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ज्योतिष शास्त्र/शौर्यपथ / ज्योतिष शास्त्र में शनि को कर्मफल दाता माना जाता है। अंक ज्योतिष में शनि का संबंध नंबर 8 से बताया गया है। जिन लोगों का जन्म की तारीख का मूलांक 8 होता है, उन पर शनि देव की कृपा दृष्टि होती है। 8, 17 और 26 तारीख का मूलांक 8 होता है। इस बर्थ डेट वाले जातक कर्म प्रधान होते हैं। जानिए मूलांक 8 वालों का स्वभाव व व्यक्तित्व-
अंक ज्योतिष के अनुसार, मूलांक 8 वाले लोग स्वभाव से गंभीर होते हैं। इन्हें हर विषय की जानकारी होती है। ये दिखावे में विश्वास नहीं करते हैं। ये अपनी मेहनत के दम पर सफलता हासिल करते हैं। ये जिद्दी स्वभाव के होते हैं। एक बार जो ठान लेते हैं, वह करके ही दम लेते हैं। इन्हें चापलूसी पसंद नहीं होती है। मूलांक 8 वाले लोग ज्यादातर शनि ग्रह से जुड़े व्यापार करते हैं।
अंक ज्योतिष के मुताबिक, इस मूलांक के लोगों को इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑटोमोबाइल, तेल और लोहे की वस्तुओं से जुड़े व्यापार करने पर अपार सफलता हासिल होती है। इस मूलांक के लोग कड़ी मेहनत करके सफलता हासिल करते हैं क्योंकि इन्हें भाग्य का साथ कम मिलता है।
मूलांक 8 वालों की लव लाइफ-
मूलांक 8 वालों की लव लाइफ में कई दिक्कतें आती हैं। इन्हें वैवाहिक जीवन में उतार-चढ़ाव का सामना करना पड़ता है। यह जिद्दी स्वभाव के होने के कारण अपने रिश्ते खुद ही खराब कर लेते हैं। मूलांक 8 वालों की शादी में भी विलंब होता है। इस मूलांक के लोगों की मूलांक 3,4,5,7 और 8 वालों से ज्यादा बनती हैं।
मूलांक 8 वालों की आर्थिक स्थिति-
इस मूलांक के लोगों की आर्थिक स्थिति मजबूत होती है। ये लोग बेवजह धन खर्च करना पसंद नहीं करते हैं।
महासमुंद / शौर्यपथ / फर्जी पत्रकारों की बाढ़ ससी आ गयी है प्रदेश के अधिकतर इलाको में कोई पोर्टल के नाम से पत्रकारिता कर रहा तो कोई ऐसे ऐसे न्यूज़ पेपर के नाम से पत्रकार बना घूम रहा जिसका जमीनी स्तर पर कोई अस्तित्व ही नहीं . ऐसे पत्रकारों को ना खबरों से नाता रहता ना ही खबरों की दुनिया में सक्रीय रहते है बस एक कार्ड बनवा लिए और शुरू हो जाते है वसूली के धंधे में , गलत कामो में क्योकि बचाव के लिए रखते है एक प्रेस कार्ड किन्तु ऐसे फर्जी लोगो के कारण वो तमाम पत्रकार भी शक की नजर से देखे जाते है जो जमीनी स्तर पर कार्य करते है .
ऐसे ही एक मामले का खुलासा हुआ जहाँ प्रेस कार्ड के दम पर अवैध कार्य को अंजाम देने का कार्य भिलाई के तीन कथित पत्रकार कर रहे थे मामला है महासमुंद जिले का महासमुंद के पुलिस अधीक्षक प्रफुल्ल कुमार ठाकुर ने जुआ/सट्टा, अवैध शराब, अवैध गांजा परिवहन आदि संदिग्ध गतिविधयों पर रोक लगाने एवं उनके विरुद्ध कार्यवाही करने हेतु जिले के समस्त थाना एवं चौकी प्रभारियों को निर्देशित किया गया था। जिसके तहत् थाना सिंघोडा क्षेत्रों में ऐसे गतिविधियों पर निगाह रखी जा रही थी कि इसी दौरान अन्तर्राज्यीय चेक पोस्ट रेहटीखोल में डियुटी पर तैनात आरक्षक सुशान्त बेहरा द्वारा थाना में फोन कर सूचना दिया गया कि एक भूरे रंग की सेन्ट्रो कार उडीसा की ओर से तेजी से सरायपाली की ओर जा रही है। रोकने का प्रयास करने के बाद भी नही रूकी। सूचना पर एनएच 53 रोड रियाज ढाबा के सामने नाकाबंदी कर उडीसा की ओर से आने वाले वाहनों की चेकिंग किया जा रहा था उसी दौरान एक भूरे रंग की होण्डाई सेन्ट्रो कार CG 07 9877 उडीसा की ओर से आया जिसे रोका गया वाहन में व्यक्ति सवार मिले पुछताछ पर कार में सवार एक व्यक्ति के द्वारा अपने आप को दबंग दुनिया का पत्रकार बताते हुये पुलिस पार्टी के साथ बहस करने लगा। पुलिस पार्टी के द्वारा वाहन की तलाशी देने कहने पर पत्रकारिता का धौंस दिखाते हुयी पुलिस पार्टी के साथ उलझने लगा जिसे पुलिस पार्टी के द्वारा समझाईश देकर वाहन की तलाशी लिया गया।
