
CONTECT NO. - 8962936808
EMAIL ID - shouryapath12@gmail.com
Address - SHOURYA NIWAS, SARSWATI GYAN MANDIR SCHOOL, SUBHASH NAGAR, KASARIDIH - DURG ( CHHATTISGARH )
LEGAL ADVISOR - DEEPAK KHOBRAGADE (ADVOCATE)
धर्म संसार /शौर्यपथ / कलिकाल में हनुमानजी की भक्ति ही कही गई है। हनुमानजी की निरंतर भक्ति करने से भूत पिशाच, शनि और ग्रह बाधा, रोग और शोक, कोर्ट-कचहरी-जेल बंधन से मुक्ति, मारण-सम्मोहन-उच्चाटन, घटना-दुर्घटना से बचना, मंगल दोष, कर्ज से मुक्ति, बेरोजगार और तनाव या चिंता से मुक्ति मिल जाती है। विशेष दिन और विशेष समय पर हनुमानजी की पूजा, साधना या आराधना करने से वे तुरंत ही प्रसन्न होते हैं।
1. शनिवार को हनुमानजी का सुंदरकांड का पाठ करना चाहिए। शनिवार को सुंदरकांड या हनुमान चालीसा पाठ करने से शनि भगवान आपको लाभ देने लगेंगे। शनिवार को हनुमान मंदिर में जाकर हनुमानजी को आटे के दीपक लगाएं।
2. मंगलवार को हनुमान पूजा, आराधान या हनुमान चालीसा पढ़ने से सभी तरह के संकट दूर होकर मंगल दोष भी मिट जाता है। किसी भी मांगलिक कार्य कि सिद्ध के लिए या कर्ज से मुक्ति के लिए मंगलवार को उनकी आराधना करना चाहिए।
3. मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन व्रत करने से और इसी दिन हनुमान-पाठ, जप, अनुष्ठान आदि प्रारंभ करने से त्वरित फल प्राप्त होता है।
4. हनुमान जयंती के दिन विशेष आराधना करना चाहिए। पहली चैत्र शुक्ल पूर्णिमा को और दूसरी कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी को हनुमान जयंती मनाई जाती है। दोनों ही दिन सर्वश्रेष्ठ है। पहली चैत्र माह की तिथि को विजय अभिनन्दन महोत्सव के रूप में जबकि दूसरी तिथि को जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है। हली तिथि के अनुसार इस दिन हनुमानजी सूर्य को फल समझ कर खाने के लिए दौड़े थे, उसी दिन राहु भी सूर्य को अपना ग्रास बनाने के लिए आया हुआ था लेकिन हनुमानजी को देखकर सूर्यदेव ने उन्हें दूसरा राहु समझ लिया। इस दिन चैत्र माह की पूर्णिमा थी, जबकि दूसरी तिथि के अनुसार कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी को उनका जन्म हुआ हुआ था। अत: इस दिन हनुमान पूजा करने से सभी तरह का संकट टल जाता है और निर्भिकता का जन्म होता है।
5. उपरोक्त के अलावा हनुमानजी की पूजा पूर्णिमा और अमावस्या को भी विशेष रूप से की जाती है। इस दिन की गई पूजा हर तरह के भय, चंद्रदोष, देवदोष, मानसिक अशांति, भूत-पिशाच और सभी तरह की घटना-दुर्घटना से बचाती है।
आस्था /शौर्यपथ / प्राचीनकाल से ही जप करना भारतीय पूजा-उपासना पद्धति का एक अभिन्न अंग रहा है। जप के लिए माला की जरूरत होती है, जो रुद्राक्ष, तुलसी, वैजयंती, स्फटिक, मोतियों या नगों से बनी हो सकती है। इनमें से रुद्राक्ष की माला को जप के लिए सर्वश्रेष्ठ माना गया है, क्योंकि इसमें कीटाणुनाशक शक्ति के अलावा विद्युतीय और चुंबकीय शक्ति भी पाई जाती है।
अंगिरा स्मृति में माला का महत्त्व इस प्रकार बताया गया है-
विना दमैश्चयकृत्यं सच्चदानं विनोदकम्।
असंख्यता तु यजप्तं तत्सर्व निष्फल भवेत्।।
अर्थात बिना कुश के अनुष्ठान, बिना माला के संख्याहीन जप निष्फल होता है। माला में 108 ही दाने क्यों होते हैं, उस विषय में योगचूड़ामणि उपनिषद में कहा गया है-
पद्शतानि दिवारात्रि सहस्त्राण्येकं विंशति।
एतत् संख्यान्तिंत मंत्र जीवो जपति सर्वदा।।
हमारी सांसों की संख्या के आधार पर 108 दानों की माला स्वीकृत की गई है। 24 घंटों में एक व्यक्ति 21,600 बार सांस लेता है। चूंकि 12 घंटे दिनचर्या में निकल जाते हैं, तो शेष 12 घंटे देव-आराधना के लिए बचते हैं अर्थात 10,800 सांसों का उपयोग अपने ईष्टदेव को स्मरण करने में व्यतीत करना चाहिए, लेकिन इतना समय देना हर किसी के लिए संभव नहीं होता इसलिए इस संख्या में से अंतिम 2 शून्य हटाकर शेष 108 सांस में ही प्रभु-स्मरण की मान्यता प्रदान की गई।
दूसरी मान्यता भारतीय ऋषियों की कुल 27 नक्षत्रों की खोज पर आधारित है। चूंकि प्रत्येक नक्षत्र के 4 चरण होते हैं अत: इनके गुणफल की संख्या 108 आती है, जो परम पवित्र मानी जाती है। इसमें श्री लगाकर ‘श्री 108’ हिन्दू धर्म में धर्माचार्यों, जगद्गुरुओं के नाम के आगे लगाना अति सम्मान प्रदान करने का सूचक माना जाता है।
