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धर्म संसार / शौर्यपथ / प्रभु यीशु के जन्म की ख़ुशी में मनाया जाने वाला क्रिसमस का त्योहार पूरी दुनिया में मनाया जाता है। यह त्योहार कई मायनों में बेहद खास है। क्रिसमस को बड़ा दिन, सेंट स्टीफेंस डे या फीस्ट ऑफ़ सेंट स्टीफेंस भी कहा जाता है। प्रभु यीशु ने दुनिया को प्यार और इंसानियत की शिक्षा दी। उन्होंने लोगों को प्रेम और भाईचारे के साथ रहने का संदेश दिया। प्रभु यीशु को ईश्वर का इकलौता प्यारा पुत्र माना जाता है। इस त्योहार से कई रोचक तथ्य जुड़े हैं। आइए जानते हैं इनके बारे में।
क्रिसमस ऐसा त्योहार है जिसे हर धर्म के लोग उत्साह से मनाते हैं। यह एकमात्र ऐसा त्योहार है जिस दिन लगभग पूरे विश्व में अवकाश रहता है। 25 दिसंबर को मनाया जाने वाला यह त्योहार आर्मीनियाई अपोस्टोलिक चर्च में 6 जनवरी को मनाया जाता है। कई देशों में क्रिसमस का अगला दिन 26 दिसंबर बॉक्सिंग डे के रूप मे मनाया जाता है। क्रिसमस पर सांता क्लॉज़ को लेकर मान्यता है कि चौथी शताब्दी में संत निकोलस जो तुर्की के मीरा नामक शहर के बिशप थे, वही सांता थे। वह गरीबों की हमेशा मदद करते थे उनको उपहार देते थे। क्रिसमस के तीन पारंपरिक रंग हैं हरा, लाल और सुनहरा। हरा रंग जीवन का प्रतीक है, जबकि लाल रंग ईसा मसीह के रक्त और सुनहरा रंग रोशनी का प्रतीक है। क्रिसमस की रात को जादुई रात कहा जाता है। माना जाता है कि इस रात सच्चे दिल वाले लोग जानवरों की बोली को समझ सकते हैं। क्रिसमस पर घर के आंगन में क्रिसमस ट्री लगाया जाता है। क्रिसमस ट्री को दक्षिण पूर्व दिशा में लगाना शुभ माना जाता है। फेंगशुई के मुताबिक ऐसा करने से घर में सुख समृद्धि आती है। पोलैंड में मकड़ी के जालों से क्रिसमस ट्री को सजाने की परंपरा है। मान्यता है कि मकड़ी ने सबसे पहले जीसस के लिए कंबल बुना था।
0 छत्तीसगढ़ की रजत जयंती एवं एनएमसी के तत्वावधान में हुआ कार्यक्रम, 127 प्रतिभागियों ने लिया हिस्सा
राजनांदगांव। शौर्यपथ/ स्व. अटल बिहारी वाजपेयी स्मृति मेडिकल कॉलेज, राजनांदगांव में मंगलवार 14 अक्टूबर 2025 को छत्तीसगढ़ की रजत जयंती वर्ष एवं राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) के तत्वावधान में रेबीज विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया।
इस कार्यक्रम का उद्देश्य जनमानस एवं चिकित्सा समुदाय में रेबीज जैसी घातक बीमारी के प्रति जागरूकता बढ़ाना था। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि कॉलेज के डीन डॉ. पी.एम. लूका थे। आयोजन का संचालन चिकित्सा विभाग द्वारा किया गया, जिसके विभागाध्यक्ष डॉ. एन.के. तिर्की थे।संगोष्ठी में एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. प्रकाश खुंटे, डॉ. धीरज भवाननी, डॉ. धनंजय ठाकुर एवं डॉ. आशीष दुलानी उपस्थित रहे।
इस अवसर पर अतिथि वक्ता के रूप में एम्स की अतिरिक्त प्रोफेसर डॉ. सबा सिद्दीकी और छत्तीसगढ़ के सुप्रसिद्ध फिल्म कलाकार एवं पूर्व आईएमए अध्यक्ष डॉ. अजय सहाय ने रेबीज के नियंत्रण, निदान एवं रोकथाम पर अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने बताया कि रेबीज एक ऐसी वायरल बीमारी है जो संक्रमित जानवर के काटने, खरोंचने या लार के संपर्क से फैलती है और लक्षण प्रकट होने के बाद लगभग 100% घातक होती है। इसलिए समय पर टीकाकरण और जागरूकता ही इसका सबसे प्रभावी बचाव है।
कार्यक्रम में स्टाफ नर्स, जूनियर रेजिडेंट डॉक्टर, इंटर्न और एमबीबीएस छात्रों सहित कुल 127 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। सभी प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र भी प्रदान किए गए। संगोष्ठी में बताया गया कि विश्वभर में हर वर्ष लगभग 59,000 मौतें रेबीज से होती हैं, जिनमें से अधिकांश एशिया और अफ्रीका में होती हैं। भारत में यह संख्या 18,000 से 20,000 के बीच है, जिसमें 30 से 60 प्रतिशत मामले बच्चों में पाए जाते हैं। भारत में 97 प्रतिशत मानव रेबीज संक्रमण संक्रमित कुत्तों के काटने से होते हैं।
