March 27, 2025
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मुख्यमंत्री ( सफलता की कहानी )

मुख्यमंत्री ( सफलता की कहानी ) (251)

रायपुर / शौर्यपथ /

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा पशुधन के संरक्षण और संवर्धन के लिए गांवों में निर्मित गौठान और साल भर पहले शुरू हुई गोधन न्याय योजना से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को एक नया संबल मिला है। गौठानों में गोधन न्याय योजना के तहत गोबर खरीदी का आंकड़ा अब तक 100 करोड़ रूपए के पार पहुच चुका है। खरीदे गए गोबर से राज्य के लगभग 6000 गौठानों में बहुतायत रूप से वर्मी कम्पोस्ट और सुपर कम्पोस्ट का उत्पादन महिला समूहों द्वारा किया जा रहा है। गौठानों अब तक उत्पादित एवं विक्रय की गई खादों का मूल्य 90 करोड़ रूपए के पार हो गया है। गोधन न्याय योजना में ग्रामीणों की बढ़-चढ़कर भागीदारी में इसे न सिर्फ लोकप्रिय बनाया है बल्कि इसके माध्यम से जो परिणाम हमारे सामने आए हैं वह बेहद सुखद है।
गोधन न्याय योजना अपने आप में एक ऐसी अनूठी योजना बन गई है, जो बहुआयामी उद्देश्यों को अपने आप में समाहित कर लिया है। इस योजना के शुरूआती दौर में लोगों के मन में कई तरह के सवाल और इसकी सफलता को लेकर आशंकाएं थी, जिसे गौठान संचालन समिति और गौठान से जुड़ी महिलाओं ने निर्मूल साबित कर दिया है। इस योजना से हमारे गांवों मेेें उत्साह का एक नया वातावरण बना है। रोजगार के नए अवसर बढ़े हैं। पशुपालकों, ग्रामीणों को अतिरिक्त आय का जरिया मिला है। महिला स्व सहायता समूहों को को स्वावलंबन की एक नई राह मिली है।
पशुधन के संरक्षण और संवर्धन के साथ-साथ उन्हें चारे-पानी का एक ठौर देने के उदेद्श्य गांवों में स्थापित गौठान और गोधन न्याय योजना के समन्वय से वास्तव में गौठान अब ग्रामीण के आजीविका के नया ठौर बनते जा रहे है। गौठानों में महिला समूहों द्वारा जिस लगन और मेहनत के साथ आयमूलक गतिविधियां सफलतापूर्वक संचालित की जा रही है। वह अपने आप में बेमिसाल है। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल का कहना है कि हमारे गांव शक्ति का केन्द्र रहे हैं। ग्रामीण संसाधनों ने इतनी शक्ति होती है कि उससे प्रदेश और देश की अर्थव्यवस्था संचालित हो। हमें अपनी संस्कृति, अस्मिता, स्वाभिमान और सम्मान से जुड़े रहकर विकास की गति को बढ़ाना हो तो इसका सबसे अच्छा साधन है अपने परम्परागत संसाधनों का सम्मान और मूल्य संवर्धन करते हुए ऐसा विकास, जिसमें बड़ी संख्या में ग्रामीण जनता की सीधी भागीदारी हो।
गोधन न्याय योजना और हमारे गौठान वास्तव में ग्रामीणों की योजना है और उन्हीं के द्वारा उन्हीं की भलाई के लिए संचालित की जा रही है। गोधन न्याय योजना के तहत गोबर खरीदी की राशि का आंकड़ा 100 करोड़ के पार हो गया है। यह कोई छोटी बात नहीं है। गोबर को बेचने वाले और खरीदने वाले और उससे वर्मी कम्पोस्ट से लेकर विविध उत्पाद तैयार करने वाले गांव के ही है। इससे यह बात स्पष्ट है कि हमारे गांव रोजगार और उत्पादन के केन्द्र बिन्दु बन सकते हैं, जो गांधी जी के ग्राम स्वराज का उद्देश्य है। छत्तीसगढ़ सरकार सुराजी गांव योजना- नरवा, गरूवा, घुरवा, बाड़ी और गोधन न्याय योजना के जरिए ग्राम स्वराज के सपने को पूरा करने की ओर तेजी से बढ़ रही है।
गोधन न्याय योजना के तहत अब तक 100 करोड़ 82 लाख रूपए की गोबर की खरीदी गौठानों में हो चुकी है। गौठान समितियों को 32 करोड़ 94 लाख तथा महिला स्व-सहायता समूहों को अब तक 21 करोड़ 42 लाख रूपए के लाभांश का वितरण किया जा चुका है। गौठानों में वर्मी कम्पोस्ट निर्माण से लेकर आय अर्जन की विविध गतिविधियों में जुटीं समूह की महिलाएं लगन और मेहनत से जुटी है। उनकी लगन और मेहनत ने यह बात प्रमाणित कर दी है, कि परिस्थितियां चाहे जितनी भी विषम हो उसे पुरूषार्थ से पराजित किया जा सकता है। महिला समूहों ने उच्च गुणवत्ता की वर्मी कम्पोस्ट और सुपर कम्पोस्ट खाद तैयार कर एक नया कीर्तिमान रचा है। छत्तीसगढ़ के गौठानों में उत्पादित वर्मी कम्पोस्ट की मांग पड़ोसी राज्य भी करने लगे हैं। झारखंड राज्य ने डेढ़ लाख क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट सप्लाई का आर्डर रायगढ़ जिले को मिला है। यह गर्व की बात है। छत्तीसगढ़ राज्य से लगे सीमावर्ती राज्यों के किसान भी छत्तीसगढ़ के बार्डर इलाके के गौठानों में आकर वर्मीकम्पोस्ट क्रय कर रहे हैं। छत्तीसगढ़ सरकार की गोधन न्याय योजना को स्काच गोल्ड अवार्ड मिलना राज्य के लिए गौरव पूर्ण उपलब्धि है।
गोधन न्याय योजना के तहत अब तक राज्य में 10 हजार 112 गौठान स्वीकृत किए गए हैं जिनमें से 6112 गौठान निर्मित और संचालित हैं। इस योजना से लाभान्वित होने वालों में 44.51 प्रतिशत महिलाएं हैं। 48.10 प्रतिशत अन्य पिछड़ा वर्ग, 7.82 प्रतिशत अनुसूचित जाति के तथा 40.58 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति वर्ग के पशुपालक हैं। 79 हजार से अधिक भूमिहीन परिवारों को इस योजना के माध्यम से अतिरिक्त आय का जरिया सुलभ हुआ है। महिला समूहों द्वारा गौठानों में अब तक 7 लाख 80 हजार क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट का उत्पादन किया गया है, जिसमें से 6 लाख 13 हजार क्विंटल खाद का विक्रय हो गया है। गौठानों में 3 लाख 46 हजार क्विंटल सुपर कम्पोस्ट खाद में से 1 लाख 60 हजार क्विंटल खाद बिक चुकी है। गौठानों में सफलतापूर्वक गोबर की खरीदी और आयमूलक गतिविधियों के संचालन से 1634 गौठान स्वावलंबी हो चुके हैं। यह गोधन न्याय योजना के सार्थकता और उसके जरिए होने वाले लाभ का परिणाम है।

