September 17, 2024
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मुख्यमंत्री ( सफलता की कहानी )

मुख्यमंत्री ( सफलता की कहानी ) (229)

रायपुर / शौर्यपथ / मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का गुगल के मोबाईल नंबर पता कर सीधे बात की और उसकी बात बन गई। यह प्रसंग जुड़ा है बिलासपुर जिले के मस्तूरी ब्लाक के ग्राम मुड़पार के रहने वाले 25 वर्षीय दिव्यांग श्री रवि कश्यप से। मुख्यमंत्री से बात और अपनी मांग रखने का दो दिन का अरसा नहीं बीता था, कि उसे मुख्यमंत्री के हाथों चमचमाती टाईसायकिल की सौगात मिल गई। मुख्यमंत्री ने दिव्यांग रवि कश्यप को बधाई और शुभकामनाएं भी दीं। दिव्यांग रवि ने मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की संवेदनशीलता के लिए उनका आभार जताया।
बात छोटी सी है, परंतु यह साबित करने के लिए काफी है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल तक राज्य के आम जनता की पहुंच कितनी सहज है। मुख्यमंत्री की संवेदनशीलता इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि अज्ञात नंबर से कॉल आने पर भी उन्होंने न केवल फोन करने वाले की बात सुनी, अपितु उनकी समस्या का निराकरण भी तत्परता से कर दिया।
दिव्यांग श्री रवि कश्यप ने गूगल से मुख्यमंत्री का नंबर खोज कर उन्हें शनिवार को उन्हें सीधे फोन लगाकर बात की। दो दिन के भीतर ही श्री कश्यप को मुख्यमंत्री ने ट्राईसिकल प्रदान कर दी। इस चमत्कार की उम्मीद छत्तीसगढ़ राज्य में ही की जा सकती है, जहां राज्य का मुखिया आम लोगों के लिए सहज उपलब्ध है। आज बिलासपुर प्रवास के दौरान मुख्यमंत्री श्री बघेल ने सकरी हेलीपेड पर दिव्यांग श्री कश्यप को ट्राईसिकल भेंट की।
श्री कश्यप का कहना है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की संवेदनशीलता के बारे में सुना था। गूगल से उनका नंबर खोज कर नंबर की वैधता परखने के लिए मैंने उन्हें सीधे फोन कर दिया। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इत्मीनान से उनकी पूरी बात सुनी और ट्राईसिकल की उनकी मांग को पूरा करने के संबंध में आश्वस्त भी किया। श्री कश्यप बताते है कि यह मुख्यमंत्री की संवेदनशीलता ही है, जिसके चलते उन्हें दो दिन के भीतर ही ट्राईसिकल मुख्यमंत्री ने स्वयं प्रदान कर दी है। वे कहते हैं कि छत्तीसगढ़ ही ऐसा राज्य है जहां के मुखिया से कोई भी व्यक्ति सीधे अपनी बात रख सकता है। श्री कश्यप ने बताया कि उनके परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है। पिता श्री चुंगु राम कश्यप की आमदनी से ही छह सदस्यीय परिवार का गुजर-बसर होता है। इस दौरान संसदीय सचिव श्रीमती रश्मि सिंह, कलेक्टर डॉ. सारांश मित्तर भी मौजूद थे।

रायपुर / शौर्यपथ / ग्रामीण महिलाओं के जीवन में गौठानों ने आर्थिक संपन्नता का एक नया रंग भर दिया है। ग्रामीण महिलाओं को समूह के माध्यम से एक ही समय में एक से अधिक कार्य करके आर्थिक मजबूती प्राप्त करने का रास्ता गौठानों ने बखूबी दिखाया है। बिलासपुर जिले में 127 गौठानों में 204 स्व सहायता समूह की 1481 महिलाएं आर्थिक रूप से स्वावलम्बी हो गई है एवं अन्य महिलाओं को भी इस दिशा में प्रेरित कर रही है। गौठानों में आजीविका गतिविधियां जिनसे बिलासपुर जिले में 2 करोड़ 72 लाख रूपए से अधिक का कारोबार किया जा चुका है।
गौठानों में वर्मी कम्पोस्ट, सुपर कम्पोस्ट, सामुदायिक बाड़ी, मशरूम उत्पादन, मछली पालन, मुर्गी पालन, बकरी पालन, गोबर दिया, गोबर गमला, अगरबत्ती, साबुन निर्माण सहित अन्य आजीविका गतिविधियां संचालित की जा रही है। जिले में गौठानों के माध्यम से 1 लाख 33 हजार 263 क्विंटल गोबर की खरीदी की जा चुकी है। 18 हजार 670 क्विंटल वर्मी खाद बनाया गया है एवं 16 हजार 301 क्विंटल वर्मी खाद की बिक्री की गई है। इसी प्रकार 14 हजार 172 क्विंटल सुपर कम्पोस्ट बनाया गया है एवं 6 हजार 787 क्विंटल सुपर कम्पोस्ट खाद की बिक्री की जा चुकी है।
जिले की ग्राम शिवतराई की महिलाओं ने कीर्तिमान बनाया है। समूह की महिलाओं ने बीते दो साल में 10 लाख रूपए की खाद एवं साढ़े चार लाख रूपए का केंचुआ बेचकर अपनी आर्थिक स्थिति मजबूत कर ली है। यहां आशीष महिला स्व सहायता समूह ने मुर्गी पालन से 12 हजार 877 रूपए की आमदनी अर्जित की है। कोटा विकासखण्ड में महामाया महिला स्व सहायता की महिलाओं ने दो वर्षों में 1037 क्विंटल खाद तैयार कर बिक्री की है। सहकारी समितियों में खाद की बिक्री कर इन्हें 10 लाख से अधिक की आमदनी हुई है। बाड़ी विकास के अंतर्गत समूह की महिलाएं 6 एकड़ में सब्जी की खेती कर रही है। हल्दी की बिक्री से उन्हें 25 हजार रूपए का मुनाफा हुआ है। 65 किलोग्राम मशरूम की बिक्री से समूह को 16 हजार 250 रूपए की आमदनी मिली है। बिल्हा विकासखण्ड के सेलर गौठान में शिव शक्ति की महिला समूह ने दोना पत्तल के व्यवसाय से अब तक 74 हजार 200 रूपए की शुद्ध आय अर्जित की है। आसपास के ग्रामीण बाजारों मेें समूह की महिलाओं ने अपनी अच्छी पकड़ मजबूत की है।
बिलासपुर के मस्तूरी विकासखण्ड के कुकदा गौठान में सब्जी उत्पादन कर अन्नपूर्णा स्व सहायता समूह की महिलाओं ने 55 हजार रूपए एवं वर्मी खाद निर्माण से 27 हजार रूपए की आय अर्जित कर ली है। गौठानों को मल्टीएक्टिविटी सेंटर के रूप में विकसित किया जा रहा है ताकि अधिक से अधिक स्व सहायता समूहों का आजीविका के क्षेत्र में बेहतर विकास किया जा सके।

