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धर्म संसार / शौर्यपथ / प्रभु यीशु के जन्म की ख़ुशी में मनाया जाने वाला क्रिसमस का त्योहार पूरी दुनिया में मनाया जाता है। यह त्योहार कई मायनों में बेहद खास है। क्रिसमस को बड़ा दिन, सेंट स्टीफेंस डे या फीस्ट ऑफ़ सेंट स्टीफेंस भी कहा जाता है। प्रभु यीशु ने दुनिया को प्यार और इंसानियत की शिक्षा दी। उन्होंने लोगों को प्रेम और भाईचारे के साथ रहने का संदेश दिया। प्रभु यीशु को ईश्वर का इकलौता प्यारा पुत्र माना जाता है। इस त्योहार से कई रोचक तथ्य जुड़े हैं। आइए जानते हैं इनके बारे में।
क्रिसमस ऐसा त्योहार है जिसे हर धर्म के लोग उत्साह से मनाते हैं। यह एकमात्र ऐसा त्योहार है जिस दिन लगभग पूरे विश्व में अवकाश रहता है। 25 दिसंबर को मनाया जाने वाला यह त्योहार आर्मीनियाई अपोस्टोलिक चर्च में 6 जनवरी को मनाया जाता है। कई देशों में क्रिसमस का अगला दिन 26 दिसंबर बॉक्सिंग डे के रूप मे मनाया जाता है। क्रिसमस पर सांता क्लॉज़ को लेकर मान्यता है कि चौथी शताब्दी में संत निकोलस जो तुर्की के मीरा नामक शहर के बिशप थे, वही सांता थे। वह गरीबों की हमेशा मदद करते थे उनको उपहार देते थे। क्रिसमस के तीन पारंपरिक रंग हैं हरा, लाल और सुनहरा। हरा रंग जीवन का प्रतीक है, जबकि लाल रंग ईसा मसीह के रक्त और सुनहरा रंग रोशनी का प्रतीक है। क्रिसमस की रात को जादुई रात कहा जाता है। माना जाता है कि इस रात सच्चे दिल वाले लोग जानवरों की बोली को समझ सकते हैं। क्रिसमस पर घर के आंगन में क्रिसमस ट्री लगाया जाता है। क्रिसमस ट्री को दक्षिण पूर्व दिशा में लगाना शुभ माना जाता है। फेंगशुई के मुताबिक ऐसा करने से घर में सुख समृद्धि आती है। पोलैंड में मकड़ी के जालों से क्रिसमस ट्री को सजाने की परंपरा है। मान्यता है कि मकड़ी ने सबसे पहले जीसस के लिए कंबल बुना था।
विधानसभा अध्यक्ष श्री डॉ रमन सिंह एवं उप मुख्यमंत्री श्री विजय शर्मा,ससंद श्री विजय बघेल,विधायक श्री गजेंद्र यादव व विधयाक श्री ललित चन्द्राकर हुए शामिल
दुर्ग/ शौर्यपथ /नगर पालिक निगम सीमा क्षेत्र अंतर्गत रविवार को त्याग और समर्पण के प्रतीक प्रख्यात स्वतंत्रता सेनानी पंडित लखनलाल मिश्र जी की प्रतिमा अनावरण स्थल सर्किट हाउस के करीब प्रतिमा अनावरण समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए विधानसभा अध्यक्ष श्री डॉ रमन सिंह।
कार्यक्रम के अवसर पर अति विशिष्ट अतिथि उप मुख्यमंत्री श्री विजय शर्मा,विशिष्ट अतिथि सांसद श्री विजय बघेल,विधायक श्री गजेंद्र यादव,विधायक श्री ललित चन्द्राकर,वार्ड पार्षद श्रीमती मीना सिंह ,प्रदेश अध्यक्ष, छत्तीसगढ़ प्रदेश स्वतंत्रता संग्राम सेनानी उत्तराधिकारी संस्था,श्री मुरली मनोहर खण्डेलवाल
सहित जनप्रतिनिधिगण एवं अधिकारी/कर्मचारीगण मौजूद रहें।
विधानसभा अध्यक्ष श्री डॉ रमन सिंह के करकमलों द्वारा अतिथियो के बीच स्वतंत्रता सेनानी पंडित लखन लाल मिश्र प्रतिमा का अनावरण किया गया।कार्यक्रम के अवसर पर संभाग आयुक्त श्री सत्यनाराण राठौर,आईजी श्री रामगोपाल गर्ग, कलेक्टर सुश्री ऋचा प्रकाश चौधरी, निगम कमिश्नर श्री सुमित अग्रवाल,एसपी श्री जितेंद्र शुक्ला,कार्यपालन अभियंता श्री आरके जैन,भवन अधिकारी श्री गिरीश दीवान,संजय ठाकुर के अलावा जिला प्रशासन व निगम प्रशासन अधिकारी/कर्मचारी मौजूद रहे।स्वतंत्रता सेनानी लखन लाल मिश्र प्रतिमा आवरण में शामिल होने प्रदेश भर से लोग पहुँचे।स्वतंत्रता सेनानी के जीवन पर किताब का विमोचन भी किया गया।
