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रायपुर/शौर्यपथ /मुख्यमंत्री विष्णु देव साय से आज राजधानी रायपुर स्थित मुख्यमंत्री निवास कार्यालय में भारत सरकार के केंद्रीय संचार एवं ग्रामीण विकास राज्य मंत्री डॉ. चन्द्रशेखर पेम्मासानी ने सौजन्य भेंट की। इस दौरान दोनों नेताओं के बीच ग्रामीण विकास, केंद्र एवं राज्य सरकार की योजनाओं के समन्वित क्रियान्वयन, आदिवासी अंचलों में संचार सुविधाओं के सुदृढ़ीकरण और माओवाद प्रभावित क्षेत्रों में चल रहे विकास कार्यों को लेकर विस्तृत चर्चा हुई।
मुख्यमंत्री साय ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विकासोन्मुखी दृष्टिकोण को धरातल पर साकार करने हेतु राज्य सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि हमारी सरकार बनने के बाद पहली कैबिनेट बैठक में 18 लाख पक्के मकानों की स्वीकृति दी जा चुकी है, जिससे प्रदेश के गरीब परिवारों के आवास का सपना पूरा हो रहा है। उन्होंने कहा कि बैंकिंग सेवाओं के सुदृढ़ीकरण के लिए 1,460 ग्राम पंचायतों में अटल डिजिटल सेवा केंद्र आरंभ किए गए हैं, जिससे ग्रामीण जनसंख्या को सहज और सुलभ बैंकिंग सुविधा मिल रही है।
मुख्यमंत्री साय ने महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण की दिशा में उठाए गए कदमों की चर्चा करते हुए बताया कि राज्य सरकार द्वारा कौशल विकास एवं नवाचार को प्रोत्साहित किया जा रहा है। ग्रामीण अंचलों में महिला स्व-सहायता समूहों द्वारा किए जा रहे कार्यों ने आत्मनिर्भरता की नई मिसाल कायम की है।
केंद्रीय राज्य मंत्री डॉ. चन्द्रशेखर पेम्मासानी ने मुख्यमंत्री श्री साय को अपने नारायणपुर तथा मोहला-मानपुर-अंबागढ़ चौकी जिलों के दौरे की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि इन क्षेत्रों में केंद्र सरकार की योजनाएं प्रभावी ढंग से क्रियान्वित हो रही हैं और स्थानीय जनता को इनका सीधा लाभ मिल रहा है। डॉ. पेम्मासानी ने माओवादी क्षेत्रों में तीव्र गति से हो रहे सकारात्मक बदलाव की सराहना करते हुए इसे छत्तीसगढ़ के उज्ज्वल भविष्य का संकेत बताया। उन्होंने ‘बिहान’ योजना के अंतर्गत महिला स्व-सहायता समूहों की ओर से आयोजित प्रदर्शनी का उल्लेख करते हुए कहा कि समूह की दीदियों द्वारा तैयार किए गए बेलमेटल, मिलेट्स और घरेलू उत्पादों की गुणवत्ता अत्यंत सराहनीय है। उन्होंने कहा कि इन समूहों की महिलाएँ 15 से 20 हजार रुपये मासिक आय अर्जित कर रही हैं, जो ग्रामीण महिलाओं की आत्मनिर्भरता की दिशा में एक उल्लेखनीय उपलब्धि है।
डॉ. पेम्मासानी ने जनजातीय समुदाय के पारंपरिक स्वागत का स्मरण करते हुए कहा कि उनके साथ नृत्य करना और स्थानीय संस्कृति से आत्मिक रूप से जुड़ने का अनुभव अविस्मरणीय रहा। उन्होंने परीयना दिव्यांग आवासीय विद्यालय के दौरे का भी विशेष उल्लेख किया और वहाँ बच्चों से हुई आत्मीय बातचीत को अत्यंत भावुक क्षण बताया। उन्होंने शासन द्वारा दिव्यांग बच्चों के लिए किए जा रहे प्रयासों की प्रशंसा की। इस अवसर पर मुख्यमंत्री के सचिव श्री पी. दयानंद उपस्थित थे।
रायपुर/शौर्यपथ/छत्तीसगढ़ की नगर पंचायत बिल्हा ने स्वच्छता के क्षेत्र में ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल करते हुए स्वच्छता सर्वेक्षण 2024–25 में 20,000 से कम आबादी वाले शहरों की श्रेणी में पूरे भारतवर्ष में प्रथम स्थान प्राप्त किया है। इस उपलब्धि के लिए दिनांक 17 जुलाई 2025 को नई दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में आयोजित भव्य पुरस्कार समारोह में भारत की महामहिम राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू द्वारा बिल्हा नगर पंचायत को सम्मानित किया गया था। आज इस गौरवशाली उपलब्धि की प्रतिध्वनि ‘मन की बात’ के राष्ट्रीय मंच तक पहुँची, जब प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ के 124वें संस्करण में बिल्हा नगर पंचायत की महिलाओं द्वारा किए गए नवाचार और श्रम का उल्लेख करते हुए सराहना की।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि बिल्हा की महिलाओं को वेस्ट मैनेजमेंट की ट्रेनिंग दी गई और उन्होंने मिलकर शहर की तस्वीर बदल डाली। यह उल्लेख पूरे छत्तीसगढ़ के लिए गौरव का क्षण है, जिसने स्वच्छता को न केवल शासकीय योजना के रूप में, बल्कि सामुदायिक आंदोलन के रूप में अपनाया है।