शौर्यपथ विशेष / लगातार बढ़ती मंहगाई के इस दौर में सस्ती बिजली का मिलना लोगों के लिए किसी सौगात से कम नहीं है। छत्तीसगढ़ में राज्य सरकार द्वारा लागू की गयी हाफ बिजली बिल योजना से बिजली के घरेलू उपभोक्ता लाखों परिवारों को सस्ती बिजली मिलने से बड़ी राहत मिली है। इन परिवारों को अपने घर के बिजली बिल में 400 यूनिट तक बिजली की खपत की आधी राशि का ही भुगतान करना होता है। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने नई सरकार के गठन के बाद सस्ती बिजली देने का फैसला किया। राज्य सरकार ने आम जनता से किया गया वायदा पूरा करते हुए हाफ बिजली बिल योजना लागू की। राज्य के सभी घरेलू उपभोक्ताओं के लिए 01 मार्च 2019 से हाफ बिजली बिल योजना लागू की गई है। इस योजना के अंतर्गत राज्य के सभी घरेलू उपभोक्ताओं को प्रतिमाह खपत की गई 400 यूनिट तक की बिजली पर प्रभावशील विद्युत की दरों के आधार पर आधे बिल की राशि की छूट दी जा रही है।
छत्तीसगढ़ देश का प्रमुख बिजली उत्पादक राज्य है। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की मंशा है कि छत्तीसगढ़ बिजली उत्पादक राज्य के साथ बिजली उपभोक्ता राज्य भी बने। अपने संसाधनों का सीधा आर्थिक लाभ घरेलू उपभोक्ताओं को भी मिलना चाहिए ताकि उनका जीवन स्तर ऊंचा उठे। बिजली की ताकत सबकी ताकत बने। हाफ बिजली बिल योजना में विगत ढाई वर्षों में सरकार द्वारा घरेलू उपभोक्ताओं को उनके बिजली बिल में 1822 करोड रूपए की राहत दी गई है। इस योजना से साढ़े 39 लाख 63 हजार परिवार लाभान्वित हो रहे हैं। हाफ बिजली बिल योजना के चलते राज्य में प्रति परिवार बिजली खपत में भी वृद्धि हुई है, जिससे लोगों के जीवन स्तर में सुधार आ रहा है। सस्ती बिजली से न केवल गरीब और मध्यम वर्ग के लोगों के घरों का बजट सुधरा है बल्कि किसानों को भी राहत मिली है। एकल बत्ती कनेक्शन योजना से लाखों गरीबों के घर भी रोशन हुए हैं।
राज्य सरकार द्वारा किसानों, गरीबों और मध्यमवर्गीय परिवारों के साथ-साथ उद्योगों को भी रियायती दर पर अच्छी गुणवत्ता के साथ बिजली आपूर्ति के प्रबंध किए गए हैं। उर्जा विभाग की कृषि पम्प उर्जीकरण योजना में विगत ढाई वर्षों में 93 हजार से अधिक नए पम्पों को विद्युत कनेक्शन दिया गया है। इसे मिला कर राज्य में विद्युतीकृत सिंचाई पम्पों की संख्या 5 लाख 80 हजार हो चुकी है। इसके साथ ही साथ कृषि लागत में कमी लाने के उद्देश्य से किसानों को कृषक जीवन ज्योति योजना में 3 एचपी के पम्प पर सालाना 6000 यूनिट और 3 से 5 एचपी के कृषि पम्पों पर 7500 यूनिट की सालाना छूट दी जा रही है। इसके अतिरिक्त किसानों को फ्लेट रेट का विकल्प भी दिया गया है। अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्ग के किसानों को पूरी तरह निःशुल्क बिजली उपलब्ध करायी जा रही है। इन वर्गों के किसानों के लिए विद्युत खपत की कोई सीमा निर्धारित नहीं की गई है।
छत्तीसगढ़ में गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले परिवारों को राज्य सरकार द्वारा 30 यूनिट बिजली निःशुल्क दी जा रही है। राज्य में 18 लाख परिवारों को योजना का फायदा मिल रहा है। सस्ती बिजली का लाभ इस्पात उद्योगों को मिलने से उन्हें राहत मिली है। राज्य में स्थापित होने वाले उद्योगों को उर्जा प्रभार में 80 पैसे प्रति यूनिट की रियायत भी दी गई है। प्रदेश में गुणवत्तापूर्ण बिजली की सतत आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए राज्य में विद्युत अधोसंरचना के विकास के काम भी बड़े पैमाने पर किए जा रहे हैं। इसके तहत 33/11 के.व्ही के 312 नए विद्युत उपकेन्द्र स्थापित किए गए हैं। विद्युत लाइनों के विस्तार, नये बिजली केन्द्रों की स्थापना के साथ राज्य के 14 नगर निगम क्षेत्रों में विद्युत लाइनों को व्यवस्थित करने, ट्रांसफार्मरों को शिफ्ट करने और नए केवल लाइनों के विस्तार के 1288 कार्यों में कुल 59 करोड़ की राशि व्यय की गई है। इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में मजरा टोला में 168 करोड़ रूपए से विद्युतीकरण के 3390 कार्य किए गए हैं। बिजली उपभोक्ताओं की समस्याओं के समाधान के लिए भी अनेक कदम उठाए गए हैं। मोर बिजली मोर एप के माध्यम से घरेलू विद्युत उपभोक्ताओं की बिजली से संबंधित समस्यों का त्वरित समाधान किया जा रहा है। लगभग 59.03 लाख बिजली उपभोक्ताओं की समस्याओं का समाधान किया गया है।
राज्य सरकार ने जहां समाज के हर वर्ग की बिजली संबंधी जरुरतों को ध्यान में रखते हुए, किफायती और गुणवत्तापूर्ण बिजली की सतत आपूर्ति के पुख्ता प्रबंध किए हैं, वहीं राज्य के एक महत्वपूर्ण संसाधन के रुप में बिजली का लाभ किसानों, उद्योगों, गरीबों के साथ-साथ मध्यमवर्ग के लोगों तक पहुंचाने का प्रयास पूरी संवेदनशीलता के साथ किया है। किफायती बिजली से खेती-किसानी से जुड़े किसानों को उत्पादन लागत कम रखने में मदद मिल रही है, वहीं सतत और रियायती दर पर बिजली की आपूर्ति उद्योगों को कठिन प्रतिस्पर्धा के दौर में टिके रहने का हौसला दे रही है। राज्य सरकार की बिजली नीति ने गरीबों और मध्यवर्ग के लोगों को भी बड़ी राहत दी है।

