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० ग्रामीणों को जागरूक करने के लिए गांव.गांव में मुनादी
० जिले के अस्पतालों में छह दिन से नहीं मिला है कोरोना संक्रमित
राजनांदगांव / शौर्यपथ / कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए टीकाकरण की गति बढ़ाने के साथ ही जिले के अस्पतालों में सर्दी, खांसी व जुकाम सहित अन्य साधारण बीमारियों से पीड़ित मरीजों की लगातार जांच की जा रही है। इस दौरान अच्छी खबर यह भी है कि सामान्य दिनों के मुकाबले पिछले छह दिन से जिले के अस्पतालों में कोरोना संक्रमित एक भी मरीज नहीं मिला है। ओपीडी में भी मरीजों की उपस्थिति की संख्या में भी गिरावट दिख रही है।
कोरोना संक्रमण पर नियंत्रण व इससे बचाव हेतु केंद्र व राज्य सरकार की गाइड लाइन का पालन कराने के लिए क्षेत्र में लगातार सख्ती भी बरती जा रही है। शासकीय अस्पतालों में सतत जागरूकता अभियान भी चलाया जा रहा है जिसके फल-स्वरूप, अस्पतालों में सामान्य दिनों के मुकाबले 18 अक्टूबर से अब तक कोरोना का एक भी पॉजिटिव मरीज नहीं मिला है। यानी पिछले छह दिन से कोरोना के पॉजिटिव मरीज नहीं मिले हैं। स्वास्थ्य विभाग द्वारा इस दौरान शहर के साथ ही गांवों में भी लोगों से विशेषकर बदलते मौसम में सतर्क रहने की अपील की जा रही है। कोरोना टीकाकरण कार्यक्रम स्वास्थ्य विभाग के साथ ही महिला एवं बाल विकास विभाग, पंचायत विभाग और राजस्व विभाग के समन्वय से किया जा रहा है। इसके अंतर्गत कोरोना टीकाकरण हेतु ग्रामीणों को जागरूक करने के लिए एक दिन पूर्व मुनादी भी कराई जा रही है। इन प्रयासों के फलस्वरूप जिले में अब तक लगभग 87.74 प्रतिशत लोगों ने पहला तथा लगभग 44.26 प्रतिशत लोगों ने दूसरे डोज का टीका लगवा लिया है, जो उत्साहवर्धक है। टीका लगवाने के लिए जिले में अब हर वर्ग के लोग उत्साह से सामने आने लगे हैं। जिला टीकाकरण अधिकारी डॉ. बीएल तुलावी ने बताया, कोरोना संक्रमण पर पूरी तरह नियंत्रण के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं। शहर के साथ ही गांव-गांव में कोरोना टीकाकरण किया जा रहा है। जिन लोगों ने टीका का पहला डोज ले लिया है, उनसे अपनी बारी आने पर दूसरी खुराक भी अनिवार्य रूप से लेने की अपील की जा रही है। जन-जागरूकता व जनभागीदारी के साथ जिले में शत-प्रतिशत कोरोना टीकाकरण का लक्ष्य भी जल्द से जल्द पूरा किया जाएगा। उन्होंने बताया, दशहरा पर्व के बाद से जिले के स्वास्थ्य केंद्रों में मरीजों की उपस्थिति न के बराबर ही हो रही है।
इस संबंध में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. मिथिलेश चौधरी ने बताया, सुरक्षा व स्वास्थ्य के संदर्भ में शासन के निर्देशों के तहत अस्पताल आने वाले मरीजों की कोरोना जांच प्राथमिकता से की जा रही है। शासकीय अस्पतालों में सतत जागरूकता अभियान भी चलाया जा रहा है जिसके फलस्वरूप, अस्पतालों में सामान्य दिनों के मुकाबले 18 अक्टूबर से अब तक कोरोना का एक भी पॉजिटिव मरीज नहीं मिला है। यानी पिछले छह दिन से कोरोना के पॉजिटिव मरीज नहीं मिले हैं। इसी तरह ओपीडी में भी मरीजों की संख्या में भी गिरावट है। उन्होंने बतायाए, कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए विभिन्न माध्यमों से लोगों को जागरूक किया जा रहा है। मास्क लगाने, हाथों को सैनिटाइज करने तथा दो गज दूरी का पालन करने की अपील के साथ ही लोगों से शासन के निर्देशों का पालन कराने पर सतत जोर दिया जा रहा है।
