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- जैविक विधि से पोषक तत्वों से भरपूर प्राचीन पैगम्बरी सोनामोती गेहंू, देशी बंशी गेहूं, जिंक बायो फोर्टिफाइड गेहंू, ब्लैक राइस, रेड राइस, ग्रीन राइस, जिंक राइस, बासमती, काला नमक किरण, विष्णुभोग, श्यामला, लायचा धान की ले रहे उपज
- गोधन वर्मी कम्पोस्ट का कर रहे उपयोग, कृषि विभाग के सहयोग से कराया नलकूप खनन
- जैविक उत्पाद स्वास्थ्य के लिए है लाभप्रद, कई बीमारियों में विशेष है उपयोगी
राजनांदगांव / शौर्यपथ / जैविक खेती को अपनाकर डोंगरगांव विकासखण्ड के ग्राम सोमाझिटिया के प्रगतिशील कृषक श्री खेमलाल देवांगन ने समृद्धि की दिशा में कदम बढ़ाए हैं। उनके जीवन में परिवर्तन आया कृषि विभाग के कृषि मेला में पहुंचकर जहाँ वेस्ट डी कम्पोजर के कल्चर नि:शुल्क प्रदान किया जा रहा था। वैज्ञानिक पद्धति से कृषि करने के विचारों को सुनकर वे प्रभावित हुए। उन्होंने कहा कि लघु धान्य फसलों को बढ़ावा देने के लिए शासन द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य में खरीदने की पहल सराहनीय है। वे अभी अपने खेतों में जैविक विधि से पोषक तत्वों से भरपूर प्राचीन पैगम्बरी सोनामोती गेहूँ, देशी बंशी गेहूँ, जिंक बायो फोर्टिफाइड गेहूँ, काला गेहूँ (शुगर फ्री), खपली गेहूँ, ब्लैक राइस, रेड राइस, ग्रीन राइस, जि़ंक राइस, बासमती, काला नमक किरण, विष्णुभोग, श्यामला, लायचा धान की उपज ले रहे हैं, जिनकी मार्केट में खासी डिमांड है और वे अन्य राज्यों में भी निर्यात कर रहे हैं। ये जैविक उत्पाद स्वास्थ्य के लिए लाभप्रद हैं और कई बीमारियों में विशेष उपयोगी हैं। जैविक खेती के लिए उनका जज्बा देखकर यह पंक्तियां उपयुक्त लगती हैं-
उठो ये मंजर-ए-शब-ताब देखने के लिए
कि नींद शर्त नहीं ख्वाब देखने के लिए
कृषक श्री खेमलाल देवांगन ने कृषि विभाग के सहयोग से नलकुप खनन योजनांतर्गत एक नलकुप खनन करवाया जिसमें में अस्थाई विद्युत कनेक्शन लेकर लगभग 8 एकड़ जमीन की सिंचाई कर रबी सीजन में काला गेंहूं, शरबती गेंहॅू एवं गेंहॅू की प्रचानी एवं देशी वेरायटी में प्राचीन पैगंबरी सोना मोती गेहूँ, देशी बंसी गेहूं की फसल पूर्ण जैविक विधि से लेने लगे। जिससे फसल क्षेत्र में वृद्धि हुई और जैविक गेहूँ के बीज एवं आटा की मार्केटिंग से आय में वृद्धि हुई। उन्होंने बताया कि सरकार ने राजीव गांधी किसान न्याय योजना के अंतर्गत धान की सुंगधित वेरायटी लगाने पर इनपुट सब्सिडी दिये जाने का प्रावधान किया है, जिसमें मैनें 4.36 एकड़ पर सुगंधित धान की फसल लगाकर इस योजना में सहभागिता निभाई है, जिससे मुझे लगभग 40 हजार रूपए का अनुदान प्राप्त होगा, जो मेरी अतिरिक्त आमदनी होगी। उन्होंने बताया कि पहले वे अपनी पैतृक जमीन पर वर्षा आधारित धान की फसल रासायनिक खेती करते थे। लेकिन वर्ष 2015 में धान की रासायनिक खेती में वेस्ट डिंकपोजर के कल्चर का उपयोग सिंचाई में करने यूरिया, डीएपी एवं पोटाश की कम मात्रा में उपयोग करने के बावजूद उत्पादन प्रभावित नहीं हुआ। धान को बालियों की लबांई, दानों का वजन, कटाई तक धान के पौधे का नहीं गिरना जैसे आश्चर्यजनक परिणाम से प्रभावित होकर वे जैविक खेती की ओर अग्रसर हुए। शासन की नरवा, घुरवा, गरवा, बाड़ी के योजना अंतर्गत गोधन वर्मी कम्पोस्ट एवं सुपर कंपोस्ट खरीदकर जैविक खेती में मुख्य एवं सूक्ष्म पोषक तत्वों की पूर्ति हेतु उपयोग कर रहे हैं। वेस्ट डिंकपोजर की सहायता से 200-200 लीटर के ड्रम में तैयार तरल घोल को खेतों तक ले जाने में कठिनाई को देखते हुए उन्होंने 8 एकड़ में चौड़ा रास्ता बनाया एवं बोरवेल पंप के बाजू में एक पंप हाउस का निर्माण कराया ताकि सभी जैविक तरल घोल को ड्रम में बनाकर खेतों एवं फसलों पर सिंचाई या स्प्रे के माध्यम से आसानी से दे सकें।
उन्होंने बताया कि बोरवेल पंप को मोबाइल से कॉल करके चालू एवं बंद करने हेतु मोबाईल पंप स्टार्टर इंस्टाल किया है। जिसमें छोटे बड़े खेतों में जितनी पानी की आवश्यकता हो उतने समय तक पंप चालू रखकर पानी को संरक्षित करने का प्रयास किया है। इस स्टार्टर को खेत में उपस्थित नहीं रहने पर भी दुनिया के किसी भी कोने से मोबाइल नेटवर्क रहने पर पंप को चालू एवं बंद किया जा सकता है। बिजली बंद होने पर आपरेट किया जा सकता है।
राजानवागांव का बिहान कैंटीन बना महिलाओं के लिए आजीविका का नया स्रोत
कवर्धा / शौर्यपथ /जीवन में आगे बढ़ने की इच्छा यदि हो तो रास्ते अपने आप खुल ही जाते हैं। आर्थिक रूप से तरक्की करना हर व्यक्ति का सपना होता है और अपने प्रतिदिन के आवश्यकता की पूर्ति के लिए घर के पास ही काम करने का अवसर मिले तो यह और बेहतर हो जाता है। अपने परेशानियों को अवसर में बदलने की यह कहानी है ग्राम पंचायत राजानवागांव के महिला स्व. सहायता समहू की जिन्हें विभागीय अभिसरण का लाभ मिलने से जीवन में बदलाव आने लगा है। जिले के विकासखंड बोडला के ग्राम पंचायत राजानवागांव में राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन बिहान के तहत कार्य कर रही भारत माता स्व सहायता समूह की महिलाएं बिहान कैंटीन के नाम से स्वल्पाहार केंद्र चला रही हैं। प्रतिदिन एक हजार रुपये से बारह सौ रुपये तक की आमदनी महिलाओं को हो रही है। भोरमदेव आजीविका केंद्र के पास संचालित बिहान कैंटीन में आसपास के क्षेत्रों के ग्रामीणों एवं राहगीरों को गरमा-गरम चाय, नाश्ता मिल रहा है जिसमें समोसा, बड़ा, भजिया एवं चाय आदि की सुविधा प्राप्त हो रही है।
