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व्रत त्यौहार /शौर्यपथ /हिंदू कैलेंडर के अनुसार, हर चंद्र महीने में 2 चतुर्थी तिथि होती हैं. एक पूर्णिमा को कृष्ण पक्ष में आती है जिसे संकष्टी चतुर्थी के नाम से जाना जाता है, जबकि दूसरी अमावस्या के बाद शुक्ल पक्ष में आती है, जिसे विनायक चतुर्थी के नाम से जाना जाता है. साल में 12 संकष्टी चतुर्थी व्रत होते हैं और कृष्णपिंगला संकष्टी चतुर्थी उनमें से एक है. हर महीने में भगवान गणेश के अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है.
कृष्णपिंगला संकष्टी चतुर्थी 2024 की तिथि और समय
पंचांग के अनुसार, आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि की शुरुआत 25 जून को देर रात 01 बजकर 23 मिनट पर होगी. वहीं, इसका समापन 25 जून को रात 11 बजकर 10 मिनट पर होगा. ऐसे में 25 जून को कृष्णपिंगला संकष्टी चतुर्थी का पर्व मनाया जाएगा.
कृष्णपिंगला संकष्टी चतुर्थी 2024 गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में अमावस्यांत कैलेंडर के अनुसार ज्येष्ठ माह में आती है. उत्तर भारतीय हिंदू कैलेंडर के अनुसार, यह आषाढ़ महीने में आती है. ऐसा माना जाता है कि भगवान गणेश ने कृष्णपिंगला संकष्टी चतुर्थी पर अपने सभी भक्तों के लिए पृथ्वी पर अपनी उपस्थिति दी थी.
कृष्णपिंगला संकष्टी चतुर्थी महत्व
प्रत्येक महीने भगवान गणेश की पूजा एक अलग नाम और पीठ के साथ की जाती है. पौराणिक कथाओं के अनुसार यह वह दिन है जब भगवान शिव ने भगवान गणेश को सर्वोच्च देवता घोषित किया था. कृष्णपिंगला संकष्टी चतुर्थी का व्रत करने से भक्तों को जीवन में आने वाली हर समस्या से दूर रखा जाता है और सभी दोषों और बुराइयों से मुक्ति मिलती है. इसके अलावा, यह एक ऐसा दिन है जो सभी कठिनाइयों और बाधाओं को दूर करता है और भक्तों को स्वास्थ्य, धन और समृद्धि प्रदान करता है.
कृष्णपिंगला संकष्टी चतुर्थी की पूजा विधि
कृष्णपिंगला संकष्टी चतुर्थी 2024 पर, चंद्रमा को देखने का विशेष महत्व है, श्रद्धालु सुबह जल्दी उठते हैं, स्नान करते हैं और दिन भर भगवान गणेश की पूजा करते हैं. कई श्रद्धालु कृष्णपिंगला संकष्टी चतुर्थी का व्रत करते हैं, जिसमें उन्हें फल और दूध से बने उत्पाद खाना होता है.
भगवान गणेश की मूर्ति को दूर्वा घास और फूलों से सजाया जाता है. भगवान गणेश के वैदिक मंत्रों का जाप करना चाहिए. शाम को, चंद्रमा को समर्पित संकष्टी पूजा की जाती है. इस दिन भगवान गणेश का पसंदीदा भोजन जैसे मोदक शामिल होता है तैयार किया जाता है. इस दिन गणेश आरती के बाद, सभी भक्तों के बीच प्रसाद वितरित किया जाता है.
ब्यूटी टिप्स /शौर्यपथ /एजिंग, जेनेटिक्स, खानपान में पोषक तत्वों की कमी, कोई मेडिकल कंडीशन या गलत स्किन केयर प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल आंखों के नीचे काले घेरे पड़ने की वजह बन सकता है. इन काले घेरों के कारण चेहरे और आंखों की रंगत एकदम अलग नजर आती है. कई बार तो लोग खुद आ-आकर पूछने लगते हैं कि क्या दिक्कत है. ऐसे में अगर आप भी इन काले घेरों या डार्क सर्कल्स से परेशान हैं तो यहां जानिए इनसे किस तरह छुटकारा पाया जा सकता है. घर की ही कुछ चीजें डार्क सर्कल्स को हल्का करने में असर दिखाती हैं.
डार्क सर्कल्स के घरेलू उपाय |
खीरे का रस - खीरा एंटी-ऑक्सीडेंट्स का पावरहाउस होता है. खीरे से त्वचा को विटामिन सी, विटामिन के और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण भी मिलते हैं जो त्वचा के लिए फायदेमंद होते हैं. आप खीरे के स्लाइसेस को आंखों पर लगाकर रख सकते हैं या फिर खीरे के रस को आंखों के नीचे 10 से 20 मिनट लगाकर रखने के बाद धोकर हटा लें.