उत्तर बस्तर कांकेर / शौर्यपथ / जिले के सभी 192 हाट बाजारों में मुख्यमंत्री हाटा बाजार क्लिनिक योजना के अंतर्गत मरीजों का उपचार किया जायेगा, जिसमें शहरी क्षेत्र यहॉ तक कि कांकेर चारामा जैसे शहर के बाजार भी शामिल है। चिकित्सा टीम द्वारा बाजार स्थल में शिविर लगाकर मरीजों का उपचार किया जायेगा। कलेक्टर श्री चन्दन कुमार ने आज आयोजित समय सीमा की बैठक में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को इस आशय के निर्देश दिये। 18 वर्ष एवं उससे अधिक आयु वर्ग के सभी नागरिकों का कोरोना टीकाकरण सुनिश्चित करने के निर्देश भी दिये गये है, इसके लिए महिला एवं बाल विकास विभाग, पंचायत विभाग सहित अन्य विभागों के कर्मचारियों का सहयोग लेने के लिए भी कहा गया है। पोषण पुनर्वास केन्द्रों में पूरी क्षमता के अनुरूप कुपोषित बच्चों को भर्ती कराना सुनिश्चित करने के निर्देश भी दिये गये हैं।
कलेक्टर चन्दन कुमार ने जिले के कुपोषित बच्चों की जानकारी परियोजनावार तथा आंगनबाड़ी केन्द्रवार उपलब्ध कराने के लिए महिला एवं बाल विकास अधिकारी को निर्देशित किया है। इसी प्रकार गौठानों में संलग्न महिला स्व-सहायता समूह और उनके द्वारा किये जा रहे गतिविधियों की जानकारी उपलब्ध कराने के निर्देश दिये गये है। उनके द्वारा गौठानों में गोबर की खरीदी, उससे वर्मीकम्पोस्ट का निर्माण एवं विक्रय, महिला स्व-सहायता समूहों द्वारा किये जा रहे विभिन्न आर्थिक गतिविधियां जैसे-मुर्गी पालन, बकरी पालन, मछली पालन, उद्यानिकी से संबंधित कार्य की जानकारी भी लिया गया तथा आवश्यक दिशा निर्देश दिये गये। उन्होंने समय सीमा की बैठक में विभिन्न विकास कार्यों जैसे-आंगनबाड़ी भवन निर्माण, धान चबूतरा निर्माण, हाट बाजार शेड निर्माण, देवगुड़ी एवं घोटुल का निर्माण, बस्तर विकास प्राधिकरण से संबंधित कार्य इत्यादि की भी गहन समीक्षा किया तथा अधिकारियों को आवश्यक दिशा निर्देश दिये।
किसानो की आमदनी बढ़ाने के लिए उतेरा फसल लेने हेतु किसानों को प्रोत्साहित करने कलेक्टर द्वारा कृषि विभाग के उप संचालक को निर्देश दिये गये है। किसानों द्वारा धान की खेत में लाखड़ी (तिवड़ा), बटरी, अलसी, सरसो, मटर इत्यादि की फसल लिया जाता है। राजीव गांधी ग्रामीण भूमिहीन कृषि मजदूर न्याय योजना अंतर्गत प्राप्त आवेदनों की समीक्षा करते हुए उन्होंने जिले के ऐसे समस्त ग्राम जहॉ पांच अथवा उससे कम आवेदन प्राप्त हुए है, उन गांवों में पुनः परीक्षण कराने तथा गांवों में कोटवारों के माध्यम से मुनादी कराने के लिए निर्देशित किया गया है। उल्लेखनीय है कि इस योजना अंतर्गत पात्र परिवारों को छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा छः हजार रूपये की सहायता राशि दी जायेगी। कलेक्टर श्री चन्दन कुमार द्वारा विभिन्न राजस्व प्रकरणों डायवर्सन, नामांतरण, सीमांकन, बटवारा इत्यादि के निराकरण की भी समीक्षा किया गया। स्कूली बच्चों को जाति प्रमाण पत्र वितरण की समीक्षा भी की गई, जिसमें बताया गया कि माध्यमिक एवं हायर सेकेण्डरी विद्यालयों के 12 