November 07, 2025
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  लाइफस्टाइल /शौर्यपथ / आजकल पैरेंट्स परवरिश को लेकर बेहद सजग हो गए हैं. वे समझ गए हैं कि जो कुछ बच्चों को छोटी उम्र से सिखाया जाए वही उनके साथ उम्रभर तक रहता है. बच्चे को जिंदगी की रेस में सबसे आगे रखने के लिए पैरेंट्स बच्चों को हर गुण सिखाने की कोशिश करते हैं. लेकिन, बच्चों में अच्छी आदतें  डालने के लिए हमेशा सीधा रास्ता काम नहीं आता है. कई बार बच्चों को ऐसा लगने लगता है कि आप उनपर अच्छे गुणों को थोप रहे हैं और ऐसे में बच्चे गुड मैनर्स सीखने और समझने के बजाए उनसे भागने लगते हैं. आप यही गलती ना करें और यहां जानें किस तरह बिना थोपे बच्चों में अच्छे गुण डाले जा सकते हैं.
बच्चों पर क्यों नहीं थोपने चाहिए अच्छे गुण
बच्चे प्रेशर महसूस करता है - आप अगर बच्चे पर किसी भी काम या आदत को थोपते हैं तो बच्चा खुद के ऊपर प्रेशर महसूस करने लगता है. ऐसे में वह जितना हो सके आपकी बताई बातों से बचने की कोशिश करता है.
छलावा महसूस होता है - बच्चों को जो गुण सिखाए जा रहे हैं अगर बच्चा उन गुणों को नहीं समझता है या नहीं मानता है तो उसका उन कामों को करना छलावा जैसा लग सकता है. जैसे, अगर बच्चा किसी को सम्मान नहीं देना चाहता, उसकी निंदा करता है लेकिन आपको दिखाने भर के लिए कुछ देर के लिए ही अच्छे बनने की कोशिश करता है तो इससे बच्चे के अच्छे मैनर्स बस छलावा मात्र लग सकते हैं.
बच्चों को तनाव हो सकता है - अगर बच्चे से बार-बार एक चीज करने को कहा जाए या कहा जाए कि 'यह गुण तुम्हारे अंदर होना ही चाहिए' तो हो सकता है इससे बच्चों को तनाव या एंजाइटी होने लगे. इसीलिए कोई भी बात थोपना कभी सही नहीं होता है.
इस तरह खुद आएंगे अच्छे गुण
किसी गुण को बच्चों पर थोपने के बजाए उन्हें समझाने की कोशिश करें कि इस काम को करना क्यों जरूरी है. अगर आप उसे कह रहे हैं कि अपनी वाणी पर संयम रखना जरूरी है तो यह भी बताएं कि ऐसा क्यों करना चाहिए और संयम ना रखने पर क्या नुकसान हो सकते हैं. बच्चे उदाहरण और लॉजिक से ही सीखते हैं, हवा में की गई बातों से नहीं.
बच्चों से आप जो कुछ करने के लिए कह रहे हैं या जिन गुणों को अपनाने के लिए कह रहे हैं उसका उदाहरण खुद पेश करें. आप खुद अगर इस तरह के काम करेंगे और बच्चों के रोल मॉडल बनेंगे तो बच्चे बेहतर तरह से चीजों को समझ पाएंगे.

शौर्यपथ / प्रयागराज महाकुंभ में मौनी अमावस्या पर अखाड़ों का अमृत स्नान बुधवार को दोपहर में शुरू हुआ. तड़के संगम नोज पर भगदड़ मचने की घटना के कारण महाकुंभ का यह दूसरा अमृत स्नान देर से शुरू हुआ है. हालांकि अखाड़ों के साधुओं ने परम्परा के विपरीत कोई खास लाव—लश्कर के बिना संगम पर पहुंचकर स्नान शुरू किया. भगदड़ की वजह से अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने अमृत स्नान को सुबह टाल दिया था. यह तय किया गया था कि भीड़ कम होने पर अखाड़ों के संत स्नान करेंगे.
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी ने बुधवार को कहा था कि महाकुंभ में भगदड़ को देखते हुए संतों ने मौनी अमावस्या का अमृत स्नान सुबह टाल दिया था, लेकिन भीड़ कम होने पर अखाड़े अमृत स्नान करेंगे.
बुधवार को तड़के संगम नोज पर बैरियर टूटने से भगदड़ मच गई थी, जिसमें कुछ लोग घायल हो गए और उनका इलाज मेला क्षेत्र में बने अस्पताल में चल रहा है.
