्रदान किया गया। क्वारेन्टाईन सेंटर जहां दूसरे राज्य के प्रवासी मजदूरों को 14 दिनों तक क्वांरेन्टाईन किया गया, सड़क चिरचारी में 800, रैन बसेरा राजनांदगांव में 300 लोगों को तथा दूसरे राज्यों से आए प्रवासी मजदूरों के रहने, खाने, कपड़े और अन्य दैनिक उपयोग की वस्तुओं में लगभग 28 लाख रूपए व्यय किए गए है। जिले में क्वांरेन्टाईन सेंटरों की संख्या 1443 है, जिस पर अब तक 4 करोड़ 32 लाख 90 हजार रूपए व्यय किया जा चुका है। बागनदी से अन्य जिलों एवं अन्तर्राज्यीय सीमाओं तक प्रवासी मजदूरों को भेजने के लिए 100 बसों की व्यवस्था की गई है। राजनांदगांव के रैन बसेरा से 24 अप्रैल 2020 से बसों के माध्यम से जिला कवर्धा, मुंगेली, बेमेतरा एवं बलोद के 12 हजार मजदूरों को अब तक पहुंचाया गया है। दूसरे राज्य से आए प्रवासी मजदूर का व्यय अस्थायी क्वांरेन्टाईन सेंटर (सड़क चिरचारी एवं अन्य चेक पोस्ट) में 28 लाख रूपए का व्यय हुआ। वही बस एवं डीजल व्यवस्था के लिए प्रतिदिन 15 से 20 लाख रूपए का व्यय हो रहा है। अब तक 30 लाख रूपए का व्यय किया जा चुका है।
      बागनदी बार्डर पर पश्चिम बंगाल के केस्टो एवं रमेश विश्वास ने बताया कि रोजी-मजदूरी के लिए पुणा गए थे और ऐसी कठिन परिस्थिति में फंस गए थे कि अपने घर नहीं जा पा रहे थे। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ शासन की मदद से हम अपने घर तक पहुंच पाएंगे। छत्तर साहू ने बताया कि पुणा से वापस आया हूं। अब आज बेमेतरा अपने गांव साजा-बेलगांव चला जाऊंगा। रघुराम साय ने बताया कि झारखंड से हम 20 श्रमिक रोजी-मजदूरी करने के लिए महाराष्ट्र के नासिक शहर चले गए थे और वहां लॉकडाऊन में फंस गए थे। आज हम बस सेवा से अपने गांव गढ़वा चले जाएंगे। इसके लिए उन्होंने छत्तीसगढ़ शासन को बहुत-बहुत धन्यवाद दिया।

जंगल में अब ऐसे पेड़ लगाए जाएंगे जो पर्यावरण के अनुकूल और आदिवासियों के पोषण व जीविकोपार्जन में होंगे सहायक
मुख्यमंत्री ने की वन विभाग के काम-काज की समीक्षा
वृक्षारोपण अभियान: प्रदेश में पांच करोड़ पौधे लगाए जाएंगे: पौधों की सुरक्षा पर विशेष ध्यान देने के निर्देश
गौठानों में लघु वनोपजों के 50 लाख पौधों का होगा रोपण
स्व-सहायता समूह तैयार करेंगे बांस के 4 लाख ट्री गार्ड: लगभग 16 करोड़ रूपए की होगी आमदनी
वन प्रबंधन समितियों की महिलाओं ने 4 करोड़ की लागत से तैयार किए 50 लाख मास्क
वन अधिकार पट्टा प्राप्त हितग्राहियों को वृक्षारोपण से जोड़ने के निर्देश

  रायपुर / शौर्यपथ / मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि आदिवासियों की आवश्यकताओं के अनुरूप प्रदेश के जंगलों का विकास किया जाएगा। जंगलों में ऐसे पेड़ लगाए जाएंगे जो पर्यावरण के अनुकूल होंगे, आदिवासियों के पोषण और जीविकोपार्जन में सहायक होंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि पौध रोपण के दौरान इस बात का विशेष रूप से ध्यान रखा जाए। वन क्षेत्रों के विकास में इस कार्य को प्राथमिकता से शामिल किया जाए जिससे वनवासियों के जीवन में सुधार और उनके जीवकोपार्जन में मदद मिले। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने यह बातें आज अपने निवास कार्यालय में आयोजित वन विभाग के कामकाज की समीक्षा बैठक में कही। मुख्यमंत्री ने वनों के संरक्षण और संवर्धन के लिए वृक्षारोपण कार्यक्रम के तहत रोपित पौधों की सुरक्षा पर विशेष ध्यान देने के निर्देश दिए। प्रदेश में वन विभाग द्वारा इस वर्ष विभिन्न मदों के अंतर्गत पांच करोड़ एक लाख पौधे के रोपण का लक्ष्य रखा गया है।
बैठक में वनमंत्री मोहम्मद अकबर, मुख्य सचिव आर.पी. मण्डल, मुख्यमंत्री के अपर मुख्य सचिव सुब्रत साहू, वन विभाग के प्रमुख सचिव मनोज कुमार पिंगुआ, प्रधान मुख्य वन संरक्षक राकेश चतुर्वेदी, वन विभाग के सचिव जयसिंह म्हस्के तथा मुख्यमंत्री सचिवालय में उप सचिव सुश्री सौम्या चौरसिया और वरिष्ठ विभागीय अधिकारी उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बैठक में कहा कि जिन हितग्राहियों को वन अधिकार पट्टे दिए जा रहे हैं उन्हें वृक्षारोपण के साथ जोड़ा जाना चाहिए और इन हितग्राहियों की जमीन पर मनरेगा और वन विभाग की योजनाओं के तहत अभियान चलाकर महुआ, हर्रा, बहेरा, आंवला, आम, इमली, चिरौंजी जैसे अलग-अलग प्रजातियों के फलदार वृक्ष लगाए जाएं, इससे भी जंगल बचेगा और हितग्राही को आमदनी भी होगी। श्री बघेल ने कहा कि इन हितग्राहियों को तत्काल आय का साधन उपलब्ध कराने के लिए उनकी जमीन पर तीखुर, हल्दी और जिमीकांदा भी लगाया जाना चाहिए, जिससे उन्हें इन उत्पादों के जरिए जल्द आय का साधन मिल सके। मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि आज आदिवासी जंगलों से विमुख हो रहे हैं क्योंकि जंगल उनकी आवश्यकताओं की पूर्ति नहीं कर पा रहे हैं। हमें जंगलों को वनवासियों के लिए रोजगार और आय का जरिया बनाना होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि फलदार वृक्ष लगाने के साथ-साथ लघु वनोपजों के संग्रहण और उनकी मार्केटिंग तथा वैल्यू एडिशन का भी एक सिस्टम तैयार किया जाना चाहिए, जिससे अधिक से अधिक लोगों को रोजगार से जोड़ा जा सके। जंगलों, सड़कों के किनारे और राम वन गमन पथ के किनारे आम, बरगद, पीपल, नीम जैसी प्रजातियों के पौधे भी लगाए जाएं।
मुख्यमंत्री बघेल ने बैठक में निर्देश दिए कि वृक्षारोपण कार्यक्रम के सफल क्रियान्वयन के लिए स्थानीय लोगों और वनवासियों को अधिकाधिक जोड़ा जाए। राज्य में चालू वर्ष में रायपुर से जगदलपुर तक 300 किलो मीटर के राष्ट्रीय राजमार्ग में दोनों ओर वृक्षारोपण किया जाएगा। साथ ही प्रदेश में 1300 किलो मीटर लम्बाई के राम वन गमन पथ के 75 विभिन्न स्थलों में आम, बरगद, पीपल, नीम तथा आंवला आदि फलदार प्रजाति के पौधों का रोपण किया जाएगा। मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि प्रदेश में बनाए जा रहे गौठानों में अभियान चलाकर जुलाई माह में लघु वनोपजों के 50 