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बेराजगारी भत्ता से प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी हुई आसान
रायपुर / शौर्यपथ / घर की माली हालत की वजह से प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी का खर्च उठाना किसी भी प्रतिभागी के लिए आसान नहीं होता है। इस वजह से कई युवा घर के रोजमर्रा के खर्चों को पूरा करने के लिए कुछ काम करने लग जाते हैं। आज के दौर में जहां नौकरियां पाने के लिए कठिन प्रतिस्पर्धा से गुजरना पड़ता है। ऐसे में अपनी और घर की जरूरतों के लिए कुछ काम करते हुए प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करना बहुत ही मुश्किल हो जाता है।
मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की पहल पर शुरू की गई बेरोजगारी भत्ता योजना ने ऐसे युवाओं की मुश्किलें काफी हद तक आसान कर दी है। इस योजना के माध्यम से बेरोेजगार युवाओं को प्रतिमाह 2,500 रूपए प्रतिमाह दिया जा रहा है। बेरोजगारी भत्ता पाने वाले युवा अपनी खुशी जाहिर करते हुए बताते हैं कि यह योजना उनके लिए किसी वरदान से कम नहीं है। उन्हें अब अपने सपनों को पूरा करने में पूरा समय मिल पाएगा। घर की आर्थिक स्थिति बाधक नहीं बनेगी।
प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रही मनेंद्रगढ़ विकासखंड के ग्राम पंचायत चैनपुर की रहने वाली सुश्री मीनू चौरसिया ने बताया कि उनके पिताजी होटल व्यवसाय में काम करते हैं और उनके परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। पहले उन्हें पुस्तक, स्टेशनरी और परीक्षा में शामिल होने के लिए आवश्यक जरूरतों के लिए पैसों की बहुत दिक्कत होती थी। परंतु बेरोजगारी भत्ता मिलने से उन्हें पुस्तक, कॉपी, पेन, प्रतियोगी पुस्तकें व परीक्षा फॉर्म भरने में काफी मदद मिल रही है। उन्होंने यूट्यूब में पढ़ाई करने के लिये नेट रिचार्ज भी कराया है।
मीनू चौरसिया की तरह ही अंबिकापुर में रहने वाली सुभद्रा मिंज व स्टेला लकड़ा किराए में रहकर पढ़ाई कर रही हैं। बेरोजगारी भत्ता मिलने से पुस्तक, कॉपी, पेन, प्रतियोगी पुस्तकें व परीक्षा फॉर्म भरने में काफी मदद मिल रही है। उन्होंने कहा कि हमें अब आर्थिक रूप से परिजनों पर आश्रित नहीं रहना पड़ रहा। इसी तरह लखनपुर निवासी उमेश चौधरी ने बताया कि बेरोजगारी भत्ता का उपयोग वे अपनी जरूरत के हिसाब से पढ़ाई लिखाई की सामग्री खरीदने में कर रहे हैं जिससे उन्हें पढ़ाई में परेशानी नहीं हो रही है।
एमएससी बायोटेक्नोलॉजी की पढ़ाई पूर्ण कर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाली कोरबा की सुश्री राजलक्ष्मी राठौर के पिता एक स्टाम्प वेंडर हैं, उनकी आय बहुत कम है। इससे उन्हें परीक्षा की तैयारी करने में बहुत बाधाएं आ रही थी। राजलक्ष्मी कहती है कि छत्तीसगढ़ शासन द्वारा बेरोजगारी भत्ता योजना प्रारम्भ करने से गरीब एवं बेरोजगार युवाओं में शासकीय नौकरी की तैयारी के लिए उम्मीद की एक नई किरण जगी है। इसी प्रकार रामपुर के रहने वाले शुभाशीष हो या छत्तीसगढ़ के अन्य क्षेत्रों के रहने वाले गायत्री दुबे, लोकेश साहू, हीरा कुमारी महिलांग, अजय मनहर, भीषम जांगड़े, चन्द्र विजय दुबे या इनके जैसे लाखांे युवा, इन्हें बेरोजगारी भत्ता ने सहारा दिया है कि वे उनके सपनों को पूरा करने में आर्थिक स्थिति अब बाधक नहीें बनेगी।
बेरोजगारी भत्ता योजना के तहत अब तक एक लाख 5 हजार 395 युवाओं के खाते में हितग्राहियों को प्रथम और द्वितीय किश्त के रूप में कुल 48 करोड़ 89 लाख 87 हजार 500 रूपए की राशि अंतरित की जा चुकी है। युवा जब बेरोजगारी भत्ते के लिए आवेदन कर रहे हैं, जब उन्हें प्रशिक्षण के लिए विकल्प भी दिया जा रहा है ताकि उन्हें नौकरी अथवा व्यवसाय के लिए प्रशिक्षण दिया जा सके। अब तक 1701 युवाओं का लाइवलीहुड कालेज सहित 33 संस्थानों में कौशल प्रशिक्षण आरंभ हो चुका है।
नरवा योजना से सिंचाई सुविधाओं के विस्तार, भूमिगत जल के संवर्धन व मृदा संरक्षण में मिली मदद
जल संरक्षण के क्षेत्र में नरवा योजना एक राष्ट्रीय मॉडल
दुर्ग । शौर्यपथ । कल तक जो किसान वर्षा ऋतु के इंतजार में सिर्फ एक फसल ले पाते थे, ऐसे सभी किसानों के लिए नरवा योजना वरदान साबित हो रही है। नरवा के माध्यम से सिंचाई सुविधाओं के विस्तार से किसानों की आय में वृद्धि हो रही है। साथ ही वे सामाजिक और आर्थिक रूप से भी सशक्त हो रहे हैं। नरवा स्ट्रक्चर ब्रशवुड, बिना लागत भूमिगत जल के रिचार्ज करने का एक बेहतरीन उदाहरण है। राज्य में स्थित वन क्षेत्रों में नालों में संरचनाओं का निर्माण किया जा रहा है। जिससे क्षेत्रों में उपस्थित जीवों को अपना चारा-पानी खोजने के लिए रहवासी क्षेत्रों में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। ग्रामीण तथा कृषकों को प्रशासन द्वारा पेयजल तथा सिंचाई के साधन विकसित कराए जा रहे हैं। जिससे जल की उपलब्धता सुनिश्चित होने से किसानों को खेती-बाड़ी करने में किसी भी प्रकार की कठिनाई का सामना नहीं करना पड़ेगा।
जल, जंगल व प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर राज्य छत्तीसगढ़ जहां धान, विभिन्न फसले, फल, साग-सब्जी का उत्पादन बड़ी मात्रा में किया जाता है। कृषि क्षेत्र में उत्पादन को बढ़ाने के साथ ही कृषि विकास एवं कृषक कल्याण दोनों एक दूसरे के दो पहलू हैं, और प्रदेश सरकार को सुराजी गांव योजना इन सभी विकास के पहलुओं को निखार रही है। छत्तीसगढ़ सरकार की सुराजी गांव योजनांतर्गत ग्रामीण अर्थव्यवस्था को गति देते हुए लोगों को गांव में ही पूर्ण रोजगार देने व गांव के विकास के लिए नरवा, गरवा, घुरवा एवं बाड़ी को विकसित करने का लगातार प्रयास किया जा रहा है। जिससे अब गांवों की तस्वीर बदल रही है। भूगर्भीय जल स्रोतों के संरक्षण व संवर्धन की दिशा में नरवा कार्यक्रम के माध्यम से ठोस प्रयास किए जा रहे हैं ताकि कृषि एवं कृषि संबंधित गतिविधियों को बढ़ावा मिल सके। वर्षा के जल पर निर्भर किसानों के लिए यह योजना काफी फायदेमंद साबित हो रही है। दुर्ग जिले में नदी-नालों के संरक्षण और संवर्धन में निरंतर से विभिन्न कार्य किए जा रहे हैं, जिसके फलस्वरूप ग्रामीणों को खेती किसानी और पशुपालन जैसी गतिविधियों के लिए बड़ी सुविधा मिल रही है।
छत्तीसगढ़ में नालों को नरवा कहा जाता है। इस योजना के तहत राज्य के नालों पर चेकडेम बना कर पानी रोकना तथा उस पानी को खेतों की सिंचाई के लिये उपलब्ध कराना है। इसके अलावा नालों के जरिए बारिश का जो पानी बह जाता है, उसे रोक कर भूगर्भीय जल को रिचार्ज करना है। नरवा योजना मुख्यतः इस वैज्ञानिक तकनीक पर आधारित है कि पानी का वेग कम होने से धरती का रिचार्ज तेजी से होता है। क्योंकि धरती को जल सोखने के लिए अधिक समय मिलता है। अक्सर बरसाती नालों में जितने तेजी से पानी चढ़ता है उतने ही तेजी से उतर भी जाता है। अब किसानों को खरीफ के साथ ही रबी फसलों के लिए भी पर्याप्त मात्रा में पानी मिल रहा है, आसपास के क्षेत्रों में भूजल स्तर भी बढ़ रहा है। साथ ही मनरेगा के तहत नरवा विकास कार्यों में शामिल होकर ग्रामीणों को रोजगार भी प्राप्त हो रहा है।
