October 22, 2024
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व्रत त्यौहार /शौर्यपथ / संतान की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए हर साल कार्तिक कृष्ण पक्ष अष्टमी के दिन अहोई अष्टमी का व्रत किया जाता है. इस दिन माएं अपने बच्चों की लंबी उम्र और स्वास्थ्य के लिए व्रत करती हैं और अहोई माता की पूजा करती हैं. करवाचौथ के चार दिन बाद पड़ने वाला अहोई अष्टमी के व्रत का पारण तारों को देखकर किया जाता है. चलिए जानते हैं कि इस साल अहोई अष्टमी का व्रत किस दिन पड़ रहा है और इसका महत्व और पूजा का शुभ समय क्या है.
कब है अहोई अष्टमी |
इस साल अहोई अष्टमी का व्रत 24 अक्टूबर को रखा जाएगा. कार्तिक माह की कृष्ण अष्टमी तिथि 24 अक्टूबर 2024 को सुबह 01:18 मिनट पर शुरु हो रही है. अष्टमी की तिथि अगले दिन यानी 25 अक्तूबर को सुबह 1 बजकर 58 मिनट पर समाप्त हो रही है. इस तरह अहोई अष्टमी का व्रत 24 अक्टूबर को रखा जाएगा. अहोई अष्टमी की पूजा  का शुभ समय सायंकाल को 5 बजकर 42 मिनट से 6 बजकर 59 मिनट तक रहेगा. इस तरह महिलाओं के पास पूजा के लिए 1 घंटा 17 मिनट का समय रहेगा. इस दिन तारों को देखकर व्रत खोला जाता है, इसलिए तारों को देखने का समय 6 बजकर 6 मिनट से आरंभ हो रहा है. कुछ महिलाएं इस दिन चंद्रमा के दर्शन करके भी व्रत का पारण करती हैं.
अहोई अष्टमी का महत्व |
अहोई अष्टमी का व्रत संतान की सुख-समृद्धि का परिचायक है. अहोई माता को संतान की रक्षा करने वाली माता के रूप में इस दिन पूजा जाता है. दीपावली से आठ दिन पहले इस दिन माएं अपने बच्चों की सलामती के लिए कठोर उपवास करती हैं. इस दिन अहोई अष्टमी की पूजा की जाती है और कथा सुनी जाती है. अहोई की पूजा में दीवार पर आठ कोष्टक वाली अहोई माता की तस्वीर बनाई जाती है. उनके पास साही और उसके बच्चों की तस्वीर बनाई जाती है. इसके बाद महिलाएं कलश में जल भरकर और हाथ में चावल लेकर अहोई मां की कथा सुनती हैं. इसके बाद अहोई माता को दूध और चावल का भोग लगाया जाता है.

व्रत त्यौहार /शौर्यपथ / कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखा जाता है. अक्टूबर के महीने में आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखा जाएगा. संकष्टी चतुर्थी पर भगवान गणेश  का पूजन होता है. माना जाता है कि जो भक्त भगवान गणेश की पूरे मनोभाव से पूजा-आराधना करते हैं उन्हें लंबी उम्र और अच्छी सेहत का वरदान मिलता है. मान्यतानुसार संकष्टी चतुर्थी के दिन चंद्र देव का भी पूजन किया जाता है. जानिए इस महीने कब रखा जाएगा संकष्टी चतुर्थी का व्रत और किस मुहूर्त में पूजा की जा सकती है संपन्न.
संकष्टी चतुर्थी कब है |
इस साल संकष्टी चतुर्थी की तिथि 20 अक्टूबर की सुबह 6 बजकर 46 मिनट पर शुरू हो रही है और इस तिथि का समापन 21 अक्टूबर की सुबह 4 बजकर 16 मिनट पर हो जाएगा. उदया तिथि के अनुसार, 21 अक्टूबर के दिन ही संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखा जाएगा. इस दिन चंद्रोदय का समय शाम 7 बजकर 54 मिनट बताया जा रहा है.
संकष्टी चतुर्थी के दिन पूजा करने के लिए सुबह उठकर स्नान पश्चात व्रत का संकल्प लिया जाता है. इसके बाद भगवान गणेश का जलाभिषेक करते हैं. फिर भगवान गणेश को पुष्प चढ़ाए जाते हैं और पीला चंदन लगाते हैं. भोग में तिल के लड्डू और मोदक को गणपति बप्पा के समक्ष अर्पित करते हैं. पूजा में वक्रतुण्ड संकष्टी चतुर्थी की कथा पढ़ी जाती है, भगवान गणेश के मंत्र और आरती के बाद पूजा का समापन होता है. शाम के समय चंद्रोदय के बाद चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही व्रत को संपन्न माना जाता है.
