April 21, 2025
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  व्रत त्यौहार /शौर्यपथ /हिंदू धर्म में माताएं अपने बच्चों की लंबी उम्र और सेहत के लिए कई व्रत रखती हैं. इन व्रतों में महत्वपूर्ण उपवास है जीवित्पुत्रिका व्रत . इस व्रत को जितियाया जिउतिया व्रत के नाम से भी जाना जाता है.यह उपवास आश्विन मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन रखा जाता है. महिलाएं निर्जला व्रत रखकर अपनी संतान के लिए लंबी उम्र और सेहत का वरदान मांगती है. आइए जानते हैं इस वर्ष कब है जीवित्पुत्रिका व्रत , पूजा मुहूर्त और महाभारत काल से इस व्रत का संबंध.
कब है जीवित्पुत्रिका व्रत
इस वर्ष आश्विन मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 24 सितंबर मंगलवार को दोपहर 12 बजकर 38 मिनट पर शुरू होकर 25 सितंबर बुधवार को दोपहर 12 बजकर 10 मिनट तक है. जीवित्पुत्रिका व्रत 25 सितंबर बुधवार को रखा जाएगा. तीज की तरह यह व्रत भी निर्जला किया जाता है. बिहार, बंगाल और पूर्वी उत्तर प्रदेश में इस व्रत का ज्यादा प्रचलन है.
जीवित्पुत्रिका व्रत महत्व
पौराणिक मान्यता है कि इस व्रत को करने वाली माताओं को कभी अपनी संतान के वियोग का सामना नहीं करना पड़ता है. साथ ही संतान को लंबी उम्र और जीवन भर के दुःख और तकलीफ से सुरक्षा प्राप्त होती है.
महाभारत काल से संबंध
महाभारत के दौरन द्रोर्णाचार्य की मृत्यु से आहत उनके पुत्र अश्वत्थामा ने पांडवों के पांचों पुत्र का वध कर दिया था. ये सभी द्रौपदी की संताने थी. इसके बाद अर्जुन ने अश्वत्थामा को बंदी बनाकर उनकी दिव्यमणि छीन ली. इससे अश्वत्थामा और अधिक नाराज हो गए अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा के गर्भ में पल रहे बच्चे को उसके गर्भ में ही नष्ट कर दिया. भगवान कृष्ण ने उत्तरा की संतान की रक्षा के लिए अपने सभी पुण्य का फल उसे देकर फिर जीवित कर दिया. पुनः जीवित होने की वजह से उस बच्चे का नाम जीवित्पुत्रिका रखा गया और जीवित्पुत्रिका की तरह मृत्यु के अभय प्राप्त करने के लिए यह व्रत रखा जाने लगा.

सेहत टिप्स /शौर्यपथ /डायबिटीज  लाइफस्टाइल से जुड़ी ऐसी बीमारी है जिसमें हर वक्त ब्लड शुगर लेवल बढ़ने का डर बना रहता है. डायबिटीज से जूझ रहे लोगों को अपनी डाइट का खास ख्याल रखना होता है, लेकिन इसके बाद भी कई बार शुगर लेवल हाई होने का रिस्क बना रहता है. ऐसे में चाय  के शौकीन लोग अपने इस शौक को मजबूरी में मार देते हैं. लेकिन अब डायबिटीज के रोगियों को चाय के शौक को मारने की जरूरत नहीं है. एक खास तरह की हर्बल टी रोज भी पिएंगे तो शुगर लेवल नहीं बढ़ेगा. आज आपको इस चाय के बारे में बताते हैं.
