October 22, 2024
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   व्रत त्यौहार /शौर्यपथ /बिहार के नालंदा में गुरु पद्मसंभव के जीवन और उनकी जीवंत विरासत पर आज यानी 28 अगस्त से दो दिवसीय अंतराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया जाएगा. संस्कृति मंत्रालय ने मंगलवार को यह जानकारी दी. गुरु रिनपोछे नाम से भी प्रसिद्ध गुरु पद्मसंभव आठवीं शताब्दी में प्राचीन भारत में रहते थे. बुद्ध धम्म की सबसे सम्मानित हस्तियों में से एक गुरु पद्मसंभव को हिमालय क्षेत्र में बुद्ध धम्म के प्रसार का श्रेय दिया जाता है.
यह कार्यक्रम नव नालंदा महाविहार के सहयोग से अंतरराष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ की ओर से आयोजित किया जा रहा है.
मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘‘बिहार के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर मुख्य अतिथि के रूप में इस कार्यक्रम की शोभा बढ़ाएंगे. नेपाल में ‘लुंबिनी डेवलपमेंट ट्रस्ट' के उपाध्यक्ष खेनपो चिमेद और रॉयल भूटान मंदिर में ‘सेंट्रल मोनास्टिक बॉडी' भूटान के सचिव खेनपो उगयेन नामग्याल सम्मेलन में सम्मानित अतिथि होंगे.''
बयान में कहा गया कि गुरु रिनपोछे को ‘‘दूसरा बुद्ध'' माना जाता है.

रायपुर / शौर्यपथ / बलौदाबाजार जिले के सुदूर अंचल में स्थित ग्राम बल्दाकछार में निवासरत विशेष पिछड़ी जनजाति कमार महिलाओं के लिए महतारी वंदन योजना बड़ी खुशी लेकर आई है। महतारी वंदन योजना ने यहाँ के बांस शिल्प कला में नई जान डाल दी है। महतारी वंदन योजना से मिले पैसों से यहां की महिलाओं को बांस शिल्प कला को नई पहचान दिलाने का मौका मिल रहा है और उन्हें स्वरोजगार से जुड़कर आर्थिक रूप से सशक्त होने में भी मदद मिल रही है।
  बल्दाकछार के कमारपारा में निवासरत श्रीमती चांदनी बाई कमार ने बताया कि वह परंपरागत रूप से बांस शिल्प की कला कृति बनाकर एवं कृषि के समय   कृषक मजदूरी का कार्य करके जीवकोपार्जन करती है। पहले वह आर्थिक तंगी के कारण बांस शिल्प बनाने के लिए बांस नहीं खरीद पाती थी पर अब उन्हें महतारी वंदन योजना से प्रतिमाह 1 हजार रूपये मिलते है, जिसका उपयोग वह बांस खरीदने में करती है। वह झेंझरी, सुपा, पर्रा, टुकनी सहित अन्य सजावटी वस्तुएं अधिक संख्या में बना पाती है, जिसे बेचकर उन्हें अच्छी खासी आमदनी मिल रही है। श्रीमती चांदनी ने महतारी वंदन योजना के लिए राज्य सरकार को धन्यवाद ज्ञापित करते हुए इसकी राशि बढ़ाने के लिए आग्रह की है। उसी गांव कि श्रीमती ममता कमार भी महतारी वंदन योजना से मिलने वाली राशि का उपयोग बांस शिल्प एवं अपनी बच्ची 1 वर्षीय लवली कमार के शिक्षा के लिए बचत कर रही है। महतारी वंदन योजना से हर माह मिलने वाली राशि उनके लिए बहुत बड़ा सहारा है। छत्तीसगढ़ की परंपरा रही है कि यहां बेटियों को अगाध स्नेह और सम्मान दिया जाता है। बेटियों का हर घर में विशेष स्थान होता है। तीज- त्यौहारों में बेटियों और बहनों को स्नेह से भेंट और राशि दी जाती है। इसी के तहत संवेदनशील मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने माताओं-बहनों को त्यौहार पर यह उपहार भेंट की है।

सेहत टिप्स /शौर्यपथ / आंखें नियामत कही जाती हैं क्योंकि इनके बिना जीवन जीना मुश्किल हो जाता है. मोबाइल युग में लोगों की आंखें जल्द कमजोर हो  रही हैं और भारत में करीब 80 फीसदी आबादी को आंखों से जुड़ी परेशानियों की वजह से चश्मा चढ़ जाता है. आंखों की रोशनी के लिए कुछ लोग दवा खाते हैं तो कुछ लोग ऑपरेशन का सहारा लेते हैं लेकिन कम ही लोग जानते हैं कि कुछ खास व्यायाम आंखों का चश्मा उतार सकते हैं. योग गुरु सतीश कुमार सिन्हा ने आंखों से पावर का चश्मा उतारने के लिए त्राटक और सूक्ष्म व्यायाम को काफी कारगर बताया है.
