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शौर्यपथ /'जितना ज्यादा पसीना आएगा उतनी जल्दी वजन या बेली फैट कम होगा' अक्सर लोगों को आपने ये कहते सुना होगा। लेकिन क्या सच में ऐसा होता है। अगर आप भी इस धारणा के साथ वजन घटा रहे हैं कि पसीने की मात्रा बढ़ने से वजन ज्यादा घटेगा तो आपको इसकी सच्चाई जरूर जाननी चाहिए। यहां हम बता रहे हैं स्वेटिंग और वजन घटाने का कनेक्शन। इसी के साथ जानें क्या होता है पसीना और क्या है स्वेट फंक्शन।
क्या होता है पसीना?
पसीना यूरिया, चीनी, नमक और अमोनिया का पानी जैसा मिश्रण है जो आपकी स्किन के पोर्स से आता है।
पहले समझिए स्वेट फंक्शन
किसी भी चीज को समझमने के लिए पहले उसके पीछे की जानकारी का होना जरूरी है। अगर आप स्वेटिंग और वजन घटाने का कनेक्शन जानना चाहते हैं तो आपको सबसम पहले स्वेट फंक्शन के बारे में जानना होगा। स्किन की निचली परतों में 2-4 मिलियन पसीने के ग्लांड्स दबे होते हैं। ये पसीने की ग्लांड्स स्किन की सतह पर लगातार इलेक्ट्रोलाइट और पानी का स्राव करती हैं। इसी तरह आपकी हथेलियों और तलवों में पसीने की ग्रंथियों खूब होती हैं, लगभग 3,000 प्रति वर्ग इंच। यहां तक कि आपकी कांख और जननांग भी इन ग्लांड्स से भरे होते हैं, क्योंकि ये आपके शरीर के तापमान को नियंत्रित करने में मदद करते हैं। जब शरीर का तापमान बढ़ता है, तो पसीने की ग्लांड्स पसीना छोड़ती हैं, जो आपके शरीर को ठंडा करती है। एपोक्राइन पसीने की ग्रंथियां आपके बालों के रोम और कई अन्य जगहों के पास होती हैं। इन पसीने की ग्रंथियों का ट्रिगर प्वाइंट इमोशनल स्ट्रेस होता है।
स्वेटिंग और वेट लॉस का क्या है कनेक्शन
स्वेटिंग के मामले में कुछ लोग काफी लकी साबित होते हैं क्योंकि उनहें ना के बराबर पसीना आता है। जबकि कुछ लोग बहुत ज्यादा पसीना आने के कारण परेशान हो जाता हैं। ऐसे में यह कहना आसान है कि अलग-अलग लोगों में पसीना आने की क्षमता डिफरेंट होती है। रिपोर्ट्स की मानें तो एक अडल्ट रोजाना 1 से 1.5 पाउंड पसीना प्रोड्यूस करता है, लेकिन यह स्पष्ट रूप से निर्भर करता है और आप किस तरह के मौसम में रहते हैं, कितना व्यायाम करते हैं, और आप कितना पानी पीते हैं।
बात करें स्वेट के जरिए वेट लॉस की तो, पसीने के जरिए जो वेट लॉस होता है वो दरअसल पानी का वजन होता है, यह आपके वास्तविक वजन घटाने में बहुत कम योगदान देता है।
क्या सच में पसीने से घटता है वजन?
पसीना टेम्परेरी वजन घटाने में आपकी मदद कर सकता है। कई एथलीट स्वेटसूट पहनते हैं, सौना में घंटों बैठते हैं। यदि आप वास्तव अपना वजन कम करना चाहते हैं तो हर दिन एक्सरसाइज करना जरूरी है। हालांकि, आपको पसीने के जरिए पतला होने के बारे में नहीं सोचना चाहिए, बल्कि शरीर ये मानना चाहिए कि पसीना आपके शरीर को ठंडा करने में मददगार है।
क्या है टेम्परेरी वेट लॉस?
टेम्परेरी वजन घटाने का मतलब यह है कि पसीना आने पर वजन कम हो तो जाता है, लेकिन जैसे ही आप खुद को फिर से हाइड्रेट करते हैं, आप इस वजन को फिर से हासिल कर लेते हैं। वास्तविक वजन घटाना इस बात पर निर्भर करता है कि वास्तव में आपको क्यों पसीना आ रहा है।
ब्यूटी टिप्स /शौर्यपथ / स्किन प्रोब्लम्स को दूर कर चमकदार, साफ और कोमल स्किन के लिए एक अच्छे स्किनकेयर रूटीन को फॉलो करना बहुत जरूरी है. स्किन को क्लीन और हेल्दी बनाए रखने के लिए दिन में कम से कम दो बार चेहरे को साफ करना जरूरी है. अपने चेहरे को क्लीन, टोन और मॉइश्चराइज़ करने के लिए आप अलग-अलग तरह के क्लींजर, टोनर और मॉइश्चराइजर का इस्तेमाल कर सकते हैं. कई लोग गुलाज जल का भी इस्तेमाल करते हैं, लेकिन क्या इसके अलावा भी कोई दूसरे विकल्प हैं? आज हम आपको बताने जा रहे हैं गुलाब जल के अलावा और किन चीजों का इस्तेमाल कर आप अपनी स्किन को क्लीन और टोन कर सकते हैं.
अपने चेहरे को क्लीन और चमकदार कैसे रखें? |
1) स्किन को हाइड्रेटेड रखना है जरूरी
अपनी स्किन को हेल्दी और ग्लोइंग बनाए रखने के लिए सबसे पहले इस बात का ख्याल रखें कि आपको हर रोज पर्याप्त मात्रा में पानी पीना है. बॉडी हाइड्रेट रहेगी तो स्किन पर अपने आप नेचुरल ग्लो आएगा. स्किन हाइड्रेटेड रहने से स्किन हेल्दी रहेगी. पानी पीने से बॉडी में मौजूद टॉक्सिक सब्सटेंस बाहर निकल जाते हैं जिससे शरीर अंदर से साफ हो जाता है और स्किन की हेल्दी रहती है.
2) स्किन को ऐसे करें क्लीन
स्किन की केयर और साफ सफाई करने के लिए रेगुलर स्किन केयर रूटीन फॉलो करना जरूरी है. इसके लिए रोजाना आपको स्किन को अच्छी तरह से क्लीन करना चाहिए. सोने से पहले मेकअप को रिमूव करना जरूरी है. एक अच्छी क्लींजर के साथ अपने फेस को क्लीन करें. अपने फेस के अकॉर्डिंग आप क्लींजर का चुनाव कर सकते हैं. नेचुरल क्लींजर की बात करें तो आप बेसन से अपना फेस वॉश कर सकते हैं. स्किन को क्लीन करने के बाद टोनिंग और मॉइस्चराइजिंग बहुत ज्यादा जरूरी है.
3) एलोवेरा है बेहतरीन टोनर
अच्छे से फेस वॉश करने के बाद स्किन को टोन करना बहुत ज्यादा जरूरी है. वैसे तो स्किन टोन करने के लिए लोग अलग-अलग कंपनी के टोनर का इस्तेमाल करते हैं. नेचुरल गुलाब जल एक बेहतरीन टोनर है लेकिन अगर गुलाब जल के अलावा टोनर की बात करें तो आप एलोवेरा का इस्तेमाल कर सकते हैं. एलोवेरा सिर्फ एक अच्छा मॉइश्चराइजर ही नहीं है बल्कि स्किन को सॉफ्ट और टोंड करने में भी मदद करता है. इसके लिए आप एलोवेरा की पत्तियों को निचोड़ कर उसका जूस निकाल सकते हैं और इससे अपनी स्किन को टोन कर सकते हैं.
