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शौर्यपथ विचार / गाय का गोबर कई मायनों में हिन्दू धर्म के लिए अलग अलग महत्तव रखता है . घर के आँगन में गोबर की लिपाई , पूजा स्थल में गोबर से लिपना शुभ माना जाता है . गाय के गोबर से ईंधन का उपयोग प्रदुषण के लिए अन्य ईंधनो की अपेक्षा कम हानिकारक है , जमीन की उपजाऊ क्षमता की बढ़ोतरी गाय के गोबर से बने खाद से बढती है , गोबर गैस से ईंधन का निर्माण किया जा सकता है , गोबर से पेपर , गमले , अगरबत्ती आदि कई उपयोगी वस्तुओ का निर्माण किया जाता है जो स्वास्थ्य के लिए भी लाभप्रद है . ऐसे कई उपयोगी वस्तुओ के लिए गोबर एक महत्तवपूर्ण पदार्थ है .
ऐसी ही कई परिकल्पना को जमीनी स्तर पर लाने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार ने गोबर का क्रय करने की योजना शुरू की चूँकि ये योजना कांग्रेस नीत सरकार ने शुरू की तो इसे नीचा दिखाने की कसार विपक्ष भला कैसे भूल सकती है और गोधन न्याय योजना के शुरू होते ही शुरू हो गयी विपक्ष की अनगर्ल तथ्यहीन विरोध की वाणी किन्तु विपक्ष इस विरोध में ये भी भूल गए कि गोबर से निर्मित उत्पाद के लिए केंद्र सरकार ने पहले भी कई योजनाये बनाई और स्वरोजगार के लिए प्रोत्साहित भी किया साल २०१८ में केन्द्रीय मन्त्रिय गिरिराज ने 12 सितंबर को कुमारप्पा नेशनल हेंडमेड पेपर इंस्टीट्यूट में गोबर से बने पेपर कैरी बैग को लॉन्च किया था। छत्तीसगढ़ की भूपेश सरकार ने गोबर क्रय करने का निर्णय लेकर छोटे छोटे रोजगार के अवसर तो प्रदान किये साथ ही उन लोगो की नींद भी उड़ा दी जो खाद व उर्वरक के नाम पर प्रतिवर्ष करोडो का मुनाफा करते है किन्तु जमीन की उर्वरक शक्ति को खत्म करने में भी अपरोक्ष रूप से अपना योगदान देते है . सरकार के द्वारा गोबर कराया करने से कई तरह के उत्पाद तो तैयार होंगे ही जो पर्यावरण के लिए तो फायदेमंद रहेंगे ही वही जमीनों की पैदावार क्षमता को भी जैविक खाद के रूप में बढ़ाएंगे . प्रकृति को संतुलन रखने के लिए ऐसे कदम सराहनीय है जो भविष्य में रोजगार के अवसर तो प्रदान करेंगे ही . आत्मनिर्भरता के मोदी सरकार के प्रयासों पर भी पंख लगेंगे . खैर विपक्ष के तथ्यहीन विरोध को दरकिनार करते हुए प्रदेश सरकार ने गोधन न्याय योजना की शुरुवात तो कर ही दी है और सरकार इस गोधन ( गोबर ) का किस तरह उपयोग करती है ये भी धीरे धीरे स्पष्ट हो जायेगा .
आइये हम बताते है गोबर का उपयोग रोजगार के किस किस क्षेत्र में आमदनी बढाने के लिए किया जा सकता है जिस पर केंद्र सरकार भी गंभीर है सिवाय अंध भक्ति से लिप्त लोगो के ....
अगर आप गाय के गोबर से पैसा कमाना चाहते हैं तो केंद्र सरकार आपका सहयोग करने को तैयार है। कुमारप्पा नेशनल हैंडमेड पेपर इंस्टीट्यूट में गाय के गोबर से पेपर बनाने की विधि इजाद की गई है। इस विधि को अब 'प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम' के तहत आम लोगों तक पहुंचाने की तैयारी की जा रही है। मतलब अब आप भी इस प्लांट को लगाकर गोबर से पैसे बना सकते हैं। जयपुर स्थित कुमारप्पा नेशनल हैंडमेड पेपर इंस्टीट्यूट (केएनएचपीआई) के डायरेक्टर ए.के. गर्ग ने गांव कनेक्शन से बताया, ''गाय के गोबर से हैंडमेड पेपर तैयार किया जा रहा है। इस पेपर की क्वालिटी बहुत अच्छी है। इससे कैरी बैग भी तैयार किया जा रहा है। जैसा की प्लास्टिक बैग बैन हो रहे हैं, ऐसे में पेपर के कैरी बैग अच्छा विकल्प हैं।'
'' ए.के गर्ग इस प्लांट की लागत पर कहते हैं, ''ये तो क्वांटिटी (मात्रा) पर निर्भर करता है। 5 लाख से लेकर 25 लाख तक में प्लांट लगाए जा सकते हैं। चूंकि ये हैंडमेड पेपर हैं तो इससे हर प्लांट में कुछ लोगों को रोजगार भी मिलेगा। अगर 15 लाख में कोई प्लांट लगाता है तो इसमें 10 से 12 लोगों को रोजगार मिल सकता है।''
एमएसएमई मंत्रालय के तहत काम करने वाली हैंडमेड पेपर एंड फाइबर इंडस्ट्री के डायरेक्टर के.जे. भोसले ने बताया, ''गोबर से पेपर बनाने की विधि से रोजगार मिल सकेगा। इससे पेपर के अच्छे कैरी बैग बनने की जानकारी मिली है। जयपुर के केएनएचपीआई में तो इसकी शुरुआत भी हो गई है। जिसे भी ये प्लांट लगाना हो वो एक बार जयपुर में बन रहे पेपर के कैरी बैग को देख सकता है। इससे उसे प्रोत्साहन भी मिलेगा।'
केंद्रीय मंत्री ने किया था लॉन्च (२०१८)
इससे पहले केंद्रीय सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) मंत्री गिरिराज सिंह ने 12 सितंबर को कुमारप्पा नेशनल हेंडमेड पेपर इंस्टीट्यूट में गोबर से बने पेपर कैरी बैग को लॉन्च किया था। इस दौरान उन्होंने कहा, ''गाय के गोबर से बने उत्पाद गुणवत्ता में बेहतर हैं और किफायती भी हैं. देशभर में इन्हें पसंद किया जा रहा हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सोच का ही परिणाम हैं कि किसान गाय के गोबर से भी पैसा कमा सकेगा.'' केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने अधिकारियों को गोबर से कागज बनाने की यूनिट लगाने के प्रोजेक्ट की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) बनाकर मंत्रालय भेजने का निर्देश भी दिया थ। इसलिए अधिकारी प्रोजेक्ट को लैब से जमीन पर लाने के लिए जुटे हुए हैं।
पीएम मोदी भी गिना चुके हैं गोबर की उपयोगिता
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी पशुओं के अपशिष्ठ (यानि गोबर-गोमूत्र) से कमाई की बात करते रहे हैं। पीएम मोदी ने मन की बात में कहा था, ''गोबर भी किसानों की कमाई का जरिया हो सकता है। किसान गोबर की खाद अपने खेतों के लिए ही नहीं बल्कि उसे ज्यादा मात्रा में उत्पादन कर कारोबार भी कर सकते हैं। सरकार की गोबरधन स्कीम के जरिए वेस्ट को एनर्जी में बदलकर इसे आय का जरिया बनाया जा सकता है।'' सेन्ट्रल इन्स्टीट्यूट ऑफ एग्रीकल्चरल इंजीनियरिंग की एक रिपोर्ट के अनुसार देश भर में पशुओं से हर साल 100 मिलियन टन गोबर मिलता है जिसकी कीमत 5,000 करोड़ रुपए है। इस गोबर का ज्यादातर प्रयोग बायोगैस बनाने के अलावा कंडे और अन्य कार्यों में किया जाता है।
