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रायपुर /शौर्यपथ/
उच्च शिक्षा मंत्री उमेश पटेल ने मंगलवार को रायगढ़ जिले के पुसौर विकासखण्ड अंतर्गत विभिन्न ग्रामों का भ्रमण किया और एक करोड़ 2 लाख 25 हजार की लागत वाले विकास कार्यों का लोकार्पण व भूमिपूजन किया। जिसमें 61 लाख 43 हजार रुपये की लागत वाले कार्यों का लोकार्पण एवं 40 लाख 82 हजार रुपये का भूमिपूजन कार्य शामिल है। इस दौरान पटेल ने ग्रामवासियांे को छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा जनकल्याण के लिए चलाए जा रहे विभिन्न विकासकार्यों और योजनाओं के बारे में जानकारी देने के साथ ही ग्रामवसियों की समस्याओं से अवगत हुए तथा इसके शीघ्र निराकरण करने के निर्देश संबंधित अधिकारियों को दिए।
उच्च शिक्षामंत्री पटेल मंगलवार को पुसौर विकासखण्ड अंतर्गत धनगांव, तोरना, घुघवा, रावनखोदरा, सेमीभांवर व सेमरा गांव पहुंचकर ग्रामवासियो से मुलाकात की। इस अवसर पर उन्होंने ग्रामवासियों को संबोधित करते हुए कहा कि राज्य सरकार पूरी प्रतिबद्धता के साथ लोगों के विकास के लिए समर्पित है। पटेल ने कहा कि छत्तीसगढ़ की बड़ी आबादी गांवों में निवास करती है। इसे ध्यान में रखते हुए सरकार निरंतर ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करने के लिए योजनाओं का प्राथमिकता से निर्माण और क्रियान्वयन कर रही है। इसी परिप्रेक्ष्य में सरकार वनोपज समर्थन मूल्य में वृद्धि कर एवं राजीव गांधी किसान न्याय योजना के माध्यम से किसानों, ग्रामीणों एवं आदिवासियों के आय में वृ़िद्ध कर रही है। उन्होंने भूमिहीन श्रमिक परिवारों को राज्य सरकार द्वारा 6 हजार रूपए प्रतिवर्ष दिए जाने के संबंध मे जानकारी देने के साथ ही सभी पात्र लोगों को जल्द पंजीयन कराने की अपील की। उन्होंने आगे कहा कि गांवों में शुद्ध पेयजल आपूर्ति के लिए घर-घर तक नल कनेक्शन दिया जा रहा है। इसके साथ ही स्वास्थ्य सुविधाओं के विस्तार, कुपोषण मुक्ति की दिशा में भी व्यापक स्तर पर कार्य हो रहा है।
इन कार्यों का हुआ लोकार्पण व भूमिपूजन- उच्च शिक्षामंत्री पटेल ने 61 लाख 43 हजार रुपये के विभिन्न कार्यों का लोकार्पण किया। जिसमें ग्राम सेमरा में 12 लाख 44 हजार रुपये की लागत से प्राथमिक शाला एवं माध्यमिक शाला में अहाता निर्माण कार्य, सेमरा में 6 लाख 20 हजार रुपये की लागत से मुक्तिधाम निर्माण एवं 16 लाख 74 हजार रुपये की लागत से गोठान निर्माण, ग्राम-धनगांव में 3 लाख रुपये की लागत से सांस्कृतिक शेड निर्माण कार्य, घुघवा में 6 लाख 20 हजार रुपये की लागत से मुक्तिधाम निर्माण कार्य, रावनखोदरा में 16 लाख 85 हजार रुपये की लागत से सीसी रोड निर्माण का कार्य शामिल है
इसी तरह पटेल ने 40 लाख 82 हजार रुपये की लागत से 10 कार्यों का भूमिपूजन किया। जिसमें ग्राम-सेमरा में 01 लाख रुपये की लागत से मंदिर तालाब डीपापारा पचरी निर्माण कार्य, 01 लाख रुपये की लागत से माझापारा में चबुतरा निर्माण कार्य, 4 लाख 60 हजार रुपये की लागत से सीसी रोड निर्माण कार्य, ग्राम-तोरना में 2 लाख रुपये की लागत से बोर खनन एवं पंप स्थापना, धनगांव में 9 लाख 12 हजार रुपये की लागत से सीसी रोड निर्माण एवं 4 लाख 50 हजार रुपये की लागत से बाजार शेड निर्माण कार्य, ग्राम-रावनखोदरा में 3 लाख रुपये की लागत से सांस्कृतिक शेड निर्माण कार्य एवं 15 लाख 60 हजार रुपये की लागत से सीसी रोड निर्माण कार्य शामिल है।