4) बर्फ वाला ठंडा पानी है फायदेमंद
स्किन को अच्छी तरह से क्लीन करने के बाद टोनिंग करना बहुत ज्यादा जरूरी है. स्किन को टोन करने के लिए बर्फ का ठंडा पानी एक बेहतरीन टोनर साबित हो सकता है. यह न सिर्फ आपके चेहरे को हाइड्रेट करने का काम करता है बल्कि ये स्किन में मौजूद डार्क स्पॉट्स भी कम करने में मदद मिलती है. अगर आप नेचुरल ग्लो पाना चाहते हैं तो बर्फ के टुकड़ों से फेस पर मसाज करना फायदेमंद रहेगा.
5) स्किन को करें मॉइस्चराइज
सर्दी हो या गर्मी हर मौसम में मॉइस्चराइजर का इस्तेमाल किया जाना चाहिए. आपके स्किन टाइप के अनुसार आप अच्छे मॉइस्चराइजर का चुनाव कर सकते हैं. अगर आपकी स्किन ऑयली है तो आप जेल या वॉटर बेस्ड मॉइश्चराइजर अप्लाई करें और अगर नॉर्मल या ड्राई स्किन है तो कोई भी अच्छी कंपनी का मॉइस्चराइजर यूज कर सकते हैं. नेचुरली आप एलोवेरा जेल का भी इस्तेमाल कर सकते हैं.
आस्था /शौर्यपथ / हिंदू धर्म में प्रत्येक व्रत और त्योहार को खास तैर पर मनाया जाता है. मान्यतानुसार, सभी तीज-त्योहार और व्रत के अलग-अलग नियम हैं. इसके अलावा हर व्रत का अपना एक अलग महत्व होता है. सुहागन महिलाओं के लिए व्रत सावित्री का व्रत खास होता है. वट सावित्री व्रत के दिन सुहागन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए बरगद के पेड़ की पूजा करती हैं. पौराणिक मान्यता है कि ऐसा करने से पति की सेहत अच्छी रहती है. आइए जानते हैं कि पहली बार वट सावित्री का व्रत शुरू करने के लिए किन नियमों का पालन किया जाता है. इस साल वट सावित्री का व्रत 30 मई, सोमवार को रखा जाएगा.
कच्चा सूत या धागा, बांस का पंखा, लाल रंग का कलावा, बरगद का फल, धूप, मिट्टी का दीया, फल, फूल, रोली, सिंदूर, अक्षत, सुहाग के सामान, भींगे चने, मिठाई, घर में बने हुए पकवान, जल से भरा कलश, खरबूजा, चावल के आटे का पीठ, व्रत कथा के लिए पुस्तक इत्याति.
कैसे की जाती है वट सावित्री की पूजा
वट सावित्री का व्रत करने वाली सुहागन महिलाएं सुबह सवेरे उठती हैं. स्नान ध्यान से निवृत्त होकर साफ वस्त्र धारण करती हैं. साथ ही श्रृंगार करती हैं. इसके बाद शुभ मुहूर्त में वट वृक्ष की पूजा की जीती है. पूजन के दौरान धूप और दीप जलाया जाता है. घर के बने व्यंजनों का भोग लगाया जाता है. बरगद के वृक्ष में 5 या 7 फेरे लगाते हुए कच्चे धागे को लपेटें जाते हैं. बरगद के पेड़ में चावल के आटे का पीठा या छाप लगाया जाता है. इसके बाद उस पर सिंदूर का टीका लगाया जाता है. फिर वट सावित्री व्रत की कथा पढ़ी या सुनी जाती है. बरगद के फल और 11 भींगे हुए चने पानी के साथ पति की लंबी उम्र की कामना की जाती है.
खाना खजाना /शौर्यपथ /गर्मियों में अगर आपका मन कुछ हल्का- फुल्का खाने का कर रहा है, तो आप लेमन रसम ट्राई कर सकते हैं। इस रेसिपी की सबसे खास बात यह है कि स्वादिष्ट होने के साथ यह रेसिपी काफी हेल्दी भी है। लेमन रसम को आप चावल, इडली, डोसा या फिर यूं भी खास सकते हैं। प्रोटीन से भरी यह रेसिपी आपको जरूर पसंद आएगी। आइए, जानते हैं कि कैसे बनाएं लेमन रसम-
लेमन रसम बनाने की सामग्री-
2 टमाटर
1 कप अरहर की दाल
3 नींबू
1 1/2 छोटा चम्मच राई
1 मुट्ठी करी पत्ता
आवश्यकता अनुसार काली मिर्च
1 बड़ा चम्मच अदरक
2 हरी मिर्च
2 मुट्ठी हरा धनिया
2 बड़े चम्मच घी
1 छोटा चम्मच जीरा
2 कश्मीरी लाल मिर्च
आवश्यकता अनुसार नमक
लेमन रसम बनाने की विधि-
दाल को प्याले में लेकर अच्छी तरह धोकर रख लें। अब, पानी निकाल दें और दाल को 2 कप पानी के साथ लगभग 10 मिनट के लिए प्रेशर कुक कर लें। अब एक गहरे तल वाले पैन में थोड़ा घी डालें और उसमें मोटे कटे टमाटर, मिर्च, अदरक और कड़ी पत्ता डालें। सभी चीजों को अच्छे से मिला लें और अब इसमें हल्दी पाउडर डाल दें। 2 बड़े कप पानी डालें और उबाल आने दें। एक बार जब आप टमाटर को गलते हुए देखें, तो उन्हें मैश करना शुरू करें। मसाला मिलाकर प्याज डालें। अब इस मिश्रण में उबली हुई दाल डालें और लगभग 5 मिनट तक पकने दें। दूसरी ओर, रसम के लिए तड़का तैयार करना शुरू कर दें। एक छोटा पैन लें और उसमें घी डालें। घी के गर्म होने पर इसमें जीरा, राई, करी पत्ता, हींग और काली मिर्च डालें। एक बार जब यह फूटने लगे, तैयार रसम में डालें, तीन नींबू निचोड़ें और चावल या इडली के साथ परोसें।
धर्म संसार /शौर्यपथ /ज्येष्ठ का महीना हनुमान जी और शनिदेव दोनों को बहुत ही प्रिय है। कहते हैं कि इस महीने में इनकी की गई अराधना बहुत ही फलदायी मानी जाती है। बड़े से बड़ा कष्ठ इस महीने में की गई हनुमान जी और शनिदेव की अराधना से कट जाता है। इस महीने में आने वाले चारों मंगलवार का विशेष महत्व है। इन मंगलवार को बड़ा मंगल, बुढ़वा मंगल कहते हैं। कहा जाता है कि इन मंगलवार को हनुमान दी श्रद्धा से की गई अराधना बहुत फलदायी होती है। इसके अलावा 30 मई को ज्येष्ठ कृष्ण अमावस्या के दिन शनिदेव का जन्म हुआ था। शनि जयंती पर शनि की साढ़े साती और शनि ढैया और कार्लसर्प वाले जातकों को शनिदेव की पूजा बहुत फल देती है। यह भी मान्यता है कि इसी महीने में रामभक्त हनुमान अपने आराध्य से मिले थे।
शनि देव की अराधना के लिए शनि जंयती से अच्छा कोई दिन नहीं है। शनि की साढ़ेसाती और ढैया वालों के लिए इस दिन शनि पर काला तिल, तेल आदि के उपाय बहुत ही फलदायी माने जाते हैं। इस दिन सोमवती अमावस्या भी है, इसलिए इस दिन पितृों के लिए श्राद्ध कर्म भी करना आपके जीवन में खुशहाली लाता है। इसके अलावा इस महीने में भगवान सूर्य की अराधना भी गरीबी दूर करती है। यही नहीं गर्मी में पानी के महत्व को भी इसी महीने में माना गया है। निर्जला एकादशी, गंगा दशहरा, वट सावित्री व्रत जैसे पर्व भी इसी महीने में मनाए जाते है। जिनमें पानी के महत्व को समझाया गया है। कई गुणा पुण्य इस महीने में सिर्फ जलदान करके ही कमाया जा सकता है।