बिहान कैंटीन की आमदनी से हम महिलाएं आर्थिक रूप से मजबूत होकर अपने परिवार की जरूरतों को पूरा करने में हो रही है सफल : उर्मिला धुर्वे
बिहान कैंटीन को चलाने वाली उर्मिला धुर्वे बताती है कि राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन बिहान के द्वारा भारत माता स्व सहायता समूह से जुड कर कार्य कर रही है। हम चार महिलाएं जिसमें सुनीता श्रीवास, इंद्राणी मरकाम एवं अन्य मिलकर बिहान कैंटीन का संचालन कर रही है। कैंटीन को चलाने के लिए अपने ग्राम संगठन से 30 हजार रुपये का लोन लिया है, जिससे कैंटीन में लगने वाले जरूरी बर्तनों एवं खाद्य सामग्री की व्यवस्था की गई। उर्मिला आगे बताती है कि मैं अपने समूह में सचिव के रूप में कार्य करती हूं और हमारा कैंटीन राजानवागांव में सड़क पर धान खरीदी केंद्र के पास है। प्रतिदिन सुबह से लेकर शाम तक नाश्ता खाने वालों की भीड़ लगी रहती है जिसके कारण हमें भी अच्छी आमदनी हो रही है। हम प्रतिदिन एक हजार रुपए से लेकर 12 सौ रुपए तक कमाई आ रही हैं। इस तरह हम चारों महिलाओं को प्रतिदिन लगभग 3 सौ रुपये की आमदनी हो जाती है जो हमारे परिवारिक जरूरतों के काम आता है। बिहान के सहायता से हम महिलाएं आर्थिक रूप से मजबूत हो रही है।
विभागीय अभिसरण ने आजीविका के खोले नए द्वार : सीईओ जिला पंचायत
जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री विजय दयाराम के. ने बताया कि भोरमदेव आजीविका केंद्र से लगकर महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के द्वारा महिला स्व सहायता समूह के लिए शेड निर्माण कार्य कराया गया। इस कार्य की स्वीकृति वित्तीय वर्ष 2020-21 के अगस्त माह में की गई। 7 लाख 30 हजार रुपये की लागत से हुए इस कार्य में 335 मानव दिवस रोजगार का सृजन हुआ जिसमें ग्रामीणों को रोजगार मिला। इस कार्य से महिलाओं के लिए बिहान कैंटीन के रूप में रोजगार के साथ आजीविका का नया अवसर खुला है। उन्होंने बताया कि इस कैंटीन के बन जाने से चार महिलाएं प्रतिदिन लगभग तीन-तीन सौ रुपये की आमदनी अर्जित कर रही है जो उन्हें आर्थिक रूप से सक्षम बनाते हुए आजीविका का पर्याय बन गया है। विभागीय अभिसरण से हो रहे इस कार्य के द्वारा शासन की मंशा अनुरूप ग्रामीण महिलाएं लाभान्वित हो रही है और साथ ही वो अपने परिवार की तरक्की में भागीदारी निभा रही हैं। ग्रामीण विकास विभाग की योजनाएं को सफल सिद्ध करता बिहान कैंटीन मॉडल के रूप में पहचान बनाने लगा है।
धान खरीदी केंद्र में आए किसानों को बिहान कैंटीन से मिलता है गर्म नाश्ते की सुविधा
ग्राम राजानवागांव में किसानों से धान खरीदी का कार्य चल रहा है। इस कारण सुबह से ही देर शाम तक किसानों की भीड़ खरीदी केंद्र में रहती है। ऐसे वक्त में क्षेत्र के किसानों को बिहान कैंटीन से बहुत फायदा मिल रहा है, क्योंकि मात्र 10 रुपये प्रति प्लेट की दर से ग्रामीणों को दिन भर गर्म नाश्ता प्राप्त होता है। बिहान कटिंग के कारण किसानों को धान खरीदी केंद्र से कहीं दूर जाने की जरूरत नहीं पड़ती क्योंकि बिहान कैंटीन धान खरीदी केंद्र के पास ही है और सस्ते दर पर नाश्ता मिलने से ग्रामीणों का फायदा हो जाता है।
उत्तर बस्तर कांकेर / शौर्यपथ / प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सरकार द्वारा चलाई जा रही जनकल्याणकारी योजना का लाभ मिलने से श्रीराम नगर कांकेर निवासी श्रीमती रानी सेन के चेहरे पर नई मुस्कान आ गई है। असंगठित कर्मकार मृत्यु एवं दिव्यांग सहायता योजना के तहत श्रम विभाग के माध्यम से उन्हें एक लाख रुपए की सहायता राशि मृतक की पत्नी के खाते में आॅनलाइन हस्तांतरित किया गया है।
श्रीमती रानी सेन बताती है कि उनके पति संतोष कुमार सेन मजदूरी करते थे, स्वास्थ्य खराब हो जाने के कारण उनका निधन हो गया, ऐसे में परिवार का पूरा जिम्मा रानी सेन पर आ गया। पति के गुजर जाने के बाद परिवार के सभी सदस्यों के भरण पोषण का जिम्मा उठाना एक अकेली महिला के लिए कष्टदायी होता है। पति के दिवंगत हो जाने के पश्चात् परिवार में दो बच्चों की देखरेख, उनकी पढ़ाई का खर्च और घर चलाने की पूरी जिम्मेदारी जब रानी पर आई तो उनका घबराना स्वभाविक था, लेकिन उन्होंने हिम्मत दिखाते हुए जीवन के इस कठिन समय का सामना करने लगी, घर के पालनकर्ता के नहीं रहने पर उनके परिवार के लिए आर्थिक संकट एक बड़ी दुविधा थी। छत्तीसगढ़ शासन की जनहितैशी योजनाओं के कारण रानी सेन और उनके परिवार को इस संकट से मुक्ति मिली। संतोष का श्रमिक पंजीयन होने के फलस्वरुप ही उनकी मृत्यु पश्चात् आश्रित परिवार को एक लाख रुपए की सहायता राशि मिलने में सुविधा हुई, जिसके लिए उन्होंने मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के प्रति आभार जताया। रानी सेन ने बताया कि इस राशि से उनके परिवार को आर्थिक संकट से उबरने में सहायता मिलेगी, वे इस राशि का उपयोग अपने बच्चों की पढ़ाई लिखाई में करेंगी और साथ ही घर की अन्य आवश्यकताओं को पूरा करेंगी।
उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री निर्माण श्रमिक मृत्यु एवं दिव्यांग सहायता योजना के तहत पंजीकृत निर्माण श्रमिको की सामान्य मृत्यु एवं दुर्घटना में मृत्यु होने पर एक लाख रूपए तथा दुर्घटना से स्थायी दिव्यांगता होने पर 50 हजार रूप्ए की सहायता राशि दिए जाने का प्रावधान मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की घोषणा के परिपालन में श्रम विभाग द्वारा इस योजना को लागू किया गया है। इसके पूर्व श्रम विभाग द्वारा संचालित विश्वकर्मा दुर्घटना योजना के तहत श्रमिकों की सामान्य मृत्यु पर मात्र 30 हजार रूपए दिए जाने का प्रावधान था, जिसे बढ़ाकर अब एक लाख रूपए की आर्थिक सहायता दिये जाने का प्रावधान किया गया है।
कोण्डागांव / शौर्यपथ / कुछ लोग सब कुछ होकर भी दुनिया से हार जाते है और कई लोग कुछ ना होते हुए भी अपने जज्बों एवं प्रतिभा से इतिहास लिख जाते है। ऐसी ही एक कहानी मसोरा की 13 वर्षीय दिव्यांग बालिका राजेश्वरी पटेल की है। राजेश्वरी जन्म से ही अपने हाथ एवं पैरों को मोड़ने मे असक्षम थी। जिसके कारण वह बचपन से ही चलने-फिरने में असमर्थ रही परंतु इस असमर्थता को कभी अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया। मसोरा के माध्यमिक शाला में कक्षा सातवीं में अध्ययनरत राजेश्वरी अपने हाथों से कार्य करने में असक्षम थी। ऐसे में उसने अपनी विशेष स्थिति को पार पाते हुए पैरों से कार्य करना प्रारंभ कर दिया। आज वह पैरो से कंचे खेलने, पेंटिंग बनाने एवं रंगोली बनाने जैसे कार्यों को भी संपादित कर लेती है।
मुख्यमंत्री के निर्देश पर एसडीएम सहित प्रशासनिक अमला पहुंचा गांव
मुख्यमंत्री के निर्देश पर एसडीएम सहित प्रशासनिक अमला पहुंचा गांव
बालिका के संबंध में समाचार पत्रों द्वारा रंगोली प्रतियोगिता में प्रथम आने एवं पत्रिकाओं में राजेश्वरी के संघर्ष के संबंध में जानकारी मिलने पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने स्वयं संज्ञान लेते हुए कलेक्टर पुष्पेन्द्र कुमार मीणा को बालिका की हर संभव मद्द करने के साथ नयी व्हीलचेयर देने के निर्देश दिये। जिस पर एसडीएम गौतमचंद पाटिल, समाज कल्याण विभाग की उपसंचालक ललिता लकड़ा सहित प्रशासनिक अमला ग्राम पहुंचा। जहां एसडीएम एवं डीडी समाज कल्याण ने बालिका एवं उनके परिजनों से बात की एवं बालिका की सराहना की। बालिका को पूर्व में समाज कल्याण विभाग द्वारा व्हील चेयर प्रदान किया गया था। जो कि पुराना हो गया था। जिस पर विभाग द्वारा मुख्यमंत्री के निर्देशानुसार नयी व्हील चेयर बालिका को प्रदान की गयी। इसके अतिरिक्त एसडीएम ने परिजनों को किसी भी प्रकार की सहायता की आवश्कता होने पर प्रशासन द्वारा हर संभव मद्द की बात कही। इस अवसर पर प्रशासन द्वारा प्राप्त सहयोग हेतु राजेश्वरी एवं उनके परिजनों ने प्रशासन का धन्यवाद किया।
इस संबंध में बालिका के पिता दीनूराम पटेल कहते है कि उन्हें अपनी बेटी पर गर्व है। हाथों से कार्य न करपाने के बावजुद पैरो से वह अपने सभी कार्य कर लेती है। राजेश्वरी रंगोली, पेंटिंग के अलावा अच्छा गा भी लेती है। बालिका राजेश्वरी कहती है कि उन्हें उनके परिवारजनों का सदैव सहयोग मिला है। परिवारजनों के साथ स्कूली शिक्षकों एवं साथ के सहपाठी बच्चों द्वारा भी सहयोग एवं प्रोत्साहन मिलता है। नन्ही राजेश्वरी आगे चल कर इंजीनियर बनना चाहतीं हैं। यही उनके माता-पिता का भी सपना है।
बालिका के लिए समाज कल्याण विभाग बनायेगा नवीन सीपी व्हील चेयर
इस संबंध में उपसंचालक समाज कल्याण ललिता लकड़ा ने बताया कि प्रतिभावान बालिका को पूर्व में व्हील चेयर प्रदान करने के साथ विभाग की ओर से प्रतिमाह छात्रवृत्ति भी प्रदान की जा रही है। राजेश्वरी के लिए कलेक्टर के निर्देश पर विभाग द्वारा नवीन सीपी व्हील चेयर का भी निर्माण किया जा रहा है। जिसके लिए उन्हें रायपुर ले जा कर डॉक्टरों की टीम द्वारा स्वास्थ्य जांच करा कर नाप लेते हुए नवीन सीपी व्हील चेयर का निर्माण नाप के अनुसार किया जायेगा। इस नवीन व्हील चेयर में पढ़ने एवं अन्य गतिविधियों के संचालन हेतु अलग से टेबल लगाया जायेगा। जिसमें राजेश्वरी पैरों की सहायता से आसानी से दिन-प्रतिदिन के कार्य कर सकेंगी।
बालोद / शौर्यपथ / शासन की योजना का लाभ लेकर गुण्डरदेही विकासखण्ड के ग्राम परसतराई का कृषक चंद्रहास देवांगन अच्छी आमदनी अर्जित कर रहा है। कृषक ने अपनी आमदनी का जरिया मत्स्य पालन को बनाया। जिससे वह लगभग आठ लाख रुपए वार्षिक आमदनी प्राप्त कर रहा है। मत्स्य पालन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि कृषक द्वारा वर्ष 2018-19 में 03.18 हेक्टरयर भूमि 10 वर्ष हेतु लीज पर लेकर मत्स्य विभाग द्वारा संचालित राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के अंतर्गत 02 हेक्टेयर में तालाब निर्माण करवाया गया। जिसके लिए उन्हें मत्स्य पालन विभाग द्वारा 04 लाख 80 हजार रूपए अनुदान प्रदाय किया गया। तत्पश्चात् कृषक ने उक्त तालाब में मत्स्य पालन शुरू किया। उन्होंने बताया कि वर्तमान में कृषक द्वारा तालाब में मत्स्य पालन एवं बीज उत्पादन किया जा रहा है। इससे वह लगभग आठ लाख रूपए वार्षिक आमदनी अर्जित कर रहा है। मत्स्य पालन से होने वाली आमदनी से कृषक और उसका परिवार काफी खुश है।
क्रमांक/596
समाचार
नरवा विकास कार्य से ग्रामीणों को मिल रही सिंचाई की सुविधा, परसवानी नाला से 436 हेक्टेयर खेतों में हो रही सिचांई
बालोद, 21 सितम्बर 2021
