
CONTECT NO. - 8962936808
EMAIL ID - shouryapath12@gmail.com
Address - SHOURYA NIWAS, SARSWATI GYAN MANDIR SCHOOL, SUBHASH NAGAR, KASARIDIH - DURG ( CHHATTISGARH )
LEGAL ADVISOR - DEEPAK KHOBRAGADE (ADVOCATE)
आधी आबादी को आर्थिक गतिविधियों से जोड़ने छत्तीसगढ़ सरकार की पहल शानदार
लेख : सौरभ शर्मा, सहायक संचालक
रायपुर / शौर्यपथ / आज विश्व जनसंख्या दिवस है। भारत के जनांकिकी आंकड़ों के मुताबिक भारत की औसत आयु 28 वर्ष है और इस नाते युवा शक्ति इस देश को आगे ले जाने में अपना बड़ा योगदान दे सकती है। दुनिया भर में जनांकिकी को आर्थिक शक्ति के रूप में देखा जा रहा है। इस लिहाज से भारत में आर्थिक शक्ति की बड़ी संभावना है। जनांकिकी की तरक्की इस बात पर निर्भर करती है कि आधी आबादी की हिस्सेदारी कार्यक्षेत्र में कितनी है। इस दृष्टि में भारत में अभी महिलाओं की केवल 17 फीसदी आबादी कार्यक्षेत्र में है जबकि चीन की 40 प्रतिशत महिला आबादी कार्य कर रही है। छत्तीसगढ़ के संदर्भ में देखें तो मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की ग्रामीण विकास योजनाओं से सीधे महिलाओं की बड़ी आबादी आर्थिक गतिविधियों में संलग्न हो गई है।
सी मार्ट में महिला समूह के उत्पाद को मिला बड़ा मंच
इसका सबसे सुंदर उदाहरण गौठान और रीपा के माध्यम से आर्थिक गतिविधियां हैं। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की सरकार बनने के बाद स्व-सहायता समूहों की संख्या तेजी से बढ़ गई। दिसंबर 2018 के बाद से अब तक 13 लाख से अधिक महिलाएं इन समूहों से जुड़ चुकी हैं। इस तरह से कार्यशील आबादी की संख्या में तेजी से विस्तार आया है।
इस बड़ी आबादी के कार्यशील गतिविधियों में लगे होने का अर्थव्यवस्था को लाभ तो होता लेकिन जब तक इनके लिए व्यवस्थित बाजार मुहैया नहीं कराया जाता तब तक यह लाभ प्रभावी नहीं हो पाते। छत्तीसगढ़ सरकार ने इनके लिए बाजार प्रदान किया। हर जिले में सी-मार्ट आरंभ किये गये। इन सी-मार्ट के माध्यम से हर क्षेत्र के खास उत्पादों को जगह मिली। उदाहरण के लिए बस्तर के दंतेवाड़ा में यदि भूमगादी समूह से जुड़ी कोई महिला जैविक चावल का विक्रय कर रही है तो उसके लिए बाजार केवल अपने आसपास के क्षेत्र तक नहीं है अपितु पूरा छत्तीसगढ़ और इसके बाहर भी बाजार उपलब्ध है। इसके साथ ही प्रशिक्षण का पक्ष भी महत्वपूर्ण है। जब महिलाएं एसएचजी से जुड़ती हैं तो बैंकिंग गतिविधियों से भी जुड़ती हैं एकाउंटेंसी से भी परिचित होती हैं और मार्केट को भी समझ पाती हैं। इस तरह पूरी तरह से आर्थिक कार्यकलापों के लिए दक्ष बनाने अपने को तैयार कर पाती हैं।
रीपा में महिहाओ की भागीदार
जब महिलाएं आर्थिक रूप से सक्षम हो रही हैं तो अपनी बेटियों को भी इस दिशा में तैयार कर रही हैं। छत्तीसगढ़ में स्कूल के अच्छे इंफ्रास्ट्रक्चर और महिलाओं में बढ़ी जागरूकता का प्रभाव स्कूलों में दर्ज संख्या से पता चलती है। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे 5 में 10 से अधिक साल तक पढ़ाई करने वाली लड़कियों की संख्या में 36.9 प्रतिशत वृद्धि हुई है।
महिलाओं के आगे आने से आर्थिक रूप से सबल होने से उनकी सामाजिक स्थिति भी सशक्त हो रही है। मुख्यमंत्री से भेंट मुलाकात के दौरान ग्रामीण क्षेत्रों में जितनी संख्या में पुरुष हितग्राही अनुभव साझा करते हैं उतनी ही संख्या में महिला हितग्राही भी अपना अनुभव साझा करते हैं। इन सभाओं को देखकर महसूस होता है कि छत्तीसगढ़ का समाज सचमुच समतामूलक समाज है जहां महिलाओं और पुरुषों की कार्यक्षेत्र में बराबरी की भागीदारी हैं और दोनों ही मिलकर अपने प्रदेश के विकास की गाथा को गढ़ रहे हैं।
गौठानो में महिलाओं को मिला तरक्की और समृद्धि का रास्ता
महिलाएं परिवार की धुरी होती हैं और आर्थिक रूप से सक्षम होने की वजह से उनके पास भी परिवार की आर्थिक जरूरतों को पूरा करने की शक्ति आ गई है। चाहे बच्चों की पढ़ाई का मामला हों, उनके लिए ज्वैलरी खरीदी हो। वे निर्णय ले रही हैं। अपने सपनों को पूरा करने की जो शक्ति उनके भीतर आई है उससे उनके जीवन में खुशियां भी बढ़ी हैं।
गौठानों में आजीविकामूलक गतिविधियों का ट्रेंड देखें तो यह साफ होता है कि महिलाएं लगातार अपनी आर्थिक गतिविधियों का विस्तार कर रही हैं। जिन समूहों की महिलाएं वर्मी कंपोस्ट तैयार करती थीं। उन्होंने मशरूम का उत्पादन आरंभ कर दिया। तेल पिराई का काम करने लगीं। इस तरह अपने आसपास की बाजार की जरूरतों को भांपते हुए अपना कार्य क्षेत्र बढ़ाया। छत्तीसगढ़ में उद्यमशील समाज के निर्माण में अब इन महिलाओं की अहम भूमिका हो गई है।
रायपुर / शौर्यपथ / यहाँ बात विकास और उन्नति की नहीं परम्परा की है . सरकार कोई भी हो विकास की दिशा में कार्य करती ही है चाहे उनकी रफ़्तार तेज हो या धीमी क्योकि बिना विकास के सत्ता ज्यादा दिन नहीं टिक सकती . छत्तीसगढ़ को अस्तित्व में आये हुए आज 23 साल हो रहे है . इन 23 सालो में अगर भूपेश सरकार के लगभग 5 साल हटा दिए जाए तो 18 साल तक छत्तीसगढ़ में नेताओ को छत्तीसगढ़ी बोलने में हिचक होती थी यहाँ तक छत्तीसगढ़ के हित की बात करते हुए 15 साल तक रमन सरकार ने राज किया किन्तु छत्तीसगढ़ी तीज त्यौहार को कोई महत्तव नहीं दिया . रमन सरकार के मंत्री मंडल में ताकतवर मंत्रियो की बड़ी संख्या ऐसी थी जो सालो से छत्तीसगढ़ में निवास कार रहे किन्तु अभि भी अपने मूल निवास के परिवेश को ही अपनाते हुए चल रहे है . अपने मूल अस्तित्व को नहीं भूलना चाहिए किन्तु साथ ही जिस जमीन ने जिस जगह ने पहचान और रूतबा दिया उसके सम्मान और पर्व को भी अपनाने में कही दिक्कत नहीं होनी चाहिए किन्तु छत्तीसगढ़ का दुर्भाग्य ही रहा कि 18 साल छत्तीसगढ़ अपनी मूल पहचान की तलाश में रहा .