इसके पूर्व, सुबह सभी संत महात्माओं के लिए सिंहासन लगा था और नागा सन्यासियों सहित सभी संत महात्मा स्नान के लिए तैयार थे लेकिन भगदड़ की घटना के बारे में सुनकर अखाड़ा परिषद ने जनहित में अमृत स्नान टालने का निर्णय किया था.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भगदड़ के बाद अखाड़ों द्वारा मौनी अमावस्या का अमृत स्नान किए जाने के बारे में लखनऊ में कहा, ''अखाड़ा परिषद से जुड़े हुए पदाधिकारियों के साथ मैंने खुद भी बातचीत की है. आचार्य, महामंडलेश्वरों और पूज्य संतों के साथ भी बातचीत हुई है और उन्होंने बड़ी ही विनम्रता के साथ कहा है कि श्रद्धालु जन पहले स्नान करेंगे और फिर जब उनका दबाव कुछ कम होगा और वे सकुशल वहां से निकल जाएंगे तब हम लोग स्नान करने के लिए संगम की तरफ जाएंगे.''
हर 12 वर्ष पर आयोजित होने वाला महाकुंभ संगम नगरी प्रयागराज में पिछली 13 जनवरी को शुरू हुआ था, जो 26 फरवरी तक चलेगा. मेले की मेजबानी कर रही उत्तर प्रदेश सरकार को उम्मीद है कि दुनिया के सबसे बड़े आध्यात्मिक समागम में कुल 40 करोड़ तीर्थयात्री आएंगे.

व्रत त्यौहार /शौर्यपथ / बसंत पंचमी हिंदू धर्म में पवित्र त्योहार में से एक माना जाता है, जो हर साल माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि पर मनाया जाता है. कहते हैं कि इस दिन मां सरस्वती प्रकट हुई थीं. उन्हें विद्या की देवी कहा जाता हैं. मां सरस्वती की पूजा अर्चना करने से बुद्धि का विकास होता है और वैभव-ज्ञान की प्राप्ति होती है. इतना ही नहीं जिस घर में सरस्वती मां की पूजा अर्चना की जाती है, वहां पर सफलता, सुख, समृद्धि आती है. ऐसे में बसंत पंचमी पर सरस्वती मां की पूजा करने के साथ ही उन्हें कुछ विशेष चीजों का भोग लगाने का भी महत्व होता है. तो चलिए आपको बताते हैं कि बसंत पंचमी पर आपको किन चीजों का भोग लगाना चाहिए.
बसंत पंचमी 2025 शुभ मुहूर्त और पूजा विधि -
हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि का शुभारंभ 2 फरवरी को सुबह 9:14 पर होगा. वहीं, इसका समापन 3 फरवरी को सुबह 6:52 पर होगा, ऐसे में 2 फरवरी को ही उदया तिथि के अनुसार बसंत पंचमी मनाई जाएगी. इस दिन प्रातः काल में सबसे पहले उठकर स्नान करें, एक साफ चौकी पर पीला वस्त्र बिछाकर सरस्वती मां की प्रतिमा या चित्र की स्थापना करें. इसके बाद कलश रखें, भगवान गणेश और नवग्रह की पूजा कर सरस्वती मां की पूजा अर्चना करें और उन्हें यह नीचे दिए गए भोग जरूर लगाएं.
बसंत पंचमी पर मां सरस्वती को लगाएं ये भोग -
बेसन के लड्डू -
बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती को पीले रंग के मिष्ठान का भोग लगाना चाहिए. ये अति उत्तम माना जाता है. ऐसे में आप उन्हें बसंत पंचमी के दिन बेसन के लड्डू भोग स्वरूप अर्पित कर सकते हैं. कहते हैं बेसन के लड्डू भोग में लगाने से मां सरस्वती प्रसन्न होती हैं और करियर के क्षेत्र में सफलता हासिल करने वालों को शुभ फल देती हैं. आप घर पर ही बेसन को घी में भूनकर इसमें चीनी, ड्राई फ्रूट्स डालकर लड्डू तैयार कर सकते हैं.
केसर रबड़ी -
बसंत पंचमी के दिन पूजा की थाली में मां सरस्वती को केसर रबड़ी का रखकर आप भोग लगा सकते हैं. इसे घर में बनाने के लिए आप एक लीटर दूध को अच्छी तरह से उबालकर एक चौथाई तक कर लीजिए, इसमें केसर के धागे डालें, काजू, बादाम, पिस्ता जैसे ड्राई फ्रूट्स डालकर ऊपर से चीनी डालें और मलाईदार केसर रबड़ी बनाएं. कहते हैं सरस्वती मां को रबड़ी का भोग लगाने से वह प्रसन्न होती हैं और ज्ञान का वरदान देती हैं.
पीले चावल बनाएं -
बसंत पंचमी के दिन आप पीले मीठे चावल का भोग भी मां सरस्वती को लगा सकते हैं. इसके लिए एक कप बासमती चावल को आधा घंटा भिगोकर रखें, फिर इसमें केसर या फिर पीले रंग का फूड कलर डालें. इसे ड्राई फ्रूट्स और चीनी की चाशनी के साथ पकाएं और मां सरस्वती को भोग लगाएं.
