September 17, 2024
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मुख्यमंत्री ( सफलता की कहानी )

मुख्यमंत्री ( सफलता की कहानी ) (229)

दुर्ग / शौर्यपथ / जिले के विकासखंड पाटन में सरकार की 2 साल की उपलब्धि पर एक दिवसीय विकास प्रदर्शनी लगाया गया। विकास प्रदर्शनी के माध्यम से शासन की योजनाओं, सेवाओं और कार्यक्रमों को प्रदर्शित किया गया है। फोटो प्रदर्शनी के माध्यम से राज्य में आए बदलाव, विकास के साथ-साथ विभिन्न योजनाओं के तहत् लाभान्वित हितग्राहियों के जीवन में आए परिर्वतन को रेखांकित किया गया है। फोटो प्रदर्शनी के माध्यम से गढ़बो नवा छत्तीसगढ़ साफ झलक रही है। राज्य शासन द्वारा सरकार गठन के पश्चात् अनेक ऐतिहासिक कदम उठाए गए हैं। जो राज्य की विकास की इबादत लिख रही है। पाटन में लगाए गए विकास प्रदर्शनी को मुख्यमंत्री  भूपेश बघेल के ओ.एस.डी. आशीष वर्मा ने शुभारंभ किया। उन्होंने विकास प्रदर्शनी के स्थानीय जनप्रतिनिधियों के साथ अवलोकन किया। विकास प्रदर्शनी में किसानों से 25 सौ रूपए में धान खरीदी, नरवा, गरवा, घुरवा, बाड़ी योजना, वन आश्रितों से वनोपज की खरीदी, गोधन न्याय योजना, कोरोना काल में लोगों के लिए रोजगार का अवसर मुहैया कराने के लिए किए गए ठोस पहल, पर्यटन के क्षेत्र में पर्यटन विकास हेतु राम वन गमन पर्यटन परिपथ का विकास, मुख्यमंत्री वार्ड कार्यालय, मुख्यमंत्री स्लम स्वास्थ्य योजना, छत्तीसगढ़ के पांरपरिक व्यंजनों को बढ़ावा देने के लिए गढ़ कलेवा योजना, सार्वभौम पीडीएस योजना, पौनी पसारी योजना, मुख्यमंत्री सुपोषण योजना, मुख्यमंत्री हाट बाजार योजना, राजीव गांधी किसान योजना सहित अन्य योजनाओं को प्रदर्शित किया गया है। इस अवसर पर नगर पंचायत अध्यक्ष श्री भूपेंद्र कश्यप, उपाध्यक्ष श्री बलदाऊ भाले, एसडीएम श्री विनय पोयाम, सीईओ श्री मनीष साहू, सीएमओ श्री योगेश्वर उपाध्याय सहित अन्य मौजूद थे।

लोगों को अब हाट बाजार और अपने रोजी के लिए आने-जाने में हुई सुविधा

रायपुर / शौर्यपथ / छत्तीसगढ़ शासन द्वारा अनुसूचित जनजाति और वनांचलों क्षेत्रों में आवागमन की सुविधा पहुंचाने पर विशेष जोर दिया जा रहा है। जनजाति इलाकों में मूलभूत अधोसंरचना के विकास के लिए लगातार कार्य जारी है। बस्तर जिले के बस्तर विकासखंड के पाथरी गोंदियापाल के ग्रामीणों ने कपारी नाला में पुलिया और एप्रोच रोड़ बनाने की मांग प्रशासन के समक्ष रखी। ग्रामीणों ने बताया कि उन्हें कपारी नाला में पुलिया नहीं होने के कारण 10 किलोमीटर का लम्बा रास्ता तय कर दैनिक उपयोग की सामानों का खरीदी-बिक्री हाट बाजार से कर पाते थे साथ ही नाले में पुलिया नहीं होने के कारण दुर्घटना की आशंका हमेशा बनी रहती थी। अब वनांचलों में सड़कों, पुल-पुलियों के बन जाने से लोगों को हाट बाजार और रोजी-रोजगार के कार्यों के लिए आने-जाने की सुविधा हो गई है।
प्रशासन द्वारा छत्तीसगढ़ ग्रामीण सड़क विकास अभिकरण, भिरलिंगा को बस्तर ब्लाक के पाथरी गांेदियापाल, बांसपानी चेराकुर मार्ग में कपारी नाला में 18 मीटर स्पान पुलियॉ एवं 1.40 किमी. सड़क निर्माण करने का निर्देश विभागीय अधिकारियों को दिया गया था। छत्तीसगढ़ ग्रामीण सड़क विकास अभिकरण द्वारा विशेष केन्द्रीय सहायता मद की एक करोड़ 20 लाख रूपए की राषि से उक्त पुलिया और एप्रोच रोड़ का निर्माण कराया गया है। वर्तमान में पाथरी गांेदियापाल, बांसपानी चेराकुर मार्ग में कपारी नाला में पुलियॉ एवं सड़क निर्माण कार्य कराये जाने से ग्राम वासियों को अस्पताल, स्कूल, हाट-बाजार, ऑगनबाड़ी, उचित मूल्य की दुकान इत्यादि से संबंधित मूलभूत सुविधॉए उपलब्ध हो रही है। पुल एवं सड़क का निर्माण होने से ग्रामीणों को 10 किलोमीटर की जगह 1.50 किमी. दुरी तय करके अपने दैनिक उपयोग हेतु हाट-बाजार, खाद्य सामग्री आसानी से कम समय में उपलब्ध हो जाती है एवं आवागन की सुविधा भी सुलभ हो गई है ।

