August 02, 2025
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अन्य खबर /शौर्यपथ/ 

 ई-श्रमिक योजना से जुड़ने पर ई-श्रम कार्ड दिया जाता है. इसके तहत व्यक्ति को अपनी कौशलता के अनुसार रोजगार मिलता है. अगर अभी तक आपका ई-श्रमिक कार्ड नहीं बना है तो आइए आपको इसके फायदे के साथ अप्लाई करने का पूरा प्रोसेस बताते हैं...

 देशभर के सभी गरीब मजदूर परिवारों  के लिए सरकार ने ई-श्रमिक योजना  को शुरू किया है।

जिसके तहत गरीब मजदूर परिवार को ई-श्रम कार्ड  दिया जाता है।

यहां उन्हें अपने कौशल के आधार पर रोजगार  भी दिया जाता है। साथ ही सरकार की अन्य सरकारी लाभों का भी फायदा मिलता है। जब से इस योजना की शुरुआत की गई है तब से ज्यादा से ज्यादा लोग इससे जुड़ रहे हैं तो जुड़ने के लिए तैयार हैं।

श्रम एवं रोजगार मंत्रालय ने ई-श्रम योजना 2022 का भी शुभारंभ कर दिया है।

ऐसे में जो लोग अब तक इस योजना से जुड़कर लाभ नहीं उठा सके हैं, उनके लिए एक बेहतरीन मौका है। अगर आप भी ई- श्रम कार्ड बनवाना चाहते हैं तो आप सेल्फ रजिस्ट्रेशन भी कर सकते हैं। आज हम आपको ई-श्रमिक योजना में रजिस्ट्रेशन करने का तरीका बताने के साथ इससे संबंधित अन्य जानकारी भी बताने जा रहे हैं, आइए इसके बारे में विस्तार से बताते हैं..

 क्या है ई-श्रम कार्ड का मुख्य उद्देश्य?

ई-श्रम कार्ड को प्रवासी श्रमिक, निर्माण श्रमिक, स्ट्रीट वेंडर, घरेलू श्रमिक, प्लेटफार्म श्रमिक और कृषि श्रमिक आदि सभी असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों तक पहुंचना है। इस पोर्टल के जरिए केंद्रीकृत डेटाबेस का निर्माण किया जा सकेगा। इसका उद्देश सामजिक सुरक्षा योजनाओं के कार्यान्वयन में सुधार करना है। ई-श्रम पोर्टल में जुड़े श्रमिकों को उनके कौशल के आधार पर काम दिया जाता है। ई-श्रम कार्ड होने पर मिलेंगे ये लाभ? 2 लाख रुपये तक का दुर्घटना बीमा मिलेगा। सभी श्रमिक योजनाओं का सीधा लाभ मिलेगा। पेंशन योजना का भी लाभ मिल सकता है। हेल्थ ट्रीटमेंट में आर्थिक मदद मिलेगी। मकान बनाने के लिए आर्थिक मदद मिलेगी।

 पढ़ाई कर रहे बच्चों की आर्थिक मदद की जाएगी। सभी तरह की कल्याणकारी सरकारी योजनाओं का फायदा मिलेगा। गर्भवती महिलाओं को बच्चों के भरण-पोषण के लिए सहायता दी जाएगी

 

 

टेक्नोलॉजी /शौर्यपथ/ 

देश के पांच राज्यों में इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान कर दिया गया है। इससे पहले चुनाव आयोग ये साफ कर चुका है कि चुनाव के दौरान लोग सी-विजिल (cVIGIL) ऐप का इस्तेमाल करें। अगर चुनाव में धांधली हो रही है तो लोग इसके जरिए शिकायत करें और हम एक्शन लेंगे। इस ऐप को आयोग ने 3 साल पहले 2019 में लॉन्च किया था। आइए इस ऐप के बारे में जानते हैं


क्या है

सी-विजिल ऐप?

चुनाव आयोग ने सी-विजिल ऐप को चुनावों में होने वाली गड़बड़ियों को रोकने के लिए तैयार किया है। इस ऐप की मदद से वोटर चुनावी आचार संहिता के उल्लंघन की जानकारी दे सकते हैं। इस ऐप को सभी एंड्रॉयड और iOS यूजर्स के लिए तैयार किया गया है। ऐप पर शिकायत करने के लिए यूजर को स्मार्टफोन के कैमरे और GPS एक्सेस की जरूरत होती है। चुनाव आयोग पिछले 3 सालों से इस ऐप का इस्तेमाल सभी तरह के चुनावों में कर रहा है


ऐसे चुनाव को पारदर्शी बनाएगा सी-विजिल

जिस राज्य में चुनाव को लेकर आचार संहिता लागू हो जाती है। वहां के लोग इस ऐप का इस्तेमाल कर सकते हैं।

चुनाव आयोग के मुताबिक चुनाव तारीखों का ऐलान होने के बाद से वोटिंग खत्म होने तक, कोई भी व्यक्ति अपनी शिकायत सी-विजिल ऐप के जरिए चुनाव आयोग को भेज सकता है।

आचार संहिता के दौरान नेताओं की तरफ से किसी भी तरह के कोई गैरकानूनी दस्तावेज बांटने, भ्रष्टाचार और विवादित बयानों की शिकायत इस ऐप के जरिए कर सकते हैं।

सी-विजिल ऐप पर शिकायतकर्ता जो भी वीडियो या फोटो अपलोड करेंगे वो 5 मिनट के अंदर स्थानीय चुनाव अधिकारी के पास चला जाएगा।

शिकायत सही है तब 100 मिनट के अंदर ही उस समस्या का समाधान किया जाएगा।

मई 2019 में कर्नाटक विधानसभा चुनाव के दौरान इस ऐप का इस्तेमाल पहली बार किया गया था। उसके बाद से लगातार ऐप का इस्तेमाल चुनावों में किया जा रहा है।

 