इस मौके पर बीज निगम सदस्य दिलीप पाण्डेय, जिला पंचायत अध्यक्ष निराकार पटेल, जिला पंचायत सदस्य आकाश मिश्रा, अध्यक्ष जनपद पंचायत पुसौर सुशील भोय, उपाध्यक्ष जनपद पंचायत पुसौर गोपी चौधरी, सदस्य जनपद पंचायत रूपा दिनेश पटेल, अनुसुईया चौहान, सरपंच ग्राम पंचायत नावापारा (माण्ड) मंजु भानुप्रताप नायक, सरपंच घुघवा सरस्वती डनसेना, लिटाईपाली सरपंच लता चौहान, सहित जनप्रतिनिधि एवं बड़ी संख्या में ग्रामवासी उपस्थित रहे।
रायपुर /शौर्यपथ/
झारखण्ड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन 28 अक्टूबर को राजधानी रायपुर के साईंस कॉलेज मैदान में आयोजित राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव एवं राज्योत्सव 2021 का उद्घाटन करेंगे। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल कार्यक्रम की अध्यक्षता करेंगे।
झारखण्ड के मुख्यमंत्री सोरेन 28 अक्टूबर को पूर्वान्ह 11.15 बजे रायपुर के स्वामी विवेकानंद अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा पहुंचकर साईंस कॉलेज मैदान के लिए प्रस्थान करेंगे और वहां 11.45 बजे आयोजित समारोह का उद्घाटन करेंगे तथा यहां आयोजित विभिन्न कार्यक्रमों में शामिल होंगे। मुख्यमंत्री सोरेन अपरान्ह 4.30 बजे साईंस कॉलेज मैदान से स्वामी विवेकानंद अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा के लिए प्रस्थान करेंगे और वहां से शाम 5 बजे विमान द्वारा रांची (झारखण्ड) के लिए प्रस्थान करेंगे।
रायपुर /शौर्यपथ /
राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके से राजभवन में संत रावतपुरा सरकार ने मुलाकात की। इस अवसर पर राज्यपाल ने उन्हें प्रतीक चिन्ह भेंट किया।
भिलाई। शौर्यपथ । भिलाई नगर विधायक देवेंद्र यादव बुधवार की सुबह सेक्टर 7 महाराणा प्रताप चौक पहुंचे। जहां वे आम नागरिकों से मिले। उनका हालचाल जाना। सब के साथ बैठक कर चाय पीते हुए चाय की चुस्की के साथ भिलाई की भलाई के विषय पर लंबी चर्चा की।
बीएसपी कर्मियों ने अपनी समस्याओं से विधायक देवेंद्र यादव को रूबरू कराया। विधायक को कई समस्याएं बताई। इसी प्रकार कई लोगों अपने सामाज से संबंधित समस्याएं विधायक के समक्ष रखी। कुछ लोगों ने चाय पीते पीते अपनी पर्सनल समस्याएं भी बताई। लोगों से बात चीत कर उनकी समस्याओं को विधायक ने सूना और सभी की समस्याओं का निदान किया। जो निगम से संबंधित थे। उसके लिए निगम के अधिकारियों को निर्देशित किए और जो बीएसपी से संबंधित थे। उनके लिए बीएसपी प्रबंधन को कॉल कर समस्याओं का समधान करने का निर्देश दिया।