बात दे कि 16 मार्च 1984 को पंडित मिश्र ने अपनी जन्मभूमि मुरा में अंतिम साँस लीं।आने वाली पीढ़ियों के लिए वे प्रेरणा बन गये। उनके जीवन से यह सीख मिलती है कि पद और परिस्थितियों से ऊपर उठकर, सच्ची राष्ट्रसेवा का मार्ग अपनाया जा सकता है। उनकी गाथा छत्तीसगढ़ और पूरे भारत के स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में सदैव अमर रहेगी।
रायपुर/शौर्यपथ /मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय ने बीजापुर के पत्रकार मुकेश चंद्राकर की नृशंस हत्या की घटना की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि इस हत्याकांड में शामिल किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा। मुख्यमंत्री श्री साय ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक आईपीएस मयंक गुर्जर के नेतृत्व में 11 सदस्यीय विशेष जांच दल का गठन किया है। फारेंसिक टीम साइंटिफिक और तकनीकी साक्ष्यों के आधार पर घटना की जांच कर रही है। अब तक तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है और उनके द्वारा किए गए अवैध निर्माण को ध्वस्त कर दिया गया है।
मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि इस प्रकार की घटना की पुनरावृत्ति न हो, इसके लिए आरोपियों को कड़ी से कड़ी सजा दिलाने के निर्देश दिए गए हैं। हमारी सरकार अपराधियों के खिलाफ सख्त रुख अपनाएगी और पत्रकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करेगी। मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि प्रदेश में कानून व्यवस्था को बनाए रखना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। पत्रकारिता को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ बताते हुए मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि पत्रकारों की स्वतंत्रता और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करना सरकार का दायित्व है।
आज अंजन खुद गीत लिखता है कंपोज करता है और गाता भी है
धानमंत्री श्री मोदी के प्रवास ने बदली जिंदगी की दिशा
रायपुर /शौर्यपथ /एक दशक पहले अपने दंतेवाड़ा प्रवास के दौरान प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी दिव्यांग बच्चों के संस्थान 'सक्षम' के एक छोटे से दृष्टिबाधित बच्चे की प्रतिभा से मुग्ध हो गए थे। उस बच्चे का नाम था अंजन। जब अंजन ने अपना गाना सुनाया तब प्रधानमंत्री जी इतने खुश हुए थे कि उन्होंने बड़े ही स्नेहिल भाव से उसके सर पर हाथ फेरकर उसे प्रोत्साहित किया था।
देश के प्रधानमंत्री का प्रोत्साहन एक बच्चे के जीवन में कितना बड़ा बदलाव ला सकता है, अंजन इसका उदाहरण है। पहले अंजन दूसरों के लिखे गीत गाता था, आज अंजन स्वयं गीत लिखता है, इसे कंपोज भी करता है और गाता भी है। अभी हाल ही में अंजन ने अयोध्या धाम में श्री रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होने के अवसर पर एक गीत लिखा और उसे कंपोज भी किया है।
अंजन की संगीत में रुचि को देखते हुए संस्थान में उसे आर्गन, कांगो और ढोलक का प्रशिक्षण दिया गया।