वाहन के आगे पीछे प्रेस लिखा हुआ मिला। वाहन की डिक्की की तलाशी लेने पर 50 पैकेटों में भरा अवैध मादक पदार्थ गांजा वजनी 50 किलो कीमती 05 लाख रूपये रखा मिला। एनडीपीएस एक्ट के प्रावधानों के तहत विधिवत कार्यवाही कर आरोपीगणों को गिरप्तार किया जाकर एनडीपीएस एक्ट के तहत अपराध पंजीबध्द कर विवेचना में लिया गया है। यह सम्पूर्ण कार्यवाही पुलिस अधीक्षक प्रफुल्ल कुमार ठाकुर के मार्गदर्शन में अति0 पुलिस अधीक्षक श्रीमती मेघा टेम्भुरकर साहू एवं अनु.अधिकारी(पु) सरायपाली विकास पाटले के निर्देशन में थाना प्रभारी सिंघोडा उप निरीक्षक चन्द्रकांत साहू, सउनि सनातन बेहरा, प्र0आर0 नवीन भोई एवं थाना सिंघोडा स्टाफ के टीम द्वारा किया गया। आरोपी:-रजनीश पाण्डे पिता मुन्नालाल पाण्डे उम्र 32 साल साकिन सेक्टर 11 वार्ड नंबर 32 1/F गली नंबर 52 जोन 2 खुर्सीपार थाना खुर्सीपार भिलाईनगर दुर्ग (कथित पत्रकार दबंग दुनिया)। धनंजय श्रीवास्तव पिता स्व0 अनिरूध्द कुमार श्रीवास्तव उम्र 46 साल साकिन BMY हाउसिंग बोर्ड कालोनी चरौदा क्वाटर नंबर 03 थाना भिलाई 03 जिला दुर्ग। धनानंद बेहरा पिता पानु बेहरा उम्र 29 साल साकिन सेक्टर 11 वार्ड नंबर 36, 5/F गली नंबर 20 जोन 1 खुर्सीपार भिलाई थाना खुर्सीपार जिला दुर्ग।विनोद महोबिया पिता स्व0 भुरेलाल महोबिया उम्र 47 साल साकिन BMY हाउसिंग बोर्ड कालोनी चरौदा क्वाटर नंबर 03 थाना भिलाई 03 जिला दुर्ग। जप्त संपत्ति का विवरण-1. 50 किलो ग्राम अवैध मादक पदार्थ गांजा कीमती 5,00000 रूपये,एक भुरा रंग की होण्डाई सेन्ट्रो कार क्रमांक CG 07 9877,कीमती 100000 रूपये,नगदी रकम 2100 रूपये,04 नग मोबाईल कीमती 5500 रूपये,जुमला कीमती 60,7600 रूपये।
शौर्य की बातें / क्षमा चाहूंगा आजकल की पीढ़ी दिग्भ्रमित है उनका विवेक नष्ट हो चुका है। अच्छाई बुराई का अंतर आज का अधिकतर युवा समझ नही पाता। भगवान कृष्ण को विराट अवतार लेना पड़ा क्योकि अर्जुन भ्रमित थे। अर्जुन ने यही सवाल कुरुक्षेत्र में किया था कि मैं अपने परिवार, अपने भाई अपने गुरु अपने पितामह पर कैसे हथियार उठाऊँ?
भगवान श्रीकृष्ण ने उनको शिक्षा दी थी कि कौन यहां तुम्हारा अपना है? तुम किसके अपने हो? आत्मा न पैदा होती है न मरती है। न उसका भाई होता है न पिता। धर्म युद्ध अपना पराया नही देखता।
उनकी आवाज पर अर्जुन को अहसास हुआ कि उसका युद्ध कोई ग्रह कलह का मामला नही है बल्कि एक धर्म युद्ध है।
भगवान कृष्ण ने भाई के हाथों भाई को नही मरवाया, पुण्य के हाथों पाप को खत्म करवाया।
जमदग्नि पुत्र भगवान परशुराम ने गुरु पिता की आज्ञा को धर्म मानकर माता का सर काटने में भी संकोच नही किया। धर्म रक्षा के लिए भगवान गणेश ने पिता से युद्ध किया, विभीषण ने भाई से बैर लिया।
आप सोचो यदि कोई जज न्याय के समय अपना मित्र अपना संबंधी देखकर फैसला करे तो क्या न्याय करेगा? पंच परमेश्वर की शिक्षा ही यही है। क्या बिगाड़ के डर से ईमान की बात ना करोगे?
आपने कहा आप छोटे हो इसलिए बहस नही करोगे तो आपने अपने धर्म का पालन नही किया जो आपका मन आपको धर्म बताता है। संबंध, उम्र, ये सब धर्म की लड़ाई में पीछे छोड़े जाते हैं।
पहले सत्य का साथ बाद में कोई भी बंधन।
हॉ पितामह भीष्म गलत थे, क्योकि धर्म के आगे प्रतिज्ञा का बंधन नगण्य है। जब कुलकलंकी शक्ति प्राप्त कर जाए तो उसकी बात सुनना मानना और अधर्म का साथ देना समान अपराध कहलायेगा।
कसाब आपका अभिन्न मित्र होता भी तो देश पर हमले में उसकी मदद करना मित्रधर्म का पालन तो कहलायेगा पर आंशिक। उसको सही सस्ते पर लाना उसे गलत राह से बचाना अच्छे मित्र का कर्तव्य है न कि गलत काम मे मित्रता के नाम पर सहयोग करना। विभीषण सही थे क्योकि उन्होंने अपने भाई को सही रास्ता दिखाया जो निश्चित कुलनाश से बचा सकता था पर जब रावण ने उसे निष्कासित किया तब धर्म की शरण मे आकर उसने सीता अपहरण का भाग न बनते हुए उस पाप के प्रतिकार का पुण्य कमाया।
कर्ण गलत थे क्योकि अत्याचारी की मदद करने वाला भी अत्याचारी ही कहलाता है। दान का मतलब आतंकी संगठन को परमाणु बम दान नही हो सकता। दान उसको दो जो उसके योग्य हो। कर्ण के सूर्यपुत्र होने के बाद भी सुदपुत्र का लांछन हमको उनसे जोड़ता है। हमदर्दी पैदा करता है लेकिन इस हमदर्दी के कारण उनको सही नही बताया जा सकता। पाप की रक्षा पुण्य भी करे तो मलिन हो जाता है। इसीलिए भगवान कृष्ण ने उनका अंत करवाकर उसका मित्र ऋण उतरवाकर उन्हें मोक्ष प्रदान किया .