हनुमान जी की पूजा के लिए इस महीने हनुमान जी को सिंदूर का लेप, चोला चढ़ाना चाहिए। वहीं शनिदेव की अराधना के लिए इस महीने शनि पर तेल का दान और काले तिल दान करने चाहिए। जल से भरा घड़ा, पंखा आदि दान करना भी इस महीने में बहुत ही श्रेष्ठ है।
लाइफस्टाइल /शौर्यपथ /ज्यादातर लोग कहते हैं कि उन्हें झूठ बोलने वाले लोग पसंद नहीं है लेकिन जब बात होती है प्यार की, तो फिर कई बार पार्टनर का बोला गया झूठ वे बर्दाश्त भी कर जाते हैं। झूठ बोलने या बर्दाश्त करने के भी बहुत साइड इफेक्ट्स होते हैं, झूठ बोलने वाला व्यक्ति भीतर से हमेशा डरता है। उसे लगता है कि कहीं उसका झूठ पकड़ा न जाए। वहीं, झूठ को किसी कड़वी दवा की तरह पी जाने वाले लोगों के अंंदर धीरे-धीरे गुस्सा भरने लग जाता है। वहीं, पार्टनर को लेकर उनके विश्वास में भी कमी आती जाती है। ऐसे में बहुत जरूरी है कि हर बार पार्टनर का झूठ सुनकर चुप रहने की बजाय कुछ बातों पर गौर किया जाए। आप अगर पार्टनर का झूठ पकड़ लेते हैं, तो आपको कुछ बातें समझनी चाहिए।
बात करें
आपको अगर पार्टनर के साथ लम्बा रिश्ता रखना है, तो आपको इस बात को दबाकर नहीं रखना चाहिए बल्कि उनसे खुलकर बात करें और वजह पूछें कि आखिर किस वजह से पार्टनर ने झूठ बोला है और वह अब बातें क्यों छुपाने लगा है।
थोड़ा टाइम दें
ऐसा भी हो सकता है कि पार्टनर किसी वजह से आपको अचानक कोई बात न बता रहा हो लेकिन बाद में बताने के बारे में सोचा हो। वजह जो भी हो लेकिन अचानक पता चलते ही आप रिएक्ट न करें बल्कि कुछ इंतजार जरूर करें।
हिंट दें
आपने अगर पार्टनर का कोई बड़ा झूठ पकड़ लिया है, तो उन्हें हिंट दें, जिससे पता चले कि आपको सीक्रेट पता चल गया है। इससे हो सकता है कि आपका पार्टनर शर्मिदा होकर सारी बातें बता दे लेकिन आपको आराम से बातें सुननी है ना कि गुस्सा उतारना है।
गैप दें
आपको अगर लगता है कि अब बात करने से बात नहीं बन पाएगी, तो पार्टनर को गैप जरूर दें। इससे आपसे दूर रहकर हो सकता है कि उन्हें कुछ बातें समझ में आए और वे झूठ के बारे में सोच-समझकर आपसे बातें शेयर करें।
वार्निंग दें
आपका पार्टनर अगर आपको सच बता देता है, तो उसे वार्निंग दें कि आगे से अगर उसने कोई भी झूठ बोला, तो इसका असर रिलेशनशिप पर पड़ेगा। आप पार्टनर को समझाएं कि रिलेशनशिप के लिए यह आदत कितनी बुरी है।
ब्यूटी टिप्स /शौर्यपथ /किसी की खुशबू से उसे पहचान लेना कोई बड़ी बात नहीं है। आपकी खुशबू आपकी पहचान बन जाती है। परफ्यूम और डियोज़ ही नहीं आप इत्र या कोलोन का इस्तेमाल करके भी अपने इम्प्रेसिव व्यक्तित्व को निखार सकती हैं। गर्मियों के मौसम में, सीने की गंध आपकी पूरी पर्सानैलिटी के चार्म को नुकसान पहुंचा सकती है। ऐसे में परफ्यूम और डियो आपको तरोताजा और सुगंधित बनाए रखते हैं। पर क्या इन्हें सीधे स्किन पर लगाना सेफ है? आइए जानते हैं इस बारे में सब कुछ।
परफ्यूम या डियो और कुछ नहीं बल्कि खुशबूदार तेल और एल्कोहल का मिश्रण है। परफ्यूम या डियो की बॉटल में फ्रैगनेंट ऑयल होते हैं, जो या तो रासायनिक रूप से तैयार किए जाते हैं या नेचुरली प्राप्त होते हैं। फिर इन तेलों को अल्कोहल से पतला किया जाता है जो कि मेडिकल ग्रेड है और त्वचा पर 100% सुरक्षित प्रमाणित है। असली परफ्यूम तेलों में पाया जाता है। अल्कोहल का कार्य इन तेलों को प्रिज़र्व करना है।
कैसे काम करते हैं परफ्यूम और डिओ
एनसीबीआई के एक शोध के अनुसार परफ्यूम व डिओडरेंट आपके पसीने की ग्रंथियों को प्रभावित करते हैं और शरीर की टॉक्सिफिकेशन की प्राकृतिक प्रक्रिया को भी नुकसान पहुंचाते हैं।
इन्हें त्वचा पर सीधे लगाने या न लगाने को लेकर शंका बनी रहती है क्योंकि कई बार स्किन पर सीधे इस्तेमाल करने के साइड इफेक्ट भी देखने को मिलते हैं इतना ही नहीं इनकी खुशबू के ज़्यादा समय तक टिकने को लेकर भी सवाल उठता रहता है।
इन्हीं मुद्दों पर ज़्यादा जानने के लिए हमने बात की मेरठ के स्किन स्पेशलिस्ट डॉक्टर अनुराग आर्य से। डॉक्टर आर्य के अनुसार डिओडरेंट या परफ्यूम में हानिकारक केमिकल्स मौजूद होते हैं, जो आपकी त्वचा में जलन पैदा कर उसे बुरी तरह से क्षतिग्रस्त कर सकते हैं। यह त्वचा में खुजली पैदा कर उसे हानि पहुंचा सकते हैं। परफ्यूम के इस्तेमाल से एलर्जी होने का भी डर रहता है। यहां हैं डिओ या परफ्यूम से त्वचा को होने वाले नुकसान
1 सोख लेता है त्वचा की नमी
डॉक्टर आर्य कहते हैं कि परफ्यूम मे मौजूद एल्कोहल त्वचा की नमी को सोख लेता है, जिससे कई प्रकार की त्वाचा संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। कई बार इनमें मौजूद न्यूरोटॉक्सिन आपके नर्वस सिस्टम को भी प्रभावित करने का काम कर सकता है।
2 त्वचा पर घाव हो सकते हैं
इतना ही नहीं इनके कारण कई बार त्वचा में घाव या अजीब तरह के निशान भी बन जाते हैं जिनमें बैक्टीरिया पनप सकते हैं। इनमें मौजूद कुछ केमिकल आपकी सेहत को बिगाड़कर, हार्मोन्स में असंतुलन पैदा कर सकते हैं। इससे आपको कई गंभीर बिमारियों का का सामना करना पड़ सकता है।
3 बन सकता है अल्जाइमर का कारण
डिआडरेंट में मौजूद केमिकल आपको अल्जाइमर दे सकते हैं। इसके अलावा सांस संबंधी समस्याएं पैदा करने में यह केमिकल सहायक साबित होते हैं। अत्यधिक तेज गंध होने के कारण यह आपकी नाक के तंतुओं को भी क्षतिग्रस्त कर सकते हैं। इसलिए इसका जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
तब इन्हें कहां लगाया जा सकता है
अगर आपकी त्वचा के संवेदनशील क्षेत्रों पर एल्कोहल का इस्तेमाल किया जाए तो यह खतरनाक हो सकता है। साथ ही एल्कोहल भी वाष्पित हो जाती है। यदि आप गर्म स्नान के ठीक बाद अपनी कांख में परफ्यूम या डियो छिड़कने जा रहे हैं, तो आप एल्कोहल को वाष्पित होने के लिए कोई जगह नहीं छोड़ने वाले हैं। सबसे अधिक संभावना है, आप अपने अंडर-आर्म की संवेदनशील त्वचा को खत्म कर देंगे।
तो क्या आपको परफ्यूम लगाना बिल्कुल बंद कर देना चाहिए?
