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नई शुरुआत /शौर्यपथ /
हम सभी नए साल को लेकर कई तैयारियां करते हैं, कई वादे करते हैं ख़ुद से। इन्हें प्रण कह लीजिए। लेकिन वादा या प्रण शब्द ही ऐसे हैं कि एक दबाव-सा बना देते हैं कि पूरा करना है। देखा जाए, तो ज़्यादातर प्रण जीवनशैली को स्वस्थ बनाने या नियमितता लाने वाली आदतें ही होती हैं, जिन्हें केवल अपने और अपनों के भले के लिए सोचकर शुरू कर लिया जाए, तो इनका पालन करने में कोई दबाव महसूस नहीं होगा। क्यों ना इस बार कोई बड़ा वादा या रेज़ोल्यूशन ना लेकर हम सिर्फ़ अपनी आदत बदलने का प्रयास करें। ये आदतें ख़ुद पर सख़्ती बरतकर कड़ी परीक्षाएं देने की नहीं हैं, बल्कि ये आदतें हैं सही खानपान की मदद से सेहत पाने की। हमें हर रोज़ क्या आवश्यक रूप से खाना ही चाहिए और किस समय क्या खाना चाहिए, ताकि हम स्वस्थ रह सकें, यहां जानिए-
सही मात्रा में पानी पीना
दिनभर में 2 से 2.5 लीटर
समय— किसी भी समय। रात में सोने से 2 घंटे पहले तक भी पानी पी सकते हैं।
फ़ायदे— पानी का सेवन मस्तिष्क कार्य में सुधार करता है, कब्ज़ से बचाता है। पर्याप्त पानी के सेवन से शरीर को सुचारु रूप से कार्य करने में मदद मिलती है। यह शरीर के विषैले पदार्थों (टॉक्सिंस) को भी बाहर निकालता है।
ध्यान रखें — किडनी के मरीज़ को 8 गिलास या 2 लीटर पानी पर्याप्त है।
किस तरह पी सकते हैं- पानी में नींबू डालकर पिएं, खीरा, अदरक डालकर भी पानी को फ्लेवर में बना सकते हैं।
फलों का सेवन
हर दिन कम से कम दो बार फलों का सेवन किया जा सकता है। एक सामान्य व्यक्ति को दिन में 200 से 250 ग्राम मौसमी फलों का सेवन करना चाहिए।
समय— किसी भी समय खा सकते हैं। लेकिन संतरा, अनार आदि ठंडे फलों का सेवन दिन में ही करें।
फ़ायदे— फलों के सेवन से हीट स्ट्रोक, हाई बीपी (उच्च रक्तचाप) और हृदय रोगों से लड़ने की ताकत मिलती है। इसके साथ ही खनिज और विटामिन्स
की पूर्ति होती है।
सलाद का सेवन
भोजन के साथ सलाद ज़रूर लें।
समय— सलाद का सेवन दिन में करें, शाम या रात में ना करें।
फ़ायदे— सलाद खाने से पर्याप्त मात्रा में विटामिन्स, मिनरल्स, फाइबर मिलते हैं, जो पाचन संबंधी समस्याओं को दूर करते हैं।
क्या शामिल करें— लेट्यूस, गाजर, चुकंदर, अंकुरित दालें, ककड़ी, मक्का, शिमला मिर्च।
सावधानी— जिन लोगों को सूजन (ब्लोटिंग) रहती है वे सलाद में गोभी, चना, राजमा, शिमला मिर्च ना लें। इनके बजाय चुकंदर, टमाटर, उबले हुए मूंग, गाजर का सेवन करें।मधुमेह के मरीज़ों को क्रीम व मेयोनीज़ मिला सलाद नहीं खाना चाहिए। मक्का, पास्ता मिला सलाद, छौंक लगा सलाद व शहद मिले हुए सलाद का सेवन नहीं करना चाहिए।
साबुत अनाज
एक सामान्य व्यक्ति साबुत अनाज का सेवन दिन में 2 बार कर सकता है।
समय— इन्हें दिन के भोजन में शामिल करें। रात में सोने के 2-3 घंटे पहले भी खा सकते हैं।
फ़ायदे— इनमें प्रोटीन और फाइबर होता है। प्रोटीन से मांसपेशियों और ऊतकों की मरम्मत होती है। फाइबर से पाचन में व वज़न नियंत्रण रखने में भी मदद मिलती है।
कैसे करें सेवन— सलाद के साथ या सब्ज़ी के रूप में सेवन करें। साबुत अनाज पकाने से पहले भिगोने की प्रकिया अपनाएं (जिन्हें भिगोया जाता है) जैसे छोले, चने, लोबिया आदि।
दूध का सेवन
एक व्यस्क व्यक्ति को दिन में 400 मिली दूध पीना चाहिए। लैक्टोज़ इनटॉलेरेंस (पाचन संबंधी विकार) वाले सेवन ना करें।
समय— उपयुक्त समय सुबह और रात को सोने से आधा घंटा पहले का है।
फ़ायदे— कैल्शियम की पूर्ति करने में, ऊर्जा बढ़ाने में, कब्ज़ की समस्या दूर करने में, थकावट दूर करने में मददगार है।
कैसे पीएं— दूध गर्म या गुनगुना पी सकते हैं। गर्मियों में ठंडा पी सकते हैं।
सूखे मेवों का सेवन
रोज़ मेवों का सेवन फ़ायदेमंद होता है।
कितनी मात्रा में खाएं— बादाम- 6-8, अखरोट- 2, किशमिश- 5, खजूर- 4, अंजीर- 2, काजू- 4, पिस्ता- 4, खुबानी- 1, अंजीर- 2 (खजूर और अंजीर आयरन के अच्छे स्रोत हैं और अखरोट में ओमेगा 3 अच्छी मात्रा में होता है।)
समय— सुबह 7 बजे से शाम 5 बजे तक इन्हें खाया जा सकता है। इन्हें भिगोकर रखें फिर खाएं ताकि पाचन संबंधी समस्या ना हो।