दुर्ग जिले में नरवा अंतर्गत एरिया ट्रीटमेंट और ड्रेनेज लाइन ट्रीटमेंट के कार्यों को नया आकार दिया गया है। एरिया ट्रीटमेंट के लिए कच्ची नाली, निजी डबरी, नया तालाब, वृक्षारोपण, वाटर अब्सोरप्शन ट्रेंच, भूमि सुधार, रिचार्ज पिट एवं कुओं का निर्माण किया गया है। ड्रेनेज लाइन ट्रीटमेंट के लिए नाला पुनरोद्धार एवं गहरीकरण, अन्य नवीन नरवा जीर्णाेद्वार, चेक डेम, चेक डेम जीर्णाेद्वार, ब्रशवूड चेक डेम, रिचार्ज पिट इत्यादि का निर्माण किया गया है। नरवा अंतर्गत स्वीकृत कार्य के आंकड़े प्रशंसनीय हैं। डीपीआर में कुल 6207 कार्य लिए गए जिनमें से 6164 कार्यों को स्वीकृति मिल चुकी है। 5890 कार्य पूरे हो चुके हैं । 304 ग्राम पंचायतों में कुल 196 नरवा बनाये गए हैं एवं नरवा का उपचार किया गया है। 89 डाईक के साथ कुल 167660.81 हे. का जल संग्रहण क्षेत्र बनाया गया है ।
मिट्टी में नमी की मात्रा में वृद्धि का आंकलन क्षेत्र में वनस्पति अच्छादन व कृषि की उत्पादकता की स्थिति के आधार पर किया जाता है। नमी के चलते ही पौधों की जड़े फैलती है और पौधे नमी के साथ हो मिट्टी से अपना भोजन लेते हैं। ज्यादा पानी की वजह से फसल में आद्र गलन व जड़ गलन इस तरह के फफूंदजनित रोग की समस्या आती है। भूमिगत जल सतह की स्थिति का आंकलन वर्ष में दो बार किया जाता है। प्री-मॉनसून मार्च से मई तक और पोस्ट-मॉनसून अक्टूबर से दिसंबर तक होता है।
नरवा में प्रवाह का आंकलन रू लिटर प्रति सेकेंड के हिसाब से नरवा में पानी के प्रवाह का आंकलन किया जाता है। जब नरवा में पानी की मात्रा अच्छी होती है तो किसान को खेती में सुविधा मिलती है। इस सूचक के प्रभाव का आकलन रबी और खरीफ फसल के सिंचित रकबे में परिवर्तन के आधार पर किया जाता है। किसानों द्वारा नाले के पानी का उपयोग सिंचाई के लिए किया जा रहा है, जिससे फसल की उत्पादकता बढ़ी है।
गजरा नाला वॉटर शेड में अल्प वर्षा से जलभराव होने से किसानों को सिंचाई के लिए पानी की सुविधा मिल रही है। जिससे फसलों के उत्पादन में बढ़ोतरी हो रही है। आस-पास के लिए हैंड पंप और बोर में भू-जल स्तर बढ़ रहा है। ग्राम पंचायत अकतई, औरी, पौहा और रानीतराई में नाले में बोरी बंधान से अल्पवर्षा का जल संग्रहित हुआ है। इस जलभराव से किसानों को सिंचाई के लिए भरपूर पानी की व्यवस्था हुई है। समृद्ध फसलों के लिए यह मददगार साबित हो रहा है। पंद्रह कि.मी. के लुमती नाले में ट्रीटमेंट होने पर डेढ़ हजार किसानों कर रहे रबी फसल का उत्पादन 745 हेक्टेयर में बोर के माध्यम से 1610 किसान कर रहे हैं। जिससे भूमिगत जलस्तर में भी बढ़ोतरी हुई हैं।
नाले के दोनों किनारों में 500 मीटर तक किसान पहले बोर चलाते थे, अब नाले से पानी ले रहे हैं। कलेक्टर श्री पुष्पेंद्र कुमार मीणा धमधा में विकास कार्यों का निरंतर निरीक्षण करते हैं। मानसून की अमृत बूंदों के स्वागत के लिए तैयार नरवा स्ट्रक्चर के माध्यम से जलस्तर पांच इंच तक बढ़ने की उम्मीद है। नरवा के दो चरणों के काम सफलतापूर्वक पूर्ण हो चुके हैं, 586 इंच जलस्तर बढ़ गया है जिससे पंद्रह हजार श्रमिकों की मेहनत रंग लाई है। इस योजना के माध्यम से न सिर्फ भूजल स्तर के गिरावट में कमी आ रही है बल्कि नरवा की साफ-सफाई और भूमि सुधारकर नालों के क्षेत्रफल को भी बढ़ाया जा रहा है। इस योजना का लक्ष्य यह भी है कि गर्मियों के मौसम में कुआं, हैंडपंप और बोरवेल आदि में भी पानी के स्तर में कमी ना आए और राज्य के किसान आसानी से खेती-बाड़ी कर सकें। साल भर जल की उपलब्धता बनी रहे और किसान आत्मनिर्भर व सशक्त रहे। जल संरक्षण में नरवा एक राष्ट्रीय मॉडल की भांति उभर रहा है।
// गोधन न्याय योजना से खुला ग्राम बरही के ग्वालिन स्वसहायता समूह के महिलाओं के लिए आमदनी का द्वार
//गोबर बेचकर महिलाएं हो रही आत्मनिर्भर, गांव में ही स्वरोजगार मिलने से बढ़ा आत्मविश्वास ,05 लाख 20 हजार रुपये की राशि की 1007 क्विंटल खाद बिक्री कर
//समूह के प्रत्येक सदस्यांे को हुआ 47 हजार 272 रुपए का शुद्ध लाभ
बालोद / शौर्यपथ / राज्य शासन के सुराजी ग्राम योजना के अंतर्गत शुरू की गई महत्वाकांक्षी गोधन न्याय योजना के सफल क्रियान्वयन के फलस्वरूप यह योजना ग्रामीणों, पशुपालकों एवं महिला स्वसहायता समूह के अलावा इस कार्य से जुड़े लोगों के लिए हर तरह से उपयोगी साबित होकर कामधेनू बन गया है। जिले में इस योजना के सफल क्रियान्वयन के फलस्वरूप बालोद विकासखण्ड के ग्राम बरही के स्वसहायता समूह के महिलाओं के लिए गोधन न्याय योजना से आमदनी का स्थायी द्वार खुल गया है। गोधन न्याय योजना के अंतर्गत बरही गौठान में ग्वालिन स्वसहायता समूह की महिलाएं अब तक 1300 क्विंटल वर्मी खाद का निर्माण कर चूकी हैं। इसके साथ ही स्वसहायता समूह की महिलाएं अब तक 05 लाख 20 हजार रुपये की 1007 क्विंटल वर्मी खाद की बिक्री कर प्रति सदस्य 47 हजार 272 रूपये की राशि की शुद्ध आमदनी प्राप्त कर चूके हैं। इस योजना से स्वसहायता समूह की महिलाओं को गांव में ही रोजगार मिलने से उनका आत्मविश्वास में भी वृद्धि हुई है। यह योजना आज फसलों मंे डालने वाले हानिकारक रासायनिक खादों के दुष्प्रभावों से मुक्ति प्रदान करने के अलावा कृषि भूमि की उर्वरा शक्ति को भी बरकरार रखने में भी अत्यंत मददगार साबित हो रहा है। इसके साथ ही यह योजना ग्रामीणों एवं स्वसहायता समूह की महिलाओं के लिए स्थायी रोजगार का जरिया बनकर उन्हें आत्मनिर्भर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रही है।
