September 08, 2025
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टिप्स ट्रिक्स /शौर्यपथ / बच्चों के वर्तमान ही नहीं बल्कि उनके भविष्य को शेप देने का काम भी परवरिश करती है. अगर बच्चे की परवरिश सही तरह से ना की जाए तो बच्चों की अपनी आदतें अच्छी होने के बजाय खराब हो सकती हैं. अक्सर ही बच्चे जो कुछ माता-पिता को करते देखते हैं और जो गुण-अवगुण उन्हें अपने पैरेंट्स में नजर आते हैं अपने अंदर ढालने लगते हैं. इसीलिए पैरेंट्स को पैरेंटिंग स्टाइल  पर खासा ध्यान देने की जरूरत होती है. अगर आपका पैरेंटिंग स्टाइल सही नहीं होगा तो इसका सीधा असर आपके बच्चे पर पड़ेगा. कई बार गलत पैरेंटिंग स्टाइल की वजह से ही बच्चे जिद्दी हो जाते हैं और पैरेंट्स की बात नहीं मानते. अगर आप भी चाहते हैं कि बच्चा आज्ञाकारी बने और आपकी बात सुने तो माता-पिता होने के नाते आपको कुछ बातों को ध्यान में रखना जरूरी है.
पैरेंटिंग का गलत तरीका
बच्चे पर ध्यान ना देने की आदत
अगर आप बच्चे को निग्लेक्ट करने वाला पैरेंटिंग स्टाइल अपनाते हैं यानी कि बच्चे पर कुछ खासा ध्यान नहीं देते हैं तो इससे बच्चे के सेल्फ कोंफिडेंस पर असर पड़ता है. बच्चे के लिए अपने माता-पिता से अपनी भावनाएं साझा करना मुश्किल हो जाता है और वह जिद्दी या चिढ़चिढ़ा भी हो सकता है.
जरूरत से ज्यादा सख्त होना
कई बार बच्चे को अनुशासन सिखाने के चक्कर में पैरेंट्स बच्चे के साथ जरूरत से ज्यादा सख्त हो जाते हैं. ऐसा करने पर बच्चे में डर पनपने लगता है. बच्चे को गलती करने खासा डर लगने लगता है क्योंकि उसे लगता है कि अगर उससे कोई भूल हुई तो उसे पैरेंट्स के प्रकोप का सामना करना पड़ेगा.
अपनी आकांक्षाएं बच्चे पर थोपना
अगर बच्चे के ऊपर आकांक्षाओं का, हमेशा फर्स्ट आने या सबसे आगे निकलने का, बोझ होगा तो उसके लिए अपनी जिंदगी को सामान्य तरीके से जीना मुश्किल हो जाएगा. बच्चा हर समय यही सोचता रह जाएगा कि कहीं माता-पिता को निराश ना कर दे या फिर उनके सामने असफलता का मुंह ना देखना पड़े. इससे बच्चा असहज और अंडरकोंफिडेंट हो जाता है और कई बार इन भावनाओं को छिपाने के लिए वह चिड़चिड़ा या बात ना मानने वाला रवैया अपना लेता है.
हर समय चिल्लाना
बच्चे की गलती हो या ना हो लेकिन उसपर हर समय चिल्लाते रहने पर बच्चे में चिड़चिड़ापन आने लगता है. माता-पिता का चीखना और चिल्लाना बच्चे के मन को आहत करता है. इससे बच्चे का आत्मविश्वास कम होता है, वह झेंपने लगता है और कई बार बच्चा पैरेंट्स की तरह ही चीखने और चिल्लाने वाला व्यवहार अपनाने लगता है.

व्रत त्यौहार /शौर्यपथ /सावन का पवित्र महीना शुरू हो चुका है और सावन के महीने में हर दिन कोई ना कोई त्योहार होता है. खासकर सावन के महीने में पड़ने वाली एकादशी की तिथि बहुत शुभ मानी जाती है क्योंकि इस दिन भगवान विष्णु  को समर्पित कामिका एकादशी का पावन त्योहार मनाया जाता है. इस दिन भगवान विष्णु का निमित्त व्रत  करने के साथ-साथ उनकी सच्चे मन से आराधना करने से साधकों की हर मनोकामना पूर्ण होती है और कहा जाता है कि मृत्यु के बाद बैकुंठ लोक की प्राप्ति होती है. जानिए इस बार सावन में कामिका एकादशी कब मनाई जाएगी और इस दिन कौन से योग बन रहे हैं.
