August 03, 2025
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शौर्यपथ

शौर्यपथ

धमतरी /शौर्यपथ/

देश की आजादी की 75 वीं वर्षगांठ ’अमृत महोत्सव’ के तहत धमतरी जिले में ’आजादी के पुरोधा’ थीम पर आगामी 30 अक्टूबर को सांस्कृतिक संध्या का आयोजन किया जाएगा। महानदी के तट पर स्थित रूद्रेश्वर महादेव मंदिर, रूद्री में आयोजित इस कार्यक्रम के सफल संचालन के लिए कलेक्टर श्री पी.एस.एल्मा ने अधिकारियों को दायित्व सौंपा है। उन्होंने संयुक्त कलेक्टर  ऋषिकेश तिवारी को सांस्कृतिक संध्या कार्यक्रम का सहायक नोडल अधिकारी नियुक्त किया है, जिनके निर्देशन में सहायक आयुक्त आदिवासी विकास और जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा समन्वय स्थापित कर कार्य संपादित किया जाएगा।

कलेक्टोरेट से मिली जानकारी के मुताबिक कार्यक्रम स्थल पर टेंट, पंडाल, बैरीकेट और बैठक की व्यवस्था का दायित्व कार्यपालन अभियंता लोक निर्माण विभाग को सौंपा गया है। इसी तरह मंच पर अतिथियों के लिए सेक्टरवार बैठक की व्यवस्था तहसीलदार धमतरी द्वारा की जाएगी। आमंत्रण कार्ड छपाई, कार्यक्रम स्थल पर पेयजल की व्यवस्था कार्यपालन अभियंता लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग, सम्पूर्ण कार्यक्रम में विद्युत आपूर्ति की व्यवस्था कार्यपालन अभियंता विद्युत विभाग और कार्यक्रम स्थल पर साउंड सिस्टम विद्युत एवं जनरेटर की व्यवस्था अनुविभागीय अधिकारी लोक निर्माण विभाग/विद्युत यांत्रिकी द्वारा की जाएगी। कार्यक्रम स्थल की साफ-सफाई एवं मोबाइल टॉयलेट का दायित्व आयुक्त, नगरपालिक निगम धमतरी और कार्यक्रम स्थल तक कलाकारों एवं स्कूली बच्चों को लाने तथा ले जाने के लिए वाहन की व्यवस्था की जिम्मेदारी जिला परिवहन अधिकारी और मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत धमतरी की होगी।
इसी तरह कार्यक्रम के लिए बुके, फूलमाला की व्यवस्था सहायक संचालक उद्यानिकी, कार्यक्रम स्थल पर आवश्यक चिकित्सा एवं मास्क और सेनेटाइजर की व्यवस्था मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी द्वारा की जाएगी। कार्यक्रम के अतिथियों के लिए स्वल्पाहार और कार्यक्रम स्थल पर छत्तीसगढ़ व्यंजनों का स्टॉल महिला समूहों द्वारा लगाया जाएगा, जिसकी जिम्मेदारी जिला कार्यक्रम अधिकारी, महिला एवं बाल विकास विभाग की होगी। मीडिया सेक्टर की व्यवस्था एवं सम्पूर्ण कार्यक्रम का फोटो एवं वीडियोग्राफी की जिम्मेदारी उप संचालक जनसम्पर्क तथा मुख्य अतिथियों के लिए स्मृति चिन्ह, शॉल-श्रीफल की व्यवस्था सहायक आयुक्त, आदिवासी विकास, मंच संचालन एवं उद्घोषक की व्यवस्था जिला शिक्षा अधिकारी और कलाकारों के लिए स्मृति चिन्ह एवं प्रशस्ति पत्र की व्यवस्था उप संचालक समाज कल्याण तथा सहायक संचालक कौशल विकास द्वारा की जाएगी।

रायपुर /शौर्यपथ/

छत्तीसगढ़ में 28 अक्टूबर से शुरू हो रहे राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव में भाग लेने आज उज्बेकिस्तान के नृत्य कलाकारों का दल दिल्ली पहुंच चुका है। दिल्ली से कलाकारों का यह दल जल्द ही रायपुर पहुंचेगा। इससे पहले विदेशी कलाकारों की टीम का छत्तीसगढ़ पहुंचना शुरू हो गया है। सबसे पहले नाइजीरिया के कलाकार रायपुर पहुंचे हैं। महोत्सव में भाग लेने वाली लगभग सभी टीमें 27 अक्टूबर तक रायपुर पहुंच जायेंगी। 28 अक्टूबर को इन कला दलों के मार्चपास्ट के साथ भव्य एवं आकर्षक राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव का आगाज होगा। तीन दिनों तक चलने वाला आदिवासी नृत्य महोत्सव, विदेशी और देशी कलाकारों के संगम से विविध कला रंगों में सराबोर, भव्य और काफी मनोरंजक होगा।