फ़ायदे— डाइटरी फाइबर, विटामिन ए, विटामिन ई, आवश्यक फैटी एसिड, खनिज, प्रोटीन्स होते हैं।
सेल्फ केयर /शौर्यपथ/
कोरोना महामारी ने इन दो सालों में हमारे मानसिक स्वास्थ्य पर बहुत बुरा असर डाला है। जहां कुछ लोगों ने अपनी नौकरी गंवाई है, वहीं कुछ ने अपनों को खोया है। सब कुछ डिजिटल हो जाने के कारण बच्चों और बड़ों दोनों में ही डिप्रेशन और चिंता बढ़ी है। ऐसे में नए साल का स्वागत नई ऊर्जा के साथ करना जरूरी है।
न्यू ईयर रिजोल्यूशन जीवन में ऐसी ही नई ऊर्जा लाने का एक अच्छा तरीका है। आइए, हम सब मिलकर नए साल में मेंटल हेल्थ से जुड़े ऐसे संकल्प करें, जिन्हें आसानी से पूरा किया जा सके।
1. मानसिक दबाव से रहें दूर
कई बार हम कुछ काम करने से पहले खुद पर बहुत ज्यादा प्रेशर ले लेते हैं। इसलिए, अपने आप को गलतियां करने की अनुमति दें। याद रखें कि बिना टेंशन के जो काम किया जाता है, वो सबसे अच्छा होता है। अपनी छोटी-मोटी गलतियों को नजर अंदाज करें और सकारात्मक मानसिकता के साथ आगे बढ़ें।
2. नींद पूरी करना है जरूरी
नींद पूरी न होने से हमें कई तरह की बीमारियां हो सकती हैं। रिसर्च में पाया गया है कि डिप्रेशन से जूझ रहे 65 से 90% लोगों को नींद की समस्या होती है। इससे बचने के लिए समय पर सोना और 7 से 8 घंटों की नींद लेना जरूरी है। जब हम शरीर की मांग के मुताबिक नींद नहीं लेते हैं, तब हमारा शरीर भी हमसे रुठ जाता है।
3. खुद के साथ समय बिताएं
नए साल में कुछ ऐसी आदतें अपनाएं, जो आपके मन को शांत और खुश रखती हैं। ये डांसिंग, पेंटिंग, राइटिंग, रीडिंग, योगा- कुछ भी हो सकती हैं। सेल्फ केयर की इन गतिविधियों को अपने दैनिक जीवन का हिस्सा बनाएं। इसके अलावा, जो भी विचार आपको परेशान करते हैं, उन्हें एक डायरी में लिखना शुरू करें। रोजाना 20 से 30 मिनट प्रकृति के साथ बिताएं।
4. डिजिटल गैजेट्स चलाना कम करें
मानसिक स्वास्थ्य दुरुस्त रखने के लिए आपको अपना स्क्रीन टाइम कम करना जरूरी है। लगातार गैजेट्स चलाने से आपका मन चिड़चिड़ा होने लगता है। साथ ही, ये आदत आपको दूसरों से दूर कर देती है। सोशल मीडिया का इस्तेमाल भी आप पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। कोशिश करें कि मोबाइल या कम्प्यूटर स्क्रीन पर आपका समय व्यर्थ न हो। इसकी जगह आप दोस्तों और परिवार के साथ अपना वक्त बिता सकते हैं।
5. मेंटल हेल्थ के प्रति जागरूक हों
हो सकता है कि आपको मेंटल हेल्थ के बारे में अच्छी जानकारी हो लेकिन फिर भी बहुत सी जानकारी आपकी पहुंच से बाहर है। इंटरनेट पर मौजूद संसाधनों का उपयोग करें। आप मेंटल हेल्थ पर ऑनलाइन कोर्स भी कर सकते हैं। चाहें तो थैरेपी सेशन भी ले सकते हैं।
सेल्फ हेल्प /शौर्यपथ/
माफ करके जीवन की ओर दोबारा लौटें
आपको खुद को नुकसान पहुंचाने वाले व्यवहार पर न तो ध्यान देने की जरूरत है और न ही उस व्यक्ति को पसंद करने की। केवल उसको माफ कर देना है जिससे कि आप अपने जीवन की ओर दोबारा लौट सकें। इस लिहाज से माफ करना भी दरअसल स्वार्थ ही है। इसका वास्ता आपके अपने मानसिक संतुलन और मन की शांति से होता है। (गेटिंग द लव यू वॉन्ट)
सफलता के लिए पहले कीमत चुकाना होगी
आपको अपनी मनचाही चीज़ पाने के लिए पूरी कीमत चुकानी होगी। मतलब मेहनत करनी होगी। सफलता किसी रेस्त्रां में जाने की तरह नहीं है कि खाने का आनंद लेने के बाद बिल चुका सकते हैं। सफलता के लिए हर बार पहले पूरी कीमत चुकाना होती है। आज आप जिस जिंदगी का आनंद ले रहे हैं, वह भी आपके द्वारा अब तक चुकाई कीमत का ही फल है। (द मैजिक ऑफ थिंकिंग बिग)
खुद के बारे में ऊंची सोच दिलाएगी सम्मान
खुद के बारे में ऊंची सोच रखने वालों को रोक पाना नामुमकिन होता है। आप खुद को जितना ज्यादा पसंद करेंगे या खुद का आदर करेंगे तो दूसरों की सोच आपके बारे में बदलेगी। आपके कारोबार और करियर में भी आपका खुद के बारे में आकलन ही तय करेगा कि लोग आपसे ताल्लुक रखते हैं या नहीं। (माइंडसेट)
छोटी पूंजी से भी बड़ी राशि बना सकते हैं