हजार 801 बच्चों को स्थायी जाति प्रमाण पत्र जारी किये गये हैं। जिला प्रशासन द्वारा अब प्राथमिक शाला में अध्ययनरत बच्चों के भी जाति प्रमाण पत्र बनाये जायेंगे। ग्राम पंचायतों में आयोजित ग्रामीण सचिवालय में नोडल अधिकारियो की उपस्थिति सुनिश्चित करने तथा प्राप्त आवेदनों का निराकरण करने के लिए भी उनके द्वारा निर्देश दिये गये। जल जीवन मिशन अंतर्गत संचालित कार्यों में प्रगति की भी विस्तृत समीक्षा किया गया। इस अवसर पर अपर कलेक्टर सुरेन्द्र प्रसाद वैद्य, जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी सुमित अग्रवाल, सभी विभागों के जिला अधिकारी, एसडीएम, तहसीलदार, जनपद सीईओ एवं नगरीय निकायों के अधिकारी मौजूद थे।
उत्तर बस्तर कांकेर / शौर्यपथ / शासकीय पॉलीटेक्निक कांकेर में डिप्लोमा इंजीनियरिंग कोर्स में लेटरल एंट्री द्वारा द्वितीय वर्ष में प्रवेश हेतु राज्य स्तरीय आनलाइन कांउसलिंग के तृतीय चरण की प्रक्रिया 27 एवं 28 अक्टूबर को रजिस्ट्रेशन एवं डीव्हीसी होगा तथा सीटो का आबंटन 29 अक्टूबर 2021 को किया जायेगा और आबंटित सीटो पर 30 अक्टूबर 2021 को प्रवेश लिया जायेगा। वर्तमान में शासकीय पॉलीटेक्निक कांकेर में मेकेनिकल इंजीनियरिंग, सिविल इंजीनियरिंग एंव इलेक्ट्रानिक्स एण्ड टेलीकम्यूनिकेशन इंजीनियरिंग के डिप्लोमा कोर्स संचालित है। अधिक जानकारी के लिए संचालनालय तकनीकी शिक्षा रायपुर छत्तीसगढ़ के वेबसाइट www.cgdteraipur.cgstate.gov.in का अवलोकन किया जा सकता है।
उत्तर बस्तर कांकेर / शौर्यपथ / प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सरकार द्वारा चलाई जा रही जनकल्याणकारी योजना का लाभ मिलने से श्रीराम नगर कांकेर निवासी श्रीमती रानी सेन के चेहरे पर नई मुस्कान आ गई है। असंगठित कर्मकार मृत्यु एवं दिव्यांग सहायता योजना के तहत श्रम विभाग के माध्यम से उन्हें एक लाख रुपए की सहायता राशि मृतक की पत्नी के खाते में आॅनलाइन हस्तांतरित किया गया है।
श्रीमती रानी सेन बताती है कि उनके पति संतोष कुमार सेन मजदूरी करते थे, स्वास्थ्य खराब हो जाने के कारण उनका निधन हो गया, ऐसे में परिवार का पूरा जिम्मा रानी सेन पर आ गया। पति के गुजर जाने के बाद परिवार के सभी सदस्यों के भरण पोषण का जिम्मा उठाना एक अकेली महिला के लिए कष्टदायी होता है। पति के दिवंगत हो जाने के पश्चात् परिवार में दो बच्चों की देखरेख, उनकी पढ़ाई का खर्च और घर चलाने की पूरी जिम्मेदारी जब रानी पर आई तो उनका घबराना स्वभाविक था, लेकिन उन्होंने हिम्मत दिखाते हुए जीवन के इस कठिन समय का सामना करने लगी, घर के पालनकर्ता के नहीं रहने पर उनके परिवार के लिए आर्थिक संकट एक बड़ी दुविधा थी। छत्तीसगढ़ शासन की जनहितैशी योजनाओं के कारण रानी सेन और उनके परिवार को इस संकट से मुक्ति मिली। संतोष का श्रमिक पंजीयन होने के फलस्वरुप ही उनकी मृत्यु पश्चात् आश्रित परिवार को एक लाख रुपए की सहायता राशि मिलने में सुविधा हुई, जिसके लिए उन्होंने मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के प्रति आभार जताया। रानी सेन ने बताया कि इस राशि से उनके परिवार को आर्थिक संकट से उबरने में सहायता मिलेगी, वे इस राशि का उपयोग अपने बच्चों की पढ़ाई लिखाई में करेंगी और साथ ही घर की अन्य आवश्यकताओं को पूरा करेंगी।
उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री निर्माण श्रमिक मृत्यु एवं दिव्यांग सहायता योजना के तहत पंजीकृत निर्माण श्रमिको की सामान्य मृत्यु एवं दुर्घटना में मृत्यु होने पर एक लाख रूपए तथा दुर्घटना से स्थायी दिव्यांगता होने पर 50 हजार रूप्ए की सहायता राशि दिए जाने का प्रावधान मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की घोषणा के परिपालन में श्रम विभाग द्वारा इस योजना को लागू किया गया है। इसके पूर्व श्रम विभाग द्वारा संचालित विश्वकर्मा दुर्घटना योजना के तहत श्रमिकों की सामान्य मृत्यु पर मात्र 30 हजार रूपए दिए जाने का प्रावधान था, जिसे बढ़ाकर अब एक लाख रूपए की आर्थिक सहायता दिये जाने का प्रावधान किया गया है।
मुंगेली / शौर्यपथ / मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने ग्रामीण भूमिहीन कृषि मजदूरों और पौनी पसारी व्यवस्था से जुडे़ लोगों की चिंता की और उन्हे आर्थिक मदद देने के लिए राजीव गांधी ग्रामीण भूमिहीन कृषि मजदूर न्याय योजना प्रारंभ की है। इस योजना के तहत भूमिहीन मजदूरों और पौनी पसारी व्यवस्था से जुडे़ पंजीकृत परिवारो को प्रतिवर्ष 06 हजार रूपये की आर्थिक सहायता दी जाएगी। इस संबंध में पंजीयन हेतु ग्राम पंचायत स्तर पर शिविर का आयोजन किया जा रहा है। ग्राम पंचायत स्तर पर आयोजित शिविर में भूमिहीन कृषि मजदूरों और पौनी पसारी व्यवस्था से जुडे़ लोगों ने अब तक 10 हजार 806 आवेदन पत्र जमा किये है। इनमें विकास खण्ड मुंगेली के 03 हजार 999, विकास खण्ड लोरमी के 04 हजार 492 और विकास खण्ड पथरिया के 02 हजार 322 आवेदन पत्र शामिल है। कलेक्टर श्री अजीत वसंत ने राजीव गांधी ग्रामीण भूमिहीन कृषि मजदूर न्याय योजना के तहत पंजीयन हेतु आयोजित शिविर में भूमिहीन मजदूरों और पौनी पसारी व्यवस्था से जुडे़ अधिक से अधिक परिवारो को आवेदन पत्र जमा करने का आग्रह किया है। उन्होने बताया कि पंजीयन का कार्य आगामी 30 नवम्बर तक किया जाएगा। उन्होने हितग्राही परिवार को आवश्यक दस्तावेज यथा आधार नंबर, बैक पासबुक के छायाप्रति के साथ आवेदन सचिव, ग्राम पंचायत के समक्ष प्रस्तुत कर सकते है। आवेदन में यथासंभव मोबाईल नंबर का भी उल्लेख किया जाएं। हितग्राही परिवार आवेदन की पावती ग्राम पंचायत के सचिव से प्राप्त कर सकते है। उन्होने बताया कि यदि किसी हितग्राही परिवार के पास आधार नंबर नहीं है तब मैदानी अमलों के द्वारा ऐसे हितग्राही परिवारों को भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण यूआईडीएआई में पंजीयन हेतु प्रोत्साहित किया जाए।
मुंगेली / शौर्यपथ / कोविड-19 सुरक्षा कवच के लिए कलेक्टर श्री अजीत वसंत के निर्देश पर टीकाकरण का कार्य तीव्रगति से किया जा रहा है। टीकाकरण का कार्य निर्धारित टीकाकरण केंद्र में किया जा रहा है। जहाॅ बड़ी संख्या में 18 वर्ष और 18 वर्ष से अधिक आयु वर्ग की महिलाएं, पुरूष, युवा तथा बुजुर्ग स्वप्रेरणा से कोविड-19 प्रोटोकाल का पालन करते हुए निःशुल्क टीका लगवा रहे है। इसी कड़ी में आज 26 अक्टूबर को शाम 06.30 बजे तक 05 हजार 245 लोगों ने टीका लगवाया। इनमें मुंगेली राजस्व अनुभाग के 01 हजार 458, पथरिया राजस्व अनुभाग के 02 हजार 45 और लोरमी राजस्व अनुभाग के 1 हजार 742 लोग शामिल है। इसे मिलाकर जिले में अब तक 3 लाख 72 हजार 824 लोगों ने कोविड-19 का टीका लगवा कर टीकाकरण के प्रति भरोसा जताया।
