November 21, 2024
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  शौर्यपथ / देश के कई हिस्सों में मानसून की एंट्री हो गई है. झमाझम बरसात से मौसम खुशनुमा हो गया है. हालांकि, इस सीजन में बीमारियों का खतरा भी बढ़ गया है. बरसात में इम्यूनिटी कमजोर होने से संक्रमण और बीमारियां बढ़ जाती हैं. जिसकी वजह से बैक्टीरियल और वायरल इंफेक्शन, फूड पॉइजनिंग, डायरिया, डेंगू, मलेरिया, टाइफाइड, स्किन इंफेक्शन और एलर्जी होने का खतरा रहता है. ऐसे में अगर आप इन बीमारियों से दूर रहना चाहते हैं तो 5 आयुर्वेदिक हर्ब्स  को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बना लें. इससे पूरे सीजन बीमारियों आपको छू भी नहीं पाएंगी.
1. अदरक
अदरक  एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-फंगल, एंटी-वायरल, एंटी-इन्फ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट गुणों वाली जड़ी-बूटी है. इसके सेवन से कई तरह की बीमारियां और संक्रमण दूर ही रहते हैं. गले की खराश से लेकर पाचन की समस्या तक में अदरक फायदेमंद होता है. बारिश के दिनों में हर दिन अदरक वाली चाय पीने से बीमार होने से बच सकते हैं.
2. हल्दी
औषधीय गुणों वाली हल्दी  में एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-इन्फ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट गुण पहले से ही मौजूद होते हैं, जो इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाकर संक्रमण से लड़ने में मदद करती है. सर्दी-खांसी, गले में खराश या शरीर में सूजन है तो दूध में हल्दी मिलाकर पीने से राहत मिल सकती है.
. मुलेठी
बरसात के दिनों में खांसी, जुकाम, गले में खराश परेशान कर सकता है. इसके लिए एंटीऑक्सीडेंट, एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-इन्फ्लेमेटरी गुणों वाला मुलेठी काम आ सकता है. इसे चाय या काढ़े में इस्तेमाल कर सकते हैं.
4. तुलसी
आयुर्वेद में तुलसी  काफी गुणकारी औषधीय है. इसमें एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-वायरल और एंटी-फंगल गुण पाए जाते हैं, जो बारिश के मौसम में संक्रमण को दूर रखने में मदद कर सकते हैं. इससे कई बीमारियों से बच सकते हैं. तुलसी की पत्तियों से चाय या गाढ़ा बनाकर पीना फायदेमंद होता है.
5. गिलोय
गिलोय  इम्यूनिटी को मजबूत करने वाली औषधी है. इसमें एंटी-बैक्टीरियल गुण पाए जाते हैं, जो सर्दी, बुखार और फ्लू के लक्षणों को कम करने में सहायक हो सकता है. मानसून में हर दिन गिलोय का काढ़ा बनाकर पीना फायदेमंद हो सकता है.

 टिप्स ट्रिक्स /शौर्यपथ /जून में माह में जबरदस्त गर्मी और हीटवेव के कारण आग लगने की कई घटनाएं सामने आई हैं. गर्मी इतनी भीषण हो गई थी कि सड़क पर खड़ी कार और घर में लगे AC तक में आग लगने की कई घटनाएं हो चुकी हैं. हाल ही में दिल्ली और आसपास के इलाकों नोएडा से लेकर गाजियाबाद में इस तरह की कई घटनाओं की खबरें आई हैं. कई जगह AC ब्लास्ट होने और उसमें आग लग चुके कारण परे घर में आग लगने का क खतरा होता है. AC की तरह ही घर में फ्रिज में भी आग  लग सकता है. गर्मी के दिनों में फ्रिज यूज करने में सावधानी जरूरी है. आइए जानते हैं गर्मी में फ्रिज का यूज करने में क्या सावधानियां रखनी चाहिए
ओवरहीटिंग से बचना जरूरी
एसी से लेकर फ्रिज या फिर अन्य इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरण उनमें आग लगने का सबसे बड़ा कारण होता है ओवरहीटिंग. फ्रिज से निकलने वाली गर्मी की वजह से उसमें आग लगने का डर रहता है. फ्रिज को ऐसी जगह रखनी चाहिए, जहां उसे ठंडा होने के लिए हवा मिल सके. कॉम्पैक्ट जगह होने की वजह से फ्रिज की बॉडी को सही तरीके से ठंडा होने के लिए हवा नहीं मिलता है, जिसकी वजह से वह ज्यादा गर्म हो सकता है और उसमें आग लगने का खतरा बढ़ सकता है.
