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रायपुर / शौर्यपथ / नयातालाब आंगनवाड़ी केन्द्र पर तैनात 38 वर्षीय आंगनवाड़ी कार्यकर्ता अर्चना अपने काम के साथ ही अपने परिवार की जिम्मेदारी भी बखूबी निभाई है इस लिए महिला दिवस के मौके पर उनका जिक्र करना भी जरूरी है . अर्चना ने अपने जीवन में कई उतार-चढ़ाव देखे हैं 15 वर्षों से आंगनवाड़ी में कार्यरत हैं अर्चना कहती है कि खुशी का वह पल आज तक नही भूल पाती हूँ , जब दिल्ली से आई हुई टीम ने कहा अर्चना तुम्हारा केंद्र लाजवाब है उस दिन लगा कि मेरे काम की सही पहचान मिली है ।
अर्चना बताती हैं “मेरे पिता गाडी चालक है । मैं अपने भाई बहनों में सबसे बडी हूँ ।अचानक एक दिन पिताजी की आंख को लकवा मार गया। इलाजकरवाया पर ठीक नही हुए वह एक आंख से बिल्कुल नहीं देख पाते हैं । उन्होंने कहा कि वह समय ऐसा था जब घर की सारी जिम्मेदारी मेरे कंधों पर आ गई थी लेकिन मैंने हिम्मत नहीं हारी और मैंने आंगनवाड़ी कार्यकर्ता के रूप में अपने जीवन की नयी शुरुआत की और इसी कार्य को करते हुए अपनी तीन छोटी बहनों की शादी भी करवाई और छोटे भाई को पढ़ाया भी ।
काम के प्रति इनकी मेहनत और लगन का ही नतीजा था कि विभाग ने बचपन की देखभाल और शिक्षा की गतिविधि का शुभारंभ आंगनवाड़ी केंद्र नयातालाब गुढ़ियारी से प्रारंभ किया।
अर्चना कहती है,“मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान के तहत लक्ष्य सुपोषण में मेरे क्षेत्र के दो बच्चे गंभीर कुपोषित आये थे । लॉक डाउन के कठिन समय में दोनो गंभीर कुपोषित बच्चों का ध्यान रखना एक बड़ी चुनौती थी लेकिन मैंने निरंतर उन दोनो बच्चों की अच्छे से देखभाल की और उनके माता पिता को पौष्टिक आहार की जानकारी दी । लॉक डाउन के समय में उनके घर जाकर अपने सामने दूध अंडा केला प्रतिदिन एवं पौष्टिक गरमा-गरम भोजन देकर उनको मध्यम श्रेणी में लाई। अब वह बच्चे पूर्णता स्वस्थ हैं ।
अर्चना ने समाज सेवा के साथ परिवार के लिए भी बखूबी समय दिया है उनकी छोटी बहन जो शादी के 2 साल बाद ही विधवा हो गई थी । उसकी 3 माह की बच्ची जो जन्म से ही शारीरिक दिव्यांगता की परेशानी से लड रही है उसके लिएअर्चना ने रात-दिन एक कर दिया और आज वह बच्ची सहारे से खड़ी हो जाती है । अर्चना कहती है कि इस बच्ची ने मुझे समाज सेवा और लोगों की समस्याओं को समझने का हुनर दिया है । पूरे समाज को,पूरे परिवार को साथ लेकर चलना,उनकी छोटी बडी समस्याओं को समझना,उचित मार्गदर्शन देकर,उनका हौसला बढ़ाना ।
अर्चना कहतीं हैं, “अब तो बच्चों के साथ ई.सी.सी.ई की गतिविधियों के द्वारा बच्चों को शिक्षा देना,जैसे जीवन का लक्ष्य हो गया है।मेरी बहन के ससुराल में उसे गर्भावस्था के समय उचित देखभाल व सही खानपान न मिलने के परिणाम स्वरूपही उसकी बच्ची जन्म से कमजोर और जन्म से ही उसको झटके आने की समस्या होने लगी जो आज भी जारी है ,उसकी ऐसी हालत देखते हुए ही मैंने संकल्प लिया कि क्षेत्र की जितनी भी गर्भवती माताएं होंगी मैं उनके जीवन में,मेरे बहन के जैसी परिस्थिति नहीं आने दूँगी इसके लिए मुझे जो भी करना पड़े मैं वह कार्य करूंगी । उनको हर प्रकार से सही देखभाल,खानपान,और मानसिक रूप से मजबूत बनाने के लिए भरसक प्रयासरत करुँगी। यही मेरे जीवन का एक मात्र लक्ष्य है। ताकि कोई भी नवजात शिशु अपना बचपन न खोऐ और मां अपने बच्चे को हसते खेलते हुए बड़ा होता देख सके”।
अर्चना कहती हैं,“ कार्य करने के दौरान बहुत सी चुनौतियाँ आतीं ऐसे ही एक वाकया का जिक्र करते हुए वह बोलीं कि एक बार बीएलओ ड्यूटी के दौरान एक घर पर जब जानकारी लेने के लिए पहुँचीं तो घर से निकले व्यक्ति ने बहुत ही गलत भाषा का प्रयोग करते हुए मुझे अपने घर से भगा दियाउस दिन लगा कहां नौकरी कर रहे हैं लेकिन ऐसी तमाम समस्याओं के बाद भी मैंने हार नहीं मानी । आज भी हम लोगों की समस्या को समझने और उसे दूर करने की पूरी कोशिश करते हैं ।असली सेवा लोगों का प्यार और गुस्सा दोनों ही है बस हम उसे समझकर उसे दो पल की खुशी दें यही असली समाज सेवा है”।
महिला बाल विकास मंत्री श्रीमती अनिला भेंड़िया सहित सांसद, विधायक, महापौर सामूहिक कन्या विवाह में हुए शामिल
कोरोना महामारी के कारण छत्तीसगढ़ में एक साथ 22 जिलों में सामूहिक विवाह समारोह का आयोजन: सभी जिले वर्चुअली जुड़े राजधानी के समारोह से
रायपुर / शौर्यपथ / मुख्यमंत्री भूपेश बघेल आज राजधानी रायपुर के बलबीर सिंह जुनेजा इंडोर स्टेडियम परिसर में आयोजित मुख्यमंत्री कन्या विवाह समारोह में शामिल हुए। शहनाई की मंगल ध्वनि और वैदिक मंत्रोच्चार के बीच 3 हजार 229 जोड़े परिणय-सूत्र में बंधे। मुख्यमंत्री बघेल ने सभी नव-दम्पत्तियों को आशीर्वाद और उनके सुखमय जीवन के लिए शुभकामनाएं दी। छत्तीसगढ़ में पहली बार 22 जिलों में एक साथ इस योजना के अंतर्गत सामूहिक विवाह समारोह का आयोजन किया गया, सभी जिले राजधानी रायपुर में आयोजित समारोह से वीडियो कॉन्फ्रंेसिंग के माध्यम से जुड़े। मुख्यमंत्री बघेल ने विभिन्न जिले के नवविवाहित जोड़ो से बातचीत कर उन्हें आशीर्वाद प्रदान किया।
रायपुर के समारोह में 233 जोड़ों का विवाह सम्पन्न कराया गया। इनमें से तीन क्रिश्चयन और एक मुस्लिम जोड़े का विवाह उनके धार्मिक रीति-रिवाजों के अनुसार कराया गया। समारोह में मुख्यमंत्री ने प्रतीकात्मक रूप से पांच जोड़ों को उपहार सामग्री और एक हजार रूपए का चेक प्रदान किया। इस अवसर पर कई जोड़ों ने मुख्यमंत्री के साथ सेल्फी लेकर अपने विवाह को यादगार बना लिया। मुख्यमंत्री ने सामूहिक विवाह में वर-वधुओं को बर्तन प्रदान करने के लिए रायपुर के श्री कमलेश चोपड़ा और हाथ घड़ी प्रदान करने के लिए अंकित गांधी को जनसहयोग हेतु प्रतीक चिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया। महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा 22 जिलों में एक साथ तीन हजार 229 जोड़ों के सामूहिक विवाह के आयोजन को गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में दर्ज किया गया। इसकी घोषणा मंच पर गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड की ओर से श्रीमती सोनल राजेश शर्मा ने की।
इस अवसर पर राज्यसभा सांसद श्रीमती छाया वर्मा, महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती अनिला भेंड़िया, ससदीय सचिव श्रीमती रश्मि आशीष सिंह, छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक, विधायक धरसींवा श्रीमती अनिता योगेन्द्र शर्मा, विधायक एवं छत्तीसगढ़ गृह निर्माण मंडल के अध्यक्ष कुलदीप जुनेजा, महापौर एजाज ढेबर, छत्तीसगढ़ खनिज विकास निगम के अध्यक्ष गिरीश देवांगन और राज्य नागरिक आपूर्ति निगम के अध्यक्ष रामगोपाल अग्रवाल उपस्थित थे। कोण्डागांव के समारोह में राज्यसभा सांसद श्रीमती फूलोदेवी नेताम और विधायक मोहन मरकाम भी उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री बघेल ने नवविवाहित जोड़ों को आशीर्वाद देते हुए कहा कि माघी पुन्नी के शुभ अवसर पर वर-वधु विवाह बंधन में बंध रहे हैं। यह हमारा सौभाग्य है कि एक साथ बराती और घराती दोनों बनने का अवसर मिला है। कन्यादान से बड़ा पुण्य और कोई नही है। माघी पुन्नी के दिन इसका महत्व और बढ़ गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान समय में शादियों में होने वाले फिजूल खर्ची से लोग उकता चुके हैं। इसमें समय के साथ साधन का भी बहुत अपव्यय होता है। सामूहिक विवाह में शामिल होकर माता-पिता के साथ वर-वधुओं ने नया कदम उठाया है, इसके लिए मैं उन्हें बधाई देता हूॅ। अब राज्य सरकार के साथ कई समाज में सामूहिक विवाह का आयोजन किया जा रहा है, जो एक सराहनीय कदम है। मुख्यमंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री कन्या विवाह के तहत पहले 15 हजार रूपए का प्रावधान था, जिसे बढ़ाकर हमने 25 हजार रूपए कर दिया। अब कई जाति, धर्म के लोग सहित बड़ी संख्या में आदिवासी लोग भी सामूहिक विवाह में शामिल होने लगे हैं। श्री बघेल ने कहा कि विवाह में विवाहित जोड़े सात वचनों और साथ निभाने का वचन लेते हैं। मैं भी जिंदगी भर अपने परिवार के लोगों के स्वास्थ्य का ध्यान देने का वचन वर-वधुओं विशेषकर वर से लेना चाहता हूॅ। वर पत्नी के साथ पूरे परिवार के सुपोषण का ध्यान रखे, क्योंकि माता के स्वस्थ होने से आने वाली पीढ़ियां भी स्वस्थ होंगी।
महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती भेंड़िया ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि प्रदेश के मुखिया व्यस्तम समय में भी स्वयं सभी नवविवाहित वर-वधुओं को आशीर्वाद देने पहुंचे हैं। पिछले वर्ष कोरोना के कारण आयोजन संपन्न नहीं हो पाया था। बड़ी संख्या में कई घर परिवार के लोग आज इस कार्यक्रम में उपस्थित हुए हैं, जिससे सभी का आशीर्वाद सभी नवविवाहितों को मिल रहा है। मंहगाई के समय में कम खर्च में शादी के लिए सामूहिक कन्या विवाह एक अच्छी योजना है। प्रदेश सरकार ने इस योजना के तहत 10 हजार रूपए की बढ़ोतरी कर 25 हजार रूपए का प्रावधान किया है, इसी प्रकार दिव्यांग जोड़ों के लिए विवाह की प्रोत्साहन राशि भी 50 हजार रूपए से बढ़ाकर एक लाख रूपए कर दी है। उन्होंने नव विवाहित जोड़ों को सुखमय नये जीवन की शुभकामनाएं भी दी।