माला के 108 दानों से यह पता चल जाता है कि जप कितनी संख्या में हुआ। दूसरे माला के ऊपरी भाग में एक बड़ा दाना होता है जिसे 'सुमेरु' कहते हैं। इसका विशेष महत्व माना जाता है। चूंकि माला की गिनती सुमेरु से शुरू कर माला समाप्ति पर इसे उलटकर फिर शुरू से 108 का चक्र प्रारंभ किया जाने का विधान बनाया गया है इसलिए सुमेरु को लांघा नहीं जाता।
एक बार माला जब पूर्ण हो जाती है तो अपने ईष्टदेव का स्मरण करते हुए सुमेरु को मस्तक से स्पर्श किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि ब्रह्मांड में सुमेरु की स्थिति सर्वोच्च होती है।
माला में दानों की संख्या के महत्व पर शिवपुराण में कहा गया है-
अष्टोत्तरशतं माला तत्र स्यावृत्तमोत्तमम्।
शतसंख्योत्तमा माला पञ्चाशद् मध्यमा।।
अर्थात 108 दानों की माला सर्वश्रेष्ठ, 100-100 की श्रेष्ठ तथा 50 दानों की मध्यम होती है।
शिवपुराण में ही इसके पूर्व श्लोक 28 में माला जप करने के संबंध में बताया गया है कि अंगूठे से जप करें तो मोक्ष, तर्जनी से शत्रुनाश, मध्यमा से धन प्राप्ति और अनामिका से शांति मिलती है।
तीसरी मान्यता ज्योतिष शास्त्र के अनुसार समस्त ब्रह्मांड को 12 भागों में बांटने पर आधारित है। इन 12 भागों को ‘राशि’ की संख्या दी गई है। हमारे शास्त्रों में प्रमुख रूप से 9 ग्रह (नवग्रह) माने जाते हैं। इस तरह 12 राशियों और 9 ग्रहों का गुणनफल 108 आता है। यह संख्या संपूर्ण विश्व का प्रतिनिधित्व करने वाली सिद्ध हुई है।
चौथी मान्यता सूर्य पर आधारित है। 1 वर्ष में सूर्य 21,600 (2 लाख 12 हजार) कलाएं बदलता है। चूंकि सूर्य हर 6 महीने में उत्तरायण और दक्षिणायन रहता है, तो इस प्रकार 6 महीने में सूर्य की कुल कलाएं 1,08,000 (1 लाख 8 हजार) होती हैं। अंतिम 3 शून्य हटाने पर 108 अंकों की संख्या मिलती है इसलिए माला जप में 108 दाने सूर्य की 1-1 कलाओं के प्रतीक हैं।
धर्म संसार / शौर्यपथ / जिसे लगाता है कि उसको शनि या अन्य किसी ग्रह की बाधा है, साढ़े साती, अढ़ाय्या या राहु की महादशा चल रहा है तो घबराने की जरूरत नहीं। जिन पर हनुमानजी की कृपा होती है, उसका शनि और यमराज भी बाल बांका नहीं कर सकते। आप प्रति मंगलवार हनुमान मंदिर जाएं और शराब व मांस के सेवन से दूर रहें। इसके अलावा शनिवार को सुंदरकांड या हनुमान चालीसा पाठ करने से शनि भगवान आपको लाभ देने लगेंगे। शनिवार को हनुमान मंदिर में जाकर हनुमानजी को आटे के दीपक लगाएं। अब जाने की क्या कारण है कि हनुमान भक्त और हनुमानजी की ओर शनिदेव देखते भी नहीं है।
1. एक बार रामजप में बाधा डालने के बारण शनिदेव को हनुमानजी ने अपनी पूंछ में लपेट लिया था और अपना रामकार्य करने लग गए थे। इस दौरान शनिदेव को कई चोटे आई। बाद में जब हनुमानजी को याद आया तो उन्होंने शनिदेव को मुक्त किया। तब शनिदेव को अपनी भूल का अहसास हुआ और उन्होंने कहा कि आज के बाद में रामकार्य और आपके भक्तों भक्तों के कार्य में कोई बाधा नहीं डालूंगा।
2. एक बार हनुनामजनी ने शनिदेव को रावण की कैद से मुक्त कराया था तब शनि भगवान ने वचन दिया था कि मैं आपके किसी भी भक्त पर अपनी कृपा बनाए रखूंगा।
3. पराशर संहिता में हनुमानजी की शादी का उल्लेख है। माना जाता है कि हनुमानजी का सांकेतिक विवाह सूर्य की पुत्री सुवर्चला से हुआ था। आंध्रप्रदेश के खम्मम में एक प्राचीन हनुमान मंदिर है जहां हनुमान जी के साथ उनकी पत्नी की भी मूर्ति विराजमान है। शास्त्रों में शनि महाराज को सूर्य का पुत्र बताया गया है। इस नाते हनुमान जी की पत्नी सुवर्चला शनि महाराज की बहन हुई। और सबके संकट दूर करने वाले हनुमान जी भाग्य के देवता शनि महाराज के बहनोई हुए।
चंद्रमा को हनुमानजी ने शनि से बचाया था तो वे चंद्रशेखर कहलाए थे।
खाना खजाना /शौर्यपथ /आपको अगर नई-नई टेस्टी रेसिपी हर रोज ट्राई करनेे तो करने का शौक है, तो आप फ्राइड राइस ट्राई कर सकते हैं। आज हम आपको फ्राइड राइस बनाने का ऐसा तरीका बता रहे हैं, जिससे आपकी रेसिपी रेस्टोरेंट जैसी ही बनेगी।
सामग्री−
एक कप चावल
दो कटी हुई हरी मिर्च
पांच लहसुन की कटी हुई कलियां
बारीक कटा हरा प्याज
बारीक कटा गाजर
स्वादानुसार नमक,
काली मिर्च
रेड चिली सॉस
ग्रीन चिली सॉस
सोया सॉस