जिले के 6,356 पशुपालकों को 3 करोड़ 5 लाख 65 हजार 319 का मिला लाभ

जांजगीर-चांपा / शौर्यपथ / गोधन न्याय योजना से ग्रामीणों, पशुपालकों को होने वाली अतिरिक्त आमदनी के चलते पशुओं के संरक्षण और संवर्धन का एक अच्छा वातावरण तैयार होने लगा है। छत्तीसगढ़ सरकार की सुराजी गांव योजना नरवा, गरूवा, घुरवा, बाड़ी से गोधन न्याय योजना को जोड़ देने से यह योजना ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए एक मजबूत कड़ी बन गई है। इस योजना से जांजगीर-चांपा जिले के 6,356 पशुपालकों को दूध के अलावा अब गोबर से भी नगदी आमदनी मिलने लगी है। जिले के 15 नगरीय निकायों और 9 विकासखण्डों के ग्रामीण क्षेत्रों के 243 गौठानों में गोबर खरीदी की जा रही है। गोबर विक्रेताओं से 20 जुलाई से 15 दिसंबर तक एक लाख 52 हजार 826.6 क्विंटल गोबर की खरीदी कर 3 करोड़ 5 लाख 65 हजार 319.16 रूपये का भुगमान किया जा चुका है।
जिले के 15 नगरीय निकायों के 490 पशुपालकों ने गोबर विक्रय के लिए संबंधित गौठानों मे पंजीयन करवाया है। नगरीय निकाय के गोबर विक्रेताओं से 22 हजार 774.76 क्विंटल गोबर की खरीदी की गई है। जिसका भुगतान 45 लाख 54 हजार 953.16 रूपये का ऑनलाइन भुगतान बैंक खाते में किया गया है। इसी प्रकार 09 जनपद पंचायतों में गोबर खरीदी के लिए 236 गौठानों का पंजीयन किया गया है। जिसमें से 228 गौठानों में गोबर की खरीदी प्रारंभ हो गई है। गौठानों में 20 जुलाई से 15 दिसंबर तक एक लाख 30 हजार 051.83 क्विंटल गोबर की खरीदी की गई है। जिसका भुगतान 2 करोड़ 60 लाख 10 हजार 366 रूपये का ऑनलाइन भुगतान बैंक खाते में किया जा चुका है। अकलतरा जनपद के 37 गौठानो में 20 जुलाई से 15 दिसंबर तक 18169.31 क्विंटल गोबर की खरीदी की गई है। इसी प्रकार बम्हनीडीह के 25 गौठानों में 13772.58 क्विंटल, बलौदा जनपद के 17 गौठानों में 15624.9 क्विंटल, डभरा के 20 गौठानों में 16688.55 क्विंटल, जैजैपुर के 25 गौठानों में 10,723.51 क्विंटल, मालखरौदा जनपद के 26 गौठानो में 4,475.12 क्विंटल, नवागढ़ जनपद के 27 गौठानो में 29,896.85 क्विंटल, पामगढ़ जनपद के 23 गौठानो में 11,656.5 क्विंटल और सक्ती जनपद के 28 गौठानो में 9,044.48 क्विंटल गोबर की खरीदी की गई है।

नारायणपुर / शौर्यपथ / अबुझमाड़ के नाम से प्रसिद्ध नारायणपुर जिला जंहा मुख्यतः अबुझमाड़िया जनजातियों की बाहुल्यता है। यहां के आदिवासी वनों एवं वनों पर आधारित उद्योगों पर आश्रित थे, जो अब राज्य शासन की योजनाओं का लाभ लेकर फसल एवं सब्जी का भी उत्पादन करने लग गए हैं। अब ये निवासी कृषि और वनोपज संग्रहण के माध्यम से आमदनी प्राप्त करने लग गये हैं। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का वन क्षेत्रों में निवास करने वाले लोगों को वनभूमि का अधिकार प्रदान करना सर्वाेच्च प्राथमिकता में है। जिससे वनग्राम के रहवासी लाभान्वित हो रहे है। नारायणपुर जिला मुख्यालय से लगे ग्राम पालकी के रामू कुमेटी अपने काबिज वनभूमि का अधिकार पाकर बहुत खुश है। रामू कुमेटी को 3 एकड़ जमीन का वनाधिकार पत्र प्रदान किया गया है। वनभूमि का मालिकाना हक मिलने के बाद अब उनका जीवन खुशहाल है। रामू ने बताया की अब वह खेत में द्विफसलीय धान की खेती कर रहा है। वहीं सब्जी की फसल लगाकर अतिरिक्त आमदनी भी प्राप्त कर रहा है। वन अधिकार पत्र मिलने से वह निश्चिंत होकर खेती कर रहे हैं। उनके खेत मे नलकूप खनन भी कराया गया है, जिससे उन्हें फसलों की सिंचाई में बहुत सहूलियत होती है।
रामू ने बताया कि मनरेगा के अंतर्गत उनके खेत में डबरी का निर्माण किया गया है, जिससे फसलों को पानी देने में अब दिक्कत नहीं होती है और फसल का अच्छा उत्पादन भी हो रहा है। सरकार ने हम भूमिहीनों की चिंता करते हुए इस दिशा में प्रयास कर जो लक्ष्य निर्धारित किये थे, वे अब साकार होते दिख रहे हैं। रामू ने बताया कि आवास योजना के तहत उनके परिवार के लिए पक्का मकान बनाया गया है, जिसमें वह अपने परिवार के साथ रहते हैं। वे बताते हैं कि पहले कच्चे मकान में बारिश के मौसम में असुविधा होती थी एवं मरम्मत कार्य में भी बहुत खर्च होता था, अब पक्का आवास होने के कारण बारिश के दौरान ज्यादा मरम्मत करने की आवश्यकता नही पड़ती।

कुपोषण मिटाने, रोजगार, शिक्षा और स्वच्छता सुनिश्चित करने में मिली सफलताएं
गरीबों को घर देने के लिए 01 जनवरी 2021 को प्रधानमंत्री के हाथों मिलेगा पुरस्कार

रायपुर / शौर्यपथ / 

छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में राज्य सरकार द्वारा छत्तीसगढ़ के विकास के लिए पिछले दो वर्षों में की गई कोशिशों को राष्ट्रीयस्तर पर लगातार सराहा जा रहा है। इस दौरान प्रदेश सरकार ने गरीबों को घर उपलब्ध कराने,  वर्षा और भूजल को सहेजने, पंचायतों का सशक्तिकरण करने, शिक्षा के क्षेत्र में नवाचार करने, स्वच्छता सुनिश्चित करने, कुपोषण दूर करने, पिछड़े हुए क्षेत्रों का तीव्र विकास करने, सर्वाधिक खाद्यान्न उत्पादित करने, मनरेगा और आजीविका मिशन के तहत रोजगार उपलब्ध कराने, बच्चों से जुड़ी योजनाओं का प्रभावी क्रियान्वयन करने, ग्राम स्वराज अभियान का क्रियान्वयन करने, बेटियों को शिक्षा के लिए प्रोत्साहित करने समेत अनेक क्षेत्रों में उपलब्धियां हासिल की हैं।

इन उपलब्धियों के लिए प्रदेश को पुरस्कृत किया गया है। हाल ही में भारत सरकार ने प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) के तहत छत्तीसगढ़ में संचालित किए जा रहे 'मोर जमीन मोर मकान' मॉडल की सराहना करते हुए, पुरस्कृत करने की घोषणा की है। यह पुरस्कार 01 जनवरी 2021 को प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के हाथों छत्तीसगढ़ को एक वर्चुअल समारोह में प्रदान किया जाएगा। इस तरह इन दो वर्षो की अवधि में राज्य को केंद्र सरकार तथा विभिन्न सामाजिक संगठनों की ओर से दो दर्जन से अधिक पुरस्कारों से नवाजा गया है। 

