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मछली पालन से जुड़े दो लाख से अधिक मत्स्य कृषकों और मछुआरों को मिलेंगी कई तरह की सहूलियतें
रायपुर / शौर्यपथ / मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की कैबिनेट द्वारा बीते 20 जुलाई को राज्य में मछली पालन को कृषि का दर्जा देने का फैसला सराहनीय है। सरकार के इस फैसले से मछुआरों को मत्स्य पालन के लिए किसानों के समान ब्याज रहित ऋण सुविधा मिलने के साथ ही जलकर और विद्युत शुल्क में भी छूट का लाभ मिलेगा। इससे राज्य में मछली पालन को बढ़ावा मिलने के साथ ही इससे जुड़े 2 लाख 20 हजार लोगों की स्थिति में सकारात्मक बदलाव आएगा।
छत्तीसगढ़ राज्य में बीते ढाई सालों में छत्तीसगढ़ सरकार के प्रयासों से मछली पालन के क्षेत्र में उत्तरोत्तर वृद्धि हुई है। राज्य में ढाई सालों में मत्स्य बीज उत्पादन के मामले में 13 प्रतिशत और मत्स्य उत्पादन में 9 प्रतिशत की उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की है। कृषि का दर्जा मिलने से मत्स्य पालन के क्षेत्र में राज्य अब और तेजी से आगे बढ़ेगा, यह संभावना प्रबल हो गई है। छत्तीसगढ़ राज्य में मत्स्य पालन के लिए अभी मछुआरों को एक प्रतिशत ब्याज पर एक लाख तक तथा 3 प्रतिशत ब्याज पर अधिकतम 3 लाख रुपए तक ऋण मिलता था। इस क्षेत्र को कृषि का दर्जा मिलने से अब मत्स्य पालन से जुड़े लोग सहकारी समितियों से अब अपनी जरूरत के अनुसार शून्य प्रतिशत ब्याज पर सहजता से ऋण प्राप्त कर सकेंगे। किसानों की भांति अब मत्स्य पालकों एवं मछुआरों को क्रेडिट कार्ड की सुविधा मिलेगी।
राज्य में मछली पालन के लिए 30 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई बांधों एवं जलाशयों से नहर के माध्यम से जलापूर्ति आवश्यकता पड़ती थी, जिसके लिए मत्स्य कृषकों एवं मछुआरों को प्रति 10 हजार घन फीट पानी के बदले 4 रूपए का शुल्क अदा करना पड़ता था, जो अब उन्हें फ्री में मिलेगा। मत्स्य पालक कृषकों एवं मछुआरों को प्रति यूनिट 4.40 रुपए की दर से विद्युत शुल्क भी अदा नहीं करना होगा। सरकार के इस फैसले से मत्स्य उत्पादन की लागत में प्रति किलो लगभग 10 रुपए की कमी आएगी, जिसका सीधा लाभ मत्स्य पालन व्यवसाय से जुड़े लोगों को मिलेगा। इससे उनकी आमदनी में इजाफा होगा और उनकी माली हालत बेहतर होगी।
राज्य में मत्स्य कृषकों मछुआरों को सरकार द्वारा दी जा रही सहूलियतों का ही यह परिणाम है कि छत्तीसगढ़ राज्य मत्स्य बीज उत्पादन एवं मत्स्य उत्पादन में देश में छठवें स्थान पर है। मछली पालन को कृषि का दर्जा मिलने से राज्य 6 वें पायदान से ऊपर की ओर अग्रसर होगा और मत्स्य पालन के क्षेत्र में देश का अग्रणी राज्य बनेगा, इसकी उम्मीद बढ़ गई है। राज्य में वर्तमान में 93 हजार 698 जलाशय और तालाब विद्यमान हैं, जिनका जल क्षेत्र एक लाख 92 हजार हेक्टेयर है। इसमें से 81 हजार 616 जलाशयों एवं तालाबों का एक लाख 81 हजार 200 हेक्टेयर जल क्षेत्र मछली पालन के अंतर्गत है, जो कुल उपलब्ध जल क्षेत्र का 94 प्रतिशत है।
मत्स्य बीज उत्पादन के मामले में छत्तीसगढ़ राज्य न सिर्फ आत्मनिर्भर है, बल्कि यहां से मत्स्य बीज की आपूर्ति पड़ोसी राज्य मध्य प्रदेश महाराष्ट्र आंध्र प्रदेश उड़ीसा और बिहार को होती है। छत्तीसगढ़ राज्य में वर्तमान में 288 करोड़ मत्स्य बीज फ्राई तथा 5.77 लाख मैट्रिक टन मछली का उत्पादन प्रतिवर्ष होता है। राज्य की मत्स्य उत्पादकता प्रति हेक्टेयर 3.682 मीटरिक टन है, जो राष्ट्रीय उत्पादकता 3.250 मीटरिक टन से लगभग 0.432 मीटरिक टन अधिक है।
छत्तीसगढ़ राज्य में मत्स्य उत्पादन में उत्तरोत्तर वृद्धि के लिए अब केज कल्चर को तेजी से बढ़ावा दिया जा रहा है। राज्य में अब तक 2386 केज स्थापित किए जा चुके हैं। कोरबा जिले के हसदेव बांगो जलाशय में 1000 केज की स्थापना की जा रही है। इस तकनीकी में जलाशयों में 6 बाई 4 बाई 4 मीटर में केज स्थापित कर तीव्र बढ़वार वाली मछली जैसे पंगेसिएश एवं तिलापिया प्रजाति का पालन किया जाता है, जिससे प्रति केज 3 मेट्रिक टन से अधिक मत्स्य उत्पादन होता है।
लैंडलॉक प्रदेश होने के कारण राज्य के मत्स्य कृषकों एवं मछुआ समूहों द्वारा स्वयं की भूमि पर बड़ी संख्या में तालाबों का निर्माण कराकर मत्स्य पालन करना, मत्स्य क्षेत्र के विस्तार का अच्छा संकेत है। बीते ढाई सालों में सरकार की मदद से लगभग एक हजार नवीन तालाबों का निर्माण मत्स्य पालन के उद्देश्य से हुआ है। सरकार इसके लिए सामान्य वर्ग के मत्स्य कृषकों को अधिकतम 4.40 लाख रुपए तथा अनुसूचित जाति जनजाति एवं महिला वर्ग के हितग्राहियों को 6.60 लाख रुपए की अनुदान सहायता तालाब निर्माण और मत्स्य आहार के लिए देती है। छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा मत्स्य पालन क्षेत्र को संवर्धित करने के उद्देश्य से मछुआरों को मछुआ दुर्घटना बीमा का कवरेज भी प्रदान करती है। बीमित मत्स्य कृषक की मृत्यु पर 5 लाख रूपए की दावा राशि का भुगतान किया जाता है। बीमारी के इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती होने पर 25 हजार रुपये तक के इलाज की सुविधा का प्रावधान है। मछुआ सहकारी समितियों को मत्स्य पालन के लिए जाल, मत्स्य बीज एवं आहार के लिए 3 सालों में 3 लाख रुपए तक की सहायता दी जाती है। बायोफ्लॉक तकनीकी से मत्स्य पालन को बढ़ावा देने के लिए मत्स्य कृषकों को 7.50 लाख रुपए की इकाई लागत पर 40 प्रतिशत की अनुदान सहायता दिए जाने का प्रावधान है।
राज्य में मत्स्य पालन को बढ़ावा देने और मत्स्य कृषकों मछुआरों को सहूलियत देने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा नवीन मछली पालन नीति तैयार की जा रही है। इसके लिए कृषि एवं जल संसाधन मंत्री श्री रविंद्र चौबे की अध्यक्षता में गठित समिति ने मछुआरों को उत्पादकता बोनस दिए जाने, ऐसे एनीकट जिनका क्षेत्रफल 20 हेक्टेयर तक है, उसे स्थानीय मछुआरों के निःशुल्क मत्स्याखेट के लिए सुरक्षित रखने तथा मछुआ जाति के लोगों की सहकारी समिति को सर्वाेच्च प्राथमिकता के आधार पर जलाशयों को मछली पालन के लिए पट्टे पर देने की सिफारिश की है।
- मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्देश पर बनाया गया प्रस्ताव, डीएमएफ से भी दी गई राशि
- 885 एकड़ क्षेत्रफल में लगाए जाएंगे 80 हजार से अधिक पौधे
- कलेक्टर डॉ. सर्वेश्वर नरेंद्र भुरे एवं डीएफओ श्री धम्मशील गणवीर ने किया साइट निरीक्षण
- पूरा जंगल 2500 एकड़ में फैला होगा
- पर्यावरण के पुनः संरक्षण अथवा इकोलॉजिकल रीस्टोरेशन के लिए बनेगा नजीर, किस तरह से खनन आधारित प्रोजेक्ट को नेचुरल हैबिटेट के रूप में बदला जा सकता है इसका होगा अनुकरणीय उदाहरण
दुर्ग / शौर्यपथ / देश में पर्यावरण की मानव निर्मित सबसे बड़ी धरोहर दुर्ग जिले में बनने वाली है। नंदिनी की खाली पड़ी खदानों की जमीनों में यह 885 एकड़ क्षेत्र में यह प्रोजेक्ट विकसित किया जा रहा है। 3 सालों में यह प्रोजेक्ट पूरी तरह से तैयार होगा। लगभग 3 करोड़ रुपए की लागत से यह प्रोजेक्ट तैयार किया जा रहा है। इसके लिए डीएमएफ तथा अन्य मदों से राशि ली गई है। पर्यावरण संरक्षण के मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के निर्देश पर यह प्रोजेक्ट तैयार किया गया है। यह प्रोजेक्ट देश दुनिया के सामने उदाहरण प्रस्तुत करेगा कि किस तरह से निष्प्रयोज्य माइंस एरिया को नेचुरल हैबिटैट के बड़े उदाहरण के रूप में बदला जा सकता है।
इस प्रोजेक्ट के बनने से नंदिनी क्षेत्र का प्राकृतिक बहुत समृद्ध होगा और पर्यावरण के क्षेत्र में यह छत्तीसगढ़ ही नहीं देश की भी सबसे बड़ी धरोहर साबित होगा। उल्लेखनीय है कि 17 किलोमीटर क्षेत्र में फैले नंदिनी के जंगल में पहले ही सागौन और आंवले के बहुत सारे वृक्ष मौजूद हैं। अब खाली पड़ी जगह में 80,000 अन्य पौधे लगाने की तैयारी कर ली गई है। इसके लिए डीएमएफ से राशि भी स्वीकृत कर ली गई है आज कलेक्टर डॉ सर्वेश्वर नरेंद्र भुरे ने क्षेत्र का निरीक्षण किया। डीएफओ श्री धम्मशील गणवीर ने विस्तार से प्रोजेक्ट की जानकारी देते हुए कहा कि 80,000 पौधों के लगाने के पश्चात 3 साल में यह क्षेत्र पूरी तरह जंगल के रूप में विकसित हो जाएगा। यहां पर विविध प्रजाति के पौधे लगने की वजह से यहां का प्राकृतिक परिवेश बेहद समृद्ध होगा। श्री गणवीर ने बताया कि यहां पर पीपल, बरगद जैसे पेड़ लगाए जाएंगे जिनकी उम्र काफी अधिक होती है साथ ही हर्रा, बेहड़ा, महुवा जैसे औषधि पेड़ भी लगाए जाएंगे
पक्षियों के लिए होगा आदर्श रहवास- गणवीर ने बताया कि पूरे प्रोजेक्ट को इस तरह से विकसित किया गया है कि यह पक्षियों के लिए भी आदर्श रहवास बन पाए तथा पक्षियों के पार्क के रूप में विकसित हो पाए। यहां पर एक बहुत बड़ा वेटलैंड है जहां पर पहले ही विसलिंग डक्स, ओपन बिल स्टार्कआदि लक्षित किए गए हैं यहां झील को तथा नजदीकी परिवेश को पक्षियों के ब्रीडिंग ग्राउंड के रूप में विकसित किया जाएगा।
इको टूरिज्म का होगा विकास- इसके साथ ही इस मानव निर्मित जंगल में घूमने के लिए भी विशेष व्यवस्था होगी। इसके लिए भी आवश्यक कार्य योजना बनाई जा रही है ताकि यह छत्तीसगढ़ ही नहीं अपितु देश के सबसे बेहतरीन घूमने की जगह में शामिल हो सके।
