May 09, 2025
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लाइफस्टाइल/शौर्यपथ / अपनी लाइफ को शानदार बनाना भला कौन नहीं चाहता, लेकिन आमतौर पर सबकी जिंदगी उतनी खूबसूरत नहीं हो पाती. नाकामी और बुरे हालातों के लिए लोग कोई न कोई बहाना जरूर बनाते हैं, जबकि इसकी सबसे बड़ी वजह उनकी खुद की गलतियां ही होती हैं. राजनीति और अर्थशास्त्र के अलावा जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में सैकड़ों सालों से लोगों का मार्गदर्शन करने वाले विद्वान आचार्य चाणक्य ने ऐसी गलतियों से बचने को लेकर हिदायत दी हुई है.
आचार्य चाणक्य ने किया नौजवानों को गलतियों से सावधान
भारत के सबसे बुद्धिमान आचार्यों में से एक चाणक्य ने अपनी नीतियों में जवानी में की जाने वाली गलतियों से लोगों को सावधान किया है. उन्होंने कहा है कि अगर लोग जिंदगी की शुरुआत में इन खास गलतियों को करने से बचे तो आगे एक काफी सुखद और समृद्ध लाइफ को इंजॉय कर सकते हैं. आइए, चाणक्य नीति में बताए उन गलतियों के बारे में जानते हैं जिन्हें करने से युवाओं को हर हाल में बचना चाहिए, नहीं तो आगे चलकर जिंदगी बर्बाद होने की आशंका बढ़ जाती है.
पढ़ाई से जी चुराना : चाणक्य नीति के मुताबिक, अगर जवानी के दिनों में आप अच्छी शिक्षा और हुनर नहीं हासिल करते हैं तो आपको आने वाले समय और करियर में तमाम तरह की दिक्कतों और मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है. शुरुआती लाइफ में की गई आपकी ये गलती आपको आगे जीवनभर परेशान कर सकती है.
कामचोरी या आगे टालने की आदत: आचार्य चाणक्य ने युवाओं को साफ संदेश दिया है कि अगर जवानी के दिनों में कामचोरी की या किसी भी काम को तुरंत खत्म करने की जगह आनाकानी करते हैं या आगे के लिए टाल देते हैं तो यह गलत आदत है. उन्होंने कहा कि जवानी में समय का सही इस्तेमाल नहीं करने पर आगे की लाइफ में आपको अपने लक्ष्य प्राप्त करने में काफी कठिनाई का सामना करना पड़ सकता है.
पैसों की बचत की जगह बेतहाशा खर्च: चाणक्य नीति के मुताबिक, जो लोग अपने नौजवानी के समय में सोचे समझे बगैर रुपए-पैसे खर्च करते हैं और आगे के लिए कोई प्लानिंग नहीं करते हैं तो उन्हें आगे चलकर आर्थिक तंगी और मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है.
गलत लोगों से संगति: आचार्य चाणक्य ने साफ कहा है कि युवा अवस्था में गलत संगति से सबसे ज्यादा सावधान रहने की जरूरत है. क्योंकि ये उम्र बहुत संवेदनशील होती है. इस उम्र में गलत लोगों का असर पड़ना और बुरी आदतों का लगना आगे की लाइफ और होने वाली तरक्की में रुकावट डालती है.
शारीरिक और मानसिक सेहत के मामले में लापरवाही: चाणक्य नीति में साफ कहा गया है कि अगर लोग जवानी में अपने शारीरिक और मानसिक सेहत का ध्यान नहीं रखते और लापरवाही करते हैं तो आगे चलकर तमाम तरह की बीमारियों और परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है.