राज्य शासन की महत्वाकांक्षी नरवा, गरवा, घुरवा एवं बाड़ी योजना के अन्तर्गत जिले में नरवा विकास के कार्य से ग्रामीणों को सिंचाई की सुविधा मिल रही है। नरवा विकास के कार्य के अंतर्गत गुण्डरदेही विकासखण्ड के परसवानी नाला का चयन किया गया। पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के अधिकारियों ने बताया कि परसवानी नाला डौण्डीलोहारा विकासखण्ड के ग्राम घीना से प्रारंभ होकर गुण्डरदेही विकासखण्ड के ग्राम परसवानी में प्रवेश करते हुए ग्राम सिकोला में तान्दुला नदी में समाहित होता हैं। परसवानी नाले की कुल लम्बाई 25.80 किलोमीटर है, जिसमें 21.80 किलोमीटर गुण्डरदेही विकासखण्ड में आता हैं। परसवानी नाला क्षेत्र में ग्राम परसवानी, परसतराई, बोरगहन, अर्जुनी टिकरी, झींका, खपरी, कान्दूल, रौना, देवगहन एवं सिकोला शामिल हैं।
परसवानी नाला में उपचार हेतु महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना मद से स्वीकृत राशि से 107 संरचनाओं का निर्माण कार्य पूर्ण किया गया है, जिसमें मिट्टी का कटाव रोकने, जल स्तर में वृद्धि तथा ग्रामीणों के आजीविका हेतु ब्रशवुड, वृक्षारोपण कार्य, रिजार्च पिट निर्माण, फार्म बंडिग कार्य, नाला गहरीकरण, कच्ची नाली निर्माण आदि कार्य कराया गया है। परसवानी नाला के निकट लगभग 436 किसानों का जमीन है, जिसमें खेती एवं अन्य कार्य करते है। इस नाला में विभिन्न संरचना बनने से हुए जलभराव का उपयोग लगभग 436 हेक्टेयर खेतों में पम्पिंग के माध्यम से सिंचाई किया जा रहा है।
नारायणपुर जिले में अब तक 316.63 किलोमीटर सड़क का निर्माण पूर्ण
नारायणपुर / शौर्यपथ / सड़के किसी भी देश के लिए जीवन रेखा होती है। सड़कों के अभाव में एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाना बहुत मुश्किल हो जाता है। किसी भी गांव की सामाजिक एवं आर्थिक उन्नति की कल्पना बिना अच्छी सड़कों के करना संभव नहीं है। इसलिए आवश्यक है कि प्रत्येक गांव को बारहमासी सड़कों से जोड़ा जाये। इसके लिए भारत सरकार ने 25 दिसम्बर 2000 को प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना की शुरूआत की थी। इस योजना का प्रमुख उद्देश्य ग्रामीण इलाकों के सामान्य क्षेत्रों में 500 एवं 500 से अधिक तथा पहाड़ी क्षेत्रों में 250 एवं 250 से अधिक आबादी वाले समस्त बिना जुड़ी हुई बसाहटों को बारहमासी सड़कों से जोड़ने का प्रावधान है।
इस योजना के अंतर्गत गांव, तालुका, जिले और बड़े शहरों को जोड़ते हुए सड़के बनाई जाती हैं तथा साथ ही सड़कों के गुणवत्ता को बनाये रखने के लिए विभिन्न स्तर पर सड़कों के जांच का प्रावधान भी किया गया है, जिसके लिए समय-समय पर राज्य गुणवत्ता समीक्षक एवं राष्ट्रीय गुणवत्ता समीक्षक द्वारा सड़कों की गुणवत्ता की जांच की जाती है। इस योजना को शुरू करने का उद्देश्य देश के गांवों को शहरों से पक्की सड़कों द्वारा जोड़ना है। लोगों को आने जाने में कोई तकलीफ ना हो और उस क्षेत्र का विकास हो। सड़को के निर्माण से उस क्षेत्र में विकास की प्रबल संभावनाएं होती है। इस योजना का मुख्य लाभ ग्रामीण लोगों को होगा।
कार्यपालन अभियंता सह सदस्य सचिव परियोजना क्रियान्वयन इकाई श्री विनय वर्मा ने बताया कि परियोजना स्थापना के बाद से नारायणपुर जिले में अब तक लगभग 316 किलोमीटर की कुल 76 सड़कों का निर्माण किया जा चुका है। योजनांतर्गत लक्षित चिन्हित 208 योग्य बसाहटों के विरूद्ध 170 बसाहटें और जिले से जुड़ी बसाहटों को बारहमासी आवागमन सुविधा प्रदान किया जा चुका है। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना-2 के तहत् नारायणपुर में कुल 5.50 किलोमीटर सड़क स्वीकृत की गयी है, जिसमें से 1.20 किलोमीटर सड़कों का निर्माण पूर्ण किया जा चुका है। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना-2 के तहत् जिले में कुल 10 किलोमीटर सड़क की स्वीकृति प्राप्त की जा चुकी है, जिसका निर्माण प्रगति पर है। कुल मिलाकर प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के विभिन्न कार्यक्षेत्रों के तहत् नारायणपुर जिले में अब तक 316.63 किलोमीटर सड़क का निर्माण पूर्ण कर लिया गया है। इस योजना के आने से ग्रामीणजनों को सभी क्षेत्रों में अत्यधिक लाभ प्राप्त हो रहा है। जिसमें विद्यालय, चिकित्सालय, देवालय, दर्शनीय स्थल, विकासखण्ड एवं जिला मुख्यालय आदि आने-जाने के लिए सायकल, दुपहिया वाहन एवं बस से जिले के प्रत्येक क्षेत्र में आवागमन सुगम हो रहा है। योजना के संचालित होने से गावों एवं ग्रामीणों का चहुमुखी विकास संभव हो रहा है।
रायपुर / शौर्यपथ / छत्तीसगढ़ शासन की योजनाओं का फायदा लेकर बलौदाबाजार के पलारी विकासखण्ड के ग्राम अमेठी निवासी तुलसीराम फेंकर की शुद्ध आमदनी लगभग 6 लाख रुपये सालाना है। महज सवा एकड़ के तालाब में मछली पालन से उनकी यह आमदनी हो रही है। स्वयं की भूमि पर तालाब निर्माण की मछलीपालन विभाग की योजना का फायदा उठाकर उन्होंने 2 बरस पूर्व अपने खेत पर तालाब निर्माण कराया। सवा एकड़ की भूमि को तालाब बनाने पर इनपुट सब्सिडी सहित उन्हें लगभग 2.50 लाख रुपये का अनुदान प्राप्त हुआ। राज्य सरकार की मछलीपालन की योजनाओँ से मिल रहे फायदे से तुलसीराम बेहद खुश है। पक्का घर, मोटर गाड़ी सहित तमाम भौतिक सुख-सुविधाएं जुटाने के साथ ही अपने बच्चे तामेश्वर फेंकर को बंगलोर के प्रतिष्ठित कॉलेज में मछलीपालन विज्ञान में उच्च शिक्षा दिलाने में भी सफल हुए हैं।