विशेषज्ञों ने बताया कि रेबीज के प्रारंभिक लक्षण बुखार, घाव वाली जगह पर झुनझुनी और दर्द के रूप में प्रकट होते हैं। इसके बाद रोग दो रूपों में दिखाई देता है — उग्र (फ्यूरियस) रेबीज और लकवाग्रस्त (पैरालिटिक) रेबीज। डॉ. सिद्दीकी ने कहा कि लक्षण दिखने के बाद रोग का कोई इलाज नहीं है, इसलिए घाव की त्वरित देखभाल, साबुन और पानी से धोना तथा तुरंत वैक्सीनेशन (पोस्ट-एक्सपोजर प्रोफीलैक्सिस) ही जीवन रक्षक उपाय हैं। कार्यक्रम में यह भी बताया गया कि रेबीज उन्मूलन का सबसे प्रभावी तरीका कुत्तों का सामूहिक टीकाकरण है। भारत सरकार द्वारा पशु जन्म नियंत्रण (कुत्ते) नियम 2023 के तहत आवारा कुत्तों की नसबंदी और एंटी रेबीज वैक्सीनेशन (ABC-ARV) कार्यक्रम संचालित किए जा रहे हैं। पालतू कुत्तों के लिए रेबीज टीकाकरण को अनिवार्य बताया गया।
विशेषज्ञों ने नागरिकों से अपील की कि वे अपने पालतू जानवरों का नियमित टीकाकरण करवाएँ, ताकि परिवार और समाज दोनों सुरक्षित रहें।
हर घर पहुंचा शुद्ध जल, 1495 लोगों ने पाया पानी का सुख
By - नरेश देवांगन
जगदलपुर, शौर्यपथ। बस्तर जिले के जगदलपुर ब्लॉक का बुरुंदवाड़ा सेमरा गांव जल जीवन मिशन की बदौलत अब हर घर जल वाला गांव घोषित हो गया है। इस गांव के 1495 निवासियों को अब नल के माध्यम से घर बैठे शुद्ध पेयजल मिल रहा है।
समस्या से मुक्ति, जीवन में खुशी
बुरुंदवाड़ा सेमरा में पहले लोगों को पानी के लिए बोरिंग पर निर्भर रहना पड़ता था, जिससे पानी लाने में बहुत समय और मेहनत बर्बाद होती थी। गांव की सरपंच श्रीमती बुधरी बघेल और सचिव श्रीमती राधा नाग ने बताया कि पानी की जद्दोजहद के कारण लोग अक्सर थके रहते थे और बच्चे स्कूल भी नहीं जा पाते थे। केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी जल जीवन मिशन योजना के तहत गांव के सभी 209 घरों में नल कनेक्शन दिए गए हैं। इसके लिए गांव में 50 किलोलीटर क्षमता की टंकी और पाइपलाइन बिछाई गई। पानी पहुंचते ही गांव वालों की खुशी दुगुनी हुई है।
बढ़े स्वास्थ्य और शिक्षा
पानी की समस्या दूर होने से लोगों के स्वास्थ्य में सुधार हुआ है, और सबसे बड़ी बात यह है कि अब स्कूल जाने वाले बच्चों की संख्या में भी काफी वृद्धि हुई है। अब महिलाओं का समय पानी लाने में बर्बाद नहीं होता, जिससे वे अपने और बच्चों पर अधिक ध्यान दे पा रही हैं। साथ ही घर-परिवार के कार्य सहित खेती-किसानी के कार्य को भी आसानी के साथ कर रही हैं।
पानी का सही उपयोग
सरपंच और सचिव ने मिलकर गांव में जागरूकता फैलाई है। वे लोगों को समझा रहे हैं कि पानी का उपयोग उतनी ही मात्रा में करें जितनी जरूरत है, ताकि जलस्रोत का स्तर बना रहे। साथ ही भूजल स्तर को बढ़ाने के लिए हर घर और सार्वजनिक स्थानों पर सोख्ता गड्ढा (भूजल रिचार्ज पिट) बनाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। जल बढ़ेगा स्तर, तब बढ़ेगा जीवन स्तर के संकल्प के साथ बुरुंदवाड़ा सेमरा गांव एक मिसाल बन गया है कि सरकारी योजनाओं के सही क्रियान्वयन से कैसे एक समुदाय की तकदीर बदल सकती है।
? देश का स्वर्ण भंडार रिकॉर्ड स्तर पर — लेकिन सरकारी कर्ज भी GDP के 60% तक पहुंचा
रिपोर्ट: शौर्यपथ डिजिटल /संपादक: शरद पंसारी
?? 10 वर्षों में अर्थव्यवस्था बढ़ी, पर कर्ज भी तीन गुना हुआ
भारत की अर्थव्यवस्था ने पिछले एक दशक में अभूतपूर्व वृद्धि दर्ज की है, लेकिन इस विकास की रफ्तार के साथ-साथ कर्ज का पहाड़ भी खड़ा हो गया है।
वित्त मंत्रालय के आंकड़े बताते हैं —
मार्च 2014: केंद्र सरकार का बकाया कर्ज ₹55.87 लाख करोड़
मार्च 2024: यह बढ़कर ₹171.78 लाख करोड़ हो गया
मार्च 2025 (अनुमान): केंद्र और राज्यों का संयुक्त कर्ज ₹181.68 लाख करोड़
राज्यों का कर्ज भी तेजी से बढ़ा है — 2013-14 से 2022-23 के बीच यह 3.39 गुना बढ़कर ₹59.60 लाख करोड़ तक पहुंच गया।
? क्यों बढ़ा इतना कर्ज?
अर्थशास्त्रियों के अनुसार इस वृद्धि के तीन प्रमुख कारण हैं —
1️⃣ विकास परियोजनाओं का वित्तपोषण:
सरकार ने अवसंरचना, रक्षा और सामाजिक कल्याण योजनाओं के लिए बड़े पैमाने पर उधारी की।
2️⃣ राजकोषीय घाटे की भरपाई:
खर्च और आय के अंतर को पाटने के लिए लगातार कर्ज लिया गया।
3️⃣ कोविड-19 का असर:
महामारी से निपटने के लिए राहत पैकेज, स्वास्थ्य ढांचे और टीकाकरण में भारी उधारी की आवश्यकता हुई।
? भारत का स्वर्ण भंडार: दुनिया में आठवां स्थान
भारत न केवल सोने का सबसे बड़ा उपभोक्ता है, बल्कि उसका सरकारी और निजी स्वर्ण भंडार अब अभूतपूर्व स्तर पर है।
श्रेणी सोने का भंडार (टन में) अनुमानित मूल्य (₹ में)
भारतीय रिजर्व बैंक (मई 2025) 880 टन ₹4.32 लाख करोड़
भारतीय परिवार (मॉर्गन स्टेनली रिपोर्ट) 34,600 टन ₹317 लाख करोड़
कुल मिलाकर (RBI + निजी) लगभग 35,480 टन ₹321 लाख करोड़ से अधिक
? “भारत के पास अब दुनिया का आठवां सबसे बड़ा आधिकारिक स्वर्ण भंडार है — और पिछले 10 वर्षों में इसमें लगभग 300 टन की बढ़ोतरी हुई है।”