जो लोग सी-विजिल ऐप से किसी की शिकायत करना चाहते हैं, उन्हें इस ऐप को इन्स्टॉल करना होगा। ऐप इन्स्टॉल होने के बाद आपको रजिस्ट्रेशन करना होगा। इसके लिए शिकायतकर्ता को नाम, पता, राज्य, जिला, विधानसभा और पिनकोड की जानकारी देनी होगी। एक OTP की मदद से इसका वैरिफिकेशन किया जाएगा। अब शिकायत करने के लिए फोटो या कैमरे को सिलेक्ट करें। शिकायतकर्ता 2 मिनट तक का वीडियो ऐप पर अपलोड कर सकता है। फोटो और वीडियो से जुड़ी डिटेल के लिए एक बॉक्स भी मिलता है, जहां उसके बारे में लिखा जा सकता है।

चुनाव आयोग के मुताबिक जो फोटो या वीडियो अपलोड किया जाता है, उससे उस जगह की लोकेशन भी पता चल जाती है। फोटा या वीडियो अपलोड होने के बाद यूजर को एक यूनीक ID मिलेगी। इसके जरिए वे मोबाइल पर ही फॉलोअप ट्रैक कर सकते हैं। शिकायतकर्ता की पहचान को गोपनीय रखा जाता है। हालांकि, ऐप पर पहले से रिकॉर्ड वीडियो या फोटो अपलोड नहीं कर सकते। इतना ही नहीं, ऐप से रिकॉर्ड किए गए वीडियो या फोटो फोन गैलरी में सेव नहीं होंगे

 

 

 

सकारात्मक आदतें /शौर्यपथ/ 

दिनचर्या में जितने अधिक काम आदतों के रूप में होंगे, ज़िंदगी उतनी ही सुचारु, व्यवस्थित और सेहत भरी होगी।

इस सच को हम सब जानते हैं, इसलिए अच्छी आदतें बनाने की कोशिश भी करते हैं।

दिक़्क़त यह होती है कि अच्छी आदत जल्दी पड़ती नहीं है। रोज़-रोज़ वही काम करके मन ऊब जाता है।

घड़ी में सुबह के दस बजे हैं। इतने में बेटी अपनी मां से कहती है कि वह परिसर में स्थित पार्क में 15 मिनट टहलकर आए। मां आनाकानी करती है, बताती है कि अभी रोज़मर्रा के बहुत से काम बाक़ी हैं। दो घड़ी दम लेने की भी फ़ुरसत नहीं है। कल चली जाऊंगी। बेटी कुछ सुनना नहीं चाहती। वह ज़िद पकड़ लेती है। ‘तुम्हें जाना ही होगा, यही नियम है। भले ही पांच मिनट के लिए जाओ, लेकिन जाओ!’ अंतत: मां को सारे काम छोड़कर टहलने जाना ही पड़ता है।

किसी भी घर की अत्यंत साधारण लगने वाली इस घटना में एक महत्वपूर्ण सूत्र छिपा है : कोई भी नई गतिविधि शुरू करने और उसे अपनी आदत बनाने के लिए किसी साथी या रिमाइंडर की मदद लेना उपयोगी होता है।

महिलाओं के जि़म्मे बहुत सारे काम होते हैं, इसलिए उन्हें रुटीन में ख़ुद के लिए कोई गतिविधि जोड़ना मुश्किल लगता है। यदि वे कुछ नया शुरू करना भी चाहती हैं- सैर, वर्जिश, शौक़ या कुछ सीखना- तो नियमितता क़ायम नहीं रख पातीं और उसे बीच में ही छोड़ देती हैं। लेकिन अपनी सेहत के लिए, अपनी ख़ुशी के लिए और संतुष्टि व रचनात्मक अभिव्यक्ति के लिए जीवन में कुछ नया, कुछ अच्छा जुड़ते रहना चाहिए।

हम ऐसी कोशिश करते भी हैं, किंतु कुछ समय बाद ही सबकुछ पुराने ढर्रे पर लौट आता है। दैनंदिनी में कोई नई गतिविधि जुड़े और जुड़कर आदत में बदल जाए, इसके लिए पहले कुछ बातें जान लेना ज़रूरी है।

शुरुआत छोटी...

ब्लॉगर लिओ बबूटा कहते हैं— ‘इसे इतना आसान बनाइए कि आप न कह ही न सकें!’ नई गतिविधि या कार्य को छोटा रखिए। आधे घंटे की सैर के बजाय आरंभ में दस मिनट तय कीजिए। रोज़ दस पन्ने लिखने की जगह एक पैराग्राफ़ का लक्ष्य बनाइए। पूरे खानपान को बदल डालने के बजाय सुबह स्वास्थ्यवर्धक नाश्ते का नियम बनाइए। हमेशा ध्यान रहे कि आपको संख्या या मात्रा नहीं, उस काम की आदत डालनी है।

कभी कोई अतिरिक्त ज़िम्मेदारी आ जाएगी, कभी स्वास्थ्य ठीक नहीं लगेगा, कभी मूड। लेकिन जब लक्ष्य छोटा होगा, कम समय में पूरा हो जाने वाला होगा तो आप ख़ुद से कोई बहाना नहीं बना पाएंगी। कभी सफ़र में होंगी तो पांच पन्ने लिखना मुश्किल होगा, पर पांच-दस लाइनें तो चलती गाड़ी में भी लिख लेंगी। पार्क न मिले तो दस मिनट फुटपाथ पर ही टहल लेंगी।

— आपका फोकस काम शुरू करने पर रहे, न कि ख़त्म करने पर।

रफ़्तार धीमी...

आरंभ में काफ़ी उत्साह रहता है, हम जल्दी-जल्दी छलांगें लगाना चाहते हैं। गतिविधि नई होती है तो मन भी लगता है। हालांकि समय के साथ उत्साह कम होने लगता है और एकरसता भी आने लगती है। कोई आश्चर्य नहीं कि इस वक़्त नई गतिविधि छूट जाती है। इससे बचने के लिए आवश्यक है कि संख्या, समय या मात्रा धीरे-धीरे बढ़ाई जाए। आख़िरकार आप पूरी ज़िंदगी के लिए आदत बना रही हैं, इसलिए हड़बड़ाहट की ज़रूरत ही नहीं है।

अगर संभव हो तो उस काम को कई हिस्सों में करें। मसलन, सैर का समय 15 से बढ़ाकर 30 मिनट करना है तो सुबह ही आधा घंटा निकालने के बजाय सुबह और शाम 15-15 मिनट टहलने जाएं। इससे बाक़ी काम प्रभावित नहीं होंगे।

— निरंतरता और धैर्य से चमत्कारिक परिवर्तन होते हैं।

बदलाव..