वोल्टेज फल्क्चुएशन
गर्मी के दिनों में बिजली की डिमांड बढ़ जाती है. इस समय वॉल्टेज फल्क्चुएशन की परेशानी भी शुरू हो जाती है.  फ्रिज को आग लगने से बचाने के लिए हाई वोल्टेज स्टेब्लाइजर का यूज करना चाहिए. स्टेब्लाइजर वॉल्टेज फ्लक्चुएशन को रोकने और आपके उपकरणों को खराब होने से बचाता है.
नियमित मेंटेनेंस
AC, फ्रिज समेत सभी तरह के इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरणों की रेगुलर मेंटेनेंस करानी चाहिए. फ्रिज में भी कंप्रेसर लगा होता है, जिसमें लीकेज या फिर ओवरहीटिंग की समस्या हो सकती है. रेगुलर मेंटेनेंस से फ्रिज के कंप्रेसर या अन्य उपकरण जैसे कि फिल्टर, वेंट आदि साफ हो जाते हैं और फ्रिज के कंप्रेसर पर लोड नहीं पड़ता है और उसमें बलास्ट का खतरा कम होता है.
डिफ्रॉस्ट करें
फ्रिज में आपको एक डिफ्रॉस्ट बटन मिलता है, उसकी मदद से फ्रित को नियमित रूप से डिफ्रॉस्ट करना चाहिए. इससे फ्रिजर में जमने वाले बर्फ को साफ किया जाता है. इससे फ्रिज की लाइफ बढ़ती है.  
वेंटिलेशन
फ्रिज को ऐसी जगह रखें जहां वेंटिलेशन की पर्याप्त व्यवस्था हो. ऐसा नहीं होने पर फ्रिज की बाहरी सतह ठंडी नहीं होगी और उसमें आग लगने का खतरा बढ़ जाएगा. गर्मी के दिनों में आप चाहें तो फ्रिज को पंखे से हवा करके ठंडा भी कर सकते हैं. फ्रिज के कंप्रेसर में ज्वलनशील गैस होती है, ज्यादा गर्म होने पर आग लगने का खतरा होता है.

 टिप्स /शौर्यपथ /गर्मी के मौसम में नारियल पानी पीना लोग काफी पसंद करते हैं. यह शरीर को हाइड्रेट रखता है और तुरंत ऊर्जा प्रदान करता है. नारियल पानी में इलेक्ट्रोलाइट्स होते हैं जो शरीर में पानी के संतुलन बनाए रखते हैं, और इसके एंटीऑक्सीडेंट और फाइबर पाचन तंत्र को स्वस्थ रखते हैं. यह त्वचा को नमी और ताजगी देता है, वजन नियंत्रित करने में मदद करता है और हृदय स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है. जब आप घर के लिए नारियल खरीदते हैं, तो यह चिंता बनी रहती है कि इसमें पर्याप्त पानी होगा या नहीं. ऐसे में सवाल यह है कि कैसे जानें कि नारियल में पानी अधिक है या नहीं...?
नारियल का बाहरी परत कठोर होने की वजह से यह जानना मुश्किल होता है कि उसमें कितना पानी है. एक सामान्य कच्चे नारियल में लगभग 300-350 ग्राम पानी होता है. लेकिन कई बार ऐसा होता है कि आप जो नारियल खरीदते हैं, उसमें कम पानी निकलता है और आपको निराशा होती है. नीचे दी गई टिप्स की मदद से आप आसानी से पानी से भरे नारियल की पहचान कर सकते हैं.