दालचीनी की चाय से कंट्रोल में रहेगा शुगर लेवल :
शुगर लेवल बढ़ने के डर से मधुमेह रोगी कई चीजों का त्याग कर देते हैं. इसमें दूध वाली चाय भी शामिल है. लेकिन दालचीनी की चाय से आप चाय की तलब पूरी कर सकते हैं. दालचीनी ऐसा आयुर्वेदिक मसाला है जिसकी चाय शुगर रोगियों के लिए बहुत ही अच्छी मानी जाती है. यूं तो दालचीनी सब्जी और दूसरे व्यंजनों का स्वाद बढ़ाने के लिए कारगर है, लेकिन इसकी चाय बनाकर पीने से शुगर कंट्रोल करने में काफी फायदा होता है. ये चाय डायबिटीज रोगियों के लिए किसी दवा की तरह काम करती है. दालचीनी की चाय में कई तरह के गुण पाए जाते हैं. इसमें एंटी-वायरल, एंटी-इंफ्लेमेटरी प्रॉपर्टी होती है. इसके साथ-साथ ढेर सारे एंटीऑक्सीडेंट और फ्लेवोनोइड्स भी मौजूद होते हैं. दालचीनी की चाय पीने से ब्लड में शुगर का लेवल कंट्रोल में रहता है. इसके साथ दालचीनी की चाय शरीर में कोलेस्ट्रॉल को भी कम करती है. यानी दालचीनी की चाय पीने से बढ़ा हुआ वजन भी कंट्रोल में आने लगता है. इसके साथ साथ दालचीनी की चाय दिल के लिए भी अच्छी कही जाती है.
कैसे बनाएं दालचीनी की चाय :
दालचीनी की चाय बनाना बहुत ही आसान है और ये चंद मिनटों में बन जाती है. एक पैन में पानी गर्म कीजिए. इसमें आधा टुकड़ा दालचीनी का और थोड़ा सा दालचीनी का पाउडर डालें. पानी उबलने के बाद गैस बंद कर दें. गैस बंद होने के बाद इस पानी में एक ग्रीन टी का सैशे डालें और अच्छे से मिक्स कर लें. अब चाय को छान कर कप में डालें और गर्मागर्म चाय का आनंद लें.

सेहत टिप्स /शौर्यपथ /ग्रीन टी आजकल ज्यादातर लोगों की दिनचर्या का हिस्सा है. इसके अनोखे फायदे हैं, जिसे देखते हुए दूध वाली चाय की जगह लोग इसे ही पीना पसंद कर रहे हैं . भागदौड़ भरी जिंदगी में फिट रहने के लिए ग्रीन टी के बेनिफिट्स जबरदस्त हैं लेकिन ग्रीन टी पीने के सही समय की जानकारी न होने से इसके साइड इफेक्ट्स भी देखने को मिलते हैं. ऐसे में चलिए आपको बताते हैं ग्रीन टी पीने का सही टाइम क्या है...
ग्रीन टी पीने के बेनिफिट्स
1. पेट पर जमा चर्बी कम करता है.
2. त्वचा को चमक देने का काम करता है.
3. पाचन में सुधार.
4. वजन घटाने में मददगार
5. डायबिटीज में फायदेमंद
6. मेटाबॉलिज्म बढ़ाए
7. इम्यूनिटी मजबूत करने में
क्या सुबह खाली पेट पी सकते हैं ग्रीन टी
डाइटिशियिन के अनुसार, सुबह खाली पेट ग्रीन टी पीने से पेट में दर्द की समस्या हो सकती है. इसमें पाया जाने वाले पॉलीफेनोल्स टैनिन से पेट में एसिड बढ़ने लगता है. इससे पेट दर्द, जलन या कब्ज जैसी समस्या हो सकती है. ग्रीन टी ब्रेकफास्ट के बाद पीनी चाहिए. खाने के बाद, नाश्ते और खाने के बीच में ग्रीन टी पीना सबसे अच्छा माना जाता है. ज्यादा ग्रीन टी पीने से बचना चाहिए, क्योंकि ग्रीन टी में कैफीन पाया जाता है, जो गैस्ट्रिक जूस को डाइल्यूट कर उल्टी, गैस और चक्कर जैसी समस्याएं बढ़ा सकता है.
ग्रीन टी क्या रात में पी सकते हैं
रात में सोते समय ग्रीन टी नहीं पीना चाहिए. इससे लिवर से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं. रात में ग्रीन टी नहीं पीने से नींद की समस्या हो सकती है. दिन के वक्त में ग्रीन टी पीना फायदेमंद हो सकता है.
