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रायपुर । शौर्यपथ ।वरिष्ठ कांग्रेस नेता राजेश बिस्सा ने स्पीक अप फॉर किसान के लिए बोलते हुए आरोप लगाया की लोकसभा में मिले बहुमत के आधार पर भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली नरेंद्र मोदी की सरकार लोकतांत्रिक प्रक्रिया को नष्ट कर भारत में लूट का तंत्र विकसित कर देश को मल्टिनेशनल कंपनियों का गुलाम बना देना चाहती है। कांग्रेस ने जिस जमींदार प्रथा को खत्म किया था उसे भाजपा वापस लाना चाहती है। बिस्सा ने कहा की मोदी सरकार ने वर्तमान में संपन्न हुए लोकसभा व राज्यसभा के सत्र में कुल 08 दिनों में 20 से अधिक विधेयक सत्ता की दादागिरी के बल पर पारित कर लिए हैं। आज हम के लिए आप के मध्य उपस्थित हुए आपको मैं बताना चाहूंगा जो विभिन्न विधेयक केंद्र सरकार ने लोकसभा और राज्यसभा में सत्ता की ताकत के आधार पर पारित किए हैं उनमें से तीन बिल ऐसे हैं जो संपूर्ण भारत वर्ष को प्रभावित करेंगे। ये बिल हैं - 1. किसान उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) विधेयक 2020 2. किसान (सशक्तिकरण और संरक्षण) मूल्य आश्वासन कृषि सेवा विधेयक 2020 3. आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक 2020 बिस्सा ने आरोप लगाया की नरेंद्र मोदी जी की सरकार ने इन बिलों के माध्यम से अपने पूंजीपति मित्रों के लिए 130 करोड़ भारतवासियों को लूटने एवं देश के खजाने को लुटाने हेतु मार्ग बना कर देने का काम किया है। आज अगर हमने इसका विरोध नहीं किया तो राष्ट्र के खजाने के साथ साथ आने वाली कई पीढ़ियां शोषण का शिकार रहेंगी। इन कानूनों की आड़ में एक खतरनाक कानूनी तंत्र विकसित कर लिया है मोदी सरकार ने, जिसको हमें बहुत गंभीरता से लेना चाहिए। बिस्सा ने कहा की कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) विधेयक, 2020 के अनुसार कृषि उपज मंडी समितियों जैसी सरकारी मंडियों के दायरे के बाहर व्यापारिक मंडिया बनाई जाएंगी। जहां किसान अपनी उपज बेच सकेंगे और तो और राज्य सरकारें इन इलाकों पर कोई टैक्स नहीं लगा सकेंगी। लेकिन इस कानून में इस बात को शामिल नहीं किया गया है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कृषि उपज को खरीदने को व्यापारी बाध्य रहेंगे। इसके दुष्परिणाम यह निकलेंगे कि पहले तो व्यापारी किसानों को उनकी उपज का पर्याप्त मूल देगा और जब अर्थाभाव के कारण धीरे-धीरे सरकारी मंडियां अस्तित्वहीन हो जाएंगी उस दिन से किसान समर्थन मूल्य पाने के लिए भी तरस जाएगा। भाजपा सरकार इस बात को अच्छी तरीके से जानती है और उसके मन में खोट है इसलिए वह न्यूनतम समर्थन मूल्य की बात को विधेयक में जोड़ना नहीं चाहती उसका तो एकमात्र उद्देश्य है अपने पूंजीपति मित्रों को लाभ पहुंचाना। इसी तरह किसान (सशक्तिकरण और संरक्षण) मूल्य आश्वासन कृषि सेवा विधेयक 2020 में कॉन्ट्रेक्ट फार्मिंग (अनुबंध खेती) की व्यवस्था की गई है।सरकार का कहना है कि इससे बिचौलियों की भूमिका खत्म हो जाएगी। जबकि वास्तविकता तो यह है कि सरकार किसान और बिचौलियों के बीच से हट जाएगी और सीधे तौर पर लूटने का अधिकार बिचौलियों को दे देगी।