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व्रत त्यौहार /शौर्यपथ/भगवान जगन्नाथ का अपने भक्तों से अनूठा रिश्ता है. भक्तों के प्रेम में प्रभु इतना स्नान कर लेते हैं कि बीमार पड़ जाते हैं और भक्त 14 दिन तक उनकी अनवरत सेवा करके भी नहीं थकते हैं. भक्तों की सेवा से प्रसन्न प्रभु जगन्नाथ स्वस्थ होने पर उनसे मिलने काशी की गलियों में निकल पड़ते हैं. काशी में 7 जुलाई से तीन दिवसीय लक्खा मेला शुरू हो रहा है. इस मेले के दौरान रथयात्रा निकाली जाती है. इस वर्ष रथयात्रा के दौरान भगवान जगन्नाथ को 40 तरह की नानखटाई का भोग लगाया जाने वाला है. आइए जानते हैं लक्खा मेला में इस बार क्या क्या खास होने वाला है……
लक्खा मेले में नानखटाई का भोग
हिंदू धर्म में भगवान की पूजा बगैर भोग की पूरी नहीं होती है. देवी-देवताओं को उनके प्रिय चीजों का भोग चढ़ाया जाता है. काशी में लक्खा मेले के दौरान भगवान जगन्नाथको नानखटाई का भोग लगाया जाता है.
तैयार हो रही है 40 तरह की नानखटाई
लक्खा मेले में भगवान जगन्नाथ को भोग लगाने के लिए 40 तरह की नानखटाई तैयार की जा रही है. इनमें काजू, पिस्ता, नारियल के पारंपरिक नानखटाई के साथ-साथ चॉकलेट, स्ट्राबेरी के फ्लेवर के नाखटाई भी बनाए जा रहे हैं. काशी में विराजने वाले भगवान जगन्नाथ का नानखटाई से बहुत पुराना संबंध है. यहां दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालुओं और व्यापारियों को नानखटाई से जुड़े इस मेले का पूरे साल इंतजार रहता है.
ऐसे बनाई जाती है नानखटाई
भगवान जगन्नाथ के प्रिय भोग नानखटाई को तैयार करने में काफी समय और मेहनत लगती है. मैदा, सूजी, नारियल और मेवे को सांचे की मदद से नानखटाई को रूप दिया जाता है और उसे तंदूर में पकाया जाता है.
भगवान विष्णु के अवतार
भगवान जगन्नाथ के नाम का अर्थ ही है पूरे जगत के नाथ यानी जगन्नाथ. काशी में भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा के अवसर पर लक्खा मेला लगता है. मेले में भगवान जगन्नाथ, दाऊ बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ रथ पर सवार होकर काशी की गलियों में निकलते हैं और भक्तों को दर्शन देते हैं.
व्रत त्यौहार /शौर्यपथ /हर माह की एकादशी की तिथि भगवान श्री हरि यानी विष्णु जी की पूजा के लिए समर्पित है. हर एकादशी का अपना महत्व होता है. आषाढ़ माह में शुक्ल पक्ष में आने वाली एकादशी को आषाढ़ी एकादशी और देवशयनी एकादशी कहा जाता है. इस एकादशी के दिन भगवान श्री हरि चार माह के लिए योग निद्रा में चले जाते हैं. इस बार देवशयनी एकादशी का व्रत 16 जुलाई को रखा जाएगा. इसी दिन प्रभु श्री हरि की चार माह की योग निद्रा भी शुरू होगी और चार माह बाद देवउठनी एकादशी पर समाप्त होगी. जगत का पालन करने वाले भगवान के शयन करते समय इस दुनिया का संचालन कौन करता है और देवशयनी एकादशी से कौन सी पौराणिक कथा जुड़ी है, आइए जानते देवशयनी एकादशी से जुड़ी हर बात.
देवशयनी एकादशी की तिथि और शुभ मुहूर्त
आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी 16 जुलाई को संध्या 8 बजकर 33 मिनट पर शुरू होगी और 17 जुलाई को रात्रि 9 बजकर 2 मिनट पर रहेगी. इस बार देवशयनी एकादशी का व्रत 17 जुलाई बुधवार का रखा जाएगा.
देवशयनी एकादशी से जुड़ी पौराणिक कथा
भागवत पुराण में वर्णन है कि देवराज इंद्र को फिर से स्वर्ग का राजा बनाने के लिए भगवान विष्णु ने वामन अवतार लिया था. असुरों के राजा बलि बहुत शक्तिशाली और दानवीर था. उसने अपने पराक्रम से तीनों लोक पर अधिकार कर लिया था. इंद्र से स्वर्ग छिन जाने पर सभी देवी-देवताओं से भगवान विष्णु से गुहार लगाई और तक भगवान तब वामन का अवतार लेकर राजा बलि के पास पहुंचे. उन्होंने राजा बलि से तीन गज भूमि मांगी. राजा बलि के स्वीकार करने पर वामन भगवान ने एक डग में पूरी धरती, आकाश और सभी दिशाओं को नाप लिया. दूसरे डग में उन्होंने स्वर्ग लोक को नाप लिया और उन्होंने राजा बलि से पूछा कि अब में तीसरा डग कहां रखूं. राजा बलि पहचान गए कि स्वयं प्रभु उनकी परीक्षा लेने आए हैं, उन्होंने अपना सिर झुका दिया. भगवान विष्णु ने राजा बलि को पाताल लोक भेज दिया. राजा बलि की यह दानशीलता देखकर भगवान प्रसन्न हो गए और उन्होंने वरदान मांगने को कहा. राजा बलि ने भगवान विष्णु से अपने साथ महल में रहने और सेवा का सौभाग्य प्रदान करने का वरदान मांगा.