पानी वाला नारियल पहचानने का तरीका
हिलाकर आवाज़ सुनें
नारियल को अपने कान के पास लाकर हिलाएं. अगर अंदर से पानी का साफ आवाज सुनाई देता है, तो उसमें पानी अधिक होने की संभावना होती है.
वजन
नारियल को हाथ में उठाकर उसका वजन महसूस करें. भारी नारियल में आमतौर पर पानी अधिक होता है. इस तरह आप खरीदते वक्त भारी वाला नारियल चुनकर पानी अधिक पा सकते हैं.
रंग पर दें ध्यान
नारियल के ऊपरी हिस्से पर काले धब्बे और दरारें नहीं होनी चाहिए. ऐसे नारियल में पानी कम हो सकता है. इसलिए नारियल लेने से पहले ताजे और हरे रंग के ही नारियल को चुनें.
छेद की जांच
नारियल के तीन आंखों में से एक को हल्के से दबाकर देख लें. अगर वह छेद थोड़ी दबाव देने पर आसानी से खुल जाता है, तो नारियल ताजा और पानी से भरा हो सकता है.

 ज्योतिष शास्त्र/शौर्यपथ / ज्योतिष शास्त्र में सूर्य व चंद्र ग्रहण की घटनाएं बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है. इस वर्ष दो बार चंद्र ग्रहण की घटनाएं होने वाली हैं. पहला चंद्र ग्रहण 25 मार्च को लग चुका है और दूसरा चंद्र ग्रहणसितंबर माह में लगने वाला है. वैज्ञानिकों के अनुसार सूरज, धरती और चांद के एक सीधी रेखा में आ जाने से सूर्य की किरणे चांद पर नहीं पड़ती है.  इसके कारण चंद्र ग्रहण की घटना होती है. आइए जानते हैं कब लगने वाला है साल 2024 का दूसरा चंद्र ग्रहण और भारत में सूतक काल कब से कब तक रहेगा….
साल का दूसरा चंद्र ग्रहण
वर्ष 2024 का दूसरा चंद्र ग्रहण भारतीय समयानुसार 18 सितंबर सुबह 6 बजकर 12 मिनट पर प्रारंभ होगा और 10 बजकर 17 मिनट तक चंद्र ग्रहण के समय सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा एक लाइन में आ जाने से  चंद्रमा पर सूर्य की किरणें पूरी तरह से नहीं पड़ेंगी और पृथ्वी से चांद का पूरी तरह नजर नहीं आएगा.


भारत में सूतक काल
18 सितंबर को लगने वाला साल का दूसरा चंद्र ग्रहण सूर्योदय से पहले ही समाप्त हो जाएगा और चंद्रमा तब तक छुपने वाला होगा यह भारत में नजर नहीं आएगा. चंद्र ग्रहण के भारत मे नजर नहीं आने के कारण सूतक काल मान्य नहीं होगा.
कहां-कहां नजर आएगा चंद्र ग्रहण
इस वर्ष का दूसरा चंद्र ग्रहण दुनिया के कई हिस्सों में देखा जा सकेगा. चंद्र ग्रहण को यूरोप, एशिया के अधिकांश हिस्से, अफ्रीका, उत्तरी अमेरिका, दक्षिणी अमेरिका, प्रशांत महासागर, अटलांटिक महासागर, हिंद महासागर, आर्कटिक और अंटार्कटिका के कुछ क्षेत्रों में देखा जा सकेगा.
चंद्र ग्रहण के दौरान सावधानियां
    चंद्र ग्रहण के दौरान भोजन करना वर्जित माना जाता है.
    ग्रहण के दौरान किसी भी नुकीली वस्तु कैंची, चाकू आदि के इस्तेमाल से बचना चाहिए.
    ग्रहण के दौरान झूठ, कपट और बुरे विचारों से बचना चाहिए.
    ग्रहण के दौरान दौरान गर्भवती महिलाएं, बच्चों और बुजुर्गो को भोजन या दवा खाने से दोष नहीं लगता है.
    ग्रहण के दौरान सोने से बचना चाहिए.
    ग्रहण के बाद भोजन और जल में तुलसी के पत्ते डाल देने चाहिए.

