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चाक पर हाथ चला और दीया बनाकर मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय ने दिया सन्देश
बच्चों के हुनर और प्रस्तुति की सराहना की
राज्य स्तरीय शाला प्रवेश उत्सव में स्टॉल का किया अवलोकन
रायपुर /शौर्यपथ /बच्चे तो मन के सच्चे होते हैं और यह बिल्कुल ही गीली मिट्टी की तरह होते हैं.. आप इन्हें जिस रूप में आकार देना चाहते हैं, दे सकते हैं। मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय कुम्हार की चाक पर हाथ चलाते हुए राज्य स्तरीय शाला प्रवेश उत्सव में शायद यहीं संदेश दे रहे थे। जशपुर जिले में अपने गृहग्राम बगिया में मुख्यमंत्री श्री साय ने अपनी पत्नी श्रीमती कौशल्या देवी साय के साथ कार्यक्रम स्थल पर चाक पर न सिर्फ हाथ आजमाए...उन्होंने गीली मिट्टी से दीया बनाकर मौके पर उपस्थित बच्चों और अभिभावकों को अलग-अलग संदेश दिया कि गीली मिट्टी की तरह बच्चे भी कोमल होते हैं और उन्हें किसी भी रुप में ढाला जा सकता है। वहीं दीया बनाकर उन्होंने अँधेरे को दूर करने में दीये की उपयोगिता को बताने की भी कोशिश की।
इस दौरान बगिया में कार्यक्रम स्थल पर लगायें एक- एक स्टाल का मुख्यमंत्री श्री साय ने अवलोकन किया। उन्होंने बच्चों द्वारा तैयार मॉडल,सामग्रियों को देखकर उनकी सराहना की और उन्हें प्रेरित भी किया।
राज्य स्तरीय शाला प्रवेश उत्सव कार्यक्रम स्थल पर अलग अलग विभागों की स्टाल लगाई गई थी। जिसमें स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा बच्चों में वैज्ञानिक नवाचार को बढ़ावा देने मॉडल, स्वास्थ्य विभाग द्वारा डायरिया के रोकथाम, आदिवासी विकास विभाग द्वारा एकलव्य आवासीय विद्यालय में अध्यापन और आदिवासी बच्चों को दी जाने वाली सुविधाएं, लाइवलीहुड कॉलेज नवगुरूकुल द्वारा आजीविका पाठ्यक्रम की जानकारी दी गई। स्टाल में पीएमश्री प्राथमिक शाला लवाकेरा के विद्यार्थियों ने बैंड से देशभक्ति धुनों की प्रस्तुति दी। मुख्यमंत्री ने बच्चों की प्रस्तुति की सराहना की। शासकीय कन्या आश्रम बगीचा, पीएमश्री विद्यालय कांसाबेल, पीएमश्री विद्यालय कडरेगा के बच्चों ने स्कूल में तैयार की गई मॉडल, वैज्ञानिक सोच और तार्किकता को बढ़ावा देने वाले मॉडल से मुख्यमंत्री का ध्यान अपनी ओर खींचा। छात्रा कु.अनामिका ,समिस्ता टोप्पो, दीपिका सिंह,दृष्टि साय, अनुष्का टोप्पो ने जादुई पिटारे सहित अन्य प्रस्तुत सामग्रियों के विषय में बताया। शासकीय कन्या पूर्व माध्यमिक शाला पत्थलगांव के विद्यार्थियों ने हुनर के पेटी,खेल सामग्री ,जादुई पिटारा,बायो गैस मॉडल के माध्यम से मुख्यमंत्री को अवगत कराया।
शासकीय विद्यालय दोकड़ा द्वारा हेल्थकेयर सेजेस जशपुर के विद्यार्थियों द्वारा रोबोट के माध्यम से यातायात के दौरान दुर्घटना से बचाव,शासकीय महारानी लक्ष्मीबाई विद्यालय जशपुर की श्रुति डहरे, सरस्वती और भूमिका डहरे ने थ्री डी प्रिंटर के माध्यम से कलात्मक प्रिंट तैयार करने, हाइट फाइंडर के माध्यम से ऊंचाई नापने की जानकारी दी।
शासकीय हायर सेकंडरी स्कूल चराई डाँड़ के विद्यार्थियों ने ड्रिप सिंचाई, शासकीय पूर्व माध्यमिक विद्यालय गम्हरिया द्वारा मशरूम उत्पादन की जानकारी दी गई। स्टाल में बाँस कला, माटी कला अंतर्गत सामग्री की जानकारी भी दी गई। मुख्यमंत्री ने स्टाल में मिली जानकारी को प्रेरणादायक बताते हुए कहा कि बच्चों की यह प्रतिभा जीवन में आगे बढ़ने के काम आएगी।
बीमारियों को बढ़ने से रोकना स्वास्थ्य विभाग के लिए बड़ी चुनौती: स्वास्थ्य मंत्री
शादी के पहले जन्मकुंडली की तरह ही जेनेटिक कुंडली भी मिलाएं: श्री जायसवाल
आईआईटी भिलाई में आयोजित "हेल्थ इनोवेशन केयर इन छत्तीसगढ़" के दूसरे राउंड टेबल कॉन्फ्रेंस में शामिल हुए स्वास्थ्य मंत्री
रायपुर/शौर्यपथ /छत्तीसगढ के स्वास्थ्य मंत्री श्री श्याम बिहारी जायसवाल आज IIT भिलाई में आयोजित "हेल्थ इनोवेशन केयर इन छत्तीसगढ़" के दूसरे राउंड टेबल कॉन्फ्रेंस में शामिल हुए। इस कॉन्फ्रेंस में IIT, IIM, AIIMS, NIT और मल्टी नेशनल कंपनी के पदाधिकारियों के साथ छत्तीसगढ़ के दूरस्थ अंचल तक बेहतर मेडिकल सुविधा कैसे पहुंचे इस पर सकारात्मक चर्चा हुई। कॉन्फ्रेंस में स्वास्थ्य के क्षेत्र में नए सुझाव और तकनीक को लेकर चर्चा हुई जो आने वाले दिनों में राज्य के लिए काफी फायदेमंद साबित होंगे।
कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए श्री जायसवाल ने कहा कि स्वास्थ्य एक ऐसा विषय है जो इंसान के साथ ताउम्र जुड़ा रहता है , लिहाजा एक बीमारी को ठीक करना हे स्वास्थ्य नहीं है बल्कि व्यक्ति बीमार ही न हो यह ज्यादा आवश्यक है। ऐसी स्थिति लाने की लिए युवा पीढ़ी को शादी से पहले जन्म कुंडली ही नहीं बल्कि जेनेटिक कुंडली भी मिला लेनी चाहिए ताकि सिकल सेल एनीमिया जैसी बीमारी पूरी तरह से खत्म हो जाए।
श्री जायसवाल ने कहा कि छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य के क्षेत्र में तकनीक का इस्तेमाल हो रहा है और इसका लाभ भी दूरस्थ अंचल के लोगों को मिल रहा है। अंबिकापुर से उदयपुर तक ड्रोन चिकित्सा सेवा और रायपुर के मेकाहारा में रोबोटिक सर्जरी की शुरुआत नई तकनीक का ही उदाहरण है।
श्री जायसवाल ने भारत की अग्रणी संस्थाओं से कहा कि वो स्वास्थ्य के क्षेत्र में नए तकनीक की खोज करें जिसके लिए राज्य सरकार का हर संभव सहयोग रहेगा। उन्होंने जानकारी देते हुए कहा कि राज्य सरकार दूरस्थ क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं के विस्तार के लिए कार्य कर रही है जिसमें रायपुर और बिलासपुर में 700 बेड के अस्पताल तथा बस्तर और सरगुजा में सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल के निर्माण की घोषणा शामिल हैं।
कॉन्फ्रेंस में मुख्यमंत्री के सलाहकार डॉ धीरेंद्र तिवारी, IIT भिलाई के निदेशक प्रो.डॉ. राजीव प्रकाश , AIIMS रायपुर के कार्यकारी निदेशक लेफ्टिनेंट जनरल अशोक जिंदल , NIT रायपुर के निदेशक प्रो. एन. वी. रमन्ना राव सहित IIM रायपुर और स्टैनफोर्ड बायर्स सेंटर फॉर बायोडिजाइन के पदाधिकारी और IIT भिलाई के रिसर्च स्कॉलर्स उपस्थित थे।
योजना के क्रियान्वयन में गांव की महिलाएं निभा रहीं महत्वपूर्ण भूमिका
रायपुर/शौर्यपथ /जलजीवन मिशन योजना अंतर्गत दूरस्थ एवं दुर्गम क्षेत्रों में हर घर जल का सपना साकार हो रहा है। इस योजना से जिले के दूरस्थ अंचलों में भी घर-घर शुद्ध पेयजल पहुंचने से ग्रामीणों का पेयजल संकट भी दूर हो रहा है। महिलाओं को इस योजना से काफी राहत मिल रही है। पहले कई ग्रामीण महिलाओं को शुद्ध पेयजल के लिए कई किलोमीटर की दूरी भी तय करनी पड़ती थी, जिससे आने-जाने में परेशानी का सामना करना पड़ता था और शारीरिक परिश्रम भी अधिक लगता था। जल जीवन मिशन में ग्रामवासियों की सहभागिता सुनिश्चित की गई है, जिसमें महिलाओं की भूमिका महत्वपूर्ण है।
जिला मुख्यालय कांकेर से लगभग 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित नरहरपुर विकासखण्ड अंतर्गत ग्राम पंचायत बिरनपुर के आश्रित ग्राम करियापहर भी ऐसा गांव है, जहां जलजीवन मिशन के तहत हर घर शुद्ध पेयजल पहुंच रहा है। ग्राम करियापहर गांव में 149 परिवारों की कुल जनसंख्या 767 है, जिसमें महिलाओं की संख्या 369 एवं पुरूषों की संख्या 398 है। यह गांव के कुल भू-भाग का 3 प्रतिशत हिस्सा उबड़-खाबड़ तथा पथरीला होने के कारण यहां पानी सामान्य से कम मात्रा में पाया जाता है। साथ ही सभी मौसमों में पानी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध नहीं रहता है। यहां निस्तारी के लिए अन्य स्त्रोतों का उपयोग किया जाता है, जिनमें तालाब तथा कुएं शामिल हैं। यहां के पानी में उपलब्ध खनिजों में लोहे की अधिकता पाई गई। अलग-अलग मौसमों में यहां के लोगों को पानी से जुड़ी विभिन्न समस्याओं का सामना करना पड़ता था। कई मोहल्लों में गर्मी के दिनों में हैण्डपम्प सूख जाने से पीने तथा निस्तारी के लिए अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ता था। कई लोगों के घरों में शासन द्वारा शौचालय का निर्माण किया गया है, परन्तु पानी की कमी के कारण गांव वालों द्वारा शौचालयों का उपयोग नही किया जाता था। स्कूल तथा आंगनबाड़ी में भी पीने के पानी की समस्या हमेशा बनी रहती थी, लेकिन अब जलजीवन मिशन के तहत योजना के शत-प्रतिशत क्रियान्वयन से करियापहर के ग्रामवासियों को पानी की समस्याओं से छुटकारा मिला है।
ग्राम जल एवं स्वच्छता समिति द्वारा जल संरक्षण का दिया जा रहा संदेश