कमाई का जरिया बन रहा गोबर
गोबर से बन रहे गमले और अगरबत्ती गोबर से बना गमला इलाहाबाद जिले के कौड़िहार ब्लॉक के श्रींगवेरपुर में स्थित बायोवेद कृषि प्रौद्योगिकी एवं विज्ञान शोध संस्थान में गोबर से बने उत्पादों को बनाने का प्रशिक्षण दिया जाता है। यहां गोबर से गमले और अगरबत्ती जैसे कई उत्पाद बनाए जाते हैं। संस्थान के प्रबंध निदेशक डॉ. हिमांशू द्विवेदी बताते हैं, "हमारे यहां गोबर की लकड़ी भी बनाई जाती है, इसका हम प्रशिक्षण भी देते हैं। इसे गोकाष्ठ कहते हैं। इसमें लैकमड मिलाया गया है, इससे ये ज्यादा समय तक जलती है। गोकाष्ठ के साथ ही गोबर का गमला भी काफी लोकप्रिय हो रहा है।"
गोबर से बायो सीएनजी बनाने का प्लांट
गोबर से बायो सीएनजी भी बनाई जाने लगी है। ये वैसे ही काम करती है, जैसे हमारे घरों में काम आने वाली एलपीजी। लेकिन ये उससे काफी सस्ती पड़ती है और पर्यावरण की भी बचत होती है। बॉयो सीएनजी को गाय भैंस समेत दूसरे पशुओं के गोबर के अलावा सड़ी-गली सब्जियों और फलों से भी बना सकते हैं। ये प्लांट गोबर गैस की तर्ज पर ही काम करता है, लेकिन प्लांट से निकली गैस को बॉयो सीएनजी बनाने के लिए अलग से मशीनें लगाई जाती हैं, जिसमें थोड़ी लागत तो लगती है लेकिन ये आज के समय को देखते हुए बड़ा और कमाई देने वाला कारोबार है। उत्तर प्रदेश के कानपुर में रहने वाले विशाल अग्रवाल हाईटेक मशीनों से मदद से बॉयो सीएनजी बना रहे हैं, उनकी न सिर्फ सीएनजी हाथो हाथ बिक जाती है, बल्कि अपशिष्ट के तौर पर निकलने वाली स्लरी यानी बचा गोबर ताकतवर खाद का काम करता है। कानपुर से करीब 35 किमी. दूर ससरौल ब्लॅाक में लगभग पौने दो एकड़ में 5,000 घन मीटर का बायोगैस प्लांट लगा हुआ है।
गोबर से बना दिया 'वैदिक प्लास्टर'
हरियाणा के डॉ शिवदर्शन मलिक ने देसी गाय के गोबर से एक ऐसा 'वैदिक प्लास्टर' बनाया है जिसका प्रयोग करने से गांव के कच्चे घरों जैसा सुकून मिलेगा। वर्ष 2005 से वैदिक प्लास्टर की शुरुआत करने वाले शिवदर्शन मलिक का कहना है, "हमें नेचर के साथ रहकर नेचर को बचाना होगा, जबसे हमारे घरों से गोबर की लिपाई का काम खत्म हुआ तबसे बीमारियां बढ़नी शुरु हुईं। देसी गाय के गोबर में सबसे ज्यादा प्रोटीन होती है। जो घर की हवा को शुद्ध रखने का काम करता है, इसलिए वैदिक प्लास्टर में देसी गाय का गोबर लिया गया है।" शिवदर्शन बताते हैं, "हमारे देश में हर साल 100 मिलियन टन गोबर निकलता है। जिसका सही तरह से उपयोग न होने से ज्यादातर बर्बाद होता है। देसी गाय के गोबर में जिप्सम, ग्वारगम, चिकनी मिट्टी, नीबूं पाउडर आदि मिलाकर इसका वैदिक प्लास्टर बनाते हैं जो अग्निरोधक और उष्मा रोधी होता है। इससे सस्ते और इको फ्रेंडली मकान बनते हैं, इसकी मांग ऑनलाइन होती है। हिमाचल से लेकर कर्नाटक तक, गुजरात से पश्चिमी बंगाल तक वैदिक प्लास्टर से 300 से ज्यादा मकान बन चुके हैं।"
- 85 करोड़ 61 लाख रुपए के 435 विकास कार्यों के भूमिपूजन के साथ ही 16 करोड़ 90 लाख रुपए के 178 कार्यों का किया लोकार्पण,
-शानदार अधोसंरचना के साथ अत्याधुनिक सुविधाओं का आगाज
कम्युनिटी हाल के लोकार्पण के दौरान पाटन के नागरिकों के साथ किया संवाद भी
दुर्ग / शौर्यपथ / पाटन ब्लाक में हरेली तिहार के अवसर पर गोधन न्याय योजना की शुरूआत के साथ ही मुख्यमंत्री भूपेश बघेल 102 करोड़ रुपए के विकास कार्यों का लोकार्पण एवं भूमिपूजन भी किया। लगभग 85 करोड़ रुपए के 435 कार्यों के भूमिपूजन के साथ ही 16 करोड़ रुपए के 178 विकास कार्यों का लोकार्पण मुख्यमंत्री के हाथों हुआ। इन विकास कार्यों से पाटन ब्लाक के लोगों की अधोसंरचना संबंधी जरूरत तो पूरी होगी ही, अत्याधुनिक सुविधाओं वाले शहर के रूप में भी पाटन पूरी तरह तैयार होगा। इंडोर स्टेडियम, अत्याधुनिक कम्युनिटी हाल, स्वीमिंग पुल के साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में शुद्ध पेयजल जैसी बुनियादी सुविधाओं के कार्यों का लोकार्पण एवं भूमिपूजन हुआ। साथ ही मुख्यमंत्री के द्वारा ग्राम सिकोला में पथ वृक्षारोपण का लोकार्पण भी किया गया। इसमें 44 किलोमीटर सड़को में लगभग इतने ही पेड़ लगाए गए। इस मौके पर जिले के सभी ब्लाकों में 10 ग्राम पंचायत इस तरह 30 ग्राम पंचायतों में गोधन न्याय योजना का भी शुभारंभ हुआ। 31 जुलाई तक सभी 216 गौठानों में यह योजना आरंभ हो जाएगी। इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने पाटन के कम्युनिटी हाल के लोकार्पण के दौरान पाटन के नागरिकों के साथ संवाद भी किया।
पाटन नगर को सामुदायिक भवन जीर्णोद्धार की सौगात- प्रमुख लोकार्पण कार्यों में पाटन में वार्ड क्रमांक 15 में 34 लाख रुपए की लागत से निर्मित डाॅ. खूबचंद बघेल सामुदायिक भवन जीर्णोद्धार कार्य के साथ ही इसी वार्ड में 24 लाख रुपए की लागत से निर्मित गौठान, विभिन्न वार्डों में 32 लाख रुपए से डामरीकरण कार्य, नगर के विभिन्न विकास वार्डों में 73 लाख रुपए के विकास कार्य शामिल है। इस प्रकार नगर पंचायत पाटन में विभिन्न विकास कार्यों के लिए एक करोड़ 65 लाख रुपए की राशि से निर्मित संरचनाओं का लोकार्पण किया गया।
4 नलजल आवर्धन योजनाओं का शुभारंभ- कुल एक करोड़ 83 लाख रुपए की राशि से निर्मित 4 नलजल आवर्धन योजनाओं का लोकार्पण भी इस अवसर पर किया गया। यह योजनाएं पतोरा, ढौर, भानसुली और खुड़मुड़ा में आरंभ हो जाएंगी। इनकी शुरूआत से इन चार गांवों के लोगों की पेयजल की समस्या पूरी तरह हल हो जाएगी।
सोलर एनर्जी के कार्य भी होंगे लोकार्पित- पाटन में दो करोड़ रुपए की लागत से निर्मित सोलर पावर प्लांट के माध्यम से स्ट्रीट लाइट स्थापना कार्य का लोकार्पण भी किया गया। इसी प्रकार 170 सोलर ड्यूल पंप के माध्यम से पेयजल व्यवस्था के कार्यों का लोकार्पण भी हुआ। इसकी लागत 7 करोड़ 41 लाख रुपए है। इस प्रकार 9 करोड़ 41 लाख रुपए की लागत के 178 कार्यों का लोकार्पण सोलर एनर्जी से संबंधित कार्यों का हुआ।