2018 में भूपेश सरकार के आने के बाद छत्तीसगढ़ी भाखा , तीज त्यौहार , खान-पान , परम्परा , खुले मंच में छत्तीसगढ़ी बोली का उद्बोधन ये सब भूपेश सरकार के बाद ही हुआ . जिस तरह से छत्तीसगढ़ियो का तीज त्योहारों का चलन शुरू हुआ उसके बाद 15 साल मुख्यमंत्री रहे रमन सिंह सहित प्रदेश के अधिकतर नेता चाहे वो किसी भी राजनैतिक दल के हो छत्तीसगढ़ी बोली का उपयोग करने में हिचक महसूस नहीं कर रहे . एक बात जेहन में आयी जब छत्तीसगढ़ में रमन सिंह मुख्यमंत्री थे तब कभी भी छत्तीसगढ़ के सबसे बड़े त्यौहार तीजा के बधाई सन्देश छत्तीसगढ़ी में नहीं दिए किन्तु सत्ता से हटने के बाद पहले ही तीजा में समाचार पत्रों में जो बधाई सन्देश दिए छत्तीसगढ़ की माताओ बहनों को वो विशुद्ध छत्तीसगढ़ी भाखा में दिए और आज जब रायपुर मे पीएम मोदी का सम्मलेन था तो उन्होंने भी छत्तीसगढ़ी शब्दों का प्रयोग किया . ये शुरुवात हुई अब छत्तीसगढ़ी बोली की उपेक्षा राजनेताओ की पहुँच से दूर हो गयी . मेरी नजर में सीएम बघेल ने जो शुभारम्भ किया खुले मंच में छत्तीसगढ़ी बोली का अब उसका अंत असंभव है .
लेख - शरद पंसारी
संपादक - शौर्यपथ दैनिक समाचार
नगर पालिकाओं में भी हुआ मितान की सेवा का विस्तार
रायपुर / शौर्यपथ /मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा मितान योजना के शुभारंभ के तत्काल बाद 30 मिनट के भीतर, हितग्राही बालोद निवासी गौरव पटेल और श्रीमती डिंपल पटेल के घर तक पहुंचा उनका “विवाह प्रमाण पत्र” बालोद नगर पालिका में “मुख्यमंत्री मितान योजना” के तहत स्वयं विधायक संजारी बालोद श्रीमती संगीता सिन्हा, नगर पालिका अध्यक्ष विकास चोपड़ा और कलेक्टर कुलदीप शर्मा ने मितान की भूमिका निभाई। ज्ञात हो कि प्रदेश के नगर निगमों में यह सुविधा उपलब्ध थी। इसका विस्तार अब नगर पालिका स्तर पर किया गया है। इससे आम नागरिकों को विभिन्न प्रकार के प्रमाण पत्र आसानी से सुलभ हो सकेंगे।
मितान योजना में श्रमिक कार्ड सहित 25 सेवाओं की घर बैठे डिलीवरी
प्रदेश के नगरीय क्षेत्रों में अर्बन इंडस्ट्रियल पार्क ( UIPA) का किया शुभारंभ
शहरी क्षेत्रों में भी स्टार्टअप उद्यमियों, स्व-सहायता समूहों को रोजगार के बेहतर अवसर होंगे उपलब्ध
रायपुर / शौर्यपथ / मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने कहा कि अपनी सुंदर संस्कृति और कृषि आधारित मजबूत अर्थव्यवस्था के कारण हमारा छत्तीसगढ़ पूरे देश में विख्यात है। पिछले साढ़े चार वर्षों के दौरान हमारी कोशिश रही है कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था के साथ-साथ राज्य की शहरी अर्थव्यवस्था को भी मजबूत किया जाए। इसी दिशा में कदम बढ़ाते हुए हमने शहरी अधोसंरचना के विकास के लिए अतिरिक्त वित्तीय संसाधन जुटाने और ऐसी योजनाएं संचालित कीं, जिनसे समाज के अंतिम व्यक्ति तक लाभ पहुंचाया जा सके।
सीएम बघेल ने कहा कि सभी आय वर्ग के परिवारों के बच्चों के लिए अंग्रेजी और हिंदी माध्यम में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करने के लिए स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट विद्यालय योजना प्रारंभ की गई। मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान संचालित करते हुए सभी के लिए अच्छा पोषण सुनिश्चित किया गया। इस अभियान से बच्चों को कुपोषण से और महिलाओं को एनीमिया से मुक्ति मिल रही है . सस्ती और गुणवत्तापूर्ण बिजली की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए हाफ बिजली बिल योजना प्रारंभ की गई। मोर बिजली एप के माध्यम से विद्युत-सेवाओं को आसान और सर्वसुलभ बनाया गया।
युवाओं के लिए बड़े पैमाने पर रोजगार के नये अवसरों का निर्माण करने के साथ-साथ हमने उनके कौशल विकास की भी व्यवस्था की। शिक्षित-बेरोजगारों के लिए बेरोजगारी भत्ता योजना संचालित की जा रही है, इसके तहत हर महीने शिक्षित-बेरोजगार युवाओं को 2500 रुपए की सहायता दी जा रही है। केवल तीन महीने में 80 करोड़ 64 लाख रुपए का भत्ता वितरित किया जा चुका है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि शहरी स्वास्थ्य व्यवस्था को मजबूती देने के लिए हमने मुख्यमंत्री स्लम स्वास्थ्य योजना और श्री धन्वंतरी जैनेरिक मेडिकल स्टोर्स योजना प्रारंभ की। हर घर तक साफ पेयजल की पहुंच सुनिश्चित करने के लिए पाइप लाइनों का विस्तार किया गया है। स्वच्छता के मामले में छत्तीसगढ़ को उत्कृष्ट कार्यों के लिए लगातार तीन वर्षों तक केंद्र सरकार ने पुरस्कृत किया है। राज्य सरकार द्वारा प्रति इण्डस्ट्रीयल पार्क 02 करोड़ रुपए की राशि संबंधित निकायों को प्रदान की जा रही है। अब शहरी क्षेत्रों में स्टार्टअप उद्यमियों तथा स्व-सहायता समूहों को रोजगार के बेहतर अवसर उपलब्ध कराने के उद्देश्य से महात्मा गांधी रूरल इंडस्ट्रियल पार्क की तर्ज पर अर्बन इंडस्ट्रियल पार्क की शुरुआत हम करने जा रहे हैं। इसका वर्चुअल शिलान्यास आज किया गया है। सर्विस डिलेवरी को मजबूत करने, नागरिकों को घर बैठे प्रमाण-पत्र उपलब्ध कराने के लिए मुख्यमंत्री मितान योजना की शुरूआत की गई। छत्तीसगढ़ के नगर निगम क्षेत्रों में नागरिकों को घर बैठे विभिन्न शासकीय दस्तावेज मितान के माध्यम से उपलब्ध हो रहे हैं। मुझे आशा है कि इस अभिनव प्रयास से हमारे शहरों में रोजगार के नये अवसर सृजित होंगे, साथ ही शहरी अर्थव्यवस्था को नई गति प्राप्त होगी।
छत्तीसगढ़ के नगर निगम क्षेत्रों में नागरिकों को घर बैठे विभिन्न शासकीय दस्तावेज मितान के माध्यम से उपलब्ध हो रहे हैं। आज से मुख्यमंत्री मितान योजना अंतर्गत श्रमिक कार्ड सेवाओं सहित कुल 25 सेवाओं की घर बैठे डिलिवरी का विस्तार करते हुए मितान के माध्यम से प्रदेश के समस्त नगर पालिका परिषदों में उपलब्ध होगी। मुख्यमंत्री मितान योजना के तहत आज 01 लाखवें हितग्राही को यहां प्रमाण पत्र दिया गया है। थोड़े समय में ही इस योजना से लाभान्वित नागरिकों की संख्या काफी उत्साहजनक है। नवगठित जिलों के साथ-साथ विभिन्न जिलों के जनप्रतिनिधियों द्वारा मोबाईल मेडिकल यूनिट की मांग की जा रही थी। इन मांगों को देखते हुए आज मुख्यमंत्री स्लम स्वास्थ्य योजना के तृतीय चरण में शामिल 30 एमएमयू का प्रतीकात्मक शुभारंभ किया जा रहा है। मुख्यमंत्री स्लम स्वास्थ्य योजना के अंतर्गत अब तक 51 लाख हितग्राहियों को लाभान्वित किया गया है। ये आंकड़े अपने आप में इस योजना की सफलता की कहानी कह रहे हैं।
raipur / shouryapath / बेरोजगारी भत्ता छत्तीसगढ़ शासन द्वारा माह अप्रैल से दिया जा रहा है . अब तक 80 करोड़ से ज्यादा का बेरोजगारी भत्ता डिया जा चुका है साथ ही 4 हजार बेरोजगारों को कौशल प्रशिक्षण के माध्यम से रोजगार भी प्राप्त हो चुका है . बेरोजगारी भत्ता मिलने से युवाओं के जीवन में क्या परिवर्तन हुए है इस बात का अनुभव बेरोजगारी भत्ता पाने वाले हितग्राहियों ने सीएम बघेल से रूबरू होकर अपने अनुभव साझा किये .