नगर पंचायत बिल्हा की आबादी लगभग 15,000 है, जहाँ 28 स्वच्छता दीदियाँ कार्यरत हैं। ये दीदियाँ नगर के 15 वार्डों में घर-घर जाकर ई-रिक्शा के माध्यम से कचरा संग्रहण का कार्य करती हैं और फिर कचरे को SLRM सेंटर में ले जाकर गीला और सूखा कचरा पृथक करती हैं। गीले कचरे से खाद बनाई जाती है और सूखे कचरे को बेचकर ये महिलाएँ आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर हो रही हैं। इसके अतिरिक्त बिल्हा नगर में 10 विशेष स्वच्छता कमांडो भी नियुक्त किए गए हैं जो ट्रैक्टर और ऑटो टिपर के माध्यम से पूरे शहर में घूमकर कचरा सफाई और जन-जागरूकता का कार्य कर रहे हैं। बिल्हा नगर पंचायत द्वारा जन-जागरूकता अभियान, मुनादी, और घरों-दुकानों से सीधे कचरा संग्रहण जैसे कदमों से आज नगरवासी कचरे को पृथक कर ई-रिक्शा में देने के लिए प्रेरित हो चुके हैं। मुक्तिधाम, तालाब, गार्डन, सामुदायिक भवन आदि में सामूहिक सफाई अभियान भी समय-समय पर चलाए जाते हैं। इस सफलता का श्रेय सभी सफाई कर्मचारियों, स्वच्छता दीदियों, नगर पंचायत के अधिकारियों, कर्मचारियों और सकारात्मक सोच वाले जनप्रतिनिधियों को जाता है, जो निरंतर निरीक्षण और प्रतिबद्धता के साथ कार्य कर रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि भारत में 20,000 से कम आबादी वाले 2000 से अधिक नगरीय निकाय हैं। भारत सरकार के शहरी विकास मंत्रालय द्वारा स्वतंत्र एजेंसियों के माध्यम से सफाई व्यवस्था का परीक्षण, जिसमें डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन, रोड स्विपिंग, नाइट स्विपिंग, कचरा निपटान, शौचालयों और पार्कों की सफाई व्यवस्था सहित जनता से फीडबैक शामिल था, उसी के आधार पर यह सम्मान मिला है।
इस अवसर पर विज्ञान भवन में आयोजित समारोह में उप मुख्यमंत्री श्री अरुण साव, नगर पंचायत बिल्हा की अध्यक्ष श्रीमती वंदना जेन्ड्रे, मुख्य नगर पालिका अधिकारी श्री प्रवीण सिंह गहलोत, उपाध्यक्ष श्री सतीश शर्मा, पीआईसी सदस्य श्री मोहन ढोरिया, तत्कालीन उप अभियंता श्री नरेंद्र दुबे, सफाई दरोगा श्री यशवंत सिंह, स्वच्छता सुपरवाइजर श्री राकेश डागोर, स्वच्छता दीदी श्रीमती पूजा राठौर एवं पीआईयू श्री अंकित दुबे विशेष रूप से उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने इस उपलब्धि पर बधाई देते हुए कहा कि बिल्हा नगर पंचायत ने स्वच्छता के क्षेत्र में जो कीर्तिमान स्थापित किया है, वह सम्पूर्ण छत्तीसगढ़ के लिए गर्व का विषय है। भारत सरकार के स्वच्छता सर्वेक्षण 2024–25 में देशभर के 20,000 से कम आबादी वाले शहरों में प्रथम स्थान प्राप्त कर बिल्हा ने न केवल प्रदेश का मान बढ़ाया है, बल्कि यह सिद्ध किया है कि संकल्प, सहभागिता और सेवा भाव से किसी भी लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है।प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा 'मन की बात' कार्यक्रम में बिल्हा की महिलाओं और उनके स्वच्छता नवाचार की प्रशंसा करना इस उपलब्धि को राष्ट्रीय स्तर पर ऐतिहासिक बना देता है। यह समस्त छत्तीसगढ़ के लिए गर्व का क्षण है।
उपमुख्यमंत्री एवं नगरीय प्रशासन मंत्री अरुण साव ने कहा कि बिल्हा नगर पंचायत ने स्वच्छता सर्वेक्षण 2024–25 में पूरे भारत में प्रथम स्थान प्राप्त कर छत्तीसगढ़ का मान पूरे देश में बढ़ाया है। यह सफलता हमारे नगरीय निकायों की प्रतिबद्धता, कार्यशैली और जनभागीदारी का जीवंत उदाहरण है। यह उपलब्धि प्रदेश के अन्य नगर निकायों को भी नई प्रेरणा देगी और हम सब मिलकर स्वच्छता में छत्तीसगढ़ को देश के अग्रणी राज्यों में बनाए रखने के लिए निरंतर कार्य करेंगे।