29 ऐसे कार्य जिनसे गुलजार होगा पाटन- नकटा तालाब का गहरीकरण एवं सौंदर्यीकरण कार्यों का भूमिपूजन भी इस अवसर पर हुआ। पांच करोड़ 97 लाख रुपए की लागत से इस तालाब के जीर्णोद्धार का कार्य होगा। तालाब से शहर की खूबसूरती भी बढ़ेगी और गहराई होने से वाटर लेवल भी बढ़ेगा। इसी तरह से 2 करोड़ 95 लाख रुपए की लागत से हनुमान तालाब का गहरीकरण भी होगा। स्पोर्ट्स फैसिलिटी बढ़ाने के लिए वार्ड क्रमांक 5 में मल्टी परपस इंडोर स्पोर्ट्स हाल का भूमिपूजन हुआ। साढ़े चार करोड़ रुपए की लागत से इसी वार्ड में स्वीमिंग पुल निर्माण कार्य भी होगा। 21 लाख 55 हजार रुपए की लागत से प्रेस क्लब के भवन का भूमिपूजन और 20 लाख रुपए की लागत से बनने वाले कृषक सदन का भूमिपूजन भी इस अवसर पर किया गया। इसके साथ ही नगर के विकास एवं बुनियादी संरचनाओं से संबंधित अनेक कार्यों का भूमिपूजन भी मुख्यमंत्री ने किया। इस प्रकार 40 करोड़ 72 लाख रुपए के 29 अधोसंरचनाओं से संबंधित कार्यों का भूमिपूजन मुख्यमंत्री ने किया।
जनपद पंचायत संसाधन केंद्र का भी भूमिपूजन- इस मौके पर जनपद पंचायत संसाधन केंद्र का भूमिपूजन भी मुख्यमंत्री ने किया। इसका निर्माण 1 करोड़ 26 लाख रुपए की राशि से कराया जाएगा। इसके साथ ही झीट, मर्रा और सांतरा में भी धान संग्रहण केंद्र का भूमिपूजन भी हुआ।
19 जलआवर्धन योजनाओं का भी भूमिपूजन- मुख्यमंत्री द्वारा पाटन ब्लाक के 19 गांवों में 4 करोड़ 84 लाख रुपए की लागत से 19 योजनाओं का भूमिपूजन किया गया। इनमें से मुड़पार, तर्रीघाट, सिपकोन्हा, केसरा, छाटा, परसाही, उफरा, सोनपुर, बोरेन्दा, गुढ़ियारी, मगरघटा, सिकोला, अचानकपुर, चुनकट्टा, अमलेश्वर, गोडपेण्ड्री, नवागांव, तेलीगुण्डरा और फेकारी में नलजल आवर्धन योजनाओं का भूमिपूजन किया।
26 करोड़ रुपए की लागत से नहरों के जीर्णोद्धार का कार्य- मुख्यमंत्री द्वारा इस अवसर पर 6 करोड़ रुपए की लागत में बेलौदी जलाशय तथा नहरों का जीर्णोद्धार कार्य, 4 करोड़ 33 लाख रुपए की लागत से कौही उदवहन सिंचाई योजना का आधुनिकीकरण एवं नहरों की लाइनिंग, 3 करोड़ 31 लाख रुपए की लागत से गुजरा व्यपवर्तन नहर का मरम्मत कार्य शामिल है। इसके साथ ही मगरघटा, कापसी, सांकरा माइनर का जीर्णोद्धार , सेलूद तथा तर्रा के निरीक्षण गृह का जीर्णोद्धार कार्य भी शामिल है।
हितग्राहियों को वितरण कार्यक्रम- इस अवसर पर 217 स्वसहायता समूहों को 78 लाख रुपए की राशि सक्षम योजना अंतर्गत प्रदाय की गई। इसके साथ ही मुख्यमंत्री सुपोषण मिशन के द्वितीय चरण की शुरूआत भी की गई। छत्तीसगढ़ महिला कोष अंतर्गत चेक का वितरण भी किया गया। कृषि विभाग द्वारा स्प्रिंकलर एवं मिनीकीट वितरण भी इस अवसर पर किया गया। इसके साथ ही श्रम विभाग की योजनाओं के हितग्राहियों को भी योजनाओं का लाभ दिया गया।
लगभग चौवालीस किमी सड़कों पर चौवालीस हजार पौधे लगाने के मातृछाया पथ वृक्षारोपण कार्यक्रम में ग्राम सिकोला में लोकार्पण अवसर पर मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने कहा प्रकृति को सहेज कर विकास की ओर सतत बढ़ा रहे कदम
दुर्ग । शौर्यपथ । हम ऐसी योजनाओं पर कार्य कर रहे हैं जिनके माध्यम से प्रकृति के संरक्षण के साथ ही लोगों के आर्थिक बेहतरी का रास्ता भी खुलता है। मातृछाया पथ वृक्षारोपण के लोकार्पण मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा। इस मौके पर उन्होंने बेल और कृष्ण वट पौधे को रोपा। मुख्यमंत्री ने कहा कि दुर्ग जिले में वन होम, वन ट्री अभियान चलाया गया था। इसमें भी लोगों ने बहुत उत्साह से हिस्सा लेकर अपने घरों में पौधे लगाए। प्रकृति को सहेजने लोग इतने उत्साह से आगे आते हैं तो इस दिशा में अच्छा कार्य करने का हमारा उत्साह दोगुना हो जाता है।
उल्लेखनीय है कि इस योजना अंतर्गत 44 किमी रास्तों में चौवालीस हजार पौधे प्रमुख सड़कों पर रोपे गए हैं। इसमें खूबसूरत बात यह है कि इनमें केवल एक तरह के पौधे नहीं है जो आम तौर पर सड़क किनारे वृक्षारोपण में किये जाते हैं और पूरे माहौल में एकरसता सी आ जाती है। इसमें सत्रह प्रजाति के पौधे लगाए जा रहे हैं। इनमें बरगद और पीपल जैसे विशाल पेड़ों के पौधे रोपे गए हैं जो दीर्घजीवी होते हैं और ढेर सारा आक्सीजन भी देते हैं और भारतीय परंपरा में जिनका विशेष महत्व है। इसके साथ ही आम, जामुन और इमली जैसे पेड़ों के पौधे लगाए गए हैं। यह फलदार पौधे छायादार और पथिकों के लिए भी उपयोगी होंगे। अर्जुन जैसा मेडिसिनल प्लांट भी लगाया गया है और हर्रा, बहेड़ा तथा आंवला जैसे मेडिसिनल प्लांट भी लगाए गए हैं।
उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्देश पर जिले में बड़े पैमाने पर पौधरोपण का कार्य किया जा रहा है। मातृछाया पथ वृक्षारोपण के लिए व्यापक स्तर पर पौधरोपण किए गए हैं। पौधरोपण के साथ ही इन्हें सहेजने की भी पूरी व्यवस्था की जा रही है। इस अवसर पर मातृछाया पथ लोकार्पण स्थल पर भी अतिथियों ने पौधे रोपे। इस मौके पर मुख्य सचिव आरपी मंडल, पीसीसीएफ राकेश चतुर्वेदी, अपर मुख्य सचिव सुब्रत साहू , कृषि उत्पादन आयुक्त श्रीमती एम गीता, प्रमुख सचिव वन मनोज पिंगुवा,मुख्यमंत्री के सचिव सिद्धार्थ कोमल परदेशी, आईजी विवेकानंद सिन्हा, अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक वी श्रीनिवास राव, वन संरक्षक श्रीमती शालिनी रैना, संचालक कृषि नीलेश क्षीरसागर, कलेक्टर डॉ. सर्वेश्वर नरेंद्र भुरे, एसपी प्रशांत ठाकुर, डीएफओ केआर बढ़ाई, जिला पंचायत सीईओ सच्चिदानंद आलोक सहित अन्य अधिकारी मौजूद थे।
इस मौके पर विधायक भिलाई देवेंद्र यादव, खनिज विकास निगम के चेयरमैन गिरीश देवांगन, पूर्व विधायक प्रदीप चौबे, जिला पंचायत उपाध्यक्ष अशोक साहू एवं जनप्रतिनिधिगण मौजूद थे।
*पिछले साल खारून के किनारे लगाए गए थे पौधे-*