नहीं! परफ्यूम आपके शरीर के पल्स पॉइंट्स पर लगाने के लिए बना होता है। एक नाड़ी बिंदु (veins- जहां पल्स चेक की जाती है) आपकी त्वचा पर सबसे अधिक/निरंतर रक्त प्रवाह (continuous blood flow) वाला क्षेत्र है। इसका मतलब है कि आपकी त्वचा के अन्य क्षेत्रों (skin area) की तुलना में यह क्षेत्र अधिक गर्म होते हैं। त्वचा पर अधिक गर्मी का अर्थ है अधिक वाष्पीकरण (Evaporation)। इस तरह, अल्कोहल तेजी से उड़ जाता है और आपके परफ्यूम को आपके बॉडी पर चारों ओर खुशबू का एक सर्कल बनाने में भी मदद करेगा।
कलाई, आपकी गर्दन के दोनों ओर, कानों के शीर्ष के पीछे, कोहनी के अंदर, आपके घुटनों के पीछे आपके शरीर के कुछ खास वेंस पॉइंट (veins point) हैं जिनपर खुशबू का इस्तेमाल करना चाहिए।
डिओ लगाने से पहले अपनी स्किन को मॉइस्चराइज़ करें
ऐल्कोहल ड्राइनेस की समस्या को जन्म देता है और एलर्जी, चकत्ते या लालिमा (रेडनेस) पैदा हो सकते हैं। आपकी त्वचा संवेदनशील (sensitive) है, तो संभावना है कि आप परफ्यूम या डियो को लगाने के साथ ही इन लक्षणों को पाएंगे। इसका एकमात्र समाधान आपकी त्वचा को मॉइस्चराइज़ करना है।
डॉक्टर अनुराग की सलाह मानें तो ड्राईनेस की समस्या से बचने के लिए आपको अपनी त्वचा पर गंध रहित अच्छा मॉइस्चराइज़र लगाना चाहिए, खासकर स्किन की उस जगह पर जहाँ आप अपने परफ्यूम या डियो को स्प्रे करना चाहते हैं।
मॉइस्चराइजर लगाएं, कुछ मिनट के बाद परफ्यूम या डिओ स्प्रे करें। ऐसे में, आपका परफ्यूम या डियो आपके मॉइस्चराइजर में मौजूद तेलों के साथ अच्छी तरह से मिक्स हो जाएगा और लंबे समय तक चलेगा। यदि आप अभी भी अपनी त्वचा पर परफ्यूम का उपयोग करने को लेकर क्रेज़ी हैं, तो इसे अपने बालों पर इस्तेमाल करें। ध्यान रहे स्कैल्प नहीं, आपके बाल।
स्किन पर रब न करें
सेंट लगाते समय हम सभी की एक अनकॉन्शियस आदत होती है। हम स्प्रे करते हैं और फिर अपनी कलाइयों को एक साथ रगड़ते हैं ताकि किसी तरह परफ्यूम या डियो की प्रभावशीलता को बढ़ाया जा सके। रगड़ के कारण होने वाला घर्षण न केवल फ्रैग्नेंस सेल को नुकसान पहुंचाता है और आपके परफ्यूम या डियो की प्रोफ़ाइल को नुकसान पहुंचाता है यानी उसके असर कम करता है। सबसे अधिक संभावना है कि परफ्यूम या डियो की खुशबू जल्दी ही उड़ जाए।
इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि एल्कोहल को आपकी त्वचा पर जोर से रगड़ने से भी आपको रैशेज़ जैसी दिक्कत हो सकती है। एल्कोहल चूंकि इवैपोरेट होने वाला केमिकल है जो अपने आप गायब हो जाता है इसलिए अपने परफ्यूम एप्लाई कर आपको एल्कोहल की तरफ से परेशान न हों।
निष्कर्ष
कुल मिलाकर, परफ्यूम एप्लाई करने से पहले अपनी त्वचा को मॉइस्चराइज़ करें और पल्स पॉइंट्स पर परफ्यूम लगाएं। परफ्यूम स्वाभाविक रूप से संवेदनशील त्वचा के अनुरूप बनाए जाते हैं। हालांकि, अगर आपको परफ्यूम या उस बोतल में इस्तेमाल होने वाले कुछ केमिकल्स से एलर्जी है, तो मौजूद तत्त्वों की लिस्ट को ध्यान से पढ़ें और अगर आपका एलर्जिक तत्त्व परफ्यूम या दियो में हो तो उससे दूर रहें। परफ्यूम का इस्तेमाल करने से घबराएं नहीं क्योंकि यह आपकी पर्सनैलिटी को इम्प्रेसिव बनाने वाली चीज़ों काअहम हिस्सा हैं। बस ज़रुरत है कुछ बातों का ध्यान रखें और प्रेजेंटेबल बनी रहें।
सेहत /शौर्यपथ /गर्मी के मौसम में होने वाली चिलचिलाती धूप के कारण उमस वैसे ही बढ़ जाती है ऐसे में आपको उन आहारों को लेने से बचना चाहिए जिसे खाने के बाद आपके शरीर का तापमान और ज्यादा बढ़ जाता है।
ठंडी का मौसम हो या गर्मी का हमें, हर रोज खाना खाना ही है। इसका मतलब ये नहीं कि हम जो ठंडी के मौसम में खा रहे हैं वहीं गर्मी के मौसम में भी खाएंगें। मौसम बदलने के साथ हमें अपने खानपान में भी थोड़ी बदलाव कर लेनी चाहिए। अर्थात गर्मी के मौसम में यदि हम गर्म तासीर वाले फूड्स को लेते हैं, तो वे हमारे लिए मुश्किलें और बढ़ा देते हैं। असल में गर्म तासीर वाले आहार शरीर के तापमान को और ज्यादा बढ़ा देते हैं, जिससे हमें बॉडी हीट, गुस्सा और एंग्जाइटी का सामना करना पड़ता है। अकसर ये आहार हमें डिहाइड्रेट करते हैं, जिससे हमें अन्य परेशानियां होने लगती हैं। तो आइए जान लें कि इस तपती-जलती गर्मी में कूल रहने के लिए हमें किन आहारों से दूर रहना चाहिए।
1 अचार - अचार देखते ही हमारे मुंह में पानी आने लगता है। पर गर्मियों के मौसम में आपको अपनी अचार की क्रेविंग को कंट्रोल करना होगा। इसमें मौजूद तेल और नमक आपके शरीर को डिहाइड्रेट करताहै। इसके आलावा कई बार ये हमारे शरीर में सूजन, गैस बनने की वजह से पेट फूलने, अल्सर और अन्य तरह के इनफेक्शन का कारण भी बन सकता है। अचार में मौजूद तेल का इस्तेमाल ज्यादा करने पर अपच और खट्टी डकार की शिकायत भी होती है। इसलिए गर्मियों के मौसम में इसका पोर्शन कंट्रोल करना या इससे दूर रहना जरूरी है।
2 ड्राई फ्रूट्स- बादाम, अखरोट, पिस्ता और काजू जैसे तमाम ड्राई फ्रूट्स पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं। लेकिन गर्मी के मौसम में इनका सेवन कम करना ज्यादा अच्छा रहता है। क्योंकि ये हमारे शरीर का तापमान बढ़ाने में मददगार होते हैं। यही कारण हैं कि ज्यादातर डायटिशियन या न्यूट्रीशनिस्ट इन ड्राई फ्रूट्स काे सर्दियों के मौसम में खाने की सलाह देते हैं। अगर आपको गर्मी में इन्हें खाना ही है, तो जरूरी है कि रात भर भिगोने के बाद इन्हें खाएं।
3 ज्यादा मांस-मछली - गर्मी के मौसम में मछली, चिकन, सीफूड और मांस ग्रेवी का अधिक सेवन करने से बचना चाहिए क्योंकि यह सीजन इस तरह के आहार लेने के लिए सही नहीं है। दरअसल, इन आहारों को लेने के बाद शरीर से पसीना ज्यादा निकलता है। इसके आलावा लेने वाले को पाचन संबंधी गड़बडियां भी महसूस होती हैं। ज्यादा मात्रा में नाॅनवेज खाने से डायरिया होने का जोखिम भी बढ़ सकता है।