अमेठी ग्राम में महानदी के किनारे तुलसीराम फेंकर का फिश फार्म बना हुआ है। पलारी से कोई 12 किलोमीटर दूर पूर्व दिशा में यह गांव स्थित है। सौर ऊर्जा चलित पंप से पानी लिफ्ट कर तालाब में भरते है। साल भर में उनके तालाब में मछली का दो दफा उत्पादन होता है। दोनों बार मिलाकर लगभग 35 लाख रुपये की मछली का उत्पादन होता है। बीज, दाना, दवाई, श्रम आदि पर लगभग 80 प्रतिशत खर्च हो जाता है। ये सब खर्च निकालने के बाद भी लगभग 6 लाख रुपये का शुद्ध लाभ हो जाता है। श्री फेंकर ने बताया कि मछली पालन का सबसे बड़ा फायदा इसके विक्रय को लेकर किसी तरह की समस्या का नहीं होना है। लोग स्वयं उनके तालाब पर मछली खरीदने लाइन लगाए खड़े रहते हैं। थोक में खरीदने के लिए रायपुर, बिलासपुर और भाटापारा के ठेकेदार एक फोन पर आ जाते हैं। थोक में लगभग 85 रुपये और चिल्हर में 120 रुपये प्रति किलोग्राम के हिसाब से बेचते हैं। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की सरकार द्वारा मछलीपालन को खेती का दर्जा दिए जाने के निर्णय से तुलसीराम सहित मछुआ समुदाय में खुशी है। उन्होंने कहा कि सहकारी बैंक से उन्हें अब कम ब्याज दर पर ऋण मिलेगा। ऋण लेने के लिए आवेदन उन्होंने तैयार भी कर लिए हैं।
कांकेर की महिला समूह ने महुआ लड्डू बेचकर कमाए 6 लाख रूपए
रायपुर / शौर्यपथ / त्यौहारों और विशेष अवसरों पर परिजनों को उपहार देने के लिए वनोपज और उससे बनी मिठाईयां नये विकल्प के रूप में सामने आ रही हैं। कांकेर जिले की महिला स्व-सहायता समूह ने संजीवनी विक्रय केन्द्र के माध्यम से महुआ लड्डू के गिफ्ट पैक की बिक्री कर 6 लाख रूपये की आमदनी अर्जित की है।
स्व-सहायता समूह द्वारा तैयार किये गए महुआ लड्डू, शहद, चिरौंजी, महुआ सैनिटाइजर, सर्व ज्वर हर चूर्ण, इमली कैंडी जैसे स्वास्थ्यवर्धक सामग्री और मिठाई के गिफ्ट पैक को लोग बहुत पसंद कर रहे हैं। वनोपज और वनौषधियों से तैयार उत्पाद का उपयोग इम्युनिटी बढ़ाने के लिए भी किया जा रहा है। पिछले दीपावली में कांकेर जिले के ग्राम भानबेड़ा ’’दिशा महिला स्व-सहायता समूह’’ की महिलाओं ने 09 क्विंटल महुआ लड्डू तैयार कर 06 लाख रूपये लाभ अर्जित किया है।
उल्लेखनीय है कि राज्य के विभिन्न जिलों के महिला स्व-सहायता समूह द्वारा वनोपज और वनौषधियों से तैयार उत्पादों की महक देश के विभिन्न हिस्सों में पहुंच रही है। इन उत्पादों को ऑनलाइन प्लेटफार्म पर भी बिक्री के लिए उपलब्ध कराया गया है। राज्य शासन द्वारा भी सभी वनोपजों के प्रसंस्करण और वैल्यू एडीशन को बढ़ावा दिया जा रहा है। आदिवासी अंचल की महिलाओं को इन आर्थिक गतिविधियों में जहां रोजगार मिल रहा है वहीं यह उनकी समृद्धि का नया आधार बन रहा है।
रायपुर / शौर्यपथ / मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का गुगल के मोबाईल नंबर पता कर सीधे बात की और उसकी बात बन गई। यह प्रसंग जुड़ा है बिलासपुर जिले के मस्तूरी ब्लाक के ग्राम मुड़पार के रहने वाले 25 वर्षीय दिव्यांग श्री रवि कश्यप से। मुख्यमंत्री से बात और अपनी मांग रखने का दो दिन का अरसा नहीं बीता था, कि उसे मुख्यमंत्री के हाथों चमचमाती टाईसायकिल की सौगात मिल गई। मुख्यमंत्री ने दिव्यांग रवि कश्यप को बधाई और शुभकामनाएं भी दीं। दिव्यांग रवि ने मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की संवेदनशीलता के लिए उनका आभार जताया।
बात छोटी सी है, परंतु यह साबित करने के लिए काफी है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल तक राज्य के आम जनता की पहुंच कितनी सहज है। मुख्यमंत्री की संवेदनशीलता इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि अज्ञात नंबर से कॉल आने पर भी उन्होंने न केवल फोन करने वाले की बात सुनी, अपितु उनकी समस्या का निराकरण भी तत्परता से कर दिया।
दिव्यांग श्री रवि कश्यप ने गूगल से मुख्यमंत्री का नंबर खोज कर उन्हें शनिवार को उन्हें सीधे फोन लगाकर बात की। दो दिन के भीतर ही श्री कश्यप को मुख्यमंत्री ने ट्राईसिकल प्रदान कर दी। इस चमत्कार की उम्मीद छत्तीसगढ़ राज्य में ही की जा सकती है, जहां राज्य का मुखिया आम लोगों के लिए सहज उपलब्ध है। आज बिलासपुर प्रवास के दौरान मुख्यमंत्री श्री बघेल ने सकरी हेलीपेड पर दिव्यांग श्री कश्यप को ट्राईसिकल भेंट की।
श्री कश्यप का कहना है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की संवेदनशीलता के बारे में सुना था। गूगल से उनका नंबर खोज कर नंबर की वैधता परखने के लिए मैंने उन्हें सीधे फोन कर दिया। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इत्मीनान से उनकी पूरी बात सुनी और ट्राईसिकल की उनकी मांग को पूरा करने के संबंध में आश्वस्त भी किया। श्री कश्यप बताते है कि यह मुख्यमंत्री की संवेदनशीलता ही है, जिसके चलते उन्हें दो दिन के भीतर ही ट्राईसिकल मुख्यमंत्री ने स्वयं प्रदान कर दी है। वे कहते हैं कि छत्तीसगढ़ ही ऐसा राज्य है जहां के मुखिया से कोई भी व्यक्ति सीधे अपनी बात रख सकता है। श्री कश्यप ने बताया कि उनके परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है। पिता श्री चुंगु राम कश्यप की आमदनी से ही छह सदस्यीय परिवार का गुजर-बसर होता है। इस दौरान संसदीय सचिव श्रीमती रश्मि सिंह, कलेक्टर डॉ. सारांश मित्तर भी मौजूद थे।
रायपुर / शौर्यपथ / ग्रामीण महिलाओं के जीवन में गौठानों ने आर्थिक संपन्नता का एक नया रंग भर दिया है। ग्रामीण महिलाओं को समूह के माध्यम से एक ही समय में एक से अधिक कार्य करके आर्थिक मजबूती प्राप्त करने का रास्ता गौठानों ने बखूबी दिखाया है। बिलासपुर जिले में 127 गौठानों में 204 स्व सहायता समूह की 1481 महिलाएं आर्थिक रूप से स्वावलम्बी हो गई है एवं अन्य महिलाओं को भी इस दिशा में प्रेरित कर रही है। गौठानों में आजीविका गतिविधियां जिनसे बिलासपुर जिले में 2 करोड़ 72 लाख रूपए से अधिक का कारोबार किया जा चुका है।