विधि− वेज फ्राइड राइस बनाने के लिए आप पके हुए चावलों का इस्तेमाल करें। अगर आपके पास कच्चे चावल हैं तो एक कप चावल को करीबन 20 मिनट के लिए पानी में भिगोएं। इसके बाद आप उसका पानी निथार लें। अब एक भगोने में करीबन 5−6 गिलास पानी डालें और एक चम्मच नमक डालें। साथ ही इसमें आधा चम्मच नींबू का रस भी डालें। जब पानी हल्का उबलने लगे तो इसमें चावल डालें और एक बार चला दें। अब आप चावलों को पकने के लिए छोड़ दें। जब चावल अच्छी तरह पककर तैयार हो जाए तो आप इसका अतिरिक्त पानी निकाल लें और चावलों को एक बड़ी प्लेट में फैला दें ताकि यह खिला−खिला रहे।
अब एक कड़ाही को गर्म करने के लिए गैस पर रखें। अब इसमें तेल डालें। इसके बाद आप इसमें कटी हुई हरी मिर्च, लहसुन, प्याज, गाजर डालकर अच्छी तरह चलाएं। तीन−चार मिनट बाद आप इसमें नमक, काली मिर्च, रेड चिली सॉस, ग्रीन चिली सॉस व जरा सी सोया सॉस डालें। अब इसे अच्छी तरह मिक्स करें।
अब बारी आती है इसमें चावल मिक्स करने की। आप इस मिश्रण में चावल डालें और अच्छी तरह मिलाएं। बस आपके फ्राइड राइस तैयार है।
आप इसे प्लेट में निकालें और स्प्रिंग अनियन की मदद से गार्निश करें। आप इसे चाहे तो ऐसे ही खाएं या फिर इसे किसी चाइनीज ग्रेवी के साथ मिक्स करके खाएं।
इस रेसिपी में स्प्रिंग अनियन व गाजर का प्रयोग किया है। आप चाहें तो इसमें अपनी पसंद की कुछ और सब्जियां भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
सेहत /शौर्यपथ /विशेषज्ञ मानते हैं कि हेल्दी लाइफस्टाइल और सही डाइट को फॉलो करने से गंभीर बीमारियों की चपेट में आने का खतरा कम हो जाता है। हेल्दी ईटिंग से कई रोगों को टाला जा सकता है, यहां तक कि कैंसर से बचाव भी किया जा सकता है।
आइए जानते हैं ऐसे 10 तरह के फूड के बारे में जो आपके कैंसर के खतरे को कई प्रतिशत तक कम कर सकते हैं।
सेब: एंटी-ऑक्सीडेंट्स के बेहतरीन स्रोत होते हैं सेब। वहीं, इसमें पाए जाने वाले अन्य तत्व जैसे कि फाइबर्स ब्रेस्ट कैंसर के खतरे को कम करने में फायदेमंद माने गए हैं।
पीनट ऑयल: मूंगफली के तेल में भरपूर मात्रा में एंटी-ऑक्सीडेंट्स पाए जाते हैं जो कई तरह के कैंसर के खतरे को कम करते हैं।
अनार: स्वास्थ्य विशेषज्ञ मानते हैं कि कुछ कैंसर ओइस्ट्रोजेन के कारण होने हो जाते हैं। बता दें कि 2015 के एक अध्ययन के अनुसार इस मौसमी फल में मौजूद तत्व इस तरह के कैंसर का खतरा कम करते हैं। इसके साथ ही, अनार प्रोस्टेट कैंसर व हार्ट डिजीज से भी बचाता है।
गाजर: गाजर में एंटी-ऑक्सीडेंट्स भरपूर मात्रा में मौजूद होते हैं जो कैंसर सेल्स को बढ़ने से रोकते हैं। हेल्थ एक्सपर्ट्स के अनुसार गाजर में पॉलीएसिटिलीन तत्व मौजूद होते हैं, ये कैंसर सेल्स को खत्म कर ट्यूमर के ग्रोथ को रोकने में प्रभावी माने गए हैं। साथ ही, इस मौसमी सब्जी में मौजूद केरेटिनॉइड एसिड महिलाओं में होने वाले स्तन कैंसर सेल्स के शुरुआती बदलाव को रोकने में असरदार होता है। डॉक्टर्स मानते हैं कि गाजर का जूस बनाकर पीने से लोगों में कैंसर का खतरा कम होता है।
ब्रोकली: इस क्रुसिफेरस सब्जी में खास गुण पाए जाते हैं जो ट्यूमर के ग्रोथ को रोकने में सक्षम हैं। ब्रोकली में फोलेट और विटामिन के जैसे विटामिन्स-मिनरल्स पाए जाते हैं। साथ ही, फाइटोन्यूट्रिएंट्स भी मौजूद होते हैं। ये सभी मिलकर कैंसर का खतरा कम करते हैं। खासकर इसके प्रभाव से स्तन कैंसर का खतरा कम होता है।
इनसे भी होगा बेहद फायदा: ताजे या फ्रोज़ेन बेरीज़ जिनमें जामुन, स्ट्रॉबेरीज़ व सभी प्रकार की बेरीज़ को खाना फायदेमंद हैं। डार्क चॉकलेट जिनमें तकरीबन 70 फीसदी कोकोआ मौजूद हो। हर तरह की सब्जियां, सभी प्रकार के सूखे मेवे। ओमेगा 3 फैटी एसिड्स से भरपूर खाद्य पदार्थों को खाने से भी लाभ होगा। हल्दी, ऑलिव ऑयल, दाल, अंगूर, मूंगफली और ग्रीन टी भी लाभदायक है।
शौर्यपथ / भारत में प्राचीनकाल से ही टैक्स की व्यवस्था रही है और उस टैक्स को सैन्य क्षमता बढ़ाने और जनता के हित में खर्च करने का प्रावधान भी रहा है। फूटी कौड़ी से कौड़ी, कौड़ी से दमड़ी, दमड़ी से धेला, धेला से पाई, पाई से पैसा, पैसा से आना, आना से रुपया तो बाद में बना उससे पहले प्राचीन भारत में स्वर्ण, रजत, ताम्र और मिश्रित मुद्राएं प्रचलित थी जिसे 'पण' कहा जाता था। इन पणों को संभालने के लिए राजकोष होता था। राजकोष का एक प्राधना कोषाध्यक्ष होता था। आओ जानते हैं प्राचीन भारत का वित्त विभाग।