4 डीप फ्राईड और जंक फूड - समोसे, बर्गर, फ्रेंच फ्राइज, जंक फूड आपकी डेली डाइट का हिस्सा हो सकते हैं, लेकिन ये आपकी सेहत के लिए बिल्कुल भी ठीक नहीं हैं। गर्म मौसम में इन्हें लेने केबाद डिहाइड्रेशन होने की संभावना बढ़ जाती है। साथ ही इन्हें पचाने में हमारे पाचन तंत्र को बड़ी मशक्कत उठानी पड़ती हैं। इसलिए इस मौसम में इन आहारों को लेने से परहेज करना चाहिए ।
5 मिर्च-मसाले – इस मौसम में अत्यधिक मिर्च-मसालों से बने फूड्स को खाने से बचना चाहिए, नहीं तो आप थोड़े मुश्किल में पड़ सकते हैं। इन मसालेदार आहारों में कैप्साइसिन की अधिक मात्रा मौजूद होती है और यह कैप्साइसिन हमारे शरीर में पित्त दोष को बढ़ावा देता है। जिसके चलते शरीर से अत्यधिक पसीना, त्वचा पर फोड़े, डिहाइड्रेशन और अन्य बीमारियां होने की संभावना बढ़ जाती है। इसलिए इस सीजन में ज्यादातर डॉक्टर अत्यधिक मिर्च मसालेदार आहारों के लेने से बचने की सलाह देते हैं।
6 चीज़ सॉस – गर्मी के मौसम में आपको चीज़ सॉस खाने से पूरी तरह बचना चाहिए। यह हाई कैलोरी वाला आहार है जिसमें करीब 350 कैलोरी ऊर्जा होती है। इसे लेने के बाद गैस बनने के कारण पेट फूलने की शिकायत हो सकती है और सामान्यतः शरीर में सुस्ती छाई रहती है। कुछ सॉस ऐसे भी होते हैं, जिसमें मोनोसोडियम ग्लूटामेट और नमक अत्यधिक मात्रा मौजूद होती है। इसलिए उन्हें खाने से बचना चाहिए। यह आपको पाचन संबंधी समस्याएं दे सकते हैं।
7 ज्यादा नमक - नमक खाने को स्वादिष्ट बनाता है। लेकिन इसका अत्यधिक उपयोग सूजन, हाई ब्लड प्रेशर, हृदय रोग, किडनी संबंधी बीमारी, डिहाइड्रेशन और तमाम स्वास्थ्य संबंधी गड़बड़ियों का कारण भी बन जाता है। यही कारण है कि ज्यादातर डॉक्टर खाने में नमक कम करने की सलाह देते हैं। अगर आपको हाई ब्लड प्रेशर है तो आपको यूं भी नमक कम ही लेना चाहिए।
8 चाय और कॉफी - कैफीन की कम मात्रा हमारे लिए फायदेमंद होती है। लेकिन जब आप अपनी डेस्क पर बिजी होती हैं, तो आप यह ध्यान ही नहीं रख पातीं कि आपने कितने कप चाय और कॉफी के ले लिए। जबकिइनके अत्यधिक सेवन से हमारे शरीर का तापमान बढ़ जाता है। गर्मी के दिनों में चाय और कॉफी का अधिक सेवन किया जाए तो इससे मुश्किल बढ़ सकती है। इसलिए इस मौसम में लोगों को सलाह दी जाती है कि वह गर्मी बढ़ाने वाले पेय पदार्थों जैसे चाय व कॉफी के बजाय नींबू पानी या लस्सी, आइस टी को वरीयता दें।
सेहत /शौर्यपथ /प्याज को यूं ही नहीं सबसे शादनार माना जाता है। दरअसल उसमें मौजूद विटामिन्स, मिनरल्स, फाइबर व अन्य न्यूट्रिएंट इसे खास बनाते हैं। प्याज औषधीय गुणों की खान है। खासतौर से गर्मियों में, आयुर्वेद विशेषज्ञ से लेकर डायटीशियन तक, सभी अपने आहार में प्याज शामिल करने की सलाह देते हैं। ये हमें सिर दर्द, मुंह में छाले पड़ने पर भी राहत पहुंचाने में मदद करते हैं। इससे मिलने वाले स्वास्थ्य लाभ की सूची काफी लंबी है जिसमें इम्यूनिटी बूस्ट करना, पाचन क्रिया बूस्ट करना, हड्डियों को मजबूत बनाए रखना, दिल व किडनी की बीमारियों से बचाना अन्य शामिल है। आइए जानते हैं अपनी फेवरिट प्याज के कुछ और स्वास्थ्य लाभ। अधिक जानने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें - अपनी खाने की प्लेट में प्याज शामिल कीजिए और लीजिए ये 8 बेमिसाल फायदे
प्याज न सिर्फ आपके खाने के टेबल पर रखी सब्जी और सलाद का स्वाद बढ़ा देती है, बल्कि ये आपको इस उमस भरी गर्मी के मौसम होने वाली कई समस्याओं से भी निजात दिलाती है।
प्याज को यूं ही नहीं सबसे शादनार माना जाता है। दरअसल उसमें मौजूद विटामिन्स, मिनरल्स, फाइबर व अन्य न्यूट्रिएंट इसे खास बनाते हैं। प्याज औषधीय गुणों की खान है। खासतौर से गर्मियों में, आयुर्वेद विशेषज्ञ से लेकर डायटीशियन तक, सभी अपने आहार में प्याज शामिल करने की सलाह देते हैं। ये हमें सिर दर्द, मुंह में छाले पड़ने पर भी राहत पहुंचाने में मदद करते हैं। इससे मिलने वाले स्वास्थ्य लाभ की सूची काफी लंबी है जिसमें इम्यूनिटी बूस्ट करना, पाचन क्रिया बूस्ट करना, हड्डियों को मजबूत बनाए रखना, दिल व किडनी की बीमारियों से बचाना अन्य शामिल है। आइए जानते हैं अपनी फेवरिट प्याज के कुछ और स्वास्थ्य लाभ।
1 कैंसर से बचाता है प्याज - ओनियन में कैलोरी की मात्रा कम और फाइबर, विटामिन्स, मिनरल्स व अन्य भरपूर मात्रा में मौजूद होते हैं। केवल विटामिन्स की बात की जाए तो इसमें इसमें विटामिन सी यानी एक अहम एंटिऑक्सीडेंट की मौजूदगी होती है, जो इम्युनिटी को नियंत्रित करने, कोलेजन का निर्माण करने, डैमेज टिश्यू को रिपेयर करने और शरीर में आयरन के अवशोषण को दुरुस्त करने में मदद करता है। ये एक पावर फूल एंटिऑक्सीडेंट है जो फ्री रेडिकल के कारण शरीर को होने वाले नुकसान से बचाव करता है। दरअसल कैंसर के लिए फ्री रेडिकल जिम्मेदार होते हैं जो शरीर की कोशिकाओं को डैमेज कर इन बीमारियों को बुलावा देते हैं। ऐसे में एंटीऑक्सीडेंट इस तरह के डैमेज को होने से रोकने में कारक होता है।
2 पाचन दुरुस्त करता है – प्याज में फाइबर और प्रीबॉयोटिक्स प्रचुर मात्रा में पाई जाती है जो हमारे गट हेल्थ के लिए बेहद जरुरी होता है। प्रीबॉयोटिक्स एक ऐसा फाइबर जिसका हमारे शरीर मेंपाचन पाचक रस और एंजाइम से संभव नहीं हो पाता है। दरअसल जब हम अपने आहार में प्याज को लेते हैं, तो अपच रह जाने वाले ये प्रीबॉयोटिक्स फाइबर हमारे गट में मौजूद लाभदायक बैक्टीरिया की मदद से छोटे-छोटे टुकड़ों में टूट जाते हैं। और इस प्रक्रिया से पाचन क्रिया और दुरुस्त होती है।