दंतेवाड़ा में हर साल बारसूर महोत्सव का आयोजन होता है। इस बार के आयोजन में अंजन अपने रामलला पर लिखे गीत की प्रस्तुति देगा। अंजन अभी 11वीं कक्षा में पढ़ रहा है, अब इस संस्थान में दसवीं तक की पढ़ाई संस्थान के भीतर ही होती है। मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय की पहल पर संस्थान में सभी बुनियादी व्यवस्था उपलब्ध कराई गई है। उल्लेखनीय है कि सक्षम संस्था में शैक्षणिक व्यवस्था डीएमएफ के माध्यम से होती है। उनका यह मानना था कि खनन प्रभावित इलाकों में विकास के कार्यों के लिए डीएमएफ के माध्यम से निधि स्थापित की जाए। आज अंजन जैसे बच्चों का सपना डीएमएफ के माध्यम से पूरा हो रहा है।
जब पैदा हुआ तो दादाजी ने कहा, यह क्या करेगा इसको कहीं छोड़ दो
अंजन बीजापुर के अंदरूनी नक्सल प्रभावित इलाके का रहने वाला है। नक्सल समस्या की वजह से माता-पिता को गांव छोड़ना पड़ा। अंजन बचपन से ही दृष्टिबाधित है। जब वह पैदा हुआ तो उसके दादाजी को बड़ी निराशा हुई और उन्होंने कहा कि इसका क्या होगा, यह क्या करेगा, इसको छोड़ दो। मां बहुत प्यार करती थी। मां ने कहा कि नहीं इसे पालेंगे। बाद में सक्षम संस्था के बारे में पता चला और सक्षम में एडमिशन दिलाया। सक्षम के टीचरों को इसके गायन की प्रतिभा और संगीत में रुचि के बारे में पता चला और अब अंजन की दुनिया ही बदल गई है। प्रधानमंत्री श्री मोदी के साथ ही पूर्व राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद भी अंजन की प्रतिभा से प्रभावित हो चुके हैं।
गहरी प्रतिभा और अथाह उत्साह से सबको मिलती है प्रेरणा
अंजन ने आज सब बच्चों के साथ लुई ब्रेल को पुष्पांजलि दी। लुई ब्रेल ऐसे व्यक्ति है जिनकी वजह से दृष्टिबाधित बच्चे भी फर्राटे से पढ़ सकते हैं। सक्षम कैंपस में हेलेन केलर की तस्वीर भी है, जो यह बताती है कि दुनिया की सबसे अच्छी चीजों को ना देख सकते हैं न छू सकते हैं, उन्हें केवल महसूस कर सकते हैं।
रायपुर /शौर्यपथ /महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती लक्ष्मी राजवाड़े ने कहा है कि मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में खेलों को बढ़ावा देने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे है। राज्य में खेल अधोसंरचनाओं का तेजी से विकास किया जा रहा है, जिससे प्रदेश के खिलाड़ियों को नेशनल और इंटरनेशनल लेवल पर अपनी प्रतिभा प्रदर्शन करने के लिए भरपूर मौके मिले। वें आज सूरजपुर जिले के ग्राम पंचायत बरौन्धी में ग्रामीण अंचल आधारकार्ड फुटबॉल प्रतियोगिता के समापन कार्यक्रम को संबोधित कर रही थी।
महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती राजवाड़े ने खिलाड़ियों के बीच पहुंचकर उनका उत्साहवर्धन किया। उन्होंने कहा कि खेल प्रतियोगिताओं से खिलाड़ियों को अपनी प्रतिभा को निखारने के लिए बेहतर मौका मिलता है। खेल के मैदान में खिलाड़ियों को खेलता देख एक अलग ही अनुभूति होती है। उन्होंने खिलाड़ियों को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर राज्य का नाम रोशन करने के लिए अपनी शुभकामनाएं दी। इस अवसर पर अनेक जनप्रतिनिधि, खेल प्रेमी तथा ग्रामीणजन मौजूद थे।
छत्तीसगढ़ सहित अन्य राज्यों से आते हैं यहाॅ वर्षभर पर्यटक रामायण काल से जुड़ी है यहाॅ की गाथा