बादाम का तेल - विटामिन ई से भरपूर बादाम के तेल से डार्क सर्कल्स कम हो सकते हैं. रात में सोने से पहले डार्क सर्कल्स पर बादाम का तेल लगाएं और अगली सुबह उठकर चेहरा धो लें.
आलू - ब्लीचिंग गुणों से भरपूर आलू के रस से स्किन को विटामिन ए, विटामिन सी और फायदेमंद एंजाइम्स मिलते हैं. आलू को घिसकर निचोड़ें और कटोरी में रस निकालकर अलग रख लें. आलू के रस को आंखों के नीचे पड़े काले घेरों पर 10 से 15 मिनट लगाएं और फिर धोकर हटा लें. रोजाना दिन में 2 बार आलू के रस के इस्तेमाल से डार्क सर्कल्स कम होने लगते हैं.
टमाटर - लाल टमाटर भी नेचुरल ब्लीचिंग गुणों से भरपूर होता है. इसमें एंटी-ऑक्सीडेंट लाइकोपीन होता है जो अंडर आई डार्क सर्कल्स को कम करता है. इसमें विटामिन ए, बी और सी के साथ ही सल्फर और कैल्शियम जैसे खनिज होते हैं जो डार्क सर्कल्स कम करते हैं. डार्क सर्कल्स पर 10 मिनट टमाटर का रस लगाने पर डार्क सर्कल्स पर असर पड़ता है.
ठंडा दूध - डार्क सर्कल्स दूर करने का एक और आसान नुस्खा है, ठंडा दूध. दूध में पाए जाने वाले गुण इसे एक अच्छा क्लेंजर बनाते हैं. दूध को रूई में लेकर डार्क सर्कल्स पर 15 मिनट लगाए रखें और फिर धो लें.
एलोवेरा जैल - डार्क सर्कल्स को कम करने में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों से भरपूरर एलोवेरा जैल का भी कमाल का असर दिखता है. एलोवेरा से स्किन को सूदिंग इफेक्ट्स भी मिलते हैं.
टिप्स ट्रिक्स /शौर्यपथ /हर साल जून के तीसरे रविवार को फादर्स डे मनाया जाता है. इस दिन बच्चों की यही कोशिश रहती है कि वे किसी तरह पापा के चेहरे पर मुस्कुराहट ले आएं या उन्हें उपहार में कुछ ऐसा दें जिसे पाकर पापा खुश हो जाएं. अगर मम्मी को कुछ गिफ्ट में देना हो तो इतनी मुश्किल नहीं आती लेकिन जब पापा को गिफ्ट देने की बात होती है तो अक्सर हवाइयां उड़ जाती हैं. समझ ही नहीं आता कि पापा को ऐसा क्या दिया जाए जो उन्हें अच्छा लगेगा. मगर आपको चिंता करने की जरूरत नहीं है क्योंकि यहां कुछ ऐसे गिफ्ट आइडियाज दिए गए हैं जो फादर्स डे के मौके पर पापा को जरूर पसंद आएंगे.
फादर्स डे गिफ्ट आइडियाज |
फूट मसाजर - पापा को गिफ्ट में फूट मसाजर दिया जा सकता है. यह फूट मसाजर लकड़ी का होता है जिसपर रोलर्स लगे होते हैं. पापा को बस इसपर पैरों को रखकर बैठना होगा या फिर पैरों को आगे-पीछे करना होगा. इस फूट मसाजर से पैरों के पॉइंट्स पर असर होगा और पैर ही नहीं बल्कि शरीर के अलग-अलग हिस्सों को इसका फायदा मिलेगा.
मल्टी पर्पल टूल - अगर आपके पापा को भी घर की चीजों को तोड़ने-जोड़ने का शौक है या वो भी जबतब किसी चीज को ठीक करने बैठ जाते हैं तो यह टूल उनके लिए बेहद अच्छा है. मल्टी पर्पस टूल स्क्रूड्राइवर, बॉटल ओपनर, बॉक्स कटर और रूलर की तरह काम करता है. पापा चाहें तो इसे अपने साथ कैरी करके भी घूम सकते हैं.
हीटिंग पैड - बढ़ती उम्र के साथ स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतें होना भी आम हो जाता है. अगर आपके पापा को भी हाथ-पैरों या फिर कंधे और कमर में दर्द रहता है तो हीटिंग पैड पापा के बहुत काम आएगा. आप अपने बजट के अनुसार हीटिंग पैड ले सकते हैं.