 भारत सरकार ने प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) के तहत छत्तीसगढ़ के समावेशी मॉडल मोर जमीन मोर मकान के बेहतर क्रियान्वयन पर बधाई देते हुए इसकी सराहना की है। साथ ही डोंगरगढ़ को सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाली नगरपालिकाओं की श्रेणी में पुरस्कृत करने की भी घोषणा की गई है। इससे पूर्व नदी-नालों के पुनरुद्धार के लिए किए गए कार्यों के लिए बिलासपुर और जल-संरक्षण कार्यों के लिए  सूरजपूर जिले को नेशनल वाटर अवार्ड 2019 के लिए किया चयनित किया गया था।

भारत सरकार आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय द्वारा आयोजित स्वच्छ सर्वेक्षण 2020 के तहत छत्तीसगढ़ ने देश के बड़े राज्यों को पछाड़ते हुए देश के स्वच्छतम् राज्य होने का दर्जा प्राप्त कर पुरस्कार हासिल किया था। इसी तरह सर्वाधिक ओडीएफ प्लस गांव के लिए छत्तीसगढ़ को केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय के गंदगीमुक्त भारत अभियान के तहत दूसरा पुरस्कार प्राप्त हुआ था।


 

 छत्तीसगढ़ सरकार की महत्वाकांक्षी सुराजी गांव योजना और अन्य फ्लैगशिप योजनाओं की मॉनिटरिंग के लिए तैयार की गई- मुख्यमंत्री दर्पण वेबसाइट एवं मोबाइल एप को  राष्ट्रीय स्तर पर “एलिट्स एक्सीलेंस अवार्डस-2020 से नवाजा जा चुका है। छत्तीसगढ़ को यह सम्मान देश के प्रतिष्ठित आईटी संस्थान एलिट्स टेक्नोमीडिया, नई दिल्ली ने ‘डिजिटल इंडिया पहल’ के अंतर्गत प्रदान किया। पंचायतों के सशक्तिकरण और विभागीय योजनाओं को लागू करने में सूचना व संचार तकनीक (ICT - Information & Communication Technology) के प्रभावी उपयोग के लिए छत्तीसगढ़ का चयन भारत सरकार के पंचायतीराज मंत्रालय ने ई-पंचायत पुरस्कार के लिए किया था। पंचायतों के कार्यों में पारदर्शिता, दक्षता और जवाबदेही लाने आईसीटी के उपयोग में छत्तीसगढ़ को पूरे देश में दूसरा स्थान प्राप्त हुआ।

भारत सरकार के पंचायतीराज मंत्रालय ने छत्तीसगढ़ की तीन ग्राम पंचायतों को अलग-अलग क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्यों के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार के लिए चुना।  बच्चों से जुड़ी योजनाओं और कार्यक्रमों के बेहतरीन क्रियान्वयन के लिए कबीरधाम जिले के कवर्धा विकासखंड के कान्हाभैरा ग्राम पंचायत का चयन बाल मित्र पंचायत पुरस्कार के लिए किया गया। ग्रामसभा के प्रभावी आयोजन और इसके सशक्तिकरण के लिए रायपुर जिले के आरंग विकासखंड के बनचरोदा पंचायत को नानाजी देशमुख राष्ट्रीय गौरव ग्रामसभा पुरस्कार से नवाजा गया, वहीं कांकेर जिले के चारामा विकासखंड के भिलाई पंचायत को केन्द्रीय पंचायतीराज मंत्रालय द्वारा ग्राम पंचायत विकास योजना पुरस्कार के लिए चुना गया।

कम्प्यूटर सोसायटी ऑफ इंडिया द्वारा छत्तीसगढ़ स्कूल शिक्षा विभाग को ई-गर्वनेंस अवार्ड से नवाजा गया।  वर्ष 2020 की शुरुआत में बेमेतरा जिले को स्वच्छता दर्पण अवार्ड प्राप्त हुआ। यह अवार्ड भारत सरकार, जल शक्ति मंत्रालय, पेयजल एवं स्वच्छता विभाग, स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) नई दिल्ली द्वारा प्रदान किया गया। माह जनवरी 2020 में ही देश के 115 आकांक्षी जिलों में से दन्तेवाड़ा को सुपोषण अभियान में उल्लेखनीय उपलब्धि के लिए सिल्वर स्कॉच अवार्ड से नवाजा गया। छत्तीसगढ़ को सर्वाधिक खाद्यान्न उत्पादन के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने कृषि कर्मण पुरस्कार से सम्मानित किया। 

मनरेगा, आजीविका मिशन, आवास योजना और पीएमजीएसवाई में उत्कृष्ट कार्यों के लिए छत्तीसगढ़ को 22 पुरस्कारों से नवाजा गया। प्रदेश को प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) की विभिन्न श्रेणियों में नौ, मनेरगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना) में सात, राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) में पांच और प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना में बेहतरीन प्रदर्शन के लिए एक पुरस्कार से नवाजा गया। इनमें राज्य स्तर पर दिए जाने वाले 13, जिला स्तर पर दिए जाने वाले तीन, विकासखंड को एक और ग्राम पंचायतों को मिले चार पुरस्कार शामिल हैं। धान की दुर्लभ किस्मों के संरक्षण के लिए छत्तीसगढ़ के आदर्श महिला समूह को पादप जीनोम सेवियर पुरस्कार से नवाजा गया। भारत सरकार के कृषि मंत्रालय के पौधा किस्म और कृषक अधिकार संरक्षण प्राधिकरण द्वारा यह राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान किया जाता है।  