इस विशाल मानव निर्मित जंगल में भूपेश बघेल ने लगाया बरगद का पौधा
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्देश पर बनाया गया था प्रस्ताव, 83 हजार से अधिक लगे पौधे

दुर्ग/शौर्यपथ / देश में पर्यावरण की मानव निर्मित विशाल धरोहर दुर्ग जिले में बनी है। आज मुख्यमंत्री ने इस प्रोजेक्ट का अवलोकन किया। नंदिनी की खाली पड़ी खदानों की जमीन में यह प्रोजेक्ट विकसित किया गया है। लगभग 3.30 करोड़ रुपए की लागत से यह प्रोजेक्ट तैयार किया गया है। आज जन वन कार्यकम में मुख्यमंत्री ने यहाँ बरगद का पौधा लगाया और जंगल का अवलोकन किया। उल्लेखनीय है कि इसके लिए डीएमएफ तथा अन्य मदों से राशि ली गई है। पर्यावरण संरक्षण के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्देश पर यह प्रोजेक्ट तैयार किया गया। यह प्रोजेक्ट देश दुनिया के सामने उदाहरण है कि किस तरह से निष्प्रयोज्य माइंस एरिया को नेचुरल हैबिटैट के बड़े उदाहरण के रूप में बदला जा सकता है।
इस अवसर पर अपने संबोधन में मुख्यमंत्री ने कहा कि पर्यावरण को संरक्षित करने यह प्रशंसनीय कदम है। यहां 100 एकड़ में औषधीय पौधे तथा फलोद्यान भी विकसित करें। उन्होंने कहा कि पर्यावरण संरक्षण के लिये ये बड़ी पहल है। इससे प्रदूषण को नियंत्रित करने में भी मदद मिलेगी।
इस अवसर पर अपने संबोधन में वन मंत्री ने कहा कि हमने प्रकृति को सहेजने बड़े निर्णय लिए। चाहे लेमरू प्रोजेक्ट हो या नदियों के किनारे प्लांटेशन, प्रकृति को हमने हमेशा तवज्जो दी। आज यह मानव निर्मित जंगल का बड़ा काम हुआ है। मैं इसके लिए क्षेत्र की जनता को बधाई देता हूँ।
इस अवसर पर जिले के प्रभारी मंत्री एवं वनमंत्री मोहम्मद अकबर, पीएचई मंत्री गुरु रुद्र कुमार, उच्च शिक्षा मंत्री श्री उमेश पटेल ने भी पौधरोपण किया।
उल्लेखनीय है कि 17 किलोमीटर क्षेत्र में फैले नंदिनी के जंगल में पहले ही सागौन और आंवले के बहुत सारे वृक्ष मौजूद हैं। अब खाली पड़ी जगह में 83,000 पौधे लगाये गये हैं। इसके लिए डीएमएफ-एडीबी से राशि स्वीकृत की गई। इस अवसर पर पीसीसीएफ राकेश चतुर्वेदी ने विस्तार से प्रोजेक्ट की जानकारी दी और इस कार्य मे लगे अधिकारियों को बधाई दी। कलेक्टर डॉ. सर्वेश्वर नरेंद्र भुरे तथा डीएफओ धम्मशील गणवीर ने विस्तार से प्रोजेक्ट की जानकारी मुख्यमंत्री को दी। उन्होंने बताया कि 83000 पौधे लगाये जा चुके हैं। 3 साल में यह क्षेत्र पूरी तरह जंगल के रूप में विकसित हो जाएगा। यहां पर विविध प्रजाति के पौधे लगने की वजह से यहां का प्राकृतिक परिवेश बेहद समृद्ध होगा। श्री गणवीर ने बताया कि यहां पर पीपल, बरगद जैसे पेड़ लगाए गये हैं जिनकी उम्र काफी अधिक होती है साथ ही हर्रा, बेहड़ा, महुवा जैसे औषधि पेड़ भी लगाए गये हैं। इस मौके पर पीसीसीएफ वन्य संरक्षण नरसिंह राव, लघु वनोपज के एमडी संजय शुक्ला, आईजी विवेकानंद सिन्हा, एवं अन्य अधिकारी उपस्थित थे। साथ ही बीएसपी सीईओ अनिर्बान दासगुप्ता भी उपस्थित रहे।

लोगों ने कहा इस पुल से पैसे व समय की बचत होगी : क्षेत्र के विकास में मील का पत्थर साबित होगा