मेरे परिवार की स्थिति ठीक नहीं थी, बेरोजगारी भत्ता मिलने से मुझे सहारा मिला, हमने कभी सोचा नहीं था कि हमें ढ़ाई हजार रूपए बेरोजगारी भत्ता मिलेगा, इससे हमारे माता-पिता का आर्थिक बोझ कुछ कम हुआ। अब मैं अपनी पढ़ाई कर सकूंगा। ये उद्गार बेरोजगारी भत्ता प्राप्त कर रहे युवाओं के हैं। युवाओं को बेरोजगारी भत्ते के साथ-साथ विभिन्न ट्रेडों में कौशल विकास प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है, जिससे वे स्वयं का उद्यम प्रारंभ करने के अलावा नौकरी भी कर सकते हैं।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल आज अपने निवास कार्यालय में बेरोजगारी भत्ता योजना और प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण के हितग्राहियों के लिए आयोजित कार्यक्रम में इन दोनों योजनाओं के हितग्राहियों से रू-ब-रू हुए। इस कार्यक्रम से वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से विभिन्न जिलों के जनप्रतिनिधि और हितग्राही ऑनलाईन जुड़े थे।
तोकापाल के तुलसी को मिली सिक्युरिटी गार्ड की नौकरी
वर्चुअली जुड़े बस्तर जिले के तोकापाल विकासखण्ड के ग्राम करंजी के तुलसी राम कश्यप ने अपने विचार साझा करते हुए मुख्यमंत्री को बताया कि उन्हें लाइवलीहुड कॉलेज में सिक्युरिटी गार्ड की ट्रेनिंग मिली है और रोजगार मेले में उन्हें नौकरी भी मिल गई है। उन्होंने इस योजना के लिए मुख्यमंत्री को धन्यवाद दिया। सरगुजा के निखिल सिंह ने कहा कि बेरोजगारी भत्ता योजना से उन्हें और उनकी बहन को आर्थिक सहयोग मिलने से उनकी परेशानियां कम हुई हैं। उन्होंने बताया कि ग्रेजुएशन करने बाद वे घर बैठे थे। अंबिकापुर के लाइवलीहुड कॉलेज में उन्हें असिस्टेंट इलेक्ट्रिशियन का प्रशिक्षण प्राप्त हुआ, अब उन्हें 11 हजार रूपए की नौकरी का ऑफर लेटर मिल गया है।
गणेशी केंवट बनवा रही पक्का मकान
सूरजपुर जिले की प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण की हितग्राही गणेशी केंवट ने बताया कि इस योजना में उन्हें 01 लाख 20 हजार रूपए स्वीकृत हुए हैं, पहली किश्त में 25 हजार रूपए की राशि मिली थी, जिससे डीपीसी तक का काम कराया है। कच्चे मकान में परेशानी होती थी, अब पक्का मकान मिल रहा है। गणेशी केंवट ने मुख्यमंत्री को धन्यवाद दिया। नारायणपुर जिले के ग्राम करलखा के श्री भागवत प्रसाद यदु ने बताया कि उन्हें 01 लाख 30 हजार रूपए स्वीकृत हुए हैं, पहली किश्त 45 हजार रूपए मिल गई है। उन्होंने योजना के लिए मुख्यमंत्री को धन्यवाद दिया।
मिलाप पटेल बने कस्टमर रिलेशनशिप एक्जीक्यूटिव
रायगढ़ जिले के बेरोजगारी भत्ता के हितग्राही श्री मिलाप पटेल ने बताया कि उन्हें बेरोजगारी भत्ता की किश्त तीन माह से लगातार मिल रही है। अब उन्हें चैतन्य ग्रुप में कस्टमर रिलेशनशिप एक्जीक्यूटिव की नौकरी मिल गई है।
कार्यक्रम में बेरोजगारी भत्ता पाने वाले युवाओं ने मुख्यमंत्री के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि इस योजना के तहत मिल रही आर्थिक मदद से वे अपनी जरूरतें पूरी करने के साथ ही प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर पा रहे हैं। उन्हें अब कौशल विकास की भी ट्रेनिंग मिल रही है। बेरोजगारी भत्ता के हितग्राही जिन्हें मुख्यमंत्री ने अपने निवास कार्यालय में ऑफर लेटर प्रदान किया है, उनमें से मुंगेली जिले के श्री लक्ष्मण कुमार ने बताया कि उन्हें बेरोजगारी भत्ता मिल रहा है, अब सुख किसान बॉयो प्लांटेक में फील्ड ऑफिसर की नौकरी मिल गई है। नीता साहू ने बेरोजगारी भत्ता योजना के लिए मुख्यमंत्री को धन्यवाद दिया। रायपुर के एक हितग्राही ने बताया कि बेरोजगारी भत्ता से उनके दैनिक गुजारा आसानी से हो रहा है। उन्होंने सीपेट से ट्रेनिंग की है, अब उन्हें नौकरी मिल गई है। लोरमी के रूप कुमार अनंत ने बेरोजगारी भत्ता योजना के लिए मुख्यमंत्री को धन्यवाद दिया। उन्होंने बताया कि वे व्यापम की तैयारी कर रहे हैं।
रायपुर / शौर्यपथ / मुख्यमंत्री भूपेश बघेल शुक्रवार 30 जून को बेरोजगारी भत्ते की तीसरी किश्त का अंतरण युवाओं के खाते में करेंगे। 1 लाख 16 हजार 737 युवाओं को 31 करोड़ 69 लाख 60 हजार रुपए की राशि की तीसरी किश्त वितरित की जाएगी। पिछले महीने 1 लाख 5 हजार 586 हितग्राहियों को बेरोजगारी भत्ता दिया गया था। इस तरह इस महीने हितग्राहियों की संख्या में 11 हजार 151 की वृद्धि हुई है। बेरोजगारी भत्ता अप्रैल और मई महीने में दिया जा चुका है। शुक्रवार को अंतरित की जाने वाली तीसरी किश्त को शामिल करें तो युवाओं के खाते में तीन महीनों में शासन द्वारा किया गया व्यय 80 करोड़ 64 लाख 25 हजार रुपए होगा। शासन द्वारा बेरोजगारी भत्ते के हितग्राहियों को कौशल प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है। विभिन्न संस्थाओं में बेरोजगारी भत्ता प्राप्त कर रहे 3318 युवा प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं। इसके अलावा 2916 युवाओं का प्रशिक्षण शीघ्र ही आरंभ होगा।
बेराजगारी भत्ता से प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी हुई आसान
रायपुर / शौर्यपथ / घर की माली हालत की वजह से प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी का खर्च उठाना किसी भी प्रतिभागी के लिए आसान नहीं होता है। इस वजह से कई युवा घर के रोजमर्रा के खर्चों को पूरा करने के लिए कुछ काम करने लग जाते हैं। आज के दौर में जहां नौकरियां पाने के लिए कठिन प्रतिस्पर्धा से गुजरना पड़ता है। ऐसे में अपनी और घर की जरूरतों के लिए कुछ काम करते हुए प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करना बहुत ही मुश्किल हो जाता है।
मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की पहल पर शुरू की गई बेरोजगारी भत्ता योजना ने ऐसे युवाओं की मुश्किलें काफी हद तक आसान कर दी है। इस योजना के माध्यम से बेरोेजगार युवाओं को प्रतिमाह 2,500 रूपए प्रतिमाह दिया जा रहा है। बेरोजगारी भत्ता पाने वाले युवा अपनी खुशी जाहिर करते हुए बताते हैं कि यह योजना उनके लिए किसी वरदान से कम नहीं है। उन्हें अब अपने सपनों को पूरा करने में पूरा समय मिल पाएगा। घर की आर्थिक स्थिति बाधक नहीं बनेगी।