क्या है त्राटक योग  |
दरअसल इन योगासनों की मदद से आंखों की रोशनी बढ़ जाती है और आंखों से जुड़ी परेशानियां दूर हो जाती हैं. इनको रोज लगभग तीन महीने करने से आंखों की रोशनी पर असर दिखना शुरू हो जाता है. सबसे पहले बात करते हैं त्राटक व्यायाम की. इस व्यायाम के तहत व्यक्ति को अंधेरे कमरे में दीपक की रोशनी को एकटक देखना है. सिर को हिलाए डुलाए बिना एकाग्रता से दीपक की रोशनी को लगातार देखने से आंखों की रोशनी तेज हो जाती है. अगर इसे नियमित तौर पर करीब दस मिनट तक किया जाए तो चश्मा तक हट सकता है.
सूक्ष्म प्राणायाम   |
त्राटक योग के साथ साथ आंखों के सूक्ष्म प्राणायाम को भी काफी मददगार कहा गया है. इस योग में अपने हाथ के अंगूठे को देखते रहना है. फिर हाथ को दाईं से बाईं तरफ और बाईं से दाईं तरफ घुमाना है और आंखों को भी अंगूठे पर केंद्रित रखना है. यानी जहां जहां अंगूठा जाएगा, आंखों को वहीं ध्यान केंद्रित करना है. इस व्यायाम को रोज करीब 15 मिनट तक करने पर आंखों की रोशनी तेज होती है और साथ साथ आंखों से जुड़ी कई परेशानियां दूर होती हैं. कहा गया है कि इन दोनों योग को लगातार कुछ माह तक किया जाए तो बिना दवाई और ऑपरेशन के आपकी आंखों से पावर का चश्मा उतर सकता है. इन दोनों व्यायाम को सुबह के समय करना चाहिए. इसके साथ साथ आंखों को आराम देना, मोबाइल कम देखना और आई एक्सपोजर कम करने से भी मदद मिलती है.

सेहत टिप्स /शौर्यपथ / बदलते समय में नींद न आना बड़ी समस्या बन गई है. बहुत सारे ऐसे लोग हैं जिन्हें रात को नींद नहीं आती. कुछ लोगों को टेंशन की वजह से नींद नहीं आती, कुछ लोगों को नींद न आने के अन्य कई कारण हैं. नींद न आने की वजह से कई लोग दवाई का सेवन करते हैं और दवा खाकर सोते हैं, फिर उन्हें नींद आती है. दिनचर्या में बदलाव या फिर बहुत ज्यादा थक जाना भी कई बार नींद ना आने का एक कारण हो सकता है. अनिद्रा का एक कारण देर रात तक फोन चलाना, लैपटॉप चलाना, टीवी देखना या फिर सोते-सोते बिस्तर पर कुछ सोचते रहना भी है. डॉक्टर कहते हैं कि हमें रात को 9:00 से लेकर 10:00 तक सो जाना चाहिए, ताकि हमारी बॉडी को कंप्लीट रेस्ट मिल सके और हमारी नींद पूरी हो सके. अगर हम रात में अपनी नींद पूरी कर लेंगे तो दिन भर फिट, तरोताजा और एनर्जेटिक रहेंगे.