गौठानों में वर्मी कम्पोस्ट, सुपर कम्पोस्ट, सामुदायिक बाड़ी, मशरूम उत्पादन, मछली पालन, मुर्गी पालन, बकरी पालन, गोबर दिया, गोबर गमला, अगरबत्ती, साबुन निर्माण सहित अन्य आजीविका गतिविधियां संचालित की जा रही है। जिले में गौठानों के माध्यम से 1 लाख 33 हजार 263 क्विंटल गोबर की खरीदी की जा चुकी है। 18 हजार 670 क्विंटल वर्मी खाद बनाया गया है एवं 16 हजार 301 क्विंटल वर्मी खाद की बिक्री की गई है। इसी प्रकार 14 हजार 172 क्विंटल सुपर कम्पोस्ट बनाया गया है एवं 6 हजार 787 क्विंटल सुपर कम्पोस्ट खाद की बिक्री की जा चुकी है।
जिले की ग्राम शिवतराई की महिलाओं ने कीर्तिमान बनाया है। समूह की महिलाओं ने बीते दो साल में 10 लाख रूपए की खाद एवं साढ़े चार लाख रूपए का केंचुआ बेचकर अपनी आर्थिक स्थिति मजबूत कर ली है। यहां आशीष महिला स्व सहायता समूह ने मुर्गी पालन से 12 हजार 877 रूपए की आमदनी अर्जित की है। कोटा विकासखण्ड में महामाया महिला स्व सहायता की महिलाओं ने दो वर्षों में 1037 क्विंटल खाद तैयार कर बिक्री की है। सहकारी समितियों में खाद की बिक्री कर इन्हें 10 लाख से अधिक की आमदनी हुई है। बाड़ी विकास के अंतर्गत समूह की महिलाएं 6 एकड़ में सब्जी की खेती कर रही है। हल्दी की बिक्री से उन्हें 25 हजार रूपए का मुनाफा हुआ है। 65 किलोग्राम मशरूम की बिक्री से समूह को 16 हजार 250 रूपए की आमदनी मिली है। बिल्हा विकासखण्ड के सेलर गौठान में शिव शक्ति की महिला समूह ने दोना पत्तल के व्यवसाय से अब तक 74 हजार 200 रूपए की शुद्ध आय अर्जित की है। आसपास के ग्रामीण बाजारों मेें समूह की महिलाओं ने अपनी अच्छी पकड़ मजबूत की है।
बिलासपुर के मस्तूरी विकासखण्ड के कुकदा गौठान में सब्जी उत्पादन कर अन्नपूर्णा स्व सहायता समूह की महिलाओं ने 55 हजार रूपए एवं वर्मी खाद निर्माण से 27 हजार रूपए की आय अर्जित कर ली है। गौठानों को मल्टीएक्टिविटी सेंटर के रूप में विकसित किया जा रहा है ताकि अधिक से अधिक स्व सहायता समूहों का आजीविका के क्षेत्र में बेहतर विकास किया जा सके।
शौर्यपथ विशेष / लगातार बढ़ती मंहगाई के इस दौर में सस्ती बिजली का मिलना लोगों के लिए किसी सौगात से कम नहीं है। छत्तीसगढ़ में राज्य सरकार द्वारा लागू की गयी हाफ बिजली बिल योजना से बिजली के घरेलू उपभोक्ता लाखों परिवारों को सस्ती बिजली मिलने से बड़ी राहत मिली है। इन परिवारों को अपने घर के बिजली बिल में 400 यूनिट तक बिजली की खपत की आधी राशि का ही भुगतान करना होता है। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने नई सरकार के गठन के बाद सस्ती बिजली देने का फैसला किया। राज्य सरकार ने आम जनता से किया गया वायदा पूरा करते हुए हाफ बिजली बिल योजना लागू की। राज्य के सभी घरेलू उपभोक्ताओं के लिए 01 मार्च 2019 से हाफ बिजली बिल योजना लागू की गई है। इस योजना के अंतर्गत राज्य के सभी घरेलू उपभोक्ताओं को प्रतिमाह खपत की गई 400 यूनिट तक की बिजली पर प्रभावशील विद्युत की दरों के आधार पर आधे बिल की राशि की छूट दी जा रही है।
छत्तीसगढ़ देश का प्रमुख बिजली उत्पादक राज्य है। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की मंशा है कि छत्तीसगढ़ बिजली उत्पादक राज्य के साथ बिजली उपभोक्ता राज्य भी बने। अपने संसाधनों का सीधा आर्थिक लाभ घरेलू उपभोक्ताओं को भी मिलना चाहिए ताकि उनका जीवन स्तर ऊंचा उठे। बिजली की ताकत सबकी ताकत बने। हाफ बिजली बिल योजना में विगत ढाई वर्षों में सरकार द्वारा घरेलू उपभोक्ताओं को उनके बिजली बिल में 1822 करोड रूपए की राहत दी गई है। इस योजना से साढ़े 39 लाख 63 हजार परिवार लाभान्वित हो रहे हैं। हाफ बिजली बिल योजना के चलते राज्य में प्रति परिवार बिजली खपत में भी वृद्धि हुई है, जिससे लोगों के जीवन स्तर में सुधार आ रहा है। सस्ती बिजली से न केवल गरीब और मध्यम वर्ग के लोगों के घरों का बजट सुधरा है बल्कि किसानों को भी राहत मिली है। एकल बत्ती कनेक्शन योजना से लाखों गरीबों के घर भी रोशन हुए हैं।
राज्य सरकार द्वारा किसानों, गरीबों और मध्यमवर्गीय परिवारों के साथ-साथ उद्योगों को भी रियायती दर पर अच्छी गुणवत्ता के साथ बिजली आपूर्ति के प्रबंध किए गए हैं। उर्जा विभाग की कृषि पम्प उर्जीकरण योजना में विगत ढाई वर्षों में 93 हजार से अधिक नए पम्पों को विद्युत कनेक्शन दिया गया है। इसे मिला कर राज्य में विद्युतीकृत सिंचाई पम्पों की संख्या 5 लाख 80 हजार हो चुकी है। इसके साथ ही साथ कृषि लागत में कमी लाने के उद्देश्य से किसानों को कृषक जीवन ज्योति योजना में 3 एचपी के पम्प पर सालाना 6000 यूनिट और 3 से 5 एचपी के कृषि पम्पों पर 7500 यूनिट की सालाना छूट दी जा रही है। इसके अतिरिक्त किसानों को फ्लेट रेट का विकल्प भी दिया गया है। अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्ग के किसानों को पूरी तरह निःशुल्क बिजली उपलब्ध करायी जा रही है। इन वर्गों के किसानों के लिए विद्युत खपत की कोई सीमा निर्धारित नहीं की गई है।