ग्रीन टी पीने का सबसे सही तरीका क्या है
ब्रेकफास्ट से कुछ समय पहले ग्रीन टी पी सकते हैं. सुबह-शाम को ग्रीन टी पीने से मेटाबॉलिज्म तेज हो सकता है. इससे वेट लॉस में मदद मिल सकती है. दिन में तीन से चार कप से ज्यादा ग्रीन टी नहीं पीनी चाहिए. ग्रीन टी को दूध-चीनी में मिलाकर पीने से बचना चाहिए. ग्रीन टी के बाद कुछ खाना नहीं चाहिए.

व्रत त्यौहार /शौर्यपथ / हिंदू धर्म में पूरे साल बहुत सारे तीज-त्योहार आते हैं  जिसे पूरी श्रद्धा भाव के साथ मनाया जाता है. अगस्त की तरह सितंबर में भी कई पर्व त्योहार पड़ने वाले हैं. जिसमें से एक अनंत चतुर्दशी भी है. इसमें भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा अर्चना की जाती है. व्रत रखकर लोग भगवान विष्णु और धन की देवी लक्ष्मी की विशेष पूजा करते हैं. हर साल भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष में अनंत चतुर्दशी मनाया जाता है. तो चलिए जानते हैं इस साल किस तिथि और शुभ मुहूर्त में अनंत चतुर्दशी की पूजा करनी चाहिए और किस चीज का लगाएं भोग.
अनंत चतुर्दशी तिथि-
भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को हर साल अनंत चतुर्दशी मनाया जाता है. पंचांग के अनुसार, इस साल 16 सितंबर को 3 बजकर 10 मिनट पर चतुर्दशी तिथि की शुरुआत होगी और अगले दिन 17 सितंबर को 11 बजकर 44 मिनट पर यह समाप्त हो जाएगा. उदया तिथि के मुताबिक, 17 सितंबर को अनंत चतुर्दशी की पूजा की जाएगी. इस दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी के अलावा मां यमुना और शेष नाग की भी पूजा-अर्चना की जाती है. माना जाता है कि इस दिन पूरी श्रद्धा भाव के साथ पूजा करने से अनंत फल की प्राप्ति होती है.
अनंत चतुर्दशी प्रसाद-
अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान विष्णु के अनंत रूप की पूर्ण श्रद्धा भाव से पूजा-अर्चना की जाती है. अनंत भगवान को सात्विक थाली का भोग लगाया जाता है. सात्विक थाली के लिए आप आलू-टमाटर की सब्जी, कट्टू की पूरी और खीर बना सकते हैं. इसके अलावा फल और लड्डू का भी भोग लगाया जा सकता है.
अनंत चतुर्दशी शुभ मुहूर्त
     अनंत चतुर्दशी के दिन पूजा के बाद अनंत सूत्र बांधा जाता है जिसमें कुल 14 गांठ होती है. इन 14 गांठों को 14 लोकों के साथ जोड़ कर देखा जाता है और इस पूजा को अनंत फल देने वाला माना जाता है. शुभ मुहूर्त में पूजा अर्चना करना विशेष रूप से फलदायी होता है. 17 सितंबर को सुबह 6 बजकर 7 मिनट से लेकर 11 बजकर 44 मिनट तक पूजा का शुभ मुहूर्त है.
अनंत चतुर्दशी पूजा विधि-
अनंत चतुर्दशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान के बाद भगवान सूर्य को जल अर्पित करना चाहिए. भगवान विष्णु का स्मरण कर व्रत का संकल्प लें. शुभ मुहूर्त में भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की तस्वीर या मूर्ति चौकी पर स्थापित करें. इसके बाद हल्दी, केसर, कुमकुम, फूल, अक्षत और फल अर्पित करें. इसके बाद एक कच्ची डोरी में 14 गांठ लगा कर अनंत सूत्र तैयार करें और ऊँ अनंताय नम: मंत्र के साथ श्री हरि को अर्पित करें. इसके बाद अनंत सूत्र को अपनी कलाई पर बांध लें. कथा का पाठ करने के बाद दीपक जला कर आरती करें और भोग लगाएं.