रायपुर / शौर्यपथ / वर्ष 2021 में छत्तीसगढ़ राज्य को विभिन्न कार्यो के लिए कई राष्ट्रिय पुरस्कारों से नवाजा गया है . कोरोना काल के दरम्यान भी छत्तीसगढ़ सरकार के कार्यो को कई क्षेत्रो में सफलता मिली है . आइये जाने छत्तीसगढ़ को वर्ष 2021 में कितने राष्ट्रिय पुरस्कार किन किन क्षेत्रो में प्राप्त हुए है .
राष्ट्रीय पंचायत पुरस्कार-2021 : छत्तीसगढ़ को मिला 12 पुरस्कार : 24-04-2021
केन्द्रीय पंचायतीराज मंत्रालय द्वारा दिए जाने वाले राष्ट्रीय पंचायत पुरस्कार-2021 के अंतर्गत छत्तीसगढ़ को 12 पुरस्कार प्राप्त हुए हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राष्ट्रीय पंचायतीराज दिवस के मौके पर नई दिल्ली में आयोजित वर्चुअल समारोह में विजेता पंचायतों के खातों में पुरस्कार राशि का ऑनलाइन अंतरण किया। केन्द्रीय पंचायतीराज एवं ग्रामीण विकास मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर भी कार्यक्रम में शामिल हुए। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री टी.एस. सिंहदेव और राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल पुरस्कार समारोह में वीडियो कॉन्फ्रेंस से जुड़ें। उन्होंने पुरस्कार हासिल करने वाले सभी पंचायतों को बधाई एवं शुभकामनाएं दी हैं।
छत्तीसगढ़ को राष्ट्रीय ई-पंचायत पुरस्कारों में दूसरा स्थान : 21-04-2021
प्रदेश की त्रिस्तरीय पंचायतीराज संस्थाओं द्वारा स्थानीय स्वशासन में आईसीटी (Information & Communication Technology) के बेहतर उपयोग के लिए छत्तीसगढ़ को राष्ट्रीय ई-पंचायत पुरस्कारों में दूसरा स्थान मिला है। केन्द्रीय पंचायती राज मंत्रालय द्वारा सभी राज्यों की पंचायतों में आईसीटी और ई-एप्लीकेशन के प्रभावी उपयोग का मूल्यांकन कर बेहतर प्रदर्शन करने वालों राज्यों को ई-पंचायत पुरस्कार प्रदान किया जाता है। तीन अलग-अलग वर्गों में दिए जाने वाले इस पुरस्कार में छत्तीसगढ़ को प्रथम वर्ग (Category-I) में असम के साथ संयुक्त रूप से दूसरा स्थान प्राप्त हुआ है। भारत सरकार द्वारा पंचायतों के कार्यों में पारदर्शिता, दक्षता और जवाबदेही के लिए आईसीटी के उपयोग को बढ़ावा देने हर वर्ष ई-पंचायत पुरस्कार प्रदान किया जाता है।
हेल्थ एंड वेलनेस एप्लीकेशन के उपयोग में छत्तीसगढ़ को मिला पुरस्कार : 14-04-2021
हेल्थ एंड वेलनेस एप्लीकेशन के उत्कृष्ट उपयोग के लिए छत्तीसगढ़ को राष्ट्रीय पुरस्कार मिला है। इस एप्लीकेशन के उपयोग में छत्तीसगढ़ देश में तीसरे स्थान पर है। केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग द्वारा आज देश में हेल्थ एंड वेलनेस सेंटरों की शुरूआत के तीन वर्ष पूरे होने पर आयोजित ऑनलाइन कार्यक्रम में प्रदेश को यह पुरस्कार प्रदान किया गया। छत्तीगसढ़ ने कोरोना महामारी के इस कठिन समय में भी लक्ष्य से अधिक स्वास्थ्य केंद्रों का हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर में उन्नयन किया है।
प्रदेश की पंचायतों ने फिर दिखाया दम, लगातार तीसरे साल 11 राष्ट्रीय पुरस्कार : 03-04-2021
केन्द्रीय पंचायती राज मंत्रालय द्वारा कोंडागांव जिला पंचायत, गरियाबंद और तिल्दा जनपद पंचायत तथा सरगुजा जिले के अंबिकापुर विकासखंड के सरगवां और लुंड्रा विकासखंड के रिरी, बालोद जिले के गुंडरदेही विकासखंड के माहुद (अ), कबीरधाम जिले के सहसपुर लोहारा विकासखंड के महराटोला एवं रायपुर जिले के आरंग विकासखंड के बैहार ग्राम पंचायत का चयन दीनदयाल उपाध्याय पंचायत सशक्तिकरण पुरस्कार के लिए किया गया है। राष्ट्रीय पंचायत पुरस्कार-2021 के अंतर्गत बीजापुर जिले के भोपालपटनम विकासखंड के दूरस्थ वनांचल गोटईगुड़ा ग्राम पंचायत को नानाजी देशमुख राष्ट्रीय गौरव ग्राम सभा पुरस्कार, रायपुर जिले के अभनपुर विकासखंड के नवागांव (ल) को बाल मित्र ग्राम पंचायत पुरस्कार और आरंग विकासखंड के बैहार को ग्राम पंचायत विकास योजना पुरस्कार दिया जाएगा।
राष्ट्रीय पंचायत अवार्ड 2021: कोण्डागांव को मिला दीनदयाल उपाध्याय पंचायत सशक्तीकरण पुरस्कार : 01-04-2021
भारत सरकार के पंचायती राज मंत्रालय द्वारा आज 31 मार्च को विशिष्ट कार्य करने वाले पंचायतों के लिए दीनदयाल उपाध्याय पंचायत सशक्तिकरण पुरस्कार, नानाजी देशमुख राष्ट्रीय गौरव ग्राम सभा पुरस्कार एवं ग्राम पंचायत डेवलपमेंट प्लान अवार्ड की घोषणा की गई। जिसमें जिला पंचायत कोंडागांव को उत्कृष्ट कार्य हेतु वर्ष 2019-20 के लिए छत्तीसगढ़ में प्रथम स्थान प्रदान करते हुए दीनदयाल उपाध्याय पंचायत सशक्तिकरण पुरस्कार (डी.डी.यू.पी.एस.पी.) 2021 प्रदान करने की घोषणा की गई।
बिलासपुर जिले को पीएम किसान सम्मान निधि के श्रेष्ठ क्रियान्वयन के लिए मिला राष्ट्रीय अवार्ड : 24-02-2021
छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले ने प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के क्रियान्वयन में देश में सर्वोच्च स्थान हासिल किया है। केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री नरेन्द्र तोमर ने आज इस योजना के दो वर्ष पूरे होने के मौके पर नई दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम में बिलासपुर जिले को इस गौरवपूर्ण उपलब्धि के लिए पुरस्कृत किया। बिलासपुर के कलेक्टर डॉ. सारांश मित्तर और प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के राज्य नोडल अधिकारी श्री जी.के. निर्माम ने यह पुरस्कार ग्रहण किया।
मोर जमीन-मोर मकान में बेहतरीन प्रदर्शन के लिए मिला पुरस्कार : 01-01-2021
प्रधानमंत्री आवास योजना शहरी अंतर्गत समावेशी मॉडल मोर जमीन-मोर आवास को भारत सरकार द्वारा पुरस्कृत किया गया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की उपस्थिति में केन्द्रीय आवासन एवं शहरी कार्य मंत्री, हरदीप सिंह पुरी द्वारा वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से विजेताओं को पुरस्कृत किया गया। नगरीय प्रशासन मंत्री डॉ शिवकुमार डहरिया ने यह पुरस्कार ग्रहण किया। । भारत सरकार, आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय द्वारा प्रधानमंत्री आवास योजनान्तर्गत मिशन के 04 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में पीएमएवाय-यू और आशा अवार्ड के तहत छत्तीसगढ़ राज्य को तीन श्रेणियों में अवार्ड प्राप्त हुए हैं। ”बेस्ट कन्वर्जेंस विथ अदर मिशन“ की श्रेणी में छत्तीसगढ़ राज्य को उत्तम प्रदर्शन करने हेतु पुरस्कृत किया गया।
बेस्ट कन्वर्जेंस विथ अदर मिशन की श्रेणी में छत्तीसगढ़ को मिला पुरस्कार
मोर जमीन-मोर मकान घटक के अन्तर्गत हितग्राहियों को सभी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने, अन्य योजनाओं का समावेश कर उनके सफल क्रियान्वयन हेतु ”बेस्ट कन्वर्जेंस विथ अदर मिशन“ की श्रेणी में छत्तीसगढ़ राज्य को उत्तम प्रदर्शन करने हेतु पुरस्कृत किया गया।
बेस्ट परफॉर्मिंग म्युनिसिपल काउंसिल श्रेणी में डोंगरगढ़ को मिला इनाम
नगर पालिका परिषद, डोंगरगढ़ को अधिक से अधिक आवास निर्माण पूर्ण करने पर देश में ”बेस्ट परफॉर्मिंग म्युनिसिपल काउंसिल श्रेणी“ में पुरस्कार प्राप्त हुआ है।
बेस्ट हाउस कंस्ट्रक्शन श्रेणी में हितग्राहियों को मिला पुरस्कार
प्रदेश के तीन हितग्राही मंजू साहू (धमतरी), मुमताज बेगम (धमतरी), ममता वर्मा (कवर्धा) के आवासों को देश के ”बेस्ट हाउस कंस्ट्रक्शन श्रेणी“ में पुरस्कार प्राप्त हुए।

