July 31, 2025
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शौर्यपथ

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नया रायपुर से जारी आदेश में गरियाबंद, महासमुंद, बीजापुर, सुकमा जैसे जिलों के पदों पर बदलाव, अनुभवी अधिकारियों को दी गई नई जिम्मेदारी

रायपुर, 29 जुलाई 2025।
छत्तीसगढ़ शासन के सामान्य प्रशासन विभाग ने आज पांच वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों के तबादले और नवीन पदस्थापना का आदेश जारी किया है, जो राज्य के जिला पंचायत प्रशासनिक ढांचे में महत्वपूर्ण फेरबदल के रूप में देखा जा रहा है। यह आदेश मुख्यमंत्री सचिवालय से विशेष निर्देशों के तहत जारी हुआ है और इसे आगामी विकास योजनाओं के बेहतर क्रियान्वयन से जोड़कर देखा जा रहा है।

प्रमुख स्थानांतरण और नवीन पदस्थापन इस प्रकार हैं—

? सुश्री नयना जैन (भार.प्र.से. 2019)
मुख्य कार्यपालन अधिकारी, जिला पंचायत सुकमा के पद पर थीं। उन्हें अपर कलेक्टर, जिला रायपुर के पद पर पदस्थ किया गया है। राजधानी में उनकी यह पोस्टिंग प्रशासनिक दृष्टि से एक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी मानी जा रही है।

? श्री हर्षित रमेश नंदवाना (भार.प्र.से. 2020)
मुख्य कार्यपालन अधिकारी, जिला पंचायत बीजापुर थे। अब उन्हें महासमुंद जिला पंचायत में सीईओ का कार्यभार सौंपा गया है। नक्सल क्षेत्र बीजापुर में कार्य करने का अनुभव उन्हें नए जिले में लाभदायक सिद्ध हो सकता है।

? श्री मृदुल ठाकुर (भार.प्र.से. 2020)
वर्तमान में कृषि एवं जैव प्रौद्योगिकी तथा किसान कल्याण विभाग में उप सचिव थे। अब उन्हें मुख्य कार्यपालन अधिकारी, जिला पंचायत सुकमा के पद पर नियुक्त किया गया है। इससे यह संकेत भी मिलता है कि सरकार कृषि व ग्रामीण विकास अनुभव वाले अधिकारियों को जमीनी प्रशासन में सक्रिय कर रही है।

? सुश्री नवन्ता बौधे (भार.प्र.से. 2022)
सरायपाली, महासमुंद में अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) के पद पर थीं। उन्हें मुख्य कार्यपालन अधिकारी, जिला पंचायत बीजापुर के पद पर भेजा गया है। यह उनकी पहली जिला पंचायत सीईओ के रूप में पोस्टिंग मानी जा रही है, जिससे युवा नेतृत्व को अवसर देने का संकेत मिलता है।

? श्री प्रवर चंद्रकार (भार.प्र.से. 2022)
सरायगढ़-बिलाईगढ़ में अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) के रूप में कार्यरत थे। उन्हें मुख्य कार्यपालन अधिकारी, जिला पंचायत गरियाबंद नियुक्त किया गया है। यह भी अपेक्षाकृत नए अधिकारी की महत्वपूर्ण पद पर पदस्थापना है।


? विश्लेषण

इन तबादलों से तीन प्रमुख बातें उभर कर सामने आती हैं:

  1. युवा अधिकारियों पर भरोसा: 2020 और 2022 बैच के आईएएस अधिकारियों को जिला पंचायत जैसी जमीनी जिम्मेदारियों में भेजा जाना इस बात का संकेत है कि सरकार नेतृत्व की नई पीढ़ी को ग्रामीण विकास से सीधे जोड़ना चाहती है।

  2. क्षेत्रीय संतुलन और अनुभव का प्रयोग: बीजापुर जैसे संवेदनशील जिले में अनुभवी अधिकारी के स्थान पर नवप्रवेशी अधिकारी को भेजा जाना एक बड़ा प्रशासनिक दांव है। वहीं नक्सल क्षेत्रों में कार्य कर चुके अधिकारियों को अपेक्षाकृत शांत जिलों में भेजा गया है।

  3. विकास प्राथमिकता से जुड़ा निर्णय: आगामी वित्तीय वर्ष की योजनाओं और जेम पोर्टल सहित कई विवादित परियोजनाओं की निगरानी हेतु प्रशासनिक कुशलता को फिर से संरेखित किया गया है।