1.कुबेरे देवता देवताओं के कोषाध्यक्ष थे। सैन्य और राज्य खर्च वे ही संचालित करते थे। इसी तरह अनुसरों के कोषाध्यक्ष भी थे। वैदिक काल में सभा, समिति और प्रशासन व्यवस्था के ये तीन अंग थे। सभा अर्थात धर्मसंघ की धर्मसभा, शिक्षासंघ की विद्या सभा और राज्यों की राज्यसभा। समिति अर्थात जन साधरण जनों की संस्था है। प्रशासन अर्थात न्याय, सैन्य, वित्त आदि ये प्रशासनिक, पदाधिकारियों, के विभागों के काम। इसमें से प्रशान में एक व्यक्ति होता था जो टैक्स के एवज में मिली वस्तु या सिक्के का हिसाब किताब रखता था। इसमें प्रधान कोषाध्यक्ष के अधिन कई वित्त विभाग या खंजांची होते थे। यह व्यवस्था रामायण और महाभारत काल तक चली। उस काल में जो भी व्यक्ति इस व्यवस्था को देखता था उसे 'पणि' कहा जाता था।
सिंधु सभ्यता में मुद्राओं के पाए जाने से यह पता चलता है कि वहां पर वस्तु विनिमय के अलाव मुद्रा का लेन-देन भी था। उस काल में भी वित्ति विभाग होता था जो राज्य से टैक्स वसुरलता और बाहरी लोगों से भी चुंगी नाका वसुलता था। यह सारी मुद्राएं या वस्तुएं राजकीय खाजने में जमा होती थी। सिंधु घाटी का समाज मूलतः व्यापार आधारित समाज था और नदियों में नौकाओं तथा समुद्र में जहाजों के जरिये इनका व्यापार चलता था। इसलिए उस काल में मुद्रा का बहुत महत्व था। स्वर्ण, ताम्र, रजत और लौह मुद्राओं के अलावा कहते हैं कि कौड़ियों का भी प्रचलन था।
प्राचीन शास्त्र मनुस्मृति, शुक्रनीति, बृहस्पति संहिता और महाभारत में भी बजट का उल्लेख मिलता है। मनुस्मृति के अनुसार करों का संबंध प्रजा की आय और व्यय से होना चाहिए। इसमें ये भी कहा गया था कि राजा को हद से ज्यादा कर लगाने से बचना चाहिए। करों की वसूली की ऐसी व्यवस्था करनी चाहिए कि प्रजा अदायगी करते समय मुश्किल महसूस न करें। महाभारत के शांतिपर्व के 58 और 59वें अध्याय में भी इस बारे में जानकारी दी गई है।
2.इसके बाद कौटिल्य ने अपने अर्थशास्त्र में बजट व्यवस्था का जिक्र किया है। इस अर्थशास्त्र में मौर्य वंश के वक्त की राजकीय व्यवस्था के बारे में जानाकारी मिलती है। उस काल में रखरखाव, आगामी तैयारी, हिसाब-किताब का लेखा-जोखा वर्तमान बजट की तरह पेश किया जाता था। उस वक्त जिन कार्यों पर काम चल रहा है उसे ‘कर्णिय’ और जो काम हो चुके ‘सिद्धम’ कहा जाता था।
3. हस्तीनापुर : हस्तिनापुर महाभारत काल के कौरवों की वैभवशाली राजधानी हुआ करती थी। वर्तमान में उत्तर प्रदेश के शहर मेरठ से 22 मील उत्तर-पूर्व में गंगा की प्राचीनधारा के किनारे प्राचीन हस्तिनापुर के अवशेष मिलते हैं। यहां आज भी भूमि में दफन है पांडवों का किला, महल, मंदिर और अन्य अवशेष।
पुरातत्वों के उत्खनन से ज्ञात होता है कि हस्तिनापुर की प्राचीन बस्ती लगभग 1000 ईसा पूर्व से पहले की थी और यह कई सदियों तक स्थित रही। दूसरी बस्ती लगभग 90 ईसा पूर्व में बसाई गई थी, जो 300 ईसा पूर्व तक रही। तीसरी बस्ती 200 ई.पू. से लगभग 200 ईस्वी तक विद्धमान थी और अंतिम बस्ती 11वीं से 14वीं शती तक विद्यमान रही। अब यहां कहीं कहीं बस्ती के अवशेष हैं और प्राचीन हस्तिनापुर के अवशेष भी बिखरे पड़े हैं। वहां भूमि में दफन पांडवों का विशालकाय एक किला भी है जो देखरेख के अभाव में नष्ट होता जा रहा है। इस किले के अंदर ही महल, मंदिर और अन्य इमारते हैं।
4. आदिचनाल्लूर : यह स्थल भारत के तमिलनाडु के थूथुकुडी जिले में स्थित है। यहां प्राचीन काल के कई पुरातात्विक अवशेष मिले हैं, जो कई महत्वपूर्ण पुरातात्विक खोजों का स्थल रहा है। प्रारंभिक पांडियन साम्राज्य की राजधानी कोरकाई, आदिचनल्लूर से लगभग 15 किमी दूर स्थित है। आदिचनल्लूर साइट से 2004 में खोदे गए नमूनों की कार्बन डेटिंग से पता चला है कि वे 905 ईसा पूर्व और 696 ईसा पूर्व के बीच के थे। 2005 में, मानव कंकालों वाले लगभग 169 मिट्टी के कलश का पता लगाया गया था, जो कि कम से कम 3,800 साल पहले के थे। 2018 में हुई शोध के अनुसार कंकाल के अवशेषों पर 2500 ईसा पूर्व से 2200 ईसा पूर्व के तक के हैं।