प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रही मनेंद्रगढ़ विकासखंड के ग्राम पंचायत चैनपुर की रहने वाली सुश्री मीनू चौरसिया ने बताया कि उनके पिताजी होटल व्यवसाय में काम करते हैं और उनके परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। पहले उन्हें पुस्तक, स्टेशनरी और परीक्षा में शामिल होने के लिए आवश्यक जरूरतों के लिए पैसों की बहुत दिक्कत होती थी। परंतु बेरोजगारी भत्ता मिलने से उन्हें पुस्तक, कॉपी, पेन, प्रतियोगी पुस्तकें व परीक्षा फॉर्म भरने में काफी मदद मिल रही है। उन्होंने यूट्यूब में पढ़ाई करने के लिये नेट रिचार्ज भी कराया है।
मीनू चौरसिया की तरह ही अंबिकापुर में रहने वाली सुभद्रा मिंज व स्टेला लकड़ा किराए में रहकर पढ़ाई कर रही हैं। बेरोजगारी भत्ता मिलने से पुस्तक, कॉपी, पेन, प्रतियोगी पुस्तकें व परीक्षा फॉर्म भरने में काफी मदद मिल रही है। उन्होंने कहा कि हमें अब आर्थिक रूप से परिजनों पर आश्रित नहीं रहना पड़ रहा। इसी तरह लखनपुर निवासी उमेश चौधरी ने बताया कि बेरोजगारी भत्ता का उपयोग वे अपनी जरूरत के हिसाब से पढ़ाई लिखाई की सामग्री खरीदने में कर रहे हैं जिससे उन्हें पढ़ाई में परेशानी नहीं हो रही है।
एमएससी बायोटेक्नोलॉजी की पढ़ाई पूर्ण कर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाली कोरबा की सुश्री राजलक्ष्मी राठौर के पिता एक स्टाम्प वेंडर हैं, उनकी आय बहुत कम है। इससे उन्हें परीक्षा की तैयारी करने में बहुत बाधाएं आ रही थी। राजलक्ष्मी कहती है कि छत्तीसगढ़ शासन द्वारा बेरोजगारी भत्ता योजना प्रारम्भ करने से गरीब एवं बेरोजगार युवाओं में शासकीय नौकरी की तैयारी के लिए उम्मीद की एक नई किरण जगी है। इसी प्रकार रामपुर के रहने वाले शुभाशीष हो या छत्तीसगढ़ के अन्य क्षेत्रों के रहने वाले गायत्री दुबे, लोकेश साहू, हीरा कुमारी महिलांग, अजय मनहर, भीषम जांगड़े, चन्द्र विजय दुबे या इनके जैसे लाखांे युवा, इन्हें बेरोजगारी भत्ता ने सहारा दिया है कि वे उनके सपनों को पूरा करने में आर्थिक स्थिति अब बाधक नहीें बनेगी।
बेरोजगारी भत्ता योजना के तहत अब तक एक लाख 5 हजार 395 युवाओं के खाते में हितग्राहियों को प्रथम और द्वितीय किश्त के रूप में कुल 48 करोड़ 89 लाख 87 हजार 500 रूपए की राशि अंतरित की जा चुकी है। युवा जब बेरोजगारी भत्ते के लिए आवेदन कर रहे हैं, जब उन्हें प्रशिक्षण के लिए विकल्प भी दिया जा रहा है ताकि उन्हें नौकरी अथवा व्यवसाय के लिए प्रशिक्षण दिया जा सके। अब तक 1701 युवाओं का लाइवलीहुड कालेज सहित 33 संस्थानों में कौशल प्रशिक्षण आरंभ हो चुका है।
नरवा योजना से सिंचाई सुविधाओं के विस्तार, भूमिगत जल के संवर्धन व मृदा संरक्षण में मिली मदद
जल संरक्षण के क्षेत्र में नरवा योजना एक राष्ट्रीय मॉडल
दुर्ग । शौर्यपथ । कल तक जो किसान वर्षा ऋतु के इंतजार में सिर्फ एक फसल ले पाते थे, ऐसे सभी किसानों के लिए नरवा योजना वरदान साबित हो रही है। नरवा के माध्यम से सिंचाई सुविधाओं के विस्तार से किसानों की आय में वृद्धि हो रही है। साथ ही वे सामाजिक और आर्थिक रूप से भी सशक्त हो रहे हैं। नरवा स्ट्रक्चर ब्रशवुड, बिना लागत भूमिगत जल के रिचार्ज करने का एक बेहतरीन उदाहरण है। राज्य में स्थित वन क्षेत्रों में नालों में संरचनाओं का निर्माण किया जा रहा है। जिससे क्षेत्रों में उपस्थित जीवों को अपना चारा-पानी खोजने के लिए रहवासी क्षेत्रों में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। ग्रामीण तथा कृषकों को प्रशासन द्वारा पेयजल तथा सिंचाई के साधन विकसित कराए जा रहे हैं। जिससे जल की उपलब्धता सुनिश्चित होने से किसानों को खेती-बाड़ी करने में किसी भी प्रकार की कठिनाई का सामना नहीं करना पड़ेगा।
जल, जंगल व प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर राज्य छत्तीसगढ़ जहां धान, विभिन्न फसले, फल, साग-सब्जी का उत्पादन बड़ी मात्रा में किया जाता है। कृषि क्षेत्र में उत्पादन को बढ़ाने के साथ ही कृषि विकास एवं कृषक कल्याण दोनों एक दूसरे के दो पहलू हैं, और प्रदेश सरकार को सुराजी गांव योजना इन सभी विकास के पहलुओं को निखार रही है। छत्तीसगढ़ सरकार की सुराजी गांव योजनांतर्गत ग्रामीण अर्थव्यवस्था को गति देते हुए लोगों को गांव में ही पूर्ण रोजगार देने व गांव के विकास के लिए नरवा, गरवा, घुरवा एवं बाड़ी को विकसित करने का लगातार प्रयास किया जा रहा है। जिससे अब गांवों की तस्वीर बदल रही है। भूगर्भीय जल स्रोतों के संरक्षण व संवर्धन की दिशा में नरवा कार्यक्रम के माध्यम से ठोस प्रयास किए जा रहे हैं ताकि कृषि एवं कृषि संबंधित गतिविधियों को बढ़ावा मिल सके। वर्षा के जल पर निर्भर किसानों के लिए यह योजना काफी फायदेमंद साबित हो रही है। दुर्ग जिले में नदी-नालों के संरक्षण और संवर्धन में निरंतर से विभिन्न कार्य किए जा रहे हैं, जिसके फलस्वरूप ग्रामीणों को खेती किसानी और पशुपालन जैसी गतिविधियों के लिए बड़ी सुविधा मिल रही है।
छत्तीसगढ़ में नालों को नरवा कहा जाता है। इस योजना के तहत राज्य के नालों पर चेकडेम बना कर पानी रोकना तथा उस पानी को खेतों की सिंचाई के लिये उपलब्ध कराना है। इसके अलावा नालों के जरिए बारिश का जो पानी बह जाता है, उसे रोक कर भूगर्भीय जल को रिचार्ज करना है। नरवा योजना मुख्यतः इस वैज्ञानिक तकनीक पर आधारित है कि पानी का वेग कम होने से धरती का रिचार्ज तेजी से होता है। क्योंकि धरती को जल सोखने के लिए अधिक समय मिलता है। अक्सर बरसाती नालों में जितने तेजी से पानी चढ़ता है उतने ही तेजी से उतर भी जाता है। अब किसानों को खरीफ के साथ ही रबी फसलों के लिए भी पर्याप्त मात्रा में पानी मिल रहा है, आसपास के क्षेत्रों में भूजल स्तर भी बढ़ रहा है। साथ ही मनरेगा के तहत नरवा विकास कार्यों में शामिल होकर ग्रामीणों को रोजगार भी प्राप्त हो रहा है।
दुर्ग जिले में नरवा अंतर्गत एरिया ट्रीटमेंट और ड्रेनेज लाइन ट्रीटमेंट के कार्यों को नया आकार दिया गया है। एरिया ट्रीटमेंट के लिए कच्ची नाली, निजी डबरी, नया तालाब, वृक्षारोपण, वाटर अब्सोरप्शन ट्रेंच, भूमि सुधार, रिचार्ज पिट एवं कुओं का निर्माण किया गया है। ड्रेनेज लाइन ट्रीटमेंट के लिए नाला पुनरोद्धार एवं गहरीकरण, अन्य नवीन नरवा जीर्णाेद्वार, चेक डेम, चेक डेम जीर्णाेद्वार, ब्रशवूड चेक डेम, रिचार्ज पिट इत्यादि का निर्माण किया गया है। नरवा अंतर्गत स्वीकृत कार्य के आंकड़े प्रशंसनीय हैं। डीपीआर में कुल 6207 कार्य लिए गए जिनमें से 6164 कार्यों को स्वीकृति मिल चुकी है। 5890 कार्य पूरे हो चुके हैं । 304 ग्राम पंचायतों में कुल 196 नरवा बनाये गए हैं एवं नरवा का उपचार किया गया है। 89 डाईक के साथ कुल 167660.81 हे. का जल संग्रहण क्षेत्र बनाया गया है ।