लेख - डॉ.सिद्धार्थ शर्मा
शौर्य की बातें / भारत के युवाओं में असीम शक्ति और संभावनाएं हैं। यदि अवसर मिले तो ये भारत को विश्वगुरु बनाने की क्षमता रखते हैं इसमें कोई शक नही। लेकिन भारतीय युवा राजनीतिक धूर्तताओ का शिकार है जिनको ये सिखाते हैं कि पकोड़ा तलना रोजगार है. क्या भारत के संविधान निर्माता ने 70 साल बाद सोचा था कि पकोड़े तलना राष्ट्रीय रोजगार होगा?
वोट कमाए जाते थे आज खरीदे जाते हैं। यदि भारत का युवा शिक्षित कर्मठ और योग्य है तो सिर्फ पकोड़े तलने तक सीमित क्यों है? सिस्टम ही खराब है कह दु तो शायद काफी लोग अफेंड हो जाएंगे. पर नीतियां चाहे राज्य सरकार की हो या केंद्र सभी लोगों के जीवन को ऊंचा उठाने के बजाय सिर्फ जीवन बच पाए तक ही सीमित लगती है।
भिक्षावृत्ति कानूनन अपराध है। ईश्वर के दिये हाथों का अपमान है लेकिन जब किसी वस्तु को उसकी कीमत कम या बिना दिए खरीदा जाता है तब वो स्थिति या तो चोरी है या भीख। क्या आज भी हमारे युवा रोटी, कपड़ा, मकान की निम्नतम जरूरतों में ही उलझे हुए हैं। अगर आज भी मकान दुकान का किराया, बिजली का बिल भरना ही चुनौती है तो भारत विकसित देशों के पूंजीपतियों का मुकाबला कैसे करेगा ,कैसे विश्वगुरु बनेगा?
बिल गेट्स का कथन की भारत को फ़ाइज़र बना नही पायेगा एक दुखद पहलू पेश करता है। जब रोटी दाल ही मिलना असीम आनंद और आलीशान लाइफ का प्रतीक हो तो व्यक्तिगत उत्थान तो दूर की कौड़ी मालूम होती है। छत्तीसगढ़ सरकार ने सभी किसानों का कर्ज माफ कर दिया, और वो चुनाव जीत भी गए। पर उस कर्ज की कीमत किसी न किसी को तो चुकानी होगी। किसान नही तो शिक्षक चुकाएगा, दुकानदार चुकाएगा, मध्यमवर्ग चुकाएगा।
मुफ्त में तो जहर भी नही आता पर चावल 1 या 2 रुपये में मिल जाता है. पर इसकी कीमत पेट्रोल के दामों में नजर आती है महंगी होती वस्तुओं में छिपाई जाती है। छत्तीसगढ़ सरकार के विज्ञापनों से सड़के अटी पटी है जहां 2 रुपये गोबर खरीदने की बात को जोर शोर से उठाया गया है। आप इसपर सहमति जता सकते हैं कम से कम गरीबों को कुछ तो मिल रहा है पर ध्यान से सोचिए। क्या आप अपने बच्चो को इस काम को आगे बढ़ाता देखना चाहेंगे या खुद इसका हिस्सा बनना चाहेंगे?
जो लोग कम कीमतों में या बिना कीमत दिए समान लेते हैं उनकी कीमत कोई और जरूर चुकाता है। जब वस्तु मुफ्त में मिलती है तब व्यक्ति अपनी जरूरतों को पूरी करने की जहमत भी नही उठाता है। 35 किलो मुफ्त मिलता अनाज फिर बिकने पीछे दरवाजे से वापस आ जाता है और कई बार बचा पैसा शराब सेवन में इस्तमाल हो जाता है। तभी तो होम डिलीवरी चालू है सोम रस की ताकि हर परिवार स्वर्ग जैसा बन जाये।
यदि इन मधुशालाओ को आधारकार्ड से लिंक कर दिया जाए तो सरकार हैरान रह जायेगी की 2 रुपये चावल खरीदते लोग 100 रुपये शराब पर लगा रहे हैं। आखिर ये पैसा जनता का है तो इसका इस्तेमाल गरीबो को खरीदने के लिए क्यो होता है? आप गरीबो के हितैषी दिखने के लिए करोड़ो रूपये तो विज्ञापनों में लगा देते हो।
गरीबी का इलाज तब तक संभव नही जब तक इसे बीमारी समझकर इसका इलाज न किया जाए। गरीबो को वोट बैंक समझेंगे और सिर्फ जीने लायक बनाएंगे तो ये क्या नया भारत बनाएंगे? ये मुफ्त में पैसे बांटना बन्द कीजिये, जाति के नाम पर एकाउंट में जमा होता पैसा, किसानों को मिलता पैसा, अनाज ,इलाज के नाम पर मुफ्त सर्विस, इसकी कीमत मध्यमवर्ग ही चुकाता है। हवा भी मुफ्त नही हो सकती किसी को पेड़ लगाना पड़ता है।
वैक्सीन की कमी पड़ी तो फिर सरकार ने खुद को गरीबों का मसीहा दिखाने के लिए एपीएल , बीपीएल और अंत्योदय का कार्ड खेल दिया और जिंदा रहने के हक को अमीर गरीब में बांट दिया। इस वजह से इतना कंफ्यूजन हुआ कि पूछो मत। भाजपा की वैक्सीन बताकर कोवैक्सीन की डोज़ नही ली जिसका खामियाजा सीजी को कोरोना प्रदेश बनाकर चुकाना पड़ा।