ब्लूटूथ स्पीकर्स - पापा के पुराने गाने के शौक को बढ़ावा देते हुए आप उन्हें ब्लूटूथ स्पीकर्स गिफ्ट में दे सकते हैं. ब्लूटूथ स्पीकर्स पर वे अपने पसंद के गाने जब चाहे तब सुन पाएंगे. अगर पापा टेक्नोलॉजी कम समझते हैं तब भी ब्लूटूथ स्पीकर को बिना दिक्कत के चला पाएंगे. इसे आमतौर पर एक बटन से ऑन और ऑफ ही करना होता है.
जूते - पापा के पास चाहे शर्ट या पैंट्स कितने ही मिल जाएं लेकिन जूते कम ही होते हैं. ऐसे में पापा को जूते गिफ्ट में दिए जा सकते हैं. जूते आप ऑनलाइन या ऑफलाइन ले सकते हैं या फिर पापा को गिफ्ट कार्ड भी दिया जा सकता है जिससे वे अपनी पसंद का गिफ्ट खरीद सकें.
लाइफस्टाइल /शौर्यपथ /खराब लाइफस्टाइल और खानपान की वजह से अमूमन लोगों को कब्ज की समस्या हो रही है. कब्ज की वजह से पेट सही से साफ नहीं होता है. जिस वजह से पेट में दर्द, फूलना और ऐंठन सी रहती है. जो आपके पूरे दिन को खराब कर देता है. ऐसे में जरूरी है कि आप ऐसी चीजों का सेवन करें जो कब्ज को दूर करने में मदद कर सके. पपीते का सेवन पेट के लिए बेहद फायदेमंद माना जाता है. इसका सेवन बेहद लाभदायक होता है. अगर आप पपीता के साथ चिया सीड्स मिलाकर सेवन करेंगे तो पुराने से पुराने कब्ज से मुक्ति मिल सकती है. आइए जानते हैं पपीते के साथ चिया सीड्स का सेवन करने से होने वाले फायदे.
कब्ज में पपीता और चिया सीड्स खाने के फायदे
पपीते का सेवन पेट को साफ करने में मदद करता है. वही चिया सीड्स भी कम फायदेमंद नहीं है. आपको बता दें चिया सीड्स एक जैल जैसा कंपाउंड बनाता है जो लैक्सेटिव की तरह काम करता है और पेट को सही से साफ करने में मदद करता है. इन दोनों में ही फाइबर भरपूर मात्रा में पाया जाता है.जो सेहत के लिए फायदेमंद है.
पपीते के साथ कैसे करें चिया सीड्स का सेवन
इसका सेवन करने के लिए रात को पानी में चिया सीड्स को भिगोकर रख दें. सुबह पपीते को काटकर उसमें चिया सीड्स मिलाएं और इसका सेवन करें. ये दोनों चीजें मेटाबोलिज्म को तेज करता है। इससे आपका खाना सही से पचता है, पेट साफ होता है और आप कई बीमारियों से बच रह सकते हैं.
किस समय करें सेवन
सुबह का समय नाश्ते में इसका सेवन करना सबसे ज्यादा फायदेमंद होता है.
सेहत टिप्स /शौर्यपथ /आपके किचन में पाया जाने वाला काले नमक का इस्तेमाल हम कई चीजों में करते हैं. रायता बनाने से लेकर कई लोग सलाद में भी काला नमक डालकर खाना पसंद करते हैं. इसके अलावा शिंकजी और नींबू पानी बनाने में भी काले नमक का यूज किया जाता है. क्या आपको पता है कि काला नमक न सिर्फ खाने का स्वाद बढ़ाने में मदद करता है बल्कि सेहत के लिए भी बेहत फायदेमंद होता है. आपको जानकर हैरानी होगी कि ये कई मर्ज की दवा भी है. तो आइए जानते हैं काला नमक को पानी में मिलाकर इसे पीने के फायदे.
काला नमक का पानी पीने के फायदे
गर्मियों में काले नमक के पानी का सेवन फायदेमंद होता है. दरअसल काले नमक की तासीर ठंडी होती है जो आपके पेट को ठंडा रखने में मदद करती है.
काले नमक में लैक्सटेसिव गुण पाए जाते हैं जो हमारे मेटाबोलिक रेट को भी बढ़ाने में मदद करता है.
काले नमक के पानी के सेवन आपके लिवर को डिटॉक्सीफाई करने में भी मदद कर सकता है. इसके साथ ही ये लिवर फंक्शनिंग को भी तेज करने में मदद करता है.
काले नमक के पानी के सावन आपके शरीर के अंदर जमा गंदगी को भी बाहर निकालने में मदद करता है.
काले नमक का पानी पीने से आपका शरीर अंदर से डिटॉक्सीफाई होता है जिसका असर स्किन पर भी साफ दिखता है. स्किन अंदर से खिली-खिली और साफ नजर आती है.
रोजाना काले नमक के पानी का सेवन कब्ज की समस्या से भी राहत दिलाने में मदद कर सकता है.