? विश्व स्वर्ण भंडार में भारत की स्थिति
रैंक देश सोने का भंडार (टन)
1️⃣ अमेरिका 8133.46
2️⃣ जर्मनी 3351.53
3️⃣ इटली 2451.84
4️⃣ फ्रांस 2436.97
5️⃣ रूस 2335.85
6️⃣ चीन 2264.32
7️⃣ जापान 845.97
**8️⃣ भारत 876.18**
? GDP और कर्ज का अनुपात: सतर्क संकेत
भारत का सकल घरेलू उत्पाद (GDP) 2024-25 में लगभग ₹300 लाख करोड़ आंका गया है।
वर्तमान में केंद्र और राज्यों का संयुक्त कर्ज GDP के लगभग 60% तक पहुंच चुका है।
?️ “यह अनुपात अभी नियंत्रण में है, लेकिन अगर विकास दर 7% से नीचे गई तो कर्ज की सेवा लागत सरकार के राजकोष पर भारी दबाव डाल सकती है।” — आर्थिक विश्लेषक
⚖️ “सोना बढ़ा, पर कर्ज भी बढ़ा — दो विपरीत सच”
सोशल मीडिया पर भारत के स्वर्ण भंडार में हुई बढ़ोतरी को राष्ट्र की ‘आर्थिक ताकत’ बताया जा रहा है,
लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि कर्ज का समानांतर बढ़ना चिंता का संकेत है।
? “सोने की चमक तभी स्थायी है, जब वित्तीय अनुशासन समान गति से बढ़े।”
? निष्कर्ष
भारत आज विश्व की सबसे तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में है।
सोने की बढ़ती चमक और कर्ज का बढ़ता साया — दोनों भारत की आर्थिक यात्रा की सच्ची तस्वीर हैं।
एक ओर यह आत्मनिर्भरता और पूंजी संचय का प्रतीक है,
तो दूसरी ओर यह याद दिलाता है कि विकास को टिकाऊ बनाने के लिए वित्तीय संतुलन आवश्यक है।
✒️ “निष्पक्ष पत्रकारिता के दीप से जनविश्वास का आलोक”
— शरद पंसारी
(संपादक, शौर्यपथ दैनिक समाचार एवं www.shouryapathnews.in
By - नरेश देवांगन
जगदलपुर, शौयपथ। हमने पूर्व में राजमहल परिसर में लगे मीना बाजार की सुरक्षा नियमों की अनदेखी और अव्यवस्थाओं पर समाचार प्रकाशित किया था, लेकिन विभाग के जिम्मेदारों ने आज तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया। शहर के मीना बाजार में सुरक्षा नियमों की खुलेआम धज्जियाँ उड़ाई जा रही हैं। "शौर्यपथ" ने बिना सेफ्टी बेल्ट, बिना जूते-हेलमेट के मजदूरों से ऊँचाई पर झूले लगवाए, झूले की अनुमति व फिटनेस जाँच , कटे तार ,मौत के कुएँ में 30 साल से अधिक पुरानी गाड़ियाँ बिना फिटनेस जाँच के चलवाई गईं। प्रवेश टिकट दरों पर न तो जीएसटी का उल्लेख है, न ही कोई अधिकृत दर सूची प्रदर्शित की गई और महिलाओं के लिए शौचालय की कोई सुसज्जित व्यवस्था भी नहीं की गई।
हम लगातार जिम्मेदारों को समाचार के माध्यम से अवगत कराते रहे, फिर भी कार्रवाई नहीं हुई। विभागीय आदेशों में स्पष्ट लिखा है कि किसी भी दुर्घटना की स्थिति में संचालक जिम्मेदार होगा, फिर भी झूला संचालकों ने खुलेआम पोस्टर चिपकाकर लिखा — “दुर्घटना होने पर कंपनी जिम्मेदार नहीं।” यह सीधे-सीधे विभागीय आदेशों की अवहेलना है और जनता की सुरक्षा के साथ खिलवाड़।
अब नया मोड़:
समाचार प्रकाशित होने के बाद RTO विभाग ने जांच के नाम पर महज़ खानापूर्ति की। जांच का उद्देश्य यह होना चाहिए था कि मौत के कुएँ के संचालन की अनुमति दी गई है या नहीं, और यदि दी गई है, तो किस नियम के तहत। लेकिन विभाग ने उस मुख्य सवाल से बचते हुए सिर्फ इतना बताया कि सभी गाड़ियों के दस्तावेज वैध हैं। प्रश्न यह उठता है कि क्या वैध दस्तावेज ही मौत के कुएँ में दौड़ने की अनुमति दे देते हैं? क्या विभाग ने यह परखा कि ये गाड़ियाँ तकनीकी रूप से ऐसे खतरनाक खेल के लिए फिट हैं या नहीं? क्या वाहन चालकों के द्वारा सुरक्षा नियमों का पालन किया जा रहा है यां नहीं? और तो और, जिस अधिकारी को जिले के बड़े अधिकारी ने इसकी जाँच के लिए कहा था , उनके बारे में चर्चा है कि उन्हें मीना बाजार की व्यवस्था से ज़्यादा वहाँ के जीने और खाने की चिंता रहती है। ऐसे में निष्पक्ष जांच की उम्मीद करना जनता के साथ मज़ाक है।
बाबा साहेब ने कहा था — “संविधान कितना भी अच्छा क्यों न हो, अगर उसे चलाने वाले बुरे हैं तो वह बुरा साबित होगा।” आज यही सच मैदान में दिख रहा है। कानून है, आदेश हैं, लेकिन उन्हें लागू करने वाले जिम्मेदारों की नीयत सो चुकी है। अब सवाल यह नहीं कि नियम क्या हैं, बल्कि यह है कि नियमों को तोड़ने वाले और आँख बंद करने वाले कौन हैं?
जनता के जीवन से खेलने वालों पर कोई कार्रवाई नहीं —
यह सिर्फ लापरवाही नहीं, बल्कि प्रशासनिक बेईमानी और संवेदनहीनता की चरम सीमा है।
अब सवाल सीधा है —
क्या विभाग जनता की सुरक्षा करेगा, या मीना बाजार की मौज में डूबे अधिकारी?