सावन में कब मनाई जाएगी कामिका एकादशी
सावन के महीने में कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 30 जुलाई को शाम 4:44 पर शुरू हो जाएगी, वहीं इसका समापन 31 जुलाई को शाम 3:55 पर होगा. ऐसे में उदया तिथि के अनुसार कामिका एकादशी 31 जुलाई के दिन मनाई जाएगी. वहीं, एकादशी का व्रत करने वाले लोग 1 अगस्त को सुबह 5:43 से लेकर 8:24 तक व्रत का पारण कर सकते हैं.
कामिका एकादशी पर बन रहे शुभ संयोग
ज्योतिषियों के अनुसार, कामिका एकादशी पर इस बार कई विशेष संयोग बन रहे हैं. सबसे पहले दोपहर 2:14 पर ध्रुव योग का निर्माण होने जा रहा है, इस योग में भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा अर्चना करने से साधकों को अक्षय फल की प्राप्ति होती है और भविष्य में काम में सफलता मिलती है. इतना ही नहीं कामिका एकादशी पर पूरे दिन सर्वार्थ सिद्धि योग रहने वाला है, ऐसे में इस दिन आप कभी भी कोई शुभ काम कर सकते हैं.
कामिका एकादशी पर बन रहा शिववास योग
शिववास योग  में देवों के देव महादेव अपनी अर्धांगिनी मां पार्वती के साथ कैलाश पर्वत पर विराजमान होते हैं. कामिका एकादशी पर दोपहर में 3:55 पर शिववास योग बन रहा है. इसके बाद भोलेनाथ नंदी पर सवार होंगे, ऐसे में कहा जाता है कि शिववास योग में भगवान शिव का अभिषेक करने से साधकों के सभी दुख नष्ट होते हैं और उन्हें सुख की प्राप्ति होती है. कामिका एकादशी पर शिववास योग के अलावा बालव और कौलव करण के योग भी बन रहे हैं, साथ ही रोहिणी नक्षत्र का संयोग भी बन रहा है.

 व्रत त्यौहार /शौर्यपथ /भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की तृतीया को हरितालिका तीज का व्रत रखा जाता है. महिलाएं अखंड सौभाग्य के लिए हरतालिका तीज का व्रत रखकर भगवान शिव व माता पार्वती की पूजा करती हैं. उत्तर भारत के अधिकतर राज्यों में महिलाएं तीज व्रत रखती हैं और कई राज्यों में इस व्रत को निर्जला रखा जाता है. सौभाग्य के इस व्रत की तैयारी महिलाएं बहुत पहले से करने लगती हैं. हरतालिका तीज व्रत के दिन नए वस्त्र धारण करने और सुहाग की चीजें दान करने का अत्यधिक महत्व होता है. यहां जानिए इस साल कब रखा जाएगा हरतालिका तीज का व्रत.
हरतालिका तीज का व्रत |
इस बार भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि 5 सितंबर, गुरुवार को दोपहर 12 बजकर 22 मिनट से शुरू होकर 6 सितंबर, शुक्रवार को सुबह 3 बजकर 1 मिनट तक है. तीज का व्रत 6 सितंबर के दिन ही रखा जाएगा.
हरतालिका तीज की पूजा विधि
हरितालिका तीज के दिन प्रात:काल उठकर स्नान आदि के बाद मिट्‌टी से भगवान शंकर, माता पार्वती और भगवान गणेश की स्थापना करें. सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा करें. उन्हें तिलक लगाएं और दुर्वा चढ़ाएं. इसके बाद विधि-विधान से भगवान शंकर और माता पार्वती की पूजा की जाती है. माता पार्वती को सुहाग की चीजें लाल चुनरी, सिंदूर, बिंदी आदि चढ़ाएं और हरतालिका तीज की व्रत कथा का पाठ करें.
क्यों किया जाता है हरतालिका तीज का व्रत
विवाहित महिलाओं के लिए हरतालिका तीज का व्रत बहुत महत्व है. इस दिन महिलाएं अपने सुहाग को अखंड रखने के लिए व्रत रखती हैं और भगवान शंकर, माता पार्वती और भगवान गणेश की पूजा करती हैं. मान्यता है कि माता पार्वती  ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए मिट्‌टी से उनकी प्रतिमा बनाकर कठोर तप किया था और भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त किया था. इस व्रत को करने से विवाहित महिलाओं को भगवान शिव की कृपा से अखंड सौभाग्य का वरदान प्राप्त होता है.

