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ब्यूटी टिप्स /शौर्यपथ / अगर बालों की सही तरह से देखरेख ना की जाए तो बाल रूखे-सूखे और बेजान नजर आने लगते हैं. बालों को घना, मुलायम और शाइनी बनाने के लिए अक्सर ही पार्लर या सैलून जाकर हेयर स्पा करवाना पड़ता है. लेकिन, सैलून में हेयर स्पा करवाना जेब पर भारी पड़ जाता है. अच्छे हेयर स्पा की कीमत 500 से 1000 और 2000 रुपए तक भी हो सकती है. ऐसे में क्यों ना सिर्फ 10 रुपए में घर पर ही हेयर स्पा कर लिया जाए. घर में हेयर स्पा करना बेहद आसान भी है और असरदार भी होता है. इस हेयर स्पा को करने का तरीका बता रहे हैं यूट्यूबर और इंफ्लुएंसर एलेन चौधरी. एलन ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर इस नुस्खे को तैयार करने का तरीका बताया है.
घर पर हेयर स्पा करने के लिए आपको चावल और अलसी के बीजों की जरूरत होगी. आंच पर एक पतीला चढ़ाएं और उसमें एक कप पानी के साथ 2 चम्मच चावल और 2 चम्मच ही अलसी के बीज मिला लें. इस मिश्रण को तबतक उबालें जबतक पानी की कंसिस्टेंसी जैल जैसी ना हो जाए. जब यह पानी जैल जैसा दिखने लगे तो इसे ठंडा करके कटोरी में निकाल लें. अब इसमें रोजमेरी ऑयल की कुछ बूंदे मिलाएं और मिक्स करें. इस तैयार जैल को अच्छे से मिलाकर बालों पर हेयर मास्क की तरह लगा लें. पूरे बालों पर इस जैल को एक घंटा लगाकर रखने के बाद शैंपू से धोकर हटा लें. बाल बिल्कुल स्पा जैसे मुलायम और शाइनी हो जाएंगे और उंगलियों से फिसलने लगेंगे. हफ्ते में 2 बार इस हेयर स्पा जैल को बालों पर लगाया जा सकता है.
अलसी के बीजों में कई पोषक तत्व पाए जाते हैं. प्रोटीन, ओमेगा-3 फैटी एसिड्स, फाइबर और एंटी-ऑक्सीडेंट्स से भरपूर अलसी के बीज बालों को मोटा और घना बनाने में मदद करते हैं. इन बीजों के इस्तेमाल से हेयर टेक्सचर बेहतर होने में भी मदद मिलती है. इन बीजों में पाए जाने वाला विटामिन ई बालों को फ्री रेडिकल्स से होने वाले डैमेज से भी बचाता है.
सेहत टिप्स /शौर्यपथ / गर्मी के मौसम में खानपान का विशेष ख्याल रखना चाहिए. खाने में हरी साग-सब्जियां जरूर शामिल करें. चूंकि इस मौसम में पानी की कमी से सब्जियों की पैदावार कम होती है, इसलिए इक्का-दुक्का सब्जियां ही मार्केट में देखने को मिलती हैं. ऐसे में एक साग ऐसा है, जो गर्मी के सीजन में ही उगाया जाता है. इसमें भर-भरकर पोषक तत्व पाए जाते हैं. इसे खाने से शरीर पूरी तरह स्वस्थ रह सकता है. हम जिस साग की बात कर रहे हैं, उसका नाम पोई साग है. आइए जानते हैं इसके फायदे...
पोई साग में कौन-कौन से पोषक तत्व
पोई का साग में विटामिन A, विटामिन C और प्रोटीन भरपूर पाया जाता है. इसमें मैग्नीशियम, पोटैशियम और फास्फोरस भी ढेर सारा पाया जाता है. इसमें बीटा कैरोटीन और ल्यूटिन भी काफी मात्रा में पाए जाते हैं, जो शरीर की इम्यूनिटी पावर को तो बढ़ाते ही हैं, आंखों और त्वचा की सेहत के लिए भी फायदेमंद होते हैं.
पोई साग के फायदे
आयुर्वेदिक एक्सपर्ट्स के मुताबिक, पोई साग सेहत के लिए बेहद फायदेमंद होता है. अगर रोजाना इसका सेवन किया जाए तो कोलेस्ट्रॉल लेवल कंट्रोल रहता है. पोई साग के पत्तों में खूब सारा आयरन पाया जाता है. यह हड्डियों के लिए भी बेहद लाभकारी होता है.
पोई साग कैसे इस्तेमाल करें
आयुर्वेदिक एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर शरीर में आयरन की कमी है और हीमोग्लोबिन सही तरह नहीं बन पा रहा है तो पाई साग खा सकते हैं. इससे आयरन की कमी पूरी हो जाएगी. पोई का साग या जूस दोनों ही हीमोग्लोबिन लेवल मेंटेन रखने में मददगार हैं. इसे खाने से खून की कमी भी नहीं होती है. पोई साग फाइबर से भरपूर है, इसकी वजह से बैड कोलेस्ट्रॉल भी कम होता है और दिल की सेहत बेहतर बनी रहती है. पोई साग में मौजूद डायटरी फाइबर पाचन तंत्र को दुरुस्त रखने का काम करता है.