सेहत टिप्स /शौर्यपथ /ट्रैवलिंग और ऑफिस के लिए हम जब भी खाना पैक करते हैं तो रोटियां रखने के लिए एल्युमिनियम फॉयल या बटर पेपर का यूज करते हैं. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इन चीजों में रोटी को रखना आपकी सेहत पर क्या असर डालता होगा? हम इन चीजों में खाना इसलिए पैक करते हैं ताकि वो फ्रेश और गरम रह सके. लेकिन क्या फूड पैकिंग पेपर सेहत के लिए ठीक है?
एल्युमिनियम फॉयल
एल्युमिनियम फॉयल में खाना पैक करने को लेकर हाल ही में एक रिसर्च सामने आई है.'इंटरनेशनल जर्नल ऑफ इलेक्ट्रोकेमिकल साइंस एल्युमिनियम फॉयल' के मुताबिक एल्युमिनियम फॉयल सेहत के लिए नुकसानदायक होता है. यह खाने के कणों को ऑक्सीडाइज करता है. जो बीमारियों की वजह भी बन सकते हैं. अब सवाल यह उठता है कि दोनों में से ज्यादा अच्छा कौन होता है?
बटर पेपर या एल्युमिनियम फॉयल
बटर पेपर को रैपिंग पेपर या सैंडविच पेपर के नाम से भी जाना जाता है. यह एल्युमिनियम फॉयल से ज्यादा अच्छा होता है. बटर पेपर एक नॉन-स्टिक पेपर की तरह होता है जो सेल्युलोज से बना पेपर होता है. ये खाने को नम होने से रोकता है और एक्सट्रा ऑयल भी सोख लेता है. इसलिए इसे सेहत के लिए ज्यादा फायदेमंद माना जाता है.
शौर्यपथ /कई भारतीयों के लिए, गर्मी का मौसम आम और आम से बने व्यंजनों का पर्याय है. देश में ये फल कई किस्मों में पाए जाते हैं और ये सभी के फेवरेट होते हैं. आप आम से बनी कई मीठी और नमकीन रेसिपी भी खाते होंगे. हाल ही में, भारत के आम के व्यंजनों को वैश्विक मंच पर पहचान मिली. गाइड की जून 2024 की रैंकिंग के अनुसार, उनमें से दो को टेस्ट एटलस की 'आम के साथ 10 सर्वश्रेष्ठ व्यंजन' की लिस्ट में शामिल किया गया था.
इस लिस्ट में सबसे ऊपर कोई और नहीं बल्कि स्वादिष्ट आमरस है. आम से बनी यह डिश भारत के पश्चिमी राज्यों जैसे महाराष्ट्र और गुजरात में विशेष रूप से प्रसिद्ध है. आमरस हल्का मीठा आम का गूदा है, जिसे अक्सर पूरियों के साथ सर्व किया जाता है. टेस्ट एटलस लिखता है, "कभी-कभी इसे केसर, सूखी अदरक या इलायची डालकर और भी स्वादिष्ट बनाया जाता है, लेकिन इसकी सादगी के कारण इसमें बदलाव करने की गुंजाइश होती है."
टेस्ट एटलस ने अपनी ऑफिशियल साइट पर बताया, भारतीय आम की चटनी को लिस्ट में 5वां स्थान मिला है. जैसा कि नाम से पता चलता है, इस डिश का बेसिक इंग्रीडिएंट आम है. "दूसरी सामग्रियों में अदरक, लहसुन, लाल मिर्च, जीरा, धनिया, हल्दी, लौंग, दालचीनी, इलायची, ब्राउन शुगर और सिरका शामिल हैं. विभिन्न अतिरिक्त सामग्री के साथ बनाई गई आम की चटनी की कई किस्में हैं,"
व्रत त्यौहार /शौर्यपथ /देश ही नहीं बल्कि विदेशों से लोग ओडिशा के पुरी जगन्नाथ मंदिर के दर्शन करने आते हैं. यह सुप्रसिद्ध मंदिर चार धामों में से एक है और हिंदू धर्म में इसका विशेष स्थान है. इस मंदिर का निर्माण गंग वंश के राजा अनंतवर्मन चोडगंग ने 12वीं शताब्दी में करवाया था. माना जाता है कि राजा को अपने सपने में भगवान जगन्नाथ के दर्शन हुए थे. इस मंदिर पर कई हमले हुए हैं जिस दौरान मंदिर को बुरी तरह लूटा गया था. इन हमलों के बाद भी मंदिर की मूर्तियों को बचाए रखा गया. हमलों के चलते ही मंदिर पर कई प्रतिबंध लगाए गए थे. वर्तमान की बात करें तो ओडिशा सरकार ने पुरी जगन्नाथ मंदिर के चारों द्वार एकबार फिर खोलने का निर्णय लिया है. पुरी के जगन्नाथ मंदिर में भगवान जगन्नाथ के साथ ही उनके भाई बालभद्र और बहन सुभद्रा की काठ यानी लकड़ियों की मूर्तियां हैं. लकड़ी की मूर्तियों वाले इस अनोखे मंदिर की और भी कई विशेषताएं हैं और खूबियां हैं जो आज भी रहस्यमयी बनी हुई हैं.