भगवान गणेश के मंत्र
गणेश गायत्री मंत्र
ॐ एकदंताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात् ॥
ॐ महाकर्णाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात् ॥
ॐ गजाननाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात् ॥
गणेश मंत्र
ऊँ वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटि समप्रभ ।
निर्विघ्नं कुरू मे देव, सर्व कार्येषु सर्वदा ॥
सिद्धि प्राप्ति हेतु मंत्र
श्री वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटी समप्रभा निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्व-कार्येशु सर्वदा ॥
शुभ लाभ गणेश मंत्र
ॐ श्रीं गं सौभाग्य गणपतये वर्वर्द सर्वजन्म में वषमान्य नम:।।

व्रत त्यौहार /शौर्यपथ /

  करवाचौथ ऐसा दिन है जब महिलाएं सौलह श्रृंगार करती हैं और इसी चलते एक रात पहले हाथों पर मेहंदी लगाई जाती है. कहते हैं मेहंदी जितनी गहरी रचती है पति अपनी पत्नी से प्यार भी उतना ही करते हैं. लेकिन, कई बार काम की व्यसतता के कारण समय से मेहंदी नहीं लगाई जाती या फिर मेहंदी अच्छी नहीं होती जिससे हाथों पर गाढ़ी महरून दिखने के बजाय मेहंदी संतरी नजर आने लगती है. ऐसे में भला रिस्क क्यों लेना. करवाचौथ की मेहंदी लगाने वाली हैं तो पहले ही जान लें कुछ ऐसे हैक्स जिनसे मेहंदी बेहद गाढ़ी रचती है. गाढ़ी मेहंदी रचे हाथ खूबसूरती में चार-चांद लगा देते हैं.
मेहंदी गाढ़ी करने के टिप्स |
चीनी और नींबू का पानी
यह दादी-नानी के समय से चला आ रहा नुस्खा है जिसे औरतें मेहंदी को गाढ़ा करने के लिए आजमाती हैं. आपको करना बस इतना है कि थोड़े पानी में नींबू का रस और हल्की सी चीनी (Sugar) मिलाकर घोल बना लेना है. इस घोल को मेहंदी सूख जाने के बाद रूई की मदद से मेहंदी पर लगाएं. इसके बाद जब मेहंदी खुद ही छूटकर निकलने लगेगी तो आप देख सकेंगी कि मेहंदी बेहद गाढ़ी रची है. अगर नींबू ना हो तो सिर्फ चीनी के रस को भी मेहंदी पर लगा सकते हैं.
लौंग की भाप
मेहंदी वाले हाथों पर लौंग की भाप लगाने से भी मेहंदी का रंग गहरा रचता है. इसके लिए तवा लें और कुछ लौंग  उसके ऊपर डालें. जब लौंग पकने लगेगी तो उससे भाप उठने लगेगी. इस भाप के ऊपर अपने मेहंदी लगे हाथों को रखें. मेहंदी सूखने के बाद भाप लगाएं. इससे मेहंदी का रंग गहरा रचता है.
सरसों का तेल
अगर मेहंदी हटाने के बाद उसका रंग पीला या संतरी नजर आए तो सरसों का तेल (Mustard Oil) लगाया जा सकता है. हाथों पर अच्छे से सरसों के तेल को मलें. इसके बाद कुछ घंटों तक हाथों को पानी से दूर रखें. हाथों पर गहरा रंग चढ़ता नजर आने लगता है. सरसों के तेल के अलावा नारियल के तेल का इस्तेमाल भी किया जा सकता है. आप चाहे तो मेहंदी के लिए अलग से आने वाले तेल को भी लगा सकती हैं.

खाना खजाना /शौर्यपथ /चाट का नाम लेते ही मुंह में पानी आ जाता है. छोटे से लेकर बड़े सभी को चाट खाना पसंद है. भारत में आपको चाट की कई वैराइटी मिल जाएंगी. अगर आपने उत्तर भारत की यात्रा की यह तो आपको जरूर मालूम होगा कि यहां आप कई तरह की चाट रेसिपीज का लुत्फ उठा सकते हैं. समोसा चाट, पापड़ी चाट और पालक पत्ता चाट तक. स्ट्रीट से लेकर रेस्टोरेंट तक में भी आपको ये चाट के आइटम मिल जाएंगे. चाट एक ऐसी डिश है जो डिनर पार्टी से लेकर शादी के अलावा त्योहारों के सेलिब्रेशन तक में खूब पसंद की जाती है. अगर आप भी प्रोटीन से भरपूर चाट की तलाश कर रहे हैं तो आप इस छोले टिक्की चाट को ट्राई कर सकते हैं. तो चलिए बिना किसी देरी के रेसिपी पर चलते हैं.
     सर्दियों के मौसम में चाट खाने का मजा ही अलग होता है. चाट एक पॉपुलर रेसिपी है. आलू टिक्की का स्वाद तो आपने कई बार चखा होगा, मगर पंजाब में मिलने वाली यह छोले टिक्की का स्वाद क्या आपने चखा है. इस चाट रेसिपी में दही या मीठी चटनी की जगह टिक्की को छोले के साथ सर्व किया जाता है.