उल्लेखनीय है कि आदर्श गौठान बरही में नरवा, गरूवा, घुरवा एवं बाड़ी योजना अंतर्गत विभिन्न प्रकार की आजीविकामूलक गतिविधियां संचालित की जा रही हंै। जिसमें से वर्मी खाद निर्माण का कार्य प्रमुखता से किया जा रहा है। इसके अंतर्गत आदर्श गौठान बरही में ग्वालिन स्वसहायता समूह की 11 महिलाओं द्वारा गौठान में वर्मी खाद निर्माण का कार्य किया जा रहा है। बरही गौठान में वर्मी खाद निर्माण के फलस्वरूप इस कार्य से जुड़े स्वसहायता समूह की महिलाओं को निरंतर आमदनी होने से आज उनका जीवन स्तर पूरी तरह से सुधर गया है। राज्य शासन के गोधन न्याय योजना के फलस्वरूप गोबर बिक्री एवं वर्मी खाद निर्माण से उनके जीवन में हुए बदलाव के संबंध में जानकारी देेते हुए ग्वालिन स्वसहायता समूह की सक्रिय सदस्य केंवरा बाई ने इस योजना की मुक्तकंठ से सराहना की है। श्रीमती केंवरा बाई ने कहा कि राज्य शासन द्वारा गोधन न्याय योजना प्रारंभ करने के पूर्व उन्हें रोजगार की तलाश में आसपास के अन्य गांवों में जाना पड़ता था। लेकिन कड़ी मेहनत के बाद भी कोई खास आमदनी नहीं हो पाती थी। राज्य शासन द्वारा गोधन न्याय योजना शुरू कर इसके माध्यम से गोबर खरीदी एवं वर्मी खाद निर्माण कार्य प्रारंभ करने से आज यह योजना उनके जीवन को उनके जीवन के लिए कायाकल्प साबित हो गया है। उन्हें बताया कि आज बरही गौठान में वर्मी खाद निर्माण शुरू होने से उनके अलावा एवं उनके समूह के अन्य महिलाओं को रोजगार एवं आमदनी का बेहतरीन जरिया मिल गया है। केंवरा बाई ने कहा कि वर्मी खाद निर्माण से होने वाली आमदनी से उनका पारिवारिक जीवन सुखमय हो गया है। इस कार्य से होने वाली आमदनी का उपयोग वे अपने बच्चों की पढ़ाई-लिखाई के अलावा अन्य घरेलु कार्यों में कर रहीं है। इसके अलावा उन्होंने अपने समूह के अन्य सहयोगी श्रीमती शारदा यादव को भी उनके नये घर के निर्माण के लिए 35 हजार रुपये का सहयोग किया है। इस तरह से यह योजना इस कार्य से जुड़ेेे लोगों के जीवन को सुधारने के साथ-साथ अन्य लोगों के जीवन को भी सजाने व संवारने का काम कर रहा है।
राज्य शासन के गोधन न्याय योजना के अंतर्गत गोबर खरीदी एवं वर्मी खाद का निर्माण का कार्य इस कार्य से जुड़े लोगों के लिए हर दृष्टि से उपयोगी होकर मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के मंशानुरूप ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। ग्राम बरही के ग्वालिन स्वसहायता समूह की सभी महिलाओं ने राज्य शासन की गोधन न्याय योजना की भूरी-भूरी सराहना करते हुए इसके माध्यम से उनके जीवन को सुखमय बनाने के लिए मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल को हृदय से धन्यवाद ज्ञापित करते हुए उनके प्रति विनम्र आभार माना है।
गौठान में स्थापित रीपा बनाने की परिकल्पना अब हो रही साकार
अकेले ग्राम गुडेलिया में नारी शक्ति ग्राम समूह को 2 लाख वर्गफीट पेवर ब्लॉक का मिला एडवांस ऑर्डर
रायपुर/ शौर्यपथ / घरेलू कामों में व्यस्त रहने वाली कई महिलाएं सफलता की नई इबारतें लिख रहीं है। इनमें बलौदाबाजार भाटापारा जिले के विकासखण्ड भाटापारा के ग्राम गुडेलिया एवं विकासखंड पलारी के ग्राम गिर्रा की महिलाएं भी शामिल हैं। जो पेवर ब्लॉक बनाकर अपनी राह मजबूत बना रही है। जिलें में इस तरह पहली बार महिलाएं पेवर ब्लॉक बनाने का काम रही है। इसकी मांग इतनी है की पूर्ति करना मुश्किल हो जा रही हैं। आदर्श ग्राम गुड़ेलिया में नारी शक्ति ग्राम संगठन की महिलाओं द्वारा पेवर ब्लॉक बनाने का कार्य किया जा रहा है।
ग्राम संगठन समूह की सदस्य संतोषी ध्रुव ने बताया कि लगभग 1 माह पूर्व प्रारंभ हुआ उक्त यूनिट से अभी तक कुल 22 ट्रॉली 16500 वर्ग फीट पेवर ब्लॉक का निर्माण एवं सप्लाई हो चुका है। पेवर ब्लॉक की मांग अधिकतर आसपास के ग्राम पंचायतों द्वारा की जा रही है। जिसमें ग्राम धनेली, खपराडीह, लेवई, कडार एवं भरतपुर शामिल है। इसके साथ ही निजी व्यक्तियों द्वारा भी पेवर ब्लॉक की मांग की जा रही है। अभी तक हमारे संगठन को 2 लाख वर्ग फिट का एडवांस ऑर्डर मिल चुका है। जिसकी विक्रय दर 52 लाख रुपये है। जिससे लगभग 12 लाख रुपये का शुद्ध लाभांश नारी शक्ति ग्राम संगठन के सदस्यों को प्राप्त होगा। उन्होंने आगे बताया कि एक वर्गफीट का 26 रुपये दर निर्धारित की गयी है। जिसमे लगभग 20 रुपये खर्च होता है एवं 6 रुपये की बचत होती है। हमारे यहां 2 प्रकार की पेवर ब्लॉक बनाएं जा रहे है। जिसमें कॉस्मिक एवं जिगजैग प्रकार का शामिल है। कॉस्मिक में 1000 नग में 555 फिट एवं जिगजैग 1000 नग में 357 फिट का पेवर ब्लॉक बन जाता है।
सीमा ध्रुव कहती है की यूनिट के प्रारंभ होने से स्थानीय स्तर में ही हम को रोजगार एवं पर्याप्त मजदूरी साथ ही लाभांश राशि पर्याप्त मिल जा रही है। इसी तरह समूह की अन्य सदस्य मंजू ध्रुव कहती है की रीपा के संचालन से महिला समूह की सभी सदस्य बेहद ही खुश है एवं अतिरिक्त आय प्राप्त कर अपनी जरूरतों को पूरा करने के साथ-साथ परिवार के आर्थिक गतिविधियों में भी अपना हाथ बंटा रही हैं। उन्हें काम की तलाश में अब बाहर जाने की जरूरत नहीं पड़ती।
इसी तरह ग्राम गिर्रा की जय चंडी माँ महिला स्व सहायता समूह के द्वारा पेवर ब्लॉक बनाने का कार्य प्रारंभ किया गया है। उक्त यूनिट में 25 हजार नग पेवर ब्लॉक तैयार कर ली गयी है गौरतलब है कि राज्य शासन की महत्वाकांक्षी नरवा, गरूवा, घुरूवा एवं बाड़ी योजना के अंतर्गत गांव में निर्मित की गई गौठान के माध्यम से अब गांव एवं महिलाओं को एक नयी पहचान मिल रही है। गौठान में स्थापित रूरल इंडस्ट्रियल पार्क (रीपा) बनाने की परिकल्पना अब साकार हो रही है ।
रायपुर / शौर्यपथ / राज्य सरकार द्वारा लाख उत्पादन को भी खेती का दर्जा दिये जाने तथा विभिन्न प्रोत्साहन योजना के कारण प्रदेश के किसानों में लाख की खेती के प्रति रूझाान बढ़ा है। राज्य शासन द्वारा तकनीकी सलाह और प्रशिक्षण मिलने से अब किसान वैज्ञानिक पद्धति से भी लाख पालन करने लगे है। गौरतलब है कि राज्य के विभिन्न जिलों में परंपरागत रूप से लाख की खेती होती है। प्रदेश में लगभग 50 हजार से अधिक कृषकों द्वारा कुसुम व बेर के वृक्षों पर कुसुमी लाख तथा पलाश एवं बेर वृक्षों पर रंगीनी लाख पालन किया जाता है।
उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्देश पर राज्य शासन द्वारा किसानों को लाख की खेती के लिए प्रोत्साहित करने और उनकी आय में वृद्धि के लिए विशेष पहल की जा रही है। छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज संघ द्वारा बीहन लाख आपूर्ति तथा बीहन लाख विक्रय और लाख फसल ऋण की उपलब्धता के लिए आवश्यक व्यवस्था की गई है। इसी कड़ी में गरियाबंद जिले के किसान लाख उत्पादन कर अधिक मुनाफा अर्जित करने की ओर अग्रसर है। गरियाबंद वनमण्डल अंतर्गत लाख की खेती को बढ़ावा देने के लिए चार क्लस्टरों का चयन किया गया है। चयनित क्लस्टरों में किसानों को वैज्ञानिक पद्धति से लाख की खेती के लिए प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इसके अंतर्गत 761 किसान प्रशिक्षण पाकर 8243 कुसुम वृ़क्ष और 4849 बेर वृक्षों में लाख की खेती कर रहे हैं। तकनीकी सलाह और मार्गदर्शन मिलने की वजह से जिले के किसान 13 हजार से अधिक वृक्षों में वैज्ञानिक पद्धति से लाख की खेती कर रहे है।