मिट्टी में नमी की मात्रा में वृद्धि का आंकलन क्षेत्र में वनस्पति अच्छादन व कृषि की उत्पादकता की स्थिति के आधार पर किया जाता है। नमी के चलते ही पौधों की जड़े फैलती है और पौधे नमी के साथ हो मिट्टी से अपना भोजन लेते हैं। ज्यादा पानी की वजह से फसल में आद्र गलन व जड़ गलन इस तरह के फफूंदजनित रोग की समस्या आती है। भूमिगत जल सतह की स्थिति का आंकलन वर्ष में दो बार किया जाता है। प्री-मॉनसून मार्च से मई तक और पोस्ट-मॉनसून अक्टूबर से दिसंबर तक होता है।
नरवा में प्रवाह का आंकलन रू लिटर प्रति सेकेंड के हिसाब से नरवा में पानी के प्रवाह का आंकलन किया जाता है। जब नरवा में पानी की मात्रा अच्छी होती है तो किसान को खेती में सुविधा मिलती है। इस सूचक के प्रभाव का आकलन रबी और खरीफ फसल के सिंचित रकबे में परिवर्तन के आधार पर किया जाता है। किसानों द्वारा नाले के पानी का उपयोग सिंचाई के लिए किया जा रहा है, जिससे फसल की उत्पादकता बढ़ी है।
गजरा नाला वॉटर शेड में अल्प वर्षा से जलभराव होने से किसानों को सिंचाई के लिए पानी की सुविधा मिल रही है। जिससे फसलों के उत्पादन में बढ़ोतरी हो रही है। आस-पास के लिए हैंड पंप और बोर में भू-जल स्तर बढ़ रहा है। ग्राम पंचायत अकतई, औरी, पौहा और रानीतराई में नाले में बोरी बंधान से अल्पवर्षा का जल संग्रहित हुआ है। इस जलभराव से किसानों को सिंचाई के लिए भरपूर पानी की व्यवस्था हुई है। समृद्ध फसलों के लिए यह मददगार साबित हो रहा है। पंद्रह कि.मी. के लुमती नाले में ट्रीटमेंट होने पर डेढ़ हजार किसानों कर रहे रबी फसल का उत्पादन 745 हेक्टेयर में बोर के माध्यम से 1610 किसान कर रहे हैं। जिससे भूमिगत जलस्तर में भी बढ़ोतरी हुई हैं।
नाले के दोनों किनारों में 500 मीटर तक किसान पहले बोर चलाते थे, अब नाले से पानी ले रहे हैं। कलेक्टर श्री पुष्पेंद्र कुमार मीणा धमधा में विकास कार्यों का निरंतर निरीक्षण करते हैं। मानसून की अमृत बूंदों के स्वागत के लिए तैयार नरवा स्ट्रक्चर के माध्यम से जलस्तर पांच इंच तक बढ़ने की उम्मीद है। नरवा के दो चरणों के काम सफलतापूर्वक पूर्ण हो चुके हैं, 586 इंच जलस्तर बढ़ गया है जिससे पंद्रह हजार श्रमिकों की मेहनत रंग लाई है। इस योजना के माध्यम से न सिर्फ भूजल स्तर के गिरावट में कमी आ रही है बल्कि नरवा की साफ-सफाई और भूमि सुधारकर नालों के क्षेत्रफल को भी बढ़ाया जा रहा है। इस योजना का लक्ष्य यह भी है कि गर्मियों के मौसम में कुआं, हैंडपंप और बोरवेल आदि में भी पानी के स्तर में कमी ना आए और राज्य के किसान आसानी से खेती-बाड़ी कर सकें। साल भर जल की उपलब्धता बनी रहे और किसान आत्मनिर्भर व सशक्त रहे। जल संरक्षण में नरवा एक राष्ट्रीय मॉडल की भांति उभर रहा है।
// गोधन न्याय योजना से खुला ग्राम बरही के ग्वालिन स्वसहायता समूह के महिलाओं के लिए आमदनी का द्वार
//गोबर बेचकर महिलाएं हो रही आत्मनिर्भर, गांव में ही स्वरोजगार मिलने से बढ़ा आत्मविश्वास ,05 लाख 20 हजार रुपये की राशि की 1007 क्विंटल खाद बिक्री कर
//समूह के प्रत्येक सदस्यांे को हुआ 47 हजार 272 रुपए का शुद्ध लाभ
बालोद / शौर्यपथ / राज्य शासन के सुराजी ग्राम योजना के अंतर्गत शुरू की गई महत्वाकांक्षी गोधन न्याय योजना के सफल क्रियान्वयन के फलस्वरूप यह योजना ग्रामीणों, पशुपालकों एवं महिला स्वसहायता समूह के अलावा इस कार्य से जुड़े लोगों के लिए हर तरह से उपयोगी साबित होकर कामधेनू बन गया है। जिले में इस योजना के सफल क्रियान्वयन के फलस्वरूप बालोद विकासखण्ड के ग्राम बरही के स्वसहायता समूह के महिलाओं के लिए गोधन न्याय योजना से आमदनी का स्थायी द्वार खुल गया है। गोधन न्याय योजना के अंतर्गत बरही गौठान में ग्वालिन स्वसहायता समूह की महिलाएं अब तक 1300 क्विंटल वर्मी खाद का निर्माण कर चूकी हैं। इसके साथ ही स्वसहायता समूह की महिलाएं अब तक 05 लाख 20 हजार रुपये की 1007 क्विंटल वर्मी खाद की बिक्री कर प्रति सदस्य 47 हजार 272 रूपये की राशि की शुद्ध आमदनी प्राप्त कर चूके हैं। इस योजना से स्वसहायता समूह की महिलाओं को गांव में ही रोजगार मिलने से उनका आत्मविश्वास में भी वृद्धि हुई है। यह योजना आज फसलों मंे डालने वाले हानिकारक रासायनिक खादों के दुष्प्रभावों से मुक्ति प्रदान करने के अलावा कृषि भूमि की उर्वरा शक्ति को भी बरकरार रखने में भी अत्यंत मददगार साबित हो रहा है। इसके साथ ही यह योजना ग्रामीणों एवं स्वसहायता समूह की महिलाओं के लिए स्थायी रोजगार का जरिया बनकर उन्हें आत्मनिर्भर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रही है।
उल्लेखनीय है कि आदर्श गौठान बरही में नरवा, गरूवा, घुरवा एवं बाड़ी योजना अंतर्गत विभिन्न प्रकार की आजीविकामूलक गतिविधियां संचालित की जा रही हंै। जिसमें से वर्मी खाद निर्माण का कार्य प्रमुखता से किया जा रहा है। इसके अंतर्गत आदर्श गौठान बरही में ग्वालिन स्वसहायता समूह की 11 महिलाओं द्वारा गौठान में वर्मी खाद निर्माण का कार्य किया जा रहा है। बरही गौठान में वर्मी खाद निर्माण के फलस्वरूप इस कार्य से जुड़े स्वसहायता समूह की महिलाओं को निरंतर आमदनी होने से आज उनका जीवन स्तर पूरी तरह से सुधर गया है। राज्य शासन के गोधन न्याय योजना के फलस्वरूप गोबर बिक्री एवं वर्मी खाद निर्माण से उनके जीवन में हुए बदलाव के संबंध में जानकारी देेते हुए ग्वालिन स्वसहायता समूह की सक्रिय सदस्य केंवरा बाई ने इस योजना की मुक्तकंठ से सराहना की है। श्रीमती केंवरा बाई ने कहा कि राज्य शासन द्वारा गोधन न्याय योजना प्रारंभ करने के पूर्व उन्हें रोजगार की तलाश में आसपास के अन्य गांवों में जाना पड़ता था। लेकिन कड़ी मेहनत के बाद भी कोई खास आमदनी नहीं हो पाती थी। राज्य शासन द्वारा गोधन न्याय योजना शुरू कर इसके माध्यम से गोबर खरीदी एवं वर्मी खाद निर्माण कार्य प्रारंभ करने से आज यह योजना उनके जीवन को उनके जीवन के लिए कायाकल्प साबित हो गया है। उन्हें बताया कि आज बरही गौठान में वर्मी खाद निर्माण शुरू होने से उनके अलावा एवं उनके समूह के अन्य महिलाओं को रोजगार एवं आमदनी का बेहतरीन जरिया मिल गया है। केंवरा बाई ने कहा कि वर्मी खाद निर्माण से होने वाली आमदनी से उनका पारिवारिक जीवन सुखमय हो गया है। इस कार्य से होने वाली आमदनी का उपयोग वे अपने बच्चों की पढ़ाई-लिखाई के अलावा अन्य घरेलु कार्यों में कर रहीं है। इसके अलावा उन्होंने अपने समूह के अन्य सहयोगी श्रीमती शारदा यादव को भी उनके नये घर के निर्माण के लिए 35 हजार रुपये का सहयोग किया है। इस तरह से यह योजना इस कार्य से जुड़ेेे लोगों के जीवन को सुधारने के साथ-साथ अन्य लोगों के जीवन को भी सजाने व संवारने का काम कर रहा है।