कैसे बनाएं छोले टिक्की |
छोले टिक्की चाट बनाने के लिए काबुली चने को पूरी रात भिगोए. फिर प्रेशर कुकर में छोले लें, इसमें बड़ी इलाइची, छोटी इलाइची, दालचीनी, हल्दी और नमक डालकर 3 से 4 सीटी आने तक पकाएं. एक पैन में देसी घी गरम करें, इसमें जीरा, हींग, दालचीनी और साबुत धनिया डालकर चटकने दें. इसमें कश्मीरी लाल मिर्च, हल्दी, धनिया पाउडर, छोले मसाला और जीरा पाउडर डालकर कुछ देर पकाएं. तैयार मसाले को उबले हुए छोले में डालकर मिक्स करके पकाएं. इसमें अनारदाना, आमचूर पाउडर डालकर मिला लें. टिक्की बनाने के लिए उबले हुए आलू लें, उसमें कॉर्नफलोर या अरारोट डालें. आप चाहे तो इसमें ब्रेड भी शामिल कर सकते हैं, इससे मिश्रण को अच्छी बाइंडिंग मिलती है. बारीक कटी हुई मिर्च, जीरा पाउडर, कालीमिर्च पाउडर और स्वादानुसार नमक डालकर ​अच्छी तरह मिला लें. तैयार मिश्रण से गोलाकार की टिक्की बना लें और एक पैन में घी गरम करके इन्हें शैलों फ्राई करें. चाट को असेंबल करने के लिए एक प्लेट में टिक्की लगाएं छोले डालें, इस पर हरी चटनी, इमली की चटनी, प्याज, सेव और अनार के दाने डालकर सर्व करें.

सेहत टिप्स /शौर्यपथ / वैसे तो इंटरनेट पर ढेरों वेट लॉस रेसिपी, होम रेमेडी और नुस्खे उपलब्ध हैं जिन्हे फॉलो करके वजन घटाया जा सकता है. उनमें से एक नुस्खा है अदरक और नींबू पानी. जो आपके वजन घटाने में काफी हद तक मदद कर सकता है. दरअसल नींबू के छिलके में एंटीऑक्सीडेंट होता है, विशेष रूप से फ्लेवोनोइड्स जो चयापचय को गति दे सकते हैं और फैट बर्न को बढ़ावा दे सकते हैं. वहीं, अदरक अपने सूजनरोधी गुणों के लिए जाना जाता है, जो पाचन में सहायता करता है और तृप्ति की भावना को बढ़ा सकता है.
कैसे बनाएं नींबू और अदरक पानी
पहला तरीका
अदरक को कद्दूकस कर लें या बारीक काट लें और इसे नींबू के छिलके के साथ पानी में उबाल लीजिए. फिर इसका सेवन करें. इस मिश्रण को तैयार करने का दूसरा तरीका है नींबू के छिलकों और अदरक के टुकड़ों को सुखाकर पीसकर एक एयरटाइट डिब्बे में रखना है. इसके बाद पानी गरम करके 1 चम्मच पाउडर मिक्स करके सुबह पीना है.
दूसरा तरीका
इस ड्रिंक को पीने के और भी फायदे हैं. इससे शरीर अच्छे से डिटॉक्सिफाई होती है. यह पेट से जुड़ी दिक्कतों को कम करता है. नींबू के एंटीऑक्सीडेंट गुण प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करते हैं. आप सुबह में इसको पीते हैं, तो आपको लाभ दोगुने मिल सकते हैं.

 सेहत टिप्स /शौर्यपथ /यूरिक एसिड  का लेवल बढ़ने से जोड़ों में दर्द की परेशानी शुरू हो जाती है. समय रहते इसे कंट्रोल नहीं करने से असर किडनी पर भी पड़ सकता है. यूरिक एसिड से संबंधित समस्या का सीधा संबंध खानपान की आदतों से होता है. आम तौर पर पालक हर घर में बनने वाली सब्जी है और लोगों को काफी पसंद भी होती है. यह ऐसी हरी सब्जी है, जिसे पूरे देश में चाव से खाया जाता है. पालक सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होती है. पालक में भरपूर मात्रा में विटामिन ए और आयरन होता है. सेहतमंद होने के बावजूद कुछ लोगों के लिए पालक नुकसान का कारण हो सकती है. बॉडी में यूरिक एसिड का लेवल बढ़ जाने पर पालक से परेशानी हो सकती है. आइए जानते हैं यूरिड एसिड की समस्या मे पालक  खाने के असर के बारे में विशेषज्ञों की क्या राय है…
इस चीज से समस्या
विशेषज्ञों के अनुसार पालक में भरपूर मात्रा में विटामिन ए, आयरन के साथ-साथ में पोटशियम और फाइबर के अलावा प्यूरिन भी होता है. प्यूरिन से यूरिक एसिड लेवल बढ़ने का खतरा रहता है.
ज्यादा फाइबर
पालक में फाइबर की मात्रा काफी होती है. डाइट में बहुत ज्यादा फाइबर होने से कब्ज, गैस, पेट में दर्द और ब्लोटिंग की परेशानी हो सकती है. ऐसे में पालक को डाइट में सीमित मात्रा में ही शामिल करना चाहिए.