  आस्था /शौर्यपथ /सोमवार के दिन अधिकांश लोग देवों के देव महादेव का पूजा करते हैं. ये दिन शिवजी की पूजा के लिए खास माना जाता है. भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए ही सोमवार का व्रत रखा जाता है. ये व्रत कितना महिमामयी है इसकी जानकारी शिव पुराण में भी दर्ज है. ये भी मान्यता है कि जगत जननी माता पार्वती ने जब भगवान शिव को पति रूप में चाहा था, तब उन्हें शिव जी को पाने के लिए सोमवार का ही उपवास किया था. स्त्रियों का सौभाग्य अखंड रखने वाले, कुंवारियों को वर देने वाले भगवान शिव दुख और दरिद्रता को भी दूर करते हैं. जो लोग सोमवार का व्रत करते हैं, अगर वो लोग प्रति सोमवार पूरे विधि-विधान का पालन करते हुए भगवान शिव की आराधना करें. साथ ही जल चढ़ाते हुए इस स्तोत्र का पाठ करें तो सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.


ये है दारिद्रय दहन शिव स्तोत्र
विश्वेश्वराय नरकार्णवतारणाय कर्णामृताय शशिशेखरधारणाय ।
कर्पूरकान्तिधवलाय जटाधराय दारिद्‌र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय ॥
गौरीप्रियाय रजनीशकलाधराय कालान्तकाय भुजगाधिपकङ्कणाय ।
गङ्गाधराय गजराजविमर्दनाय दारिद्‌र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय ॥
भक्तप्रियाय भवरोगभयापहाय उग्राय दुर्गभवसागरतारणाय ।
ज्योतिर्मयाय गुणनामसुकृत्यकाय दारिद्‌र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय ॥
चर्मांबराय शवभस्मविलेपनाय भालेक्षणाय मणिकुण्डलमण्डिताय ।
मंजीरपादयुगलाय जटाधराय दारिद्‌र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय ॥
पञ्चाननाय फणिराजविभूषणाय हेमांशुकाय भुवनत्रय मण्डिताय ।
आनन्दभूमिवरदाय तमोमयाय दारिद्‌र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय ॥
गौरीविलासभवनाय महेश्वराय पञ्चाननाय शरणागतकल्पकाय ।
शर्वाय सर्वजगतामधिपाय तस्मै दारिद्‌र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय ॥
भानुप्रियाय भवसागरतारणाय कालान्तकाय कमलासनपूजिताय ।
नेत्रत्रयाय शुभलक्षणलक्षिताय दारिद्‌र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय ॥
रामप्रियाय राघुनाथवरप्रदाय नागप्रियाय नरकार्णवतारणाय ।
पुण्येषु पुण्यभरिताय सुरार्चिताय दारिद्‌र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय ॥
मुक्तेश्वराय फलदाय गणेश्वराय गीतप्रियाय वृषभेश्वरवाहनाय ।
मातङ्गचर्मवसनाय महेश्वराय दारिद्‌र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय ॥
वसिष्ठेनकृतं स्तोत्रं सर्व दारिद्‌र्यनाशनम् ।
सर्वसंपत्करं शीघ्रं पुत्रपौत्रादिवर्धनम् ॥


शिव तांडल स्तोत्र के फायदे
    जो शिव भक्त नियमित रूप से शिवतांडव स्तोत्र का पाठ करते हैं और भगवान की पूजा करते हैं, उनसे भगवान शिव खूब प्रसन्न होते हैं. ऐसे लोगों को कभी धनसंपत्ति की कमी नहीं होती.
    जो लोग इस स्तोत्र का नियमित रूप से और सही तरीके से पाठ करते हैं उनकी पर्सनेलिटी में भी निखार आता है.
    इस पाठ को करने का असर चेहरे पर के तेज में भी दिखता है. चेहरा पहले से ज्यादा तेजमय हो जाता है.
    इस पाठ को करने वाले की सभी मनोकामना को भगवान शिव पूरा करते हैं.
    इस पाठ के नियमित पाठ से वाणी को भी बल मिलता है और वाणी की सिद्धि भी मिलती है.
