August 03, 2025
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   योग  /शौर्यपथ /क्या आपकी थाई और कूल्हों की स्किन पर फैट जमा हो गया है, जिसके कारण आपकी स्किन आपको गड्ढेदार दिखाई देने लगी है? यदि हां तो यह त्वचा में जमा सेल्यूलाइट के कारण हो सकता है। सेल्यूलाइट आपके स्किन के टेक्सचर को खराब कर सकता है और इसे अजीब दिखा सकता है। मगर आपको चिंता करने की कोई ज़रूरत नहीं है क्योंकि आज हम आपके लिए लाएं हैं कुछ ऐसी एक्सरसाइज़ जो इस जिद्दी सेल्यूलाइट को कम करने में आपकी मदद कर सकती हैं।
सेल्यूलाइट ग्रोथक्सर बढ़ते मोटापे के कारण हो सकती हैं, लेकिन अपने अक्सर इसे हटाने के लिए घरेलू उपायों के बारे में सुना होगा। जबकि इसकी जड़ जिद्दी फैट है, जिसके लिए एक्सरसाइज़ काफी फायदेमंद साबित हो सकती हैं। इसलिए जानते हैं कुछ ऐसी एक्सरसाइज़ के बारे में जो थाई और कूल्हों पर जमा सेल्यूलाइट को कम करने में मदद कर सकता है।
क्या हैं सेल्यूलाइट ग्रोथ के कारण?
सेल्यूलाइट आदतों में परिवर्तन, आहार, हार्मोन, चयापचय और जेनेटिक्स के कारण होता है। यह फैट है जो सेल्युलाईट का कारण बनता है, इसलिए इससे छुटकारा पाने और अपनी जांघों को फिर से स्मूद बनाने का सबसे अच्छा तरीका है शरीर की चर्बी कम करना। लोअर बॉडी एक्सरसाइज़ से, आप सेल्युलाईट को कम कर सकती हैं और टोंड थाई पा सकती हैं।
जानिए सेल्यूलाइट ग्रोथ को कम करने के लिए कुछ एक्सरसाइज़
1. स्क्वैट्स:
अपने पैरों को थोड़ा अलग करके खड़े हो जाएं। अब बैठने की स्थिति में तब तक झुकें जब तक कि आपकी जांघें फर्श के समान न हो जाएं। आप चाहें तो अपनी भुजाओं को फर्श के समान भी रख सकती हैं। पहले वाली स्थिति में लौटने से पहले 30 सेकंड के लिए इसी स्थिति में रहें।
2. लंजेस:
जांघ और बट की मसल्स के लिए यह एक्सरसाइज बहुत असरदार है। यह हृदय गति को बढ़ाती है और वसा को तेजी से जलाने में मदद करती है।अपने पैरों को थोड़ा अलग करके खड़े हो जाएं और अपने पेट की मांसपेशियों को फ्लेक्स करें। अपने दाहिने पैर के साथ आगे बढ़ें, और धड़ को सीधा रखें। अपने घुटने को तब तक मोड़ें जब तक कि यह 90 डिग्री का कोण न बना ले। अपनी एड़ी को पुश करें और अपनी शुरुआती स्थिति में लौट आएं। निचले शरीर को मजबूत करने के लिए जंप लंजेस भी किए जा सकते हैं।
3. क्रिस-क्रॉस:
यह एक तरह की पिलाटीज़ एक्सरसाइज है, जिसमें आपको अपनी पीठ के बल लेटने और अपने हाथों को अपने सिर के पीछे ले जाने की जरूरत है। इसके बाद पैरों को एक-एक करके टेबलटॉप पोजीशन में लाएं। अब अपनी भीतरी जांघों को एक साथ सिकोड़ें और खुद को बाईं ओर घुमाएं। फिर अपने दाहिने घुटने को अपने बाएं हाथ की ओर लाएं।
4 लेग लिफ्ट्स:
एक तरफ सीधे लेट जाएं। अपने हाथ से अपनी गर्दन को सहारा दें और दूसरे हाथ को पेट के बल सीधा लेट जाएं। अब ऊपरी पैर को जितना हो सके ऊपर उठाएं। धीमी गति से उलटते हुए इसे वापस नीचे लाएं। 12 के सेट में दोहराएं।
5. लेग रेज़ :
यह एक्सरसाइज़ आपके पैरों में दबाव पैदा करती है, जिसके कारण आपको लेग्स की चर्बी को कम करने में मदद मिल सकती है। एक आरामदायक कुर्सी पर बैठें और अपना पैर ऊपर उठाएं। इसे सीधा और जमीन के समान रखने की कोशिश करें। 30 सेकंड के लिए इस पोजीशन को होल्ड करें। और हर तरफ दोहराएं।