ठीक से साफ करना जरूरी
पालक की पत्तियों पर मिट्टी जमी रहती है. बनाने से पहले पालक को ठीक से साफ करना जरूरी है. मिट्‌टी के बॉडी में जाने से स्टोन की समस्या होने का खतरा होता है. इससे किडनी पर दबाव बढ़ने लगता है जिससे डैमेज होने का खतरा बढ़ सकता है.
किन्हें नहीं खाना चाहिए पालक
विशेषज्ञों के अनुसार जो लोग ब्लड को पतला करने की दवा ले रहे हों और जिन्हें यूरिक एसिड की समस्या हो, उन्हें पालक खाने से बचना चाहिए. ऐसे लोगों को पालक से फायदा के बजाए नुकसान हो सकता है.

रायपुर / शौर्यपथ / महिला आत्म निर्भर हो तो समाज आत्म निर्भर होता है . महिला सशक्तिकरण की दिशा मे साय सरकार लगातार प्रयास क्र रही और सफल हो रही . महिलाओं के उत्थान के लिए साय सरकार द्वारा कई तरह की योजनाओं को जमीनी स्तर पर लाया गया ताकि महिलाए आत्मनिर्भर हो और एक सभी समाज का निर्माण हो . छत्तीसगढ़ का गठन २४ साल पहले देश के तात्कालिक प्रधानमंत्री अटल बिहारी जी के कार्यकाल में हुआ था और आज २४ साल बाद साय सरकार इसे सँवारने की दिशा में महत्तवपूर्ण कदम उठा रही है . जिसके कई उधाहरण आज देखने को मिल जाते है . ऐसा ही एक उदहारण है जो अन्य महिलाओं को प्रेरणा दे रहा है .
   अन्नू साहू के पति बीमार थे और काम नहीं कर पा रहे थे, वहीं अन्नू की घरेलू कामगार के रूप में होने वाली आय उनके परिवार का भरण-पोषण करने के लिए पर्याप्त नहीं थी। जब उनके घर में निराशा का माहौल छाया हुआ था, तब अन्नू ने यह तय किया कि उन्हें किसी अन्य पेशे की ओर रुख करना होगा।  अन्नू छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव की गलियों में अपनी ई-रिक्शा चलाती हैं, लोग उन्हें ध्यान से देखते हैं। हल्की ठंडी हवा और सड़कों के शोर के बीच अन्नू आत्मविश्वास से आगे बढ़ती हैं और पीछे मुड़कर नहीं देखतीं।
  अन्नू ने बारहवीं कक्षा तक की पढ़ाई पूरी करने के बाद घरेलू कामगार के रूप में काम करना शुरू कर दिया था। लेकिन इस काम में पर्याप्त आय नहीं मिल पा रही थी। राजनांदगांव की बस्तियों में, जहां अन्नू रहती थीं, साथी मजदूर अक्सर अपने अनुभव साझा करते थे। अन्नू ध्यान से सुनतीं, अपने परिवार की आर्थिक स्थिति में सुधार के तरीके जानने के लिए हमेशा तत्पर रहती थीं।
 अन्नू के जीवन में एक बड़ा मोड़ तब आया जब उन्होंने श्रम विभाग की दीदी ई-रिक्शा सहायता योजना के बारे में सुना। यह योजना महिलाओं को ई-रिक्शा खरीदने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करके उन्हें आर्थिक स्वावलंबन का अवसर देती है। अन्नू ने इस अवसर को दोनों हाथों से थाम लिया। ज़िला श्रम अधिकारी की मदद से अन्नू ने जल्दी से आवेदन प्रक्रिया पूरी की, आवश्यक दस्तावेज़ जमा किए और अपना आवेदन प्रस्तुत किया। जब उनका आवेदन स्वीकृत हुआ, तो अन्नू ने पहली बार सफलता और आर्थिक स्वतंत्रता का स्वाद चखा।
  ई-रिक्शा ड्राइवर के रूप में काम करके अन्नू ने अपने परिवार के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए एक साहसिक कदम उठाया। जल्द ही उनकी आय नियमित हो गई, और अब वह हर महीने 20 से 25 हजार रुपये कमा रही है। जो उनकी पिछली आय से लगभग चार गुना थी। उन्होंने अपने बच्चों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनकर एक मिसाल कायम की। इससे परिवार की आर्थिक स्थिति में जबरदस्त सुधार हुआ और औसत पारिवारिक आय 40 से 45 हजार रुपये प्रति माह तक पहुंच गई।
  अन्नू की यात्रा सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रमों के महत्व को उजागर करती है। जब इन्हें लचीले और उत्तरदायी तरीके से डिज़ाइन किया जाता है, तो ये योजनाएँ हाशिए पर रहने वाले समुदायों के सामने आने वाले विविध जोखिमों का समाधान कर सकती हैं, स्थायी आजीविका में मदद कर सकती हैं। अन्नू की कहानी इस बात की गवाही है कि लक्षित हस्तक्षेप कैसे व्यक्तियों को उनके जीवन को बदलने और उनके परिवारों के लिए एक उज्जवल भविष्य सुरक्षित करने में सक्षम बना सकते हैं।