जलजीवन मिशन के सदस्य सचिव और कार्यपालन अभियंता लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी श्री बी.एन. भोयर ने बताया कि इसके तहत सबसे पहले गांव में ग्राम जल एवं स्वच्छता समिति का गठन किया गया एवं उन्हें नियमानुसार प्रशिक्षण प्रदान किया गया। गांव के लोगों को साफ एवं शुद्ध पेयजल से होने वाले लाभों के बारे में जानकारी दी गई। गांव की पांच महिलाओं का चयन कर उन्हें जल गुणवत्ता परीक्षण सिखाया गया है। स्कूलों में बच्चों को सफाई की आदतों को अपनाने एवं साफ-सफाई के बारे में जानकारी प्रदान की गई। ग्रामवासियों को जल स्रोतों के स्थायित्व के लिए भूमिगत जल के संरक्षण के संबंध में जानकारी दी गई। साथ ही गांव में जलजीवन मिशन द्वारा लगाए गए जल स्रोतों की सुरक्षा तथा रख-रखाव हेतु गांव के लोगों को प्रेरित किया गया।
जलजीवन मिशन के सफल क्रियान्वयन में गांव की महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग की ओर से जलजीवन मिशन के तहत ग्राम करियापहर में ग्रामसभा का आयोजन कर समिति के सदस्यों द्वारा जलजीवन मिशन और इसके क्रियान्वयन के विषय में जानकारी दी गई। इस अवसर पर गांव में जल प्रबंधन समिति का गठन किया गया, जिसमें 50 प्रतिशत महिलाओं की सहभागिता सुनिश्चित की गई। इस समिति में गांव के सरपंच को अध्यक्ष तथा पंचायत सचिव को सचिव बनाया गया। इसके अलावा गुणवत्ता समिति व पानी जांच समिति का गठन कर समिति के सदस्यों को जल परीक्षण की दोनों विधियों (एफ.टी.के. एवं एच.2एस.) की जानकारी के लिए प्रशिक्षण दिया गया है। इस गुणवत्ता समिति में गांव की मितानिन एवं आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के साथ-साथ गांव की अन्य महिलाओं को भी शामिल किया गया है। समिति की सदस्यगण जल की गुणवत्ता की जांच के बाद परिणामों को पोर्टल पर अपलोड करते हैं।
सभी से इस मुहिम में जुड़ने की अपील की
रायपुर/शौर्यपथ /मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने आज 'एक पेड़ मां के नाम' अभियान के तहत अपनी जन्मभूमि बगिया में अपनी माताजी के सम्मान में पौधरोपण किया। उन्होंने शासकीय हाईस्कूल बगिया परिसर में रुद्राक्ष का पौधा रोपा। उन्होंने कहा कि इस अभियान अंतर्गत लगे पौधे जननी और जन्मभूमि के रिश्ते को एक नई पहचान देंगे। मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय राज्य स्तरीय शाला प्रवेशोत्सव में शामिल होने यहां पहुंचे थे। इस अवसर पर उनकी धर्मपत्नी श्रीमती कौशल्या देवी साय ने भी रुद्राक्ष का पौधा लगाया। वहीं प्रदेश के वित्त मंत्री और जशपुर जिले के प्रभारी मंत्री श्री ओ पी चौधरी ने आंवले का पौधा लगाया।
मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय ने कहा कि मां के साथ रिश्ता अनमोल होता है। जिस प्रकार मां हमे जीवन देती है, हमारा पालन पोषण करती है, वैसे ही प्रकृति भी हमारे लिए जीवनदायिनी है। इसकी सुरक्षा और संवर्धन हमारी जिम्मेदारी है। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू की गई इस मुहिम से हम सभी को जुड़ते हुए पर्यावरण संरक्षण में अपना योगदान जरूर देना चाहिए। इस दौरान उन्होंने सभी से "एक पेड़ मां के नाम" अभियान के तहत पेड़ लगाने आग्रह किया। साथ ही सभी से पौधों का संरक्षण हेतु संकल्प लेने कहा।मुख्यमंत्री साय ने कहा कि इस मानसून में ज्यादा से ज्यादा पौधरोपण करें। अपने घर, आसपास के परिवेश, गांव और शहरों और जंगलों को खूब हरा-भरा बनाएं। इस अवसर पर रायगढ़ लोकसभा क्षेत्र के सांसद श्री राधेश्याम राठिया, विधायक जशपुर श्रीमती रायमुनी भगत, विधायक पत्थलगांव श्रीमती गोमती साय, विधायक आरंग गुरु खुशवंत साहेब सहित अन्य जनप्रतिनिधि उपस्थित रहे।
सेहत टिप्स /शौर्यपथ /बरसात के मौसम में स्किन से संबधी समस्याएं काफी देखी जाती हैं. अगर आप भी इस मौसम में अपनी स्किन को हेल्दी रखना चाहते हैं तो आप बिल्कुल सही जगह पर हैं. आज हम आपके लिए ऐसे ड्रिंक्स लेकर आए हैं जो आपकी स्किन को हेल्दी रखने में मददगार हैं. असल में बारिश के मौसम में हमारी स्किन काफी चिपचिपी और ऑयली हो जाती है. ऐसे में न तो हमारा मन तैयार होने का करता है और न ही कहीं बाहर जाने का. अगर आप भी अपनी स्किन को हेल्दी और ग्लोइंग रखना चाहते हैं तो इन जूस को सुबह खाली पेट सेवन कर सकते हैं. तो चलिए बिना किसी देरी के जानते हैं क्या हैं वो ड्रिंक.