साल पौधों का होगा प्लांटेशन- मानव निर्मित जंगल में साल पौधों का भी प्लांटेशन होगा। इसके पहले अभी तक साल पौधों का संकेंद्रण बस्तर और सरगुजा क्षेत्र में ही रहा है। पहली बार इस तरह का प्रयोग क्षेत्र में होगा। कलेक्टर ने इसकी प्रशंसा करते हुए कहा कि पूरा प्रोजेक्ट नेचुरल हैबिटेट को बढ़ावा देने के दृष्टिकोण से बेहद अहम साबित होगा तथा यह प्रोजेक्ट इस बात को इंगित करेगा कि किस तरह से इकोलॉजिकल रीस्टोरेशन या पर्यावरण के पुनर संरक्षण के क्षेत्र में कार्य किया जा सकता है। यह बेहतरीन नजीर देश के सामने और दुनिया के सामने रखेगा।
रायपुर / शौर्यपथ / सुराजी गांव योजना के नरवा विकास कार्यक्रम से भू-जल स्तर में बढ़ोत्तरी के साथ-साथ नाले के किनारे स्थित किसानों को फसलों की सिंचाई के लिए जल उपलब्धता सुनिश्चित हुई है। फलस्वरूप दोहरी और तिहरी फसलों की खेती से कृषि का रकबा और किसानों की आमदनी में बढ़ोत्तरी हुई है। कोण्डागांव जिले के ग्राम पंचायत बड़े राजपुर स्थित बुचरा नाला के उपचार से लाभान्वित कृषक श्री जोहर लाल नेताम ने आज मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से विकास एवं निर्माण कार्यों के वर्चुअल लोकर्पण एवं भूमिपूजन कार्यक्रम के अवसर पर चर्चा के दौरान बताया कि उनके साथ-साथ बुचरा नाले के दोनों ओर के लगभग 40 से 50 किसानों की खेती-किसानी के लिए अब पर्याप्त पानी मिलने लगा है। जिससे फसल का रकबा और उत्पादन बढ़ा है।
जोहर लाल नेताम ने बताया कि पहले यह नाला बरसात के बाद सूखने लगता था। नाले का उपचार और पानी को रोकने के लिए इसमें जगह-जगह बनाई गई संरचानाएं और स्टॉप डेम से इस नाले में अब बारहमासी पानी का भराव होने लगा है। पानी की कमी के कारण बड़ी मुश्किल से पहले श्री नेताम 2-3 एकड़ में खेती कर पाते थे। आज नाले में पर्याप्त पानी उपलब्ध होने के कारण 6 से 7 एकड़ भूमि में खेती कर रहे है। पानी की उपलब्धता की वजह से फसल भी अच्छी हो रही है। उन्होंने बताया कि वह अपनी 7 एकड़ भूमि में से 6 एकड़ भूमि में मक्के की खेती और एक एकड़ भूमि में सब्जी व गेंहू की खेती कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने जोहर लाल नेताम और बुचरा नाले के किनारे स्थित सभी कृषकों को नरवा विकास कार्यक्रम का लाभ उठाकर बेहतर खेती-किसानी के लिए शुभकामनाएं दी। मुख्यमंत्री ने जोहर लाल नेताम को मक्के सहित सब्जी की खेती में वर्मी कम्पोस्ट खाद का उपयोग करने की सलाह दी। मुख्यमंत्री ने कहा कि इससे भूमि की उर्वरा शक्ति बेहतर होगी, उत्पादन बढ़ेगा साथ ही मक्के की मिठास भी बढ़ेगी। जोहर लाल नेताम ने मुख्यमंत्री को बताया कि नाले में स्टॉप डेम के निर्माण से काफी दूर तक पानी रूकने लगा है। इससे गांव के भू-जल स्तर में भी बढ़ोत्तरी हुई है। पहले नलकूप खनन 80 से 100 फीट होने पर पानी मिलता था, अब से 50 से 60 फीट में ही पानी मिलने लगा है। उन्होंने मुख्यमंत्री से इस नाले पर 2-3 स्थानों पर स्टॉप डेम बनाये जाने का आग्रह किया। जिस पर मुख्यमंत्री ने शीघ्र ही इसका परीक्षण कर कार्रवाई की बात कही।
- ग्राम टेड़ेसरा की बालिकाओं ने लोकवाणी सुनी
- राजनांदगांव की श्रीमती रेणुका सोनी एवं श्रीमती रितु सिन्हा ने मुख्यमंत्री से अपनी बातें साझा की
राजनांदगांव / शौर्यपथ / मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मासिक रेडियोवार्ता लोकवाणी को आज विकासखंड राजनांदगांव के ग्राम टेड़ेसरा की बालिकाओं, बुजुर्ग एवं महिलाओं ने सुना। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि ग्रामीण महिलाओं की उन्नति और उनकी सूझबूझ का विस्तार बहुत उम्मीद जगाने वाला है। छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन बिहान के अंतर्गत प्रदेश में 20 लाख 2 हजार गरीब परिवारों की 1 लाख 85 हजार महिलाएं स्व सहायता समूह से जुड़ गई है और एक से बढ़कर एक कार्य किए जा रहे है। अपनी मौलिकता, स्थानीय स्तर पर उपलब्ध कौशल, और संसाधनों का उपयोग जिस खूबसूरती से कर रहे हैं, उसकी जितनी तारीफ की जाए, वह कम है। वास्तव में आप लोगों ने मातृशक्ति शब्द को सार्थक करके दिखाया है। साढ़े 3 हजार बहने बैंक सखी के रूप में चलता-फिरता बैंक बन गई है। उन्होंने बताया कि महिला स्वसहायता समूह की प्रतिभा, लगन और मेहनत को देखते हुए, नये बजट में रूरल इंडस्ट्रियल पार्क और सी-मार्ट स्टोर्स जैसी नई अवधारणाा को शामिल किया है। छत्तीसगढ़ में छोटी-छोटी पूंजी और थोड़ी-थोड़ी उद्यमिता को मिलाकर एक नई आर्थिक क्रांति का जन्म होगा। यह आर्थिक क्रांति विकास का एक टिकाऊ मॉडल होगा।
विकासखंड राजनांदगांव के मोर मयारू संगी लोक संस्कृति ग्राम टेड़ेसरा के संचालक नरेन्द्र साहू ने कहा कि मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना के तहत सामान्य जोड़े के लिए सहायता राशि 15 हजार रूपए से बढ़ाकर 25 हजार रूपए और दिव्यांगजनों के लिए 50 हजार रूपए से बढ़ाकर 1 लाख रूपए की है। मुझे यह जानकारी आज मिली और बहुत खुशी हुई। श्रीमती गोमती बाई साहू ने कहा कि बालिकाओं के लिए रोजगार के बहुत अच्छे अवसर है। यह सुनकर बहुत अच्छा लगा। स्कूल में अध्ययनरत बालिका पूनम कुर्रे ने बताया कि वे डॉक्टर बनाना चाहती हैं और लोकवाणी सुनकर उन्हें अच्छा पढऩे एवं मेहनत करने की प्रेरणा मिली है। वहीं खिलेश देशमुख एवं तिलेश साहू ने बताया कि वे नर्स बनना चाहती हैं। लोकवाणी सुनकर बुजुर्ग माता श्रीमती प्रेमवती साहू, सारिका कंवर, योगिता साहू, मधु साहू साहित अन्य बच्चों ने हार्दिक खुशी जाहिर की।
राजनांदगांव जिले के शीतला मंदिर वार्ड 25 की श्रीमती रेणुका सोनी ने भी अपनी बातें मुख्यमंत्री से साझा की-
श्रीमती रेणुका सोनी ने बताया कि जब वे गर्भवती थी, तब उन्हें खून की कमी थी और उन्हें अपने होने वाले बच्चे की चिंता थी। कोरोना वायरस की वजह से शहर में लॉकडाऊन था और खाने-पीने के सामान के लिए दिक्कत आ रही थी। ऐसे मुश्किल समय में मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान के माध्यम से आंगनबाड़ी की दीदी हमारे घर तक आकर सुखा राशन देने लगी। जिससे मुझे बहुत राहत मिली और मेरी चिंता दूर हुई। आंगनबाड़ी वाली दीदी समय-समय मेरे घर आकर मेरे स्वास्थ्य की भी जानकारी लेती थी। आपकी इस योजना से मैं लाभान्वित हुई। जिसका परिणाम यह है कि मेरे घर एक स्वस्थ बच्चे का जन्म हुआ है और मैं स्वस्थ हूं। इसके लिए आपका हृदय से धन्यवाद और आभार कि ऐसे कठिन समय में आपने हम माताओं का ध्यान रखा।
डोंगरगांव विकासखंड के ग्राम रामपुर की श्रीमती रितु सिन्हा ने मुख्यमंत्री से अपने मन की बात साझा की-
श्रीमती रितु सिन्हा ने बताया कि मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान से मुझे बहुत फायदा मिला है। उन्होंने बताया कि जब वे गर्भवती थी। तब उन्हें खून की कमी थी। मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान के तहत आंगनबाड़ी कार्यकर्ता दीदी कोरोना काल में सुखा राशन देती थी। जिससे खून की कमी दूर हुई और एक स्वस्थ्य बच्चे का जन्म हुआ है। उन्होंने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान से मेरे घर-आंगन में खुशहाली बिखर गई। इसके लिए उन्होंने मुख्यमंत्री को गाड़ा-गाड़ा बधाई दी।
किसानों की बढ़ेगी आय और बढ़ेंगे रोजगार के नए अवसर , जैविक खेती को मिलेगा प्रोत्साहन, आवारा मवेशियों की समस्या होगी हल
रायपुर / शौर्यपथ / लोकसभा में कृषि मामलों की स्थायी समिति ने मंगलवार को सदन में प्रस्तुत अपनी रिपोर्ट में छत्तीसगढ़ की गोधन न्याय योजना की सराहना करते हुए केंद्र सरकार को सुझाव दिया है कि किसानों से मवेशियों के गोबर खरीद की ऐसी ही योजना पूरे देश के लिए शुरु की जानी चाहिए। श्री पर्वतागौड़ा चंदनगौड़ा गद्दीगौडर की अध्यक्षता वाली लोकसभा की कृषि मामलों की स्थायी समिति ने केंद्र सरकार को दिए अपने सुझाव में कहा है कि किसानों से उनके मवेशियों का गोबर खरीदने से उनकी आय में बढ़ोतरी होने के साथ-साथ रोजगार के नए अवसर बढ़ेंगे, जैविक खेती को प्रोत्साहन मिलेगा, साथ ही आवारा मवेशियों की समस्या का भी समाधान होगा। लोकसभा में रिपोर्ट प्रस्तुत करने से पूर्व यह समिति केंद्रीय कृषि मंत्रालय के अधिकारियों को भी ऐसा ही सुझाव दे चुकी है।
उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री बघेल के नेतृत्व में 20 जुलाई 2020 से छत्तीसगढ़ में गोबर को गोधन बनाने की दिशा में सुविचारित कदम उठाते हुये गोधन न्याय योजना लागू की गई है, जिसमें पशु पालकों से गोबर क्रय करके गोठानों में वर्मीकंपोस्ट एवं अन्य उत्पादों का निर्माण किया जा रहा है। छत्तीसगढ़ में गोधन न्याय योजना का संचालन सुराजी गांव योजना के तहत गांव-गांव में निर्मित गौठानों के माध्यम से किया जा है। इन गोठानों में पशुओं के चारे और स्वास्थ्य की देखभाल के साथ-साथ रोजगारोन्मुखी गतिविधियां भी संचालित की जा रही हैं। इन्हीं गोठानों में गोधन न्याय योजना के तहत वर्मी कंपोस्ट टांकों का निर्माण किया गया है, जिनमें स्व सहायता समूहों की महिलाएं जैविक खाद का निर्माण कर रही हैं। गोबर की खरीद गोठान समितियों के माध्यम से 2 रुपए किलो की दर से की जाती है। अब तक गोबर विक्रेता किसानों, पशुपालकों और संग्राहकों को 80 करोड़ रुपए का भुगतान किया जा चुका है।