जशपुर / शौर्यपथ / मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के सार्थक पहल से जिला प्रशासन के  तहत नव गुरुकुल शिक्षण संस्थान में आर्थिक रूप से कमजोर छात्राओं को नि:शुल्क प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इस योजना का उद्देश्य न केवल शिक्षा का स्तर बढ़ाना है, बल्कि छात्राओं को आत्मनिर्भर बनाना और उन्हें व्यावसायिक कौशल से जोडऩा  है, ताकि वे अपने भविष्य को सशक्त बना सकें।
   यह कार्यक्रम प्रदेश में जशपुर के साथ-साथ रायपुर और दंतेवाड़ा जिला में भी संचालित हैं।  जिला प्रशासन द्वारा छात्रों को सभी सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही है।  छात्राओं को कंप्यूटर सॉफ्टवेयर, फायनेंस, बिजनेस, शिक्षा, और ग्राफिक्स डिज़ाइनिंग जैसे विविध क्षेत्रों में प्रशिक्षण दिया जाता है। इसके अलावा, भाषा ज्ञान और व्यक्तित्व विकास पर अतिरिक्त कक्षाएँ भी आयोजित की जाती हैं, जिससे छात्राओं का समग्र विकास हो सके।
   छात्राओं को नि:शुल्क आवास, प्रशिक्षण, और भोजन की सुविधाएँ प्रदान की जाती हैं। प्रशिक्षण के दौरान लैपटॉप/कंप्यूटर और इंटरनेट की सुविधा भी नि:शुल्क उपलब्ध कराई जाती है, जिससे उन्हें अध्ययन और प्रोजेक्ट्स पर काम करने में मदद मिलती है।
  वर्तमान में, इस कार्यक्रम के तहत जिले की 16 प्रतिभाशाली छात्राएँ विभिन्न क्षेत्रों में प्रशिक्षण प्राप्त कर अन्य राज्यों की प्रमुख कंपनियों में सफलतापूर्वक प्लेसमेंट के लिए चयनित हुई हैं। ये छात्राएँ अब अच्छी आय अर्जित कर रही हैं, जो उनके प्रयासों का जीवंत प्रमाण है। यहाँ पर 150 छात्राओं के लिए  प्रशिक्षण प्रारंभ किया गया है, जिसमें वर्तमान में 60 से अधिक छात्राएं अध्ययनरत हैं।
  मुख्यमंत्री विष्णु देव साय का यह दृष्टिकोण केवल छात्राओं के जीवन में बदलाव लाने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह समाज में भी एक सकारात्मक परिवर्तन की दिशा में प्रेरणा देता है। उनकी सोच ने ना केवल छात्राओं को आत्मनिर्भर बनाया है, बल्कि उन्हें अपने सपनों को साकार करने का अवसर भी प्रदान किया है।
छात्राओं के अनुभव:
  कुमारी प्रतिभा थापा (20), जशपुर नगर की निवासी बताती हैं कि "मेरे परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी, जिससे मुझे पढ़ाई छोडऩी पड़ी। जब मैंने नव गुरुकुल के बारे में सुना, तो मैंने यहाँ फॉर्म भरा और प्रशिक्षण लेने आई। मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि इतने महंगे कोर्स की पढ़ाई मुझे नि:शुल्क मिलेगी। मैंने बिजनेस में 16 महीने का प्रशिक्षण लिया और आज एक निजी कंपनी में क्लाउड सपोर्ट इंजीनियर के पद पर कार्यरत हूँ।"
  कुमारी नेहा चौहान (20), जो जशपुर नगर की हैं, ने बताया, "मेरे पिता एक किसान हैं। जिससे हमारी आमदनी उतनी अच्छी नहीं है कि जिससे मैं बाहर जाकर पढ़ाई कर सकूं। लेकिन इस संस्थान से मुझे बहुत लाभ हुआ है। यहाँ मुझे बिजनेस कोर्स के साथ-साथ भाषा ज्ञान भी मिला, जो मेरे लिए बहुत महत्वपूर्ण है। मैंने 13 महीने प्रशिक्षण लिया है।"
 कुमारी साक्षी सिंह, डुगडुगीया, कुनकुरी की निवासी बताती हैं कि "जब मुझे यहाँ के बारे में पता चला तो फॉर्म भरकर प्रशिक्षण ली। मैंने यहाँ 15 महीने का प्रशिक्षण लिया। आज मुझे बारु साहेब यूनिवर्सिटी, हिमाचल प्रदेश में डेटा एनालिटिक्स एसोसिएट का जॉब मिला है। यह मेरे लिए एक बड़ा अवसर है, क्योंकि मैं पहली बार अपने घर से निकली हूँ। मुझे बहुत अच्छा लग रहा है।"
  लाभार्थी छात्राओं ने मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के प्रति आभार व्यक्त किया है। इस पहल ने न केवल उनके जीवन को बदला है, बल्कि समाज में भी एक सकारात्मक बदलाव लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। इस तरह की योजनाएँ निश्चित रूप से आने वाली पीढिय़ों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेंगी।

छत्तीसगढ़ में स्वच्छता के लिए हो रहे बेहतर कार्य: केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री श्री सी.आर. पाटिल
