December 07, 2025
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मुख्यमंत्री ( सफलता की कहानी )

मुख्यमंत्री ( सफलता की कहानी ) (256)

दुर्ग । शौर्यपथ । विधायक अरूण वोरा ने आईएएनएस.सी वोटर स्टेट ऑफ द नेशन 2020 सर्वे में देश के दूसरे सबसे लोकप्रिय मुख्यमंत्री चुने जाने पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को बधाई देते हुए कहा है कि छत्तीसगढ़ राज्य की जनता के नजर में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पूरे देश में सबसे उत्कृष्ट मुख्यमंत्री हैं। मुख्यमंत्री और उनके नेतृत्व में छत्तीसगढ़ सरकार का काम दूसरे नंबर पर नहीं बल्कि पहले नंबर पर है। वोरा ने कहा कि पिछले डेढ़ साल के कार्यकाल में भूपेश सरकार ने किसानों की कर्जमाफी और 25 रुपए प्रति क्विंटल पर धान खरीदी के साथ न्याय योजना शुरू कर बहुत बड़े राहत भरे फैसले किए हैं। देश में धान का सबसे ज्यादा मूल्य छत्तीसगढ़ सरकार दे रही है। इसी तरह वनोपज का मूल्य भी आदिवासियों को सबसे ज्यादा दिया जा रहा है। इन फैसलों से परेशानहाल किसानों व आदिवासियों की आर्थिक स्थिति सुधर रही है। इसी तरह भूपेश सरकार ने हाट बाजार क्लीनिक, मोहल्ला क्लीनिक जैसी योजनाएं शुरू कर लोगों के स्वास्थ्य का ध्यान रखते हुए उनके इलाज की चिंता की है। हाफ बिजली बिल जैसी योजना लागू कर पूरे छत्तीसगढ़वासियों को बड़ी राहत देने का महत्वपूर्ण फैसला किया गया है। भूपेश सरकार ने कोविड 19 महामारी से बचाव और इलाज के लिए जिस तरह से योजनाबद्ध ढंग से काम किया है उसकी देश विदेश में प्रशंशा हो रही है। वोरा ने कहा कि लॉकडाउन की विपरीत परिस्थितियों में लाखों गरीबों, मजदूरों को रोज भोजन देने, प्रवासी मजदूरों को राहत देने के लिए भोजन, नाश्ता, पेयजल के साथ चरणपादुका जैसी व्यवस्थाएं करते हुए मुख्यमंत्री के नेतृत्व में राज्य सरकार ने दूसरे राज्यों से मजदूरों को वापस लाने की दिशा में बहुत महत्वपूर्ण काम किया है। वोरा ने दावा किया कि सर्वे एजेंसियों की नजर में भले ही मुख्यमंत्री भूपेश बघेल दूसरे नंबर पर हों, लेकिन प्रदेश के हर नागरिक को राहत देने वाले मुख्यमंत्री भूपेश बघेल राज्य की जनता की नजर में पहले नंबर पर हैं।

// मुख्यमंत्री ने उद्योगपतियों से चर्चा कर जानी उद्योगों की समस्याएं : समाधान के लिए हर संभव सहयोग का दिया आश्वासन
// छत्तीसगढ़ इंडस्ट्रियल हब बने, स्थानीय लोगों को रोजगार और राज्य सरकार को उद्योगों से मिले राजस्व
// उद्योगपतियों ने कहा: नई सरकार बनने के बाद प्रदेश में बना अच्छा औद्योगिक वातावरण