    भगवान शिव नृत्य कला, चित्रकला, योग, ध्यान और लेखन में भी प्रवीण माने जाते हैं. उन्हें पूजने वाले को भी ये अपने मन के कार्य में दक्ष होने का मौका मिलता है.

   आस्था /शौर्यपथ /शनि को कर्म फल दाता यूं ही नहीं कहा जाता बल्कि शनि देव जातकों के कर्मों का फल उन्हें देते हैं. मान्यतानुसार अगर आपने अच्छे कर्म किए होंगे तो आपको अच्छे फल मिलेंगे और अगर आपके कर्म बुरे हैं तो इसका फल भी आपको मिलेगा. शनि ग्रह की चाल ज्योतिष शास्त्र पर कई तरह के प्रभाव डालती है. ऐसे में अब शनि के अपनी स्वराशि कुंभ में वक्री होने का समय आ गया है. शनि ग्रह 29-30 जून की मध्यरात्रि 12:35 पर वक्री होंगे और 15 नवंबर, 2024 शाम को 7:51 तक वक्री अवस्था में भी रहेंगे. ऐसे में जानिए शनि के वक्री होने से किन राशि के जातकों  पर शुभ प्रभाव पड़ेंगे क्योंकि इस समय शनि की कर्क और वृश्चिक राशि और मकर, कुंभ और मीन राशि पर साढ़ेसाती चल रही है.
शनि के वक्री होने से राशियों पर क्या होगा प्रभाव
मेष राशि - मेष राशि के जातकों के मान-सम्मान और प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी. इस समय आपको अपनी वाणी पर नियंत्रण रखने की जरूरत है, जो आपके लिए भविष्य में लाभ फल देगा.
वृष राशि - वृष राशि के जातकों के लिए भी शनि का वक्री होना शुभ फल दे सकता है. आप थोड़े से प्रयास में ही बड़ी सफलता हासिल कर सकते हैं. चल-अचल संपत्ति की खरीदारी या बिक्री हो सकती है, कार्यक्षेत्र में आपको तरक्की मिलेगी.
मिथुन राशि - मिथुन राशि के जातक किसी धार्मिक यात्रा पर जा सकते हैं, लोन या ऋण संबंधी समस्याओं से छुटकारा मिल सकता है और इस समय आपको अपने स्वास्थ्य पर ध्यान देना बहुत जरूरी है.
कर्क राशि - कर्क राशि के जातकों के लिए शनि का वक्री होना थोड़ा कष्टदायक हो सकता है. कार्य क्षेत्र में आपको समस्याएं आ सकती हैं. इसलिए आपको अतिरिक्त प्रयास करने की जरूरत है.
सिंह राशि - सिंह राशि के जातकों को कार्यक्षेत्र या अपने बिजनेस में संघर्ष करना पड़ सकता है. इस दौरान आपको नए लोगों से संपर्क बनाना चाहिए ताकि भविष्य में इसका फल आपको मिले.
कन्या राशि - कन्या राशि के जातकों को पार्टनरशिप या पारिवारिक जीवन में संघर्ष करना पड़ सकता है. स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं खासकर हड्डी और आंखों से संबंधित कोई बीमारी का पता चल सकता है.
तुला राशि - तुला राशि के जातकों को इस समय थोड़ा संयम रखने की जरूरत है, वर्क प्लेस या पढ़ाई में कुछ परिवर्तन हो सकता है और नए संपर्क बन सकते हैं.
वृश्चिक राशि - वृश्चिक राशि के जातकों को कुछ विवादित मामलों में सफलता मिल सकती है. आगे के कामों के लिए आपको अभी से प्लानिंग करने की जरूरत है.
धनु राशि - धनु राशि के जातकों को चल-अचल संपत्ति की खरीदारी का मौका मिल सकता है, विवादित मामले सुलझ सकते हैं और कार्य में सफलता मिल सकती है.
मकर राशि - मकर राशि के जातकों को इस समय संघर्षपूर्ण सफलता हासिल हो सकती है. कार्यस्थल में परिवर्तन की संभावना है, हर कार्य में आपको ज्यादा मेहनत करने की जरूरत पड़ेगी.