भारत सरकार के पंचायती राज मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय पंचायत पुरस्कार 2019 के तहत दीनदयाल उपाध्याय पंचायत सशक्तिकरण के सामान्य श्रेणी में छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले के जनपद पंचायत नगरी और कबीरधाम जिले के जनपद पंचायत सहसपुर लोहारा को उक्त सम्मान से नवाजा गया। पंचायत सशक्तिकरण के लिए बेहतरीन कार्य करने पर कांकेर जिले को छत्तीसगढ़ राज्य में प्रथम स्थान प्राप्त करने पर सम्मानित किया गया।
राष्ट्रीय पंचायत अवार्ड 2019 के तहत प्रदेश के 11 जिला,  जनपद और ग्राम पंचायतों  को राष्ट्रीय पुरस्कार दिया गया।  योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन और ग्रामसभाओं के सार्थक आयोजन और उत्कृष्ट कार्यों के लिए पंचायतों को ये पुरस्कार दिया गया। भारत सरकार के पंचायतीराज मंत्रालय द्वारा बीजापुर जिले के भैरमगढ़ विकासखंड के कुटरु ग्राम पंचायत को वर्ष 2019 के बाल मित्र ग्राम पंचायत पुरस्कार के लिए चुना गया।  स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के अन्तर्गत कांकेर जिले को स्वच्छता के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने व महत्वपूर्ण योगदान देने के लिए सम्मानित किया गया। लिंगानुपात में निरंतर वृद्धि के लिए रायगढ़ जिला राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित हुआ। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल को बी.पी. मण्डल सामाजिक न्याय रत्न से सम्मानित करते हुए उनका अभिनंदन किया गया। श्री बघेल को छत्तीसगढ़ में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और पिछड़े वर्ग के लिए आरक्षण बढ़ाने के फैसले के लिए उन्हें यह सम्मान प्रदान किया गया। पोषण अभियान में उल्लेखनीय कार्य के लिए पांच राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त हुए।छत्तीसगढ़ ने दो श्रेणियों के तहत उत्कृष्टता पुरस्कारों में दूसरा स्थान हासिल किया। राज्य को आईसीडीएस-सीएएस कार्यान्वयन और क्षमता निर्माण, अभिसरण,व्यवहार परिवर्तन और सामुदायिक जुटाव श्रेणियों में दूसरा स्थान प्राप्त करने पर पुरस्कार से सम्मानित किया गया। छत्तीसगढ़ को जिला, ब्लॉक और पर्यवेक्षक, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, मितानिन, एएनएम स्तर पर तीन पुरस्कार और नेतृत्व एवं अभिसरण के लिए एलएस स्तर भी मिला।


 

राष्ट्रीय स्वच्छता सर्वेक्षण 2019 की रैकिंग में पहला स्थान पाने पर छत्तीसगढ़ को देश का सबसे स्वच्छ राज्य होने का सम्मान मिला । अम्बिकापुर शहर को देशभर में दूसरा और भिलाई नगर को 11 वां स्थान मिला। स्वास्थ्य और पोषण के  क्षेत्र में बेहतर सुधार के फलस्वरुप  कोण्डागांव जिले ने देश में प्रथम स्थान प्राप्त किया।  ओवरऑल रैंकिंग में देश भर के महत्वाकांक्षी जिलों  में मिला दूसरे स्थान पर रहा। समूचे भारत में छत्तीसगढ़ ही इकलौता ऐसा राज्य है, जिसे राष्ट्रीय मतदाता दिवस ( 25 जनवरी ) के अवसर पर पुरस्कारों की विभिन्न श्रेणियों में देश में पहली बार सर्वाधिक चार राष्ट्रीय पुरस्कार मिले। बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान में उत्कृष्ट प्रदर्शन पर रायगढ़ जिले को मिला राष्ट्रीय सम्मान प्राप्त हुआ। छत्तीसगढ़ की तीन आंगनबाडी़ कार्यकर्ताओं को आंगनबाडी़ सेवाओं के बेहतर क्रियान्वयन के लिये राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

धमतरी / शौर्यपथ / वैसे तो राह चलते, सड़क किनारे हमने अनेक बार नीम के पेड़ देखे हैं। उसकी औषधीय गुणों के बारे में भी अक्सर दादी-नानी से सुनते आ रहे हैं। मगर व्यवसायिक तौर पर इसका फायदा कैसे हो ? यह शायद अमूमन लोग नहीं जानते। बात चाहे नीम के पत्ते, छाल या फिर बीज की हो, यह पूरा पेड़ औषधीय गुणों से लबरेज है। गर्मी के दिनों में तपिश के बीच चलती हवा के साथ नीम के बीज पेड़ों से पककर गिरते देखे जा सकते हैं। यह निंबोली अक्सर पत्ते और धूल के बीच पड़े रहकर कचरे में तब्दील हो जाती है।
ऐसे में धमतरी जिले में एक अनूठी पहल जिला प्रशासन ने कलेक्टर श्री जय प्रकाश मौर्य के मार्गदर्शन और मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत श्रीमती नम्रता गांधी के निरीक्षण में की। यह था जिले की ग्रीन आर्मी की महिलाओं को नीम बीज संग्रहण का जिम्मा सौंपने का। जिले में लगभग 16 हजार नीम के पेड़ हैं। स्वच्छ भारत मिशन के तहत 623 गांव में ग्रीन आर्मी गठित है। इसमें 08-10 महिलाएं बतौर ग्रीन आर्मी साफ-सफाई के काम से जुड़ी हैं। जून महीने में जब नीम के बीज पककर गिरने लगे तो इन महिलाओं को साफ-सफाई के साथ बीज एकत्र करने का काम दिया गया। ग्रीन आर्मी की महिलाओं ने सात टन नीम बीज जिले में एकत्र किए। इसे सुखाकर छाती स्थित मल्टी युटिलिटी सेंटर प्रोसेसिंग के लिए भेजा गया। यहां कार्यरत महिला समूह ने छिलके से बीज (चिरोंजी) निकाली, जो लगभग दो टन एक सौ किलो था। इसी बीज से 630 लीटर तेल और एक टन दो सौ किलो खली निकला। नीम बीज का तेल और खली दोनों ही काफी उपयोगी होते हैं। कुदरती गुणों से भरे नीम बीज के तेल को जानकार लोग हाथों-हाथ खरीदने छाती पहुंचने लगे। यहां प्रति लीटर नीम तेल चिल्हर में ढाई सौ रूपए और 50 लीटर से अधिक क्रय करने पर 230 रूपए प्रति लीटर में बिक्री के लिए रखा गया।
धमतरी के हाउसिंग बोर्ड काॅलोनी के आयुर्वेद चिकित्सक डाॅ.दिनेश नाग, जो कि निजी क्लीनिक संचालित करते हैं, उन्होंने जब इसके बारे में सुना तो वे खुद को रोक ना पाए और छाती से नीम तेल खरीद लिए। उनका कहना है कि आज कल चर्म रोग जैसे दाद-खाज, सोरासिस काफी लोगों को होता रहता है। ऐसे में नीम तेल को आयुर्वेदिक और औषधीय गुणों की वजह से उपचार हेतु उपयोग में लाया जाता है। उनका कहना है कि चूंकि उन्होंने ’ओज’ के द्वारा तैयार किए गए इस नीम तेल की गुणवत्ता को परखा, तो उन्हें यह काफी शुद्ध लगा। इस वजह से ढाई सौ रूपए लीटर की दर से उन्होंने दस लीटर तेल खरीद लिया। मार्केट में इसकी कीमत काफी ज्यादा है। आगे भी जरूरत के हिसाब से वे नीम तेल यहां से खरीदेंगे, जिससे कि स्थानीय स्तर पर महिला समूह द्वारा संग्रहित, प्रोसेस्ड और पैक्ड नीम का शुद्ध तेल उपचार के लिए उपयोग कर सकें। पंचकर्म थेरेपी के दौरान उनके मरीजों को भी यह तेल काफी प्रभावित कर रही, ऐसा डाॅ.नाग का कहना है।
नगरी के ग्राम पंचायत बांधा की ग्रीन आर्मी स्वच्छाग्राही श्रीमती नर्मदा मण्डावी का कहना है कि गांव की साफ-सफाई करते हुए नीम बीज संग्रहण के दौरान यह एहसास हुआ कि नीम के पत्ते, शाख के अलावा इसके निंबोली भी बड़े काम के हैं।इसी तरह छाती मल्टीयुटिलिटी सेन्टर से जुड़ी महिला समूह की सदस्य श्रीमती मधु चन्द्राकर का कहना है कि नीम बीज प्रोसेसिंग के समय समूह की महिलाओं को बीज की उपयोगिता की जानकारी मिली। पहले हमें नीम बीज के इतने सारे औषधीय गुणों के बारे में जानकारी नहीं थी, यह हम सबके लिए एक नया अनुभव रहा।
ध्यान देने वाली बात है कि नीम तेल के औषधीय गुणों के जानकार तो इसे छाती पहुंच कर खरीद ही रहे हैं, वहीं मण्डला के वन विभाग ने भी छाती मल्टी युटिलिटी सेंटर से 20 लीटर नीम तेल खरीदा है। इसके अलावा नीम बीज की खली जो लगभग एक टन दो सौ किलो निकली है, उसे कृषि, उद्यानिकी विभाग और किसानों द्वारा जैविक खाद के रूप में उपयोग करने 20 रूपए प्रति किलो में खरीदा जा रहा है। नीम बीज के औषधीय गुणों को ध्यान में रख आयुर्वेदिक और एलोपेथिक दवाइयां बनाने वाली फर्मों से टाई-अप करने की जिले में योजना है। ताकि भविष्य में नीम बीज का तेल निकालने का कार्य और बड़े पैमाने पर कर, इसके संग्रहण, प्रोसेसिंग और पैकेजिंग में लगी समूह की महिलाओं को ज्यादा लाभ पहुंचाया जा सके।