स्किन को ग्लोइंग बनाने में मददगार हैं ये ड्रिंक्स-
1. गुनगुना पानी-
सुबह खाली पेट एक गिलास गुनगुने पानी का सेवन करने से शरीर डिटॉक्स होता है. स्किन को ग्लोइंग बनाने में मददगार है गुनगुना पानी.
2. एलोवेरा ड्रिंक-
एलोवेरा का जूस पीने से स्किन में नमी बनी रहती है और यह स्किन को हाइड्रेट करके ग्लोइंग बनाने में मदद कर सकता है.
3. आंवला ड्रिंक-
विटामिन सी से भरपूर आंवला स्किन के लिए अच्छा माना जाता है. सुबह खाली पेट आंवले का जूस पीने से स्किन को ग्लोइंग बना सकते हैं.
4. शहद ड्रिंक-
सुबह खाली पेट एक गिलास गुनगुने पानी में एक चम्मच शहद मिलाकर पीने से स्किन को ग्लोइंग बनाने में मदद मिल सकती है.
5. ग्रीन टी-
ग्रीन टी में एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं जो स्किन के लिए फायदेमंद होते हैं. रोजाना खाली पेट ग्रीन टी का सेवन कर स्किन को हेल्दी रख सकते हैं.
6. नारियल पानी-
नारियल पानी शरीर को हाइड्रेट रखने में मददगार है. सुबह खाली पेट नारियल पानी के सेवन स्किन को ग्लोइंग बना सकते हैं.
सेहत टिप्स /शौर्यपथ /चेरी एक ऐसा फल है जिसे स्वाद और सेहत से भरपूर माना जाता है. चेरी को कई प्रकार के व्यंजनों जैसे कि केक, टार्ट, पीज और चीज़केक में इस्तेमाल किया जा सकता है. चेरी का वैज्ञानिक नाम प्रूनस एवियम है, यह सबसे अधिक रोमांटिक फलों में से एक माना जाता है. इसका स्वाद खट्टा-मीठा होता है. यह एक गुठलीदार फल है. चेरी में थाईमिन, राइबोफ्लेविन, विटामिन बी, विटामिन ए, विटामिन सी, विटामिन के, विटामिन ई, विटामिन बी 6, पैटोथेनिक एसिड, नियासिन, फोलेट, पोटैशियम, मैग्नीज, कॉपर, आयरन, कैल्शियम, फॉस्फोरस जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो शरीर को कई लाभ पहुंचाने में मददगार हैं. तो चलिए जानते हैं किन लोगों को करना चाहिए चेरी का सेवन.
चेरी खाने के फायदे-
1. एंटीऑक्सीडेंट्स-
चेरी में एंथोसायनिन्स और क्वेरसेटिन जैसे एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं, जो शरीर को फ्री रेडिकल्स से बचा सकते हैं
2. सूजन-
चेरी में एंटी-इन्फ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो सूजन और दर्द को कम करने में मददगार हो सकते हैं.
3. नींद-
जिन लोगों को नींद न आने की समस्या रहती है उनके लिए फायदेमंद है चेरी का सेवन. चेरी में मेलाटोनिन होता है, जो नींद को सुधारने में मददगार है.
4. ब्लड प्रेशर-
ब्लड प्रेशर के मरीजों के लिए फायदेमंद है चेरी. इसमें पोटैशियम होता है, जो ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने में मददगार है.
5. वजन घटाने-
चेरी में कैलोरी कम होती है और फाइबर की मात्रा अधिक होती है, जिससे वजन को कंट्रोल करने में मदद मिल सकती है.
6. पाचन-
चेरी में फाइबर होता है, जो पाचन तंत्र को बेहतर रखने में मददगार है. कब्ज की समस्या में चेरी का सेवन फायदेमंद माना जाता है.
7. इम्यूनिटी-
चेरी में विटामिन सी होता है, जो इम्यून सिस्टम को मजबूत करने में मदद कर सकता है. मजबूत इम्यूनिटी शरीर को संक्रमण से बचाने में मददगार है.
8. स्किन-
चेरी में एंटीऑक्सीडेंट्स और विटामिन सी होते हैं, जो स्किन हेल्दी और ग्लोइंग बनाने में मदद कर सकते हैं.