गौरतलब है कि विधायक देवेंद्र यादव जनता से जुड़े नेता हैं। जो लोगों से मिलकर उनके वार्ड, गली मोहल्ले में जाकर लोगों से मिलते हैं। उनका हालचाल और समस्याओं को जानकर निदान करते हैं। बुधवार की सुबह भी वे एमआईसी मेंबर लक्ष्मीपति राजू, डी. थामस, केआर साहू, कुमार स्वामी, एसपी पवार आदि के साथ दौरे पर निकले। यामहा बाइक में एमआईसी मेबर लक्ष्मीपति राजू के साथ बाइक में पीछे बैठ कर विभिन्न वार्डों का निरीक्षण किया। विकास कार्यों का जायजा लिया। कहां क्या समस्या इसका भी अवलोन किया। इसके बाद महाराणा प्रताप चौक सेक्टर 7 पहुंचे। जहां चाय दुकान में बैठकर एकदम सामान्य नागरिकों की तरह लोगों के साथ मिले और सब के साथ चाय की चुस्कियां लेते हुए चाय पर भिलाई की भिलाई के लिए विभिन्न विषय पर चर्चा की और कई विकास कार्यों के लिए प्लानिंग की।
विधायक को अपने बीच पाकर गदगद हुए लोग
भिलाई नगर विधायक श्री यादव को अपने बीच पाकर लोग काफी खुश हुई। रोड से आने जाने वाले लोग भी विधायक श्री यादव को देख कर रूक और विधायक से मिले। वहीं वार्ड के कई वरिष्ठजनों से भी विधायक मिले। उन्हें प्रणाम किया और बुजुर्गों से आशीर्वाद लिया। बुजुर्ग भी उन्हें देख कर, उनसे मिल कर काफी गदगद हुए और कहा कि आप विधायक नहीं हमारे बेटे है। आप आम नागरिक की तरह हमारे बीच में रहते और बड़े ही विनम्र,सरल और सहज भाव से सब से मिलते है। समस्याएं सुनने है। आप पहले ऐसे विधायक है जिनसे मिलना, बात करना काफी आसान है।
जनता की सेवा ही मेरा धर्म है
आमजनों से मिलकर उनकी समस्याओं को सुनकर समस्याओं को दूर करने का प्रयास हम लगातार कर रहे हैं। जनता की सेवा ही हमारा प्रमुख धर्म है। आम नागरिकों की समस्याओं को जानने और समझने के लिए उनके बीच रहना,आम होना जरूरी है। इसलिए आम नागरिकों के साथ चाय पीने के बहाने बैठकर चाय पर चर्चा करते हुए उनकी समस्याओं को वार्ड की समस्याओं को जानते हैं और उन्हें दूर करने का पूरा प्रयास करते हैं।
देवेंद्र यादव, विधायक भिलाईनगर
दुर्ग / शौर्यपथ /
जिला प्रशासन , पुलिस विभाग , निगम प्रशासन के द्वारा आने वाले त्योहारी सीजन में आम जनता को परेशानियों से बचाने के लिए एक मीटिंग रखकर शहर की यातायात व्यवस्था , बाज़ार की बैठक व्यवस्था , पसरा व्यापारियों की व्यवस्था , पार्किंग की व्यवस्था के लिए बैठक राखी गयी थी जिसमे व्यापारियों का समूह भी शामिल था सब तय हो गया और निगम प्रशासन तय माप दडो के अनुसार विगत तीन दिनों से तैयारियों में लगी रही .
प्रशासन ने हाल ही में हुए शहर के मध्य आगजनी की घटना को देखते हुए सतर्कता बरतने सभी के लिए व्यवस्था बनाने में जुट गयी . बुधवार की सुबह जब इस नियम पर अमल लाने के लिए निगम के अधिकारी सुबह से ही व्यवस्था में लगे रहे थे चंद लोगो को यह व्यवस्था पसंद नहीं आयी और विरोध शुरू हो गया . विरोध के बीच शहर विधायक वोरा पहुंचे जिनसे फुटकर व्यापारियों ने इंदिरा गाँधी की मूर्ति के आस पास ही व्यवसाय करने की जिद पकड़ ली जिससे विधायक वोरा ने जिम्मेदार अधिकारियों को फोन पर ही सबके सामने कह दिया कि बाज़ार जैसा हर साल लगता है वैसे ही लगेगा . बस इसके बाद जय जय कार के नारे लगे और विधायक जी अपने दौरा कार्यक्रम पर निकल गए .
विधायक जी के इतना कहने मात्र से ही निगम के कर्मचारी अपने अधिकारी को फोन लगा कर आगे क्या करना है पूछते रहे और धीरे धीरे वो भी चले गए .