स्व सहायता समूहों द्वारा अब तक 71 हजार 300 क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट तैयार किया जा चुका है। वर्तमान में 7 हजार 841 स्व-सहायता समूह गोठान की गतिविधि संचालित कर रहे है। इन समूहों के लगभग 60 हजार सदस्यों को वर्मी खाद उत्पादन, सामुदायिक बाड़ी, गोबर दिया निर्माण इत्यादि विभिन्न गतिविधियों से 942 लाख की आय प्राप्त हो रही है। गोठान योजना के लिये वर्ष 2021-22 के बजट में 175 करोड़ का प्रावधान रखा गया है। स्व सहायता समूहों द्वारा निर्मित जैविक खाद के विक्रय के लिए छत्तीसगढ़ में 10 रुपए प्रति किलो की दर तय की गई है। राज्य में वन, उद्यानिकी, कृषि समेत सभी शासकीय विभागों द्वारा आवश्यकतानुसार स्व सहायता समूहों से जैविक खाद की खरीद की जाती है, इसके साथ-साथ किसानों द्वारा भी जैविक खाद खरीदा जा रहा है। गोधन न्याय योजना से भूमिहीन कृषि श्रमिकों को भी नियमित आय हो रही है।
छत्तीसगढ़ शासन की गोधन न्याय योजना के क्रियान्वयन से जैविक खेती एवं गौ-पालन को बढ़ावा, पशु पालकों को आर्थिक लाभ तथा रोजगार के नये अवसरों का सृजन हो रहा है। सरकार की इस पहल को भारत सरकार एवं अन्य राज्यों द्वारा भी सराहा जा रहा है।
रायपुर / शौर्यपथ / नयातालाब आंगनवाड़ी केन्द्र पर तैनात 38 वर्षीय आंगनवाड़ी कार्यकर्ता अर्चना अपने काम के साथ ही अपने परिवार की जिम्मेदारी भी बखूबी निभाई है इस लिए महिला दिवस के मौके पर उनका जिक्र करना भी जरूरी है . अर्चना ने अपने जीवन में कई उतार-चढ़ाव देखे हैं 15 वर्षों से आंगनवाड़ी में कार्यरत हैं अर्चना कहती है कि खुशी का वह पल आज तक नही भूल पाती हूँ , जब दिल्ली से आई हुई टीम ने कहा अर्चना तुम्हारा केंद्र लाजवाब है उस दिन लगा कि मेरे काम की सही पहचान मिली है ।
अर्चना बताती हैं “मेरे पिता गाडी चालक है । मैं अपने भाई बहनों में सबसे बडी हूँ ।अचानक एक दिन पिताजी की आंख को लकवा मार गया। इलाजकरवाया पर ठीक नही हुए वह एक आंख से बिल्कुल नहीं देख पाते हैं । उन्होंने कहा कि वह समय ऐसा था जब घर की सारी जिम्मेदारी मेरे कंधों पर आ गई थी लेकिन मैंने हिम्मत नहीं हारी और मैंने आंगनवाड़ी कार्यकर्ता के रूप में अपने जीवन की नयी शुरुआत की और इसी कार्य को करते हुए अपनी तीन छोटी बहनों की शादी भी करवाई और छोटे भाई को पढ़ाया भी ।
काम के प्रति इनकी मेहनत और लगन का ही नतीजा था कि विभाग ने बचपन की देखभाल और शिक्षा की गतिविधि का शुभारंभ आंगनवाड़ी केंद्र नयातालाब गुढ़ियारी से प्रारंभ किया।
अर्चना कहती है,“मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान के तहत लक्ष्य सुपोषण में मेरे क्षेत्र के दो बच्चे गंभीर कुपोषित आये थे । लॉक डाउन के कठिन समय में दोनो गंभीर कुपोषित बच्चों का ध्यान रखना एक बड़ी चुनौती थी लेकिन मैंने निरंतर उन दोनो बच्चों की अच्छे से देखभाल की और उनके माता पिता को पौष्टिक आहार की जानकारी दी । लॉक डाउन के समय में उनके घर जाकर अपने सामने दूध अंडा केला प्रतिदिन एवं पौष्टिक गरमा-गरम भोजन देकर उनको मध्यम श्रेणी में लाई। अब वह बच्चे पूर्णता स्वस्थ हैं ।
अर्चना ने समाज सेवा के साथ परिवार के लिए भी बखूबी समय दिया है उनकी छोटी बहन जो शादी के 2 साल बाद ही विधवा हो गई थी । उसकी 3 माह की बच्ची जो जन्म से ही शारीरिक दिव्यांगता की परेशानी से लड रही है उसके लिएअर्चना ने रात-दिन एक कर दिया और आज वह बच्ची सहारे से खड़ी हो जाती है । अर्चना कहती है कि इस बच्ची ने मुझे समाज सेवा और लोगों की समस्याओं को समझने का हुनर दिया है । पूरे समाज को,पूरे परिवार को साथ लेकर चलना,उनकी छोटी बडी समस्याओं को समझना,उचित मार्गदर्शन देकर,उनका हौसला बढ़ाना ।
अर्चना कहतीं हैं, “अब तो बच्चों के साथ ई.सी.सी.ई की गतिविधियों के द्वारा बच्चों को शिक्षा देना,जैसे जीवन का लक्ष्य हो गया है।मेरी बहन के ससुराल में उसे गर्भावस्था के समय उचित देखभाल व सही खानपान न मिलने के परिणाम स्वरूपही उसकी बच्ची जन्म से कमजोर और जन्म से ही उसको झटके आने की समस्या होने लगी जो आज भी जारी है ,उसकी ऐसी हालत देखते हुए ही मैंने संकल्प लिया कि क्षेत्र की जितनी भी गर्भवती माताएं होंगी मैं उनके जीवन में,मेरे बहन के जैसी परिस्थिति नहीं आने दूँगी इसके लिए मुझे जो भी करना पड़े मैं वह कार्य करूंगी । उनको हर प्रकार से सही देखभाल,खानपान,और मानसिक रूप से मजबूत बनाने के लिए भरसक प्रयासरत करुँगी। यही मेरे जीवन का एक मात्र लक्ष्य है। ताकि कोई भी नवजात शिशु अपना बचपन न खोऐ और मां अपने बच्चे को हसते खेलते हुए बड़ा होता देख सके”।
अर्चना कहती हैं,“ कार्य करने के दौरान बहुत सी चुनौतियाँ आतीं ऐसे ही एक वाकया का जिक्र करते हुए वह बोलीं कि एक बार बीएलओ ड्यूटी के दौरान एक घर पर जब जानकारी लेने के लिए पहुँचीं तो घर से निकले व्यक्ति ने बहुत ही गलत भाषा का प्रयोग करते हुए मुझे अपने घर से भगा दियाउस दिन लगा कहां नौकरी कर रहे हैं लेकिन ऐसी तमाम समस्याओं के बाद भी मैंने हार नहीं मानी । आज भी हम लोगों की समस्या को समझने और उसे दूर करने की पूरी कोशिश करते हैं ।असली सेवा लोगों का प्यार और गुस्सा दोनों ही है बस हम उसे समझकर उसे दो पल की खुशी दें यही असली समाज सेवा है”।
महिला बाल विकास मंत्री श्रीमती अनिला भेंड़िया सहित सांसद, विधायक, महापौर सामूहिक कन्या विवाह में हुए शामिल
कोरोना महामारी के कारण छत्तीसगढ़ में एक साथ 22 जिलों में सामूहिक विवाह समारोह का आयोजन: सभी जिले वर्चुअली जुड़े राजधानी के समारोह से
रायपुर / शौर्यपथ / मुख्यमंत्री भूपेश बघेल आज राजधानी रायपुर के बलबीर सिंह जुनेजा इंडोर स्टेडियम परिसर में आयोजित मुख्यमंत्री कन्या विवाह समारोह में शामिल हुए। शहनाई की मंगल ध्वनि और वैदिक मंत्रोच्चार के बीच 3 हजार 229 जोड़े परिणय-सूत्र में बंधे। मुख्यमंत्री बघेल ने सभी नव-दम्पत्तियों को आशीर्वाद और उनके सुखमय जीवन के लिए शुभकामनाएं दी। छत्तीसगढ़ में पहली बार 22 जिलों में एक साथ इस योजना के अंतर्गत सामूहिक विवाह समारोह का आयोजन किया गया, सभी जिले राजधानी रायपुर में आयोजित समारोह से वीडियो कॉन्फ्रंेसिंग के माध्यम से जुड़े। मुख्यमंत्री बघेल ने विभिन्न जिले के नवविवाहित जोड़ो से बातचीत कर उन्हें आशीर्वाद प्रदान किया।
रायपुर के समारोह में 233 जोड़ों का विवाह सम्पन्न कराया गया। इनमें से तीन क्रिश्चयन और एक मुस्लिम जोड़े का विवाह उनके धार्मिक रीति-रिवाजों के अनुसार कराया गया। समारोह में मुख्यमंत्री ने प्रतीकात्मक रूप से पांच जोड़ों को उपहार सामग्री और एक हजार रूपए का चेक प्रदान किया। इस अवसर पर कई जोड़ों ने मुख्यमंत्री के साथ सेल्फी लेकर अपने विवाह को यादगार बना लिया। मुख्यमंत्री ने सामूहिक विवाह में वर-वधुओं को बर्तन प्रदान करने के लिए रायपुर के श्री कमलेश चोपड़ा और हाथ घड़ी प्रदान करने के लिए अंकित गांधी को जनसहयोग हेतु प्रतीक चिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया। महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा 22 जिलों में एक साथ तीन हजार 229 जोड़ों के सामूहिक विवाह के आयोजन को गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में दर्ज किया गया। इसकी घोषणा मंच पर गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड की ओर से श्रीमती सोनल राजेश शर्मा ने की।
इस अवसर पर राज्यसभा सांसद श्रीमती छाया वर्मा, महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती अनिला भेंड़िया, ससदीय सचिव श्रीमती रश्मि आशीष सिंह, छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक, विधायक धरसींवा श्रीमती अनिता योगेन्द्र शर्मा, विधायक एवं छत्तीसगढ़ गृह निर्माण मंडल के अध्यक्ष कुलदीप जुनेजा, महापौर एजाज ढेबर, छत्तीसगढ़ खनिज विकास निगम के अध्यक्ष गिरीश देवांगन और राज्य नागरिक आपूर्ति निगम के अध्यक्ष रामगोपाल अग्रवाल उपस्थित थे। कोण्डागांव के समारोह में राज्यसभा सांसद श्रीमती फूलोदेवी नेताम और विधायक मोहन मरकाम भी उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री बघेल ने नवविवाहित जोड़ों को आशीर्वाद देते हुए कहा कि माघी पुन्नी के शुभ अवसर पर वर-वधु विवाह बंधन में बंध रहे हैं। यह हमारा सौभाग्य है कि एक साथ बराती और घराती दोनों बनने का अवसर मिला है। कन्यादान से बड़ा पुण्य और कोई नही है। माघी पुन्नी के दिन इसका महत्व और बढ़ गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान समय में शादियों में होने वाले फिजूल खर्ची से लोग उकता चुके हैं। इसमें समय के साथ साधन का भी बहुत अपव्यय होता है। सामूहिक विवाह में शामिल होकर माता-पिता के साथ वर-वधुओं ने नया कदम उठाया है, इसके लिए मैं उन्हें बधाई देता हूॅ। अब राज्य सरकार के साथ कई समाज में सामूहिक विवाह का आयोजन किया जा रहा है, जो एक सराहनीय कदम है। मुख्यमंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री कन्या विवाह के तहत पहले 15 हजार रूपए का प्रावधान था, जिसे बढ़ाकर हमने 25 हजार रूपए कर दिया। अब कई जाति, धर्म के लोग सहित बड़ी संख्या में आदिवासी लोग भी सामूहिक विवाह में शामिल होने लगे हैं। श्री बघेल ने कहा कि विवाह में विवाहित जोड़े सात वचनों और साथ निभाने का वचन लेते हैं। मैं भी जिंदगी भर अपने परिवार के लोगों के स्वास्थ्य का ध्यान देने का वचन वर-वधुओं विशेषकर वर से लेना चाहता हूॅ। वर पत्नी के साथ पूरे परिवार के सुपोषण का ध्यान रखे, क्योंकि माता के स्वस्थ होने से आने वाली पीढ़ियां भी स्वस्थ होंगी।
महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती भेंड़िया ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि प्रदेश के मुखिया व्यस्तम समय में भी स्वयं सभी नवविवाहित वर-वधुओं को आशीर्वाद देने पहुंचे हैं। पिछले वर्ष कोरोना के कारण आयोजन संपन्न नहीं हो पाया था। बड़ी संख्या में कई घर परिवार के लोग आज इस कार्यक्रम में उपस्थित हुए हैं, जिससे सभी का आशीर्वाद सभी नवविवाहितों को मिल रहा है। मंहगाई के समय में कम खर्च में शादी के लिए सामूहिक कन्या विवाह एक अच्छी योजना है। प्रदेश सरकार ने इस योजना के तहत 10 हजार रूपए की बढ़ोतरी कर 25 हजार रूपए का प्रावधान किया है, इसी प्रकार दिव्यांग जोड़ों के लिए विवाह की प्रोत्साहन राशि भी 50 हजार रूपए से बढ़ाकर एक लाख रूपए कर दी है। उन्होंने नव विवाहित जोड़ों को सुखमय नये जीवन की शुभकामनाएं भी दी।
महिला एवं बाल विकास के सचिव श्रीमती शहला निगार ने बताया कि मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना के तहत इस वर्ष 7 हजार 600 विवाह कराने का लक्ष्य रखा गया है। इस समारोह में नारी निकेतन रायपुर में निवासरत कन्या का विवाह कराकर उसे समाज की मुख्यधारा से जोड़ा गया है। कोविड-19 संक्रमण को देखते हुए 22 जिलों को वर्चुअल मोड से जोड़ा गया है। इस अवसर पर महिला एवं बाल विकास की संचालक श्रीमती दिव्या उमेश मिश्रा, रायपुर कलेक्टर एस. भारतीदासन सहित विभागीय अधिकारी-कर्मचारी और वर-वधुओं के परिजन उपस्थित थे।
औद्योगिक परियोजनाओं की त्वरित स्थापना हेतु वाणिज्य एवं उद्योग विभाग द्वारा विकसित कराया गया है यह मोबाइल एप, मोबाइल एप द्वारा उद्योगपति सीधे उद्योग विभाग से साझा कर सकेंगे जानकारी, प्रदेश में कुल 104 औद्योगिक इकाईयों द्वारा राज्य शासन के साथ किए गये हैं एम.ओ.यू., लगभग 42 हजार 500 करोड़ रूपये का पूँजी निवेश किया जाना प्रस्तावित : लगभग 65000 व्यक्तियों को उपलब्ध होगा रोजगार
रायपुर / शौर्यपथ / मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आज विधानसभा परिसर स्थित अपने कार्यालय कक्ष में प्रदेश में प्रस्तावित बड़ी औद्योगिक इकाईयों की मॉनिटरिंग हेतु मोबाइल एप लांच किया। प्रदेश में हजारों करोड़ की लागत से स्थापित किये जाने वाली औद्योगिक परियोजनाओं की त्वरित स्थापना हेतु वाणिज्य एवं उद्योग विभाग द्वारा यह मोबाइल एप विकसित कराया गया है। उद्योग मंत्री श्री कवासी लखमा भी इस अवसर पर उपस्थित थे।
मोबाईल एप द्वारा उद्योगपति सीधे अपनी इकाई स्थापना के विभिन्न चरणों में विभिन्न विभागों एवं संस्थाओं से आवश्यक सम्मति, सहमति, पंजीयन, अनापत्ति हेतु लंबित आवेदनों की जानकारी उद्योग विभाग से साझा कर सकेंगे। उद्योग विभाग द्वारा एम.ओ.यू. करने वाली प्रत्येक इकाई हेतु वरिष्ठ अधिकारियों को रिलेशनशिप मैनेजर के रूप में नामांकित किया गया है | इन रिलेशनशिप अधिकारियों के माध्यम से इकाईयों के आवेदनों पर विभिन्न विभागों में त्वरित निष्पादन में मदद मिलेगी। यह मोबाईल एप एंड्रॉयड एवं एप्पल प्ले स्टोर पर भी उपलब्ध है।
यहाँ यह उल्लेखनीय है कि प्रदेश में कुल 104 औद्योगिक इकाईयों द्वारा राज्य शासन के साथ एम.ओ.यू.निष्पादित किया गया है जिसमें लगभग 42 हजार 500 करोड़ रूपये का पूँजी निवेश किया जाना प्रस्तावित है तथा लगभग 65000 व्यक्तियों को रोजगार उपलब्ध होगा। इन एम.ओ.यू. में प्रदेश के अति पिछड़े क्षेत्र बस्तर संभाग में 16 इकाईयाँ प्रस्तावित है जिनमें से 09 इकाईयों द्वारा उद्योग स्थापना हेतु कार्यवाही प्रारंभ कर दी गयी है। संपादित 104 एम.ओ.यू. में से 40 इकाईयों द्वारा उद्योग स्थापना की कार्यवाही प्रारंभ कर दी गई है एवं 01 इकाई में उत्पादन भी प्रारंभ कर उनके द्वारा अपने उत्पादों का अन्य देशों को निर्यात भी प्रारंभ कर दिया गया है। सम्पादित 104 एम.ओ.यू. में स्टील क्षेत्र में 76, फार्मास्युटिकल क्षेत्र में 04, साईकल निर्माण में 01, रक्षा क्षेत्र में 03 एवं इलेक्ट्रॉनिक क्षेत्र की 02 इकाईयां सम्मिलित हैं।
उल्लेखनीय है कि प्रदेश के सरगुजा क्षेत्र में स्टील एवं एल्युमीनियम क्षेत्र में बड़े उद्योगों की स्थापना हेतु विभिन्न औद्योगिक निवेशकों द्वारा अभिरूचि प्रदर्शित की गई है । जिससे स्पष्ट है कि आने वाले दिनों में प्रदेश के अति पिछड़े सरगुजा एवं बस्तर क्षेत्र में भी औद्योगिक गतिविधियों में तेजी आएगी एवं स्थानीय स्तर पर बड़ी संख्या में प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रोजगार उपलब्ध होगा। इसके अतिरिक्त प्रदेश में वनोपज पर आधारित 15 इकाईयों द्वारा एम.ओ.यू. सम्पादित किया जाना प्रस्तावित है जिनमें 75 करोड़ रूपये का पूँजी निवेश एवं 1000 से अधिक व्यक्तियों को प्रत्यक्ष रोजगार उपलब्ध होगा।
प्रदेश का त्वरित एवं समग्र औद्योगिक विकास मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सर्वोच्च प्राथमिकता में शामिल है। राज्य सरकार की इस नीति की पूरे देश के उद्योग जगत में तारीफ हो रही है। जिसके अनुसरण में उद्योग विभाग एवं उद्योगों से संबंधित विभागों द्वारा सूचना तकनीकी क्षेत्र का उपयोग करते हुए कार्यवाही की जा रही है। इस हेतु प्रदेश के सिंगल विण्डो सिस्टम को और अधिक प्रभावी बनाया गया है एवं वरिष्ठअधिकारियों द्वारा परियोजनाओं के क्रियान्वयन की सतत् निगरानी की जा रही है। उद्योग स्थापना की प्रक्रिया को सुगम एवं सरल बनाने हेतु संबंधित विभागों द्वारा विभिन्न उद्योग संघों, व्यापारिक संगठनों एवं अन्य संबंधित संघों से लगातार संपर्क करते हुए प्रक्रियाओं को सरलीकृत करने का प्रयास किया जा रहा है।
इस अवसर पर सीएसआईडीसी के प्रबंध निदेशक अरूण प्रसाद, वाणिज्य एवं उद्योग विभाग के संयुक्त सचिव अनुराग पाण्डेय एवं अन्य वरिष्ठ अधिकारीगण के साथ टेकमेंट टेक्नालॉजी प्राईवेट लिमिटेड, भिलाई के डायरेक्टर मनीष अग्रवाल, रूपेश शर्मा, मनोज अग्रवाल, सुमीत अग्रवाल एवं रामभगत अग्रवाल उपस्थित थे।
रायपुर / शौर्यपथ / मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की विशेष पहल पर छत्तीसगढ़ राज्य में भू-जल संरक्षण और संवर्धन के लिए संचालित नरवा (नाला) विकास योजना के जरिए राज्य के नदी-नालों और जल स्त्रोतों को पुनर्जीवित किया जा रहा है। राज्य में संचालित नरवा विकास योजना दरअसल छत्तीसगढ़ सरकार की महत्वाकांक्षी सुराजी गांव योजना के नरवा, गुरवा, घुरवा, बाड़ी का एक घटक है। नरवा विकास के माध्यम से वर्षा जल को सहेजने के लिए तेजी से नालों का उपचार कराया जा रहा है।
प्रथम चरण में छत्तीसगढ़ राज्य में 1385 नरवा (नाला) उपचार के लिए चिन्हित किए गए हैं। जिसमें से 1372 नालों में वर्षा जल की रोकथाम के लिए बोल्डर चेक, गली प्लग, ब्रश हुड, परकोलेशन टैंक जैसी संरचनाओं का निर्माण एवं उपचार कर पानी को रोकने और भू-जल स्तर बेहतर बनाने प्लान तैयार कर काम कराया जा रहा है।
छत्तीसगढ़ राज्य में सुराजी गांव योजना के प्रमुख घटक नरवा (नाला) के तहत अब तक 1310 नालों में वर्षा जल को रोकने के लिए विभिन्न प्रकार के 71 हजार 831 स्ट्रक्चर बनाए जाने की मंजूरी दी गई है, जिसमें से 51 हजार 742 स्ट्रक्चर का निर्माण हो चुका है। अभी 9 हजार 685 स्ट्रक्चर निर्माणाधीन है। लगभग दो सालों से छत्तीसगढ़ राज्य में भू-जल संरक्षण एवं संवर्धन की दिशा में किए जा रहे कार्याें का सकारात्मक परिणाम भी अब दिखाई देने लगा है।
छत्तीसगढ़ राज्य में पानी को रोकने की इस मुहिम को केन्द्र सरकार ने न सिर्फ सराहा है, बल्कि सूरजपुर और बिलासपुर जिले को नेशनल वाटर अवार्ड से सम्मानित भी किया है। यह नेशनल वाटर अवार्ड बिलासपुर जिले को नदी-नालों के पुनरूद्धार के लिए और सूरजपुर जिले को जल संरक्षण के उल्लेखनीय कार्याें के लिए भारत सरकार के जल शक्ति मंत्रालय की ओर से दिया गया।
छत्तीसगढ़ राज्य के जिन-जिन क्षेत्रों में नरवा उपचार के काम हुए हैं, वहां भू-जल स्तर में आशातीत वृद्धि हुई है। नालों में जल भराव होने से किसान अब बेहतर तरीके से फसलोत्पादन के साथ-साथ साग-सब्जी की भी खेती करने लगे हैं। नालों के पानी को लिफ्ट करने से किसानों को सिंचाई की भी सुविधा मिली है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का कहना है कि छत्तीसगढ़ सरकार की सुराजी गांव योजना के माध्यम से गांवों को विकसित और आर्थिक रूप से समृद्ध बनाने की पहल की जा रही है । दरअसल यह राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के सपनों का गांव गढ़ने की दिशा में बढ़ते कदम है। इसके माध्यम से नदी-नालों एवं पशुधन के संरक्षण और संवर्धन के साथ ही जैविक खेती को बढ़ावा देकर पौष्टिक खाद्यान्न, फल तथा सब्जी-भाजी के उत्पादन को बेहतर बनाना है, ताकि गांव आर्थिक रूप से समृद्ध हो सके। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने वर्धा के सेवा आश्रम में प्रार्थना सभा में कहा था कि हमारी दृष्टि दिल्ली के बजाय देहात की ओर होनी चाहिए। देहात हमारा कल्पवृक्ष है। कल्पवृक्ष हर इच्छाओं को पूरा करता है। छत्तीसगढ़ सरकार सुराजी गांव योजना के माध्यम से ग्रामीण संस्कृति, परंपरा और प्राकृतिक संसाधनों को सहेज कर सशक्त, खुशहाल और समृद्ध गांव गढ़ रही है।