टिप्स ट्रिक्स /शौर्यपथ/पहले के मुकाबले अब लोग अपनी फिटनेस को लेकर ज्यादा सतर्क हो गए हैं. योग, एक्सरसाइज को अपनी दिनचर्या में शामिल करने के साथ-साथ लोग अपनी डाइट पर भी पूरा ध्यान दे रहे हैं. वेट लॉस और खुद को फिट रखने के लिए विराट कोहली सहित कई फेमस पर्सनालिटी के वीगन डाइट अपनाने के बाद आम लोगों के बीच भी इस खास डाइट का क्रेज बढ़ गया है. अगर आप भी वीगन डाइट फॉलो करना चाहते हैं तो बता दें कि यह आपकी सेहत के लिए काफी फायदेमंद साबित हो सकता है. इससे कई बीमारियों का खतरा भी कम हो जाता है.
क्या होता है वीगन डाइट?
वीगन डाइट को कई लोग वेजिटेरियन डाइट समझने की गलती करते हैं जबकि दोनों में काफी अंतर है. वेजिटेरियन से एक स्टेप आगे जाते हुए वीगन डाइट में डेयरी प्रोडक्ट्स को भी नहीं खाया जाता है. वीगन डाइट फॉलो करने वाले अंडा और मीट-मछली के अलावा दूध, दही छाछ, पनीर, मक्खन और शहद जैसी चीजों का भी सेवन नहीं करते हैं. इससे स्वास्थ्य पर कई सकारात्मक प्रभाव पड़ता है, साथ ही कई बीमारियों का खतरा कम हो जाता है.
कोलेस्ट्रोल में कमी
रिसर्च के मुताबिक, वीगन डाइट फॉलो करने से शरीर में बैड कोलेस्ट्रॉल का लेवल कम हो जाता है. दरअसल, एनिमल बेस्ड फूड आइटम्स और डेयरी प्रोडक्ट्स से शरीर में बैड कोलेस्ट्रॉल बढ़ जाता है. वहीं वीगन डाइट में सिर्फ प्लांट बेस्ड हेल्दी फैट हमारे शरीर में जाता है. इससे हमारा दिल सेहतमंद रहता है.
नियंत्रित ब्लड प्रेशर
हेल्थ एक्सपर्ट्स की मानें तो वीगन डाइट फॉलो करने से शरीस में कोलेस्ट्रॉल का स्तर नियंत्रण में रहता है जिससे ब्लड प्रेशर का खतरा काफी कम हो जाता है. किडनी और डायबिटीज के मरीजों के लिए वीगन डाइट बेहतर माना जाता है.
वेट लॉस में मददगार
वीगन डाइट न सिर्फ आपके हार्ट हेल्थ को बढ़िया रखता है बल्कि वेट लॉस में भी काफी मददगार होता है. कई लोग वेट लॉस जर्नी के दौरान इस डाइट प्लान का सहारा लेते हैं. दरअसल, वीगन डाइट में शामिल फूड आइटम्स में फैट की मात्रा काफी कम होती है जिससे जल्दी वजन घटाने में मदद मिलती है.
कैंसर का कम खतरा
वीगन डाइट में शामिल फूड आइटम्स में एंटीऑक्सीडेंट्स भरपूर मात्रा में रहती है, जिसके कारण शरीर में प्रोड्यूस होने वाले फ्री-रेडिकल्स से सेल्स को प्रोटेक्शन मिलता है. इस वजह से पोस्टेट कैंसर, कोलोन कैंसर और ब्रेस्ट कैंसर का खतरा काफी कम हो जाता है.
व्रत त्यौहार /शौर्यपथ /हिंदू धर्म में अमावस्या की तिथि बहुत विशेष मानी जाती है. इस दिन स्नान-दान और पितरों का तर्पण करने का विशेष महत्व होता है. साथ ही, भगवान शिव के साथ ही श्री हरी और माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना की जाती है. इस बार ज्येष्ठ माह में पड़ने वाली अमावस्या बहुत खास मानी जा रही है क्योंकि इस दिन शनि जयंती, धृत योग और शिव वास का महा संयोग बनने जा रहा है. ऐसे में किन राशि के जातकों को इसका फायदा होगा जानिए यहां.
कब मनाई जाएगी ज्येष्ठ अमावस्या
ज्येष्ठ अमावस्या इस बार 6 जून, गुरुवार को पड़ रही है. इसकी तिथि 5 जून को रात 7:54 पर शुरू होगी जोकि 6 जून को शाम 6:07 तक रहेगी. ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, ज्येष्ठ अमावस्या 6 जून को ही मनाई जाएगी. ज्येष्ठ अमावस्या के साथ ही रोहिणी नक्षत्र भी पड़ेगा और वट सावित्री व्रत, गुरुवार का व्रत, शनि जयंती जैसे शुभ संयोग भी इस दिन पड़ रहे हैं.