रायपुर / शौर्यपथ/

छत्तीसगढ़ शासन के नगरीय प्रशासन विकास एवं श्रम मंत्री डॉ. शिवकुमार डहरिया ने आज यहां रायपुर में उनके निवास में आये विभिन्न क्षेत्रीय प्रतिनिधियों एवं जन सामान्य से भेंट, मुलाकात कर क्षेत्र में हो रहे कार्यों के संबंध में चर्चा की। डॉ. डहरिया ने जन सामान्य से भेंट के दौरान उनकी विभिन्न समस्याओं की जानकारी ली एवं उन्हें हर संभव निराकरण के लिए उन्हें आश्वस्त किया। डॉ. डहरिया ने विभिन्न हितग्राहियों को लाभान्वित भी किया।

  मंत्री डॉ डहरिया ने अपने निवास पर लोगों से भेंट मुलाकात के दौरान हितग्राहियों को समाज कल्याण विभाग की दिव्यांगजन विवाह प्रोत्साहन योजना के हितग्राहियों को चेक प्रदान किया। हितग्राहियों में रायपुर जिले के आरंग विकासखण्ड के कोटनी ग्राम की  सहोद्री बर्मन और चन्द्रशेखर बर्मन को एक लाख रूपए की राशि का चेक प्रदान किया। रानीसागर के  चन्द्रशेखर साहू एवं उर्मिला साहू को 50 हजार रूपए, नवागांव की  अनिला टोन्डे और छन्नूलाल बांधे को एक लाख रूपए और कागदेही के  गोपेन्द्र कुमार सोनकर और  कौशिल्या सोनकर को 50 हजार रूपए की राशि का चेक प्रदान किया। इसी तरह से नकटी कुम्हारी (तिल्दा) की श्रीमती गायत्री निषाद और  भगवान सिंह को 50 हजार रूपए की राशि का चेक दिव्यांगजन विवाह प्रोत्साहन योजना के तहत प्रदान किया।

भारत में हजारों वाटरफॉल है। वाटरफॉल को झरना और जल प्रपात भी कहते हैं। बारिश में इन झरनों को देखना बहुत ही शानदार अनुभव रहता है। यदि आप मॉनसून में घूमने का प्लान बना रहे हैं तो हमारे बताए टॉप 10 झरनों में से कहीं भी एक जगह जरूर घुमने जाएं।

 

1. धुआंधार झरना : यह स्थान मध्यप्रदेश के जबलपुर के पास भेड़ाघाट में है। यहां के वाटरफॉल को धुआंधार जल प्रपात कहते हैं जो लगभग 10 मीटर की ऊंचाई से नीचे गिरता है। यह प्रसिद्ध जल प्रपात बहुत ही सुंदर संगमरमर की दो पहाड़ियों के बीच से निकलता है। इसकी छटा अनुपम है और पानी के गिरने की आवाज दूर तक सुनाई देती है। पानी जब नीचे गिरता है तो उपर तक उझाल मारता है जिसके चलते ही इसे धुआंधार करते हैं। जहां पर यह वाटरफॉल है वहां पर सफेद संगमरमर के दो पहाड़ों के के बीच नर्मदा नदी बहती है। नर्मदा में नौका-विहार करने का रोमांच ही कुछ और है।
2. कुंचिकल झरना : कुंचिकल जलप्रपात कर्नाटक के शिमोगा जिले में मस्थीकट्टे के पास निदगोडु गांव में स्थित है। इस झरने की ऊंचाई 455 मीटर (1493 फीट) है। यह भारत के सबसे ऊंचे झरनों में से एक है। कुंचिकल झरने को स्थानीय लोग कुंचिकल अब्बे के नाम से भी जानते है। वराही नदी के साथ बहने वाली अन्य कई नदियां मानसून के दौरान यहां के कई झरनों के संग मिल जाती है। इसलिए मानसून में हम कुंचिकल झरने के आसपास और कई छोटे झरने बहते देखते हैं। यहां का सबसे करीबी एयरपोर्ट बेंगलुरु है। कर्नाटक के ही शिमोगा में स्थित एक और बरकाना झरना 259 मीटर ऊंचा है। यह झरना भी सीता नदी के द्वार पश्चिमी घाट के पहाड़ों से ही नीचे गिरता है। इसी जिले में शरावती नदी द्वारा 253 मीटर की ऊंचाई पर एक झरना गिरता है जिससे जोग फॉल्स कहते हैं।