व्रत त्यौहार /शौर्यपथ/भगवान जगन्नाथ का अपने भक्तों से अनूठा रिश्ता है. भक्तों के प्रेम में प्रभु इतना स्नान कर लेते हैं कि बीमार पड़ जाते हैं और भक्त 14 दिन तक उनकी अनवरत सेवा करके भी नहीं थकते हैं. भक्तों की सेवा से प्रसन्न प्रभु जगन्नाथ स्वस्थ होने पर उनसे मिलने काशी की गलियों में निकल पड़ते हैं. काशी में 7 जुलाई से तीन दिवसीय लक्खा मेला शुरू हो रहा है. इस मेले के दौरान रथयात्रा निकाली जाती है. इस वर्ष रथयात्रा के दौरान भगवान जगन्नाथ को 40 तरह की नानखटाई का भोग लगाया जाने वाला है. आइए जानते हैं लक्खा मेला में इस बार क्या क्या खास होने वाला है……
लक्खा मेले में नानखटाई का भोग
हिंदू धर्म में भगवान की पूजा बगैर भोग की पूरी नहीं होती है. देवी-देवताओं को उनके प्रिय चीजों का भोग चढ़ाया जाता है. काशी में लक्खा मेले के दौरान भगवान जगन्नाथको नानखटाई का भोग लगाया जाता है.
तैयार हो रही है 40 तरह की नानखटाई
लक्खा मेले में भगवान जगन्नाथ को भोग लगाने के लिए 40 तरह की नानखटाई तैयार की जा रही है. इनमें काजू, पिस्ता, नारियल के पारंपरिक नानखटाई के साथ-साथ चॉकलेट, स्ट्राबेरी के फ्लेवर के नाखटाई भी बनाए जा रहे हैं. काशी में विराजने वाले भगवान जगन्नाथ का नानखटाई से बहुत पुराना संबंध है. यहां दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालुओं और व्यापारियों को नानखटाई से जुड़े इस मेले का पूरे साल इंतजार रहता है.
ऐसे बनाई जाती है नानखटाई
भगवान जगन्नाथ के प्रिय भोग नानखटाई को तैयार करने में काफी समय और मेहनत लगती है. मैदा, सूजी, नारियल और मेवे को सांचे की मदद से नानखटाई को रूप दिया जाता है और उसे तंदूर में पकाया जाता है.
भगवान विष्णु के अवतार
भगवान जगन्नाथ के नाम का अर्थ ही है पूरे जगत के नाथ यानी जगन्नाथ. काशी में भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा के अवसर पर लक्खा मेला लगता है. मेले में भगवान जगन्नाथ, दाऊ बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ रथ पर सवार होकर काशी की गलियों में निकलते हैं और भक्तों को दर्शन देते हैं.
व्रत त्यौहार /शौर्यपथ /हर माह की एकादशी की तिथि भगवान श्री हरि यानी विष्णु जी की पूजा के लिए समर्पित है. हर एकादशी का अपना महत्व होता है. आषाढ़ माह में शुक्ल पक्ष में आने वाली एकादशी को आषाढ़ी एकादशी और देवशयनी एकादशी कहा जाता है. इस एकादशी के दिन भगवान श्री हरि चार माह के लिए योग निद्रा में चले जाते हैं. इस बार देवशयनी एकादशी का व्रत 16 जुलाई को रखा जाएगा. इसी दिन प्रभु श्री हरि की चार माह की योग निद्रा भी शुरू होगी और चार माह बाद देवउठनी एकादशी पर समाप्त होगी. जगत का पालन करने वाले भगवान के शयन करते समय इस दुनिया का संचालन कौन करता है और देवशयनी एकादशी से कौन सी पौराणिक कथा जुड़ी है, आइए जानते देवशयनी एकादशी से जुड़ी हर बात.
देवशयनी एकादशी की तिथि और शुभ मुहूर्त
आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी 16 जुलाई को संध्या 8 बजकर 33 मिनट पर शुरू होगी और 17 जुलाई को रात्रि 9 बजकर 2 मिनट पर रहेगी. इस बार देवशयनी एकादशी का व्रत 17 जुलाई बुधवार का रखा जाएगा.
देवशयनी एकादशी से जुड़ी पौराणिक कथा
भागवत पुराण में वर्णन है कि देवराज इंद्र को फिर से स्वर्ग का राजा बनाने के लिए भगवान विष्णु ने वामन अवतार लिया था. असुरों के राजा बलि बहुत शक्तिशाली और दानवीर था. उसने अपने पराक्रम से तीनों लोक पर अधिकार कर लिया था. इंद्र से स्वर्ग छिन जाने पर सभी देवी-देवताओं से भगवान विष्णु से गुहार लगाई और तक भगवान तब वामन का अवतार लेकर राजा बलि के पास पहुंचे. उन्होंने राजा बलि से तीन गज भूमि मांगी. राजा बलि के स्वीकार करने पर वामन भगवान ने एक डग में पूरी धरती, आकाश और सभी दिशाओं को नाप लिया. दूसरे डग में उन्होंने स्वर्ग लोक को नाप लिया और उन्होंने राजा बलि से पूछा कि अब में तीसरा डग कहां रखूं. राजा बलि पहचान गए कि स्वयं प्रभु उनकी परीक्षा लेने आए हैं, उन्होंने अपना सिर झुका दिया. भगवान विष्णु ने राजा बलि को पाताल लोक भेज दिया. राजा बलि की यह दानशीलता देखकर भगवान प्रसन्न हो गए और उन्होंने वरदान मांगने को कहा. राजा बलि ने भगवान विष्णु से अपने साथ महल में रहने और सेवा का सौभाग्य प्रदान करने का वरदान मांगा.
इससे माता लक्ष्मी विचलित हो गई और उन्होंने राजा बलि को अपना भाई बनाकर उन्हें भगवान विष्णु को वचन मुक्त करने को कहा. इसके बाद भगवान विष्णु ने कहा कि वह चार माह के लिए पाताल लोक में शयन करेंगे और इस दौरान सृष्टि का संचालन सुचारू रूप से चलता रहे, इसलिए नारायण भगवान ने भगवान शिव को इन चार माह पूरे जग का संचालन करने की जिम्मेदारी सौंपी. इसीलिए माना जाता है कि चातुर्मास के दौरान संसार का संचालन भगवान शिव द्वारा किया जाता है और इस समय भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व होता है.