 व्रत त्यौहार /शौर्यपथ /हर वर्ष भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश चतुर्थी मनाई जाती है. इस दिन को भगवान गणेश की जन्म तिथि माना गया है और इसलिए गणोश चतुर्थी से लेकर अगले दस दिन तक धूमधाम से गणेश जन्मोत्सव के रूप में गणेश उत्सव मनाया जाता है. भक्त घर-घर में बप्पा की मूर्ति की स्थापना करते हैं और दस दिन तक विधि विधान से उनकी पूजा अर्चना करते हैं. यह त्योहार महाराष्ट्र में काफी जोर शोर से मनाया जाता है. हालांकि अब पूरे देश में गणेश उत्सव मनाया जाने लगा है. आइए जानते हैं इस वर्ष कब है गणेश चतुर्थी और इस अवसर पर बनने वाले योग
कब है गणेश चतुर्थी
   इस वर्ष भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि 6 सितंबर को 3 बजकर 1 मिनट से शुरू होकर अगले दिन यानी 7 सितंबर को शाम 5 बजकर 37 मिनट तक है. सूर्य के उगने के अनुसार 7 सितंबर को गणेश चतुर्थी मनाई जाएगी और इस दिन भक्त अपने घरों में भगवान गणेश की मूर्ति की स्थापना करेंगे. 7 सितंबर को गणेश पूजा का शुभ मुहूर्त दिन में 11 बजकर 3 मिनट से दोपहर 1 बजकर 34 मिनट तक है. गणेश जी की स्थापना के बाद उनके पूजन के लिए 2 घंटे 31 मिनट का समय काफी शुभ है.
गणेश चतुर्थी के योग
   इस बार गणेश चतुर्थी पर चार शुभ योग बन रहे हैं. सुबह शुरू हो रहा ब्रह्म योग रात के 11 बजकर 17 मिनट तक है. उसके बाद इंद्र योग बन रहा है. इसके अलावा इस दिन सुबह 6 बजकर 2 मिनट से रवि योग बन रहा है और यह योग दोपहर को 12 बजकर 34 मिनट तक रहेगा. इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग 12 बजकर 34 मिनट से अगले दिन सुबह 6 बजकर 3 मिनट तक है.

  व्रत त्यौहार /शौर्यपथ / हर साल भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरतालिका तीज का पावन त्योहार मनाया जाता है, कहते हैं कि माता पार्वती ने भगवान भोलेनाथ को वर स्वरूप प्राप्त करने के लिए इस व्रत को किया था, तब जाकर उन्हें भोलेनाथ वर स्वरूप प्राप्त हुए थे. ऐसे में कहा जाता है कि अगर अविवाहित कन्याएं ये व्रत करती हैं, तो उन्हें भोलेनाथ की तरह वर की प्राप्ति होती हैं, वहीं सुहागिन महिलाएं अखंड सौभाग्य के लिए ये व्रत रखती हैं. ऐसे में अगर आप भी हरतालिका तीज का व्रत रखना चाहती हैं, तो उससे पहले इस व्रत के ये 10 नियम जरूर जान लें.
इस दिन किया जाएगा हरतालिका तीज 2024 का व्रत
हरतालिका तीज 2024 का व्रत 6 सितंबर 2024, शुक्रवार के दिन रखा जाएगा, लेकिन इसकी तिथि की शुरुआत 5 सितंबर 2024 को दोपहर 12:21 पर हो जाएगी. वहीं, इसका समापन 6 सितंबर को दोपहर 3:01 पर होगा, ऐसे में उदया तिथि के अनुसार 6 सितंबर को ही निर्जला व्रत किया जाएगा. वहीं, पूजा के लिए शुभ मुहूर्त 6:01 से लेकर 8:32 तक रहेगा.