3. बरेहिपानी झरना : उड़ीसा के मयूरभंज में सिम्पलीपाल नेशनल पार्क में 399 मीटर की ऊंचाई से गिरता है बरेहिपानी झरना। इसे भारत का दूसरा सबसे ऊंचा झरना माना जाता है। पूर्वी घाट की पर्वतमाला मेघासुनी पर्वत के बुद्धाबलंगा का नदी से निकलने वाला यह झरना बहुत ही मनोरम है। इसी झरने के बगल में एक और झरना है, जिसका नाम जोरंडा झरना है।

4. मेघालय के झरने : नोहकालीकई झरना पूर्वोत्तर भारत के मेघालय राज्य में पूर्वी खासी हिल्स जिला में स्थित है। यह लगभग 340 मीटर ऊंचा है और यहां 12 माह ही बारिश होती रहती है क्योंकि यहां पर मौजूद है चेरापूंजी जहां पर भारत में सबसे ज्यादा बारिश रिकॉर्ड की जाती है। इसलिए यहां का मौसम हमेशा ही सुहावना बना रहता है। निरंतर बारिश की वजह से यहां का झरना हमेशा ही बहता रहता है।
मेघालय में ही इसके अलावा लांगशिआंग झरना है जो लगभग 337 मीटर ऊंचा है। यह पश्चिमी खासी हिल्स जिला में स्थित है। यह झरना ऊंची खांसी पहाड़ी और जंगली रास्तों से नीचे की ओर गिरता है। इसके अलावा नोह्स्न्गीतीआंग झरना पूर्वी खासी हिल्स जिला में स्थित है। यह लगभग 315 मीटर ऊंचा है। इस झरने को सेवेन सिस्टर वाटरफॉल या मांसमाई फॉल के नाम से भी जाना जाता हैं क्योंकि यह झरना सात भागों में बंटा हुआ है जो मांसमाई गांव से लगभग 1 किलोमीटर दूर है। एक अन्य झरना काईनरेम झरना मेघालरय के चेरापूंजी में ही पूर्वी खासी हिल पर एक और झरना है जो लगभग 305 मीटर ऊंचा है। चेरापूंची से लगभग 12 किलोमीटर दूर यहां पर थांगखारंग पार्क भी मौजूद है। क्यन्रएं झरना भी यहां मौजूद है।
5. दूधसागर झरना : यह झरना भारतीय राज्य गोवा के पश्‍चिमी मंडोवी नदी से निकलता है जो कि पश्चिमी घाट के पहाड़ों के ऊपर से गिरता है। यह लगभग 320 मीटर ऊंचा है और इस झरने के पास ही भगवान महावीर अभ्यारण भी मौजूद है। यह झरना गोआ की राजधानी पणजी से 60 कीलोमीटर दूर कर्नाटक और गोवा राज्य के बॉर्डर पर मौजूद है।

6. मीनमुट्टी झरना : यह झरना केरल के वायनाड जिले में पश्चिमी घाट पर स्थित है। केरल पश्चिमी घाट के प्राकृतिक सुरम्यता से घिरा हुआ है। केरल में स्थित ये झरना 300 मीटर तक ऊंचा हैं।
7. थलईयार झरना : तमिलनाडु थेणी जिले के देवाधानापट्टी में थालाईयार झरना भारत के कुछ सबसे सुंदर झरना में से गिना जाता है जो लगभग 297 मीटर ऊंचा है।