    रायपुर / शौर्यपथ / मुख्यमंत्री बघेल ने लॉक डाउन के बाद प्रदेश में शुरू हुए उद्योगों में कोरोना संक्रमण से बचाव की गाईड लाइन सहित सभी एहतियाती उपायों का गंभीरता से पालन करने की जरूरत पर बल दिया है। श्री बघेल आज यहां अपने निवास कार्यालय में आयोजित बैठक में उद्योगपतियों से चर्चा कर रहे थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि लॉक डाउन के 60 से 70 दिनों बाद औद्योगिक गतिविधियां प्रारम्भ हुई हैं, ऐसे में यह आवश्यक है कि उद्योगों में काम करने वाले संक्रमण से सुरक्षित रहें। काम करने वालों के स्वास्थ्य की जांच सहित गाइड लाइन का पालन किया जाए और स्थानीय उद्योगों में काम करने वाले लोगों को बाहर से आने वाले लोगों के सम्पर्क से दूर रखा जाए।
         मुख्यमंत्री ने चर्चा के दौरान उद्योगों की समस्याओं की जानकारी ली और उद्योगपतियों को उनके समाधान के लिए राज्य सरकार के स्तर से हर संभव सहयोग का आश्वासन दिया। वन मंत्री श्री मोहम्मद अकबर भी इस अवसर पर उपस्थित थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार की यह मंशा है कि छत्तीसगढ़ इंडस्ट्रियल हब बने, यहां के स्थानीय लोगों को रोजगार मिले और राज्य सरकार को भी उद्योगों से राजस्व की प्राप्ति हो। उद्योगपतियों ने चर्चा के दौरान कहा कि नई सरकार बनने के बाद प्रदेश में अच्छा औद्योगिक वातावरण बना है। अधिकारी उद्योगों की समस्याएं सुन रहे हैं और उनके निराकरण का प्रयास भी कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने उद्योगपतियों से कहा कि कोरोना संकट से यह सीख मिली है कि उद्योगों के संचालन में स्थानीय लोगों को प्राथमिकता दी जाए। स्थानीय श्रमिकों को उद्योगों की आवश्यकता के अनुसार प्रशिक्षण देकर उनके कौशल का उन्नयन किया जाए। साथ ही स्थानीय विशेषज्ञों की सेवाएं ली जाएं। मुख्यमंत्री ने बताया कि बाहर से आने वाले श्रमिकों की स्किल मैपिंग करने के निर्देश अधिकारियों को दिए गए हैं। मैपिंग के बाद श्रमिकों की तैयार की जाने वाली सूची से उद्योगों को उनकी आवश्यकता अनुसार दक्ष श्रमिकों की सेवाएं लेने में आसानी होगी।
          बैठक में उद्योगपतियों ने मुख्यमंत्री से आग्रह किया कि पुरानी औद्योगिक नीति के तहत स्थापित उद्योगों को उस समय की औद्योगिक नीति में दी जाने वाली रियायतों का लाभ मिलना चाहिए। उद्योगपतियों ने भूखण्डों को फ्री होल्ड करने के नियमों में संशोधन के लिए भी आग्रह किया। उन्होंने बताया कि फ्री होल्ड हेतु भूखण्ड के लिए जो सीमा निर्धारित की गई है, उससे बड़े आकार के भूखण्डों पर उद्योग स्थापित हैं इसलिए इस प्रावधान का लाभ उद्योगों को नहीं मिल पा रहा है। उद्योगपतियों ने भूमि अधिग्रहण में आ रही दिक्कतों और उद्योगों के लिए जलकर की दरों के संबंध में भी ध्यान आकर्षित किया। मुख्यमंत्री ने उद्योगपतियों की इन समस्याओं के निराकरण के लिए गंभीरता पूर्वक विचार करने का आश्वासन दिया।
        बैठक में मेसर्स श्री सीमेंट लिमिटेड के रवि तिवारी, मेसर्स आर.आर. इस्पात के दिनेश अग्रवाल, मेसर्स मां कुदरगढ़ी एल्यूमिना रिफायनरी प्रायवेट लिमिटेड के अनिल कुमार अग्रवाल, एस.के.एस इस्पात एण्ड पावर लिमिटेड के हरिहरण, मेसर्स प्रकाश इंडस्ट्रिज लिमिटेड ए.के. चतुर्वेदी, मेसर्स गोपाल स्पंज एंड पावर लिमिटेड के विजय आनंद झावर, मेसर्स रामा पावर एंड स्टील प्रायवेट लिमिटेड के संजय गोयल, मेसर्स बजरंग एलायस लिमिटेड के नरेन्द्र गोयल, मेसर्स गोयल जेनिथ एग्रो प्रायवेट लिमिटेड के श्री विरेन्द्र गोयल भी उपस्थित थे।

रायपुर / शौर्यपथ / छत्तीसगढ़ शासन द्वारा राज्य में आत्मनिर्भर योजना के तहत प्रवासी श्रमिकों और अन्य व्यक्तियों को मई-जून माह के लिए 5-5 किलोग्राम चावल प्रति व्यक्ति एवं 1-1 किलोग्राम चना प्रति कार्ड नि:शुल्क दिया जाएगा।
खाद्य विभाग द्वारा आज मंत्रालय महानदी भवन से जारी आदेश के अनुसार भारत सरकार द्वारा शुरू की गई आत्मनिर्भर भारत योजना के तहत हितग्राहियों की पहचान के लिए आधार नंबर नहीं होने पर मतदाता परिचय पत्र, पैन कार्ड, किसान फोटो पासबुक अथवा राज्य शासन, जिला प्रशासन द्वारा जारी अन्य कोई फोटोयुक्त परिचय पत्र को भी मान्य किया जाएगा।
भारत सरकार द्वारा घोषित राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन 23 मार्च 2020 से लेकर आत्मनिर्भर भारत योजना लागू होने तक छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा जिन राशन कार्ड विहीन प्रवासी व्यक्तियों का राशन कार्ड राज्य योजना के तहत जारी किया गया है। ऐसे राशन कार्ड धारियों को भी मई-जून 2020 में खाद्यान्न और चने का वितरण किया जाएगा। खाद्य विभाग द्वारा राज्य के सभी कलेक्टरों को इस संबंध में आवश्यक कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए हैं।