आपके जीवन में तब तक अनुशासन नहीं आ पाएगा, जब तक आप स्वयं को लापरवाह मानती रहेंगी। आप जब तक मानती रहेंगी कि मेरा तो खाने पर कंट्रोल नहीं है, तब तक वज़न कम नहीं कर पाएंगी। निश्चित है कि शुरुआती सफलता के बाद सबकुछ फिर पहले जैसा हो जाएगा। विशेषज्ञ कहते हैं कि अक्सर यह आदत बदलने के बजाय व्यक्तित्व और सोच बदलने का मामला होता है।

इसलिए पहले अपने मन में अपनी छवि बदलें। फिर क़रीबी लोगों की सकारात्मक टिप्पणियों पर ग़ौर करें। पड़ोसन कहे कि आजकल आप नियमित रूप से सैर के लिए आती हैं तो इसे तारीफ़ के रूप में लें। यह न कहें कि देखें, ऐसा कब तक चल पाता है! छोटी-छोटी जीत से स्वयं का आत्मविश्वास बढ़ने दें।

— आप फल-सब्ज़ियां ज़्यादा खाने की आदत नहीं बनातीं, दरअसल आप सेहत के प्रति जागरूक व्यक्ति बनती हैं।

अच्छी होती हैं...बाधाएं...

जर्नल ऑफ़ एप्लाइड बिहेवियर एनालिसिस में एक दिलचस्प रिसर्च प्रकाशित हुई। एक प्रयोग के तहत शोधकर्ताओं ने लिफ्ट का दरवाज़ा बंद होने में लगने वाला समय 10 सेकंड से बढ़ाकर 30 सेकंड कर दिया। इससे बहुतों को लगा कि इतने इंतज़ार से बेहतर है सीढ़ियां ही चढ़ ली जाएं। ख़ास बात यह कि दरवाज़ा बंद होने का समय पूर्ववत हो जाने के बाद भी वे सीढ़ियों का प्रयोग करते रहे। इस अवलोकन से सूत्र मिलता है कि बुरी आदत छोड़ने के लिए उस तक पहुंचना थोड़ा मुश्किल बना दिया जाए। उदाहरण के लिए, अगर आप सोशल मीडिया का समय कम करना चाहती हैं तो बस एक काम करें। मोबाइल में सोशल मीडिया ऐप्स डिलीट कर दें और हर बार वेबसाइट पर पासवर्ड डालकर लॉग-इन करें। कुछ दिनों में फ़र्क़ महसूस हो जाएगा। जब सोशल मीडिया से वक़्त बचेगा तो वह किसी रचनात्मक कार्य में ही लगेगा।

टूटने न पाए लय...

विशेषज्ञों का सुझाव है कि सुबह ऊर्जा सर्वाधिक रहती है, अत: नए कार्य को सुबह के रुटीन में जोड़ें। बाद में दिन के अन्य वक़्त में उसे बढ़ा सकती हैं।
परिवेश में कुछ ऐसा हो जाे आपको काम की याद दिलाए। यह अलार्म हो सकता है या मंदिर में आरती के दौरान बजने वाली घंटी भी। शुरुआत के उदाहरण में बेटी है जो अपनी मां को सैर के लिए याद दिलाती है।
नए काम को किसी वर्तमान काम या गतिविधि से जोड़ लें। जैसे- अख़बार पढ़ने के साथ अंकुरित अन्न खाना या चाय पीते हुए कामों की सूची (टू डू लिस्ट) बनाना।
कभी-कभार की छुट्‌टी चलती है, लेकिन कोशिश करें कि नई आदत में लगातार दो दिन का गैप न हो। अंतराल जितना अधिक होगा, आपके लिए फिर से शुरू करना उतना ही मुश्किल होता जाएगा।
गतिविधि के साथ पुरस्कार जोड़ें। मसलन, सैर के बाद पसंदीदा नाश्ता लें, कुछ लिखने-पढ़ने के बाद एक सीरियल देख लें या काॅफी पिएं।
नई आदतें बनाने के लिए कभी भी एक से ज़्यादा काम एक साथ शुरू न करें। एक बार में एक आदत।

 अपने लिए समय निकालें /शौर्यपथ/ 

घर और दफ़्तर का काम करने के दौरान विराम लेना बहुत ज़रूरी है। इससे तनाव दूर होता है और काम को बेहतर तरीके से पूरा करने की प्रेरणा मिलती है। जब हम काम से चंद मिनट का आराम लेते हैं, तो इस विराम को ‘मी टाइम’ की तरह इस्तेमाल करें, यानी मोबाइल या टीवी पर नज़रें गड़ाने के बजाय ख़ुद के लिए और ख़ुद के साथ समय बिताएं। काम के बीच निकाले हुए समय को कैसे इस्तेमाल कर सकते हैं,

जब ब्रेक 5 मिनट का हो...

अगर आप घर पर हैं, तो फल, हरी सब्ज़ियों का सलाद और सूखे मेवे खा सकते हैं। इससे ऊर्जा मिलेगी और मस्तिष्क क्रिया बेहतर होगी।
आप जो काम कर रहे हैं, उससे नज़रें हटाएं और कोई पसंदीदा आर्टिकल पढ़ें। अगर कोई किताब पढ़ रहे हैं, तो उसका एक भाग भी पढ़ सकते हैं। ये घर और दफ़्तर दोनों जगह कर सकते हैं।
घर हो या दफ्तर, लगातार काम कर रहे हैं, तो पांच मिनट के विराम में अपने हाथों और गर्दन को मसाज दें। इससे रक्त प्रवाह सही रहेगा और तनाव कम होगा।
दिमाग़ी कसरत के लिए पहेलियां सुलझा सकते हैं या ब्रेन गेम्स खेल सकते हैं, जैसे कि सुडोकू, रूबिक क्यूब या वर्ग पहेली आदि।
जब ब्रेक 10 मिनट का हो...