8. पचमढ़ी के झरने : झरनों के लिए आप मध्यप्रदेश के पचमड़ी में जाएं यहां बहुत सारी झरने हैं। रजत प्रपट पचमढ़ी का सबसे बड़ा और खूबसूरत झरना है। 106 फीट ऊंचा ये झरना पचमढ़ी में सबसे जायदा देखे जाने वाली जगहों में से एक है। इसके बाद बी फॉल झरना है, यह एक 35 मीटर ऊंचा झरना है, जो दिखने में बेहद सुंदर है। रजत प्रपात के रास्ते में, अप्सरा एक छोटा झरना है जिसका पानी एक तालाब में जमा होता है। यह जगह पचमढ़ी के सबसे लोकप्रिय पर्यटन स्थल बी फॉल में आने से पहले कुछ शांत समय के लिए रुकने के लिए आदर्श है।

9. रांची : रांची को झरनों का शहर कहा जाता है। यहां जिले में पर अनगिनत झरने बहते हैं। रांची में जोन्हा जलप्रपात खास लोकप्रिय है जो पुरुलिया राजमार्ग पर स्थित रांची से 45 किमी दूर स्थानीय गांव जोन्हा में स्थित है। इसके अलावा यहां पर हुंडरू जलप्रपात, दशम जलप्रपात, सीता जलप्रपात, पंचघाघ और हिरणी जलप्रपात भी देखने लायक है।

10. चित्रकूट झरना : छत्तीसगढ़ में बस्तर संभाग के चित्रकूट में भी बहुत ऊंचाई से झरना गिरता है। जगदलपुर से 39 किमी दूर इन्द्रावती नदी पर यह जलप्रपात बनता है। इस जल प्रपात की ऊंचाई 90 फीट है। हालांकि इस झरने की चौड़ाई ज्यादा है।

 /हेल्थ टिप्स /शौर्यपथ/ कंप्यूटर पर लगातार आठ से दस घंटे काम करके कुछ लोग कई तरह के रोगों का शिकार हो जाते हैं या फिर तनाव व थकान से ग्रस्त रहते हैं। निश्‍चित ही कंप्यूटर पर लगातार आंखे गड़ाए रखने के अपने नुकसान तो हैं ही इसके अलावा भी ऐसी कई छोटी-छोटी समस्याएं भी पैदा होती है, जिससे हम जाने-अनजाने लड़ते रहते हैं। तो आओ जाने की इन सबसे कैसे बचा जाए।

 

10 नुकसान :
1. स्मृति दोष
2. दूर दृष्टि कमजोर पड़ना
3. चिड़चिड़ापन और तनाव
4. पीठ दर्द
5. शारीरिक थकान
6. मानसिक थकान
7. भ्रम
8. दिमागी द्वंद्व
9. कब्ज
10. अनिद्रा

5 बचाव :
1. आपका कंप्यूटर आपकी आंखों के ठीक सामने रखा हो। ऐसा न हो की आपको अपनी आंखों की पुतलियों को ऊपर उठाए, दाएं या बाएं घुमाकर लगातर रखना पड़ रहा हो। ऐसे में जरा सिस्टम जमा लें।
2. कंप्यूटर को आंखों से कम से कम 3 फिट दूर रखना चाहिए।

3. कंप्यूटर पर काम करते वक्त अपनी सुविधानुसार हर 5 से 10 मिनट बाद 20 फुट दूर देखें। इससे दूर ‍दृष्‍टि बनी रहेगी।

4. स्मृति दोष से बचने के लिए अपने दिनभर के काम को रात में उल्टेक्रम में याद करें।

5. जो भी खान-पान है उस पर पुन: विचार करें।

10 योगा टिप्स :
1. आंखों की सुरक्षा और थकान मिटाने के लिए सुबह ध्यान और रात में सोते वक्त योग निद्रा का अभ्यास करें।
2. अंग संचाल के अंतर्गत आंखों की एक्सरसाइज करें। जैसे आंखों की पुतलियों को दाएं-बाएं और ऊपर-नीचे ‍नीचे घुमाते हुए फिर गोल-गोल घुमाएं। इससे आंखों की मांसपेशियां मजबूत होंगी।

3. पीठ दर्द से निजात के लिए दाएं-बाएं बाजू को कोहनी से मोड़िए और दोनों हाथों की अंगुलियों को कंधे पर रखें। फिर दोनों हाथों की कोहनियों को मिलाते हुए और सांस भरते हुए कोहनियों को सामने से ऊपर की ओर ले जाते हुए घुमाते हुए नीचे की ओर सांस छोड़ते हुए ले जाएं। ऐसा 5 से 6 बार करें ‍फिर कोहनियों को विपरीत दिशा में घुमाइए।