हरतालिका तीज व्रत के 10 नियम  |
1. अगर आप एक बार हरतालिका तीज का व्रत रखना शुरू कर दें, तो इसे जिंदगी भर रखना होता है. चाहे आप बीमार हो या माहवारी से हो, लेकिन ये व्रत कभी भी छोड़ते नहीं है.
2. हरतालिका तीज का व्रत निर्जला व्रत होता है, यानी कि इस व्रत में आप अन्न, जल का सेवन नहीं कर सकते हैं. अगले दिन सुबह माता पार्वती को सिंदूर चढ़ाने के बाद ही खीरा या ककड़ी खाकर व्रत का पारण किया जाता है.
3. हरतालिका तीज की पूजा में मां पार्वती को खीरा भोग स्वरूप चढ़ाया जाता है या फिर सूजी का हलवा भोग लगाया जाता है.
4. हरतालिका तीज की पहली पूजा प्रदोष काल यानी कि शाम के समय की जाती है ये वो समय होता है जब सूरज डूबता है और रात होने से पहले का समय होता है.
5. हरतालिका तीज व्रत करने के दौरान महिलाओं को रात भर जागरण करना चाहिए, इस दौरान भजन कीर्तन और नृत्य आदि किया जा सकता है.
6. हरतालिका तीज व्रत करने के दौरान हरतालिका तीज व्रत कथा जरूर सुननी चाहिए, नहीं तो इस व्रत को अधूरा माना जाता है.
7. हरतालिका तीज व्रत के दौरान महिलाओं को 16 श्रृंगार जरूर करना चाहिए, कहते हैं कि 16 श्रृंगार करने से मां पार्वती अति प्रसन्न होती हैं.
8. हरतालिका तीज पूजा के दौरान मां पार्वती, शिवजी और भगवान गणेश की मिट्टी से प्रतिमा बनाकर पूजा करनी चाहिए और अगले दिन सुबह उसका विसर्जन करना चाहिए.
9. हरतालिका तीज पर मां पार्वती को सुहाग अर्पित करने का भी विशेष महत्व होता है, आप सुहाग की पिटारी में 16 श्रृंगार की चीजें रखकर मां पार्वती को अर्पित करें और शिव जी को धोती और अंगोछा भी चढ़ाएं.
10. हरतालिका तीज व्रत के दौरान अगले दिन सूर्योदय पर स्नान करने के बाद मां पार्वती को सिंदूर चढ़ाने का विशेष महत्व होता है. इसके बाद ही व्रत का पारण किया जाता है, हरतालिका तीज व्रत के बाद किसी ब्राह्मण या गरीब महिला को सुहाग का सामान दान करना चाहिए.

स्वाभिमानी और स्वावलंबी युवाओं से भारत बनेगा ग्लोबल पावर: वित्त मंत्री ओ.पी. चौधरी
  रायपुर / शौर्यपथ / छत्तीसगढ़ के वित्त मंत्री  ओ. पी. चौधरी ने आज यहां नवा रायपुर स्थित आईटीएम यूनिवर्सिटी में एरीज एग्रो लिमिटेड के सहयोग से स्थापित आईटीएम ड्रोन ट्रेनिंग एकादमी का उद्घाटन किया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि स्वाभिमानी और स्वावलंबी युवाओं से भारत ग्लोबल पावर बनेगा।
   वित्त मंत्री चौधरी ने ड्रोन एकादमी के पहले बैच में प्रशिक्षण ले रहे ड्रोन दीदी और ड्रोन पायलट को शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी जी के नेतृत्व में भारत सरकार के हाल के बजट में इंटर्नशिप के लिए विशेष प्रावधान किये गए हैं ताकि देश के एक करोड़ से ज्यादा यूथ इंटर्नशिप लेकर देश में मैनपावर की कमी दूर कर सके। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि दुनिया का 20 प्रतिशत युवा भारत में हैं और दुनिया को काम करने वालों की जरुरत है। यहाँ सात दिन की ड्रोन ट्रेनिंग कैरियर के लिए ज्यादा कारगर हो सकता है। उन्होंने जनकल्याणकारी योजनाओं के दीर्घकालीन सफलता में प्राइवेट सेक्टर की हिस्सेदारी पर जोर दिया।