इस बिल के माध्यम से कांग्रेस सरकार ने जिस तरह जमींदार प्रथा को खत्म किया था वापस वह उस जमींदार प्रथा को स्थापित करने का प्रयास है केंद्र सरकार ने आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक 2020 में संशोधन कर अनाज, दलहन, आलू ,प्याज खाद्य पदार्थों को आवश्यक वस्तु की सूची से बाहर किया गया है। इसका प्रभाव ये होगा कि इन वस्तुओं के उत्पादन, वितरण और भंडार पर किसी तरह का प्रतिबंध नहीं रहेगा। जमाखोरों की चांदी हो जायेगी। सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत दिये जाने वाले राशन को जमाखोरों से खरीदने के लिये मजबूर हो जायेंगी सरकारें। एक ओर तो प्रति वर्ष राष्ट्र का लाखों करोड़ रुपया मुनाफाखोरों की जेब में जायेगा दूसरी ओर आम जनता भी महंगाई का सामना करने को बेबस नजर आयेगी। बिस्सा ने कहा की इन तीनों कानूनों को पारित करने के पीछे मोदी सरकार का एक ही लक्ष्य है कि देश भले ही आजाद कहलाए, भले ही यहां की चुनाव प्रक्रिया लोकतांत्रिक कहलाए, लेकिन देश की आत्मा किसान व अर्थव्यवस्था को चंद पूंजीपतियों का गुलाम बना दिया जाए। बिस्सा ने अपील है कि देशवासियों को मोदी सरकार के षड्यंत्र भरे निर्णयों पर पूरी ताकत के साथ खड़ा होना चाहिए वरना सिर्फ पछताना पड़ेगा।
दुर्ग । शौर्यपथ । कृषि बिल को लेकर प्रदेश कांग्रेस के महासचिव राजेंद्रसाहू ने एक बार फिर केंद्र सरकार पर हमला बोला । राजेन्द्र साहू ने कहा कि केंद्र सरकार की कृषि बिल नीति से किसानों को नही उद्योगपतियों को फायदा होगा । केंद्र सरकार अगर किसानों के हितों की सोंचती तो स्वामीनाथन की रिपोर्ट को आधार बना कर अनाज के न्यूनतम समर्थन मूल्य का डेढ़ गुना निर्धारित करती किन्तु वर्तमान में जो बिल पास हुआ उससे किसानों को कोई फायदा नही होगा उससे ज्यादा फायदा बड़े बड़े उद्योगपतियों को होगा । केन्द्र की भाजपा सरकार द्वारा लागू कृषि विधेयक किसानों के साथ धोखा है बिलकुल नोटबंदी जी एस टी एवं बीस लाख करोड़ रुपये के पैकेज जैसा है जिससे आमजनता मज़दूर व किसानों सहित छोटे व्यवसायियों को किसी तरह का राहत या लाभ नही मिलता।इसलिए केन्द्र सरकार द्वारा लागू कृषि विधेयक किसानों के हित में तत्काल प्रभाव से वापस लिया जाये। राजेन्द्र साहू ने अपनी बात speeakupfarmer के तहत फेसबुक लाइव के माध्यम से अपनी बात रखी । देखिये राजेन्द्र साहू ने क्या कहा ...
दुर्ग / शौर्यपथ / 15 साल बाद कांग्रेस सत्ता में आयी भाजपा के कार्यकाल के भ्रष्टाचार की बात करते करते और सुशासन देने का वादा करते हुए कांग्रेस चुनावी मैदान में उतरी थी . प्रदेश की जनता ने कांग्रेस की चुनावी वादों का सम्मान करते हुए सत्ता की चाबी सौपी किन्तु कांग्रेस के कुछ नेता ऐसे है जो प्रदेश सरकार की छवि खराब करने की अपने तरफ से पुरजोर कोशिश कर रहे है इन्ही कोशिशो में दुर्ग जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती शालिनी यादव के पति और मंत्री के करीबी रिवेंद्र यादव द्वारा शासन के पैसे गबन करने का आरोप लग रहा है कहते हैं जब सैयां भये कोटवार तो डर काहे का ये वाकया चरितार्थ हो रहा है दुर्ग जिले के ग्राम पंचायत बोरई में जहां रिवेंद्र यादव, जो वर्तमान जिला-पंचायत दुर्ग अध्यक्ष शालिनी यादव के पति हैं। साथ ही पंचायती राज के उच्च पद पर आसीन है वही रिवेंद्र यादव प्रदेश के कद्दावर मंत्री के करीबी भी है . राजनितिक हल्को में ये चर्चा है कि शालिनी यादव को जिला पंचायत अध्यक्ष बनाने में इन्ही मंत्री की महत्तवपूर्ण भूमिका रही थी . ग्राम पंचायत बोरई के सरपंच रहते हुए उन्होंने अपने साथी वेंडर सिन्हा ट्रेडर्स नगपुरा के संचालक ताम्रध्वज सिन्हा से मिलकर 21 लाख 70 हजार रुपए डकार दिए, निर्वाचन के 6 महीने बाद भी कई नोटिस दिए गए पर पैसा पंचायत को वापिस नही लौटाया गया। अब चूंकि जनपद व जिला-पंचायत उनके अधीनस्थ व नतमस्तक हैं , जिला प्रशासन की क्या मजाल की शासन के पैसों की वसूली कर पाए ।