4. गर्दन को दाएं-बाएं, फिर ऊपर-नीचे नीचे करने के बाद गोल-गोल पहले दाएं से बाएं फिर बाएं से दाएं घुमाएं। बस इतना ही। इसमें सांस को लेने और छोड़ने का ध्यान जरूर रखें।

5. आसनों में ताड़ासन, अर्ध-मत्स्येन्द्रासन, ब्रह्म मुद्रा, नौकासन और विपरीत नौकासन।

6. प्राणायामों में नाड़ी शोधन और कपालभाति प्राणायाम करें।

7. ध्यान में आप करें विपश्यना या फिर सिर्फ ध्यान दें सांसों के आवागमन पर। गहरी-गहरी सांस लें और छोड़ें। और इस लेने और छोड़ने की क्रिया पर ही पूरा ध्‍यान केंद्रित कर इसका मजा लें।
8. आठ घंटे कार्य करने के दौरान जब भी समय मिले तो या तो झपकी ध्यान करें। अर्थात 2 मिनट की झपकी ले लें

9. आप झपकी ध्यान नहीं कर सकते हैं तो हर एक घंटे के बाद हाथों की हथलियों से अपनी आंखों को 1 मिनट के लिए बंद रखें। इस दौरान गहरी श्वास लें और छोड़े।

10. आप नेति क्रिया भी कर सकते हैं। जैसे सूतनेति और जलनेति करें। इससे आंखों की दृष्टि तेज होती है।

मेडिटेशन को ही ध्यान लगाना कहते है, इसे दिनचर्या का हिस्सा बनाकर रोजाना करने से कई फायदे होते हैं। अगर अभी तक आपने मेडिटेशन को अपने रूटीन में शामिल नहीं किया है तो, ये 13 फायदे जानने के बाद आप कल से ही इसे अपनी दिनचर्या में शामिल कर लेंगे -


1 मेडिटेशन, मन अशांत रहने पर उसके निष्क्रिय पड़े हुए भागों को उपयोग में लाने योग्य बनाता है।

2 अनुभव की क्षमता को सूक्ष्म करने की एक प्रक्रिया है ध्यान।

3 यदि आपको भूलने की आदत है तो ध्यान आपके लिए बहुत उपयोगी है।

4 गुस्सैल प्रवृत्ति के लोगों का मन शांत करने में कारगर है भावातीत ध्यान।


5 निर्णय न ले पाने वाले भी इसे अपनी जिंदगी में शामिल कर सकते हैं।

6 हृदयरोग की रोकथाम के लिए उत्तम औषधि के समान है।

7 मन की चंचलता को नियंत्रित करता है।

8 दीर्घायु बनाने में इसकी अहम उपयोगिता है।

9 शांति, सामर्थ्य, संतोष, शांति, विद्वत्ता और सभी आवश्यकताओं को पूरा करता है भावातीत ध्यान।

10 चाहें तो ध्यान के समय कुछ फूल आस-पास रखें, कोई सुगंधित वस्तु का छिड़काव कर दें, अगरबत्ती जला दें।

11 रात्रि के भोजन से पहले ही ध्यान के लिए बैठें। प्रातःकाल सूर्योदय से पहले ध्यान करें।

12 ढीले वस्त्र पहनकर ध्यान करें।

13 महिलाएं यदि चाहें तो भावातीत ध्यान किसी शिक्षक के द्वारा भी सीख सकती हैं। चाहें तो मेडिटेशन सेंटर में भी आप इसे सीख सकती हैं।

सौंफ के सेवन करने से कई सारी समस्याओं में लाभ मिलता है। मुंह की दुर्गंध को कम करना, पेट संबंधी समस्या, पाचन शक्ति बढ़ाने में मदद करना, पेट में हो रही जलन को खत्म

 करना जैसी बीमारियों में छुटकारा दिलाने में मदद करती है। सौंफ में मौजूद फाइबर मोटापा कम करने में मदद करता है। इसके लिए सौंफ का पानी पिया जाता है। अभी तक सौंफ के अलग-अलग प्रकार से फायदे सुने होंगे लेकिन सौंफ की चाय भी बनाई जाती है। यह सुनने में थोड़ा अजीब हो सकता है। लेकिन सौंफ की चाय के गजब के फायदे है आइए जानते हैं साथ ही विधि भी -

सौंफ की चाय बनाने की विधि -

- सबसे पहले दो कप पानी लें।
- एक चम्मच सौंफ के बीज डालकर उसे उबालें।
- चाय में थोड़ा-सा शहद भी मिलाएं।
आपकी चाय तैयार है।