बूंदी या बूंदी के लड्डू का भोग -
बसंत पंचमी के मौके पर मां सरस्वती को बूंदी या बूंदी के लड्डू का भोग भी आप लगा सकते हैं. कहते हैं कि बूंदी का भोग लगाने से पढ़ाई में सफलता मिलती है और मनचाहा करियर आपको मिलता है. बूंदी, घर में ही बनाने के लिए बेसन का पतला बैटर तैयार करे. एक करछी की मदद से पतली-पतली बूंदी निकालें और गोल्डन ब्राउन होने तक तलें. इसे चाशनी में भिगोकर कुछ समय के लिए रख लें. इससे आप लड्डू भी बना सकते हैं या ऐसे ही मां सरस्वती को भोग लगा सकते हैं.

    शौर्यपथ /क्या आप भी घूमने के शौकीन हैं और हर बार किसी नई जगह की तलाश में रहते हैं, तो हम यहां पर आपको भारत की 5 ऐसी जगहों के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां पर आपको अपने जीवन में एक बार जरूर घूमकर आना चाहिए. जो लोग प्रकृति प्रेमी हैं उनके लिए तो ये जगहें किसी स्वर्ग से कम नहीं है, तो बिना देर किए आइए जानते हैं.
भारत की 5 जगहें जिसे जरूर घूमना चाहिए
1 - धरती का स्वर्ग कश्मीर
अपने जीवन में एकबार कश्मीर जरूर घूमकर आना चाहिए. इसे 'धरती का स्वर्ग' भी कहा जाता है. आप यहां पर गुलमर्ग,सोनमर्ग,श्रीनगर घूम सकते हैं. ये सारी जगहें बेहद खूबसूरत हैं.
क्या घूमें
    डल झील
    ट्यूलिप गार्डन
    शालीमार बाग
    शंकराचार्य मंदिर
    निशात बाग
    निगीन झील
घूमने का सही समय क्या है - 'कश्मीर' में घूमने का सबसे अच्छा समय अप्रैल से अक्टूबर तक है.
2- लक्षद्वीप
लक्षद्वीप भी भारत की सबसे खूबसूरत जगह है. अगर आपको बीच पसंद है, तो ये जगह बेस्ट है. यह कपल्स के लिए बेस्ट हनीमून प्लेस हो सकता है.
क्या घूमें
    बांगरम द्वीप
    कावारत्ती द्वीप
    कलपेनी द्वीप
    मरीन संग्रहालय
    कदमत आयलैंड
घूमने का सही समय - अक्टूबर से मई के बीच है.
पहाड़ों की रानी 'हिमाचल'
हिमाचल को 'पहाड़ों की रानी' के नाम से भी जाना जाता है. यहां के पहाड़ और हरी भरी वादियां देखकर मन प्रफुल्लित हो जाएगा.
कहां घूमें
कसौल
मैक्लोड़गंज
लाहुल-स्पिति
धर्मशाला
शिमला
मनाली
कुल्लु
बीर-बिलिंग
 मलाना
 कांगड़ा
डलहौजी
खज्जियार
मशोबरा
पालमपुर
किन्नौर
कुफरी
घूमने का सही समय - हिमाचल प्रदेश में घूमने के लिए सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मई तक का होता है.
4- केरल
मानसून में आप केरल भी घूम सकते हैं. यहां की हरियाली और नजारे आपके दिल में उतर जाएंगे. यहां से फिर आपका जाने का मन नहीं करेगा.
कहां घूमें
     अल्लेप्पी
      मुन्नार
     वायनाड
    थेक्कड़ी
    श्री पद्मनाभास्वामी मंदिर
घूमने का सही समय - अक्टूबर से फरवरी तक
5- दार्जिलिंग
अगर आपको चाय के बगाने देखने हैं तो फिर आपके लिए दार्जिलिंग बेस्ट साबित हो सकता है. आप यहां पर अप्रैल से जून तक घूम सकते हैं.
कहां घूमें
    नाइटेंगल पार्क
    घूम रॉक
    बतासिया लूप
    विक्टोरिया वॉटरफॉल
    टाइगर हिल
    सेंथल झील दार्जिलिंग
घूमने का सही समय - दार्जिलिंग घूमने का सबसे अच्छा समय मार्च से जून और सितंबर से नवंबर तक.

ब्यूटी टिप्स /शौर्यपथ / सोने से पहले अपनी नाइट स्किन केयर रूटीन फॉलो करना बहुत जरूरी होता है. क्योंकि रात में त्वचा को 8 घंटे मिलता है जिसमें वो अपने आपको रिपेयर करती है. ऐसे में अगर आप विटामिन ई कैप्सूल को किसी अच्छे इंग्रीडियंट के साथ मिलाकर चेहरे पर लगाती हैं, तो यह आपकी त्वचा को कई फायदे पहुंचा सकता है. आप इसमें एलोवेरा जैल मिक्स कर लेते हैं, तो फिर इसके फायदे कई गुना बढ़ सकते हैं. इन दोनों को मिक्स करके फेस पर लगाने से स्किन से जुड़ी कई दिक्कतें दूर हो सकती हैं. इसी के बारे में हम आज आर्टिकल में आपको विस्तार से बताने जा रहे हैं...