श्री ललित चतुर्वेदी, उप संचालक जनसंपर्क
शौर्यपथ लेख / राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव में छत्तीसगढ़ की लोक संस्कृति, लोक गीत, नृत्य और संपूर्ण कलाओं से परिचित होगा देश और विदेश। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में यह आयोजन 28 से 30 अक्टूबर तक किया जा रहा है। राजधानी का साईंस कॉलेज मैदान आयोजन के लिए सज-धज कर तैयार हो चुका है। इस महोत्सव में विभिन्न राज्यों के आदिवासी लोक नर्तक दल के अलावा देश-विदेश के नर्तक दल भी अपनी प्रस्तुति देंगे।
छत्तीसगढ़ राज्य की 5 विशेष पिछड़ी जनजातियों में से एक बैगा जनजाति है। राज्य के कबीरधाम, मंुगेली, राजनांदगांव, बिलासपुर और कोरिया जिले में निवासरत है। बैगा जनजाति अपने ईष्ट देव की स्तुति, तीज-त्यौहार, उत्सव एवं मनोरंजन की दृष्टि से विभिन्न लोकगीत एवं नृत्य का गायन समूह में करते हैं। इनके लोकगीत और नृत्य में करमा, रीना-सैला, ददरिया, बिहाव, फाग आदि प्रमुख हैं। इसी प्रकार दण्डामी माड़िया जनजाति गांेड जनजाति की उपजाति है। सर डब्ल्यू. वी. ग्रिगसन ने अपने प्रसिद्ध ग्रंथ ’द माड़िया जनजाति के सदस्यों द्वारा नृत्य के दौरान पहने जाने वाले गौर सिंग मुकुट के आधार पर ’बायसन हार्न माड़िया‘ जनजाति नाम दिया। प्रसिद्ध मानव वैज्ञानिक वेरियर एल्विन का ग्रंथ ’द माड़िया-मर्डर एंड सुसाइड‘ (1941) दण्डामी माड़िया जनजाति पर आधारित है। बैगा और माड़िया जनजाति के रस्मों-रिवाजों पर आधारित प्रमुख लोक नृत्य इस प्रकार हैं।
’रीना सैला नृत्य‘
बैगा जनजाति का प्रकृति एवं वनों से निकट संबंध है। जिसका बखान इनके लोक संस्कृति में व्यापक रूप से देखने को मिलता है। बैगा जनजाति की माताएं, महिलाएं अपने प्रेम एवं वात्सल्य से देवी-देवताओं और अपनी संस्कृति का गुणगान गायन के माध्यम से उनमें गीत एवं नृत्य से बच्चों को परिचित करने का प्रयास करती है। साथ ही बैगा माताएं अपने छोटे शिशु को सिखाने एवं वात्सल्य के रूप में रीना का गायन करती हैं। वेशभूषा महिलाएं सफेद रंग की साड़ी धारण करती हैं। गले में सुता-माला, कान में ढार, बांह में नागमोरी, हाथ में चूड़ी, पैर में कांसे का चूड़ा एवं ककनी, बनुरिया से श्रृंगार करती हैं। वाद्य यंत्रों में ढोल, टीमकी, बांसुरी, ठीसकी, पैजना आदि का प्रयोग किया जाता है।
सैला बैगा जनजाति के पुरूषों के द्वारा सैला नृत्य शैला ईष्ट देव एवं पूर्वज देव जैसे-करमदेव, ग्राम देव, ठाकुर देव, धरती माता तथा कुल देव नांगा बैगा, बैगीन को सुमिरन कर अपने फसलों के पक जाने पर धन्यवाद स्वरूप अपने परिवार के सुख-समृद्धि की स्थिति का एक दूसरे को शैला गीत एवं नृत्य के माध्यम से बताने का प्रयास किया जाता है। इनकी वेशभूषा पुरूष धोती, कुरता, जॉकेट, पगड़ी, पैर में पैजना, गले में रंगबिरंगी सूता माला धारण करते है। वाद्य यंत्रों में मांदर,ढोल, टीमकी, बांसुरी, पैजना आदि का प्रमुख रूप से उपयोग करते हैं। बोली बैगा जनजाति द्वारा रीना एवं शैला का गायन स्वयं की बैगानी बोली में किया जाता है। यह नृत्य प्रायः क्वार से कार्तिक माह के बीच मनाए जाने वाले उत्सवों, त्यौहारों में किया जाता है।