आपको बता दे की ग्राम पंचायत बोरई के पूर्व सरपंच रिवेन्द्र यादव के द्वारा मनरेगा के तहत ग्राम बोरई में निजी शौचालय निर्माण करवाया गया व उसकी राशि का भुगतान 13 वे वित्त व 14वें वित्त आयोग के तहत किया गया। मनरेगा के तहत बनवाए गए शौचालयों का कुल लागत 21लाख 70 हजार रूपए एफ.टी.ओ. के माध्यम से तत्कालीन सरपंच रिवेन्द्र यादव (जो उस समय सरपंच संघ का अध्यक्ष भी था) के द्वारा जनपद पंचायत दुर्ग से सिन्हा ट्रेडर्स संचालक ताम्रधव्ज सिन्हा जो उसका करीबी आदमी व कार्यकर्ता है के खाते में जमा करवाया गया। लेकिन 3 वर्षा के बाद भी बोरई के पूर्व सरपंच रिवेन्द्र यादव ने सिन्हा ट्रेडस के मालिक ताम्रधव्ज सिन्हा से 21 लाख 70,000 रूपए की राशी को ग्राम पंचायत के खाते में वापस नहीं लिया।
भाजपा नेता अभिषेक जैसवाल की शिकायत के बाद मामला आया सामने
जिला भाजयूमों के नेता अभिषेक जैसवाल के नेतृत्व में जिला कलेक्टर को मुख्यमंत्री औऱ जिलाधिश के नाम ज्ञापन सौंप कर मामले में तुरंत कार्यवाही करने को कहा है, उनका कहना है की यदि 7 दिवसों के भीतर उक्त राशी का समयोजन नहीं किया गया और उक्त आरोपीयों के उपर एफ.आई.आर नहीं की तो भाजयुमों के कार्यकर्ता बड़ा उग्र धरना प्रदर्शन व क्षेत्रीय विधायक का पुतला दहन करेंगे।
पंचायत सचिव व जनपद के कर्मचारियों की भी कार्य प्रणाली संदिग्ध :- उक्त मामला 3 साल पुराना है ,लेकिन वसूली के लिए जनपद ने एक भी नोटिस नहीं दिया जिससे यह कहना उचित है कि , कद्दू कट गया सब में बट गया। एक ओर जिस शौचालय निर्माण का जिस पार्टी के लोग छाती पिट पिट कर विरोध करते नजऱ आते थे वहीं मौका मिलते ही उसका पैसा दबाने में पीछे भी नहीं हटे है।
क्या है मामला
दरअसल ग्राम पंचायत बोरई में मनरेगा के अंतर्गत निजी शौचालय निर्माण किया गया था। जिसमें ग्राम पंचायत द्वारा हितग्राहियों के द्वारा कार्य प्रारंभ करने हेतु ग्राम पंचायत मद के 13वें व 14वें वित्तीय से प्रति 217 हितग्राहियों का प्रति शौचालय 10 हजार के दर से 21 लाख 70 हजार का भुगतान जनपद पंचायत दुर्ग के द्वारा एफ.टि.ओ के माध्यम से सिन्हा ट्रेडर्स के खाते में जमा करवाया जा चुका है, लेकिन सिन्हा ट्रेडर्स के द्वारा 3 साल बीत जाने के बावजूद यह राशि ग्राम पंचायत के खाते में जमा नहीं करवाया गया।
इस राशि का न तो मनरेगा के तहत राशि मिलने से समायोजन किया गया और न ही शौचालयों का निर्माण पूरा किया गया। शौचालय निर्माण के बाद सम्पूर्ण राशि प्राप्त होने के बाद उस राशि से चौदहवें वित्त आयोग से उपयोग की जाने वाली राशि को उसमें समायोजन करना था जो कि नही हुआ।
बड़े नेताओं के साथ सांठ-गांठ के कारण नहीं हो रही कार्यवाही
रिवेंद्र यादव सत्ता पक्ष का नेता है व वर्तमान में उक्त व्यक्ती की पत्नी शालिनी यादव दुर्ग जिला पंचायत की अध्यक्ष है। पूर्व में रिवेन्द्र यादव सरपंच का अध्यक्ष भी रह चुका हैं और साथ ही रिवेन्द्र यादव दुर्ग के बड़े नेता और मंत्री का करीबी भी हैं। इस कारण जिला व जनपद पंचायत के अधिकारी इस मामले को दबाने की भरसक प्रयास कर रहें हैं। जनता के 21 लाख 70 हजार की राशि का गबन
रिवेन्द्र यादव व ताम्रधव्ज सिन्हा(सिन्हा ट्रेडर्स नगपूरा) के द्वारा सरेआम आमजनता का 21लाख 70 हजार रूपए चुना लगाया गया है, जिसका 3 साल का ब्याज ही 1 लाख से ज्यादा होता है। अत: आपके पार्टी के नेता और मंत्री के करीबी व्यक्तियों के द्वारा केंद्र सरकार की लोक कल्याणकारी योजनाओं का पैसा खाकर जनहित का दंभ भरना कदाचित छत्तीसगढ़ की आम जनता के साथ बेईमानी हैं।
मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन में इन मुद्दों को भाजयुमो ने प्रमुखता से उठाया
1. क्यो की रकम स्थांतरण तत्कालिन सरपंच रिवेन्द्र यादव कि सहमती से दिया गया था एवं अपने कार्यकाल पूर्ण होने तक उसके द्वारा एक बार भी रकम वापस नहीं मांगा गया, इससे यह बात स्पष्ट होता है की सिन्हा ट्रेडर्स औऱ सरपंच दोनों बराबरी के जिम्मेदार हैं।
2. शौचालय निर्माण राशी का भुगतान पंचायत के पैसों से किया गया, जो कि दूसरे मद का था, यह भी जांच का विषय हैं।
3. तीन साल से 21 लाख 70 हजार की अनियमितता के बाद भी जनपद पंचायत द्वारा साल दर साल कैसे ऑडिट किया जा रहा है, यह भी जांच का विषय है।
अत: उक्त राशि का ब्याज सहीत वसूला जांए, साथ ही अगर राशि जमा नहीं कि गई तो उक्त आरोपियों को तत्काल गिरफ्तार किया जांए।
दुर्ग । शौर्यपथ । दुर्ग शहर मध्य ब्लाक कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अलताफ अहमद ने कृषि विधेयक को लेकर केंद्र सरकार के दावे को झूठा करार दिया है। अलताफ ने कहा कि यह विधेयक पूरी तरह किसान विरोधी है। केंद्र सरकार की नीतियों से देश के करोड़ों किसानों का विश्वास उठ चुका है। कृषि प्रधान देश में पूरी खेती की व्यवस्था को मोदी सरकार ने कार्पोरेट जगत के हवाले कर दिया है। केंद्र सरकार अगर वास्तव में किसानों का हित चाहती है तो पूरे देश में भूपेश सरकार की नीतियों को लागू करना चाहिए। अलताफ ने कहा कि मोदी सरकार के इस बिल से किसान तबाह हो जाएंगे। विधेयक लागू होने के बाद देश के किसान फसल की पैदावार के लिए जी-तोड़ मेहनत करेंगे और इसका मुनाफा बड़े औद्योगिक-व्यवसायिक घराने कमाएंगे। अलताफ ने सवाल किया कि अगर यह बिल किसानों के फायदे के लिए है तो हरियाणा, पंजाब, मप्र सहित अन्य राज्यों में किसान बिल के विरोध में सड़कों पर आंदोलन किसलिए कर रहे हैं। अलताफ ने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार ने किसानों से कर्जमाफी और 25 सौ रुपए प्रति क्विंटल की दर से धान खरीदी का वादा किया था। यह वादा सरकार बनाने के दो दिनों के भीतर लागू कर दिया गया। दूसरी ओर मोदी सरकार ने 6 साल पहले लोकसभा चुनाव में किसानों की आय दोगुना करने का वादा किया था। यह वादा आज तक पूरा नहीं किया गया। केंद्र सरकार के किसान विरोधी फैसलों के कारण बड़े राज्यों में किसान आत्महत्या कर रहे हैं। अलताफ ने कहा कि मोदी सरकार अगर किसानों का भला चाहती है तो धान, गेहूं, मक्का,जौ सहित सभी फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित करने का फैसला करे। केंद्र सरकार को छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की किसान नीतियों को पूरे देश में लागू करना चाहिए। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के फैसलों से छत्तीसगढ़ के किसान बेहद खुश हैं। केंद्र सरकार को भी भूपेश सरकार की नीतियों को फालो करना चाहिए। -0-0-0-0-
दुर्ग / शौर्यपथ / नगर निगम की सामान्य प्रशासन विभाग की प्रभारी जयश्री जोशी ने भाजपा पार्षदों के आरोपो का जवाब देते हुए दोहराया है कि शहर में बार-बार पानी सप्लाई बंद होने और स्ट्रीट लाइट व्यवस्था ठप होने के लिए पिछले 20 साल में पूर्व महापौरों की कार्य प्रणाली जिम्मेदार है। जयश्री ने कहा कि शहरवासियों की फिक्र किए बगैर जिस तरह से 20 साल तक नगर निगम का पूरा सिस्टम चौपट रहा। सही मायनों में जनता की समस्याएं दूर न करने के कारण ही शहर का समग्र विकास नहीं हो पाया।