सेहत टिप्स /शौर्यपथ / अक्सर कहा जाता है कि शरीर को मजबूत करने के लिए मेवा खाना चाहिए. खासकर काजू बादाम के बारे में कहा जाता है कि इनको खाने से शरीर को मजबूती मिलती है और खून बढ़ता है. लेकिन कई बार बादाम और काजू खाने के बाद भी कुछ लोगों की सेहत नहीं बन पाती. ऐसे में आपको बादाम पर फोकस करने की बजाय कुछ ऐसी चीज खानी चाहिए जो आपकी सेहतको शानदार बना सके. ऐसे में पाइन नट्स यानी चिलगोजा बहुत काम की चीज साबित होता है. जी हां चिलगोजा भी एक शानदार मेवा है जिसके बारे में कम ही लोग जानते हैं. कहा जाता है कि ताकत और मजबूती के मामले में चिलगोजा बादाम से भी ज्यादा कारगर साबित होता है. चलिए आज जानते हैं कि चिलगोजा मजबूती और खून बढ़ाने में कैसे मदद करता है और किस तरह खाने में लेना चाहिए जानते हैं एक्सपर्ट इस बारे में क्या कहते हैं.
पोषण की खान है चिलगोजा  |
चिलगोजा पोषक तत्वों के मामले में बादाम से कहीं आगे है. इसमें ढेर सारा प्रोटीन, जिंक, पोटेशियम, मैग्नीशियम. आयरन, फास्फोरस और जिंक होता है. जो लोग शरीर को मजबूत करना चाहते हैं, उनको ढेर सारे प्रोटीन की जरूरत होती है और इस मामले में चिलगोजा बेस्ट है.चिलगोजा आयरन की भी खान है,इसके सेवन से आपके शरीर में रेड ब्लड सेल्स बढ़ेंगे और मसल्स को भी ताकत मिलेगी. चिलगोज़ा हड्डियों को भी मजबूत करता है. इसे खाने से शरीर की स्टेबिलिटी बढ़ती है.
इस तरह खाइए चिलगोजा, मिलेंगे कई फायदे |
अगर आप एक महीने तक चार से पांच चिलगोजे रात भर भिगोकर सुबह खाएं तो आपको ढेर सारे फायदे मिलेंगे. अगर आप चिलगोजे को भिगोकर नहीं खाते तो इसे कच्चा ही छीलकर खा सकते हैं. आप इसे सलाद में डालकर खा सकते हैं और इसे भूनकर भी खाया जा सकता है. कई लोग चिलगोजे की दाल भी बनकर खाते हैं. इससे आपको दिन भर की एनर्जी तो मिलेगी ही, साथ ही आपको हेल्दी फैट भी मिलेगा. इससे इम्यून सिस्टम मजबूत होगा. चिलगोजा त्वचा और बालों के लिए भी काफी अच्छा होता है.इसे खाने से दिमाग भी एक्टिव रहता है और तनाव में कमी आती है.

व्रत त्यौहार /शौर्यपथ / सनातन परंपरा में अमावस्या तिथि का बेहद महत्व है. अगर यह तिथि सोमवार या शनिवार को पड़े तो इसका महत्व और भी ज्यादा बढ़ जाता है. जब किसी भी माह की अमावस्या सोमवार के दिन पड़ती है, उसे सोमवती अमावस्या कहते हैं. इस बार भाद्रपद माह की अमावस्या सोमवती अमावस्या है, जो 2 सितंबर को है. सोमवती अमावस्या की ति​थि 2 सितंबर को सुबह 5:21 बजे से 3 सितंबर को सुबह 7:24 बजे तक है. ज्योतिष शास्त्र में इस दिन को लेकर कई सारे नियम बनाए गए हैं. सोमवती अमावस्या के दिन भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा और व्रत करने का विधान है. इस दिन विवाहित महिलाएं व्रत रखकर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करके अपने पति की लंबी आयु के लिए प्रार्थना करती हैं.
सोमवती अमावस्या तिथि पर क्या करें और क्या न करें?
    अपने पितरों को भोजन, जल और अन्य वस्तुएं अर्पित करें.
    मांसाहारी भोजन या शराब का सेवन न करें.