शाम तक स्थिति यह रही कि फुटकर व्यापारियों की आरक्षित जगह पार्किंग क्षेत्र भी रहा और इंदिरा प्रतिमा के आस पास का स्थान भी रहा . इस कारण बाज़ार में जगह जगह वाहन खड़े दिखाई देने लगे . शासन द्वारा निर्धारित पार्किंग पर वाहन ना लगा कर आम जनता यहाँ वहा वाहन पार्क करने लगे क्योकि नियत पार्किंग पर पसरा वालो का कब्ज़ा रहा .
ना तो पार्किंग में वाहन लगा ना व्यापार हुआ , ना निगम द्वारा निर्धारित पार्किंग में कोई व्यापारी गए ना आम जनता ने वाहन पार्क किया . विधायक तो एक शब्द कह कर चले गए किन्तु अधिकारी वर्ग आगे की क्या रणनीति अपनाये ये सोंचते रह गए और त्योहारी सीजन के पहले ही जिला प्रशासन , निगम प्रशासन की सारी तैयारिया धरी की धरी रह गयी .
अब देखना यह है कि आने वाले दिनों में प्रशासन व्यवस्था बनता है या विधायक वोरा की नीतियों पर ही अमल करता है जो भी हो किन्तु बुधवार के दिन यहाँ वहा की स्थिति में पसरा वालो का धंधा मंदा रहा यहाँ तक कई लोगो की बोहनी भी नहीं हुई , वाहन पार्किंग पर कड़ाई से पालन ना करने की दशा में बाज़ार क्षेत्र में वाहन अस्त व्यस्त अवस्था में खडा रहा . जिससे आम जनता को दिन भर परेशानी का सामना करना पड़ा .
मुंगेली / शौर्यपथ / मुख्यमंत्री बघेल ने राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष थानेश्वर साहू की अनुशंसा पर माध्यमिक शिक्षा मंडल द्वारा वर्ष 2019-20 में आयोजित 12वीं बोर्ड परीक्षा में टाॅपटेन में प्रथम स्थान हासिल करने वाले छात्र टिकेश वैष्णव को उच्च शिक्षा के लिए 20 लाख रूपये की स्वीकृत की है। राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष साहू और कलेक्टर अजीत वसंत ने आज कलेक्टोरेट कार्यालय में टिकेश वैष्णव को द्वितीय किश्त के रूप में उनके पिता शिवकुमार वैष्णव को 5 लाख रूपये का चेक प्रदान किया। इस दौरान अध्यक्ष साहू ने टिकेश वैष्णव के पढ़ाई-लिखाई के बारे में जानकारी प्राप्त की। इस अवसर पर मुंगेली अनुभाग के अनुविभागीय अधिकारी राजस्व अमित कुमार, तहसीलदार मायानंद चंद्रा, जिला कलेक्टोरेट के अधीक्षक अशोक सोनी और नागेश उपाध्याय उपस्थित थे। उल्लेखनीय है कि टिकेश वैष्णव को 2020 में प्रथम किश्त के रूप में 05 लाख रूपये की राशि प्रदान की गई है।
मैन ऑफ द मैच खिलाड़ी को हेलमेट पहनाकर किया सम्मानित, यातायात के प्रति किया जागरूक
कार्यक्रम के दौरान भूत पूर्व सैनिक गिरवरसिंग धुर्वे का किया गया सम्मान
कवर्धा / शौर्यपथ / पुलिस अधीक्षक मोहित गर्ग एवं अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक मनीषा ठाकुर के निर्देशानुसार, उपपुलिस अधीक्षक अजीत ओगर, थाना प्रभारी राकेश लकड़ा के नेतृत्व में सामुदायिक पुलिसिंग के तहत क्रिकेट प्रतियोगिता का आयोजन 15 से 26 अक्टूबर तक कबीरधाम जिला के अंतिम गांव बांधाटोला(अमाखोरा) में पुलिस एवं समस्त ग्रामवासी की संयुक्त तत्वधान में किया गया। उक्त आयोजन में थाना थाना बिरसा (मध्य प्रदेश ) के नक्सल प्रभावित प्रभावित गांव की 10 टीमों ने भाग लिया तथा जिला राजनांदगांव अंतर्गत साल्हेवारा बकरकट्टा की लगभग 14 गांव की टीम ने भाग लिया और कबीरधाम जिले के थाना रेगाखार लोहारा, सिंघनपूरी अंतर्गत नक्सल प्रभावित गांव के लगभग 25 टीमों ने भाग लेकर अच्छा प्रदर्शन किया।