लाख पौधों का रोपण किया जाए। उन्होंने बैठक में वृक्षारोपण के तहत रोपित पौधों की सुरक्षा के लिए प्रदेश में स्व-सहायता समूहों द्वारा बांस ट्री गार्ड के निर्माण की प्रशंसा की और इसे बढ़ावा देने के लिए आवश्यक निर्देश दिए। वर्तमान में समूहों द्वारा एक लाख बांस ट्री गार्ड का निर्माण हो चुका हैै तथा तीन लाख और बांस ट्री गार्ड का निर्माण जारी है। इससे समूहों को 16 करोड़ रूपए की आमदनी होगी।
मुख्यमंत्री बघेल ने आवर्ती चराई योजना के तहत वन क्षेत्रों में पशुओं के लिए चारागाह घेरने, शेड निर्माण और वहां वर्मी कम्पोस्ट उत्पादन के साथ-साथ देशी मुर्गी पालन तथा बतख और सूकर पालन जैसे गतिविधियों को बढ़ावा देने के निर्देश दिए। इसके तहत वर्तमान में स्वीकृत 590 कार्याें में से 324 कार्य प्रगति पर है। नरवा विकास कार्यक्रम के तहत वन विभाग द्वारा चालू वर्ष में 210 करोड़ रूपए की राशि के 302 नालों में जल संवर्धन संबंधित कार्य कराए जा रहे हैं। इसके अलावा वनांचल में 137 बड़े-बड़े तालाबों के निर्माण के लिए प्रस्ताव स्वीकृति की कार्यवाही प्रगति पर है। बैठक में बताया गया कि कोरोना संक्रमण के बचाव के लिए वन प्रबंधन समितियों और महिला स्व सहायता समूहों की लगभग एक हजार महिलाओं द्वारा 50 लाख मास्क का निर्माण किया जा चुका है। इससे इन महिलाओं को डेढ करोड़ रूपए की आमदनी होगी।
वन मंत्री मोहम्मद अकबर ने बैठक में बताया कि इस वर्ष तेंदूपत्ता तोड़ाई के पारिश्रमिक का भुगतान सीधे हितग्राहियों के खाते में करने का निर्णय लिया गया है। प्रदेश में चालू वर्ष के दौरान तेंदूपत्ता संग्रहण से 12 लाख 53 हजार परिवारों को लगभग 649 करोड़ रूपए का पारिश्रमिक मिलेगा। उन्होंने बताया कि प्रदेश के सभी जिलों में होने वाली वनोपजों की जानकारी से संबंधित डाटा एकत्र करने के लिए सर्वे कराया जा रहा है अगले तीन से 4 वर्षों में लघु वनोपजों की ऑनलाइन खरीदी की व्यवस्था तैयार करने का प्रयास किया जा रहा है।
बैठक में बताया गया कि कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान वन विभाग द्वारा अब तक 80 करोड़ रूपए के विकास कार्याें के माध्यम से जरूरतमंदों को तत्परता पूर्वक रोजगार उपलब्ध कराया गया है। इसी तरह देश में सर्वाधिक 26 करोड़ रूपए की राशि के लघु वनोपजों का संग्रहण कर बड़ी तादाद में लाभ दिलाया गया है। राज्य में अब तक लगभग 165 करोड़ रूपए की राशि के 4 लाख 11 हजार 222 मानक बोरा तेन्दूपत्ता का संग्र्रहण हो चुका है। इसके माध्यम से लोगों को रोजगार के साथ-साथ आय का लाभ मिल रहा है। इसी तरह वनों में अग्नि दुर्घटनाओं को रोकने के लिए वन विभाग अंतर्गत कुल 3 हजार 506 बीटों में अग्नि रक्षक लगाकर रोजगार उपलब्ध कराया गया। इसके अलावा 241 नर्सरियों में पौधा तैयार करने तथा संयुक्त वन प्रबंधक के अंतर्गत वर्मी कम्पोस्ट, मशरूम उत्पादन, मछली पालन, तालाब गहरीकरण, बांस ट्री गार्ड निर्माण, लाख चूड़ी उत्पादन और भू-जल संरक्षण कार्य तथा