महिला एवं बाल विकास के सचिव श्रीमती शहला निगार ने बताया कि मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना के तहत इस वर्ष 7 हजार 600 विवाह कराने का लक्ष्य रखा गया है। इस समारोह में नारी निकेतन रायपुर में निवासरत कन्या का विवाह कराकर उसे समाज की मुख्यधारा से जोड़ा गया है। कोविड-19 संक्रमण को देखते हुए 22 जिलों को वर्चुअल मोड से जोड़ा गया है। इस अवसर पर महिला एवं बाल विकास की संचालक श्रीमती दिव्या उमेश मिश्रा, रायपुर कलेक्टर एस. भारतीदासन सहित विभागीय अधिकारी-कर्मचारी और वर-वधुओं के परिजन उपस्थित थे।
औद्योगिक परियोजनाओं की त्वरित स्थापना हेतु वाणिज्य एवं उद्योग विभाग द्वारा विकसित कराया गया है यह मोबाइल एप, मोबाइल एप द्वारा उद्योगपति सीधे उद्योग विभाग से साझा कर सकेंगे जानकारी, प्रदेश में कुल 104 औद्योगिक इकाईयों द्वारा राज्य शासन के साथ किए गये हैं एम.ओ.यू., लगभग 42 हजार 500 करोड़ रूपये का पूँजी निवेश किया जाना प्रस्तावित : लगभग 65000 व्यक्तियों को उपलब्ध होगा रोजगार
रायपुर / शौर्यपथ / मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आज विधानसभा परिसर स्थित अपने कार्यालय कक्ष में प्रदेश में प्रस्तावित बड़ी औद्योगिक इकाईयों की मॉनिटरिंग हेतु मोबाइल एप लांच किया। प्रदेश में हजारों करोड़ की लागत से स्थापित किये जाने वाली औद्योगिक परियोजनाओं की त्वरित स्थापना हेतु वाणिज्य एवं उद्योग विभाग द्वारा यह मोबाइल एप विकसित कराया गया है। उद्योग मंत्री श्री कवासी लखमा भी इस अवसर पर उपस्थित थे।
मोबाईल एप द्वारा उद्योगपति सीधे अपनी इकाई स्थापना के विभिन्न चरणों में विभिन्न विभागों एवं संस्थाओं से आवश्यक सम्मति, सहमति, पंजीयन, अनापत्ति हेतु लंबित आवेदनों की जानकारी उद्योग विभाग से साझा कर सकेंगे। उद्योग विभाग द्वारा एम.ओ.यू. करने वाली प्रत्येक इकाई हेतु वरिष्ठ अधिकारियों को रिलेशनशिप मैनेजर के रूप में नामांकित किया गया है | इन रिलेशनशिप अधिकारियों के माध्यम से इकाईयों के आवेदनों पर विभिन्न विभागों में त्वरित निष्पादन में मदद मिलेगी। यह मोबाईल एप एंड्रॉयड एवं एप्पल प्ले स्टोर पर भी उपलब्ध है।
यहाँ यह उल्लेखनीय है कि प्रदेश में कुल 104 औद्योगिक इकाईयों द्वारा राज्य शासन के साथ एम.ओ.यू.निष्पादित किया गया है जिसमें लगभग 42 हजार 500 करोड़ रूपये का पूँजी निवेश किया जाना प्रस्तावित है तथा लगभग 65000 व्यक्तियों को रोजगार उपलब्ध होगा। इन एम.ओ.यू. में प्रदेश के अति पिछड़े क्षेत्र बस्तर संभाग में 16 इकाईयाँ प्रस्तावित है जिनमें से 09 इकाईयों द्वारा उद्योग स्थापना हेतु कार्यवाही प्रारंभ कर दी गयी है। संपादित 104 एम.ओ.यू. में से 40 इकाईयों द्वारा उद्योग स्थापना की कार्यवाही प्रारंभ कर दी गई है एवं 01 इकाई में उत्पादन भी प्रारंभ कर उनके द्वारा अपने उत्पादों का अन्य देशों को निर्यात भी प्रारंभ कर दिया गया है। सम्पादित 104 एम.ओ.यू. में स्टील क्षेत्र में 76, फार्मास्युटिकल क्षेत्र में 04, साईकल निर्माण में 01, रक्षा क्षेत्र में 03 एवं इलेक्ट्रॉनिक क्षेत्र की 02 इकाईयां सम्मिलित हैं।
उल्लेखनीय है कि प्रदेश के सरगुजा क्षेत्र में स्टील एवं एल्युमीनियम क्षेत्र में बड़े उद्योगों की स्थापना हेतु विभिन्न औद्योगिक निवेशकों द्वारा अभिरूचि प्रदर्शित की गई है । जिससे स्पष्ट है कि आने वाले दिनों में प्रदेश के अति पिछड़े सरगुजा एवं बस्तर क्षेत्र में भी औद्योगिक गतिविधियों में तेजी आएगी एवं स्थानीय स्तर पर बड़ी संख्या में प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रोजगार उपलब्ध होगा। इसके अतिरिक्त प्रदेश में वनोपज पर आधारित 15 इकाईयों द्वारा एम.ओ.यू. सम्पादित किया जाना प्रस्तावित है जिनमें 75 करोड़ रूपये का पूँजी निवेश एवं 1000 से अधिक व्यक्तियों को प्रत्यक्ष रोजगार उपलब्ध होगा।
प्रदेश का त्वरित एवं समग्र औद्योगिक विकास मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सर्वोच्च प्राथमिकता में शामिल है। राज्य सरकार की इस नीति की पूरे देश के उद्योग जगत में तारीफ हो रही है। जिसके अनुसरण में उद्योग विभाग एवं उद्योगों से संबंधित विभागों द्वारा सूचना तकनीकी क्षेत्र का उपयोग करते हुए कार्यवाही की जा रही है। इस हेतु प्रदेश के सिंगल विण्डो सिस्टम को और अधिक प्रभावी बनाया गया है एवं वरिष्ठअधिकारियों द्वारा परियोजनाओं के क्रियान्वयन की सतत् निगरानी की जा रही है। उद्योग स्थापना की प्रक्रिया को सुगम एवं सरल बनाने हेतु संबंधित विभागों द्वारा विभिन्न उद्योग संघों, व्यापारिक संगठनों एवं अन्य संबंधित संघों से लगातार संपर्क करते हुए प्रक्रियाओं को सरलीकृत करने का प्रयास किया जा रहा है।
इस अवसर पर सीएसआईडीसी के प्रबंध निदेशक अरूण प्रसाद, वाणिज्य एवं उद्योग विभाग के संयुक्त सचिव अनुराग पाण्डेय एवं अन्य वरिष्ठ अधिकारीगण के साथ टेकमेंट टेक्नालॉजी प्राईवेट लिमिटेड, भिलाई के डायरेक्टर मनीष अग्रवाल, रूपेश शर्मा, मनोज अग्रवाल, सुमीत अग्रवाल एवं रामभगत अग्रवाल उपस्थित थे।
रायपुर / शौर्यपथ / मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की विशेष पहल पर छत्तीसगढ़ राज्य में भू-जल संरक्षण और संवर्धन के लिए संचालित नरवा (नाला) विकास योजना के जरिए राज्य के नदी-नालों और जल स्त्रोतों को पुनर्जीवित किया जा रहा है। राज्य में संचालित नरवा विकास योजना दरअसल छत्तीसगढ़ सरकार की महत्वाकांक्षी सुराजी गांव योजना के नरवा, गुरवा, घुरवा, बाड़ी का एक घटक है। नरवा विकास के माध्यम से वर्षा जल को सहेजने के लिए तेजी से नालों का उपचार कराया जा रहा है।
प्रथम चरण में छत्तीसगढ़ राज्य में 1385 नरवा (नाला) उपचार के लिए चिन्हित किए गए हैं। जिसमें से 1372 नालों में वर्षा जल की रोकथाम के लिए बोल्डर चेक, गली प्लग, ब्रश हुड, परकोलेशन टैंक जैसी संरचनाओं का निर्माण एवं उपचार कर पानी को रोकने और भू-जल स्तर बेहतर बनाने प्लान तैयार कर काम कराया जा रहा है।
छत्तीसगढ़ राज्य में सुराजी गांव योजना के प्रमुख घटक नरवा (नाला) के तहत अब तक 1310 नालों में वर्षा जल को रोकने के लिए विभिन्न प्रकार के 71 हजार 831 स्ट्रक्चर बनाए जाने की मंजूरी दी गई है, जिसमें से 51 हजार 742 स्ट्रक्चर का निर्माण हो चुका है। अभी 9 हजार 685 स्ट्रक्चर निर्माणाधीन है। लगभग दो सालों से छत्तीसगढ़ राज्य में भू-जल संरक्षण एवं संवर्धन की दिशा में किए जा रहे कार्याें का सकारात्मक परिणाम भी अब दिखाई देने लगा है।
छत्तीसगढ़ राज्य में पानी को रोकने की इस मुहिम को केन्द्र सरकार ने न सिर्फ सराहा है, बल्कि सूरजपुर और बिलासपुर जिले को नेशनल वाटर अवार्ड से सम्मानित भी किया है। यह नेशनल वाटर अवार्ड बिलासपुर जिले को नदी-नालों के पुनरूद्धार के लिए और सूरजपुर जिले को जल संरक्षण के उल्लेखनीय कार्याें के लिए भारत सरकार के जल शक्ति मंत्रालय की ओर से दिया गया।
छत्तीसगढ़ राज्य के जिन-जिन क्षेत्रों में नरवा उपचार के काम हुए हैं, वहां भू-जल स्तर में आशातीत वृद्धि हुई है। नालों में जल भराव होने से किसान अब बेहतर तरीके से फसलोत्पादन के साथ-साथ साग-सब्जी की भी खेती करने लगे हैं। नालों के पानी को लिफ्ट करने से किसानों को सिंचाई की भी सुविधा मिली है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का कहना है कि छत्तीसगढ़ सरकार की सुराजी गांव योजना के माध्यम से गांवों को विकसित और आर्थिक रूप से समृद्ध बनाने की पहल की जा रही है । दरअसल यह राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के सपनों का गांव गढ़ने की दिशा में बढ़ते कदम है। इसके माध्यम से नदी-नालों एवं पशुधन के संरक्षण और संवर्धन के साथ ही जैविक खेती को बढ़ावा देकर पौष्टिक खाद्यान्न, फल तथा सब्जी-भाजी के उत्पादन को बेहतर बनाना है, ताकि गांव आर्थिक रूप से समृद्ध हो सके। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने वर्धा के सेवा आश्रम में प्रार्थना सभा में कहा था कि हमारी दृष्टि दिल्ली के बजाय देहात की ओर होनी चाहिए। देहात हमारा कल्पवृक्ष है। कल्पवृक्ष हर इच्छाओं को पूरा करता है। छत्तीसगढ़ सरकार सुराजी गांव योजना के माध्यम से ग्रामीण संस्कृति, परंपरा और प्राकृतिक संसाधनों को सहेज कर सशक्त, खुशहाल और समृद्ध गांव गढ़ रही है।
जांजगीर-चांपा / शौर्यपथ / जांजगीर-चांपा जिले के विकासखंड सक्ती के ग्राम पतेरापाली निवारी श्री डोलप्रसाद को उनके द्वारा वर्षो से काबिज वन भूमि का मालिकाना हक मिल गया। अब वह पूरे परिवार के साथ बेफिक्र होकर खेती बाड़ी कर अपना जीवन यापन कर रहे हैं। भूमि से बेदखली का डर खत्म हो गया है। राज्य सरकार ने वनवासियों को उनका हक दिला दिया। सरकार की योजना के तहत जीवन यापन के लिए वन भूमि पर वर्षों से काबिज क्षेत्र का वन अधिकार पट्टा वनवासियों को दिया जा रहा है। वर्षों से काबिज 0.182 हेक्टेयर भूमि का अब मालिकाना हक मिलने से डोलप्रसाद के परिवार में खुशी का माहौल है।