राज्य शासन के गोधन न्याय योजना के अंतर्गत गोबर खरीदी एवं वर्मी खाद का निर्माण का कार्य इस कार्य से जुड़े लोगों के लिए हर दृष्टि से उपयोगी होकर मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के मंशानुरूप ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। ग्राम बरही के ग्वालिन स्वसहायता समूह की सभी महिलाओं ने राज्य शासन की गोधन न्याय योजना की भूरी-भूरी सराहना करते हुए इसके माध्यम से उनके जीवन को सुखमय बनाने के लिए मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल को हृदय से धन्यवाद ज्ञापित करते हुए उनके प्रति विनम्र आभार माना है।
गौठान में स्थापित रीपा बनाने की परिकल्पना अब हो रही साकार
अकेले ग्राम गुडेलिया में नारी शक्ति ग्राम समूह को 2 लाख वर्गफीट पेवर ब्लॉक का मिला एडवांस ऑर्डर
रायपुर/ शौर्यपथ / घरेलू कामों में व्यस्त रहने वाली कई महिलाएं सफलता की नई इबारतें लिख रहीं है। इनमें बलौदाबाजार भाटापारा जिले के विकासखण्ड भाटापारा के ग्राम गुडेलिया एवं विकासखंड पलारी के ग्राम गिर्रा की महिलाएं भी शामिल हैं। जो पेवर ब्लॉक बनाकर अपनी राह मजबूत बना रही है। जिलें में इस तरह पहली बार महिलाएं पेवर ब्लॉक बनाने का काम रही है। इसकी मांग इतनी है की पूर्ति करना मुश्किल हो जा रही हैं। आदर्श ग्राम गुड़ेलिया में नारी शक्ति ग्राम संगठन की महिलाओं द्वारा पेवर ब्लॉक बनाने का कार्य किया जा रहा है।
ग्राम संगठन समूह की सदस्य संतोषी ध्रुव ने बताया कि लगभग 1 माह पूर्व प्रारंभ हुआ उक्त यूनिट से अभी तक कुल 22 ट्रॉली 16500 वर्ग फीट पेवर ब्लॉक का निर्माण एवं सप्लाई हो चुका है। पेवर ब्लॉक की मांग अधिकतर आसपास के ग्राम पंचायतों द्वारा की जा रही है। जिसमें ग्राम धनेली, खपराडीह, लेवई, कडार एवं भरतपुर शामिल है। इसके साथ ही निजी व्यक्तियों द्वारा भी पेवर ब्लॉक की मांग की जा रही है। अभी तक हमारे संगठन को 2 लाख वर्ग फिट का एडवांस ऑर्डर मिल चुका है। जिसकी विक्रय दर 52 लाख रुपये है। जिससे लगभग 12 लाख रुपये का शुद्ध लाभांश नारी शक्ति ग्राम संगठन के सदस्यों को प्राप्त होगा। उन्होंने आगे बताया कि एक वर्गफीट का 26 रुपये दर निर्धारित की गयी है। जिसमे लगभग 20 रुपये खर्च होता है एवं 6 रुपये की बचत होती है। हमारे यहां 2 प्रकार की पेवर ब्लॉक बनाएं जा रहे है। जिसमें कॉस्मिक एवं जिगजैग प्रकार का शामिल है। कॉस्मिक में 1000 नग में 555 फिट एवं जिगजैग 1000 नग में 357 फिट का पेवर ब्लॉक बन जाता है।
सीमा ध्रुव कहती है की यूनिट के प्रारंभ होने से स्थानीय स्तर में ही हम को रोजगार एवं पर्याप्त मजदूरी साथ ही लाभांश राशि पर्याप्त मिल जा रही है। इसी तरह समूह की अन्य सदस्य मंजू ध्रुव कहती है की रीपा के संचालन से महिला समूह की सभी सदस्य बेहद ही खुश है एवं अतिरिक्त आय प्राप्त कर अपनी जरूरतों को पूरा करने के साथ-साथ परिवार के आर्थिक गतिविधियों में भी अपना हाथ बंटा रही हैं। उन्हें काम की तलाश में अब बाहर जाने की जरूरत नहीं पड़ती।
इसी तरह ग्राम गिर्रा की जय चंडी माँ महिला स्व सहायता समूह के द्वारा पेवर ब्लॉक बनाने का कार्य प्रारंभ किया गया है। उक्त यूनिट में 25 हजार नग पेवर ब्लॉक तैयार कर ली गयी है गौरतलब है कि राज्य शासन की महत्वाकांक्षी नरवा, गरूवा, घुरूवा एवं बाड़ी योजना के अंतर्गत गांव में निर्मित की गई गौठान के माध्यम से अब गांव एवं महिलाओं को एक नयी पहचान मिल रही है। गौठान में स्थापित रूरल इंडस्ट्रियल पार्क (रीपा) बनाने की परिकल्पना अब साकार हो रही है ।
रायपुर / शौर्यपथ / राज्य सरकार द्वारा लाख उत्पादन को भी खेती का दर्जा दिये जाने तथा विभिन्न प्रोत्साहन योजना के कारण प्रदेश के किसानों में लाख की खेती के प्रति रूझाान बढ़ा है। राज्य शासन द्वारा तकनीकी सलाह और प्रशिक्षण मिलने से अब किसान वैज्ञानिक पद्धति से भी लाख पालन करने लगे है। गौरतलब है कि राज्य के विभिन्न जिलों में परंपरागत रूप से लाख की खेती होती है। प्रदेश में लगभग 50 हजार से अधिक कृषकों द्वारा कुसुम व बेर के वृक्षों पर कुसुमी लाख तथा पलाश एवं बेर वृक्षों पर रंगीनी लाख पालन किया जाता है।
उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्देश पर राज्य शासन द्वारा किसानों को लाख की खेती के लिए प्रोत्साहित करने और उनकी आय में वृद्धि के लिए विशेष पहल की जा रही है। छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज संघ द्वारा बीहन लाख आपूर्ति तथा बीहन लाख विक्रय और लाख फसल ऋण की उपलब्धता के लिए आवश्यक व्यवस्था की गई है। इसी कड़ी में गरियाबंद जिले के किसान लाख उत्पादन कर अधिक मुनाफा अर्जित करने की ओर अग्रसर है। गरियाबंद वनमण्डल अंतर्गत लाख की खेती को बढ़ावा देने के लिए चार क्लस्टरों का चयन किया गया है। चयनित क्लस्टरों में किसानों को वैज्ञानिक पद्धति से लाख की खेती के लिए प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इसके अंतर्गत 761 किसान प्रशिक्षण पाकर 8243 कुसुम वृ़क्ष और 4849 बेर वृक्षों में लाख की खेती कर रहे हैं। तकनीकी सलाह और मार्गदर्शन मिलने की वजह से जिले के किसान 13 हजार से अधिक वृक्षों में वैज्ञानिक पद्धति से लाख की खेती कर रहे है।
गरियाबंद वनमण्डल के वनसंरक्षक ने बताया कि लाख की खेती को अधिक प्रोत्साहन कर लाख कृषक से बीहन लाख क्रय कर अन्य जिले के कृषकांे को भी प्रदाय किया गया है। उन्होंने बताया कि जून-जुलाई 2023 अंतर्गत देवभोग कलस्टर अंतर्गत अब तक 5 कृषकों से 14.53 क्विंटल लाख क्रय किया गया है। इसकी कीमत 5 लाख 75 हजार 527 रूपए है। जिले में लाख की खेती के लिए लाख पालक कृषकांे को जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक के प्राथमिक साख सहकारी समिति से समन्वय स्थापित कर वित्तीय वर्ष 2022-23 में 66 कृषकों को 23 लाख 25 हजार लोन की राशि वितरित की गई है। इसके अलावा वित्तीय वर्ष 2023-24 में 17 कृषकों को 8 लाख 50 हजार रूपए का लोन दिया गया है।