    धर्मग्रंथों का पाठ करें.
    इस दिन चना, मसूर दाल, सरसों का साग और मूली जैसी चीजों को खाने की मनाही होती है.
    पूजा-पाठ पर ज्यादा से ज्यादा जोर दें.
    भगवान विष्णु की पूजा करें.
    इस तिथि पर क्रोध करने से बचें.
सोमवती अमावस्या व्रत रेसिपी-
सोमवती अमावस्या पर कई महिलाएं व्रत करती हैं. अगर आप व्रत कर रहे हैं तो आप मखाने की खीर का सेवन कर सकते हैं. इसे आसानी से बनाया जा सकता है. इसे बनाने के लिए आपको दूध, मखाना, चीनी, ड्राई फ्रूट्स और इलायची पाउडर की आवश्यकता होती है.
सोमवती अमावस्या पूजन विधि-
सोमवती अमावस्या के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठें और दिन की शुरुआत देवी-देवता के ध्यान से करें. इसके बाद स्नान करें. अब भगवान सूर्य देव को जल अर्पित करें. इसके पश्चात भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा करें. शास्त्रों के अनुसार इस दिन पितरों को प्रसन्न करने के लिए पीपल के पेड़ को स्पर्श करके पूजा अर्चना की जाती है. इसके अलावा धान, पान और खड़ी हल्दी को मिला कर उसे विधान पूर्वक तुलसी के पेड़ पर भी चढ़ाने की मान्यता है.

व्रत त्यौहार /शौर्यपथ / पंचांग के अनुसार, इस साल 2 सितंबर, सोमवार के दिन भाद्रपद की अमावस्या पड़ रही है लेकिन इसका प्रभाव अगले दिन यानी 3 सितंबर, मंगलवार तक माना जा रहा है. वहीं, सोमवार और मंगलवार का शुभ संयोग इस अमावस्या को बेहद खास बना रहा है. ऐसे में उदया तिथि के अनुसार भी दोनों ही दिनों को अमावस्या की तिथि बताया जा रहा है. माना जाता है कि अमावस्या के दिन पूजा करने पर जीवन में व्याप्त दिक्कतें हट जाती हैं, पितरों का आशीर्वाद मिलता है और भौमवती अमावस्या  हो तो मंगल दोष से भी छुटकारा मिल जाता है. जानिए अमावस्या की तिथि का प्रारंभ कब होगा और किन बातों का विशेष ध्यान रखना जरूरी होता है.
सोमवती और भौमवती अमावस्या का संयोग |
द्रिक पंचांक के अनुसार, इस साल भाद्रपद माह में कृष्ण पक्ष की अमावस्या 2 सितंबर, सोमवार की सुबह 5 बजकर 21 मिनट से शुरू हो रही है और इस तिथि का समापन अगले दिन 3 सितंबर, मंगलवार को सुबह 7 बजकर 54 मिनट पर होगा. ऐसे में दोनों दिन ही अमावस्या का शुभ संयोग बन रहा है और इस साल भाद्रपद में सोमवती अमावस्या और भौमवती अमावस्या पड़ रही है. सोमवार के दिन पड़ने वाली अमावस्या को सोमवती अमावस्या कहा जाता है और मंगलवार के दिन जो अमावस्या पड़ रही है उसे भौमवती अमावस्या कहते हैं.
अमावस्या की पूजा
मान्यतानुसार अमावस्या के दिन पवित्र नदी में स्नान करना बेहद शुभ माना जाता है. जो लोग किसी नदी के पास नहीं रहते हैं वे इस दिन पानी में गंगाजल डालकर स्नान कर सकते हैं. अमास्या के दिन पितरों का तर्पण, पूजा और आराधना करना बेहद शुभ माना जाता है. अमावस्या पर पितरों का श्राद्ध और पिंडदान भी किया जाता है. धर्म-कर्म के कामों के लिए भी अमावस्या की तिथि शुभ होती है. सोमवती अमावस्या होने के चलते इस अमावस्या पर भगवान शिव की पूजा की जा सकती है. मंगलवार के दिन भौमवती अमावस्या है जिस चलते बजरंगबली की उपासना की जाती है.