जयश्री ने कहा कि भाजपा पार्षदों को 20 साल के कार्यकाल का महिमा मंडन करने से पहले यह स्पष्ट कर दें कि अगर बहुत अच्छे काम किए गए हैं तो दुर्ग में भाजपा विधानसभा और दुर्ग नगर निगम चुनाव में कैसे हार गई। जयश्री ने तंज कसते हुए कहा कि पिछले कार्यकाल में महापौर चंद्रिका चंद्राकर के कार्यकाल की उपलब्धियां गिनाने वाले भाजपा पार्षद बताएं कि खुद के वार्ड में वे अपने पति रत्नेश चंद्राकर को क्यों नहीं जिता पाई।
जयश्री ने कहा कि बीते 20 वर्षों के कार्यकाल में काम नहीं हुआ बल्कि विकास के नाम पर दिखावेबाजी होती रही। कमीशनखोरी चरम पर रही। इसी दिखावेबाजी और कमीशनखोरी के कारण भाजपा की इतनी करारी हार हुई है। जयश्री ने कहा कि उनके द्वारा पूर्व महापौरों पर लगाए गए आरोप नगर निगम की पिछली परिषद के कार्यकाल पर करारा तमाचा है।
राज्य निर्माण के बाद पहली बार दुर्ग शहर में इतनी बेहतरीन प्लानिंग के साथ विकास कार्य हो रहे हैं। जयश्री ने भाजपा पार्षदों से कहा है कि शहर में जनहित का ध्यान रखकर समग्र विकास कैसे होता है, यह जानने-समझने के लिए उन्हें विधायक अरुण वोरा और महापौर धीरज बाकलीवाल से विकास का सबक सीखना चाहिए। 20 साल तक विकास कार्यों को लेकर भाजपा पार्षदों के ज्ञान चक्षु नहीं खुल पाए हैं, तो अब खुल जाएंगे।
जयश्री ने कहा कि उन्होंने भा जपा से पार्षद चुनाव जीता और लोक कर्म प्रभारी बनने के बाद लगातार मेहनत की और सभी 60 वार्डों में लगातार विकास कार्य कराने सक्रिय रही। इसी का नतीजा रहा कि उन्हें दूसरी बार भी लोक कर्म प्रभारी बनाया गया। कठपुतली बनने से इंकार करने और नगर निगम में गड़बड़ी करने वालों के खिलाफ आवाज उठाने के कारण 2014 के चुनाव में भाजपा ने उन्हें सामान्य सीट होने और योग्यता के बावजूद महापौर की टिकट नहीं दी।
जयश्री ने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने सम्मान के साथ इस बार के चुनाव में पार्षद की टिकट दी और एमआईसी प्रभारी बनाया। उनके पार्टी बदलने पर हायतौबा मचाने वाले भाजपा पार्षद बताएं कि मध्यप्रदेश में 22 विधायकों को किसने दलबदल कराया? उन्होंने कहा कि जिनके घर कांच के होते हैं उन्हें हाथ में पत्थर रखने से बचना चाहिए।
दुर्ग / शौर्यपथ / प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महामंत्री राजेंद्र साहू ने केंद्र सरकार के कृषि विधेयक को किसान विरोधी बताते हुए कहा है कि इससे देश के लाखों किसानों को जबर्दस्त आर्थिक नुकसान होगा। राजेंद्र ने कहा कि यह विधेयक किसान विरोधी होने के साथ-साथ जनविरोधी भी है। कृषि विधेयक से कार्पोरेट घराने मुनाफा कमाएंगे जबकि किसान एग्रीमेंट के जाल में फंस जाएंगे। किसानों को उनकी फसल का उचित मूल्य तक नहीं मिल पाएगा।
राजेंद्र ने कहा कि इस विधेयक के लागू होने पर कार्पोरेट घराने किसानों से एग्रीमेंट करेंगे। किसानों की फसल या उपज खरीदकर पूंजीपति घराने जमाखोरी करेंगे। भरपूर भंडारण करने के बाद कालाबाजारी भी करेंगे और मुनाफा कमाएंगे। कार्पोरेट घरानों के शिकंजे में आने से किसानों को अपनी खेती की जमीन से भी वंचित होना पड़ सकता है।
उन्होंने आगे कहा कि सहकारी समितियां और कृषि उपज मंडी किसानों को संबल प्रदान करते हैं। केंद्र सरकार के विधेयक से सहकारी समिति संस्था और मंडी व्यवस्था धीरे-धीरे समाप्त हो जाएगी। कृषि विधेयक के आने से सहकारी समितियों के माध्यम से बीज-खाद खरीदी और नगद ऋण लेने की व्यवस्था के साथ समर्थन मूल्य पर फसल खरीदी व्यवस्था पर प्रतिकूल असर पड़ेगा।