मेष राशि - ज्येष्ठ अमावस्या मेष राशि वाले जातकों के लिए शुभ साबित होने वाली है. इस राशि के जातकों को करियर में ऊंचाइयां मिलेंगी, आय के स्रोत खुलेंगे, जीवन में सुख-शांति और समृद्धि भी आएगी.
मिथुन राशि - मिथुन राशि के जातकों के लिए भी ज्येष्ठ अमावस्या से अच्छे दिनों की शुरुआत होने वाली है. बिजनेस में लाभ होगा, सेहत दुरुस्त होगी और सफलता के मार्ग खुलेंगे.
कर्क राशि - ज्येष्ठ अमावस्या कर्क राशि वाले जातकों के लिए भी अच्छी मानी जा रही है. कहा जा रहा है कि इन्हें व्यापार में मुनाफा होगा, नौकरी में प्रमोशन के आसार हैं और किसी नए काम की शुरुआत भी इस राशि के लोग कर सकते हैं.
तुला राशि - ज्येष्ठ अमावस्या पर तुला राशि के जातकों को भी शुभ फल की प्राप्ति हो सकती है. बिजनेस में तरक्की के योग बन रहे हैं और नई योजनाओं पर आप काम कर सकते हैं.
मकर राशि - ज्येष्ठ अमावस्या मकर राशिके जातकों के लिए भी बहुत शुभ रहने वाली है. उन्हें काम के क्षेत्र में तरक्की मिलेगी, आप जितनी मेहनत करेंगे उतना ही लाभ आपको मिलेगा, परिवार में सुख, शांति और समृद्धि बनी रहेगी.
व्रत त्यौहार /शौर्यपथ /हिंदू धर्म में एकादशी तिथि का बहुत विशेष महत्व होता है, कहते हैं एकादशी का व्रत करने से समस्त दुख दूर हो जाते हैं और सुख-शांति और समृद्धि का वास घर में होता है. ऐसे में मई का महीना खत्म होने के साथ ही जून का महीना शुरू होने वाला है और आप अगर जानना चाहते हैं कि जून के महीने में किस डेट को एकादशी पड़ेगी और कौन-कौन सी एकादशी मनाई जाएगी? तो हम आपको बता दें कि इस साल जून के महीने में दो बड़ी एकादशी तिथि पड़ने वाली है. जिसमें अपरा एकादशी से लेकर निर्जला एकादशी तक शामिल है, इनकी तिथि और शुभ मुहूर्त क्या रहेगा आइए हम आपको बताते हैं.
शनि पूजा से अशुभ ग्रहों के प्रभाव में कमी
शनि देव को न्याय और कर्म का देव माना जाता है. शास्त्रों में बताया गया है कि शनि देव की पूजा से ग्रहों के अशुभ प्रभाव से मुक्ति मिलती है. शनि जयंती को शनि देव की पूजा का विशेष महत्व है. इस दिन विधि-विधान से शनि देव की पूजा से उन्हें प्रसन्न कर उनकी कृपा प्राप्त की जा सकती है. इनकी कृपा से जीवन में चल रही परेशानियों से मुक्ति मिलती है.
शनि जयंती पर शनि देव की पूजा
मान्यता है कि शनि देव का जन्म सर्वार्थ सिद्ध योग में हुआ था और इस वर्ष शनि जयंती के दिन सर्वार्थ सिद्ध योग बन रहा है. इसलिए शनि जयंती पर शनि देव की पूजा विशेष फलदाई होगी. शनि जयंती के दिन प्रात:काल स्नान के बाद शनि देव का स्मरण करें और विधि-विधान से शनि देव की पूजा करें. सुबह के समय पीपल के पेड़ को जल चढ़ाएं और शाम को पेड़ के नीचे सरसों के तेल से दिया जलाएं. शाम के समय शनि मंदिर जाकर शनि देव का दर्शन करें और उन्हें सरसों का तेल अर्पित करें.
निर्जला एकादशी 2024
निर्जला एकादशी का बहुत खास महत्व होता है, इस दिन निर्जला व्रत किया जाता है. यह व्रत ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को पड़ता है, जिसकी तिथि इस बार 17 जून सुबह 4:43 से शुरू होगी और इसका समापन अगले दिन 18 जून को सुबह 6:24 पर किया जाएगा, ऐसे में निर्जला एकादशी का व्रत 18 जून को पड़ेगा.