  आईटीएम ड्रोन ट्रेनिंग एकादमी को छत्तीसगढ़ प्रदेश का पहले ड्रोन ट्रेनिंग एकादमी बनने का गौरव प्राप्त हुआ है जो महज सात दिनों के प्रशिक्षण में ड्रोन दीदी और ड्रोन पायलट तैयार करेगा जो डीजीसीए सर्टिफाइड पायलट कहलाएंगे। आईटीएम यूनिवर्सिटी कैंपस में उद्घाटन समारोह में डायरेक्टर जनरल सुश्री लक्ष्मी मूर्ति ने मुख्य अतिथि वित्त मंत्री ओ. पी. चौधरी और विशेष अतिथि के रूप में मौजूद एरीज एग्रो लिमिटेड के चेयरमैन एंड मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ. राहुल मीरचंदानी का पुष्पगुच्छ भेंटकर स्वागत किया।
 डायरेक्टर जनरल सुश्री लक्ष्मी मूर्ति ने कहा कि आईटीएम यूनिवर्सिटी सर्टिफिकेशन के अलावा ड्रोन टेक्नोलॉजी में विशेषज्ञता लाने बहुत जल्द डिग्री एवं मास्टर प्रोग्राम भी प्रारंभ करेगा ताकि प्रदेश के युवाओं को इसका हरसंभव लाभ मिल सकें। एरीज एग्रो लिमिटेड के चेयरमैन एंड मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ. राहुल मीरचंदानी ने कहाकि ड्रोन तकनीकों का कृषि में इस्तेमाल करने से किसानों की कई समस्याएं दूर होंगी। समय और मजदूर काम लगने के साथ ड्रोन से पानी की भी बचत होगी और फसलों की पैदावार दोगुनी होगी।  
  इसके पश्चात ड्रोन अकादमी में ड्रोन अकादमी के डायरेक्टर निलेश कोकाटे ने वित्त मंत्री सहित सभी अतिथियों को अत्याधुनिक ड्रोन से जुड़ी तकनीकी जानकारी दीं। इस कार्यक्रम में एरीज एग्रो लिमिटेड के वाइस प्रेसिडेंट डी. के. तिवारी, कार्यक्रम संयोजक मितुल कोठारी, छत्तीसगढ़ स्टेट इंचार्ज रवि मिश्रा, कामर्शियल मैनेजर अनुपम पांडेय, मार्केटिंग मैनेजर उमेश कुमार मिश्रा, दिवेश कुमार यादव, रजिस्ट्रार सौरव चटर्जी सहित अन्य मौजूद थे।

रायपुर / शौर्यपथ / मुख्यमंत्री विष्णु देव साय द्वारा माओवादी प्रभावित क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाएं और कल्याणकारी योजनाओं का लाभ पहुंचाने के लिए शुरू की गई ‘नियद नेल्लानार योजना’ (आपका अच्छा गांव योजना) के तहत नारायणपुर जिला प्रशासन ने पहली बार सुदूरवर्ती ग्राम मोहंदी में शिविर का आयोजन किया। इस योजना के अंतर्गत माओवादी प्रभावित क्षेत्रों में 14 नए सुरक्षा कैंप स्थापित किए गए हैं, जिनके पांच किलोमीटर की परिधि में बसे गांवों में 25 से अधिक मूलभूत सुविधाएं और 32 व्यक्ति मूलक योजनाओं का लाभ ग्रामीणों को दिलाया जा रहा है।