राजेंद्र ने कहा कि मोदी सरकार ने जीएसटी और नोटबंदी लागू करते समय इसे देश हित में बताया था। दावा किया गया कि इससे महंगाई, बेरोजगारी, कालाबाजारी और आतंकवाद में कमी आएगी। लेकिन इससे गिने-चुने उद्योगपतियों और पूंजीपति घरानों को फायदा हुआ। मोदी सरकार अब कृषि विधेयक लाकर कार्पोरेट घरानों को फायदा पहुंचाने का प्रयास कर रही है। राजेंद्र ने दावा किया कि यह विधेयक भी जीएसटी और नोटबंदी की तरह जन विरोधी और किसान विरोधी साबित होगा।
कांग्रेस नेता ने कहा कि मोदी सरकार की विनाशकारी नीतियों के कारण पिछले 6 साल में देश में महंगाई और बेरोजगारी लगातार बढ़ी और अब चरम सीमा पर पहुंच चुकी है। आतंकी गतिविधियां भी बढ़ी हैं। खुले बाजार में 2 हजार रुपए के नोट गायब होने लगे हैं। देश की अर्थव्यवस्था चरमरा गई है। सरकार सार्वजनिक उपक्रमों को निजी हाथों में बेच रही है।
राजेंद्र ने कहा कि अगर मोदी सरकार को वास्तव में किसानों की फिक्र है और किसानों को सही मायनों में लाभ पहुंचाना चाहते हैं तो किसानों की हर फसल का समर्थन मूल्य ज्यादा से ज्यादा बढ़ाने का साहसिक फैसला करें। पूरे देश में किसानों की हर फसल की खरीदी बढ़े हुए समर्थन मूल्य पर करने से संबंधित विधेयक लाएं। केंद्र सरकार किसान विरोधी कृषि विधेयक लाकर किसानों और देशवासियों पर कुठाराघात करने वाले फैसले लेना बंद करे।
दुर्ग / शौर्यपथ / कगना रनौत को दिए जा रहे वाई श्रेणी सुरक्षा पर और प्रियंका गाँधी के सुरक्षा हटाने पर प्रदेश कांग्रेस महामंत्री राजेन्द्र साहू ने केंद्र सरकार की दोहरी मानसिकता की निति पर वार करते हुए कहा कि माना आज देश में भाजपा की सरकार ने एक महिला के सुरक्षा के लिए वाई श्रेणी की सुरक्षा प्रदान की है किन्तु क्या ऐसी ही भावना देश की अन्य महिलाओं के लिए भी केंद्र सरकार ने अपनाई है . कौन है कंगना जिसे केंद्र ने एक प्रदेश के मुखिया सहुए बहस के कारण वाई श्रेणी की सुरक्षा प्रदान कर दी जबकि इसी देश में एक महिला ऐसी है जिसके पिता की ही नहीं दादी की भी क्रूर तरीके से हत्या हुई और देश की विपक्ष की सबसे बड़ी पार्टी की नेता है जिनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी सरकार की होनी चाहिए किन्तु सरकार द्वारा एक ऐसी महिला को सुरक्षा देने में इतनी तत्परता सिर्फ इस लिए कि सरकार के पुराने दोस्त जो वर्तमान में राजनैतिक विरोधी है के खिलाफ कंगना मुखर हो रही है क्या कंगना के सहारे महाराष्ट्र में अपने आप को ताकतवार घोषित करने के लिए ये किसी साजिश के तहत हो रहा है जबकि देश की एक बेटी जिसके पूर्वजों ने देश के लिए त्याग और बलिदान किया जिसके दादी और पिता की हत्या हो गयी उसको मिलने वाली सुरक्षा छिन ली गयी मकान ख़ाली करवा दी गई और दूसरी ओर जिस परिवार का देश हित में कोई योगदान नहीं है केंद्र सरकार उसे सुरक्षा दे रही हैं और मीडिया उसे झाँसी की रानी साबित करने में लगी है जो देश का दुर्भाग्य हैऔर इस दुर्भाग्य में केंद्र सरकार परदे से पीछे अपना राजनैतिक खेल खेल रही है . केंद्र सरकार की इस दोहरी निति से भाजपा सरकार की दोहरी मानसिकता ही सामने आ रही है .
दुर्ग / शौर्यपथ / भारत की राजनीती में दुर्ग जिला एक ऐसा जिला है जहा से दोनों ही पार्टी के नेता दिल्ली तक केन्द्रीय राजनीती कर चुके है और दोनों ही दल के नेताओ में कई तरह की समानताये है तो कई विरोधाभास भी . जी हाँ हम बात करते है दुर्ग जिले में दीदी के नाम से मशहूर भाजपा की राष्ट्रिय महासचिव राज्यसभा सांसद डॉ सरोज पाण्डेय की . भिलाई के मैत्री नगर से एक सामान्य परिवार से राजनितिक सफऱ शुरू करने वाली सरोज पाण्डेय ने दुर्ग निगम में 10 साल तक महापौर के रूप में शहरी सरकार चलाई है महापौर रहते रहते विधायक और सांसद के पद में एक साथ विद्यमान रही .