इससे माता लक्ष्मी विचलित हो गई और उन्होंने राजा बलि को अपना भाई बनाकर उन्हें भगवान विष्णु को वचन मुक्त करने को कहा. इसके बाद भगवान विष्णु ने कहा कि वह चार माह के लिए पाताल लोक में शयन करेंगे और इस दौरान सृष्टि का संचालन सुचारू रूप से चलता रहे, इसलिए नारायण भगवान ने भगवान शिव को इन चार माह पूरे जग का संचालन करने की जिम्मेदारी सौंपी. इसीलिए माना जाता है कि चातुर्मास के दौरान संसार का संचालन भगवान शिव द्वारा किया जाता है और इस समय भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व होता है.
लगभग 70 लाख माताओं-बहनों के खाते में 653 करोड़ 84 लाख रुपए अंतरित
रायपुर / शौर्यपथ / मुख्यमंत्री विष्णु देव साय महतारी वंदन योजना की पांचवीं किश्त सोमवार एक जुलाई को जारी करेंगे। योजना के अंतर्गत लगभग 70 लाख माताओं-बहनों के खाते में मुख्यमंत्री साय 653 करोड़ 84 लाख रुपए अंतरित करेंगे। उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री श्री साय ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की गारंटी के अनुरूप विवाहित माताओं-बहनों को हर महीने महतारी वंदन योजना के अंतर्गत 1000 रूपए देने का संकल्प लिया था। शपथ लेने के तीन महीने के भीतर ही इस महती योजना पर काम शुरू हो गया। प्रशासनिक अमले ने तेजी से सर्वे का काम पूरा करते हुए हितग्राही महिलाओं से फार्म भरवाए और प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 10 मार्च को महतारी वंदन योजना की पहली किश्त जारी की थी। इसके पश्चात नियमित रूप से यह किश्त जारी की जा रही है। नियमित रूप से यह राशि आने की वजह से महिलाएं काफी खुश हैं। कुछ महिलाएं अपने घरेलू बजट को इससे व्यवस्थित कर पा रही हैं, कुछ महिलाएं इस राशि को अपनी बच्चों की पढ़ाई-लिखाई में खर्च कर रही हैं तथा कुछ भविष्य के लिए निवेश कर रही हैं।
महतारी वंदन योजना के क्रियान्वयन में सुशासन के मूल्य स्पष्ट झलकते हैं। डीबीटी के माध्यम से राशि का अंतरण हो रहा है इससे पूरी प्रक्रिया पारदर्शी है। बीते दिनों जनदर्शन में बहुत सी महिलाएं आयी उन्होंने अपने आवेदन दिए साथ ही महतारी वंदन योजना को लेकर अपनी खुशी भी जाहिर की। इन महिलाओं ने मुख्यमंत्री से कहा कि विष्णु का सुशासन हमारे जीवन में बहुत सुख-समृद्धि लेकर आया है। इसके पहले महिलाओं को लेकर इतनी अच्छी योजना हमारे राज्य में क्रियान्वित नहीं की गई थी। इससे हमारे सपने पूरे हो रहे हैं।
सोमवार को जब मुख्यमंत्री पांचवीं किश्त का अंतरण महिलाओं के खाते में करेंगे, तब स्वतः ही महिलाओं के जीवन में कुछ खुशियां और भी जुड़ जाएंगी। मातृ शक्ति को मजबूत कर प्रदेश को विकसित बनाने का जो विजन मुख्यमंत्री ने देखा है, उस विजन की राह में एक मील का पत्थर इस दिन फिर जुड़ जाएगा।
टिप्स ट्रिक्स /शौर्यपथ /स्वच्छ वातावरण बनाने और संक्रमण से बचने का एक तरीका यह है कि आप अपने घर को साफ और पेस्ट फ्री रखें. भारतीय घरों में, छिपकलियां सबसे आम कीट हैं. बच्चों और परिवार के सदस्यों को उनके द्वारा फैलाई जाने वाली किसी भी बीमारी से बचाने के लिए घर से छिपकलियों को हटाना बहुत ज़रूरी है. इसलिए, हमने इस लेख में "छिपकलियों से कैसे छुटकारा पाएं" के कुछ आसान घरेलू उपाय बताएं हैं जिसे आप आजमा सकते हैं.