दफ़्तर में लगातार बैठे रहना सेहत के लिए सही नहीं है। बीच-बीच में टहलना भी ज़रूरी है। अगर दस मिनट का ब्रेक ले सकें, तो कॉफी मशीन से कॉफी या चाय ख़ुद तैयार करें और खुले स्थान पर खड़े होकर पिएं। इसे घर पर भी किया जा सकता है।
इस अंतराल में दफ़्तर या घर की अलमारी या दराज साफ़ कर सकते हैं। अतिरिक्त और व्यर्थ सामान छांटकर ठीक और व्यवस्थित कर सकते हैं।
किसी शख़्सियत के प्रेरणादायक वीडियो भी देख सकते हैं। इससे मन को सुकून मिलेगा, मानसिक थकान उतरेगी और काम को पहले से अधिक उत्साह से पूरा कर सकेंगे।
जब ब्रेक 15 मिनट का हो...

यदि पंद्रह मिनट का ब्रेक ले रहे हैं, तो इस समय को शारीरिक क्रिया में उपयोग करें। घर या दफ्तर में अकेले शांति में टहलें। इससे शारीरिक क्रिया हो जाएगी और ऊर्जा स्थिर रहेगी। पर टहलते वक़्त मोबाइल नज़रों से दूर रहे, यह भी सुनिश्चित करें।
व्यस्तता के बीच इस समय आप अपने क़रीबी या परिजन से फोन पर बात कर सकते हैं। पर इस दौरान भी खड़े रहें या टहलते रहें।
संगीत भी मन को शांत करने का सबसे अच्छा ज़रिया है। जब भी काम से विराम लें, तो पसंदीदा संगीत सुनें। बेहतर होगा कि खुली हवा में टहलते हुए अकेले संगीत सुनें।
अगर ब्रेक 30 मिनट का हो...

अगर घर में तीस मिनट निकाल रहे हैं, तो किसी एक व्यक्ति के साथ गेम्स खेल सकते हैं। ऐसे गेम्स जिसमें ध्यान लगाना हो जैसे कि कार्ड, बिज़नेस गेम, चेस आदि।
दफ्तर की कैंटीन या घर की बालकनी में अकेले बैठकर चाय की चुस्कियां लें, आसपास के लोगों पर ध्यान दें और उनकी गतिविधियों को ग़ौर से देखें। इससे आंखों की थकावट दूर होगी और काम पर बेहतर तरीक़े से ध्यान दे पाएंगे। साथ ही अगर आप पूरे सुकून और इत्मीनान के साथ समय गुज़ारना सीख गए, तो संतुलित मन:स्थिति के मालिक बन सकते हैं।
डिजिटल दोस्तों से बाहर निकलकर असल दोस्तों के साथ समय गुज़ारें। दफ़्तर में उनके साथ भोजन करें। अगर घर में हैं, तो हफ्ते में दो-तीन दिन दोस्तों के साथ भोजन की योजना बना सकते हैं।

हेल्थ टिप्स /शौर्यपथ/ 

 भारत में ओमिक्रॉन के मामले तेजी से बढ़ते जा रहे हैं. हर कोई इससे बचाव का उपाय खोज रहा है. अगर आप भी घर पर मौजूद इन घरेलू उपाय को आज से आजमाना शुरू कर देंगे तो कुछ हद तक ओमिक्रॉन के खतरे से बचा जा सकता है. वैसे हम सबके घर में एक ऐसी चीज मौजूद है, जिसका रोजाना सेवन करने से काफी हद तक Omicron के खतरे से बचा जा सकता है. वह है औषधीय गुणों से भरपूर तुलसी (Basil). इसका सेवन सर्दी में बेहद ही असरदार होता है. आपको बता दें कि तुलसी इम्यूनिटी को बेहतर बनाती है. जो कोरोनाकाल में बेहद जरूरी मानी गई है. सच तो ये है कि सर्दी में हमारी इम्यूनिटी बेहद कमजोर हो जाती है और ऐसे में तुलसी का सेवन करने से सर्दी में होने वाली बीमारियों जैसे सर्दी-खांसी और जुकाम से काफी हद तक निजात पाई जा सकती है. अगर हम तुलसी में पाए जाने वाले पोषक तत्वों की बात करें, तो तुलसी की पत्तियों में विटामिन और खनिज तत्व भरपूर मात्रा में मौजूद होते हैं. इतना ही नहीं इसमें विटामिन सी, कैल्शियम, जिंक और आयरन भी काफी मात्रा में शामिल होते हैं. जो हमारी अच्छी सेहत के लिए बहुत उपयोगी हैं. आयुर्वेद के अनुसार तुलसी का इस्तेमाल चाय, काढ़ा वगैरह बनाने के लिए किया जाता है. वहीं आयुष मंत्रालय ने भी कोरोना से बचाव के लिए तुलसी (Basil) का सेवन करने की सलाह दी थी. तुलसी का काढ़ा गले में खराश, सर्दी, खांसी और बुखार का बेहतरीन घरेलू इलाज है. कोरोनाकाल में रोज़ाना 5-6 तुलसी के पत्तों का सेवन करना बेहद ही असरदार


है. इतने गुणों से भरपूर तुलसी का सेवन सेहत के लिए किस तरह फायदेमंद हो सकता है चलिए आपको बताते हैं.

शरीर को स्वस्थ बनाता है

आपको बता दें कि भारतीय घरों में जहां तुलती (Basil) का पौधा लगाना शुभ माना जाता है. वहीं, इसके औषधीय गुण के कारण भी इसे घर में उगाया जाता है. तुलसी बॉडी से टॉक्सिन बाहर निकालती है. तुलसी का सेवन करने से बॉडी से अपशिष्ट पदार्थ बाहर आते है. यह शरीर को स्वस्थ बनाता है.