व्रत /त्यौहार /शौर्यपथ / सावन का पवित्र महीना 22 जुलाई से शुरू हो चुका है, जो 19 अगस्त तक चलेगा. 29 जुलाई को सावन का दूसरा सोमवार  मनाया जा रहा है, इस दिन शिवालयों में भक्तों की भीड़ लगती है और शिवलिंग पर जल अर्पित करने के साथ ही भांग, बेलपत्र  और धतूरा अवश्य चढ़ाया जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि शिवलिंग पर बेलपत्र अर्पित करते समय आपको किस स्तुति का पाठ करना चाहिए? तो चलिए आज हम आपको बताते हैं कि सावन के पवित्र महीने में शिवलिंग पर बेलपत्र अर्पित करते समय अगर आप इस स्तोत्र का पाठ करेंगे, तो इससे आपकी सभी मनोकामना पूर्ण होगी.
शिव आह्वान मंत्र
ॐ मृत्युंजय परेशान जगदाभयनाशन ।
तव ध्यानेन देवेश मृत्युप्राप्नोति जीवती ।।
वन्दे ईशान देवाय नमस्तस्मै पिनाकिने ।
नमस्तस्मै भगवते कैलासाचल वासिने ।
आदिमध्यांत रूपाय मृत्युनाशं करोतु मे ।।
त्र्यंबकाय नमस्तुभ्यं पंचस्याय नमोनमः ।
नमोब्रह्मेन्द्र रूपाय मृत्युनाशं करोतु मे ।।
नमो दोर्दण्डचापाय मम मृत्युम् विनाशय ।।
देवं मृत्युविनाशनं भयहरं साम्राज्य मुक्ति प्रदम् ।
नमोर्धेन्दु स्वरूपाय नमो दिग्वसनाय च ।
नमो भक्तार्ति हन्त्रे च मम मृत्युं विनाशय ।।
अज्ञानान्धकनाशनं शुभकरं विध्यासु सौख्य प्रदम् ।
नाना भूतगणान्वितं दिवि पदैः देवैः सदा सेवितम् ।।

सर्व सर्वपति महेश्वर हरं मृत्युंजय भावये ।।
शिव बिल्वाष्टकम्
त्रिदलं त्रिगुणाकारं त्रिनेत्रं च त्रियायुधं ।
त्रिजन्म पापसंहारम् ऐकबिल्वं शिवार्पणं ।।
त्रिशाखैः बिल्वपत्रैश्च अच्चिद्रैः कोमलैः शुभैः ।
तवपूजां करिष्यामि ऐकबिल्वं शिवार्पणं ।।
कोटि कन्या महादानं तिलपर्वत कोटयः ।
काञ्चनं क्षीलदानेन ऐकबिल्वं शिवार्पणं ।।
काशीक्षेत्र निवासं च कालभैरव दर्शनं ।
प्रयागे माधवं दृष्ट्वा ऐकबिल्वं शिवार्पणं ।।
इन्दुवारे व्रतं स्थित्वा निराहारो महेश्वराः ।
नक्तं हौष्यामि देवेश ऐकबिल्वं शिवार्पणं ।।
रामलिङ्ग प्रतिष्ठा च वैवाहिक कृतं तधा ।
तटाकानिच सन्धानम् ऐकबिल्वं शिवार्पणं ।।
अखण्ड बिल्वपत्रं च आयुतं शिवपूजनं ।
कृतं नाम सहस्रेण ऐकबिल्वं शिवार्पणं ।।
उमया सहदेवेश नन्दि वाहनमेव च ।
भस्मलेपन सर्वाङ्गम् ऐकबिल्वं शिवार्पणं ।।
सालग्रामेषु विप्राणां तटाकं दशकूपयो: ।
यज्नकोटि सहस्रस्च ऐकबिल्वं शिवार्पणं ।।
दन्ति कोटि सहस्रेषु अश्वमेध शतक्रतौ ।
कोटिकन्या महादानम् ऐकबिल्वं शिवार्पणं ।।
बिल्वाणां दर्शनं पुण्यं स्पर्शनं पापनाशनं ।
अघोर पापसंहारम् ऐकबिल्वं शिवार्पणं ।।
सहस्रवेद पाटेषु ब्रह्मस्तापन मुच्यते ।
अनेकव्रत कोटीनाम् ऐकबिल्वं शिवार्पणं ।।
अन्नदान सहस्रेषु सहस्रोप नयनं तधा ।
अनेक जन्मपापानि ऐकबिल्वं शिवार्पणं ।।
बिल्वस्तोत्रमिदं पुण्यं यः पठेश्शिव सन्निधौ ।
शिवलोकमवाप्नोति ऐकबिल्वं शिवार्पणं ।।
शिव स्त्रोत का उच्चारण करने के लाभ
कहा जाता है कि सावन के पवित्र महीने में भगवान शिव का जल अभिषेक करने के साथ ही अगर उन्हें बेलपत्र चढ़ाया जाए, तो इससे वह बहुत खुश होते हैं. बस ध्यान रखने योग्य बात यह है कि बेलपत्र में तीन पत्तियां हो और तीनों पत्तियां टूटी हुई ना हो. इसके ऊपर आप चंदन से ओम लिखें और इसे शिवलिंग पर अर्पित करें. इस दौरान अगर आप शिव आह्वान मंत्र और शिव बिल्वाष्टकम् स्तोत्र का उच्चारण करते हैं, तो भगवान भोलेनाथ अति प्रसन्न होते हैं और आपकी सभी विपदा को दूर कर खुश रहने का आशीर्वाद देते हैं.