5. शिवसागर : यह स्थल असम में गुवाहाटी से लगभग 360 किलोमीटर उत्तर पूर्व में स्थित है। यह शहर देहिंग वर्षावन से घिरा हुआ है, जहां दीहिंग (ब्रह्मपुत्र) और लोहित नदियां मिलती हैं। शहर का नाम शहर के मध्य में स्थित बड़ी झील शिवसागर से मिलता है। झील अहोम राजा शिव सिंहा द्वारा बनाई गई थी। 13 वीं शताब्दी में युन्नान क्षेत्र से चीन के ताई बोलने वाले अहोम लोग इस इलाके में आए 18 वीं शताब्दी में शिवसागर अहोम साम्राज्य की राजधानी था। उस समय यह रंगपुर कहलाता था। उस काल के कई मंदिर मौजूद है। इस शहर को मंदिरों की नगरी भी कहा जाता है।
धर्म संसार /शौर्यपथ /उत्तररांचल प्रदेश में हरिद्वार अर्थात हरि का द्वार है। इसे गंगा द्वार और पुराणों में इसे मायापुरी क्षेत्र कहा जाता है। यहां पर पौराणिक काल के कई प्रसिद्ध और चमत्कारिक स्थान है। यहां पर माता के 3 चमत्कारिक स्थान है। पहला मायादेवी शक्तिपीठ, दूसरा चंडी देवी मंदिर और तीसरा मनसा देवी मंदिर। आओ जानते हैं चंडी देवी मंदिर के बारे में।
हरिद्वार शहर में शक्ति त्रिकोण है। इसके एक कोने पर नीलपर्वत पर स्थित भगवती देवी चंडी का प्रसिद्ध स्थान है। दूसरे पर दक्षेश्वर स्थान वाली पार्वती। कहते हैं कि यहीं पर सती योग अग्नि में भस्म हुई थीं और तीसरे पर बिल्वपर्वतवासिनी मनसादेवी विराजमान हैं। यह भी कहा जाता है कि यहां पर माता सती का मन गिरा था इसलिए यह स्थान मनसा नाम से प्रसिद्ध हुआ।
चंडी देवी मंदिर :
1. गंगा नदी के दूसरी ओर नील पर्वत पर यह चंडी देवी मंदिर बना हुआ है।
2. यह मंदिर कश्मीर के राजा सुचेत सिंह द्वारा 1929 ई. में प्राचीन स्थान पर बनवाया गया था।
3. किवदंतियों के अनुसार चंडी देवी ने शुंभ निशुंभ के सेनापति चंद और मुंड को यहीं मारा था।
4. यहीं पर आदिशंकराचार्य ने चंडी देवी की मूल प्रतिमा स्थापित करवाई थी।
5. चंड मुंड के वध के बाद माता ने देवताओं से वर मांगने को कहा। स्वर्गलोक के सभी देवताओं ने माता को इसी स्थान पर विराजमान रहने का वर मांगा।
6. यहां पर मां रुद्र चंडी एक खंभे के रूप में स्वयंभू अवतरित है।
7. मां चंडी देवी मंदिर हरिद्वार के प्रमुख पांच तीर्थों में से एक तीर्थ स्थल है।
8. मां चंडी देवी मंदिर में मां की आराधना भक्तों को अकाल मृत्यु, रोग नाश, शत्रु भय आदि कष्टों से मुक्ति प्रदान करने वाली और प्रत्येक प्रकार की मनोकांक्षा पूर्ण कर अष्ट सिद्धि प्रदान करने वाली है।
9. नवरात्रि में यहां पर मेला लगता है और देश विदेश से लोग यहां पर मन्नत मांगने आते हैं।
धर्म संसार /शौर्यपथ / क्षीरसागर में देवता और दैत्यों के मिलकर मदरांचल पर्तत को मथनी और वासुकी नाग को रस्सी बनाकर समुद्र मंथन किया था। इस मंथन से 14 तरह के रत्न प्राप्त हुए थे। सबसे पहले कालकूट नामक विष निकला था जिसे शिवजी ने अपने कंठ में धारण कर लिया था जबकि अंत में अमृत निकला था जिसके चलते देव और दैत्यों में झगड़ा हुआ था। आओ जानते हैं कि कालकूट विष क्या था।
1. मंथन के दौरान निकले विष कालकूट को हलाहल भी कहा जाता है।
2. इसे न तो देवता ग्रहण करना चाहते थे और न ही असुर।
3. यह विष इतना खतरनाक था, जो संपूर्ण ब्रह्मांड का विनाश कर सकता था।
4. इस विष को ग्रहण करने के लिए स्वयं भगवान शिव आए।
5. शिव जी ने विष का प्याला पी लिया लेकिन तभी माता पार्वती, जो उनके साथ खड़ी थीं उन्होंने उनके गले को पकड़ लिया।
6. ऐसे में न तो विष उनके गले से बाहर निकला और न ही शरीर के अंदर गया। वह उनके गले में ही अटक गया जिसकी वजह से उनका गला नीला पड़ गया और वे नीलकंठ कहलाए।
7. इसे काला बच्छनाग भी कहते हैं।
सेहत /शौर्यपथ / कई लोग वजन बढ़ने जैसी समस्या से परेशान हैं। यदि आपकी भी यही शिकायत है और आप अपने आकार में अपने शेप में वापस आने की कोशिश कर रहे हैं तो यह लेख सिर्फ आपके लिए हैं। जैसा कि हम सभी जानते हैं कि भोजन स्वस्थ जीवनशैली में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसलिए हम आपको अपने इस लेख में बता रहे हैं एक ऐसे डिटॉक्स ड्रिंक के बारे में जिसके सेवन से यह आपके लिए स्वस्थ और फिट रहने में कारगर साबित होगा। यह ड्रिंक है जीरा, धनिया और सौंफ से तैयार डिटॉक्स ड्रिंक जिसके सेवन से यह शरीर से विषाक्त पदार्थ को बाहर निकालने में मदद करता है, साथ ही त्वचा को कोमल और स्वस्थ चमकदार बनाने में भी सहायक है, आइए जानते हैं।