एकादशी पर करें इन मंत्रों का जाप
एकादशी पर विष्णु भगवान की पूजा अर्चना करने के साथ ही उन्हें पीले रंग के फल और पुष्प अर्पित किए जाने चाहिए. इस दौरान विष्णु भगवान के पांच रूपमंत्रों का जाप करने से साधकों के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और सुख समृद्धि मिलती है. यह मंत्र कुछ इस प्रकार है-
ॐ अं वासुदेवाय नम:।।
ॐ आं संकर्षणाय नम:।।
ॐ अं प्रद्युम्नाय नम:।।
ॐ अ: अनिरुद्धाय नम:।।
ॐ नारायणाय नम:।।
ॐ ह्रीं कार्तविर्यार्जुनो नाम राजा बाहु सहस्त्रवान। यस्य स्मरेण मात्रेण ह्रतं नष्टं च लभ्यते।।
व्रत त्यौहार /शौर्यपथ /हिंदू धर्म में विवाहित महिलाएं ज्येष्ठ माह की अमावस्या को वट सावित्री व्रत रखती है. इसे कई जगहों पर बड़मावस का त्योहार भी कहा जाता है. महिलाएं इस दिन व्रत करती है और वट वृक्ष यानी बरगद के पेड़ की पूजा करके पति की लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य के लिए आशीर्वाद मांगती है.शास्त्रों में कहा गया है कि वट वृक्ष में ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों देवता निवास करते हैं. इस व्रत को करके महिलाएं तीनों देवों से अपने पति की लंबी उम्र का वरदान मांगती है. चलिए जानते हैं कि इस साल वट सावित्री व्रत किस दिन रखा जाएगा और वट सावित्री की पूजा के समय आपको किन किन चीजों की जरूरत पड़ेगी.
कब है वट सावित्री व्रत |
वट सावित्री व्रत ज्येष्ठ माह की अमावस्या को रखा जाता है. इस साल ज्येष्ठ अमावस्या तिथि पांच जून की शाम सात बजकर 54 मिनट पर शुरू हो रही है और अगले दिन 6 जून की शाम 06 बजकर 07 मिनट पर इसका समापन होगा. उदया तिथि को देखते हुए इस साल वट सावित्री का व्रत छह जून गुरुवार को रखा जाएगा. इस दिन महिलाएं वट वृक्ष के पास बैठकर सावित्री और सत्यवान की कथा सुनती है और कच्चे सूत से सात बार वट वृक्ष की परिक्रमा करती है.
वट सावित्री व्रत की पूजा सामग्री
अगर आप भी पहली बार वट सावित्री व्रत करने जा रही है तो आपको पूजा के लिए सारी सामग्री एक दिन पहले ही एकत्र कर लेनी चाहिए. आपको बता दें कि वट सावित्री व्रत में बरगद की पूजा की जाती है और अगर आपके घर के आस पास बरगद का पेड़ नहीं है तो आप उसकी टहनी कहीं से मंगवा कर उसकी भी पूजा कर सकती है. इस व्रत की पूजा के लिए आपको कुछ खास सामग्री की जरूरत पड़ेगी और इसका इंतजाम आपको पहले से ही कर लेना चाहिए.
साबुत चावल (अक्षत)
बांस का पंखा
हल्दी में रंगा हुआ कलावा या सफेद सूत
मौसम में आने वाले फल जैसे आम, लीची,तरबूज
लाल या पीले फूलों की माला
भीगे हुए काले चने
धूप बत्ती
पान और सुपारी
गंगाजल
केले के पत्ते
कुछ नए कपड़े जिनका रंग लाल या पीला हो
मिट्टी का एक घड़ा
देसी घी
तांबे या पीतल का लोटा
सिंदूर और रोली
थोड़ी सी पिसी हुई हल्दी
प्रसाद के तौर पर मिठाई
आस्था /शौर्यपथ /भारतीय ज्योतिष शास्त्र में बृहस्पति ग्रह को काफी प्रभावशाली ग्रह माना गया है. बृहस्पति जब भी एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं या उदित होते हैं तो इसका असर सभी राशियों पर होता है. ग्रहों के गुरु ग्रह कहलाने वाले बृहस्पति इस समय अस्त हैं लेकिन जून के माह में गुरु ग्रह, वृष राशि में उदय होने वाले हैं. हिंदू पंचांग के अनुसार, बृहस्पति 3 जून को 3 बजकर 21 मिनट पर वृष राशि में उदय होंगे और इसका कई राशियों पर अलग-अलग तरह से प्रभाव पड़ेगा, लेकिन कुछ राशियों पर इसका प्रभाव बहुत ही अच्छा पड़ने वाला है. लेकिन तीन राशियां ऐसी है जिन पर ये परिवर्तन बहुत ही सकारात्मक असर डाल सकता है, जिससे इन तीनों राशियों को जातकों को जीवन के कई क्षेत्रों में सफलता प्राप्त हो सकती है. तो,
कब है वट सावित्री व्रत, पूजा के लिए अभी से एकत्र कीजिए ये जरूरी सामग्री
ग्रहों के गुरु वृष राशि के एकादश भाव में उदय होने वाले हैं. इससे इस राशि के जातक को बहुत लाभ प्राप्त होगा. वृष राशि के जातकों को करियर के क्षेत्र में जबरदस्त सफलता प्राप्त हो सकती है. काफी लंबे समय से जो काम नहीं हो रहे थे उनके पूरे होने के कारण जीवन में अपार खुशियां आएंगी. उनकी आय में बढ़ोतरी भी हो सकती है. यह समय उनके लिए हर तरह से शुभ साबित होगा.
ग्रहों के गुरु कर्क राशि के लग्न भाव में उदय होंगे. इससे कर्क राशि के जातकों को अचानक धन की प्राप्ति हो सकती है. कार्य क्षेत्र में कड़ी मेहनत का फल भी मिलेगा. जिस चीज के लिए लंबे समय से इंतजार कर रहे हैं उसके भी पूर्ण होने के योग बन सकते हैं.