त्वचा की नमी बनाए रखता है
विटामिन ई और एलोवेरा जेल दोनों में ही मॉइश्चराइजिंग गुण होते हैं. एलोवेरा जैल त्वचा को गहरी नमी प्रदान करता है और विटामिन ई आपकी त्वचा को हाइड्रेटेड और मुलायम बनाता है.
रिंकल्स को कम करता है
विटामिन ई में एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं, जो त्वचा के सेल्स को रिपेयर करने में मदद करते हैं और झुर्रियों को कम करने में सहायक होते हैं.
त्वचा को शांत करता है
एलोवेरा जेल में मौजूद एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण त्वचा को शांत करते हैं और सूजन को कम करते हैं. विटामिन-ई त्वचा को सूर्य की किरणों से होने वाली डैमेज को रिपेयर करता है और जलन कम करता है.
आंख के काले घेरे को कम करे
आंखों के नीचे पड़े काले घेरे को कम करने के लिए रात को सोने से पहले आंखों के नीचे विटामिन-ई का तेल और एलोवेरा जेल मिक्स करके लगाएं.
काले धब्बे हल्के पड़ सकते हैं
विटामिन ई कैप्सूल के नियमित उपयोग से मुंहासे के काले धब्बे हल्के पड़ सकते हैं. विटामिन ई त्वचा को साफ करता है और दाग-धब्बों को धीरे-धीरे हल्का करने में मदद करता है.

व्रत त्यौहार /शौर्यपथ / हिन्दू धर्म में एकादशी व्रत का विशेष महत्व होता है. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा अर्चना की जाती है. यह व्रत कृष्ण और शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को रखा जाता है. वैसे तो हर महीने 2 एकादशी का व्रत रखा आता है, लेकिन ज्येष्ठ माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि पर पड़ने वाली निर्जला एकादशी तिथि का विशेष महत्व होता है.  मान्यता है यह व्रत करने से सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और पाप भी धुल जाते हैं. साथ ही, इससे मोक्ष की भी प्राप्ति होती है. ऐसे में आइए जानते हैं इस साल कब है निर्जला एकादशी, पूजा का शुभ मुहूर्त और विधि.
निर्जला एकादशी 2025 शुभ मुहूर्त -
ज्येष्ठ माह का शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि की शुरूआत 06 जून को रात 02 बजकर 15 मिनट पर होगी जिसका समापन अगले दिन यानी 7 जून को सुबह 4 बजकर 47 मिनट पर होगा. उदयातिथि पड़ने के कारण यह व्रत 6 जून को रखा जाएगा. एकादशी का पारण द्वादशी के दिन यानी 7 जून को किया जाएगा.
निर्जला एकादशी 2025 अन्य शुभ मुहूर्त
ब्रह्म मुहूर्त सुबह 4 बजकर 2 मिनट से 4 बजकर 42 मिनट तक रहेगा. वहीं, विजया मुहूर्त दोपहर 02 बजकर 39 मिनट से 03 बजकर 35 मिनट तक, जबकि गोधूलि मुहूर्त  शाम 07 बजकर 16 मिनट से 07 बजकर 36 मिनट तक
और निशिता मुहूर्त रात 12 बजे से 07 जून को रात 12 बजकर 40 मिनट तक रहेगा.
निर्जला एकादशी को ऐसे करें पूजा -
    सबसे पहले प्रात: काल उठकर भगवान विष्णु का स्मरण कर निर्जला एकादशी के व्रत संकल्प करें.
    फिर मंदिर व पूजा घर की अच्छे से सफाई करें पूजा की चौकी पर पीले रंग का वस्त्र बिछाएं
    अब भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी को स्थापित करें और विधि-विधान से पूजा करें. भगवान विष्णु के पीले रंग का वस्त्र और फूल चढ़ाएं.
    इसके बाद फल, हल्दी, चंदन, अक्षत चढ़ाएं और खीर को भोग लगाएं.
    विष्णु चालीसा का पाठ करें.
    व्रत करने वालों को भोजन और वस्त्र का दान करना चाहिए.
निर्जला एकादशी के व्रत लाभ -
मान्यता है कि निर्जला एकादशी के दिन श्रीहरि की उपासना और व्रत करने से व्यक्ति को मृत्यु के बाद मोक्ष प्राप्ति की होती है. सच्चे मन से यह व्रत करने से शरीर शुद्ध होता है और घर में सुख-समृद्धि का वास होता है. इससे व्यक्ति के अंदर आध्यत्मिकता का संचार होता है.