छिपकली कैसे भगाएं
काली मिर्च का स्प्रे
अगर आप छिपकली को मारने वाले नहीं बनना चाहते हैं तो काली मिर्च का स्प्रे सबसे बढ़िया ऑप्शन है. अगर आप छिपकलियों से छुटकारा पाने के लिए घरेलू उपचार की तलाश कर रहे हैं, तो काली मिर्च स्प्रे का इस्तेमाल कर सकते हैं.
लाल मिर्च पाउडर
काली मिर्च के स्प्रे की जगह लाल मिर्च पाउडर, हॉट सॉस या लाल मिर्च के गुच्छे का इस्तेमाल किया जा सकता है. यह आपकी आंखों में जलन पैदा कर सकता है, इसलिए छिपकलियों से छुटकारा पाने के लिए इसे अंधेरे, खाली कमरे में स्प्रे करें.
लहसुन और प्याज
छिपकलियों को दूर रखने के लिए, अपने घर में कुछ प्याज़ के टुकड़े या कच्चे लहसुन की कलियां रखें. अगर आप उन्हें इधर-उधर नहीं छोड़ना चाहते हैं, तो उन्हें पानी के साथ एक प्लास्टिक की बोतल में डालें और स्प्रे करें.
नेप्थलीन बॉल
आपको नेप्थलीन बॉल को पीसकर एक स्प्रे बॉटल में डालना है फिर, उसमें पानी और 2 चम्मच डिटॉल मिक्स करके पूरे घर के कोनों में छिड़क देना है. इससे छिपकलियां घर से दूर हो जाएंगी.
ब्यूटी टिप्स /शौर्यपथ /फेशियल आपकी त्वचा को निखारने के सबसे अच्छे तरीकों में से एक है, यह आपकी त्वचा को गहराई से साफ करता है और उसे फिर से जीवंत करता है, जिससे आपका सोने की तरह चमकता है. सैलून में कई तरह के फेशियल उपलब्ध हैं, जिनमें से हर एक में ऐसी सामग्री होती है जो अलग-अलग त्वचा संबंधी समस्याओं से निपटती है और आपकी त्वचा को हेल्दी बनाती है. जबकि फ्रूट फेशियल सबसे आम और किफ़ायती हैं, बहुत सी महिलाएं धीरे-धीरे गोल्ड फेशियल का विकल्प चुन रही हैं, क्योंकि इसमें त्वचा को चमकदार बनाने और बुढ़ापे से बचाने वाले गुण होते हैं.
क्या आप जानते हैं कि मिस्र की प्रसिद्ध रानी क्लियोपेट्रा हर रात अपने चेहरे पर सोने का मास्क लगाकर सोती थीं. तब से सोना रोमन और जापानी स्किनकेयर रूटीन का अहम हिस्सा रहा है.
गोल्ड फेशियल आमतौर पर महंगे होते हैं. क्या होगा अगर हम आपको बताएं कि घर पर भी गोल्ड फेशियल किया जा सकता है? बिल्कुल सही! बाजार में आसानी से उपलब्ध गोल्ड फेशियल किट से आप घर पर ही आसानी से फेशियल कर सकते हैं.
हम आपको इसे करने के तरीके के बारे में स्टेप बाय स्टेप बताएंगे.
स्टेप 1
थोड़ी मात्रा में क्लींजर लें और इसे अपनी हथेलियों के बीच रगड़ें, फिर अपने चेहरे और गर्दन पर धीरे से मालिश करें ताकि सारी गंदगी निकल आएं. अब आप गुनगुने पानी से धो लीजिए और थपथपाकर सुखा लें.
स्टेप 2
अगला कदम है अपनी त्वचा को एक्सफोलिएट करना ताकि डेड स्किन सेल्स से छुटकारा पाया जा सके. स्क्रबिंग से ओपन पोर्स को खोलने में मदद मिलती है. स्क्रब को अपनी हथेलियों पर लीजिए. फिर इसे अपने चेहरे और गर्दन पर एक या दो मिनट के लिए सर्कुलर मोशन में घुमाते हुए मालिश करें, फिर गुनगुने पानी से धो लीजिए. अब आप हाथ से थपथपाकर सुखा लीजिए.
स्टेप3
एक्सफोलिएट करने के बाद, आप सीधे मसाज क्रीम लगा सकते हैं या रोमछिद्रों को खोलने के लिए अपने चेहरे पर भाप ले सकते हैं. फेशियल क्रीम से मसाज करने से ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है. इससे फेस पर सोने सा निखार आता है.
स्टेप 4
स्क्रबिंग और मसाज के बाद, आपके गोल्ड फेशियल का मास्किंग स्टेप आपकी त्वचा को आराम करने का समय देगा और त्वचा पर जमी गंदगी को भी हटा देगा. साफ उंगलियों या ब्रश का उपयोग करके, अपने चेहरे और गर्दन पर एक समान परत लगाएं, इसके पूरी तरह सूखने तक इंतजार करें और फिर निर्देशों के अनुसार फेस को क्लीन कर लीजिए.