पैसे कमाने सरकार को कभी घर घर दारू बेचना पैड रहा या कोरोना के मौके पर रोड सेफ्टी जैसे मैच करवाने पड़े जिसनी सुपर स्प्रेडर का काम किया और कोरोना की दूसरी लहर ने राज्य को घुटनों पर ला दिया।
कहावत है अगर किसी को आम खरीदकर दे दो तो एक दिन खायेगा, अगर आम तोड़ना सीखा दो तो जीवन भर खायेगा। ये नकली गरीब प्रेम दिखाने वाली कांग्रेस सरकार ने ही 10% गरीब जनरल वर्ग को आरक्षण नही लेने दिया ताकि बहुतायत समुदाय नाराज न हो जाये। आज पूरा प्रदेश सरकारी तंत्र से नाराज है। सरकार को जरूरत है अपनी नीतियों पर पुनः विचार करने की और
देश को दुबारा पटरी पर लाने की।
लेख - डॉ. सिद्धार्थ शर्मा
सुपेला भिलाई
शौर्य की बातें / जब लोकतंत्र का निर्माण हुआ था तब पक्ष और विपक्ष की रचना की गई थी इस सोच के साथ कि जब विपक्ष सरकार से सवाल करेगा तो तानाशाही, निरंकुशता पर रोक लगेगी। सरकार से सवाल पूछे जाएंगे तो सरकार अच्छे से अच्छा काम करने की कोशिश करेगी, देश को अपनी पैतृक संपत्ति समझकर राज नही करेगी। एक जिम्मेदार लोकतंत्र के लिए एक सशक्त विपक्ष का होना बहुत जरूरी है। पर अफसोस ये है कि कुछ वर्ग पूरा आशावादी बन बैठा है जिसको हर बात पर कोई छुपा मास्टर स्ट्रोक नजर आता है।
आप अगर हमारे साथ नही तो हमारे खिलाफ हो, ये अहंकार, ये असभ्यता ही तो निरंकुशता की पहचान है। मैं उनको भी सही नही कहूंगा जो हर मुद्दे पर केवल सरकार को कोसते नजर आते हैं। असल में समझदारी की लाइन इन दोनों के बीच है।
अगर हर व्यक्ति एक ही नेता एक ही पार्टी एक ही सिद्धांत को चुन लेगा तो विविधता तो खत्म हो जाएगी और एकरसता आ जायेगी जो सर्वांगीण विकास में निःसंदेह बाधक है। हांजी हांजी के चमचों को पसंद करने वाले अक्सर इन्ही चाटुकारों के बीच घुसे रहते हैं। इनकी दुनिया बहुत छोटी होती है। जब कोई दूसरा पक्ष दिखाता है तो इनका अहंकार गुस्से के रूप में फटकार बाहर आता है।
एक भाई साहब ने तो ये तक कह दिया कि देश के pm का विरोध नही कर सकते? अरे भाई तो विपक्ष क्यो बैठा है संसद में? सबको बाहर कर दीजिए और सारी पावर मोदीजी को दे दीजिए।
ये सुनने में उसी को अच्छा लगेगा जिसे लगता है मोदीजी वही करेंगे जैसे वो चाहता है क्योकि उनकी सोच एक है। यही सोच तो इटली में मुसोलिनी, जर्मनी में हिटलर जैसों को जन्म देती है। ये सभी नेता प्रसिद्ध रहे। निर्विरोध रहे, इनकी अवहेलना इनका अपमान राष्ट्र का अपमान माना जाता था। मिश्र के फराहो राजा को भी देवताओं के द्वारा नियुक्त माना जाता था और विरोध की मनाही थी।
इसी आधार पर आज भी एक किताब है जिस पर शक और शुबह नही की जा सकती। जरा सोचिए आप किस तरह के भारत का निर्माण चाहते हैं? केवल अच्छा अच्छा देखने वाला भी उतना ही समझदार है जितना सिर्फ बुरा बुरा देखने वाला।
आये दिन फेसबुक पर इन दो धड़ों में बहस होती रहती है। मेरी बात सुनो मैं सही, हमारी बात सुनो हम सही, हमारे नेता की बात सुनो हमारा नेता सही। ये तीनो विचार एक ही हैं बस इनका दायरा अलग अलग है। सच बताऊँ तो ये बचपना ही है क्योकि कोई व्यक्ति सम्पूर्ण नही हो सकता। कोई व्यक्ति हर बात हर काम सही नही कर सकता। गुण दोष सभी मे भरा हुआ है। पर जब बात एक राष्ट्र की आती है जिसके अंदर डेढ़ अरब लोग हैं तो गलती की गुंजाइश कम हो जाती है।
जनता मालिक है नौकर नही, हम वोटर है पार्टी के प्रवक्ता नही, अगर मान भी लिया जाए कि हमारा नेता देवतुल्य है तो भी क्या देवताओं ने गलतियां नही की? इसीलिए लोकतंत्र की रक्षा इसी में है कि शक्तिशाली से सवाल किया जाए। जब हमारा नेता सही होगा हम पीछे चलेंगे, जब गलती करेगा तो कुर्सी से उतारना भी हमारा अधिकार है। अपनी इज्जत पहले कीजिये आपके नेता तो इज्जतदार हैं ही।
आप जनता हैं, जनता ही रहिए .