    खाना खजाना /शौर्यपथ /ऑफिस और घर के कामकाज की वजह से जल्दबाजी में हम अक्सर ब्रेकफास्ट स्किप कर देते हैं या तो ब्रेड सॉस, फ्रूट्स, इत्यादि का सेवन करते हैं। परंतु खाली पेट ब्रेकफास्ट में इन फूड्स का सेवन आपकी सेहत के लिए नुकसानदेह हो सकता है। रात की लंबी अवधि के बाद हमारे दिन का पहला मील ब्रेकफास्ट होता है। इसलिए इसे हल्दी रखना बहुत जरूरी है अन्यथा पूरे दिन पेट से जुड़ी समस्याओं का सामना करना पर सकता है। इसीलिए यदि आप पूरे दिन एसिडिटी, कब्ज, गैस, इत्यादि जैसी समस्याओं से दूर रहना चाहते हैं, तो सुबह के नाश्ते में फाइबर और आवश्यक पोषक तत्वों से भरपूर खाद्य स्रोत को शामिल करें।
यदि आप भी ब्रेकफास्ट रेसिपी को लेकर कंफ्यूज रहती हैं, तो इसका समाधान हमारे पास है। हमने इस बारे में न्यूट्रीफाई बाई पूनम डाइट एंड वैलनेस क्लिनिक एंड अकेडमी की डायरेक्टर पूनम दुनेजा से बातचीत की। उनसे एक हेल्दी ब्रेकफास्ट की रेसिपी शेयर करने का आग्रह किया। उन्होंने समग्र सेहत को ध्यान में रखते हुए महत्वपूर्ण पोषक तत्वों से भरपूर क्विनोआ चीला (quinoa chilla recipe) की रेसिपी शेयर की है। यह स्वादिष्ट होने के साथ ही सेहत के लिए काफी फायदेमंद माना जाता है। तो चलिए जानते हैं इसे किस तरह तैयार करना है साथ ही जानेंगे इसे ब्रेकफास्ट में लेना कैसे है फायदेमंद।
क्विनोआ चीला के लिए आपको चाहिए
क्विनोआ – 2 कप
गाजर – 1 मध्यम आकार की, बारीक कटी हुई
शिमला मिर्च – ⅓, कप, बारीक कटी हुई
हरी बीन्स: ⅓ कप, बारीक कटी हुई
प्याज – 1 मध्यम आकार का बारीक कटा हुआ
हरी मटर: ⅓ कप, बारीक कटी हुई
हरी मिर्च – 1 छोटा चम्मच, बारीक कटी हुई
अदरक – 1 छोटा चम्मच, बारीक कटा हुआ
भुनी हुई मूंगफली – ⅓ कप
उरद दाल – ½ कप, उरद दाल
घी/ऑलिव आयल – 2 से 3 चम्मच
हल्दी पाउडर – 1 छोटा चम्मच
काली मिर्च – ½ छोटा चम्मच
करी पत्ते – 5 से 6 पत्ते
धनिया पत्ती – बारीक़ कटे हुए
पानी आवश्यकता अनुसार
नमक स्वादअनुसार
इस तरह तैयार करें क्विनोआ चीला
सबसे पहले क्विनोआ और उरद दाल को पानी में भिगोकर छोर दें, फिर क्विनोआ के छिलके निकाल लें।
जब क्विनोआ और उरद की दाल फूल जाए तो इसे मिक्सर में डालकर पीसें और आवश्यकता अनुसार पानी का इस्तेमाल करते हुए एक स्मूद पेस्ट तैयार करें।
अब एक पैन लें और उसमें घी या ऑलिव ऑयल डालें और उसे गर्म होने दें।
तेल गर्म होते ही इसमें बारीक कटा हुआ अदरक, करी पत्ता और हरी मिर्च डालकर अच्छे से भूनें।
अब इसमें कटे हुए प्याज, गाजर, हरी बीन्स, शिमला मिर्च, और हरी मटर डाल दें, फिर हल्दी पाउडर और दरदरी पीसी हुई काली मिर्च डालकर सभी को मध्यम आंच पर 2 से 3 मिनट तक भूनें।
भुनी हुई सब्जियां और मूंगफली को तैयार किये गए बैटर में डाल दें। अब इसमें स्वादानुसार नमक डालें फिर ऊपर से धनिया की पत्तियों को डालकर इसे अच्छी तरह मिला लें।
अब एक पैन लें उसे माध्यम आंच पर चढ़ाएं और गर्म होने दें फिर उसमे घी या ऑलिव ऑयल लगाएं और किसी चम्मच की मदद से उसपर तैयार किये गए बैटर को डालें।
अब बैटर को फैला लें और उसे दोनों ओर से लाल होने तक पकाएं। आपका हेल्दी चीला बनकर तैयार है। इसे ब्रेकफास्ट में अपनी मनपसंदीदा चटनी के साथ सर्व करें।
अब जाने इन्हे ब्रेकफास्ट में लेने के फायदे
न्यूट्रीफाई बाई पूनम डाइट एंड वैलनेस क्लिनिक एंड अकेडमी की डायरेक्टर पूनम दुनेजा के अनुसार क्विनोआ कैलोरी, प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, फाइबर, फोलेट, विटामिन बी6, विटामिन ई, कॉपर, आयरन, जिंक, मैंगनीज, मैग्नीशियम, पोटेशियम और फास्फोरस का एक बेहतरीन स्रोत है। यह सभी पोषक तत्व आपको लंबे समय तक संतुष्ट रहने में मदद करते हैं। ऐसे में क्विनोआ ब्रेकफास्ट का एक बेहतर विकल्प हो सकता है।
क्विनोआ में बीटाइन मौजूद होते हैं जो मोटापे को नियंत्रित रखने में मदद करता हैं। वहीं क्विनोआ को हृदय से जुडी समस्यायों (heart disease) में भी कारगर माना जाता है। वहीं, दूसरी ओर क्वीनोआ में मौजूदा पोटेशियम हार्टबीट को नियंत्रित रखते हैं।
क्विनोआ में पर्याप्त मात्रा में फाइबर पाया जाता है। यह पाचन तंत्र में अच्छे बैक्टीरिया के उत्पादन को बढ़ा देता हैं, जिस वजह से आपका खाना सही से पचता है और जरुरी पोषक तत्व पूरी तरह शरीर में लग पाते हैं। एक स्वस्थ पाचन क्रिया (digestion) के लिए इसे अपने ब्रेकफास्ट मील में शामिल करें।
यह ऊर्जा शक्ति को भी लंबे समय तक बनाये रखता है। इसमें मौजूदा अमीनो एसिड, मैक्रोन्यूट्रिएंट्स, लिपिड और कार्बोहाइड्रेट शरीर में मेटाबॉलिज्म को बढ़ाने का काम करते हैं। जिस वजह से शरीर ऊर्जा का सही इस्तेमाल कर पता है।
डायबिटीज के मरीज भी कर सकते है क्विनोआ का सेवन
डायबिटीज  में क्विनोवा का सेवन आपके लिए फायदेमंद हो सकता है। यह ग्लूकोज के स्तर और लिपिड प्रोफाइल के प्रभाव को कम कर देता हैं। इसके नियमित सेवन से डायबिटीज के मरीज अपने शरीर में इंसुलिन की सक्रियता को बढ़ाकर ब्लड शुगर लेवल को कम कर सकते हैं। इसके साथ ही क्विनोआ में मौजूद फाइबर और प्रोटीन ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित रखते हैं।