- पहले केवल 27 स्कूलों से आरंभ किया था, लोगों ने काफी पसंद किया और अब 172 स्कूल
- शिक्षक दिवस के अवसर पर कार्यरत एवं सेवानिवृत्त शिक्षकों का सम्मान किया मुख्यमंत्री ने

दुर्ग / शौर्यपथ / शिक्षक दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आज पाटन विधानसभा के सेवानिवृत्त और कार्यरत शिक्षकों का सम्मान किया। इस मौके पर उन्होंने स्वामी आत्मानंद विद्यालय के बच्चों से चर्चा भी की। इस मौके पर उन्होंने 70 सेवानिवृत शिक्षकों और समारोह में उपस्थित 500 से अधिक शिक्षकों का सम्मान किया। इस मौके पर उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि प्रदेश में शिक्षा की प्रगति हमारी सबसे जरूरी प्राथमिकताओं में से है। कुछ अभिभावक अपने बच्चों को इंग्लिश मीडियम स्कूलों में पढ़ाना चाहते थे लेकिन आर्थिक दिक्कतों की वजह से एवं अन्य दिक्कतों की वजह से यह संभव नहीं हो रहा था। हमने आरंभिक रूप से 27 इंग्लिश मीडियम स्कूल आरंभ किये और लोगों ने इसे काफी सराहा।
यहाँ की उच्चस्तरीय सुविधा, शैक्षणिक स्तर, लाइब्रेरी, अधोसंरचना, विज्ञान लैब और हमारे शिक्षकों की कड़ी मेहनत ने इन संस्थानों को काफी ऊँचाई दी। अब यहाँ एडमिशन की काफी माँग होती है। अब हमारे बच्चे भी दिल्ली, चेन्नई और मुंबई में फर्राटे से अंग्रेजी बोलने में हिचकेंगे नहीं। यह बड़ा काम हुआ है। मुख्यमंत्री ने अपने विधानसभा के शिक्षकों को सम्मानित करते हुए कहा कि हम भाग्यशाली हैं कि पाटन क्षेत्र में हमारे पूर्वजों ने शिक्षा के लिए बड़ा काम किया। आजादी के पूर्व यहाँ 6 हाईस्कूल थे। शिक्षा को लेकर हमारे पूर्वजों का यह कार्य स्तुत्य है।
उन्होंने कहा कि स्वामी आत्मानंद ने विवेकानंद विद्यापीठ के माध्यम से अबुझमाड़ के बच्चों की शिक्षा के लिए कार्य किया। यहाँ के बच्चे पढ़ाई में शानदार रहे हैं। उन्होंने कहा कि जब हमने यह नवाचार आरंभ किया तब इन विद्यालयों का नाम स्वामी आत्मानंद के नाम पर रखने का निश्चय किया। मुख्यमँत्री ने अपने संबोधन के आरंभ में पूर्व राष्ट्रपति डॉ. राधाकृषणन के योगदान को भी नमन किया। इस मौके पर स्कूल शिक्षा मंत्री श्री प्रेमसाय सिंह टेकाम ने भी अपना संबोधन दिया।
उन्होंने कहा कि पढ़ई तुंहर द्वार और अनेक नवाचारों के माध्यम से हमने प्रदेश में शिक्षा के लिए बहुत अच्छा कार्य किया है। जिले के प्रभारी मंत्री श्री मोहम्मद अकबर ने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में अनेक तरह के नवाचार हमने किये हैं। इसके साथ ही लोगों के रोजगार के लिए, प्रदेश की जनजातीय आबादी एवं सभी वर्गों के लिए अच्छा कार्य किया है।
इस मौके पर नगरीय प्रशासन मंत्री शिव डहरिया ने कहा कि मुख्यमंत्री के मार्गदर्शन में सभी नगरीय निकायों में लोगों की बुनियादी सुविधाओं के लिए बहुत अच्छा कार्य हो रहा है। इस मौके पर शिक्षाविद ओपी वर्मा ने भी अपना संबोधन दिया। इस मौके पर कुम्हारी नगर पालिका के अध्यक्ष राजेश्वर सोनकर एवं अन्य गणमान्य अतिथि मौजूद थे। साथ ही आईजी विवेकानंद सिन्हा, कलेक्टर डॉ. सर्वेश्वर नरेंद्र भुरे एवं एसपी प्रशांत अग्रवाल सहित अन्य अधिकारी मौजूद थे।
*शुभ्रा सोनकर से पूछा, बेटा कैसा लग रहा है यहाँ*- मुख्यमंत्री ने आज कुम्हारी स्कूल में अपना कुछ वक्त बच्चों के साथ बिताया। उन्होंने बच्चों से पूछा कि उन्हें इस स्कूल में कैसा लग रहा है। शुभ्रा सोनकर ने बताया कि उसे यहाँ बहुत अच्छा लग रहा है। ऋतु चौधरी ने बताया कि यहाँ के टीचर बहुत अच्छे हैं। लाइब्रेरी भी अच्छी है और हम तेजी से अंग्रेजी सीख रहे हैं। नीलम साहू ने कहा कि हमारा स्कूल बहुत अच्छा है। मुख्यमंत्री ने बच्चों को बहुत सी शुभकामनाएं दीं।
*98 करोड़ रुपए की राशि से पेयजल व्यवस्था होगी मुकम्मल*- मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर कहा कि कुम्हारी नगर पालिका में पेयजल की किसी तरह की दिक्कत नहीं होगी इसके लिए उन्होंने 98 करोड़ रुपए के माध्यम से पेयजल व्यवस्था के लिए कार्य करने की घोषणा की। उल्लेखनीय है कि आज ही मुख्यमंत्री ने कुम्हारी में 15 करोड़ रुपए के कार्यों का लोकार्पण एवं 42 करोड़ के कार्यों का भूमिपूजन किया। इस तरह 57 करोड़ रुपए के कार्यों की सौगात दी।

कुम्हारी गौठान का किया मुख्यमंत्री ने निरीक्षण, स्व-सहायता समूहों की महिलाओं को सौंपे 2 लाख लाभांश के चेक

दुर्ग / शौर्यपथ / कुम्हारी में जहाँ पर डंप यार्ड था वहाँ पर अभी खूबसूरत फलोद्यान बना दिया गया है। यहाँ 6 प्रजातियों के पौधे रोपे गये हैं आज मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने यह फलोद्यान देखा। यह गौठान के पास बनाया गया है। मुख्यमंत्री ने गौठान में उत्पादित हो रहे वर्मी कंपोस्ट भी देखे। मुख्यमंत्री ने यहां पर 3 एकड़ में लगाया गया केला बाड़ी भी देखा और स्व-सहायता समूहों की महिलाओं को लाभांश का दो लाख रुपए का चेक भी सौंपा। महिलाओं ने बताया कि गौठान में 9 लाख में गोबर क्रय किया गया और 14 लाख रुपए का वर्मी कंपोस्ट बेचा गया।
मुख्यमंत्री ने इसकी प्रशंसा करते हुए कहा कि इसी तरह के नवाचार के माध्यम से कड़ी मेहनत करते रहें। मुख्यमंत्री ने आमों की प्रजाति के बारे में भी पूछा। सीएमओ ने बताया कि यहां आम्रपाली, तोतापरी जैसे आम की प्रजाति भी लगाई गई है। मुख्यमंत्री ने गौठान में आने वाले मवेशियों की जानकारी भी ली। उन्होंने कहा कि गौधन न्याय योजना के माध्यम से लोगों को इसी तरह लाभ देते रहें। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर मांगलिक भवन का लोकार्पण भी किया।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपने स्वेच्छानुदान मद से अनीता को दिया है- 2 लाख रुपए
राज्य सरकार अनीता की प्रतिभा को प्रोत्साहित करने हरसंभव कर रही है मदद