वर्तमान में डॉ. सरोज पाण्डेय भारत ही नहीं दुनिया के सबसे बड़े संगठन में आठ राष्ट्रिय महासचिव में से एक है , साथ ही राज्यसभा की सांसद भी है . सामान्य परिवार से आने के बाद अपने मेहनत के दम पर महापौर , विधायक और सांसद तक का सफऱ भाजपा के राष्ट्रिय महासचिव के सफऱ तक पहुँचाने के बाद भी जारी है . राजनितिक जीवन में कई उतार चढाव आने के बाद भी यहाँ तक एक बार लोकसभा का चुनाव हारने के बाद भी संगठन ने भरोसा कायम रखा और केंद्र की राजनीती में महासचिव के पद पर शोभित किया . डॉ. सरोज पाण्डेय के बाद उनके ही ख़ास समर्थको को दुर्ग निगम में महापौर के रूप में सत्ता हांसिल हुई जैसे कि वर्तमान में विधायक वोरा के समर्थन से ही धिरक बाकलीवाल को महापौर की खुर्सी प्राप्त हुई .
अब बात करे तो शहर के विधायक अरुण वोरा की पिछले 6 चुनाव में कांग्रेस की तरफ से एक ही प्रत्याशी शहर के लिए निर्धारित रहा यानी की 30 साल के राजनितिक जीवन में 3 हार और तीन जीत के बाद भी शहर के विधायक अरुण वोरा है ये भी संभव है कि भविष्य के चुनाव में शहर विधायक के प्रत्याशी के रूप में एक बार फिर अरुण वोरा का नाम आये या हो सकता है कि युवाओ की मांग के अनुसार विधायक पुत्र को टिकिट मिल जाए जो भी हो कांग्रेस की तरफ से एक ही चेहरा या एक ही परिवार को मौका मिलेगा जो की भविष्य में तय होगा किन्तु अगर वर्तमान की बात करे तो लगभग एक साथ राजनीती शुरू करने वाले शहर के लाडले अरुण भैया ( कांग्रेस ) और भाजपा से डॉ. सरोज पाण्डेय उफऱ् दीदी दोनों ने ही राजनीती की शुरुवात लगभग एक साथ की थी किन्तु तब स्थिति बहुत ही अलग थी तब अरुण वोरा देश के कद्दावर नेता मोतीलाल वोरा जो मुख्यमंत्री , राज्यपाल और अखिल भारतीय कांग्रेस के सालो से कोषाध्यक्ष पद पर रहे साथ ही गाँधी परिवार के सबसे करीबी रहे है बावजूद इसके अरुण वोरा दुर्ग की राजनीती से कभी बाहर नहीं जा पाए और दुर्ग तक सीमित रहे . अरुण वोरा के दुर्ग की राजनितिक तक सीमित रहने से दुर्ग का कोई भी कांग्रेसी ब्लाक अध्यक्ष , विधानसभा क्षेत्र का अध्यक्ष , विधायक प्रतिनिधि , सांसद प्रतिनिधि से आगे नहीं बढ़ पाया क्योकि आगे बढऩे के लिए उनके नेता को भी आगे बढऩे का इंतज़ार करना पडा . दुर्ग में आज ऐसे कई कांग्रेसी है जो धीरे धीरे ग्रामीण राजनीती की तरफ तो कोई वैशानी नगर की तरफ तो कोई भिलाई की तरफ रुख कर लिया ताकि आगे बढ़ सके .