कुंभ राशि - कुंभ राशि के जातकों को रुके हुए कार्य पूरे होने से सफलता मिलेगी. आजीविका, व्यापार या नौकरी में थोड़ी बहुत सफलता के आसार हैं.
मीन राशि - मीन राशि के जातकों को इस समय थोड़ा संयम रखने की जरूरत है. इस राशि के जातकों पर शनि की साढ़ेसाती चल रही है, आपका खरीदारी पर खर्च हो सकता है. इस दौरान वाद-विवाद से बचें.

  व्रत त्यौहार /शौर्यपथ /सावन, जिसे श्रावण के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू पंचांग में भगवान शिव को समर्पित एक महत्वपूर्ण महीना है. 2024 में, सावन 29 दिनों का होगा और इसमें 5 सोमवार शामिल होंगे. सावन के प्रत्येक सोमवार को भगवान शिव के भक्तों के लिए विशेष रूप से शुभ माना जाता है. बता दें कि इस साल सावन 22 जुलाई से शुरू हो रहे हैं, तो 19 अगस्त 2024 को समाप्त हो रहे हैं. ऐसे में इस माह किस-किस दिन सावन सोमवार है, कब मंगला गौरी का व्रत रखा जाएगा और कौनसी तिथियां महत्वपूर्ण हैं जानिए यहां.
सावन 2024 की तिथियां और महत्वपूर्ण तिथियां
आरंभ तिथि-  22 जुलाई 2024
समाप्ति तिथि- 19 अगस्त 2024
सावन 2024 में 5 सोमवार
पहला सोमवार- 22 जुलाई 2024
दूसरा सोमवार- 29 जुलाई 2024
तीसरा सोमवार- 5 अगस्त 2024
चौथा सोमवार- 12 अगस्त 2024
पाँचवाँ सोमवार- 19 अगस्त 2024
मंगला गौरी व्रत कब- कब
हिंदू पंचांग के अनुसार, श्रावन मास के हर मंगलवार के दिन मां पार्वती को समर्पित मंगला गौरी का व्रत  रखा जाता है. इस साल सावन में मंगला गौरी व्रत पड़ने वाले हैं.
पहला मंगला गौरी व्रत- 23 जुलाई को
दूसरा मंगला गोरी व्रत- 30 जुलाई
तीसरा मंगला गौरी व्रत- 6 अगस्त
चौथा मंगला गौरी व्रत- 13 अगस्त
महत्वपूर्ण तिथियां
श्रावण अमावस्या-  28 जुलाई 2024
श्रावण पूर्णिमा (रक्षाबंधन)- 19 अगस्त 2024
सावन सोमवार का महत्व
सावन भगवान शिव के भक्तों के लिए अत्यंत पूजनीय महीना है. कई लोग, विशेष रूप से सोमवार को व्रत रखते हैं ताकि वे भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त कर सकें और अपनी इच्छाओं की पूर्ति कर सकें. सावन का महीना भारत में मानसून के मौसम के साथ मेल खाता है, जो पुनरुत्थान और उर्वरता का प्रतीक है. यह समय प्रकृति की सबसे सुंदर अवस्था होती है और वर्षा को देवताओं का आशीर्वाद माना जाता है. इस महीने के दौरान, भक्त अक्सर शिव मंदिरों में जाते हैं, शिव लिंग का अभिषेक (पूजन) करते हैं और महामृत्युंजय मंत्र जैसे प्रार्थनाएं करते हैं. सोमवार को व्रत रखना, जिसे सावन सोमवार व्रत के नाम से जाना जाता है, आत्मिक विकास और आशीर्वाद प्राप्त करने की एक आम प्रथा है.