जगन्नाथ मंदिर के रहस्य
मान्यतानुसार भगवान कृष्ण ने अपनी देह का त्याग इसी मंदिर में किया था और शरीर के एक हिस्से को छोड़कर उनकी पूरी देह पंचतत्व में विलीन हो गए. यह हिस्सा उनका हृदय था. माना जाता है कि मंदिर में रखे श्रीकृष्ण के लकड़ी के देह में आज भी वह हृदय धड़क रहा है.
मंदिर में जाने वाले भक्तों का कहना है कि मंदिर के सिंहद्वार में जाने पर जबतक अंदर कदम नहीं जाते तो समुद्र की लहरों की आवाज आती है. लेकिन, जैसे ही कदम सिंहद्वार में पड़ते हैं वैसे ही लहरों की आवाज रुक जाती है.
जगन्नाथ मंदिर के शीर्ष पर जो झंडा लगा है कहते हैं कि वह झंडा हवा की विपरीत दिशा में उड़ता है. माना जाता है कि इस मंदिर का झंडा रोजाना बदला जाता है और अगर किसी दिन झंडा नहीं बदला गया तो मंदिर 18 सालों के लिए बंद कर दिया जाएगा
इस मंदिर की रसोई से भी एक रहस्य जुड़ा है. यहां जो प्रसाद बनता है वो सात मिट्टी के बर्तनों में बनाया जाता है और सातों बर्तनों को एक के ऊपर एक रखा जाता है. हैरानी की बात कही जाती है कि सबसे पहले प्रसाद सातवें बर्तन में तैयार होता है और उसके बाद छठे, पांचवे, चौथे, तीसरे, दूसरे और फिर पहले में प्रसाद पककर तैयार होता है.
कहते हैं कि मूर्तियों के अंदर ब्रह्म पदार्थ है जिसे नई मूर्तियों में डाला जाता है. मंदिर की मूर्तियों को हर 12 साल में बदला जाता है और इस दौरान बिजली काट दी जाती है. कोई नहीं जानता कि यह ब्रह्म पदार्थ क्या है.
जगन्नाथ मंदिर में केवल सनातनी हिंदू ही आ सकते हैं. इसी मानिंद पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को भी मंदिर में आने की इजाजत नहीं दी गई थी.
आस्था /शौर्यपथ /हिंदू धर्म में एकादशी की तिथि बहुत शुभ मानी जाती है. एकादशी की तिथि भगवान विष्णु को समर्पित है. वर्ष भर के एकादशी व्रतों में ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष को आने वाली निर्जला एकादशी को सबसे कठिन व्रत माना जाता है. यह व्रत बगैर जल ग्रहण किए रखा जाता है इसलिए निर्जला एकादशी कहलाता है. जून में 18 तारीख को निर्जला एकादशी का व्रत रखा जाएगा और इस दिन कई खास योग बन रहे हैं. ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी का भीमसेनी एकादशी और ग्यारस भी कहा जाता है. मान्यता है कि इस एकादशी पर व्रत रखकर विधि-विधान से भगवान विष्णु की पूजा करने से सुख-संपदा का आशीर्वाद प्राप्त होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है. निर्जला एकादशी का व्रत रखने पर कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी होता है. नियमों का ध्यान नहीं रखने से व्रत का फल प्राप्त नहीं होता है और निर्धनता के चक्र में फंसने का भय होता है. आइए जानते हैं निर्जला एकादशी पर किन बातों का रखना चाहिए ध्यान.
निर्जला एकादशी पर शुभ योग
निर्जला एकादशी पर कई योग बन रहे हैं. पूरे दिन शिव योग रहेगा और रात में 9 बजकर 38 मिनट पर समाप्त होगा. इसके बाद सिद्ध योग रहेगा और दोपहर 3 बजकर 56 मिनट से लेकर अगले दिन 5 बजकर 24 मिनट तक त्रिपुष्कर योग है.
दान जरूरी - निर्जला एकादशी के दिन दान का बहुत महत्व है. इस दिन गोदान, जल दान, छाता दान के साथ-साथ जूता चप्पल के दान से शुभ फलों की प्राप्ति होती है. पानी के घड़े का भी दान किया जा सकता है. व्रत रखने के बाद दान नहीं करने की भूल न करें.
पीपल को जल - निर्जला एकादशी के दिन के दिन पीपल के पेड़ की पूजा और जल चढ़ाना शुभ माना जाता है. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा के बाद पीपल के पेड़ की पूजा करें और उसे जल जरूर चढ़ाएं.