मुख्यमंत्री एवं केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री ग्राम बरगा में आयोजित स्वच्छता ही सेवा कार्यक्रम में हुए शामिल
मुख्यमंत्री एवं केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री ने 32 करोड़ 7 लाख 60 हजार रूपए के 35 कार्यों का किया भूमिपूजन एवं लोकार्पण
छत्तीसगढ़ को सुंदर एवं स्वच्छ छत्तीसगढ़ बनाएंगे
मुख्यमंत्री एवं केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री ने राजनांदगांव जिले में स्वच्छता की दिशा में किये जा रहे कार्यों की प्रशंसा की
    रायपुर/शौर्यपथ /मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय एवं केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री श्री सीआर पाटिल आज राजनांदगांव विकासखंड के ग्राम बरगा में स्वच्छता ही सेवा कार्यक्रम में शामिल हुए। इस दौरान विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह, उप मुख्यमंत्री श्री विजय शर्मा, सांसद श्री संतोष पाण्डेय विशेष रूप से उपस्थित थे। इस अवसर पर 32 करोड़ 7 लाख 60 हजार रूपए की लागत वाले 35 कार्यों का भूमिपूजन एवं लोकार्पण किया गया। इस अवसर पर शासन की विभिन्न योजनाओं से लाभान्वित होने वाले हितग्राहियों को सामग्री वितरित की गई।
    मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने अपने उद्बोधन में कहा कि पूरे देश में स्वच्छता ही सेवा पखवाड़ा मनाया जा रहा है। भगवान विश्वकर्मा जयंती और प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के जन्मदिन से 17 सितम्बर से महात्मा गांधी की जयंती 2 अक्टूबर तक स्वच्छता ही सेवा पखवाड़ा के रूप में मनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने स्वच्छता को प्रोत्साहित करने हेतु 15 अगस्त 2014 को लाल किले की प्राचीर से सभी को स्वच्छता का संकल्प दिलाया था। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के आव्हान और स्वच्छता अभियान से हम सभी को गली-चौराहे, मोहल्ले, स्कूल, कार्यालय, सार्वजनिक स्थलों को स्वच्छ रखने के लिए प्रेरणा मिली। राजनांदगांव जिले में स्वच्छता की दिशा में बहुत अच्छा कार्य किया जा रहा है। स्वच्छता अभियान ने यहां जनआंदोलन का स्वरूप ले लिया है।
मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि स्वच्छता को हमें अपनी आदत में शामिल करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि धमतरी जिले के ग्राम कोटाभर्री की 106 वर्षीय श्रीमती कुंवर बाई ने बकरी की ब्रिकी कर शौचालय का निर्माण कराया और वे देश एवं प्रदेश के लिए मिसाल बन गई। स्वच्छता के प्रति साधारण गांव की एक महिला ने एक ऐसी जागरूकता दिखाई, जिसका असर ग्रामीण क्षेत्रों पर पड़ा। मुख्यमंत्री ने कहा कि ग्राम बरगा के सरपंच ने भू-जल स्तर को बढ़ाने के लिए तथा जल संरक्षण के लिए किए जा रहे कार्यों की जानकारी दी है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में विकास कार्य तेजी कराए जा रहे हैं। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की गारंटी के प्रति जनसामान्य में जो विश्वास है, उसे पूर्ण करने के लिए सरकार कार्य कर रही है। आज इस कार्यक्रम में 32 करोड़ 7 लाख 60 हजार रूपए के 35 कार्यों का भूमिपूजन एवं लोकार्पण किया गया है। जल जीवन मिशन के तहत हर घर नल से जल पहुंचाने तथा सौभाग्य योजना से हर घर बिजली पहुंचानेे के लिए कार्य किया जा रहा है। उन्होंने लोगों से छत्तीसगढ़ को सुंदर एवं स्वच्छ छत्तीसगढ़ बनाने का संकल्प लेने का आव्हान किया।
    केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री श्री सीआर पाटिल ने कहा कि जल जीवन के लिए महत्वपूर्ण है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की मंशा के अनुरूप देश में कैच द रैन अभियान चलाया जा रहा है। इसके तहत बारिश के पानी को रोक कर भू-जल स्तर को बेहतर बनाने का काम किया जा रहा है। इस अभियान से राजस्थान, मध्यप्रदेश एवं अन्य राज्य भी जुड़े हैं।