नरवा विकास कार्याें के माध्यम से काफी तादाद में लोगों को रोजगार उपलब्ध कराया जा रहा है। बैठक में बताया गया कि बस्तर में इमली की प्रोसेसिंग के माध्यम से लगभग 12 हजार महिलाएं जुड़ी हैं इन्हें हर माह ढाई हजार से 3 हजार रूपए की आय हो रही है। चिरौंजी, रंगीली लाख, कुसमी लाख, शहद, महुआ बीज संग्रहण और प्रोसेसिंग के माध्यम से 8580 महिलाओं को काम मिला है। जशपुर में महुआ से सेनेटाइजर बनाया जा रहा है।

रायपुर / shouryapath / मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को आज यहां उनके निवास कार्यालय में वन विभाग की समीक्षा बैठक के दौरान छत्तीसगढ़ राज्य वन विकास निगम द्वारा वर्ष 2018-19 के लाभांश की राशि 2 करोड़ 25 लाख रूपए का चेक सौंपा गया। इस अवसर पर वन मंत्री मोहम्मद अकबर, मुख्य सचिव  आर.पी. मण्डल, मुख्यमंत्री के अपर मुख्य सचिव सुब्रत साहू, वन विभाग के प्रमुख सचिव  मनोज कुमार पिंगुआ, प्रधान मुख्य वन संरक्षक  राकेश चतुर्वेदी, प्रधान मुख्य वन संरक्षक राज्य वन विकास निगम  आर. गोवर्धन, वन विभाग के सचिव जयसिंह म्हस्के तथा मुख्यमंत्री सचिवालय में उप सचिव सुश्री सौम्या चौरसिया और वरिष्ठ विभागीय अधिकारी उपस्थित थे।
    छत्तीसगढ़ राज्य वन विकास निगम को भारत सरकार द्वारा स्वीकृत कार्य आयोजना के अंतर्गत रोपित किए गए सागौन वृक्षारोपण के विरलन से प्राप्त वनोपज के विक्रय तथा अन्य आय से वित्तीय वर्ष 2018-19 में 56 करोड़ 41 लाख रूपए की आय प्राप्त हुई। निगम द्वारा इस दौरान विभिन्न कार्यों पर 30 करोड़ 49 लाख रूपए की राशि व्यय हुई। इस तरह वर्ष 2018-19 के दौरान निगम को 25 करोड़ 92 लाख रूपए की राशि का लाभ प्राप्त हुआ। निगम द्वारा वर्ष 2018-19 में राज्य के 3 हजार 594 हेक्टेयर क्षेत्र में लगभग 60 लाख पौधे का रोपण किया गया। इसके अलावा पर्यावरण सुधार के लिए खदानी तथा औद्योगिक क्षेत्रों में मिश्रित प्रजाति के 8 लाख 10 हजार पौधों का वृक्षारोपण किया गया। निगम द्वारा वानिकी वर्ष 2018-19 में 23 हजार 367 घनमीटर ईमारती काष्ठ, 14 हजार 16 नग जलाऊ चट्टा और एक हजार 521 नोशनल टन बांस का उत्पादन किया गया है।

रायपुर / शौर्यपथ / मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की पहल पर लाॅकडाउन में अन्य राज्यों में फंसे छत्तीसगढ़ के मजदूरों का आने का सिलसिला लगातार जारी है। मुख्यमंत्री की विशेष पहल पर अब तक कुल 29 स्पेशल ट्रेनों की व्यवस्था की जा चुकी है।
इन स्पेशल ट्रेनों में अन्य राज्यों में फंसे छत्तीसगढ़ के श्रमिकों, छात्रों, संकटापन्न और चिकित्सा की आवश्यकता वाले व्यक्तियों की छत्तीसगढ़ वापसी वापसी का सिलसिला बीते 11 मई से शुरू भी हो गया है। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने कहा है कि छत्तीसगढ़ पहुंचने वाले श्रमिकों किसी प्रकार की दिक्कत नहीं होनी चाहिए। स्पेशल ट्रेन पहुचनें पर राज्य के निर्धारित स्टेशनों में थर्मल स्क्रीनिंग, भोजन पानी तथा उन्हें अपने गंतव्य स्थान पहुंचाने के लिए बसों की व्यवस्था भी संबंधित जिला प्रशासन द्वारा की जा रही है। ग्राम पंचायतों में इन श्रमिकों के लिए क्वारेंटाइन सेंटरों बनाए गए हैं। गांव पहुंचने पर इन सेन्टरों में श्रमिकों के रहने और भोजन का इंतजाम किया जा रहा है। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के निर्देशन पर श्रम विभाग के अधीन गठित छत्तीसगढ़ भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण मण्डल द्वारा अभी तक नोडल अधिकारियों से प्राप्त जानकारी के अनुसार 9 ट्रेनों में आने वाले 11 हजार 946 श्रमिकों के लिए छह रेल्वे मण्डलों को कुल 71 लाख 93 हजार 230 रूपए का भुगतान भी किया जा चुका है।
इन 29 स्पेशल ट्रेनों में अहमदाबाद गुजरात से बिलासपुर के लिए दो ट्रेन, अमृतसर पंजाब से बिलासपुर-चांपा, लखनऊ उत्तरप्रदेश से बिलासपुर, भाटापारा, रायपुर, नम्बूर विजयावाड़ा आन्ध्रप्रदेश से बिलासपुर, लिगंमपल्ली हैदराबाद तेलंगाना से बिलासपुर, दुर्ग, राजनांदगांव और विरामगम अहमदाबाद से बिलासपुर-चांपा ट्रेनों में श्रमिकों की वापसी सकुशल अपने घर वापसी हो चुकी हैं। अधिकारियों ने बताया कि आगामी दिनों में जो स्पेशल ट्रेन प्रस्तावित हैं उनमें 15 मई को लखनऊ उत्तरप्रदेश से बिलासपुर, भाटापारा, रायपुर, खेड़ा नाडियाड गुजरात से बिलासपुर-चांपा और दिल्ली से बिलासपुर ट्रेनों का छत्तीसगढ़ आगमन प्रस्तावित है। इसी तरह 16 मई को साबरमती अहमदाबाद गुजरात से बिलासपुर-चांपा, कानपुर उत्तरप्रदेश से बिलासपुर, भाटापारा, रायपुर, दुर्ग और भोपाल से रायपुर, बिलासपुर ट्रेन आएगी। 17 मई को लखनऊ उत्तरप्रदेश से बिलासपुर, भाटापारा, रायपुर, इलाहाबाद उ.प्र. से बिलासपुर, भाटापारा, रायपुर, दुर्ग, वाइजैग आन्ध्रप्रदेश से रायपुर, भाटापारा, बिलासपुर, चांपा तथा खेड़ा नाडियाड गुजरात से रायपुर, भाटापारा, बिलासपुर और चांपा स्टेशन ट्रेन पहंुचेगी। 18 मई को मुज्जफरपुर बिहार से बिलासपुर, भाटापारा, रायपुर, हैदराबाद तेलंगाना से दुर्ग, रायपुर, बिलासपुर, इलाहाबाद उ.प्र. से बिलासपुर, भाटापारा, रायपुर, दुर्ग और विरामगम अहमदाबाद गुुजरात से भाटापारा बिलासपुर, चांपा स्टेशन स्पेशल ट्रेन का आगमन होगा। श्रमिक स्पेशल ट्रेन में 19 मई को मेहसाणा गुजरात से बिलासपुर-चांपा, दिल्ली से बिलासपुर, रायपुर, पूणे महाराष्ट्र से दुर्ग, रायपुर, भाटापारा, बिलासपुर ट्रेन पहुचेंगी। 20 मई को लखनऊ उ.प्र. से बिलासपुर, भाटापारा, रायपुर, पूणे महाराष्ट्र से दुर्ग, भाटापारा, बिलासपुर, चांपा, 21 मई को मुम्बई महाराष्ट्र से दुर्ग, रायपुर, भाटापारा, बिलासपुर, पूणे महाराष्ट्र से दुर्ग, भाटापारा, बिलासपुर, चांपा और 22 मई को बैंगलौर कर्नाटक से दुर्ग, रायपुर, भाटापारा, बिलासपुर स्टेशन ट्रेन पहुंचेगी।
राज्य सरकार ने इन ट्रेनों में सफर के लिए ऑनलाइन लिंक भी जारी किया है
http:cglabour.nic.in/covid19MigrantRegistrationService.aspx