रायपुर /शौर्यपथ / विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी एवं पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय भारत सरकार, विज्ञान भारती के सहयोग से दिनांक 22 से 25 दिसम्बर 2020 के मध्य इंण्डिया इंटरनेशनल साईंस फेस्टिवल 2020 का छठवें संस्करण का आयोजन वर्चुवल मोड पर नई दिल्ली में किया गया। इसी कड़ी में 23 दिसम्बर 2020 को ÓÓस्टेट साईंस एण्ड टेक्नोलॉजी मिनिस्टर्स कान्क्लेवÓÓ का आयोजन किया गया। इस कान्क्लेव में विभिन्न राज्यों से उपस्थित विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभागों के मंत्रियों की उपस्थिति में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार द्वारा 32 विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषदों को 6 जोन में बांटते हुए प्रत्येक जोन द्वारा संबंधित राज्यों में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की क्षेत्रों में किये गये उल्लेखनीय कार्यों का प्रदर्शन किया गया।
सेन्ट्रल जोन के तहत छत्तीसगढ़ एवं मध्यप्रदेश में स्थापित छत्तीसगढ़ विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद तथा मध्यप्रदेश विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद का संयुक्त प्रदर्शन छत्तीसगढ़ विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद तथा छत्तीसगढ़ रीजनल साईस एण्ड सोसायटी के महानिदेशक श्री मुदित कुमार सिंह द्वारा किया गया। दोनों संस्थाओं द्वारा विज्ञान लोकव्यापीकरण, अनुसंधान एवं विकासीय, बौद्धिक संपदा अधिकार, नवप्रर्वतन एवं रिमोट सेन्सिग के क्षेत्रों में किये गये उल्लेखनीय कार्यों तथा भविष्य में दोनों संस्थाओं द्वारा प्रस्तावित योजनाओं की विस्तृत जानकारी दी गई।
कान्क्लेव में अन्य जोन के परिषदों द्वारा मुख्य रूप से कोविड-19 संक्रमण पर कार्यक्रम, विभिन्न क्षेत्रों में प्रौद्योगिकी हस्तांतरण कार्यक्रम, नवप्रर्वतन योजना, महिला उद्यमी विकास कार्यक्रम, कृषि उद्यान पशुधन तथा प्रदेश की नरवा, गरवा, घुरवा और बाड़ी योजना आदि क्षेत्रों में किये गये महत्वपूर्ण कार्यो का उल्लेख किया गया।

विशेष लेख:शशिरत्न पाराशर
महासमुंद / शौर्यपथ / छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा जनता की स्वास्थ्य की बेहतरी के लिए मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान, मुख्यमंत्री हाट बाजार क्लीनिक योजना सहित मुख्यमंत्री शहरी स्लम स्वास्थ्य योजना, मुख्यमंत्री सार्वभौम पीडीएस और मध्यान्ह भोजन योजना जैसी पांच योजना 2 अक्टूबर 2019 को महात्मा गांधी की 150 वीं जयंती के अवसर पर शुरू की है। जिला महासमुंद में इन योजनाओं पर तुरंत अमल शुरू कर दिया था। जिले में कुल 1780 आंगनबाड़ी केन्द्र है, जिनमें कुल 82000 बच्चें है। मध्यम कुपोषित बच्चों की संख्या क़रीब 15000 है। वही गंभीर कुपोषित बच्चों की संख्या लगभग 5000 है। ज्यादा नहीं हाल के कुछ वर्षों के आंकड़ों पर नजर डाले तो 17 प्रतिशत कुपोषण बच्चों में कमी आयी है। इसमें कोरोना काल से पहले स्कूलों में मध्यान्ह भोजन एवं आंगनबाड़ी केन्द्रों में बच्चों को पौष्टिक आहार दिया जा रहा था।

लेकिन कोविड-19 के चलते स्कूली बच्चों और वहीं 15 वर्ष से 49 वर्ष की चिन्हांकित एनीमिया पीड़ित महिलाओं को भी पौष्टिक आहार उपलब्ध कराया जा रहा है और नियमित रूप से निगरानी की जा रही है। आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा मध्यम और गंभीर कुपोषित बच्चों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।