गरियाबंद वनमण्डल के वनसंरक्षक ने बताया कि लाख की खेती को अधिक प्रोत्साहन कर लाख कृषक से बीहन लाख क्रय कर अन्य जिले के कृषकांे को भी प्रदाय किया गया है। उन्होंने बताया कि जून-जुलाई 2023 अंतर्गत देवभोग कलस्टर अंतर्गत अब तक 5 कृषकों से 14.53 क्विंटल लाख क्रय किया गया है। इसकी कीमत 5 लाख 75 हजार 527 रूपए है। जिले में लाख की खेती के लिए लाख पालक कृषकांे को जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक के प्राथमिक साख सहकारी समिति से समन्वय स्थापित कर वित्तीय वर्ष 2022-23 में 66 कृषकों को 23 लाख 25 हजार लोन की राशि वितरित की गई है। इसके अलावा वित्तीय वर्ष 2023-24 में 17 कृषकों को 8 लाख 50 हजार रूपए का लोन दिया गया है।
बता दे कि राज्य में बीहन लाख की कमी को दूर करने के लिए किसानों के पास उपलब्ध बीहन लाख को उचित मूल्य पर क्रय करने के लिए क्रय दर का निर्धारण किया गया है। इसके तहत कुसुमी बीहन लाख (बेर वृक्ष से प्राप्त) तथा रंगीनी बीहन लाख (पलाश वृक्ष से प्राप्त) लाख के लिए दर का निर्धारण किया गया है।
बांध जैसी अधोसंरचनाओं में काफी व्यय आता है और भूमि भी लगती है
नरवा योजना में स्थानीय संसाधनों से काफी कम लागत से जलसंरक्षण की दक्ष अधोसंरचनाएं हो रही तैयार
रायपुर / शौर्यपथ / संस्कृत में सूरज के बहुत से पर्यायवाची नामों में से एक है अंबु तस्कर। पानी चुरा लेने वाला, क्योंकि तालाब और अन्य जलाशयों का अधिकतर पानी सूरज की गर्मी की वजह से सूख जाता है। इसलिए तालाबों का ढलान इस तरह से रखा जाता है ताकि अधिकतम पानी सुरक्षित रह सके। छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने नरवा योजना के माध्यम से भूमिगत जल को रिचार्ज करने का कार्य किया है ताकि पानी की हर एक बूंद को सुरक्षित रखा जा सके। इससे नाले भी अमूमन बारहमासी रहते हैं और भूमिगत जल का स्तर भी बढ़ जाता है जिसकी वजह से किसान रबी फसल भी बेहतर तरीके से ले पा रहे हैं। छत्तीसगढ़ में नरवा योजना के अंतर्गत लगभग 28 हजार नालों को चयनित किया गया है और इसमें 12 हजार से अधिक नाले उपचारित कर लिये गये हैं। इसके परिणामस्वरूप भूजल स्तर में 10 से 22 सेमी तक वृद्धि हुई है। जहां बांध जैसी अधोसंरचनाएं काफी जगह घेरती हैं और सीधे एक्सपोजर होने की वजह से इनमें पानी का भी नुकसान होता है ग्राउंड वाटर रिचार्ज की नरवा योजना में पानी और भूमि दोनों का ही नुकसान नहीं होता।
पहाड़ से इतना पानी आता था कि सब्जी फसल बह जाती थी, अब रबी फसल भी संभव- मोहला मानपुर अंबागढ़ जिले में कोहका गांव है। यह गांव पहाड़ के ठीक नीचे है। बारिश जब होती थी तो पूरा पानी बह जाता और नीचे सब्जी की फसल भी तबाह हो जाती थी। चूंकि पहाड़ी से पानी तेजी से उतरता था इसलिए ग्राउंड वाटर रिचार्ज भी नहीं हो पाता। नरवा योजना के अंतर्गत यहां चेकडेम बना। अब पानी की एक एक बूंद सहेज लेते हैं। सब्जी फसल का नुकसान भी नहीं होता और रबी की फसल के लिए भी पर्याप्त पानी की गुंजाइश बन गई है।
नरवा से बढ़ा पानी तो हाथियों की गतिशीलता भी थमी- रायगढ़ वनमंडल का उदाहरण लें। यहां वनक्षेत्रों में भूमिगत जल को रिचार्ज करने नरवा योजना अंतर्गत कार्य किया गया। नालों के उपचार के बाद अब इन नालों में अप्रैल और मई महीनों तक पानी रहने लगा है। इससे आसपास के किसानों के लिए खेती भी आसान हुई है। हाथी प्रभावित क्षेत्र जुनवानी, बंगुरसिया, अमलीडीह आदि में पानी की पर्याप्त उपलब्धता के चलते हाथियों की गतिशीलता थम रही है।
नाले में इतना गाद था कि धारा ही बदल गई थी, अब पांच फीट गहरे नाले से हो रही सिंचाई- दुर्ग जिले के धमधा ब्लाक में लुमती नाला बहता है। नाले में इतनी गाद जम गई थी कि नाला पूरी तरह अप्रभावी रह गया था। नरवा योजना अंतर्गत इसका जीर्णाेद्धार आरंभ हुआ। पांच फीट गाद साफ की गई। इसके साथ ही नरवा के स्ट्रक्चर भी तैयार किये गये। अब लुमती नाले को संजीवनी मिल गई है। आसपास के छह गांवों में बोरवेल भी गर्मी के दिनों में भी जीवंत हो गये हैं।
खोखनिया नाला का नरवा योजना अंतर्गत विकास हुआ, तो रोज आने लगे पर्यटक भी - सूरजपुर जिले के पिलखा पहाड़ के अंतर्गत खोखनिया नाला का विकास नरवा योजना के अंतर्गत किया गया। यह खोखनिया नाला पिलखा पहाड़ के ठीक नीचे हैं। पहाड़ के ठीक नीचे बने एक सुन्दर सरोवर के वाटर हार्वेस्टिंग स्ट्रक्चर से इतना सुन्दर नजारा तैयार हुआ कि इसे देखने हर दिन लगभग 150 से 200 पर्यटक आते हैं। लगभग 500 परिवारों के लिए सिंचाई सुविधा उपलब्ध हुई है तथा आसपास के सात गांवों में भूमिगत जल 30 सेंटीमीटर तक बढ़ गया है।
इसके लिए संसाधन स्थानीय ही- नरवा योजना प्रकृति के लिए, प्रकृति के माध्यम से ही चलाई जा रही है। इसके स्ट्रक्चर देखें। ब्रशवुड चेक को लें, दिसंबर जनवरी के बाद जब छोटे नालों में पानी कम हो जाता है तब बेशरम की लकड़ियों जैसी झाड़ियों से ब्रशवुड चेक बनाते हैं और आसपास के खेतों के लिए रबी फसल हेतु पानी मिल जाता है। धमतरी वनमंडल का उदाहरण लें। यहां पर कंटूर ट्रेन्चिंग किये गए हैं। इसके माध्यम से नालों का जलस्तर तेजी से बढ़ा है। लूज बोल्डर चेक और गैबियन जैसे स्ट्रक्चर के माध्यम से नाले के पानी का वेग कम हो जाता है। गति धीमी पड़ जाने से वाटर रिचार्ज तेज हो जाता है।
प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी के लिए उपयोगी पुस्तकें और अन्य सामग्री खरीदने मिल रही मदद
रायपुर / शौर्यपथ / रोजगार की तलाश कर रहे युवाओं के लिए मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की पहल से शुरू की गई बेरोजगारी भत्ता योजना एक सुखद सहारा बनी है। प्रदेश के ऐसे युवा जिनकी आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं होने की वजह से उन्हें प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी सहित अन्य खर्चे उठाने में काफी परेशानी उठानी पड़ती है, इस योजना के तहत मिली राशि से वे अपनी जरूरतें पूरी कर पा रहे हैं। यह योजना अनेक युवाओं के भविष्य को एक नया आयाम देने में सहायक बन गया है।
मनेंद्रगढ़ विकासखंड के ग्राम पंचायत चैनपुर में रहने वाली सुश्री मीनू चौरसिया भी एक बेरोजगार युवा है जो प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रही हैं। उन्होंने बताया कि उनके पिताजी होटल व्यवसाय में काम करते हैं और उनके परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। पहले उन्हें पुस्तक, स्टेशनरी और परीक्षा में शामिल होने के लिए आवश्यक जरूरतों के लिए पैसों की बहुत दिक्कत होती थी। परंतु बेरोजगारी भत्ता मिलने से उन्हें पुस्तक, कॉपी, पेन, प्रतियोगी पुस्तकें व परीक्षा फॉर्म भरने में काफी मदद मिल रही है। उन्होंने यूट्यूब में पढ़ाई करने के लिये नेट रिचार्ज भी कराया है। सुश्री चौरसिया ने बताया कि उन्हें अब आर्थिक रूप से परिजनों पर आश्रित नहीं रहना पड़ रहा है। उन्होंने अभी श्रम विभाग में नियुक्ति के लिए आवेदन किया है। योजनांतर्गत सहायता राशि प्रदान करने के लिये उन्होंने मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल को धन्यवाद दिया है।