शौर्यपथ लेख / सामाजिक, आर्थिक, शैक्षणिक विकास के लिए , सड़क संपर्क की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। व्यापारियों के आवागमन, शैक्षणिक संस्थाओं तक विद्यार्थियों को पहुंचने के लिए सरल,सुविधाजनक मार्ग जीवन में उन्नति का प्रशस्त करता है। पामगढ़ तहसील के ग्राम कमरीद के पास शिवनाथ नदी पर 15 करोड़ 19 लाख रूपए की लागत से 425 मीटर लंबा पुल बन बनाया गया है। इस पुल के बन जाने से जांजगीर-चांपा और बलौदाबाजार जिले के 37 ग्रामों के करीब 72 हजार से अधिक लोगों को आवागमन की बारहमासी सुविधा मिलेगी। यह पुल इस क्षेत्र के आर्थिक और सामाजिक विकास का आधार बनेगा।
यह पुल जांजगीर-चांपा और बलौदा बाजार जिले को जोड़ने के लिए भी महत्वपूर्ण है। बलौदा बाजार जिले के ग्राम लवन क्षेत्र के लोगों को खरौद और शिवरीनारायण जैसे समृद्ध बाजार का लाभ भी मिलेगा। इससे व्यापार में वृद्धि होगी। बलौदाबाजार जिले के ग्राम पौंसर निवासी श्री खिलावन ने बताया कि पूल नहीं होने के कारण नाव या बोट के माध्यम से आना -जाना करना पड़ता था। जिसके कारण अतिरिक्त किराया भी देना पड़ता था। बरसात के दिनों में या रात के समय नदी पार करना संभव नहीं होता था। जरूरी काम होने पर बहुत परेशानी होती थी। उन्होंने राज्य सरकार के धन्यवाद देते हुए कहा कि शिवनाथ नदी पर पुल बनने से आवागमन की सुविधा का विस्तार हो गया है। इसी प्रकार जांजगीर चांपा जिले के ग्राम चंगोरी निवासी परमेश्वर ने बताया कि अब बलोदाबाजार जिला जाने के लिए शिवरीनारायण की ओर जाना नहीं पड़ेगा। वह सीधे लवन होते हुए रायपुर और की ओर जा सकेंगे। इससे समय और पैसे की भी बचत भी होगी। यह पुल इस क्षेत्र के विकास में मील का पत्थर साबित होगा।

रायपुर / शौर्यपथ लेख / छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा प्रदेश में परंपरागत व्यवसायों को प्रोत्साहन देकर उन्हें एक बार फिर नवजीवन प्रदान करने के लिए बड़ी पहल की गयी है। लोहारी, रजककारी, तेलघानी और चर्मशिल्प जैसे व्यवसाय हमारे ग्रामीण जनजीवन का अभिन्न हिस्सा रहे हैं। शहरीकरण, औद्योगीकरण और बाजारीकरण के दौर में इन व्यवसायों का महत्व धीरे-धीरे कम होता गया। दक्षता के बावजूद इनसे जुड़े लोग अपने परम्परागत कार्यों से दूर होते गए। जीवकोपार्जन के लिए रोजगार और आय का जरिया जुटाना उनके लिए बड़ी चुनौती बन गया, इसलिए वे दूसरे काम-धंधों को अपनाने लगे।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ सरकार ने इन व्यवसायों से जुड़े लोगों की यह विवशता पूरी संवेदनशीलता के साथ महसूस की और इन व्यवसायों को पुनर्जीवन देने का बड़ा फैसला लिया। आज भी ग्रामीण अंचलों में इन व्यवसायों में रोजगार की काफी संभावनाएं हैं। इसलिए राज्य सरकार द्वारा पराम्परागत व्यवसायों को मदद देकर प्रोत्साहित करने के लिए चार बोर्डों छत्तीसगढ़ लौह शिल्पकार विकास बोर्ड, छत्तीसगढ़ तेलघानी विकास बोर्ड, छत्तीसगढ़ रजककार विकास बोर्ड और छत्तीसगढ़ चर्मशिल्प विकास बोर्ड का गठन किया गया है।
परम्परागत व्यवसायों के लिए गठित किए गए ये बोर्ड अपने अपने क्षेत्र से संबंधित व्यवसायों को प्रोत्साहन देकर रोजगार के अवसर बढ़ाने में योगदान दंेगे। छत्तीसगढ़ लौह शिल्पकार विकास बोर्ड लौहशिल्पकारों को, छत्तीसगढ़ तेलघानी विकास बोर्ड तेलघानी को, छत्तीसगढ़ रजककार विकास बोर्ड रजककारों को और छत्तीसगढ़ चर्मशिल्प विकास बोर्ड चर्म शिल्पकारों को स्वरोजगार के लिए मदद देंगे। संबंधित बोर्ड अपने क्षेत्र से जुड़े शिल्पकारों और लोगों को उन्नत प्रशिक्षण, उन्नत उपकरण प्रदान करने के साथ ऋणग्रस्त शिल्पकारों और व्यवसाय में संलग्न लोगों को स्वरोजगार के लिए बैंकों से आर्थिक सहायता उपलब्ध कराने में मदद करेंगे।
राज्य शासन द्वारा गठित इन बोर्डों के संचालक मण्डल में राज्य शासन द्वारा अध्यक्ष तथा चार अशासकीय सदस्य नामित किए जायेंगे। बोर्ड के संचालक मंडल में आवश्यकतानुसार अन्य संबंधित विषय विशेषज्ञों को अशासकीय सदस्य के रूप में आमंत्रित किया जा सकेगा। राज्य शासन के द्वारा नामंकित अधिकारी बोर्ड के प्रबंध संचालक होंगे। इन सभी बोर्ड का मुख्यालय रायपुर में होगा।
राज्य सरकार द्वारा इन बोर्डों के गठन की अधिसूचना के अनुसार विकास बोर्डों की कार्य अवधि तीन वर्ष होगी। बोर्ड की तीन वर्ष की कार्य अवधि के पश्चात् बोर्ड स्वमेव समाप्त माना जाएगा। बोर्ड के अध्यक्ष एवं सदस्यों को वित्त विभाग के प्रचलित नियम और निर्देशों के अनुसार सुविधाएं देय होंगी।
विकास बोर्डों द्वारा स्थानीय उपलब्ध संसाधनों को दृष्टिगत रखते हुए अपने क्षेत्र से जुड़े व्यवसाय को अधिक लाभप्रद बनाने और उनसे जुड़े कार्यों के विकास के लिए स्थानीय परिस्थितियों के अनुकूल नीतियों और कार्यक्रम के संबंध में सुझाव दिए जाएंगे। विकास बोर्डों द्वारा परम्परागत व्यवसायों की गुणवत्ता वृद्धि, समस्याओं और आवश्यकताओं से संबंधित अनुसंधान कार्य तथा व्यवसायों से शिक्षित युवाओं और महिलाओं को जोड़ने के उपायों के संबंध में भी सुझाव दिए जाएंगे।
प्रदेश में परम्परागत व्यवसायों को प्रोत्साहित करने के लिए शुरु की गयी पौनी-पसारी योजना के बाद राज्य सरकार द्वारा चार बोर्डों का गठन दूसरी बड़ी पहल है। वंशानुगत रुप से परम्परागत कार्य करने वालों और इन व्यवसायों से जुड़ने वाले लोगों को इन बोर्डों के जरिए जरुरी मदद, उन्नत उपकरण और तकनीकी मार्गदर्शन मिलेगा, जिससे उनके कौशल और कार्यकुशलता में और अधिक सुधार होगा। इन व्यवसायों में अच्छे अवसर निर्मित होंगे, ये व्यवसाय लाभप्रद बनेंगे और जिससे परम्परागत व्यवसायों में युवाओं को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने में मदद मिलेगी।