व्रत त्यौहार /शौर्यपथ / बसंत पंचमी का दिन विद्या की देवी माता सरस्वती की पूजा-अर्चना के लिए समर्पित होता है. हर वर्ष माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी मनाई जाती है और विधि-विधान से माता सरस्वती की पूजा की जाती है. माता सरस्वती को विद्या, बुद्धि, ज्ञान और विवेक की देवी माना जाता है. इस वर्ष प्रयागराज में महाकुंभ भी चल रहा है और बसंत पंचमी के दिन अमृत स्नान भी किया जाएगा. ऐसे में बसंत पंचमी का दिन और अधिक फलदायी बन गया है. इस वर्ष अद्भुत योग में महाकुंभ का आयोजन किया गया है और यह योग 144 वर्ष साल में एक बार ही बनते हैं. इसी के साथ बसंत पंचमी पर भी 144 वर्ष बाद विशेष शुभ योग बन रहे हैं. आइए जानते हैं कब है बसंत पंचमी और 144 वर्ष बाद बन रहे विशेष योग में क्या करना चाहिए.
बसंत पंचमी की तिथि और शुभ मुहूर्त
माघ माह में शुक्ल पंचमी तिथि 2 फरवरी, रविवार को सुबह 9 बजकर 14 मिनट से शुरू होकर 3 फरवरी सोमवार को सुबह 6 बजकर 52 मिनट तक रहेगी. देशभर में बसंत पंचमी का त्योहार 2 फरवरी रविवार को मनाया जाएगा.
बसंत पंचमी 2025 शुभ योग
पंचांग के अनुसार, माघ माह के शुक्ल पंचमी तिथि पर शनि देव सुबह 8 बजकर 51 मिनट पर पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में गोचर करेंगे. पंचमी तिथि को शिव योग, सिद्ध साध्य योग और रवि योग भी बन रहे हैं.
बसंत पंचमी के दिन करें अमृत स्नान
इस वर्ष प्रयागराज में महाकुंभ चल रहा है और महाकुंभ  का आयोजन 12 वर्ष के बाद किया जाता है. हालांकि इस बार महाकुंभ के अवसर पर बन रहे योग पूरे 144 वर्ष के बाद बने हैं. महाकुंभ में अमृत स्नान का बहुत महत्व होता है और बसंत पंचमी के दिन भी अमृत स्नान होगा. बसंत पंचमी को संगम नगरी में गंगा यमुना और सरस्वती के संगम पर स्नान करने से अमृत स्नान के लाभ के साथ-साथ विद्या की देवी मां सरस्वती की कृपा भी प्राप्त होगी और विद्या, बुद्धि और विवेक बढ़ेगा.
कब करें स्नान
बसंत पंचमी की तिथि 2 फरवरी रविवार को सुबह 9 बजकर 14 मिनट से शुरू होकर 3 फरवरी सोमवार को सुबह 6 बजकर 52 मिनट तक रहेगी. 2 फरवरी को बसंत पंचमी का व्रत रखें और 3 फरवरी को संगम स्नान का लाभ लें.  3 फरवरी को ब्रह्म मुहूर्त सुबह 5 बजकर 33 मिनट से 6 बजकर 21 मिनट तक स्नान का सबसे अच्छा मुहूर्त है. इस समय बन रहे खास योग कई वर्षों बाद ही बनते हैं. इस शुभ मुहूर्त में स्नान से कई गुणा लाभ प्राप्त होगा.
बसंत पंचमी की पूजा का समय
बसंत पंचमी के दिन शुभ मुहूर्त में पूजा से माता सरस्वती की कृपा प्राप्त की जा सकती है. 2 फरवरी को सुबह 7 बजकर 9 मिनट से शुरू होकर देर रात तक पूजा के लिए शुभ समय है. इसके साथ ही सुबह 9 बजकर 14 मिनट तक शिव योग रहेगा. इस समय पूजा करने से शिक्षा के क्षेत्र में शुभ परिणाम प्राप्त हो सकते हैं. इसके बाद सिद्ध योग लग जाएगा. इस दिन सुबह पहले उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र रहेगा और उसके बाद रेवती नक्षत्र लग जाएगा. बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती  की पूजा में बच्चों और पढ़ाई कर रहे लोगों को जरूर शामिल होना चाहिए. इससे माता की कृपा प्राप्त होती है और बुद्धि विवेक बढ़ता है. सरस्वती पूजा के दिन बच्चों से पढ़ाई लिखाई से जुड़ी चीजों का दान करवाना भी उत्तम होता है.

आस्था /शौर्यपथ /भगवद गीता केवल एक धार्मिक ग्रंथ नहीं है, बल्कि यह जीवन जीने की कला का अद्भुत मार्गदर्शन प्रदान करती है. यह ग्रंथ मानसिक शांति, आत्म-संयम और आध्यात्मिक ज्ञान का अनमोल स्रोत है. गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को जीवन के हर पहलू में संतुलन बनाए रखने और मन को शांत रखने के लिए अनेक उपदेश दिए हैं. भगवद गीता जीवन की चुनौतियों से निपटने और आंतरिक शांति पाने के लिए कालातीत ज्ञान प्रदान करती है.