श्री डोलप्रसाद ने बताया कि विगत 30 वर्ष से जिस भूमि पर खेती बाड़ी व मकान बनाकर कर रह रहे थे। राज्य सरकार ने उस भूमि का मालिक बना दिया है। जिस जंगल को हमने खेती, बाड़ी और रहने लायक बनाया उस पर हम वनवासियों का हक है। सरकार ने हमारा हक दिला दिया। श्री डोलप्रसाद ने राज्य सरकार को धन्यवाद देते हुए कहा कि जमीन का पट्टा मिलने से समाज में उनका सम्मान बढ़ा है। अब जमीन से बेदखली का डर नहीं है। भूमिहीन किसानों की गिनती में भी नही हैं। उन्होंने बताया कि वर्षों से काबिज भूमि सरकार के रिकार्ड में वन विभाग के नाम से दर्ज होने के कारण उन्हें बेदखली का भय रहता था। राज्य सरकार ने उन्हें वन अधिकार पट्टा देकर चिंता से मुक्त कर दिया है।
-राज्य शासन के नरवा के प्रिंसिपल टेक्निकल एडवाइजर श्री हरीश हिंगोरानी ने वेबिनार के माध्यम से युगांडा के अधिकारियों को दी तकनीकी जानकारी
-इसके बाद अन्य अफ्रीकन देश भी ले रहे रुचि, नाइजीरिया की सरकार ने भी जताई इच्छा, इनका भी वेबिनार के माध्यम से होगा प्रेजेंटेशन
दुर्ग / शौर्यपथ / भूमिगत जलस्तर में वृद्धि के लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा आरंभ की गई नवाचारी नरवा योजना का यश सात समंदर पार के देशों में भी फैल गया है। नरवा योजना पाटन ब्लाक के गजरा वाटरशेड प्रोजेक्ट के शानदार नतीजों के आधार पर और इसी माडल पर मुख्यमंत्री ने आरंभ की थी। इसका वीडियो इंटरनेट में भी अपलोड था। युगांडा में जलशक्ति, कृषि एवं पीएचई का विभाग एक ही है। वहाँ भूमिगत जलस्तर बढ़ाकर खेती की संभावनाओं की वृद्धि के लिए दुनिया भर में अपनाये गए तरीके वहाँ का मंत्रालय खंगाल रहा था। इस बीच गजरा वाटरशेड का वीडियो उन्हें मिला। उनकी मिनिस्ट्री ने तत्काल नरवा योजना के सलाहकार हरीश हिंगोरानी को मेल किया और पूरे तकनीकी डिटेल उपलब्ध कराने का अनुरोध किया ताकि इस देश में भी यह माडल अपनाया जा सके।यह वेबिनार शानदार रहा और इसके बाद अन्य अफ्रीकन देशों ने भी इसमें रुचि दिखाई। नाइजीरिया के जलशक्ति मंत्रालय ने भी इसमें रुचि दिखाई और इनके लिए भी ऐसा ही वेबिनार किया जा रहा है।
उल्लेखनीय है कि गजरा नाला वाटरशेड का निर्माण तत्कालीन पीएचई मंत्री भूपेश बघेल ने कराया था और मुख्यमंत्री के रूप में इस कार्यकाल में उन्होंने इसी तर्ज पर अन्य नालों को विकसित करने की योजना बनाई। मुख्यमंत्री के नरवा योजना के सलाहकार हिंगोरानी ने बताया कि गजरा नाला वाटरशेड में छोटे-छोटे स्ट्रक्चर तैयार किये गए। इसका बड़ा असर हुआ और यह आज तक प्रभावी है। खुशी की बात है कि इसे अब पूरी दुनिया अमल करने रुचि ले रही है।
इस तरह हुआ गजरा नाला वाटरशेड से बदलाव- वर्ष 2003 में जब इसका निर्माण हुआ। उस समय हैंडपंप में जलस्तर 17 से 31 मीटर तक गिर गया था। निर्माण पूरा होने के बाद से अब तक जलस्तर 4 से 12 मीटर तक बना हुआ है। उस दौरान हैंडपंपों की संख्या 436 थी जो बाद में बढ़कर 2079 हो गई। वर्ष 2003 में सिंचाई नलकूप 690 थे जो वर्ष 2019 तक बढ़ कर 5500 हो गए। इतने के बावजूद जलस्तर में किसी तरह की कमी नहीं आई अपितु 4 से 12 मीटर के लेवल में बना रहा। वर्ष 2003 में सिंचाई ट्यूबवेल के साथ कवरेज क्षेत्र 7 वर्ग किमी था जो बाद में 15-20 वर्ग किमी तक हो गया। वर्ष 2003 में औसत पंपिंग घंटे 3 से 5 घंटे थे जो बाद में बढ़कर 6 से 10 घंटे हो गये। पहले नाले की सतह में पानी केवल दिसंबर तक ठहरता था। अब पानी फरवरी-मार्च तक ठहरता है। इससे धान के उत्पादन में भी जबर्दस्त इजाफा हुआ।
योजनाओं का लाभ मिलने एवं आमदनी बढ़ने से मछुआरों में उत्साह, सामुदायिक बीज उत्पादन एवं मछली पालन मे मिली सफलता,
जांजगीर-चांपा / शौर्यपथ / राज्य सरकार ने सामुदायिक मत्स्य पालन को बढ़ावा देने एवं मछुआ सहकारी समितियों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए मत्स्य पालन विभाग के माध्यम से विभिन्न योजनाए संचालित की जा रही है। शासकीय योजनाओं का लाभ मिलने एवं आमदनी में वृद्धि होने से मछुआ समिति के सदस्यों में अभूतपूर्व उत्साह का माहौल है। जांजगीर-चांपा जिले के जैजैपुर विकासखण्ड के ग्राम भोथिया में मछली पालन करने वाले छोटे व्यवसायी ने नव जागृति मछुआ सहकारी समिति का गठन कर शासन की योजनाओं का लाभ लिया और अपनी आमदनी बढ़ायी। शासकीय तालाबों को 10 वर्षीय पट्टे पर लेकर मत्स्य बीज उत्पादन और मछली पालन कर आत्मनिर्भता की ओर अनवरत आगे बढ़े । आमदनी बढ़ने से समिति के सदस्यों का आत्मविश्वास बढ़ा है। वे अपने व्यवसाय विस्तार के लिए प्रोत्साहित हुए है।
समिति के अध्यक्ष श्री रामकुमार यादव ने बताया कि वे समिति के माध्यम से मछली बीज उत्पादन और मछली पालन का कार्य कर रहें है। समिति में 22 सदस्य है। पंचायत के शासकीय तालाबों को 10 वर्षीय पट्टे पर लेकर मछली पालन का कार्य किया जा रहा है। वर्तमान मे उनके पास कुल 11.460 हेक्टेयर जलक्षेत्र के 05 तालाब है। विभागीय योजनाओं से वर्ष 2019 मे स्पान संवर्धन योजना के तहत 25 लाख मत्स्य बीज स्पान संवर्धन किया गया। समिति के सदस्यों के आपसी सामंजस्य, काम के प्रति समर्पण एवं मेहनत से लगभग 10 लाख मत्स्य बीज स्टे.फ्राई का उत्पादन किया गया। जिसमे से 2.20 लाख मत्स्य बीज को पट्टे के तालाब मे संचयन किया। शेष 7.80 लाख मत्स्य बीज को निजी मत्स्य पालको को बिक्री की गई। मत्स्य बीज बेचने से उन्हें एक लाख रूपये की आय प्राप्त हुई। पट्टे के तालाब मे सवंर्धित मत्स्य बीज से 40 क्विंटल मछली का उत्पादन हुआ। जिसे बेचने से 4 लाख रूपये प्राप्त हुआ है। इस प्रकार समिति को बहुत कम समय मे ही 05 लाख रूपयें से अधिक की आमदनी हुई ।
समिति के सदस्यों की आमदनी बढ़ने से वे उत्साहित है। वे मछली पालन व्यवसाय को बढ़ावा देने के लिए सरकार के प्रति अभार व्यक्त किया है। उन्होने कहा कि छोटे मछली व्यवसायिओं को समिति के माध्यम से बडे़ स्तर पर व्यवसाय करने के लिए सरकार की योजना के तहत प्रोत्साहित किया जा रहा है। इससे मछली पालन के लिए इच्छुक युवाओं को प्रोत्साहन मिल रहा है। राज्य सरकार द्वारा किसानी को बढ़ावा देने के लिए संचालित विभिन्न योजनाओं से प्रेरित होकर कुषि के प्रति आकर्षित हो रहें है।
जनता की खुशहाली और राज्य के विकास को लेकर रखा सरकार का विजन
’उपयोगी निर्माण-जन हितैषी अधोसंरचनाएं और आपकी अपेक्षाएं’ विषय पर की चर्चा
राज्य के बहुमूल्य संसाधनों का उपयोग करके छत्तीसगढ़ के लोग भी समृद्ध और खुशहाल बने
सड़क, बिजली और सिंचाई संसाधनों के नेटवर्क को पूरा करने पर जोर
गौठान बन रहे हैं बहुआयामी सांस्कृतिक, आर्थिक गतिविधियों के केन्द्र
स्कूल शिक्षा में गुणात्मक सुधार का रोडमैप तैयार
स्थानीय संसाधनों में वेल्यू एडिशन से संबंधित पाठ्यक्रम उच्च शिक्षा संस्थानों में प्रारंभ करने की पहल
युवाओं में उद्यमिता के विकास के साथ रोजगार सृजन के प्रयास
छत्तीसगढ़ की नई जल संसाधन विकास नीति तैयार
चंदूलाल चन्द्राकर स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय को अधिग्रहित करने का फैसला
कांकेर, महासमुन्द और कोरबा जिले में खुलेंगे नए मेडिकल कॉलेज
रायपुर / शौर्यपथ / मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आज प्रसारित अपनी मासिक रेडियोवार्ता लोकवाणी की 15वीं कड़ी में ’उपयोगी निर्माण-जन हितैषी अधोसंरचनाएं और आपकी अपेक्षाएं’ विषय पर प्रदेश की जनता की खुशहाली और विकास को लेकर राज्य सरकार के विजन पर अपने विचार विस्तार से रखे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के बहुमूल्य संसाधनों का उपयोग करके छत्तीसगढ़ के लोग भी समृद्ध और खुशहाल बने। अधोसंरचना विकास के कार्यों में सड़क, बिजली और सिंचाई संसाधनों के नेटवर्क को पूरा करने पर जोर दिया गया है, ताकि अधोसंरचना विकास के कार्यांे का पूरा लाभ प्रदेश की जनता को मिल सके। गांव-गांव में महिला स्व सहायता समूह तथा प्रतिभावान युवाओं के नवाचार से प्रदेश में समृद्धि और खुशहाली का नए रास्ते बनाने की शुरूआत हो चुकी है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि गांव-गांव में ऐसी अधोसंरचनाएं तैयार की जा रही हैं। जिनका लाभ बड़े पैमाने पर लोगों को मिलता है। नरवा, गरवा, घुरवा, बारी प्रोजेक्ट की शुरूआत छत्तीसगढ़ की इन चार चिनहारी को बचाने के लिए की गयी। गौठान बहुआयामी सांस्कृतिक, आर्थिक गतिविधियों के केन्द्र बन रहें हैं। गांवों में बाड़ी की पुरानी परम्परा को वापस लाया जा रहा है। राज्य की सिंचाई क्षमता दोगुनी करने के लिए प्रदेश की नई जल संसाधन नीति तैयार करने का काम पूरा हो चुका है। वर्मी कम्पोस्ट से जैविक खेती को बढ़ावा मिलेगा। राज्य सरकार ने स्कूल शिक्षा में गुणात्मक सुधार का रोडमैप बनाया है। इसी तरह उच्च शिक्षा के क्षेत्र में विश्वविद्यालयों, महाविद्यालयों, कृषि शिक्षा और इंजीनियरिंग कॉलेजों में ऐसे पाठ्यक्रम प्रारंभ करने पर जोर दिया गया है, जिससे स्थानीय संसाधनों के वेल्यू एडिशन से उत्पादन का रास्ता बने। युवाओं में उद्यमिता का विकास हो और उन्हें रोजगार के बेहतर अवसर मिलंे। पर्यटन को बढ़ावा देकर स्थानीय विकास को गति देने और रोजगार के नए अवसर सृजित करने के प्रयास किए जा रहे हैं।