जांजगीर-चांपा / शौर्यपथ / जांजगीर-चांपा जिले की दिव्यांग बास्केटबॉल खिलाड़ी अनीता की प्रतिभा को निखारने छत्तीसगढ़ सरकार हरसंभव मदद कर रही है। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने अनीता को अपने स्वेच्छानुदान मद से दो लाख रुपए की सहायता दी है वहीं विभिन्न योजनाओं के तहत अनीता को सतत रूप से लाभान्वित किया जा रहा है।
दिव्यांगता अभिशाप नही, वरदान है वह ईश्वर द्वारा प्रदत्त सर्वोत्तम कृति है। इस वाक्य को जिले की दिव्यांग बेटी सुश्री अनिता बघेल ने सिद्ध कर रही है। सुश्री अनिता ने छत्तीसगढ़ राज्य के व्हील चेयर बास्केटबॉल महिला टीम का नेतृत्व करते हुए चतुर्थ राष्ट्रीय व्हीलचेयर बास्केटबॉल चैम्पीयनशीप (वर्ष 2017)हैदराबाद, पंचम राष्ट्रीय व्हीलचेयर बास्केटबॉल चैम्पीयनशीप( वर्ष 2018) तमीलनाडु एवं षष्ठम राष्ट्रीय व्हीलचेयर बास्केटबॉल चैम्पीयनशीप (वर्ष 2019) मोहाली में सहभागिता की है।
उप संचालक समाज कल्याण भावे ने बताया कि 05 वर्ष की आयु में ही बीमार पड़ने पर अनीता के दोनो पैर में अपंगता आ गयी। दोनो पैर से दिव्यांग होने के पश्चात वे अपनी दिव्यांगता को अवसर में बदलते हुए एम. एस. सी. (जूलॉजी), बी.एड., पीजीडीसीए की परीक्षा उत्तीर्ण कर एम.एड. द्वितीय सेमेस्टर में अध्ययनरत है पढ़ाई के साथ-साथ खेल में उनकी गहरी रूची है ।
छत्तीसगढ़ राज्य में दिव्यांगों के लिए व्हीलचेयर बास्केटबॉल प्रतियोगिता का प्रारंभ वर्ष 2017 में जिला राजनांदगांव के इंडोर बास्केटबॉल स्टेडियम में हुआ था। जिसमें अनिता ने अपनी संघर्षशीलता और जीवट प्रदर्शन से सभी को आकर्षित किया और उन्हें छत्तीसगढ़ व्हीलचेयर बास्केटबॉल के नेतृत्व की जिम्मेदारी सौंपी गयी। अनीता ने राष्ट्रीय व्हील चेयर बास्केटबॉल चैम्पियनशीप में तीन बार सहभागिता की है।
कुमारी अनिता बघेल का जन्म किसान परिवार में जांजगीर-चांपा जिले की जनपद पंचायत जैजैपुर के ग्राम मुक्ता में हुआ। उनके 5 भाई एक 1 बहन है। वे बचपन से कुशाग्र बुद्धि होने के कारण पढ़ाई के साथ-साथ खेलकूद में अव्वल रहीं हैं। बचपन से बैशाखी के सहारे से चलती हुई अनीता दृढ़ विश्वास के साथ अनवरत अपने लक्ष्य की ओर आगे बढ़ रही है।
उन्होंने अपनी शारीरीक कमजोरी को अपनी मज़बूरी नहीं बनाया बल्कि उसे अवसर में बदल लिया है। वह स्नाकोत्तर (जूलॉजी) एवं स्नाकोत्तर (शिक्षा) की उपाधि प्राप्त कर प्राध्यापक बनना चाहती है। अनीता की प्रतिभा को प्रोत्साहित करने छत्तीसगढ़ शासन समाज कल्याण विभाग का महत्वपूर्ण सहयोग रहा है। समाज कल्याण विभाग द्वारा उन्हें इंदिरा गांधी राष्ट्रीय दिव्यांग पेंशन योजनान्तर्गत 500 रूपये प्रतिमाह, निःशक्तजन शिक्षा प्रोत्साहन योजनान्तर्गत 6000 रुपये प्रतिवर्ष (स्नातक एवं स्नाकोत्तर कोर्स) के दौरान, आने- जाने के लिये मोटराईज्ड ट्रायसायकिल, शिक्षा ऋण में सहयोग तथा रोजगार के लिए उन्हें समाज कल्याण विभाग द्वारा अनुदानित वृद्धाश्रम में अवसर दिया गया है।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का जांजगीर-चांपा जिला भ्रमण के दौरान युवाओं से चर्चा कार्यक्रम में अनिता को भी समाज कल्याण की ओर से दिव्यांग युवा प्रतिनिधि के रूप में सहभागी बनने का अवसर दिया गया था। तब संवेदनशील मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल द्वारा अनीता की खेल प्रतिभा को प्रोत्साहित करने उन्हें स्वेच्छानुदान मद से दो लाख रुपए देने की घोषणा की गई थी। यह राशि उनके खाते में अंतरित कर दी गई है।

बिलासपुर / शौर्यपथ / ग्राम गड़रियापारा की महिलाओं के चेहरे पर खुशी झलक रही है क्योंकि अब उनके घर पर ही टेप नल लगा दिये गये हैं। सरकार की महत्वाकांक्षी योजना जल जीवन मिशन के अंतर्गत तखतपुर विकासखंड के लाखासार ग्राम पंचायत के गड़रियापारा में सोलर पम्प के जरिये घर.घर टेप नल से पानी पहुंचाने की सुविधा दी जा रही है। इस योजना से लाभान्वित मीनाक्षी पॉलए जोविधा पॉलए अंजनी पॉल ने कहा कि पहले उन्हें गली में लगे सार्वजनिक हेंडपम्प से पानी लाना पड़ता थाए और घर तक ढोकर लाने में परेशानी होती थी। कई बार भीड़ होने के कारण लाइन भी लगाना पड़ता था। वर्षाऋतु में परेशानी और बढ़ जाती थी। हमारे छोटे बच्चे हैंए जिन्हें घर पर छोड़कर जाना पड़ता था। अब हमारे घर पर ही सरकार ने मुफ्त में टेप नल लगाकर दे दिया है। इससे हमें बहुत राहत मिली है। ग्राम के ही दिलहरण और सीताराम का कहना है कि टेप नल घर में लग जाने से हमारे समय की बचत हो रही हैए जिससे काम पर निकलने और घर की देखभाल करने में सुविधा हो रही है।
गड़रियापारा में जल जीवन मिशन के अंतर्गत 23ण्26 लाख की लागत से सोलर नल जल योजना का कार्य हो रहा है। इस गांव की जनसंख्या 244 है। यहां के 30 में 13 घरों में नल स्थापित किये जा चुके हैंए शेष में काम चल रहा है।
ग्राम पंचायत लाखासार में 1 करोड़ 6 लाख 99 हजार रुपये की लागत से रेट्रोफिटिंग की जा रही है जिसके तहत 80 किलोलीटर व 75 किलोलीटर क्षमता के दो ओवरहेड टैंक बनाये गये हैं। यहां दो जोन बनाकर पाइप लाइन का विस्तार भी किया जा रहा है। इससे लाखासार के 401 घरों में टेप नल से पानी पहुंचेगा।
इस वर्ष 1 लाख घरों में टेप नल
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के मुख्य अभियंता ने बताया कि अभी तक केवल शहरी क्षेत्रों में नल जल योजना से पेयजल उपलब्ध होता था। जल जीवन मिशन सरकार की एक महत्वाकांक्षी योजना हैए जिसके तहत दूरदराज के गांवों में लोगों को पीने के लिये साफ पानी उनके घर तक कनेक्शन देकर पहुंचाया जा रहा है। योजना के तहत जिले के प्रत्येक गांव के हर एक घर में नल कनेक्शन दिया जायेगा। अगले वर्ष मार्च माह तक एक लाख घरों में कनेक्शन देने का लक्ष्य रखा गया है और अभी तक 4 हजार घरों के भीतर नल कनेक्शन दिये जा चुके हैं। ये कनेक्शन स्कूलों और आंगनबाड़ी केन्द्रों में भी दिये जा रहे हैं।
पानी की शुद्धता की नियमित जांच होगी
विभाग के कार्यपालन यंत्री ने बताया कि योजना के तहत गांवों में पेयजल परीक्षण भी किया जा रहा है। सामान्य जल का पीएच वेल्यू 7 होता है यदि इससे नीचे होता है तो उसे पीने से मना किया जाता है। जल जीवन मिशन के अंतर्गत पानी की गुणवत्ता की नियमित जांच की जायेगी और शुद्ध पानी की आपूर्ति सुनिश्चित की जायेगी।