जगदलपुर, शौर्यपथ। नगरपालिक निगम जगदलपुर ने दीपावली पर्व के दौरान शहर की यातायात व्यवस्था सुचारू बनाए रखने के उद्देश्य से एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। हर साल की तरह इस बार भी दीपावली के अवसर पर शहर में लाई, बताशा, दिया, फल-फूल और पूजा सामग्री बेचने वाले चिल्हर विक्रेताओं की भीड़ सड़कों पर देखने को मिलती थी, जिससे जाम की स्थिति उत्पन्न होती थी और लोगों को भारी असुविधा का सामना करना पड़ता था।
इस समस्या को देखते हुए नगर निगम प्रशासन ने इस वर्ष सभी चिल्हर विक्रेताओं के लिए “हाता ग्राउंड” को निर्धारित विक्रय स्थल के रूप में चयनित किया है। निगम आयुक्त ने सभी विक्रेताओं से अपील की है कि वे दीपावली पर्व से संबंधित सामग्री का विक्रय हाता ग्राउंड में ही करें।
नगर निगम का कहना है कि इस निर्णय से एक ओर जहां शहर में यातायात व्यवस्था दुरुस्त रहेगी, वहीं दूसरी ओर विक्रेताओं को भी एक व्यवस्थित स्थान पर अपने सामान की बिक्री का अवसर मिलेगा। निगम ने यह भी स्पष्ट किया है कि मुख्य सड़कों, चौक-चौराहों या बाजार क्षेत्र में अतिक्रमण कर बिक्री करने वालों पर कार्रवाई की जाएगी।
निगम प्रशासन ने आम नागरिकों से भी सहयोग की अपील की है ताकि शहर में दीपावली का पर्व शांति, सौहार्द और स्वच्छ वातावरण में मनाया जा सके।
बिहार विधानसभा चुनाव के नामांकन रैली में सीएम विष्णु देव साय जी के साथ शामिल होंगे डिप्टी सीएम अरुण साव जी, कार्यकर्ताओं में करेंगे ऊर्जा का संचार
रायपुर / शौर्यपथ / उप मुख्यमंत्री श्री अरुण साव ने आज नवा रायपुर स्थित निवास कार्यालय में पत्रकारों से चर्चा के दौरान कहा कि प्रदेश में धान खरीदी अत्यंत व्यापक और जिम्मेदारीपूर्ण कार्य है। इस साल लगभग 25 लाख किसानों से 2739 से अधिक केंद्रों में धान खरीदी होगी। मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में राज्य सरकार किसानों के हित में खरीदी प्रक्रिया को पारदर्शी, समयबद्ध और सरल बनाने के लिए पूर्ण रूप से प्रतिबद्ध है।
श्री साव ने बताया कि मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय जी ने सभी कलेक्टर्स और खाद्य विभाग के अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि केंद्रों में सभी व्यवस्थाएं सुचारू रहें, किसानों को किसी भी प्रकार की परेशानी न हो, खरीदी में किसी भी तरह की अनियमितता या गड़बड़ी न हो। इसके लिए तैयारी की जा रही है ताकि खरीदी का कार्य सहजता से संपन्न हो सके।
उप मुख्यमंत्री श्री साव ने कहा कि कांग्रेस नेताओं द्वारा लगाए जा रहे आरोप निराधार और राजनीतिक हैं। गंभीर आरोपों की जांच केंद्रीय और राज्य स्तरीय एजेंसियों द्वारा की जा रही है, और जांच की प्रक्रिया में आगे की कार्रवाई जारी है। इसलिए विपक्ष को जांच प्रक्रिया पर विश्वास रखना चाहिए। वहीं श्री साव ने कहा कि,बड़े घोटाले में संलिप्तता उजागर होने से कांग्रेसियों में तिलमिलाहट हज, इसलिए जांच एजेंसियों पर बेबुनियाद आरोप लगा रहे हैं।
श्री साव ने बताया कि बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए की जीत सुनिश्चित है। मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय जी और वे स्वयं नामांकन रैली में शामिल होकर बिहार के कार्यकर्ताओं का उत्साहवर्धन करेंगे।
नक्सल प्रभावित क्षेत्र में सामाजिक बदलाव की नई कहानी, दंतेवाड़ा के जितेंद्र वेक ने शीर्ष 90 घुड़सवारों में बनाया स्थान
रायपुर की वेदिका शरण ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 15वां स्थान हासिल किया
उप मुख्यमंत्री अरुण साव ने की युवा घुड़सवारों की सराहना, उज्ज्वल भविष्य की दी शुभकामनाएं
रायपुर/दंतेवाड़ा / शौर्यपथ /
छत्तीसगढ़ के युवा खिलाड़ियों में असीम संभावनाएं हैं। यहां के खिलाड़ी न केवल राज्य बल्कि विश्व स्तर पर भी अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा रहे हैं। रायपुर के ब्रेगो और हेक्टर इक्वेस्ट्रियन क्लब का प्रतिनिधित्व करते हुए प्रदेश के युवा घुड़सवार जितेंद्र वेक और वेदिका शरण ने प्रतिष्ठित FEI चिल्ड्रन्स क्लासिक्स में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर शीर्ष वैश्विक रैंकिंग हासिल की है। यह सफलता केवल खेल की उपलब्धि नहीं है, बल्कि नक्सल प्रभावित दंतेवाड़ा से उभरती आशा और सकारात्मक परिवर्तन की कहानी है। उप मुख्यमंत्री अरुण साव ने युवा घुड़सवारों की सराहना करते हुए उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएं दी।
खेल के माध्यम से सामाजिक उत्थान का उदाहरण
रायपुर की वेदिका शरण ने राष्ट्रीय स्तर पर रजत पदक जीता और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 15वां स्थान प्राप्त किया, वहीं दंतेवाड़ा के एजुकेशन सिटी के छात्र जितेंद्र वेक ने विश्व के शीर्ष 90 घुड़सवारों में स्थान बनाकर प्रदेश का नाम रोशन किया। ये उपलब्धियां उस क्षेत्र से आई हैं, जहां बच्चों को उग्रवाद के खतरे के बीच अपने भविष्य की राह बनानी पड़ती है। दंतेवाड़ा जिला प्रशासन ने ब्रेगो और हेक्टर इक्वेस्ट्रियन मैनेजमेंट कंपनी के सहयोग से वंचित और नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के बच्चों के लिए घुड़सवारी प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किया है, जो न केवल खेल का अवसर देता है बल्कि जीवन में अनुशासन, आत्मविश्वास और दिशा भी प्रदान करता है।