अमावस्या पर चंद्र दोष और पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिए भी पूजा की जाती है. भगवान शिव को सोमवती अमावस्या पर खीर का भोग लगाने पर ये दोष हट सकते हैं. विवाह के योग बनें इसके लिए भोग में पंचामृत, शहद और मालपुए शामिल किए जा सकते हैं. इन चीजों को भगवान के समक्ष अर्पित करना शुभ होता है. सुख और शांति का घर में वास हो इसके लिए सफेद मिठाई को भोग में शामिल किया जा सकता है.

  व्रत त्यौहार /शौर्यपथ /हिंदू धर्म में माताएं अपने बच्चों की लंबी उम्र और सेहत के लिए कई व्रत रखती हैं. इन व्रतों में महत्वपूर्ण उपवास है जीवित्पुत्रिका व्रत . इस व्रत को जितियाया जिउतिया व्रत के नाम से भी जाना जाता है.यह उपवास आश्विन मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन रखा जाता है. महिलाएं निर्जला व्रत रखकर अपनी संतान के लिए लंबी उम्र और सेहत का वरदान मांगती है. आइए जानते हैं इस वर्ष कब है जीवित्पुत्रिका व्रत , पूजा मुहूर्त और महाभारत काल से इस व्रत का संबंध.
कब है जीवित्पुत्रिका व्रत
इस वर्ष आश्विन मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 24 सितंबर मंगलवार को दोपहर 12 बजकर 38 मिनट पर शुरू होकर 25 सितंबर बुधवार को दोपहर 12 बजकर 10 मिनट तक है. जीवित्पुत्रिका व्रत 25 सितंबर बुधवार को रखा जाएगा. तीज की तरह यह व्रत भी निर्जला किया जाता है. बिहार, बंगाल और पूर्वी उत्तर प्रदेश में इस व्रत का ज्यादा प्रचलन है.
जीवित्पुत्रिका व्रत महत्व
पौराणिक मान्यता है कि इस व्रत को करने वाली माताओं को कभी अपनी संतान के वियोग का सामना नहीं करना पड़ता है. साथ ही संतान को लंबी उम्र और जीवन भर के दुःख और तकलीफ से सुरक्षा प्राप्त होती है.
महाभारत काल से संबंध
महाभारत के दौरन द्रोर्णाचार्य की मृत्यु से आहत उनके पुत्र अश्वत्थामा ने पांडवों के पांचों पुत्र का वध कर दिया था. ये सभी द्रौपदी की संताने थी. इसके बाद अर्जुन ने अश्वत्थामा को बंदी बनाकर उनकी दिव्यमणि छीन ली. इससे अश्वत्थामा और अधिक नाराज हो गए अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा के गर्भ में पल रहे बच्चे को उसके गर्भ में ही नष्ट कर दिया. भगवान कृष्ण ने उत्तरा की संतान की रक्षा के लिए अपने सभी पुण्य का फल उसे देकर फिर जीवित कर दिया. पुनः जीवित होने की वजह से उस बच्चे का नाम जीवित्पुत्रिका रखा गया और जीवित्पुत्रिका की तरह मृत्यु के अभय प्राप्त करने के लिए यह व्रत रखा जाने लगा.

सेहत टिप्स /शौर्यपथ /डायबिटीज  लाइफस्टाइल से जुड़ी ऐसी बीमारी है जिसमें हर वक्त ब्लड शुगर लेवल बढ़ने का डर बना रहता है. डायबिटीज से जूझ रहे लोगों को अपनी डाइट का खास ख्याल रखना होता है, लेकिन इसके बाद भी कई बार शुगर लेवल हाई होने का रिस्क बना रहता है. ऐसे में चाय  के शौकीन लोग अपने इस शौक को मजबूरी में मार देते हैं. लेकिन अब डायबिटीज के रोगियों को चाय के शौक को मारने की जरूरत नहीं है. एक खास तरह की हर्बल टी रोज भी पिएंगे तो शुगर लेवल नहीं बढ़ेगा. आज आपको इस चाय के बारे में बताते हैं.