"एक मासूम सवाल... पर बहुत गहरी बात!"
✍️ शौर्यपथ विशेष रिपोर्ट

    रायपुर के वरिष्ठ पत्रकार देवेंद्र गुप्ता ने सोशल मीडिया पर एक सवाल पूछा — "कांग्रेस सरकार के आबकारी घोटाले में तत्कालीन मंत्री कवासी लखमा जेल में हैं, तो फिर उसी सरकार के मेडिकल घोटाले में स्वास्थ्य मंत्री रहे टीएस सिंहदेव पर कोई कार्रवाई क्यों नहीं?"
  यह सवाल जितना मासूम दिखता है, उतना ही गहरे और असहज करने वाले तथ्यों को उजागर करता है। पत्रकारिता का धर्म है सवाल पूछना और लोकतंत्र का आधार है — जवाबदेही।
  पूर्ववर्ती कांग्रेस शासनकाल में हुए बहुचर्चित मेडिकल घोटाले, जिसमें सीजीएमएससी (छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेस कॉरपोरेशन) के माध्यम से उपकरणों, दवाओं और रिएजेंट की खरीदी में भारी गड़बड़ियां उजागर हुईं, आज भी पूर्ण जांच की राह देख रहा है। हाल ही में मोक्षित ग्रुप के दुर्ग स्थित तीन ठिकानों पर केंद्रीय एजेंसी की छापेमारी यह दर्शाती है कि जांच अब भी अधूरी है और कई कड़ियाँ बाकी हैं।

एक पक्ष कार्रवाई में, दूसरा अनछुआ क्यों?

तत्कालीन आबकारी मंत्री कवासी लखमा, जिन पर शराब घोटाले में संलिप्तता के आरोप लगे, वे इस समय जेल में हैं। परंतु जब बात मेडिकल घोटाले की होती है, तो स्वास्थ्य मंत्री रहे टीएस सिंहदेव का नाम कहीं जांच के दायरे में नहीं आता। जबकि सीजीएमएससी में हुए तमाम निर्णय उन्हीं के कार्यकाल में हुए।

देवेंद्र गुप्ता का सवाल यहीं तीखा हो जाता है —
"क्या यह जाति और सामाजिक हैसियत का भेदभाव है?"
आदिवासी समाज से आने वाले कवासी लखमा पर बिना झिझक कार्रवाई होती है, लेकिन क्षत्रिय समाज से आने वाले प्रभावशाली नेता टीएस सिंहदेव अब तक जांच से अछूते क्यों हैं?

सहयोगी पर भी लगे हैं आरोप

टीएस बाबा के स्वास्थ्य मंत्री रहते उनके निजी सचिव रहे आनंद सागर पर भी भ्रष्टाचार के आरोप लग चुके हैं। दिलचस्प बात यह है कि आज वही आनंद सागर विधानसभा में भाजपा नेता रमन सिंह के सहयोगी के रूप में सक्रिय हैं। इससे सवाल और भी जटिल हो जाता है —
क्या यह पूरा सिस्टम ही मिलावट से ग्रस्त है? क्या राजनीतिक अदला-बदली जांच की दिशा तय करती है?

सवाल जनता का है, जवाब भी जनता को चाहिए

देवेंद्र गुप्ता की यह टिप्पणी महज एक पत्रकार की जिज्ञासा नहीं, बल्कि प्रदेश की जागरूक जनता का प्रतिनिधित्व करती है।
जनता पूछ रही है —

क्या मेडिकल घोटाले की निष्पक्ष जांच होगी?
क्या रसूखदार नेताओं पर भी जांच एजेंसियों का शिकंजा कसेगा?
क्या दोषियों को जाति, पद या पार्टी से ऊपर उठकर सजा मिलेगी?
लोकतंत्र में सवाल पूछना अपराध नहीं, कर्तव्य है।
और जो जनता का पैसा लूटे, वह चाहे कोई भी हो — उसे कानून के कठघरे में आना ही चाहिए।

देवेंद्र गुप्ता का सवाल अगर वाकई मासूम है, तो फिर इस ‘मासूमियत’ में वो ताकत छिपी है जो सत्ता के गलियारों में पसरी चुप्पी को तोड़ सकती है।

तीन दिन में पूरी भर्ती प्रक्रिया, ढाई से तीन लाख रुपये में बेचे गए पद, कांग्रेस ने की परीक्षा रद्द करने की मांग

रायपुर, 29 जुलाई 2025।
समग्र शिक्षा विभाग में ठेका कंपनियों के माध्यम से हुई भर्ती प्रक्रिया पर गंभीर आरोप लगाते हुए प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने इसे प्रदेश के बेरोजगार युवाओं के साथ "संस्थागत छल" बताया है। उन्होंने दावा किया कि भर्ती प्रक्रिया में गहरी अनियमितता, लेनदेन और पूर्व-निर्धारित चयन सूची जैसी तमाम खामियां उजागर हो चुकी हैं।