लेख - डॉ. सिद्धार्थ शर्मा - सुपेला भिलाई
शौर्य की बातें / भूलोक पर कोरोना वायरस का तांडव भोलेनाथ के तांडव को भी मात दे रहा है। इससे मृत्यु दर इतनी बढ़ गई है कि यमलोक में जगह कम पड़ने लगी है। वहां हाहाकार मच गया है। कोरोना मरीजों की देखरेख के लिए जैसे चिकित्सालययों की कमी हो गई है। उसी तरह बढ़ती मौतों के कारण यमलोक में यमदूतों की भी कमी हो गयी है। भूलोक में मनुष्यों की बढ़ती मृत्युदर एवं कोरोना वायरस की तीसरे लहर का पूर्वानुमान लगाकर यमराज ने दूरदृष्टि का परिचय देते हुए अविलंब विशेष यमदूतों की भर्ती करने का विज्ञापन जारी किया है।
खास बात यह है कि यमदूतों की भर्ती के लिए शैक्षणिक योग्यता का बंधन नहीं है। बैंक ड्राफ्ट ,पोस्टल आर्डर भेजने की भी आवश्यकता नहीं है। लेकिन आवेदक की कद काठी राक्षसों की तरह भयानक होना अनिवार्य है। साथ ही ‘‘भैंसा वाहन’’ उड़ाने का वैध लाइसेंस भी होना चाहिए। दहेज के नाम पर बहुओं को प्रताड़ित करने, कन्याभ्रूण हत्या में लिप्त महिलाओं के लिए महिला यमदूतों के पद आरक्षित हैं। इसी तरह चिकित्सालयों में मृत मरीजों के जेवर नकदी पार करने में माहिर अधर्मी लोगों को भी प्राथमिकता दी जावेगी। दयालुजनों को आवेदन न करने की सलाह दी गई।
चयनित यमदूतों को मास्क, सेनिटाइजर, पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्यूपमेंट कीट (पी पी ई किट), प्रदान किया जाएगा। कोरोना संक्रमण जानवरों में होने की आशंका को दृष्टिगत रखते हुए भैंस के लिए भी विशेष पी पी किट देने का प्रावधान है। यमदूतों की नियुक्ति कोरोना संक्रमण काल तक के लिए की जावेगी। यद्यपि मानव समुदाय की गलती से उपजे कोरोना वायरस के निकट भविष्य में समाप्त होने की संभावना नहीं है। वैज्ञानिकों के मुताबिक जिस बेरहमी से पर्यावरण और भौगोलिक व्यवस्था को मनुष्य चूर-चूर करने पर तुला है, उससे कोरोना से भी भयानक वायरसों की उत्पत्ति की प्रबल संभावना है।अतः महामारी के बढ़ने की स्थिति में नवनियुक्त यमदूतों की सेवा अवधि में भी वृद्धि की जा सकेगी।
महामारी पीड़ितों को महंगे दामों पर सामग्री बेचकर मुनाफा कमाने वालोें, और नकली जीवन रक्षक दवाईयों के गोरखधंधे में लिप्त इंसानियत के दुश्मनों तथा आक्सीजन, रेमडेसिविर की कालाबाजारी, जीवन रक्षक दवाओं का कृत्रिम संकट पैदा करने वाले मानव रुपी दानवों को चुन चुन कर यमलोक ले जाने की जवाबदारी नवनियुक्त यमदूतों की होगी।
विदित हो कि यमदूत का पद एक निष्कपट, निश्चल ‘‘मजिस्ट्रेट’’ के पद की तरह है, अतःकिसी भी प्रकार से राजनैतिक दबाव, पहुंच, पैसा का दम दिखाने वाले आवेदक को यमदूत पद हेतु अपात्र घोषित किया जावेगा। ऐसी ऊंची पहुंच का रूतबा दिखाने वाले को सूचित किया जाता हैै कि बड़े-बड़े नेता ,मंत्री, संतरी, साधु-संत और समाज के दो मुंहे, दोहरे चरित्र वाले कु-कमिर्यो से नर्क पहले ही ‘‘ओव्हरक्राउडेड’’ है। ऐसे कु-कर्मियों से सिफारिश करवाने के पहले इनकी असलियत को जान लें। यह ऐसे बहूरूपिए लोग हैं जो जीवन भर बड़े पैमाने पर व्यभिचार में लिप्त होते हैं,और बेहतर छवि बनाने हेतु जनता जनार्दन के सामने दान देने का ढोंग करते हैं। हकीकत में ये चोरी तो ‘‘सब्बल’’ की करते हैं और दान ‘‘सुई‘‘ की कर गरीबों के मसीहा के रुप में स्वयं को प्रचारित करते हैं। ऐसे झूठे ,मक्कार ,घूसखोर, मुनाफाखोरों का सत्यानाश करने कोरोना वायरस ने जन्म लिया है।
पृथ्वी की पवित्रता को बनाए रखने हेतु ऐसे कुकर्मियों को जल्द से जल्द भूलोक से यमलोक पहुंचाने का सुनहरा अवसर नव नियुक्त यमदूतों को मिलेगा। इस पुण्य कार्य में सर्वोत्कृष्ट प्रदर्शनकर्ता यमदूतों को ‘‘आउट आफ टर्न प्रमोशन पॉलिसी’’ का लाभ देते हुए यमदूत से देवदूत के पद पर पदोन्नति दी जावेगी।
विजय मिश्रा ‘अमित‘
अति. महाप्रबंधक(जनसंपर्क)