    रायपुर / शौर्यपथ / आज लोकेश और राहुल की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। अनुकंपा नियुक्ति मिलने की खुशी के साथ घर की जिम्मेदारी निभाने में भी सक्षम हो गया है। घर-परिवार में त्यौहार जैसा माहौल लग रहा है। एक-दूसरे को मिठाई खिलाकर बधाईयां दे रहे है।     मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय की संवेदनशीलता से आमजनों के हित में त्वरित कार्य करने के निर्देश जिले के सभी कलेक्टरों को दिया गया है। इसी कड़ी में लोकेश और राहुल को भी अनुकंपा नियुक्ति मिली है और उनके जीवन में सकारात्मक बदलावा आया है। गरियाबंद जिले की श्री राहुल, श्री लोकश कुमार को अनुकम्पा नियुक्ति मिल गई है। गरियाबंद कलेक्टर श्री दीपक अग्रवाल के हाथों अनुकंपा नियुक्ति पत्र मिला है।
    छत्तीसगढ़ शासन के प्रावधानों के तहत मुख्यमंत्री श्री साय अनुकंपा नियुक्ति के प्रकरणों को तेजी से निराकृत करने के निर्देश दिये हैं। इसी के तहत अनुकंपा नियुक्ति के प्रकरणों को तेजी से पूर्ण किया जा रहा है। प्रशासन की त्वरित कार्रवाई के द्वारा अनुकंपा नियुक्ति मिलने से आज दोनों युवकों ने खुशी जताते हुए मुख्यमंत्री एवं जिला प्रशासन का आभार जताया। श्री राहुल एवं श्री लोकेश कुमार को भृत्य पद पर अनुकंपा नियुक्ति दी गई है। अनुकंपा नियुक्ति मिलने के बाद उन्होंने कहा कि राज्य शासन की नीति के तहत त्वरित पहल से नौकरी मिल गई है। जिससे आर्थिक समस्याओं को दूर करने एवं परिवार के पालन पोषण में सहायक होगी।
    उल्लेखनीय है कि अनुकंपा नियुक्ति पत्र प्राप्त करने वाले गरियाबंद जिले देवभोग अंतर्गत ग्राम सुपेबेड़ा के निवासी श्री राहुल कुमार क्षेत्रपाल ने बताया कि उनके पिताजी स्वर्गीय श्री तुकाराम सहायक शिक्षक के रूप में शासकीय प्राथमिक शाला ठिरर्लीगुड़ा में पदस्थ थे, निधन 06 अक्टूबर 2022 को हुआ। निधन के बाद उनके पुत्र श्री राहुल कुमार क्षेत्रपाल को भृत्य पद के रूप में शासकीय माध्यमिक शाला झाखरपारा में नियुक्ति मिली है। उन्होंने बताया कि अनुकंपा नियुक्ति मिलने से परिवार के पालन पोषण एवं देखरेख में सहायता मिलेगी। साथ ही भविष्य भी सुरक्षित रहेगा। इसी प्रकार ग्राम दीवानमुड़ा के रहने वाले श्री लोकेश कुमार शांडिल्य के पिताजी स्वर्गीय श्री डोंगर सिंह शांडिल्य प्रधानपाठक के रूप में शासकीय माध्यमिक शाला दीवानमुड़ा में पदस्थ थे। निधन 30 जनवरी 2024 हो हुआ। निधन के पश्चात श्री लोकेश कुमार शांडिल्य को भृत्य के रूप में शासकीय हायर सेकेण्डरी स्कूल झाखरपारा में अनुकंपा नियुक्ति मिली है। उन्होंने बताया कि पिता के जाने के बाद भविष्य चिंतित था। शासन की पहल से अनुकंपा नियुक्ति मिलने से परिवार के खुशहाली में मदद होगी।

स्वास्थ्य विभाग में मिली नौकरी से पहाड़ी कोरवाओं की बदल रही जीवनरेखा 