लगभग 70 लाख माताओं-बहनों के खाते में 653 करोड़ 84 लाख रुपए अंतरित
रायपुर / शौर्यपथ / मुख्यमंत्री विष्णु देव साय महतारी वंदन योजना की पांचवीं किश्त सोमवार एक जुलाई को जारी करेंगे। योजना के अंतर्गत लगभग 70 लाख माताओं-बहनों के खाते में मुख्यमंत्री साय 653 करोड़ 84 लाख रुपए अंतरित करेंगे। उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री श्री साय ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की गारंटी के अनुरूप विवाहित माताओं-बहनों को हर महीने महतारी वंदन योजना के अंतर्गत 1000 रूपए देने का संकल्प लिया था। शपथ लेने के तीन महीने के भीतर ही इस महती योजना पर काम शुरू हो गया। प्रशासनिक अमले ने तेजी से सर्वे का काम पूरा करते हुए हितग्राही महिलाओं से फार्म भरवाए और प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 10 मार्च को महतारी वंदन योजना की पहली किश्त जारी की थी। इसके पश्चात नियमित रूप से यह किश्त जारी की जा रही है। नियमित रूप से यह राशि आने की वजह से महिलाएं काफी खुश हैं। कुछ महिलाएं अपने घरेलू बजट को इससे व्यवस्थित कर पा रही हैं, कुछ महिलाएं इस राशि को अपनी बच्चों की पढ़ाई-लिखाई में खर्च कर रही हैं तथा कुछ भविष्य के लिए निवेश कर रही हैं।
महतारी वंदन योजना के क्रियान्वयन में सुशासन के मूल्य स्पष्ट झलकते हैं। डीबीटी के माध्यम से राशि का अंतरण हो रहा है इससे पूरी प्रक्रिया पारदर्शी है। बीते दिनों जनदर्शन में बहुत सी महिलाएं आयी उन्होंने अपने आवेदन दिए साथ ही महतारी वंदन योजना को लेकर अपनी खुशी भी जाहिर की। इन महिलाओं ने मुख्यमंत्री से कहा कि विष्णु का सुशासन हमारे जीवन में बहुत सुख-समृद्धि लेकर आया है। इसके पहले महिलाओं को लेकर इतनी अच्छी योजना हमारे राज्य में क्रियान्वित नहीं की गई थी। इससे हमारे सपने पूरे हो रहे हैं।
सोमवार को जब मुख्यमंत्री पांचवीं किश्त का अंतरण महिलाओं के खाते में करेंगे, तब स्वतः ही महिलाओं के जीवन में कुछ खुशियां और भी जुड़ जाएंगी। मातृ शक्ति को मजबूत कर प्रदेश को विकसित बनाने का जो विजन मुख्यमंत्री ने देखा है, उस विजन की राह में एक मील का पत्थर इस दिन फिर जुड़ जाएगा।
टिप्स ट्रिक्स /शौर्यपथ /स्वच्छ वातावरण बनाने और संक्रमण से बचने का एक तरीका यह है कि आप अपने घर को साफ और पेस्ट फ्री रखें. भारतीय घरों में, छिपकलियां सबसे आम कीट हैं. बच्चों और परिवार के सदस्यों को उनके द्वारा फैलाई जाने वाली किसी भी बीमारी से बचाने के लिए घर से छिपकलियों को हटाना बहुत ज़रूरी है. इसलिए, हमने इस लेख में "छिपकलियों से कैसे छुटकारा पाएं" के कुछ आसान घरेलू उपाय बताएं हैं जिसे आप आजमा सकते हैं.
छिपकली कैसे भगाएं
काली मिर्च का स्प्रे
अगर आप छिपकली को मारने वाले नहीं बनना चाहते हैं तो काली मिर्च का स्प्रे सबसे बढ़िया ऑप्शन है. अगर आप छिपकलियों से छुटकारा पाने के लिए घरेलू उपचार की तलाश कर रहे हैं, तो काली मिर्च स्प्रे का इस्तेमाल कर सकते हैं.
लाल मिर्च पाउडर
काली मिर्च के स्प्रे की जगह लाल मिर्च पाउडर, हॉट सॉस या लाल मिर्च के गुच्छे का इस्तेमाल किया जा सकता है. यह आपकी आंखों में जलन पैदा कर सकता है, इसलिए छिपकलियों से छुटकारा पाने के लिए इसे अंधेरे, खाली कमरे में स्प्रे करें.
लहसुन और प्याज
छिपकलियों को दूर रखने के लिए, अपने घर में कुछ प्याज़ के टुकड़े या कच्चे लहसुन की कलियां रखें. अगर आप उन्हें इधर-उधर नहीं छोड़ना चाहते हैं, तो उन्हें पानी के साथ एक प्लास्टिक की बोतल में डालें और स्प्रे करें.
नेप्थलीन बॉल
आपको नेप्थलीन बॉल को पीसकर एक स्प्रे बॉटल में डालना है फिर, उसमें पानी और 2 चम्मच डिटॉल मिक्स करके पूरे घर के कोनों में छिड़क देना है. इससे छिपकलियां घर से दूर हो जाएंगी.