जीरा
यह भारतीय मसाला अपने विभिन्न स्वास्थ्य लाभों के लिए जाना जाता है। जीरा पाचन संबधी समस्या को खत्म करता है और पाचन तंत्र मजबूत करता है। साथ ही वजन कम करने में भी यह बहुत काम आता है। गर्मियों के समय पाचन संबधी समस्या आम हो जाती है, वहीं जीरा उन सभी समस्याओं से निजात दिलाने में मदद कर सकता है। यह पोटेशियम, कैल्शियम व कॉपर जैसे पोषक तत्वों से भी समृद्ध है, जो आपकी त्वचा को कोमल रखने में मदद कर सकता है।
वजन घटाने और चमकदार त्वचा के लिए धनिया
धनिया विभिन्न प्रकार के खनिजों और विटामिनों का एक अच्छा स्रोत है, जो शरीर के अतिरिक्त वजन को कम करने में मदद करता है। धनिये के बीजों में एंटीसेप्टिक गुण पाए जाते हैं, जो त्वचा संबंधी कई समस्याओं के इलाज के लिए प्रभावी हो सकते हैं। इसलिए धनिये का सेवन गर्मियों के दौरान महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि गर्मी और पसीने के कारण त्वचा पर अतिरिक्त तेल त्वचा की विभिन्न समस्याओं को जन्म देता है।
वजन घटाने और चमकती त्वचा के लिए सौंफ
मुंहासे त्वचा से जुड़ी एक आम समस्या है और सौंफ को त्वचा को ठंडा करने के लिए जाना जाता है। इसमें जस्ता, कैल्शियम और सेलेनियम जैसे गुण होते हैं, जो शरीर में हार्मोन और ऑक्सीजन के स्तर को संतुलित करने के लिए अच्छे होते हैं, जो त्वचा पर एक स्वस्थ चमक लाते हैं। साथ ही इससे वजन कम होता है।
कैसे तैयार करें जीरा-धनिया-सौंफ का पानी?
आधा चम्मच जीरा, धनिया और सौंफ को 1 गिलास पानी में रातभर भिगो दें।
अगली सुबह इस पानी को अच्छी तरह उबाल लें और पानी छान लें।
काला नमक, शहद और आधा नींबू का रस इसमें मिला लें।
आस्था /शौर्यपथ / पौष माह की पूर्णिमा के दिन स्नान-दान और सूर्य व चंद्र देव को जल देने से पुण्य लाभ मिलता है।
सामान्यत: पूर्णिमा के दिन चावल का दान करना शुभ होता है। चावल का संबंध चंद्रमा से होता है और पूर्णिमा के दिन चावल का दान करने से चंद्रमा की स्थिति कुंडली में मजबूत होती है।
2. पूर्णिमा के दिन पानी में गंगाजल मिलाकर कुश हाथ में लेकर स्नान करना चाहिए।
हर पूनम की तरह पौष पूर्णिमा पर भी पीपल के वृक्ष पर मां लक्ष्मी का आगमन होता है। सुबह उठकर पीपल के पेड़ के सामने कुछ मीठा चढ़ाकर जल अर्पित करें।
प्रत्येक पूर्णिमा की तरह पौष पूनम पर भी पति-पत्नी चन्द्रमा को दूध का अर्घ्य अवश्य ही दें। इससे दाम्पत्य जीवन में मधुरता बनी रहती है।
पौष पूर्णिमा के दिन चंद्रोदय के समय चंद्रमा को कच्चे दूध में चीनी और चावल मिलाकर "ॐ स्रां स्रीं स्रौं स: चन्द्रमसे नम:"
अथवा "ॐ ऐं क्लीं सोमाय नम:' मंत्र
का जप करते हुए अर्घ्य देना चाहिए। इससे धीरे-धीरे आर्थिक समस्या खत्म होती है।
पौष पूर्णिमा के दिन मां लक्ष्मी के चित्र पर 11 कौड़ियां चढ़ाकर उन पर हल्दी से तिलक करें। अगले दिन सुबह इन कौड़ियों को लाल कपड़े में बांधकर अपनी तिजोरी में रखें। इस उपाय से घर में धन की कमी नहीं होती है। हर पूर्णिमा के दिन इन कौड़ियों को अपनी तिजोरी से निकाल कर लक्ष्मी जी के सामने रखकर उन पर हल्दी से तिलक करें फिर अगले दिन उन्हें लाल कपड़े में बांध कर अपनी तिजोरी में रखें। लक्ष्मीदेवी की कृपा बनी रहेगी।
पौष पूर्णिमा के दिन मंदिर में जाकर लक्ष्मी को इत्र और सुगंधित अगरबत्ती अर्पण करनी चाहिए। धन, सुख समृद्धि और ऐश्वर्य की देवी मां लक्ष्मी से अपने घर में स्थाई रूप से निवास करने की प्रार्थना करें।
अपने घर के मंदिर में धन लाभ के लिए श्री यंत्र, व्यापार वृद्धि यंत्र, कुबेर यंत्र, एकाक्षी नारियल, दक्षिणवर्ती शंख रखें। इनको साबुत अक्षत के ऊपर स्थापित करना चाहिए।
पूर्णिमा तिथि 28 जनवरी गुरुवार को 1.18 मिनट पर रात को लगेगी।
पूर्णिमा तिथि 29 जनवरी को शुक्रवार की रात 12 बजकर 47 मिनट तक रहेगी।
धर्म संसार /शौर्यपथ / हर दिन माता की पूजा होती है परंतु देवियों की पूजा के लिए बुधवार और शुक्रवार खास दिन माने गए हैं। यदि आप किसी देवी की साधना या पूजा कर रहे हैं तो आपको यह जानना जरूरी है कि आप किस देवी की साधना या पूजा कर रहे हैं। इसके लिए देवियों को पहचानना सीखें। प्रत्येक देवी को उनके वाहन, भु्जा और अस्त्र-शस्त्र से पहचाना जाता है। आओ जानते हैं इस संबंध में खास जानकारी।