दालचीनी की चाय से कंट्रोल में रहेगा शुगर लेवल :
शुगर लेवल बढ़ने के डर से मधुमेह रोगी कई चीजों का त्याग कर देते हैं. इसमें दूध वाली चाय भी शामिल है. लेकिन दालचीनी की चाय से आप चाय की तलब पूरी कर सकते हैं. दालचीनी ऐसा आयुर्वेदिक मसाला है जिसकी चाय शुगर रोगियों के लिए बहुत ही अच्छी मानी जाती है. यूं तो दालचीनी सब्जी और दूसरे व्यंजनों का स्वाद बढ़ाने के लिए कारगर है, लेकिन इसकी चाय बनाकर पीने से शुगर कंट्रोल करने में काफी फायदा होता है. ये चाय डायबिटीज रोगियों के लिए किसी दवा की तरह काम करती है. दालचीनी की चाय में कई तरह के गुण पाए जाते हैं. इसमें एंटी-वायरल, एंटी-इंफ्लेमेटरी प्रॉपर्टी होती है. इसके साथ-साथ ढेर सारे एंटीऑक्सीडेंट और फ्लेवोनोइड्स भी मौजूद होते हैं. दालचीनी की चाय पीने से ब्लड में शुगर का लेवल कंट्रोल में रहता है. इसके साथ दालचीनी की चाय शरीर में कोलेस्ट्रॉल को भी कम करती है. यानी दालचीनी की चाय पीने से बढ़ा हुआ वजन भी कंट्रोल में आने लगता है. इसके साथ साथ दालचीनी की चाय दिल के लिए भी अच्छी कही जाती है.
कैसे बनाएं दालचीनी की चाय :
दालचीनी की चाय बनाना बहुत ही आसान है और ये चंद मिनटों में बन जाती है. एक पैन में पानी गर्म कीजिए. इसमें आधा टुकड़ा दालचीनी का और थोड़ा सा दालचीनी का पाउडर डालें. पानी उबलने के बाद गैस बंद कर दें. गैस बंद होने के बाद इस पानी में एक ग्रीन टी का सैशे डालें और अच्छे से मिक्स कर लें. अब चाय को छान कर कप में डालें और गर्मागर्म चाय का आनंद लें.

सेहत टिप्स /शौर्यपथ /ग्रीन टी आजकल ज्यादातर लोगों की दिनचर्या का हिस्सा है. इसके अनोखे फायदे हैं, जिसे देखते हुए दूध वाली चाय की जगह लोग इसे ही पीना पसंद कर रहे हैं . भागदौड़ भरी जिंदगी में फिट रहने के लिए ग्रीन टी के बेनिफिट्स जबरदस्त हैं लेकिन ग्रीन टी पीने के सही समय की जानकारी न होने से इसके साइड इफेक्ट्स भी देखने को मिलते हैं. ऐसे में चलिए आपको बताते हैं ग्रीन टी पीने का सही टाइम क्या है...
ग्रीन टी पीने के बेनिफिट्स
1. पेट पर जमा चर्बी कम करता है.
2. त्वचा को चमक देने का काम करता है.
3. पाचन में सुधार.