रायपुर / शौर्यपथ /

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा पशुधन के संरक्षण और संवर्धन के लिए गांवों में निर्मित गौठान और साल भर पहले शुरू हुई गोधन न्याय योजना से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को एक नया संबल मिला है। गौठानों में गोधन न्याय योजना के तहत गोबर खरीदी का आंकड़ा अब तक 100 करोड़ रूपए के पार पहुच चुका है। खरीदे गए गोबर से राज्य के लगभग 6000 गौठानों में बहुतायत रूप से वर्मी कम्पोस्ट और सुपर कम्पोस्ट का उत्पादन महिला समूहों द्वारा किया जा रहा है। गौठानों अब तक उत्पादित एवं विक्रय की गई खादों का मूल्य 90 करोड़ रूपए के पार हो गया है। गोधन न्याय योजना में ग्रामीणों की बढ़-चढ़कर भागीदारी में इसे न सिर्फ लोकप्रिय बनाया है बल्कि इसके माध्यम से जो परिणाम हमारे सामने आए हैं वह बेहद सुखद है।
गोधन न्याय योजना अपने आप में एक ऐसी अनूठी योजना बन गई है, जो बहुआयामी उद्देश्यों को अपने आप में समाहित कर लिया है। इस योजना के शुरूआती दौर में लोगों के मन में कई तरह के सवाल और इसकी सफलता को लेकर आशंकाएं थी, जिसे गौठान संचालन समिति और गौठान से जुड़ी महिलाओं ने निर्मूल साबित कर दिया है। इस योजना से हमारे गांवों मेेें उत्साह का एक नया वातावरण बना है। रोजगार के नए अवसर बढ़े हैं। पशुपालकों, ग्रामीणों को अतिरिक्त आय का जरिया मिला है। महिला स्व सहायता समूहों को को स्वावलंबन की एक नई राह मिली है।
पशुधन के संरक्षण और संवर्धन के साथ-साथ उन्हें चारे-पानी का एक ठौर देने के उदेद्श्य गांवों में स्थापित गौठान और गोधन न्याय योजना के समन्वय से वास्तव में गौठान अब ग्रामीण के आजीविका के नया ठौर बनते जा रहे है। गौठानों में महिला समूहों द्वारा जिस लगन और मेहनत के साथ आयमूलक गतिविधियां सफलतापूर्वक संचालित की जा रही है। वह अपने आप में बेमिसाल है। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल का कहना है कि हमारे गांव शक्ति का केन्द्र रहे हैं। ग्रामीण संसाधनों ने इतनी शक्ति होती है कि उससे प्रदेश और देश की अर्थव्यवस्था संचालित हो। हमें अपनी संस्कृति, अस्मिता, स्वाभिमान और सम्मान से जुड़े रहकर विकास की गति को बढ़ाना हो तो इसका सबसे अच्छा साधन है अपने परम्परागत संसाधनों का सम्मान और मूल्य संवर्धन करते हुए ऐसा विकास, जिसमें बड़ी संख्या में ग्रामीण जनता की सीधी भागीदारी हो।
गोधन न्याय योजना और हमारे गौठान वास्तव में ग्रामीणों की योजना है और उन्हीं के द्वारा उन्हीं की भलाई के लिए संचालित की जा रही है। गोधन न्याय योजना के तहत गोबर खरीदी की राशि का आंकड़ा 100 करोड़ के पार हो गया है। यह कोई छोटी बात नहीं है। गोबर को बेचने वाले और खरीदने वाले और उससे वर्मी कम्पोस्ट से लेकर विविध उत्पाद तैयार करने वाले गांव के ही है। इससे यह बात स्पष्ट है कि हमारे गांव रोजगार और उत्पादन के केन्द्र बिन्दु बन सकते हैं, जो गांधी जी के ग्राम स्वराज का उद्देश्य है। छत्तीसगढ़ सरकार सुराजी गांव योजना- नरवा, गरूवा, घुरवा, बाड़ी और गोधन न्याय योजना के जरिए ग्राम स्वराज के सपने को पूरा करने की ओर तेजी से बढ़ रही है।
गोधन न्याय योजना के तहत अब तक 100 करोड़ 82 लाख रूपए की गोबर की खरीदी गौठानों में हो चुकी है। गौठान समितियों को 32 करोड़ 94 लाख तथा महिला स्व-सहायता समूहों को अब तक 21 करोड़ 42 लाख रूपए के लाभांश का वितरण किया जा चुका है। गौठानों में वर्मी कम्पोस्ट निर्माण से लेकर आय अर्जन की विविध गतिविधियों में जुटीं समूह की महिलाएं लगन और मेहनत से जुटी है। उनकी लगन और मेहनत ने यह बात प्रमाणित कर दी है, कि परिस्थितियां चाहे जितनी भी विषम हो उसे पुरूषार्थ से पराजित किया जा सकता है। महिला समूहों ने उच्च गुणवत्ता की वर्मी कम्पोस्ट और सुपर कम्पोस्ट खाद तैयार कर एक नया कीर्तिमान रचा है। छत्तीसगढ़ के गौठानों में उत्पादित वर्मी कम्पोस्ट की मांग पड़ोसी राज्य भी करने लगे हैं। झारखंड राज्य ने डेढ़ लाख क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट सप्लाई का आर्डर रायगढ़ जिले को मिला है। यह गर्व की बात है। छत्तीसगढ़ राज्य से लगे सीमावर्ती राज्यों के किसान भी छत्तीसगढ़ के बार्डर इलाके के गौठानों में आकर वर्मीकम्पोस्ट क्रय कर रहे हैं। छत्तीसगढ़ सरकार की गोधन न्याय योजना को स्काच गोल्ड अवार्ड मिलना राज्य के लिए गौरव पूर्ण उपलब्धि है।
गोधन न्याय योजना के तहत अब तक राज्य में 10 हजार 112 गौठान स्वीकृत किए गए हैं जिनमें से 6112 गौठान निर्मित और संचालित हैं। इस योजना से लाभान्वित होने वालों में 44.51 प्रतिशत महिलाएं हैं। 48.10 प्रतिशत अन्य पिछड़ा वर्ग, 7.82 प्रतिशत अनुसूचित जाति के तथा 40.58 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति वर्ग के पशुपालक हैं। 79 हजार से अधिक भूमिहीन परिवारों को इस योजना के माध्यम से अतिरिक्त आय का जरिया सुलभ हुआ है। महिला समूहों द्वारा गौठानों में अब तक 7 लाख 80 हजार क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट का उत्पादन किया गया है, जिसमें से 6 लाख 13 हजार क्विंटल खाद का विक्रय हो गया है। गौठानों में 3 लाख 46 हजार क्विंटल सुपर कम्पोस्ट खाद में से 1 लाख 60 हजार क्विंटल खाद बिक चुकी है। गौठानों में सफलतापूर्वक गोबर की खरीदी और आयमूलक गतिविधियों के संचालन से 1634 गौठान स्वावलंबी हो चुके हैं। यह गोधन न्याय योजना के सार्थकता और उसके जरिए होने वाले लाभ का परिणाम है।