पिछले साल वन विभाग द्वारा खारून नदी के किनारे पौधे लगाए गए थे। नदी के कटाव को रोकने, तटबंध को मजबूत करने के लिए ऐसे पौधों का प्लांटेशन किया गया था जो मिट्टी की पकड़ को मजबूत करते हैं। नदी तट में प्लांटेशन से नदियों में पानी का स्तर भी बढ़ता है क्योंकि मिट्टी अधिक जल संरक्षण कर रखती है। यह ऐसा काम है जिसके दीर्घकालीन अच्छे नतीजे निकलते हैं।
*ऐसा निवेश जो भविष्य के लिए बेहद उपयोगी-*
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सरकार द्वारा ऐसी योजनाओं पर काम हो रहा है जो इस पीढ़ी को ही नहीं, अगली कई पीढ़ियों के लिए उपयोगी साबित होंगे। मिट्टी की ऊर्वरता को बढ़ावा देने के लिए उन्होंने गोधन न्याय योजना आरंभ की जिससे गोबर खरीद कर कंपोस्ट खाद के माध्यम से जैविक खेती की दिशा में बड़ा काम होगा। व्यापक पौधरोपण के माध्यम से मिट्टी का संरक्षण तो होगा ही। भूमिगत जल का स्तर भी बढ़ेगा।
*इन रास्तों में हुआ पौधरोपण-*
मड़ियापार से हिर्री, अमलेश्वर से झीट, पाटन सिकोला तुलसी मार्ग, भिलाई 3 से तर्रा, खुड़मुड़ी-झीट-मोतीपुर, पाटन-रानीतराई-जामगांव आर, सेलूद जामगांव आर, गाड़ाडीह से फुण्डा, बोरसी से उतई, मोतीपुर-जामगांव-लोहरसी, खर्रा से बरबसपुर, पाटन-मोतीपुर मुख्य मार्ग से सिपकोन्हा, बीजाभाठ से सुरपा, पाटन-मोतीपुर मुख्य मार्ग से ठकुराइनटोला, फुण्डा नहर से अरसनारा, सिकोला से सोनपुर, गुढ़ियारी से कानाकोट, दुर्ग-राजनांदगांव महमरा मुख्य मार्ग, रवेली से राखी और मानिकचैरी से गोड़पेण्ड्री।
दुर्ग / शौर्यपथ / मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आज पाटन में नवीन आदर्श थाना भवन का लोकार्पण किया। इस अवसर पर उन्होंने रोजनामचा पंजी में थाना भवन शुभारंभ होने उल्लेख करते हुए अपना अभिमत सहित हस्ताक्षर किया। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर थाना परिसर में पौधरोपण भी किया। उन्होंने थाना में पदस्थ स्टॉफ के साथ परिचर्चा कर ईमानदारी पूर्वक कर्तव्य निर्वहन करने को कहा। साथ ही समानता पूर्वक बिना पक्षपात के पीड़ित व्यक्ति को न्याय दिलाने में अपना योगदान देने को कहा। उन्होंने कहा कि जो कोई भी व्यक्ति अपनी किसी समस्या को लेकर थाना आता है उसे त्वरित न्याय मिले इस दिशा में कार्य कर समाज को एक संदेश दिया जाए। आम जनता के मन में पुलिस के प्रति विश्वास जागे इस बात को सदैव स्मरण करते हुए कार्य करें। *महिला रक्षा टीम को 100 नग स्कूटी समर्पित-* मुख्यमंत्री बघेल ने आज पाटन में महिला रक्षा टीम के लिए 100 नग पेट्रोलिंग स्कूटी को महिला पुलिस बल को समर्पित किया। उन्होंने महिला रक्षा टीम को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। यह पेट्रोलिंग हेतु जिले के विभिन्न थानों में भेजी जाएगी। जिससे महिला रक्षा टीम में शामिल महिला पुलिस बल गश्त करने सहित लोगों की मदद के लिए उपयोग करेगी।
रायपुर / शौर्यपथ / हौसले और स्वावलंबन से शारीरिक अक्षमता को भी हराया जा सकता है। जगदलपुर के गंगानगर वार्ड निवासी निवासी दिव्यांग संतोष के इसी हौसले को मुख्यमंत्री युवा स्व-रोजगार का संबल मिला और अब उन्होंने दिव्यांगता को अपने हौसले के सामने विफल कर दिया है। दोनों पैरों से दिव्यांग संतोष कुमार शर्मा ने हिम्मत की और अपने वार्ड में ही किराना दुकान को अपनी आय का जरिया बनाया। छत्तीसगढ़ सरकार ने उन्हें मुख्यमंत्री युवा स्व-रोजगार योजना के तहत प्रशिक्षण और एक लाख का ऋण देकर उनके व्यवसाय को आगे बढ़ाने में सहयोग किया। इससे दिव्यांग संतोष का जीवन आत्मनिर्भर हो गया है। वह खुद के साथ अपने परिवार का भी पालन-पोषण करने में सक्षम बन गए हैं।
संतोष जन्म से एक वर्ष बाद से ही दोनों पैरों से चलने में असमर्थ हो गए। उनकेे पिता श्री रामजुलन मजदूरी कर परिवार का पूरे पालन-पोषण करते थे। उनके परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी। पैसों की तंगी देखते हुए श्री संतोष ने 12 वीं तक शिक्षा प्राप्त करने के बाद 06 हजार की जमा पूंजी से एक किराना दुकान शुरू किया। कम बजट के कारण व्यवसाय कम चलता था। इसी बीच संतोष शर्मा को जिला व्यापार एवं उद्योग केंद्र से संचालित मुख्यमंत्री युवा स्व-रोजगार योजना की जानकारी मिली, उन्होंने उद्योग केंद्र से संपर्क किया। उद्योग अधिकारियों ने उन्हें मार्गदर्शन दिया और उनके निवेदन पर किराना व्यवसाय के लिए ऋण प्रकरण तैयार कर बैंक को प्रेषित किया। बैंक से एक लाख का ऋण स्वीकृत किया गया।
जिला व्यापार एवं उद्योग केंद्र द्वारा संतोष को एक सप्ताह का उद्यमिता प्रशिक्षण भी दिया गया जिससे उन्हें व्यवसाय चलाने संबंधी नई जानकारियां मिली। प्रशिक्षण के बाद योजना के अनुसार उद्योग विभाग ने 15 हजार मार्जिन मनी अनुदान स्वीकृत किया। बैंक द्वारा फरवरी 2020 में उन्हें 01 लाख रूपए का ऋण दिया गया। एक लाख रूपये की लागत से उन्होंने किराना एवं डेली नीड्स का शहर के गीदम रोड़ में प्रारंभ किया। व्यवसाय से अब उन्हें पर्याप्त आय हो रही है। इससे वे बैंक को 26 सौ रूपए की ऋण की किश्त नियमित जमा करते हुए अपने परिवार का भरण पोषण भी कर रहे हैं। युवाओं हेतु स्वरोजगार योजना को लाभकारी बताते हुए श्री संतोष कहते है कि ’काम ढूंढने वाले नहीं, काम देने वाले बनें’।
/ 19 एकड़ में विकसित ऑक्सीजोन में 4 हजार से अधिक पौधे
// शहरवासी अब बीच शहर में शुद्ध आबो-हवा के साथ लेंगे सैर का आनंद
रायपुर / शौर्यपथ / मुख्यमंत्री भूपेश बघेल राजधानी रायपुर के हृदय स्थल में 19 एकड़ में बनाए गए ऑक्सीजोन का आज लोकार्पण किया। करीब 11 करोड़ की लागत से बने इस ऑक्सीजोन से नगरवासी अब बीच शहर में शुद्ध आबो-हवा के साथ सैर और भ्रमण का भरपूर आनंद उठा सकेंगे। यह नगर के रौनक के साथ ही पर्यावरण संरक्षण में अहम भूमिका निभाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि शहर की हरियाली बढ़ाने की दिशा में ऑक्सीजोन एक महत्वपूर्ण कदम है। लोकार्पण के अवसर पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने यहां सफेद चंदन का पौधा लगाया।