’दशहेरा करमा नृत्य‘
बैगा जनजाति समुदाय द्वारा करमा नृत्य भादो पुन्नी से माधी पुन्नी के समय किया जाता है। इस समुदाय के पुरूष सदस्य अन्य ग्रामों में जाकर करमा नृत्य के लिए ग्राम के सदस्यों को आवाहन करते हैं। जिसके प्रतिउत्तर में उस ग्राम की महिलाएं श्रृंगार कर आती है। इसके बाद प्रश्नोत्तरी के रूप में करमा गायन एवं नृत्य किया जाता है। इसी प्रकार अन्य ग्राम से आमंत्रण आने पर भी बैगा स्त्री-पुरूष के दल द्वारा करमा किया जाता है। करमा रात्रि के समय ग्राम में एक निर्धारित खुला स्थान जिस खरना कहा जाता है में अलाव जलाकर सभी आयु के स्त्री, पुरूष एवं बच्चे नृत्य करते हुए करते है। अपने सुख-दुःख को एक-दूसरे को प्रश्न एवं उत्तर के रूप में गीत एवं नृत्य के माध्यम से प्रस्तुत करते है।
करमा नृत्य के माध्यम से बैगा जनजाति में परस्पर सामन्जस्य, सुख-दुःख के लेन देन के साथ ही नव युवक-युवतियां भी आपस में परिचय प्राप्त करते है। इस नृत्य में महिला सदस्यों द्वारा विशेष श्रृंगार किया जाता है। जिसमें यह चरखाना (खादी) का प्रायः लाल एवं सफेद रंग का लुगड़ा, लाल रंग की ब्लाउज, सिर पर मोर पंख की कलगी, कानों में ढार, गले में सुता-माला, बांह में नागमोरी, कलाई में रंगीन चूड़िया एवं पैरों में पाजनी और विशेष रूप से सिर के बाल से कमर के नीचे तक बीरन घास की बनी लड़ियां धारण करती हैं, जिससे इनका सौंदर्य एवं श्रृंगार देखते ही बनता है। पुरूष वर्ग भी श्रृंगार के रूप में सफेद रंग की धोती, कुरता, काले रंग की कोट, जाकेट, सिर पर मोर पंख लगी पगड़ी और गले में आवश्यकतानुसार माला धारण करते हैं। वाद्य यंत्रों में मांदर, टिमकी, ढोल, बांसुरी, ठिचकी, पैजना आदि का उपयोग किया जाता है।
’करसाड़ नृत्य‘
दण्डामी माड़िया जनजाति नृत्य के दौरान पहने जाने वाले गौर सिंग मुकुट, बस्तर, दशहरा के अंतिम दिनों में चलने वाले विशालकाय काष्ठ रथ को खींचने का विशेषाधिकार और स्वभाव के लिए प्रसिद्ध है। इस नृत्य में दण्डामी माड़िया पुरूष सिर पर कपड़े की पगड़ी या साफा, मोती, माला, कुर्ता या शर्ट, धोती एवं काले रंग का हाफ कोट धारण करते हैं। वहीं महिलाएं साड़ी, ब्लाउज, माथे पर कौड़िया से युक्त पट्टा, गले में विभिन्न प्रकार की माला और गले, कलाई, पैरों पर बाजार में मिलने वाले सामान्य आभूषण पहनती हैं।
करसाड़ नृत्य के लिए पुरूष सदस्य अपने गले में लटका कर ढोल एवं मांदर का प्रयोग करता है। महिलाएं लोहे के रॉड के उपरी सिरे में लोहे की विशिष्ट घंटियों से युक्त ’गुजिड़‘ नामक का प्रयोग करती है। एक पुरूष सदस्य सीटी का प्रयोग करत है, नृत्य के दौरान सीटी की आवाज से ही नर्तक स्टेप बदलते हैं। नृत्य के प्रदर्शन का अवसर दण्डामी माड़िया जनजाति में करसाड़ नृत्य वार्षिक करसाड़ जात्रा के दौरान धार्मिक उत्सव में करते हैं। करसाड़ दण्डामी माड़िया जनजाति का प्रमुख त्यौहार है। करसाड़ के दिन सभी आमंत्रित देवी-देवाताओं की पूजा की जाती हैं और पुजारी, सिरहा देवी-देवताओं के प्रतीक चिन्हों जैसे-डोला, छत्रा, लाट बैरम आदि के साथ जुलूस निकालते हैं। जुलूस की समाप्ति के पश्चात् शाम को युवक-युवतियां अपने विशिष्ट नृत्य पोषाक में सज-सवरकर एकत्र होकर सारी रात नृत्य करते हैं।