बता दे कि राज्य में बीहन लाख की कमी को दूर करने के लिए किसानों के पास उपलब्ध बीहन लाख को उचित मूल्य पर क्रय करने के लिए क्रय दर का निर्धारण किया गया है। इसके तहत कुसुमी बीहन लाख (बेर वृक्ष से प्राप्त) तथा रंगीनी बीहन लाख (पलाश वृक्ष से प्राप्त) लाख के लिए दर का निर्धारण किया गया है।
बांध जैसी अधोसंरचनाओं में काफी व्यय आता है और भूमि भी लगती है
नरवा योजना में स्थानीय संसाधनों से काफी कम लागत से जलसंरक्षण की दक्ष अधोसंरचनाएं हो रही तैयार
रायपुर / शौर्यपथ / संस्कृत में सूरज के बहुत से पर्यायवाची नामों में से एक है अंबु तस्कर। पानी चुरा लेने वाला, क्योंकि तालाब और अन्य जलाशयों का अधिकतर पानी सूरज की गर्मी की वजह से सूख जाता है। इसलिए तालाबों का ढलान इस तरह से रखा जाता है ताकि अधिकतम पानी सुरक्षित रह सके। छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने नरवा योजना के माध्यम से भूमिगत जल को रिचार्ज करने का कार्य किया है ताकि पानी की हर एक बूंद को सुरक्षित रखा जा सके। इससे नाले भी अमूमन बारहमासी रहते हैं और भूमिगत जल का स्तर भी बढ़ जाता है जिसकी वजह से किसान रबी फसल भी बेहतर तरीके से ले पा रहे हैं। छत्तीसगढ़ में नरवा योजना के अंतर्गत लगभग 28 हजार नालों को चयनित किया गया है और इसमें 12 हजार से अधिक नाले उपचारित कर लिये गये हैं। इसके परिणामस्वरूप भूजल स्तर में 10 से 22 सेमी तक वृद्धि हुई है। जहां बांध जैसी अधोसंरचनाएं काफी जगह घेरती हैं और सीधे एक्सपोजर होने की वजह से इनमें पानी का भी नुकसान होता है ग्राउंड वाटर रिचार्ज की नरवा योजना में पानी और भूमि दोनों का ही नुकसान नहीं होता।
पहाड़ से इतना पानी आता था कि सब्जी फसल बह जाती थी, अब रबी फसल भी संभव- मोहला मानपुर अंबागढ़ जिले में कोहका गांव है। यह गांव पहाड़ के ठीक नीचे है। बारिश जब होती थी तो पूरा पानी बह जाता और नीचे सब्जी की फसल भी तबाह हो जाती थी। चूंकि पहाड़ी से पानी तेजी से उतरता था इसलिए ग्राउंड वाटर रिचार्ज भी नहीं हो पाता। नरवा योजना के अंतर्गत यहां चेकडेम बना। अब पानी की एक एक बूंद सहेज लेते हैं। सब्जी फसल का नुकसान भी नहीं होता और रबी की फसल के लिए भी पर्याप्त पानी की गुंजाइश बन गई है।
नरवा से बढ़ा पानी तो हाथियों की गतिशीलता भी थमी- रायगढ़ वनमंडल का उदाहरण लें। यहां वनक्षेत्रों में भूमिगत जल को रिचार्ज करने नरवा योजना अंतर्गत कार्य किया गया। नालों के उपचार के बाद अब इन नालों में अप्रैल और मई महीनों तक पानी रहने लगा है। इससे आसपास के किसानों के लिए खेती भी आसान हुई है। हाथी प्रभावित क्षेत्र जुनवानी, बंगुरसिया, अमलीडीह आदि में पानी की पर्याप्त उपलब्धता के चलते हाथियों की गतिशीलता थम रही है।
नाले में इतना गाद था कि धारा ही बदल गई थी, अब पांच फीट गहरे नाले से हो रही सिंचाई- दुर्ग जिले के धमधा ब्लाक में लुमती नाला बहता है। नाले में इतनी गाद जम गई थी कि नाला पूरी तरह अप्रभावी रह गया था। नरवा योजना अंतर्गत इसका जीर्णाेद्धार आरंभ हुआ। पांच फीट गाद साफ की गई। इसके साथ ही नरवा के स्ट्रक्चर भी तैयार किये गये। अब लुमती नाले को संजीवनी मिल गई है। आसपास के छह गांवों में बोरवेल भी गर्मी के दिनों में भी जीवंत हो गये हैं।
खोखनिया नाला का नरवा योजना अंतर्गत विकास हुआ, तो रोज आने लगे पर्यटक भी - सूरजपुर जिले के पिलखा पहाड़ के अंतर्गत खोखनिया नाला का विकास नरवा योजना के अंतर्गत किया गया। यह खोखनिया नाला पिलखा पहाड़ के ठीक नीचे हैं। पहाड़ के ठीक नीचे बने एक सुन्दर सरोवर के वाटर हार्वेस्टिंग स्ट्रक्चर से इतना सुन्दर नजारा तैयार हुआ कि इसे देखने हर दिन लगभग 150 से 200 पर्यटक आते हैं। लगभग 500 परिवारों के लिए सिंचाई सुविधा उपलब्ध हुई है तथा आसपास के सात गांवों में भूमिगत जल 30 सेंटीमीटर तक बढ़ गया है।
इसके लिए संसाधन स्थानीय ही- नरवा योजना प्रकृति के लिए, प्रकृति के माध्यम से ही चलाई जा रही है। इसके स्ट्रक्चर देखें। ब्रशवुड चेक को लें, दिसंबर जनवरी के बाद जब छोटे नालों में पानी कम हो जाता है तब बेशरम की लकड़ियों जैसी झाड़ियों से ब्रशवुड चेक बनाते हैं और आसपास के खेतों के लिए रबी फसल हेतु पानी मिल जाता है। धमतरी वनमंडल का उदाहरण लें। यहां पर कंटूर ट्रेन्चिंग किये गए हैं। इसके माध्यम से नालों का जलस्तर तेजी से बढ़ा है। लूज बोल्डर चेक और गैबियन जैसे स्ट्रक्चर के माध्यम से नाले के पानी का वेग कम हो जाता है। गति धीमी पड़ जाने से वाटर रिचार्ज तेज हो जाता है।
प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी के लिए उपयोगी पुस्तकें और अन्य सामग्री खरीदने मिल रही मदद
रायपुर / शौर्यपथ / रोजगार की तलाश कर रहे युवाओं के लिए मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की पहल से शुरू की गई बेरोजगारी भत्ता योजना एक सुखद सहारा बनी है। प्रदेश के ऐसे युवा जिनकी आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं होने की वजह से उन्हें प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी सहित अन्य खर्चे उठाने में काफी परेशानी उठानी पड़ती है, इस योजना के तहत मिली राशि से वे अपनी जरूरतें पूरी कर पा रहे हैं। यह योजना अनेक युवाओं के भविष्य को एक नया आयाम देने में सहायक बन गया है।
मनेंद्रगढ़ विकासखंड के ग्राम पंचायत चैनपुर में रहने वाली सुश्री मीनू चौरसिया भी एक बेरोजगार युवा है जो प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रही हैं। उन्होंने बताया कि उनके पिताजी होटल व्यवसाय में काम करते हैं और उनके परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। पहले उन्हें पुस्तक, स्टेशनरी और परीक्षा में शामिल होने के लिए आवश्यक जरूरतों के लिए पैसों की बहुत दिक्कत होती थी। परंतु बेरोजगारी भत्ता मिलने से उन्हें पुस्तक, कॉपी, पेन, प्रतियोगी पुस्तकें व परीक्षा फॉर्म भरने में काफी मदद मिल रही है। उन्होंने यूट्यूब में पढ़ाई करने के लिये नेट रिचार्ज भी कराया है। सुश्री चौरसिया ने बताया कि उन्हें अब आर्थिक रूप से परिजनों पर आश्रित नहीं रहना पड़ रहा है। उन्होंने अभी श्रम विभाग में नियुक्ति के लिए आवेदन किया है। योजनांतर्गत सहायता राशि प्रदान करने के लिये उन्होंने मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल को धन्यवाद दिया है।