4. वजन घटाने में मददगार
5. डायबिटीज में फायदेमंद
6. मेटाबॉलिज्म बढ़ाए
7. इम्यूनिटी मजबूत करने में
क्या सुबह खाली पेट पी सकते हैं ग्रीन टी
डाइटिशियिन के अनुसार, सुबह खाली पेट ग्रीन टी पीने से पेट में दर्द की समस्या हो सकती है. इसमें पाया जाने वाले पॉलीफेनोल्स टैनिन से पेट में एसिड बढ़ने लगता है. इससे पेट दर्द, जलन या कब्ज जैसी समस्या हो सकती है. ग्रीन टी ब्रेकफास्ट के बाद पीनी चाहिए. खाने के बाद, नाश्ते और खाने के बीच में ग्रीन टी पीना सबसे अच्छा माना जाता है. ज्यादा ग्रीन टी पीने से बचना चाहिए, क्योंकि ग्रीन टी में कैफीन पाया जाता है, जो गैस्ट्रिक जूस को डाइल्यूट कर उल्टी, गैस और चक्कर जैसी समस्याएं बढ़ा सकता है.
ग्रीन टी क्या रात में पी सकते हैं
रात में सोते समय ग्रीन टी नहीं पीना चाहिए. इससे लिवर से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं. रात में ग्रीन टी नहीं पीने से नींद की समस्या हो सकती है. दिन के वक्त में ग्रीन टी पीना फायदेमंद हो सकता है.
ग्रीन टी पीने का सबसे सही तरीका क्या है
ब्रेकफास्ट से कुछ समय पहले ग्रीन टी पी सकते हैं. सुबह-शाम को ग्रीन टी पीने से मेटाबॉलिज्म तेज हो सकता है. इससे वेट लॉस में मदद मिल सकती है. दिन में तीन से चार कप से ज्यादा ग्रीन टी नहीं पीनी चाहिए. ग्रीन टी को दूध-चीनी में मिलाकर पीने से बचना चाहिए. ग्रीन टी के बाद कुछ खाना नहीं चाहिए.

व्रत त्यौहार /शौर्यपथ / हिंदू धर्म में पूरे साल बहुत सारे तीज-त्योहार आते हैं  जिसे पूरी श्रद्धा भाव के साथ मनाया जाता है. अगस्त की तरह सितंबर में भी कई पर्व त्योहार पड़ने वाले हैं. जिसमें से एक अनंत चतुर्दशी भी है. इसमें भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा अर्चना की जाती है. व्रत रखकर लोग भगवान विष्णु और धन की देवी लक्ष्मी की विशेष पूजा करते हैं. हर साल भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष में अनंत चतुर्दशी मनाया जाता है. तो चलिए जानते हैं इस साल किस तिथि और शुभ मुहूर्त में अनंत चतुर्दशी की पूजा करनी चाहिए और किस चीज का लगाएं भोग.
अनंत चतुर्दशी तिथि-
भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को हर साल अनंत चतुर्दशी मनाया जाता है. पंचांग के अनुसार, इस साल 16 सितंबर को 3 बजकर 10 मिनट पर चतुर्दशी तिथि की शुरुआत होगी और अगले दिन 17 सितंबर को 11 बजकर 44 मिनट पर यह समाप्त हो जाएगा. उदया तिथि के मुताबिक, 17 सितंबर को अनंत चतुर्दशी की पूजा की जाएगी. इस दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी के अलावा मां यमुना और शेष नाग की भी पूजा-अर्चना की जाती है. माना जाता है कि इस दिन पूरी श्रद्धा भाव के साथ पूजा करने से अनंत फल की प्राप्ति होती है.
अनंत चतुर्दशी प्रसाद-
अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान विष्णु के अनंत रूप की पूर्ण श्रद्धा भाव से पूजा-अर्चना की जाती है. अनंत भगवान को सात्विक थाली का भोग लगाया जाता है. सात्विक थाली के लिए आप आलू-टमाटर की सब्जी, कट्टू की पूरी और खीर बना सकते हैं. इसके अलावा फल और लड्डू का भी भोग लगाया जा सकता है.