स्टेप 5
फेशियल के तुरंत बाद त्वचा को पोषण देने और एक सुरक्षात्मक परत बनाने के लिए मॉइस्चराइजर लगाना जरूरी है. मॉइस्चराइज़र आपकी त्वचा को गहराई से साफ करने के बाद गंदगी और बैक्टीरिया को छिद्रों में प्रवेश करने से रोकती है.
सेहत टिप्स /शौर्यपथ / रात का खाना दिन की आखिरी मील होती है और इसलिए यह बहुत महत्व रखता है. आयुर्वेद के अनुसार, रात के खाने को हल्का और सेहतमंद रखने की सलाह दी जाती है. कुछ ऐसे खाद्य पदार्थ भी हैं जिन्हें रात के भोजन में नहीं खाना चाहिए. आज इस आर्टिकल में हम इसी के बारे में बताने वाले हैं. तो चलिए बिना देर किए जानते हैं उन फूड्स की लिस्ट.
रात में क्या न खाएं
दही
ज्यादातर लोगों की आदत होती है कि वे अपने भोजन के साथ एक कटोरी दही खाते हैं. लेकिन रात के खाने में दही खाना सेहत के लिए ठीक नहीं है. इससे वेट बढ़ सकता है.
रिफाइंड आटा
गेहूं की तरह ही रिफाइंड आटा भी भारी होता है और पचाने में बेहद मुश्किल होता है.
मिठाई, चॉकलेट
अगर आपको मिठाई के साथ भोजन खत्म करने की आदत है, तो इसे छोड़ दें!
कच्चा सलाद
सलाद स्वास्थ्य के लिए अच्छा है, लेकिन विशेष रूप से कच्चा सलाद ठंडा और सूखा होता है और वात को कई गुना बढ़ा देता है. रात में हमारी पाचन अग्नि (अग्नि) सबसे कम होती है. बिना पचा हुआ भोजन विषाक्त पदार्थों कारण बन सकता है. यह मोटापा, ब्लड शुगर, त्वचा रोग, आंत संबंधी समस्याएं, हार्मोनल असंतुलन आदि का कारण बन सकता है.
अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.
व्रत त्यौहार /शौर्यपथ /साल की 24 एकादशियों को श्रेष्ठ कहा गया है क्योंकि एकादशी तिथि भगवान विष्णु को समर्पित होती है. आषाढ़ माह की पहली यानी कृष्ण पक्ष की एकादशी को योगिनी एकादशीकहा जाता है. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा के साथ-साथ व्रत किया जाता है. योगिनी एकादशी भगवान विष्णु को इसलिए भी प्रिय है क्योंकि इस एकादशी के बाद भगवान विष्णु शयन करने क्षीर सागर में चले जाते हैं. चलिए जानते हैं कि इस साल यानी 2024 में योगिनी एकादशी किस दिन पड़ रही है और इसकी पूजा का मुहुर्त क्या है.
कब है योगिनी एकादशी
इस साल योगिनी एकादशी 2 जुलाई को पड़ रही है. इसके ठीक बाद भगवान विष्णु चार माह तक आराम करने के लिए चले जाते हैं. इस साल आषाढ़ मास के कृष्णपक्ष की योगिनी एकादशी की तिथि 1 जुलाई को सुबह 10 बजकर 27 मिनट से आरंभ होगी और इसका समापन 2 जुलाई को सुबह 8 बजकर 41 मिनट पर हो रहा है. इस तरह उदया तिथि के अनुसार योगिनी एकादशी का व्रत 2 जुलाई को ही रखा जाएगा. व्रती इस एकादशी के व्रत का पारण 3 जुलाई को सुबह 5 बजकर 27 मिनट से सुबह 7 बजकर 11 मिनट के बीच कर सकते हैं.
योगिनी एकादशी का महत्व
योगिनी एकादशी निर्जला एकादशी के बाद आती है और इसके बाद देवशयनी एकादशी आती है. योगिनी एकादशी के दिन व्रत करने से जातक के सभी पापों का नाश हो जाता है. इस दिन विधि-विधान से भगवान विष्णु की पूजा करने और उनके निमित्त व्रत करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है और सांसारिक दुखों से मुक्ति मिल जाती है. इस दिन भगवान विष्णु को प्रसन्न करने पर मां लक्ष्मी की भी कृपा प्राप्त होती है. इस दिन व्रत करने वाले जातक को सुख, पारिवारिक शांति और सौभाग्य का वरदान मिलता है.
व्रत त्यौहार /शौर्यपथ /ये तो हम सब जानते हैं कि भगवान भोलेनाथ को सावन का महीना बहुत प्रिय होता है. सावन के महीने में भगवान शिव का अभिषेक करना, रुद्राभिषेक करना, जलाभिषेक करना या भगवान भोलेनाथ के लिए केवल व्रत का संकल्प ही लिया जाए तो उससे भी वो बहुत प्रसन्न होते हैं. इसमें भी खासकर सावन सोमवार का विशेष महत्व होता है, ऐसे में सावन सोमवार इस साल कब पड़ रहे हैं इसकी डेट्स क्या है और इस बार कितने सावन पड़ेंगे, आइए हम आपको बताते हैं.