लेकिन मौजूदा समय में रात को सोने का समय बिल्कुल बदल गया है. लोग आजकल रात को 2:00 बजे 3:00 बजे तक जागते हैं. ऐसे में अनिद्रा की समस्या आ सकती है. अगर आपने एक प्रॉपर रूटीन बना लिया कि आपको कितने बजे सोना है कितने बजे उठना है तो कुछ दिन बाद ठीक उसी समय आपको नींद आने लगेगी. अगर आप अनिद्रा की समस्या झेल रहे हैं, आपको भी रात को नींद नहीं आती है तो आप कुछ योगासन की मदद ले सकते हैं. इससे आपको रात को सुकून भरी नींद आएगी.
अच्छी नींद के लिए करें ये योगासन
    सबसे पहले आपको सूर्य नमस्कार करना है. सुबह के वक्त आप सूर्य नमस्कार करेंगे तो इसे पूरी बॉडी एक्टिव रहेगी. अगर आपको हाई बीपी की समस्या नहीं है तो आप इसे कर सकते हैं.
    दूसरा आसन नाड़ी शोधन प्राणायाम है, जिसे अनुलोम-विलोम भी कहते हैं. इसे भी किया जा सकता है. ये भी अनिद्रा भगाने में कारगर है. इसमें बायीं नाक से सांस लेनी होती है और दाएं से छोड़नी होती है. इसी तरीके से दाएं से बाएं करना होता है. इस योगासन को आप 10 से 15 बार कर सकते हैं.
    अनिद्रा को दूर करने के लिए तीसरा योगासन चंद्रभेदी है. इसमें आप बाएं नाक से सांस लेकर दाएं से छोड़ सकते हैं. इसका अभ्यास भी कम से कम 10 से 15 बार आपको करना चाहिए. चौथा उज्जायी प्राणायाम है, इससे आपको अपने गले को संकुचित करते हुए सांस भरनी है और छोड़ते वक्त गले को संकुचित ही रखना है.
    अच्छी तरह से और सुकून भरी नींद आए इसके लिए एक आसन शवासन है. इसमें आपको पीठ के बल लेटना होता है और अपनी बॉडी को रिलैक्स करते हुए आंखें बंद करके धीरे-धीरे सांस लेकर धीरे-धीरे छोड़ना होता है.
    आप सुबह में सूर्य नमस्कार भी कर सकते हैं. जबकि अन्य आसनों को सोने से 15 से 20 मिनट पहले कर सकते हैं, जिससे आपको अनिद्रा से छुटकारा मिल सकता है.

सेहत टिप्स /शौर्यपथ / अक्सर ये कहा जाता है कि चिकन और मटन सेहत  के लिए काफी पौष्टिक होते हैं. जिन लोगों के शरीर में प्रोटीन और विटामिन्स की कमी होती है, उन्हें अक्सर नॉनवेज फूड खाने का सलाह दी जाती है. लेकिन उन लोगों का क्या जो नॉनवेज नहीं खाते हैं. यूं तो शाकाहियों के पास चिकन मटन के काफी विकल्प हैं. लेकिन एक सब्जी ऐसी है जो पोषण के नाम पर चिकन मटन को भी फेल कर देती है. जी हां इस सब्जी में इतना सारा प्रोटीनहोता है कि किसी और चीज की जरूरत ही नहीं पड़ती है. इस सब्जी को कटरुआ और धरती का फूल  कहते हैं. चलिए आज आपको इस सब्जी के फायदे बताते हैं.
प्रोटीन की खान है कटरुआ की सब्जी   
कटरुआ की सब्जी बारिश के मौसम में उगती है और ये सेहत के लिए काफी अच्छी मानी जाती है। कई जगहों पर इसे धरती के फूल और जंगली मशरूम भी कहा जाता है. इस सब्जी में ढेर सारे फायदे हैं और इसलिए ये बाजार में काफी महंगी मिलती है और इसकी कीमत मटन से भी ज्यादा होती है. कहा जाता है कि इस सब्जी के सेवन से शरीर फौलाद जैसा मजबूत बन जाता है. सब्जी साल के कुछ ही हफ्तों के लिए जंगल में उगती है और खासकर उत्तर प्रदेश के कुछ जिलों में इसे उगाया जाता है. जिन लोगों को प्रोटीन की जरूरत है, बढ़ते हुए बच्चे और जिम जाने वाले या कमजोर लोगों के लिए ये सब्जी बड़े काम की है. इसे दिल के मरीज और डायबिटीज के मरीज भी आराम से खा सकते हैं. ये सब्जी दिल के लिए भी अच्छी होती है और शुगर में भी फायदा करती है.