लोकवाणी में आम जनता से राज्य सरकार की योजनाओं पर मिलता है फीडबैक
मुख्यमंत्री ने लोकवाणी में श्रोताओं का अभिवादन करते हुए छत्तीसगढ़ी में कहा-सब्बो झन ला मोर जय जोहार, नमस्कार, जय सियाराम। लोकवाणी मं आके मोला अब्बड़ खुसी लागथे, काबर कि हमन सरकार मं बइठके जउन निरनय लेथन, वो बात ल आप सब झन कइसे समझथव, अऊ योजना मन ल कइसे अपनाथव, ऐखर बारे मं मोला सब जानकारी लोकवाणी ले हो जाथे। आप मन ले गोठ-बात करके हमर आत्मविश्वास घलो बाढ़थे, अऊ काम करेके नवा रद्दा घलो मिलथे। तेखर बर जम्मो ‘लोकवाणी’ सुनइया मन ल, गाड़ा-गाड़ा सुभकामना अऊ धन्यवाद।
श्रोताओं ने कहा ‘नरवा, गरवा, घुरवा और बारी’ प्रोजेक्ट से गांवों में मिली अधोसंरचना को दिशा
लोकवाणी के लिए रिकार्ड कराए गए अपने संदेश में बेमता के भूपेन्द्र कुमार शर्मा ने कहा कि नई सरकार बनने के बाद किसानों को काफी राहत मिली। महासमुंद जिले की बम्हनी ग्राम पंचायत की रूक्मणी पाल ने बताया कि उनके जय मां सरस्वती महिला स्व-सहायता समूह ने गोबर से 200 क्विंटल खाद बनाई, जिससे 1 लाख 77 हजार रुपए आय हुई। आरंग के नंद कुमार ने कहा कि ‘नरवा, गरवा, घुरवा और बारी’ प्रोजेक्ट से अधोसंरचना विकास की एक दिशा दिखी है।
जल संरक्षण और संवर्धन के लिए 30 हजार नरवा चिन्हांकित
मुख्यमंत्री ने श्रोताओं से रू-ब-रू होते हुए कहा कि निश्चित तौर पर ‘नरवा, गरवा, घुरवा, बारी’ हमारा ड्रीम प्रोजेक्ट है और इसकी शुरुआत हमने छत्तीसगढ़ की चार चिन्हारी को बचाने के लिए किया था। नरवा के काम में पंचायत और ग्रामीण विकास, जल संसाधन विकास विभाग, वन विभाग आदि की मदद ली जा रही है। लगभग 30 हजार नरवा चिन्हांकित किए गए हैं और लगभग 5 हजार नरवा विकास का काम काफी आगे बढ़ चुका है। गरवा को लोग सिर्फ गाय, दूध और पशुधन विकास तक ही समझते थे, हमने गरवा के माध्यम से गौठान की योजना बनाई। इस तरह लगभग 10 हजार गौठानों के निर्माण की मंजूरी दे चुके हैं, जिनमें से 5 हजार से ज्यादा गौठानों का निर्माण पूरा हो चुका है। अब गौठान की पहचान एक ऐसी अधोसंरचना के रूप में हो चुकी है, जो सिर्फ गायों को रोकने की जगह ही नहीं है बल्कि गोधन न्याय योजना के माध्यम से गोबर खरीदी केन्द्र, महिला स्व-सहायता समूह के माध्यम से वर्मी कम्पोस्ट बनाने और बेचने का केन्द्र, गोबर से अन्य कलात्मक वस्तुएं बनाने का केन्द्र भी विकसित हुआ है। एक तरह से गौठान बहुआयामी सांस्कृतिक, आर्थिक गतिविधियों के केन्द्र बन रहे हैं। मुझे यह देखकर खुशी होती है कि हमारे गांव-घर की बाड़ियों में उपजाई जाने वाली सब्जी-भाजी- फल कुपोषण मुक्ति का सहारा बन रहे हैं।
आगामी 5 वर्षों में राज्य की सिंचाई क्षमता दोगुनी करने का लक्ष्य
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी नरवा योजना प्रदेश में भू-जल की रिचार्जिंग का बहुत बड़ा साधन बन रही है। हमारे प्रयासों को भारत सरकार के जल शक्ति मंत्रालय द्वारा भी सराहा गया है। बिलासपुर और सूरजपुर जिले की परियोजनाओं को राष्ट्रीय पुरस्कार मिला है। हमने पुरानी जल संसाधन परियोजनाओं की कमियों को दूर किया ताकि वास्तविक सिंचाई का रकबा बढे़, इसके अलावा भी बड़ी-बड़ी नई योजनाएं हाथ में ली हैं। बोधघाट के अलावा शेखरपुर बांध, ढांडपानी बांध, रेहर अटेम जैसी 15 परियोजनाओं पर ध्यान दिया जा रहा था। हमारा लक्ष्य है कि आगामी 5 साल में प्रदेश में ऐसी जल अधोसंरचनाओं का विकास हो जाए, जिससे राज्य की सिंचाई क्षमता दोगुनी हो जाए। मैं यह खुशखबरी भी साझा करना चाहता हूं कि छत्तीसगढ़ की नई जल संसाधन विकास नीति तैयार करने का काम पूरा हो चुका है। जल्दी ही प्रदेश को नई जल संसाधन नीति के रूप में अधोसंरचना विकास की नई सौगात मिलेगी।
ग्रामीणों ने धान खरीदी केन्द्रों में चबूतरा निर्माण को बताया उपयोगी
लोकवाणी में ग्राम डबराखुर्द के श्री राजेश कुमार कनौजिया ने बताया कि ग्रामीण सेवा सहकारी समिति झाल खम्हरिया में और ग्राम कोसरंगी के श्री सोम प्रकाश साहू ने बताया कि धान खरीदी केन्द्रों में चबूतरा बनने से हमारा धान खराब नहीं होता है। इसके लिए उन्होंने मुख्यमंत्री को धन्यवाद दिया।
गौठानों में 61 हजार वर्मी कम्पोस्ट टंकी और करीब 5 हजार चारागाहों का निर्माण
मुख्यमंत्री ने लोकवाणी में कहा कि आप लोगों ने इस बदलाव को महसूस किया, उसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद। हम महात्मा गांधी नरेगा के साथ विभिन्न योजनाओं के अभिसरण से गांव-गांव में ऐसी अधोसंरचनाओं का विकास कर रहे हैं, जिसमें बहुत बड़े पैमाने पर लोगों को लाभ मिलता है। इस तरह एक ओर जहां हमने हजारों गौठानों के निर्माण की व्यवस्था की, वहीं गौठानों में लगभग 61 हजार वर्मी कम्पोस्ट टंकी बनवा चुके हैं। करीब 5 हजार चारागाह बनाए हैं। भवनविहीन आंगनबाड़ियों के लिए भवन बना रहे हैं। नवगठित ग्राम पंचायतों में पंचायत भवन बना रहे हैं। उसी प्रकार धान उपार्जन केन्द्रों में 8 हजार चबूतरे बनवाए गए हैं, जिसका जिक्र आप लोगों ने किया, इससे धान को सुरक्षित रखने में मदद मिल रही है। गांवों में ऐसी अधोसंरचनाओं की बहुत जरूरत है, जिससे हमारे ग्रामीण भाई-बहन और बच्चे गांवों में एक नई तरह की व्यवस्था महसूस कर सकें। वे देख सकें कि सरकार का काम खाली शहरी अधोसंरचना का विकास ही नहीं है, गांव वालों की जरूरतें पूरी करने के लिए भी बहुत से काम करना जरुरी है। मुझे खुशी है कि हमने सही समय में गांव वालों की जरूरतों की पहचान कर ली है और उसके अनुरूप निर्माण के निर्णय ले रहे हैं।
इंग्लिश मीडियम स्कूलों में कमजोर वर्ग के बच्चों को मिलेगी अच्छी शिक्षा
लोकवाणी में कोरबा के श्री कुश शर्मा ने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार ‘उपयोगी निर्माण और जनहितैषी अधोसंरचना’ के मामले में ऐसा विकास कर रही है, जो आम लोगों से सीधा जुड़ा है। राज्य सरकार के इंग्लिश मीडियम स्कूल शुरू करने के फैसले से आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों के लिए शिक्षा सुलभ हो पाएगी, इसके लिए मुख्यमंत्री जी धन्यवाद के पात्र हैं।
राज्य सरकार ने तैयार किया स्कूल शिक्षा में गुणवत्ता सुधार का रोडमैप
मुख्यमंत्री ने लोकवाणी में कहा कि हमने स्कूल शिक्षा में गुणवत्ता सुधार का एक रोडमैप बनाया है, जिसके अनुसार विभिन्न शालाओं में बहुत से कार्य किए जा रहे हैं, जिनसे बच्चों के व्यक्तित्व का सम्पूर्ण विकास हो, जिससे वे आगे चलकर डॉक्टर, इंजीनियर ही नहीं बल्कि शोधकर्ता, खिलाड़ी, प्रबंधक या अपनी रुचि के अनुसार कोई भी कैरियर अपना सकें। उन्होंने कहा कि महंगे और सजावटी विकास से किसी का भला नहीं होता, वास्तव में यह देखना चाहिए कि निर्माण की गुणवत्ता कैसी है और उससे सेवा की गुणवत्ता में कैसे सुधार होगा। ‘स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट अंग्रेजी माध्यम विद्यालय योजना’ का विचार ही इसलिए आया कि सरकारी स्कूलों को निजी स्कूलों के सामने सम्मानपूर्वक खड़ा किया जाए। ताकि सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले गरीब और मध्यमवर्गीय बच्चे उन सुविधाओं से वंचित न हों, जो उनके भविष्य निर्माण के लिए जरूरी हैं। इसलिए सरकारी क्षेत्र में हम इंग्लिश मीडियम स्कूल के माध्यम से वह सुविधाएं ला रहे हैं।
युवाओं में बढ़ा कृषि शिक्षा की ओर रुझान
इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर के कुलपति प्रो. एस. के. पाटिल ने कहा कि छत्तीसगढ़ में कृषि तथा उद्यानिकी को बढ़ावा मिलने से और 31 महाविद्यालयों का वृहद नेटवर्क खड़ा होने से युवाओं में कृषि शिक्षा की ओर रुझान बढ़ा है। उन्होंने मुख्यमंत्री को इसके लिए धन्यवाद देते हुए कहा कि अपने युवाओं में कौशल विकास हेतु विश्वविद्यालयों में उत्पादन केन्द्र तथा युवाओं की कंपनियां स्थापित करने का अभिनव विचार दिया है। इसके माध्यम से युवा, कृषि को एक व्यवसाय के रूप में लेने आगे आ रहे हैं। रायगढ़ के किरण मौर्य ने कहा कि रायगढ़ जिले में स्वर्गीय नन्दकुमार पटेल यूनिवर्सिटी शुरू होने से हम छात्र-छात्राओं को शिक्षा संबंधी कार्यों के लिये बिलासपुर नहीं जाना पड़ेगा।
विश्वविद्यालयों में उत्पादन केन्द्र तथा युवाओं में उद्यमिता विकास के कार्य की नई शुरूआत