वैचारिक उग्रवाद से जूझ रहे क्षेत्रों में खेल एक मजबूत सामाजिक ढाल बनकर उभरा है। घुड़सवारी जैसे खेल युवाओं में शारीरिक और मानसिक संतुलन, नेतृत्व क्षमता और टीमवर्क विकसित करते हैं। यह पहल युवाओं को विनाशकारी रास्तों से हटाकर एक सम्मानजनक, अनुशासित और उद्देश्यपूर्ण जीवन की ओर प्रेरित कर रही है।
FEI चिल्ड्रन्स क्लासिक्स में विश्वभर के 10,000 से अधिक घुड़सवारों के बीच दंतेवाड़ा के इन युवा खिलाड़ी की सफलता इस बात का प्रमाण है कि सही मार्गदर्शन, अवसर और विश्वास मिलने पर सबसे चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में भी सफलता की कहानी लिखी जा सकती है। यह उपलब्धि पूरे प्रदेश के लिए गौरव का विषय है और संघर्षरत क्षेत्रों के लिए प्रेरणादायक उदाहरण प्रस्तुत करती है।
भिलाई में संपन्न 13वीं राष्ट्रीय गतका चैंपियनशिप में भारत की मार्शल विरासत की झलक — मंत्री गजेंद्र यादव बोले: राज्य के स्कूल-कॉलेजों में गतका को मिलेगा बढ़ावा
भिलाई / शौर्यपथ /
छत्तीसगढ़ के औद्योगिक नगर भिलाई ने इस सप्ताहांत भारतीय परंपरागत युद्धकला की एक रोमांचक झलक देखी। नेशनल गतका एसोसिएशन ऑफ इंडिया (NGAI) द्वारा आयोजित 13वीं राष्ट्रीय गतका चैंपियनशिप 2025 रविवार को शानदार समापन के साथ समाप्त हुई। तीन दिनों तक चले इस रोमांचक आयोजन में पंजाब के गतकाबाज़ों ने ओवरऑल चैंपियनशिप का खिताब अपने नाम किया, जबकि मेज़बान छत्तीसगढ़ के खिलाड़ियों ने उपविजेता बनकर सभी का दिल जीत लिया।
? तीन दिन चली स्पर्धा — कौशल, अनुशासन और परंपरा का अद्भुत संगम
गतका — जो कि सिख योद्धाओं की ऐतिहासिक मार्शल आर्ट शैली है — का यह राष्ट्रीय आयोजन देश के विभिन्न राज्यों से आए सैकड़ों खिलाड़ियों की उपस्थिति में हुआ।
लड़कों के वर्ग में: पंजाब ने अपने कौशल और फुर्ती से बाज़ी मारी, जबकि छत्तीसगढ़ दूसरे स्थान पर रहा। हरियाणा और उत्तराखंड ने संयुक्त रूप से तीसरा स्थान हासिल किया।
बालिका वर्ग में: छत्तीसगढ़ की बेटियों ने शानदार प्रदर्शन करते हुए पहला स्थान प्राप्त किया। चंडीगढ़ दूसरे और पंजाब-हरियाणा संयुक्त रूप से तीसरे स्थान पर रहे।
? गौरवशाली समापन — खिलाड़ियों को सम्मानित किया गया
समापन समारोह में छत्तीसगढ़ के शिक्षा एवं ग्रामीण उद्योग मंत्री गजेंद्र यादव मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए।
उन्होंने विजेता खिलाड़ियों को पदक और प्रमाणपत्र प्रदान करते हुए कहा —
“गतका केवल एक खेल नहीं, बल्कि यह हमारी गौरवशाली मार्शल विरासत का जीवंत प्रतीक है, जो अनुशासन, आत्मसंयम और सम्मान का पाठ सिखाता है।”
मंत्री यादव ने घोषणा की कि राज्य सरकार स्कूलों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में गतका को बढ़ावा देगी, ताकि नई पीढ़ी इस पारंपरिक कला से प्रेरित हो। उन्होंने कहा कि “छत्तीसगढ़ के युवा अपनी जड़ों से जुड़े रहते हुए भी आधुनिक खेलों की दुनिया में आगे बढ़ें, यही हमारी दिशा है।”
?️ विधायक रिकेश सेन और अन्य अतिथियों ने खिलाड़ियों का उत्साह बढ़ाया
वैशाली नगर विधायक रिकेश सेन ने गतका खिलाड़ियों के अनुशासन और परिश्रम की सराहना करते हुए कहा कि यह खेल “शौर्य, संतुलन और आत्मबल” का प्रतीक है।
उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ के खिलाड़ियों का प्रदर्शन यह साबित करता है कि राज्य अब पारंपरिक खेलों के क्षेत्र में भी राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना रहा है।
? आयोजकों की प्रतिबद्धता — गतका को राष्ट्रीय स्तर पर फैलाने का संकल्प
कार्यक्रम में नेशनल गतका एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष हरजीत सिंह ग्रेवाल, एशियाई गतका महासंघ के कार्यकारी सदस्य और न्यू गतका स्पोर्ट्स एसोसिएशन छत्तीसगढ़ के अध्यक्ष इंद्रजीत सिंह छोटू, महासचिव जसवंत सिंह, तथा छत्तीसगढ़ सिख पंचायत के अध्यक्ष जसबीर सिंह चहल उपस्थित रहे।
अध्यक्ष ग्रेवाल ने कहा —
“भारत के हर राज्य में गतका की पहुँच बढ़ाना हमारा मिशन है। यह सिर्फ खेल नहीं, बल्कि हमारी संस्कृति का जिंदा इतिहास है।”
? पुरस्कार विजेताओं की सूची
समापन दिवस पर विशेष सम्मान समारोह आयोजित किया गया, जिसमें सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ियों को सम्मानित किया गया:
जूनियर गतका स्टार: सतवंत सिंह खालसा (चंडीगढ़)
सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी: सुनेहा (चंडीगढ़)
सबसे होनहार खिलाड़ी: रमनदीप सिंह (पंजाब)
सर्वश्रेष्ठ गतका-सोटी खिलाड़ी: डिंपल कुमारी (छत्तीसगढ़)
सर्वश्रेष्ठ फरी-सोटी खिलाड़ी: जसकीरत सिंह (हरियाणा)
सर्वश्रेष्ठ गतकाबाज़ (पुरुष): जगजोत सिंह (उत्तराखंड)
सर्वश्रेष्ठ गतकाबाज़ (महिला): इशकप्रीत कौर (पंजाब)
?️ छत्तीसगढ़ बना नई ऊर्जा का केंद्र
इस आयोजन ने न केवल खिलाड़ियों को अपने हुनर का मंच दिया बल्कि छत्तीसगढ़ को पारंपरिक खेलों की दिशा में एक नए केंद्र के रूप में उभारा। खिलाड़ियों, प्रशिक्षकों और अतिथियों ने इस आयोजन को “खेल के साथ संस्कृति का संगम” बताया।
9 घंटे चली समीक्षा बैठक में सुशासन, पारदर्शिता और जनसुविधाओं की गुणवत्ता पर फोकस — अब योजनाओं का असर सीधे फील्ड पर दिखेगा
रायपुर / शौर्यपथ / राज्य शासन ने शनिवार को मंत्रालय (महानदी भवन) में आयोजित कलेक्टर्स कॉन्फ्रेंस 2025 में जनसेवा, जवाबदेही और पारदर्शिता को प्रशासन का केंद्र बिंदु घोषित किया। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने बैठक की अध्यक्षता करते हुए सभी जिलाधिकारियों से कहा —
“जनहित के कार्यों में लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। प्रशासन जनता के विश्वास का प्रतीक बने, भय का नहीं।”