किस तरह पकाई जाती है कटरुआ की सब्जी  
अपनी खासियत और पोषण के चलते इसे वेजिटेरियन मटन भी कहा जाता है. ये दिखने में लंबी पीली डंडियों की तरह दिखती है. इसे बाजार से लाने के बाद काफी धोना पड़ता है. दरअसल ये सब्जी धरती के अंदर उगती है इसलिए इसमें काफी मिट्टी होती है. इसलिए अच्छी तरह धोने के बाद इसे काट कर आप किसी भी तरह पका सकते हैं. आप इसे प्याज लहसुन का तड़का लगाकर भी पका सकते हैं.

 ब्यूटी टिप्स /शौर्यपथ /स्किन केयर में अक्सर ही उन चीजों को शामिल किया जाता है जो त्वचा को निखारने का काम करती हैं. इसीलिए चेहरे पर फेस पैक्स बनाकर भी लगाए जाते हैं. ये फेस पैक्स  अलग-अलग चीजों से तैयार किए जाते हैं. किसी में एक्सफोलिएटिंग गुण होते हैं तो किसी के ब्लीचिंग गुण त्वचा पर असर दिखाते हैं. यहां भी कुछ ऐसे ही फेस पैक्स बनाने के तरीके दिए गए हैं. कहीं बाहर पार्टी में जाना हो या फिर बेजान त्वचा पर इंस्टेंट ग्लो लाना हो, इन फेस पैक्स को बनाकर लगाया जा सकता है. फेस पैक्स चेहरे पर 15 से 20 मिनट लगाकर रखे जा सकते हैं. इनसे स्किन चांदी की तरह चमकने लगती है.
निखरी त्वचा के लिए फेस पैक्स |
हल्दी और दही
इस फेस पैक को बनाने के लिए 2 चम्मच दही में एक चम्मच हल्दी लेकर मिला लें. इस मिश्रण को चेहरे पर लगाएं और 20 मिनट बाद धोकर हटाएं. स्किन को आयुर्वेदिक गुण मिलते हैं, एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण मिलते हैं और सुनहरा निखार नजर आता है सो अलग. दही त्वचा को मॉइश्चराइज करने का काम करती है और हल्दी टैनिंग को कम करती है.
मुल्तानी मिट्टी और टमाटर
2 चम्मच मुल्तानी मिट्टी में एक चम्मच टमाटर का रस और एक चम्मच ही एलोवेरा जैल लेकर मिला लें. इस फेस पैक को चेहरे पर 15 से 20 मिनट लगाए रखें और फिर धोकर हटा लें. स्किन चमक उठती है, त्वचा का बेजानपन दूर होता है और त्वचा मुलायम हो जाती है.
बेसन और दही
टैनिंग  से परेशान हैं तो इस फेस पैक को चेहरे पर लगा सकते हैं. फेस पैक बनाने के लिए एक चम्मच बेसन में जरूरत के अनुसार दही मिलाएं. इस फेस पैक को चेहरे पर 15 से 20 मिनट लगाकर रखने के बाद हल्के हाथों से छुड़ाते हुए लगाएं. बेसन और दही अच्छे एक्सफोलिएंट की तरह काम करते हैं और इनसे चेहरा स्क्रब हो जाता है.
एलोवेरा और खीरा
सूदिंग और कूलिंग इफेक्ट्स वाले इस फेस पैक को बनाने के लिए 2 चम्मच ताजा एलोवेरा जैल में एक चौथाई कप घिसा खीरा डालकर मिलाएं. इस मिश्रण को चेहरे पर 20 से 30 मिनट लगाकर रखने के बाद धोकर हटाया जा सकता है. हफ्ते में एक बार इस फेस पैक को लगाया जा सकता है.