व्रत कथा - निर्जला एकादशी का व्रत रखने वालों को व्रत कथा जरूर सुननी चाहिए. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा के बाद एकादशी व्रत कथा का पाठ करें.
निर्जला एकादशी के दिन यह न करें
निर्जला एकादशी के दिन चावल और नमक खाना वर्जित माना जाता है. इस दिन भूलकर भी चावल और नमक का सेवन न करें. एकादशी के व्रत के दिन तुलसी को स्पर्श नहीं करना चाहिए. इस दिन तामसिक भोजन और शराब से दूर रहना चाहिए. इस दिन जमीन पर सोना चाहिए और झाड़ू नहीं लगाना चाहिए. एकादशी के दिन बाल कटवाना सही नहीं माना जाता है.
व्रत त्यौहार /शौर्यपथ /हिंदू धर्म में आदिशक्ति माता दुर्गा की पूजा-अर्चना का विशेष महत्व है. हर माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मासिक दुर्गाष्टमी का व्रत रखकर विधि-विधान से माता की पूजा अर्चना की जाती है. जून माह की 14 तारीख को ज्येष्ठ दुर्गा अष्टमी का व्रत रखा जाएगा. ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि 13 जून रात 9 बजकर 33 मिनट पर शुरू होगी और 15 जून को देररात 12 बजकर 3 मिनट तक रहेगी. ऐले में मासिक दुर्गाष्टमी का व्रत 14 जून को रखा जाएगा. मान्यता है कि दुर्गाष्टमी का व्रत रखने से भक्तों के सभी प्रकार के कष्ट, भय, रोग और संकट समाप्त हो जाते हैं और सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. माना जाता है कि दुर्गाष्टमी के दिन कुछ खास चीजों का भोग लगाने से माता अति प्रसन्न होती हैं और भक्तों को मनचाहा वरदान देती है. आइए जानते हैं दुर्गाष्टमी के दिन माता रानी को किन चीजों का भोग लगाना शुभ होता है.
मासिक दुर्गाष्टमी पर माता को लगाएं इन चीजों का भोग
खीर का भोग - मासिक दुर्गाष्टमी के दिन माता की विधि-विधान से पूजा-अर्चना करें और उन्हें खीर का भोग लगाएं. भोग लगाने के लिए खीर को सबसे उत्तम माना जाता है और खीर का भोग लगाने से माता रानी प्रसन्न होकर भक्तों पर असीम कृपा करती हैं.
पंचामृत और शक्कर का भोग - मासिक दुर्गाष्टमी के दिन माता मां दुर्गा को पंचामृत और शक्कर का भोग लगाया जा सकता है. कहते हैं देवी-देवताओं को पंचामृत और शक्कर का भोग लगाने से दीर्घायु का वरदान प्राप्त होता है.
केले का भोग - दुर्गाष्टमी को माता रानी की पूजा के बाद उन्हें केले का भोग लगाना चाहिए. केले का भोग लगाने से माता की कृपा से बुद्धि के विकास का वरदान प्राप्त होता है जिससे मनचाहा करियर बनाने में मदद मिलती है.
दूध से बनी मिठाइयों का भोग - दुर्गाष्टमी को माता रानी की दूध से बनी मिठाइयों का भोग लगाना चाहिए. माना जाता है दूध से बनी मिठाइयों से माता को भाग लगाने से धन की प्राप्ति का आशीर्वाद प्राप्त होता है.
सेहत टिप्स /शौर्यपथ /केला एक ऐसा फल है जिसे सेहत के लिए बेहद फायदेमंद माना जाता है. लेकिन जब सुबह नाश्ते में इसे खाने की बात आती है तो ये सवाल उठता है कि इसे कैसे खाया जाए. आपको बता दें कि खाली पेट दूध के साथ केले का सेवन सेहत के लिए बेहद फायदेमंद माना जाता है. दूध और केले में मौजूद गुण शरीर को कई लाभ पहुंचाते हैं. केले में पोटैशियम, विटामिन बी 6 और विटामिन सी जैसे गुण पाए जाते हैं तो वहीं दूध में कैल्शियम, मैग्नीशियम, फास्फोरस, पोटैशियम, सेलेनियम और जिंक जैसे तमाम गुण पाए जाते हैं. जब इन दोनों का साथ में सेवन किया जाता है तो शरीर को कई समस्याओं से बचाने में मदद मिल सकती है. ब्रेकफास्ट में इसे लेने से दिनभर एनर्जेटिक रहने में मदद मिल सकती है. तो चलिए जानते हैं दूध और केला खाने के फायदे.