मुख्यमंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि अब “कागज़ों पर उपलब्धि दिखाने का दौर समाप्त हुआ है, सरकार परिणामों से अपना मूल्यांकन करेगी।”
धान खरीदी और कृषि नीति पर मुख्यमंत्री का फोकस
बैठक में सबसे पहले धान खरीदी की तैयारियों की विस्तृत समीक्षा की गई। मुख्यमंत्री ने कहा कि धान खरीदी का कार्य राज्य की अर्थव्यवस्था और किसानों के सम्मान से जुड़ा विषय है, इसलिए इसमें किसी भी स्तर पर अनियमितता स्वीकार्य नहीं होगी।
उन्होंने निर्देश दिए कि: खरीदी केंद्रों की पूर्व जांच और सभी उपकरणों की कार्यशीलता सुनिश्चित की जाए।किसानों के पंजीयन, तौल और भुगतान की प्रक्रिया में पूर्ण पारदर्शिता रखी जाए। सीमावर्ती जिलों में अवैध धान परिवहन रोकने के लिए निगरानी तंत्र मजबूत किया जाए।मुख्यमंत्री ने चेतावनी दी कि जहां कहीं भी शिकायत मिलेगी, वहां कलेक्टर स्तर पर ही कार्रवाई की जाएगी।
स्वास्थ्य और शिक्षा क्षेत्र में जवाबदेही तय
मुख्यमंत्री साय ने स्वास्थ्य व्यवस्था पर चिंता जताते हुए कहा कि “ग्रामीण क्षेत्रों में प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाएं मजबूत करना सरकार की पहली प्राथमिकता है।”उन्होंने मातृ मृत्यु दर में कमी, टीकाकरण में 100% उपलब्धि, और स्वास्थ्य केंद्रों की नियमित निगरानी के निर्देश दिए।
शिक्षा के क्षेत्र में मुख्यमंत्री ने कहा कि “राज्य का भविष्य कक्षा-कक्ष में तय होता है।” उन्होंने सभी कलेक्टरों से ड्रॉपआउट दर शून्य करने, आधार आधारित छात्र पंजीकरण और विद्यालयों में मूलभूत सुविधाएँ सुनिश्चित करने पर विशेष ध्यान देने को कहा।साथ ही, मुख्यमंत्री शिक्षा गुणवत्ता अभियान को हर जिले में लागू करने का आदेश दिया।
योजनाओं की समयबद्धता और ई-गवर्नेंस पर बल
मुख्यमंत्री ने कहा कि जनता को योजनाओं का लाभ “समय पर, पारदर्शी और बिना मध्यस्थ” के मिलना चाहिए।उन्होंने स्पष्ट किया कि सभी विभाग अपने भुगतान और स्वीकृति प्रक्रियाओं में ई-गवर्नेंस प्रणाली को प्राथमिकता दें।
“हर योजना की सफलता फाइलों में नहीं, फील्ड में दिखनी चाहिए,” — मुख्यमंत्री साय ने कहा।
बैठक में प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि, सूर्यघर योजना, मलेरिया मुक्त छत्तीसगढ़ अभियान, नवजीवन स्व-सहायता मिशन और युवा कौशल विकास कार्यक्रम की प्रगति की भी समीक्षा की गई।
कलेक्टरों को फील्ड में उतरने के निर्देश
मुख्यमंत्री ने कहा कि “अधिकारी जनता से दूरी नहीं बनाएँ, उनके बीच जाकर वास्तविक स्थिति समझें।” उन्होंने यह भी कहा कि जिले की रैंकिंग अब रिपोर्टों से नहीं, जमीनी उपलब्धियों से तय की जाएगी।
मुख्यमंत्री ने प्रत्येक कलेक्टर को अपने जिले में कम से कम सप्ताह में दो दिन फील्ड विजिट करने का निर्देश दिया।
संवेदनशील शासन की परिभाषा रखी
मुख्यमंत्री साय ने कहा कि शासन केवल नीति और प्रशासनिक प्रक्रिया नहीं, बल्कि संवेदनशीलता और संवाद का विषय है। उन्होंने कहा कि “राज्य सरकार सुशासन के लिए प्रतिबद्ध है, लेकिन जनता की आवाज सुनना भी उतना ही आवश्यक है। प्रत्येक अधिकारी नागरिकों के प्रति जवाबदेह रहे, यही सच्चे प्रशासन की पहचान है।”
मुख्यमंत्री का समापन संदेश
बैठक के समापन पर मुख्यमंत्री ने कहा —“हर अधिकारी अपने जिले को सुशासन का मॉडल बनाए। जिम्मेदारी केवल पद की नहीं, जनविश्वास की भी है। सरकार का लक्ष्य स्पष्ट है — जनता को भरोसेमंद शासन देना, जो हर स्तर पर पारदर्शी और उत्तरदायी हो।”
मुख्य सचिव विकास शील ने सभी कलेक्टरों से शासन के निर्णयों को “तीव्र गति और परिणामोन्मुख कार्यशैली” में लागू करने की अपेक्षा की। बैठक में प्रदेश के सभी संभागायुक्त, विभागीय सचिव, पुलिस अधिकारी और कलेक्टर मौजूद रहे।
दीपक वैष्णव की ख़ास रिपोर्ट
कोंडागांव / शौर्यपथ /
माकड़ी ब्लॉक के कांटागांव स्थित आदिवासी कन्या छात्रावास में शनिवार सुबह एक 11 वर्षीय छात्रा ने टाई से फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। बच्ची पांचवीं कक्षा की छात्रा थी और पहली कक्षा से ही इस छात्रावास में रहकर पढ़ाई कर रही थी। घटना सुबह करीब 10 बजे भोजन के समय की बताई जा रही है।
हादसा तब सामने आया जब एक अन्य छात्रा हॉस्टल के कमरे में गई और उसने छात्रा को खिड़की से टाई के सहारे लटकते देखा। उसने तत्काल शिक्षकों को सूचना दी। टाई को कैंची से काटकर छात्रा को नीचे उतारा गया और तुरंत माकड़ी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया, जहां चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
सूचना में देरी और संदिग्ध रवैया
घटना की सूचना पर एसडीएम अजय उरांव, सहायक आयुक्त कृपेंद्र तिवारी, तहसीलदार, बीईओ और अन्य शिक्षा अधिकारी मौके पर पहुंचे और स्थिति का निरीक्षण किया।
हालाँकि, सूचना देने में देरी को लेकर छात्रावास प्रबंधन की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं।
गांव के सरपंच मोतीराम मरकाम ने बताया कि उन्हें सुबह लगभग 10:45 बजे कॉल आया कि छात्रा बेहोश हो गई है। लेकिन बाद में पता चला कि छात्रा की मृत्यु हो चुकी थी। सरपंच के अनुसार, “घटना भोजन के समय की थी। उस वक्त कोई बच्चा अनुपस्थित था, तो स्टाफ को तुरंत पता चलना चाहिए था। सूचना में हुई देरी चिंताजनक है।”
वहीं, छात्रा के गांव के सरपंच लक्ष्मण नेताम ने भी गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि “छात्रा को मंगलवार को ही आश्रम में छोड़ा गया था। वह पूरी तरह स्वस्थ थी। घटना सुबह 10 बजे की थी, पर परिजनों को दोपहर 12 बजे के बाद सूचना दी गई। हॉस्टल वार्डन या स्टाफ ने तत्परता नहीं दिखाई, जिससे संदेह पैदा होता है।”