प्रदर्शन के आधार पर विजेता टीमों को मुखिया अतिथि श्री प्रभाती मरकाम (जनपत अध्यक्ष प्रतिनिधि)बोड़ला, जनपद सदस्य प्रतिनिधि लेखराम पंचेसवार, हंसराज धुर्वे, मेवालाल यादव सरपंच भेलावाटोला, एवनसिंग मरावी पूर्व सरपंच, बिमला धुर्वे, सुनीता धुर्वे, भूतपूर्व सैनिक गिरवर सिंग धुर्वे, दुवारिका तिलगम सहित पुलिस अधिकारी एएसआई विजय राडेकर द्वारा विजेता टीम प्रथम मलाजखंड थाना बिरसा (एमपी) को 15 हजार 500 रुपए, दूसरा स्थान बखरीकोनहा थाना बिरसा (एमपी) को 7 हजार 500 और तीसरा स्थान अमाखोरा थाना रेगाखार जिला कबीरधाम को 5000 को नगद इनाम एवं शील्ड मोमेंटो से सम्मानित किया गया। मैं ऑफ द सीरीज विजेता को हेलमेट प्रदाय किया गया। इस दौरान गांव में जन चौपाल लगाकर ग्रामीणों की समस्याएं सुनी। इस अवसर पर भूत पूर्व सैनिक गिरवरसिंग धुर्वे का सम्मान भी किया गया।
उल्लेखनीय है कि कबीरधाम पुलिस अधीक्षक मोहित गर्ग के द्वारा लगातार वनांचल गावो, अति नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में खेल का आयोजन एवं जन चौपाल लगाकर शैक्षणिक सामग्री, खेल सामग्री, लोगों की रोजमर्रा की दैनिक उपयोगी सामग्री वितरण किया जा रहा है। पुलिस अधीक्षक द्वारा ग्रामीणों की चौपाल लगाकर उनकी समस्या भी सुनते है और संबंधित विभाग से चर्चा कर निराकरण कराने का हर संभव प्रयास करते है।
श्री ललित चतुर्वेदी, उप संचालक जनसंपर्क
रायपुर / शौर्यपथ / आदिवासी समुदाय प्रकृति प्रेमी होते हैं। उनकी जीवनशैली सरल और सहज होती है। इसकी स्पष्ट छाप उनकी कला, संस्कृति, सामाजिक उत्सवों और नृत्यों में देखने को मिलती है। प्रकृति से जुड़ा हुआ यह समुदाय न केवल उसकी उपासना करता है, बल्कि उसे सहेजकर भी रखता है। ऐसा ही एक समुदाय गोंड़ जनजाति है। जिसकी कई उपजातियां हैं। जिनके रीति-रिवाजों में लोक जीवन के अनेक रंग देखने को मिलते हैं।
धुरवा जनजाति गोंड जनजाति की उपजाति है। धुरवा जनजाति छत्तीसगढ़ राज्य के बस्तर, दंतेवाडा तथा सुकमा जिले में निवास करती है। बांस के बर्तन एवं सामग्री बनाने मंे दक्षता के कारण धुरवा जनजाति को ‘बास्केट्री ट्राइब‘ अर्थात ‘बांस का कार्य‘ करने वाली जनजाति की संज्ञा दिया गया है। सन् 1910 के बस्तर के प्रसिद्ध (आदिवासी विद्रोह ‘भूमकाल के नायक शहीद वीर गुण्डाधुर की सेना द्वारा मड़ई नृत्य के माध्यम से अपनी भावना जनसामान्य तक पहुंचाने के लिए इसे मेला मड़ई मंे प्रदर्शित करते थे।
धुरवा युवक-युवतियां वीर रस से परिपूर्ण होकर मड़ई नृत्य करते हैं, पुरूष हाथ में कुल्हाडी एवं मोरपंख का गुच्छा (मंजूरमूठा) लेकर उंगली से मुंह से सुईक-सुईक की आवाज निकाल कर दुश्मनों को ललकारते हुए नृत्य करते है। युवतियां-युवकों के पीछे-पीछे लय मिलाते हुए सामूहिक रूप में नृत्य करती हैं। नृत्य के दौरान हाथ में मोर पंख का गुच्छा (मंजूरमूठा) रखते हैं।