दूध और केला खाने के फायदे-
1. वजन बढ़ाने-
अगर आप वजन को बढ़ाना चाहते हैं तो दूध और केला आपकी मदद कर सकता है. दूध और केले का कॉम्बिनेशन कैलोरी से भरपूर होता है, जो वजन बढ़ा सकता है.
2. मेटाबॉलिज्म-
प्रोटीन और कॉम्प्लेक्स से भरपूर दूध और केला मेटाबॉलिज्म बूस्ट करने में मदद कर सकता है. आप इसका सेवन सुबह के समय कर सकते हैं.
3. बीपी-
दूध और केले का कॉम्बिनेशन पोटैशियम से भरपूर होता है, इसलिए यह बीपी रोगियों के लिए लाभकारी हो सकता है. लो बीपी के मरीज इसका सेवन कर सकते हैं.
4. हड्डियों-
दूध और केला कैल्शियम और प्रोटीन से भरपूर होता है जो हड्डियों को मजबूत बनाने में मददगार है. कमजोर हड्डियों की समस्या से परेशान हैं तो आप केले और दूध का सेवन कर सकते हैं.
5. पाचन-
दूध और केला खाने से पाचन को बेहतर रखने में मदद मिल सकती है. अगर आपको पेट संबंधी समस्याएं हैं तो आप दूध और केले का सेवन कर सकते हैं.
व्रत त्यौहार /शौर्यपथ /प्रत्येक माह की एकादशी तिथि जगत के पालनकर्ता भगवान विष्णु की पूजा का दिन होता है. मान्यता है कि इस तिथि को व्रत रखकर विधि-विधान से पूजा अर्चना करने से भगवान विष्णु सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं. ज्येष्ठ माह में के शुक्ल पक्ष की एकादशी को निर्जला एकादशी कहते हैं. निर्जला एकादशी को एकादशी व्रतों में विशेष माना जाता है. ऐसे में आइए जानते हैं कब है निर्जला एकादशीऔर व्रत कथा
18 जून को निर्जला एकादशी -
ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी की तिथि जून माह के 17 तारीख को प्रात: 4 बजकर 43 मिनट से शुरू हो जाएगी और अगले दिन 18 जून को सुबह 6 बजकर 24 मिनट तक रहेगी. उदया तिथि की वजह से 18 जून मंगलवार को निर्जला एकादशी मनाया जाएगा.
निर्जला एकादशी को ऐसे करें पूजा -
व्रत के दिन प्रात: काल उठकर भगवान विष्णु का स्मरण कर निर्जला एकादशी के व्रत संकल्प करें. स्नान के बाद भगवान विष्णु को प्रिय रंग यानी पीले रंग के कपड़े पहने. मंदिर व पूजा घर की अच्छे से सफाई करें पूजा की चौकी पर पीले रंग का वस्त्र बिछाकर भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी को स्थापित करें और विधि-विधान से पूजा करें. भगवान विष्णु के उनके प्रिय पीले रंग के फूल चढ़ाएं. इसके बाद फल, हल्दी, चंदन, अक्षत चढ़ाएं और खीर को भोग लगाएं. विष्णु चालीसा का पाठ करें. व्रत करने वालों को भोजन और वस्त्र का दान करना चाहिए.
निर्जला एकादशी की व्रत कथा -
पांडव भाइयों में भीम विशेष रूप से भोजन प्रेमी थे. एक बार उन्होंने वेद व्यास से कहा कि उनके सभी भाई और माता एकादशी का व्रत रखते हैं लेकिन उनके लिए माह में दो दिन व्रत रखना बहुत कठिन है. उन्होंने पूछा कि कोई एक व्रत नहीं है जिसे साल में एक बार रखने से ही स्वर्ग की प्राप्ति हो जाए. व्यास जी ने बताया कि ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को बगैर जल ग्रहण किए एकादशी का व्रत रखने और अगले दिन ब्राह्मणों को भोजन कराने और दान देने से मोक्ष की प्राप्ति होती है. इसके बाद भीम निर्जला एकादशी का व्रत करने लगे. इसीलिए निर्जला एकादशी को भीमसेनी या पांडव एकादशी भी कहा जाता है.
व्रत त्यौहार /शौर्यपथ /हर माह शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष को विनायक चतुर्थी मनाई जाती है. ऐसी मान्यता है कि विघ्नहर्ता भगवान गणेश की इस दिन पूजा अर्चना करने से सारे परेशानियां दूर होती हैं. ऐसे में जून के महीने में यह महत्वपूर्ण व्रत किस दिन रखा जाएगा 9 या 10 जून को, इसको लेकर लोगों में बहुत कंफ्यूजन हैं. तो आपको बता दें दृक पंचांग के अनुसार, 9 जून 2024 को दोपहर 3 बजकर 44 मिनट से विनायक चतुर्थी शुरू होगी जो अगले दिन यानी 10 जून 2024 को शाम 4 बजकर 14 मिनट पर समाप्त होगी. उदयातिथि पड़ने के कारण 10 जून 2024 को चतुर्थी का व्रत रखा जाएगा. वहीं पूजा विधि और शुभ मुहूर्त आपको आगे आर्टिकल में बताया जा रहा है.