     आस्था /शौर्यपथ /घर की किस दिशा में क्या और कैसे रखना है इसके बारे में वास्तु शास्त्र विस्तार से बताता है. ऐसे में तुलसी के पौधे के लिए घर की कौनसी दिशा   सही है यह भी वास्तु से जान सकते हैं. धार्मिक मान्यताओं में तुलसी के पौधे को तुलसी माता कहकर भी संबोधित किया जाता है. तुलसी को विष्णु भगवान की प्रिय माना जाता है, साथ ही तुलसी की पूजा मां लक्ष्मी को प्रसन्न करती है. ऐसे में यहां जानिए किस दिशा में तुलसी का पौधा   लगाया जाए और तुलसी नियमों से जुड़ी किन बातों का विशेष ध्यान रखना है जरूरी.
तुलसी के लिय सही दिशा और तुलसी पूजा नियम
घर में तुलसी का पौधा लगाने के लिए सबसे अच्छी व शुभ दिशा उत्तर दिशा मानी जाती है. उत्तर दिशा के अलावा पूर्व दिशा में भी तुलसी का पौधा लगाया जा सकता है. माना जाता है कि इन दिशाओं में तुलसी लगाने से घर में सुख-समृद्धि व खुशहाली आती है.
माना जाता है कि तुलसी के पौधे को कभी भी दक्षिण या दक्षिण पश्चिमी दिशा में नहीं लगाना चाहिए. यह दिशा तुलसी के लिए सही नहीं कही जाती.
 अगर आप तुलसी का पौधा लगा रहे हैं तो इसे लगाने का सही दिन भी जान लीजिए. गौरतलब है कि तुलसी भगवान विष्णु (Lord Vishnu) की प्रिय हैं और गुरुवार का दिन विष्णु भगवान का दिन माना जाता है. ऐसे में तुलसी का पौधा गुरुवार के दिन लगाना सबसे अच्छा मानते हैं.
लक्ष्नी प्रिय होने के चलते तुलसी को शुक्रवार के दिन भी लगाया जा सकता है. कई धार्मिक मान्यताओं में तुलसी को मां लक्ष्मी का ही रूप माना गया है. साथ ही, तुलसी को शनिवार के दिन लगाना भी शुभ होता है. रविवार के दिन तुलसी नहीं लगाई जाती. सोमवार, बुधवार और एकादशी तिथि पर भी तुलसी का पौधा लगाने से परहेज करना चाहिए.
रात के समय तुलसी के पौधे की पत्तियां तोड़ना अच्छा नहीं माना जाता. वहीं, बिना नहाए तुलसी के पौधे की पूजा नहीं करनी चाहिए. इसे अशुभ माना जाता है.