मुख्यमंत्री बघेल ने इस संबंध में कहा कि मैं किसान परिवार से हूं। मैं किसान हूं, इसे गौरव का विषय मानता हूं, लेकिन एक लम्बे दौर में हमारे युवाओं के मन में यह बात बैठ गई है कि खेती-किसानी के बारे में चर्चा करना या उसमें अपना कैरियर ढूंढना कोई बहुत अच्छी बात नहीं है। खेती-किसानी को लेकर युवाओं के मन में सम्मान का भाव नहीं होने की एक बड़ी वजह थी कि खेती और उच्च शिक्षा के बीच की कड़ी ही मिसिंग थी। हार्वर्ड विश्वविद्यालय में भ्रमण के दौरान मेरे मन में यह बात आई थी कि विश्वविद्यालयों में उत्पादन केन्द्र तथा युवाओं में उद्यमिता विकास को लेकर कोई संरचनागत, संस्थागत काम होना चाहिए, जिसमें निरंतरता हो और युवाओं को कृषि से संबंधित रोजगार के नए अवसरों की जानकारी हो, उन्हें मार्गदर्शन व सहयोग मिले। छत्तीसगढ़ में यह शुरुआत एक सुखद संकेत है। इसलिए हमने यह तय किया कि उतने ही इंजीनियरिंग कॉलेजों को महत्व मिले जितने में गुणवत्ता से शिक्षा दी जा सके और उसमें भी ऐसे पाठ्यक्रम होने चाहिए जो स्थानीय संसाधनों के वेल्यू एडीशन से उत्पादन का रास्ता बनाएं। यह तो विडम्बना ही थी कि हमारे कृषि प्रधान राज्य में इंजीनियरिंग कॉलेजों की भरमार हुई लेकिन कृषि शिक्षा के कॉलेज समुचित संख्या में नहीं खोले गए, इसलिए हमने एग्रीकल्चर के साथ उद्यानिकी-वानिकी, डेयरी टेक्नोलॉजी, फूड प्रोसेसिंग, मछली पालन जैसे विषयों के लिए विश्वविद्यालय, महाविद्यालय और पॉलीटेक्निक खोलने पर जोर दिया है।
चंदूलाल चन्द्राकर स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय को अधिग्रहित करने का फैसला
कांकेर, महासमुन्द और कोरबा जिले में खुलेंगे नए मेडिकल कॉलेज
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने लोकवाणी में कहा कि कोविड के दौरान हमने महसूस किया कि प्रदेश में और अधिक मेडिकल कॉलेजों की जरूरत है। दुर्ग जिलेे का चंदूलाल चन्द्राकर स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय निजी क्षेत्र में चलना मुश्किल हो रहा था, उसे हमने अधिग्रहित करने का फैसला लिया ताकि सरकारी चिकित्सा शिक्षा अधोसंरचना को बढ़ाया जा सके। तीन जिलों कांकेर, महासमुन्द और कोरबा में हम नए मेडिकल कॉलेज खोल रहे हैं, इस तरह उच्च शिक्षा की अधोसंरचना में जो अभाव थे, उसे पूरा करने और प्रदेश के युवाओं को बेहतर भविष्य बनाने में मदद करने का हमारा प्रयास है।
राज्य सरकार द्वारा पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए किए जा रहे कार्यों पर सकारात्मक प्रतिक्रिया देते हुए जशपुर के मदन तिर्की ने कहा कि जशपुर के बालाछापर सरना में एथनिक रिसॉर्ट और कवर्धा में सरोधा दादर रिसॉर्ट बनने से आदिवासी पिछड़े अंचल में पर्यटन विकास के अवसर पैदा हो रहे हैं। रायपुर की प्रार्थना तिवारी ने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार उपयोगी निर्माण और जनहितैषी अधोसंरचना के मामले में हमारी अपेक्षाओं पर खरे उतर रही है। क्योंकि हमारा भी मानना है कि कोई निर्माण या इंफ्रास्ट्रक्चर ऐसा हो जो लोगों से जुड़ा हो, निर्माण कार्य केवल शो के लिए नहीं होना चाहिए। पिछले 2 सालोें में यह बदलाव देखने को मिल रहा है कि लोगों की भागीदारी एवं उनकी उपयोगिता को ध्यान दिया जा रहा है।
पर्यटन विकास से मिलेगी स्थानीय विकास को गति
मुख्यमंत्री ने पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए किए जा रहे कार्यो के संबंध में लोकवाणी में कहा कि प्रदेश में एक दौर ऐसा आया था, जब पर्यटन को कुछ प्रचलित केन्द्रों में ही समेटकर रखने और मॉल कल्चर में ढालने के प्रयास हो रहे थे। दुनिया में अपनी प्राचीन धरोहरों को सहेजने और प्राकृतिक सुन्दरता के स्थानों में अधोसंरचना के विकास के प्रयासों को सराहा जाता है। लेकिन छत्तीसगढ़ में ऐसा नहीं हो रहा था, इसलिए हमने पर्यटन विकास की संभावनाओं को बहुत बड़े फलक में आकार देने का प्रयास किया है। इस क्रम में जशपुर जिले के सरना-बालाछापर तथा कोइनार-कुनकुरी में, बिलासपुर जिले के कुरदर में, कोण्डागांव जिले के धनकुल में, कांकेर जिले के नथिया नवागांव में एथनिक रिसॉर्ट, सरगुजा जिले के महेशपुर में साइट एमेनिटी का विकास किया जा रहा है। सिरपुर को ऐतिहासिक बौद्ध पर्यटन स्थल के रूप में विश्व के मानचित्र में स्थान दिलाने का प्रयास किया जा रहा है। वाटर टूरिज्म तथा एडवंेचर टूरिज्म के लिए कोरबा जिले के सतरेंगा, धमतरी जिले के मेडम सिल्ली डेम जिसका नामकरण हमने बाबू छोटे लाल श्रीवास्तव के नाम पर किया है तथा रविशंकर डेम गंगरेल, गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही जिले के मलानिया जलाशय, कांकेर जिले के दुधावा जलाशय, महासमुन्द जिले के कोडार डेम, बिलासपुर जिले में संजय गांधी जलाशय खुंटाघाट-रतनपुर में अधोसंरचना का विकास किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि राम वनगमन पथ में आने वाले 75 स्थानों का चयन अधोसंरचना विकास के लिए किया गया है, जिसके प्रथम चरण में 9 स्थानों जैसे सीतामढ़ी हरचौका, रामगढ़, शिवरीनारायण, तुरतुरिया, चंदखुरी, राजिम, सिहावा सप्तऋषि आश्रम, जगदलपुर तथा रामाराम में समुचित अधोसंरचना के विकास का काम शुरू किया गया है। दामाखेड़ा में कबीर सागर के विकास का काम हाथ में लिया गया है। सूरजपुर की पहाड़ी में स्थित बागेश्वरी मंदिर और कुदरगढ़ में रोप वे सहित समुचित अधोसंरचना का विकास किया जा रहा है। रायपुर का बूढ़ातालाब एक ओर जहां आदिवासी समाज के पूज्य बूढ़ादेव की याद दिलाता है, वहीं स्वामी विवेकानंद के रायपुर प्रवास की स्मृति भी ताजा करता है। इस तरह हमने आम जनता के लिए किफायती और स्वस्थ मनोरंजन स्थलों के विकास को प्राथमिकता दी है, जो हमारे प्रदेश की सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक विशेषताओं से मेल खाते हैं। मुझे विश्वास है कि पर्यटन विकास को लेकर हमारी सोच का लाभ बड़े पैमाने पर मिलेगा, इससे स्थानीय विकास में बहुत गति मिलेगी तथा नए रोजगार के अवसर भी बनेंगे।
राज्य सरकार की अधोसंरचना विकास की नई सोच पर अपने विचार रखते हुए रायपुर के श्री नवीन अग्रवाल ने कहा कि ये सुनकर बहुत अच्छा लगता है कि बस्तर के दंतेवाड़ा जैसे सुदूर इलाके में सरकार के सहयोग से रेडीमेड कपड़ों की इंडस्ट्री खुली है और डेनेक्स ब्रांड लांच हुआ है। उन्होंने सड़क, बिजली और कनेक्टीविटी को लेकर मुख्यमंत्री का विजन जानना चाहा। कोरबा जिले की गेवरा की गीत तिवारी ने कहा कि छत्तीसगढ़ की ‘नवा चिन्हारी सस्ता बिजली जम्मो दुआरी’। आपने हम सबको देश में सबसे सस्ती बिजली, वह भी आधी कीमत पर उपलब्ध कराई है।
मुख्यमंत्री ने इन श्रोताओं जिज्ञासा के संबंध में कहा कि मुझे यह सुनकर अच्छा लगा कि दंतेवाड़ा के ब्रांड डेनेक्स की धमक राजधानी रायपुर में ठीक ढंग से सुनी गई। मैं आपकी बात से सहमत हूं कि छत्तीसगढ़ कंज्यूमर नहीं बल्कि उत्पादक राज्य है। आपको याद होगा कि मैंने बिजली के बारे में कहा था कि हमें सिर्फ उत्पादक राज्य नहीं बने रहना है, बल्कि उपभोक्ता राज्य भी बनना है। मैं नहीं चाहता कि हमारे राज्य के बहुमूल्य संसाधनों का उपयोग करके देश और दुनिया के दूसरे हिस्से के लोग तो समृद्ध और खुशहाल हो जाएं लेकिन छत्तीसगढ़ के लोग हमेशा संघर्ष ही करते रहें।
मेरा मानना है कि बांध बनें तोे नहर-नालियों का निर्माण उसके साथ जुड़ा होना चाहिए। बिजली का उत्पादन ठीक से हो तो उसे कारखानों, अस्पतालों, घरों, दफ्तरों, खेतों में पहुंचाने के लिए पूरा नेटवर्क बनें। सड़कों का नेटवर्क पुल-पुलियों के बिना अधूरा है। लोगों से जुड़े सरकारी काम-काज के लिए भवन बनंे तो वहां पहुंचने के लिए सड़कें भी चाहिए। अगर ऐसा नहीं होता तो निर्माण पर लगी मोटी रकम बरबाद हो जाती है। दुर्भाग्य से पिछले डेढ़-दो दशक में छत्तीसगढ़ को ऐसी ही परिस्थितियों से दो-चार होना पड़ा था। इसलिए हम चंद महंगी और सजावटी सड़कों-भवनों की बात नहीं करना चाहते। बल्कि नेटवर्क कम्पलीट करने के बारे में बात करते हैं। अधोसंरचना विकास को लेकर मेरी यही सीधी और स्पष्ट सोच है।
जवाहर सेतु योजना में बनाए जा रहे है 200 बड़े पुल-पुलिया
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने ‘जवाहर सेतु योजना’ लाई जो सड़कों को पुल-पुलियों से जोड़ने की योजना है। दो साल में हमने लगभग 200 बड़े पुल-पुलिया बनाने का काम हाथ में लिया और उसे पूरा कर रहे हैं।
‘मुख्यमंत्री सुगम सड़क योजना’: सरकारी दफ्तरों को जोड़ने बन रहीं 2200 सड़कें
मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि हमने ‘मुख्यमंत्री सुगम सड़क योजना’ लाई, जिसके तहत लगभग 2200 ऐसी सड़कें बना रहे हैं, जो सरकारी दफ्तरों को जोड़ती हैं। बिजली में भी हमने ऐसा ही किया। जहां किसी प्राकृतिक आपदा या दुर्घटना से ब्लैक आउट हो जाता था, उन अंचलों में बिजली के ट्रांसमिशन और डिस्ट्रीब्यूशन का नेटवर्क पूरा किया, जिससे वहां दोहरी-तिहरी ओर से आपूर्ति की व्यवस्था हो जाए। बस्तर इसका एक बड़ा उदाहरण है। इसके साथ पूरे राज्य में बिजली उप केन्द्रों, पारेषण व वितरण लाइनों का जाल बिछा रहे हैं, जिसके कारण बसाहटों में विद्युतीकरण का नया कीर्तिमान बना है और बिजली बिल हाफ करने का वादा निभाना भी संभव हुआ है। उन्होंने कहा कि इस तरह हमने राज्य की अधोसंरचना को संतुलित और विस्तृत करने पर जोर दिया ताकि यह विश्वसनीय बने।