धनंजय सिंह ठाकुर ने प्रेस वार्ता में आरोप लगाया कि—

"ठेका कंपनियों ने युवाओं को नियुक्ति देने के नाम पर ढाई से तीन लाख रुपये वसूले। जिन युवाओं को चयनित करना था, उनसे पहले ही ₹10 के स्टांप में ‘लेनदेन नहीं करने’ का शपथ पत्र भरवाया गया, जो इस बात का साक्ष्य है कि सब कुछ पहले से तय था।"

उन्होंने कहा कि इस भर्ती में कोविडकाल में सेवा दे चुके उम्मीदवारों को 10% बोनस अंक देने का वादा किया गया था, लेकिन इसे दरकिनार कर दिया गया। इस तरह हजारों योग्य और अनुभवधारी उम्मीदवारों को बाहर कर दिया गया।

भर्ती में "तीन दिवसीय चमत्कार"
ठेका कंपनियों की कार्यप्रणाली पर तंज कसते हुए ठाकुर ने कहा—

"जेम पोर्टल से टेंडर लेकर ठेका कंपनियों ने महज तीन दिन में आवेदन, स्क्रूटिनी, परीक्षा, 35,000 से अधिक पेपरों की जांच, इंटरव्यू और रिजल्ट जारी कर दिया। ये पूरी प्रक्रिया शोध का विषय है या किसी साज़िश का पर्दाफाश?"

क्या कहते हैं अभ्यर्थी?
कई अभ्यर्थियों ने कांग्रेस के पास पहुंचकर आरोप लगाया कि—

  • आवेदन करने से पहले ही चयन की जानकारी संबंधित उम्मीदवारों को थी।

  • ठेका कंपनी ने भर्ती के लिए साइट चालू और बंद होने का समय भी "अपने लोगों" को पहले से बता दिया।

  • इंटरव्यू तक फिक्स कर लिए गए थे, जिनमें नियुक्ति पाने वाले लोग पहले से चयनित सूची में थे।

  • जो चयनित नहीं हुए, उनसे या तो मोटी रकम मांगी गई या प्रक्रिया से बाहर कर दिया गया।

कांग्रेस की मांगें
धनंजय ठाकुर ने मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री से मांग की कि—

  1. समग्र शिक्षा विभाग की इस पूरी भर्ती प्रक्रिया को तत्काल निरस्त किया जाए।

  2. संबंधित ठेका कंपनियों को ब्लैकलिस्ट किया जाए।

  3. एफआईआर दर्ज कर जांच करवाई जाए कि किसके इशारे पर इतनी बड़ी भर्ती "सेटिंग" के आधार पर की गई।

  4. भविष्य की सभी संविदा भर्तियों में पारदर्शिता के लिए सीधा सरकारी पर्यवेक्षण हो और परीक्षा एजेंसियों का चयन स्वतंत्र संस्थाओं से हो।

राजनीतिक संदेश स्पष्ट
यह मुद्दा महज भर्ती प्रक्रिया से जुड़ा नहीं है बल्कि आने वाले चुनावों से पहले युवाओं की नाराजगी और भ्रष्टाचार के खिलाफ राजनीतिक संघर्ष का आधार बन सकता है। कांग्रेस इसे एक "युवाओं के साथ विश्वासघात" के रूप में पेश कर रही है, जो भाजपा सरकार के लिए एक संवेदनशील और संभावित संकट का विषय बन सकता है।

रायपुर, 29 जुलाई 2025 | विशेष संवाददाता

छत्तीसगढ़ भाजपा के युवा नेता एवं केड्रा इकाई रायपुर के नव नियुक्त अध्यक्ष भूपेंद्र सवन्नी इन दिनों गंभीर आरोपों के घेरे में हैं। ऊर्जा विभाग से संबंधित एक कार्य में निजी ईकाइयों से 3% कमीशन की मांग और न देने पर धमकी देने की शिकायत मुख्यमंत्री सचिवालय तक पहुँच चुकी है। इस पत्र की प्रति सार्वजनिक होने के बाद मामला गरमा गया है और अब यह एक बड़े राजनीतिक विवाद का रूप ले चुका है।


शिकायत और मुख्यमंत्री सचिवालय की कार्रवाई
दिनांक 20 जून 2025 को रायपुर की एक ईकाई द्वारा मुख्यमंत्री को भेजे गए पत्र में यह आरोप लगाया गया कि भूपेंद्र सवन्नी ऊर्जा विभाग के तहत नए सिस्टम निर्माण संबंधी कार्यों के लिए ठेकेदारों और ईकाइयों से 3% की कथित मांग कर रहे हैं। शिकायत में कहा गया है कि जो ईकाइयाँ यह "हिस्सा" देने से इनकार करती हैं, उन्हें धमकाया जाता है और उनके कार्य रोके जाते हैं।