महिला विकास विभाग महासमुंद से मिली जानकारी अनुसार 15 वर्ष से 49 वर्ष आयु वर्ग की एनीमिया से पीड़ित 19500 महिलाएं चिन्हांकित की गई है। इसी प्रकार एनीमिया से पीड़ित गर्भवती महिलाओं की संख्या 9000, शिशुवती माताएं 9500 है। इस प्रकार कुल 19500 प्रभावित हितग्राहियों को चिन्हांकित किया गया है। 24 प्रतिशत एनिमिक पीड़ित महिलाओं में कमी आयी है । इनमें से प्रारंभ में हितग्राहियों को लाभान्वित किया जा रहा है।

जिले योजना शुरू होने से सकारात्मक परिणाम देखने को मिल रहे है। दो साल में बच्चों के कुपोषण में तेजी के साथ कमी आयी है। जिले में नयी सरकार गठन के बाद बच्चों के सुपोषण में इजाफा हुआ। लगातार मानिटरिंग के जरिए गंभीर कुपोषण में कमी आयी है। पिछले वर्ष के मुकाबले सामान्य और गंभीर कुपोषण की दर में गिरावट आयी है।

महासमुंद और ज़िले के सभी विकासखण्ड में विभिन्न कार्यक्रमों और स्थानीय कला जत्था के माध्यम से प्रचार-प्रसार कर कुपोषण दूर करने प्रयासरत है और इसमें लगातार सफलता भी मिल रही है। कोरोना के चलते इस काम में गति की रफ़्तार में कमी ज़रूर आयी है। अब कोविड-19 का पालन करते हुए महासमुंद जिले के अधिकांश सभी आंगनबाड़ी केन्द्रों में स्व-सहायता समूह की महिलाओं द्वारा बच्चों को गरम भोजन परोसा जाता है। वही सहायता समूह द्वारा गुणवत्तापूर्ण रेडी-टू-ईट फुड की व्यवस्था की जाती है। इसमें निर्माण की तिथि अंकित होती है। इससे खराब होने से पहले ही इसका उपयोग कर लिया जाता है।

गोधन योजना से सृजित हो रहे हैं रोजगार के नए अवसर : किसान बढ़ रहे हैं जैविक खेती की ओर
मुख्यमंत्री ने गोधन न्याय योजना की 10वीं किश्त में गोबर विक्रेताओं के खातों में अंतरित की 5.12 करोड़ रूपए की राशि
गोधन न्याय योजना में अब तक 1.40 लाख गोबर विक्रेताओं को 64.20 करोड़ रूपए का भुगतान
गौठानों में किसानों ने किया 5 करोड़ रूपए मूल्य का पैरादान

रायपुर / शौर्यपथ / मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आज प्रदेश सरकार की गोधन न्याय योजना के हितग्राहियों के खाते में गोबर खरीदी की 10वीं किश्त की राशि के रूप में 5 करोड़ 12 लाख रूपए की राशि गौपालकों के खाते में अंतरित की। इस योजना के अंतर्गत प्रदेश के 1 लाख 40 हजार से अधिक पशुपालक लाभान्वित हो रहे हैं।
विधानसभा परिसर स्थित अपने कार्यालय से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए आयोजित इस कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए मुख्यमंत्री श्री बघेल ने कहा कि गोधन न्याय योजना के अंतर्गत अब तक गौपालकों को 64 करोड़ 20 लाख रूपए की राशि दी जा चुकी है। इससे उनकी आर्थिक स्थिति में परिवर्तन आ रहा है। रोजगार के नए अवसर सृजित हो रहे हैं और किसान जैविक खेती की ओर बढ़ रहे हैं। गोधन न्याय योजना में गोबर खरीदी के साथ-साथ हजारों ग्रामीण महिलाएं वर्मी कम्पोस्ट उत्पादन का कार्य कर रही है। वर्मी कम्पोस्ट की विक्रय दर 8 रूपए प्रति किलो से बढ़ाकर 10 रूपए प्रति किलो कर दी गई है। इस योजना से नए रोजगार के अवसर सृजित हो रहे हैं। जो किसान वर्मी कम्पोस्ट का उपयोग कर रहे हैं, वे जैविक खेती की ओर बढ़ रहे हैं। श्री बघेल ने कहा कि जैविक खेती में उत्पादित होने वाले अनाज और फलों की कीमत डेढ़ से दोगुनी बढ़ जाती है। इससे किसानों की आय में भी अच्छी खासी वृद्धि होगी। उन्होंने गोधन योजना से जुड़े सभी हितग्राहियों को बधाई और शुभकामनाएं दी। इस अवसर पर कृषि एवं जल संसाधन मंत्री रविन्द्र चौबे और कृषि उत्पादन आयुक्त डॉ. एम. गीता उपस्थित थीं।
कृषि उत्पादन आयुक्त डॉ. गीता ने बताया कि प्रदेश में 7 हजार 824 गौठान स्वीकृत किए गए हैं। जिनमें से 4 हजार 704 गौठान पूरे हो गए हैं। इनमें से 4 हजार 173 गौठान सक्रिय हैं। गोधन न्याय योजना के अंतर्गत अब तक 32 लाख 10 हजार क्विंटल गोबर की खरीदी की जा चुकी है। गोबर से गौठानों में तैयार की गई 8 हजार 50 क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट की अब तक बिक्री की जा चुकी है। गौठानों में किसानों ने लगभग 5 करोड़ रूपए मूल्य का पैरा दान किया है। गौठानों में पशु के चारा के रूप में अजोला का उत्पादन किया जा रहा है। जिसमें लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है। उन्होंने बताया कि गौठानों में वर्मी कम्पोस्ट के निर्माण के लिए 78 हजार 47 वर्मी टांका स्वीकृत किए गए थे, जिसमें से 54 हजार 241 वर्मी टांका पूर्ण हो गए हैं और 16 हजार 810 वर्मी टांका का निर्माण प्रगति पर है। डॉ. गीता ने बताया कि रायपुर की दो प्रयोगशालाओं सहित दुर्ग, बिलासपुर, सरगुजा, बस्तर और रायगढ़ की एक-एक प्रयोगशाला में वर्मी कम्पोस्ट के नमूनों की जांच की जा रही है। अब तक 1,006 नमूनों का विश्लेषण किया जा चुका है। उन्होंने यह भी जानकारी दी कि गोधन न्याय योजना के हितग्राहियों में 47.5 प्रतिशत हितग्राही अन्य पिछड़ा वर्ग के, 44 प्रतिशत हितग्राही महिलाएं और 41 प्रतिशत हितग्राही अनुसूचित जनजाति वर्ग और 7.80 प्रतिशत हितग्राही अनुसूचित जाति वर्ग के हैं।