कब होगी सावन की शुरुआत
सावन का पवित्र महीना इस बार 22 जुलाई 2024 सोमवार के दिन शुरू होगा और इसका समापन भी सोमवार 19 अगस्त को ही होगा, जिसे सावन पूर्णिमा कहा जाता है. सावन में इस बार पांच सोमवार पड़ेंगे, आइए हम आपको बताते हैं कि इन पांच सोमवार की तिथि क्या है और आप इस दिन क्या कर सकते हैं.
पहला सावन सोमवार
सावन का पहला सोमवार 22 जुलाई के दिन ही मनाया जाएगा, इस दिन भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए उन्हें दूध, बेलपत्र और धतूरा जरूर चढ़ाएं और इसके बाद शिवलिंग की परिक्रमा करें.
दूसरा सावन सोमवार
सावन का दूसरा सोमवार 29 जुलाई को मनाया जाएगा. इस दिन शिवलिंग पर गंगाजल और कच्चे दूध का अभिषेक करना चाहिए, इससे भगवान भोलेनाथ बहुत प्रसन्न होते हैं.
तीसरा सावन सोमवार
सावन का तीसरा सोमवार 5 अगस्त को पड़ रहा है. सावन के तीसरे सोमवार में आप किसी प्रसिद्ध शिव मंदिर में जा सकते हैं या घर में ही मिट्टी की शिवलिंग बनाकर या अपने घर के शिवलिंग की ही विधि-विधान से पूजा अर्चना करके भोलेनाथ का आशीर्वाद पा सकते हैं.
चौथा सावन सोमवार
सावन का चौथा सोमवार 12 अगस्त के दिन पड़ रहा है. कहते सावन के चौथे सोमवार पर शिवलिंग पर घी अर्पित करना चाहिए, इसके बाद शुद्ध जल या गंगाजल से भगवान शिव का अभिषेक करने से सभी दुखों और कष्टों का नाश होता है.
पांचवा सावन सोमवार
सावन का पांचवा और आखिरी सोमवार 29 अगस्त के दिन मनाया जाएगा. कहते हैं सावन के आखिरी सोमवार के दिन शाम के समय शिवजी और पार्वती जी की आरती करने के साथ ही ओम गौरी शंकराय नमः और ॐ नमः पार्वती पतये नमः मंत्र का जाप 108 बार करना चाहिए.
सेहत टिप्स /शौर्यपथ /क्या आप 9 घंटे दफ़्तर में काम करने के लिए मजबूर हैं? क्या आप आम तौर पर झुककर बैठते हैं? क्या दफ़्तर के एर्गोनॉमिक्स की वजह से आपके कूल्हे और पीठ अजीब तरीके से मुड़ी हुई रहती है? अगर आपने इनमें से किसी भी सवाल का जवाब 'हां' में दिया है, तो आपके कूल्हे शायद आपकी गलत मुद्राओं और आदतों का खामियाजा भुगत रहे हैं. नतीजतन, आपको दर्द, अकड़न, मांसपेशियों में खिंचाव और जकड़न का सामना करना पड़ सकता है. साथ ही, इन पर मोटी चर्बी भी अपनी जगह बना लेती है जिससे पूरे शरीर का शेप खराब हो जाती है.
हिप की चर्बी कम करने के लिए योगासन -
उत्कटासनउत्कटासन के लाभ
उत्कटासन (कुर्सी मुद्रा)
घुटनों और जांघों को टोन करता है.
टखनों और पिंडलियों को टोन करता है.
रीढ़, कूल्हों और छाती की मांसपेशियों को स्ट्रेच करता है.
नटराजासन नटराजासन (नृत्य मुद्रा) के लाभ
गर्दन, पीठ के निचले हिस्से, कूल्हों और यहां तक कि पेट की मांसपेशियों को भी स्ट्रेच और टोन करता है.
रीढ़ की हड्डी को लचीला बनाता है.
पाचन में सहायता करता है.
उष्ट्रासन उष्ट्रासन (ऊंट मुद्रा) करने के फायदे
कूल्हों के लिए यह व्यायाम हिप फ्लेक्सर्स को खोलता है और उनमें खिंचाव पैदा करता है.
जांघों से चर्बी कम करने में मदद करता है.
कंधों और पीठ को खींचता और मजबूत करता है.
रीढ़ की हड्डी के लचीलेपन में सुधार करता है और मुद्रा में भी सुधार करता है.
नौकासन नौकासन (नाव मुद्रा) के फायदे
पेट की चर्बी कम करने में मदद करता है.
पीठ की मांसपेशियों को मजबूत करता है.
पेट की मांसपेशियों को मजबूत करता है.