नई उद्योग नीति स्थानीय संसाधनों के वेल्यू एडीशन के आधार पर
मुख्यमंत्री ने कहा कि स्थानीय संसाधनों के वेल्यू एडीशन के आधार पर ही हमने नई उद्योग नीति बनाई। प्रदेश में राजस्व प्रशासन को सरल बनाया। हमारी इस कार्यप्रणाली और विश्वसनीयता के कारण खनिज, कृषि- उपज, वनोपज जैसे अन्य संसाधनों के बारे में निवेशकों की समझ बढ़ी। यही वजह है कि जब दुनिया में आर्थिक तंगी का शोर था तब हमारे छत्तीसगढ़ के बाजारों में जोर था। हमारी जमीनी सोच और वास्तविकता के धरातल पर रहकर, सही कदम उठाने की नीतियों से ही छत्तीसगढ़ दुनिया का पसंदीदा निवेश स्थल बन रहा है। मुझे विश्वास है कि इसी रास्ते पर चलते हुए अनेक नए ब्रांड छत्तीसगढ़ की धरती से ही उपजेंगे। गांव-गांव में महिला स्व-सहायता समूह तथा प्रतिभावान युवाओं के नवाचार से एक नया रास्ता बनना शुरू हो चुका है।
लोकवाणी में बस्तर जिले के मनीष मूलचन्दानी ने बस्तर जैसे दूरस्थ अंचल में राज्य सरकार की पहल से वायुयान सेवा प्रारंभ होने को सुखद बताया। इसी तरह बस्तर के श्री रेणुकांत जोशी ने जगलदपुर के महारानी अस्पताल को सर्वसुविधायुक्त और निजी अस्पताल के जैसा बनाने के लिए मुख्यमंत्री के प्रति आभार जताया।
बस्तर से देश की सर्वाधिक वनोपज खरीदी
मुख्यमंत्री ने इस संबंध में कहा कि बस्तर से ऐसी खबरें सुनने के लिए बरसों से हमारे कान तरस रहे थे। मेरा मानना है कि नीति आयोग देश के 115 आकांक्षी जिलों की डेल्टा रैंकिंग में बीजापुर को पहला स्थान देता है। अलग-अलग मापदण्डों में जब कोण्डागांव, नारायणपुर, सुकमा जैसे जिले, देश में अव्वल आते हैं तो इसके पीछे किसी अधोसंरचना का योगदान होता है। जब लॉकडाउन के दौरान बस्तर से देश की सर्वाधिक वनोपज खरीदी होती है या पूरे प्रदेश में समर्थन मूल्य पर धान खरीदी का नया कीर्तिमान बनता है तो भी एक अधोसंरचना ही काम करती है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने मानव विकास की जिस अधोसंरचना के निर्माण का सपना देखा है, उसकी हमारे प्रदेश के ग्रामीणों, अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति और पिछड़े वर्ग, कमजोर और मध्यम वर्ग, माताओं, बहनों, बच्चों, जवानों की आंखों में दिखने लगी है और इसी चमक के रास्ते से पूरा प्रदेश, एक नई तरह की जगमगाहट पैदा कर रहा है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ को भविष्य में उत्पादक राज्य भी बनना है और उपभोक्ता राज्य भी यही है हमारा ‘गढ़बो नवा छत्तीसगढ़।’
रायपुर / शौर्यपथ / मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अध्यक्षता में आज यहां उनके निवास कार्यालय में मंत्रिपरिषद की बैठक आयोजित की गई। बैठक में निम्नानुसार महत्वपूर्ण निर्णय लिए गएः-
*1 प्रदेश के सभी स्कूलों में 9वीं से 12वीं तक की कक्षायें तथा विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों की कक्षाएं सोेमवार 15 फरवरी से प्रारंभ करने का निर्णय लिया गया। इसके साथ ही राज्य में कौशल विकास के सभी प्रशिक्षण कार्यक्रम भी शुरू करने का निर्णय लिया गया। कक्षाओं में कोरोना महामारी के संक्रमण से बचाव के लिए केन्द्र एवं राज्य सरकार द्वारा समय-समय पर जारी सभी निर्देशों का पालन किया जाएगा।
*2- बस्तर संभाग के सभी जिलों में ‘‘बस्तर फाईटर्स‘‘ विशेष बल के गठन का निर्णय लिया गया।
*3- सभी वर्गो के आवासहीनों को आवास उपलब्ध कराने प्रदेश के सभी जिलों में ‘‘राजीव नगर आवास योजना‘‘ का क्रियान्वयन करने का निर्णय लिया गया। जिसके तहत छत्तीसगढ़ गृह निर्माण मण्डल को एक रूपए प्रति वर्गफीट की दर से शासकीय भूमि उपलब्ध करायी जाएगी। इस योजना के तहत राज्य के सभी शहरी, अर्द्धशहरी और बड़े कस्बों में एक लाख आवासीय भवन बनाए जाएंगे।
*4- गोधन न्याय योजना के तहत गोठान समिति एवं स्व सहायता समूहों को आत्मनिर्भर बनाने के संबंध में महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया। जिसके तहत प्रति किलो वर्मी कम्पोस्ट के विक्रय दर की राशि 10 रूपए में से गोबर (2.5 किलोग्राम) क्रय की लागत राशि 5 रूपए संबंधित गोठान समित को दिया जाएगा। इसी प्रकार प्रसंस्करण और पैकेजिंग पर व्यय राशि 0.65 रूपए संबंधित समूह को दिया जाएगा। वर्मी कम्पोस्ट के विपणन के लिए लैम्पस या पैक्स एवं सहकारी बैंक को कमीशन की राशि क्रमशः 0.45 रूपए और 0.05 रूपए, इस तरह कुल 0.50 रूपए प्रति किलोग्राम दिया जाएगा। बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि प्रति किलो वर्मी कम्पोस्ट विक्रय दर से प्राप्त संभावित लाभांश राशि को 85ः15 के अनुपात में स्व सहायता समूह एवं गोठान समितियों को दिया जाएगा।
*5- नवा रायपुर अटल नगर में अच्छे शैक्षणिक संस्थानों के विकास के लिए ऐसे सेक्टर्स, जिनका सेक्टर स्तर पर विस्तृत अभिन्यास तैयार नही किया गया है, में शैक्षणिक प्रयोजन हेतु प्रीमियम दर 3706 प्रति वर्ग मीटर के स्थान पर 2475 प्रति वर्गमीटर करते हुए निविदा के माध्यम से आबंटन करने का निर्णय लिया गया। यह दर 31 मई 2022 तक प्रभावशील रहेगी।
*6- नवा रायपुर अटल नगर में निवेश, रोजगार और बसाहट को प्रोत्साहित करने सेक्टर स्तर पर अधोसंरचना के विकास शुल्क के पुर्ननिर्धारण के प्रस्ताव का अनुमोदन किया गया। जिसके तहत प्रीमियम दरों में औसतन 10 से लेकर 21 प्रतिशत तक की कमी की गई है।
*7- नवा रायपुर अटल नगर में निवेश, रोजगार एवं बसाहट को प्रोत्साहित करने के लिए विभिन्न परियोजनाओं हेतु रियायती प्रीमियम दर पर भूखण्ड आबंटन के प्रस्ताव का अनुमोदन किया गया।
*8- तेन्दूपत्ता के व्यापार से प्राप्त शुद्ध आय में से 15 प्रतिशत राशि का संग्राहक समितियों को अराष्ट्रीयकृत लघु वनोपजों के व्यापार के साथ-साथ लाख पालन हेतु भी उपलब्ध कराने का निर्णय लिया गया। समितियों द्वारा यह कार्य छ.ग. राज्य लघु वनोपज संघ के मार्गदर्शन में किया जाएगा।
*9- लघु वनोपज आधारित प्रसंस्करण उद्योगों की स्थापना के लिए राज्य शासन, छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज संघ एवं निजी निवेशकों के मध्य किए जाने वाले एमओयू के प्रारूप का अनुमोदन किया गया।
*10- कैम्पा मद से राज्य के वनक्षेत्रों में डी.जी.पी.एस. सर्वे कार्य कराए जाने का निर्णय लिया गया।
*11 बंदी अधिनियम-1900 की धारा 31-क के उप नियम (एक) एवं (दो) में संशोधन के प्रारूप का अनुमोदन किया गया।
*12 राज्य के अधीन औद्योगिक संस्थानों को शासन द्वारा जिस स्त्रोत ( शासकीय/नैसर्गिक/स्वनिर्मित आदि) से जल आबंटन/प्रदाय करने की स्वीकृति दी गई है, उसी स्त्रोत हेतु शासन द्वारा समय-समय पर निर्धारित जल दर ही लागू करने का निर्णय लिया गया।
*13 छत्तीसगढ़ में दूरसंचार अवसंरचना के विकास के लिए तार मार्ग के अधिकार (राइट आॅफ वे) की नीति -2021 के प्रारूप का अनुमोदन किया गया।
*14- सार्वजनिक वितरण प्रणाली के लिए आवश्यक शक्कर का क्रय फरवरी 2021 से एक वर्ष के लिए खुली निविदा के माध्यम से किए जाने के निर्णय का अनुमोदन किया गया।
*15 जल जीवन मिशन के क्रियान्वयन के लिए एकल/समूह में ग्राम की नल जल योजना या रेट्रोफिटिंग कार्यो (ग्राम के अंदर के कार्यो) का एकल/समूह में निविदा के माध्यम से 5 करोड़ तक के वित्तीय अधिकार जिला जल एवं स्वच्छता मिशन को सौंपने का निर्णय लिया गया है। इसी तरह समूह जल प्रदाय योजनाओं के अंतर्गत (ग्राम के बाहर के कार्यो) विभिन्न कार्यो के क्रियान्वयन से संबंधित समस्त अधिकार राज्य जल एवं स्वच्छता मिशन को सौपा गया है।
*16- श्री शंकराचार्य आश्रम मानव सेवा तथा जनकल्याण हेतु ग्राम बोरियाकला तहसील व जिला रायपुर में आबंटित भूमि की निर्धारित प्रब्याजि एवं भू-भाटक राशि को माफ कर टोकन दर पर आबंटित करने का निर्णय लिया गया।
*17-रायपुर विकास प्राधिकरण को शासकीय भूमि पर निर्मित संपत्तियों को एक रूपए प्रति वर्गफुट की दर से आबंटन करने का निर्णय लिया गया।
*18- छत्तीसगढ़ आबकारी नीति वित्तीय वर्ष 2021-22 के प्रस्ताव का अनुमोदन किया गया।
*19- छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण एवं अन्य पिछड़ा वर्ग क्षेत्र विकास प्राधिकरण पुनर्गठन नियम-2020 में संशोधन के प्रारूप का अनुमोदन किया गया।
*20- छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण एवं अन्य पिछड़ा वर्ग क्षेत्र विकास प्राधिकरण निधि नियम-2020 के प्रारूप का अनुमोदन किया गया।
*21- तृतीय अनुपूरक अनुमान वर्ष 2020-2021 का विधानसभा में उपस्थापन बावत छत्तीसगढ़ विनियोग विधेयक, 2021 के प्रारूप का अनुमोदन किया गया।
*22- बजट अनुमान वर्ष 2021-2022 का विधानसभा में उपस्थापन बावत् छत्तीसगढ़ विनियोग विधेयक, 2021 के प्रारूप का अनुमोदन किया गया।
*23- छत्तीसगढ़ पंचम विधानसभा के दशम् सत्र माह फरवरी-मार्च 2021 हेतु माननीया राज्यपाल के अभिभाषण के प्रारूप का अनुमोदन किया गया।
तनवी, ज्योति और अब्दुल संग सैकड़ों बच्चों ने जीती कुपोषण से जंग