रायपुर / शौर्यपथ / वर्ष 2021 में छत्तीसगढ़ राज्य को विभिन्न कार्यो के लिए कई राष्ट्रिय पुरस्कारों से नवाजा गया है . कोरोना काल के दरम्यान भी छत्तीसगढ़ सरकार के कार्यो को कई क्षेत्रो में सफलता मिली है . आइये जाने छत्तीसगढ़ को वर्ष 2021 में कितने राष्ट्रिय पुरस्कार किन किन क्षेत्रो में प्राप्त हुए है .
राष्ट्रीय पंचायत पुरस्कार-2021 : छत्तीसगढ़ को मिला 12 पुरस्कार : 24-04-2021
केन्द्रीय पंचायतीराज मंत्रालय द्वारा दिए जाने वाले राष्ट्रीय पंचायत पुरस्कार-2021 के अंतर्गत छत्तीसगढ़ को 12 पुरस्कार प्राप्त हुए हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राष्ट्रीय पंचायतीराज दिवस के मौके पर नई दिल्ली में आयोजित वर्चुअल समारोह में विजेता पंचायतों के खातों में पुरस्कार राशि का ऑनलाइन अंतरण किया। केन्द्रीय पंचायतीराज एवं ग्रामीण विकास मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर भी कार्यक्रम में शामिल हुए। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री टी.एस. सिंहदेव और राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल पुरस्कार समारोह में वीडियो कॉन्फ्रेंस से जुड़ें। उन्होंने पुरस्कार हासिल करने वाले सभी पंचायतों को बधाई एवं शुभकामनाएं दी हैं।
छत्तीसगढ़ को राष्ट्रीय ई-पंचायत पुरस्कारों में दूसरा स्थान : 21-04-2021
प्रदेश की त्रिस्तरीय पंचायतीराज संस्थाओं द्वारा स्थानीय स्वशासन में आईसीटी (Information & Communication Technology) के बेहतर उपयोग के लिए छत्तीसगढ़ को राष्ट्रीय ई-पंचायत पुरस्कारों में दूसरा स्थान मिला है। केन्द्रीय पंचायती राज मंत्रालय द्वारा सभी राज्यों की पंचायतों में आईसीटी और ई-एप्लीकेशन के प्रभावी उपयोग का मूल्यांकन कर बेहतर प्रदर्शन करने वालों राज्यों को ई-पंचायत पुरस्कार प्रदान किया जाता है। तीन अलग-अलग वर्गों में दिए जाने वाले इस पुरस्कार में छत्तीसगढ़ को प्रथम वर्ग (Category-I) में असम के साथ संयुक्त रूप से दूसरा स्थान प्राप्त हुआ है। भारत सरकार द्वारा पंचायतों के कार्यों में पारदर्शिता, दक्षता और जवाबदेही के लिए आईसीटी के उपयोग को बढ़ावा देने हर वर्ष ई-पंचायत पुरस्कार प्रदान किया जाता है।
हेल्थ एंड वेलनेस एप्लीकेशन के उपयोग में छत्तीसगढ़ को मिला पुरस्कार : 14-04-2021
हेल्थ एंड वेलनेस एप्लीकेशन के उत्कृष्ट उपयोग के लिए छत्तीसगढ़ को राष्ट्रीय पुरस्कार मिला है। इस एप्लीकेशन के उपयोग में छत्तीसगढ़ देश में तीसरे स्थान पर है। केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग द्वारा आज देश में हेल्थ एंड वेलनेस सेंटरों की शुरूआत के तीन वर्ष पूरे होने पर आयोजित ऑनलाइन कार्यक्रम में प्रदेश को यह पुरस्कार प्रदान किया गया। छत्तीगसढ़ ने कोरोना महामारी के इस कठिन समय में भी लक्ष्य से अधिक स्वास्थ्य केंद्रों का हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर में उन्नयन किया है।
प्रदेश की पंचायतों ने फिर दिखाया दम, लगातार तीसरे साल 11 राष्ट्रीय पुरस्कार : 03-04-2021
केन्द्रीय पंचायती राज मंत्रालय द्वारा कोंडागांव जिला पंचायत, गरियाबंद और तिल्दा जनपद पंचायत तथा सरगुजा जिले के अंबिकापुर विकासखंड के सरगवां और लुंड्रा विकासखंड के रिरी, बालोद जिले के गुंडरदेही विकासखंड के माहुद (अ), कबीरधाम जिले के सहसपुर लोहारा विकासखंड के महराटोला एवं रायपुर जिले के आरंग विकासखंड के बैहार ग्राम पंचायत का चयन दीनदयाल उपाध्याय पंचायत सशक्तिकरण पुरस्कार के लिए किया गया है। राष्ट्रीय पंचायत पुरस्कार-2021 के अंतर्गत बीजापुर जिले के भोपालपटनम विकासखंड के दूरस्थ वनांचल गोटईगुड़ा ग्राम पंचायत को नानाजी देशमुख राष्ट्रीय गौरव ग्राम सभा पुरस्कार, रायपुर जिले के अभनपुर विकासखंड के नवागांव (ल) को बाल मित्र ग्राम पंचायत पुरस्कार और आरंग विकासखंड के बैहार को ग्राम पंचायत विकास योजना पुरस्कार दिया जाएगा।