पैर की मांसपेशियों को मजबूत करता है.
बद्धकोणासन (तितली मुद्रा)
जांघों के अंदरूनी हिस्से को स्ट्रेच करता है.
कमर के क्षेत्र में लचीलापन बढ़ाता है.
कूल्हे के क्षेत्र में लचीलापन बढ़ाता है.
सेहत टिप्स /शौर्यपथ /अमरूद के फल और पत्तियों में विटामिन सी और पोटैशियम सहित पोषक तत्व होते हैं, जो आपके हृदय, पाचन और शरीर की अन्य प्रणालियों को सहायता प्रदान कर सकते हैं. इनके फल अंडाकार आकार के होते हैं. इनका छिलका हल्का हरा या पीला होता है और इनमें खाने योग्य बीज होते हैं. इसके अलावा, अमरूद के पत्तों का उपयोग हर्बल चाय के रूप में किया जाता है. यह फल कई बीमारियों में फायदेमंद होता है. आज इन्हीं के बारे में आपको बताने वाले हैं.अमरूद के पत्ते खाने के फायदे
- अमरूद के फल और पत्तियों में विटामिन सी और पोटैशियम सहित पोषक तत्व होते हैं, जो आपके हृदय, पाचन के लिए रामबाण साबित होते हैं. टाइप 2 मधुमेह वाले 20 लोगों पर किए गए एक अन्य अध्ययन में पाया गया कि अमरूद के पत्तों की चाय पीने से भोजन के बाद रक्त शर्करा का स्तर 10% से अधिक कम हो गया. इस लिहाज से अमरूद के पत्ते खाने के फायदे हैं.
- अमरूद के पत्तों का अर्क मासिक धर्म में होने वाले ऐंठन के दर्द की तीव्रता को कम कर सकता है. दर्दनाक लक्षणों का अनुभव करने वाली 197 महिलाओं पर किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि प्रतिदिन 6 मिलीग्राम अमरूद के पत्तों का अर्क लेने से दर्द की तीव्रता कम हो गई.
- वजन कंट्रोल करने में भी अमरूद के पत्ते बहुत फायदेमंद होता है. इससे आपका मेटाबॉलिज्म मजबूत होता है. यह वेट कंट्रोल करता है. इसको खाने से आयरन की भी कमी दूर होती है. जिन लोगों को खून की कमी है उन्हें इसका सेवन जरूर करना चाहिए. स्किन के लिए भी बहुत बेनेफेशियल होता है. यह कील मुंहासों को भी दूर करता है. यह ग्लो बढ़ाने में भी मदद करता है.
खाना खजाना /शौर्यपथ /नूडल्स का नाम लेते ही मुंह में पानी आ जाता है. छोटे से लेकर बड़े तक को नूडल्स खाना पसंद है. यह एक क्विक एंड इजी डिश है जिसे आप ब्रेकफास्ट, लंच या डिनर किसी भी समय बनाकर खा सकते हैं. नूडल्स की अनगिनत वैराइटी आपको मिल जाएंगी. जैसे,वेज नूडल्स, हक्का नूडल्स और शेजवान नूडल्स आदि. आज हम इस लिस्ट में एड करने के लिए एक अलग नूडल्स की रेसिपी लेकर आए हैं जो आपको जरूर पसंद आएगी. हम बात कर रहे हैं एग फ्राइड नूडल की, इस नूडल रेसिपी में अंडे का ट्विस्ट हैं. तो चलिए बिना किसी देरी के जानते हैं एग फ्राइड नूडल्स बनाने की रेसिपी.
एग फ्राइड नूडल्स उन दिनों के लिए भी एक अच्छा ऑप्शन बन सकती है, जब आप कुछ बनाने के मूड में न हो, या फिर जब आपके पास समय की कमी हो. इतना ही नहीं इस रेसिपी को आप रात की बची हुई एग भुर्जी के साथ भी बना सकते हैं.
कैसे बनाएं एग फ्राइड नूडल्स-
सामग्री-
अंडे
नूडल्स उबली हुई
सोया सॉस
चिली सॉस
रेड चिली सॉस
स्वादानुसार काली मिर्च
स्वादानुसार नमक
तेल जरूरत के मुताबिक
लहसुन बारीक कटा हुआ
शिमला मिर्च
हरी प्याज
प्याज कटा हुआ
विधि-
एग फ्राइड नूडल्स बनाने के लिए सबसे पहले एक पैन में तेल गरम करें. एक बाउल में अंडे तोड़े और इसमें नमक और काली मिर्च डालकर फेंट लें. अब अंडे को पैन में डालकर भुर्जी बना लें और इस कढ़ाही से निकालकर अलग रख लें. फिर पैन को दोबारा गैस पर रखें और इसमें दो बड़े चम्मच तेल डालकर गरम करें. लहसुन डालें और इसे कुछ सेकेंड भूनें, प्याज को कुछ देर भूनें इसके बाद शिमला मिर्च और हरी प्याज डालकर उन्हें भी भून लें. स्वादानुसार नमक भी मिलाएं. उबली हुई नूल्डस को सब्जियों के साथ मिलाएं. सोया सॉस, चिली सॉस, रेड चिली सॉस और सिरका डालें. काली मिर्च छिड़के और सभी चीजों को मिक्स करें. अंडे की भुर्जी डालें और सभी चीजों को मिलाते हुए टॉस करें. आपकी एग फ्राइड नूडल्स तैयार हैं.