विभागीय अधिकारियो ने की नवीन प्राथमिक शाला कोडेमरा छोटेपारा के साज सजावट की सराहना

राजनांदगांव/ शौर्यपथ / राजनांदगांव जिले के बीहड़ आदिवासी क्षेत्र मोहला विकासखण्ड में एक छोटा सा गॉव छोटेपारा कोडेमरा स्थित है। इस ग्राम की आबादी बहुत कम है और यहाॅँ महज 30 से 35 घर निर्मित है। इस ग्राम में सन् 2006 से प्राथमिक शाला में पदस्थ शिक्षक धर्मेंद्र कुमार सिन्हा ने अपने अथक परिश्रम और सकारात्मक कार्य करने की सोच से शाला परिसर में गार्डन व किचन गार्डन बनाने का यह कार्य जनसमुदाय व ग्रामपंचायत की मदद से पूर्ण किया। पहले जब इस शिक्षक ने छोटेपारा में कार्यभार ग्रहण किया, तब यहाॅ स्कूल भवन भी नही बना था और लोगों के घरों के बरामदे में 2 वर्षों तक बच्चों को अध्ययन करवाया। फिर शाला भवन निर्माण पूरा भी नही हुआ था तब से शाला में कक्षा लगाया गया ।
सरपंच को बोल कर शाला के अधूरे कार्य को पूर्ण कराया गया। अब तक उक्त शाला भवन का लोकार्पण नही हुआ है परंतु अब शाला भवन और शाला परिसर में बहुत सारे सकारात्मक परिवर्तन हो गये है। शाला परिसर में गार्डन के लिए क्यारी निर्माण शिक्षकों ने मिलकर स्वयं के व्यय से 5000 हजार रुपए की लागत से किया हैं जिसमे शिक्षक राजू राम रात्रे ने भी अपना पूरा सहयोग दिया हैं। दोनों शिक्षकों के बीच बेहतर तालमेल एवं एक जैसी विचारधारा होने से यह कार्य बिना किसी रुकावट के संम्पन्न हो गया। ग्राम पंचायत कोडेमरा के दोनो शिक्षकों ने बताया कि यहाॅ के सरपंच श्रीमती राजकुमारी कुंजाम, पंच गैंदलाल नेताम और पंच सरजुराम से भी उन्हें शाला संबंधी विभिन्न विषयो पर विशेष सहयोग प्राप्त होता रहता है।
एपीसी सतीश ब्यौहरे व मोहला एबीईओ राजेन्द्र देवांगन तथा अन्य विभागीय अधिकारियो ने भी शासकीय नवीन प्राथमिक शाला कोडेमरा छोटेपारा के साज सजावट की सराहना की है तथा दोनो शिक्षको और ग्रामीणों के कार्य को अन्य शालाओं के लिए अनुकरणीय बताया है। शाला परिवार के सक्रिय सहयोग से कोडेमरा में शिक्षा का विकास बेहतर हो रहा है।

*ढाई बछर म बगरगे ढाई आखर प्रेम*
"आगे सुराज के दिन रे संगी, बांध ले पागा साज ले बंडी, कर्मा गीत गा के आजा,
झूम जा संगी मोर"

   जन्मदिन विशेष / शौर्यपथ / ए गीत ल गावत मेंह 15अगस्त माने सुराजी के दिन तिरंगा फहरा के पारा भर के लईका मन ल बूंदी सेव बांटत रहेंव।तभे मोर छोटे बेटा विरासत हर पूछीस- पापा जी ,भौंरा, गेंड़ी और सोंटा खाना क्या होता है?
ओखर सवाल सुनके में ह भक खा गेंव फेर ओला बताएंवं -बेटा ,लट्टू को भौंरा कहते हैं। बांस से निर्मित होती है "गेंड़ी", हरेली त्यौहार के दिन गेंड़ी चढ़ने एवं नृत्य करने का रिवाज है। छत्तीसगढ़ के राऊत समाज के लोग दीपावली के समय देवी देवता की आराधना करते हुए तेंदू पेड़ की लाठी लहराते नाचते हैं।दोहा बोलते हुए, मोटी रस्सी से अन्य साथियों के हाथ पैर को सटा सट मारते हैं।इस प्रकिया को ही सोंटा खाना कहते हैं‌। लेकिन अचानक सोंटा भौंराऔर गेंड़ी के बारे जानने की जिज्ञासा का जन्म तुम्हारे मन में क्यों हुआ?
इस पर बेटे ने समाचार पत्रों में प्रकाशित माननीय मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल जी का भौंरा चलाते, गेंड़ी चढ़ते और सोंटा खाते हुए फोटो को दिखा कर बताया इसे देखते ही मुझे जानने की जिज्ञासा हुई।
ए घटना हर मोला भरोसा देवा दीस कि घर के सियान जागत रही त बाहिर के पहूना कभू घर के सियान नई बन सकय।आज गरब के साथ एखर बखान करत छत्तीसगढ़ के रहोइया कहत हांवंय ---
"हमर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री आए छत्तीसगढ़िया,
दिखत म सुंदर अउ
आदत म बढ़िया"
*ढाई साल म बाढ़गे ढाई आखर प्रेम*
छत्तीसगढ़ के जौन रीति- रिवाज ,तीज -तिहार खाई- खजानी मन हर नंदावत रहिन तेन लअब छत्तीसगढ़ के लईका लईका जान जाहीं। काबर कि खाली ढ़ाई साल के अपन कार्यकाल म मुख्यमंत्री जी ह अपन,मन वचन अउ करम म कबीर दास जी के दोहा ल चरितार्थ कर दिस हावय------
" ढाई आखर प्रेम का पढ़े सो पंडित होय"। संगवारी हो मया दुलार के धार ह
छत्तीसगढ़िया मन के हिरदे म अरपा पैरी अउ महानदी के धार कस बारहों महीना बोहाथे।ए धारा ह हमर भूंइया के पहिचान आए।जेहर सुखावत रहिस, काबर की इहां के नरवा गरवा घुरवा अउ बारी कोति देखोईया पहिली के "रखवार माने सरकार" ह चेत नई लगाईस।फेर भूपेश सरकार ह कुरसी म बइठते सांथ "गड़बो नवा छत्तीसगढ़" के नवा मंतर ल जन जन के कान म फूंक दीस।
*गोबर बनीस गरीब के गरब*
छत्तीसगढ़ के इतिहास म पहिलि घंव गोबर के गुन ल बढ़ाए के उपाय मुख्यमंत्री भुपेश जी के देखरेख म सुरू होइस।पहिली पहिली तो लोगन अइसन उदिम ल हंसी-मजाक म उड़ावत रहिन,फेर गांव सहर म आज गोबर के राज चलत हे।गोबर ले बने खातू ल बेंच बेंच के दाई दीदी मन के स्वावलंबी समूह के परिवार अपन फटफटी चढ़े के सपना पूरा करत हांवंय। महीन ल महान बनाए के अइसनेहे गुन ल देखावत मुख्यमंत्री जी ह छत्तीसगढ़ के चिंन्हारी ल बंचाए बर कई ठिन नवाचारी कदम बढाइस हावय ।जेमा विश्व आदिवासी दिवस,तीजा, हरेली, भक्त माता कर्मा जयंती के दिन सरकारी छुट्टी फैसला हर जबड़ बरदान बनगे हे।
*विश्व आदिवासी दिवस म छुट्टी काबर*
छत्तीसगढ़ महतारी के कोरा म 31प्रतिशत अबादी अनुसूचित जाति --जनजातिके हावय। जेमा42जनजाति के मिंझरा हे।जिंखर कला संस्कृति ह छत्तीसगढ़ ल गांव के चौपाल ले उंचा के संसार के कपार म बैठारिस हावय।देस के सुराजी खातिर 1857के क्रांति के पहिली1824म आदिवासी समाज के बीर बहादुर ललना मन ह बघवा कस गरजत फिरंगी मन के माथ म पसीना लान देवंय।अइसन आदिवासी समाज ल सुमिरे बर खास दिन 9 अगस्त के छुट्टी सही अरथ म आदिवासी माटी के मान आए।
*हरेक के पीरा हरे के परब हरेली के पूछारी*
छत्तीसगढ़ के पहली अउ जनमन के बड़े तिहार हरेली हर आय। एखर बर सरकारी छुट्टी दे के भूपेश सरकार हर ऐतिहासिक फैसला लीस हावय।अब छत्तीसगढ़ के संगे संगे दूसर राज म हरेली के डंका अइसे बाजही जैसे दूसर राज के तिहार के डंका छत्तीसगढ़ म बाजथे। अइसन करके नवा सरकार हर नवा जोत जलावत संदेसा दीस हावय----
जिस गांव में पानी नहीं गिरता,
वहां की फसलें खराब हो जाती हैं,
जहां त्यौहारों का मान नहीं होता,
वहां की नस्लें तबाह हो जाती हैं।
*भूंइया के भगवान किसान के मान*
छत्तीसगढ़ ल धान के कटोरा केहे जाथे। किसान के जांगर अउ नांगर के चलते कोठी म धान पलपलाथे।फेर भूंइया के भगवान किसान के दसा ल अकाल -दूकाल करजा-बोड़ी हर बिगाड़त रहिस।एला समझ के किसान के पीरा हरे बर,धान के संगे संग साग- भाझी बोंय बर,मछरी पालन बर,बने दाम म अनाज खरीदी, सस्ता बिजली,बिजली चलित पम्प देहे के भूपेश सरकार के फैसला हर हरित क्रांति लान दीस हावय। गोधन न्याय योजना, राजीव गांधी किसान एवं ग्रामीण भूमिहीन कृषि मजदूर न्याय योजना के बल म किसान परिवार के पोठ रोठ होय के ,"गेंहू म बोंए राई "के चरचा देसभर म होवत हे।इही पाय के छत्तीसगढ़ राज ल बड़े-बड़े राष्ट्रीय पुरस्कार मिलत हावय।
*आधा दाम म बिजली मिलत हे,लोग लईका पढ़त लिखत हें*
छत्तीसगढ़ राज ल विद्युत कुबेर तको केहे जाथे।इहां बिजली ह बाढ़े पूरा के पानी कस बारहों महीना भरे रहिथे,इही पाए के पहली घंव इहां के जम्मो घर म 400 यूनिट तक आधा दाम म बिजली देहे अभूतपूर्व फैसला मुख्यमंत्री जी करिन।ए योजना हर गरीब परिवार बर बरदान बनगीस हे।
*लोक कलाकार मन के कका*
छत्तीसगढ़ राज बने के बाद पहली घंव बछर भर बड़े-बड़े लोकोत्सव के आयोजन होय लागीस हे। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जी ह "कलाकार मन के कका"बनके उंखर मुरझावत चेहरा म उजास लाए के काम करे हावय। गांव गांव के कलामंच,रमायन मंडली ल बढ़हर देहे बर जबड़ नगदी ईनाम देहे के फैसला करे हावय। कोरोनावायरस के चपेट में आय कतको कलाकार ल सहारा दीस हावय।