ब्यूटी टिप्स /शौर्यपथ /फेशियल आपकी त्वचा को निखारने के सबसे अच्छे तरीकों में से एक है, यह आपकी त्वचा को गहराई से साफ करता है और उसे फिर से जीवंत करता है, जिससे आपका सोने की तरह चमकता है. सैलून में कई तरह के फेशियल उपलब्ध हैं, जिनमें से हर एक में ऐसी सामग्री होती है जो अलग-अलग त्वचा संबंधी समस्याओं से निपटती है और आपकी त्वचा को हेल्दी बनाती है. जबकि फ्रूट फेशियल सबसे आम और किफ़ायती हैं, बहुत सी महिलाएं धीरे-धीरे गोल्ड फेशियल का विकल्प चुन रही हैं, क्योंकि इसमें त्वचा को चमकदार बनाने और बुढ़ापे से बचाने वाले गुण होते हैं.
क्या आप जानते हैं कि मिस्र की प्रसिद्ध रानी क्लियोपेट्रा हर रात अपने चेहरे पर सोने का मास्क लगाकर सोती थीं. तब से सोना रोमन और जापानी स्किनकेयर रूटीन का अहम हिस्सा रहा है.
गोल्ड फेशियल आमतौर पर महंगे होते हैं. क्या होगा अगर हम आपको बताएं कि घर पर भी गोल्ड फेशियल किया जा सकता है? बिल्कुल सही! बाजार में आसानी से उपलब्ध गोल्ड फेशियल किट से आप घर पर ही आसानी से फेशियल कर सकते हैं.
हम आपको इसे करने के तरीके के बारे में स्टेप बाय स्टेप बताएंगे.
स्टेप 1
थोड़ी मात्रा में क्लींजर लें और इसे अपनी हथेलियों के बीच रगड़ें, फिर अपने चेहरे और गर्दन पर धीरे से मालिश करें ताकि सारी गंदगी निकल आएं. अब आप गुनगुने पानी से धो लीजिए और थपथपाकर सुखा लें.
स्टेप 2
अगला कदम है अपनी त्वचा को एक्सफोलिएट करना ताकि डेड स्किन सेल्स से छुटकारा पाया जा सके. स्क्रबिंग से ओपन पोर्स को खोलने में मदद मिलती है. स्क्रब को अपनी हथेलियों पर लीजिए. फिर इसे अपने चेहरे और गर्दन पर एक या दो मिनट के लिए सर्कुलर मोशन में घुमाते हुए मालिश करें, फिर गुनगुने पानी से धो लीजिए. अब आप हाथ से थपथपाकर सुखा लीजिए.
स्टेप3
एक्सफोलिएट करने के बाद, आप सीधे मसाज क्रीम लगा सकते हैं या रोमछिद्रों को खोलने के लिए अपने चेहरे पर भाप ले सकते हैं. फेशियल क्रीम से मसाज करने से ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है. इससे फेस पर सोने सा निखार आता है.
स्टेप 4
स्क्रबिंग और मसाज के बाद, आपके गोल्ड फेशियल का मास्किंग स्टेप आपकी त्वचा को आराम करने का समय देगा और त्वचा पर जमी गंदगी को भी हटा देगा. साफ उंगलियों या ब्रश का उपयोग करके, अपने चेहरे और गर्दन पर एक समान परत लगाएं, इसके पूरी तरह सूखने तक इंतजार करें और फिर निर्देशों के अनुसार फेस को क्लीन कर लीजिए.
स्टेप 5
फेशियल के तुरंत बाद त्वचा को पोषण देने और एक सुरक्षात्मक परत बनाने के लिए मॉइस्चराइजर लगाना जरूरी है. मॉइस्चराइज़र आपकी त्वचा को गहराई से साफ करने के बाद गंदगी और बैक्टीरिया को छिद्रों में प्रवेश करने से रोकती है.
सेहत टिप्स /शौर्यपथ / रात का खाना दिन की आखिरी मील होती है और इसलिए यह बहुत महत्व रखता है. आयुर्वेद के अनुसार, रात के खाने को हल्का और सेहतमंद रखने की सलाह दी जाती है. कुछ ऐसे खाद्य पदार्थ भी हैं जिन्हें रात के भोजन में नहीं खाना चाहिए. आज इस आर्टिकल में हम इसी के बारे में बताने वाले हैं. तो चलिए बिना देर किए जानते हैं उन फूड्स की लिस्ट.
रात में क्या न खाएं
दही
ज्यादातर लोगों की आदत होती है कि वे अपने भोजन के साथ एक कटोरी दही खाते हैं. लेकिन रात के खाने में दही खाना सेहत के लिए ठीक नहीं है. इससे वेट बढ़ सकता है.
रिफाइंड आटा
गेहूं की तरह ही रिफाइंड आटा भी भारी होता है और पचाने में बेहद मुश्किल होता है.
मिठाई, चॉकलेट
अगर आपको मिठाई के साथ भोजन खत्म करने की आदत है, तो इसे छोड़ दें!
कच्चा सलाद
सलाद स्वास्थ्य के लिए अच्छा है, लेकिन विशेष रूप से कच्चा सलाद ठंडा और सूखा होता है और वात को कई गुना बढ़ा देता है. रात में हमारी पाचन अग्नि (अग्नि) सबसे कम होती है. बिना पचा हुआ भोजन विषाक्त पदार्थों कारण बन सकता है. यह मोटापा, ब्लड शुगर, त्वचा रोग, आंत संबंधी समस्याएं, हार्मोनल असंतुलन आदि का कारण बन सकता है.
अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.
व्रत त्यौहार /शौर्यपथ /साल की 24 एकादशियों को श्रेष्ठ कहा गया है क्योंकि एकादशी तिथि भगवान विष्णु को समर्पित होती है. आषाढ़ माह की पहली यानी कृष्ण पक्ष की एकादशी को योगिनी एकादशीकहा जाता है. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा के साथ-साथ व्रत किया जाता है. योगिनी एकादशी भगवान विष्णु को इसलिए भी प्रिय है क्योंकि इस एकादशी के बाद भगवान विष्णु शयन करने क्षीर सागर में चले जाते हैं. चलिए जानते हैं कि इस साल यानी 2024 में योगिनी एकादशी किस दिन पड़ रही है और इसकी पूजा का मुहुर्त क्या है.
कब है योगिनी एकादशी
इस साल योगिनी एकादशी 2 जुलाई को पड़ रही है. इसके ठीक बाद भगवान विष्णु चार माह तक आराम करने के लिए चले जाते हैं. इस साल आषाढ़ मास के कृष्णपक्ष की योगिनी एकादशी की तिथि 1 जुलाई को सुबह 10 बजकर 27 मिनट से आरंभ होगी और इसका समापन 2 जुलाई को सुबह 8 बजकर 41 मिनट पर हो रहा है. इस तरह उदया तिथि के अनुसार योगिनी एकादशी का व्रत 2 जुलाई को ही रखा जाएगा. व्रती इस एकादशी के व्रत का पारण 3 जुलाई को सुबह 5 बजकर 27 मिनट से सुबह 7 बजकर 11 मिनट के बीच कर सकते हैं.
योगिनी एकादशी का महत्व
योगिनी एकादशी निर्जला एकादशी के बाद आती है और इसके बाद देवशयनी एकादशी आती है. योगिनी एकादशी के दिन व्रत करने से जातक के सभी पापों का नाश हो जाता है. इस दिन विधि-विधान से भगवान विष्णु की पूजा करने और उनके निमित्त व्रत करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है और सांसारिक दुखों से मुक्ति मिल जाती है. इस दिन भगवान विष्णु को प्रसन्न करने पर मां लक्ष्मी की भी कृपा प्राप्त होती है. इस दिन व्रत करने वाले जातक को सुख, पारिवारिक शांति और सौभाग्य का वरदान मिलता है.
व्रत त्यौहार /शौर्यपथ /ये तो हम सब जानते हैं कि भगवान भोलेनाथ को सावन का महीना बहुत प्रिय होता है. सावन के महीने में भगवान शिव का अभिषेक करना, रुद्राभिषेक करना, जलाभिषेक करना या भगवान भोलेनाथ के लिए केवल व्रत का संकल्प ही लिया जाए तो उससे भी वो बहुत प्रसन्न होते हैं. इसमें भी खासकर सावन सोमवार का विशेष महत्व होता है, ऐसे में सावन सोमवार इस साल कब पड़ रहे हैं इसकी डेट्स क्या है और इस बार कितने सावन पड़ेंगे, आइए हम आपको बताते हैं.
कब होगी सावन की शुरुआत
सावन का पवित्र महीना इस बार 22 जुलाई 2024 सोमवार के दिन शुरू होगा और इसका समापन भी सोमवार 19 अगस्त को ही होगा, जिसे सावन पूर्णिमा कहा जाता है. सावन में इस बार पांच सोमवार पड़ेंगे, आइए हम आपको बताते हैं कि इन पांच सोमवार की तिथि क्या है और आप इस दिन क्या कर सकते हैं.
पहला सावन सोमवार
सावन का पहला सोमवार 22 जुलाई के दिन ही मनाया जाएगा, इस दिन भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए उन्हें दूध, बेलपत्र और धतूरा जरूर चढ़ाएं और इसके बाद शिवलिंग की परिक्रमा करें.
दूसरा सावन सोमवार
सावन का दूसरा सोमवार 29 जुलाई को मनाया जाएगा. इस दिन शिवलिंग पर गंगाजल और कच्चे दूध का अभिषेक करना चाहिए, इससे भगवान भोलेनाथ बहुत प्रसन्न होते हैं.
तीसरा सावन सोमवार
सावन का तीसरा सोमवार 5 अगस्त को पड़ रहा है. सावन के तीसरे सोमवार में आप किसी प्रसिद्ध शिव मंदिर में जा सकते हैं या घर में ही मिट्टी की शिवलिंग बनाकर या अपने घर के शिवलिंग की ही विधि-विधान से पूजा अर्चना करके भोलेनाथ का आशीर्वाद पा सकते हैं.
चौथा सावन सोमवार
सावन का चौथा सोमवार 12 अगस्त के दिन पड़ रहा है. कहते सावन के चौथे सोमवार पर शिवलिंग पर घी अर्पित करना चाहिए, इसके बाद शुद्ध जल या गंगाजल से भगवान शिव का अभिषेक करने से सभी दुखों और कष्टों का नाश होता है.
पांचवा सावन सोमवार
सावन का पांचवा और आखिरी सोमवार 29 अगस्त के दिन मनाया जाएगा. कहते हैं सावन के आखिरी सोमवार के दिन शाम के समय शिवजी और पार्वती जी की आरती करने के साथ ही ओम गौरी शंकराय नमः और ॐ नमः पार्वती पतये नमः मंत्र का जाप 108 बार करना चाहिए.