रायपुर / शौर्यपथ / नन्हे तनवी, ज्योति और अब्दुल हैं तो छोटे बच्चे लेकिन उन्होंने जंग बड़ी जीती है। उनकी यह जंग कुपोषण से थी। कुपोषण को हराने के लिए लगातार काम कर रहे लोगों में कुपोषण को जड़ से समाप्त करने का हौसला भी बढ़ रहा है। कुपोषण से बाहर आए इन बच्चों के हंसते खिलखिलाते चेहरे उनके परिवार के साथ ही हर उस दिल को सुकून से भर देते हैं जिन्होंने छत्तीसगढ़ को कुपोषण मुक्त करने की ठानी है। इनमें सबसे पहले मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल हैं जिन्होंने कुपोषण मुक्त छत्तीसगढ़ के संकल्प के साथ 2 अक्टूबर 2019 से प्रदेश में मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान की शुरूआत की। अभियान शुरू करते समय मुख्यमंत्री श्री बघेल ने जो सपना देखा था वह तेजी से साकार रूप ले रहा है।
प्रदेश में बच्चों और महिलाओं के कदम कुपोषण को हराने की दिशा में लगातार आगे बढ़ रहे हैं। शारीरिक रूप से कमजोर और कुपोषित बच्चों को सामान्य श्रेणी में लाने के लिए किए जा रहे प्रयासों का नतीजा साफ दिख रहा है। समन्वित प्रयासों से दूरस्थ आदिवासी क्षेत्र सुकमा जिले के 3 हजार से अधिक बच्चों को कुपोषण के दुष्चक्र से बाहर निकाला गया है। जिले में ‘संवरता सुकमा‘कार्ययोजना संचालित है जिससे कुपोषण दर में लगातार कमी आ रही है। 4 वर्षीया बालिका तनवी का वजन सितंबर माह में 6.6 किलोग्राम था जो आज जनवरी माह में बढ़कर 8.89 किलोग्राम हो चुका है। इसी प्रकार अब्दुल का वजन भी 9.92 किलोग्राम से बढ़कर 10.5 किलो हो चुका है। बालिका ज्योति ने भी सुपोषित आहार का लाभ लेकर अपना वजन महज तीन माह में ही 7.91 किलो से 9.8 किलो कर कुपोषण को मात दी है। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, सहायिका और मितानिनों के माध्यम से में 06 वर्ष से कम आयु के कुपोषित बच्चों को आंगनबाड़ी केंद्रों में सुपोषण आहार प्रदान किया जा रहा है जो बच्चों के वजन बढ़ाने के साथ ही अन्य पोषक तत्व प्राप्त करने में सहायक हैं। इसके साथ ही गंभीर कुपोषित बच्चों को पोषण पुनर्वास केंद्र में भर्ती कर चिकित्सकों की सतत् निगरानी में आवश्यक उपचार, पौष्टिक आहार के साथ ही दवाईयां दी जाती है ताकि बच्चों के सेहत में जल्दी सुधार हो।
आंगनबाड़ी में सुपोषण आहार ग्रहण करने आए छोटे बच्चों के मुस्कुराते चेहरे मुख्यमंत्री सुपोषण योजना का असर खुद बयां करते हैं। आंगनबाड़ियों में दूध,अण्डा,रागी हलवा जैसे पौष्टिक और रूचि का भोजन मिलने से उनमें खाने के प्रति रूचि बढ़ी है। सुकमा विकासखंड अन्तर्गत आंगनबाड़ी केंद्र गीदम की कार्यकर्ता श्रीमती सरिता पोड़ियामी ने बताया कि उनके केंद्र में 22 बच्चों को सुपोषण आहार दिया जा रहा है। जिसमें अधिकतर बच्चे विगत तीन माह से सामान्य श्रेणी में आ चुके हैं। रोजाना बच्चे सुबह से ही केंद्र में आकर खेलते हैं और फिर भोजन करते। सुबह के समय भी वह बच्चों को रेडी टू ईट से बने लड्डू और बर्फी का नाश्ता देती है। उन्होंने बताया कि बच्चों को शाम को परोसी जाने वाली दाल, मूंगफली, सोया बड़ी आदि सामग्रियों से बनी खिचड़ी बहुत पसंद है। बच्चे बड़े चाव से खिचड़ी खाते हैं।
करीब 17 हजार करोड़ रूपए पूंजी निवेश के साथ 22 हजार लोगों को मिला रोजगार
मेगा औद्योगिक परियोजनाओं के लिए हुए104 एम.ओ.यू., 42 हजार करोड़ से अधिक का पूंजी निवेश प्रस्तावित
65 हजार और लोगों को मिलेगा रोजगार
146 में से 110 विकासखण्डों में फूडपार्क की स्थापना के लिए भूमि चिन्हांकित
बस्तर में लघु वनोपज आधारित 15 इकाईयों की स्थापना के लिए एम.ओ.यू. के प्रस्ताव तैयार
धान और गन्ने पर आधारित जैव ईंधन एथेनॉल उद्योगों के लिए विशेष प्रोत्साहन पैकेज
रायपुर / शौर्यपथ / मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में राज्य सरकार द्वारा लागू की गई नई औद्योगिक नीति निवेशको को बहुत भा रही है। पिछले दो साल में प्रदेश में जहां 1207 नये उद्योगों की स्थापना हुई है, वहीं राज्य में इन उद्योगों के माध्यम से 16 हजार 897 करोड़ रूपए का पूंजी निवेश हुआ है, जिसमें 22 हजार से अधिक लोगों को सीधा रोजगार मिला है। इसी तरह इस दौरान मेगा औद्योगिक परियोजनाओं हेतु कुल 104 एम.ओ.यू. किए गए हैं। इन इकाइयों का प्रस्तावित कुल पंूजी निवेश 42 हजार 714.48 करोड़ रूपए है, जिसके माध्यम से करीब 65 हजार लोगों को रोजगार प्राप्त होगा।
गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ राज्य में पिछले दो वर्षाें में तीव्र गति से औद्योगिक विकास हुआ है। इस विकास को हासिल करने राज्य सरकार ने न केवल नई औद्योगिक नीति लागू की बल्कि इस नीति में निवेशकों की आवश्यकता के अनुरूप संशोधनों को शामिल किया। राज्य सरकार ने प्रदेश के विकासखण्डों में फूड पार्को की स्थापना के साथ ही खाद्य प्रसंस्करण नीति लागू की और इसके लिए एम.ओ.यू. निष्पादित भी किए। वनवासियों को वनोपज संग्रहण का वाजिब मूल्य दिलाने के लिए वनांचल पैकेज घोषित किया और उद्यमियों की मांग के अनुसार उन्हें सहायता मुहैया कराया जिससे प्रदेश में औद्योगिक विकास एक नया वातावरण विकसित हुआ है।
राज्य सरकार ने पिछड़े तथा अति पिछड़े क्षेत्रों में वनोपज, हर्बल तथा खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों की स्थापना को बढ़ावा देने के लिए औद्योगिक नीति 2019-24 में वनांचल उद्योग पैकेज घोषित किया गया है। जिसके तहत् इकाईयों को अधिकतम 2.50 करोड़ रूपये का स्थायी पूंजी निवेश अनुदान के साथ-साथ नेट एसजीएसटी सहित औद्योगिक नीति में घोषित सभी अनुदान दिया जा रहा है।
इसी तरह राज्य सरकार द्वारा किसानों की आय को बढ़ाने के लिए खाद्य प्रसंस्करण को विशेष बढ़ावा दिया जा रहा है। इसके लिये सरकार द्वारा प्रत्येक विकासखण्ड में फूडपार्क की स्थापना का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इसके लिए 146 विकासखण्डों में से 110 विकासखण्डों में नवीन फूडपार्क की स्थापना भूमि का चिन्हांकन किया जा चुका है। ‘‘छत्तीसगढ़ राज्य खाद्य प्रसंस्करण मिशन‘‘ की अवधि को बढ़ाकर 31 अक्टूबर 2024 तक कर दिया गया है। साथ ही राज्य शासन द्वारा 05 खाद्य प्रसंस्करण इकाईयों से एम.ओ.यू. भी निष्पादित किए गए है, जिसमें दो इकाईयां उत्पादन में आ चुकी है। इनके माध्यम से राज्य में 283 करोड़ रूपये का निवेश तथा 2434 रोजगार प्रस्तावित है। इसके अलावा बस्तर क्षेत्र में लघु वनोपज आधारित 15 इकाईयों की स्थापना के लिए एम.ओ.यू. के प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं जिनके माध्यम से 74 करोड़ रूपये का पूंजी निवेश तथा 1049 रोजगार प्रस्तावित है।
किसानों को स्थानीय स्तर पर उनकी उपज का संपूर्ण मूल्य दिलवाने के लिए धान और गन्ने पर आधारित जैर्व इंधन-एथेनॉल उद्योगों के लिए विशेष प्रोत्साहन पैकेज जारी किया गया है। राज्य में अतिरिक्त धान द्वारा उत्पादित एवं शक्कर कारखानों के उत्पाद से बने एथेनॉल हेतु स्थापित इकाईयों को उच्च प्राथमिकता श्रेणी के तहत अनुदान दिया जा रहा है। इसके लिये कच्चे माल की खरीदी समर्थन मूल्य पर करना आवश्यक होगा। राज्य में एथेनॉल प्लांट हेतु 8 इकाइयों द्वारा प्रस्ताव प्राप्त हुए है। जिसमें से 5 निवेशकों द्वारा एम.ओ.यू. निष्पादित कर लिया गया है जिसके माध्यम से 647 करोड़ रूपए का निवेश तथा 683 रोजगार प्रस्तावित है। राज्य सरकार की पहल पर भारत सरकार द्वारा देश में मक्का से एथेनॉल (बायो-फ्यूल) बनाने की अनुमति भी जारी की गई है।
उद्योगों में नवीन विचारधारा को समाहित करने तथा नव रोजगार सृजित करने छत्तीसगढ़ राज्य स्टार्ट-अप पैकेज को नीति में स्थान दिया गया है। इन स्टार्ट-अप्स को अन्य उद्योगों से अधिक सुविधाएं कम औपचारिकता के साथ प्रदान की जायेगी। राज्य में अब तक पंजीकृत स्टार्ट-अप की संख्या 504 है। अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति वर्ग के उद्यमियों को प्रोत्साहन देने हेतु उनके लिये विशेष औद्योगिक निवेश प्रोत्साहन पैकेज जारी किये गये हैं।
कोर सेक्टर के मेगा उद्योगों को सहायता देने Be Spoke Policy की नवीन धारणा लायी गई है। जिसमें उद्योगों को उनके उत्पादन से लिंक कर आर्थिक सहायता प्रदान की जा रही है। इसमें कुल परियोजना लागत का 60 प्रतिशत से 150 प्रतिशत तक अनुदान प्रदान किये जा रहे हैं।
उद्यमियों द्वारा स्थापित किये जाने वाले पात्र सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योगों को उद्योग विभाग या सीएसआईडीसी के औद्योगिक क्षेत्रों में भू-आबंटन पर भू-प्रीमियम में अधिकतम 60 प्रतिशत तक का छूट प्रदान किया जा रहा है। उद्यमियों द्वारा बहुप्रतीक्षित भूमि हस्तांतरण शुल्क में कमी कर दी गयी है।