खाना खजाना /शौर्यपथ /आड़ू एक स्वादिष्ट फल है. ये गर्मियों के मौसम में आने वाला एक मौसमी फल है जिसे स्वाद और सेहत का भंडार कहा जाता है. अगर आप इस फल का रोजाना सेवन करते हैं तो आपको कई लाभ मिल सकते हैं. क्योंकि आड़ू में विटामिन ए, विटामिन सी, विटामिन ई, विटामिन के, पोटैशियम, मैग्नीशियम, फॉस्फोरस और कैल्शियम जैसे गुण पाए जाते हैं. आड़ू का सेवन कर पाचन को बेहतर रखने में मदद मिल सकती है. जिन लोगों को पाचन संबंधी समस्या है उनके लिए इस फल का सेवन औषधी से कम नहीं है. इतना ही नहीं इस फल में मौजूद गुण ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने में मददगार है. तो चलिए बिना किसी देरी के जानते हैं आड़ू खाने से मिलने वाले लाभ.
किसे खाना चाहिए आड़ू-
1. मोटापा कम करने-
अगर आप वजन को कम करने के लिए रास्ते तलाश रहे हैं तो आप ये फल आपकी मदद कर सकते हैं. आड़ू में कैलोरी की मात्रा कम और फाइबर की मात्रा अधिक होती है जो वजन को कम करने में मददगार है.
2. पाचन- के लिए-
आड़ू में फाइबर की अच्छी मात्रा होती है, जो पाचन को सुधारने और कब्ज की समस्या को दूर करने में मददगार है.
3. स्किन के लिए-
गर्मियों के मौसम में स्किन से जुड़ी समस्याएं काफी देखी जाती हैं. आड़ू में मौजूद विटामिन सी और एंटीऑक्सीडेंट्स स्किन को हेल्दी रखने में मददगार हैं. स्किन को ग्लोइंग बनाने के लिए आप आड़ू का सेवन कर सकते हैं.
4. ब्लड प्रेशर कंट्रोल करने-
अगर आप ब्लड प्रेशर के मरीज हैं तो आपके लिए आड़ू का सेवन फायदेमंद हो सकता है. क्योंकि आड़ू में पोटैशियम होता है जो ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने में मददगार है. आड़ू के सेवन से हार्ट को हेल्दी रखने में भी मदद मिल सकती है.
व्रत त्यौहार /शौर्यपथ /हर माह की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है. यह व्रत भगवान भोलेनाथ को समर्पित होता है और कहते हैं कि प्रदोष व्रत करने से भगवान शिव अपने भक्तों पर कृपा बरसाते हैं, उनके सारे दुख-तकलीफ और कष्टों का निवारण करते हैं. मान्यताओं के अनुसार, प्रदोष व्रत की पूजा सूर्यास्त से 45 मिनट पहले और सूर्यास्त के 45 मिनट बाद तक की जाती है. लेकिन, कहा जाता है कि प्रदोष का व्रत अगर आप कर रहे हैं तो इसकी कथा सुनना बहुत शुभ माना जाता है. मान्यतानुसार अगर प्रदोष व्रत को आप पूर्ण करना चाहते हैं तो इसकी कथा जरूर सुनें, नहीं तो यह व्रत अधूरा माना जाता है.
प्रदोष व्रत की कथा |
स्कंद पुराण के अनुसार, प्राचीन काल में एक विधवा ब्राह्मणी अपने बेटे को लेकर भिक्षा लेने जाती थी और शाम को घर लौट आई थी. एक दिन जब वो भिक्षा लेकर वापस लौट रही थी तो नदी किनारे एक बालक उसे दिखाई दिया. वह बालक विधर्व देश का राजकुमार धर्मगुप्त था. शत्रुओं ने उसके पिता को मारकर उसका राज्य हड़प लिया था और उसकी मां की भी अकाल मृत्यु हो गई थी. ब्राह्मणी ने उस बालक को अपना लिया और उसका पालन पोषण किया. कुछ समय बाद वो ब्राह्मणी अपने दोनों बेटों को लेकर देवयोग से देव मंदिर गई जहां उनकी मुलाकात ऋषि शांडिल्य से हुई. ऋषि शांडिल्य ने उन्हें बताया कि जो बालक उन्हें मिला है वो विदर्भ देश के राजकुमार का पुत्र है. इसके बाद ऋषि शांडिल्य ने ब्राह्मणी को प्रदोष व्रत करने की सलाह दी. फिर घर लौटकर विधवा ब्राह्मणी ने अपने दोनों बेटों के साथ प्रदोष व्रत करना शुरू किया.