इम्यूनिटी मजबूत करता


कोरोनाकाल में इम्यूनिटी का स्ट्रॉन्ग होने पर हर किसी का जोर था. तभी तो इम्यूनिटी को स्ट्रॉन्ग बनाने के लिए तुलसी (Basil) का सेवन बेहद ही असरदार माना गया है. दिन में एक बार तुलसी की चाय आपको सर्दी में होने वाली बीमारियों से तो बचाती है, वहीं इसके काढ़े का सेवन करने से आपकी इम्यूनिटी भी मजबूत होगी.

शुगर होगी कंट्रोल

अगर आपकी शुगर बढ़ी हुई है तो आप तुलसी का सेवन जरूर करें, इससे आपकी शुगर संबंधी समस्या काफी हद तक कम होगी. सुबह खाली पेट अगर तुलसी (Basil) का सेवन किया जाए तो दिन भर शुगर कंट्रोल रहती है.

पाचन ठीक बना रहता

सच तो ये है कि तुलसी (Basil) ना सिर्फ मौसमी बीमारियों का उपचार करती है बल्कि पाचन को भी ठीक बनाए रखती है. इसका सेवन करने से कब्ज और लूज मोशन जैसी समस्या से भी निजात मिलती है.

वायरल से बचाने में कारगर

कोरोनाकाल में वायरल इंफेक्शन का खतरा ज्यादा बना रहता है. ऐसे में तुलसी (Basil) का सेवन बेहद ही उपयोगी है. वायरल से बचाव के लिए दिन में तुलसी का काढ़ा बनाकर उसका सेवन आप रोज करें. आपको ये वायरल जैसी समस्या काफी हद तक कंट्रोल में हो जाएंगी.

 

 


सेहत /शौर्यपथ/

कम सोना शरीर को बीमार कर सकता है, इसलिए रोजाना कम से कम 8 घंटे की नींद जरूर लें


आज के समय में कई लोगों की जीवनशैली अस्त व्यस्त है। देर से सोते हैं और देर से उठते हैं। कुछ लोग देर से सोते हैं, लेकिन सुबह जल्दी उठ भी जाते हैं। ऐसे में नींद भी सात घंटे से कम हो पाती है। अगर आप अच्छा खाते हैं और नियमित रूप से व्यायाम करते हैं लेकिन रोज़ कम से कम सात घंटे की नींद नहीं लेते हैं, तो आपको स्वास्थ्य से सम्बंधित गंभीर समस्याएं हो सकती हैं। ज़रूरी है कि आप अपनी ऊर्जा को रिचार्ज करने के लिए रोज़ाना कम से कम 7- 8 घंटे की नींद अवश्य लें। यदि नहीं लेंगे, तो इसका सीधा असर याददाश्त पर पड़ सकता है, ग़ुस्सा और मूड स्विंग जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं।

मन को खल जाती है नींद की कमी

नींद और मानसिक स्वास्थ्य एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। नींद की कमी से व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इसलिए कहा जाता है कि जितनी अच्छी नींद होगी उतना ही अच्छा मानसिक स्वास्थ्य भी होगा। इसके अलावा जिन लोगों को मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हैं, उनमें अनिद्रा या अन्य नींद संबंधी समस्याओं से पीड़ित होने की संभावना ज़्यादा होती हैं। बेताबी (एंग्जाइटी), अवसाद, बाइपोलर डिसऑर्डर और अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर से पीड़ित मरीज़ों में नींद की समस्या (एडीएचडी) होने की संभावना अधिक होती है। नींद की कमी मानसिक क्षमता को कम कर देती है। पर्याप्त नींद न लेने से शारीरिक स्वास्थ्य पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है। ऐसे में स्वस्थ मानसिक स्वास्थ्य के लिए आठ घंटे की नींद लेना बहुत ज़रूरी है। जिन लोगों को मानसिक स्वास्थ्य समास्याएं हैं उन्हें डिप्रेशन और एंग्जाइटी जैसी बीमारियों से बचने के लिए सोने की आदतों में सुधार करना चाहिए और पर्याप्त आठ घंटे की नींद लेनी चाहिए।

मासिक धर्म प्रभावित होगा

कम नींद लेने से मासिक धर्म की समस्याएं जैसे अनियमित पीरियड्स, स्पॉटिंग और हैवी फ्लो, ये सभी हो सकते हैं। ख़ासतौर पर पीरियड्स के दौरान महिलाओं को कम से कम 8 घंटे की नींद ज़रूर लेनी चाहिए। इससे मासिक धर्म के दौरान दर्द और मूड स्विंग जैसी समस्याएं भी कम होती हैं। स्लीप एपनिया यानी नींद की कमी का रोग शरीर के प्रतिरक्षा तंत्र को नुक़सान पहुंचता है। नींद के दौरान शरीर की लगभग हर कोशिका की मरम्मत होती रहती है। लेकिन नींद की कमी से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है और किसी भी तरह के संक्रमण का ख़तरा बढ़ जाता है।

वज़न बढ़ने का कारण है

नींद पूरी न होने से दिन भर थकान और सुस्ती बनी रहती है। इस वजह से लोगों में अस्वस्थ भोजन खाने की आदत बढ़ जाती है जिससे वज़न बढ़ता है। दूसरा कारण यह है कि जो लोग कम सोते हैं, उनकी शारीरिक क्रिया या व्यायाम छूटने से वज़न बढ़ जाता है।

हृदय के लिए भी हानिकारक

यूरोपियन हार्ट जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार नींद की कमी के कारण व्यक्ति के लिए दिल के रोगों का ख़तरा बढ़ जाता है। पाया गया कि जिन लोगों को हृदय की बीमारी थी वे लोग 6 घंटे से भी कम सोते थे। इस वजह से उनका हृदय का कार्य प्रभावित हो रहा था। कोरोनरी हार्ट डिज़ीज़ (हृदय रोग), कंजेस्टिव हार्ट फेलियर, स्ट्रोक और हृदयाघाट का कारण नींद की कमी हो सकता है।