3 हड्डियों को मजबूत बनाए रखता है - प्रचुर मात्रा में प्रीबॉयोटिक्स की मौजूदगी होने के कारण प्याज खाने पर हमारे गट में लाभदायक बैक्टीरिया की संख्या बढ़ जाती है। जिससे हमारे गट में कैल्सियम जैसे तमाम मिनरल्स को अवशोषित करने की क्षमता में सुधार होती है और और इस कारण हमारे हड्डिययों का हेल्थ काफी बेहतर हो जाता है।
4 किडनी के काम करने की क्षमता में सुधार करता है - प्याज पोटैशियम जैसे मिनरल्स का काफी शानदार स्रोत है। इसे आहार में लेने पर हमारी किडनी बेहतर ढंग से काम करता है, इसके आलावा जब हम कोई एक्टिविटी करते हैं तो उस समय मांसपेशियों का परफार्मेंस बढ़ाने में मदद मिलती है। और यह हमारे शरीर में लिक्विड के संतुलन को बनाए रखता है।
5 बीपी नियंत्रित कर दिल की बीमारियों से बचाता है - प्याज में एंटीऑक्सीडेंट व अन्य न्यूट्रीएंट प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं जो शरीर के सूजन को कम करने का सहायक होते है। इसके आलावायह ब्लड में कोलेस्टेराल के स्तर को घटाने और ट्राइग्लिसेराइड फैट की मात्रा में कमी लाकर दिल की बीमारी के खतरे को भी कम करता है। प्याज का नियमित सेवन कर दिल की कई गंभीर बीमारियों से बचा जा सकता है। साथ ही प्याज में मौजूद न्यूट्रीएंट बल्ड प्रेशर को भी नियत्रित करने का काम भी करते हैं।
6 शरीर की एनर्जी बढ़ाता है - प्याज में फोलेट और पाइरीडॉक्सीन
7 ब्लड शुगर को नियंत्रित कर डायबिटीज से बचाता है - प्याज में क्यूरसेटिन और सल्फर की भरपूर मात्रा मौजूद होती है। और ये क्यूरसेटिन हमारे छोटी आंत, पैंक्रियाज, मांसपेशियों, फैट टिश्यूऔर लिवर से इन्ट्रैक्ट करती रहती है जिसके चलते शरीर का ब्लड शुगर नियंत्रित कर पाने में मदद मिलती है। ब्लड शुगर कंट्रोल होने से डायबिटीज का खतरा कम हो जाता है। प्याज में मौजूद सल्फर भी डायबिटीज के लिए प्रभावी होता है।
सहित विटामिन बी भी भरपूर मात्रा में मौजूद होती है। जो शरीर के मेटाबोलिज्म को दुरुस्त करने, ज्ञानिन्द्रियों केसही ढंग से काम करने और रेड ब्लड सेल्स का निर्माण करने में अहम भूमिका अदा करते हैं। जिस कारण इसका सेवन करने से हमारे शरीर की एक्टिविटी बढ़ जाती है।
8 इम्यूनिटी बूस्ट करता है - प्रचुर मात्रा में प्रीबॉयोटिक्स फाइबर की मौजूदगी होने के कारण प्याज खाने से काफी लाभ मिलते है। दरअसल ये प्रीबॉयोटिक्स फाइबर हमारे गट में मौजूद लाभदायक बैक्टीरिया की मदद से छोटे-छोटे टुकड़ों में जरुर टूटते है साथ ही ये बैक्टीरिया की संख्या बढ़ाने में भी मदद करते हैं। और गट में मौजूद बैक्टीरिया शरीर में एसिटेट, प्रोपियोनेट ब्यूटाइरेट सहित फैटी एसिड की छोटी-छोटी चेन का निर्माण करते है जिससे हमारी इम्यूमिटी बूस्ट होती है।
अन्य खबर /शौर्यपथ/
आधार कार्ड, पैन कार्ड जैसे ज़रूरी दस्तावेज़ों का होना ज़रूरी है यह तो हम जानते हैं। किंतु इनके अलावा भी कुछ ज़रूरी दस्तावेज़ हैं जिन्हें 18 वर्ष की आयु होने के बाद अवश्य बनवा लेना चाहिए। आप दूसरों की मदद की मंशा से भी इनकी सलाह दे सकते हैं ताकि संबंधित लोगों को आरक्षण व अन्य योजनाओं में लाभ मिल सके। कौन-कौन से दस्तावेज़ हैं, पढ़िए हर पृष्ठ पर...
निवासी प्रमाण पत्र
किसी भी संस्थान में नौकरी पाने के लिए इस दस्तावेज़ का होना बहुत ज़रूरी है। कई नौकरियों की परीक्षा में नागरिकों को उनके राज्य के आधार पर नौकरी में आरक्षण दिया जाता है। अगर किसी प्रदेश में नौकरी के लिए पद हैं और उसमें उस राज्य के नागरिकों को अलग से कुछ प्रतिशत आरक्षण दिया जा रहा है, तब यह दस्तावेज़ आपकी बहुत सहायता करेगा। आप जिस जनपद के निवासी हैं, वहां की तहसील से यह प्रमाण पत्र बनवाया जा सकता है।
दिव्यांगता प्रमाण पत्र
अगर कोई शारीरिक रूप से दिव्यांग है या उनका कोई अंग ठीक से काम नहीं करता है तो यह प्रमाण पत्र अवश्य बनवाएं। इसके उपयोग से रेल के किराए में कुछ छूट मिलती है और राज्य परिवहन बस में किराया दिए बिना सफ़र कर सकते हैं। साथ ही शिक्षित दिव्यांग व्यक्तियों को बेरोज़गारी भत्ता भी मिलता है। यह प्रमाण पत्र सरकारी नौकरी में आरक्षण की तरह काम करता है। अगर सरकार दिव्यांगों के लिए कोई योजना लाती है तो वहां भी यह बहुत सहायता करेगा।
आय प्रमाण पत्र
अगर आप सामान्य श्रेणी के अंतर्गत आते हैं लेकिन वित्तीय रूप से कमज़ोर हैं और ईडब्ल्यूएस प्रमाणपत्र बनवाना चाहते हैं तो आपके पास आय प्रमाण पत्र होना बहुत आवश्यक है। ईडब्ल्यूएस कोटे के अलावा यह शैक्षणिक संस्थानों में छात्रवृत्ति प्राप्त करने में भी मदद करता है। जारी करने वाला प्राधिकरण ग्राम तहसीलदार, जिला मजिस्ट्रेट, कलेक्टर, राजस्व अंचल अधिकारी, उप-मंडल मजिस्ट्रेट या अन्य संबंधित जिला अधिकारी हो सकते हैं।
जाति प्रमाण पत्र
अगर आप अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति या ओबीसी श्रेणी में आते हैं तो जाति प्रमाण पत्र अवश्य बनवा लें। यह विभिन्न सरकारी संस्थानों और योजनाओं का लाभ लेने में मदद करेगा। इसे बनवाने के बाद ही आप सरकारी योजनाओं जैसे सब्सिडी का लाभ आदि ले सकते हैं। छात्रवृत्ति और प्रतियोगी परीक्षाओं में आरक्षण प्राप्त किया जा सकता है। प्रमाण पत्र की मदद से नौकरी में भी आरक्षण मिलता है जो कि सबसे बड़ा फ़ायदा है।
विशेष लेख /शौर्यपथ/
छत्तीसगढ़ के रीति रिवाज,तीज त्यौहार जनमन को प्रकृति,पशु पक्षी से जुड़ने और उनके संरक्षक बनने का संदेश अनादिकाल से देते आ रहे हैं।ऐसा ही एक पर्व "अक्षय तृतीया" हैजिसे छत्तीसगढ़ में अक्ती के नाम से जानते हैं।,इस वर्ष अक्ती 3 मई को है।इस पर्व में मिट्टी के मटके,सुराही दान करने की प्रथा है।इस पर्व में प्यासों के लिए सुराही-मटके दान करने की परम्परा के साथ साथ पक्षियों के लिए सुराही से घोसला बनाने की अभिनव पहल करें।इस पहल से आपकी जिंदगी में खुशनुमा सुबह की शुरुआत अवश्य होगी।