आप मेहनत और बचत के जरिए पूंजी एकत्रित करेंगे तो ये आपकी जिंदगी में और ज्यादा कमाने और ज्यादा बचाने के मौके लाएगी। पैसा ही पैसे को खींचता है। बचत करके अपनी पूंजी बढ़ाने की आपकी क्षमता बताएगी कि आप में कितनी काबिलियत है। छोटी पूंजी भी जमा करेंगे तो बड़ी राशि के लिए मौकों को खुला निमंत्रण देंगे।(थिंक एंड ग्रो रिच)
अन्य खबर /शौर्यपथ/
1. जुनून रखने वाला एक व्यक्ति दिलचस्पी रखने वाले चालीस लोगों पर भारी पड़ता है।
2. जिस जीवन की योजना हमने बनाई है, उसकी बजाय जो हमारा इंतजार कर रहा है, उस जीवन का स्वागत करना चाहिए।
3. जो जरूरी है उसे छोड़ हम प्रभावशाली से भ्रमित हो जाते हैं।
4. इंसानी रिश्ते नामुमकिन हैं। जब असली होते हैं तब असुविधाजनक होते हैं। जब सुविधाजनक होते हैं तब नकली हो जाते हैं।
5. हर इंसान में कुछ अच्छाई तो होती ही है, फिर चाहे वो कितना ही नापसंद क्यों न हो।
6. जीवन को जटिल बनाना नहीं चाहते हैं, तो लोगों को पसंद करें और उन पर भरोसा भी करें।
7. अगर अपने दोस्त और देश में से किसी एक को धोखा देना है, तो उम्मीद करता हूूं कि अपने देश को धोखा देने की हिम्मत जुटा सकूं।
8. मैं क्या सोचता हूं, जानने के लिए यह देखना होगा कि मैं बोलता क्या हूं।
9. हम एक लंबी किताब की जरूरत से ज्यादा तारीफ इसलिए करते हैं कि हमने उसे पढ़ लिया है।
10. कोरी बकवास और खूबसूरती में गहरा संबंध होता है।
लाइफ स्टाईल /शौर्यपथ/
आधुनिक समाज में किसी व्यक्ति के पास इतना समय नहीं होता कि वो हर काम को खुद कर सके, चाहे वो कितना ही कुशल क्यों न हो। ऐसे में क्या उपाय किया जाए? हर काम के लिए समय को बांटना शुरू किया जा सकता है जिससे सफलता के लक्ष्य तक पहुंचने में ज्यादा कठिनाई महसूस नहीं होगी। लक्ष्य प्राप्ति के लिए ये चार तरीके अपनाए जा सकते हैं।
1) तय करें कि कहां ज्यादा समय नहीं गंवाएंगे
जब आप इस बात को अच्छी तरह से समझ लेते हैं कि आप सभी काम खुद से नहीं कर सकते तो अनावश्यक तनाव से और कमतरी के अहसास से खुद को तुरंत ही मुक्त कर लेते हैं। इसके बाद प्रोफेशनल फ्रंट पर आप गैरजरूरी समितियों से दूरी बना लेते हैं। व्यक्तिगत तौर पर हो सकता है कि आप गार्डनिंग के लिए या घर से जुड़े अन्य कामों के लिए भी किसी को हायर कर लें।
2) समय को बांटने की रणनीति बना सकते हैं
काम पर होते हुए या व्यक्तिगत रूप से भी आप अपने दायरे तय कर सकते हैं। खुद से सवाल करें कि आप ज्यादातर समय को किस काम में लगाना चाहते हैं? कब और कितना समय निवेश करना चाहते हैं? कई घंटों तक लगातार काम नहीं करने का बड़ा कारण ये भी हो सकता है कि ऐसा करने से आपके पास व्यायाम, नींद और परिवार के साथ समय बिताने का समय ही नहीं बच पाता है।
3) कुछ काम ऑटोमोड पर किए जा सकते हैं
आपके रोज के और हफ्ते के रूटीन ऐसे होने चाहिए कि हर खास गतिविधि के लिए थोड़ा समय निकाला जा सके और यह आसानी के साथ निकले। काम के दौरान आप चाहें तो हफ्ते में कम से कम दो बार खुद के साथ मुलाकात करें कि जरूरी प्रोजेक्ट्स के काम आगे बढ़ाए जा सकें। काम के बाहर फिटनेस बूट कैंप जॉइन कर सकते हैं कि हफ्ते में कम से कम तीन बार व्यायाम कर खुद को फिट रखा जा सके।
4) समय का संतुलन बनाकर लक्ष्य की ओर बढ़ें
जिन कामों को करने के लिए आप वर्तमान में जरूरत से ज्यादा समय दे रहे हैं (एडमिनिस्ट्रेटिव पेपर वर्क या एरेंड्स) और इससे कुछ खास हासिल भी नहीं हो रहा है तो यहां समय देना थोड़ा कम किया जा सकता है। इस तरह आप उन कामों के लिए ज्यादा समय निकाल पाएंगे जो आपको असल में फायदा पहुंचाते हैं। जैसे, स्ट्रैटेजिक प्लानिंग या परिवार के साथ समय बिताना।
सेल्फ हेल्प /शौर्यपथ/
समस्याओं का सामना करके आप ज्यादा मजबूत व होशियार बनते हैं। समस्याएं जीवन का सामान्य और अनिवार्य हिस्सा हैं। वो अटल हैं। यह हमेशा ध्यान रखें कि आप अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन तभी करते हैं जब दबाव और बाधाओं का अनुभव करते हैं। दबाव जितना ज्यादा होगा, आप हल खोजने के लिए उतना ही ज्यादा रचनात्मक बन जाएंगे।
बदलाव को बिना विरोध अपनाएं
जिंदगी का बदलाव किसी निश्चित तारीख या समय पर निर्भर नहीं है, यह तो सतत चलने वाली प्रक्रिया है। जीवन हर पल बदलता है। कभी बदलाव अच्छे होते हैं और कभी विरूद्ध होते है। हमें हर बदलाव को बिना विरोध के अपनाना चाहिए। अपनी उर्जा को गुस्सा करने में, चिंता करने में या लड़ने में व्यर्थ ना गवाएं।