अनंत चतुर्दशी शुभ मुहूर्त
     अनंत चतुर्दशी के दिन पूजा के बाद अनंत सूत्र बांधा जाता है जिसमें कुल 14 गांठ होती है. इन 14 गांठों को 14 लोकों के साथ जोड़ कर देखा जाता है और इस पूजा को अनंत फल देने वाला माना जाता है. शुभ मुहूर्त में पूजा अर्चना करना विशेष रूप से फलदायी होता है. 17 सितंबर को सुबह 6 बजकर 7 मिनट से लेकर 11 बजकर 44 मिनट तक पूजा का शुभ मुहूर्त है.
अनंत चतुर्दशी पूजा विधि-
अनंत चतुर्दशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान के बाद भगवान सूर्य को जल अर्पित करना चाहिए. भगवान विष्णु का स्मरण कर व्रत का संकल्प लें. शुभ मुहूर्त में भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की तस्वीर या मूर्ति चौकी पर स्थापित करें. इसके बाद हल्दी, केसर, कुमकुम, फूल, अक्षत और फल अर्पित करें. इसके बाद एक कच्ची डोरी में 14 गांठ लगा कर अनंत सूत्र तैयार करें और ऊँ अनंताय नम: मंत्र के साथ श्री हरि को अर्पित करें. इसके बाद अनंत सूत्र को अपनी कलाई पर बांध लें. कथा का पाठ करने के बाद दीपक जला कर आरती करें और भोग लगाएं.

 व्रत त्यौहार /शौर्यपथ /हर वर्ष भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश चतुर्थी मनाई जाती है. इस दिन को भगवान गणेश की जन्म तिथि माना गया है और इसलिए गणोश चतुर्थी से लेकर अगले दस दिन तक धूमधाम से गणेश जन्मोत्सव के रूप में गणेश उत्सव मनाया जाता है. भक्त घर-घर में बप्पा की मूर्ति की स्थापना करते हैं और दस दिन तक विधि विधान से उनकी पूजा अर्चना करते हैं. यह त्योहार महाराष्ट्र में काफी जोर शोर से मनाया जाता है. हालांकि अब पूरे देश में गणेश उत्सव मनाया जाने लगा है. आइए जानते हैं इस वर्ष कब है गणेश चतुर्थी और इस अवसर पर बनने वाले योग
कब है गणेश चतुर्थी
   इस वर्ष भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि 6 सितंबर को 3 बजकर 1 मिनट से शुरू होकर अगले दिन यानी 7 सितंबर को शाम 5 बजकर 37 मिनट तक है. सूर्य के उगने के अनुसार 7 सितंबर को गणेश चतुर्थी मनाई जाएगी और इस दिन भक्त अपने घरों में भगवान गणेश की मूर्ति की स्थापना करेंगे. 7 सितंबर को गणेश पूजा का शुभ मुहूर्त दिन में 11 बजकर 3 मिनट से दोपहर 1 बजकर 34 मिनट तक है. गणेश जी की स्थापना के बाद उनके पूजन के लिए 2 घंटे 31 मिनट का समय काफी शुभ है.
गणेश चतुर्थी के योग
   इस बार गणेश चतुर्थी पर चार शुभ योग बन रहे हैं. सुबह शुरू हो रहा ब्रह्म योग रात के 11 बजकर 17 मिनट तक है. उसके बाद इंद्र योग बन रहा है. इसके अलावा इस दिन सुबह 6 बजकर 2 मिनट से रवि योग बन रहा है और यह योग दोपहर को 12 बजकर 34 मिनट तक रहेगा. इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग 12 बजकर 34 मिनट से अगले दिन सुबह 6 बजकर 3 मिनट तक है.