बालोद/शौर्यपथ /प्रकृति की गोद में स्थित माँ सियादेवी नारागाँव, बालोद जिले के सबसे लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में जाना जाता है। यह स्थान प्राकृतिक जलप्रपात, घने वन, धार्मिक एवं आध्यात्मिक स्थल के रूप में काफी प्रसिद्ध है। यहाॅ प्रतिदिन आने वाले पर्यटक माॅ सियादेवी का आर्शीवाद लेने के साथ ही प्रकृति की खूबसूरती से भरपूर इस स्थान का आनंद उठाते हुए अपना एक दिन सफल करते हुए बहुत सी खूबसूरत यादों को समेट कर वापस यहां लौटने की इच्छा लेकर जाते है। इस स्थान ने अपनी प्राकृतिक सुंदरता से छत्तीसगढ़ में पर्यटन के क्षेत्र में अपनी अलग ही पहचान बनाई है। बालोद जिले के ग्राम नारागांव के समीप स्थित यह स्थान प्राकृतिक सुंदरता से परिपूर्ण है। यहाॅ चारों ओर घने जंगल हैं, तो वहीं प्राकृतिक झरने की समधुर आवाज एक रोमांच पैदा कर देती है। सियादेवी जलप्रपात बारिश के दिनों में अपने रौद्र रूप में नजर आता है, जब यहाॅ पानी की मात्रा अत्यधिक होती है, जलप्रपात से गिरने वाले पानी की आवाज और दृश्य का संगम इस जगह को पर्यटकों के लिए बहुत ही रोमांचकारी बना देता है।
सियादेवी मंदिर के पुजारी श्री नानिक राम कोर्राम ने इस स्थान के बारे में प्रचलित मान्यता के बारे में बताया कि वनवास काल में भगवान श्रीराम और लक्ष्मण, देवी सीता को ढूंढते हुए यहां आए थे। उनकी निष्ठा के परीक्षण के लिए माता पार्वती ने माता सीता के रूप में भगवान राम की परीक्षा ली। लेकिन भगवान राम ने उन्हें पहचान लिया और मां के रूप में संबोधन किया। माता पार्वती को इस घटना से अपराध बोध हुआ। उन्होंने इस संबंध में भगवान शिव को बताया और क्षमा मांगी तब शिवजी ने मां पार्वती को देवी सीता के अवतार में इसी स्थान में विराजमान होने के लिए कहा। तभी से यह स्थान सिया देवी माता के नाम से जाना जाता है। उन्होंने बताया कि यहां बहुत सी धार्मिक एवं आध्यात्मिक मान्यताएं हैं। वर्षभर यहाॅ पर्यटक आते हैं, लेकिन नवरात्र के समय में यहाॅ हजारों श्रद्धालुओं का आना होता है। यहाॅ पहुंचे पर्यटक श्री साकेत श्रीवास्तव ने बताया कि वे खैरागढ़ से यहाॅ आए हैं। उन्हें यहाॅ की प्राकृतिक सुंदरता और मा सियादेवी का मंदिर देखकर काफी खुशी मिली है। उन्होंने बताया कि यहाॅ अच्छा पर्यटन को विकसित करने बेहतर कार्य किया गया है, सभी प्रकार की मूलभूत सुविधाएं देखकर अच्छा लगा। इसी प्रकार यहाॅ महाराष्ट्र के भण्डारा से पहुॅचे पर्यटक श्री वसंतराव ने बताया कि वे पहली बार इस स्थान पर आए हैं, उन्हें यह स्थान बहुत ही अच्छा लगा, घुमने और प्राकृतिक खुबसुरती का आनंद लेने के लिए यह बहुत ही उपयुक्त स्थान है। जिला प्रशासन बालोद और पर्यटन विभाग द्वारा माॅ सियादेवी नारागांव में पर्यटन को बढ़ावा देने मूलभूत सुविधाओं की व्यवस्था की गई है। यहाॅ सीसीरोड, बेरिकेट, सीढ़ियाॅ, पेयजल, शौचालय, सोलर लाईट, शेड, भवन सहित बैठक आदि की भी व्यवस्था है। ओनाकोना में रायपुर, धमतरी, बालोद से आसानी से पहुॅचा जा सकता है। बालोद जिले के ग्राम सांकरा क से लगभग 08 किलोमीटर की दूरी पर स्थित ग्राम नारागांव होते हुए यहाॅ पहुॅचा जा सकता है।
- निर्माणाधीन कार्यों का किया निरीक्षण