जांजगीर-चांपा / शौर्यपथ / जांजगीर-चांपा जिले के विकासखंड सक्ती के ग्राम पतेरापाली निवारी श्री डोलप्रसाद को उनके द्वारा वर्षो से काबिज वन भूमि का मालिकाना हक मिल गया। अब वह पूरे परिवार के साथ बेफिक्र होकर खेती बाड़ी कर अपना जीवन यापन कर रहे हैं। भूमि से बेदखली का डर खत्म हो गया है। राज्य सरकार ने वनवासियों को उनका हक दिला दिया। सरकार की योजना के तहत जीवन यापन के लिए वन भूमि पर वर्षों से काबिज क्षेत्र का वन अधिकार पट्टा वनवासियों को दिया जा रहा है। वर्षों से काबिज 0.182 हेक्टेयर भूमि का अब मालिकाना हक मिलने से डोलप्रसाद के परिवार में खुशी का माहौल है।
श्री डोलप्रसाद ने बताया कि विगत 30 वर्ष से जिस भूमि पर खेती बाड़ी व मकान बनाकर कर रह रहे थे। राज्य सरकार ने उस भूमि का मालिक बना दिया है। जिस जंगल को हमने खेती, बाड़ी और रहने लायक बनाया उस पर हम वनवासियों का हक है। सरकार ने हमारा हक दिला दिया। श्री डोलप्रसाद ने राज्य सरकार को धन्यवाद देते हुए कहा कि जमीन का पट्टा मिलने से समाज में उनका सम्मान बढ़ा है। अब जमीन से बेदखली का डर नहीं है। भूमिहीन किसानों की गिनती में भी नही हैं। उन्होंने बताया कि वर्षों से काबिज भूमि सरकार के रिकार्ड में वन विभाग के नाम से दर्ज होने के कारण उन्हें बेदखली का भय रहता था। राज्य सरकार ने उन्हें वन अधिकार पट्टा देकर चिंता से मुक्त कर दिया है।
-राज्य शासन के नरवा के प्रिंसिपल टेक्निकल एडवाइजर श्री हरीश हिंगोरानी ने वेबिनार के माध्यम से युगांडा के अधिकारियों को दी तकनीकी जानकारी
-इसके बाद अन्य अफ्रीकन देश भी ले रहे रुचि, नाइजीरिया की सरकार ने भी जताई इच्छा, इनका भी वेबिनार के माध्यम से होगा प्रेजेंटेशन
दुर्ग / शौर्यपथ / भूमिगत जलस्तर में वृद्धि के लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा आरंभ की गई नवाचारी नरवा योजना का यश सात समंदर पार के देशों में भी फैल गया है। नरवा योजना पाटन ब्लाक के गजरा वाटरशेड प्रोजेक्ट के शानदार नतीजों के आधार पर और इसी माडल पर मुख्यमंत्री ने आरंभ की थी। इसका वीडियो इंटरनेट में भी अपलोड था। युगांडा में जलशक्ति, कृषि एवं पीएचई का विभाग एक ही है। वहाँ भूमिगत जलस्तर बढ़ाकर खेती की संभावनाओं की वृद्धि के लिए दुनिया भर में अपनाये गए तरीके वहाँ का मंत्रालय खंगाल रहा था। इस बीच गजरा वाटरशेड का वीडियो उन्हें मिला। उनकी मिनिस्ट्री ने तत्काल नरवा योजना के सलाहकार हरीश हिंगोरानी को मेल किया और पूरे तकनीकी डिटेल उपलब्ध कराने का अनुरोध किया ताकि इस देश में भी यह माडल अपनाया जा सके।यह वेबिनार शानदार रहा और इसके बाद अन्य अफ्रीकन देशों ने भी इसमें रुचि दिखाई। नाइजीरिया के जलशक्ति मंत्रालय ने भी इसमें रुचि दिखाई और इनके लिए भी ऐसा ही वेबिनार किया जा रहा है।
उल्लेखनीय है कि गजरा नाला वाटरशेड का निर्माण तत्कालीन पीएचई मंत्री भूपेश बघेल ने कराया था और मुख्यमंत्री के रूप में इस कार्यकाल में उन्होंने इसी तर्ज पर अन्य नालों को विकसित करने की योजना बनाई। मुख्यमंत्री के नरवा योजना के सलाहकार हिंगोरानी ने बताया कि गजरा नाला वाटरशेड में छोटे-छोटे स्ट्रक्चर तैयार किये गए। इसका बड़ा असर हुआ और यह आज तक प्रभावी है। खुशी की बात है कि इसे अब पूरी दुनिया अमल करने रुचि ले रही है।
इस तरह हुआ गजरा नाला वाटरशेड से बदलाव- वर्ष 2003 में जब इसका निर्माण हुआ। उस समय हैंडपंप में जलस्तर 17 से 31 मीटर तक गिर गया था। निर्माण पूरा होने के बाद से अब तक जलस्तर 4 से 12 मीटर तक बना हुआ है। उस दौरान हैंडपंपों की संख्या 436 थी जो बाद में बढ़कर 2079 हो गई। वर्ष 2003 में सिंचाई नलकूप 690 थे जो वर्ष 2019 तक बढ़ कर 5500 हो गए। इतने के बावजूद जलस्तर में किसी तरह की कमी नहीं आई अपितु 4 से 12 मीटर के लेवल में बना रहा। वर्ष 2003 में सिंचाई ट्यूबवेल के साथ कवरेज क्षेत्र 7 वर्ग किमी था जो बाद में 15-20 वर्ग किमी तक हो गया। वर्ष 2003 में औसत पंपिंग घंटे 3 से 5 घंटे थे जो बाद में बढ़कर 6 से 10 घंटे हो गये। पहले नाले की सतह में पानी केवल दिसंबर तक ठहरता था। अब पानी फरवरी-मार्च तक ठहरता है। इससे धान के उत्पादन में भी जबर्दस्त इजाफा हुआ।
योजनाओं का लाभ मिलने एवं आमदनी बढ़ने से मछुआरों में उत्साह, सामुदायिक बीज उत्पादन एवं मछली पालन मे मिली सफलता,
जांजगीर-चांपा / शौर्यपथ / राज्य सरकार ने सामुदायिक मत्स्य पालन को बढ़ावा देने एवं मछुआ सहकारी समितियों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए मत्स्य पालन विभाग के माध्यम से विभिन्न योजनाए संचालित की जा रही है। शासकीय योजनाओं का लाभ मिलने एवं आमदनी में वृद्धि होने से मछुआ समिति के सदस्यों में अभूतपूर्व उत्साह का माहौल है। जांजगीर-चांपा जिले के जैजैपुर विकासखण्ड के ग्राम भोथिया में मछली पालन करने वाले छोटे व्यवसायी ने नव जागृति मछुआ सहकारी समिति का गठन कर शासन की योजनाओं का लाभ लिया और अपनी आमदनी बढ़ायी। शासकीय तालाबों को 10 वर्षीय पट्टे पर लेकर मत्स्य बीज उत्पादन और मछली पालन कर आत्मनिर्भता की ओर अनवरत आगे बढ़े । आमदनी बढ़ने से समिति के सदस्यों का आत्मविश्वास बढ़ा है। वे अपने व्यवसाय विस्तार के लिए प्रोत्साहित हुए है।
समिति के अध्यक्ष श्री रामकुमार यादव ने बताया कि वे समिति के माध्यम से मछली बीज उत्पादन और मछली पालन का कार्य कर रहें है। समिति में 22 सदस्य है। पंचायत के शासकीय तालाबों को 10 वर्षीय पट्टे पर लेकर मछली पालन का कार्य किया जा रहा है। वर्तमान मे उनके पास कुल 11.460 हेक्टेयर जलक्षेत्र के 05 तालाब है। विभागीय योजनाओं से वर्ष 2019 मे स्पान संवर्धन योजना के तहत 25 लाख मत्स्य बीज स्पान संवर्धन किया गया। समिति के सदस्यों के आपसी सामंजस्य, काम के प्रति समर्पण एवं मेहनत से लगभग 10 लाख मत्स्य बीज स्टे.फ्राई का उत्पादन किया गया। जिसमे से 2.20 लाख मत्स्य बीज को पट्टे के तालाब मे संचयन किया। शेष 7.80 लाख मत्स्य बीज को निजी मत्स्य पालको को बिक्री की गई। मत्स्य बीज बेचने से उन्हें एक लाख रूपये की आय प्राप्त हुई। पट्टे के तालाब मे सवंर्धित मत्स्य बीज से 40 क्विंटल मछली का उत्पादन हुआ। जिसे बेचने से 4 लाख रूपये प्राप्त हुआ है। इस प्रकार समिति को बहुत कम समय मे ही 05 लाख रूपयें से अधिक की आमदनी हुई ।
समिति के सदस्यों की आमदनी बढ़ने से वे उत्साहित है। वे मछली पालन व्यवसाय को बढ़ावा देने के लिए सरकार के प्रति अभार व्यक्त किया है। उन्होने कहा कि छोटे मछली व्यवसायिओं को समिति के माध्यम से बडे़ स्तर पर व्यवसाय करने के लिए सरकार की योजना के तहत प्रोत्साहित किया जा रहा है। इससे मछली पालन के लिए इच्छुक युवाओं को प्रोत्साहन मिल रहा है। राज्य सरकार द्वारा किसानी को बढ़ावा देने के लिए संचालित विभिन्न योजनाओं से प्रेरित होकर कुषि के प्रति आकर्षित हो रहें है।
जनता की खुशहाली और राज्य के विकास को लेकर रखा सरकार का विजन
’उपयोगी निर्माण-जन हितैषी अधोसंरचनाएं और आपकी अपेक्षाएं’ विषय पर की चर्चा
राज्य के बहुमूल्य संसाधनों का उपयोग करके छत्तीसगढ़ के लोग भी समृद्ध और खुशहाल बने
सड़क, बिजली और सिंचाई संसाधनों के नेटवर्क को पूरा करने पर जोर
गौठान बन रहे हैं बहुआयामी सांस्कृतिक, आर्थिक गतिविधियों के केन्द्र
स्कूल शिक्षा में गुणात्मक सुधार का रोडमैप तैयार
स्थानीय संसाधनों में वेल्यू एडिशन से संबंधित पाठ्यक्रम उच्च शिक्षा संस्थानों में प्रारंभ करने की पहल
युवाओं में उद्यमिता के विकास के साथ रोजगार सृजन के प्रयास
छत्तीसगढ़ की नई जल संसाधन विकास नीति तैयार
चंदूलाल चन्द्राकर स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय को अधिग्रहित करने का फैसला
कांकेर, महासमुन्द और कोरबा जिले में खुलेंगे नए मेडिकल कॉलेज