ग्रहों के गुरु बृहस्पति सिंह राशि के दसवें भाव में उदय होंगे. इसका सिंह राशि के जातकों के लिए बहुत प्रभाव होगा. इस राशि के जातकों को करियर में तरक्की के साथ आय में वृद्धि प्राप्त हो सकती है. इसके साथ ही पारिवारिक जीवन में सुख और समृद्धि बढ़ेगी. भाग्य का साथ प्राप्त होने से जीवन के हर क्षेत्र मे सफलता प्राप्त हो सकती है.
सेहत टिप्स /शौर्यपथ /केले के पत्तों का वयापक रूप से एशिया में उपयोग किया जाता है. भारत में केले के पत्तों का शुभ कार्यों में विशेष महत्व है. इसका उपयोग विभिन्न समारोहों में भोजन परोसने या अनुष्ठान करने के लिए एक थाली के रूप में किया जाता है. इन पत्तों पर खाना खाने से पाचन तंत्र सही रहता है. असल में केले के पत्तों में एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं जो बैक्टीरियल समस्याओं से बचाते हैं. इसके अलावा यह पर्यावरण के अनुकूल होते हैं जो आसानी से मिट्टी में घुल जाते हैं. ऐसे कई और फायदे हैं केले के पत्तों के जिसके बारे में आपको लेख में आगे बताया जा रहा है.
केले के पत्ते के 5 फायदे |
इम्यून सिस्टम करे मजबूत - केले के पत्तों में पॉलीफेनोल्स नामक एंटीऑक्सीडेंट होता है, जो शरीर को फ्री रेडिकल्स से बचाता है. इसमें विटामिन सी भी पाया जाता हैं, जो एक शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट है. इससे हमारा इम्यून सिस्टम मजबूत होता है.
पाचन रखे ठीक - केले के पत्तों पर खाना खाने से इसमें मौजूद प्राकृतिक एंजाइंस भोजन को पचाने में मदद करते हैं. इसमें मौजूद फाइबर पाचन तंत्र को मजबूत करने में मददगार होते हैं.
त्वचा को निखारे - केले के पत्तों में एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं जो त्वचा को बैक्टीरियल समस्याओं से बचाते हैं. केले के पत्तों को घाव और चोट वाली जगह पर लगाने से जल्दी ठीक होने में मदद मिलती है.
आंखों के लिए अच्छा - केले के पत्तों में विटामिन ए होता है, जो हमारी आंखों के लिए काफी फायदेमंद है.
पारंपरिक उपयोग - आपको बता दें कि पहले के समय में केले के पत्तों का इस्तेमाल आयुर्वेदिक दवाओं में किया जाता था. भारतीये सांस्कृति में केले के पत्तों का उपयोग विभिन्न जगहों पर किया जाता है, जैसे पूजा के लिए और घरों को सजाने के लिए आदि.
सेहत टिप्स/शौर्यपथ / अदरक खाना यूं तो हमारी सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होता है. इसमें ऐसे कई गुण पाए जाते हैं जो इम्यूनिटी को मजबूत करते हैं और खासकर गले से संबंधित दिक्कतों को दूर करते हैं. लेकिन, गर्मियों में क्या अदरक खाना चाहिए इसे लेकर कई तरह के सवाल उठते हैं. कुछ लोगों की सुबह तो बिना अदरक की चाय के होती ही नहीं है. लेकिन, गर्मी में अदरक खाना नुकसानदायक हो सकता है. तो चलिए आज जानते हैं कि गर्मियों में जरूरत से ज्यादा अदरक क्यों नहीं खाना चाहिए और आपको क्यों गर्मियों में अदरक का कम सेवन करना चाहिए.
गर्मियों में ज्यादा अदरक खाने के नुकसान
अदरक में थर्मोजेनिक गुण होते हैं, जो शरीर की गर्मी बढ़ा सकते हैं. गर्म मौसम में इसके इस्तेमाल से ज्यादा पसीना, बेचैनी और डिहाइड्रेशन हो सकती है.
डिहाइड्रेशन - अदरक के थर्मोजेनिक इफेक्ट से आपको अधिक पसीना आ सकता है. इससे डिहाइड्रेशन हो सकता है. खासकर अगर आप पर्याप्त मात्रा में पानी का सेवन नहीं करते तो इसके कई साइड इफेक्ट्स भी हो सकते हैं.
सीने में जलन और एसिड रिफ्लक्स- अदरक पाचन और पित्त की परेशानी पैदा कर सकता है. ज्यादा मात्रा में अदरक का सेवन सीने में जलन पैदा कर सकता है और एसिड रिफ्लक्स को बढ़ा सकता है जिससे पेट संबंधी समस्या भी बढ़ सकती है.
लो ब्लड प्रेशर - अदरक खून को पतला कर सकता है और ब्लड प्रेशर को कम कर सकता है. गर्मियों में जब लोग पहले से ही गर्मी के कारण लो ब्लड प्रेशर से परेशान होते हैं तो इसका सेवन करने से चक्कर आना और बेहोशी हो सकती है.