राजनांदगांव /शौर्यपथ /मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत सुश्री सुरूचि सिंह ने आज छुरिया विकासखंड के ग्राम साल्हे, बननवागांव एवं बरबसपुर में प्रधानमंत्री आवास योजना अंतर्गत निर्माणाधीन मकान, आंगनबाड़ी एवं ग्रे-वाटर ट्रीटमेन्ट प्लांट का निरीक्षण किया। उन्होंने निरीक्षण के दौरान योजना अंतर्गत निर्धाणाधीन एवं प्रगतिरत कार्यों को शीघ्र पूर्ण कराने के आवश्यक निर्देश दिए। सीईओ जिला पंचायत सुश्री सुरूचि सिंह ग्राम साल्हे में आयोजित स्वच्छता त्यौहार कार्यक्रम में शामिल हुई। उन्होंने ग्रामीणों के साथ मिलकर सार्वजनिक स्थल, स्कूल, गली-महोल्लों की साफ-सफाई कर स्वच्छता का संदेश दिया। साथ ही स्कूली बच्चों, स्वच्छाग्राही दीदीयों एवं स्वसहायता समूह की महिलाओं के साथ रैली निकालकर स्वच्छता के लिए जागरूक किया। इस दौरान सीईओ जिला पंचायत ने सभी को स्वच्छता की शपथ भी दिलाई। उन्होंने ग्राम में नियमित कचरा संग्रहण करने, प्रत्येक घरों से स्वछता शुल्क देने, अपने घरों के आसपास की नियमित साफ-सफाई एवं कचरा का सही तरीके के निपटान करने के लिए ग्राम पंचायत, स्वच्छता समूह एवं ग्रामीणों से कहा। इस अवसर पर सीईओ जनपद पंचायत छुरिया श्री होरीलाल साहू, अनुविभागीय अधिकारी ग्रामीण यांत्रिकी सेवा, जिला समन्वयक स्वच्छ भारत मिशन, ग्राम पंचायत के सरपंच, सचिव एवं पदाधिकारी, जनपद पंचायत के अधिकारी-कर्मचारी, बिहान की महिला स्वसहायता समूह, स्वच्छता समूह की दीदी, स्कूल के शिक्षक, विद्यार्थी एवं ग्रामीणजन उपस्थित रहे।
- वन चेतना केन्द्र मनगट्टा को इको टूरिज्म के रूप में किया गया विकसित
- मनगटा में वन्य जीवों का किया गया बेहतरीन संरक्षण
- हरियाली, पर्यावरण, जैव-विविधता और वन्यप्राणियों से भरपूर राजनांदगांव जिले के मूल्यवान धरोहर मनगटा जंगल में चीतल, हिरण का प्राकृतिक अधिवास
- स्थानीय निवासियों को रोजगार के मिले व्यापक अवसर
- सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय विकास की एक अनोखी मिसाल
राजनांदगांव /शौर्यपथ / राजनांदगांव जिले के वन चेतना केन्द्र मनगट्टा के जंगल में सैलानी वन्यजीवों के स्वतंत्र रूप से विचरण करने का आनंद उठा रहे हैं। लगभग 387.500 हेक्टेयर क्षेत्र में फैले इस जंगल में पर्यटन सुविधाएं विकसित करने के साथ ही वन्य जीवों का बेहतरीन संरक्षण किया गया है। हरियाली, पर्यावरण, जैव-विविधता और वन्यप्राणियों से भरपूर राजनांदगांव जिले के मूल्यवान धरोहर मनगटा जंगल में चीतल, हिरण का प्राकृतिक अधिवास है। प्राकृतिक छटा से भरपूर इस अद्भुत स्थल में जंगली सुअर, अजगर एवं मयूर पक्षी एवं अन्य जीव-जन्तु भी यहां पाये जाते हैं। वन विभाग द्वारा इस क्षेत्र को इको टूरिज्म के रूप में विकसित किया गया है। जंगल सफारी में वन्यजीवों तथा प्रकृति की नैसर्गिक मोहक छटा मन को उल्लास से भर देती है। इस धरोहर को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने से पर्यावरण का संरक्षण करने के साथ ही क्षेत्र के लोगों को रोजगार मिला है। मनगट्टा व आसपास के गांवों जैसे झूराडबरी, बघेरा, परसबोड़, बिहावबोड़, मुढ़ीपार और भेंदरवानी के ग्रामीणों के लिए प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार के व्यापक अवसर मिले हंै। मनगटा वन चेतना केन्द्र सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय विकास की एक अनोखी मिसाल है।