इसी तरह कोरबा शहरी क्षेत्र स्थित काशीनगर की रहने वाली सुश्री राजलक्ष्मी राठौर ने बताया कि वह एमएससी बायोटेक्नोलॉजी की पढ़ाई पूर्ण करने के बाद शासकीय नौकरी प्राप्त करने के लिए प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रही है। अभी वह यूजीसी नेट, शिक्षक भर्ती परीक्षा सहित अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रही हैं। उनकी इच्छा है कि एक अच्छी नौकरी हासिल कर परिवार की आर्थिक स्थिति को मजबूत बनाने में अपने पिता का सहयोग करें एवं अपने माता-पिता का नाम रौशन करें, लेकिन उनके परिवार की आर्थिक स्थिति उनके इरादों के बीच रुकावट बन रही थी। उन्होंने बताया कि उनके परिवार में 4 सदस्य हैं। उनके पिता एक स्टाम्प वेंडर हैं, उनकी आय बहुत कम है। साथ ही घर में उनके पिता ही एक मात्र कमाने वाले सदस्य हैं। उनकी आय से घर की दैनिक आवश्यकताओं की पूर्ति के साथ परिवार की सदस्यों की जरूरतें पूरी करने में ही खर्च हो जाती है।
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने 31 मई को अपने निवास कार्यालय में आयोजित कार्यक्रम में बेरोजगारी भत्ता योजना के एक लाख 5 हजार 395 हितग्राहियों के खाते में 32 करोड़ 35 लाख 25 हजार रूपए की राशि का ऑनलाईन अंतरण किया। इन हितग्राहियों में 66 हजार 185 हितग्राहियों को, जिन्हें माह अप्रैल में प्रथम किश्त की राशि जारी की गई थी, उन्हें आज द्वितीय किश्त के रूप में 16 करोड़ 54 लाख 62 हजार 500 रूपए, 24 हजार 15 हितग्राहियों को जिन्होंने 30 अप्रैल 2023 तक आवेदन किया था, उन्हें माह अप्रैल और मई दोनों माह की बेरोजगारी भत्ते की किश्त के रूप में 12 करोड़ 75 हजार रूपए की राशि जारी की गई। इसी प्रकार 15 हजार 195 हितग्राहियों को जिन्होंने मई 2023 में आवेदन किया था, उन्हें आज प्रथम किश्त की राशि के रूप में 3 करोड़ 79 लाख 87 हजार 500 रूपए की राशि जारी की गई। बेरोजगारी भत्ता योजना के हितग्राहियों को प्रथम और द्वितीय किश्त के रूप में कुल 48 करोड़ 89 लाख 87 हजार 500 रूपए की राशि जारी की गई है।
साभार लेख : जनसंपर्क छत्तीसगढ़
आलेख: जी.एस. केशरवानी
रायपुर / शौर्यपथ / छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था के विविधिकरण और इसे विकसित राज्यों के स्तर तक लाने के लिए नए नए प्रयास किए जा रहे हैं। कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था की मजबूती के लिए राज्य में कई कदम उठाए गए हैं। यहां धान और वनोत्पाद के विपुल उत्पादन के साथ-साथ पर्यटन की संभावनाओं को देखते हुए कई पहल की गई है। इसी के तहत यहां सुराजी गांव और गोधन न्याय योजना, इथेनाल प्लांट की स्थापना, मिलेट मिशन, वनोपज एवं वनोत्पाद के वेल्यूएडिशन सहित कई क्षेत्रों में काम हो रहा है। लाख और मत्स्य उत्पादन को कृषि का दर्जा दिया गया है। राज्य के विभिन्न उत्पादों की बिक्री के लिए सी-मार्ट प्रारंभ करने की योजना बनायी गई है। पर्यटन संभावनाओं के दोहन के लिए पर्यटन क्षेत्रों का विकास किया जा रहा है। इन्हीं सब प्रयासों को एकीकृत करने और रोजगार की नई संभावानाओं के सृजन के लिए छत्तीसगढ़ रोजगार मिशन की शुरूआत की गई है।
राज्य में लोगों को आर्थिक क्रियाकलापों से जोड़ने और उनके आर्थिक सशक्तिकरण के लिए संभवतः देश में पहली बार रोजगार मिशन की परिकल्पना छत्तीसगढ़ में की गई है। यह मिशन राज्य और जिलों की परिस्थितियों के अनुसार रोजगार के नए-नए अवसरों के सृजन के लिए काम करेगा। इस काम के लिए मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की अध्यक्षता में छत्तीसगढ़ रोजगार मिशन का गठन किया गया है। यह मिशन रोजगार से जुड़े सभी महत्वपूर्ण विभागों के बीच में समन्वय स्थापित कर नए-नए रोजगार की संभावनाएं तलाशने के साथ ही उन्हें संचालित करने में मद्द करेगा। मुख्य सचिव इस मिशन के उपाध्यक्ष बनाए गए हैं। इस मिशन के काम-काज को व्यवस्थित रूप से संचालित करने के लिए मुख्य कार्यपालन अधिकारी की नियुक्ति की गई है।
रोजगार मिशन के माध्यम से आगामी 5 वर्षों में 10 से 15 लाख रोजगार के नए अवसरों का सृजन करने का लक्ष्य है। यह मिशन रोजगार को बढ़ावा देने संबंधी नीतिगत फैसले लेगा और राज्य की औद्योगिक नीति और अन्य नियमों में जहां भी आवश्यक प्रावधान करने की जरूरत होगी अपनी सिफारिश करेगा। सभी जिलों में रोजगार के लिए सेक्टरों का चिन्हांकन होगा। इनमें परम्परागत अवसरों के साथ ही रोजगार के नए अवसरों की पहचान की जाएगी। रोजगार के इच्छुक युवाओं का चिन्हांकन कर उनके लिए कौशल विकास की व्यवस्था की जाएगी। जिलों में रोजगार पार्क भी बनाए जाएंगे, जहां ऐसी इकाईयां स्थापित की जाएंगी। रूरल इंडस्ट्रीयल पार्कों में तैयार उत्पादों की शासकीय खरीदी के अलावा खुले बाजार में बिक्री की व्यवस्था की जाएगी। सेवा क्षेत्रों में नए रोजगार की संभावनाओं को देखते हुए इन गतिविधियों में युवाओं के कौशल प्रशिक्षण की व्यवस्था की जाएगी।
रोजगार मिशन ब्रांड छत्तीसगढ़ की पहचान को पूरे देश भर में स्थापित करने के लिए भी काम करेगा। देश के सभी बड़े महानगरों दिल्ली, मुम्बई, बंेगलूरू आदि में छत्तीसगढ़ के उत्पादों की प्रदर्शनियों का आयोजन करेगा। इसके साथ ही एयरपोर्ट में भी छत्तीसगढ़ के उत्पादों के स्टालों की स्थापना की जाएगी। ई-कामर्स के बड़े ब्रांड से अनुबंध के साथ ही रिटेल क्षेत्र में बिग बाजार और डीमार्ट से भी यहां के उत्पादों की बिक्री के लिए अनुबंध किया जाएगा। कोसा उत्पादों की बिक्री के लिए देश भर में फैशन शो के आयोजन के साथ ही पयर्टन संभवावनाओं के दोहन के लिए विशेष प्रचार अभियान चलाया जाएगा। ब्रांड छत्तीसगढ़ के लिए किसी बड़े सेलेब्रिटी को ब्रांड एम्बेस्डर नियुक्त करने की योजना भी है।
रोजगार मिशन रोजगार के नए अवसरों के सृजन के लिए आई.आई.टी, आई.आई.एम. और कृषि विश्वविद्यालयों से छत्तीसगढ़ के उत्पादों की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए शोध गतिविधियों के संचालन के साथ ही नए स्टार्ट-अप को प्रोत्साहन और मार्केटिंग स्टेªटजी और ऋण सुविधा उपलब्ध कराने में मदद भी करेगा। रोजगार की गतिविधियां बढ़ाने के लिए सभी जिलों में वहां की परिस्थितियों के अनुसार रोजगार सृजन के लिए गतिविधियों का चिन्हांकन किया जाएगा। चिन्हांकित 10 से 20 गतिविधियों में जिले स्तर पर कार्य योजना तैयार की जाएगी। कार्य योजना अल्पावधि और दीर्घ अवधि दोनों के लिए तैयार होगी। इसके लिए सभी जिला कलेक्टरों को दिशा-निर्देश दिए गए हैं।
- जैविक विधि से पोषक तत्वों से भरपूर प्राचीन पैगम्बरी सोनामोती गेहंू, देशी बंशी गेहूं, जिंक बायो फोर्टिफाइड गेहंू, ब्लैक राइस, रेड राइस, ग्रीन राइस, जिंक राइस, बासमती, काला नमक किरण, विष्णुभोग, श्यामला, लायचा धान की ले रहे उपज