राष्ट्रीय पंचायत अवार्ड 2021: कोण्डागांव को मिला दीनदयाल उपाध्याय पंचायत सशक्तीकरण पुरस्कार : 01-04-2021
भारत सरकार के पंचायती राज मंत्रालय द्वारा आज 31 मार्च को विशिष्ट कार्य करने वाले पंचायतों के लिए दीनदयाल उपाध्याय पंचायत सशक्तिकरण पुरस्कार, नानाजी देशमुख राष्ट्रीय गौरव ग्राम सभा पुरस्कार एवं ग्राम पंचायत डेवलपमेंट प्लान अवार्ड की घोषणा की गई। जिसमें जिला पंचायत कोंडागांव को उत्कृष्ट कार्य हेतु वर्ष 2019-20 के लिए छत्तीसगढ़ में प्रथम स्थान प्रदान करते हुए दीनदयाल उपाध्याय पंचायत सशक्तिकरण पुरस्कार (डी.डी.यू.पी.एस.पी.) 2021 प्रदान करने की घोषणा की गई।
बिलासपुर जिले को पीएम किसान सम्मान निधि के श्रेष्ठ क्रियान्वयन के लिए मिला राष्ट्रीय अवार्ड : 24-02-2021
छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले ने प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के क्रियान्वयन में देश में सर्वोच्च स्थान हासिल किया है। केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री नरेन्द्र तोमर ने आज इस योजना के दो वर्ष पूरे होने के मौके पर नई दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम में बिलासपुर जिले को इस गौरवपूर्ण उपलब्धि के लिए पुरस्कृत किया। बिलासपुर के कलेक्टर डॉ. सारांश मित्तर और प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के राज्य नोडल अधिकारी श्री जी.के. निर्माम ने यह पुरस्कार ग्रहण किया।
मोर जमीन-मोर मकान में बेहतरीन प्रदर्शन के लिए मिला पुरस्कार : 01-01-2021
प्रधानमंत्री आवास योजना शहरी अंतर्गत समावेशी मॉडल मोर जमीन-मोर आवास को भारत सरकार द्वारा पुरस्कृत किया गया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की उपस्थिति में केन्द्रीय आवासन एवं शहरी कार्य मंत्री, हरदीप सिंह पुरी द्वारा वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से विजेताओं को पुरस्कृत किया गया। नगरीय प्रशासन मंत्री डॉ शिवकुमार डहरिया ने यह पुरस्कार ग्रहण किया। । भारत सरकार, आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय द्वारा प्रधानमंत्री आवास योजनान्तर्गत मिशन के 04 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में पीएमएवाय-यू और आशा अवार्ड के तहत छत्तीसगढ़ राज्य को तीन श्रेणियों में अवार्ड प्राप्त हुए हैं। ”बेस्ट कन्वर्जेंस विथ अदर मिशन“ की श्रेणी में छत्तीसगढ़ राज्य को उत्तम प्रदर्शन करने हेतु पुरस्कृत किया गया।
बेस्ट कन्वर्जेंस विथ अदर मिशन की श्रेणी में छत्तीसगढ़ को मिला पुरस्कार
मोर जमीन-मोर मकान घटक के अन्तर्गत हितग्राहियों को सभी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने, अन्य योजनाओं का समावेश कर उनके सफल क्रियान्वयन हेतु ”बेस्ट कन्वर्जेंस विथ अदर मिशन“ की श्रेणी में छत्तीसगढ़ राज्य को उत्तम प्रदर्शन करने हेतु पुरस्कृत किया गया।
बेस्ट परफॉर्मिंग म्युनिसिपल काउंसिल श्रेणी में डोंगरगढ़ को मिला इनाम
नगर पालिका परिषद, डोंगरगढ़ को अधिक से अधिक आवास निर्माण पूर्ण करने पर देश में ”बेस्ट परफॉर्मिंग म्युनिसिपल काउंसिल श्रेणी“ में पुरस्कार प्राप्त हुआ है।
बेस्ट हाउस कंस्ट्रक्शन श्रेणी में हितग्राहियों को मिला पुरस्कार
प्रदेश के तीन हितग्राही मंजू साहू (धमतरी), मुमताज बेगम (धमतरी), ममता वर्मा (कवर्धा) के आवासों को देश के ”बेस्ट हाउस कंस्ट्रक्शन श्रेणी“ में पुरस्कार प्राप्त हुए।