मुरिया जनजाति छत्तीसगढ़ राज्य के दक्षिण मंे स्थित बस्तर संभाग में निवास करती है। मुरिया जनजाति गोड़ जनजाति की उपजाति हैं। मुरिया जनजाति के तीन उपभाग- राजा मुरिया, झोरिया मुरिया तथा घोटूल मुरिया होते है। रसेल एवं हीरालाल के ग्रंथ द टाइब्स एंड कास्टस ऑफ द सेन्टल प्रोविसेंस ऑफ इंडिया भाग-3, 1916 के अनुसार बस्तर के गोंड, मुरिया एवं माडिया दो समूह में बंटे हुए है। मुरिया शब्द की व्युत्पत्ति ‘मूर‘ अर्थात बस्तर के मैदानी क्षेत्रों में पाये जाने वाले पलाश वृक्ष या ‘मुर‘ अर्थात जड़ शब्द से हुई है‘‘। एक अन्य मान्यता के अनुसार ‘मूर‘ अर्थात ‘मूल‘ निवासी को मुरिया कहा जाता है।
वर्तमान में ग्राम देवी की वार्षिक, त्रि-वार्षिक पूजा के दौरान मड़ई नृत्य करते हैं
वर्तमान में ग्राम देवी की वार्षिक, त्रि-वार्षिक पूजा के दौरान मड़ई नृत्य करते हैं, इसमें देवी-देवता के जुलूस के सामने मड़ई नर्तक दल नृत्य करते है एवं पीछे-पीछे देवी-देवता की डोली, छत्रा, लाट आदि प्रतीकों को जुलूस रहता है। मड़ई के अगले दिन मड़ई नर्तक दल ग्राम के सभी घरों में जाकर मड़ई नृत्य करते हैं, जिसे ‘बिरली‘ कहते हैं। ग्रामवासी मड़ई नर्तक दल को धान, महुआ और रूपए देते हैं। नृत्य के समापन के पश्चात ग्राम के मुखिया के साथ नर्तक दल भोज करता है और खुशियां मनाता हैं। नृत्य में धुरवा पुरूष सफेद शर्ट, काला हाफ कोट, धोती या घेरेदार लहंगा के साथ कपड़े मंे सिला हुआ कमर बंद या सिर में तुराई, पेटा (पगड़ी), मोर पंख, तुस (कपड़े से बनी पतली पट्टी), गले में विभिन्न प्रकार की मालाएं, पैरों में झाप (रस्सी में बंधा हुआ घुंघरू) का श्रृंगार करते हैं।
महिलाएं ब्लॉउज तथा पाटा, साड़ी पहनती हैं। बालों के खोंसा (जूडे़ में) कांटा, पनिया (बांस की कंघी), गले में चीप माला, सूता तथा बाजार में मिलने वाली विभिन्न प्रकार की मालाएं, कान में खिलवां, बांह में बांहटा, कलाई मंे झाडू तथा पैरों में पायल धारण करती हैं। मड़ई नृत्य वाद्य यंत्र हेतु ढोल, तुडबुड़ी, बांसुरी, किरकिचा, टामक, जलाजल, तोड़ी का उपयोग किया जाता है। नृत्य का प्रदर्शन मेला-मड़ई, धार्मिक उत्सव तथा मनोरंजन अवसर पर किया जाता है।
धुरवा जनजाति विवाह के दौरान विवाह नृत्य करते हैं। विवाह नृत्य वर-वधू दोनों पक्ष में किया जाता है। विवाह नृत्य तेल-हल्दी चढ़ाने की रस्म से प्रारंभ कर पूरे विवाह में किया जाता है। इसमें पुरूष और स्त्रियां समूह मंे गोल घेरा बनाकर नृत्य करते हैं। पुरूष सफेद शर्ट, काला हाफ कोट, धोती या घेरेदार लहंगा के साथ कपड़े में सिला हुआ कमर बंद या सिर में तुराई, पेटा (पगड़ी), मोर पंख, तुस (कपड़े से बनी पतली पट्टी), गले में विभिन्न प्रकार की मालाएं, पैरों में झाप (रस्सी में बंधा हुआ घुंघरू) का श्रृंगार करते हैं।