    ब्यूटी टिप्स /शौर्यपथ /विटामिन सी जैसे महत्वपूर्ण पोषक तत्वों से भरपूर नींबू के फायदों से तो आप सभी वाकिफ होंगी। सालों से लोग त्वचा की खूबसूरती के लिए इसका इस्तेमाल करते चले आ रहे हैं। हालांकि, इसमें दो राय नहीं कि यह सेहत और स्किन दोनों के लिए फायदेमंद है। परंतु जरुरत से ज्यादा और गलत तरीके से इसका इस्तेमाल आपकी त्वचा के लिए समस्याएं खड़ी कर सकता है। एक्सपर्ट मानते हैं कि कोई भी चीज सभी के लिए एक से इफैक्ट नहीं देती। इसी तरह नींबू भी अच्छा होने के बावजूद हर तरह की स्किन के लिए काम नहीं कर सकता। यहां हम वे 4 साइड इफैक्ट्स  बता रहे हैं, जो नींबू का गलत इस्तेमाल आपकी स्किन को दे सकता है।
पहले जानें नींबू के इस्तेमाल से त्वचा पर होने वाले कुछ साइड इफेक्ट्स के बारे में
1. सनबर्न
त्वचा पर खट्टे फल का सीधा इस्तेमाल सनबर्न की संभावना को बढ़ा देता है। सूरज के संपर्क में जाने से तुरंत पहले भूलकर भी त्वचा पर खट्टे फल का इस्तेमाल न करें। खट्टे फल में मौजूद ऑयल फोटोटोक्सिक होते हैं। ऐसे में यह आपकी त्वचा को बुरी तरह प्रभावित कर सकते हैं।
2. केमिकल ल्यूकोडर्मा
यह स्थिति तब उत्तपन होती है जब मेलेनिन की कमी के कारण त्वचा हल्की हो जाती है। मेलेनिन एक प्रकार का हॉरमोन है जो त्वचा की प्राकृतिक रंगत को बनाये रखने में मदद करता है। अक्सर लोग त्वचा पर हुए डार्क स्पॉट को हल्का करने के लिए नींबू के रस का इस्तेमाल करते हैं। परंतु काले धब्बे कम होने के वजाय कई बार सफेद रंग का ल्यूकोडर्मा स्पॉट विकसित हो जाता हैं इसलिए जरूरत से ज्यादा नींबू के रस का इस्तेमाल न करें।
3. फाइटोफोटोडर्मेटाइटिस
फाइटोफोटोडर्मेटाइटिस खट्टे फलों की वजह से होने वाला एक प्रकार का स्किन रिऐक्शन है। इस स्थिति में नींबू का अधिक इस्तेमाल और सूरज के संपर्क में जाने के कुछ देर पहले इसका इस्तेमाल इंफ्लेमेटरी रिएक्शन का कारण बन सकता है। यह स्थिति स्किन रेडनेस, स्वेल्लिंग, और ब्लिस्टरिंग का कारण होती है।
4. स्किन इरिटेशन
स्किन इरिटेशन खट्टे फल में मौजूद एसिड से होने वाला एक सबसे आम साइड इफ़ेक्ट है। ऐसे में आप स्किन ड्राइनेस, रेडनेस, और स्किन पीलिंग जैसी समस्यायों का अनुभव करेंगी। इसलिए इसे इस्तेमाल करते वक़्त अधिक सावधानी बरतें। वहीं जिनकी त्वचा संवेदनशील है उन्हें खट्टे फल इत्यादि के प्रयोग से दूर रहना चाहिए।
क्या नींबू को पूरी रात लगाए रख सकते हैं?
नींबू में अधिक मात्रा में एसिड मौजूद होता है ऐसे में पूरी रात इसे लगाकर न सोएं। लंबे समय तक इसे लगाए रखना त्वचा से जुड़ी समस्याओं का कारण बन सकता है। इसीके साथ यदि आपकी त्वचा संवेदनशील है तो नींबू के प्रयोग से दूरी बनाए रखें।
अब जानें क्या है नींबू को इस्तेमाल करने का सही तरीका
इसे इस्तेमाल करने से पहले अपनी चेहरे की त्वचा से हटकर इसकी एक दो बूंदों को लगाकर टेस्ट करें। अब कम से कम एक दिन का इंतेजार करें यदि किसी प्रकार का रिएक्शन नजर आये तो इसे त्वचा पर अप्प्लाई न करें और न आये तो आप इसे लगा सकती हैं।
नींबू के रस को त्वचा पर रब न करें, बल्कि इसके रस को कॉटन पेड की मदद से हलके दबाव के साथ टैप करते हुए अप्प्लाई करें।
नींबू को त्वचा पर सीधे लगाने से अच्छा रहेगा इसे किसी अन्य स्किन फ्रेंडली पदार्थ के साथ मिलकर फेस पैक या फेस मास्क की तरह इस्तेमाल करना।
यदि त्वचा पर किसी भी प्रकार का साइड इफ़ेक्ट नजर आये तो इसके इस्तेमाल को फ़ौरन बंद कर दें।