कई सवालों के घेरे में छात्रावास व्यवस्था
यह घटना न केवल एक मासूम जीवन के असमय समाप्त होने की त्रासदी है, बल्कि छात्रावासों की देखरेख, निगरानी और मनोवैज्ञानिक समर्थन प्रणाली पर भी प्रश्न उठाती है। स्थानीय जनप्रतिनिधियों और परिजनों का कहना है कि यह जानना जरूरी है कि इतनी कम उम्र की छात्रा ने ऐसा कदम क्यों उठाया — क्या वह किसी मानसिक दबाव में थी, या फिर यह किसी लापरवाही का नतीजा है।
प्रशासन ने कहा – जांच के बाद होगी कार्रवाई
अधिकारियों ने प्रारंभिक जांच के बाद कहा कि घटना अत्यंत संवेदनशील है और विस्तृत जांच की जा रही है। दोषी पाए जाने पर संबंधित कर्मचारियों के विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी।
क्षेत्र के लिए पीड़ा और चिंता का विषय
11 वर्ष की एक छात्रा का इस तरह असमय जाना पूरे क्षेत्र के लिए पीड़ा और चिंता का विषय बन गया है।परिजन और ग्रामीण यह जानना चाहते हैं कि आखिर उस बच्ची के मन में ऐसा क्या चल रहा था जिसने उसे यह कदम उठाने पर विवश किया — क्या यह मासूम मन का मौन दर्द था या किसी और की चूक का परिणाम? जवाब अब जांच से ही मिल सकेगा।
रायपुर / शौर्यपथ /
प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय राजीव भवन में रविवार को आयोजित प्रेस वार्ता में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज, नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत, पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और वरिष्ठ नेताओं ने केंद्र सरकार पर सूचना के अधिकार कानून (RTI Act) को कमजोर करने का आरोप लगाया।
कांग्रेस ने कहा कि आज देश को आम नागरिक को सशक्त बनाने वाले RTI कानून को लागू हुए 20 वर्ष पूरे हो गए हैं, जिसे 12 अक्टूबर 2005 को तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह और यूपीए चेयरपर्सन श्रीमती सोनिया गांधी के नेतृत्व में लागू किया गया था।
कांग्रेस का दावा — मनमोहन सरकार ने दी थी पारदर्शिता की नींव
कांग्रेस नेताओं ने कहा कि यूपीए सरकार ने RTI सहित कई जनहितकारी कानून बनाए, जिन्होंने प्रशासनिक पारदर्शिता और सामाजिक सुरक्षा को मजबूत किया।
इनमें मनरेगा (2005), वन अधिकार अधिनियम (2006), शिक्षा का अधिकार (2009), भूमि अधिग्रहण में उचित मुआवजा अधिनियम (2013) और राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (2013) प्रमुख हैं।
नेताओं ने कहा कि RTI कानून ने आम नागरिक को शासन की जवाबदेही सुनिश्चित करने का अधिकार दिया। इसके माध्यम से राशन, पेंशन, मजदूरी, छात्रवृत्ति जैसे बुनियादी अधिकारों की सुरक्षा में आमजन को मदद मिली।
“मोदी सरकार ने कानून की आत्मा को कमजोर किया”
कांग्रेस ने आरोप लगाया कि 2019 में केंद्र की भाजपा सरकार ने RTI कानून में संशोधन कर आयोगों की स्वतंत्रता को सीमित किया, जिससे कार्यपालिका का प्रभाव बढ़ गया।
इसके अलावा, 2023 में लागू डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन अधिनियम (DPDP) के माध्यम से RTI की धारा 8(1)(j) को बदल दिया गया, जिससे “व्यक्तिगत जानकारी” की परिभाषा इतनी विस्तृत कर दी गई कि अब कई सार्वजनिक सूचनाएँ भी जनहित में साझा नहीं की जा सकतीं।
कांग्रेस नेताओं के अनुसार, इससे “सार्वजनिक धन के उपयोग, सांसद निधि, मनरेगा कार्यों या राजनीतिक फंडिंग” जैसे मामलों की पारदर्शिता पर असर पड़ा है।
सूचना आयोगों में रिक्तियाँ और जवाबदेही का अभाव
कांग्रेस ने यह भी आरोप लगाया कि केंद्रीय सूचना आयोग में 11 में से केवल दो पद ही भरे हुए हैं, जबकि छत्तीसगढ़ राज्य सूचना आयोग में मुख्य सूचना आयुक्त का पद दो वर्षों से खाली है और केवल एक आयुक्त कार्यरत हैं।
इस स्थिति को “पारदर्शिता प्रणाली को निष्क्रिय करने की कोशिश” बताया गया।
व्हिसलब्लोअर पर हमले और सुरक्षा की कमी
कांग्रेस नेताओं ने आरटीआई कार्यकर्ताओं पर बढ़ते हमलों को लेकर गंभीर चिंता जताई।
उन्होंने भोपाल की शहला मसूद और सतीश शेट्टी जैसे मामलों का उल्लेख करते हुए कहा कि “व्हिसलब्लोअर्स प्रोटेक्शन कानून” संसद से पारित होने के बावजूद लागू नहीं किया गया है।
इसके चलते RTI का उपयोग करने वाले नागरिक भय के माहौल में हैं।
कांग्रेस की छह मांगें
कांग्रेस ने केंद्र सरकार से निम्न छह मांगें रखीं —
2019 के संशोधनों को निरस्त कर सूचना आयोगों की स्वतंत्रता बहाल की जाए।
DPDP अधिनियम की विवादित धाराओं की समीक्षा की जाए।
केंद्र और राज्यों के सभी आयोगों में रिक्तियाँ तुरंत भरी जाएँ।
आयोगों की निपटान दर और कार्य निष्पादन सार्वजनिक किया जाए।
व्हिसलब्लोअर प्रोटेक्शन कानून को प्रभावी रूप से लागू किया जाए।
आयोगों में पत्रकारों, शिक्षाविदों और महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित की जाए।
कांग्रेस का संकल्प
कांग्रेस ने कहा — “सूचना का अधिकार आधुनिक भारत के सबसे बड़े लोकतांत्रिक सुधारों में से एक है। इसकी कमजोरी, लोकतंत्र की कमजोरी है। आरटीआई की 20वीं वर्षगांठ पर कांग्रेस इस कानून की रक्षा और सशक्तिकरण के संकल्प को दोहराती है, ताकि हर नागरिक निर्भय होकर सवाल पूछ सके और जवाब पा सके।”
कार्यक्रम में उपस्थित प्रमुख नेता
प्रेस वार्ता में वरिष्ठ कांग्रेस नेता सत्यनारायण शर्मा, पूर्व मंत्री मो. अकबर, डॉ. शिवकुमार डहरिया, पूर्व सांसद छाया वर्मा, प्रभारी महामंत्री मलकीत सिंह गैदू, वरिष्ठ नेता राजेंद्र तिवारी, गिरीश देवांगन, संचार विभाग अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला, पूर्व विधायक विकास उपाध्याय, महामंत्री सकलेन कामदार, प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर, सुरेंद्र वर्मा, घनश्याम राजू तिवारी, डॉ. अजय साहू, नितिन भंसाली और अजय गंगवानी उपस्थित रहे।