माफ करने की ताकत रखें
हमारे मन में दूसरे के प्रति गुस्से, असंतोष, भय, शक, शत्रुता, ईर्ष्या जैसी नकारात्मक भावनाएं इसलिए आती हैं कि हमने माफ करने की ताकत गंवा दी है। लोगों को माफ करने की आदत बनाएं। ऐसा करके आप सकारात्मक, आशावादी, उल्लासित व्यक्ति बन जाएंगे जिसकी अपने प्रति धारणा ऊंची है और जिसके आत्मविश्वास की सीमा नहीं है।
जहां जिम्मेदारी है वहीं विकास होगा
सृजन करने की शक्ति, तालमेल बनाने की शक्ति, आपातकालीन स्थितियों से निपटने की शक्ति, बड़ी जिम्मेदारी के साथ, बरसों के व्यावहारिक प्रशिक्षण से ही विकसित हो पाती है। जहां जिम्मेदारी होती है वहां विकास भी होता है। गैर जिम्मेदार व्यक्ति कभी अपनी सच्ची शक्ति को विकसित नहीं कर पाता।
अन्य खबर /शौर्यपथ/
ध्यान क्या है?
वह बल, जो हमें इस सब (प्रकृति के प्रति हमारी दासता) का प्रतिरोध करने का सामर्थ्य देता है। प्रकृति हमसे कह सकती है, ‘देखो, वहां एक सुंदर वस्तु है।’ मैं नहीं देखता। अब वह कहती है, ‘यह गंध सुहावनी है, इसे सूंघो।’ मैं अपनी नाक से कहता हूं, ‘इसे मत सूंघ।’ और नाक नहीं सूंघती। ‘आंखो, देखो मत!’ प्रकृति जघन्य कार्य करती है, और कहती है, ‘अब, बदमाश, बैठ और रो! गर्त में गिर!’ मैं कहता हूं, ‘मुझे न रोना है, न गिरना है।’ मैं उछल पड़ता हूं। मुझे मुक्त होना ही चाहिए। कभी इसे करके देखो। ध्यान में, एक क्षण के लिए, तुम इस प्रकृति को बदल सकते हो। अब, यदि तुममें यह शक्ति आ जाती है, तो क्या वह स्वर्ग या मुक्ति नहीं होगी? यही ध्यान की शक्ति है। इसे कैसे प्राप्त किया जाए? दर्जनों विभिन्न रीतियों से प्रत्येक स्वभाव का अपना मार्ग है। पर सामान्य सिद्धांत यह है कि मन को पकड़ो। मन एक झील के समान है, और उसमें गिरने वाला हर पत्थर तरंगें उठाता है। ये तरंगें हमें देखने नहीं देतीं कि हम क्या हैं। झील के पानी में पूर्ण चंद्रमा का प्रतिबिम्ब पड़ता है, पर उसकी सतह इतनी आंदोलित है कि वह प्रतिबिम्ब हमें स्पष्ट रूप से दिखाई नहीं देता। इसे शांत होने दो। प्रकृति को तरंगें मत उठाने दो। शांत रहो, और तब कुछ समय बाद वह तुम्हें छोड़ देगी। तब हम जान सकेंगे कि हम क्या हैं। ईश्वर वहां पहले से है, पर मन बहुत चंचल है, सदा इन्द्रियों के पीछे दौड़ता रहता है। तुम इन्द्रियों को रोकते हो और (फिर भी) बार-बार भ्रमित होते हो। अभी, इस क्षण मैं सोचता हूं कि मैं ठीक हूं और मैं ईश्वर में ध्यान लगाऊंगा, लेकिन एक मिनट में मेरा मन लंदन पहुंच जाता है। यदि मैं उसे वहां से खींचता हूं तो वह न्यूयॉर्क चला जाता है, और मेरे द्वारा वहां अतीत में किए गए क्रियाकलापों के बारे में सोचने लगता है। इन तरंगों को ध्यान की शक्ति से रोकना है।
परम आनंद का द्वार
ध्यान के द्वार से हम उस परम आनंद तक पहुंचते हैं। प्रार्थनाएं, अनुष्ठान और पूजा के अन्य रूप ध्यान की शिशुशाला मात्र हैं। तुम प्रार्थना करते हो, तुम कुछ अर्पित करते हो।
एक सिद्धांत था- सभी बातों से मनुष्य का आध्यात्मिक बल बढ़ता है। कुछ विशेष शब्दों, पुष्पों, प्रतिमाओं, मंदिरों, ज्योतियों को घुमाने के समान अनुष्ठानों- आरतियों- का उपयोग मन को उस अभिवृत्ति में लाता है, पर वह अभिवृत्ति तो सदा मनुष्य की आत्मा में है, कहीं बाहर नहीं। लोग यह कर रहे हैं; पर वे जो अनजाने कर रहे हैं, उसे तुम जान-बूझकर करो। यही ध्यान की शक्ति है।
हमें धीरे-धीरे अपने को प्रशिक्षित करना है। यह प्रश्न एक दिन का, या वर्षों का, और हो सकता है कि, जन्मों का नहीं है। चिंता मत करो! अभ्यास जारी रहना चाहिए! इच्छापूर्वक, जान-बूझकर, अभ्यास जारी रखना चाहिए। हम उन वास्तविक सम्पदाओं को अनुभव करने लगेंगे, प्राप्त करने लगेंगे, जिन्हें हमसे कोई नहीं ले सकता- वह सम्पत्ति जिसे कोई नहीं छीन सकता; नष्ट नहीं कर सकता; वह आनंद जिसे कोई दुःख छू नहीं सकता।
साधना की पद्धति
ब्राह्ममुहूर्त और गोधूलि, इन दो समयों में प्रकृति अपेक्षाकृत शांत भाव धारण करती है। ये दो समय मन की स्थिरता के लिए अनुकूल हैं। इस दौरान शरीर बहुत कुछ शांत भावापन्न रहता है। इस समय साधना करने से प्रकृति हमारी काफ़ी सहायता करेगी, इसलिए इन्हीं दो समयों में साधना करना आवश्यक है।