भिलाई, 27 जुलाई:
गुरुद्वारा बेबे नानकी जी सेक्टर-11, भिलाई की प्रबंधक कमेटी ने अपने 2 वर्ष के सफल कार्यकाल की समाप्ति के उपरांत एक ऐतिहासिक निर्णय लिया। छत्तीसगढ़ सिख पंचायत भिलाई-दुर्ग के अध्यक्ष सरदार जसवीर सिंह चहल की अध्यक्षता में आयोजित एक विशेष धार्मिक समारोह में, सर्वसम्मति से सरदार कुलवंत सिंह को गुरुद्वारा बेबे नानकी जी का नया प्रधान चुना गया।
यह शुभ निर्णय श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी की पावन हजूरी में अरदास के साथ लिया गया, जिसके उपरांत सरदार कुलवंत सिंह को सिरोपाओ देकर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर सिख यूथ सेवा समिति के अध्यक्ष इंद्रजीत सिंह छोटू व कोषाध्यक्ष मलकीत सिंह ललू ने उन्हें बधाई दी और उनके आगामी कार्यकाल के लिए शुभकामनाएं दीं।
सिख पंचायत के महासचिव गुरनाम सिंह ने बताया कि नई प्रबंधक कमेटी का कार्यकाल दो वर्षों का होगा और आने वाले पांच दिनों में कमेटी गठन की सूची सिख पंचायत को सौंप दी जाएगी।
इस ऐतिहासिक अवसर पर कई गणमान्य सिख नेता एवं समुदाय के सदस्य उपस्थित रहे जिनमें शामिल हैं:
गुरमीत सिंह गांधी (वाइस चेयरमैन), पलविंदर सिंह रंधावा, जसबीर सिंह सैनी, हरभजन सिंह चहल, बलदेव सिंह, तेजिंदर सिंह हुंदल, गुरमीत सिंह चहल, अमरजीत सिंह बल, हरपाल सिंह हैप्पी, बलजिंदर सिंह कलेर, हरपाल सिंह कमल, सरूप सिंह, पुष्पक सिंह गिल, बलविंदर सिंह काला, स्वर्ण सिंह कोक, गुरप्रीत सिंह वाधवा, अजित सिंह काले, राजेंद्र सिंह अरोरा, और अन्य सम्मानित सदस्य।
यह कार्यक्रम न केवल एक प्रशासनिक बदलाव का प्रतीक था, बल्कि संगत के समर्पण और एकता का भी जीवंत प्रमाण रहा। सरदार कुलवंत सिंह के नेतृत्व में गुरुद्वारा बेबे नानकी जी के सेवाकार्यों में और अधिक निखार आने की उम्मीद जताई जा रही है।
20.53 करोड़ की लागत से पंड्रापाठ में विकसित होगा बहु-उद्देशीय परिसर
रायपुर/शौर्यपथ /मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की पहल पर जशपुर जिले के पंड्रापाठ में राज्य का अत्याधुनिक तीरंदाजी प्रशिक्षण केंद्र स्थापित किया जाएगा, जो ग्रामीण युवाओं की खेल प्रतिभा को सशक्त मंच प्रदान करेगा।
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में खेल, शिक्षा और ग्रामीण विकास को एक समन्वित दृष्टिकोण के साथ जोड़कर समग्र उन्नति की दिशा में ठोस कदम उठाए जा रहे हैं। इसी क्रम में जशपुर जिले के सुदूरवर्ती क्षेत्र पंड्रापाठ (तहसील सन्ना, विकासखंड बगीचा) में अत्याधुनिक सुविधाओं से युक्त एक बहु-उद्देशीय परिसर की स्थापना की जा रही है, जो राज्य के प्रतिभाशाली युवाओं को सशक्त मंच प्रदान करेगा।एनटीपीसी द्वारा कॉर्पोरेट सामाजिक दायित्व (CSR) के अंतर्गत इस महत्वाकांक्षी परियोजना के लिए 20.53 करोड़ रुपये की वित्तीय स्वीकृति दी गई है। परिसर में तीरंदाजी प्रशिक्षण केंद्र, लघु पुस्तकालय, प्राथमिक चिकित्सा इकाई, कौशल विकास केंद्र, जैविक खेती हेतु छायादार नर्सरी का निर्माण किया जाएगा। परिसर में एक औषधीय उद्यान भी विकसित किया जाएगा, जिसमें जड़ी-बूटियों और औषधीय वृक्षों का रोपण किया जाएगा। इस परियोजना के लिए लगभग 10.27 एकड़ (लगभग 41,565 वर्गमीटर) भूमि का चयन स्थानीय प्रशासन के सहयोग से किया गया है।
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा कि इस पहल से ग्रामीण प्रतिभाओं को स्वयं को निखारने का अवसर मिलेगा और वे राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय मंच तक पहुँचकर अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर सकेंगे। परियोजना के लिए विस्तृत साइट लेआउट, 3-डी डिज़ाइन, भवनों की संरचना और प्रत्येक घटक की लागत का विवरण विशेषज्ञ परामर्शदाताओं द्वारा तैयार किया गया है।