छत्तीसगढ़ में गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले परिवारों को राज्य सरकार द्वारा 30 यूनिट बिजली निःशुल्क दी जा रही है। राज्य में 18 लाख परिवारों को योजना का फायदा मिल रहा है। सस्ती बिजली का लाभ इस्पात उद्योगों को मिलने से उन्हें राहत मिली है। राज्य में स्थापित होने वाले उद्योगों को उर्जा प्रभार में 80 पैसे प्रति यूनिट की रियायत भी दी गई है। प्रदेश में गुणवत्तापूर्ण बिजली की सतत आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए राज्य में विद्युत अधोसंरचना के विकास के काम भी बड़े पैमाने पर किए जा रहे हैं। इसके तहत 33/11 के.व्ही के 312 नए विद्युत उपकेन्द्र स्थापित किए गए हैं। विद्युत लाइनों के विस्तार, नये बिजली केन्द्रों की स्थापना के साथ राज्य के 14 नगर निगम क्षेत्रों में विद्युत लाइनों को व्यवस्थित करने, ट्रांसफार्मरों को शिफ्ट करने और नए केवल लाइनों के विस्तार के 1288 कार्यों में कुल 59 करोड़ की राशि व्यय की गई है। इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में मजरा टोला में 168 करोड़ रूपए से विद्युतीकरण के 3390 कार्य किए गए हैं। बिजली उपभोक्ताओं की समस्याओं के समाधान के लिए भी अनेक कदम उठाए गए हैं। मोर बिजली मोर एप के माध्यम से घरेलू विद्युत उपभोक्ताओं की बिजली से संबंधित समस्यों का त्वरित समाधान किया जा रहा है। लगभग 59.03 लाख बिजली उपभोक्ताओं की समस्याओं का समाधान किया गया है।
राज्य सरकार ने जहां समाज के हर वर्ग की बिजली संबंधी जरुरतों को ध्यान में रखते हुए, किफायती और गुणवत्तापूर्ण बिजली की सतत आपूर्ति के पुख्ता प्रबंध किए हैं, वहीं राज्य के एक महत्वपूर्ण संसाधन के रुप में बिजली का लाभ किसानों, उद्योगों, गरीबों के साथ-साथ मध्यमवर्ग के लोगों तक पहुंचाने का प्रयास पूरी संवेदनशीलता के साथ किया है। किफायती बिजली से खेती-किसानी से जुड़े किसानों को उत्पादन लागत कम रखने में मदद मिल रही है, वहीं सतत और रियायती दर पर बिजली की आपूर्ति उद्योगों को कठिन प्रतिस्पर्धा के दौर में टिके रहने का हौसला दे रही है। राज्य सरकार की बिजली नीति ने गरीबों और मध्यवर्ग के लोगों को भी बड़ी राहत दी है।
इस विशाल मानव निर्मित जंगल में भूपेश बघेल ने लगाया बरगद का पौधा
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्देश पर बनाया गया था प्रस्ताव, 83 हजार से अधिक लगे पौधे
दुर्ग/शौर्यपथ / देश में पर्यावरण की मानव निर्मित विशाल धरोहर दुर्ग जिले में बनी है। आज मुख्यमंत्री ने इस प्रोजेक्ट का अवलोकन किया। नंदिनी की खाली पड़ी खदानों की जमीन में यह प्रोजेक्ट विकसित किया गया है। लगभग 3.30 करोड़ रुपए की लागत से यह प्रोजेक्ट तैयार किया गया है। आज जन वन कार्यकम में मुख्यमंत्री ने यहाँ बरगद का पौधा लगाया और जंगल का अवलोकन किया। उल्लेखनीय है कि इसके लिए डीएमएफ तथा अन्य मदों से राशि ली गई है। पर्यावरण संरक्षण के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्देश पर यह प्रोजेक्ट तैयार किया गया। यह प्रोजेक्ट देश दुनिया के सामने उदाहरण है कि किस तरह से निष्प्रयोज्य माइंस एरिया को नेचुरल हैबिटैट के बड़े उदाहरण के रूप में बदला जा सकता है।
इस अवसर पर अपने संबोधन में मुख्यमंत्री ने कहा कि पर्यावरण को संरक्षित करने यह प्रशंसनीय कदम है। यहां 100 एकड़ में औषधीय पौधे तथा फलोद्यान भी विकसित करें। उन्होंने कहा कि पर्यावरण संरक्षण के लिये ये बड़ी पहल है। इससे प्रदूषण को नियंत्रित करने में भी मदद मिलेगी।
इस अवसर पर अपने संबोधन में वन मंत्री ने कहा कि हमने प्रकृति को सहेजने बड़े निर्णय लिए। चाहे लेमरू प्रोजेक्ट हो या नदियों के किनारे प्लांटेशन, प्रकृति को हमने हमेशा तवज्जो दी। आज यह मानव निर्मित जंगल का बड़ा काम हुआ है। मैं इसके लिए क्षेत्र की जनता को बधाई देता हूँ।
इस अवसर पर जिले के प्रभारी मंत्री एवं वनमंत्री मोहम्मद अकबर, पीएचई मंत्री गुरु रुद्र कुमार, उच्च शिक्षा मंत्री श्री उमेश पटेल ने भी पौधरोपण किया।
उल्लेखनीय है कि 17 किलोमीटर क्षेत्र में फैले नंदिनी के जंगल में पहले ही सागौन और आंवले के बहुत सारे वृक्ष मौजूद हैं। अब खाली पड़ी जगह में 83,000 पौधे लगाये गये हैं। इसके लिए डीएमएफ-एडीबी से राशि स्वीकृत की गई। इस अवसर पर पीसीसीएफ राकेश चतुर्वेदी ने विस्तार से प्रोजेक्ट की जानकारी दी और इस कार्य मे लगे अधिकारियों को बधाई दी। कलेक्टर डॉ. सर्वेश्वर नरेंद्र भुरे तथा डीएफओ धम्मशील गणवीर ने विस्तार से प्रोजेक्ट की जानकारी मुख्यमंत्री को दी। उन्होंने बताया कि 83000 पौधे लगाये जा चुके हैं। 3 साल में यह क्षेत्र पूरी तरह जंगल के रूप में विकसित हो जाएगा। यहां पर विविध प्रजाति के पौधे लगने की वजह से यहां का प्राकृतिक परिवेश बेहद समृद्ध होगा। श्री गणवीर ने बताया कि यहां पर पीपल, बरगद जैसे पेड़ लगाए गये हैं जिनकी उम्र काफी अधिक होती है साथ ही हर्रा, बेहड़ा, महुवा जैसे औषधि पेड़ भी लगाए गये हैं। इस मौके पर पीसीसीएफ वन्य संरक्षण नरसिंह राव, लघु वनोपज के एमडी संजय शुक्ला, आईजी विवेकानंद सिन्हा, एवं अन्य अधिकारी उपस्थित थे। साथ ही बीएसपी सीईओ अनिर्बान दासगुप्ता भी उपस्थित रहे।
लोगों ने कहा इस पुल से पैसे व समय की बचत होगी : क्षेत्र के विकास में मील का पत्थर साबित होगा