भगवद गीता, एक शाश्वत आध्यात्मिक मार्गदर्शक, एक शास्त्र से कहीं ज्यादा है; यह जीवन की चुनौतियों से निपटने के लिए एक मैनुअल है. कुछ  श्लोक बेचैन मन को शांत करने और आंतरिक शांति पाने में मदद करते हैं. यहां गीता के कुछ सबसे गहन श्लोक दिए गए हैं जो आंतरिक शांति प्राप्त करने में मदद कर सकते हैं.
भगवद गीता के ये 5 श्लोक देते हैं मानसिक शांति |
1. "चंचलं हि मनः कृष्ण, प्रमथि बलवद दृढम्" (अध्याय 6, श्लोक 34)
अनुवाद: "मन चंचल, अशांत, मजबूत और जिद्दी है; इसे कंट्रोल करना हवा को कंट्रोल करने जैसा कठिन है." यह श्लोक व्यक्ति के विचारों को मैनेज करने की चुनौती को स्वीकार करता है, हमें आश्वस्त करता है कि हम इस संघर्ष में अकेले नहीं हैं. यह श्लोक आंतरिक शांति की तलाश करते हुए सेल्फ-डिसिप्लिन और धैर्य का अभ्यास करने की याद दिलाता है.
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2. "उद्धारेद आत्मनात्मानं, न आत्मनं अवसादयेत्" (अध्याय 6, श्लोक 5)
अनुवाद: “मन के माध्यम से ही स्वयं को ऊपर उठाना चाहिए और स्वयं को नीचा नहीं करना चाहिए. मन मित्र और शत्रु दोनों हो सकता है."
यह श्लोक मानसिक उथल-पुथल पर काबू पाने में आत्म-जागरूकता और सकारात्मक सोच की शक्ति पर प्रकाश डालता है. अपने विचारों पर नियंत्रण करके, हम मन को संकट के बजाय सहारे के स्रोत में बदल सकते हैं.
3. "श्रेयं स्वधर्मो विगुणः, परधर्मात स्वनुष्ठितत्" (अध्याय 3, श्लोक 35)
अनुवाद: “किसी दूसरे के कर्तव्य को पूरा करने की अपेक्षा, अपना कर्तव्य निभाना बेहतर है." यह शिक्षा तुलना और ईर्ष्या को दूर करने में मदद करती है, जो मानसिक अशांति के मुख्य कारण हैं. अपने अद्वितीय उद्देश्य पर ध्यान केंद्रित करने से शांति और संतुष्टि मिलती है.
4. "योग-स्थः कुरु कर्माणि, संगम त्यक्त्वा धनंजय." (अध्याय 2, श्लोक 48)
अनुवाद: "योग में दृढ़ रहते हुए, आसक्ति का त्याग करते हुए और सफलता और असफलता में समभाव रखते हुए अपने कर्तव्यों का पालन करें."
यह श्लोक हमें कर्म योग की कला सिखाता है, परिणामों से आसक्त हुए बिना अपने कार्यों पर ध्यान केंद्रित करना. यह हमें जीवन के उतार-चढ़ाव के बीच मन को शांत करने के लिए एक शक्तिशाली साधन, समभाव अपनाने के लिए प्रोत्साहित करता है.
5. "मनमना भव मद्भक्तो, मद्यजि मम नमस्कुरु" (अध्याय 9, श्लोक 34)
अनुवाद:“अपना मन मुझ पर केन्द्रित करो, मुझमें समर्पित रहो, मेरी पूजा करो और मुझे प्रणाम करो.”
इस श्लोक से शक्ति के प्रति समर्पण करने से मानसिक बोझ से मुक्ति मिलती है. यह श्लोक भक्ति और एकाग्र ध्यान पर जोर देता है, जो विचलित मन को शांत करने में मदद करते हैं.
क्या कहती है रिसर्च?
संस्कृत के कई पहलुओं पर खोज की गई है और अभी भी जारी है. इसी कड़ी में सेंटर ऑफ बायोमेडिकल रिसर्च की नई स्टडी से पता चलता है कि कुछ श्लोक सुनने और उनका अनुसरण करने से ब्रेन के कई पार्ट एक्टिव होते हैं. गीता, रामायण और वैदिक मंत्रों के श्लोक न केवल दिमाग को सकारात्मक रूप से प्रभावित करते हैं, बल्कि डिप्रेशन और एंग्जाइटी में धकेलने वाले विचारों को भी दूर रखते हैं. एमआरआई स्कैन से पता चला कि श्लोक सुनने से मस्तिष्क का डिफॉल्ट मोड नेटवर्क कम सक्रिय होता है और अटेंशन मोड नेटवर्क मजबूत होता है. इससे चिंता और तनाव कम होता है.