  नारायणपुर जिले के ओरछा विकासखंड में ग्राम पंचायत कुतुल के आश्रित ग्राम मोहंदी में आयोजित राजस्व पखवाड़ा शिविर में बड़ी संख्या में ग्रामीणों ने भाग लिया। शिविर में जाति प्रमाण पत्र, निवास प्रमाण पत्र, आय प्रमाण पत्र, जन्म प्रमाण पत्र, मृत्यु प्रमाण पत्र और वृद्धा पेंशन योजना वन अधिकार पत्र जैसे महत्वपूर्ण दस्तावेजों का वितरण किया गया और आवेदन लिया गया। शिविर में 12 जाति प्रमाण पत्र, 15 निवास प्रमाण पत्र, 12 आय प्रमाण पत्र, 16 जन्म प्रमाण पत्र और 26 आधार कार्ड हेतु आवेदन प्राप्त हुए साथ ही शिविर में 16 जन्म प्रमाण पत्र, एक मृत्यु प्रमाण पत्र और 3 वृद्धा पेंशन योजना के प्रमाण पत्र वितरित किए गए। इस अवसर पर जिला प्रशासन एवं जनप्रतिनिधि उपस्थित थे। यह नियद नेल्लानार योजना माओवाद प्रभावित क्षेत्रों में सरकारी योजनाओं से लोगों को लाभ पहुंचाने के मुख्यमंत्री के संकल्प को साकार करने का एक महत्वपूर्ण कदम है। शासन का यह प्रयास सुदूर वनांचल के ग्रामीणों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने की दिशा में मील का पत्थर साबित हो रहा है।

रायपुर / शौर्यपथ / जनसमुदाय तक स्वास्थ्य पोषण एवं स्वच्छता संबंधित व्यापक प्रचार प्रसार एवं प्रभावी व्यवहार परिवर्तन हेतु जनआंदोलन के रूप में प्रतिवर्ष के भाँति इस वर्ष भी ‘‘राष्ट्रीय पोषण माह‘‘ का अयोजन 01 से 30 सितम्बर 2024 तक किया जाना है। महिला एवं बाल विकास विभाग की संचालक सुश्री तुलिका प्रजापति ने समस्त कलेक्टर एवं जिला कार्यक्रम अधिकारियों को पत्र लिखकर ‘‘राष्ट्रीय पोषण माह 2024‘‘ के सफल आयोजन के लिए निर्देशित किया है।
  राज्य द्वारा राष्ट्रीय पोषण माह 2024 के दौरान मुख्य रूप से एनीमिया, वृद्धि निगरानी, पूरक आहार, पोषण भी पढ़ाई भी, बेहतर प्रशासन, पारदर्शिता और कुशल सेवा वितरण के लिए प्रौद्योगिकी, समग्र पोषण के थीम पर विभिन्न गतिविधियाँ आयोजित की जानी है। सुश्री प्रजापति ने पोषण माह के प्रभावी सुचारू एवं परिणाम मूलक आयोजन एवं गतिविधियों के आयोजन में सम्मानीय जनप्रतिनिधियों, पंचायती राज संस्थाओं के प्रतिनिधियों, स्थानीय निकाय के प्रतिनिधि, सहयोगी विभागों, स्वयं सेवी संस्थाओं, सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्रों की सक्रिय भागीदारी, महिला स्व-सहायता समूहों, महिला मण्डली, नेहरू युवा केन्द्रों, नेशनल कैडिट कोर, राष्ट्रीय सेवा योजना आदि की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करने के निर्देश दिए है। पूर्व वर्षों में राज्य में आयोजित पोषण माह, पोषण पखवाड़ा में विभिन्न सहयोगी विभागों एवं डेव्हलेपमेंट संस्थाओं का सक्रिय एवं परिणाममूलक सहयोग प्राप्त होता रहा है। इस वर्ष भी विभिन्न सहयोगी विभागों के मैदानी अमले के मध्य प्रभावी समन्वय स्थापित करते हुए जिला, विकासखण्ड, ग्राम स्तर एवं प्रत्येक केन्द्र स्तर पर पोषण माह का आयोजन किया जाना है। पोषण माह 2024 का मुख्य उद्देश्य पोषण पंचायतों को सक्रिय करना है, इस हेतु ग्राम स्तर पर सरपंच एवं ग्राम पंचायतों को गतिविधियों का आधार बनाते हुए जनआंदोलन को जनभागीदारी के रूप में परिवर्तित करना है।