शौर्यपथ लेख / कोरोना महामारी ने देश की अर्थ व्यवस्था को सडक पर ला दिया है . इस कोरोना काल में जहां कई उद्योगपति अपने संपत्ति में इजाफा करते नजर आये है वही गरीबो के लिए राज्य व केंद्र सरकार योजनाये ला कर उनके जीवन को आसान कर रही है . सरकार कितना भी दावा कर ले कि देश में सब ठीक चल रहा है किन्तु ये बिलकुल ही गलत है . वर्तमान में देश एक साल से ज्यादा समय से कोरोना संकट के कारण कई तरह की मुसीबत से गुजर रहा है ऐसे में समाज का एक बड़ा वर्ग आज भी अपने आप को ठगा सा महसूस कर रहा है . ऐसे कई कारण है जिसके कारण देश का बड़ा वर्ग मिडिल क्लास आज कई तरह की परेशानियों से गुजर रहा है किन्तु केंद्र की मोदी सरकार को इनकी कोई चिंता नहीं है . लगातार नौकरिया जा रही है बेरोजगारी दर बढ़ रही है ऐसे में मिडिल क्लास जिसे ना तो गैस में सब्सिडी है , ना राशन फ्री है , ना स्कूल फीस में कोई कमी , ना आय के कोई स्रोत उलटे घर के राज्मर्रा के खर्च , बच्चो की आश्वश्यक ज़रुरतो को पूरी करने की कवायद स्कूलों द्वारा फीस जमा करने का दबाव , बिजिली बिल , राशन का खर्च , ईएमआई का तनाव कई उद्योग का सञ्चालन बंद जिससे मिडिल क्लास जुदा हुआ है जैसे माल का सञ्चालन बंद , ट्रांसपोर्ट में बंदी के कारण कई लोगो का बेरोजगार होना , उद्योगों में छटनी आदि ऐसे कई कारण है जिनके कारण मिडिल क्लास की परेशानिया बढती ही जा रही है किन्तु केंद्र सरकार द्वारा समाज के इस बड़े वर्ग के लिए कोई योजना नहीं है उलटे अपनी सभी जिम्मेदारियों को निभाने का दबाव है .
वर्तमान हालत में मिडिल क्लास ना तो वर्तमान स्थिति के कारण किसी से कर्ज ले पा रहा है ना कोई रोजगार तलाश कर पा रहा है उलटे इस आपदा और लॉक डाउन के फैसलों के कारण कर्जदार अलग हो गया कोई बैंक के किस्तों के क़र्ज़ में दब गया कोई स्कूल फीस के बोझ तले दब गया कोई परिवार की दो वक्त की रोटी के लिए तरस रहा है किन्तु समाज के मिडिल क्लास वर्ग के लिए ना तो राज्य शासन कोई ठोस कदम उठा रही है ना ही केंद्र सरकार शताब्दी बाद आये महामारी के कारण ये तो स्पष्ट हो गया कि किसी भी सरकार को मिडिल क्लास की चिंता नहीं जो ना तो मांग कर खा सकता है ना किसी योजना का हिस्सा बन सकता है और ना कमा कर खा सकता है अपनी ज़रुरतो को पूरा कर सकता है .
क्या राज्यों की सर्कार्कारे और केंद्र की सरकार के लिए मिडिल क्लास सिर्फ वोट बैंक है अब मिडिल क्लास को सोंचना है कि उन्हें कैसी सरकार का चयन करना है क्योकि वर्तमान की केंद्र सरकार जितना कार्य करती है उससे ज्यादा दिखावा करती है राज्य की सरकारे जो भी योजनाये बनाती है उसमे लाभी या तो गरीब वर्ग को होता है या धनवानों को मिडिल क्लास के बारे में आज कोई भी सरकारे ना कुछ सोंच रही है ना जमीनी स्तर पर कोई कार्य कर रही है ऐसे में मिडिल क्लास क्या करे इसका जवाब किसी के पास नहीं ....
रायपुर / शौर्यपथ /
छत्तीसगढ़ सरकार ने आगामी खरीफ सीजन 2021-22 से धान वाले रकबे में धान के बदले अन्य चिन्हित खरीफ फसलों की खेती करने वाले किसानों को प्रति एकड़ के मान से 10 हजार रूपए की इनपुट सब्सिडी दिए जाने का निर्णय लिया है। इससे राज्य में धान के अलावा अन्य फसलों के उत्पादन को प्रोत्साहन मिलेगा। छत्तीसगढ़ सरकार ने खरीफ सीजन 2020-21 में धान तथा 2021-22 से धान के साथ ही खरीफ की सभी प्रमुख फसलों पर प्रतिवर्ष प्रति एकड़ 9000 रूपए इनपुट सब्सिडी देने फैसला लिया है। इसके साथ ही छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा कोदो का समर्थन मूल्य 3 हजार रूपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया है। गौठानों में तैयार सुपर कम्पोस्ट खाद न्यूनतम मूल्य 6 रूपए प्रति किलो की दर से किसानों को उपलब्ध कराई जाएगी।
वर्ष 2020-21 में जिन किसानों ने समर्थन मूल्य पर धान बेचा है, यदि वह धान के बदले कोदो-कुटकी, गन्ना, अरहर, मक्का, सोयाबीन, दलहन, तिलहन, सुगंधित धान, अन्य फोर्टिफाइड धान की फसल लेते हैं अथवा वृक्षारोपण करते हैं तो उन्हें प्रति एकड़ 9 हजार रूपए के स्थान पर 10 हजार रूपए इनपुट सब्सिडी दी जाएगी। वृक्षारोपण करने वालों को तीन वर्षों तक अनुदान मिलेगा।