इस लिंक में एप्लाई कर लोग इन ट्रेनों के माध्यम से छत्तीसगढ़ वापस आ सकेंगे। इसके अलावा 24 घंटे संचालित हेल्पलाइन नम्बर 0771-2443809, 91098-49992, 75878-21800, 75878-22800, 96858-50444, 91092-83986 तथा 88277-73986 पर संपर्क किया जा सकता है।

     दुर्ग / शौर्यपथ / वर्तमान में लॉक डाउन ३ का समय चल रहा है लॉक डाउन ३ में केंद्र ने राज्यों के प्रवासी मजदूरो के गृह नगर लौटने की अनुमति दे दी अनुमति मिलते ही लाखो की संख्या में मजदुर अपने गृह ग्राम लौट रहे है . ये मजदुर निजी साधनों ट्रको / बसों / टैक्सी आदि साधनों के द्वारा सड़क मार्ग से अपने गृह ग्राम जा रहे है . लॉक डाउन के तीसरे चरण में सरकार द्वारा नरमी बरती जा रही है ऐसे में इन श्रमिको के लिए छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री के मंशा अनुरूप कोई भूखा ना रहे के सोंच को सार्थक करते हुए दुर्ग जिले में राष्ट्रिय राजमार्ग में कुम्हारी टोल प्लाजा एवं बाफना टोल प्लाजा में निशुल्क भोजन की व्यवस्था की गयी है जो सुबह ९ बजे से रात १० बजे तक अनवरत ज़ारी है . भोजन देते समय सोशल डिस्टेंस का ख़ास ध्यान रख कर राहगीरों को भोजन एवं पौष्टिक पेय दिया जा रहा है .
      लॉकडाउन में फंसे हजारों की संख्या में मजदूर वापस अपने मूल निवास स्थान लौट रहे है। इन मजदूरों को नेशनल हाइवे में बाफना टोल प्लाजा के पास जिला के कांग्रेस जनों के द्वारा निशुल्क भोजन और पेयजल की व्यवस्था की गई है। इंदर ढाबा के पास पंडाल लगाया गया है जहाँ से आज लगभग 1500 यात्रियों को निशुल्क भोजन के पैकेट प्रदान की गई। ट्रक, बस, ऑटो, मोटर सायकिल में मुंबई से अधिकतर मजदूर छत्तीसगढ़, उड़ीसा, बिहार, बंगाल लौट रहे है। उन्हें भोजन का पैकेट और पानी पाउच दिया जा रहा है। आज देवकर, परपोड़ी, बेरला, खैरागढ़ जाने वाले पैदल यात्रियों के लिए गाड़ी की व्यवस्था कर उन्हें गन्तव्य स्थान की ओर भेजा गया। यात्रियों को मास्क पहनने और सोशल डिस्टेंश का पालन करने की नसीहत भी दी गई। आज के व्यवस्था में सहयोग प्रदान करने वालो में प्रदीप चौबे, प्रतिमा चंद्रकार, लक्ष्मण चंद्रकार, राजेश यादव, आर एन वर्मा, निर्मल कोसरे, नीलेश चौबे, मुकेश चंद्रकार, अजय गोलू गुप्ता, अजय शर्मा, क्षितिज चंद्रकार, संदीप श्रीवास्तव, दीपक चावड़ा, अनिल जैन, निखिल खिचरिया, अशोक बघेला, विनय गुप्ता, विमल यादव, राजा विक्रम बघेल, सन्नी साहू, मालिक, गोपाल देवांगन, राजकुमार, दीपक जैन, चंद्र मोहन गभने, सिद्धार्थ कोटवानी, संजय यादव, गुरदीप सिंह भाटिया आदि उपस्थिति प्रदान कर यात्रियों सेवा कर रहे है।

हमारा शौर्य

हमारे बारे मे

whatsapp-image-2020-06-03-at-11.08.16-pm.jpeg
 
CHIEF EDITOR -  SHARAD PANSARI
CONTECT NO.  -  8962936808
EMAIL ID         -  shouryapath12@gmail.com
Address           -  SHOURYA NIWAS, SARSWATI GYAN MANDIR SCHOOL, SUBHASH NAGAR, KASARIDIH - DURG ( CHHATTISGARH )
LEGAL ADVISOR - DEEPAK KHOBRAGADE (ADVOCATE)