सेहत टिप्स /शौर्यपथ / शरीर जब अंदरूनी रूप से स्वस्थ नहीं होता तो बाहरी रूप से उसपर निशान नजर आने लगते हैं. इसी तरह अलग-अलग बीमारियों के संकेत नाखूनों पर दिख सकते हैं. नाखूनों का पीला पड़ना, गहरी लकीरें पड़ना या सफेद निशान दिखना भी बीमारियों और स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतों के लक्षण हो सकते हैं. ऐसे में शरीर जो संकेत दे रहा है उसे समय रहते पहचानना जरूरी होता है. हेल्थ कोच मिरुना भास्कर ने अपने एक वीडियो में नाखूनों  पर दिखने वाले ऐसे ही 10 निशान बता रही हैं जो बीमारियों के संकेत हो सकते हैं.
नाखूनों पर दिखते हैं ये 10 बीमारियों के संकेत |
मीडियम या डार्क लाइंस - अगर नाखूनों पर मध्य या गहरी रंग की लंबी लकीरें नजर आने लगें तो ये लकीरें शरीर में विटामिन बी12 या विटामिन डी की कमी का संकेत हो सकता है.
छोटी सफेद लाइन या धब्बे - नाखूनों पर सफेद धब्बे या छोटी लाइनें दिखनें लगें तो इसका मतलब शरीर में जिंक की कमी हो सकती है.
नाखूनों का टूटना - नाखूनों का जल्दी टूटना या खुरदुरा नजर आना बायोटीन और कैल्शियम की कमी का लक्षण होता है.
पीले नाखून - नाखून पीले पड़ने लगें तो इसका मतलब फंगल इंफेक्शन हो सकता है. इसके अलावा धुम्रपान के कारण भी नाखून पीले  नजर आ सकते हैं. इसका मतलब होता है कि व्यक्ति जरूरत से ज्यादा धुम्रपान करने लगा है.
सफेद नाखून - नाखून अगर एकदम ही सफेद नजर आने लगें तो इसका मतलब हो सकता है कि व्यक्ति को लिवर और किडनी संबंधी दिक्कतें या बीमारियों हो रही हैं. ऐसे में डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए.
क्लब्ड नाखून  - नाखून एकदम से फूले हुए दिखने लगें तो इसका मतलब हो सकता है कि रक्त में पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं है. यह फेफड़ों, लिवर या दिल संबंधी दिक्कतों की वजह से भी हो सकता है.
दबे हुए या डेंट वाले नाखून - स्किन संबंधी दिक्कतें होने या एग्जेमा की बीमारी होने पर नाखूनों पर इस तरह के निशान नजर आने लगते हैं.
नीले या पर्पल नाखून - ऑक्सीजन की कमी से नाखून इस तरह के नजर आने लगते हैं.
स्पून्ड नेल्स - आयरन की कमी से नाखूनों पर ये निशान दिखने लगते हैं. स्पून्ड नेल्स का मतलब होता है नाखूनों का ऊपर की तरफ बढ़ना.
वर्टिकल रिजेस - आयरन की कमी के कारण इस तरह के निशान नजर आते हैं. नाखूनों को हाथ लगाने पर लंबी लकीरें सी उभरी हुई महसूस होती हैं.

 सेहत टिप्स /शौर्यपथ /खानपान की गड़बड़ी पेट की दिक्कतों की सबसे बड़ी वजह बनती है. चटपटा, मसालेदार और सड़ा-गला खा लेने पर खासतौर से पेट पर असर पड़ता है. पेट एक बार बिगड़ता है तो पेट में एसिडिक गैस बनते भी ज्यादा समय नहीं लगता. ये गैस पेट में और श्ववसन नली तक बढ़ने लगती है जिससे हार्टबर्न यानी सीने में जलन  और पेट में जलन की दिक्कत होने लगती है. ऐसे में यहां दिए कुछ घरेलू उपाय इन दिक्कतों को दूर करने में असरदार साबित हो सकते हैं.