// सर्वाधिक परिवारों को 100 दिनों का रोजगार देने में देश में दूसरे स्थान पर
// इस साल अब तक 25.97 लाख ग्रामीणों को काम, 1114 करोड़ का मजदूरी भुगतान
// मुख्यमंत्री और पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री ने लॉक-डाउन के दौरान उत्कृष्ट कार्य के लिए पंचायत प्रतिनिधियों और मैदानी अधिकारियों की पीठ थपथपाई

  रायपुर / शौर्यपथ / मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना) के विभिन्न मानकों पर लॉक-डाउन के बावजूद छत्तीसगढ़ का उत्कृष्ट प्रदर्शन जारी है। मुख्यमंत्री बघेल के निर्देश पर चालू वित्तीय वर्ष 2020-21 के शुरूआती दो महीनों में ही प्रदेश ने साल भर के लक्ष्य का 37 फीसदी काम पूरा कर लिया है। इस वर्ष अप्रैल और मई माह के लिए निर्धारित लक्ष्य के विरूद्ध प्रदेश में 175 प्रतिशत काम हुआ है। इन दोनों मामलों में छत्तीसगढ़ देश में सर्वोच्च स्थान पर है। दो माह के भीतर सर्वाधिक परिवारों को 100 दिनों का रोजगार उपलब्ध कराने में छत्तीसगढ़ दूसरे स्थान पर है। यहां 1996 परिवारों को 100 दिनों का रोजगार दिया जा चुका है।
चालू वित्तीय वर्ष में अब तक पांच करोड़ तीन लाख 37 हजार मानव दिवस रोजगार का सृजन कर 25 लाख 97 हजार ग्रामीण श्रमिकों को काम उपलब्ध कराया गया है। इस दौरान 1114 करोड़ 27 लाख रूपए का मजदूरी भुगतान भी किया गया है। कोविड-19 का संक्रमण रोकने लागू देशव्यापी लॉक-डाउन के बावजूद प्रदेश में ग्रामीण अर्थव्यवस्था को गतिशील बनाए रखने में मनरेगा के अंतर्गत व्यापक स्तर पर शुरू किए कार्यों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। विपरीत परिस्थितियों में इसने आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को रोजी-रोटी की चिंता से मुक्त करने के साथ ही ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती दी है।
मुख्यमंत्री बघेल और पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री टी.एस. सिंहदेव ने लॉक-डाउन के दौरान मनरेगा में उत्कृष्ट कार्यों के लिए पंचायत प्रतिनिधियों और मैदानी अधिकारियों की पीठ थपथपाई है। उन्होंने प्रदेश भर में सक्रियता एवं तत्परता से किए गए कार्यों की सराहना करते हुए सरपंचों, मनरेगा की राज्य इकाई तथा जिला एवं जनपद पंचायतों की टीम को बधाई दी है। उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस संक्रमण के खतरे की चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों के बीच यह बड़ी उपलब्धि है। उनकी कोशिशों से कोविड-19 से बचाव और लाखों लोगों को रोजगार मिलने के साथ ही बड़ी संख्या में आजीविकामूलक सामुदायिक एवं निजी परिसंपत्तियों का निर्माण हुआ है।
केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा मनरेगा के अंतर्गत चालू वित्तीय वर्ष के प्रथम दो महीनों अप्रैल और मई के लिए दो करोड़ 88 लाख 14 हजार मानव दिवस रोजगार सृजन का लक्ष्य रखा गया था। इसके विरूद्ध प्रदेश ने पांच करोड़ तीन लाख 37 हजार मानव दिवस रोजगार का सृजन कर 175 प्रतिशत उपलब्धि हासिल की है। यह इस वर्ष के लिए निर्धारित कुल लेबर बजट साढ़े तेरह करोड़ मानव दिवस का 37 प्रतिशत है। चालू वित्तीय वर्ष में अब तक 1996 परिवारों को 100 दिनों का रोजगार उपलब्ध कराया गया है। मनरेगा में प्रदेश में प्रति परिवार औसत 23 दिनों का रोजगार प्रदान किया गया है, जबकि इसका राष्ट्रीय औसत 16 दिन है। इस मामले में छत्तीसगढ़ पूरे देश में शीर्ष पर है।
प्रदेश में मनरेगा श्रमिकों को समयबद्ध मजदूरी भुगतान के लिए मस्टर रोल बंद होने के आठ दिनों के भीतर द्वितीय हस्ताक्षर कर 98 प्रतिशत फण्ड ट्रांसफर ऑर्डर जारी कर दिए गए हैं। बीते अप्रैल और मई महीने के दौरान कुल 1114 करोड़ 27 लाख रुपए का मजदूरी भुगतान श्रमिकों के खातों में किया गया है। कोविड-19 के चलते विपरीत परिस्थितियों में श्रमिकों के हाथों में राशि पहुँचने से ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर अच्छा असर पड़ा है। इसने रोजगार की चिंता से मुक्त करने के साथ ही ग्रामीणों की क्रय-क्षमता भी बढ़ाई है। प्रदेश भर में काम कर रहे मजदूरों की संख्या मई महीने के आखिरी में 25 लाख 27 हजार पहुंच गई है। अप्रैल के आखिरी में यह संख्या 15 लाख 74 हजार तथा मार्च के आखिरी में 57 हजार 536 थी। अभी प्रदेश की 10 हजार 155 ग्राम पंचायतों में कुल 44 हजार 964 कार्य चल रहे हैं। इनसे मौजूदा लॉक-डाउन में ग्रामीण जन-जीवन में आया ठहराव दूर हो गया है।