महिलाएं ब्लॉउज तथा पाटा, साड़ी पहनती है बालों के खोंसा (जूड़े में) कांटा, पनिया (बांस की कंघी), गले में चीप माला, सूता तथा बाजार में मिलने वाली विभिन्न प्रकार की मालाएं, कान में खिलवां, बांह में बांहटा, कलाई में झाडू तथा पैरों में पायल का श्रृंगार करती है। नृत्य के दौरान हाथ में मोरपंख का गुच्छा (मंजूरमूठा) रखती हैं। मड़ई नृत्य में ढोल, तुडबुड़ी, बांसुरी, किरकिचा, टामक, जलाजल, वाद्ययंत्रों का प्रयोग किया जाता है। नृत्य विवाह के अवसर पर तथा मनोरंजन हेतु किया जाता है।
मुरिया जनजाति के सदस्य नवाखानी त्यौहार के दौरान के दौरान लगभग एक माह पूर्व से गेड़ी निर्माण प्रारंभ कर सावन मास के हरियाली अमावस्या से भादो मास की पूर्णिमा तक गेड़ी नृत्य किया जाता है। गेड़ी नृत्य नवाखानी त्यौहार के समय करते हैं। इसमें मुरिया युवक बांस की गेंड़ी में गोल घेरा में अलग-अलग नृत्य मुद्रा में नृत्य करते हैं। नृत्य के दौरान युवतियां गोल घेरे में गीत गायन करती है। पूर्व समय ग्राम में बारिश के दिनों में ग्राम में अधिक कीचड़ होता था, ऐसी स्थिति में गेड़ी के माध्यम से एक दूसरे स्थान पर जाते है। पूर्व में ऊंचे-ऊंचे गेड़ी का निर्माण करते थे।
गेड़ी नृत्य के समय मुरिया जनजाति की महिलाएं लुगड़ा या साड़ी, पुरूष काले रंग की फूल शर्ट, प्लास्टिक की लंबी माला, इसे दोनों कंधें से छाती एवं पीठ में क्रास स्थिति में पहनते हैं। कमर में कपड़े में सिला हुआ कमर बंद या पट्टा, कमर के नीचे लाल-पीले रंग का घेरेदार लहंगा सिर में लाल पगड़ी, मोर पंख या पंखों का गुच्छा, कपड़े में सिला हुआ कपड़े से बने फूलों की पट्टी, गले में कपड़े के लाल गुच्छों की माला और अन्य माला, पैरों में घुंघरू (रस्सी में बंध अुआ) का श्रृंगार करते हैं।
वाद्य यंत्रों में बांस से बना गेंड़ी का मुख्य रूप से उपयोग किया जाता है। जिसे विभिन्न रंगों से रंग कर सजाया जाता है। साथ ही वादक मांदरी, तुडबुडी, विसिल या सीटी एवं बांसुरी का उपयोग नृत्य में करते है।
गेंड़ी नृत्य विवाह, मेला-मंड़ई, धार्मिक उत्सव के अवसर तथा मनोरंजन के लिए करते हैं। गेंड़ी नृत्य युवाओं को नृत्य है। गेंड़ी नृत्य संतुलन, उत्साह तथा रोमांस से परिपूर्ण है। मुरिया जनजाति में गेंड़ी के अनेक खेल, गेंड़ी दौड़ आदि प्रतियोगिता होती है। जिसमें पुरूष गेंड़ी पर चढ़कर नृत्य करते हैं।
गंवरमार नृत्य में मुरिया जनजाति के नर्तक दल गौर-पशु मारने का प्रदर्शन करते है। यह नाट्य तथा नृत्य का सम्मिलित रूप है। इस नृत्य में दो व्यक्ति वन में जाकर गौर-पशु का शिकार करने का प्रयास करते है, किन्तु शिकार के दौरान गौर-पशु से घायल होकर एक व्यक्ति घायल हो जाता है। दूसरा व्यक्ति गांव जाकर पुजारी(सिरहा) को बुलाकर लाता है जो देवी आह्वान तथा पूजा कर घायल व्यक्ति को स्वस्थ्य कर देता है तथा दोनों व्यक्ति मिलकर गंवर पशु का शिकार करते है। इसी के प्रतीक स्वरूप गवंरमार नृत्य किया जाता है।
महिलाएं लुगड़ा या साड़ी, पुरूष काले रंग की फूल शर्ट, प्लास्टिक की लंबी माला, इसे दोनों कंधों से छाती व पीठ में क्रास की स्थिति में पहनते हैं कमर में कपड़े में सिला हुआ कमरबंद या पट्टा कमर के नीचे लाल-पीले रंग का घेरेदार लहंगा, सिर में लाल पगड़ी मोर पंख या पंखों का गुच्छा, कपड़े में सिला हुआ कपड़े से बने फूलों की पट्टी, गले में कपड़े के लाल गुच्छों की माला एवं अन्य माला, पैरों में घुंघरू (रस्सी में बंधा हुआ) का श्रृंगार करते है।