तुममें से जिनको सुभीता हो वे साधना के लिए स्वतंत्र कमरा रख सकें तो अच्छा हो। इसे सोने के काम में न लाओ। बिना स्नान किए और शरीर-मन को शुद्ध किए इस कमरे में प्रवेश न करो। इस कमरे में सदा पुष्प और हृदय को आनंद देने वाले चित्र रखो। सुबह और शाम वहां धूप और चंदन-चूर्ण आदि जलाओ। उस कमरे में क्रोध, कलह और अपवित्र चिंतन न किया जाए। ऐसा करने पर शीघ्र वह कमरा सत्वगुण से पूर्ण हो जाएगा। यहां तक कि जब किसी प्रकार का दु:ख या संशय आए अथवा मन चंचल हो तो उस समय उस कमरे में प्रवेश करते ही मन शांत हो जाएगा।
शरीर सीधा रखकर बैठो। संसार में पवित्र चिंतन का एक स्रोत बहा दो। मन ही मन कहो- संसार में सभी सुखी हों, शांति लाभ करें, आनंद पाएं। इस प्रकार चहुंओर पवित्र चिंतन की धारा बहा दो। ऐसा जितना करोगे, उतना ही अच्छा अनुभव करने लगोगे।
आज के दौर में सबसे मुश्किल काम है प्रासंगिक बने रहना। आप कितनी भी ऊंचाई पर क्यों ना हो, अप्रासंगिक होने के डर में आप दौड़ते चले जाते हैं। समाज में, परिवार में, जॉब में अप्रासंगिक होने का डर आपको खाता है। हमारी लड़ाई इन दिनों रिलेवेंट बने रहने की है। जब मैं सफल हुआ तो अपने कुछ बुजुर्गों को देखकर सोचता था कि ये कैसे इतने शांत, खुश हैं।
इसे डीएनए थ्योरी से समझने में मदद मिली। ये क्यों होता है कि एक घटना पर हर इंसान अलग प्रतिक्रियाएं देता है? किसी ने आपकी बेटी को छेड़ दिया तो हो सकता है आप उसकी शिकायत पुलिस में करें, यह भी हो सकता है कि आप उसका कत्ल कर दें... तो ऐसा कैसे! दरअसल ये सब डीएनए से होता है कि किस वक्त पर कौन-सा डीएनए एक्टिव है।
मैं प्रैक्टिकल इंसान हूं इसलिए सही वक्त पर सही डीएनए एक्टिवेट करने का सिद्धांत समझने ऑस्ट्रिया गया। इस कोर्स के लिए तगड़ी रकम खर्च की। ये एक वेलनेस इंस्टिट्यूट था, जहां मेरा स्वागत इस बात से हुआ कि - आप इतने पैसे खर्च करके भारत से आए हैं, वो बातें सीखने के लिए जो हमने खुद भारत से ही सीखी हैं।
अगले दिन सुबह डॉक्टर से मिला। मैं भूखा था, मैंने उनसे पूछा कि मुझे क्या खाना चाहिए। उन्होंने मुझे ब्रेड के चार पीस दिए, जो थोड़े सख्त थे। साथ में सूप जैसा कुछ था। वो बोले यही अगले तीन दिन तक आपका नाश्ता, लंच और डिनर है। मैं हैरान हुआ तो उन्होंने मुझे शांत किया और कहा आपको मनपसंद नाश्ता, खाना सब मिलेगा, लेकिन पहले आपको ये खाना होगा, वो भी हमारे दिए निर्देशों के अनुसार। मैंने मंजूर किया। उन्होंने मुझे बताया कि हम यहां एक रूल फॉलो करते हैं, 'ड्रिंक योर फूड, च्यू योर वॉटर'(अपने खाने को पीजिए और पानी को चबाइए)।
मैंने उनसे इसका मतलब पूछा तो वो बोले - ब्रेड को 40 बार चबाइए, ऐसा करेंगे तो यह लिक्विड हो जाएगी, तभी उसे निगलिए। ये आसान नहीं होगा, आपका दिमाग आपको ऐसा करने से रोकेगा, लेकिन आपको फोकस बनाना है। जब सूप लेना चाहें, उसे सीधे मत निगलिए। मुंह में रखकर उसे महसूस कीजिए और फिर निगलिए।
मैंने बिल्कुल ऐसा ही किया और यकीन मानिए मैं 14 मिनट में ब्रेड खत्म नहीं कर पाया, सूप तो भूल जाइए। मेरा पेट भर चुका था। आगे कुछ खाने लायक नहीं था। उन्होंने इसका राज मुझे बताया - मि.माधवन, आपका दिमाग जानता है कि आपको क्या चाहिए। 14 या 15 मिनट चबाने के बाद दिमाग कहता है बस बहुत हुआ! और आप तृप्त महसूस करने लगते हैं।
मैंने इस बारे में और जानना चाहा तो उन्होंने बताया - आप अपने दिमाग और शरीर को बेहद कम आंकते हैं। जंगल में बैल से ज्यादा मसल किसी जानवर के नहीं होते...और बैल का दिमाग जानता है कि घास से उसे कैसे प्रोटीन हासिल करना है। तो आप क्यों प्रोटीन शेक पीकर, एक्सरसाइज करके मसल बनाने में लगे रहते हैं।
दुनिया में जो भी सफल और महान हुए हैं एलेक्जेंडर से लेकर महात्माओं तक, सभी ने खाने को लेकर अनुशासन का पालन किया है। उन्होंने समझाया कि हम गलत वक्त पर खाना खाते हैं तो दिमाग को जब कई दूसरे कामों में लगना चाहिए, वो बेचारा केवल खाने को जहर बनने से रोकने में लगा होता है। इस तरह आप स्वस्थ नहीं रह सकते हैं। अगर आप स्वस्थ नहीं हैं तो दिमाग का सही चलना असंभव है। कोई भी समाज तब तक विकसित नहीं हो सकता जब तक वो स्वस्थ नहीं है, इस तरह हमारी दिमागी स्वास्थ्य भी पेट से जुड़ा है।