इस पर मुख्यमंत्री सचिवालय ने त्वरित संज्ञान लेते हुए ऊर्जा विभाग को पत्राचार भेजकर पूरे प्रकरण की जनहित में वेब पोर्टल पर अपलोडिंग सहित नियमानुसार कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। अवर सचिव अरविंद कुमार खोपड़े द्वारा जारी पत्र में स्पष्ट किया गया है कि मामला गंभीर है और इसकी पड़ताल आवश्यक है।


प्रदेश कांग्रेस ने बनाया बड़ा राजनीतिक हथियार
शिकायत पत्र के सार्वजनिक होते ही यह मुद्दा प्रदेश कांग्रेस के लिए बैठे-बैठाए एक बड़ा राजनीतिक हथियार बन गया है। कांग्रेस नेताओं द्वारा इसे सोशल मीडिया के विभिन्न मंचों पर तेजी से साझा किया जा रहा है।
ट्विटर (एक्स), फेसबुक और इंस्टाग्राम जैसे मंचों पर कांग्रेस प्रवक्ताओं और नेताओं ने भूपेंद्र सवन्नी को ‘भ्रष्टाचार का प्रतीक’ बताते हुए भाजपा सरकार को कटघरे में खड़ा करना शुरू कर दिया है। कई वरिष्ठ नेताओं ने मांग की है कि इस मामले में निष्पक्ष जांच हो और दोषी को पार्टी से निष्कासित किया जाए।

कांग्रेस प्रवक्ता का कहना है कि “यह मामला भाजपा के युवाओं में फैलते सत्ता-प्रदत्त भ्रष्टाचार का प्रमाण है। जब युवा नेतृत्व ही भ्रष्टाचार में लिप्त होगा तो राज्य की राजनीतिक संस्कृति का क्या होगा?”


भूपेंद्र सवन्नी और पूर्व विवाद
भूपेंद्र सवन्नी पर यह कोई पहला आरोप नहीं है। पूर्व में भी मंडल एवं अन्य शासकीय कार्यों में हस्तक्षेप, नियुक्तियों में मनमानी और अधिकारियों पर दबाव डालने जैसे आरोप उन पर लग चुके हैं। हालांकि, इस बार मामला दस्तावेजी प्रमाणों के साथ सीधे मुख्यमंत्री कार्यालय तक पहुँच चुका है, जिससे इसकी संवेदनशीलता और भी बढ़ गई है।


राजनीतिक विश्लेषण
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि यह मामला अब केवल प्रशासनिक जांच का नहीं, बल्कि राजनीतिक रणनीति और साख का मुद्दा बन गया है। भाजपा को जहाँ आंतरिक स्तर पर इस पर संज्ञान लेना होगा, वहीं कांग्रेस इस पूरे प्रकरण को आगामी नगर निकाय और पंचायत चुनावों से पहले एक नैतिक मुद्दा बनाकर जनता के बीच ले जाने की तैयारी में है।


निष्कर्ष
भूपेंद्र सवन्नी के खिलाफ लगे आरोपों ने छत्तीसगढ़ की राजनीति में एक नई बहस को जन्म दे दिया है। एक ओर भाजपा के लिए यह नेतृत्व की जवाबदेही का सवाल है, वहीं कांग्रेस इसे भ्रष्टाचार के विरुद्ध जनजागरण का अवसर मान रही है। अगर जांच निष्पक्ष होती है, तो यह पूरे राजनीतिक परिदृश्य को प्रभावित कर सकती है।


(यह रिपोर्ट तीन आधिकारिक पत्रों एवं सोशल मीडिया पर जारी प्रतिक्रियाओं के विश्लेषण पर आधारित है। संबंधित पक्षों से सफाई या प्रतिक्रिया प्राप्त होने पर उसे आगामी संस्करण में प्रकाशित किया जाएगा।)

हसौद/रायपुर, 29 जुलाई 2025 | विशेष संवाददाता

छत्तीसगढ़ सरकार भले ही सुशासन और पारदर्शिता की बात कर रही हो, लेकिन जमीनी हकीकत आज भी कुछ और ही है। हसौद तहसील के ग्राम किकिरदा से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां एक गरीब किसान बीते छह महीनों से अपनी जमीन का नक्शा ऑनलाइन चढ़वाने के लिए पटवारी के दरवाज़े खटखटा रहा है, पर हर बार उसे टाल दिया गया। किसान का आरोप है कि पटवारी द्वारा जानबूझकर उसे परेशान किया जा रहा है क्योंकि वह ‘चढ़ावा’ नहीं दे पाया।