दुर्ग / शौर्यपथ / छत्तीसगढ़ शासन की नरूवा, गरूवा, घुरूवा, बाड़ी योजना से महिलाओं का ऐसा संबल मिला है कि लाकडाउन के कठिन वक्त में भी इनकी आजीविका चलती रही और फली-फूली भी। दुर्ग में अनेक बाडिय़ों में लाकडाउन में महिला स्वसहायता समूहों ने बड़े पैमाने पर सब्जी उगाई और इसे बाजार तक ले गई। ऐसी ही कहानी है धमधा विकासखंड के ग्राम चेटुवा की। यहां महिलाओं ने बाड़ी में जिमीकंद, बरबट्टी, भिंडी, करेला, मेथी और अनेक प्रकार की भाजी लगाई। यह साधना कठिन वक्त में काम आई, इस दौरान गांव में बाहर से सब्जी मंगाने की जरूरत नहीं पड़ी। जागृति स्वसहायता समूह की महिलाओं की बाड़ी में इतनी सब्जी आई कि पूरे गांव के इस्तेमाल में आ गई। इसकी मात्रा पर नजर डालिये, जिमीकंद का उत्पादन 700 किलोग्राम हुआ, भिंडी का उत्पादन 600 किलोग्राम हुआ और 150 किलोग्राम भाजी का उत्पादन हुआ।
समूह की सदस्य राजेश्वरी ने बताया कि हम लोगों ने हर तरह की सब्जी उगाई, कई प्रकार की वैरायटी की सब्जी गांव वालों को खाने को मिली। गांव की बाड़ी की सब्जी स्वादिष्ट भी बहुत लगी। राजेश्वरी ने बताया कि शहर से आने वाली सब्जी में केमिकल बहुत मिलाते हैं स्वाद नहीं आता। जब हमारी सब्जी लोगों ने खाई, फिर तो इसकी मांग खूब बढ़ गई। अब आगे के लिए बहुत सार संभावनाएं खुल गई हैं। उन्होंने बताया कि लाकडाउन के दौरान सत्रह हजार पांच सौ रुपए की कमाई हम लोगों को हुई।
राजेश्वरी ने बताया कि हम लोगों के पास घर के काम के बाद काफी समय बच जाता था। अब हमारे समय का गुणवत्तापूर्वक उपयोग हो रहा है। हम लोगों को सब्जी भी खरीदनी नहीं पड़ रही। लोग सब्जी हमारी बाड़ी से खरीद रहे हैं और हमारी आय हो रही है। हम लोग निकट भविष्य में इसका विस्तार भी करेंगे। सभी महिलाएं बहुत खुश हैं। उल्लेखनीय है कि सब्जी के इस उत्पादन के पीछे कंपोस्ट खाद की भी भूमिका रही है। गौठानों में बने आर्गेनिक खाद बाड़ी में काम आ रहे हैं। इससे खाद का खर्च बच रहा है। इस प्रकार न्यूनतम लागत में अधिकतम उत्पादन सिद्ध हो रहा है। बड़ी बात यह है कि इससे महिला सशक्तिकरण को भी बढ़ावा मिला है। शासन ने बाड़ी के लिए सिंचाई सुविधा उपलब्ध करा दी। हार्टिकल्चर विभाग ने उन्हें सभी तरह की तकनीकी सहायता दी। यह माडल ग्रामीण विकास के लिए बड़ी संभावनाएं पैदा करता है और आत्मनिर्भरता के लिए मिसाल है जिससे लाकडाउन जैसे कठिन समय में भी आजीविका का रास्ता बंद नहीं होता।

रायपुर / SHOURYAPATH NEWS /

 जो विपत्ति के समय में मदद करता है, वही जीवन का सच्चा साथी होता है। आज यह कहावत राज्य के मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के लिए चरितार्थ साबित हो रहा है। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की पहल पर किसानों के लिए राज्य की महत्वाकांक्षी योजना ‘राजीव गांधी किसान न्याय योजना‘ शुरू की गई है। वह निश्चित ही आज अपने उद्देश्य की ओर बढ़ रहा है। इस विषम परिस्थिति मंे धान के अंतरिम राशि का मिलना किसानों को एक बड़ी राहत प्रदान कर रहा है। 