वाद्य यंत्रों में ढोलक, तुडबुडी, सिटि, बांसुरी आदि का प्रयोग किया जाता है। नृत्य का प्रदर्शन मुरिया जनजाति के सदस्य गंवरमार मेला-मंडई, धार्मिक उत्सव के अवसर पर तथा मनोरंजन के लिए किया जाता है।
दुर्ग । शौर्यपथ । भाजपा नेता अतुल पर्वत ने आज राजभवन पहुँच छत्तीसगढ़ की महामहिम राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके जी से सौजन्य मुलाक़ात की।Governor Chhattisgarh जी को पुष्पगुच्छ देकर उनसे आशीर्वाद लिया, इस अवसर पर अतुल पर्वत ने दीपावली के पूर्व महामहिम राज्यपाल जी को दीपावली व अन्य सभी पर्व की बधाई शुभकामनाएं दी। साथ ही #bhilaiCanDo के द्वारा समाज में नये कार्य व त्योहारों में माननीय प्रधानमंत्री Narendra Modi जी की मुहिम #VocalForLocal को ध्यान में रखते हुए गरीब भाई बहन कारीगर से बने हुए सामान चीजों का ही ले,इस पर भी bhilaicando की टीम कार्य कर रही है।आदि विभिन्न विषयों से अवगत कराया।
रायपुर /शौर्यपथ/
सामुदायिक बाड़ी, मत्स्य पालन कर रही महिलाएं
सुराजी गांव योजना सुदूर वनांचल ग्रामीण क्षेत्रों में महिला जागृति एवं सशक्तिकरण की दिशा में मील का पत्थर है। स्वसहायता समूह की महिलाओं ने एकता और आत्मविश्वास से स्वावलंबन के लिए कदम आगे बढ़ाएं है। राजनांदगांव जिले में स्वसहायता समूह की महिलाओं का कारंवा उन्नति की ओर अग्रसर है। छुरिया विकासखंड के ग्राम मासूल आदर्श गौठान की महिलाएं विभिन्न तरह की गतिविधियों से आर्थिक दृष्टिकोण से मजबूत बन रही हैं। इंदिरा स्वसहायता समूह महिलाओं ने वर्मी कम्पोस्ट निर्माण व वर्म बीज उत्पादन तथा बोरी विक्रय के कार्य से प्राप्त लाभांश राशि से मिनी राईस मिल व मल्ट्रीग्रेन मशीन खरीद ली है। जिससे उनकी आमदनी में बढ़ोत्तरी हुई है। इस मशीन के माध्यम से आटा पीसने, मसाला बनाना, भीगे उड़द की पिसाई एवं दाल के छीलके निकालने का कार्य किया जा रहा है।
सुराजी गांव योजना ग्रामीण क्षेत्रों में महिला जागृति एवं सशक्तिकरण की दिशा में मील का पत्थर
कलेक्टर श्री तारन प्रकाश सिन्हा ने महिला समूहों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए गौठान में सभी तरह की गतिविधियां संचालित करने के निर्देश दिए हैं। जिसका सुखद परिणाम यह है कि गौठानों में एक साथ कई तरह की गतिविधियों के संचालन से महिलाओं के आय में वृद्धि हुई है। गौठान की बाड़ी में मां दुर्गा स्वसहायता समूह द्वारा सामुदायिक बाड़ी में विविध सब्जियां जिमीकंद, कद्दू, लौकी, अदरक एवं मुनगे के पौधे लगाएं गए है। फल एवं सब्जियों की मल्टीलेयर खेती की जा रही है। शीतला स्वसहायता समूह की महिलाएं मत्स्य पालन कर रही हैं। वहीं पूर्णिमा स्वसहायता समूह द्वारा मशरूम उत्पादन का कार्य संचालित है। मासूल गौठान में मुर्गी पालन के लिए शेड का निर्माण भी किया गया है।