प्रासंगिकता पर लौटते हैं, 50 साल का हीरो आखिर 17 साल की हीरोइन से कैसे तालमेल बैठाएगा। यह वाकई मुश्किल है लेकिन अगर आपकी जेब में किस्से हैं, आप अपनी उम्र से छोटे नजर आते हैं, ज्यादा यंग दिखते हैं, एनर्जी से भरपूर हैं तो आप वाकई वो हीरो हैं जिसकी प्रासंगिकता कभी खत्म नहीं होगी। ये सब सही वक्त पर सही खाने से संभव है। आप भी कोशिश कीजिएगा।
(2016 में आरडब्लूसी के मंच पर एक्टर आर.माधवन)
अन्य खबर /शौर्यपथ/
कनाडा के वैज्ञानिकों ने एक हालिया रिसर्च में पाया है कि क्लास रूम में बैठने के बजाय ऑनलाइन पढ़ाई करने से बच्चों में डिप्रेशन और चिंता का खतरा बढ़ रहा है। साथ ही, कोरोनाकाल के दौरान ज्यादा टीवी देखने और ऑनलाइन गेम खेलने से 2 से 4 साल तक के बच्चों में भी डिप्रेशन और व्यवहार संबंधी समस्याएं जन्म ले रही हैं।
बच्चों की मेंटल हेल्थ और डिजिटल स्क्रीन का कनेक्शन
कनाडा के हॉस्पिटल फॉर सिक चिल्ड्रन के विशेषज्ञों ने रिसर्च में बच्चों की मेंटल हेल्थ और डिजिटल स्क्रीन के कनेक्शन का पता लगाया। उन्होंने करीब 2 हजार स्कूली बच्चों के माता-पिता से बात कर कोरोना के समय बच्चों की मानसिक स्थिति की रिपोर्ट बनाई। बच्चों में लड़के और लड़कियों की संख्या समान थी।
रिसर्च में यह बात सामने आई कि बच्चों की मेंटल हेल्थ से डिजिटल स्क्रीन के इस्तेमाल का सीधा कनेक्शन है। औसतन 11 साल के बच्चों में ऑनलाइन पढ़ाई करने के कारण डिप्रेशन और चिंता का खतरा बढ़ा है। साथ ही, इनमें ज्यादा टीवी देखने, इंटरनेट पर गेम्स खेलने और वीडियो चैट करने से भी मानसिक बीमारियों का स्तर बढ़ गया है। देर तक ध्यान न लगा पाना भी बच्चों में एक बढ़ती मुसीबत है।
वैज्ञानिकों के अनुसार, यह परेशानी केवल बड़े बच्चों में नहीं है। 2 से 4 साल तक के बच्चे भी टीवी और डिजिटल स्क्रीन के ज्यादा इस्तेमाल से व्यवहार संबंधी समस्याओं की चपेट में आ रहे हैं।
रिसर्च में या भी पाया गया कि बच्चों की मेंटल हेल्थ पर कोरोनाकाल में सोशल आइसोलेशन का भी बुरा असर हुआ है। इसके अलावा, नींद में गड़बड़ी, फिजिकल एक्टिविटी न होना, तनावपूर्ण खबरें और ऑनलाइन बुलिंग का शिकार होना भी बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य बिगड़ने के कुछ महत्वपूर्ण कारण हैं।
कैसे रखें अपने बच्चों को मानसिक बीमारियों से दूर
1. मोबाइल पर पेरेंटल कंट्रोल का करें इस्तेमाल
बच्चों को स्क्रीन से दूर रखने के लिए आप अपने मोबाइल या कम्प्यूटर पर पैरेंटल कंट्रोल सेटिंग का उपयोग कर सकते हैं। इससे आपका बच्चा एक सीमित समय तक ही स्क्रीन देख पाएगा। साथ ही, उसके काम में न आने वाली चीजें ब्लॉक हो जाएंगी। इसके अलावा, चाइल्ड एक्टिविटी कंट्रोल में रखने के लिए आप ऐप्स भी यूज कर सकते हैं।
2. बच्चों से बात करें
हम अक्सर जीवन में इतने व्यस्त हो जाते हैं कि अपने बच्चों को समय देना ही भूल जाते हैं। महामारी के इस वक्त में आप अपने बच्चों का सहारा बनें। उनके मन की बातों को जानने और समझने की कोशिश करें। उनकी परेशानियों का उपाय ढूंढे। इससे वे तनाव की स्थिति में नहीं आ पाएंगे।
3. टेक्नो-फ्रेंडली बनें
आपका बच्चा कब कौन सी वेबसाइट पर जाता है, कौन से गेम खेलता है, कौन से सोशल मीडिया प्लैटफार्म चलाता है, इसकी जानकारी रखें। इससे भविष्य में यदि उनको कोई परेशानी होती है, तो आप उसे समझने में सक्षम होंगे। अगर बच्चे छोटे हैं, तो वेबसाइट्स की एज रिस्ट्रिकशन गाइडलाइंस को जरूर पढ़ लें।
4. बच्चों के स्क्रीन टाइम को सीमित करें
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, 2 से 5 साल की उम्र के बच्चों को हर दिन अधिकतम एक घंटा स्क्रीन देखनी चाहिए। वहीं, 2 साल से छोटे बच्चों को टीवी समेत कोई भी स्क्रीन नहीं देखनी चाहिए।
फिटनेश केअर /शौर्यपथ/
इन मजेदार तरीकों को आजमाकर आप खुद को एक्टिव और एनर्जेटिक रख सकते हैं. डांस इसका सबसे बढ़िया उदाहरण है, इसके जरिए खुद को फिट रखा जा सकता है. इसके अलावा स्किपिंग जैसी ढेरों एक्टिविटीज हैं जो फिट रहने में आपकी मदद कर सकते हैं.