- गोधन वर्मी कम्पोस्ट का कर रहे उपयोग, कृषि विभाग के सहयोग से कराया नलकूप खनन
- जैविक उत्पाद स्वास्थ्य के लिए है लाभप्रद, कई बीमारियों में विशेष है उपयोगी
राजनांदगांव / शौर्यपथ / जैविक खेती को अपनाकर डोंगरगांव विकासखण्ड के ग्राम सोमाझिटिया के प्रगतिशील कृषक श्री खेमलाल देवांगन ने समृद्धि की दिशा में कदम बढ़ाए हैं। उनके जीवन में परिवर्तन आया कृषि विभाग के कृषि मेला में पहुंचकर जहाँ वेस्ट डी कम्पोजर के कल्चर नि:शुल्क प्रदान किया जा रहा था। वैज्ञानिक पद्धति से कृषि करने के विचारों को सुनकर वे प्रभावित हुए। उन्होंने कहा कि लघु धान्य फसलों को बढ़ावा देने के लिए शासन द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य में खरीदने की पहल सराहनीय है। वे अभी अपने खेतों में जैविक विधि से पोषक तत्वों से भरपूर प्राचीन पैगम्बरी सोनामोती गेहूँ, देशी बंशी गेहूँ, जिंक बायो फोर्टिफाइड गेहूँ, काला गेहूँ (शुगर फ्री), खपली गेहूँ, ब्लैक राइस, रेड राइस, ग्रीन राइस, जि़ंक राइस, बासमती, काला नमक किरण, विष्णुभोग, श्यामला, लायचा धान की उपज ले रहे हैं, जिनकी मार्केट में खासी डिमांड है और वे अन्य राज्यों में भी निर्यात कर रहे हैं। ये जैविक उत्पाद स्वास्थ्य के लिए लाभप्रद हैं और कई बीमारियों में विशेष उपयोगी हैं। जैविक खेती के लिए उनका जज्बा देखकर यह पंक्तियां उपयुक्त लगती हैं-
उठो ये मंजर-ए-शब-ताब देखने के लिए
कि नींद शर्त नहीं ख्वाब देखने के लिए
कृषक श्री खेमलाल देवांगन ने कृषि विभाग के सहयोग से नलकुप खनन योजनांतर्गत एक नलकुप खनन करवाया जिसमें में अस्थाई विद्युत कनेक्शन लेकर लगभग 8 एकड़ जमीन की सिंचाई कर रबी सीजन में काला गेंहूं, शरबती गेंहॅू एवं गेंहॅू की प्रचानी एवं देशी वेरायटी में प्राचीन पैगंबरी सोना मोती गेहूँ, देशी बंसी गेहूं की फसल पूर्ण जैविक विधि से लेने लगे। जिससे फसल क्षेत्र में वृद्धि हुई और जैविक गेहूँ के बीज एवं आटा की मार्केटिंग से आय में वृद्धि हुई। उन्होंने बताया कि सरकार ने राजीव गांधी किसान न्याय योजना के अंतर्गत धान की सुंगधित वेरायटी लगाने पर इनपुट सब्सिडी दिये जाने का प्रावधान किया है, जिसमें मैनें 4.36 एकड़ पर सुगंधित धान की फसल लगाकर इस योजना में सहभागिता निभाई है, जिससे मुझे लगभग 40 हजार रूपए का अनुदान प्राप्त होगा, जो मेरी अतिरिक्त आमदनी होगी। उन्होंने बताया कि पहले वे अपनी पैतृक जमीन पर वर्षा आधारित धान की फसल रासायनिक खेती करते थे। लेकिन वर्ष 2015 में धान की रासायनिक खेती में वेस्ट डिंकपोजर के कल्चर का उपयोग सिंचाई में करने यूरिया, डीएपी एवं पोटाश की कम मात्रा में उपयोग करने के बावजूद उत्पादन प्रभावित नहीं हुआ। धान को बालियों की लबांई, दानों का वजन, कटाई तक धान के पौधे का नहीं गिरना जैसे आश्चर्यजनक परिणाम से प्रभावित होकर वे जैविक खेती की ओर अग्रसर हुए। शासन की नरवा, घुरवा, गरवा, बाड़ी के योजना अंतर्गत गोधन वर्मी कम्पोस्ट एवं सुपर कंपोस्ट खरीदकर जैविक खेती में मुख्य एवं सूक्ष्म पोषक तत्वों की पूर्ति हेतु उपयोग कर रहे हैं। वेस्ट डिंकपोजर की सहायता से 200-200 लीटर के ड्रम में तैयार तरल घोल को खेतों तक ले जाने में कठिनाई को देखते हुए उन्होंने 8 एकड़ में चौड़ा रास्ता बनाया एवं बोरवेल पंप के बाजू में एक पंप हाउस का निर्माण कराया ताकि सभी जैविक तरल घोल को ड्रम में बनाकर खेतों एवं फसलों पर सिंचाई या स्प्रे के माध्यम से आसानी से दे सकें।
उन्होंने बताया कि बोरवेल पंप को मोबाइल से कॉल करके चालू एवं बंद करने हेतु मोबाईल पंप स्टार्टर इंस्टाल किया है। जिसमें छोटे बड़े खेतों में जितनी पानी की आवश्यकता हो उतने समय तक पंप चालू रखकर पानी को संरक्षित करने का प्रयास किया है। इस स्टार्टर को खेत में उपस्थित नहीं रहने पर भी दुनिया के किसी भी कोने से मोबाइल नेटवर्क रहने पर पंप को चालू एवं बंद किया जा सकता है। बिजली बंद होने पर आपरेट किया जा सकता है।
राजानवागांव का बिहान कैंटीन बना महिलाओं के लिए आजीविका का नया स्रोत
कवर्धा / शौर्यपथ /जीवन में आगे बढ़ने की इच्छा यदि हो तो रास्ते अपने आप खुल ही जाते हैं। आर्थिक रूप से तरक्की करना हर व्यक्ति का सपना होता है और अपने प्रतिदिन के आवश्यकता की पूर्ति के लिए घर के पास ही काम करने का अवसर मिले तो यह और बेहतर हो जाता है। अपने परेशानियों को अवसर में बदलने की यह कहानी है ग्राम पंचायत राजानवागांव के महिला स्व. सहायता समहू की जिन्हें विभागीय अभिसरण का लाभ मिलने से जीवन में बदलाव आने लगा है। जिले के विकासखंड बोडला के ग्राम पंचायत राजानवागांव में राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन बिहान के तहत कार्य कर रही भारत माता स्व सहायता समूह की महिलाएं बिहान कैंटीन के नाम से स्वल्पाहार केंद्र चला रही हैं। प्रतिदिन एक हजार रुपये से बारह सौ रुपये तक की आमदनी महिलाओं को हो रही है। भोरमदेव आजीविका केंद्र के पास संचालित बिहान कैंटीन में आसपास के क्षेत्रों के ग्रामीणों एवं राहगीरों को गरमा-गरम चाय, नाश्ता मिल रहा है जिसमें समोसा, बड़ा, भजिया एवं चाय आदि की सुविधा प्राप्त हो रही है।
बिहान कैंटीन की आमदनी से हम महिलाएं आर्थिक रूप से मजबूत होकर अपने परिवार की जरूरतों को पूरा करने में हो रही है सफल : उर्मिला धुर्वे
बिहान कैंटीन को चलाने वाली उर्मिला धुर्वे बताती है कि राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन बिहान के द्वारा भारत माता स्व सहायता समूह से जुड कर कार्य कर रही है। हम चार महिलाएं जिसमें सुनीता श्रीवास, इंद्राणी मरकाम एवं अन्य मिलकर बिहान कैंटीन का संचालन कर रही है। कैंटीन को चलाने के लिए अपने ग्राम संगठन से 30 हजार रुपये का लोन लिया है, जिससे कैंटीन में लगने वाले जरूरी बर्तनों एवं खाद्य सामग्री की व्यवस्था की गई। उर्मिला आगे बताती है कि मैं अपने समूह में सचिव के रूप में कार्य करती हूं और हमारा कैंटीन राजानवागांव में सड़क पर धान खरीदी केंद्र के पास है। प्रतिदिन सुबह से लेकर शाम तक नाश्ता खाने वालों की भीड़ लगी रहती है जिसके कारण हमें भी अच्छी आमदनी हो रही है। हम प्रतिदिन एक हजार रुपए से लेकर 12 सौ रुपए तक कमाई आ रही हैं। इस तरह हम चारों महिलाओं को प्रतिदिन लगभग 3 सौ रुपये की आमदनी हो जाती है जो हमारे परिवारिक जरूरतों के काम आता है। बिहान के सहायता से हम महिलाएं आर्थिक रूप से मजबूत हो रही है।
विभागीय अभिसरण ने आजीविका के खोले नए द्वार : सीईओ जिला पंचायत
जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री विजय दयाराम के. ने बताया कि भोरमदेव आजीविका केंद्र से लगकर महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के द्वारा महिला स्व सहायता समूह के लिए शेड निर्माण कार्य कराया गया। इस कार्य की स्वीकृति वित्तीय वर्ष 2020-21 के अगस्त माह में की गई। 7 लाख 30 हजार रुपये की लागत से हुए इस कार्य में 335 मानव दिवस रोजगार का सृजन हुआ जिसमें ग्रामीणों को रोजगार मिला। इस कार्य से महिलाओं के लिए बिहान कैंटीन के रूप में रोजगार के साथ आजीविका का नया अवसर खुला है। उन्होंने बताया कि इस कैंटीन के बन जाने से चार महिलाएं प्रतिदिन लगभग तीन-तीन सौ रुपये की आमदनी अर्जित कर रही है जो उन्हें आर्थिक रूप से सक्षम बनाते हुए आजीविका का पर्याय बन गया है। विभागीय अभिसरण से हो रहे इस कार्य के द्वारा शासन की मंशा अनुरूप ग्रामीण महिलाएं लाभान्वित हो रही है और साथ ही वो अपने परिवार की तरक्की में भागीदारी निभा रही हैं। ग्रामीण विकास विभाग की योजनाएं को सफल सिद्ध करता बिहान कैंटीन मॉडल के रूप में पहचान बनाने लगा है।
धान खरीदी केंद्र में आए किसानों को बिहान कैंटीन से मिलता है गर्म नाश्ते की सुविधा
ग्राम राजानवागांव में किसानों से धान खरीदी का कार्य चल रहा है। इस कारण सुबह से ही देर शाम तक किसानों की भीड़ खरीदी केंद्र में रहती है। ऐसे वक्त में क्षेत्र के किसानों को बिहान कैंटीन से बहुत फायदा मिल रहा है, क्योंकि मात्र 10 रुपये प्रति प्लेट की दर से ग्रामीणों को दिन भर गर्म नाश्ता प्राप्त होता है। बिहान कटिंग के कारण किसानों को धान खरीदी केंद्र से कहीं दूर जाने की जरूरत नहीं पड़ती क्योंकि बिहान कैंटीन धान खरीदी केंद्र के पास ही है और सस्ते दर पर नाश्ता मिलने से ग्रामीणों का फायदा हो जाता है।
उत्तर बस्तर कांकेर / शौर्यपथ / प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सरकार द्वारा चलाई जा रही जनकल्याणकारी योजना का लाभ मिलने से श्रीराम नगर कांकेर निवासी श्रीमती रानी सेन के चेहरे पर नई मुस्कान आ गई है। असंगठित कर्मकार मृत्यु एवं दिव्यांग सहायता योजना के तहत श्रम विभाग के माध्यम से उन्हें एक लाख रुपए की सहायता राशि मृतक की पत्नी के खाते में आॅनलाइन हस्तांतरित किया गया है।
श्रीमती रानी सेन बताती है कि उनके पति संतोष कुमार सेन मजदूरी करते थे, स्वास्थ्य खराब हो जाने के कारण उनका निधन हो गया, ऐसे में परिवार का पूरा जिम्मा रानी सेन पर आ गया। पति के गुजर जाने के बाद परिवार के सभी सदस्यों के भरण पोषण का जिम्मा उठाना एक अकेली महिला के लिए कष्टदायी होता है। पति के दिवंगत हो जाने के पश्चात् परिवार में दो बच्चों की देखरेख, उनकी पढ़ाई का खर्च और घर चलाने की पूरी जिम्मेदारी जब रानी पर आई तो उनका घबराना स्वभाविक था, लेकिन उन्होंने हिम्मत दिखाते हुए जीवन के इस कठिन समय का सामना करने लगी, घर के पालनकर्ता के नहीं रहने पर उनके परिवार के लिए आर्थिक संकट एक बड़ी दुविधा थी। छत्तीसगढ़ शासन की जनहितैशी योजनाओं के कारण रानी सेन और उनके परिवार को इस संकट से मुक्ति मिली। संतोष का श्रमिक पंजीयन होने के फलस्वरुप ही उनकी मृत्यु पश्चात् आश्रित परिवार को एक लाख रुपए की सहायता राशि मिलने में सुविधा हुई, जिसके लिए उन्होंने मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के प्रति आभार जताया। रानी सेन ने बताया कि इस राशि से उनके परिवार को आर्थिक संकट से उबरने में सहायता मिलेगी, वे इस राशि का उपयोग अपने बच्चों की पढ़ाई लिखाई में करेंगी और साथ ही घर की अन्य आवश्यकताओं को पूरा करेंगी।
उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री निर्माण श्रमिक मृत्यु एवं दिव्यांग सहायता योजना के तहत पंजीकृत निर्माण श्रमिको की सामान्य मृत्यु एवं दुर्घटना में मृत्यु होने पर एक लाख रूपए तथा दुर्घटना से स्थायी दिव्यांगता होने पर 50 हजार रूप्ए की सहायता राशि दिए जाने का प्रावधान मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की घोषणा के परिपालन में श्रम विभाग द्वारा इस योजना को लागू किया गया है। इसके पूर्व श्रम विभाग द्वारा संचालित विश्वकर्मा दुर्घटना योजना के तहत श्रमिकों की सामान्य मृत्यु पर मात्र 30 हजार रूपए दिए जाने का प्रावधान था, जिसे बढ़ाकर अब एक लाख रूपए की आर्थिक सहायता दिये जाने का प्रावधान किया गया है।
कोण्डागांव / शौर्यपथ / कुछ लोग सब कुछ होकर भी दुनिया से हार जाते है और कई लोग कुछ ना होते हुए भी अपने जज्बों एवं प्रतिभा से इतिहास लिख जाते है। ऐसी ही एक कहानी मसोरा की 13 वर्षीय दिव्यांग बालिका राजेश्वरी पटेल की है। राजेश्वरी जन्म से ही अपने हाथ एवं पैरों को मोड़ने मे असक्षम थी। जिसके कारण वह बचपन से ही चलने-फिरने में असमर्थ रही परंतु इस असमर्थता को कभी अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया। मसोरा के माध्यमिक शाला में कक्षा सातवीं में अध्ययनरत राजेश्वरी अपने हाथों से कार्य करने में असक्षम थी। ऐसे में उसने अपनी विशेष स्थिति को पार पाते हुए पैरों से कार्य करना प्रारंभ कर दिया। आज वह पैरो से कंचे खेलने, पेंटिंग बनाने एवं रंगोली बनाने जैसे कार्यों को भी संपादित कर लेती है।
मुख्यमंत्री के निर्देश पर एसडीएम सहित प्रशासनिक अमला पहुंचा गांव
मुख्यमंत्री के निर्देश पर एसडीएम सहित प्रशासनिक अमला पहुंचा गांव
बालिका के संबंध में समाचार पत्रों द्वारा रंगोली प्रतियोगिता में प्रथम आने एवं पत्रिकाओं में राजेश्वरी के संघर्ष के संबंध में जानकारी मिलने पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने स्वयं संज्ञान लेते हुए कलेक्टर पुष्पेन्द्र कुमार मीणा को बालिका की हर संभव मद्द करने के साथ नयी व्हीलचेयर देने के निर्देश दिये। जिस पर एसडीएम गौतमचंद पाटिल, समाज कल्याण विभाग की उपसंचालक ललिता लकड़ा सहित प्रशासनिक अमला ग्राम पहुंचा। जहां एसडीएम एवं डीडी समाज कल्याण ने बालिका एवं उनके परिजनों से बात की एवं बालिका की सराहना की। बालिका को पूर्व में समाज कल्याण विभाग द्वारा व्हील चेयर प्रदान किया गया था। जो कि पुराना हो गया था। जिस पर विभाग द्वारा मुख्यमंत्री के निर्देशानुसार नयी व्हील चेयर बालिका को प्रदान की गयी। इसके अतिरिक्त एसडीएम ने परिजनों को किसी भी प्रकार की सहायता की आवश्कता होने पर प्रशासन द्वारा हर संभव मद्द की बात कही। इस अवसर पर प्रशासन द्वारा प्राप्त सहयोग हेतु राजेश्वरी एवं उनके परिजनों ने प्रशासन का धन्यवाद किया।
इस संबंध में बालिका के पिता दीनूराम पटेल कहते है कि उन्हें अपनी बेटी पर गर्व है। हाथों से कार्य न करपाने के बावजुद पैरो से वह अपने सभी कार्य कर लेती है। राजेश्वरी रंगोली, पेंटिंग के अलावा अच्छा गा भी लेती है। बालिका राजेश्वरी कहती है कि उन्हें उनके परिवारजनों का सदैव सहयोग मिला है। परिवारजनों के साथ स्कूली शिक्षकों एवं साथ के सहपाठी बच्चों द्वारा भी सहयोग एवं प्रोत्साहन मिलता है। नन्ही राजेश्वरी आगे चल कर इंजीनियर बनना चाहतीं हैं। यही उनके माता-पिता का भी सपना है।