    राजीव गांधी किसान न्याय योजना के तहत बलौदाबाजार जिले के अंतर्गत ग्राम गैतरा के किसान श्री दिलेश्वर वर्मा को पहली किश्त की राशि 16 हजार 6 सौ 86 रूपए मिलने पर उन्होंने मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के प्रति आभार जताया है। श्री वर्मा ने बताया कि वर्ष 2019-20 में धान उपार्जन केन्द्र में 90 क्विंटल धान बेचा था और ‘राजीव गांधी किसान न्याय योजना‘ के तहत् लगभग 63 हजार रूपए की सहायता राशि चार किश्तों में मिलेगी। 

    उन्होंने बताया कि प्रथम किश्त की अंतरिम राशि बैंक खाते में आ जाने से उन्हें आगामी खरीफ सीजन में खेती-किसानी की तैयारी करने में बड़ी मद्दगार साबित होगी और खाद-बीज आदि की व्यवस्था करने में अब आसानी होगी और इस राशि से ट्रैक्टर मालिक और कृषि केन्द्र की बकाया राशि  को चुकाउंगा। इस आगामी फसल के दौरान अपने खेतों के मेड़ांे में अरहर लगा कर अतिरिक्त आय अर्जित करूंगा। श्री वर्मा ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि राज्य शासन ने किसानों की समस्याओं को समझा और लॉकडाउन की इस संकट की घड़ी में ‘राजीव गांधी किसान न्याय योजना‘ ने एक सच्चे साथी की महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है।  

राज्य सरकार द्वारा 39 ट्रेनों के लिए रेल मण्डलों को 3.74 करोड़ रूपए भुगतान

    रायपुर / SHOURYAPATH NEWS /

   नोवेल कोरोना वायरस (कोविड-19) के संक्रमण की रोकथाम के लिए लागू लॉकडाउन से उत्पन्न परिस्थितियों के कारण अन्य राज्यों में फंसे छत्तीसगढ़ के श्रमिकों तथा अन्य लोगों को मुख्यमंत्री  बघेल की पहल पर वापस लाने का सिलसिला लगातार जारी है। अब तक 53 ट्रेनों के माध्यम से लगभग 71 हजार 712 श्रमिकों को एवं 453 अन्य यात्रियों को वापस लाया गया है। राज्य सरकार द्वारा अन्य प्रदेशों से श्रमिकों की सुरक्षित वापसी के लिए कुल 59 श्रमिक स्पेशल ट्रेनों की सहमति दी गई है, इनमें से 39 श्रमिक स्पेशल ट्रेन के लिए 3 करोड़ 74 लाख 31 हजार 330 रूपए की राशि रेल मण्डलों को भुगतान की गई है।
    श्रम मंत्री डॉ. शिवकुमार डहरिया ने बताया कि भवन एवं अन्य सन्ननिर्माण कर्मकार कल्याण मण्डल द्वारा प्रवासी श्रमिकों को छत्तीसगढ़ वापस लाने के लिए श्रमिक स्पेशल ट्रेन के लिए विभिन्न रेल मण्डलों को श्रमिकों के यात्रा व्यय के लिए आवश्यक राशि का भुगतान किया जा रहा है। डॉ. डहरिया ने बताया कि लॉकडाउन के कारण श्रमिक जो छत्तीसगढ़ राज्य की सीमाओं पर पहुंच रहे है एवं राज्य से होकर गुजरने वाले सभी श्रमिकों के लिए भोजन, पेयजल, स्वास्थ्य परीक्षण, चरण पादुका वितरण एवं परिवहन की निःशुल्क व्यवस्था से श्रमिकों कोे काफी राहत मिली है। छत्तीसगढ़ की सीमाओं पर पहुंचने वाले प्रवासी श्रमिकों को, चाहे वो किसी भी राज्य के हो, उन्हें छत्तीसगढ़ का मेहमान मान कर शासन-प्रशासन के लोग उनकी हरसंभव मदद कर रहे है।
    उन्होंने बताया कि श्रम विभाग के अधिकारियों का दल गठित कर विभिन्न औद्योगिक संस्थाओं, नियोजकों एवं प्रबंधकों से समन्वय कर श्रमिकों के लिए राशन एवं नगद आदि की व्यवस्था भी की जा रही है। प्रदेश के 26 हजार 205 श्रमिकों को 38 करोड़ 26 लाख रूपए बकाया वेतन का भुगतान भी कराया गया है। वहीं लॉकडाउन के द्वितीय चरण में 21 अप्रैल से शासन द्वारा छूट प्रदत्त गतिविधियों एवं औद्योगिक क्षेत्रों में लगभग 1 लाख 4 हजार श्रमिकों को पुनः रोजगार उपलब्ध कराया गया है और छोटे-बड़े 1390 से अधिक कारखानों में पुनः कार्य प्रारंभ हो गया है।

मुख्यमंत्री ने सभी विभागों को सी.एस.आई.डी.सी. से जल्द ‘रेट कांट्रेक्ट‘ निर्धारित करने के दिए निर्देश