स्किन प्रॉब्लम - कुछ लोगों को अदरक से एलर्जी हो सकती है, खासकर गर्म मौसम में इससे त्वचा पर चकत्ते, खुजली और इंफ्लेमेशन की समस्या हो सकती है.
लक्षणों पर नजर रखें - अदरक का सेवन गर्मियों में कम मात्रा में करें और अगर इसे खाने से पेट में जलन हो तो सावधान रहें और इसका सेवन तुरंत बंद कर दें. आप अदरक का सेवन करते हैं तो हाइड्रेटेड रहने के लिए खूब पानी पिएं.
सेहत टिप्स/शौर्यपथ/रोजमर्रा के खाने के लिए आपके भी घर में गेहूं की रोटी बनती होगी. सुबह-शाम की रोटियां इसी आटे से बनती हैं. लेकिन, कई बार गेहूं का आटा आपकी सेहत के साथ-साथ आपकी कई बीमारियों में भी फायदेमंद हो सकता है. जी हां, यह एक स्पेशल गेहूं का आटा है जिसे खाने से डायबिटीज के मरीजों को फायदा होता है. हालांकि, बाजार में इसकी कीमत 150 रुपए प्रति किलो है लेकिन सेहत के नजरिए से यह काफी फायदेमंद है. आजकल खपली गेहूं काफी ट्रेंड में है और सोशल मीडिया पर भी इसकी काफी चर्चा हो रही है. यह एक खास किस्म का गेहूं है जिसमें फाइबर और प्रोटीन काफी मात्रा में मौजूद होता है. इसमें वसा के साथ-साथ ढेर सारा आयरन और कैल्शियम है जिसके चलते यह सामान्य गेहूं के आटे से ज्यादा फायदेमंद साबित होता है. खपली गेहूं को एम्मरऔर फारो भी कहा जाता है. कहा जाता है कि इस गेहूं के आटे से बनी रोटियां मोटापा घटाने में कारगर सिद्ध होती हैं.
डायबिटीज के रोगियों के लिए फायदेमंद खपली गेंहू
हेल्थ एक्सपर्ट कहते हैं कि खपली के गेहूं के आटे का ग्लाइसेमिक इंडेक्स काफी कम होता है. इसी वजह से यह आटा डायबिटीज के रोगियों के लिए बेस्ट कहा जाता है. इस आटे के सेवन से डायबिटीज रोगी के शरीर में शुगर स्लो रिलीज होती है जिससे ब्लड शुगर कंट्रोल में रखने में मदद मिलती है. डॉक्टर कहते हैं कि खपली के आटे के साथ0साथ इसके गेहूं का पानी भी शुगर को कंट्रोल करने में मदद करता है. खपली के गेहूं को 2 चम्मच रातभर एक गिलास पानी में भिगोकर रख दीजिए. सुबह इस पानी को छानकर पीने से ब्लड शुगर को नियंत्रित किए जाने में मदद मिलती है. यह पानी इंसुलिन की सेंसिटिविटी को कम करता है जिससे डायबिटीज में लाभ मिलता है.
खपली के तेल के भी हैं फायदे
आपको बता दें कि खपली अनाज में ढेर सारा पॉलीफेनोल्स पाया जाता है और यह दिल संबंधी रोगों में फायदा करता है. इसके साथ-साथ पॉलीफेनोल्स न्यूरोडीजेनेरेटिव बीमारियों को भी रोकने में कारगर साबित हो सकते हैं. इसके साथ-साथ खपली के गेहूं का तेल भी शरीर के लिए अच्छा कहा जाता है. खपली के गेहूं के तेल की मालिश करने पर शरीर का दर्द, थकान, स्ट्रेस में राहत मिलती है और दिमाग को काफी आराम पहुंचता है. खपली का गेहूं शरीर में बढ़े हुए कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद करता है जिससे बढ़ा हुआ वजन अपने आप कम होने लगता है. कोलेस्ट्रोल कंट्रोल होने पर स्ट्रोक और दिल के दौरे के रिस्क खुद ब खुद कम हो जाते हैं.
व्रत त्यौहार/शौर्यपथ/ हिंदू धर्म में प्रदोष का व्रत बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है, इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की विधि विधान से पूजा करने का महत्व होता है. ऐसा कहते हैं कि प्रदोष का व्रत करने से और इस दिन भगवान शिव की पूजा अर्चना करने से सभी समस्याओं से छुटकारा मिलता है और शुभ फलों की प्राप्ति होती है. जून के महीने में पहला प्रदोष व्रत 4 जून को पड़ रहा है. चूंकि, 4 जून को मंगलवार भी है इसलिए इसे भौम प्रदोष व्रत के नाम से जाना जाता है. भौम प्रदोष का व्रत बहुत फलदायी माना जाता है, क्योंकि इस दिन भगवान शिव के साथ बजरंगबली की पूजा अर्चना भी की जाती है. इस दिन अगर कुछ विशेष चीजों का दान किया जाए तो भगवान शिव और बजरंगबली का आशीर्वाद सदैव आप पर बना रहेगा.