शौर्यपथ लेख / सामाजिक, आर्थिक, शैक्षणिक विकास के लिए , सड़क संपर्क की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। व्यापारियों के आवागमन, शैक्षणिक संस्थाओं तक विद्यार्थियों को पहुंचने के लिए सरल,सुविधाजनक मार्ग जीवन में उन्नति का प्रशस्त करता है। पामगढ़ तहसील के ग्राम कमरीद के पास शिवनाथ नदी पर 15 करोड़ 19 लाख रूपए की लागत से 425 मीटर लंबा पुल बन बनाया गया है। इस पुल के बन जाने से जांजगीर-चांपा और बलौदाबाजार जिले के 37 ग्रामों के करीब 72 हजार से अधिक लोगों को आवागमन की बारहमासी सुविधा मिलेगी। यह पुल इस क्षेत्र के आर्थिक और सामाजिक विकास का आधार बनेगा।
यह पुल जांजगीर-चांपा और बलौदा बाजार जिले को जोड़ने के लिए भी महत्वपूर्ण है। बलौदा बाजार जिले के ग्राम लवन क्षेत्र के लोगों को खरौद और शिवरीनारायण जैसे समृद्ध बाजार का लाभ भी मिलेगा। इससे व्यापार में वृद्धि होगी। बलौदाबाजार जिले के ग्राम पौंसर निवासी श्री खिलावन ने बताया कि पूल नहीं होने के कारण नाव या बोट के माध्यम से आना -जाना करना पड़ता था। जिसके कारण अतिरिक्त किराया भी देना पड़ता था। बरसात के दिनों में या रात के समय नदी पार करना संभव नहीं होता था। जरूरी काम होने पर बहुत परेशानी होती थी। उन्होंने राज्य सरकार के धन्यवाद देते हुए कहा कि शिवनाथ नदी पर पुल बनने से आवागमन की सुविधा का विस्तार हो गया है। इसी प्रकार जांजगीर चांपा जिले के ग्राम चंगोरी निवासी परमेश्वर ने बताया कि अब बलोदाबाजार जिला जाने के लिए शिवरीनारायण की ओर जाना नहीं पड़ेगा। वह सीधे लवन होते हुए रायपुर और की ओर जा सकेंगे। इससे समय और पैसे की भी बचत भी होगी। यह पुल इस क्षेत्र के विकास में मील का पत्थर साबित होगा।
रायपुर / शौर्यपथ लेख / छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा प्रदेश में परंपरागत व्यवसायों को प्रोत्साहन देकर उन्हें एक बार फिर नवजीवन प्रदान करने के लिए बड़ी पहल की गयी है। लोहारी, रजककारी, तेलघानी और चर्मशिल्प जैसे व्यवसाय हमारे ग्रामीण जनजीवन का अभिन्न हिस्सा रहे हैं। शहरीकरण, औद्योगीकरण और बाजारीकरण के दौर में इन व्यवसायों का महत्व धीरे-धीरे कम होता गया। दक्षता के बावजूद इनसे जुड़े लोग अपने परम्परागत कार्यों से दूर होते गए। जीवकोपार्जन के लिए रोजगार और आय का जरिया जुटाना उनके लिए बड़ी चुनौती बन गया, इसलिए वे दूसरे काम-धंधों को अपनाने लगे।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ सरकार ने इन व्यवसायों से जुड़े लोगों की यह विवशता पूरी संवेदनशीलता के साथ महसूस की और इन व्यवसायों को पुनर्जीवन देने का बड़ा फैसला लिया। आज भी ग्रामीण अंचलों में इन व्यवसायों में रोजगार की काफी संभावनाएं हैं। इसलिए राज्य सरकार द्वारा पराम्परागत व्यवसायों को मदद देकर प्रोत्साहित करने के लिए चार बोर्डों छत्तीसगढ़ लौह शिल्पकार विकास बोर्ड, छत्तीसगढ़ तेलघानी विकास बोर्ड, छत्तीसगढ़ रजककार विकास बोर्ड और छत्तीसगढ़ चर्मशिल्प विकास बोर्ड का गठन किया गया है।
परम्परागत व्यवसायों के लिए गठित किए गए ये बोर्ड अपने अपने क्षेत्र से संबंधित व्यवसायों को प्रोत्साहन देकर रोजगार के अवसर बढ़ाने में योगदान दंेगे। छत्तीसगढ़ लौह शिल्पकार विकास बोर्ड लौहशिल्पकारों को, छत्तीसगढ़ तेलघानी विकास बोर्ड तेलघानी को, छत्तीसगढ़ रजककार विकास बोर्ड रजककारों को और छत्तीसगढ़ चर्मशिल्प विकास बोर्ड चर्म शिल्पकारों को स्वरोजगार के लिए मदद देंगे। संबंधित बोर्ड अपने क्षेत्र से जुड़े शिल्पकारों और लोगों को उन्नत प्रशिक्षण, उन्नत उपकरण प्रदान करने के साथ ऋणग्रस्त शिल्पकारों और व्यवसाय में संलग्न लोगों को स्वरोजगार के लिए बैंकों से आर्थिक सहायता उपलब्ध कराने में मदद करेंगे।
राज्य शासन द्वारा गठित इन बोर्डों के संचालक मण्डल में राज्य शासन द्वारा अध्यक्ष तथा चार अशासकीय सदस्य नामित किए जायेंगे। बोर्ड के संचालक मंडल में आवश्यकतानुसार अन्य संबंधित विषय विशेषज्ञों को अशासकीय सदस्य के रूप में आमंत्रित किया जा सकेगा। राज्य शासन के द्वारा नामंकित अधिकारी बोर्ड के प्रबंध संचालक होंगे। इन सभी बोर्ड का मुख्यालय रायपुर में होगा।
राज्य सरकार द्वारा इन बोर्डों के गठन की अधिसूचना के अनुसार विकास बोर्डों की कार्य अवधि तीन वर्ष होगी। बोर्ड की तीन वर्ष की कार्य अवधि के पश्चात् बोर्ड स्वमेव समाप्त माना जाएगा। बोर्ड के अध्यक्ष एवं सदस्यों को वित्त विभाग के प्रचलित नियम और निर्देशों के अनुसार सुविधाएं देय होंगी।
विकास बोर्डों द्वारा स्थानीय उपलब्ध संसाधनों को दृष्टिगत रखते हुए अपने क्षेत्र से जुड़े व्यवसाय को अधिक लाभप्रद बनाने और उनसे जुड़े कार्यों के विकास के लिए स्थानीय परिस्थितियों के अनुकूल नीतियों और कार्यक्रम के संबंध में सुझाव दिए जाएंगे। विकास बोर्डों द्वारा परम्परागत व्यवसायों की गुणवत्ता वृद्धि, समस्याओं और आवश्यकताओं से संबंधित अनुसंधान कार्य तथा व्यवसायों से शिक्षित युवाओं और महिलाओं को जोड़ने के उपायों के संबंध में भी सुझाव दिए जाएंगे।
प्रदेश में परम्परागत व्यवसायों को प्रोत्साहित करने के लिए शुरु की गयी पौनी-पसारी योजना के बाद राज्य सरकार द्वारा चार बोर्डों का गठन दूसरी बड़ी पहल है। वंशानुगत रुप से परम्परागत कार्य करने वालों और इन व्यवसायों से जुड़ने वाले लोगों को इन बोर्डों के जरिए जरुरी मदद, उन्नत उपकरण और तकनीकी मार्गदर्शन मिलेगा, जिससे उनके कौशल और कार्यकुशलता में और अधिक सुधार होगा। इन व्यवसायों में अच्छे अवसर निर्मित होंगे, ये व्यवसाय लाभप्रद बनेंगे और जिससे परम्परागत व्यवसायों में युवाओं को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने में मदद मिलेगी।