छत्तीसगढ़ सरकार पूरी संजीदगी से कर रही है धान खरीदी का काम, किसानों को नहीं होने देंगे कोई तकलीफ: मुख्यमंत्री बघेल
धान खरीदी की समस्याओं के निराकरण के लिए राज्य सरकार कटिबद्ध
छत्तीसगढ़ विधानसभा में 2387 करोड़ रूपए का द्वितीय अनुपूरक बजट पारित
वित्तीय वर्ष 2020-21 के बजट का आकार बढ़कर हुआ एक लाख 9 हजार 101 करोड़ रूपए
मुख्यमंत्री ने कहा - हमारी प्राथमिकता प्रदेश के गरीब, किसान, मजदूर, महिलाएं और युवाओं की आर्थिक स्थिति में सुधार लाना
धान खरीदी शुरू हुए एक माह हो रहे, केन्द्र ने अब तक नहीं दी एफसीआई को चावल देने की अनुमति

रायपुर / शौर्यपथ / छत्तीसगढ़ विधानसभा में आज चर्चा के बाद ध्वनिमत से 2 हजार 387 करोड़ रूपए का द्वितीय अनुपूरक बजट पारित कर दिया गया। द्वितीय अनुपूरक के बाद अब प्रदेश के वर्ष 2020-21 के मुख्य बजट का आकार कुल एक लाख 9 हजार 101 करोड़ रूपए हो गया है। वर्ष 2020-21 का मुख्य बजट एक लाख 2 हजार 907 करोड़ रूपए का था। प्रथम अनुपूरक का आकार 3 हजार 807 करोड़ रूपए था।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने विधानसभा में हुई चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि राज्य सरकार पूरी संजीदगी के साथ धान खरीदी का काम कर रही है, किसानों को किसी प्रकार की दिक्कत नहीं होगी। बारदानों की कमी को दूर करने के लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी प्राथमिकता प्रदेश के गरीब, किसान, मजदूर, महिलाएं और युवा हैं। उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार करना हमारी प्राथमिकता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि हां हमने कर्ज लिया है, किसानों की कर्ज माफी के लिए, धान खरीदी के लिए और लोगों की सहायता करने के लिए। उन्होंने कहा कि पूर्व सरकार ने स्काई वॉक, एक्सप्रेस-वे, मोबाइल खरीदी और नई राजधानी के लिए ऋण लिया, लेकिन इसका प्रदेश की जनता को क्या फायदा हुआ। मुख्यमंत्री ने नई तहसीलों की जनप्रतिनिधियों की मांग के संबंध में कहा कि राज्य सरकार द्वारा 23 नई तहसीले बनाई गई है। भविष्य में जब भी नई तहसीलें बनाई जाएंगी जनप्रतिनिधियों की मांगों को ध्यान में रखा जाएगा।
मुख्यमंत्री ने बारदानों की व्यवस्था के संबंध में कहा कि राज्य सरकार ने भारत सरकार के जूट कमिश्नर से छत्तीसगढ़ को 4.50 लाख गठान बारदाना उपलब्ध कराने का आग्रह किया था, लेकिन उन्होंने एक लाख 43 हजार गठान बारदाने उपलब्ध कराने की स्वीकृति दी। लेकिन हमें एक लाख 5 हजार गठान बारदानें जूट कमिश्नर से मिले हैं। कोरोना काल में जूट मिलें बंद थी, इसलिए राज्य सरकार ने पीडीएस की दुकानों से 65 हजार गठान पुराने बारदाने, राईस मिलर्स से 80 हजार गठान बारदाने की व्यवस्था की है। हमें अब तक 2 लाख 62 हजार गठान बारदाने मिले हैं, जिनमें से एक लाख 58 हजार गठान बारदानों का उपयोग किया जा चुका है और एक लाख 4 हजार गठान बारदाने शेष हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने आम जनता को सुविधाएं उपलब्ध कराने के कार्य किए, उनकी सराहना भारत सरकार और नीति आयोग ने भी की। कोरोना काल में प्रदेश में 22 हजार से अधिक क्वॉरेंटाइन सेंटर स्थापित किए गए, गरीबों को 35 किलो के मान से 3 माह का अनाज मुफ्त दिया गया, मध्यान्ह भोजन कार्यक्रम के अंतर्गत बच्चों को घर पहुंचाकर सूखा राशन दिया गया। श्री बघेल ने कहा कि प्रदेश के भ्रमण के दौरान उन्होंने कई धान खरीदी केंद्रों का भी दौरा किया वहां भीड़-भाड़ नहीं थी और व्यवस्थाएं काफी अच्छी थी। नई सरकार बनने के पहले प्रदेश में 1900 धान खरीदी केंद्र थे, जिन्हें पहले चरण में बढ़ाकर 2000 किया गया और अब 2300 केंद्रों पर धान की खरीदी हो रही है। पिछले वर्ष 23 दिसंबर तक 5 लाख किसानों ने 18 लाख मेट्रिक टन धान बेचा था, जबकि इस वर्ष 23 दिसंबर तक 9 लाख 90 हजार किसानों ने 38 लाख मैट्रिक टन धान बेचा है। इस वर्ष धान के विक्रय के लिए 21 लाख 38 हजार किसानों ने पंजीयन कराया है, जो पिछले वर्षों की तुलना में सर्वाधिक है। धान के रकबे में भी 6 लाख एकड़ की वृद्धि हुई है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि धान खरीदी में आ रही समस्याओं के निराकरण के लिए राज्य सरकार कटिबद्ध है। इस संबंध में मिल रही शिकायतों का लगातार समाधान किया जा रहा है। डायल 112 में अब तक 1700 शिकायतें मिली जिनमें से 483 का निराकरण किया जा चुका है। रकबे में त्रुटि के संबंध में 413 शिकायतें मिली हैं, जिनके निराकरण के लिए अधिकारियों को कहा गया है। उन्होंने बताया कि कल ही उन्होंने केंद्रीय मंत्री श्री पीयूष गोयल से एफसीआई को चावल देने की अनुमति देने का आग्रह किया था, लेकिन उन्होंने कहा कि मैं किसान आंदोलन में व्यस्त हूं। धान खरीदी को एक माह हो गया है लेकिन यह दुर्भाग्यजनक है कि अभी तक एफसीआई में चावल देने की अनुमति नहीं मिल पाई है। राईस मिलर्स अब तक 7 लाख मेट्रिक टन से अधिक उठाव कर चुके हैं। यदि एफसीआई में चावल जमा करने की अनुमति नहीं मिलती है तो बारदाने की कमी होगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि किसानों को एकमुश्त धान की कीमत 2500 रूपए प्रति क्विंटल इसलिए नहीं दी जा सकी क्योंकि केन्द्र सरकार ने