वन मंडल राजनांदगांव के राजनांदगांव परिक्षेत्र अंतर्गत वन प्रबंधन समिति मनगट्टा स्थित है, जिसे चारों ओर खदानों से घिरे आरक्षित वन क्षेत्र कक्ष क्रमांक 548 एवं 549 को संरक्षित कराने की जिम्मेदारी दी गई थी। वर्ष 1998 से ही समिति के सक्रिय योगदान के वजह से यह वन क्षेत्र वनों की अवैध कटाई से पूर्णत: सुरक्षित रहा। जिससे यहां वन्य प्राणी जैसे चीतल, जंगली सूअर, खरगोश एवं अन्य जीव पूर्णत: सुरक्षित रहे। यह वन क्षेत्र वन्य प्राणियों से भरापूरा था एवं राजनांदगांव एवं दुर्ग से लगभग 20 किलोमीटर की दूरी पर था। इसलिये इस छोटे से वन क्षेत्र को वन प्रबंधन समिति के प्रयासों से वन विभाग द्वारा ईको टूरिज्म स्थल के रूप में विकसित किया गया। इस छोटे से वन खण्ड की सीमाएं किसी जंगल से नहीं लगती है। तीन तरफ से इसकी सीमाएं बड़ी-बड़ी जीवित गिट्टी खदानों को छूती है। इसके समीप से ही मुबंई-हावड़ा रेल लाईन गुजरती है। समीपस्थ रेल्वे स्टेशन मुढ़ीपार 3 किलोमीटर दूरी पर है। राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक 6 ग्रेट ईस्टर्न रोड पर दुर्ग एवं राजनांदगांव के माध्यम दुर्ग की ओर से ग्राम टेड़ेसरा से नवागांव होते हुए वन चेतना केन्द्र मनगट्टा की दूरी 22 किलोमीटर है।
चारों ओर आबादी एवं औद्योगिक गतिविधियों से घिरे इस छोटे प्राकृतिक वन क्षेत्र पर अत्यधिक जैविक दबाव के कारण वन एवं वन्य प्राणियों का प्राकृतिक आवास अत्यंत विपरीत रूप से प्रभावित हो रहा था। वन्य प्राणी भोजन की तलाश में स्थानीय ग्रामीणों की कृषि फसल को चौपट कर रहे थे। जिसके कारण स्थानीय ग्रामीणों में रोष पनप रहा था। वन प्रबंधन समिति मनगट्टा के ग्रामीणों द्वारा पिछले लगभग 20 वर्षों से इस वन क्षेत्र एवं वन्य प्राणियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा रही थी। जिसके परिणामस्वरूप इस छोटे से वनक्षेत्र में 250 से अधिक चीतल सुरक्षित विचरण कर रहे थे। परन्तु क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति के कारण प्रतिवर्ष वन विभाग द्वारा 10 से 15 लाख रूपए फसल की क्षति राशि ग्रामीणों को प्रतिपूर्ति की जाती है। ग्रीष्मकाल में पानी की तलाश में प्रति 10 से 15 वन्य जीवों की मौत दुर्घटना से हो रही थी। ऐसी विषम परिस्थितियों को दूर करने के लिए वर्ष 2015 में वन चेतना केन्द्र मनगट्टा को विकसित किया गया। वर्तमान में इस क्षेत्र में चीतल, जंगली सुअर, खरगोश प्रजातियों के पक्षी एवं सरीसृप पाये जाते हैं।
वन चेतना केन्द्र मनगट्टा की स्थापना के प्रथम चरण के रूप में लगभग 11 किलोमीटर लंबाई में वन क्षेत्र को चैनलिंक फेंसिग द्वारा सुरक्षित रखा गया। यहां जो आधारभूत संरचनाएं निर्मित हुई है, वे मुख्यत: सुविधायुक्त बाल उद्यान, पर्यावरणीय शिक्षा प्रदान करने हेतु ओपर एयर थियेटर, पर्यटकों के रहवास हेतु 6 बिस्तरीय चार टेण्ट, दो बिस्तरीय एक ट्री हाऊस, जंगल सफारी, ट्री हाऊस, मड हाऊस, बल उद्यान, पार्किंग, दिनभर की पर्यावरणीय शिक्षा, पाठ्यक्रम के दौरान विश्रांति एवं खान-पान हेतु चार पगोड़ा, एक फारेस्ट डायनिंग, एक फारेस्ट किचन एवं एक वाटरफाल व्यू पांईट का निर्माण किया गया है। प्रकृति से परिचय प्राप्त करने एवं पर्यटकों को वन भ्रमण कराने के उद्देश्य से तीन प्रकृति पथ मनगट्टा प्रकृति पथ, चतरेला प्रकृति पथ तथा पहाड़ीपाट प्रकृति पथ का भी निर्माण किया गया है। वन्य प्राणियों हेतु पानी की व्यवस्था सुनिश्चित करने हेतु सोलर चलित ट्यूबवेल 2 तालाब जल संरक्षण अंतर्गत 2 स्टाप डैम, एक जलाशय तथा भोजन व्यवस्था