राजनांदगांव / शौर्यपथ / छत्तीसगढ़ रजत महोत्सव पर स्वास्थ्य विभाग द्वारा रस्तोगी कॉलेज ऑफ नर्सिंग सेंट्रल इंडिया नर्सिंग कॉलेज देवदा में अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस का आयोजन किया गया। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. नेतराम नवरत्न ने बालिकाओं के स्वास्थ्य के संबंध में जानकारी दी। उन्होंने बालिकाओं को अपने अधिकारों के प्रति जागरूक रहने कहा। उन्होंने कहा कि बालिकाओं की अपने परिवार एवं देश की उन्नति में अहम भूमिका होती है। शिक्षा, स्वास्थ्य और पोषण सहित सभी क्षेत्रों में बालिकाओं को समान अधिकार है। कार्यक्रम में रंगोली, निबंध, पोस्टर सहित अन्य प्रतियोगिता के माध्यम से विद्यार्थियों को बालिकाओं के स्वास्थ्य एवं अधिकारों के प्रति जागरूक किया गया। प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र एवं पुरस्कार वितरण कर प्रोत्साहित किया गया। कार्यक्रम में प्राचार्य, शिक्षक, विद्यार्थी एवं स्वास्थ्य विभाग की टीम उपस्थित थे।
शुभारंभ कार्यक्रम में जिले के किसान कृषि उपज मंडी परिसर से वर्चुअल माध्यम से जुड़े
राजनांदगांव / शौर्यपथ / प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा देश के किसानों की उन्नति के लिए प्रधानमंत्री धन-धान्य योजना तथा दलहन आत्मनिर्भरता मिशन का शुभारंभ नई दिल्ली से किया गया। इस शुभारंभ कार्यक्रम में जिले के किसान कृषि उपज मंडी परिसर से वर्चुअल माध्यम से जुड़े रहे। कार्यक्रम मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती किरण वैष्णव ने किसानों को रबी सीजन में दलहन-तिलहन फसलों का रकबा बढ़ाकर शासन योजनाओं का लाभ लेने तथा कम पानी व कम कृषि लागत वाली फसलों को लेकर ज्यादा मुनाफा वाली फसलों को लेने के लिए आग्रह किया। उन्होंने बताया कि भारत सरकार द्वारा रबी सीजन 2025-26 में न्यूनतम समर्थन मूल्य की दर में बढ़ोतरी की गई है। उन्होंने कृषि विभाग सहित अन्य संबंधी विभागों के मैदानी अधिकारियों को किसानों के हित में कार्य करने कहा। कृषि स्थायी समिति जिला पंचायत की अध्यक्ष श्रीमती जागृति यादव ने वर्तमान खरीफ फसल में बेहतर उत्पादन बढ़ाने के लिए कृषि विभाग के मैदानी अधिकारियों को किसानों तक कृषि विभाग की विभिन्न योजनाओं को पहुंचाने कहा। उन्होंने किसानों को नवाचार पद्धति से खेती करने की अपील की। जनपद पंचायत राजनांदगांव की अध्यक्ष श्रीमती प्रतिमा चंद्राकर ने भारत सरकार एवं छत्तीसगढ़ शासन द्वारा किसानों के हित में किए जा रहे महत्वपूर्ण कार्यों एवं प्रयासों की जानकारी दी।
उप संचालक कृषि श्री टीकम सिंह ठाकुर ने किसानों को केन्द्र सरकार की दलहन आत्मनिर्भरता मिशन की विस्तृत जानकारी दी। कृषि विज्ञान केन्द्र की वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख श्रीमती गुंजन झा ने कृषि विज्ञान केन्द्र द्वारा किए जा रहे नवाचार कार्यों तथा शासन की महत्वपूर्ण योजनाओं के बारे में जानकारी दी। लीड बैंक मैनेजर श्री मुनीष शर्मा ने किसान क्रेडिट कार्ड एवं कृषि ऋण के बारे में बताया। कार्यक्रम में जनपद सदस्य, श्री राजेन्द्र ठाकुर, अनुभागीय कृषि अधिकारी श्री संतलाल देशलहरे, सहायक संचालक कृषि डॉ. वीरेंद्र अनंत, सचिव कृषि उपज मंडी श्री पंचराम वर्मा, सहायक संचालक कृषि श्रीमती रूपलता गुप्ता, कृषि वैज्ञानिक श्रीमती नूतन रामटेके, पशुचिकित्सा अधिकारी श्रीमती ममता मेश्राम, वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी श्री डीआर राणाड़े, कृषि विकास अधिकारी श्री अविनाश दुबे सहित अन्य जनप्रतिनिधि व कृषि विभाग, कृषि विज्ञान केन्द्र, कृषि उपज मंडी के अधिकारी-कर्मचारी एवं बड़ी संख्या में किसान उपस्थित थे।
बिलासपुर / शौर्यपथ / विवादास्पद बयान देने के लिए विख्यात भारतीय जनता पार्टी के लाडले नेता अजय चंद्राकर ने एक बार फिर से अपने आका को खुश करने की कोशिश की। इस बयान को उन्हें संभावित मंत्रिमंडल में शामिल होने से जोड़कर भी देखा जा सकता है। अजय चंद्राकर जो विधानसभा में अपनी ही पार्टी के सरकार को घेरने में लगे रहते हैं। आज बिलासपुर में कहा कि कांग्रेस के नेता दिल्ली स्थित एक परिवार की चाटने और काटने में लगे रहते हैं। कभी महिलाओं की बेज्जती और उत्पीड़न के लिए नाम कमा चुके अजय चंद्राकर ने आज जब यह कहा तो कांग्रेस के नेताओं ने उन्हें अच्छी खरी खोटी सुनाई।
युवा नेता टाकेश्वर पाटले ने कहा कि ये वे ही नेता है जो अपने दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई के अस्ति कलश के पास बैठकर हंसते हुए दिखाई दे रहे थे। काटने की बात पर उन्होंने कहा कि अपने ही पार्टी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, सिकंदर बक्स को जिस तरह काटा उसे पर पहले जवाब देते। चाटने में भाजपाइयों का इतिहास काफी समृद्ध है और पिछले 14 वर्ष से एक नान बायोलॉजिकल आदमी की जयकारा चाटने की अद्भुत मिसाल है। सनातन संस्कृति का यश गान करने वाली और दलित विरोधी मानसिकता वाले से कांग्रेस को कुछ नहीं सीखना। अजय चंद्राकर के चाटने काटने वाले बयान बटोगे तो कटोगे के समान घोर विवादित हो रहा है। ऐसा समझा जा रहा है कि अपनी ही पार्टी में हासीये पर पड़े चंद्राकर कुछ भी करके लाइमलाइट में आना चाहते हैं।