हमारे हाथ-पांव बांध दिए थे। समर्थन मूल्य और 2500 रूपए प्रति क्विंटल के अंतर की राशि किसानों को देने के लिए राज्य सरकार राजीव गांधी किसान न्याय योजना लेकर आई जिसमें किसानों को प्रति एकड़ 10 हजार रूपए की राशि दी जा रही है। इस योजना में किसानों को तीन किश्तों का भुगतान किया जा चुका है। चौथी किश्त भी इसी वित्तीय वर्ष में दे दी जाएगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना मरीजों का सरकारी अस्पतालों में मुफ्त में इलाज किया जा रहा है। राज्य सरकार कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए भारत सरकार की गाइडलाइन का पालन कर रही है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने स्वास्थ्य संबंधी अधोसंरचना विकसित करने के भी पूरे प्रयास किए है। 15 वर्षों में प्रदेश में केवल 46 आईसीयू बेड थे, जिनकी संख्या अब बढ़कर 400 हो गई है। हजारो बेड, वेंटिलेटर की व्यवस्था की गई। कोरोना पैंडेमिक से निपटने के लिए स्वास्थ्य और पुलिस विभाग सहित पंचायत, महिला एवं बाल विकास, शिक्षा सहित सभी विभागों के लोगों और जनप्रतिनिधियों में सराहनीय कार्य किया। उन्होंने कहा कि अब कोरोना वायरस का नया स्ट्रेन आ गया है। यदि विदेशों से आने वालों को पहले ही बड़े शहरों में रोक लिया गया होता, तो यह छत्तीसगढ़ नहीं आ पाता। मुख्यमंत्री ने कहा कि मुझे छत्तीसगढ़ की संस्कृति पर गर्व है और छत्तीसगढ़िया होने का अभिमान है। नरवा, गरवा, घुरवा, बाड़ी योजना का उल्लेख करते हुए कहा कि नरवा प्रोजेक्ट में भारत सरकार ने सूरजपुर और बिलासपुर जिले को पूरे देश में प्रथम पुरस्कार प्रदान किया है। स्वच्छता के मामले में छत्तीसगढ़ पूरे देश में पहला है। गोधन न्याय योजना में अब तक 32 लाख क्विंटल से अधिक गोबर की खरीदी की जा चुकी है और पशुपालकों को 64 करोड़ रूपए का भुगतान किया जा चुका है। अंबिकापुर के वर्मी कम्पोस्ट उत्पादन करने वाले एक महिला स्व-सहायता समूह ने एक बड़ी कम्पनी के साथ 16 रूपए प्रति किलो की दर पर वर्मी कम्पोस्ट की बिक्री के लिए एमओयू किया है। उन्होंने कहा कि गोबर हमारे लिए पवित्र वस्तु है। आज भी घरों में चूल्हे और पूजा स्थल की लिपाई गोबर से की जाती है। गोबर को हमने अर्थव्यवस्था से जोड़ा है।
मुख्यमंत्री ने विपक्ष द्वारा कर्ज के आकार बढ़ने के संबंध में की गई शिकायतों का जवाब देते हुए कहा कि भारत सरकार द्वारा वर्ष 2019-20 के केन्द्रीय बजट में राज्य को केन्द्रीय करों में राज्य के हिस्से की राशि 26 हजार 13 करोड़ रूपए निर्धारित की गई थी, किन्तु राज्य को वास्तविक रूप से केवल 20 हजार 205 करोड़ रूपए ही प्राप्त हुए। इस प्रकार राज्य को 5 हजार 808 करोड़ रूपए कम प्राप्त हुए हैं। उन्होंने कहा कि इसी प्रकार वर्ष 2019-20 में राज्य को जीसएसटी क्षतिपूर्ति अनुदान की राशि 4 हजार 506 करोड़ प्राप्त होनी थी, किन्तु केवल 2 हजार 644 करोड़ ही प्राप्त हुए हैं। इस प्रकार इन दोनों मदो में कुल 7 हजार 670 करोड़ की कमी होने से राज्य के संसाधनों में भारी कमी आई है।
मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि वर्ष 2019-20 में केन्द्रीय करों में राज्य के हिस्से में कमी को देखते हुए भारत सरकार द्वारा विशेष रियायत के रूप में राज्य को एक हजार 813 करोड़ की अतिरिक्त अधार-सीमा का लाभ एफआरबीएम एक्ट में संशोधन करने की शर्त पर प्रदाय किया गया था। 22 मार्च 2020 से देशव्यापी लॉकडाउन के कारण राज्य के स्वयं के राजस्व में भी आंशिक कमी हुई है, किन्तु वैश्विक आपदा के समय में राज्य के लोगों को फौरी तौर पर राहत प्रदान करने तथा स्वास्थ्य सुविधाओं की तत्काल उपलब्धता सुनिश्चित करने हेतु राज्य द्वारा लोकहित में आवश्यक व्यय किए गए है। केन्द्र सरकार द्वारा दी गई अतिरिक्त उधार सीमा के लिए निर्देशानुसार राज्य के एफआरबीएम एक्ट में 2019-20 के लिए वित्तीय घाटे की सीमा में वृद्धि हेतु संशोधन किया जाना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि वास्तविकता यह है कि सामान्य आर्थिक मंदी एवं कोविड-19 महामारी से उत्पन्न विशेष परिस्थितियों के कारण केन्द्र सरकार के साथ-साथ सभी राज्यों के राजस्व प्राप्तियों में भारी कमी दर्ज की गई है। जिसकी पूर्ति के लिए ऋण लिया गया है।
राज्यों की जीएसडीपी के तिमाही आंकड़े जारी नहीं किए जाते हैं किन्तु केन्द्रीय सांख्यिकी संगठन के हाल ही में जारी आंकड़ों के अनुसार देश की जीडीपी में प्रथम तिमाही में 23.9 प्रतिशत तथा द्वितीय तिमाही में 7.5 प्रतिशत की गिरावट आयी है। मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि अंत में मार्च 2020 में केन्द्र सरकार ने राज्य को एक हजार 813 करोड़ अतिरिक्त ऋण लेने का निर्देश दिया। लेकिन हमन अतिरिक्त ऋण न लेकर उपलब्ध राशि में ही राज्य के खर्चों को संचालित किया। वर्ष 2020-21 में तो भारत सरकार द्वारा सभी राज्यों को 2 प्रतिशत अतिरिक्त ऋण लेनेे की अनुमति प्रदान की जा चुकी है, किन्तु छत्तीसगढ़ ने अभी तक इस अतिरिक्त ऋण सीमा का लाभ नहीं लिया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि राजस्व प्राप्तियों में छत्तीसगढ़ ने बेहतर प्रदर्शन किया है।

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