  राष्ट्रीय पोषण माह 2024 अंतर्गत 01 सितम्बर से 30 सितम्बर 2024 तक प्रतिदिन आयोजित किए जाने वाले गतिविधि कैलेण्डर एवं सहयोगी विभागों की कार्य दायित्व की कार्ययोजना तैयार की गयी है। पोषण माह के दौरान की जाने वाली समस्त गतिविधियों को जन आंदोलन के डैशबोर्ड पोर्टल पर अनिवार्यतः प्रतिदिन प्रविष्ठी किया जायेगा।

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने केन्द्रीय कैबिनेट की बैठक में 1360 करोड़ रूपए की लागत के भालुमुड़ा-सारडेगा रेल परियोजना की स्वीकृति मिलने पर प्रदेशवासियों को दी बधाई

   रायपुर / शौर्यपथ / मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने आज केन्द्रीय कैबिनेट की बैठक में 1360 करोड़ रूपए लागत की भालुमुड़ा-सारडेगा रेल परियोजना की मंजूरी मिलने पर छत्तीसगढ़वासियों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले में स्थित भालुमुड़ा से ओड़िसा के सारडेगा तक 37 किलोमीटर नई दोहरी रेल लाइन की मंजूरी दिए जाने से छत्तीसगढ़ में मौजूदा रेल नेटवर्क का विस्तार होने के साथ ही बड़ी संख्या में प्रदेशवासियों की देश के अन्य क्षेत्रों से कनेक्टिविटी बढ़ेगी और आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र का विकास होगा।  
     मुख्यमंत्री  विष्णुदेव साय ने  प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ के भालुमुड़ा से ओडिसा के सारडेगा तक 37 किलोमीटर नई दोहरी रेल लाइन परियोजना से 25 लाख मानव दिवस का रोजगार सृजन होगा और 84 करोड़ किलोग्राम कार्बन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन में कमी आएगी जो 3.4 करोड़ वृक्षों के रोपण के तुल्य है।  मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि यह मार्ग कृषि उत्पादों, उर्वरक, कोयला, लौह अयस्क, इस्पात, सीमेंट, चूना पत्थर आदि जैसी वस्तुओं के परिवहन में महत्वपूर्ण भूमिका निभायेगी। उन्होंने कहा कि नई रेल लाइन की स्वीकृति से छत्तीसगढ की देश के अन्य राज्यों से सीधी कनेक्टिविटी बनेगी, आवागमन में सुधार होगा तथा भारतीय रेलवे की दक्षता और सेवा संबंधी विश्वसनीयता भी बढ़ेगी।
   उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति (सीसीईए) ने आज रेल मंत्रालय की लगभग 6,456 करोड़ रुपये की कुल अनुमानित लागत वाली तीन परियोजनाओं को मंजूरी दी है। ओडिशा, झारखंड, पश्चिम बंगाल और छत्तीसगढ़ जैसे 4 राज्यों के 7 जिलों में लागू की जाने वाली तीन परियोजनाएं भारतीय रेलवे के मौजूदा नेटवर्क को लगभग 300 किलोमीटर तक बढ़ा देंगी। इन परियोजनाओं से दूर-दराज़ के इलाकों को आपस में जोड़कर लॉजिस्टिक्स दक्षता में सुधार लाने, मौजूदा लाइन क्षमता बढ़ाने और परिवहन नेटवर्क का विस्तार करने के साथ-साथ आपूर्ति श्रृंखला को सुव्यवस्थित किया जा सकेगा जिससे तेजी से आर्थिक विकास होगा। मल्टी-ट्रैकिंग प्रस्ताव परिचालन को आसान बनाएगा और भीड़भाड़ को कम करेगा, जिससे भारतीय रेलवे के सबसे व्यस्त खंडों पर बेहद जरूरी बुनियादी ढांचे का विकास होगा।

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