    रायपुर /शौर्यपथ / यह पहाड़ी कोरवा समारिन बाई है। कुछ दिन पहले तक इन्हें गिनती के कुछ लोग ही जानते थे। यह सिर्फ इनकी ही बात नहीं है। इनके गाँव की भी यहीं बात है। घने जंगल के बीच मौजूद इनके गाँव टोकाभांठा को भी बहुत कम लोग जानते हैं। मुख्य सड़क से दूर टोकाभांठा में रहने वाली पहाड़ी कोरवा समारिन बाई का जीवन भी घने जंगल में बसे गाँव की तरह गुमनाम सा था। जहाँ सुबह का सूरज तो रोज निकलता था, लेकिन इनकी जिंदगी में गरीबी का अंधेरा जस का तस रहता था। दिन के उजाले में पहाड़ के नजदीक पहाड़ जैसी जिंदगी जीने वाली समारिन बाई ने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि एक दिन उन्हें नौकरी मिल जायेगी और अंधेरे से घिरी गरीबी को दूर कर कडुवाहट भरी जिंदगी में मिठास तथा जीवन में उल्लास का उजियारा लाएगी।
    कोरबा जिले के अजगर बहार ग्राम पंचायत के अंतर्गत ग्राम टोकाभांठा में रहने वाली समारिन बाई अब पहले से काफी बदल गई है। उनकी जिंदगी और रहन-सहन में बदलाव की शुरुआत हाल ही के दिनों से हुई है। जिला प्रशासन की पहल पर जब विशेष पिछड़ी जनजाति वर्ग के युवाओं को रोजगार से जोड़ा जा रहा था तब समारिन बाई की शिक्षा भी बहुत काम आई। कक्षा दसवीं तक पढ़ी समारिन बाई को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र लेमरू में वार्ड आया की नौकरी मिल गई। फिर क्या था, जंगल में बकरी चराने वाली और गरीबी की वजह से आर्थिक तंगी से जूझने वाली समारिन बाई अस्पताल में अलग रूप में नज़र आ रही है। ट्रे में दवाइयां लेकर मरीजों के वार्ड तक और डॉक्टर, नर्स के साथ उनके आस-पास समारिन का दिन गुजर रहा है। उन्होंने बताया कि उसने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि एक दिन वह सरकारी अस्पताल में अपनी ड्यूटी करेगी। उन्हें तो लगता था कि हम पहाड़ी कोरवाओं की जिंदगी गरीबी के बीच जंगल में उनके पुरखों की तरह ही कठिनाइयों के बीच बीतेगी।


   पहाड़ी कोरवा समारिन बाई का कहना है कि उनका समाज ज्यादा पढ़ा लिखा नहीं है। जंगल में गरीबी के बीच बहुत ही विषम परिस्थितियों में जीवन-यापन करना पड़ता है। ऐसे में शिक्षा से जुड़ पाना संभव नहीं हो पाता। खासकर लड़कियों को घर के काम करने पड़ते हैं, उनका स्कूल जाना और पढ़ाई पूरी कर पाना बहुत चुनौती है। मैंने किसी तरह पढ़ाई तो कर ली थी लेकिन नौकरी मिलेगी यह कभी सोचा ही नहीं था। समारिन बाई ने बताया कि उन्हें अस्पताल में नौकरी मिली है। इस जगह में रहकर वह जान पा रही है कि अन्य समाज के साथ कैसे रहना है। किस तरह पढ़ाई कर महिलाएं काम कर रही है। यहाँ बहुत कुछ सीखने का अवसर मिल रहा है। उन्होंने बताया कि अभी मानदेय में जो राशि मिल रही है उससे घर का खर्च चला रही है। भविष्य में कुछ पैसे बचत करने की कोशिश भी करेगी ताकि अपने बच्चों का भविष्य बना पाए। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र लेमरू में ही पहाड़ी कोरवा समार साय, बुधवार सिंह की भी स्वच्छक तथा वार्ड बॉय के रूप में नौकरी लगी है। मानदेय के आधार पर मिली नौकरी से दोनों खुश हैं और बताते हैं कि दिन भर जंगल में बिताने से बेहतर है कि यहां काम कर कुछ पैसे मिल जाएं। इससे घर परिवार का खर्च चल जाता है। उन्होंने मुख्यमंत्री के निर्देशानुसार जिला प्रशासन द्वारा पहाड़ी कोरवाओं को दी जा रही नौकरी की सराहना करते हुए कहा कि हमारी कड़ुवाहट भरी जिंदगी में नौकरी से मिठास जरूर आयेगी।