- पहले केवल 27 स्कूलों से आरंभ किया था, लोगों ने काफी पसंद किया और अब 172 स्कूल
- शिक्षक दिवस के अवसर पर कार्यरत एवं सेवानिवृत्त शिक्षकों का सम्मान किया मुख्यमंत्री ने

दुर्ग / शौर्यपथ / शिक्षक दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आज पाटन विधानसभा के सेवानिवृत्त और कार्यरत शिक्षकों का सम्मान किया। इस मौके पर उन्होंने स्वामी आत्मानंद विद्यालय के बच्चों से चर्चा भी की। इस मौके पर उन्होंने 70 सेवानिवृत शिक्षकों और समारोह में उपस्थित 500 से अधिक शिक्षकों का सम्मान किया। इस मौके पर उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि प्रदेश में शिक्षा की प्रगति हमारी सबसे जरूरी प्राथमिकताओं में से है। कुछ अभिभावक अपने बच्चों को इंग्लिश मीडियम स्कूलों में पढ़ाना चाहते थे लेकिन आर्थिक दिक्कतों की वजह से एवं अन्य दिक्कतों की वजह से यह संभव नहीं हो रहा था। हमने आरंभिक रूप से 27 इंग्लिश मीडियम स्कूल आरंभ किये और लोगों ने इसे काफी सराहा।
यहाँ की उच्चस्तरीय सुविधा, शैक्षणिक स्तर, लाइब्रेरी, अधोसंरचना, विज्ञान लैब और हमारे शिक्षकों की कड़ी मेहनत ने इन संस्थानों को काफी ऊँचाई दी। अब यहाँ एडमिशन की काफी माँग होती है। अब हमारे बच्चे भी दिल्ली, चेन्नई और मुंबई में फर्राटे से अंग्रेजी बोलने में हिचकेंगे नहीं। यह बड़ा काम हुआ है। मुख्यमंत्री ने अपने विधानसभा के शिक्षकों को सम्मानित करते हुए कहा कि हम भाग्यशाली हैं कि पाटन क्षेत्र में हमारे पूर्वजों ने शिक्षा के लिए बड़ा काम किया। आजादी के पूर्व यहाँ 6 हाईस्कूल थे। शिक्षा को लेकर हमारे पूर्वजों का यह कार्य स्तुत्य है।
उन्होंने कहा कि स्वामी आत्मानंद ने विवेकानंद विद्यापीठ के माध्यम से अबुझमाड़ के बच्चों की शिक्षा के लिए कार्य किया। यहाँ के बच्चे पढ़ाई में शानदार रहे हैं। उन्होंने कहा कि जब हमने यह नवाचार आरंभ किया तब इन विद्यालयों का नाम स्वामी आत्मानंद के नाम पर रखने का निश्चय किया। मुख्यमँत्री ने अपने संबोधन के आरंभ में पूर्व राष्ट्रपति डॉ. राधाकृषणन के योगदान को भी नमन किया। इस मौके पर स्कूल शिक्षा मंत्री श्री प्रेमसाय सिंह टेकाम ने भी अपना संबोधन दिया।
उन्होंने कहा कि पढ़ई तुंहर द्वार और अनेक नवाचारों के माध्यम से हमने प्रदेश में शिक्षा के लिए बहुत अच्छा कार्य किया है। जिले के प्रभारी मंत्री श्री मोहम्मद अकबर ने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में अनेक तरह के नवाचार हमने किये हैं। इसके साथ ही लोगों के रोजगार के लिए, प्रदेश की जनजातीय आबादी एवं सभी वर्गों के लिए अच्छा कार्य किया है।
इस मौके पर नगरीय प्रशासन मंत्री शिव डहरिया ने कहा कि मुख्यमंत्री के मार्गदर्शन में सभी नगरीय निकायों में लोगों की बुनियादी सुविधाओं के लिए बहुत अच्छा कार्य हो रहा है। इस मौके पर शिक्षाविद ओपी वर्मा ने भी अपना संबोधन दिया। इस मौके पर कुम्हारी नगर पालिका के अध्यक्ष राजेश्वर सोनकर एवं अन्य गणमान्य अतिथि मौजूद थे। साथ ही आईजी विवेकानंद सिन्हा, कलेक्टर डॉ. सर्वेश्वर नरेंद्र भुरे एवं एसपी प्रशांत अग्रवाल सहित अन्य अधिकारी मौजूद थे।
*शुभ्रा सोनकर से पूछा, बेटा कैसा लग रहा है यहाँ*- मुख्यमंत्री ने आज कुम्हारी स्कूल में अपना कुछ वक्त बच्चों के साथ बिताया। उन्होंने बच्चों से पूछा कि उन्हें इस स्कूल में कैसा लग रहा है। शुभ्रा सोनकर ने बताया कि उसे यहाँ बहुत अच्छा लग रहा है। ऋतु चौधरी ने बताया कि यहाँ के टीचर बहुत अच्छे हैं। लाइब्रेरी भी अच्छी है और हम तेजी से अंग्रेजी सीख रहे हैं। नीलम साहू ने कहा कि हमारा स्कूल बहुत अच्छा है। मुख्यमंत्री ने बच्चों को बहुत सी शुभकामनाएं दीं।
*98 करोड़ रुपए की राशि से पेयजल व्यवस्था होगी मुकम्मल*- मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर कहा कि कुम्हारी नगर पालिका में पेयजल की किसी तरह की दिक्कत नहीं होगी इसके लिए उन्होंने 98 करोड़ रुपए के माध्यम से पेयजल व्यवस्था के लिए कार्य करने की घोषणा की। उल्लेखनीय है कि आज ही मुख्यमंत्री ने कुम्हारी में 15 करोड़ रुपए के कार्यों का लोकार्पण एवं 42 करोड़ के कार्यों का भूमिपूजन किया। इस तरह 57 करोड़ रुपए के कार्यों की सौगात दी।

कुम्हारी गौठान का किया मुख्यमंत्री ने निरीक्षण, स्व-सहायता समूहों की महिलाओं को सौंपे 2 लाख लाभांश के चेक

दुर्ग / शौर्यपथ / कुम्हारी में जहाँ पर डंप यार्ड था वहाँ पर अभी खूबसूरत फलोद्यान बना दिया गया है। यहाँ 6 प्रजातियों के पौधे रोपे गये हैं आज मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने यह फलोद्यान देखा। यह गौठान के पास बनाया गया है। मुख्यमंत्री ने गौठान में उत्पादित हो रहे वर्मी कंपोस्ट भी देखे। मुख्यमंत्री ने यहां पर 3 एकड़ में लगाया गया केला बाड़ी भी देखा और स्व-सहायता समूहों की महिलाओं को लाभांश का दो लाख रुपए का चेक भी सौंपा। महिलाओं ने बताया कि गौठान में 9 लाख में गोबर क्रय किया गया और 14 लाख रुपए का वर्मी कंपोस्ट बेचा गया।
मुख्यमंत्री ने इसकी प्रशंसा करते हुए कहा कि इसी तरह के नवाचार के माध्यम से कड़ी मेहनत करते रहें। मुख्यमंत्री ने आमों की प्रजाति के बारे में भी पूछा। सीएमओ ने बताया कि यहां आम्रपाली, तोतापरी जैसे आम की प्रजाति भी लगाई गई है। मुख्यमंत्री ने गौठान में आने वाले मवेशियों की जानकारी भी ली। उन्होंने कहा कि गौधन न्याय योजना के माध्यम से लोगों को इसी तरह लाभ देते रहें। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर मांगलिक भवन का लोकार्पण भी किया।

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