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अध्यक्षता में आज यहां उनके निवास कार्यालय में आयोजित बैठक में मंत्री परिषद उपसमिति के सदस्य कृषि मंत्री श्री रविन्द्र चौबे, वन मंत्री श्री मोहम्मद अकबर, शिक्षा मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम, खाद्य मंत्री श्री अमरजीत भगत उपस्थित थे। इसके अतिरिक्त मुख्यमंत्री के सलाहकार प्रदीप शर्मा, मुख्य सचिव अमिताभ जैन, अपर मुख्य सचिव सुब्रत साहू, कृषि उत्पादन आयुक्त डॉ. एम. गीता, खाद्य सचिव डॉ. कमलप्रीत सिंह, वित्त सचिव श्रीमती अलरमेल मंगई डी, मुख्यमंत्री के सचिव सिद्धार्थ कोमल परदेशी, सचिव कृषि अमृत खलको, राजस्व सचिव सुश्री रीता शांडिल्य उपस्थित थीं।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अध्यक्षता में आयोजित इस बैठक में राजीव गांधी किसान न्याय योजना का आगामी खरीफ सीजन 2021-22 से दायरा बढ़ाते हुए इसमें धान के साथ-साथ खरीफ की सभी प्रमुख फसलों मक्का, सोयाबीन, गन्ना, कोदो-कुटकी, अरहर के उत्पादकों को भी प्रतिवर्ष 9 हजार रूपए प्रति एकड़ की दर से इनपुट सब्सिडी देने का निर्णय लिया गया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि खरीफ सीजन 2020-21 में धान के रकबे वाले खेतों में यदि किसानों द्वारा आगामी खरीफ सीजन 2021-22 से अन्य चिन्हित फसलों की खेती की जाती है, तो उन्हें 10 हजार रूपए की इनपुट सब्सिडी प्रति एकड़ के मान से दी जाएगी। खेतों में पेड़ लगाने वाले किसानों को आगामी तीन वर्ष तक प्रतिवर्ष 10 हजार रूपए की इनपुट सब्सिडी दी जाएगी।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कृषि विभाग को राजीव गांधी किसान न्याय योजना के तहत धान के बजाए अन्य फसलों की खेती पर प्रति एकड़ के मान से किसानों को दी जाने वाली 10 हजार रूपए की इनपुट सब्सिडी, गोधन न्याय योजना के तहत गौठानों में वर्मी कम्पोस्ट के साथ-साथ अब सुपर कम्पोस्ट खाद के उत्पादन एवं इसके विक्रय मूल्य एवं लाभ का व्यापक प्रचार-प्रसार करने को कहा ताकि राज्य के ज्यादा से ज्यादा किसान इसका फायदा उठा सकें।
बैठक में कृषि विभाग के पंजीयन पोर्टल में धान के साथ साथ अन्य फसलों के पंजीयन के लिए इस पोर्टल को अपग्रेड करने, खरीफ फसलों की गिरदावरी के संबंध में भी विस्तार से चर्चा की गई और संबंधित विभाग के अधिकारियों को इसका एक्शन प्लान तैयार करने के निर्देश दिए गए।
गोबर उत्पादित खाद Óसुपर कम्पोस्टÓ
बैठक में गोधन न्याय योजना के तहत गौठानों में वर्मी कम्पोस्ट के साथ साथ अब अतिशेष गोबर से आर्गेनिक मेन्योर खाद के उत्पादन एवं इसके विक्रय को लेकर भी विस्तार से चर्चा की गई। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने अतिशेष गोबर से तैयार होने वाली आर्गेनिक मैन्योर खाद को सुपर कम्पोस्ट नाम दिया और इसकी मार्केटिंग की तत्काल व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश दिए।
यहां यह उल्लेखनीय है कि गोधन न्याय योजना के तहत 20 जुलाई 2020 से राज्य के ग्रामीण अंचलों में सुराजी गांव योजना के तहत पशुधन के संरक्षण और संवर्धन के लिए गौठानों का निर्माण किया गया है। इन गौठानों में 2 रूपए किलो की दर से गोबर की खरीदी की जा रही है और इससे महिला स्व सहायता समूहों के माध्यम से बडे पैमाने पर वर्मी कम्पोस्ट खाद का निर्माण भी किया जा रहा है। गौठानों में अतिशेष गोबर से सुपर कम्पोस्ट खाद का उत्पादन भी किया जा रहा है। अतिशेष गोबर से तैयार की जाने वाली आर्गेनिक मैन्योर खाद, जिसे सुपर कम्पोस्ट नाम दिया गया है। यह खाद वास्तव में बेसल डोज खाद है। जिसे गोबर की कम्पोस्टिंग कर तैयार किया जाता है। यह बेहतर गुणवत्ता वाली खाद है, जिसका उपयोग किसान खेती में कर सकेंगे। यह खाद किसानों को न्यूनतम मूल्य 6 रूपए प्रति किलो की दर से उपलब्ध कराई जाएगी।
-मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की घोषणा से मिली किसानों को सिंचाई की संजीवनी, 1988 में आरंभ होने के बाद यह यूनिट केवल तीन साल चली थी और फिर टूट-फूट के चलते बंद थी
-मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भाठागांव सिंचाई उद्वहन योजना की टूटफूट की मरम्मत कर इसे पुन: आरंभ करने दिये थे निर्देश, साढ़े पांच करोड़ रुपए की प्रशासकीय स्वीकृति से मरम्मत का कार्य समाप्ति पर
-इस खरीफ पाटन ब्लाक के तीन गाँवों जामगाँव आर, बोरवाय तथा औरी एवं गुंडरदेही ब्लाक के तीन गाँव भाठागाँव, रनचिरई एवं जरवाय के किसानों को मिल पाएगा खरीफ तथा रबी के लिए पानी