पटवारी के निजी सहायक के ज़रिए खुलेआम रिश्वत की मांग

किकिरदा निवासी लक्ष्मण केवट ने कलेक्टर को सौंपे अपने शिकायती पत्र में गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने बताया कि उनके खाता क्रमांक 1377 के अंतर्गत खसरा नंबर 309/6 (0.08 डिसमिल) जमीन का नक्शा आज तक ऑनलाइन नहीं चढ़ पाया है। किसान के अनुसार पटवारी छत्रपाल सूर्यवंशी जनवरी 2025 से अब तक केवल टालमटोल करता रहा है।

सबसे गंभीर आरोप यह है कि पटवारी ने अपने साथ एक निजी सहायक (मल्दा निवासी) को गैरकानूनी रूप से रखा है, जो खुलेआम किसानों से पैसे मांगता है। किसान का कहना है, "निज सहायक कहता है, पैसा दोगे तो काम होगा, नहीं दोगे तो जहां जाना है चले जाओ।"

गर्मी और बारिश में खेत पर करता रहा इंतजार, लेकिन नहीं हुआ काम

लक्ष्मण ने शिकायत में लिखा है कि वह मजदूरी छोड़कर कई बार पटवारी के बताए दिन खेत पर पहुंचा, लेकिन हर बार उसे सिर्फ यह कहकर लौटा दिया गया कि “अगले हफ्ते नाप कर नक्शा चढ़ा देंगे।” बरसात से पहले बार-बार मिन्नतें की गईं, लेकिन पटवारी पर कोई असर नहीं पड़ा। अंततः 6 महीने बाद भी नक्शा चढ़ाने की प्रक्रिया पूरी नहीं हुई।

क्या सरकार ने पटवारियों को ‘निज सहायक’ रखने की अनुमति दी है?

इस पूरे प्रकरण ने एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है – क्या शासन ने पटवारियों को निजी सहायक रखने और उनके माध्यम से किसानों से पैसा वसूलने की अनुमति दे रखी है? शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया है कि पटवारी द्वारा रखा गया व्यक्ति किसी भी कार्य – चाहे वह नामांतरण हो, फौती, बंटवारा, या विक्रय प्रतिवेदन – हर काम के लिए खुलेआम पैसे की मांग करता है। जिन किसानों की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है, उनका काम महीनों तक लंबित रखा जाता है।

कांग्रेस ने उठाया सवाल, कहा – “भ्रष्टाचार की जड़ पंचायत से शुरू होती है”

इस मामले के सामने आने के बाद कांग्रेस नेताओं ने एक बार फिर राज्य सरकार के “भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन” के दावे को झूठा बताया है। कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा, “जब पटवारी स्तर पर ही वसूली हो रही है और गरीब किसान अपनी जमीन का नक्शा चढ़वाने के लिए महीनों भटक रहा है, तो शासन किस मुंह से सुशासन की बात करता है?”

इस मुद्दे को कांग्रेस ने सोशल मीडिया पर भी उठाना शुरू कर दिया है। ट्विटर और फेसबुक पर हैशटैग #किसान_के_साथ_न्याय ट्रेंड करने लगा है।

प्रशासन से न्याय की गुहार, कलेक्टर से की शिकायत

किसान लक्ष्मण केवट ने अब कलेक्टर से सीधी शिकायत कर न्याय की गुहार लगाई है। उन्होंने मांग की है कि दोषी पटवारी के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की जाए और निजी सहायक के माध्यम से की जा रही अवैध वसूली पर रोक लगाई जाए। किसान ने लिखा, “मैं गरीब मजदूर हूं, मेरे पास पटवारी को देने के लिए हजारों रुपये नहीं हैं। मुझे न्याय दिलाया जाए।”

निष्कर्ष

छत्तीसगढ़ जैसे कृषि प्रधान राज्य में जब गरीब किसान छह-छह महीने अपनी जमीन के नक्शे के लिए भटकने को मजबूर हो और व्यवस्था में बैठे लोग खुलेआम वसूली करें, तो यह केवल एक प्रशासनिक विफलता नहीं, बल्कि सामाजिक अन्याय भी है। यदि ऐसे मामलों में शीघ्र न्याय नहीं मिला, तो यह लोगों का भरोसा पूरी व्यवस्था से उठाने के लिए काफी होगा।