कलेक्टोरेट परिसर के समीप बनाए गए इस ऑक्सीजोन में 12 एकड़ में अब तक 4 करोड़ रूपए की राशि व्यय कर 75 प्रजातियों के 4 हजार से अधिक पेड़-पौधे लगाए गए हैं। इस ऑक्सीजोन के बनने से शहर के पर्यावरण में सुधार के साथ ही युवाओं, बुजुर्गो बच्चों सहित शहरवासियों को सुबह-शाम सैर और मनोरंजन के लिए बेहतर स्थान मिलेगा। इस अवसर पर वन मंत्री मोहम्मद अकबर, नगरीय प्रशासन मंत्री डॉ. शिव कुमार डहरिया, राज्यसभा सांसद श्रीमती छाया वर्मा, नगर निगम रायपुर के महापौर एजाज ढेबर, रायपुर उत्तर के विधायक कुलदीप सिंह जुनेजा सहित जनप्रतिनिधिगण उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर कहा है कि शहरों में भी ज्यादा से ज्यादा हरियाली हो। यह राज्य सरकार का प्रयास है। रायपुर का ऑक्सीजोन इस दिशा में उठाया गया एक महत्वपूर्ण कदम है। हमें सबकी भागीदारी से ऑक्सीजोन की हरियाली को बनाए रखना होगा। उन्होंने कहा कि रायपुर शहर के लोगों को लंबे समय से ऑक्सीजोन की प्रतिक्षा थी। आज उनका यह इंतजार पूरा हुआ। ऑक्सीजोन सुबह और शाम की सैर करने वालों के लिए एक बहुत बढिय़ा स्थान है। ऑक्सीजोन में प्रदेश के वनों में पाये जाने वाली वृक्षों की प्रजातियों के पौधे भी रोपे गए हैं। पुराने वृक्षों को बचाकर रखा गया है। बरसात में वन विभाग द्वारा पूरे प्रदेश में बड़े पैमाने में वृक्षारोपण किया जा रहा है। जो लोग घर में पौधे लगाना चाहते हैं उनकों घर पहुंचाकर पौधे दिए जा रहे हैं। नदी, नालों के किनारे खाली जगह पर भी वृक्षारोपण किया जा रहा है।
ऑक्सीजोन में बच्चों के खेलने के लिए झूले, फिसलपट्टी और ओपन एयर जिम के उपकरण लगाए गए हैं। ऑक्सीजोन में पौधरोपण और संरक्षण के प्रयासों के कारण एक वर्ष में ही यहां हरियाली दिखने लगी है और पक्षी तथा तितलियां बड़ी संख्या में अपना बसेरा बनाने लगे हैं। इसकी सुन्दरता और हरीतिमा देखते ही बनती है। ऑक्सीजोन में लॉन विकसित किए गए हैं और छोटा गुलाब गार्डन भी लगाया गया है।
मॉर्निंग और इविनिंग वाक के लिए ऑक्सीजोन में 3 किलोमीटर से अधिक लम्बाई में पाथवे और पगड़ंडियां तैयार की गई हैं। इसके अलावा यहां दो वाटर बॉडी है, जिसमें से एक प्राकृतिक और दूसरी निर्मित की गई है। वर्षा का सारा पानी चैनल से होकर इसमें इकठ्ठा होता है और इससे पौधों की सिंचाई की व्यवस्था की गई है। यहां एक प्राकृतिक वाटर फॉल भी बनाया गया है, जो रात में लाईट्स में बड़ा सुन्दर दिखता है। यहां बांस निर्मित 8 पगौडा बनाए गए हैं और जगह-जगह छोटी चट्टानों और पत्थरों से संरचनाएं भी तैयार की गई है। युवाओं के लिए आकर्षक सेल्फी जोन भी बनाया गया है।
ऑक्सीजोन में आम, जामुन, सीताफल, आंवला तथा अमरूद जैसे फलदार वृक्ष और तितलियों को आकर्षित करने के लिए जारूल, अमलतास, कचनार, मौलश्री, आकाशनीम जैसे फूलदार पौधे लगाए गए हैं। यहां 503 पुराने वृक्षों को संरक्षित किया गया है और पार्किंग पाथवे वाटर बॉडी में आने वाले पेड़ों को भी नहीं काटा गया है। इस अवसर पर मुख्य सचिव आर. पी. मण्डल, मुख्यमंत्री के अपर मुख्य सचिव सुब्रत साहू, कमिश्नर जी. आर. चुरेन्द्र, कलेक्टर डॉ. एस. भारतीदासन, प्रधान मुख्य वन संरक्षक राकेश चतुर्वेदी, छत्तीसगढ़ राज्य वन विकास निगम के पीसीसीएफ राजेश गोवर्धन, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अजय यादव और आयुक्त नगर निगम रायपुर सौरभ कुमार सहित अन्य विभागीय अधिकारी उपस्थित थे।
रायपुर / शौर्यपथ / मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राज्य शासन के अधिकारी-कर्मचारियों को बड़ी राहत दी है। कोरोना संकट के कारण राज्य शासन के अधिकारी एवं कर्मचारियों की वार्षिक वेतनवृद्धि विलंबित की गई थी, जिसे बहाल करने के निर्देश मुख्यमंत्री ने दिए हैं। मुख्यमंत्री ने कहा है कि राज्य शासन के अधिकारियों-कर्मचारियों को जिन्हें एक जुलाई को वेतनवृद्धि मिलती हैै। उन्हें वेतनवृद्धि एक जुलाई को ही मिलेगी, परन्तु जुलाई से दिसम्बर माह तक की वेतनवृद्धि की एरियर्स राशि का भुगतान आगामी जनवरी माह में एकमुश्त किया जाएगा। इसी प्रकार जिन अधिकारी-कर्मचारियों की वेतनवृद्धि एक जनवरी को लगती है, उनको एक जनवरी को ही वेतनवृद्धि मिलेगी और उनकी एरियर्स राशि का भुगतान छह माह बाद आगामी जुलाई माह में किया जाएगा।
गौरतलब है कि कोरोना संकट काल में राज्य की वित्तीय व्यवस्था को देखते हुए वित्त विभाग द्वारा अधिकारी-कर्मचारियों की वार्षिक वेतनवृद्धि को आगामी आदेश तक विलंबित किया गया था। मुख्यमंत्री से आज यहां उनके निवास कार्यालय में छत्तीसगढ़ कर्मचारी-अधिकारी फेडरेशन के प्रतिनिधि मंडल ने प्रांतीय संयोजक कमल वर्मा के नेतृत्व में सौजन्य मुलाकात की और उनसे अधिकारी-कर्मचारियों को निर्धारित तिथि पर वेतनवृद्धि देने का आग्रह किया। मुख्यमंत्री ने कर्मचारी संगठनों की इस मांग पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करते हुए वेतनवृद्धि निर्धारित तिथि पर ही देने और इसकी एरियर्स राशि का भुगतान छह माह बाद करने पर अपनी सहमति प्रदान की है। इस अवसर पर वित्त विभाग के अपर मुख्य सचिव अमिताभ जैन उपस्थित थे।
रायपुर / शौर्यपथ / मुख्यमंत्री बघेल ने इंस्टीट्यूट आफ चार्टर्ड एकाउंटेंटस ऑफ इंडिया से जुड़े देशभर के सीए से ग्राम पंचायतों और नगरीय प्रशासन के काम काज में कसावट और वित्तीय प्रबंधन को मजबूत बनाने के लिए सहयोग का आव्हान किया है। उन्होंने कहा है कि छत्तीसगढ़ में बहुत सी वनोपज हैं जिनकी पैदावार देश के अन्य हिस्सों में नहीं होती है। वर्तमान में इन वनोपजों के संग्रहण के बाद इनका प्रसंस्करण छतीसगढ़ के बाहर होता है। यदि इंस्टीट्यूट आफ चार्टर्ड एकाउंटेंटस ऑफ इंडिया इनके प्रसंकरण के लिए निवेश छत्तीसगढ़ में लाने की पहल करते हैं तो इससे प्रदेश के उत्पादकों और संग्राहकों को लाभ मिलेगा और इनका निर्यात अन्य हिस्सों में करने से वहां की आवश्यकता की पूर्ति भी होगी। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने आज अपने निवास कार्यालय से इंस्टीट्यूट आफ चार्टर्ड एकाउंटेंटस ऑफ इंडिया द्वारा ‘रिसर्जेट छत्तीसगढ़‘ विषय पर आयोजित वेबिनार में देशभर के चार्टर्ड एकाउंटेंट्स को सम्बोधित किया। उन्होंने सभी को आगामी एक जुलाई को सीए दिवस की अग्रिम शुभकामनाएं दी।
मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर आईसीएआई की रायपुर शाखा को नया रायपुर में छत्तीसगढ़ के विद्यार्थियों के लिए सीए की कोचिंग इंस्टीट्यूट और कार्यालय भवन के लिए जमीन उपलब्ध कराने की घोषणा की। उन्होंने इस अवसर पर वेबीनार की ई-स्मारिका का विमोचन भी किया।
मुख्यमंत्री बघेल ने आईसीएआई द्वारा छत्तीसगढ़ के एक हजार उद्यमियों को निर्यात के लिए तैयार करने में सहयोग के प्रस्ताव का स्वागत करते हुए इसके लिए सहमति प्रदान की। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ के हर गांव में गौठान और चारागाह विकसित किए जा रहे हैं। इनमें एक एकड भूमि महिला स्व सहायता समूहों की आर्थिक और व्यावसायिक गतिविधियों के लिए आरक्षित की गई है। आईसीएआई उद्योगपतियों और महिला समूहों से टाईअप कर वहां अपनी आवश्यकतानुसार निर्धारित गुणवत्ता की सामग्रियां तैयार कराकर उन्हें अपने ब्रांड में बेच सकते हैं। इस काम के लिए महिला समूहों को लाभांश का हिस्सा देकर उन्हें आमदनी का जरिया उपलब्ध कराने में मदद कर सकते हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ में औद्योगिक और व्यावसायिक गतिविधियों के लिए अनुकूल वातावरण है। यहां कुशल और अकुशल श्रमिक, भूमि, जल और विद्युत उपलब्ध है। राज्य सरकार की नई औद्योगिक नीति की विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि कोलकता, सूरत और मुम्बई के बाद रायपुर में बड़ा जेम्स एण्ड ज्वेलरी पार्क बनाया जा रहा है। उन्होंने इस अवसर पर सुराजी गांव योजना, राजीव गांधी किसान न्याय योजना, गोधन न्याय योजना, लघुवनोपज संग्रहण, मनरेगा सहित कोविड नियंत्रण तथा लॉकडाउन में कृषि और उद्योगो तथा व्यापारिक गतिविधियों को प्रोत्साहित करने के लिए किए गए प्रयासों की जानकारी दी। मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछले साल हमारा यह अनुभव रहा है कि किसान, वनवासियों की जेब में पैसा डालने से छत्तीसगढ़ वैश्विक मंदी से अछूता रहा है। इस साल भी हमने राजीव गांधी किसान न्याय योजना के तहत किसानों को 5750 करोड़ रूपए की राशि दे रहे है। इसी प्रकार सर्वाधिक कीमत में तेन्दूपत्ता की खरीदी कर रहे है। इसके साथ ही राज्य में 31 लघुवनोपजों की खरीदी समर्थन मूल्य पर की जा रही है। इसका असर बाजार में देखने को मिला। छत्तीसगढ़ में 3 हजार ट्रेक्टर बिके, कंपनियां मांग के अनुसार ट्रेक्टर की आपूर्ति नही कर पा रहीं है। आईसीएआई के राष्ट्रीय अघ्यक्ष श्री अतुल गुप्ता ने कहा कि उनका संगठन राज्य सरकार को हर सहयोग देने के लिए तैयार है। उन्होंने नगरीय निकार्यों में नए रेवेन्यू जनरेट करने में सहयोग करने, पंचायतों के मेनेजमेंट, स्नातक के बाद छात्रों को सीए के मार्गदर्शन में तीन साल गहन प्रशिक्षण जैसे कार्य संचालित करने में राज्य सरकार के साथ सहयोग का प्रस्ताव दिया।
इस वेबीनार में देशभर के चार्टर्ड अकाउंटेंट्स शामिल हुए। उद्योग विभाग के प्रमुख सचिव मनोज कुमार पिंगुआ और लघु वनोपज संघ के एमडी संजय शुक्ला, आईसीएआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष अतुल गुप्ता और पब्लिक व गवर्नमेंट फाइनेंसियल मैनेजमेंट कमेटी के अध्यक्ष धीरज खंडेलवाल सहित अनेक पदाधिकारी इस कार्यक्रम में जुड़े। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स की रायपुर शाखा के अध्यक्ष सीए किशोर बरड़िया और सचिव रवि ग्वालानी मुख्यमंत्री निवास में उपस्थित थे। वेबिनार में छत्तीसगढ़ चेम्बर्स ऑफ कामर्स, कैट और उरला इंडस्ट्रिज एसोसिएशन के पदाधिकारी भी जुड़े।
भिलाई / शौर्यपथ / भिलाईनगर विधायक व महापौर देवेंद्र यादव ने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार लगातार किसान के हित के लिए काम कर रही है। इसी कड़ी में प्रदेश के किसान और गोपालकों के हित और विकास के लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सरकार ने एक और अहम फैसला लिया है। प्रदेश सरकार 21 जुलाई को हरेली त्योहार के दिन गोधन न्याय योजना की शुरूआत करने वाली है। सरकार की यह योजना ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में मील का पत्थर साबित होगी। गो पालकों और किसानों को आत्मनिर्भर बनाने उनके हित और विकास के साथ ही जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए सीएम श्री भूपेश बघेल जी ने यह योजना बनाई है।
इसके लिए भिलाई नगर विधायक व महापौर देवेंद्र यादव ने सीएम बघेल का दिल से आभार जताया है। विधायक व महापौर देवेंद्र यादव ने प्रदेश सरकार का दिल से आभार जताते हुए आगे कहा कि प्रदेश सरकार जिस तेजी से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए जिस तरह से काम कर रही है। उससे आने वाले समय पर किसानों को बड़ा लाभ मिलेगा। किसान और गोपालक गोबर बेच कर अच्छी आय कमा पाएंगे साथ ही सीएम जैविक खेती की ओर किसानों को अग्रसर कर रहे हैं। मुख्यमंत्री बघेल की दूरदर्शिता,बेहतर प्लानिंग किसानों और गोपालाकों को आत्मनिर्भर बनाएंगी।
गोधन न्याय योजना के तहत सरकार अब गोपालकों से गोबर खरीदेगी। इसका इस्तेमाल एक ओर जहां सड़क पर आवारा घूम रहे पशुओं को रोकने में होगा, वहीं गोबर से वर्मी कंपोस्ट खाद बनाई जाएगी। इसे बाद में किसानों, वन विभाग और उद्यानिकी विभाग को दिया जाएगा। गोबर खरीदी की शुरुआत गोधन न्याय योजना के तहत सरकार 21 जुलाई को हरेली त्योहार के दिन से करेगी। छत्तीसगढ़ देश का पहला राज्य होगा जो गोबर की खरीद करेगा। जब सरकार खुद गोबर की खरीदी करेगी तो किसान गो पालन की ओर अग्रसर होंगे। किसान पशुपालन करने लगेंगे तो जाहिर सी बात ही है कि दूध, दही, धी का उत्पादन बढ़ेगा। इससे भी किसानों का आय बढ़ेगा। जैविक खेती से किसान कम खर्च में गाय के गोबर से ही खाद बनाकर उपयोग करेंगे। इससे रसायनिक खाद का उपयोग घटेगा औैर खेती का खर्च भी कम होगा। साथ ही उत्पादन बढऩे के साथ ही बिना रसायिक खाद वाले पौष्टिक धान , सब्जी आदि का उत्पान होगा। जिससे स्वास्थ्य भी बेहतर होगा।