-कलेक्टर डॉ. सर्वेश्वर नरेंद्र भुरे ने जलसंसाधन विभाग के अधिकारियों को दिये जून के प्रथम सप्ताह तक काम समाप्त करने के निर्देश
दुर्ग / शौर्यपथ / मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्देश पर जलसंसाधन विभाग की ऐसी संरचनाओं का जीर्णोद्धार हुआ है जिनसे बरसों से एक भी बूँद सिंचाई के लिए किसानों को नसीब नहीं हुई थी। ऐसी ही एक परियोजना है भाठागाँव लिफ्ट इरीगेशन स्कीम। वर्ष 1989 में यह योजना आरंभ हुई थी और 1992 में नहर में टूट फूट होने की वजह से बंद हो गई थी। इसके चलते छह गाँवों को खरीफ फसल के दौरान मिलने वाली सिंचाई की सुविधा बाधित रही।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस बजट में इस योजना के जीर्णोद्धार की स्वीकृति दी और इसके लिए पाँच करोड़ 51 लाख रुपए की प्रशासकीय स्वीकृति दी गई। जलसंसाधन विभाग ने सिविल वर्क पूरा कर लिया है। भूमिसमतलीकरण का कार्य अभी चल रहा है और इलेक्ट्रिकल वर्क से संबंधित कार्य जारी है। कलेक्टर डॉ. सर्वेश्वर नरेंद्र भुरे ने आज योजना की प्रगति का निरीक्षण किया। अधिकारियों ने बताया कि जून में यह कार्य पूरा कर लिया जाएगा। कलेक्टर ने कहा कि योजना से संबंधित इलेक्ट्रिकल मशीनरी वाले कार्य को जून के प्रथम सप्ताह तक पूरा कर लें। योजना से खरीफ फसल में किसानों को तो सहायता मिले ही, रबी में भी किसानों को सहायता मिल पाए।
जलसंसाधन विभाग के कार्यपालन अभियंता सुरेश पांडे ने बताया कि योजना से 1538 हेक्टेयर खेतों में सिंचाई हो सकेगी। इससे पाटन ब्लाक के तीन गाँव लाभान्वित होंगे। इसमें जामगांव आर, बोरवाय और औरी में 818 हेक्टेयर खेतों की सिंचाई हो सकेगी। इसके साथ ही गुंडरदेही ब्लाक के भाठागांव, रनचिरई, जरवाय में 720 हेक्टेयर में सिंचाई हो सकेगी। पांडे ने बताया कि रबी फसल में भी एक बार का पानी किसानों को दे सकेंगे जिससे चने आदि की फसल लेने में किसानों को आसानी होगी। इस दौरान सहायक कलेक्टर हेमन्त नंदनवार और एसडीएम विपुल गुप्ता भी उपस्थित थे।
पुरानी संरचनाओं की मरम्मत से सिंचाई का रकबा बढ़ रहा- मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्देश पर अनेक ऐसी सिंचाई योजनाओं को संजीवनी मिल गई है जो थोड़ी सी मरम्मत की दरकार के चलते पूरी तरह अनुपयोगी हो गई थीं। बहुत सी ऐसी नहरों में इस बार गाद निकाली गईं जिनमें गाद की वजह से लंबे क्षेत्र में नहर अनुपयोगी रह गई थीं और किसानों की सिंचाई बुरी तरह प्रभावित हो रही थी।
दुर्ग / शौर्यपथ / पाटन के स्वास्थ्य केंद्र में आज ब्लड स्टोरेज यूनिट का शुभारंभ हुआ। नगर पंचायत अध्यक्ष भूपेंद्र कश्यप के हाथों यूनिट का शुभारंभ हुआ। इस दौरान कलेक्टर डॉ. सर्वेश्वर नरेंद्र भुरे एवं मुख्यमंत्री के ओएसडी आशीष वर्मा भी उपस्थित थे। शुभारंभ के मौके पर कलेक्टर डॉ. सर्वेश्वर नरेंद्र भुरे ने कहा कि ब्लड स्टोरेज यूनिट पाटन के नागरिकों के लिए काफी उपयोगी होगा। अब इन्हें जिला मुख्यालय की ओर रूख नहीं करना पड़ेगा। इससे सबसे अधिक लाभ क्रिटिकल मरीजों को होगा जिन्हें तुरंत ही ब्लड स्टोरेज यूनिट से लाभ दिया जा सकेगा।
इस संबंध में जानकारी देते हुए बीएमओ डॉ. आशीष शर्मा ने बताया कि ब्लड स्टोरेज यूनिट आरंभ होने से पाटन के नागरिकों को काफी सहूलियत मिल सकेगी। इसके पहले ब्लड के लिए दुर्ग जाना पड़ता था। अब जिला चिकित्सालय स्थित मदर स्टोरेज यूनिट से जरूरत के मुताबिक स्टाक रखा जा सकेगा। उन्होंने बताया कि महीने में अमूमन हर दूसरे दिन ब्लड की जरूरत होती है जिसके लिए दुर्ग से संपर्क किया जाता है। अब यह समस्या दूर हो जाएगी।हीमोफिलिया, सिकल सेल आदि बीमारी से पीडि़त लोगों के लिए भी यह सुविधा काफी लाभप्रद होगी। इसके साथ ही सीजेरियन डिलीवरी आदि में भी यह सुविधा काफी उपयोगी होगी। डॉ. शर्मा ने बताया कि इसके संचालन के लिए लैब टेक्नीशियन श्वेता भारद्वाज की नियुक्ति की गई है।
इस दौरान जीवनदीप समिति के सदस्य अरविंद भारद्वाज, सोहन बघेल तथा अन्य गणमान्य अतिथि मौजूद थे। साथ ही एसडीएम विपुल गुप्ता, जनपद सीईओ मनीष साहू भी इस अवसर पर उपस्थित थे।