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने विश्वास व्यक्त किया है कि इस नवाचारपरक पहल से न केवल खेल क्षेत्र को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि शिक्षा, स्वास्थ्य और कौशल विकास के माध्यम से जशपुर जिले में समावेशी विकास की एक नई धारा बहेगी।
टैली प्रमोटर: सार्वजनिक बोलने की कला का अदृश्य सहायक
शौर्यपथ लेख / सार्वजनिक मंच पर बोलते समय आत्मविश्वास और प्रवाह बनाए रखना किसी भी वक्ता के लिए एक चुनौती हो सकता है। चाहे वह कोई राजनेता हो, टेलीविजन एंकर हो, या कोई कॉर्पोरेट लीडर, हर कोई चाहता है कि उसकी बात श्रोताओं तक बिना किसी रुकावट या भटकाव के पहुंचे। यहीं पर टैली प्रमोटर (Teleprompter), जिसे आमतौर पर ऑटोक्यू (Autocue) भी कहा जाता है, एक अमूल्य उपकरण के रूप में सामने आता है। यह एक ऐसा तकनीकी चमत्कार है जो वक्ता को अपनी स्क्रिप्ट को सीधे पढ़ते हुए भी, दर्शकों से सीधा नेत्र संपर्क बनाए रखने में सक्षम बनाता है।
टैली प्रमोटर की कार्यप्रणाली: एक ऑप्टिकल भ्रम
टैली प्रमोटर का संचालन एक साधारण लेकिन प्रभावी ऑप्टिकल सिद्धांत पर आधारित है। इसमें मुख्य रूप से दो प्रमुख घटक होते हैं:
* मॉनिटर या डिस्प्ले स्क्रीन: यह स्क्रीन आमतौर पर वक्ता के सामने, कैमरे के ठीक नीचे या स्टेज पर छिपाकर रखी जाती है। इस पर भाषण या स्क्रिप्ट का टेक्स्ट लगातार स्क्रॉल करता रहता है।
* बीम स्प्लिटर मिरर (Beam Splitter Mirror): यह टैली प्रमोटर का सबसे महत्वपूर्ण और चालाक हिस्सा होता है। यह एक विशेष प्रकार का आधा-परावर्तक (half-reflective) शीशा होता है, जो लगभग 45 डिग्री के कोण पर झुका हुआ होता है। इसे कैमरे के लेंस के ठीक सामने इस तरह से लगाया जाता है कि वक्ता इस शीशे के माध्यम से देख सके।
कैसे काम करता है?
* मॉनिटर पर चल रहा टेक्स्ट इस बीम स्प्लिटर मिरर पर परावर्तित (reflect) होता है। वक्ता जब शीशे की ओर देखता है, तो उसे यह टेक्स्ट हवा में तैरता हुआ या शीशे पर दिखाई देता है।
* यह शीशा जादुई रूप से केवल एक ही दिशा में परावर्तन (reflection) करता है। इसका मतलब है कि वक्ता को शीशे में टेक्स्ट दिखाई देता है, लेकिन शीशे के दूसरी ओर से (यानी कैमरे या दर्शकों की तरफ से) यह टेक्स्ट बिल्कुल भी दिखाई नहीं देता। दर्शकों को केवल वक्ता का चेहरा और आँखें ही दिखाई देती हैं, जिससे उन्हें लगता है कि वक्ता बिना किसी नोट्स के सीधे उनसे बात कर रहा है।
* एक कुशल ऑपरेटर वक्ता की बोलने की गति के अनुसार टेक्स्ट की स्क्रॉलिंग स्पीड को नियंत्रित करता है। इससे यह सुनिश्चित होता है कि वक्ता को कभी भी अगले वाक्य का इंतजार नहीं करना पड़ता या उसे बहुत तेज़ी से नहीं पढ़ना पड़ता।
टैली प्रमोटर के लाभ: क्यों यह सार्वजनिक बोलने वालों की पहली पसंद है
टैली प्रमोटर सिर्फ एक सहायक उपकरण नहीं, बल्कि सार्वजनिक बोलने की कला में क्रांति लाने वाला एक साधन है। इसके कई महत्वपूर्ण फायदे हैं:
* अखंड नेत्र संपर्क (Uninterrupted Eye Contact): यह सबसे बड़ा लाभ है। वक्ता को बार-बार नीचे नोट्स देखने या ऊपर देखने की ज़रूरत नहीं पड़ती। वह लगातार कैमरे में या दर्शकों की आँखों में देखकर बात कर पाता है, जिससे एक गहरा जुड़ाव स्थापित होता है।
* आत्मविश्वास और प्राकृतिक प्रवाह (Confidence and Natural Flow): स्क्रिप्ट याद करने का तनाव दूर हो जाता है। वक्ता जानता है कि शब्द उसके सामने हैं, जिससे वह अधिक आत्मविश्वासी होकर बोलता है। यह भाषण को अधिक प्राकृतिक और धाराप्रवाह बनाता है।
* गलतियों में कमी (Reduced Errors): भूलने की संभावना या शब्दों के चुनाव में गलती होने की संभावना लगभग खत्म हो जाती है। यह विशेष रूप से लाइव प्रसारण या महत्वपूर्ण भाषणों के लिए महत्वपूर्ण है जहाँ कोई गलती स्वीकार्य नहीं होती।
* समय का सटीक प्रबंधन (Precise Time Management): ऑपरेटर के नियंत्रण के कारण, भाषण को निर्धारित समय-सीमा के भीतर आसानी से पूरा किया जा सकता है। यह विशेष रूप से टेलीविजन शो या सम्मेलनों के लिए उपयोगी है जहाँ समय की पाबंदी महत्वपूर्ण होती है।