     सेहत /शौर्यपथ /फाइबर की कमी से हमारा पाचन तंत्र बहुत धीमी गति से चलने लगता है। हाई फाइबर वाले खाद्य पदार्थ गति को लगभग एक-चौथाई तक बढ़ा देते हैं । भोजन में फाइबर बैक-अप की कमी होने के कारण कोलन की अच्छी तरह सफाई नहीं हो पाती है। यह धीमी गति से चलने वाला भोजन अतिरिक्त श्लेष्मा   पैदा करता है, जो आंतों की दीवारों से चिपक जाता है। इसके कारण न सिर्फ पाचन संबंधी समस्या होती है, बल्कि वजन भी बढ़ जाता है। इसलिए आंत की सफाई जरूरी है। लेकिन आंत की सफाई कैसे की जाए
? यह जानने से पहले जानते हैं कि आंत की सफाई क्यों जरूरी है।
बढे हुए वजन को घटाता है आंत की सफाई  
अमेरिकन सोसाइटी फॉर न्यूट्रीशन जर्नल के अनुसार, जैसे ही कोलन साफ ​​हो जाता है, यह बिना पचे हुए कचरे को शरीर से बाहर धकेलता है। पोषक तत्वों का अवशोषण हो जाता है। इससे वजन घटने में मदद मिलती है। यदि वेस्ट मटीरियल बहुत अधिक समय तक शरीर में रहता है, तो यह बैक्टीरिया और बीमारी के लिए प्रजनन स्थल बन जाता है।
न्यूट्रीशन जर्नल में उल्लेख है कि कोलन ब्लॉकेज के कारण पर्याप्त फाइबर के बिना हाई प्रोटीन वाले खाद्य पदार्थ एसिड बनाने लगते हैं। इससे कोलन के ऊतक सूजन और रोगग्रस्त हो जाते हैं, इससे कोलन के कार्य करने की क्षमता कम हो जाती है। यदि यीस्ट, फंगस, बैक्टीरिया या मल सामग्री ब्लड सर्कुलेशन से जुड़े ऊतकों में प्रवेश करती है, तो शरीर का पीएच पूरी तरह से असंतुलित हो जाता है। शरीर का पीएच संतुलन कई गंभीर स्वास्थ्य मुद्दों जैसे ऑस्टियोपोरोसिस, सरकोपेनिया (मांसपेशियों की हानि), फ्रैक्चर, गुर्दे की पथरी, मधुमेह, उच्च रक्तचाप, हृदय रोग, थायरॉयड जैसी समस्याओं को बुलावा देती है।
यहां हैं आंतों की सफाई में मदद करने वाले 5 खाद्य पदार्थ
1 फरमेंटेड फ़ूड आंत के गुड बैक्टीरिया को बढ़ाता है  
जर्नल ऑफ़ क्लिनिकल न्यूट्रीशन में शोधकर्ता मिशेल रॉकवेल बताते हैं, ‘पर्यावरण और खाद्य रसायनों, एंटीबायोटिक दवाओं, प्रोसेस्ड फ़ूड और अन्य कारकों के कारण आंत के लाभकारी बैक्टीरिया को होने वाले नुकसान की भरपाई में मदद करने के लिए फरमेंटेड फ़ूड, प्रोबायोटिक युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करना जरूरी है। इनमें किम्ची, केफिर, ग्रीक योगर्ट, चिवरा, कोम्बुचा चाय प्रमुख हैं।’
2 एंटी इन्फ्लामेट्री गुणों वाला लहसुन  
जर्नल ऑफ़ माइक्रोबायोलोजी में शोधकर्ता गुओलिंग ली बताते हैं कि लहसुन न केवल खाने में स्वादिष्ट होता है, बल्कि यह तीखा तत्व कोलन की सफाई के लिए भी फायदेमंद होता है। इसमें एंटीवायरल, एंटी बैक्टीरियल, एंटी फन्ग्ल गुण होते हैं। ये पाचन तंत्र से विषाक्त पदार्थों, रोग पैदा करने वाले परजीवियों को हटाने में मदद करते हैं।
3 एलोवेरा आंत को डिटॉक्स करने में मदद करता है
मेडीसिन एंड साइंस जर्नल के अनुसार, एलोवेरा जूस का उपयोग असंख्य स्थितियों के इलाज के लिए किया जा सकता है, जिसमें पाचन में सुधार, शरीर को डिटॉक्स करने में मदद करना और त्वचा की स्थिति का इलाज करना शामिल है। एलोवेरा जूस में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं। इसके कारण यह कई बीमारियों को दूर करने में मदद कर सकता है। इसके फाइबर आंत की सफाई कर वेस्ट मैटीरियल को शरीर से बाहर निकाल देते हैं।
4 एप्पल साइडर विनेगर का पेक्टिन आंतों पर काम करता है  
पाचन तंत्र को स्वस्थ रखने वाले सेब में हाई फाइबर होता है। सेब पेक्टिन से भरपूर होते हैं, जो आंत में निर्मित विषाक्त पदार्थों को जड़ से खत्म करने और आंतों की परत को मजबूत करने में मदद कर सकते हैं। पेक्टिन केले और खट्टे फलों के छिलके में भी पाया जाता है।
5 अलसी और चिया सीड्स  
अलसी और चिया के बीज पोषण संबंधी समस्याओं को दूर करने में मदद करते हैं। दोनों में वसा और फाइबर होते हैं, जो स्वस्थ पाचन और स्वच्छ कोलन को बढ़ावा देने में मदद करते हैं। दोनों ओमेगा -3 फैटी एसिड से भरपूर होते हैं, जो सेल की दीवारों को स्थिर करने और सूजन को कम करने के लिए जाने जाते हैं।
फ्लैक्स और चिया में सोलयूबल फाइबर होता है, जो पाचन प्रक्रिया को सही करने के लिए भोजन के साथ जुड़ जाता है।

       टिप्स ट्रिक्स /शौर्यपथ /महिलाओं के जीवन में कुछ अनवांटेड कॉम्प्लिकेशन सामने आ सकती हैं. आज की भागदौड़ भरी लाइफस्टाइल में कई कपल्स को इनफर्टिलिटी की समस्या का सामना करना पड़ता है. सौभाग्य से, लाइफस्टाइल और खान-पान में बदलाव जैसे कुछ प्राकृतिक तरीके हैं, जो महिलाओं में प्रजनन क्षमता   को बढ़ावा दे सकते हैं. गर्भावस्था की तैयारी और प्रजनन क्षमता बढ़ाने के लिए पुरुषों और महिलाओं दोनों को हेल्दी वेट बनाए रखने की जरूरत होती है. महिलाओं को प्रजनन के लिए एक सुरक्षित और फायदेमंद सुपरफूड   को चुनना चाहिए. ये सुपरफूड क्या हैं? वे पोषक तत्व बढ़ाने वाले स्टेपल हैं जिन्हें बेहतर स्वास्थ्य के लिए जाना जाता है.
महिलाओं में प्रजनन क्षमता बढ़ाने के लिए सुपरफूड्स  

1. अंजीर

पोषण विशेषज्ञ की लिस्ट में पहला सुपरफूड अंजीर है. ये अपने इंसुलिन कम करने वाले गुणों के लिए जाना जाता है, अंजीर पीसीओएस में भी फायदेमंद हो सकता है जो बांझपन में योगदान देता है.
2. अनार

अनार एंटीऑक्सिडेंट और अन्य जरूरी पोषक तत्वों जैसे विटामिन सी, विटामिन के, फोलेट और बहुत कुछ से भरे हुए हैं. अनार में मौजूद फोलेट और जिंक पुरुषों और महिलाओं दोनों में प्रजनन क्षमता को बढ़ाने में मदद कर सकते हैं. वे आपको फ्री रेडिकल्स से छुटकारा पाने में मदद करते हैं, जो अंडे की कोशिकाओं और शुक्राणु दोनों को नुकसान पहुंचाने के लिए जाने जाते हैं. फल, सब्जियां, अनाज और नट्स जैसे फूड्स इन फायदेमंद एंटीऑक्सीडेंट से भरे होते हैं.
3. काजू

अध्ययन का हवाला देते हुए लवनीत बत्रा कहती हैं "काजू में बहुत प्रचुर मात्रा में जिंक होता है, जो शरीर को मजबूत बनाने के साथ-साथ प्रजनन क्षमता को बढ़ाने के लिए भी जरूरी होता है." काजू के अलावा आप अपनी डाइट में दाल, चना, दलिया, दही, टोफू और डार्क चॉकलेट को भी शामिल कर सकते हैं.
4. दालचीनी