पेट में जलन के घरेलू उपाय |
एल्कोहल का सेवन, ग्लूटन वाली चीजें, तले हुए फूड्स, कैफीन और खट्टे फल भी पेट की जलन का कारण बन सकते हैं. इन फूड्स को खाने पर पेट में दिक्कत होने लगती है. इसके अलावा अपच हो जाने पर, एसिडिटी  या पेट से जुड़ी कोई अन्य दिक्कत की वजह से भी पेट में जलन हो सकती है. इस पेट की जलन को दूर करने के लिए कुछ ऐसी खानपान की चीजें हैं जो बेहद अच्छा असर दिखाती हैं.
केला
एसिडिटी और पेट की जलन को दूर करने के लिए केला खाया जा सकता है. केले खाने पर पेट को तुरंत आराम मिल जाता है. इससे कब्ज की दिक्कत भी दूर होती है, एसिडिटी कम होती है और पेट में बन रही एसिडिक गैसों से निजात मिल जाता है. केले में डाइट्री फाइबर भी होते हैं जो पेट के लिए फायदेमंद होते हैं.
अदरक
एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों से भरपूर अदरक  के सेवन से उल्टी आना, एसिडिटी, जी मितलाना और सीने की जलन से राहत मिल सकती है. बिना अदरक वाली चाय बनाकर पीने पर इसके फायदे मिलते हैं. एक कप पानी में कुछ अदरक के टुकड़े डालकर पानी को उबाल लें. इसे पीने पर पेट में हो रही जलन से राहत मिल सकती है.
एलोवेरा
सिर्फ स्किन या बालों के लिए ही नहीं बल्कि सेहत के लिए भी एलोवेरा फायदेमंद होता है. इसका सेवन करना भी बेहद आसान है. एलोवेरा के लैक्सेटिव गुण पेट की जलन कम करने में असरदार होते हैं. एलोवेरा का जूस बनाकर पिया जा सकता है. इसके लिए ताजा एलोवेरा को पीसकर इसमें हल्का काला नमक और शहद डालकर पी सकते हैं.
दही
पेट में हो रही असहजता को कम करने में दही का सेवन फायदेमंद होता है. दही में प्रोबायोटिक्स भी होते हैं जो हेल्दी गट बैक्टीरिया को बढ़ाने का काम करते हैं. इसे खाने पर पाचन तंत्र को बेहतर तरह से खाना पचाने में मदद मिलती है.

व्रत त्यौहार /शौर्यपथ /जन्माष्टमी पर पारंपरिक व्यंजन बनाने का रिवाज पहले से चला आ रहा है. जन्माष्टमी का भोजन के साथ एक अनोखा रिश्ता है. इस दिन जो व्यंजन बनते हैं वो भगवान कृष्ण के प्रति उनके प्रेम को दिखाते हैं. इस दिन भगवान कृष्ण को ध्यान में रखकर व्यंजन तैयार किए जाते हैं. ये व्यंजन शरीर के लिए भी बेहद फायदेमंद हैं. जन्माष्टमी के मौके पर आधी रात पर भगवान के जन्म के बाद ही प्रसाद ग्रहण किया जाता है. आइए जानते हैं इस दिन कौन-कौन से व्यंजन बनाए जाते हैं.
जन्माष्टमी पर बनाएं ये पारंपरिक व्यंजन
1. खीर-
दूध में थोड़े चावल, ड्राई फ्रूट्स, मखाने, साबूदाने आदि को मिलाकर पकाने पर बहुत ही स्वादिष्ट डेजर्ट तैयार होता है. स्वाद को बढ़ाने के लिए आप इसमें केसर या इलायची का भी प्रयोग कर सकते हैं. खीर को भगवान श्री कृष्ण को 56 भोग के रूप में जन्माष्टमी की आधी रात को प्रसाद के तौर पर चढ़ाया जाता है.