बालिका के लिए समाज कल्याण विभाग बनायेगा नवीन सीपी व्हील चेयर
इस संबंध में उपसंचालक समाज कल्याण ललिता लकड़ा ने बताया कि प्रतिभावान बालिका को पूर्व में व्हील चेयर प्रदान करने के साथ विभाग की ओर से प्रतिमाह छात्रवृत्ति भी प्रदान की जा रही है। राजेश्वरी के लिए कलेक्टर के निर्देश पर विभाग द्वारा नवीन सीपी व्हील चेयर का भी निर्माण किया जा रहा है। जिसके लिए उन्हें रायपुर ले जा कर डॉक्टरों की टीम द्वारा स्वास्थ्य जांच करा कर नाप लेते हुए नवीन सीपी व्हील चेयर का निर्माण नाप के अनुसार किया जायेगा। इस नवीन व्हील चेयर में पढ़ने एवं अन्य गतिविधियों के संचालन हेतु अलग से टेबल लगाया जायेगा। जिसमें राजेश्वरी पैरों की सहायता से आसानी से दिन-प्रतिदिन के कार्य कर सकेंगी।
बालोद / शौर्यपथ / शासन की योजना का लाभ लेकर गुण्डरदेही विकासखण्ड के ग्राम परसतराई का कृषक चंद्रहास देवांगन अच्छी आमदनी अर्जित कर रहा है। कृषक ने अपनी आमदनी का जरिया मत्स्य पालन को बनाया। जिससे वह लगभग आठ लाख रुपए वार्षिक आमदनी प्राप्त कर रहा है। मत्स्य पालन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि कृषक द्वारा वर्ष 2018-19 में 03.18 हेक्टरयर भूमि 10 वर्ष हेतु लीज पर लेकर मत्स्य विभाग द्वारा संचालित राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के अंतर्गत 02 हेक्टेयर में तालाब निर्माण करवाया गया। जिसके लिए उन्हें मत्स्य पालन विभाग द्वारा 04 लाख 80 हजार रूपए अनुदान प्रदाय किया गया। तत्पश्चात् कृषक ने उक्त तालाब में मत्स्य पालन शुरू किया। उन्होंने बताया कि वर्तमान में कृषक द्वारा तालाब में मत्स्य पालन एवं बीज उत्पादन किया जा रहा है। इससे वह लगभग आठ लाख रूपए वार्षिक आमदनी अर्जित कर रहा है। मत्स्य पालन से होने वाली आमदनी से कृषक और उसका परिवार काफी खुश है।
क्रमांक/596
समाचार
नरवा विकास कार्य से ग्रामीणों को मिल रही सिंचाई की सुविधा, परसवानी नाला से 436 हेक्टेयर खेतों में हो रही सिचांई
बालोद, 21 सितम्बर 2021
राज्य शासन की महत्वाकांक्षी नरवा, गरवा, घुरवा एवं बाड़ी योजना के अन्तर्गत जिले में नरवा विकास के कार्य से ग्रामीणों को सिंचाई की सुविधा मिल रही है। नरवा विकास के कार्य के अंतर्गत गुण्डरदेही विकासखण्ड के परसवानी नाला का चयन किया गया। पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के अधिकारियों ने बताया कि परसवानी नाला डौण्डीलोहारा विकासखण्ड के ग्राम घीना से प्रारंभ होकर गुण्डरदेही विकासखण्ड के ग्राम परसवानी में प्रवेश करते हुए ग्राम सिकोला में तान्दुला नदी में समाहित होता हैं। परसवानी नाले की कुल लम्बाई 25.80 किलोमीटर है, जिसमें 21.80 किलोमीटर गुण्डरदेही विकासखण्ड में आता हैं। परसवानी नाला क्षेत्र में ग्राम परसवानी, परसतराई, बोरगहन, अर्जुनी टिकरी, झींका, खपरी, कान्दूल, रौना, देवगहन एवं सिकोला शामिल हैं।
परसवानी नाला में उपचार हेतु महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना मद से स्वीकृत राशि से 107 संरचनाओं का निर्माण कार्य पूर्ण किया गया है, जिसमें मिट्टी का कटाव रोकने, जल स्तर में वृद्धि तथा ग्रामीणों के आजीविका हेतु ब्रशवुड, वृक्षारोपण कार्य, रिजार्च पिट निर्माण, फार्म बंडिग कार्य, नाला गहरीकरण, कच्ची नाली निर्माण आदि कार्य कराया गया है। परसवानी नाला के निकट लगभग 436 किसानों का जमीन है, जिसमें खेती एवं अन्य कार्य करते है। इस नाला में विभिन्न संरचना बनने से हुए जलभराव का उपयोग लगभग 436 हेक्टेयर खेतों में पम्पिंग के माध्यम से सिंचाई किया जा रहा है।
नारायणपुर जिले में अब तक 316.63 किलोमीटर सड़क का निर्माण पूर्ण
नारायणपुर / शौर्यपथ / सड़के किसी भी देश के लिए जीवन रेखा होती है। सड़कों के अभाव में एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाना बहुत मुश्किल हो जाता है। किसी भी गांव की सामाजिक एवं आर्थिक उन्नति की कल्पना बिना अच्छी सड़कों के करना संभव नहीं है। इसलिए आवश्यक है कि प्रत्येक गांव को बारहमासी सड़कों से जोड़ा जाये। इसके लिए भारत सरकार ने 25 दिसम्बर 2000 को प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना की शुरूआत की थी। इस योजना का प्रमुख उद्देश्य ग्रामीण इलाकों के सामान्य क्षेत्रों में 500 एवं 500 से अधिक तथा पहाड़ी क्षेत्रों में 250 एवं 250 से अधिक आबादी वाले समस्त बिना जुड़ी हुई बसाहटों को बारहमासी सड़कों से जोड़ने का प्रावधान है।
इस योजना के अंतर्गत गांव, तालुका, जिले और बड़े शहरों को जोड़ते हुए सड़के बनाई जाती हैं तथा साथ ही सड़कों के गुणवत्ता को बनाये रखने के लिए विभिन्न स्तर पर सड़कों के जांच का प्रावधान भी किया गया है, जिसके लिए समय-समय पर राज्य गुणवत्ता समीक्षक एवं राष्ट्रीय गुणवत्ता समीक्षक द्वारा सड़कों की गुणवत्ता की जांच की जाती है। इस योजना को शुरू करने का उद्देश्य देश के गांवों को शहरों से पक्की सड़कों द्वारा जोड़ना है। लोगों को आने जाने में कोई तकलीफ ना हो और उस क्षेत्र का विकास हो। सड़को के निर्माण से उस क्षेत्र में विकास की प्रबल संभावनाएं होती है। इस योजना का मुख्य लाभ ग्रामीण लोगों को होगा।
कार्यपालन अभियंता सह सदस्य सचिव परियोजना क्रियान्वयन इकाई श्री विनय वर्मा ने बताया कि परियोजना स्थापना के बाद से नारायणपुर जिले में अब तक लगभग 316 किलोमीटर की कुल 76 सड़कों का निर्माण किया जा चुका है। योजनांतर्गत लक्षित चिन्हित 208 योग्य बसाहटों के विरूद्ध 170 बसाहटें और जिले से जुड़ी बसाहटों को बारहमासी आवागमन सुविधा प्रदान किया जा चुका है। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना-2 के तहत् नारायणपुर में कुल 5.50 किलोमीटर सड़क स्वीकृत की गयी है, जिसमें से 1.20 किलोमीटर सड़कों का निर्माण पूर्ण किया जा चुका है। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना-2 के तहत् जिले में कुल 10 किलोमीटर सड़क की स्वीकृति प्राप्त की जा चुकी है, जिसका निर्माण प्रगति पर है। कुल मिलाकर प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के विभिन्न कार्यक्षेत्रों के तहत् नारायणपुर जिले में अब तक 316.63 किलोमीटर सड़क का निर्माण पूर्ण कर लिया गया है। इस योजना के आने से ग्रामीणजनों को सभी क्षेत्रों में अत्यधिक लाभ प्राप्त हो रहा है। जिसमें विद्यालय, चिकित्सालय, देवालय, दर्शनीय स्थल, विकासखण्ड एवं जिला मुख्यालय आदि आने-जाने के लिए सायकल, दुपहिया वाहन एवं बस से जिले के प्रत्येक क्षेत्र में आवागमन सुगम हो रहा है। योजना के संचालित होने से गावों एवं ग्रामीणों का चहुमुखी विकास संभव हो रहा है।