राज्य शासन द्वारा एमएसएमई को पृथक रूप से परिभाषित किया गया तथा वृहद सेवा उद्यम की परिभाषा भी जारी की गई। निवेशकों की मांग के अनुसार स्थायी पूंजी निवेश अनुदान को सूक्ष्म तक सीमित न कर लघु व मध्यम श्रेणी के उद्योगों के लिये भी प्रावधानित किया गया है। निजी औद्योगिक पार्क की स्थापना हेतु बस्तर व सरगुजा के पहाड़ी क्षेत्रों में भूमि उपलब्धता की समस्या को देखते हुए वर्तमान नीति में इसे सरगुजा एवं बस्तर संभाग हेतु भूमि की न्यूनतम आवश्यकता को 20 एकड़ कर दिया गया है। इन सभी पहल के कारण दिसंबर 2018 से जनवरी, 2021 तक कुल 1207 उद्योगों की स्थापना हुई। राज्य के इन उद्योगों के माध्यम से कुल 16897 करोड़ रू. का पूंजी निवेश हुआ है तथा 22001 लोगों को रोजगार प्राप्त हुआ है। अब तक मेगा औद्योगिक परियोजनाओं हेतु कुल 104 एम.ओ.यू. निष्पादित किए गए हैं। इन इकाइयों का प्रस्तावित कुल पंूजी निवेश 42714.48 करोड़ रू. है, जिसके माध्यम से कुल 64094 लोगों को रोजगार प्राप्त होगा।
छत्तीसगढ़ सरकार की हाॅफ बिजली योजना से अब तक प्रदेश के 38.68 लाख से अधिक परिवारों को 1645 करोड़ रूपए की मिली सब्सिडी
रायपुर / शौर्यपथ / छत्तीसगढ़ सरकार की हाफ बिजली बिल योजना से प्रदेश के लाखों घरेलू बिजली उपभोक्ताओं को महंगाई के दौर में लाखों उपभोक्ताओं को राहत मिली है। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में राज्य सरकार द्वारा शुरू की गई इस योजना के तहत अब तक 38 लाख 68 हजार 462 बिजली उपभोक्ताओं को छत्तीसगढ़ शासन द्वारा 1645 करोड़ रुपए की घरेलू सब्सिडी दी गई है, या यह कह सकते है कि सीधे-सीधे लोगों की जेब में 1645 करोड़ रूपए की बचत हुई है।
गौरतलब है कि देश के बिजली हब छत्तीसगढ़ में किसानों, गरीब परिवारों को रियायती दरों पर बिजली आपूर्ति की अनेक योजनाएं संचालित की जाती रही हैं। मार्च 2019 में नई सरकार द्वारा पहली बार घरेलू बिजली उपभोक्ताओं के लिए भी नई योजना शुरु की गई। हाफ बिजली बिल योजना के नाम से शुरु की गई इस योजना में घरेलू बिजली उपभोक्ताओं के 400 यूनिट तक के बिल में आधे बिल की राशि में छूट दी गयी है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की विशेष पहल पर छत्तीसगढ़ में 1 मार्च 2019 से प्रारंभ की गई हाफ बिजली बिल योजना में घरेलू उपभोक्ताओं को प्रति माह 400 यूनिट तक की बिजली खपत पर प्रभावशील टैरिफ पर 50 प्रतिशत की छूट की पात्रता है। इस छूट के समतुल्य राशि राज्य शासन द्वारा विद्युत वितरण कंपनी को अनुदान के रूप में दी जाती है। वर्ष 2020-21 में जनवरी 2021 की स्थिति में राज्य शासन द्वारा 658 करोड़ रुपए की राशि इस योजना के लिए जारी की गई है। हाॅफ बिजली बिल योजना में मार्च 2019 से अब तक की स्थिति में कुल 38 लाख 68 हजार 462 उपभोक्ता इस योजना का लाभ ले चुके हैं। मार्च 2019 से अब तक छत्तीसगढ़ शासन द्वारा 1645 करोड़ रुपए की घरेलू सब्सिडी घरेलू उपभोक्ताओं को दी गई है।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में दिसंबर 2018 में गठित नई सरकार ने घरेलू उपभोक्ताओं की समस्याओं को पूरी संवेदनशीलता के साथ महसूस किया और ‘सबका साथ-सबका विकास’ की नीति पर अमल करते हुए राज्य के सभी घरेलू बिजली उपभोक्ताओं के लिए 01 मार्च 2019 से ‘हाफ बिजली बिल योजना’ लागू की और अपना एक बड़ा वादा पूरा किया। ‘हाफ बिजली बिल योजना’ प्रदेश के लाखों घरेलू बिजली उपभोक्ताओं के लिए अप्रत्याशित और सुखद बदलाव की योजना साबित हो रही है। प्रदेश के लाखों घरेलू बिजली उपभोक्ताओं ने कभी ऐसी योजना की कल्पना भी नहीं की थी। योजना ने इस वर्ग के लोगों को बड़ी राहत प्रदान की है। उनके घरों का हजार रुपए का बिजली बिल कुछ सैकड़ों में सिमट गया। अब इन उपभोक्ताओं के लिए अपने घर का बिजली बिल पटाने में होने वाला खर्च आधा हो गया है, बचत राशि का उपयोग अब वे अन्य कार्यों में कर सकंेगे।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की पहल पर खिलाड़ियों के लिए शुरू हुई अकादमी
कुशल प्रशिक्षकों के माध्यम से खिलाड़ियों को दिया जाएगा प्रशिक्षण
आवासीय खिलाड़ियों को निःशुल्क आवास, भोजन, शैक्षणिक व्यय, खेल परिधान, प्लेईंग किट, दुर्घटना बीमा आदि सुविधाएं उपलब्ध करायी जाएंगी
सभी जिलों में जिला कलेक्टर की अध्यक्षता में गठित चयन समिति द्वारा चयन प्रक्रिया प्रारंभ
प्रत्येक खेल विधावार खिलाड़ियों का चयन रायपुर एवं बिलासपुर अकादमी के लिए अलग-अलग
रायपुर / शौर्यपथ / मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की विशेष पहल पर रायपुर एवं बिलासपुर में राज्य स्तरीय हॉकी, एथलेटिक एवं तीरंदाजी की आवासीय खेल अकादमी शुरू की जा रही है। खेल एवं युवा कल्याण विभाग द्वारा नए वित्तीय वर्ष से भारत सरकार की खेलो इंडिया योजनांतर्गत खेलो इंडिया स्टेट सेन्टर आफ एक्सिलेंस में हॉकी, एथलेटिक एवं तीरंदाजी के आवासीय अकादमी हॉकी में 54, एथलेटिक में 60 एवं तीरंदाजी में लगभग 36 खिलाड़ियों का चयन किया जाएगा। राज्य स्तर पर अंतिम रूप से 300 खिलाड़ियों का चयन रायपुर एवं बिलासपुर अकादमियों के लिए किया जाएगा। खेल अकादमी संचालन नियम अंतर्गत अंतिम रूप से चयनित खिलाड़ियों को निःशुल्क आवास, भोजन, शैक्षणिक व्यय, खेल परिधान, प्लेईंग किट, दुर्घटना बीमा आदि सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएगी।
खेल एवं युवा कल्याण विभाग द्वारा राज्य स्तरीय चयन समिति एवं जिला कलेक्टर की अध्यक्षता में जिला स्तरीय चयन समिति का गठन किया गया है। आवासीय अकादमी में 9 से 17 वर्ष आयु वर्ग के बालक एवं बालिकाओं को प्रवेश दिया जायेगा। ऐसे सभी बालक-बालिका जो इन खेलों में रूचि रखते है, वे चयन प्रक्रिया में शामिल हो सकते हैं। राज्य के समस्त जिलों में जिला स्तरीय चयन ट्रायल फरवरी माह में सम्पन्न कर लिया जाएगा। जिला स्तर से प्रतिभागियों का चयन कर राज्य स्तरीय चयन ट्रायल हेतु भेजा जाएगा। खेल एवं युवा कल्याण विभाग द्वारा खेल अकादमी संचालन नियम के अनुरूप तय मानक अनुसार बालक एवं बालिका प्रतिभागियों का खेल विधावार वर्गवार बैटरी टेस्ट एवं कौशल टेस्ट लिया जाएगा।
बेमेतरा / शौर्यपथ / मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि ‘गिधवा-परसदा पक्षी विहार’ को विश्व स्तरीय पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाएगा। छत्तीसगढ़ के इस पक्षी विहार को अंतर्राष्ट्रीय मानचित्र में स्थापित करने के लिए हर संभव कदम उठाए जाएंगे। पक्षी विज्ञानियों, प्रकृति प्रेमियों और यहां आने वाले सैलानियों के लिए विभिन्न सुविधाएं विकसित की जाएंगी। यहां विश्व के विभिन्न प्रवासी पक्षियों का आवागमन होता हैं। विशेषकर साल के माह नवम्बर से मार्च (05 माह) में यहां ये पक्षी रहवास करते हैं। मुख्यमंत्री बेमेतरा जिले के नवागढ़ विकासखण्ड के नगधा गांव में आयोजित ‘गिधवा-परसदा पक्षी विहार महोत्सव’ को सम्बोधित कर रहे थे। इसके पहले मुख्यमंत्री बघेल ने गिधवा-परसदा जलाशय का भ्रमण किया और वहां विभिन्न प्रजातियों के पक्षियों और जलाशय के मनोरम और विहंगम दृश्यों को कैमरे में कैद किया। इस अवसर पर वन एवं परिवहन मंत्री मोहम्मद अकबर, संसदीय सचिव गुरुदयाल बंजारे, विधायक आशीष छाबड़ा, प्रधान मुख्य वन संरक्षक राकेश चतुर्वेदी, आईजी विवेकानंद सिन्हा, कलेक्टर शिवअनंत तायल सहित अनेक जनप्रतिनिधि और अधिकारी उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री ने पक्षी महोत्सव में जैव विविधता के संरक्षण के संबंध में अनेक महत्वपूर्ण घोषणाएं करते हुए कहा कि गिधवा एवं परसदा ग्रामों के आस-पास जिन क्षेत्रों में प्रवासी पक्षी आते हैं, उसके संरक्षण की योजना बनाकर छत्तीसगढ़ राज्य जैव विविधता बोर्ड द्वारा कार्य किया जाएगा। साथ ही क्षेत्र में एक पक्षी जागरूकता एवं प्रशिक्षण केन्द्र स्थापित किया जाएगा। यहां राज्य के प्रवासी एवं स्थानीय पक्षियों की जैव विविधता संबंधी जानकारी एवं प्रशिक्षण जन सामान्य को दी जाएगी। राज्य के समस्त ऐसे वेटलैंड जिसमें प्रवासी पक्षी आते हैं एवं जैव विविधता के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण हैं, उनके संरक्षण एवं प्रबंधन की जिम्मेदारी छत्तीसगढ़ राज्य जैव विविधता बोर्ड को दी जाएगी।
उल्लेखनीय है कि गिधवा-परसदा के जलाशयों को विश्व स्तरीय पक्षी पर्यटन स्थलों में स्थान दिलाने के लिए यहॉं 31 जनवरी से 02 फरवरी 2021 तक पक्षी विहार महोत्सव का आयोजन किया गया। पक्षियों के संरक्षण के साथ-साथ जैव विविधता संरक्षण तथा स्थानीय लोगों को ईको-पर्यटन के माध्यम से होम, विलेज स्टे से रोजगार उपलब्ध होगा।
बेमेतरा जिले के गिधवा-परसदा, नगधा, एरमशाही क्षेत्र जलीय एवं स्थल जैव विविधता से भरपूर है। यह क्षेत्र पारिस्थितिकीय व स्वस्थ्य पर्यावरण के लिये उपयुक्त है। गिधवा-परसदा स्थल मुख्यतः जलीय नमी युक्त क्षेत्र है। इसका भौगोलिक विस्तार लगभग 06 कि.मी. क्षेत्र में है। गिधवा परसदा में मुख्य 02 बड़े तथा 02 मध्यम आकार के जलाशय हैं, नजदीकी ग्राम एरमशाही में 05 जलाशय भी स्थित हैं। गिधवा-परसदा जलीय तंत्र में भरपूर जलीय खाद्य वनस्पति व जीव होने के कारण यहां पक्षियों के लिए अच्छा रहवास है। यहां किए गए अध्ययनों में पक्षियों की कुल 143 प्रजातियां जिसमें कुल 26 स्थानीय प्रवासी प्रजातियां, 11 विदेशी प्रवासी प्रजातियां तथा 106 स्थानीय आवासीय प्रजातियां पक्षी पायी गयी है।