रायपुर / शौर्यपथ / मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आज प्रसारित अपनी मासिक रेडियोवार्ता लोकवाणी की 15वीं कड़ी में ’उपयोगी निर्माण-जन हितैषी अधोसंरचनाएं और आपकी अपेक्षाएं’ विषय पर प्रदेश की जनता की खुशहाली और विकास को लेकर राज्य सरकार के विजन पर अपने विचार विस्तार से रखे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के बहुमूल्य संसाधनों का उपयोग करके छत्तीसगढ़ के लोग भी समृद्ध और खुशहाल बने। अधोसंरचना विकास के कार्यों में सड़क, बिजली और सिंचाई संसाधनों के नेटवर्क को पूरा करने पर जोर दिया गया है, ताकि अधोसंरचना विकास के कार्यांे का पूरा लाभ प्रदेश की जनता को मिल सके। गांव-गांव में महिला स्व सहायता समूह तथा प्रतिभावान युवाओं के नवाचार से प्रदेश में समृद्धि और खुशहाली का नए रास्ते बनाने की शुरूआत हो चुकी है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि गांव-गांव में ऐसी अधोसंरचनाएं तैयार की जा रही हैं। जिनका लाभ बड़े पैमाने पर लोगों को मिलता है। नरवा, गरवा, घुरवा, बारी प्रोजेक्ट की शुरूआत छत्तीसगढ़ की इन चार चिनहारी को बचाने के लिए की गयी। गौठान बहुआयामी सांस्कृतिक, आर्थिक गतिविधियों के केन्द्र बन रहें हैं। गांवों में बाड़ी की पुरानी परम्परा को वापस लाया जा रहा है। राज्य की सिंचाई क्षमता दोगुनी करने के लिए प्रदेश की नई जल संसाधन नीति तैयार करने का काम पूरा हो चुका है। वर्मी कम्पोस्ट से जैविक खेती को बढ़ावा मिलेगा। राज्य सरकार ने स्कूल शिक्षा में गुणात्मक सुधार का रोडमैप बनाया है। इसी तरह उच्च शिक्षा के क्षेत्र में विश्वविद्यालयों, महाविद्यालयों, कृषि शिक्षा और इंजीनियरिंग कॉलेजों में ऐसे पाठ्यक्रम प्रारंभ करने पर जोर दिया गया है, जिससे स्थानीय संसाधनों के वेल्यू एडिशन से उत्पादन का रास्ता बने। युवाओं में उद्यमिता का विकास हो और उन्हें रोजगार के बेहतर अवसर मिलंे। पर्यटन को बढ़ावा देकर स्थानीय विकास को गति देने और रोजगार के नए अवसर सृजित करने के प्रयास किए जा रहे हैं।
लोकवाणी में आम जनता से राज्य सरकार की योजनाओं पर मिलता है फीडबैक
मुख्यमंत्री ने लोकवाणी में श्रोताओं का अभिवादन करते हुए छत्तीसगढ़ी में कहा-सब्बो झन ला मोर जय जोहार, नमस्कार, जय सियाराम। लोकवाणी मं आके मोला अब्बड़ खुसी लागथे, काबर कि हमन सरकार मं बइठके जउन निरनय लेथन, वो बात ल आप सब झन कइसे समझथव, अऊ योजना मन ल कइसे अपनाथव, ऐखर बारे मं मोला सब जानकारी लोकवाणी ले हो जाथे। आप मन ले गोठ-बात करके हमर आत्मविश्वास घलो बाढ़थे, अऊ काम करेके नवा रद्दा घलो मिलथे। तेखर बर जम्मो ‘लोकवाणी’ सुनइया मन ल, गाड़ा-गाड़ा सुभकामना अऊ धन्यवाद।
श्रोताओं ने कहा ‘नरवा, गरवा, घुरवा और बारी’ प्रोजेक्ट से गांवों में मिली अधोसंरचना को दिशा
लोकवाणी के लिए रिकार्ड कराए गए अपने संदेश में बेमता के भूपेन्द्र कुमार शर्मा ने कहा कि नई सरकार बनने के बाद किसानों को काफी राहत मिली। महासमुंद जिले की बम्हनी ग्राम पंचायत की रूक्मणी पाल ने बताया कि उनके जय मां सरस्वती महिला स्व-सहायता समूह ने गोबर से 200 क्विंटल खाद बनाई, जिससे 1 लाख 77 हजार रुपए आय हुई। आरंग के नंद कुमार ने कहा कि ‘नरवा, गरवा, घुरवा और बारी’ प्रोजेक्ट से अधोसंरचना विकास की एक दिशा दिखी है।
जल संरक्षण और संवर्धन के लिए 30 हजार नरवा चिन्हांकित
मुख्यमंत्री ने श्रोताओं से रू-ब-रू होते हुए कहा कि निश्चित तौर पर ‘नरवा, गरवा, घुरवा, बारी’ हमारा ड्रीम प्रोजेक्ट है और इसकी शुरुआत हमने छत्तीसगढ़ की चार चिन्हारी को बचाने के लिए किया था। नरवा के काम में पंचायत और ग्रामीण विकास, जल संसाधन विकास विभाग, वन विभाग आदि की मदद ली जा रही है। लगभग 30 हजार नरवा चिन्हांकित किए गए हैं और लगभग 5 हजार नरवा विकास का काम काफी आगे बढ़ चुका है। गरवा को लोग सिर्फ गाय, दूध और पशुधन विकास तक ही समझते थे, हमने गरवा के माध्यम से गौठान की योजना बनाई। इस तरह लगभग 10 हजार गौठानों के निर्माण की मंजूरी दे चुके हैं, जिनमें से 5 हजार से ज्यादा गौठानों का निर्माण पूरा हो चुका है। अब गौठान की पहचान एक ऐसी अधोसंरचना के रूप में हो चुकी है, जो सिर्फ गायों को रोकने की जगह ही नहीं है बल्कि गोधन न्याय योजना के माध्यम से गोबर खरीदी केन्द्र, महिला स्व-सहायता समूह के माध्यम से वर्मी कम्पोस्ट बनाने और बेचने का केन्द्र, गोबर से अन्य कलात्मक वस्तुएं बनाने का केन्द्र भी विकसित हुआ है। एक तरह से गौठान बहुआयामी सांस्कृतिक, आर्थिक गतिविधियों के केन्द्र बन रहे हैं। मुझे यह देखकर खुशी होती है कि हमारे गांव-घर की बाड़ियों में उपजाई जाने वाली सब्जी-भाजी- फल कुपोषण मुक्ति का सहारा बन रहे हैं।
आगामी 5 वर्षों में राज्य की सिंचाई क्षमता दोगुनी करने का लक्ष्य
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी नरवा योजना प्रदेश में भू-जल की रिचार्जिंग का बहुत बड़ा साधन बन रही है। हमारे प्रयासों को भारत सरकार के जल शक्ति मंत्रालय द्वारा भी सराहा गया है। बिलासपुर और सूरजपुर जिले की परियोजनाओं को राष्ट्रीय पुरस्कार मिला है। हमने पुरानी जल संसाधन परियोजनाओं की कमियों को दूर किया ताकि वास्तविक सिंचाई का रकबा बढे़, इसके अलावा भी बड़ी-बड़ी नई योजनाएं हाथ में ली हैं। बोधघाट के अलावा शेखरपुर बांध, ढांडपानी बांध, रेहर अटेम जैसी 15 परियोजनाओं पर ध्यान दिया जा रहा था। हमारा लक्ष्य है कि आगामी 5 साल में प्रदेश में ऐसी जल अधोसंरचनाओं का विकास हो जाए, जिससे राज्य की सिंचाई क्षमता दोगुनी हो जाए। मैं यह खुशखबरी भी साझा करना चाहता हूं कि छत्तीसगढ़ की नई जल संसाधन विकास नीति तैयार करने का काम पूरा हो चुका है। जल्दी ही प्रदेश को नई जल संसाधन नीति के रूप में अधोसंरचना विकास की नई सौगात मिलेगी।
ग्रामीणों ने धान खरीदी केन्द्रों में चबूतरा निर्माण को बताया उपयोगी
लोकवाणी में ग्राम डबराखुर्द के श्री राजेश कुमार कनौजिया ने बताया कि ग्रामीण सेवा सहकारी समिति झाल खम्हरिया में और ग्राम कोसरंगी के श्री सोम प्रकाश साहू ने बताया कि धान खरीदी केन्द्रों में चबूतरा बनने से हमारा धान खराब नहीं होता है। इसके लिए उन्होंने मुख्यमंत्री को धन्यवाद दिया।
गौठानों में 61 हजार वर्मी कम्पोस्ट टंकी और करीब 5 हजार चारागाहों का निर्माण
मुख्यमंत्री ने लोकवाणी में कहा कि आप लोगों ने इस बदलाव को महसूस किया, उसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद। हम महात्मा गांधी नरेगा के साथ विभिन्न योजनाओं के अभिसरण से गांव-गांव में ऐसी अधोसंरचनाओं का विकास कर रहे हैं, जिसमें बहुत बड़े पैमाने पर लोगों को लाभ मिलता है। इस तरह एक ओर जहां हमने हजारों गौठानों के निर्माण की व्यवस्था की, वहीं गौठानों में लगभग 61 हजार वर्मी कम्पोस्ट टंकी बनवा चुके हैं। करीब 5 हजार चारागाह बनाए हैं। भवनविहीन आंगनबाड़ियों के लिए भवन बना रहे हैं। नवगठित ग्राम पंचायतों में पंचायत भवन बना रहे हैं। उसी प्रकार धान उपार्जन केन्द्रों में 8 हजार चबूतरे बनवाए गए हैं, जिसका जिक्र आप लोगों ने किया, इससे धान को सुरक्षित रखने में मदद मिल रही है। गांवों में ऐसी अधोसंरचनाओं की बहुत जरूरत है, जिससे हमारे ग्रामीण भाई-बहन और बच्चे गांवों में एक नई तरह की व्यवस्था महसूस कर सकें। वे देख सकें कि सरकार का काम खाली शहरी अधोसंरचना का विकास ही नहीं है, गांव वालों की जरूरतें पूरी करने के लिए भी बहुत से काम करना जरुरी है। मुझे खुशी है कि हमने सही समय में गांव वालों की जरूरतों की पहचान कर ली है और उसके अनुरूप निर्माण के निर्णय ले रहे हैं।
इंग्लिश मीडियम स्कूलों में कमजोर वर्ग के बच्चों को मिलेगी अच्छी शिक्षा
लोकवाणी में कोरबा के श्री कुश शर्मा ने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार ‘उपयोगी निर्माण और जनहितैषी अधोसंरचना’ के मामले में ऐसा विकास कर रही है, जो आम लोगों से सीधा जुड़ा है। राज्य सरकार के इंग्लिश मीडियम स्कूल शुरू करने के फैसले से आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों के लिए शिक्षा सुलभ हो पाएगी, इसके लिए मुख्यमंत्री जी धन्यवाद के पात्र हैं।
राज्य सरकार ने तैयार किया स्कूल शिक्षा में गुणवत्ता सुधार का रोडमैप
मुख्यमंत्री ने लोकवाणी में कहा कि हमने स्कूल शिक्षा में गुणवत्ता सुधार का एक रोडमैप बनाया है, जिसके अनुसार विभिन्न शालाओं में बहुत से कार्य किए जा रहे हैं, जिनसे बच्चों के व्यक्तित्व का सम्पूर्ण विकास हो, जिससे वे आगे चलकर डॉक्टर, इंजीनियर ही नहीं बल्कि शोधकर्ता, खिलाड़ी, प्रबंधक या अपनी रुचि के अनुसार कोई भी कैरियर अपना सकें। उन्होंने कहा कि महंगे और सजावटी विकास से किसी का भला नहीं होता, वास्तव में यह देखना चाहिए कि निर्माण की गुणवत्ता कैसी है और उससे सेवा की गुणवत्ता में कैसे सुधार होगा। ‘स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट अंग्रेजी माध्यम विद्यालय योजना’ का विचार ही इसलिए आया कि सरकारी स्कूलों को निजी स्कूलों के सामने सम्मानपूर्वक खड़ा किया जाए। ताकि सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले गरीब और मध्यमवर्गीय बच्चे उन सुविधाओं से वंचित न हों, जो उनके भविष्य निर्माण के लिए जरूरी हैं। इसलिए सरकारी क्षेत्र में हम इंग्लिश मीडियम स्कूल के माध्यम से वह सुविधाएं ला रहे हैं।
युवाओं में बढ़ा कृषि शिक्षा की ओर रुझान
इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर के कुलपति प्रो. एस. के. पाटिल ने कहा कि छत्तीसगढ़ में कृषि तथा उद्यानिकी को बढ़ावा मिलने से और 31 महाविद्यालयों का वृहद नेटवर्क खड़ा होने से युवाओं में कृषि शिक्षा की ओर रुझान बढ़ा है। उन्होंने मुख्यमंत्री को इसके लिए धन्यवाद देते हुए कहा कि अपने युवाओं में कौशल विकास हेतु विश्वविद्यालयों में उत्पादन केन्द्र तथा युवाओं की कंपनियां स्थापित करने का अभिनव विचार दिया है। इसके माध्यम से युवा, कृषि को एक व्यवसाय के रूप में लेने आगे आ रहे हैं। रायगढ़ के किरण मौर्य ने कहा कि रायगढ़ जिले में स्वर्गीय नन्दकुमार पटेल यूनिवर्सिटी शुरू होने से हम छात्र-छात्राओं को शिक्षा संबंधी कार्यों के लिये बिलासपुर नहीं जाना पड़ेगा।