गौसेवा के साथ घर-घर किचन गार्डन निर्माण पर भी दिया जा रहा है विशेष जोर
रायपुर/शौर्यपथ /मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने आज अपने निवास कार्यालय में छत्तीसगढ़ राज्य गौ संरक्षण एवं संवर्धन समिति द्वारा आयोजित ‘गौ विज्ञान परीक्षा अभियान 2025’ का शुभारंभ किया। इस अवसर पर उन्होंने अभियान के पोस्टर का अनावरण किया और समिति के सदस्यों को इस पुण्य कार्य के लिए शुभकामनाएँ एवं बधाई दी।
मुख्यमंत्री साय ने कहा कि गौसेवा भारतीय संस्कृति की आत्मा है, जो न केवल आध्यात्मिक लाभ प्रदान करती है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है। उन्होंने कहा कि इस वर्ष समिति द्वारा चलाए जा रहे अभियान में गौसेवा के साथ-साथ घर-घर किचन गार्डन निर्माण पर विशेष बल दिया जा रहा है, जो जनस्वास्थ्य सुधार और आत्मनिर्भरता की दिशा में एक सराहनीय पहल है।
इस अवसर पर समिति के प्रदेश अध्यक्ष श्री सुबोध राठी ने मुख्यमंत्री को अभियान की रूपरेखा से अवगत कराया। उन्होंने बताया कि समिति द्वारा आगामी 4 नवम्बर 2025 को प्रदेशभर में गौ विज्ञान परीक्षा आयोजित की जाएगी। इस परीक्षा का उद्देश्य जनसामान्य में गौवंश के महत्व, पारिस्थितिक तंत्र में उसकी भूमिका, ग्लोबल वार्मिंग की रोकथाम में योगदान तथा पंचगव्य के वैज्ञानिक पक्षों के प्रचार-प्रसार को बढ़ावा देना है।
 राठी ने बताया कि यह परीक्षा माध्यमिक, उच्चतर माध्यमिक एवं महाविद्यालय—इन तीन श्रेणियों में आयोजित की जाएगी। प्रदेश स्तरीय प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त करने वाले प्रतिभागियों को ₹51,000 नगद, द्वितीय स्थान हेतु ₹31,000 तथा तृतीय स्थान हेतु ₹21,000 नगद पुरस्कार एवं गौमय उत्पादों का किट प्रदान किया जाएगा। इसी प्रकार जिला स्तरीय परीक्षा में प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय स्थान प्राप्त करने वालों को क्रमशः ₹3,100, ₹2,100 एवं ₹1,100 नगद पुरस्कार के साथ गौ उत्पाद किट प्रदान किए जाएँगे।
परीक्षा में भाग लेने वाले सभी प्रतिभागियों को गौ विज्ञान ग्रंथ एवं प्रमाण पत्र प्रदान किया जाएगा। इच्छुक विद्यार्थी अपनी संस्था के प्राचार्य अथवा गौ विज्ञान प्रभारी से संपर्क कर पंजीयन करा सकते हैं।
उल्लेखनीय है कि गत वर्ष इस परीक्षा में प्रदेशभर से एक लाख से अधिक विद्यार्थियों ने भाग लिया था। इस वर्ष समिति ने एक लाख से अधिक विद्यार्थियों की भागीदारी का लक्ष्य निर्धारित किया है। इस अवसर पर प्रांत संयोजक अन्ना सफारे, प्रांत उप प्रमुख मनोज पांडेय, गौ ग्रंथ संपादक डॉ. अमित पांडेय सहित समिति के अन्य सदस्य उपस्थित थे।