केन्द्रीय मंत्री ने ग्राम बरगा में जल संरक्षण तथा जल आपूर्ति के कार्यों की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि जल संरक्षण का यह सामूहिक प्रयास प्रदेश के लिए नया मॉडल बनेगा। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति महात्मा गांधी ने कहा था कि स्वतंत्रता के साथ ही स्वच्छता भी जरूरी है। बापू के सपने को प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने हाथ में झाडू पकड़कर शुरूआत की। देश के लोग स्वच्छता अभियान में सहभागी बनें। सभी ने इसे आदत के तौर पर स्वीकार किया है। अब सभी डस्टबीन में कचरा डालते हैं।
केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के तहत महिलाओं को रसोई के धुएं से मुक्ति दिलाने के लिए निःशुल्क गैस चूल्हा व सिलेण्डर दिया गया। स्वच्छता और सुरक्षा के लिए घर-घर निःशुल्क शौचालय बनाए गए। देश में 10 वर्षों में 11 करोड़ से अधिक शौचालय का निर्माण किया गया। लोगों आदत एवं व्यवहार में स्वच्छता के प्रति सकारात्मक परिवर्तन आया है। पहले डायरिया से बच्चे बीमार होते थे, लेकिन अब स्वच्छता को अपनाने से बच्चों का स्वास्थ्य अच्छा हुआ है। उन्होंने कहा कि नल जल योजना घर-घर पेयजल पहुंचाने का काम किया जा रहा है। उन्होंने राजनांदगांव जिले में स्वच्छता के लिए किए जा रहे कार्यों की प्रशंसा की।
    विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने कहा कि जल ही जीवन है, इस बात को ग्रामीणों से ज्यादा अच्छे से कोई नहीं जानता है। पीने के पानी की चिंता, खेत के पानी के लिए चिंता होती है। इसके लिए जिले में जल संरक्षण के लिए एक अभियान के रूप में कार्य किया जा रहा है। स्वच्छता ही सेवा है। इस संदेश को ग्रहण करते हुए जिले में स्वच्छता के लिए व्यापक तौर पर कार्य किए गए हैं। देश भर में विगत 10 वर्षों में स्वच्छ भारत मिशन अंतर्गत किए जा रहे कार्यों से तस्वीर बदली है।
    उप मुख्यमंत्री एवं पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री श्री विजय शर्मा ने कहा कि मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय सरकार की पहली कैबिनेट बैठक में 18 लाख से अधिक परिवारों के आवास निर्माण की स्वीकृति दी गई थी। पूरे प्रदेश में अब तक 9 लाख 37 हजार प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आवासों के निर्माण के लिए राशि जारी की गई है। 90 हजार प्रधानमंत्री आवासों की स्वीकृति प्रक्रियाधीन है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री द्वारा गांवों को ओडीएफ बनाने का लक्ष्य पूरा कर लिया गया है। अब गांवों को ओडीएफ प्लस बनाने की दिशा में तेजी से प्रयास किया जा रहा है। ओडीएफ के तहत प्रदेश में 36 लाख से अधिक शौचालयों का निर्माण किया गया और 12 लाख से अधिक सामुदायिक शौचालयों का निर्माण हुआ है। उप मुख्यमंत्री ने कहा कि ग्राम बरगा में पहले भू-जल स्तर काफी नीचे चला गया था, अब ग्रामीणों के सामूहिक प्रयासों के फलस्वरूप भू-जल स्तर बढ़ा है। उन्होंने स्वच्छता को जीवन में अपनाने और भू-जल बढ़ाने के लिए हो रहे प्रयासों को जन आंदोलन बनाने का आव्हान किया।
सांसद श्री संतोष पाण्डेय ने कहा कि जल जीवन के लिए आवश्यक है। जल प्रबंधन एवं स्वच्छता के क्षेत्र में हमारा देश आगे बढ़ा है। जनसामान्य में स्वच्छता के प्रति जागरूकता बढ़ी है और घर-घर में शौचालय का निर्माण हुआ है। डबल इंजन की सरकार आने से प्रदेश में विकास कार्यों में तेजी आई है। प्रमुख सचिव पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग श्रीमती निहारिका बारीक ने स्वागत भाषण दिया और राज्य शासन द्वारा स्वच्छ भारत मिशन के लिए किए जा रहे प्रयासों की जानकारी दी।
    कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ शासन द्वारा स्वच्छ भारत मिशन पर वीडियो का प्रस्तुतीकरण दिया गया। इस अवसर पर सूची एप एवं जल प्रबंधन एप की लॉन्चिंग और एफएक्यू बुकलेट एवं एक कदम जल प्रबंधन की ओर बुकलेट का विमोचन किया गया। जिला प्रशासन राजनांदगांव द्वारा स्वच्छता ही सेवा पर वीडियो प्रस्तुतीकरण दिया गया। मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय एवं केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री श्री सीआर पाटिल द्वारा फिक्ल स्लज ट्रीटमेंट प्लांट बघेरा का वीडियो के माध्यम से लोकार्पण किया गया। जिले के विभिन्न विकास कार्यों का वीडियो के माध्यम से भूमिपूजन एवं शिलान्यास किया गया। युवोदय वीडियो लॉन्च एवं कटआउट प्रदर्शन, युवोदय ओडीएफ प्लस पोस्टर लॉन्चिंग, युवोदय बच्चों द्वारा स्वच्छता पर नुक्कड़ नाटक, स्वच्छता में बेहतर प्रयास वाले राजनांदगांव, डोंगरगांव एवं छुरिया विकासखंड का सम्मान किया गया। मुख्यमंत्री एवं केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री ने एक पेड़ माँ के नाम अभियान के तहत पौधरोपण किया। अतिथियों ने शासन की जनकल्याणकारी योजनाओं की जानकारी देने विभिन्न विभागों द्वारा लगाए गए स्टॉल का अवलोकन किया।
    इस अवसर पर जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती गीता साहू, पूर्व सांसद श्री अभिषेक सिंह, पूर्व सांसद श्री मधुसूदन यादव, पूर्व सांसद श्री प्रदीप गांधी, श्री खूबचंद पारख, जिला पंचायत उपाध्यक्ष श्री विक्रांत सिंह, श्री भरत वर्मा, श्री रमेश पटेल सहित अन्य जनप्रतिनिधि, सरपंच बरगा श्री कुमार सोनवानी, संयुक्त सचिव केन्द्रीय जल शक्ति मंत्रालय श्री अशोक मीणा, संभागायुक्त दुर्ग श्री सत्यनारायण राठौर, आईजी श्री दीपक झा, कलेक्टर श्री संजय अग्रवाल, पुलिस अधीक्षक श्री मोहित गर्ग सहित बड़ी संख्या में ग्रामीणजन उपस्थित थे।

व्रत त्यौहार /शौर्यपथ /हम सभी के लिए नवरात्रि का बेहद महत्व है. इस दौरान 9 दिनों तक मां दुर्गा की पूजा-आराधना की जाती है. बहुत से भक्त नवरात्रि का व्रत भी रखते हैं. इस बार शारदीय नवरात्रि  अक्टूबर के महीने में पड़ रही है. इस दौरान घट या कलश स्थापना की जाती है और अगले नौ दिनों तक मां दुर्गा के अलग-अलग रूपों की पूजा-आराधना की जाती है. पूजा के दौरान खास पूजा सामग्री की जरूरत होती है. अगर आप भी नवरात्रि में उपवास करने जा रहे हैं तो यहां जानिए कौन-कौन सा सामान चाहिए होगा.
शारदीय नवरात्रि कब है |
हिंदू पंचांग के अनुसार, इस बार शारदीय नवरात्रि 3 अक्टूबर 2024 से शुरू हो रही है. इसी दिन नवरात्रि के पहले दिन का व्रत रखा जाएगा. माता रानी का घर में स्वागत किया जाएगा. भक्त अगले नौ दिनों तक उन्हें घर में विराजमान करेंगे.
कलश स्थापना की सामग्री
शारदीय नवरात्रि के पहले दिन मां दुर्गा के स्वरूप मां शैलपुत्री की पूजा होती है. नवरात्रि की प्रतिपदा तिथि पर कलश की स्थापना की जाती है. इसके बाद शैलपुत्री माता की आराधना की जाती है. कलश स्थापना के लिए पंचपल्लव या आम की पत्तियों का पल्लव, मिट्टी के बर्तन, जौ, जल, साफ कपड़ा, नारियल, कलावा, रोली, सुपारी, गंगाजल, सिक्का, दूर्वा, गेहूं और अक्षत(चावल), हल्दी, पान के पत्ते और कपूर की जरूरत की जरूरत होती है.
शारदीय नवरात्रि में पूजा सामग्री की लिस्ट
धूप, फूल-फल, पान, लौंग, इलायची, दुर्वा, कपूर, अक्षत, सुपारी, नारियल, कलावा, लाल चुनरी, लाल वस्त्र, लाल चंदन, मां दुर्गा की तस्वीर, घी का दीपक और श्रृंगार का सामान नवरात्रि की पूजा सामग्री में सम्मिलित किया जाता है.
नवरात्रि की शुरुआत में इन बातों का रखें ध्यान
    नवरात्रि की शुरुआत में घर की अच्छी तरह साफ-सफाई करें.
    घर के बाहर मां दुर्गा के स्वागत के लिए रंगोली बनाएं.
    देवी पूजा में सुहाग का सामान रखना न भूलें. जैसे- लाल चुनरी, लाल फूल, कुमकुम, सिंदूर, लाल चूड़ियां, बिंदी, गहने. नवरात्रि के अंतिम दिन किसी जरूरतमंद महिला को ये दान करें.
    दुर्गा मां की पूजा करते समय देवी मंत्र दुं दुर्गायै नमः का जप करें.
    नवरात्रि में देवी मां के साथ छोटी कन्याओं की भी पूजा करें. जरूरतमंद बच्चियों की शिक्षा के लिए धन या अन्य सामान जरूर दें.

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