स्वाद के लिए आप चाहे तो इसमें पुदीना भी मिला सकते हैं।

आइए, अब जानते हैं सौंफ की चाय के फायदे -

- सौंफ और सौंफ की चाय दोनों पेट के लिए रामबाण इलाज है। इसकी चाय पीने से गैस और सूजन को खत्म करने में मदद मिलेगी। पाचन तंत्र ठीक होगा।
- एसिडिटी, गैस, डायरिया, पेट दर्द में बहुत आराम मिलता है।
- पीरियड्स के दौरान सौंफ की चाय पीने से पेट दर्द में आराम मिलता है।
- बॉडी का ब्लड प्यूरीफाई करने में भी मदद करता है।
- लिवर और किडनी को प्‍यूरी फाई करने में मदद करता है।
- बॉडी पर जमा एक्‍स्‍ट्रा वसा को कम करने में मदद करता है। इससे आपका वजन तेजी से कम होगा।

रायपुर /शौर्यपथ/

 

छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा आदिवासियों एवं वनाश्रितों के जीवन में बदलाव लाने के लिए शुरु की गई विभिन्न योजनाओं ने आदिवासी क्षेत्रों में विश्वास के वातावरण की बहाली हुई है। प्रदेश के ऐसे क्षेत्रों में शांति, विकास और समृद्धि के नये वातावरण का निर्माण हुआ है। वनभूमि अधिकार पत्र वितरण करने, लघु वनोपज संग्रहण करने, उनका वैल्यू एडीशन करने, तेंदूपत्ता संग्राहकों की आय में बढ़ोतरी करने, लघु धान्य फसलों का समर्थन मूल्य घोषित करने जैसे कदमों से राज्य शासन ने आदिवासी क्षेत्रों में विकास के नये दरवाजे खोल दिए हैं।

वनवासियों को वन भूमि अधिकार पट्टा देने के मामले में छत्तीसगढ़ पूरे देश में अव्वल राज्य है। छत्तीसगढ़ में अब तक 04 लाख 41 हजार 500 से अधिक लोगों को व्यक्तिगत वन अधिकार पत्र वितरित किए जा चुके हैं। इसके माध्यम से 03 लाख 60 हजार 6 सौ हेक्टेयर से अधिक भूमि का अबंटन किया गया है। 2 हजार 617 ग्राम सभाओं को सामुदायिक वन संसाधन अधिकार दिए गए हैं। इनके माध्यम से 10 लाख 60 हजार 738 हेक्टेयर क्षेत्र में वनवासी ग्रामीणों को वन संसाधन का अधिकार प्राप्त हुआ है।

वन अधिकार पट्टा धारकों वन अधिकार पट्टा धारकों के जीवन को खुशहाल बनाने के लिए राज्य शासन द्वारा भूमि समतलीकरण, मेड़ बांधन, सिंचाई सुविधा के साथ-साथ खाद-बीज एवं कृषि उपकरणों संबंधी सहायता भी उपलब्ध कराई जाती है। तेंदूपत्ता और लघु वनोपज संग्रहण के जरिये वनवासियों की आय में बढ़ोतरी की गई है। लघु वनोपजों के वैल्यू एडीशन के लिए 139 वन धन केंद्रों का संचालन राज्य में किया जा रहा है। इनके अलावा सुराजी गांव योजना के तहत गांव-गांव में बने गोठानों में भी वैल्यू एडीशन किया जा रहा है। वनक्षेत्रों में लघु वनोपजों एवं वनौषधियों से तैयार उत्पादों की बिक्री वन विभाग के संजीवनी काउंटर के साथ-साथ निजी दुकानों में भी की जा रही है। हाल ही में शुरु की गई श्री धन्वंतरी जैनेरिक मेडिकल स्टोर्स योजना के तहत प्रदेश में खोले गए मेडिकल स्टोरों में भी इन उत्पादों की बिक्री की जा रही है। ये उत्पाद अमेजन और फ्लिपकार्ट जैसे ऑनलाइन प्लेटफार्मों के माध्यम से भी देशभर में बेचे जा रहे हैं।