विनायक चतुर्थी शुभ मुहूर्त -
पूजा का मुहूर्त - इस दिन यानी 10 जून 2024 को सुबह 10 बजकर 26 मिनट से लेकर 1 बजकर 6 मिनट तक है. वहीं, चंद्रोदय का समय 08 बजकर 40 मिनट है. ऐसे में रात 10 बजकर 54 मिनट तक चंद्रदेव को अर्घ्य देने का समय है.
गणेश पूजा विधि -
हर प्रकार की पूजा की तरह इस पूजन के लिए भी सुबह स्नान ध्यान कर मन और तन दोनों को शुद्ध करें. साफ वस्त्र पहन भगवान गणेश की प्रार्थना करें.भगवान गजानन को तिलक लगाने के बाद, वस्त्र, धूप, दीप, दूर्वा कुमकुम, लाल रंग के फूल, अक्षत, सुपारी और पान अर्पित कर मोदक का भोग.
गणेश मंत्र -
वक्रतुंड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।
निर्विघ्नं कुरुमे देव सर्वकार्येषु सर्वदा।।
विघ्नेश्वराय वरदाय सुरप्रियाय लंबोदराय सकलाय जगद्धितायं।
नागाननाथ श्रुतियज्ञविभूषिताय गौरीसुताय गणनाथ नमो नमस्ते।।
अमेयाय च हेरंब परशुधारकाय ते।
मूषक वाहनायैव विश्वेशाय नमो नमः।।
एकदंताय शुद्धाय सुमुखाय नमो नमः।
प्रपन्न जनपालाय प्रणतार्ति विनाशिने।।
एकदंताय विद्महे, वक्रतुंडाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात।।
ॐ नमो गणपतये कुबेर येकद्रिको फट् स्वाहा।
ॐ ग्लौम गौरी पुत्र, वक्रतुंड, गणपति गुरु गणेश।
ग्लौम गणपति, ऋद्धि पति, सिद्धि पति. करो दूर क्लेश ।।
सेहत टिप्स /शौर्यपथ /सत्तू शरबत एक बहुत ही पौष्टिक और ठंडक देने वाला ड्रिंक है जो गर्मियों में सबसे ज्यादा पसंद किया जाता है. सत्तू भुने चने के आटे से तैयार किया जाता है. इसे आप अपनी पसंद के अनुसार मीठा और नमकीन बना सकते हैं. सत्तू से कई तरह की रेसिपीज बनाई जा सकती हैं. सत्तू के शरबत का सेवन करने से आप दिनभर एनर्जेटिक महसूस कर सकते हैं. सत्तू में फाइबर, आयरन, मैंगनीज, प्रोटीन, मैग्नीशियम और लो सोडियम भरपूर मात्रा में पाया जाता है. जो शरीर को कई स्वास्थ्य समस्याओं से बचाने में मदद कर सकते हैं. तो चलिए जानते हैं कैसे बनाएं सत्तू का स्वादिष्ट शरबत.
कैसे बनाएं सत्तू का शरबत-
सामग्री-
सत्तू (चने का आटा)
पानी
नींबू का रस
काला नमक
भुना जीरा पाउडर
चीनी या गुड़
पुदीने की पत्तियां
बर्फ के टुकड़े
विधि-
एक बड़े बर्तन में सत्तू डालें. इसमें थोड़ा-थोड़ा पानी डालते हुए अच्छी तरह मिलाएं ताकि कोई गुठली न रह जाए. जब सत्तू अच्छे से मिल जाए, तो बाकी का पानी डालकर फिर से मिलाएं. अब इसमें नींबू का रस, काला नमक, भुना जीरा पाउडर और चीनी या गुड़ डालें. इन्हें अच्छी तरह से मिलाएं. शरबत को अच्छे से मिलाने के बाद, इसमें बर्फ के टुकड़े डालें. गिलास में डालें और ऊपर से पुदीने की पत्तियों से सजाएं. सत्तू का शरबत बनकर तैयार है.
सत्तू के फायदे-
गर्मियों के मौसम में सत्तू के सेवन से शरीर को एनर्जेटिक रखा जा सकता है. सत्तू फाइबर से भरपूर होता है, जो भूख को कंट्रोल करने और लंबे समय तक पेट भरा महसूस कराने में मदद करता है. इससे वजन घटाने में मदद मिलती है. इतना ही नहीं सत्तूू के सेवन से पाचन को बेहतर रखने में मदद मिल सकती है.