हेतु चारागाह विकास एवं फलदार पौधों का रापेण किया गया है। वन्य प्राणियों के रहवास से सुधार हेतु लेंटना उन्मूलन का भी कार्य कराया गया। वन चेतना केन्द्र मनगट्टा दुर्ग और राजनांदगांव के बीच में प्राकृतिक स्थल होने के कारण यहां शुरूआत से ही पर्यटकों का बहुत ज्यादा आवागमन रहा है। वर्तमान समय में यहां बहुत से निजी होटल एवं रेस्टोरेन्ट खुल चुके हंै। जिससे स्थानीय लोगों के आय में बढ़ोतरी हुई है और लोगों को रोजगार मिल रहा है। वन चेतना केन्द्र मनगट्टा के निर्माण का वन एवं वन्य प्राणियों तथा स्थानीय ग्रामीणों के जीवन स्तर पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है। आधारभूत कार्यों के निर्माण से स्थानीय रोजगार सृजन के साथ-साथ वन एवं वन्य प्राणियों को सुरक्षा तो हो ही रही है। साथ ही साथ वन चेतना केन्द्र मनगट्टा ईको-पर्यटन स्थल के रूप में प्रसिद्ध हो गया है। जिससे स्थानीय निवासियों एवं वन प्रबंधन समिति के सदस्यों को आय हो रही है।
रायपुर/शौर्यपथ /मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय से आज मुख्यमंत्री निवास कार्यालय में सुप्रसिद्ध फिल्म निर्माता, निर्देशक, कलाकार एवं पटकथा लेखक श्री प्रकाश झा ने सौजन्य मुलाकात की। इस दौरान मुख्यमंत्री श्री साय ने श्री प्रकाश झा के छत्तीसगढ़ आगमन पर उन्हें शाल और स्मृति चिन्ह भेंटकर स्वागत और अभिनंदन किया।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय ने छत्तीसगढ़ में हिंदी फिल्मों के निर्माण और फिल्म उद्योग के विकास की संभावनाओं के सम्बन्ध में चर्चा की। प्रकाश झा ने कहा कि छत्तीसगढ़ पसंदीदा फिल्म डेस्टिनेशन के रूप में विकसित किया जा सकता है। मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि प्रकाश झा जी उन दिग्गज फिल्मकारों में से एक हैं, जो अपनी फिल्मों के माध्यम से सामाजिक मुद्दों को पर्दे पर बखूबी उतारते हैं।
रायपुर/शौर्यपथ /माननीय न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) श्री अभय मनोहर सप्रे की अध्यक्षता तथा मुख्य सचिव श्री अमिताभ जैन की उपस्थिति में न्यू सर्किट हाउस रायपुर में छत्तीसगढ़ राज्य के सडक सुरक्षा परिदृश्य की समीक्षा बैठक की गई। बैठक में अंतर्विभागीय लीड एजेंसी (सड़क सुरक्षा) के अध्यक्ष श्री संजय शर्मा द्वारा समग्र सड़क सुरक्षा परिदृश्य, सडक दुर्घटनाओं के कारण, नियंत्रण के उपाय-लक्ष्य, सडक सुरक्षा अंकेक्षण तथा प्रवर्तन, अंभियांत्रिकीय, शिक्षा, आकस्मिक उपचार आदि की भावी कार्ययोजना के संबंध में विस्तृत प्रस्तुतीकरण दिया गया।
अध्यक्ष सुप्रीम कोर्ट कमेटी ऑन रोड सेफ्टी श्री सप्रे ने बैठक में ब्लैक स्पॉट्स के चिन्हाकन के पश्चात् यथा शीघ्र सुधारात्मक उपायों, घायलों की त्वरित उपचार देने, विद्यार्थियों को सड़क सुरक्षा की समुचित जानकारी एवं नियम तोड़ने वालों के विरूद्ध प्रभावी कार्यवाही करने के निर्देश दिए। शासकीय अधिकारियों-कर्मचारियों तथा जनसामान्य को सुरक्षा के लिए वाहन चालन के दौरान सीटबेल्ट, हेलमेट की अनिवार्यता को बढ़ावा देने को कहा। श्री सप्रे ने नागरिकों को जागरूक करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि आपातकालीन उपचार एवं ट्रामा केयर के लिये विशेष पहल करके सड़क दुर्घटना में मृत्युदर में कमी की जा सकती है। इसके लिए अंतर्विभागीय समन्वय से रणनीति एवं योजना बनाकर बेहतर कार्य किया जा सकता है।