ये उत्पाद अमेजन और फ्लिपकार्ट जैसे ऑनलाइन प्लेटफार्मों के माध्यम सेकोरोना संकट काल में भी राज्य में लघु वनोपज और तेंदूपत्ता संग्रहण का काम चलता रहा। तेंदूपत्ता संग्रहण का कार्य इस वर्ष, यानी 2021 में भी सुचारू रूप से चल रहा है। 12 लाख 14 हजार से ज्यादा संग्राहकों से 13 लाख मानक बोरा तेंदूपत्ता संग्रहण कर उन्हें 520 करोड़ रुपए का भुगतान किया गया है। तेंदूपत्ता संग्रहण दर में बढ़ोतरी किए जाने से वर्ष 2019 में 13 लाख 51 हजार से ज्यादा परिवारों को 225 करोड़ 75 लाख रुपए की अतिरिक्त आय तेंदूपत्ता संग्रहण के समय ही प्राप्त हुई थी। वर्ष 2019 में लाभ में रही 595 समितियों के 8 लाख 34 हजार से ज्यादा संग्राहकों को 70 करोड़ 88 लाख रुपए के बोनस का भुगतान हाल ही में किया गया।

वर्ष 2018 के लिए भी 728 समितियों के 11 लाख 48 हजार संग्राहकों को 232 करोड़ रुपए का भुगतान सीधे उनके बैंक खातों में पिछले साल किया गया था। तेंदूपत्ता संग्राहकों को सामाजिक सुरक्षा देने के लिए राज्य में शहीद महेंद्र कर्मा तेंदूपत्ता सामाजिक सुरक्षा योजना संचालित की जा रही है। इस योजना के अंतर्गत 12 लाख 50 हजार परिवारों को सामाजिक सुरक्षा कवच प्राप्त है। राज्य शासन द्वारा समर्थन मूल्य पर खरीदे जाने वाले लघु वनोपजों की संख्या 07 से बढ़ाकर अब 52 कर दी गई है। इसके अलावा कोदो-कुटकी-रागी जैसी लघु धान्य फसलों का भी समर्थन मूल्य शासन द्वारा घोषित कर दिया गया है। इन फसलों का भी वैल्यू एडीशन स्थानीय स्तर शुरु करने के लिए यूनिटों की स्थापना की गई है। राजीव गांधी किसान न्याय योजना के तहत खरीफ की सभी फसलों, उद्यानिकी की फसलों, वृक्षारोपण के साथ-साथ कोदो-कुटकी और रागी बोने वाले किसानों को भी लाभान्वित किया जा रहा है।

महासमुंद /शौर्यपथ/

सहायक उपकरण वितरण योजना अंतर्गत जिले में विभिन्न श्रेणी के पात्र दिव्यांगजनों को उपकरण प्रदाय कर उन्हें लाभान्वित किया जा रहा है। दिव्यांगजनों के लिए सहायक उपकरण, सहायक अंगों, ट्रायसायकल, श्रवण यंत्र, बैसाखी सहित स्वरोजगार के लिए ऋण अनुदान सहायता राशि उपलब्ध कराया जाता है। जिससे उन्हें रोजगार एवं स्वरोजगार के लिए काफी मदद मिलती है।

24 अक्टूबर को राष्ट्रीय विधिक प्राधिकरण (नालसा ) नई दिल्ली के तत्वावधान एवं छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के मार्गदर्शन में आजादी का अमृत महोत्सव के तहत अखिल भारतीय जागरूकता एवं आउटरीच अभियान के अंतर्गत ’मेगा लीगल सर्विस कैम्प’ का आयोजन जिला कर्यालय सहित जिले के सभी विकासखण्ड मुख्यालय में आयोजित किया गया।

इस दौरान जिला कार्यालय में समाज कल्याण विभाग द्वारा सहायक उपकरण वितरण योजना के अंतर्गत अस्थिबाधित दिव्यांग  अर्जुन टांडे को बैटरी चलित ट्रायसायकल उपलब्ध कराया गया। अर्जुन टांडे ने बताया कि वे बागबाहरा विकासखण्ड के ग्राम देवरी में रहते है। वे अपने परिवार के भरण-पोषण के लिए आर्थिक सहयोग भी करते है। इसके लिए वे किराना स्टोर्स का संचालन करते है। उन्होंने बताया कि किराना स्टोर्स उनके घर से 4-5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। जहां आने-जाने में समस्या होती है।  टांडे बताते है कि आवाजाही में समस्या की वजह से वे बैटरी चलित ट्रायसायकल के लिए समाज कल्याण विभाग को आवेदन किया था। जिसके उपरांत मुझे यह बैटरी चलित ट्रायसायकल कुछ दिनों बाद मिल गई। ट्रायसायकल मिलने से अब मैं कहीं भी आसानी से आना-जाना कर सकता हूँ तथा दूसरों पर निर्भरता भी कम होगी। श्री टांडे ने बताया कि राज्य शासन द्वारा संचालित सहायक उपकरण वितरण योजना हम जैसे दिव्यांगजनों के लिए वरदान साबित हो रही है। वे इसे पाकर बहुत खुश है और इसके लिए उन्होंने जिला प्रशासन और समाज कल्याण विभाग को धन्यवाद ज्ञापित किया है।