विश्वविद्यालयों में उत्पादन केन्द्र तथा युवाओं में उद्यमिता विकास के कार्य की नई शुरूआत
मुख्यमंत्री बघेल ने इस संबंध में कहा कि मैं किसान परिवार से हूं। मैं किसान हूं, इसे गौरव का विषय मानता हूं, लेकिन एक लम्बे दौर में हमारे युवाओं के मन में यह बात बैठ गई है कि खेती-किसानी के बारे में चर्चा करना या उसमें अपना कैरियर ढूंढना कोई बहुत अच्छी बात नहीं है। खेती-किसानी को लेकर युवाओं के मन में सम्मान का भाव नहीं होने की एक बड़ी वजह थी कि खेती और उच्च शिक्षा के बीच की कड़ी ही मिसिंग थी। हार्वर्ड विश्वविद्यालय में भ्रमण के दौरान मेरे मन में यह बात आई थी कि विश्वविद्यालयों में उत्पादन केन्द्र तथा युवाओं में उद्यमिता विकास को लेकर कोई संरचनागत, संस्थागत काम होना चाहिए, जिसमें निरंतरता हो और युवाओं को कृषि से संबंधित रोजगार के नए अवसरों की जानकारी हो, उन्हें मार्गदर्शन व सहयोग मिले। छत्तीसगढ़ में यह शुरुआत एक सुखद संकेत है। इसलिए हमने यह तय किया कि उतने ही इंजीनियरिंग कॉलेजों को महत्व मिले जितने में गुणवत्ता से शिक्षा दी जा सके और उसमें भी ऐसे पाठ्यक्रम होने चाहिए जो स्थानीय संसाधनों के वेल्यू एडीशन से उत्पादन का रास्ता बनाएं। यह तो विडम्बना ही थी कि हमारे कृषि प्रधान राज्य में इंजीनियरिंग कॉलेजों की भरमार हुई लेकिन कृषि शिक्षा के कॉलेज समुचित संख्या में नहीं खोले गए, इसलिए हमने एग्रीकल्चर के साथ उद्यानिकी-वानिकी, डेयरी टेक्नोलॉजी, फूड प्रोसेसिंग, मछली पालन जैसे विषयों के लिए विश्वविद्यालय, महाविद्यालय और पॉलीटेक्निक खोलने पर जोर दिया है।
चंदूलाल चन्द्राकर स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय को अधिग्रहित करने का फैसला
कांकेर, महासमुन्द और कोरबा जिले में खुलेंगे नए मेडिकल कॉलेज
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने लोकवाणी में कहा कि कोविड के दौरान हमने महसूस किया कि प्रदेश में और अधिक मेडिकल कॉलेजों की जरूरत है। दुर्ग जिलेे का चंदूलाल चन्द्राकर स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय निजी क्षेत्र में चलना मुश्किल हो रहा था, उसे हमने अधिग्रहित करने का फैसला लिया ताकि सरकारी चिकित्सा शिक्षा अधोसंरचना को बढ़ाया जा सके। तीन जिलों कांकेर, महासमुन्द और कोरबा में हम नए मेडिकल कॉलेज खोल रहे हैं, इस तरह उच्च शिक्षा की अधोसंरचना में जो अभाव थे, उसे पूरा करने और प्रदेश के युवाओं को बेहतर भविष्य बनाने में मदद करने का हमारा प्रयास है।
राज्य सरकार द्वारा पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए किए जा रहे कार्यों पर सकारात्मक प्रतिक्रिया देते हुए जशपुर के मदन तिर्की ने कहा कि जशपुर के बालाछापर सरना में एथनिक रिसॉर्ट और कवर्धा में सरोधा दादर रिसॉर्ट बनने से आदिवासी पिछड़े अंचल में पर्यटन विकास के अवसर पैदा हो रहे हैं। रायपुर की प्रार्थना तिवारी ने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार उपयोगी निर्माण और जनहितैषी अधोसंरचना के मामले में हमारी अपेक्षाओं पर खरे उतर रही है। क्योंकि हमारा भी मानना है कि कोई निर्माण या इंफ्रास्ट्रक्चर ऐसा हो जो लोगों से जुड़ा हो, निर्माण कार्य केवल शो के लिए नहीं होना चाहिए। पिछले 2 सालोें में यह बदलाव देखने को मिल रहा है कि लोगों की भागीदारी एवं उनकी उपयोगिता को ध्यान दिया जा रहा है।
पर्यटन विकास से मिलेगी स्थानीय विकास को गति
मुख्यमंत्री ने पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए किए जा रहे कार्यो के संबंध में लोकवाणी में कहा कि प्रदेश में एक दौर ऐसा आया था, जब पर्यटन को कुछ प्रचलित केन्द्रों में ही समेटकर रखने और मॉल कल्चर में ढालने के प्रयास हो रहे थे। दुनिया में अपनी प्राचीन धरोहरों को सहेजने और प्राकृतिक सुन्दरता के स्थानों में अधोसंरचना के विकास के प्रयासों को सराहा जाता है। लेकिन छत्तीसगढ़ में ऐसा नहीं हो रहा था, इसलिए हमने पर्यटन विकास की संभावनाओं को बहुत बड़े फलक में आकार देने का प्रयास किया है। इस क्रम में जशपुर जिले के सरना-बालाछापर तथा कोइनार-कुनकुरी में, बिलासपुर जिले के कुरदर में, कोण्डागांव जिले के धनकुल में, कांकेर जिले के नथिया नवागांव में एथनिक रिसॉर्ट, सरगुजा जिले के महेशपुर में साइट एमेनिटी का विकास किया जा रहा है। सिरपुर को ऐतिहासिक बौद्ध पर्यटन स्थल के रूप में विश्व के मानचित्र में स्थान दिलाने का प्रयास किया जा रहा है। वाटर टूरिज्म तथा एडवंेचर टूरिज्म के लिए कोरबा जिले के सतरेंगा, धमतरी जिले के मेडम सिल्ली डेम जिसका नामकरण हमने बाबू छोटे लाल श्रीवास्तव के नाम पर किया है तथा रविशंकर डेम गंगरेल, गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही जिले के मलानिया जलाशय, कांकेर जिले के दुधावा जलाशय, महासमुन्द जिले के कोडार डेम, बिलासपुर जिले में संजय गांधी जलाशय खुंटाघाट-रतनपुर में अधोसंरचना का विकास किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि राम वनगमन पथ में आने वाले 75 स्थानों का चयन अधोसंरचना विकास के लिए किया गया है, जिसके प्रथम चरण में 9 स्थानों जैसे सीतामढ़ी हरचौका, रामगढ़, शिवरीनारायण, तुरतुरिया, चंदखुरी, राजिम, सिहावा सप्तऋषि आश्रम, जगदलपुर तथा रामाराम में समुचित अधोसंरचना के विकास का काम शुरू किया गया है। दामाखेड़ा में कबीर सागर के विकास का काम हाथ में लिया गया है। सूरजपुर की पहाड़ी में स्थित बागेश्वरी मंदिर और कुदरगढ़ में रोप वे सहित समुचित अधोसंरचना का विकास किया जा रहा है। रायपुर का बूढ़ातालाब एक ओर जहां आदिवासी समाज के पूज्य बूढ़ादेव की याद दिलाता है, वहीं स्वामी विवेकानंद के रायपुर प्रवास की स्मृति भी ताजा करता है। इस तरह हमने आम जनता के लिए किफायती और स्वस्थ मनोरंजन स्थलों के विकास को प्राथमिकता दी है, जो हमारे प्रदेश की सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक विशेषताओं से मेल खाते हैं। मुझे विश्वास है कि पर्यटन विकास को लेकर हमारी सोच का लाभ बड़े पैमाने पर मिलेगा, इससे स्थानीय विकास में बहुत गति मिलेगी तथा नए रोजगार के अवसर भी बनेंगे।
राज्य सरकार की अधोसंरचना विकास की नई सोच पर अपने विचार रखते हुए रायपुर के श्री नवीन अग्रवाल ने कहा कि ये सुनकर बहुत अच्छा लगता है कि बस्तर के दंतेवाड़ा जैसे सुदूर इलाके में सरकार के सहयोग से रेडीमेड कपड़ों की इंडस्ट्री खुली है और डेनेक्स ब्रांड लांच हुआ है। उन्होंने सड़क, बिजली और कनेक्टीविटी को लेकर मुख्यमंत्री का विजन जानना चाहा। कोरबा जिले की गेवरा की गीत तिवारी ने कहा कि छत्तीसगढ़ की ‘नवा चिन्हारी सस्ता बिजली जम्मो दुआरी’। आपने हम सबको देश में सबसे सस्ती बिजली, वह भी आधी कीमत पर उपलब्ध कराई है।
मुख्यमंत्री ने इन श्रोताओं जिज्ञासा के संबंध में कहा कि मुझे यह सुनकर अच्छा लगा कि दंतेवाड़ा के ब्रांड डेनेक्स की धमक राजधानी रायपुर में ठीक ढंग से सुनी गई। मैं आपकी बात से सहमत हूं कि छत्तीसगढ़ कंज्यूमर नहीं बल्कि उत्पादक राज्य है। आपको याद होगा कि मैंने बिजली के बारे में कहा था कि हमें सिर्फ उत्पादक राज्य नहीं बने रहना है, बल्कि उपभोक्ता राज्य भी बनना है। मैं नहीं चाहता कि हमारे राज्य के बहुमूल्य संसाधनों का उपयोग करके देश और दुनिया के दूसरे हिस्से के लोग तो समृद्ध और खुशहाल हो जाएं लेकिन छत्तीसगढ़ के लोग हमेशा संघर्ष ही करते रहें।
मेरा मानना है कि बांध बनें तोे नहर-नालियों का निर्माण उसके साथ जुड़ा होना चाहिए। बिजली का उत्पादन ठीक से हो तो उसे कारखानों, अस्पतालों, घरों, दफ्तरों, खेतों में पहुंचाने के लिए पूरा नेटवर्क बनें। सड़कों का नेटवर्क पुल-पुलियों के बिना अधूरा है। लोगों से जुड़े सरकारी काम-काज के लिए भवन बनंे तो वहां पहुंचने के लिए सड़कें भी चाहिए। अगर ऐसा नहीं होता तो निर्माण पर लगी मोटी रकम बरबाद हो जाती है। दुर्भाग्य से पिछले डेढ़-दो दशक में छत्तीसगढ़ को ऐसी ही परिस्थितियों से दो-चार होना पड़ा था। इसलिए हम चंद महंगी और सजावटी सड़कों-भवनों की बात नहीं करना चाहते। बल्कि नेटवर्क कम्पलीट करने के बारे में बात करते हैं। अधोसंरचना विकास को लेकर मेरी यही सीधी और स्पष्ट सोच है।
जवाहर सेतु योजना में बनाए जा रहे है 200 बड़े पुल-पुलिया
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने ‘जवाहर सेतु योजना’ लाई जो सड़कों को पुल-पुलियों से जोड़ने की योजना है। दो साल में हमने लगभग 200 बड़े पुल-पुलिया बनाने का काम हाथ में लिया और उसे पूरा कर रहे हैं।
‘मुख्यमंत्री सुगम सड़क योजना’: सरकारी दफ्तरों को जोड़ने बन रहीं 2200 सड़कें
मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि हमने ‘मुख्यमंत्री सुगम सड़क योजना’ लाई, जिसके तहत लगभग 2200 ऐसी सड़कें बना रहे हैं, जो सरकारी दफ्तरों को जोड़ती हैं। बिजली में भी हमने ऐसा ही किया। जहां किसी प्राकृतिक आपदा या दुर्घटना से ब्लैक आउट हो जाता था, उन अंचलों में बिजली के ट्रांसमिशन और डिस्ट्रीब्यूशन का नेटवर्क पूरा किया, जिससे वहां दोहरी-तिहरी ओर से आपूर्ति की व्यवस्था हो जाए। बस्तर इसका एक बड़ा उदाहरण है। इसके साथ पूरे राज्य में बिजली उप केन्द्रों, पारेषण व वितरण लाइनों का जाल बिछा रहे हैं, जिसके कारण बसाहटों में विद्युतीकरण का नया कीर्तिमान बना है और बिजली बिल हाफ करने का वादा निभाना भी संभव हुआ है। उन्होंने कहा कि इस तरह हमने राज्य की अधोसंरचना को संतुलित और विस्तृत करने पर जोर दिया ताकि यह विश्वसनीय बने।