ब्यूटी टिप्स /शौर्यपथ / आजकल के समय में बालों की देखभाल करना एक बड़ी चुनौती बन गया है. प्रदूषण, गलत खानपान, तनाव और केमिकल वाले प्रोडक्ट्स के कारण बालों की क्वालिटी खराब हो जाती है. ऐसे में प्राकृतिक उपायों का सहारा लेना सबसे बेहतर होता है. एलोवेरा जेल जिसे सदियों से औषधीय गुणों के लिए जाना जाता है, बालों के लिए एक अद्भुत उपचार साबित हो सकता है. आइए जानें कि बालों पर एलोवेरा जेल लगाने से क्या फायदे होते हैं और इसे कैसे इस्तेमाल किया जाए.
बालों के लिए एलोवेरा के फायदे |
एलोवेरा में विटामिन, मिनरल्स और एंटीऑक्सीडेंट्स की भरपूर मात्रा होती है. यह न सिर्फ बालों को पोषण देता है, बल्कि उन्हें मजबूत और चमकदार भी बनाता है.
1. डैंड्रफ को कम करता है
एलोवेरा में एंटी-फंगल और एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं, जो स्कैल्प की सफाई करके डैंड्रफ को कम करने में मदद करते हैं. यह सिर की खुजली और जलन को भी शांत करता है.
2. बालों का टूटना रोकता है
एलोवेरा में मौजूद एंजाइम और अमीनो एसिड बालों की जड़ों को मजबूत करते हैं. यह बालों के झड़ने को रोकता है और उन्हें घना बनाता है.
3. बालों में प्राकृतिक चमक लाता है
एलोवेरा जेल बालों को डीप कंडीशनिंग प्रदान करता है. यह बालों को मॉइश्चराइज करके उन्हें रेशमी और चमकदार बनाता है.
4. बालों की ग्रोथ को बढ़ावा देता है
एलोवेरा में मौजूद प्रोटियोलिटिक एंजाइम डेड स्किन सेल्स को हटाकर स्कैल्प को स्वस्थ बनाते हैं. यह बालों के विकास में मदद करता है.
5. फ्रिज़ी बालों को कंट्रोल करता है
अगर आपके बाल रूखे और उलझे हुए हैं, तो एलोवेरा जेल का उपयोग आपके बालों को मैनेजेबल बनाने में मदद करता है.
एलोवेरा जेल लगाने का सही तरीका |
शुद्ध एलोवेरा जेल का इस्तेमाल करें: आप बाजार से एलोवेरा जेल खरीद सकते हैं या ताजे एलोवेरा पत्तों से जेल निकाल सकते हैं. ध्यान रखें कि यह शुद्ध और केमिकल-फ्री हो.
स्कैल्प पर मसाज करें: एलोवेरा जेल को हल्के हाथों से स्कैल्प पर लगाएं और 5-10 मिनट तक मसाज करें. यह स्कैल्प में ब्लड सर्कुलेशन को बढ़ावा देता है.
बालों की लंबाई पर लगाएं: स्कैल्प के साथ-साथ बालों की पूरी लंबाई पर जेल लगाएं. यह बालों को कंडीशनिंग प्रदान करेगा.
30 मिनट तक छोड़ दें: जेल को कम से कम 30 मिनट तक बालों में लगा रहने दें। आप चाहें तो इसे रातभर भी लगा सकते हैं।
माइल्ड शैम्पू से धोएं: एलोवेरा जेल लगाने के बाद बालों को माइल्ड शैम्पू से धो लें। यह बालों से गंदगी हटाने के साथ उन्हें सॉफ्ट और सिल्की बनाएगा.
एलोवेरा जेल के साथ अन्य प्राकृतिक चीजों का उपयोग:
एलोवेरा और नारियल तेल
    2 चम्मच एलोवेरा जेल में 1 चम्मच नारियल तेल मिलाएं.
    इसे बालों और स्कैल्प पर लगाएं और 1 घंटे बाद धो लें.
एलोवेरा और दही
    2 चम्मच एलोवेरा जेल में 2 चम्मच दही मिलाकर हेयर मास्क बनाएं.
    इसे बालों पर लगाएं और 30 मिनट बाद धो लें.
एलोवेरा और नींबू का रस
    2 चम्मच एलोवेरा जेल में 1 चम्मच नींबू का रस मिलाएं.
    इसे स्कैल्प पर लगाएं। यह डैंड्रफ के लिए बहुत फायदेमंद है.
अगर आप नियमित रूप से एलोवेरा जेल का उपयोग करते हैं, तो कुछ ही हफ्तों में आपके बालों की सेहत में सुधार नजर आने लगेगा. यह बालों को न केवल पोषण देगा, बल्कि उन्हें प्राकृतिक चमक और मजबूती भी प्रदान करेगा.