महासमुंद /शौर्यपथ/

आज सोमवार को महासमुंद के बरोंडा बाजार स्थित बड़ौदा आरसेटी महासमुंद नगरीय क्षेत्र में स्थित सभी बैंकों द्वारा क्रेडिट आउटरीच कैंप का आयोजन किया गया। कैम्प में नगरीय क्षेत्र में स्थित विभिन्न बैंकों द्वारा 200 हितग्राहियों को 23 करोड़ 63 लाख रुपए के ऋण स्वीकृत किए गए, उन्हें स्वीकृति पत्र प्रदान किए गए। कार्यक्रम की अध्यक्षता बैंक ऑफ बड़ौदा धमतरी क्षेत्र के क्षेत्रीय प्रबंधक श्री सुनील चतुर्वेदी ने की। इस मौक़े पर नाबार्ड के डिस्टिक डेवलपमेंट मैनेजर श्री प्रियव्रत साहू अतिथि के रूप में उपस्थित थे।

यह लोन आउटरीच क्रेडिट कैंप छत्तीसगढ़ राज्य बैंकर्स कमेटी रायपुर से प्राप्त निर्देश के तत्वावधान में ग्राहकों को त्यौहारी सीजन में सुविधा पूर्वक ऋण उपलब्ध कराने के लिए बड़ौदा आरसेटी के कैंपस में जिला अग्रणी बैंक प्रबंधक श्री अनुराग श्रीवास्तव एवं बड़ौदा आरसेटी के डायरेक्टर श्री संजीव प्रकाश के नेतृत्व में संपन्न हुआ।

त्रीय प्रबंधक श्री सुनील चतुर्वेदी कहा कि महासमुंद जिला में कृषि आधारित व्यापार और कुटीर उद्योगों को बढ़ावा दिया जा सकता है। जिले की बड़ी आबादी बैंकों से जुड़ी है, साथ ही बचत खाता और चालू खाता भी विभिन्न बैंकों में आम ग्रामीणों और व्यवसायियों द्वारा संचालित हैं। जिले के किसान, महिलाएं, सीमांत किसान, नए छोटे व्यवसाय करने वाले, पीएमइजीपी से जुड़े ग्रामीण तथा ठेले खोमचे इत्यादि स्वरोजगार से जुड़े आम ग्रामीणों को बैंकों के माध्यम से वित्तीय सहायता देकर आर्थिक गतिविधियों को मुख्यधारा में पहुंचाया जा सकता है। छोटे बड़े व्यवसाय के लिए और नए रोजगार सृजन के लिए बैंक लोन देकर जिले को आर्थिक रूप से सशक्त बना सकता है। उन्होंने कहा कि इस दिशा में बैंकों को तकनीकी एप्रोच की बजाय सरल भाषा और आम जनता की समझ के मुताबिक वित्तीय साक्षरता द्वारा बैंकिंग प्रणाली और बैंकिंग सुविधाओं की जानकारियां दें।

कैंप के दौरान ऋण स्वीकृति पत्र प्रदान करने में भारतीय स्टेट बैंक बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ बड़ौदा एवं पंजाब नेशनल बैंक का योगदान काफी अच्छा रहा। भारतीय स्टेट बैंक ने रुपए 6.27 करोड़ के 64 ऋण स्वीकृति पत्र, बैंक ऑफ इंडिया ने रुपए 9.16 करोड़ के 23 ऋण स्वीकृति पत्र, बैंक ऑफ बड़ौदा ने रुपए 2.19 करोड़ के 37 ऋण स्वीकृति पत्र एवं पंजाब नेशनल बैंक ने रुपए 1.92 करोड़ के 29 ऋण स्वीकृति पत्र वितरित किए।

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