दालचीनी का एक संकेत आपकी चाय के स्वाद को बढ़ा सकता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि आपकी डाइट में दालचीनी प्रजनन क्षमता को बढ़ा सकती है. यह मसाला मेटाबॉलिज्म को बहुत जरूरी किक स्टार्ट देता है और नॉर्मल मेंट्रुअल फ्लो को भी कंट्रोल करता है.
5. A2 गाय का दूध

पोषण विशेषज्ञ लवनीत बत्रा प्रजनन क्षमता बढ़ाने के साथ-साथ गर्भावस्था के दौरान A2 गाय के दूध की सलाह देते हैं. हेल्थ एक्सपर्ट्स के अनुसार, "डेयरी में अच्छी मात्रा में सेचुरेटेड फैट होता है, जो प्रजनन क्षमता को बढ़ाने में जरूरी भूमिका निभाता है." इसके अलावा, इनमें विटामिन ए, विटामिन ई, विटामिन डी, विटामिन के और विटामिन के 2 जैसे वसा में घुलनशील विटामिन भी होते हैं.

      खाना खजाना /शौर्यपथ /सर्दियों के मौसम में गरमा गरम सरसों का साग, मक्के की रोटी, गुड़, चटनी, अचार मिल जाए तो क्या ही कहने. लेकिन घर में सरसों का साग बनाना टेढ़ी खीर है. इसे बनाने के लिए कई घंटों मेहनत करनी होती है. लेकिन आज हम आपको बताते हैं कि कैसे आप इंस्टेंट सरसों का साग घर में बना सकते हैं और इसे स्टोर करके आप 15 से 20 दिन तक फ्रीज भी कर सकते हैं और जब आपका खाने का मन हो बस थोड़ा सा सरसों का साग निकाला गर्म किया और गरमा गरम मक्के की रोटी के साथ ऐसे सर्व कर दिया. तो चलिए आपको बताते हैं शानदार पंजाबी स्टाइल सरसों का साग बनाने की रेसिपी, इसे बनाने के लिए आपको चाहिए-
इंग्रेडिएंट्स-

    1 1/2 किलो सरसों के पत्ते
    250 ग्राम पालक
    250 ग्राम बथुआ साग
    50 ग्राम मक्की का आटा
    4 हरी मिर्च
    20 कली लहसुन
    3 बड़े प्याज
    2 इंच अदरक
    1 छोटा चम्मच हल्दी
    1 कप पानी
सरसों का साग बनाने की रेसिपी-

    पंजाबी स्टाइल सरसों का साग बनाने के लिए सभी पत्तेदार सब्जियों (सरसों के पत्ते, पालक और बथुआ साग) को धोकर साफ कर लें. इसे साफ करने के लिए साग को गुनगुने पानी में भिगोकर उसमें एक चुटकी नमक मिलाएं और अच्छी तरह से इसे साफ कर लें.
    सभी पत्तेदार सब्जियों को अच्छे से धोने के बाद अतिरिक्त पानी निकाल दें. काटने से पहले सरसों के पत्तों के डंठल काट कर छील लें. फिर सारे पत्तों को बारीक काट लें. एक प्रेशर कुकर लें और सभी पत्तों को लगभग आधे घंटे के लिए पकाएं. पत्तों के साथ अदरक और 10 लहसुन की कलियां डालें.
    जब सभी सब्जियां अच्छे से उबल जाएं तो इसे निकालकर 50 ग्राम मक्के के आटे के साथ ब्लेंडर में डालकर 30 सेकंड के लिए मथ लें.
    अब एक कढ़ाई में 2 बड़े चम्मच घी गर्म करें, जब यह पिघल जाए तो इसमें 10 कली बारीक कटी हुई लहसुन डालें. जब लहसुन ब्राउन हो जाए तो इसमें बारीक कटे प्याज और हरी मिर्च डालकर अच्छी तरह से पका लें.
    जब प्याज गहरे सुनहरे रंग का हो जाए तब उसमें साग का मिश्रण, नमक, लाल मिर्च पाउडर और हल्दी डालें. इसे 10-15 मिनट तक पकने दें.
    जब साग गाढ़ा हो जाए और इसमें से सोंधी सी महक आने लगे तो ऊपर से पिघला हुआ घी डालें और मक्के की रोटी के साथ सर्व करें.
    आप घी की जगह सफेद मक्खन भी डाल सकते हैं, जो डिश को और भी स्वादिष्ट बनाता है.