2. पंजीरी-
पंजीरी इस त्योहार का सबसे महत्वपूर्ण भोग माना जाता है. इसमें धनिया, चीनी, देसी घी, काजू, किशमिश, बादाम, पिस्ता और मिश्री को एक साथ पीसकर बनाया जाता है. यह प्रसाद बहुत ही स्वादिष्ट एवं पेट के लिए बहुत ही अच्छा माना जाता है. बिहार, उत्तर प्रदेश एवं पंजाब जैसे राज्यों में यह प्रसाद बहुत ही पॉपुलर है.
3. माखन और मिश्री-
माखन और मिश्री भगवान श्री कृष्ण का सबसे प्रिय प्रसाद माना जाता है. यह फ्रेश मक्खन और मिश्री या चीनी के साथ आसानी से घर पर तैयार की जा सकती है.
4. दूध के साथ शहद-
भगवान श्री कृष्ण को शहद और दूध से बना मिश्रण भी चढ़ाया जाता है. ऐसा मानते हैं कि इसके बिना भगवान श्री कृष्ण के जन्माष्टमी की पूजा अधूरी रहती है. इस मिश्रण को भगवान को अर्पित करने के बाद भक्तों में इसे प्रसाद के रूप में वितरित किया जाता है.
5. मखाना पाग-
जन्माष्टमी के 1 दिन पहले शाम को यह स्पेशल डिश बनाई जाती है जिसमें जिसमें मखाने को घी, दूध, चीनी के साथ मिलाकर स्वादिष्ट डिश तैयार की जाती है.
6. रवा लडडू-
रवा लड्डू बनाने के लिए सूजी को सबसे पहले भून लिया जाता है और उसमें देसी घी, ड्राई फ्रूट्स और कसा हुआ नारियल मिलाकर लड्डू तैयार किया जाता है. यह प्रसाद भी भगवान श्री कृष्ण को बेहद प्रिय है.

 व्रत त्यौहार /शौर्यपथ /हिन्दू पंचांग के अनुसार हरतालिका तीज का व्रत हर साल भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि के दिन रखा जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार महिलाएं ये व्रत अखंड सौभाग्य प्राप्ति के लिए रखती हैं. हरतालिका तीज के व्रत में भगवान शिव और माता पार्वती की पूरे विधि विधान से पूजा की जाती है. इस व्रत में व्रती पूरे दिन निर्जला उपवास रखकर भगवान शिव और माता पार्वती से अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं. इस व्रत का धार्मिक ग्रंथों में विशेष महत्व बताया गया है. ते चलिए जानते हैं कब हा हरतालिका तीज और इस दिन बनाएं जाने वाले भोग.
कब रखा जा रहा हरतालिका तीज का व्रत?
हरतालिका तीज का व्रत इस वर्ष 6 सितंबर 2024, दिन शुक्रवार को रखा जा रहा है. हिन्दू पंचांग के अनुसार तृतीया तिथि का शुभारंभ 5 सितम्बर दिन गुरुवार को दोपहर 12:22 बजे से होगा जिसका समापन अगले दिन 6 सितंबर को सुबह 3:01 बजे होगा. उदया तिथि के अनुसार हरतालिका तीज का व्रत 6 सितंबर को रखा जा रहा है.
भगवान शिव और माता पार्वती को लगाएं भोग-
1. घेवर-
हरतालिका तीज के दिन माता पार्वती और भगवान शिव की पूजा के दौरान घेवर का भोग ज़रूर लगाएं. माना जाता है कि ऐसा करने से आपके वैवाहिक जीवन में खुशियां बढ़ती हैं.
2. सूजी का हलवा-
हरतालिका तीज के दिन भगवान शिव और माता पार्वती को सूजी के हलवे का भोग लगाएं. भगवान शिव को सफेद रंग की वस्तुएं अत्यंत प्रिय हैं.
3. दूध और चावल की खीर-
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव और माता पार्वती को प्रसन्न करने और उनका आशीर्वाद पाने के लिए आप दूध और चावल से बनी खीर का भोग लगा सकते हैं. भोग लगाने के बाद आप ख़ुद भी इसे प्रसाद रूप में ग्रहण करें.

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