भौम प्रदोष पर करें इन चीजों का दान
1. मान्यताओं के अनुसार, भौम प्रदोष के दिन अगर लाल चीजों का दान किया जाए तो ये बहुत शुभ माना जाता है. आप किसी जरूरतमंद को लाल वस्त्र दे सकते हैं. हनुमान जी की प्रतिमा पर लाल रंग के फल, लाल फूल आदि चढ़कर उन्हें दान कर सकते हैं. कहते हैं ऐसा करने से हनुमान जी की कृपा बनी रहती है और घर में सुख समृद्धि का वास होता है.
2. मान्यताओं के अनुसार, भौम प्रदोष के दिन गुड़ का दान करना चाहिए. गुड़ भगवान शिव और हनुमान जी दोनों को बहुत प्रिय होता है. अगर आपकी कुंडली में मंगल ग्रह कमजोर है तो आप भौम प्रदोष के दिन व्रत करके गुड़ का दान जरूर करें.
3. इसके अलावा, भौम प्रदोष के दिन काले तिल का दान करना भी बहुत फलदायी माना जाता है. कहते हैं कि काला तिल दान करने से सभी नकारात्मकता दूर होती है और घर में पॉजिटिविटी का संचार होता है. जीवन में सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है और आप पॉजिटिव एनर्जी के साथ अपने सारे काम करते हैं.
4. कहते हैं कि भगवान शिव को नारियल बहुत प्रिय होता है, ऐसे में भौम प्रदोष के दिन व्रत करने के साथ ही अगर आप एक नारियल का दान करें तो इससे भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है. कहते हैं कि ऐसा करने से भगवान शिव भक्तों की सभी मनोकामना पूर्ण करते हैं और इससे ग्रह दोष से भी छुटकारा मिलता है. तो अगर आप भौम प्रदोष पर भगवान शिव की कृपा पाना चाहते हैं, तो इन चीजों का दान अवश्य करें.
व्रत त्यौहार /शौर्यपथ / इस वर्ष ज्येष्ठ अमावस्या 6 जून को है और इस दिन सर्वार्थ सिद्ध योग बन रहा है. इसी दिन शनि जयंती और वट सावित्री का व्रत भी रखा जाएगा. शनि जयंती के दिन मंदिरों में विशेष अनुष्ठान का आयोजन किया जाता है और मंदिर जाकर भगवान का दर्शन करना शुभ माना जाता है. महिलाएं वट वृक्ष की पूजाकर अखंड सौभाग्य का वरदान प्राप्त करेंगी. आइए जानते हैं ज्येष्ठ अमावस्या पर बन रहे खास योग और उसके प्रभाव के बारे में.
ज्येष्ठ अमावस्या तिथि और समय
ज्येष्ठ अमावस्या 5 जून शाम 7 बजकर 54 मिनट पर शुरू होगी और 6 जून को शाम 6 बजकर 07 मिनट पर रहेगी. 6 जून को ज्येष्ठ अमावस्या के दिन शनि जंयती और वट सावित्री व्रत रखा जाएगा.
शनि पूजा से अशुभ ग्रहों के प्रभाव में कमी
शनि देव को न्याय और कर्म का देव माना जाता है. शास्त्रों में बताया गया है कि शनि देव की पूजा से ग्रहों के अशुभ प्रभाव से मुक्ति मिलती है. शनि जयंती को शनि देव की पूजा का विशेष महत्व है. इस दिन विधि-विधान से शनि देव की पूजा से उन्हें प्रसन्न कर उनकी कृपा प्राप्त की जा सकती है. इनकी कृपा से जीवन में चल रही परेशानियों से मुक्ति मिलती है.
शनि जयंती पर शनि देव की पूजा
मान्यता है कि शनि देव का जन्म सर्वार्थ सिद्ध योग में हुआ था और इस वर्ष शनि जयंती के दिन सर्वार्थ सिद्ध योग बन रहा है. इसलिए शनि जयंती पर शनि देव की पूजा विशेष फलदाई होगी. शनि जयंती के दिन प्रात:काल स्नान के बाद शनि देव का स्मरण करें और विधि-विधान से शनि देव की पूजा करें. सुबह के समय पीपल के पेड़ को जल चढ़ाएं और शाम को पेड़ के नीचे सरसों के तेल से दिया जलाएं. शाम के समय शनि मंदिर जाकर शनि देव का दर्शन करें और उन्हें सरसों का तेल अर्पित करें.
पितरों का तर्पण
अमावस्या तिथि पितरों को समर्पित है. ज्येष्ठ अमावस्या को ब्रह्म मुहूर्त में गंगा स्नान पितरों का तर्पण करना शुभ माना जाता है. इससे पितरों को शांति मिलती है. गंगा स्नान के बाद सामर्थ्य के अनुसार दान जरूर करना चाहिए.