* पेशेवर प्रस्तुति (Professional Presentation): टैली प्रमोटर का उपयोग एक पॉलिश और पेशेवर छवि प्रस्तुत करता है। यह दर्शाता है कि वक्ता ने अपनी तैयारी पूरी की है और वह अपने दर्शकों के प्रति गंभीर है।
टैली प्रमोटर के प्रकार: विभिन्न आवश्यकताएं, विभिन्न समाधान
आधुनिक समय में टैली प्रमोटर विभिन्न रूपों में उपलब्ध हैं, जो अलग-अलग आवश्यकताओं को पूरा करते हैं:
* ऑन-कैमरा टैली प्रमोटर (On-Camera Teleprompter): यह सबसे आम प्रकार है, जहाँ शीशा सीधे कैमरे के लेंस के सामने लगा होता है। यह टेलीविजन समाचार, इंटरव्यू और फिल्म निर्माण में उपयोग होता है।
* स्टैंड-अलोन या प्रेसिडेंशियल टैली प्रमोटर (Stand-Alone or Presidential Teleprompter): ये आमतौर पर दो पारदर्शी शीशे होते हैं जो स्टेज के दोनों ओर खड़े होते हैं। इनका उपयोग सार्वजनिक भाषणों, सम्मेलनों और बड़ी सभाओं में किया जाता है, जहाँ वक्ता को एक बड़े दर्शक वर्ग को संबोधित करना होता है।
* मोबाइल या टैबलेट टैली प्रमोटर (Mobile or Tablet Teleprompter): छोटे बजट या व्यक्तिगत उपयोग के लिए, आजकल स्मार्टफ़ोन और टैबलेट को भी टैली प्रमोटर के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। इनके लिए विशेष ऐप्स और छोटे स्टैंड उपलब्ध हैं।
* फ्लैट स्क्रीन टैली प्रमोटर (Flat Screen Teleprompter): ये ऐसे मॉनिटर होते हैं जो सीधे डेस्क या पोडियम में एकीकृत होते हैं, और इनका उपयोग अक्सर समाचार डेस्क पर या स्टूडियो सेटिंग्स में किया जाता है।
निष्कर्ष:टैली प्रमोटर एक ऐसा तकनीकी नवाचार है जिसने सार्वजनिक बोलने की दुनिया को बदल दिया है। यह वक्ताओं को उनकी बात को सटीकता, आत्मविश्वास और प्रभावशीलता के साथ प्रस्तुत करने का अवसर प्रदान करता है। यह दर्शकों और वक्ता के बीच एक अदृश्य पुल का काम करता है, जिससे संचार अधिक प्रामाणिक और आकर्षक बन जाता है। चाहे वह एक महत्वपूर्ण राजनीतिक घोषणा हो, एक व्यावसायिक प्रस्तुति हो, या एक दैनिक समाचार बुलेटिन, टैली प्रमोटर यह सुनिश्चित करता है कि संदेश स्पष्ट रूप से और प्रभावी ढंग से वितरित हो, बिना किसी नोट्स की आवश्यकता के।
क्या आप टैली प्रमोटर के किसी अन्य तकनीकी पहलू या इसके उपयोग के उदाहरणों के बारे में जानना चाहेंगे?
अहमदाबाद/ शौर्यपथ /गुजरात के अहमदाबाद शहर में स्थित प्रतिष्ठित सोमललित स्कूल की दसवीं कक्षा की एक छात्रा द्वारा स्कूल की चौथी मंज़िल से छलांग लगाकर जीवन समाप्त करने की घटना ने समाज, शिक्षा जगत और प्रशासन को गहरे प्रश्नों के कटघरे में खड़ा कर दिया है। यह हृदयविदारक घटना 24 जुलाई को स्कूल समय के दौरान हुई और इलाज के कुछ घंटों बाद छात्रा ने दम तोड़ दिया।
क्या हुआ उस दिन?
सूत्रों के अनुसार, घटना रिसेस टाइम के दौरान स्कूल की चौथी मंज़िल की लॉबी में हुई जहाँ छात्रा ने रेलिंग पर चढ़कर छलांग लगा दी। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, उसकी कुछ सहपाठियों ने उसे रोकने का प्रयास भी किया और हाथ पकड़ने की कोशिश की, परंतु वह छूटकर नीचे गिर गई।
गंभीर रूप से घायल छात्रा को तत्काल 108 एम्बुलेंस से अस्पताल ले जाया गया, जहाँ वह ICU में भर्ती रही। परंतु गहरे सिर और शरीर के अन्य हिस्सों में चोटें लगने के कारण उसकी स्थिति अत्यंत गंभीर बनी रही और देर रात उसने जीवन की अंतिम सांस ली।
छात्रा का मानसिक स्वास्थ्य और स्कूल प्रशासन की प्रतिक्रिया
स्कूल प्रशासन के ट्रस्टी प्रग्नेश शास्त्री ने मीडिया को बताया कि छात्रा पिछले एक महीने से मेडिकल लीव पर थी और हाल ही में स्कूल आना प्रारंभ किया था। उन्होंने बताया कि “छात्रा मानसिक रूप से कमजोर प्रतीत हो रही थी, पर उसने या उसके परिवार ने कोई स्पष्ट संकेत नहीं दिया था कि वह इस हद तक टूट चुकी है।”
यह बयान कई सवाल खड़े करता है – क्या स्कूलों में मानसिक स्वास्थ्य का समुचित आकलन और निगरानी की व्यवस्था है? क्या बच्चों की चुप्पी को हम अब भी नज़रअंदाज़ कर रहे हैं?