मधुमेह का जोखिम

पर्याप्त नींद ना लेने से मधुमेह होने की संभावना बढ़ जाती है। कम नींद लेने से शरीर ब्लड शुगर (रक्त शर्करा) को नियंत्रित करने वाले हॉर्मोन इंसुलिन को ठीक से नियंत्रित नहीं कर पाता। नींद की कमी इंसुलिन उत्पादन और ग्लूटेन टोलरेंस (सहनशीलता) को कम करती है। इस वजह से कोशिकाएं इंसुलिन का उपयोग करने में कम प्रभावी हो जाती हैं, जिसके परिणामस्वरूप मधुमेह हो सकता है।

/शौर्यपथ /

मार्टिन लूथर किंग जूनियर, आंदोलनकारी एवं अफ्रीकी-अमेरिकी नागरिक अधिकारों के संघर्ष के प्रमुख नेता थे। इन्हें अमेरिका का गांधी भी कहा जाता है।


1. हमारे जीवन का उस दिन अंत होना शुरू हो जाता है, जिस दिन हम उन मुद्दों के बारे में चुप हो जाते हैं जो आम समाज के लिए मायने रखते हैं।

2. अंधकार को अंधकार से नहीं, बल्कि प्रकाश से दूर किया जा सकता है। नफरत को नफरत से नहीं, बल्कि प्रेम से खत्म किया जा सकता है।

3. मैंने प्रेम को ही अपनाने का निर्णय किया है, घृणा करना तो बेहद कष्टदायक है।

4. सही काम को करने के लिए, समय हर क्षण सही ही होता है।

5. हमें निराशा को स्वीकार करना चाहिए, लेकिन उम्मीद को कभी नहीं भूलना चाहिए।

6. व्यक्ति का निर्णायक आंकलन इससे नहीं होता कि वह सुख व सहूलियत की घड़ी में कहां खड़ा है, बल्कि इससे होता कि वह चुनौती व विवाद के समय में कहां खड़ा होता है।

7. सत्य से डराना अच्छी बात है, सत्य से डरना नहीं। सच का सामना करने के लिए हमेशा तैयार रहिए।

8. यदि आप उड़ नहीं सकते, तो दौड़िए। यदि दौड़ नहीं सकते, तो चलिए। यदि चल भी नहीं सकते तो रेंगते हुए बढ़िए यानी कुछ भी हो हमेशा आगे बढ़ते रहिए।

 

दुखहरण सिंह ठाकुर की रिपोर्ट
  कवर्धा / शौर्यपथ / मुमुक्षु प्रीति श्री श्री माल का सकल जैन श्री संघ के तत्वावधान में भाव भीना अभिनंदन किया गया। कवर्धा के धर्मनिष्ट प्रतिष्ठित श्री श्री माल परिवार की बहूरानी प्रीति को धार्मिक संस्कार बाल्यावस्था में ही विरासत में मिले थे। उनके माता-पिता अग्रजा भतीजी नंदोई ने भी संयम अंगीकार कर आत्म कल्याण के मार्ग की ओर अग्रसर हुए हैं।
गुरुवार 6 जनवरी को श्री प्रेमचंद डॉक्टर अतुल श्री श्री माल के निवास से मुमुक्षु प्रीति जी की शोभायात्रा प्रारंभ हुई। इसमें भारी संख्या में श्रद्धालुओं ने भाग लिया। वरघोड़ा जैन स्थानक में पहुंचकर अभिनंदन समारोह में तब्दील हो गया मंगलाचरण के उपरांत बच्चों श्राविकाओं के विभिन्न मंडलों श्री संघों के पदाधिकारियों सदस्यों ने मुमुक्षु के सफल संयम जीवन की कामना करते हुए शुभेच्छा व्यक्त की।
मुमुक्षु प्रीति के ससुर इंजीनियर प्रकाशचंद्र श्री श्रीमाल ने अपनी पुत्रवधू को विनयवान गुणशीला बताते हुए उसके साहसिक निर्णय की भूरि भूरि प्रशंसा करते हुए कहां की इसी धर्मस्थल में इसकी सगाई की रस्म हुई थी और 21 वर्ष बाद पुनः सांसारिक बंधनों से त्याग का गवाह भी यह जैन संस्थान भवन बन रहा है।
मुमुक्षु प्रीति ने अपने उद्बोधन में कहा कि जन्म दात्री माता पिता तो मेरे बचपन के समय ही जिन शासन में समर्पित हो गए थे मेरे असली माता पिता ये ( ससुर जी एवं सासू मां) ही है इनके लाड प्यार दुलार स्नेह को कभी विस्मृत नहीं कर सकती हूं। कवर्धा का स्थान मेरे लिए किसी देवभूमि से कम नहीं है अपने धर्म सहायक (दिवंगत पति) विकास का उल्लेख करते हुए कहा कि वे मेरे क्षेत्र मारकर के लिए सदैव प्रसारित करते थे। संभवत वे भी इस मार्ग के राही होते किंतु विधाता ने असम में हमसे उन्हें छीन लिया। उनका परोक्ष आशीर्वाद हमें हैं ही। सभी का आभार व्यक्त करते हुए उन्होंने मांगलिक प्रदान की। जैन श्री संघ श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ श्री श्वेतांबर मूर्तिपूजक संघ ने अभिनंदन पत्र भेंट कर सम्मानित किया।

ये मैं हूं /शौर्यपथ/

18 साल पहले की बात है, जब एक दिन चूल्हे-चौके में काम करने के बाद मैं खेतों में जलाने के लिए लकड़ियां जुटा रही थी। उस वक्त जुटाई गई लकड़ियों में मैंने देखा कि सफेदे ( यूकेलिप्टस) की लकड़ी में ढेर सारे दीमक लगी हुई है। मेरे मन में यह ख्याल आया कि जिस सफेदे को दीमक इतने प्रेम से खाती हैं, अगर उसे फसलों के बीच-बीच में रख दिया जाए तो शायद दीमक फसलों को छोड़कर सफेदे की लकड़ियों को खाने लगेंगी। मैंने सबसे पहले इस तरकीब को गेहूं की फसल में आजमाकर देखा। यह तरकीब रंग लाई। यह कहना है राजस्थान के सीकर जिले की 70 साल की महिला किसान भगवती देवी का, जो अब किसानों की रोल मॉडल हैं।