जबकि इसके विपरीत दुर्ग जो एक समय कांग्रेस का गढ़ था इस गढ़ में स्व. हेमचंद यादव ने सेंध मारी और सरकार में मंत्री पद पर 10 सालो तक रहे , स्व. हेमचंद यादव भी दुर्ग बैगा पारा के सामान्य यादव परिवार से मंत्री पद तक का सफऱ फिर प्रदेश उपाध्यक्ष के पद पर संगठन में प्रदेश स्तर की राजनीती में सक्रीय रहे . वही भाजपा से दूसरी बड़ी नेत्री के रूप में डॉ. सरोज पाण्डेय आगे बड़ी जो आज भाजपा के केन्द्रीय संगठन में एक महत्तवपूर्ण पद पर है और कई प्रदेशो में प्रभारी की भूमिका का कुशल तरीके से नेत्रित्व भी कर चुकी है . उनके कई समर्थक विधायक तक का सफऱ तय कर चुके है और अपनी एक अलग पहचान बना चुके है . वही दुर्ग कांग्रेस में संगठन की बात करे पद की बात करे या अन्य किसी भी समबन्ध में कांग्रेस की चर्चा हो पिछले 40 सालो से एक ही नाम . दुर्ग कांग्रेस से आज वर्तमान में ऐसा कोई नहीं जो प्रदेश स्तर की राजनीति तो दूर जिले स्तर की राजनीती कर रहा हो ऐसे में वर्तमान में कई कांग्रेसी दबी जुबान में और कई बार तो खुले में भी इस बात को कह चुके है कि दुर्ग में कांग्रेस के कार्यकर्ता के रूप में राजनीती की शुरुवात कार्यकत्र्ता के रूप में ही अंत भी . यह आंकलन पूर्व से लेकर वर्तमान राजीनीतिक स्तर का आंकलन मात्र है भविष्य में कोई और दुर्ग से प्रदेश स्तर या केंद्र स्तर पर भी पहुँच सकता है क्योकि भविष्य किसी ने नहीं देखा किन्तु भूतकाल सबके सामने है .
रायपुर / शौर्यपथ / कांग्रेस ने देश भर में बढ़ रहे कोरोना के प्रकोप से निपटने में केंद्र सरकार को विफल और उदासीन बताया है।प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि मोदी सरकार अपने संघीय दायित्वों के निर्वहन में पूरी तरह नाकाम साबित हो रही है ।कोरोना वैश्विक महामारी है ।यह महामारी पूरी दुनिया के साथ भारत मे फैली है ।इस वैश्विक महामारी से निपटने में शुरुआती दौर को छोड़ दिया जाय तो केंद्र सरकार राज्यो पर जबाबदारी डाल कर खुद पल्ला झाड़ चुकी है ।केंद्र सरकार ने संकट के समय देश की जनता को अकेले छोड़ दिया राज्य सरकार अकेले के दम पर इस महामारी से लड़ रही हैं। दुनिया के दूसरे देशों अमेरिका,ब्रिटेन ,फ्रांस,ब्राजील ,जर्मनी आदि ने इस महामारी से एक राष्ट्र के तौर पर सामना किया और सफल भी हो रहे भारत मे मोदी सरकार ने इस लड़ाई राज्यो में बांट दिया एक राष्ट्रीय आपदा के तौर पर लड़ाई शुरू ही नही की गई।
कांग्रेस प्रवक्ता सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि दुर्भाग्य पूर्ण है कि छत्तीसगढ़ के 9 भाजपाई सांसद भी राज्य की जनता के प्रति अपने कर्तब्य को भूल गए है ।केंद्र सरकार से कोरोना की लड़ाई में राज्य को मदद दिलवाने में कोई दिलचस्पी नही ले रहे । आपदा काल मे देश महामारी नियंत्रण अधिनियम लागू है ऐसे में महामारी से निपटने की पूरी जबाबदारी संघीय सरकार की है।केंद्र अपनी जिम्मेदारी से भाग रहा है ।कोरोना के मरीजो का मुफ्त इलाज करवाने की पूरी जबाबदेही केंद्र सरकार की बनती है ।केंद्र सरकार देश भर में कोरोना मरीजो के इलाज और उसके टेस्ट दवाइयों आदि के खर्च की पूरी व्यवस्था करवाये।इलाज की मॉनिटरिंग करवाये लेकिन मोदी सरकार कुछ नही कर रही है।
कांग्रेस प्रवक्ता सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि आज देश मे 43 लाख से अधिक मरीज हो चुके है ।रोज लगभग एक लाख मरीज बढ़ रहे है ।अभी तक कोविड के प्रकोप से भारत मे 73 हजार लोगों की जाने जा चुकी है इन सबके बावजूद मोदी सरकार बेफिक्र बनी हुई है ।जब देश मे मात्र 5000 मरीज थे तब तो लॉक डाउन और कोरोना से बचाव के लिए प्रधानमंत्री सहित पूरी केंद्र सर चिंतित होने का ढोंग कर रही थी ।आज बिगड़ते हालात और बढ़ते केस के बीच केंद्र सरकार अन लॉक के नियम जारी कर कौन कौन से संस्थान कब कैसे खुलेंगे ।सिनेमा घर माल मल्टीप्लेक्स जिम क्लब कैसे फिर शुरू हो मोदी सरकार इसके लिए एडवायजरी जारी करने में व्यस्त है।
कांग्रेस प्रवक्ता सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि मोदी सरकार को कोविड से देश के जनता की बचाव की कोई फिक्र नही है देश भर की राज्य सरकारे अकेले जूझ रही है मोदी सरकार इस संकट के समय शुतुरमुर्ग के समान समस्या से भाग रही है।