     शौर्यपथ /समय से पहले बच्चे का जन्म यानी प्रीमेच्योरिटी के प्रभावों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए हर साल 17 मार्च को वर्ल्ड प्रीमेच्योरिटी डे मनाया जाता है। भारत में कुल 1.5 करोड़ प्रीटर्म बर्थ होती हैं। इसके लिए उन्हे सही केयर और सुविधाओं की ज़रूरत है। तो आपकी मदद करने के लिए यहां हम कुछ एक्सपर्ट टिप्स लेकर आए हैं, जो बेबी को भविष्य में एक हेल्दी लाइफ जीने में मदद कर सकते हैं।
कब कहलता है एक बच्चा प्रीमेच्योर?
बता दें कि गर्भावस्था के 37 सप्ताह से पहले जन्म लेने वाले किसी भी बच्चे को प्रीमेच्योर समझा जा सकता है। प्रेगनेंसी के जोखिम कारकों और कई अन्य कारकों के आधार पर, डॉक्टर सिजेरियन सेक्शन या सामान्य प्रसव के माध्यम से बच्चे को जन्म देने पर विचार कर सकते हैं। शिशु के सप्ताह जितने कम होंगे, सी-सेक्शन की संभावना उतनी ही अधिक होगी, जिसके बाद अक्सर जटिलताएं पैदा हो सकती हैं।
प्रीमेच्योर बेबी को होने वाले कॉमप्लीकेशन्स
प्रीमेच्योर बर्थ के कारण बच्चों को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इसकी वजह से शरीर में अंगों का विकास नहीं हो पाता है, जिससे उन्हें कई तरह की समस्याओं का खतरा रहता है।
सांस और ब्लड प्रेशर की तकलीफ
इसकी वजह से आमतौर पर शिशुओं को सांस लेने में तकलीफ होती है। दिल में छेद जैसी कई कार्डियक स्थितियां, और फेफड़े और दिल में दबाव बढ़ने से ये बच्चे प्रभावित होते हैं। साथ ही, इससे रक्तचाप और हृदय की लेय भी बाधित हो सकती है।
पीलिया और इन्फेक्शन
ऐसे बच्चों में फूड इंटोलरेंस, गट हेल्थ की समस्याएं, पीलिया, मस्तिष्क में रक्तस्राव और दौरे भी पड़ सकते हैं। इसके अलावा, ऐसे बच्चों को इन्फेक्शन होने का खतरा रेहता है, जिसकी वजह से उनकी जान भी जा सकती है।
मोटा और ग्रोथ की कमी
प्रीमेच्योर बच्चों में लंबे समय तक विकास, मोटापा, एलर्जी, खराब प्रतिरक्षा और न्यूरोकॉग्निटिव और ग्रोथ संबंधी समस्याएं जैसी समस्याएं आम हैं। ।
तो क्या प्रीमेच्योरिटी का कोई इलाज है?
आज हाई क्लास टेक्नोलॉजी के उपलब्ध होने की वजह से डिलिवरी डेट पता करना भी काफी आसान हो गया गया है। नई, जेंटलर और नॉन-इनवेसिव वेंटिलेशन स्ट्रेटिजी ने परिणामों में सुधार किया है। संक्रमण रोधी प्रोटोकॉल का सख्ती से पालन करने से गंभीर संक्रमण को रोका जा सकता है।
प्रीमैच्योर बेबी की देखभाल के लिए क्या किया जा सकता है?
यदि बच्चे को पाचन संबंधी कोई समस्या है तो उसके लिए मां के दूध से बेहतर और कोई दवाई नहीं है।
समय से पहले प्रसव के जोखिम कारकों के बारे में माताओं को व्यक्तिगत रूप से सलाह दी जानी चाहिए।
डॉक्टरों द्वारा बताए गए सप्लीमेंट्स को सही समय पर लेना चाहिए।
गर्भवती माताओं के लिए एक स्वस्थ आहार आवश्यक है और समय से पहले प्रसव का एक कारण पोषण की कमी भी है।
सही जांच होना बहुत ज़रूरी है ताकि प्रीमैच्योरिटी से बचा जा सके।
एक बार समय से पहले प्रसव होने की संभावना होने पर, प्रसव आईसीयू सेट-अप में होना चाहिए।
प्रीमैच्योर बेबी का ध्यान रखें
आपकी स्थिति कैसी भी हो, आपके बच्चे का जीवन उस तरह से शुरू नहीं होगा जैसा आपने उम्मीद की थी। प्रीमैच्योर बच्चे की देखभाल करना आपको शारीरिक और भावनात्मक रूप से परेशान कर सकता है। इसलिए बस एक बार में एक कदम आगे बढ़ें और धैर्य रखें।

      ब्यूटी टिप्स /शौर्यपथ /आपने कई स्किन केयर प्रोडक्ट्स में ग्लिसरिन का नाम इंग्रीडिएंट के रूप में सुना ही होगा. लेकिन, यह कोई ऐसी चीज नहीं है जिसका इस्तेमाल आप खुद ना कर पाएं. असल में स्किन केयर में ग्लिसरिन   लगाने के कई तरीके हैं और साथ ही, यह त्वचा के लिए भी कई तरह से फायदेमंद है.  सिर्फ मॉइश्चराइजर के रूप में ही नहीं बल्कि ग्लिसरिन को टोनर या बाम की तरह भी लगाया जा सकता है. यहां जानिए चेहरे पर ग्लिसरिन को किन दिक्कतों को दूर करने के लिए लगाएं और किस तरह से.
ग्लिसरिन के फायदे और इस्तेमाल | Glycerine Benefits And Uses
मॉइश्चराइजर
ग्लिसरिन स्किन को सिर्फ मॉइश्चराइज ही नहीं करता बल्कि यह स्किन की अंदरूनी लेयर्स से नमी खींचकर लाता है. इससे स्किन अपनेआप मॉइश्चराइज (Moisturize) होती रहती है. इसके अलावा प्लांट बेस्ड ग्लिसरिन सेंसिटिव स्किन पर बेहद जेंटल होता है जिससे स्किन का डिसकंफर्ट दूर होता है.
एक्सफोलिएट
स्किन को नमी देने के साथ ही ग्लिसरिन स्किन एक्सफोलिएट भी करता है. इससे स्किन से डेड स्किन सेल्स हटने में मदद मिलती है. इसके अलावा स्किन मुलायम और कोमल बनती है सो अलग.
एंटी-एजिंग
स्किन की प्राकृतिक नमी के बाहर निकलने पर चेहरे पर दिखने वाली उम्र की लकीरें और झुर्रियां (Wrinkles) कम होती हैं. इसे अलग-अलग एक्टिव इंग्रीडिएंट्स के साथ भी इस्तेमाल किया जा सकता है.
निखार के लिए
निखरी त्वचा   पाने के लिए ग्लिसरिन का बेझिझक इस्तेमाल किया जा सकता है. यह ना सिर्फ त्वचा को चमक देता है बल्कि गहरे दाग-धब्बों को हल्का करने और टैनिंग दूर करने में भी असरदार है.
इस तरह लगा सकते हैं
    ग्लिसरिन को लगाने का पहला तरीका तो यही है कि आप इसे सीधा चेहरे पर नमी के लिए लगा लें. चेहरा धोने के बाद पोंछे और सुखाने के बाद ग्लिसरिन को लगाएं. इसे आंखों के आसपास लगाने से परहेज करें. इसके साथ ही, ग्लिसरिन लगाने के बाद कुछ देर रुकने के बाद ही दूसरा प्रोडक्ट लगाएं.
    चेहरे पर क्लेंजर   की तरह भी ग्लिसरिन का इस्तेमाल किया जा सकता है. इससे चेहरे से गंदगी की परत हटती है और त्वचा साफ होती है. एक कटोरी में 3 चम्मच कच्चा दूध लेकर एक चम्मच के बराबर ग्लिसरिन मिलाकर रूई से रात में लगाएं और सुबह उठकर चेहरा धो लें.
    टोनर की तरह ग्लिसरिन लगाने के लिए आधा कप गुलाबजल में एक कप ग्लिसरिन मिलाकर स्प्रे बोतल में भर लें. इस टोनर का इस्तेमाल चेहरा धो लेने के बाद करें.