’मांदरी नृत्य‘
दंडामी माड़िया जनजाति नृत्य के दौरान पहने जाने वाले गौर सिंग मुकुट, बस्तर दशहरा के अंतिम दिनों में चलने वाले विशालकाय काष्ठ रथ को खींचने का विशेषाधिकार और स्वभाव के लिए प्रसिद्ध है। दंडामी माड़िया जनजाति के सदस्य नृत्य के दौरान पहने जाने वाले गौर सिंग मुकुट को माड़िया समुदाय के वीरता तथा साहस का प्रतीक मानते हैं।
इस नृत्य की वेशभूषा में दंडामी माड़िया पुरूष सिर पर कपड़े की पगड़ी या साफा, मोती माला, कुर्ता या शर्ट, धोती एवं काले रंग का हाफ कोट धारण करते हैं। वहीं महिलाएं साड़ी, ब्लाउज, माथे पर कौड़ियों से युक्त पट्टा, गले में विभिन्न प्रकार की माला और गले, कलाई, पैरों पर बाजार में मिलने वाले सामान्य आभूषण पहनी हैं। वाद्य यंत्र मांदरी नृत्य के लिए पुरूष सदस्य अपने गले में लटकाकर ढोल एवं मांदर वाद्य का प्रयोग करते हैं। महिलाएं लोहे के रॉड के उपरी सिरे में लोहे की विशिष्ट घंटियों से युक्त ‘गुजिड़’ का प्रयोग करती हैं। एक पुरूष सदस्य सीटी का प्रयोग करता है, नृत्य के दौरान सीटी की आवाज से ही नर्तक स्टेप बदलते हैं।
यह नृत्य दंडामी विवाह, मेला-मंड़ई, धार्मिक उत्सव और मनोरंजन के अवसर पर किया जाता है। विवाह के दौरान अलग-अलग गांवों के अनेक नर्तक दल विवाह स्थल पर आकर नृत्य का प्रदर्शन करते हैं। जिसके बदले में उन्हें ‘लांदा’ (चावल की शराब) और ‘दाड़गो’ (महुए की शराब) दी जाती हैं। दंडामी माड़िया जनजाति के सदस्यों का मानना है कि गौर सिंग नृत्य उनके सामाजिक एकता, सहयोग और उत्साह में वृद्धि करता है। वर्तमान में दंडामी माड़िया जनजाति का गौर सिंग नृत्य अनेक सामाजिक तथा सांस्कृतिक आयोजनों में भी प्रदर्शन के लिए आमंत्रित किया जाता है।
राजनैतक षणयंत्र व ईसारे पर लगातार दर्ज किए जा रहे हैं संगीन मामले
विजय शर्मा को जमानत न मिले इसलिए रचे जा रहे राजनैतिक दबाव में षड़यंत्र: अनिल*
दुखहरण सिंह ठाकुर की रिपोर्ट...
कवर्धा। शौर्यपथ । शासन-प्रशासन एवं कवर्धा विधायक व मंत्री एक तरफ शांति, सद्भाव और आपसी भाईचारा की बात करते हुए झंडा विवाद मामले में निष्पक्ष कार्यवाही का दम भर रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ विजय शर्मा व अन्य लोगों के विरूद्ध झंडा विवाद मामले में झूठा अपराध दर्ज कर अब उनके खिलाफ राजनैतिक दबाव में ऐसा षणयंत्र रचा जा रहा है जिससे उन्हें न्यायालय से जमानत का लाभ न मिल सके। इसके लिए शासन, प्रशासन तथा यहां के विधायक न सिर्फ साम, दाम, दण्डभेद की नीति अपना रहे हैं वहीं प्रशासनिक अधिकारियों पर भी दबाव बनाया जा रहा है। उक्त बातें जिला भाजपा अध्यक्ष ठा़ अनिल सिंह ने जारी बयान में कहीं। उन्होने कहा कि झंडा विवाद मामले में कवर्धा कोतवाली पुलिस ने भाजपा नेता विजय शर्मा व अन्य के खिलाफ धारा 148, 149, 153 क 188, 295, 332, 353, भादवि की धारा 109 व लोक संपत्ति की क्षति की धारा 3 के तहत मामला दर्ज किया गया है। श्री सिंह ने कहा कि लगभग इन्हीं धाराओं में झंडा विवाद मामलों में पूर्व में गिरफ्तार करीब 77 अन्य लोगों को न्यायालय से जमानत का लाभ मिल चुका है। जिसे देखते हुए इस बात की पूरी संभावना थी कि दूसरों की तरफ विजय शर्मा व अन्य लोगों को भी मामले में जमानत का लाभ मिल सकता