 रायपुर / shouryapath news /

   मुख्यमंत्री  भूपेश बघेल ने राज्य के लघु उद्योगों में उत्पादित सामग्रियों के विपणन को प्रोत्साहन देने के लिए सभी विभागों को सी.एस.आई.डी.सी. के माध्यम से जल्द से जल्द रेट कांट्रेक्ट निर्धारित करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने विभागों द्वारा क्रय की जाने वाली सामग्रियों की सूची उद्योग विभाग-सी.एस.आई.डी.सी. को तत्काल उपलब्ध कराने तथा सी.एस.आई.डी.सी. को शीघ्र अतिशीघ्र समस्त वस्तुओं की दरें निर्धारित करने की कार्यवाही करने के निर्देश दिए हैं। 

 उल्लेखनीय है कि राज्य शासन द्वारा पूर्व में राज्य के लघु उद्योगों द्वारा उत्पादित सामग्रियों के लिए सी.एस.आई.डी.सी. के माध्यम से ‘रेट कांट्रेक्ट‘ निर्धारित करने के निर्देश दिए गए थे, लेकिन अभी भी अनेक विभागों द्वारा नियमित रूप से क्रय की जाने वाली विभिन्न सामग्रियों का ‘रेट कांट्रेक्ट‘ निर्धारित नहीं किया गया है। मुख्यमंत्री ने कहा है कि जिन वस्तुओं का राज्य में निर्माण नहीं होता है तथा विभागों द्वारा उनका नियमित क्रय किया जाता है, उन सभी वस्तुओं की आपूर्ति राज्य में निर्माता कंपनियों के अधिकृत वितरकों के माध्यम से ही की जाए, जिससे राज्य में व्यावसायिक गतिविधियों को बढ़ावा मिले और राज्य को जी.एस.टी. की क्षति भी नहीं हो। 

//कंटेनमेंट जोन को छोड़कर जिले में सभी शासकीय कार्यालय संचालित होंगे
//विवाह समारोह में अधिकतम 50 और अंतिम संस्कार में अधिकतम 20 व्यक्तियों को शामिल होने की मिलेगी अनुमति: एसडीएम और तहसीलदार देंगे अनुमति
//दुकानें और व्यावसायिक संस्थान सप्ताह के छह दिन सवेरे 7 बजे से शाम 7 बजे तक खुले रहेंगे
//स्ट्रीट वेंडरों के लिए स्थानीय निकाय तय करेंगे स्थान और समय
//अंतर्राज्यीय बसों का परिचालन प्रतिबंधित रहेगा
रेड और आरेंज जोन का निर्धारण स्वास्थ्य विभाग द्वारा किया जाएगा
//प्रत्येक क्वारेंटीन सेंटर के लिए प्रभारी अधिकारी और क्वारेंटीन सेंटर के समूहों की निगरानी के लिए जोनल अधिकारी तैनात किए जाएंगे