नई उद्योग नीति स्थानीय संसाधनों के वेल्यू एडीशन के आधार पर
मुख्यमंत्री ने कहा कि स्थानीय संसाधनों के वेल्यू एडीशन के आधार पर ही हमने नई उद्योग नीति बनाई। प्रदेश में राजस्व प्रशासन को सरल बनाया। हमारी इस कार्यप्रणाली और विश्वसनीयता के कारण खनिज, कृषि- उपज, वनोपज जैसे अन्य संसाधनों के बारे में निवेशकों की समझ बढ़ी। यही वजह है कि जब दुनिया में आर्थिक तंगी का शोर था तब हमारे छत्तीसगढ़ के बाजारों में जोर था। हमारी जमीनी सोच और वास्तविकता के धरातल पर रहकर, सही कदम उठाने की नीतियों से ही छत्तीसगढ़ दुनिया का पसंदीदा निवेश स्थल बन रहा है। मुझे विश्वास है कि इसी रास्ते पर चलते हुए अनेक नए ब्रांड छत्तीसगढ़ की धरती से ही उपजेंगे। गांव-गांव में महिला स्व-सहायता समूह तथा प्रतिभावान युवाओं के नवाचार से एक नया रास्ता बनना शुरू हो चुका है।
लोकवाणी में बस्तर जिले के मनीष मूलचन्दानी ने बस्तर जैसे दूरस्थ अंचल में राज्य सरकार की पहल से वायुयान सेवा प्रारंभ होने को सुखद बताया। इसी तरह बस्तर के श्री रेणुकांत जोशी ने जगलदपुर के महारानी अस्पताल को सर्वसुविधायुक्त और निजी अस्पताल के जैसा बनाने के लिए मुख्यमंत्री के प्रति आभार जताया।
बस्तर से देश की सर्वाधिक वनोपज खरीदी
मुख्यमंत्री ने इस संबंध में कहा कि बस्तर से ऐसी खबरें सुनने के लिए बरसों से हमारे कान तरस रहे थे। मेरा मानना है कि नीति आयोग देश के 115 आकांक्षी जिलों की डेल्टा रैंकिंग में बीजापुर को पहला स्थान देता है। अलग-अलग मापदण्डों में जब कोण्डागांव, नारायणपुर, सुकमा जैसे जिले, देश में अव्वल आते हैं तो इसके पीछे किसी अधोसंरचना का योगदान होता है। जब लॉकडाउन के दौरान बस्तर से देश की सर्वाधिक वनोपज खरीदी होती है या पूरे प्रदेश में समर्थन मूल्य पर धान खरीदी का नया कीर्तिमान बनता है तो भी एक अधोसंरचना ही काम करती है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने मानव विकास की जिस अधोसंरचना के निर्माण का सपना देखा है, उसकी हमारे प्रदेश के ग्रामीणों, अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति और पिछड़े वर्ग, कमजोर और मध्यम वर्ग, माताओं, बहनों, बच्चों, जवानों की आंखों में दिखने लगी है और इसी चमक के रास्ते से पूरा प्रदेश, एक नई तरह की जगमगाहट पैदा कर रहा है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ को भविष्य में उत्पादक राज्य भी बनना है और उपभोक्ता राज्य भी यही है हमारा ‘गढ़बो नवा छत्तीसगढ़।’
रायपुर / शौर्यपथ / मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अध्यक्षता में आज यहां उनके निवास कार्यालय में मंत्रिपरिषद की बैठक आयोजित की गई। बैठक में निम्नानुसार महत्वपूर्ण निर्णय लिए गएः-
*1 प्रदेश के सभी स्कूलों में 9वीं से 12वीं तक की कक्षायें तथा विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों की कक्षाएं सोेमवार 15 फरवरी से प्रारंभ करने का निर्णय लिया गया। इसके साथ ही राज्य में कौशल विकास के सभी प्रशिक्षण कार्यक्रम भी शुरू करने का निर्णय लिया गया। कक्षाओं में कोरोना महामारी के संक्रमण से बचाव के लिए केन्द्र एवं राज्य सरकार द्वारा समय-समय पर जारी सभी निर्देशों का पालन किया जाएगा।
*2- बस्तर संभाग के सभी जिलों में ‘‘बस्तर फाईटर्स‘‘ विशेष बल के गठन का निर्णय लिया गया।
*3- सभी वर्गो के आवासहीनों को आवास उपलब्ध कराने प्रदेश के सभी जिलों में ‘‘राजीव नगर आवास योजना‘‘ का क्रियान्वयन करने का निर्णय लिया गया। जिसके तहत छत्तीसगढ़ गृह निर्माण मण्डल को एक रूपए प्रति वर्गफीट की दर से शासकीय भूमि उपलब्ध करायी जाएगी। इस योजना के तहत राज्य के सभी शहरी, अर्द्धशहरी और बड़े कस्बों में एक लाख आवासीय भवन बनाए जाएंगे।
*4- गोधन न्याय योजना के तहत गोठान समिति एवं स्व सहायता समूहों को आत्मनिर्भर बनाने के संबंध में महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया। जिसके तहत प्रति किलो वर्मी कम्पोस्ट के विक्रय दर की राशि 10 रूपए में से गोबर (2.5 किलोग्राम) क्रय की लागत राशि 5 रूपए संबंधित गोठान समित को दिया जाएगा। इसी प्रकार प्रसंस्करण और पैकेजिंग पर व्यय राशि 0.65 रूपए संबंधित समूह को दिया जाएगा। वर्मी कम्पोस्ट के विपणन के लिए लैम्पस या पैक्स एवं सहकारी बैंक को कमीशन की राशि क्रमशः 0.45 रूपए और 0.05 रूपए, इस तरह कुल 0.50 रूपए प्रति किलोग्राम दिया जाएगा। बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि प्रति किलो वर्मी कम्पोस्ट विक्रय दर से प्राप्त संभावित लाभांश राशि को 85ः15 के अनुपात में स्व सहायता समूह एवं गोठान समितियों को दिया जाएगा।
*5- नवा रायपुर अटल नगर में अच्छे शैक्षणिक संस्थानों के विकास के लिए ऐसे सेक्टर्स, जिनका सेक्टर स्तर पर विस्तृत अभिन्यास तैयार नही किया गया है, में शैक्षणिक प्रयोजन हेतु प्रीमियम दर 3706 प्रति वर्ग मीटर के स्थान पर 2475 प्रति वर्गमीटर करते हुए निविदा के माध्यम से आबंटन करने का निर्णय लिया गया। यह दर 31 मई 2022 तक प्रभावशील रहेगी।
*6- नवा रायपुर अटल नगर में निवेश, रोजगार और बसाहट को प्रोत्साहित करने सेक्टर स्तर पर अधोसंरचना के विकास शुल्क के पुर्ननिर्धारण के प्रस्ताव का अनुमोदन किया गया। जिसके तहत प्रीमियम दरों में औसतन 10 से लेकर 21 प्रतिशत तक की कमी की गई है।
*7- नवा रायपुर अटल नगर में निवेश, रोजगार एवं बसाहट को प्रोत्साहित करने के लिए विभिन्न परियोजनाओं हेतु रियायती प्रीमियम दर पर भूखण्ड आबंटन के प्रस्ताव का अनुमोदन किया गया।
*8- तेन्दूपत्ता के व्यापार से प्राप्त शुद्ध आय में से 15 प्रतिशत राशि का संग्राहक समितियों को अराष्ट्रीयकृत लघु वनोपजों के व्यापार के साथ-साथ लाख पालन हेतु भी उपलब्ध कराने का निर्णय लिया गया। समितियों द्वारा यह कार्य छ.ग. राज्य लघु वनोपज संघ के मार्गदर्शन में किया जाएगा।
*9- लघु वनोपज आधारित प्रसंस्करण उद्योगों की स्थापना के लिए राज्य शासन, छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज संघ एवं निजी निवेशकों के मध्य किए जाने वाले एमओयू के प्रारूप का अनुमोदन किया गया।
*10- कैम्पा मद से राज्य के वनक्षेत्रों में डी.जी.पी.एस. सर्वे कार्य कराए जाने का निर्णय लिया गया।
*11 बंदी अधिनियम-1900 की धारा 31-क के उप नियम (एक) एवं (दो) में संशोधन के प्रारूप का अनुमोदन किया गया।
*12 राज्य के अधीन औद्योगिक संस्थानों को शासन द्वारा जिस स्त्रोत ( शासकीय/नैसर्गिक/स्वनिर्मित आदि) से जल आबंटन/प्रदाय करने की स्वीकृति दी गई है, उसी स्त्रोत हेतु शासन द्वारा समय-समय पर निर्धारित जल दर ही लागू करने का निर्णय लिया गया।
*13 छत्तीसगढ़ में दूरसंचार अवसंरचना के विकास के लिए तार मार्ग के अधिकार (राइट आॅफ वे) की नीति -2021 के प्रारूप का अनुमोदन किया गया।
*14- सार्वजनिक वितरण प्रणाली के लिए आवश्यक शक्कर का क्रय फरवरी 2021 से एक वर्ष के लिए खुली निविदा के माध्यम से किए जाने के निर्णय का अनुमोदन किया गया।
*15 जल जीवन मिशन के क्रियान्वयन के लिए एकल/समूह में ग्राम की नल जल योजना या रेट्रोफिटिंग कार्यो (ग्राम के अंदर के कार्यो) का एकल/समूह में निविदा के माध्यम से 5 करोड़ तक के वित्तीय अधिकार जिला जल एवं स्वच्छता मिशन को सौंपने का निर्णय लिया गया है। इसी तरह समूह जल प्रदाय योजनाओं के अंतर्गत (ग्राम के बाहर के कार्यो) विभिन्न कार्यो के क्रियान्वयन से संबंधित समस्त अधिकार राज्य जल एवं स्वच्छता मिशन को सौपा गया है।
*16- श्री शंकराचार्य आश्रम मानव सेवा तथा जनकल्याण हेतु ग्राम बोरियाकला तहसील व जिला रायपुर में आबंटित भूमि की निर्धारित प्रब्याजि एवं भू-भाटक राशि को माफ कर टोकन दर पर आबंटित करने का निर्णय लिया गया।
*17-रायपुर विकास प्राधिकरण को शासकीय भूमि पर निर्मित संपत्तियों को एक रूपए प्रति वर्गफुट की दर से आबंटन करने का निर्णय लिया गया।
*18- छत्तीसगढ़ आबकारी नीति वित्तीय वर्ष 2021-22 के प्रस्ताव का अनुमोदन किया गया।
*19- छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण एवं अन्य पिछड़ा वर्ग क्षेत्र विकास प्राधिकरण पुनर्गठन नियम-2020 में संशोधन के प्रारूप का अनुमोदन किया गया।
*20- छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण एवं अन्य पिछड़ा वर्ग क्षेत्र विकास प्राधिकरण निधि नियम-2020 के प्रारूप का अनुमोदन किया गया।
*21- तृतीय अनुपूरक अनुमान वर्ष 2020-2021 का विधानसभा में उपस्थापन बावत छत्तीसगढ़ विनियोग विधेयक, 2021 के प्रारूप का अनुमोदन किया गया।
*22- बजट अनुमान वर्ष 2021-2022 का विधानसभा में उपस्थापन बावत् छत्तीसगढ़ विनियोग विधेयक, 2021 के प्रारूप का अनुमोदन किया गया।
*23- छत्तीसगढ़ पंचम विधानसभा के दशम् सत्र माह फरवरी-मार्च 2021 हेतु माननीया राज्यपाल के अभिभाषण के प्रारूप का अनुमोदन किया गया।