पुलिस जांच और आगे की प्रक्रिया
घटना के बाद नवरंगपुरा थाने में मेडिकल लीगल केस दर्ज किया गया। पुलिस ने छात्रा के सहपाठियों, शिक्षकों और स्टाफ से पूछताछ प्रारंभ की है। साथ ही CCTV फुटेज की समीक्षा की जा रही है ताकि घटना से जुड़े सभी पहलुओं की स्पष्ट जानकारी सामने आ सके।
DCP सफीन हसन ने बताया कि, “मामले की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए हर संभावित पहलू की जांच की जा रही है, लेकिन अब तक कोई संदिग्ध साक्ष्य सामने नहीं आया है।”
समाज के लिए एक चेतावनी
यह घटना एक सीधा संकेत है कि मनोवैज्ञानिक तनाव और भावनात्मक संघर्ष बच्चों की दुनिया में कितनी खामोशी से प्रवेश कर चुके हैं। यह सिर्फ एक छात्रा की मौत नहीं, बल्कि हमारी सामाजिक संरचना की एक दरार है, जिसे समय रहते भरना आवश्यक है।
संदेश और अपील
बच्चों की मुस्कराहट के पीछे छुपे भावनात्मक संघर्ष को समझें।
हर स्कूल में प्रशिक्षित काउंसलर और मेंटल हेल्थ सपोर्ट सिस्टम अनिवार्य रूप से होना चाहिए।
घर और स्कूल दोनों को मिलकर सुनने वाला, समझने वाला और समर्थन देने वाला माहौल देना चाहिए।
आज जब एक छात्रा ने अपनी जिंदगी से हार मान ली, तो यह हम सभी की हार है – माता-पिता, शिक्षक, समाज और शासन व्यवस्था की भी। आइए हम वादा करें कि अब किसी और मासूम को यह निर्णय लेने की नौबत न आए।
मुंगेली/शौर्यपथ /मुंगेली ज़िले के लोरमी थाना क्षेत्र अंतर्गत कोसाबाड़ी गांव में सात वर्षीय मासूम बच्ची के अपहरण व हत्या के सनसनीखेज मामले में पुलिस ने बड़ी सफलता हासिल की है। यह मामला न केवल क्रूरता की पराकाष्ठा है बल्कि अंधविश्वास और तंत्र-मंत्र जैसी कुप्रथाओं के घातक स्वरूप को उजागर करता है।
पुलिस द्वारा की गई जांच में सामने आया है कि बच्ची की हत्या गांव के ही पांच लोगों ने मिलकर की थी, जिनमें बच्ची का चचेरा भाई और उसकी पत्नी भी शामिल हैं। प्रारंभिक जांच में पता चला है कि आरोपियों ने तंत्र-मंत्र की क्रियाओं में सफलता पाने की मंशा से इस मासूम की बलि दी।
पुलिस ने इस जघन्य अपराध में शामिल आरोपियों की पहचान कर उन्हें गिरफ्तार कर लिया है। दो मुख्य संदिग्धों का ब्रेन मैपिंग, पॉलीग्राफी और नार्को टेस्ट भी कराया गया है, जिसमें उन्होंने जुर्म कबूल कर लिया।
घटना का क्रम इस प्रकार सामने आया:
2 अप्रैल की रात को कोसाबाड़ी गांव में एक शादी समारोह था। इसी दौरान बच्ची अपने घर के आंगन में मां की गोद में खाट पर सो रही थी। मां की नींद रात 2 बजे खुली तो देखा कि बच्ची गायब है। पहले परिजनों ने अपने स्तर पर तलाश की, लेकिन असफल रहने पर पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराई गई।
लगभग एक महीने बाद, 7 मई को गांव के समीप एक सुनसान इलाके में बच्ची का नरकंकाल मिला। इससे पूरे गांव में शोक और आक्रोश का माहौल बन गया।
पुलिस अधीक्षक की निगरानी में गठित विशेष टीम ने तकनीकी विश्लेषण, फॉरेंसिक और मनोवैज्ञानिक जांच के आधार पर इस जघन्य अपराध की परतें खोलीं। गिरफ्तार किए गए पांचों आरोपी अब न्यायिक हिरासत में हैं, और जल्द ही पुलिस मामले में सार्वजनिक रूप से प्रेस कॉन्फ्रेंस कर पूर्ण खुलासा करेगी।
समाज को चेतावनी:
यह हृदयविदारक घटना केवल एक अपराध नहीं, बल्कि समाज में फैले अंधविश्वास की भयंकर परिणति है। यह सोचने का समय है कि कैसे शिक्षा, जागरूकता और संवेदनशील प्रशासन ही ऐसे अपराधों पर लगाम लगा सकता है।
नोट: पीड़िता की पहचान को गुप्त रखने के उद्देश्य से समाचार में नाम और व्यक्तिगत विवरणों को हटा दिया गया है।
झालावाड़ राजस्थान/शौर्यपथ /राजस्थान के झालावाड़ जिले के पीपलौदी गांव में शुक्रवार की सुबह एक सरकारी स्कूल में उस समय मातम पसर गया जब कक्षा के भीतर पढ़ाई कर रहे मासूम छात्रों पर अचानक जर्जर छत का हिस्सा गिर पड़ा। इस हृदयविदारक हादसे में 7 बच्चों की दर्दनाक मौत हो गई, जबकि 20 से अधिक घायल हो गए, जिनमें कई की हालत गंभीर बताई जा रही है।
घटना लगभग सुबह 8:30 बजे की है, जब पीपलौदी गांव के राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय की कक्षा में छात्र-छात्राएं नियमित पढ़ाई में व्यस्त थे। प्रत्यक्षदर्शियों और बचे हुए बच्चों के अनुसार, छत से पहले कंकड़ और मिट्टी गिरने लगे थे, जिसे बच्चों ने शिक्षकों को बताया। लेकिन अफसोस, शिकायत को गंभीरता से नहीं लिया गया। चंद मिनटों बाद ही पूरी छत भरभरा कर नीचे आ गिरी, और कक्षा चीखों और मलबे के ढेर में तब्दील हो गई।
हादसे के तुरंत बाद ग्रामीणों ने स्थानीय पुलिस और प्रशासन को सूचना दी। रेस्क्यू टीम ने बच्चों को बाहर निकाला, लेकिन तब तक 7 मासूम जिंदगी हमेशा के लिए खामोश हो चुकी थीं। 28 घायल बच्चों में से कई का इलाज कोटा और झालावाड़ के अस्पतालों में जारी है।
पुराना भवन, नई मौतें: ज़िम्मेदारी किसकी?