व्रत त्यौहार /शौर्यपथ / हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का बहुत महत्व है. इसे भगवान विष्णु की पूजा का एक जरिया माना जाता है. इन्हीं एकादशियों में से एक है षटतिला एकादशी, जो अपने विशेष महत्व के लिए जानी जाती है. षटतिला एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति को भगवान विष्णु की कृपा मिलती है. इस दिन देवी लक्ष्मी की विशेष पूजा भी की जाती है, जिससे जीवन में आर्थिक तरक्की मिलती है. देवी लक्ष्मी सुख, समृद्धि और शांति का आशीर्वाद देती हैं. माना जाता है कि व्रत करने वाले भक्त को इस दिन सुबह-सुबह स्नान कर भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए. पूजा के समय विशेष रूप से तिल का उपयोग किया जाता है. पूजा में तिल इसलिए शामिल करते हैं क्योंकि ये शुद्धता और पवित्रता का प्रतीक माने जाते हैं. इस दिन तिल का दान करना भी विशेष फलदायी माना जाता है.
इस दिन विधिपूर्वक करनी चाहिए पूजा
   हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल षटतिला एकादशी 25 जनवरी, शनिवार को पड़ रही है. ये एकादशी हर हिंदू परिवार के लिए पवित्र मानी जाती है और इस दिन विधिपूर्वक पूजा-अर्चना करनी चाहिए है. कहा जाता है कि इस दिन व्रत करने से व्रती के सारे पाप नष्ट होते हैं, और उसका जीवन सुखमय होता है. उसे अन्य जन्मों में भी इसका शुभ फल मिलता है. इसलिए षटतिला एकादशी का व्रत न सिर्फ धार्मिक दृष्टि से बल्कि आध्यात्मिक दृष्टि से भी महत्व रखता है. इस व्रत से साधक के जीवन में पॉजिटिव एनर्जी आती है और वो ईश्वर की कृपा का पात्र बनता है.
कब है षटतिला एकादशी का शुभ मुहूर्त
षटतिला एकादशी का शुभ मुहूर्त 24 जनवरी की शाम 07 बजकर 25 मिनट से शुरू हो रहा है और ये 25 जनवरी की रात 08 बजकर 31 मिनट पर समाप्त होगा. उदया तिथि के आधार पर व्रत 25 जनवरी को किया जाएगा. यानी षटतिला एकादशी 25 जनवरी दिन शनिवार को मनाई जाएगी. इस व्रत को करते समय ये ध्यान देना जरूरी है कि पवित्रता पूरी तरह से बनी रहे. इस दिन दान पुण्य का भी विशेष महत्व है, इसलिए जरूरतमंदों को तिल, अन्न आदि का दान कर सकते हैं.
मां तुलसी की पूजा कैसे करें ?
षटतिला एकादशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में जागना शुभ माना जाता है. इस समय उठकर सबसे पहले अपने नित्य के क्रियाकलापों को पूरा करें और फिर पवित्र जल से स्नान कर लें. स्नान के बाद साफ कपड़े पहन लें और पूजा के लिए तैयार हो जाएं. अब मां तुलसी की पूजा शुरू करें. सबसे पहले तुलसी जी के पौधे के पास एक साफ जगह पर बैठ जाएं. तुलसी माता का श्रृंगार करें, इसके लिए आप उन्हें लाल चुनरी और चूड़ियां अर्पित कर सकते हैं. साथ ही सिंदूर भी अर्पित करें. ये माना जाता है कि ऐसा करने से देवी तुलसी प्रसन्न होती हैं और भक्तों की मनोकामना पूरी करती हैं. इसके बाद तुलसी जी को हल्दी, रोली और चंदन अर्पित करें. ये पूजा की अनिवार्य विधि है, जिसे करने से पवित्रता और शुद्धता का भाव आता है. पूजा जब खत्म होने वाली हो तो तुलसी जी के पास एक घी का दीया जलाएं. ये दीया ज्ञान और समृद्धि का प्रतीक होता है जो जीवन के अंधकार को दूर करता है.
मां तुलसी के लिए करें ये उपाय
एकादशी के दिन तुलसी के पौधे के चारों ओर कलावा बांधें. ये उपाय आपके जीवन से नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने में मदद करता है और सुख-शांति लाता है. इस दिन तुलसी पूजन में इस मंत्र का जाप करें.
एकादशी के दिन तुलसी के पत्ते नहीं तोड़ने चाहिए और जल अर्पित नहीं करें. ऐसा माना जाता है कि मां तुलसी इस दिन भगवान विष्णु के निमित्त एकादशी का निर्जला व्रत करती हैं. जल अर्पित करने या पत्ते तोड़ने से उनका व्रत भंग हो सकता है, जिससे उन्हें क्रोध आ सकता है.

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