    रायपुर / शौर्यपथ / मुख्यमंत्री बघेल की अध्यक्षता में गत दिवस आयोजित उच्च स्तरीय बैठक में लिए गए निर्णय के अनुसार राज्य शासन द्वारा आर्थिक गतिविधियों के संचालन, क्वारेंटीन सेंटर्स की व्यवस्थाओं, रेड, आरेंज जोन निर्धारण के संबंध में विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए गए है। जारी निर्देशों के अनुसार मई माह के अंतिम शनिवार-रविवार को होने वाले पूर्ण लॉकडाउन को निरस्त कर दिया गया है। इसलिए आगामी शनिवार और रविवार को पूर्ण लॉकडाउन नहीं रहेगा। सभी दुकानें और संस्थान जो भारत सरकार के गृह मंत्रालय अथवा राज्य सरकार द्वारा प्रतिबंधित नहीं हैं वे सप्ताह के छह दिन सुबह सात बजे से शाम सात बजे तक खुली रहेंगी।
दुकानें और व्यावसायिक संस्थान पहले की तरह खुलेंगी लेकिन वर्तमान में जारी समय सीमा और सप्ताहिक अवकाश का पालन करना होगा। बाजार पूर्व में निर्धारित दिनों और व्यवस्था के अनुसार वर्तमान में तय समय के अनुसार खोले जाएंगे। बहुत घने बाजारों में भीड़ को कम करने के लिए स्थानीय स्तर पर व्यवस्थाएं सुनिश्चित की जाएंगी। सड़क किनारे सामान बेचने वालों (स्ट्रीटवेंर्डस) के लिए स्थानीय निकायों द्वारा स्थान और समय का निर्धारण कर फिजिकल डिस्टेंस का पालन सुनिश्चित किया जाएगा। इन व्यवस्थाओं को सुनिश्चित करने के लिए स्थानीय व्यापारी संघों के साथ चर्चा के निर्देश दिए गए हैं।
व्यावसायिक आटो और टैक्सियों का परिचालन 28 मई से परिवहन विभाग द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार शुरू हो गया है। अंतर्राज्यीय व्यावसायिक बसों और अंतर्राज्यीय व्यावसायिक टैक्सियों का परिचालन आगामी आदेश तक प्रतिबंधित रहेगा। अंतर्राज्यीय आवागमन ई-पास के जरिए हो सकेगा। ई-पास एप को विभिन्न श्रेणियों के लिए स्वचालित रूप से ई-पास जारी करने के लिए अपडेट किया गया है। टेऊन, टैक्सी, ऑटो एवं बस से यात्रियों को चिन्हित मार्ग से उनके गंतव्य तक जाने की अनुमति दी जाएगी। इन वाहनों में यात्रियों की संख्या बैठक क्षमता से अधिक न हो और यात्रियों को अनिवार्य रूप से मॉस्क पहनना होगा और फिजिकल डिस्टेंस बनाए रखना होगा।
रेड और आरेंज जोन का निर्धारण स्वास्थ्य विभाग द्वारा किया जाएगा, लेकिन कंटेनमेंट जोन की सीमा का निर्धारण जिला कलेक्टरों द्वारा किया जाएगा। बैठक में यह निर्णय भी लिया गया कि क्वारेंटीन सेंटर्स में सुरक्षा के सभी उपाय सुनिश्चित किए जाए। भवनों के बाहर आवागमन नियंत्रित किया जाए। क्वारेंटीन सेंटर्स में रूकने वालों को बरामदे में खुले में नही सोने दिया जाए। दरवाजे के नीचे खुले हिस्से को ढक कर रखा जाए। सांप और बिच्छु से बचाव के उपाय सुनिश्चित किए जाए। असुरक्षित क्वारेंटीन सेंटर्स को सुरक्षित भवनों और स्थानों पर शिफ्ट किया जाए। क्वारेंटीन सेंटर्स में कमरों के अंदर आवश्यकतानुसार कुलर और अतिरिक्त पंखों की व्यवस्था सुनिश्चित किया जाए। खाने की गुणवत्ता, स्वच्छ पेयजल, स्वच्छ शौचालय आदि सुविधाओं का ध्यान रखा जाए। क्वारेंटीन सेंटर्स पर योग प्रशिक्षण और आउटडोर एक्टिविटी और खेल गतिविधियां भौतिक दूरी का ध्यान रख आयोजित की जा सकती हैं। इसके लिए कलेक्टर, एनजीओ और वालेंटियर्स की मदद ले सकते हैं। क्वारेंटीन सेंटर्स में रहने वालों के लिए दैनिक गतिविधियां तय की जाए। क्वारेंटीन सेंटरों की निगरानी के लिए जोनल अधिकारी नियुक्त किए जाए। प्रत्येक क्वारेंटीन सेंटर के लिए प्रभारी अधिकारी रखा जाए जो वहां उपलब्ध सुविधाओं के साथ-साथ सेंटर में रहने वाले की स्वास्थ्य जांच और कोरोना टेस्ट की निगरानी रखेंगे। इन निर्देशों के पालन के लिए प्रभारी अधिकारी जिम्मेदार होंगे। इन कार्यो में स्थानीय ग्राम पंचायत सचिव और स्थानीय लोगों की सहायता ली जा सकती है।
क्वारेंटीन सेंटर में रहने वाले जो लोग 14 दिनों की क्वारेंटीन अवधि सफलतापूर्वक पूरी कर लिए हो और जिनमें कोई लक्षण नहीं हैं उन्हें घर जाने की अनुमति दी जाए। यदि किसी में लक्षण मिलते हैं तो उनका टेस्ट निर्धारित एसओपी के अनुसार सुनिश्चित किया जाए। स्थानीय सरपंच और ग्राम पंचायत सचिव यह सुनिश्चित करेंगे कि घर जाने वाले लोग अगले सात से दस दिन तक अपने घरों में ही रहें। कलेक्टर क्वारेंटीन सेंटर्स में रहने वाले लोगों को तनाव मुक्त करने के लिए काउंसलर्स और मनोवैज्ञानिकों की सेवाएं उपलब्ध कराने का प्रयास करेंगे। क्वारेंटीन सेंटर्स में लोगों के मनोरंजन के लिए टेलीविजन उपलब्ध कराए जाने के निर्देश भी दिए गए हैं।
क्वारेंटीन कैम्प में रूके श्रमिकों को रोजगार उपलब्ध कराने के उद्देश्य से उनकी स्किल मेपिंग की जाएगी। इनमें से बहुत से श्रमिकों के कौशल के बारे में जानकारी रजिस्ट्रेशन के समय दी गई है। इस संबंध में श्रम, कौशल विकास विभाग और राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के सचिव द्वारा आवश्यक कार्यवाही की जाएगी। श्रम विभाग द्वारा ऐसे श्रमिकों का रजिस्ट्रेशन किया जाएगा जिनका अब तक रजिस्ट्रेशन नही हुआ है। श्रमिकों का मनरेगा कार्ड, राशन कार्ड, श्रमिक कार्ड बनाए जाएंगे। श्रमिकों का स्किल डेव्हलपमेंट, स्थानीय उद्योगों में रोजगार और सड़क निर्माण जैसे काम दिलाने के लिए रजिस्ट्रेशन किया जाएगा। श्रमिकों के बच्चों के स्कूली शिक्षा के लिए रजिस्ट्रेशन किया जाएगा। जिला पंचायतों को मनरेगा के अंतर्गत धान उपार्जन केन्द्रों पर पक्के चबूतरे निर्धारित मापदंड के अनुसार स्वीकृत करने के साथ मनरेगा में अधिक से अधिक कार्य प्रारंभ करने के निर्देश दिए गए हैं, जिससे अधिक से अधिक श्रमिकों को बारिश के पहले रोजगार दिया जा सके।
औद्योगिक एवं व्यापारिक गतिविधियों के लिए आने वाले यात्रियों को यदि वे बताते हैं कि वे फैक्ट्री के मेंटेनेेस आदि कार्य के आ रहे हैं, उनके आने जाने के स्थान की जानकारी देने तथा आवेदन करने पर अनिवार्य क्वारेंटीन से छूट दी जा सकती है। कम समय के लिए आने वाले यात्रियों के लिए जिनके पास वापस जाने का कंफर्म टिकट है। उन्हें भी जानेे की अनुमति दी जा सकती है। यह भी प्रस्तावित किया गया है कि स्कूलों को एक जुलाई से प्रारंभ किया जाए इसलिए स्कूल खुलने के पहले स्कूलों को क्वारेंटीन सुविधा हटाकर भवन का सेनेटाईजेशन स्वास्थ्य विभाग से कराना सुनिश्चित किया जाए। विवाह और अंतिम संस्कार के लिए अनुमति देने के अधिकार एसडीएम और तहसीलदारों को देने का निर्णय लिया गया है। विवाह समारोह में अधिकतम 50 लोगों को और अंतिम संस्कार में अधिकतम 20 लोगों को शामिल होने की अनुमति दी जाएगी। प्रदेश के एक जिले से दूसरे जिले में जाने वाले श्रमिकों को क्वारेंटीन में नही रखा जाए। पिछले कुछ दिनों में छत्तीसगढ़ से दूसरे राज्यों में जा चुके श्रमिकों को यह छूट नही मिलेगी। कंटेनमेंट जोन को छोड़कर जिले में सभी शासकीय कार्यालय संचालित होंगे।