*संवार दीस माता कौशल्या के मंदिर*
गरब के बात आय कि देस भर छत्तीसेगढ़ म माता कौशल्या के मंदिर चंदखुरी म हावय।जेखर बने साल सम्हाल करोइया कोनो आघू नई आइन।माता कौशल्या के मंदिर अउ छत्तीसगढ़ के भांचा भगवान श्रीराम के वनगमनपथ ल संवारे के काम तको भूपेश सरकार हर करत हावय तभे तो जनमन के बोल गूजत हे---
बिगड़े हुए वक्त को संवारे वो घड़ीसाज है भूपेश ,
मंदिरों की घंटियों में गूंजे
वो पवित्र आवाज है भूपेश
*बेटी सबके सेथी, बेटी आय पोथी*
एक जमाना म छत्तीसगढ़ ला "बैकवर्ड स्टेट" के नाम मिले रहीस। जेला धोवत मुख्यमंत्री जी ह आज " मोर डेवलपमेंट स्टेट"के नवा पहिचान देवा दीस हावय। इहां के बेटी मन ला बेटा बरोबर मान मिलत हे। पढ़े-लिखे बर पहली घंवं सरकारी अंग्रेजी स्कूल चालू होए हावे ।दाई महतारी मन के इलाज पानी बर एंबुलेंस अउ हाट बाजार में चलत फिरत अस्पताल तको मिलत हावय। इही पाए के चारों मुड़ा मिलजुल के लोगन कहत हांवय---
चले तो हवा रुके तो चांद जैसा है ,
ए शख्स धूप में देखो तो छांव जैसा है।
*मोर दुलरवा बेटा भूपेश*
छत्तीसगढ़ महतारी के बेटी अउ मुख्यमंत्री जी के दुलौरिन दाई स्व.बिंदेश्वरी हर बालपन ले जान डारे रहीस कि मोर बेटा एक दिन छत्तीसगढ़ के राजकाज संभालही।इही पाय के ओखर मन में भाव रहय
" दिन बड़ा बने कटथे,
कहूं देख ले थों बड़े फजर ओखर फेस, बनही एक दिन ओहर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री, जेखर नाम हवय दुलरवा बेटा भूपेश ।बालपन ले मुख्यमंत्री जी के महतारी हर ओला संस्कार देवत पाठ पढ़ाए हावय---
जीवन की किताबों पर,
बेशक नया कव्हर चढ़ाएं,
पर बिखरे पन्नों को पहले प्यार से चिपकाएं।
मुख्यमंत्री जी ल जनमदिन के गाड़ा गाड़ा बधाई अउ मंगलकामना हे। जय- विजय छत्तीसगढ़।