'खेतों के वैज्ञानिक' सम्मान और 50 हजार रुपए के 'कृषि प्रेरणा सम्मान' से नवाजी जा चुकीं भगवती देवी भास्कर वुमन से बातचीत में वैसे तो राजस्थानी में अपनी बात कहती हैं, मगर उनके पति सुंडाराम वर्मा इसका हिंदी में तर्जुमा भी करते जाते हैं, जो खुद कृषि वैज्ञानिक हैं और नए-नए प्रयोगों को अंजाम देने में लगे रहते हैं। भगवती देवी कहती हैं कि मैंने जब यह तरकीब अपनी फसलों पर आजमाई तो यह बेहद कारगर साबित हुई। उसके बाद से तो मैंने दीमक को अपना दाेस्त ही बना लिया।

 सफेदा खरीदने की जरूरत नहीं, बस आप अपने खेतों में लगाइए

सीकर जिले के दांतारामगढ़ गांव की महिला किसान भगवती देवी कहती हैं, फसलों को नुकसान पहुंचाने में दीमक सबसे आगे होती हैं। यह कीड़ा किसी भी मौसम, नमी, सूखा, गर्मी, सर्दी या किसी भी परिस्थिति में लग जाता है। इससे फसलें बर्बाद हो जाती हैं। मगर, सफेदे की लकड़ी से किसान के हर साल हजारों रुपए बच सकते हैं। न प्रदूषण का झंझट, न उर्वरता का खतरा। सफेदा खरीदने की भी जरूरत नहीं है। बस, आप अपने खेत में यूकेलिप्टस के एक-दो पेड़ लगा लें और दीमक से मुक्ति पाएं। सफेदे की ये लकड़ियां ही दीमक को ललचाएंगी। भगवती देवी के खेत में खेजड़ी, बबूल, बेर, अरड़ू, शीशम, सफेदा और नीम के वृक्ष मुख्य रूप से लगे हुए हैं। इसके अलावा भी कुछ अन्य प्रजातियों के पेड़ पौधे हैं। इन पेड़ों की लकड़ियां हर साल खेत में सफाई के दौरान खेत के चारों ओर बनी सीमा पर डाल दी जाती हैं।

पहला प्रयोग 2004 में आजमाया, दीमक भी केंचुए की तरह ही जमीन के लिए कारगर

भगवती देवी बताती हैं कि मैंने अपना पहला प्रयोग 2004 में किया। अपनी तरकीब को मैंने गेहूं के खेत में आजमाया, जाे कामयाब रहा। 3 फीट की सफेदे की लकड़ी गेहूं की दो कतारों के बीच इस तरह जमीन में गाड़ा कि उसका आधा हिस्सा जमीन में रहे। बाद में देखा तो गेहूं की फसल में दीमक नहीं लगी। सारे दीमक सफेदे की लकड़ी चूसने में लगी हुई थीं। वहीं, सफेदे की लकड़ी के नीचे जहां दीमक थे, उसके पास के दाने ज्यादा अच्छे और चमकदार निकले। इससे यह भी पता चला कि दीमक भी केंचुए की तरह ही मिट्टी को उपजाऊ बनाते हैं। फिर तो मैंने बाकी खेतों में भी यही तरकीब अपनाई। यह बात इतनी तेजी से इलाके में फैली कि लोग हमारे खेतों को देखने दूर-दूर से आने लगे।


मेरी तरकीब को बीकानेर के विश्वविद्यालय ने जांचा-परखा, तब दी मान्यता

भगवती देवी कहती हैं कि मेरी इस तरकीब के बारे में जब कृषि वैज्ञानिकों को पता चली तो हकीकत जानने के लिए राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय (बीकानेर) के कृषि अनुसंधान निदेशक डॉ. एमपी साहू भगवती देवी के खेतों पर पहुंच गए। उस वक्त मेरे खेत में मिर्च की फसल लगी हुई थी। मैंने उन्हें अपना प्रयोग दिखाया। सफेदे की लकड़ी फसल के बीच रखकर अपना प्रयोग डॉ साहू को दिखा दिया। उसके बाद डॉ साहू के निर्देशन में मेरी तकनीक का पुनः शेखावटी कृषि अनुसंधान केंद्र पर किया गया। जब वहां भी प्रयोग सफल रहा तो मेरे प्रयोग को मान्यता मिल गई।

पति का मिला कदम-कदम पर साथ, कुछ नहीं समझ आता तो बड़े प्यार से बताते

भगवती देवी बताती है कि मैं तो अंगूठाछाप हूं। जब मैं पति के घर आई तो मैंने देखा कि मेरे पति दिन-रात किसानी में लगे रहते हैं और नई-नई तरकीब आजमाते रहते हैं। उनकी यह कोशिश देख मैं भी उनके साथ खेती-किसानी में जुट गई। मेरे पति को बीते साल कृषि में उनके नए-नए प्रयोगों के लिए पद्मश्री से नवाजा गया। उनके द्वारा एक लीटर पानी से एक पौधा उगाने की तकनीक को देश-दुनिया में पहचान मिली है। वह भी मेरा कदम-कदम पर साथ दे रहे हैं और इस तकनीक को देश के बाकी किसानों तक पहुंचाने की कोशिश में जुटे है। मुझे जब कुछ भी नहीं समझ आता था तो वह मुझे प्यार से विज्ञान की बारीकियों के बारे में बताते।