   गौरतलब है कि मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय के दिशा निर्देशन में कलेक्टर श्री अजीत वसंत ने स्वास्थ्य और शिक्षा विभाग में जिले के पहाड़ी कोरवाओं तथा बिरहोरों को योग्यता के आधार पर मानदेय में नौकरी पर रखने के निर्देश दिए हैं। स्वास्थ्य विभाग द्वारा जिले में पीवीटीजी के 19 युवाओं को अस्पतालों में विभिन्न पदों पर रखा गया है।

 शौर्यपथ /कटहल को वेजिटेरियन का मीट भी कहा जाता है. कटहल एक ऐसी सब्जी है जिसे ज्यादातर लोग खाना पसंद करते हैं. कटहल से कई तरह की रेसिपीज बनाई जा सकती हैं. कटहल स्वाद के साथ-साथ सेहत के लिए भी काफी फायदेमंद माना जाता है. आपको बता दें कि कटहल में विटामिन ए, विटामिन सी, थाइमिन, पोटैशियम, कैल्‍शियम, राइबोफ्लेविन, आयरन, नियासिन और जिंक जैसे तमाम गुण पाए जाते हैं, जो शरीर को कई लाभ पहुंचाने में मददगार हैं. लेकिन कहते हैं न हर सिक्के के दो पहेलू होते हैं ठीक वैसे ही कटहल के हैं. कुछ लोगों के लिए कटहल का सेवन हानिकारक हो सकता है. तो चलिए जानते हैं किन लोगों को नहीं करना चाहिए कटहल का सेवन.
किसे नहीं करना चाहिए कटहल का सेवन-
1. डायबिटीज-
डायबिटीज के मरीजों के लिए हानिकारक है कटहल का सेवन. कटहल में एंटी-डायबिटीक गुण ब्लड शुगर लेवल को कम करने का काम कर सकते हैं. इसलिए जिन लोगों का शुगर लेवल लो रहता है उन्हें इसका सेवन करने से बचना चाहिए.
2. पेट के लिए-
अगर आपको पाचन संबंधी समस्याएं हैं तो आप भूलकर भी कटहल का सेवन न करें. क्योंकि कटहल में कई ऐसे तत्व पाए जाते हैं, जिससे उलटी, पेट दर्द और अपच की समस्या हो सकती है.
3. स्किन एलर्जी-
कई बार कटहल खाने से स्किन एलर्जी भी हो सकती है. जिन लोगों की स्किन सेंसटिव होती है, उन्हें कटहल का सेवन नहीं करना चाहिए वरना स्किन पर रैशेज की समस्या हो सकती है.
4. प्रेगनेंसी-
प्रेगनेंसी में कटहल का सेवन करने से बचना चाहिए. क्योंकि कटहल की तासीर गर्म होती है जो मां और बच्चे दोनों के लिए हानिकारक हो सकता है.

  शिक्षा /शौर्यपथ /सोशल मीडिया पर कथावाचक जया किशोरी मोटिवेशनल स्पीकर के रूप में हमेशा चर्चा में बनी रहती हैं. उनके वीडियोज लोग सुनते और फॉलो भी करते हैं. जया किशोरी रिलेशनशिप से लेकर पैरेंटिंग टिप्स पर अक्सर बात करती हैं. हाल ही में उन्होंने पेरेंटिग को लेकर कुछ खास टिप्स दिए हैं, जिसे मां बाप फॉलो करते हैं उनके बच्चे काबिल और संस्कारी बनेंगे.
जया किशोरी के पैरेंटिंग टिप्स
1- जया किशोरी कहती हैं कि जब बच्चा अपनी तोतली जुबां में गाली देता है, तो आप खूब हंसते हैं. बस यहीं आप गलत करते हैं. आपका उसकी गालियों पर हंसना मतलब गाली देने के लिए प्रोत्साहित करना. बल्कि ऐसी कोई हरकत बच्चा करे तो उसपर हंसने की बजाय उसे समझाना चाहिए.
2-वहीं, कई बार बच्चे का हाथ उठाने पर भी लोग खूब हंसते हैं. लेकिन वही बच्चा जब बड़ा होकर हाथ उठाएगा तो आपके लिए गलत होगा. आपको कम उम्र से ही बच्चों को ऐसी गलत चीजें नहीं सिखानी चाहिए जो आगे चलकर परेशानी का सबब बने. आप बच्चे के सामने कोई अभद्र व्यवहार करते हैं, तो बच्चा उसे तुरंत कॉपी करता है. ऐसे में आपको उसके सामने सोच समझकर बातें करनी चाहिए.