सुराही- मटके केवल पानी भरने के लिए ही नहीं,बल्कि पक्षियों के घोसला बनाने के लिये भी बेहद उपयोगी है।गर्मी बीत जाने के बाद इन्हें फेंके नहीं।इन्हें पेड़ की शाखाओं पर,घरों में मुंडेर पर अथवा अन्य किसी भी सुरक्षित स्थान पर लटका दें। ऐसे लटके हुये सुराही में गौरैया,गिलहरी,उल्लू, नीलकंठ,पहाड़ी मैना,जैसे पक्षी बड़ी सहजता से अपना बसेरा बना लेते हैं।मानव समुदाय का सबसे करीबी पक्षी गौरैय्या को सुराही में घर बनाना विशेष पसंद है।आंगन में फुदकती गौरैया अहसास कराती है कि -"परिंदे जिनके करीब होते हैं,वे बड़े खुशनसीब होते हैं"।
यह सर्वविदित है कि पुराने बृक्षों की संख्या लगातार घटती जा रही है। ऐसे बृक्षों की खोह में बसेरा बनाने वाले प्रजातियों के पक्षियों को विकल्प के रूप में पेड़ पर लटकते सुराही मिल जाते हैं।पेड़ों में लटकाए सुराही में बसेरा बनाकर वे बिना कैद किये आपके आसपास चहकते हुए परिवार के सदस्य बन जाते हैं।
पक्षी मित्र बनने,लुप्त होते पक्षियों को बचाने का उत्तम उपाय यही है कि उन्हें पिजरें में कैद करना तत्काल बंद कर दें।अपने करीब रखने के लिए घर आंगन के पेड़ पौधे,मुंडेर पर सुराही,मटकी बांधने के साथ ही हर सुबह दाना-पानी देना आंरभ करें। इससे बारहों महीना चौबीस घण्टे पक्षियों के कलरव से आपका मन आनंदित होगा।पक्षियों का परिवार आशीष देते हुए कहेगा- समाज उसे ही पूजता है, जो अपने लिए ही नहीं दूसरों के लिए भी जीता है।
अतः धरा को हरा बनाने का संकल्प लेते हुये धरती के आभूषण पशु,पक्षी,पेड़ पौधे की हिफाज़त करें।याद रखें ऐसे सभी कार्य किसी ईबादत से कम नहीं है।
विजय मिश्रा "अमित"
विशेष लेख /शौर्यपथ/
मनुष्य के तन-मन-धन सबको संवारने में पक्षी परिवार का अतिमहत्वपूर्ण योगदान होता है।जन्मजात विविध क़िस्म के पक्षी मानव मित्र होते हैं।फलों,फसलों में लगे कीड़ों मकोड़ों को खाकर वे न केवल फलों और फसलों की रक्षा करते हैं,अपितु फूलों के परागकण को एक फूल से दूसरे फूल में पहुंचाने का भी कार्य पक्षियों द्वारा किया जाता है।इसी प्रक्रिया से पेड़ पौधों में फल और बीज का निर्माण होता है।बहुपयोगी वनों का विस्तार होता है।
पक्षियों से बढ़ती दूरियों के कारण इंसान की जिंदगी नीरस होती जा रही है।साथ ही कोयल,कौआ,गौरैया फाक्ता,बुलबुल,कबूतर जैसे पक्षियों से बढ़ती दूरी मानव समुदाय के लिए अनेक अर्थों में हानिकारक सिद्ध हो रही है।
सहजता-निर्भयता से गौरैया घर बना लेती थी।उसके भीतर पलते पखेरुओं की चीं चीं से कमरा भर उठता था।अब तो ऐसी मनमोहक स्थिति लगभग खत्म हो चली है।अगर भूले से किसी घर के भीतर गौरैया घोसला बनाने लगे तो लोग उसे पहले ही भगा देते हैं।घर में कचरा फैला रही है ,खराब कर रही है कहते हुये गौरैया को पनाह देने में लोग हिचकते हैं।कई ऐसी घटनायें भी देखने को मिली है,जब घर के अंदर घूमते हुये पॅखे से टकरा कर गौरैया की जान चली गई।
अन्य खबर /शौर्यपथ/
टाइम बॉक्सिंग एक सरल और लोकप्रिय समय प्रबंधन तकनीक है जो आपको अपने शेड्यूल पर बेहतर नियंत्रण रखने में मदद करती है। यह आत्म-अनुशासन का अभ्यास करने और अपने कार्यों को व्यवस्थित करने के लिए भी उपयोगी है। इसमें समय के मुताबिक़ कार्यों को किया जाता है, ताकि वक़्त का सही उपयोग हो सके। टाइम बॉक्सिंग के साथ, आप इस बात पर भी अधिक ध्यान दे सकते हैं कि आपने किसी निश्चित कार्य पर कितना समय बिताया और वह कार्य कितने बेहतर तरीक़े से हो पाया।
टाइम बॉक्सिंग के ज़रिए आप अपनी उत्पादकता को भी बढ़ा सकते हैं और ध्यान को एक ही कार्य पर केंद्रित कर सकते हैं। आइए इस बारे में विस्तार से जानते हैं।
टाइम बॉक्सिंग के फ़ायदे
टाइम बॉक्सिंग के माध्यम से किसी भी कार्य पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं, जिससे उस कार्य को अच्छे तरीक़े से किया जा सके।
इस तकनीक के ज़रिए उन कार्यों को चिह्नित कर सकते हैं, जो अधिक ज़रूरी हैं और फिर उनकी प्राथमिकता को निर्धारित करके उनको क्रमानुसार पूरा किया जा सकता है।
टाइम बॉक्सिंग को लागू किया जाए तो इससे किसी भी कार्य में हो रही व्यर्थ की देरी से बचा जा सकता है। किसी भी काम में ज़रूरत से ज़्यादा माथापच्ची से बचने में भी मदद मिल सकती है।
इस प्रबंधन मंत्र का एक और पहलू यह भी है कि इसके माध्यम से किए जाने वाले कार्यों का बेहतर तरीक़े से आकलन कर सकते हैं। इससे यह पता लगाना आसान होता है कि तय समय में कितना काम किया जा सकता है। भविष्य के कार्यों का एक लेखा-जोखा तैयार कर सकते हैं कि एक टाइम-लिमिट के भीतर कितना कार्य किया जा सकता है।
टाइम बॉक्सिंग तकनीक को अपनाने से कार्य हल्के-फुल्के तरीक़े से किया जा सकता है व बोझिल महसूस नहीं होता। निश्चित रूप से इससे उत्पादकता या प्रोडक्टिविटी में बढ़ोतरी होती है।
इस तरह से न केवल कार्य का निर्धारण कर सकते हैं बल्कि कार्य के बीच में एक निश्चित अंतराल भी लागू कर सकते हैं। मिसाल के तौर पर अगर किसी कार्य को एक तय समय पर पूरा करते हैं और उसके बाद अगले कार्य के लिए कुछ मिनट या घंटे का अंतराल रखते हैं, तो इसका फ़ायदा यह होगा कि हमें थकान का एहसास नहीं होगा और हमारी दिनचर्या में जो अगले काम होंगे उनको भी बेहतर उत्पादकता के साथ पूरा कर सकेंगे।
टाइम बॉक्सिंग के ज़रिए आप किसी विशिष्ट कार्य पर कितना समय व्यतीत करेंगे इसे लेकर सीमाएं निर्धारित कर सकते हैं। ख़ासतौर पर सुबह के कार्यों के लिए इस तकनीक का प्रयोग करना बेहतर रहता है। महिलाओं के लिए ये अधिक लाभकारी है, क्योंकि सुबह का वक़्त उनके लिए काफ़ी व्यस्ततापूर्ण होता है।
इसे अपनाने से कार्य निर्धारित किए जाने से यह फ़ायदा भी होगा कि टालमटोल की प्रवृत्ति से छुटकारा मिलेगा। साथ ही कार्य की जवाबदेही भी तय होगी जिससे काम तेज़ी से होगा और जिसको जो कार्य निर्धारित किया जाएगा, वह उसको पूरी ज़िम्मेदारी से निभाएगा।
टाइम बॉक्सिंग को कैसे लागू करें?