*विजय मिश्रा "अमित"*
पूर्वअति.महाप्रबंधक(जन.)
छग स्टेट पावर कंपनीज

शौर्यपथ विशेष / मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का मानना है कि भारत के नक्शे में सिर्फ एक अलग राज्य के रूप में एक भौगोलिक क्षेत्र की मांग नहीं थी, बल्कि इसके पीछे सदियों की पीड़ा थी। ये छत्तीसगढ़िया सपनों और आकांक्षाओं को पूरा करने की मांग थी। आम छत्तीसगढ़िया की तासीर और उनकी अपेक्षाएं बिलकुल अलग हैं, बरसो की उपेक्षा और तिरस्कार, पिछड़ेपन का दंश के बावजूद अपनी आस्मिता और स्वामिमान को बचाकर चलना यहां की खासियत है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को इन्हें समझने में जरा भी देर नहीं लगी। उन्होंने छत्तीसगढ़ में न केवल सांस्कृतिक उत्थान के लिए छत्तीसगढ़ के त्यौहारों को महत्व दिया बल्कि छत्तीसगढ़ के किसानों, मजदूरों सहित सभी वर्गाे के हितों को और अधिक मजबूत करने के लिए न्याय योजनाओं की श्रृखला शुरू की। उनके विकास के छत्त्ीसगढ मॉडल में है माटी की सौंधी महक।
मुख्यमंत्री बघेल के विकास के छत्तीसगढ़ माडल में आवश्यक अधोसंरचना विकास के साथ-साथ लोगों के सामाजिक-आर्थिक विकास पर ज्यादा जोर दिया जा रहा है, विकास का संतुलित स्परूप ही इस मॉडल की विशेषता है। उन्होंने आम छत्तीसगढ़िया की आखों में खुशहली और उनके चेहरे चमक में लाने के लक्ष्य को लेकर सरकार बनते ही कई ऐतिहासिक फैसले लिए। उन्होंने बरसों से छत्तीसगढ़ के साथ हुए अन्याय को न्याय योजनाओं के जरिए न्याय देने की पहल की है। चाहे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाना हो, चाहे किसानों की कर्ज मुक्ति की बात हो या धान का वाजिब मूल्य देने की बात हो, अपने वायदे से वे कभी नहीं डिगे। उन्होंने हमेशा साहसिक फैसले लेकर छत्तीसगढ़ और छत्तीसगढ़िया दोनो के हितों की रक्षा की।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के विकास के छत्तीसगढ़ी माडल में सबके लिए न्याय की अवधारणा है। यहां सिर्फ किसानों, मजदूरों, श्रमिकों के लिए ही न्याय नहीं है, न्याय की बयार, वनवासियों, और मध्यम वर्ग और उद्यमियों तक भी पहुंच रही है। हर वर्ग को राहत पहुंचाने के लिए अनेक फैसले लिए गए हैं। अन्नदाता किसानों का मान बढ़ाने के लिए न्याय की पहल की गई किसानों को उनकी उपज का वाजिब मूल्य दिलाने के लिए राजीव गांधी किसान न्याय योजना की शुरूआत हुई। मध्यम वर्ग को न्याय देने के लिए छोटे भू-खंडों के क्रय विक्रय के साथ ही भूमि के क्रय विक्रय की गाइड लाइन दरों में 30 प्रतिशत की कमी के साथ ही रियल इस्टेट सेक्टर को नया बूूम देने के लिए 75 लाख तक के मकानों की खरीदी पर पंजीयन राशि में छूट दी गई। वनवासियों को न्याय देने की पहल के तहत वनोपजों की संग्रहण मजदूरी तथा समर्थन मूल्य में वृद्धि के साथ समर्थन मूल्य पर खरीदी जाने वाली लघु वनोपजें 7 से बढ़ाकर 52 की गयी, जिसके कारण 13 लाख से अधिक आदिवासियों और वन आश्रित परिवारों को लाभ मिल रहा है। उद्योगों को राहत देने कई फैसले लिए गए।
पिछले ढाई सालों पर नजर डालें तो राज्य में विकास का एक अलग स्वरूप नजर आ रहा है। छत्तीसगढ़ विकास का मॉडल देश में एक अलग पहचान के रूप में स्थापित हो रहा है। इस विकास मॉडल के केन्द्र में गांव और किसान हैं। गांवों के गौरव को फिर से जगाने और हर हाथ को काम से जोड़ने का लक्ष्य रखकर सुराजी गांव योजना और गोधन न्याय योेेेजना, राजीव गांधी किसान न्याय योजना और राजीव गांधी भूमिहीन कृषि मजदूर न्याय योजना जैसी योजनाए प्रारंभ की गई है। लाख उत्पाद और मछली पालन को कृषि का दर्जा दिया गया। कोदो-कुटकी का समर्थन मूल्य घोषित करने के साथ ही लघु धान्य फसलों को बढ़ावा देने के लिए मिलेट मिशन भी शुरू करने का निर्णय लिया गया है।
मुख्यमंत्री बघेल का कहना है कि नरवा-गरवा-घुरवा-बारी को छत्तीसगढ़ के सर्वांगीण विकास से, ग्रामीण अर्थव्यवस्था और अस्मिता से जोड़ना निश्चित तौर पर यह हमारी प्राथमिकता है। हम छत्तीसगढ़ के बुनियादी विकास की बात करते हैं और उसी दिशा में सारे प्रयास किए गए हैं, जिसके कारण आर्थिक मंदी और कोरोना जैसे संकट के दौर में भी, छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था अपनी पटरी पर बनी रही। जब देश और दुनिया के बाजारों में सन्नाटा था, तब छत्तीसगढ़ में ऑटो-मोबाइल से लेकर सराफा बाजार तक में उत्साह था। हमारे कल-कारखाने भी चलते रहे और गौठान भी। हमारे फैसले छत्तीसगढ़ को न सिर्फ तात्कालिक राहत देते हैं बल्कि दूरगामी महत्व के साथ, चौतरफा विकास के रास्ते खोलते हैं।
देश में पहली बार किसानों को विभिन्न फसलों के लिए इनपुट सब्सीडी देने की शुरूआत हुई। न्याय की यह बयार यहीं नहीं रूकी। गोधन न्याय योजना में इसे और बढ़ाया गया पशुपालकों और ग्रामीणों से गोबर खरीदी का काम शुरू हुआ। इस योजना से लगभग 76 प्रतिशत भूमिहीन कृषि मजदूर लाभान्वित हो रहे हैं। इससे इन वर्गाे को जहां आय का जरिया मिला वहीं गांव की महिला समूहों को वर्मी कम्पोस्ट और सुपर कम्पोस्ट से जोड़कर उन्हें भी स्वावलंबन से जोड़ा गया है। सुराजी गांव योजना में बनाए गए गौठानों में रूरल इंडस्ट्रियल पार्क की अवधारणा ने यहां ग्रामोद्योग और परम्परागत हस्तशिल्पियों के रोजगार का नया द्वार खोल दिया है। यहां प्रोसेसिंग प्लांट लगाने के साथ ही इन उत्पादों की मार्केटिंग के लिए व्यापारियों की भी मदद ली जा रही है।
ग्रामीण अर्थ व्यवस्था को मजबूत करने के लिए खेती किसानी के साथ-साथ कृषि आधारित उद्योंगों को प्राथमिकता दी जा रही है। सभी विकास खंडों में फूड पार्क बनाने का लक्ष्य रखा गया है। लघुवनोपज से वनवासियों को अधिक से अधिक लाभान्वित करने के लिए इन वनोपजों के वेल्यूएडिशन पर जोर दिया जा रहा है। कोरोना काल में देश में सबसे अधिक लघु वनोपज का समर्थन मूल्य पर संग्रहण छत्तीसगढ़ में किया गया। सुराजी गांव योजना में गौठानों में रूरल इंड्रस्ट्रीयल पार्क के जरिए ग्रामीणों और युवाओं को उत्पादक गतिविधियों से जोड़ा जा रहा है। गांवों में सिंचाई क्षमता के विकास के लिए नरवा कार्यक्रम हाथ में लिया गया है।
पिछले ढाई सालों में ऐसे अनेक छोटे-बड़े नवाचार हुए हैं, जिसका लाभ लोगों को मिल रहा है। डेनेक्स कपड़ा फैक्ट्री से लेकर वनोपज संग्रह में महिला स्व-सहायता की भूमिका, देवगुड़ी के विकास से लेकर स्थानीय उपजों के वेल्यूएडिशन तक बहुत से काम किए गए हैं। छत्तीसगढ़ के कोयले से अगर बिजली बनती है तो उसके लाभ में सीधे हिस्सेदारी आम जनता की होनी चाहिए। यही वजह है कि घरेलू बिजली उपभोक्ताओं के लिए बिजली बिल हाफ योजना लागू की गई है। इस योजना के तहत प्रदेश के 39 लाख से अधिक घरेलू उपभोक्ताओं को विगत 27 महीने में 1822 करोड़ रू. का लाभ मिल चुका है।
कोरोना से लड़ने के लिए प्रदेश में बड़े पैमाने पर स्वस्थ्य सुविधाएं विकसित की गयी। कोरोना काल में देश के 10 राज्यों को आक्सीजन की सप्लाई की गई। कांकेर, कोरबा तथा महासमुंद में नए मेडिकल कॉलेज भी खोलने की स्वीकृति दी गयी है। बस्तर में कुपोषण मुक्ति से लेकर मलेरिया उन्मूलन तक सफलता का नया कीर्तिमान रचा गया है। मुख्यमंत्री हाट-बाजार क्लीनिक योजना, मुख्यमंत्री स्लम स्वास्थ्य योजना और दाई-दीदी मोबाइल क्लीनिक जैसी पहल का लाभ लाखों लोगों को मिला है।
प्रदेश की नई औद्योगिक नीति में पिछड़े क्षेत्रों में औद्योगिकीकरण को प्रोत्साहित करने के प्रावधान किए गए हैं। हर विकासखंड में फूडपार्क स्थापित करने की दिशा में कार्यवाही शुरू की गयी है। गरीब परिवारों के बच्चों को अंगेजी माध्यम में शिक्षा देने के लिए स्वामी आत्मानंद इंग्लिश मीडियम स्कूल योजना शुरू की गई है, जिसके तहत 172 शालाओं का संचालन किया जा रहा है। कोरोना से जिन बच्चों के पालकों का निधन हुआ है, उन बच्चों को निःशुल्क शिक्षा देने के लिए ‘महतारी दुलार योजना’ शुरू की गई है।
प्रदेश के ग्रामीण अंचल, वन अंचल, बसाहटों, कस्बों और शहरों में रहने वाले लोगों का जीवन आसान बनाने के लिए आगामी दो वर्षों में 16 हजार करोड़ की लागत से सड़कों का नेटवर्क बनाया जा रहा है। सिर्फ एक साल 2020-21 में ‘प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना’ के तहत प्रदेश में 4 हजार 228 किलोमीटर सड़कें बनाई गईं। इतना काम पिछले किसी एक साल में नहीं हुआ। पूरे ढाई साल में 8 हजार 545 किलोमीटर सड़कें बनाई, जो एक बड़ी उपलब्धि है।