मुख्यमंत्री ने रायपुर, बिलासपुर, राजनांदगांव, जांजगीर-चांपा और रायगढ़ कलेक्टर को दिए निर्देश

      रायपुर / शौर्यपथ / मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि छत्तीसगढ़ से होकर गुजरने वाली श्रमिक स्पेशल ट्रेनों के राज्य में ठहरने वाले स्टेशनों में प्रवासी श्रमिकों के लिए बिस्किट और पानी पाउच की समुचित व्यवस्था की जाएगी। मुख्यमंत्री ने इसके लिए रायपुर, बिलासपुर, राजनांदगांव, जांजगीर-चांपा और रायगढ़ कलेक्टर को निर्देश दिए हैं। मुख्यमंत्री ने कहा है कि लॉकडाउन के कारण प्रवासी श्रमिकों के लिए रेल्वे स्टेशनों में भोजन-पानी की कोई व्यवस्था नही है और न ही वो टेऊनों से उतर पा रहे है। ऐसी स्थिति में उन्हें बिस्किट और पानी के पाउच आदि मुहैया कराने से काफी राहत मिलेगी।
मुख्यमंत्री ने जिला कलेक्टरों से कहा है कि अन्य राज्यों में फंसे प्रवासी श्रमिकों की उनके गृह राज्यों में वापसी के लिए श्रमिक स्पेशल ट्रेन चलायी जा रही है। ऐसी श्रमिक स्पेशल ट्रेने जो छत्तीसगढ़ से होकर गुजरेंगी यदि आपके जिले में रूकती है तो कम से कम एक मुख्य स्टेशन में इन प्रवासी श्रमिकों के लिए पर्याप्त संख्या में बिस्किट और पानी पाउच की व्यवस्था की जाए। ट्रेन के स्टेशन पर रूकते ही तत्काल यात्रियों को इसके वितरण की व्यवस्था की जाए।
वितरण के लिए आवश्यक दल गठित कर लिए जाएं, साथ ही इस कार्य में वालिंटियर्य का सहयोग भी लिया जाए। सामग्री के वितरण का सुपरविजन जिला प्रशासन के अधिकारियों द्वारा किया जाएगा। बिस्किट या अन्य खाद्य सामग्रियों को उचित ढंग से संग्रहित किया जाए ताकि वो खराब न हो सके। मुख्यमंत्री ने कहा है कि यह व्यवस्था तत्काल सुनिश्चित की जाए।

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