खुद को फिजिकली फिट रखने के लिए आम तौर पर लोग योग का सहारा लेते हैं. वहीं कुछ लोग जिम जाकर वर्क आउट करते हैं तो कुछ रनिंग और एक्सरसाइज के जरिए खुद फिट बनाए रखते हैं. लेकिन अगर आपको ये सभी तरीके पसंद नहीं आते और आप खुद को फिट और एक्टिव रखना चाहते हैं तो आप कुछ अलग और हटके तरीके आजमा सकते हैं. इन मजेदार तरीकों को आजमा कर आप खुद को एक्टिव और एनर्जेटिक रख सकते हैं. डांस इसका सबसे बढ़िया उदाहरण है, इसके जरिए खुद को फिट रखा जा सकता है. इसके अलावा स्विमिंग और स्किपिंग जैसी ढेरों एक्टिविटीज हैं जो फिट रहने में आपकी मदद कर सकते हैं. चलिए आपको इन तरीकों के बारे में बताते हैं.
साइकिलिंग |
हर रोज करीब घंटे भर साइकिलिंग करने से 280-300 कैलोरी बर्न होती है. ऐसे में साइकिल चलाएं और खुद को फिट रखें. शरीर से चर्बी हटाने के लिए साइकिलिंग कारगर उपाय है. पेट कम करने और अपने जॉइंट्स को ठीक रखने के लिए साइकिलिंग बेहतर ऑप्शन है. ये हार्ट को भी हेल्दी रखता है, दिल के लिए ये बेहद फायदेमंद है. साइकिलिंग करने का एक फायदा ये भी है कि इससे मांसपेशियां मजबूत होती हैं और तनाव कम होता है.
डांस |
डांस को भी एक तरह का एक्सरसाइज माना गया है, इससे पूरा शरीर एक्टिव रहता है. तो अगर आपको हैवी वर्कआउट करना पसंद नहीं तो आप अपने मनचाहे गाने पर जमकर डांस करिए. आप जुंबा क्लासेस कर सकते हैं, वजन कम करने के लिए इसे सबसे अधिक कारगर माना गया है. इसके अलावा सालसा डांस भी बढ़िया विकल्प है, जिससे शरीर का बढ़ा हुआ वजन कम किया जा सकता है. एक घंटे सालसा डांस करने से करीब चार सौ के आस-पास कैलोरी बर्न होती है.
स्किपिंग |
स्किपिंग यानी रस्सी कूदने से शरीर का वजन कम होता है. रोज आधा घंटा से 45 मिनट स्किपिंग कर आप खुद को एक्टिव बना सकते हैं. रस्सी कूदने से दिल भी हेल्दी होता है और पेट पर जमी चर्बी कम होती है, स्किपिंग से शरीर की हड्डियां मजबूत होती हैं. कई सारे सेलिब्रिटीज स्किपिंग को अपनी फिटनेस रूटीन में शामिल करते हैं. ऐसे में आप को भी अगर एक्सरसाइज करना पसंद नहीं तो आप इस ऑप्शन को चुन कर फिट रह सकते हैं.
जंपिंग |
जंपिंग करना काफी आसान है और इसके लिए आपको घंटों का समय निकालने की भी जरूरत नहीं होती. हर दिन कुछ मिनट देकर आप खुद को एक्टिव और फिट रख सकते हैं. हर दिन केवल 20 मिनट जंपिंग करने से 100 से 200 तक कैलोरी बर्न होती है.
खेलना |
आपने स्पोर्ट्स पर्सन्स को अक्सर फिट देखा होता, क्योंकि खेलना खुद एक एक्सरसाइज है. आउटडोर गेम्स जैसे बैडमिंटन, बास्केटबॉल, बेसबॉल जैसे गेम आप खेल सकते हैं. इसके साथ ही स्विमिंग भी शरीर को फिट रखने के लिए एक अच्छा ऑप्शन है. प्रतिदिन 35-40 मिनट इस तरह के गेम खेलते हैं तो आप बिल्कुल फिट और चुस्त रहेंगे.