एक दिन दोनों पुत्र वन में घूम रहे थे. तभी गंधर्व कन्याएं उन्हें नजर आईं, ब्राह्मण बालक तो घर लौट आया, लेकिन राजकुमार धर्मगुप्त अंशुमती नाम की गंधर्व कन्या से बात करने लगे और दोनों एक-दूसरे पर मोहित हो गए. इसके बाद गंधर्व राजा ने अपनी बेटी का विवाह राजकुमार धर्मगुप्त से करवाया, फिर धर्मगुप्त ने गंधर्व सेवा की मदद से विदर्भ देश पर आधिपत्य हासिल किया. कहा जाता है कि यह सब ब्राह्मणी और राजकुमार धर्मगुप्त के प्रदोष व्रत करने का फल था. इसलिए कहते हैं कि प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की पूजा के बाद अगर इस कथा को पढ़ा या सुना जाए तो 100 जन्मों के पाप और दरिद्रता भी दूर हो जाती है.
अब बात आती है कि प्रदोष व्रत पर पूजा करने के लिए आपको क्या करना चाहिए. तो अगले महीने आषाढ़ माह की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 3 जुलाई को मनाई जाएगी जिसका शुभ मुहूर्त सुबह 7:10 से शुरू होकर 4 जुलाई सुबह 5:54 तक रहेगा. ऐसे में बुधवार के दिन ही प्रदोष व्रत रखा जाएगा, जिसे बुध प्रदोष व्रत कहा जाता है. इस दिन विधि-विधान से भगवान शिव की पूजा अर्चना करनी चाहिए, उन्हें बेलपत्र, अक्षत, दीप, धूप, गंगाजल आदि अर्पित करना चाहिए. मान्यतानुसार पूरे दिन का उपवास करने के बाद सूर्यास्त से कुछ देर पहले स्नान करके सफेद रंग के कपड़े पहनकर भगवान शिव की पूजा और उनके मंत्र ॐ नमः शिवाय का जाप करने से इस व्रत के फल की प्राप्ति होती है.
व्रत त्यौहार /शौर्यपथ /ब्रह्म मुहूर्त यानी कि भगवान का समय, ये समय सूर्योदय से पहले का होता है. सनातन धर्म में ब्रह्म मुहूर्त का समय बहुत विशेष माना जाता है, इसे अक्षय मुहूर्त के नाम से भी जाना जाता है. कहते हैं कि इस समय जो भी पूजा पाठ या काम किया जाता है वो सीधे भगवान तक पहुंचता है और इसका दोगुना फल मिलता है. ऐसे में ब्रह्म मुहूर्त में आपको क्या करना चाहिए और किन मंत्रों का जाप करना चाहिए आइए हम आपको बताते हैं.ब्रह्म मुहूर्त में सबसे पहले क्या करें
ब्रह्म मुहूर्त में सबसे पहले सुबह उठकर स्नान करना चाहिए, कहते हैं ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करके अपने इष्ट देव की पूजा-अर्चना करने से सभी दुख तकलीफ दूर होती हैं.
लक्ष्मी जी के इस मंत्र का करें जाप
कराग्रे वसते लक्ष्मीः करमध्ये सरस्वती, करमूले तु गोविन्दः प्रभाते करदर्शनम, इस मंत्र का उच्चारण करने के लिए अपने हथेलियां को जोड़ें और लक्ष्मी जी के सामने इस मंत्र का उच्चारण आप अपनी सुविधा अनुसार 11, 21 या 108 बार कर सकते हैं.
गायत्री मंत्र
ॐ भूर् भुवः स्वः। तत् सवितुर्वरेण्यं। भर्गो देवस्य धीमहि। धियो यो नः प्रचोदयात् ॥ का उच्चारण सुबह ब्रह्म मुहूर्त में करने से बुद्धि और ज्ञान का विकास होता है और आपको सफलता मिलती है.
महामृत्युंजय मंत्र
सुबह ब्रह्म मुहूर्त में सबसे पहले ॐ हौं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान्मृ त्योर्मुक्षीय मामृतात् ॐ स्वः भुवः भूः ॐ सः जूं हौं ॐ। ॐ जूं स माम् पालय पालय स: जूं ॐ, महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने से सभी कष्टों का निवारण होता है और महादेव भक्तों पर असीम कृपा बरसाते हैं.
ऊँ लक्ष्मी नमः
ब्रह्म मुहूर्त में सुबह केवल इस मंत्र का जाप करने से मां लक्ष्मी बहुत प्रसन्न होती हैं और आपके घर में जो भी धन संबंधी समस्या आ रही है, वह भी दूर होती है.
ऊँ का जाप
ऊँ शब्द अपने आप में ही इतना पावरफुल होता है कि अगर केवल आप ऊँ का जाप भी करेंगे तो इससे आपको पूरे दिन एनर्जी मिलेगी और आप अपना काम आसानी से कर पाएंगे.