मछली पालन से जुड़े दो लाख से अधिक मत्स्य कृषकों और मछुआरों को मिलेंगी कई तरह की सहूलियतें

रायपुर / शौर्यपथ / मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की कैबिनेट द्वारा बीते 20 जुलाई को राज्य में मछली पालन को कृषि का दर्जा देने का फैसला सराहनीय है। सरकार के इस फैसले से मछुआरों को मत्स्य पालन के लिए किसानों के समान ब्याज रहित ऋण सुविधा मिलने के साथ ही जलकर और विद्युत शुल्क में भी छूट का लाभ मिलेगा। इससे राज्य में मछली पालन को बढ़ावा मिलने के साथ ही इससे जुड़े 2 लाख 20 हजार लोगों की स्थिति में सकारात्मक बदलाव आएगा।
छत्तीसगढ़ राज्य में बीते ढाई सालों में छत्तीसगढ़ सरकार के प्रयासों से मछली पालन के क्षेत्र में उत्तरोत्तर वृद्धि हुई है। राज्य में ढाई सालों में मत्स्य बीज उत्पादन के मामले में 13 प्रतिशत और मत्स्य उत्पादन में 9 प्रतिशत की उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की है। कृषि का दर्जा मिलने से मत्स्य पालन के क्षेत्र में राज्य अब और तेजी से आगे बढ़ेगा, यह संभावना प्रबल हो गई है। छत्तीसगढ़ राज्य में मत्स्य पालन के लिए अभी मछुआरों को एक प्रतिशत ब्याज पर एक लाख तक तथा 3 प्रतिशत ब्याज पर अधिकतम 3 लाख रुपए तक ऋण मिलता था। इस क्षेत्र को कृषि का दर्जा मिलने से अब मत्स्य पालन से जुड़े लोग सहकारी समितियों से अब अपनी जरूरत के अनुसार शून्य प्रतिशत ब्याज पर सहजता से ऋण प्राप्त कर सकेंगे। किसानों की भांति अब मत्स्य पालकों एवं मछुआरों को क्रेडिट कार्ड की सुविधा मिलेगी।
राज्य में मछली पालन के लिए 30 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई बांधों एवं जलाशयों से नहर के माध्यम से जलापूर्ति आवश्यकता पड़ती थी, जिसके लिए मत्स्य कृषकों एवं मछुआरों को प्रति 10 हजार घन फीट पानी के बदले 4 रूपए का शुल्क अदा करना पड़ता था, जो अब उन्हें फ्री में मिलेगा। मत्स्य पालक कृषकों एवं मछुआरों को प्रति यूनिट 4.40 रुपए की दर से विद्युत शुल्क भी अदा नहीं करना होगा। सरकार के इस फैसले से मत्स्य उत्पादन की लागत में प्रति किलो लगभग 10 रुपए की कमी आएगी, जिसका सीधा लाभ मत्स्य पालन व्यवसाय से जुड़े लोगों को मिलेगा। इससे उनकी आमदनी में इजाफा होगा और उनकी माली हालत बेहतर होगी।
राज्य में मत्स्य कृषकों मछुआरों को सरकार द्वारा दी जा रही सहूलियतों का ही यह परिणाम है कि छत्तीसगढ़ राज्य मत्स्य बीज उत्पादन एवं मत्स्य उत्पादन में देश में छठवें स्थान पर है। मछली पालन को कृषि का दर्जा मिलने से राज्य 6 वें पायदान से ऊपर की ओर अग्रसर होगा और मत्स्य पालन के क्षेत्र में देश का अग्रणी राज्य बनेगा, इसकी उम्मीद बढ़ गई है। राज्य में वर्तमान में 93 हजार 698 जलाशय और तालाब विद्यमान हैं, जिनका जल क्षेत्र एक लाख 92 हजार हेक्टेयर है। इसमें से 81 हजार 616 जलाशयों एवं तालाबों का एक लाख 81 हजार 200 हेक्टेयर जल क्षेत्र मछली पालन के अंतर्गत है, जो कुल उपलब्ध जल क्षेत्र का 94 प्रतिशत है।
मत्स्य बीज उत्पादन के मामले में छत्तीसगढ़ राज्य न सिर्फ आत्मनिर्भर है, बल्कि यहां से मत्स्य बीज की आपूर्ति पड़ोसी राज्य मध्य प्रदेश महाराष्ट्र आंध्र प्रदेश उड़ीसा और बिहार को होती है। छत्तीसगढ़ राज्य में वर्तमान में 288 करोड़ मत्स्य बीज फ्राई तथा 5.77 लाख मैट्रिक टन मछली का उत्पादन प्रतिवर्ष होता है। राज्य की मत्स्य उत्पादकता प्रति हेक्टेयर 3.682 मीटरिक टन है, जो राष्ट्रीय उत्पादकता 3.250 मीटरिक टन से लगभग 0.432 मीटरिक टन अधिक है।
छत्तीसगढ़ राज्य में मत्स्य उत्पादन में उत्तरोत्तर वृद्धि के लिए अब केज कल्चर को तेजी से बढ़ावा दिया जा रहा है। राज्य में अब तक 2386 केज स्थापित किए जा चुके हैं। कोरबा जिले के हसदेव बांगो जलाशय में 1000 केज की स्थापना की जा रही है। इस तकनीकी में जलाशयों में 6 बाई 4 बाई 4 मीटर में केज स्थापित कर तीव्र बढ़वार वाली मछली जैसे पंगेसिएश एवं तिलापिया प्रजाति का पालन किया जाता है, जिससे प्रति केज 3 मेट्रिक टन से अधिक मत्स्य उत्पादन होता है।
लैंडलॉक प्रदेश होने के कारण राज्य के मत्स्य कृषकों एवं मछुआ समूहों द्वारा स्वयं की भूमि पर बड़ी संख्या में तालाबों का निर्माण कराकर मत्स्य पालन करना, मत्स्य क्षेत्र के विस्तार का अच्छा संकेत है। बीते ढाई सालों में सरकार की मदद से लगभग एक हजार नवीन तालाबों का निर्माण मत्स्य पालन के उद्देश्य से हुआ है। सरकार इसके लिए सामान्य वर्ग के मत्स्य कृषकों को अधिकतम 4.40 लाख रुपए तथा अनुसूचित जाति जनजाति एवं महिला वर्ग के हितग्राहियों को 6.60 लाख रुपए की अनुदान सहायता तालाब निर्माण और मत्स्य आहार के लिए देती है। छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा मत्स्य पालन क्षेत्र को संवर्धित करने के उद्देश्य से मछुआरों को मछुआ दुर्घटना बीमा का कवरेज भी प्रदान करती है। बीमित मत्स्य कृषक की मृत्यु पर 5 लाख रूपए की दावा राशि का भुगतान किया जाता है। बीमारी के इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती होने पर 25 हजार रुपये तक के इलाज की सुविधा का प्रावधान है। मछुआ सहकारी समितियों को मत्स्य पालन के लिए जाल, मत्स्य बीज एवं आहार के लिए 3 सालों में 3 लाख रुपए तक की सहायता दी जाती है। बायोफ्लॉक तकनीकी से मत्स्य पालन को बढ़ावा देने के लिए मत्स्य कृषकों को 7.50 लाख रुपए की इकाई लागत पर 40 प्रतिशत की अनुदान सहायता दिए जाने का प्रावधान है।
राज्य में मत्स्य पालन को बढ़ावा देने और मत्स्य कृषकों मछुआरों को सहूलियत देने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा नवीन मछली पालन नीति तैयार की जा रही है। इसके लिए कृषि एवं जल संसाधन मंत्री श्री रविंद्र चौबे की अध्यक्षता में गठित समिति ने मछुआरों को उत्पादकता बोनस दिए जाने, ऐसे एनीकट जिनका क्षेत्रफल 20 हेक्टेयर तक है, उसे स्थानीय मछुआरों के निःशुल्क मत्स्याखेट के लिए सुरक्षित रखने तथा मछुआ जाति के लोगों की सहकारी समिति को सर्वाेच्च प्राथमिकता के आधार पर जलाशयों को मछली पालन के लिए पट्टे पर देने की सिफारिश की है।

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