1. अष्टभुजाधारी देवी दुर्गा और कात्यायनी सिंह पर सवार हैं तो माता पार्वती, चन्द्रघंटा और कुष्मांडा शेर पर विराजमान हैं। शैलपुत्री और महागौरी वृषभ पर, कालरात्रि गधे पर और सिद्धिदात्री कमल पर विराजमान हैं। इसी तरह सभी देवियों की अलग-अलग सवारी हैं।
3. नौ देवियों में शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी, सिद्धिदात्री का पूजन विधि विधान से किया जाता है। कहते हैं कि कात्यायनी ने ही महिषासुर का वध किया था इसलिए उन्हें महिषासुरमर्दिनी भी कहते हैं।
4. दुर्गा सप्तशती के अनुसार इनके अन्य रूप भी हैं:- ब्राह्मणी, महेश्वरी, कौमारी, वैष्णवी, वाराही, नरसिंही, ऐन्द्री, शिवदूती, भीमादेवी, भ्रामरी, शाकम्भरी, आदिशक्ति और रक्तदन्तिका।
5. देवियों में त्रिदेवी, नवदुर्गा, दशमहाविद्या और चौसठ योगिनियों का समूह है। प्रमुख रूप से आठ योगिनियां हैं जिनके नाम इस प्रकार हैं:- 1.सुर-सुंदरी योगिनी, 2.मनोहरा योगिनी, 3. कनकवती योगिनी, 4.कामेश्वरी योगिनी, 5. रति सुंदरी योगिनी, 6. पद्मिनी योगिनी, 7. नतिनी योगिनी और 8. मधुमती योगिनी।
6. आदि शक्ति अम्बिका सर्वोच्च है और उसी के कई रूप हैं। सती, पार्वती, उमा और काली माता भगवान शंकर की पत्नियां हैं। अम्बिका ने ही दुर्गमासुर का वध किया था इसीलिए उन्हें दुर्गा माता कहा जाता है। नवदुर्गा में दशमहाविद्याओं की भी पूजा होती है। इनके नाम है-1. काली, 2. तारा, 3. छिन्नमस्ता, 4. षोडशी, 5. भुवनेश्वरी, 6. त्रिपुरभैरवी, 7. धूमावती, 8. बगलामुखी, 9. मातंगी और 10 कमला।
7. उपरोक्त सभी की पूजा-साधना पद्धतियां अलग-अलग होती है और सभी को अलग-अलग भोग लगता है। जैसे नौ भोग और औषधि- शैलपुत्री कुट्टू और हरड़, ब्रह्मचारिणी दूध-दही और ब्राह्मी, चन्द्रघंटा चौलाई और चन्दुसूर, कूष्मांडा पेठा, स्कंदमाता श्यामक चावल और अलसी, कात्यायनी हरी तरकारी और मोइया, कालरात्रि कालीमिर्च, तुलसी और नागदौन, महागौरी साबूदाना तुलसी, सिद्धिदात्री आंवला और शतावरी।
सेहत /शौर्यपथ / हम जाने या अनजाने में रोज ही अपनी लाइफ स्टाइल के साथ खिलवाड करते हैं। इसका बहुत गहरा असर हमारी सेहत पर पड़ सकता है। ऐसे में एक अच्छी लाइफ स्टाइल को फॉलो करना बेहद जरूरी है।
एक तरफ कोरोना महामारी ने लोगों में डर भर दिया, वहीं लंबे समय तक लॉकडाउन में रहने की वजह से इसका असर लोगों की मानसिक स्थिति पर भी पड़ा। एक तरह से कहें तो लोगों की जीवनशैली में काफी बदलाव हुआ। ऐसे में जरूरी है कि साल की शुरुआत में कुछ संकल्प लिए जाएं।
तो आइए हेल्दी बने रहने और अपनी इम्यूनिटी पावर बढ़ाने के लिए हम अपनी कुछ आदतों में बदलाव करें।
चाय-कॉफी को कहे नो
हम अपने दिन की शुरुआत चाय, कॉफी से करते हैं। जिन लोगों को एसिडिटी और पेट से जुड़ी अन्य समस्याएं होती हैं, उनके लिए यह बिल्कुल सही नहीं कहा जा सकता। इसलिए अपने दिन की शुरुआत गुनगुना पानी पानी से करें तो यह ज्यादा बेहतर रहेगा।
नाश्ता करें
हम अक्सर नाश्ता नहीं करते। अच्छी सेहत के लिए सुबह ब्रेकफास्ट जरूरी है। इससे आप दिन भर फ्रेश बने रहेंगे और इसका सेहत पर भी अच्छा असर पड़ेगा। भीगे हुए बादाम के अलावा गेहूं की रोटी और फल अपने ब्रेकफास्ट में शामिल करें।
एक्सरसाइज
बिस्तर से उठते भी नहीं कि हम लोग अपने मोबाइल के मैसेज चेक करने लग जाते हैं। इसकी जगह अपनी आदत यह डालें कि सुबह सबसे पहले कुछ समय एक्सरसाइज करने में बिताएं। सुबह की जाने वाली थोड़ी ही देर की एक्सरसाइज सेहत के लिए अच्छी होती है।
देर रात मैसेज करें अवॉइड
दिनभर की भागदौड़ के बाद रात में पूरी नींद लेना अच्छी सेहत के लिए बहुत जरूरी है। अक्सर लोग सोशल साइट के जो मैसेज दिनभर नहीं देख पाते वह देर रात तक देखते रहते हैं और ऐसे में वे देर में सोते हैं। इससे नींद पूरी नहीं हो पाती और इसका असर सेहत पर पड़ता है। अच्छी नींद लेने से दिमाग फ्रेश रहेगा और अच्छा महसूस होगा।
जंक फूड खाने से बचें
कम पानी पीना सेहत के लिए अच्छा नहीं होता। इसके अलावा ज्यादा मीठा खाने की आदत भी अवॉइड करना चाहिए। साथ ही ज्यादा तला भुना भी खाने से बचें। ज्यादा जंक फूड के सेवन से बचें, वरना डायबीटिज और दिल से संबंधित बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है। साथ ही इससे वजन भी बढ़ सकता है। सेहत दुरुस्त रहे इसके लिए घर का खाना ही खाएं।