यह तकनीक काम से ज़्यादा उसमें लगने वाले ‘समय’ पर फोकस करती है और इसे अपनाते समय इसी बात पर ध्यान देना होगा?
काम चाहे घर का हो या ऑफिस का, अगर लम्बा है, तो उसे कुछ भागों में विभाजित कर लें या किसी और को सौंप कर कुछ हिस्सा करवा सकते हों, तो वैसा करें।
हर हिस्से को पूरे करने में कितना समय लगना है, यह तय करें और उतनी ही समय- सीमा बांध लें।
अगर आपने किसी काम के लिए 25 मिनट का समय तय किया था और वो उतने समय में ना हो पाया हो, तो ज़ाहिर है कि आपकी इच्छा होगी कि समय को बढ़ा लिया जाए, लेकिन यह टाइम बॉक्सिंग का नियम है और फायदा भी कि आप समय नहीं बढ़ा सकते।
अब फायदे को समझते हैं। अगर आपने तयशुदा सीमा में काम पूरा नहीं किया, तो विश्लेषण कीजिए कि ऐसा क्यों नहीं हुआ। ऐसा न कर पाने के कारण काम को कितने मिनट और आगे बढ़ाना होगा। अपने काम के तरीकों और गति पर भी नज़र डालने का मौका आपके पास होगा।
टाइम बॉक्सिंग को अगर पूरी योजना के साथ, हर काम में लागू किया जाए, तो कुछ ही दिनों में न सिर्फ आपकी, बल्कि आपके साथ काम करने वालों की कार्यक्षमता में बढ़ोतरी होगी, बल्कि काम समय पर भी पूरा होने लगेगा। शायद आपको नए विचारों के लिए अधिक समय मिल सके।
अन्य खबर /शौर्यपथ/
'यकीन मानिए, ‘केजीएफ’ के निर्देशक प्रशांत नील ने जब मुझे पहली बार यह कहानी सुनाई थी, तो मैंने सिर पकड़ लिया था। उन्हें कहानी सुनाना नहीं आता, वो केवल कहानी दिखाना जानते हैं। और यह बात मुझे अच्छे से पता थी कि इस इंसान को केवल कैमरे की भाषा आती है। मुझे उसे ही देखना था, सो मैंने इसके लिए ‘हां’ कहा। मेरी अंदर की आवाज मुझसे कह रही थी कि सब ठीक होगा। मैं इसके लिए भी तैयार था कि असफल हुए तो क्या होगा!
ऐसा ही तब हुआ था जब मैं अपने गांव में एक निम्न वर्गीय परिवार में जीवन जी रहा था। माता-पिता मुझे लेकर डरे हुए थे कि अगर मैं फिल्मी दुनिया में गया तो वहां मेरा कोई भविष्य नहीं है। वो जानते नहीं थे कि मेरे लिए फिल्मी दुनिया अच्छी जगह है भी या नहीं। वो कहा करते थे कि सिनेमा आसान नहीं, तुम उसे नहीं पा सकते। वो मुश्किल है। ये सब बातें थीं, लेकिन उन्होंने मुझे सपोर्ट करना नहीं छोड़ा। जब भी मैं किसी डांस कॉम्पिटिशन में जाता, या किसी थिएटर एक्टिविटी में शामिल होता, तो वो खुश होते थे, उस वक्त वो अंदर से डरे भी होते थे। वो मेरा फिल्मों में जाने का जुनून देखकर शांत हो जाते थे। इसलिए वो मुझे कभी रोक नहीं पाए।
पैरेंट्स ने मुझे साफ कह दिया था कि तुम स्टार बनने बेंगलुरु जाना चाहते हो तो जाओ लेकिन एक बार वापस आए तो फिर नहीं जाने देंगे। उन्हें लगता था कि मैं वापस आऊंगा, लेकिन मैं नहीं लौटा। आपके अंदर से आती आवाजें कभी गलत नहीं होतीं।
इसका मतलब यह कतई नहीं कि आप वास्तविकता से दूर हो जाएं। आपकी सच्चाई आपको पता होना चाहिए। यही वास्तविकता आपको हार और जीत, सफलता-असफलता के साथ जीना सिखाती है। असलियत से सामना कभी आसान नहीं होता। मैं मानता हूं कि सफलता को संभालना सबसे ज्यादा मुश्किल है। असफलताएं आपको इतनी जोर से मारती हैं कि आपकी सारी गलतफहमियां दूर हो जाती हैं। सफलता आपको अलग ही दुनिया की ओर ले जाती हैं, उस रास्ते से जिसे आपने देखा नहीं है। अनजान रास्तों पर आपको सावधानी से चलना होता है।
असफलता तो बेहद प्रैक्टिकल होती है। लोग आपको छोड़कर भाग जाते हैं, जो भी आपके करीब हैं, वो भी चले जाएंगे। मैंने यह सब बचपन में देखा है। हमारा परिवार जिन्हें अपना मानता था, वो सब तब गायब हो गए थे, जब हम किसी मुसीबत से निपटने में असफल हो गए थे। ये वही लोग थे जो हमारे करीब थे, हमारे साथ अच्छा समय बिताते थे, सब चले गए। असफलता में आप खुद के साथ जीना सीखते हैं, आप उससे मुकाबला करना सीखते हैं। असफलता तो एक सबक है।
जरूरी यह है कि आप चाहे सफल हों या असफल, आप पर इसका कोई असर नहीं होना चाहिए। निश्चित तौर पर जीत से जोश आता है, मुझे भी जीतना पसंद है, लेकिन मुझे इसके असर से बचना होगा। इसका तरीका मैंने यह निकाला है कि आप सफलता को बांट दीजिए। मैं अपनी सफलता को लोगों की जीत मानता हूं। उन्हें इसका मजा लेने देता हूं। मैं तो केवल सफलता का उपयोग खुद को मजबूत करने में करता हूं। कोई शक नहीं होना चाहिए सफलता ही आपको हिम्मत देती है, मजबूती देती है और आत्मविश्वास देती है। इन सबकी मदद से ही आप बढ़िया काम जारी रख सकते हैं। लेकिन याद रखिए अगर आप असफलता के लिए तैयार नहीं हैं तो सफलता के लिए भी तैयार नहीं हैं। असफलता के लिए आपकी तैयारी ही आपको सफल बनाती है।'
मैं जानता हूं कि मैं अपने तरीके से सर्वश्रेष्ठ हूं’
- अच्छा ही काफी नहीं है। मैं और अधिक के लायक हूं और वह महानता है।
- मैं अपनी तुलना दूसरों से नहीं करता। मुझे पता है कि मैं अपने तरीके से सर्वश्रेष्ठ हूं।
- मेरी सफलता ही मेरे दुश्मनों से मेरा बदला है।
- अपना ख्याल रखना सबसे ज्यादा जरूरी है और यह आपको स्वार्थी नहीं बनाता है।
- मुझे किसी अलार्म घड़ी की जरूरत नहीं पड़ती, मेरा जुनून ही मुझे जगाता है।
- मैं बड़ी ऊंचाइयों को छू सकता हूं, मुझमें उड़ने का साहस है