पीओपी मूर्तियों पर नगर निगम का बड़ा फैसला,अब सिर्फ मिट्टी के गणेश ही होंगे विराजमान, महापौर और आयुक्त ने की नागरिकों से अपील
दुर्ग निगम सख्त, पीओपी मूर्ति बेचने पर होगी कड़ी कार्रवाई और जुर्माना
नगर निगम का बड़ा फैसला – पीओपी मूर्तियाँ बैन, विक्रेताओं को जारी की चेतावनी
दुर्ग /शौर्यपथ /आगामी गणेश उत्सव को देखते हुए नगर पालिक निगम दुर्ग एवं जिला प्रशासन ने शहर में पीओपी प्लास्टर ऑफ पेरिस से निर्मित मूर्तियों पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने का निर्णय लिया है। यह निर्णय पर्यावरण संरक्षण और जल स्रोतों की स्वच्छता को ध्यान में रखते हुए लिया गया है। आदेश के अनुसार, अब नगर निगम क्षेत्र अंतर्गत सभी घरों, कार्यालयों और सार्वजनिक पंडालों में केवल मिट्टी से बनी गणेश मूर्तियाँ ही स्थापित की जा सकेंगी।
महापौर श्रीमती अलका बाघमार एवं आयुक्त सुमित अग्रवाल ने मूर्ति विक्रेताओं को स्पष्ट निर्देश जारी करते हुए कहा है कि वे केवल मिट्टी से निर्मित गणेश मूर्तियाँ ही विक्रय के लिए रखें। पीओपी से बनी मूर्तियाँ न केवल जल स्रोतों को प्रदूषित करती हैं, बल्कि इनके अपघटन में भी लंबा समय लगता है जिससे जल जीवों और पर्यावरण को गंभीर नुकसान होता है।
महापौर अलका बागमार ने कहा-नगर निगम का यह प्रयास शहर को स्वच्छ और हरित बनाए रखने की दिशा में एक बड़ा कदम है। पीओपी मूर्तियाँ हमारे तालाबों और नदियों को दूषित करती हैं। हम सभी को मिलकर इस पहल में सहयोग करना चाहिए। मैं शहर के सभी नागरिकों से अपील करती हूँ कि वे मिट्टी से बनी गणेश मूर्तियाँ ही खरीदें और इस बार एक पर्यावरण-अनुकूल गणेश उत्सव मनाएं।”
नगर निगम आयुक्त सुमित अग्रवाल ने कहा निगम द्वारा लगातार निगरानी की जाएगी। यदि किसी विक्रेता या आयोजक को पीओपी मूर्तियाँ बेचते या स्थापित करते पाया गया, तो उसके विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जाएगी और जुर्माना भी वसूला जाएगा। निगम की टीम बाजारों और मूर्ति विक्रय स्थलों पर नियमित निरीक्षण करेगी।"
उन्होंने यह भी बताया कि नगर निगम द्वारा शहर के प्रमुख चौकों, बाजारों और वार्डों में जागरूकता अभियान चलाया जाएगा, ताकि आम नागरिकों को पीओपी मूर्तियों के दुष्प्रभाव के बारे में जानकारी दी जा सके और वे मिट्टी की मूर्तियाँ अपनाने के लिए प्रेरित हों।
निगम की अपील:
नागरिक मिट्टी से बनी मूर्तियाँ ही खरीदें
पीओपी मूर्तियों की जानकारी मिलने पर नगर निगम को सूचित करें
मूर्ति विसर्जन के लिए नगर निगम द्वारा निर्धारित स्थानों का ही उपयोग करें
यह कदम न सिर्फ पर्यावरण के हित में है, बल्कि भावी पीढ़ियों को एक स्वच्छ और सुरक्षित पर्यावरण देने की दिशा में भी महत्वपूर्ण योगदान है। नगर निगम ने सभी धार्मिक समितियों, गणेश उत्सव मंडलों और गणेश मूर्ति विक्रेताओं से भी सहयोग की अपेक्षा की है।

नागपंचमी पर्व प्रकृति के साथ सह-अस्तित्व और करुणा का प्रतीक - मुख्यमंत्री साय
  रायपुर/शौर्यपथ/मुख्यमंत्री  विष्णु देव साय ने प्रदेशवासियों को नागपंचमी (29 जुलाई 2025)  के पावन अवसर पर शुभकामनाएँ देते हुए कहा कि यह पर्व हमारी सनातन संस्कृति की गहराई, लोक आस्था की ऊर्जा और प्रकृति के साथ समरसता का जीवंत प्रतीक है। यह हमारे पूर्वजों द्वारा रचित वह परंपरा है, जो जीव-जगत के साथ सम्मानपूर्ण सह-अस्तित्व का संदेश देती है।
मुख्यमंत्री  साय ने कहा कि नागपंचमी का पर्व पर्यावरण संतुलन और जैव विविधता के प्रति हमारी जिम्मेदारी की याद दिलाता है।
मुख्यमंत्री साय ने सभी नागरिकों से आग्रह किया कि वे इस पर्व के माध्यम से न केवल सांस्कृतिक परंपराओं को सहेजें, बल्कि पर्यावरण संरक्षण, जीव-जंतुओं के प्रति संवेदनशीलता और सामाजिक सौहार्द को जीवन में अपनाएँ।

मुख्यमंत्री  साय ने मेडिश्योर हॉस्पिटल का किया शुभारंभ
रायपुर/शौर्यपथ /मुख्यमंत्री  विष्णु देव साय ने आज राजधानी रायपुर के कमल विहार सेक्टर-11ए में मेडिश्योर हॉस्पिटल का शुभारंभ किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि राज्य सरकार स्वास्थ्य अधोसंरचना को सुदृढ़ करने के लिए निरंतर प्रयासरत है, जिससे जनसामान्य को गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा सुविधाएँ सुलभ हो सकें।
मुख्यमंत्री साय ने हॉस्पिटल प्रबंधन को शुभकामनाएँ देते हुए कहा कि आधुनिक चिकित्सा सुविधाओं से युक्त मेडिश्योर हॉस्पिटल आमजन के लिए एक बड़ी सौगात है। विशेष रूप से बोन मैरो ट्रांसप्लांट जैसी उन्नत सुविधा राज्य के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है, जिससे गंभीर रोगों से जूझ रहे मरीजों को राहत मिलेगी।
इस अवसर पर विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने कहा कि छत्तीसगढ़ ने शिशु मृत्यु दर, मातृ मृत्यु दर और कुपोषण जैसी गंभीर स्वास्थ्य चुनौतियों को पीछे छोड़ते हुए चिकित्सा क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है। कार्यक्रम में विधायक श्री मोतीलाल साहू, रायपुर विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष श्री नंद कुमार साहू, डॉ. विकास गोयल, डॉ. मीनल गोयल सहित अनेक गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।

उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा एवं श्री अरुण साव भी रहेंगे उपस्थित, हजारों श्रद्धालुओं की होगी सहभागिता
रायपुर/शौर्यपथ /श्रावण मास के तीसरे सोमवार को छत्तीसगढ़ के कबीरधाम जिले में स्थित बाबा भोरमदेव धाम एक बार फिर श्रद्धा, भक्ति और सनातन आस्था का जीवंत प्रतीक बनने जा रहा है। मुख्यमंत्री  विष्णुदेव साय  सावन मास के तीसरे सोमवार को हेलीकॉप्टर से भोरमदेव मंदिर परिसर पहुँचकर प्रातःकाल कांवड़ यात्रा में शामिल श्रद्धालुओं, भक्तों एवं कांवड़ियों का पुष्प वर्षा कर भव्य स्वागत एवं अभिनंदन करेंगे। यह लगातार दूसरा वर्ष है जब मुख्यमंत्री स्वयं श्रद्धालुओं का पुष्प वर्षा से स्वागत कर रहे हैं — जो जनभावनाओं के प्रति उनकी आत्मीयता और आस्था के प्रति उनकी प्रतिबद्धता का प्रमाण है।
मुख्यमंत्री साय के साथ उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा तथा उपमुख्यमंत्री अरुण साव भी इस पावन अवसर पर उपस्थित रहेंगे। यह आयोजन छत्तीसगढ़ सरकार की सनातन परंपरा, लोक आस्था और श्रद्धालुओं के प्रति सम्मान के भाव को दर्शाता है, जो राज्य के सांस्कृतिक मूल्यों को संजोने की दिशा में एक प्रेरणादायक पहल है।
उल्लेखनीय है कि श्रावण मास में भोरमदेव मंदिर का विशेष धार्मिक महत्व है। तीसरे सोमवार होने के कारण श्रद्धालुओं की संख्या और उनकी आस्था — दोनों ही चरम पर होंगी। छत्तीसगढ़ के कबीरधाम, बेमेतरा, खैरागढ़, राजनांदगांव, बलौदा बाजार, मुंगेली, बिलासपुर सहित अन्य जिलों से हजारों की संख्या में कांवड़िए भोरमदेव धाम पहुँचते हैं। साथ ही, माँ नर्मदा नदी के उद्गम स्थल अमरकंटक से जल लेकर पदयात्रा करते हुए श्रद्धालु भोरमदेव मंदिर पहुँचते हैं और भगवान भोलेनाथ का जलाभिषेक करते हैं।
उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा की पहल पर कांवड़ यात्रियों के स्वागत के लिए सुरक्षा, पेयजल, स्वास्थ्य, भोजन, रात्रि विश्राम, पार्किंग, मार्गदर्शन एवं प्राथमिक चिकित्सा जैसी समुचित व्यवस्थाएँ की गई हैं। मंदिर क्षेत्र को विद्युत सज्जा, भजन संध्या और स्वच्छता कार्यक्रमों के माध्यम से पूरी तरह भक्तिमय स्वरूप में परिवर्तित कर दिया गया है, जिससे श्रद्धालुओं को एक दिव्य आध्यात्मिक अनुभव प्राप्त हो।
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में श्रद्धालुओं के सम्मान एवं सेवा की यह परंपरा लगातार नई ऊँचाइयों को छू रही है। पुष्प वर्षा कर श्रद्धालुओं का अभिनंदन करना केवल एक प्रतीकात्मक कृत्य नहीं, बल्कि इस भाव का प्रमाण है कि छत्तीसगढ़ सरकार धर्म, आस्था और संस्कृति के साथ दृढ़ता से खड़ी है, और जनमानस के विश्वास को सर्वोच्च प्राथमिकता देती है।
भोरमदेव धाम, जिसे “छत्तीसगढ़ का खजुराहो” भी कहा जाता है, श्रावण के इस पावन सोमवार को आस्था के महासंगम का केंद्र बनेगा। कांवड़ यात्रा और मुख्यमंत्री एवं उपमुख्यमंत्रियों की उपस्थिति के कारण यह आयोजन आध्यात्मिक ऊर्जा, प्रशासनिक सक्रियता और सामाजिक सहभागिता का एक अनुपम उदाहरण बन जाएगा — जो आने वाले समय में एक प्रेरक परंपरा के रूप में स्थापित होगा।

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