व्रत त्यौहार /शौर्यपथ / हिंदू धर्म में एकादशी तिथि को बेहद शुभ माना जाता है. हरेक माह की दोनों एकादशी तिथि को व्रत रखकर भगवान विष्णु की विधि विधान से पूजा की जाती है. मान्यता है कि एकादशी पर जगत के पालनकर्ता  श्री हरि विष्णु भगवान  और धन की देवी माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना से जीवन में सुख समृद्धि में वृद्धि होती है औश्र सभी प्रकार के कष्ट मिट जाते हैं. जुलाई माह में दो अति महत्वपूर्ण एकादशी योगिनी एकादशी और देवशयनी एकादशी  पड़ रही है. इन दोनों ही एकादशी का विष्णु भगवान की पूजा में बहुत महत्व है. आइए जानते हैं योगिनी एकादशी और देवशयनी एकादशी की तिथि और शुभ मुहूर्त.
योगिनी एकादशी की तिथि और शुभ मुहूर्त
आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 1 जुलाई को सुबह 10 बजकर 26 मिनट पर शुरू होगी और 2 जुलाई को सुबह 8 बजकर 42 मिनट पर समाप्त होगी. योगिनी एकादशी व्रत 2 जुलाई मंगलवार को रखा जाएगा.
देवशयनी एकादशी की तिथि और शुभ मुहूर्त
 आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 16 जुलाई को संध्या के समय 8 बजकर 33 मिनट से शुरू होकर 17 जुलाई को शाम 9 बजकर 2 मिनट पर समाप्त होगी. देवशयनी एकादशी व्रत 17 जुलाई बुधवार को रखा जाएगा.
योगिनी एकादशी का महत्व
पौराणिक कथा के अनुसार योगिनी एकादशी के दिन व्रत रखकर भगवान विष्णु की पूजा करने मोक्ष की प्रप्ति होती है. योगिनी एकादशी के महत्व के बारे में भगवान श्रीकृष्ण से खुद युधिष्ठिर को बताया था. मान्यता है कि इस व्रत को करने और विधि विधान से भगवान विष्णु की पूजा करने से  सभी तरह के सुखों की प्राप्ति होती है.
देवशयनी एकादशी का महत्व
माना जाता है कि देवशयनी एकादशी के दिन से भगवान श्री विष्णु चार माह के योग निद्रा में चले जाते हैं. इसे चातुर्मास भी कहा जाता है. जैन धर्म में चातुर्मास  का विशेष महत्व होता है.

शौर्यपथ /दुनिया में हर किसी की चाहत होती है कि छोटा या बड़ा, लेकिन अपना घर जरूर हो. इसके लिए लोग सालों साल मेहनत करते हैं और अपने अपने सपनों का आशियाना  बनाकर उसमें प्रवेश करते हैं. अगर आप भी अपने घर का सपना पूरा कर रहे हैं तो आपको घर बनवाने से पहले इस साल यानी 2024 के शुभ मुहूर्तजान लेने चाहिए. ज्योतिष में कहा गया है कि घर बनवाते समय उसकी नींव रखने के लिए ग्रह नक्षत्रों का शुभ होना बहुत जरूरी होता है और इसके चलते घर परिवार में खुशियां आती है. इस साल घर बनाने के लिए नींव रखने और गृह प्रवेश के कुछ खास मुहूर्त ज्योतिषियों ने बताए हैं. चलिए जानते हैं कि नींव डालने और गृह प्रवेश के शुभ मुहूर्त कब कब पड़ रहे हैं.
नींव डालने के लिए शुभ दिन  
हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल नींव रखने के लिए साल भर में कुल 20 दिन शुभ मुहूर्त बन रहे हैं. वहीं गृह प्रवेश की बात करें तो इस शुभ मौके के लिए साल में 28 दिन शुभ हैं. नए घर के लिए नींव डालनी है तो आप जुलाई में इस काम को शुरू करवा सकते हैं. पहला मुहूर्त 22 जुलाई को है और दूसरा मुहूर्त 24 जुलाई को है. इसके बाद 15 अगस्त और 21 अक्टूबर को भी नए घर की नींव डाली जा सकती है. इसके पश्चात 14 नवंबर, 18 नवंबर और 20 नवंबर को नींव डालने के शुभ मुहूर्त बन रहे हैं. दिसंबर माह की बात करें तो 2 दिसंबर, 10 दिसंबर और 12 दिसंबर को नींव डालने के अच्छे दिन हैं.इसके बाद 8 फरवरी 2025  का मुहूर्त शुभ है. इसके बाद पांच मार्च, 16 अप्रैल, 3, 8 और 10 मई का दिन शुभ है. जून की बात करें तो पांच, छह और सात जून को आप नए घर के लिए नींव डाल सकते हैं.