3- बच्चों के सामने कभी झूठ मत बोलिए. कभी-कभी आप रिश्तेदारों से या दोस्तों से किसी बात को लेकर झूठ बोल देते हैं जिसको बच्चा सुन रहा होता है. ऐसे में उसके दिमाग में आता है कि झूठ बोलना सही है.
4- इसके अलावा आपको माता पिता के रूप में अपने घर का माहौल सकारात्मक रखना चाहिए. घर में हर वक्त लड़ाई-झगड़े होते हैं तो फिर माहौल बहुत टॉक्सिक हो जाता है, जिससे बच्चे के मन पर बुरा असर पड़ता है. बच्चों को अच्छी आदतें सिखाने से पहले आप उन आदतों को खुद भी फॉलो करें.
5- जया कहती हैं कि बच्चे को अच्छा इंसान बनने में 50 प्रतिशत योगदान उनके माता-पिता का होता है और 50 उनके दोस्तों और बाहर के माहौल का. आप पूरी कोशिश करें कि आप बच्चे के सामने कोई गलत व्यवहार न करें.  

 व्रत त्यौहार /शौर्यपथ /'गुरु गोविन्द दोऊ खड़े, काके लागूं पाय, बलिहारी गुरू अपने गोविन्द दियो बताय.'  गुरु के संबंध में संत कबीर दास का यह दोहा काफी लोकप्रिय है जिसमें गुरु को गोविंद यानी भगवान से भी ज्यादा महत्व दिया गया है. दोहे के अनुसार, गोविंद यानी भगवान और गुरु एक साथ खड़े हो तो पहले गुरु को प्रणाम करना चाहिए. क्योंकि गुरु के कारण ही भगवान के दर्शन का अवसर मिला है. गुरु पूर्णिमा गुरु के इसी महत्व को उत्सव की तरह मनाने का दिन है. जीवन में गुरु के महत्व की सराहना करने के लिए यह पर्व मनाया जाता है. महाभारत की रचना करने वाले महर्षि वेदव्यास की जन्म तिथि को गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है. बौद्ध धर्म में इस दिन को बुद्ध पूर्णिमा के तौर पर मनाया जाता है. इस साल 21 जुलाई को गुरु पूर्णिमा मनाया जाएगा. व्रत नहीं रखने वाले लोग इस दिन सात्विक भोजन बनाते हैं. गुरु पूर्णिमा के खास मौके पर आप ये चार रेसिपी ट्राई कर सकते हैं.
गुरु पूर्णिमा के लिए चार आसान रेसिपी
सूजी हलवा
सूजी का हलवा बनाना बेहद आसान है. एक गहरे पैन में 1/3 कप चीनी में 1 कप पानी और आधा चम्मच इलायची पाउडर डाल कर चीनी घुलने तक पकाते हुए शुगर सिरप तैयार कर लें. एक पैन को गर्म करने के बाद एक चम्मच देसी घी डालें. अब पैन में आधा कप सूजी डालकर सुनहरा होने तक भून लें. अब इसमें तैयार किया गया सुगर सिरप डाल कर मिला लें. मध्यम या तेज आंच पर तीन-चार मिनट के लिए सूजी पकने तक बीच-बीच में चलाते हुए पकाएं. गैस ऑफ करें और अपने पसंद के भुने हुए ड्राई फ्रूट्स के साथ हलवा सर्व करें.
केसरी सेवइयां
केसरी सेवइयां बनाने के लिए सबसे पहले 8-10 काजू और 12-15 किशमिश गोल्डन होने तक घी में तल लें. एक कटोरी में दो चम्मच गर्म दूध में केसर के कुछ धागे डाल कर रख लें. अब बचे हुए घी में सेवइयां डालकर गोल्डन होने तक भून लें. इसके बाद सेवइ में आधा कप गर्म पानी डाल दें. केसर वाला दूध और आधा कप चीनी डालकर मीडियम-लो फ्लेम पर पानी सूखने तक पका लें. ड्राई फ्रूट्स से गार्निश कर सर्व करें.