आस्था /शौर्यपथ /सनातन धर्म में दिया जलाने का बहुत महत्व है. पूजा पाठ में और सुबह शाम घरों में दिये जलाएं जाते हैं. मंदिरों में और तुलसी के पौधे के सामने सुबह शाम दिया जलाने की परंपरा है. कोई भी धार्मिक कार्य दिया जलाए बगैर पूर्ण नहीं माना जाता है. दिया जलाने के लिए घी से लेकर कई तरह के तेलों का उपयोग किया जाता है. महुआ के तेल से दिया जलाने से कई तरह के फायदे होते हैं. वास्तु शास्त्र के अनुसार महुआ के तेल से दिया जलाने से महादेव प्रसन्न होते हैं और उनकी कृपा प्राप्त होती है. आइए जानते हैं महुआ के तेल से दिया जलाने से क्या-क्या लाभ हो सकते हैं
भगवान शिव की कृपा
महुआ के तेल से दिया जलाना बहुत शुभ माना गया है. इससे भगवान शिव प्रसन्न होते हैं. हर दिन महुआ के तेल से दिया जलाने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है. भगवान शिव को महुआ का तेल बहुत प्रिय है. भगवान शिव को महुआ के तेल से आठ बाती दिया जलाना चाहिए. मान्यता है कि आठ बाती वाले महुआ के तेल वाला दिया जलाने से आरोग्य की प्राप्ति होती है.
घर में अशांति दूर
घर में महुआ के तेल से दिया जलाने से अशांति दूर होती है और सुख-समृद्धि का वास होता है. वास्तु शास्त्र में घर की अशांति दूर करने के लिए महुआ के तेल से दिया जलाने का उपाय बताया गया है.
मनोकामनाएं पूरी
वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर मे नियमित रूप से महुआ के तेल से दिया जलाने से व्यक्ति की हर मनोकामना पूरी हो जाती है. इससे देवी-देवताओं की कृपा प्रापत होती है.
कब जलाएं
घर के महुआ के तेल से दिया जलाने का खास समय होता है. महुआ के तेल के दिये हमेशा शाम के समय जलाने चाहिए.
ग्रह शांति के उपाय
महुआ के तेल से दिया जलाने से कुंडली दोष और ग्रह दोष का उपाय भी किया जा सकता है. सूर्यदेव को महुए के तेल का दीपक लगाने से दुर्भाग्य दूर किया जा सकता है.
आस्था/शौर्यपथ / कुंडली का चौथा भाव काफी महत्वपूर्ण होता है. चौथे भाव में शुक्र के प्रभाव से व्यक्ति हमेशा लोगों की मदद के लिए तत्पर रहते हैं. दूसरों की मदद करने में इन्हें खुशी मिलती है. चौथे भाव में शुक्र ज्यादा अच्छे परिणाम ही देता है, शुक्र के प्रभाव से व्यक्ति की धार्मिक कार्यों में भी रुचि देखने को मिलती है. ऐसे लोगों का जीवन काफी संपन्न होता है. इनके पास अच्छा घर, वाहन, आभूषण आदि होंगे, हालांकि उन्हें कई बार आर्थिक चिंता भी बनी रहेगी.
कुंडली के चौथे भाव में शुक्र के प्रभाव
शुक्र के सकारात्मक प्रभाव
चौथे भाव में शुक्र आपके जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करते हैं. शुक्र के सकारात्मक प्रभाव से व्यक्ति को जीवन में सारी सुख-सुविधाएं मिलती हैं. व्यक्ति के घरेलू जीवन में भी शुक्र सकारात्मक परिणाम देते हैं. शुक्र के प्रभाव से व्यक्ति दीर्घायु होता है. वे दूसरों की मदद करने में भी आगे होते हैं. इनकी एक खासियत यह होती है कि ये अपनी उपलब्धियों को दूसरों के सामने प्रदर्शित नहीं करते हैं.
शुक्र के नकारात्मक प्रभाव
शुक्र के चौथे भाव में कुछ नकारात्मक प्रभाव भी देखने को मिलते हैं. शुक्र के प्रभाव से कई बार व्यक्ति के पारिवारिक जीवन पर भी नकारात्मक प्रभाव देखने को मिलते हैं. कई बार इन्हें अपने करीबी लोगों से ही धोखा मिलने की आशंका भी होती है.
वैवाहिक जीवन पर प्रभाव
चौथे भाव में शुक्र का प्रभाव वैवाहिक जीवन पर भी देखने को मिलता है. ऐसे लोगों का वैवाहिक जीवन सुखमय होता है. जीवनसाथी के बीच आपसी सामंजस्य बेहतर होता है और वे एक-दूसरे के सहयोग की सराहना करने से भी नहीं चूकते. शुक्र के प्रभाव से व्यक्ति का पत्नी और पिता के साथ मधुर संबंध होते हैं.
शुक्र का करियर पर प्रभाव
चौथे भाव में शुक्र का आपके करियर पर भी प्रभाव देखने को मिलता है. ऐसे लोगों की किसी नई चीज को सीखने में काफी इंट्रेस्ट होता है. शुक्र के प्रभाव से व्यक्ति धनवान भी हो सकता है. शुक्र अगर मजबूत हों तो नौकरी में तरक्की मिलती है और बिजनेस में भी काफी लाभ हो सकता है.