  व्रत त्यौहार /शौर्यपथ / हर साल भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरतालिका तीज का पावन त्योहार मनाया जाता है, कहते हैं कि माता पार्वती ने भगवान भोलेनाथ को वर स्वरूप प्राप्त करने के लिए इस व्रत को किया था, तब जाकर उन्हें भोलेनाथ वर स्वरूप प्राप्त हुए थे. ऐसे में कहा जाता है कि अगर अविवाहित कन्याएं ये व्रत करती हैं, तो उन्हें भोलेनाथ की तरह वर की प्राप्ति होती हैं, वहीं सुहागिन महिलाएं अखंड सौभाग्य के लिए ये व्रत रखती हैं. ऐसे में अगर आप भी हरतालिका तीज का व्रत रखना चाहती हैं, तो उससे पहले इस व्रत के ये 10 नियम जरूर जान लें.
इस दिन किया जाएगा हरतालिका तीज 2024 का व्रत
हरतालिका तीज 2024 का व्रत 6 सितंबर 2024, शुक्रवार के दिन रखा जाएगा, लेकिन इसकी तिथि की शुरुआत 5 सितंबर 2024 को दोपहर 12:21 पर हो जाएगी. वहीं, इसका समापन 6 सितंबर को दोपहर 3:01 पर होगा, ऐसे में उदया तिथि के अनुसार 6 सितंबर को ही निर्जला व्रत किया जाएगा. वहीं, पूजा के लिए शुभ मुहूर्त 6:01 से लेकर 8:32 तक रहेगा.
हरतालिका तीज व्रत के 10 नियम  |
1. अगर आप एक बार हरतालिका तीज का व्रत रखना शुरू कर दें, तो इसे जिंदगी भर रखना होता है. चाहे आप बीमार हो या माहवारी से हो, लेकिन ये व्रत कभी भी छोड़ते नहीं है.
2. हरतालिका तीज का व्रत निर्जला व्रत होता है, यानी कि इस व्रत में आप अन्न, जल का सेवन नहीं कर सकते हैं. अगले दिन सुबह माता पार्वती को सिंदूर चढ़ाने के बाद ही खीरा या ककड़ी खाकर व्रत का पारण किया जाता है.
3. हरतालिका तीज की पूजा में मां पार्वती को खीरा भोग स्वरूप चढ़ाया जाता है या फिर सूजी का हलवा भोग लगाया जाता है.
4. हरतालिका तीज की पहली पूजा प्रदोष काल यानी कि शाम के समय की जाती है ये वो समय होता है जब सूरज डूबता है और रात होने से पहले का समय होता है.
5. हरतालिका तीज व्रत करने के दौरान महिलाओं को रात भर जागरण करना चाहिए, इस दौरान भजन कीर्तन और नृत्य आदि किया जा सकता है.
6. हरतालिका तीज व्रत करने के दौरान हरतालिका तीज व्रत कथा जरूर सुननी चाहिए, नहीं तो इस व्रत को अधूरा माना जाता है.
7. हरतालिका तीज व्रत के दौरान महिलाओं को 16 श्रृंगार जरूर करना चाहिए, कहते हैं कि 16 श्रृंगार करने से मां पार्वती अति प्रसन्न होती हैं.
8. हरतालिका तीज पूजा के दौरान मां पार्वती, शिवजी और भगवान गणेश की मिट्टी से प्रतिमा बनाकर पूजा करनी चाहिए और अगले दिन सुबह उसका विसर्जन करना चाहिए.
9. हरतालिका तीज पर मां पार्वती को सुहाग अर्पित करने का भी विशेष महत्व होता है, आप सुहाग की पिटारी में 16 श्रृंगार की चीजें रखकर मां पार्वती को अर्पित करें और शिव जी को धोती और अंगोछा भी चढ़ाएं.
10. हरतालिका तीज व्रत के दौरान अगले दिन सूर्योदय पर स्नान करने के बाद मां पार्वती को सिंदूर चढ़ाने का विशेष महत्व होता है. इसके बाद ही व्रत का पारण किया जाता है, हरतालिका तीज व्रत के बाद किसी ब्राह्मण या गरीब महिला को सुहाग का सामान दान करना चाहिए.

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