मीठा पोंगल
पोंगल एक हेल्दी और पारंपरिक साउथ इंडियन डिश है. मीठा पोंगल बनाने के लिए एक नॉन स्टिक पैन में 1/4 मूंग दाल और 1 बड़ा चम्मच चना दाल भून लीजिए. घीरे-धीरे एक कप चावल डालकर गोल्डन ब्राउन होने तक भूनें. इस मिश्रण को एक प्रेशर कुकर में डाल कर आधा कप पानी डाल कर 5 सीटी लगाएं. पके हुए मिश्रण में एक कप दूध और 1/4 पानी डाल कर मिला दें. तड़का तैयार करने के लिए 2 चम्मच घी में 1 चम्मच काजू और 1 चम्मच किशमिश डाल कर फ्राई कर लें. तैयार पोंगल में तड़का डाल कर मिला लें और गरमा गरम सर्व करें.
पंचामृत
दूध, घी, दही, हनी और चीनी जैसे कुल पांच चीजों को मिलाकर पंचामृत बनाया जाता है. किसी भी धार्मिक अनुष्ठान या पूजा में पंचामृत का विशेष महत्व होता है. इसे बनाने के लिए एक बड़े बाउल में एक कप दूध, एक चम्मच देसी घी, एक चम्मच दही, एक चम्मच हनी और एक चम्मच चीनी डाल कर मिला लें. अब इसमें एक कटा हुआ केला, चुटकी भर इलायची पाउडर और कुछ केसर के धागे डाल कर मिला लें.

सेहत टिप्स /शौर्यपथ /सिरदर्द ऐसी दिक्कत है जो कभी भी और कहीं भी हो सकती है. कभी नींद की कमी से तो कभी बुखार आने पर, ज्यादा शोर में बैठने से, आंखें किसी लाइट से चौंधियाने पर या फिर उल्टी जैसा महसूस होने पर भी सिर का दर्द  होने लगता है. बहुत से लोग माइग्रेन की दिक्कत से भी परेशान रहते हैं. अक्सर लोग सिर के दर्द में दवाइयां खाने से परहेज करते हैं. वहीं, अगर हर दूसरे-तीसरे दिन सिर में दर्द होने लगे तो जायजतौर पर इतनी दवाई तो नहीं खाई जा सकती है. ऐसे में काम आते हैं घरेलू नुस्खे और कुछ कारगर ट्रिक्स. सिर के दर्द से राहत पाने के लिए कुछ घरेलू उपाय आजमाकर देखे जा सकते हैं. ये उपाय अपना असर तेजी से दिखाते हैं और इनसे सिरदर्द की दिक्कत दूर होने में तेजी से असर महसूस होता है सो अलग. जानिए किस एक चीज से खासतौर से सिर का दर्द तुरंत कम हो सकता है.
सिरदर्द के घरेलू उपाय |
खाकर देखें ये चीज
सिर में होने वाले तेज दर्द को कम करने के लिए अदरक का सेवन करके देखा जा सकता है. अदरक के एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण दर्द को खींचने का काम करते हैं और तकलीफ कम करने में असर दिखाते हैं. जब सिर में दर्द हो तो आप अदरक का छोटा टुकड़ा खा सकते हैं, अदरक की चाय बनाकर पी जा सकती है या फिर अदरक को खाने की किसी और चीज के साथ मिलाकर खा सकते हैं.
कैफीन
चाय या कॉफी को पीने पर भी सिर के दर्द से छुटकारा मिलता है. कैफीनेटेड बेवरेज दर्द कम करने में असर दिखाते हैं. बहुत से लोगों को सिर का दर्द होने पर चाय पीकर आराम महसूस होता है. वहीं, कॉफी का सेवन कुछ के लिए फायदेमंद होता है. बस इस बात का ध्यान रखें कि आप जरूरत से ज्यादा कैफीन का सेवन ना करें.
पिएं पानी
कुछ स्टडीज में देखा गया है कि पानी की कमी यानी डिहाड्रेशन सिर दर्द को ट्रिगर कर सकता है. अगर शरीर में पानी की कमी हो तो सिर का दर्द बढ़ सकता है. ऐसे में पर्याप्त मात्रा में पानी पीने से सिर के दर्द से राहत मिल सकती है. हालांकि, एकसाथ ढेर सारा पानी पीने के बजाए घूंट भरते हुए थोड़ा-थोड़ा पानी पिएं जिससे सिरदर्द से राहत मिल सके.
एसेंशियल ऑयल्स
कुछ ऐसेंशियल ऑयल स्ट्रेस कम करने और सिर के दर्द से राहत दिलाने में कारगर साबित होते हैं. लैवेंडर, कैमोमाइल, पेपरमिंट और बेजिल एसेंशिल ऑयल सिर का दर्द दूर कर सकते हैं. इन ऑयल्स को सूंघने या माथे पर मलने से राहत मिल सकती है.

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