गृह प्रवेश के लिए शुभ मुहूर्त
अगर आपका नया घर बन रहा है या बन चुका है तो आपको गृह प्रवेश के लिए शुभ मुहूर्त का इंतजार करना चाहिए. अगस्त में गृह प्रवेश के लिए शुभ दिन 10, 14 और 15 तारीख को है. इसके बाद  7, 8, 11, 13 और 14 नवंबर को गृह प्रवेश के लिए काफी शुभ दिन है.  इसके पश्चात 7, 11 और 12 दिसंबर को भी आप नए घर में प्रवेश कर सकते हैं. इसके बाद अगले साल यानी 2025 में  3, 6, 7, 8 , 10 फरवरी को नए घर में प्रवेश के लिए शुभ दिन है.  6 , 8 और 10 मार्च भी गृह प्रवेश के लिए शुभ मुहूर्त कहे गए हैं. 3, 7, 8, 9 और 10 मई को भी नए घर में दाखिल हो सकते  हैं. जून की बात करें तो इस महीने में आप 4 , 5 , 6 और 7 तारीख को नए घर में प्रवेश कर सकते हैं.

व्रत त्यौहार /शौर्यपथ /नवरात्रि के नौ दिनों में माता रानी की पूजा-अर्चना करने से भक्तों को असीम सुख-शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है. सिर्फ चैत्र और शारदीय नवरात्रि ही नहीं, बल्कि इसके अलावा गुप्त नवरात्रिमें भी माता रानी की विधिवत पूजा-अर्चना करनी चाहिए. लेकिन, अक्सर लोगों को कन्फ्यूजन रहती है कि गुप्त नवरात्रि कब पड़ती है. जानिए जुलाई के महीने में पड़ने वाली आषाढ़ नवरात्रि के बारे में. यह कब से शुरू हो रही है और इस दौरान आप कैसे कलश स्थापना से लेकर माता रानी की पूजा अर्चना कर सकते हैं.
कब मनाई जाएगी आषाढ़ नवरात्रि
आषाढ़ नवरात्रि का पावन पर्व इस बार 6 जुलाई 2024 से मनाया जाएगा. प्रतिपदा तिथि की शुभ वेला सुबह 7:37 से लेकर 9:19 तक रहेगी, वहीं अभिजीत वेला का समय दोपहर 12:15 से लेकर 1:10 तक है. इस बीच घट स्थापना या कलश स्थापना करने का सबसे उत्तम समय माना जाता है. घट स्थापना  करने के लिए सबसे पहले एक लाल रंग का वस्त्र बिछाएं, इसके ऊपर मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित करें, मिट्टी के बर्तन में जौ के बीज बोएं और नवमी तिथि तक हर दिन इसमें पानी का छिड़काव करें.
आषाढ़ नवरात्रि के मौके पर अगर आप कलश स्थापना करना चाहते हैं, तो शुभ मुहूर्त में एक तांबे या पीतल के कलश में गंगाजल भरें, इसके ऊपर आम की पत्तियां लगाएं और उस पर एक नारियल को रखें, इसे माता रानी की प्रतिमा के पास रखें. कहा जाता है कि आषाढ़ नवरात्रि में देवी मां की प्रतिमा के दाहिने तरफ काल भैरव का पूजन करें और बाई तरफ गौर भैरव का पूजन करना चाहिए. वहीं, दाएं तरफ घी का दीया और बाएं तरफ तिल के तेल का दीया जलाना चाहिए. अगर आप व्रत कर रहे हैं तो नवचंडी यज्ञ कर सकते हैं, इससे भक्तों की सभी मनोकामना पूर्ण होती हैं. साथ ही, माता रानी को हर दिन सुगंधित पुष्प माला, फूल फल आदि अर्पित करें.

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