सेहत /शौर्यपथ / अगर आप थक जाते हैं, पैदल चलने से कतराते है और सीढियों की बजाए लिफ्ट में जाना प्रीफर करते हैं तो इसका मतलब है कि आपके शरीर में स्टैमिना की कमी है। इसकी सबसे बड़ी वजह एक जगह बैठे रहना और सक्रिय जीवन शैली
का अभाव हो सकता है।
लॉकडाउन के दिनों में तो यह समस्या घर घर में देखने को मिल रही है। कई बार स्टैमिना बढ़ाने के लिए हम जिम जाना शुरू करते हैं या जॉगिंग का प्लान बनाते हैं, लेकिन एक या दो दिनों के बाद ही आलस की वजह से हम वापिस उसी लाइफ स्टाइल को जीना शुरू कर देते हैं। ऐसे में यह जानना जरूरी है कि जब तक हम अपने शरीर को एनर्जेटिक फूड नहीं देंगे तब तक हमारा शरीर हमारे दिमाग की बात नहीं मानेगा।
केला
केला सुपर फूड की कैटेगरी में शामिल किया गया है। यह कार्बोहाइड्रेट और पोटैशियम से भरपूर होता है, जिसमें नैचुरल शुगर और स्टार्च मौजूद होता है। इस वजह से यह हमें दिनभर एर्जेटिक बनाए रखता है। आप जिम जाने से पहले भी इसे ले सकते हैं।
दही
कैल्शियम और प्रोटीन से भरपूर दही को हमें ब्रेकफास्ट में जरूर शामिल करना चाहिए। इसे आप फलों और तमाम तरह के नट्स के साथ भी खा सकते हैं। यह ना सिर्फ हमारे बोन को मजबूत बनाता है, हमारे मसल्स को भी एनर्जी देता है।
दलिया
आपको जानकर हैरानी होगी कि यह हमारे शरीर को तुरंत बूस्ट करने की क्षमता रखता है। दलिया को आप खिचड़ी या पुलाव के रूप में भी खा सकते हैं जो टेस्ट के मामले में भी बहुत अच्छा है। सुबह के नाश्ते में यदि आप दलिया का प्रयोग करेंगे तो आपको देर तक भूख नहीं लगेगी और आप दिन भर एनर्जी से भरपूर रहेंगे। आपका स्टैमिना भी बढे़गा।
अंडे
इन्हें न सिर्फ झटपट बनाया जा सकता है, बल्कि यह पोषक तत्वों से भी भरपूर होते हैं। बोन और मसल्स दोनों को मजबूत बनाने में अंडा लोगों की पहली पसंद बना हुआ है। इसमें मौजूद अमीनो एसिड की वजह से थकावट भी दूर रहती है।
पीनट बटर
मूंगफली से तैयार यह पीनट बटर हेल्दी फूड कैटेगरी में आता है। हेल्दी फैट और प्रोटीन होने की वजह से आप इसे मल्टीग्रेन ब्रेड के साथ सुबह सुबह खाएं। इसे खाकर आप लंबे समय तक एनर्जी से भरे रहेंगे।
बादाम
हेल्दी फैट के पावर हाउस इस ड्राइफ्रूट को आप ब्रेकफास्ट में जरूर शामिल करें। यह पोषक तत्वों से भरपूर तो है ही, मेटाबॉलिज्म को बढ़ाने में भी मददगार है। आपके स्टैमिना को बढ़ाने के मामले में यह बहुत ही काम का फूड है। इसे आप रात भर भिगोकर रखें और सुबह खाली पेट खाएं।
ओट्स
फाइबर और कार्बोहाइड्रेड से भरपूर ओट्स आपकी सुस्ती को दूर रखता है। यह लंबे समय तक आपको काम करने के लिए एनर्जी देने में सक्षम है। अगर आप ओट्स का सेवन करते हैं तो सुस्ती और थकान आपसे कोसों दूर रहेंगी।
सेहत /शौर्यपथ /सेहतमंद बने रहने के लिए लोग हेल्दी डाइट लेते है, एक्सरसाइज करते है। लेकिन अच्छी सेहत पाने के लिए हमें अपनी कुछ आदतों में बदलाव करने की भी आवश्यकता हैं। दरअसल सोने से पहले कुछ बातें ध्यान रखनी चाहिए, नहीं तो ये आदतें आपके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक सिध्द हो सकती हैं। इन आदतों की वजह से आपकी नींद खराब होती है जिसका सीधा असर आपकी सेहत पर पड़ता है। तो आइए जानते हैं, कि वे कौन सी बातें है जिनका आपको ख्याल रखना चाहिए..
लोग नियमित सुबह के समय ब्रश करते है, लेकिन रात में सोने से पहले दांतों को साफ करना उनके लिए जरूरी नहीं हैं। जबकि रात को सोने से पहले ब्रश करना बहुत जरूरी होता है। वरना खाने के कण आपके दांतों में फंसे रह जाते हैं, जिसकी वजह से आपके दांतों और मसूड़ों को नुकसान पहुंचता है।
कुछ लोगों की रात को सोने से पहले कुछ न कुछ खाने की आदत होती है, जैसे बिस्किट, स्नैक्स आदि लेकिन देर रात खाने की वजह से सेहत पर इसका बुरा प्रभाव पड़ता हैं। इससे डायबिटीज रोग होने का खतरा बढ़ जाता है।
सोने से पहले इस बात का ख्याल रखें कि हाथ-पैर और फेस वॉश करके ही सोने जाएं। यदि आप ऐसा नहीं करते है तो बैक्टीरिया बिस्तर में चले जाते हैं। इससे हमारे स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचता है।
वहीं फेसवॉश किए बिना सोने से त्वचा संबंधी परेशानियों का सामना करना पड़ता है जैसे मुंहासे, चेहरे पर छोटे-छोटे दाने आदि