यह इमारत 1947 से पहले की बनी हुई थी और वर्षों से जर्जर स्थिति में थी। भारी बारिश ने उसकी स्थिति और खराब कर दी थी। हाल ही में जिला प्रशासन ने पुराने भवनों की सूची बनाई थी, लेकिन यह स्कूल उस सूची में नहीं था, जो कि शासनिक लापरवाही का जीवंत प्रमाण है।
जवाबदेही तय: निलंबन और जांच के आदेश
राजस्थान सरकार ने 5 शिक्षा अधिकारियों को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने घटना को बेहद दुर्भाग्यपूर्ण बताया और समस्त सरकारी विद्यालयों व भवनों की संरचनात्मक समीक्षा के आदेश दिए हैं। एक तकनीकी समिति 5 दिनों में रिपोर्ट सौंपेगी।
वहीं, राज्य के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने इस हादसे की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए कहा,
"मैं दोषारोपण की राजनीति नहीं करूंगा। मैं शिक्षा मंत्री हूं, यह मेरी भी जिम्मेदारी है।"
उन्होंने पीड़ित परिवारों को ₹10 लाख का मुआवजा, एक सदस्य को नौकरी, और मृत बच्चों के नाम पर स्कूल में नई कक्षा का नामकरण करने की घोषणा की।
प्रधानमंत्री की संवेदना, गृह मंत्री मौन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस हादसे पर शोक व्यक्त करते हुए सोशल मीडिया पर लिखा:
"यह हादसा अत्यंत दुःखद और पीड़ादायक है। घायल बच्चों के शीघ्र स्वस्थ होने की प्रार्थना करता हूं। प्रशासन पीड़ितों को हरसंभव सहायता दे रहा है।"
हालांकि, गृह मंत्री अमित शाह की ओर से इस विषय पर अब तक कोई सार्वजनिक प्रतिक्रिया नहीं आई है।
राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप तेज
कांग्रेस नेता राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे ने इसे “सरकारी हत्या” करार देते हुए शिक्षा मंत्री के इस्तीफे की मांग की है। पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने पूरे राज्य में सरकारी भवनों की सेफ्टी ऑडिट करवाने की मांग रखी।
सवाल बाकी हैं…
क्या बच्चों की जान बच सकती थी अगर चेतावनी को गंभीरता से लिया जाता?
किस आधार पर जर्जर इमारतें "सुरक्षित" घोषित होती हैं?
क्या सिर्फ निलंबन ही पर्याप्त जवाबदेही है?
यह हादसा सिर्फ एक इमारत के गिरने का नहीं, बल्कि उस भरोसे के ढहने का है जो माता-पिता अपने बच्चों को सरकारी स्कूल भेजते वक्त रखते हैं। जब तक जिम्मेदार लोगों को सज़ा नहीं मिलेगी और ढांचागत सुधार नहीं होंगे, तब तक ऐसी त्रासदियाँ यूँ ही मासूम ज़िंदगियाँ निगलती रहेंगी।
हम मृत आत्माओं को श्रद्धांजलि देते हैं और घायलों के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना करते हैं।
गया (बिहार)/शौर्यपथ/बिहार के गया में मानवता को शर्मसार करने वाली एक खौफनाक वारदात सामने आई है। बीएमपी-3 परिसर में होमगार्ड बहाली के दौरान शारीरिक परीक्षा के समय एक युवती की तबीयत अचानक बिगड़ने पर उसे इलाज के लिए अस्पताल भेजा जा रहा था। लेकिन रास्ते में ही एम्बुलेंस में मौजूद चालक और टेक्नीशियन ने युवती के साथ सामूहिक दुष्कर्म कर डाला।
कैसे हुई घटना
गुरुवार को बीएमपी परिसर में चल रही भर्ती परीक्षा के दौरान एक युवती अचानक बेहोश हो गई थी। उसे तत्काल एम्बुलेंस के ज़रिए मगध मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल ले जाया गया। लेकिन रास्ते में चालक विनय कुमार और टेक्नीशियन अर्जित कुमार ने कथित रूप से उसके साथ बलात्कार किया। होश में आने पर युवती ने डॉक्टरों को आपबीती बताई, जिसके बाद अस्पताल प्रशासन ने पुलिस को सूचना दी।
तेजी से हुई कार्रवाई
घटना की सूचना मिलते ही एसएसपी आनंद कुमार ने तुरंत कार्रवाई करते हुए दो घंटे के भीतर दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस ने घटना स्थल के आसपास लगे सीसीटीवी फुटेज खंगालने के बाद आरोपियों की पहचान सुनिश्चित की। मामला बोधगया थाना क्षेत्र में दर्ज किया गया है और दोनों आरोपियों का मेडिकल परीक्षण भी कराया गया है।