है। लेकिन विजय शर्मा व अन्य के मामले में जिस तरह का राजनैतिक षणयंत्र रचा जा रहा है उससे साफ जाहिर है कि शासन, प्रशासन तथा यहां के विधायक नहीं चाहते की उन्हें जमानत का लाभ मिले। यही वजह है कि गत 23 अक्टूबर को विजय शर्मा के विरूद्ध जिला खाद्य अधिकारी से दबाव पूर्वक एक अन्य मामला उनके खिलाफ कवर्धा कोतवाली में दर्ज करा दिया गया। जिसमें कोतवाली पुलिस ने भी राजनैतिक दबाव में विजय शर्मा व अन्य के विरूद्ध अपराध क्रमांक 824/2021 धारा 294, 506, 186, 34 ताहि 3-1 (एस) एसटी, एससी एक्ट 1989 के तहत मामला पंजीबद्ध कर लिया। जबकि जिला खाद्य अधिकारी ने जिस घटना को लेकर कवर्धा कोतवाली में मामला दर्ज कराया है वह घटना 21 सितम्बर की बताई जा रही है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि आखिर इतने दिनो तक जिला खाद्य अधिकारी ने मामला क्यों दर्ज नहीं कराया। निश्चित रूप से यह मामला द्वेश भावना पूर्वक सिर्फ इसलिए दर्ज कराया गया है क्योंकि विजय शर्मा को जमानत का लाभ न मिल सके।
नहीं पेश की गई न्यायालय में डायरी
जिला भाजपा अध्यक्ष ठा़ अनिल सिंह ने यह भी खुलासा किया कि झंडा विवाद मामले में पक्षकार द्वारा न्यायालय में जमानत के लिए अर्जी लगाई है जिस पर 25 अक्टूबर को सुनवाई थी लेकिन पुलिस विभाग द्वारा जानबूझ कर मामले से संबंधित डायरी पेशी दिनांक को न्यायालय में पेश नहीं की गई। जिसे पर न्यायालय ने पुलिस प्रशासन को नोटिस भी जारी किया है।
न्यायालय पर भरोषा
श्री सिंह ने कहा की भले ही शासन, प्रशासन और यहां के विधायक जितना भी जोर लगा लें लेकिन हमें न्याय और न्यायालय पर पूरा भरोसा है। इसी विश्वास के दम पर विजय शर्मा व अन्य लोगों ने न्यायालय में समर्पण किया था। उन्होने कहा कि जल्द ही तय हो जायेगा कि कौन सच्चा है और कौन झूठा है।
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धमतरी /शौर्यपथ/
छत्तीसगढ़ शासन की महत्ती राजीव गांधी ग्रामीण भूमिहीन कृषि मजदूर न्याय योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्र के मूल निवासी भूमिहीन कृषि मजदूर परिवारों से गत एक सितम्बर से आवेदन लिए जा रहे हैं। योजना के तहत अब तक जिले के चारों जनपद पंचायतों के 370 ग्राम पंचायतों में कुल 21 हजार 350 आवेदन मिले हैं। भू-अभिलेख शाखा से मिली जानकारी के मुताबिक इनमें जनपद पंचायत कुरूद के 108 ग्राम पंचायतों में छः हजार 219, नगरी के 102 ग्राम पंचायतों में चार हजार 807, धमतरी के 94 ग्राम पंचायतों में छः हजार 378 और जनपद पंचायत मगरलोड के 66 ग्राम पंचायतों में तीन हजार 946 आवेदन मिले हैं। ज्ञात हो कि हितग्राही परिवार का पंजीयन 30 नवम्बर तक किया जाएगा।
धमतरी /शौर्यपथ/
देश के आजादी की 75 वीं वर्षगांठ के मौके पर जिले में 25 अक्टूबर से विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। इसी कड़ी में 27 अक्टूबर को पुरखा के सुरता थीम पर कलेक्टोरेट में जिले के स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों से संबंधित तीन दिवसीय छायाचित्र प्रदर्शनी जनसम्पर्क विभाग द्वारा लगाई जाएगी। इसके अलावा हमर संस्कृति हमर विरासत थीम पर 1947 से अब तक के पुरातात्विक धरोहर/75 वर्ष से अधिक पुराने शासकीय भवनों का दस्तावेजीकरण किया जाएगा।