// हरेली पर्व से होगी इस अभिनव योजना की शुरूआत: मुख्यमंत्री भूपेश बघेल
// गौ-पालन और गोबर प्रबंधन से पशुपालकों को होगा लाभ , गांवों में रोजगार और अतिरिक्त आय के अवसर बढ़ेंगे
// निर्धारित दर पर होगी गोबर की खरीदी, सहकारी समितियों से बिकेगी वर्मी कम्पोस्ट
// गोबर की खरीदी की दर तय करने पांच सदस्यीय मंत्री मण्डल की उप समिति गठित
// गोबर प्रबंधन की पूरी प्रक्रिया का निर्धारण करेगी मुख्य सचिव की अध्यक्षता में सचिवों की कमेटी
रायपुर / शौर्यपथ / मुख्यमंत्री ने छत्तीसगढ़ राज्य में गौ-पालन को आर्थिक रूप से लाभदायी बनाने तथा खुले में चराई की रोकथाम तथा सड़कों एवं शहरों में जहां-तहां आवारा घुमते पशुओं के प्रबंधन एवं पर्यावरण की रक्षा के लिए छत्तीसगढ़ राज्य में गोधन न्याय योजना शुरू करने का एलान किया है। इस योजना की शुरूआत राज्य में हरेली पर्व के शुभ दिन से होगी। मुख्यमंत्री बघेल ने आज अपने निवास कार्यालय के सभा कक्ष में ऑनलाईन प्रेस कॉन्फ्रेंस में राज्य सरकार की इस अभिनव योजना की जानकारी दी।
मुख्यमंत्री ने गोधन न्याय योजना के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि इस योजना का उद्देश्य प्रदेश में गौपालन को बढ़ावा देने के साथ ही उनकी सुरक्षा और उसके माध्यम से पशुपालकों को आर्थिक रूप से लाभ पहुंचाना है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार ने बीते डेढ़ सालों में छत्तीसगढ़ की चार चिन्हारी नरवा, गरूवा, घुरूवा, बाड़ी के माध्यम से राज्य की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करने चारों चिन्हारियों को बढ़ावा देने का प्रयास किया है। गांवों में पशुधन के संरक्षण और संवर्धन के लिए गौठानों का निर्माण किया गया है। राज्य के 2200 गांवों में गौठानों का निर्माण हो चुका है और 2800 गांवों में गौठानों का निर्माण किया जा रहा है। आने वाले दो-तीन महीने में लगभग 5 हजार गांवों में गौठान बन जाएंगे। इन गौठानों को हम आजीविका केन्द्र के रूप में विकसित कर रहे हैं। यहां बड़ी मात्रा में वर्मी कम्पोस्ट का निर्माण भी महिला स्व-सहायता समूहों के माध्यम से शुरू किया गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि गोधन न्याय योजना राज्य के पशुपालकों के आर्थिक हितों के संरक्षण की एक अभिनव योजना साबित होगी। उन्होंने कहा कि पशुपालकों से गोबर क्रय करने के लिए दर निर्धारित की जाएगी। दर के निर्धारण के लिए कृषि एवं जल संसाधन मंत्री रविन्द्र चौबे की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय मंत्री मण्डलीय उप समिति गठित की गई है। इस समिति में वन मंत्री मोहम्मद अकबर, सहकारिता मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम, नगरीय प्रशासन मंत्री डॉ. शिव कुमार डहरिया, राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल शामिल किए गए हैं। यह मंत्री मण्डलीय समिति राज्य में किसानों, पशुपालकों, गौ-शाला संचालकों एवं बुद्धिजीवियों के सुझावों के अनुसार आठ दिवस में गोबर क्रय का दर निर्धारित करेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि गोबर खरीदी से लेकर उसके वित्तीय प्रबंधन एवं वर्मी कम्पोस्ट के उत्पादन से लेकर उसके विक्रय तक की प्रक्रिया के निर्धारण के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में प्रमुख सचिवों एवं सचिवों की एक कमेटी गठित की गई है। उन्होंने कहा कि राज्य में हरेली पर्व से पशुपालकों एवं किसानों से गोबर निर्धारित दर पर क्रय किए जाने की शुरूआत होगी। यह योजना राज्य में अर्थव्यवस्था के दृष्टिकोण से एवं ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण साबित होगी और इसके दूरगामी परिणाम होंगे। इसके माध्यम से गांवों में रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। मुख्यमंत्री ने किसानों, पशुपालकों एवं बुद्धिजीवियों से राज्य में गोबर खरीदी के दर निर्धारण के संबंध में सुझाव देने का भी आग्रह किया।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि छत्तीसगढ़ राज्य में खुले में चराई की परंपरा रही है। इससे पशुओं के साथ-साथ किसानों की फसलों का भी नुकसान होता है। शहरों में आवारा घूमने वाले मवेशियों से सड़क दुर्घटनाएं होती है, जिससे जान-माल दोनों का नुकसान होता है। उन्होंने कहा कि गाय पालक दूध निकालने के बाद उन्हें खुले में छोड़ देते हैं। यह स्थिति इस योजना के लागू होने के बाद से पूरी तरह बदल जाएगी। पशु पालक अपने पशुओं के चारे-पानी का प्रबंध करने के साथ-साथ उन्हें बांधकर रखेंगे, ताकि उन्हें गोबर मिल सके, जिसे वह बेचकर आर्थिक लाभ प्राप्त कर सके। मुख्यमंत्री ने कहा कि शहरों में आवारा घूमते पशुओं की रोकथाम, गोबर क्रय से लेकर इसके जरिए वर्मी खाद के उत्पादन तक की पूरी व्यवस्था नगरीय प्रशासन करेगा।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने पत्रकारों के प्रश्नों का उत्तर देते हुए कहा कि इस योजना को पूरी तरह से आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के आधार पर तैयार किया गया है। इससे अतिरिक्त आमदनी सृजित होगी। रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। इस योजना के क्रियान्वयन के लिए पूरा एक सिस्टम काम करेगा। एक सवाल का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्मी कम्पोस्ट के जरिए हम जैविक खेती की ओर बढेंगे। इसका बहुत बड़ा मार्केट उपलब्ध है। उन्होंने कहा कि गोधन न्याय योजना के माध्यम से तैयार होने वाली वर्मी कम्पोस्ट खाद की बिक्री सहकारी समितियों के माध्यम से होगी। राज्य में किसानों के साथ-साथ वन विभाग, कृषि, उद्यानिकी, नगरीय प्रशासन विभाग को पौधरोपण एवं उद्यानिकी की खेती के समय बड़ी मात्रा में खाद की आवश्यकता होती है। इसकी आपूर्ति इस योजना के माध्यम से उत्पादित खाद से हो सकेगी। मुख्यमंत्री ने एक सवाल के जवाब में आगे यह भी कहा कि अतिरिक्त जैविक खाद की मार्केटिंग की व्यवस्था भी सरकार करेगी।