एम्बुलेंस में 3-4 लोग होने का दावा
पीड़िता का आरोप है कि घटना के समय एम्बुलेंस में तीन से चार लोग मौजूद थे। पुलिस अभी इस पहलू की भी जांच कर रही है कि और कौन लोग इसमें शामिल हो सकते हैं।
न्याय की उम्मीद के साथ:
इस घटना ने न केवल कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि चिकित्सा सेवा जैसे पवित्र माध्यम के भीतर भी अपराधियों के घुसपैठ की गंभीरता को उजागर किया है। पीड़िता को न्याय दिलाने और दोषियों को सख्त सजा देने की दिशा में प्रशासन की त्वरित कार्रवाई उम्मीद जगाती है, लेकिन यह घटना आने वाले समय में ऐसे संवेदनशील क्षेत्रों में सुरक्षा उपायों की व्यापक समीक्षा की भी मांग करती है।
संचालिका सहित 5 आरोपी गिरफ्तार, फरार मालिक की तलाश जारी; पुलिस की सटीक कार्रवाई से बेनकाब हुआ देह व्यापार का पूरा जाल
भिलाई/शौर्यपथ /शहर की चमचमाती सड़कों और सजधज के पीछे छुपा एक घिनौना सच पुलिस की सतर्कता से सामने आया है। नेहरू नगर चौक स्थित 'द ग्रीन डे स्पा' की आड़ में अनैतिक देह व्यापार संचालित किए जाने का भंडाफोड़ हुआ है। संचालिका संध्या कुमारी सहित 5 लोगों को गिरफ्तार किया गया है, जबकि स्पा का मुख्य मालिक फरार है जिसकी तलाश जारी है।
गुप्त सूचना पर की गई दबिश
नगर पुलिस को सूचना मिली थी कि नेहरू नगर स्थित कोटक महिंद्रा बैंक के पास चल रहे स्पा सेंटर में लड़कियों से अनैतिक कार्य करवा कर अवैध धन अर्जित किया जा रहा है। सूचना की तस्दीक के बाद नगर पुलिस अधीक्षक सत्यप्रकाश तिवारी के निर्देशन में पुलिस टीम ने तत्काल रेड कार्रवाई की।
स्पा सेंटर से जब्त सामग्री:
06 मोबाइल फोन
01 लेनोवा टैब
08 डायरी, 04 रजिस्टर
टाइपशुदा मोबाइल नंबरों की सूची
आपत्तिजनक सामग्री
नकद -600
ग्राहक को बुलाने के लिए टेली कॉलिंग नेटवर्क का इस्तेमाल
पूछताछ में बड़ा खुलासा हुआ कि स्पा सेंटर की टेली कॉलर जैनम खातून और योगिता गंधर्व ग्राहकों को फोन कर प्रलोभन देती थीं और अलग-अलग चार मोबाइल नंबरों से इस गैरकानूनी कारोबार को संचालित किया जाता था।
आरोपियों पर लगे गंभीर आरोप
आरोपियों के विरुद्ध अनैतिक देह व्यापार निवारण अधिनियम 1956 की धारा 3, 4, 5, 7 के अंतर्गत मामला दर्ज किया गया है। पूछताछ के बाद सभी आरोपियों को विधिवत गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश किया गया।
गिरफ्तार आरोपी:
1. संध्या कुमारी (34 वर्ष) – संचालिका, निवासी सुपेला
2. अरविंद यादव (30 वर्ष) – ग्राहक, सुपेला
3. आदित्य सिंह (29 वर्ष) – ग्राहक, सुपेला
4. जैनम खातून – टेली कॉलर, सुपेला
5. योगिता गंधर्व (23 वर्ष) – टेली कॉलर, सुपेला
मुख्य आरोपी स्पा सेंटर का मालिक घटना के बाद से फरार है, जिसकी पुलिस द्वारा सरगर्मी से तलाश की जा रही है।
प्रशासनिक सख्ती
पुलिस द्वारा नगर पालिका को स्पा सेंटर का गुमास्ता लाइसेंस रद्द करने हेतु प्रतिवेदन भेजा गया है। पुलिस का यह कदम शहर में इस तरह के छिपे हुए अनैतिक कारोबार के विरुद्ध एक कड़ा संदेश माना जा रहा है।
कार्यवाही में इन अधिकारियों का रहा विशेष योगदान:
सीएसपी सत्यप्रकाश तिवारी
निरीक्षक विजय कुमार यादव
उनि. मनीष वाजपेयी
प्र. आर. योगेश चंद्राकर, अमर सिंह
महिला रक्षक टीम प्रभारी संगीता मिश्रा
महिला आरक्षक: योगिता साहू, सरस्वती ठाकुर, दीपक साहू, स्वाती कुर्रे
संदेश समाज के लिए
यह घटना महज एक रेड नहीं, समाज में फैल रही नैतिक पतन की चेतावनी है। स्पा और सैलून जैसे व्यवसायों की आड़ में यदि देह व्यापार पनपने लगे, तो यह महिलाओं की गरिमा, कानून व्यवस्था और सामाजिक मूल्यों तीनों के लिए संकट है। पुलिस की तत्परता ने इस पूरे रैकेट का पर्दाफाश कर एक साहसिक और अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किया है।