बैठक में अपर मुख्य सचिव श्री मनोज पिंगुआ, अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक श्री प्रदीप गुप्ता सहित सचिवगण सर्वश्री एस प्रकाश, डॉ. बसव राजू, डॉ. कमलप्रीत सिंह, श्री सिद्धार्थ कोमल परदेशी, श्री भीम सिंह सहित आयुक्त स्वास्थ्य डॉ. प्रियंका शुक्ला, अपर परिवहन आयुक्त श्री डी. रविशंकर, प्रमुख अभियंता लोक निर्माण विभाग श्री के.के. पिपरे, क्षेत्रीय अधिकारी एनएचएआई श्री एम. टी अटारे, संचालक नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग श्री कुंदन कुमार उपस्थित थे।
जगदलपुर, शौर्यपथ। 3 दिनों से लापता पत्रकार मुकेश चंद्राकर के शव मिलने के बाद से बीजापुर में पत्रकारों में रोष देखने को मिल रहा है, पत्रकार के शव मिलने के बाद मौके पर बीजापुर एसपी से लेकर पुलिस की कड़ी सुरक्षा व्यवस्था तैनात कर दिया गया था, वही पत्रकार के हत्यारे को गिरफ्तार करने के साथ आरोपियो को फाँसी देने की मांग की है, वही एसपी को भी गिरफ्तार करने की मांग की गई है,
बताया जा रहा है कि बस्तर के बीजापुर जिला के पत्रकार मुकेश चंद्राकर की बेरहमी से हत्या कर दी गई, साथ ही शव को सेप्टिक टैंक में डाल दिया गया था, मुकेश के लापता होने की रिपोर्ट उसके बड़े भाई ने पुलिस थाने में दर्ज कराया था, जहाँ बताया कि पत्रकार मुकेश चंद्राकर 1 जनवरी से अपने घर से लापता है, जिसके बाद से मुकेश चंद्राकर की लगातार खोजबीन की जा रही थी, बीजापुर एसपी जितेंद्र यादव द्वारा जारी विज्ञप्ति में पत्रकार मुकेश चंद्राकर की हत्या की पुष्टि की गई है, जिसमें बताया गया है कि 3 जनवरी शुक्रवार शाम को बीजापुर के चट्टानपारा बस्ती के ठेकेदार सुरेश चंद्राकर के परिसर में एक सेप्टिक टंकी के अंदर से मृतक पत्रकार मुकेश चंद्राकर शव बरामद किया गया है, वहीं इस हत्या में शामिल कई संदिग्धों से पुलिस पूछताछ कर रही है।
मुकेश चंद्रकार बीजापुर जिले में पिछले कई वर्षाें से पत्रकारिता कर रहे हैं। पुलिस के अनुसार 1 जनवरी की शाम टी-शर्ट और शॉर्ट्स में ही घर से बाहर निकले थे। कुछ देर के बाद उनका फोन बंद हो गया। जब रात तक घर नहीं लौटे तो उनके भाई और पत्रकार युकेश चंद्रकार ने करीबियों के घर, शहर में अलग-अलग जगह पता लगाया। लेकिन मुकेश चंद्राकर की कोई खबर नहीं मिली। जिसके बाद भाई युकेश चंद्रकार ने पुलिस थाने में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करवाई थी। उसके बड़े भाई यूकेश चंद्राकर ने पुलिस काे बताया था कि कुछ दिनों पहले मुकेश चंद्राकर ने गंगालूर से नेलसनार तक 45 किलोमीटर की करोड़ों की लागत से बन रहे सड़क के भ्रष्टाचार की खबर प्रकाशित किया था, बीजापुर के युवा पत्रकार मुकेश चंद्राकर बीजापुर के निर्भिक, प्रतिभाशाली पत्रकाराें में से एक थे, बस्तर संभाग के नक्सल इलाकाें की अच्छी जानकारी रखते है। अंदरूनी इलाकाें के ज्वलंत मुद्दाें काे हमेंशा लाेगाें तक पंहुचाने में अहम भूमिका निभाते रहे हैं। युवा पत्रकार मुकेश चंद्राकर नक्सलियाें के कब्जे से जवानाें काे रिहा करवाने में भी महत्वपूर्ण याेगदान दे चुके थे,
मुकेश के शव मिलने के बाद शनिवार की सुबह से पत्रकारों के द्वारा नेशनल हाईवे को जाम करने के साथ ही आरोपियो के साथ ही बीजापुर एसपी को भी गिरफ्तार करने की मांग की गई है।