इसी तरह कोरबा शहरी क्षेत्र स्थित काशीनगर की रहने वाली सुश्री राजलक्ष्मी राठौर ने बताया कि वह एमएससी बायोटेक्नोलॉजी की पढ़ाई पूर्ण करने के बाद शासकीय नौकरी प्राप्त करने के लिए प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रही है। अभी वह यूजीसी नेट, शिक्षक भर्ती परीक्षा सहित अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रही हैं। उनकी इच्छा है कि एक अच्छी नौकरी हासिल कर परिवार की आर्थिक स्थिति को मजबूत बनाने में अपने पिता का सहयोग करें एवं अपने माता-पिता का नाम रौशन करें, लेकिन उनके परिवार की आर्थिक स्थिति उनके इरादों के बीच रुकावट बन रही थी। उन्होंने बताया कि उनके परिवार में 4 सदस्य हैं। उनके पिता एक स्टाम्प वेंडर हैं, उनकी आय बहुत कम है। साथ ही घर में उनके पिता ही एक मात्र कमाने वाले सदस्य हैं। उनकी आय से घर की दैनिक आवश्यकताओं की पूर्ति के साथ परिवार की सदस्यों की जरूरतें पूरी करने में ही खर्च हो जाती है।
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने 31 मई को अपने निवास कार्यालय में आयोजित कार्यक्रम में बेरोजगारी भत्ता योजना के एक लाख 5 हजार 395 हितग्राहियों के खाते में 32 करोड़ 35 लाख 25 हजार रूपए की राशि का ऑनलाईन अंतरण किया। इन हितग्राहियों में 66 हजार 185 हितग्राहियों को, जिन्हें माह अप्रैल में प्रथम किश्त की राशि जारी की गई थी, उन्हें आज द्वितीय किश्त के रूप में 16 करोड़ 54 लाख 62 हजार 500 रूपए, 24 हजार 15 हितग्राहियों को जिन्होंने 30 अप्रैल 2023 तक आवेदन किया था, उन्हें माह अप्रैल और मई दोनों माह की बेरोजगारी भत्ते की किश्त के रूप में 12 करोड़ 75 हजार रूपए की राशि जारी की गई। इसी प्रकार 15 हजार 195 हितग्राहियों को जिन्होंने मई 2023 में आवेदन किया था, उन्हें आज प्रथम किश्त की राशि के रूप में 3 करोड़ 79 लाख 87 हजार 500 रूपए की राशि जारी की गई। बेरोजगारी भत्ता योजना के हितग्राहियों को प्रथम और द्वितीय किश्त के रूप में कुल 48 करोड़ 89 लाख 87 हजार 500 रूपए की राशि जारी की गई है।
साभार लेख : जनसंपर्क छत्तीसगढ़
आलेख: जी.एस. केशरवानी
रायपुर / शौर्यपथ / छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था के विविधिकरण और इसे विकसित राज्यों के स्तर तक लाने के लिए नए नए प्रयास किए जा रहे हैं। कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था की मजबूती के लिए राज्य में कई कदम उठाए गए हैं। यहां धान और वनोत्पाद के विपुल उत्पादन के साथ-साथ पर्यटन की संभावनाओं को देखते हुए कई पहल की गई है। इसी के तहत यहां सुराजी गांव और गोधन न्याय योजना, इथेनाल प्लांट की स्थापना, मिलेट मिशन, वनोपज एवं वनोत्पाद के वेल्यूएडिशन सहित कई क्षेत्रों में काम हो रहा है। लाख और मत्स्य उत्पादन को कृषि का दर्जा दिया गया है। राज्य के विभिन्न उत्पादों की बिक्री के लिए सी-मार्ट प्रारंभ करने की योजना बनायी गई है। पर्यटन संभावनाओं के दोहन के लिए पर्यटन क्षेत्रों का विकास किया जा रहा है। इन्हीं सब प्रयासों को एकीकृत करने और रोजगार की नई संभावानाओं के सृजन के लिए छत्तीसगढ़ रोजगार मिशन की शुरूआत की गई है।
राज्य में लोगों को आर्थिक क्रियाकलापों से जोड़ने और उनके आर्थिक सशक्तिकरण के लिए संभवतः देश में पहली बार रोजगार मिशन की परिकल्पना छत्तीसगढ़ में की गई है। यह मिशन राज्य और जिलों की परिस्थितियों के अनुसार रोजगार के नए-नए अवसरों के सृजन के लिए काम करेगा। इस काम के लिए मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की अध्यक्षता में छत्तीसगढ़ रोजगार मिशन का गठन किया गया है। यह मिशन रोजगार से जुड़े सभी महत्वपूर्ण विभागों के बीच में समन्वय स्थापित कर नए-नए रोजगार की संभावनाएं तलाशने के साथ ही उन्हें संचालित करने में मद्द करेगा। मुख्य सचिव इस मिशन के उपाध्यक्ष बनाए गए हैं। इस मिशन के काम-काज को व्यवस्थित रूप से संचालित करने के लिए मुख्य कार्यपालन अधिकारी की नियुक्ति की गई है।
रोजगार मिशन के माध्यम से आगामी 5 वर्षों में 10 से 15 लाख रोजगार के नए अवसरों का सृजन करने का लक्ष्य है। यह मिशन रोजगार को बढ़ावा देने संबंधी नीतिगत फैसले लेगा और राज्य की औद्योगिक नीति और अन्य नियमों में जहां भी आवश्यक प्रावधान करने की जरूरत होगी अपनी सिफारिश करेगा। सभी जिलों में रोजगार के लिए सेक्टरों का चिन्हांकन होगा। इनमें परम्परागत अवसरों के साथ ही रोजगार के नए अवसरों की पहचान की जाएगी। रोजगार के इच्छुक युवाओं का चिन्हांकन कर उनके लिए कौशल विकास की व्यवस्था की जाएगी। जिलों में रोजगार पार्क भी बनाए जाएंगे, जहां ऐसी इकाईयां स्थापित की जाएंगी। रूरल इंडस्ट्रीयल पार्कों में तैयार उत्पादों की शासकीय खरीदी के अलावा खुले बाजार में बिक्री की व्यवस्था की जाएगी। सेवा क्षेत्रों में नए रोजगार की संभावनाओं को देखते हुए इन गतिविधियों में युवाओं के कौशल प्रशिक्षण की व्यवस्था की जाएगी।
रोजगार मिशन ब्रांड छत्तीसगढ़ की पहचान को पूरे देश भर में स्थापित करने के लिए भी काम करेगा। देश के सभी बड़े महानगरों दिल्ली, मुम्बई, बंेगलूरू आदि में छत्तीसगढ़ के उत्पादों की प्रदर्शनियों का आयोजन करेगा। इसके साथ ही एयरपोर्ट में भी छत्तीसगढ़ के उत्पादों के स्टालों की स्थापना की जाएगी। ई-कामर्स के बड़े ब्रांड से अनुबंध के साथ ही रिटेल क्षेत्र में बिग बाजार और डीमार्ट से भी यहां के उत्पादों की बिक्री के लिए अनुबंध किया जाएगा। कोसा उत्पादों की बिक्री के लिए देश भर में फैशन शो के आयोजन के साथ ही पयर्टन संभवावनाओं के दोहन के लिए विशेष प्रचार अभियान चलाया जाएगा। ब्रांड छत्तीसगढ़ के लिए किसी बड़े सेलेब्रिटी को ब्रांड एम्बेस्डर नियुक्त करने की योजना भी है।
रोजगार मिशन रोजगार के नए अवसरों के सृजन के लिए आई.आई.टी, आई.आई.एम. और कृषि विश्वविद्यालयों से छत्तीसगढ़ के उत्पादों की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए शोध गतिविधियों के संचालन के साथ ही नए स्टार्ट-अप को प्रोत्साहन और मार्केटिंग स्टेªटजी और ऋण सुविधा उपलब्ध कराने में मदद भी करेगा। रोजगार की गतिविधियां बढ़ाने के लिए सभी जिलों में वहां की परिस्थितियों के अनुसार रोजगार सृजन के लिए गतिविधियों का चिन्हांकन किया जाएगा। चिन्हांकित 10 से 20 गतिविधियों में जिले स्तर पर कार्य योजना तैयार की जाएगी। कार्य योजना अल्पावधि और दीर्घ अवधि दोनों के लिए तैयार होगी। इसके लिए सभी जिला कलेक्टरों को दिशा-निर्देश दिए गए हैं।