     लाइफस्टाइल /शौर्यपथ /रिश्ते सच की नींव पर बने होते हैं और एक छोटा सा झूठ भी इस नींव को हिला सकता है. हालांकि, कुछ झूठ  पार्टनर की भलाई सोचते हुए अक्सर ही कह दिए जाते हैं लेकिन ऐसी भी कई बातें हैं जिन्हें कभी नहीं छुपाना चाहिए. आज नहीं तो कल हर झूठ सामने आ ही जाता है. इसलिए आपके रिश्ते को जो झूठ खत्म कर सके उन्हें कहने से जितना ज्यादा बचा जा सके उतना अच्छा है. यहां ऐसे ही 5 झूठों की सूची दी गई है जो आमतौर पर किसी भी रिलेशनशिप के टूटने (Break up) का कारण बन सकते हैं. 
कभी नहीं कहने चाहिए ये 5 झूठ
सैलरी को लेकर झूठ
रिलेशनशिप में पैसों को लेकर पारदर्शिता होना बेहद जरूरी है. आपकी जितनी सैलरी है आपको अपने पार्टनर (Partner) को उतनी ही बतानी चाहिए, ना कम ना ज्यादा. कम बताई गई सैलरी से पार्टनर को लग सकता है कि आप उन्हें लालची समझते हैं इसलिए पैसे छुपा रहे हैं और ज्यादा बताई सैलरी गई सैलरी का सच सामने आते ही किसी भी रिलेशनशिप से विश्वास और भरोसा उठ सकता है. एकदूसरे की सैलरी देखकर ही लोग अपना भविष्य प्लान करते हैं इसलिए सैलरी को लेकर झूठ नहीं कहना चाहिए.
अपने पास्ट रिलेशनशिप को लेकर झूठ
कई बार लोग अपने पास्ट रिलेशनशिप्स को लेकर झूठ बोल देते हैं. यह झूठ कहने के पीछे कोई भी निजी कारण हो सकता है. शर्मिंदगी या फिर किसी बुरे किस्से को दबाए रखने के लिए भी यह झूठ बोल दिया जाता है. लेकिन, कोई भी मजबूत रिश्ता झूठ की तर्ज पर नहीं बनता. कहते हैं बीता हुआ कल कभी पीछा नहीं छोड़ता, इसलिए रिश्ते की शुरूआत सच के साथ ही करें चाहे फिर रिश्ता आगे ना भी बढ़ पाए.
बच्चों को लेकर झूठ
सिर्फ और सिर्फ रिलेशनशिप निभान के नाते लोग भविष्य (Future) में बच्चों को लेकर झूठ कह देते हैं. कोई यह झूठ कहता है कि उसे बच्चे चाहिए तो कोई यह कि उसे बच्चे नहीं चाहिए. यह दोनों ही झूठ आगे चलकर लड़ाई और झगड़ों की वजह बन जाते हैं. रिलेशनशिप ना टूटने के डर से कहा गया यह झूठ शादी टूटने का कारण बन जाता है.
भविष्य को लेकर झूठ
आप दोनों एकदूसरे के साथ भविष्य चाहते हैं या नहीं और कैसा भविष्य चाहते हैं इसे लेकर भी झूठ ना कहें. अगर आप शादी नहीं कर सकते तो उसे लेकर झूठ ना कहें, अगर अपना शहर छोड़कर पार्टनर के साथ दूसरे शहर नहीं जा सकते तो उसे लेकर झूठ ना कहें, आप सीरियस हैं या नहीं तो उसे लेकर भी झूठ ना कहें. भविष्य के लिए कहे गए यह झूठ आपका आज (Present) संवार सकते हैं लेकिन कल नहीं.
मूव ऑन को लेकर झूठ
अपने पुराने पार्टनर से मूव ऑन ना कर पाना और किसी और के साथ प्यार (Love) में रहते हुए नई रिलेशनिश शुरू कर देना रिश्ते को कभी मजबूत नहीं होने देगा. अगर आप मूव ऑन नहीं कर पाएं हैं तो आपको दूसरे रिलेशनशिप में आने की हड़बड़ी नहीं करनी चाहिए और अगर रिलेशनशिप में आना भी चाहते हैं तो सामने वाले व्यक्ति को यह कहकर अंधेरे में नहीं रखना चाहिए कि आप मूव ऑन कर चुके हैं.

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