बचपन में तंगहाली के चलते नहीं कर सकी पढ़ाई, आज महिलाओं को देती हूं ट्रेनिंग

भगवती देवी कहती है कि सीकर जिले के गोवटी गांव में टेडूरामजी के यहां 1952 में मेरा जन्म हुआ। मेरे पिता पहाड़ी के मकानों में छत के लिए काम आने वाली पट्टियां निकालते और मां मूलीदेवी के साथ हम पांच भाई और दो बहनें खेत में काम करतीं। 1971 में मेरी शादी दांता निवासी सुंडाराम वर्मा से हुई। मेरे पति ने बीएससी की पढ़ाई की थी। मैं पढ़ी तो नहीं थी, मगर उनकी पढ़ाई-लिखाई मेरे काम आई। मैंने पढ़ाई नहीं की, मगर चाहत बहुत थी। घर की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं होने की वजह से मैं पढ़ नहीं पाई। मगर, पति की वजह से अब यह मलाल नहीं रहा। अब तो मैं दूसरों को कीटनाशकों के छिड़काव से बचने की ट्रेनिंग देती हूं। महिलाओं को नए-नए प्रयोगों के लिए उनका उत्साह बढ़ाती हूं। आज हमारी स्वाभिमान नाम की एक संस्था है, जो आसपास की महिला-पुरुष किसानों को प्रेरित करने का काम करती है। यह संस्था उन्नत बीजों और खेती के नए तौर-तरीकों और कीटनाशकों के नुकसान के बारे में किसानों को जागरूक कर रही है।

ज्यादा कीटनाशक के इस्तेमाल से जमीन हो जाती है जहरीली

भगवती देवी कहती हैं, अगर किसी फसल पर कीटों का प्रकोप होता है तो एक हेक्टेयर में 1 लीटर कीटनाशक का छिड़काव किया जाता है। वहीं, दीमक का प्रकोप होता है तब 1 हेक्टेयर खेत में साल भर में 10 लीटर कीटनाशक का छिड़काव करना पड़ता है। इतने कीटनाशक से जमीन खराब और जहरीली हो जाती है। वहीं, सफेदे की लकड़ी का इस्तेमाल सस्ता और सुरक्षित भी है।

बारिश का पानी बर्बाद न हो, इसके लिए भी खोज निकाला नया तरीका

पूरे राजस्थान में पानी की किल्लत रहती है। इसे देखते हुए वॉटर हॉर्वेस्टिंग भी भगवती देवी ने अनूठे तरीके से की है। भगवती देवी ने बरसात के पानी की बर्बादी को रोकने के लिए खेतों में पॉलीथिन बिछा दी, जिससे होकर पानी एक बड़े गड्‌ढे में ठहर जाता है। यह पानी साल भर फसलों की सिंचाई के काम आता है।

 

शरद पवार ने खेतों के वैज्ञानिक सम्मान से नवाजा था

मेरे इस काम के लिए 2011 में उस समय के केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार ने ‛खेतों के वैज्ञानिक’ सम्मान से नवाजा था। इसके अलावा राजस्थान पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, बीकानेर और मौलाना आजाद यूनिवर्सिटी, जोधपुर की ओर से भी ‛खेतों के वैज्ञानिक’ सम्मान मिला है। दिल्ली में ‛महिंद्रा समृद्धि इंडिया एग्री अवार्ड्स’ में ‛कृषि प्रेरणा सम्मान’ (उत्तरी ग्रामीण क्षेत्र) के लिए भी मुझे 2013 में 50,000 रुपए का पुरस्कार मिल चुका है। भगवती देवी के दो बेटे और 5 बेटियां हैं। सभी की शादियां हो चुकी हैं।

भगवती देवी का कहना है कि मैं बिना किसी कीटनाशक के दीमक को काबू करना चाहती थी। मैंने अपने अनुभव को दूसरी फसलों पर भी आजमाया। मुझे इस बात की भी खुशी है कि मैंने अनाज के अलावा दलहनी एवं तिलहनी फसलों और सब्जियों में भी इस प्रयोग को किया और हर बार जीत मिली। इस सफलता से मेरा हौसला कुछ नया करने को बढ़ता गया।

 

 

 

 

हेल्थ टिप्स /शौर्यपथ/ 

 हेल्दी और सेहतमंद रहने में हमारी डाइट अहम भूमिका निभाती है. खासतौर पर हमारा ब्रेकफास्ट. सुबह का नाश्ता दिन का सबसे जरूरी मील होता है. ब्रेकफास्ट हमेशा हेल्दी होना चाहिए. असल में बहुत से लोग ब्रेकफास्ट  करना स्किप कर देते हैं. वो भी इसलिए क्योंकि वो वजन को कम करना चाहते हैं. लेकिन, आपको बता दें कि ब्रेकफास्ट न करने से वजन और तेजी से बढ़ता है. अगर आप ब्रेकफास्ट में हेल्दी चीजों को शामिल कर लेते हैं तो वजन को आसानी से कम कर सकते हैं. क्योंकि ब्रेकफास्ट में खाई गई चीजें आपको लंबे समय तक भरा हुआ महसूस कराती हैं, जिससे आप अधिक खाने से बचे रहते हैं. और वजन को तेजी से कम कर सकते हैं.

वजन को कम करने के इन चीजों को करें सेवनः

1. सलादः

ब्रेकफास्ट में सलाद का सेवन सबसे अच्छा और हेल्दी माना जाता है. आप सलाद में कई तरह की सब्जियों और फलों को शामिल कर सकते हैं. इनमें पाए जाने वाले पोषक तत्व आपको हेल्दी रखने और वजन को कम करने में मदद कर सकते हैं.


2. उबला अंडाः

अंडे को प्रोटीन का सबसे अच्छा सोर्स माना जाता है. आप ब्रेकफास्ट में अंडे का सेवन कर सकते हैं. ये आपको हेल्दी रखने के साथ-साथ वजन को भी कम करने में मदद कर सकता है.

3. मौसमी फलः

हर मौसम के अपने फल होते हैं. और उन फलों के कुछ खास फायदे. फलों में भरपूर मात्रा में एंटीऑक्‍सीडेंट, मिनरल्‍स और विटामिन्‍स होते हैं. सर्दियों के मौसम में आने वाले मौसमी फलों को आप ब्रेकफास्ट में शामिल कर वजन को आसानी से कम कर सकते हैं.

4. अंकुरित अनाजः

अंकुरित अनाज को सेहत के लिए काफी अच्छा माना जाता है. अगर आप वजन को कम करना चाहते हैं तो ब्रेकफास्ट में अंकुरित अनाज में सब्जी और फलों को डालकर हेल्दी ब्रेकफास्ट बना सकते हैं.

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