इस अवसर पर कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे, गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू, वन मंत्री मोहम्मद अकबर, सहकारिता मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम, नगरीय प्रशासन मंत्री डॉ. शिव कुमार डहरिया, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री गुरू रूद्र कुमार, राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल, मुख्यमंत्री के पंचायत एवं ग्रामीण विकास सलाहकारप्रदीप शर्मा, मीडिया सलाहकार रूचिर गर्ग, मुख्य सचिव आर. पी. मण्डल, अपर मुख्य सचिव वित्त अमिताभ जैन, मुख्यमंत्री के अपर मुख्य सचिव सुब्रत साहू, मुख्यमंत्री के सचिव सिद्धार्थ कोमल सिंह परदेशी, कृषि उत्पादन आयुक्त डॉ. एम. गीता सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
रायपुर / शौर्यपथ / मुख्यमंत्री बघेल ने प्रदेशवासियों को रथयात्रा की बधाई और शुभकामनाएं दी है। उन्होंने इस अवसर पर भगवान जगन्नाथ से सभी नागरिकों की सुख, समृद्धि और खुशहाली की प्रार्थना की है। श्री बघेल ने आज यहां रथयात्रा की पूर्वसंध्या पर जारी अपने बधाई संदेश में कहा है कि भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा सौहार्द, भाई-चारे और एकता का प्रतीक मानी जाती है। पूरे देश में हर साल भक्ति-भाव और उत्साह से रथयात्रा का आयोजन किया जाता है और हजारों लोग इसमें शामिल होते हैं। छत्तीसगढ़ से लगे उड़ीसा राज्य के पुरी में भगवान जगन्नाथ का धाम है। पड़ोसी राज्य होने के कारण प्राचीन काल से ही छत्तीसगढ़वासियों की भगवान जगन्नाथ में गहरी आस्था और जुड़ाव रहा है। मुख्यमंत्री ने कोरोना संक्रमण को देखते हुए लोगों से अपील की है कि लोग एक जगह भीड़ लगाने से बचें। भगवान जगन्नाथ की आराधना सोशल डिस्टेंसिंग और संक्रमण से बचाव के लिए जारी दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए करें।
दुर्ग / शौर्यपथ / शहर में वर्षों से नजूल भूमि पर अपना आशियाना बनाए बैठे गरीब व मजदूर वर्ग के 950 से अधिक स्लम बस्ती वासियों को शासन की योजना के अंतर्गत कलेक्टर दर से डेढ़ गुना कीमत पर रजिस्ट्री करवा के मालिकाना हक प्राप्त करने का नोटिस जारी किया गया जिसे समझ पाने के आभाव में बस्तियों में भय का माहौल बन गया। अपना आशियाना बचाने सैकड़ों लोगों ने विधायक अरुण वोरा से गुहार लगाई जिसके बाद उन्होंने राजस्व मंत्री जय सिंह अग्रवाल से राजधानी पहुंचकर मामले का निराकरण करवाया। उन्होंने बताया कि शासन ने जनता को राहत देने के उद्देश्य से योजना बनाई है जिसकी सूचना देने हेतु नोटिस दिया गया है ताकि अपने सामथ्र्य के अनुसार लोग काबिज भूमि की रजिस्ट्री करवा सकें व बेदखली के खतरे से हमेशा के लिए निजात पा सकें।
विधायक वोरा ने कहा कि मुख्यमंत्री भपेश बघेल के नेतृत्व में कांग्रेस सरकार उजाडऩे में नहीं बसाने में विश्वास रखती है किसी का भी आशियाना उजाड़ कर उसे बेघर नहीं किया जाएगा शासन की योजना लोगों के लिए अनिवार्य नहीं है अपितु इच्छुक परिवार इसका लाभ प्राप्त कर सकते हैं। मामले का पटाक्षेप होने के पश्चात लोगों ने राहत की सांस ली।
दुर्ग / शौर्यपथ / आज पूरे दुर्ग जिले के ग्रामीण अंचलों में पारंपरिक रोका छेका की रस्म निभाई गई। ग्राम पतोरा में भी इस रस्म का आयोजन हुआ और यह क्षण विशेष रूप से और भी खुशी में बदल गया क्योंकि पूजा के तुरंत पश्चात मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने वीडियो कॉल के माध्यम से यहां के ग्रामीणों से बातचीत की। मुख्यमंत्री ने सरपंच से पूछा कि गायों की पूजा हो गई। आप सभी ने क्या संकल्प ले लिया। आप लोगों के उत्साह को देखकर बहुत खुशी महसूस हो रही है। गौठान को आगे बढ़ाने के लिए गठित समिति के सदस्य सभी ग्रामीण जन उत्साह से जुटे दिख रहे हैं।
रोकाछेका की रस्म को मनाने के लिए आप लोग इतने मेहनत से काम कर रहे हैं। यह बहुत खुशी की बात है रोकाछेका हमारी ग्रामीण संस्कृति की महत्वपूर्ण परंपरा है। इस परंपरा को निभाने के लिए आप लोगों के द्वारा जो यत्न किया गया है। आप लोग इतने उत्साह से जुड़े हैं यह देखकर बहुत अच्छा लग रहा है। सरपंच श्रीमती अंजीता साहू ने मुख्यमंत्री को बताया कि आज हम लोगों ने सभी से मवेशियों को गौठान में ही रखने की शपथ लिवाई है। इसके लिए हम लोगों ने गौठान में पूरी तैयारी कर ली है। पैरा एकत्रित कर लिया है। पैरा काटने की मशीन भी हम लोगों ने रख ली है। मुख्यमंत्री ने कहा कि खरीफ फसल को बचाने के लिए रोकाछेका बहुत जरूरी परंपरा है। पहले गांव के सभी लोग ऐसे ही संकल्प लेते थे और उसके बाद फसल की रक्षा होती थी।
मुख्यमंत्री ने गांव के वरिष्ठ जनप्रतिनिधि अश्विनी साहू से भी चर्चा की। अश्विनी साहू ने बताया कि गांव में रोकाछेका के लिए दो.तीन दिनों से तैयारी की जा रही थी। सभी को रोकाछेका के दिन सामूहिक शपथ लेने के लिए प्रेरित किया गया है। सभी उत्साह से शपथ लेने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इसके अलावा गौठान में भी खरीफ फसल के लिए मवेशियों को रखने के लिए आवश्यक तैयारियां कर ली गई है। श्री साहू ने गौठान की व्यवस्था के संबंध में भी जानकारी मुख्यमंत्री को दी। मुख्यमंत्री ने इस मौके पर पहाटिया से भी बात की। उन्होंने कहा कि पहाटिया लोगों के अच्छे कार्य की वजह से ही गौठान आगे बढ़ रहा है।
शासन ने गौठान को बढ़ावा देने के लिए रोकाछेका के अवसर पर महत्वपूर्ण घोषणाएं भी की है। उन्होंने गांव वालों को खरीफ फसल की शुभकामनाएं भी दी। इस मौके पर कलेक्टर डॉ सर्वेश्वर नरेंद्र भूरे भी उपस्थित रहे। इस मौके पर मुख्यमंत्री के ओएसडी आशीष वर्मा, एसडीएम विनय पोयाम, सीईओ मनीष साहू सहित अन्य अधिकारी एवं जनप्रतिनिधि मौजूद थे।