नई दिल्ली /शौर्यपथ/
धर्मेंद्र की उम्र 86 वर्ष है. उन्हें बॉलीवुड का हीमैन भी कहा जाता है. उन्हें यूं ही यह नाम नहीं दिया गया है. फिल्मों में उनका एक्शन अंदाज खूब दिल जीतता है तो रियल लाइफ में भी वह अकसर एक्शन मोड में रहते हैं. यानी वह हमेशा किसी न किसी काम में व्यस्त नजर आते हैं. अपना अधिकतर समय फार्म हाउस पर बिताने वाला बॉलीवुड एक्टर धर्मेंद्र ने एक वीडियो शेयर किया है जिसमें वह साइकलिंग तो कर ही रहे हैं, इसके साथ ही वह चक्की भी पीस रहे हैं. चक्की पीसने के जरिये वह गेहूं का आटा तैयार कर रहे हैं.
धर्मेंद्र ने इस शानदार वीडियो को शेयर करते हुए लिखा है, 'साइकलिंग, साइकिलंग, साइकलिंग और चक्की पीसिंग और पीसिंग और पीसिंग. हा हा.' इस तरह धर्मेंद्र बहुत ही मजे के साथ साइकिल चला रहे हैं और वह अपनी एक्सरसाइज भी कर रहे हैं. इस तरह साइकलिंग के साथ चक्की पीस रहे हैं, और गेहूं का आटा बना रहे हैं.
धर्मेंद्र के वर्कफ्रंट की बात करें तो पिछली बार उन्हें 'यमला पगला दीवाना' में देखा गया था. इस फिल्म ने दर्शकों के दिलों में खास जगह बना ली थी. वहीं अब वे अपनी अगली फिल्म 'अपने 2' की शूटिंग की तैयारी में लगे हैं. इस फिल्म का डायरेक्शन अनिल शर्मा करेंगे.
हेल्थ अलर्ट /शौर्यपथ/
5 से 11 साल की उम्र के बच्चों में एडल्ट्स के मुकाबले कोरोना होने की आशंका तीन गुना ज्यादा होती है। यह दावा इंग्लैंड के इंपीरियल कॉलेज लंदन की एक रिसर्च में किया गया है। वैज्ञानिकों का कहना है कि ऐसे मामलों में कमी लाने के लिए बच्चों को वैक्सीन लगाना जरूरी है।
रिसर्च में कहा गया है कि टीनएज बच्चों और एडल्ट्स को लग रहे बूस्टर डोज के चलते छोटे बच्चे गंभीर रूप से बीमार नहीं हो रहे हैं। इसके अलावा स्टडी के दौरान ओमिक्रॉन के मामलों में हर दिन 66% इजाफा देखा गया। बता दें कि इंग्लैंड ने हाल ही में खराब इम्यूनिटी वाले बच्चों के लिए वैक्सीन को मंजूरी दे दी है।
ऐसे हुई रिसर्च
इंपीरियल कॉलेज लंदन और मार्केट रिसर्च कंपनी इप्सोस मोरी के वैज्ञानिकों ने रिसर्च में बच्चों में कोरोना के 97,000 सैंपल टेस्ट किए। इन्हें 23 नवंबर से 14 दिसंबर के बीच लिया गया था। रिजल्ट में करीब 4.47% प्राइमरी स्कूल के बच्चों में वायरस की पुष्टि हुई, जबकि देश भर में ये आंकड़ा सिर्फ 1.41% है।
शोधकर्ताओं के मुताबिक वैक्सीनेशन के कारण टीनएज बच्चों में कोरोना के मामले आधे हो गए हैं। पहले यही ग्रुप कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित था। इसके अलावा 75 साल की उम्र से ज्यादा के लोगों में कोरोना के मामलों में दो-तिहाई की गिरावट आई है
छोटे बच्चों में ओमिक्रॉन भी
लीड रिसर्चर पॉल एलियट का कहना है कि 11 दिसंबर तक हुई वायरल सीक्वेंसिंग के डेटा के अनुसार, बच्चों में 650 में से 11 मामले ओमिक्रॉन के थे। बचे हुए मामले कोरोना के पुराने वैरिएंट डेल्टा के थे। एलियट के मुताबिक स्टडी के दौरान ओमिक्रॉन के मामलों में हर दिन 66% इजाफा हो रहा था। यह डेल्टा के संक्रमण फैलने की गति से 3.5 गुना ज्यादा था।
बच्चों के लिए वैक्सीन को मंजूरी
इंग्लैंड में 5 से 11 साल के उन बच्चों के लिए फाइजर वैक्सीन की कम खुराक को मंजूरी दे दी गई है, जिन्हें गंभीर बीमारियां हैं या जिनकी इम्यूनिटी अच्छी नहीं है। इससे इन बच्चों में कोरोना संक्रमण कम होगा। साथ ही, एडल्ट्स और टीनएज बच्चों को लगाए जा रहे बूस्टर डोज के कारण भी छोटे बच्चे संक्रमण से बच रहे हैं।
एलियट कहते हैं कि भले ही उनके देश में ओमिक्रॉन तेजी से फैल रहा है, लेकिन वैक्सीनेशन की बढ़ती रफ्तार के कारण ये वैरिएंट बच्चों या एडल्ट्स के लिए घातक साबित नहीं होगा।
अन्य खबर /शौर्यपथ/
'महाभारत' के भीम यानि प्रवीण कुमार सोबती को आर्थिक दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। वो बहुत मुश्किल से अपना गुजारा कर पा रहे हैं। हाल ही में उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा, "मैं 76 साल का हूं और घर पर ही रहता हूं। आजकल तबियत ठीक नहीं रहती है। मेरी पत्नी वीना मेरी देखभाल करती है। एक वक्त था जब भीम को सब जानते थे, लेकिन अब सभी ने भुला दिया है।" बता दें प्रवीण ने फिल्मों और टीवी सीरियल में तो काम किया ही है, साथ ही वो एक खिलाड़ी भी रह चुके हैं। उन्होंने एशियन गेम्स, कॉमनवेल्थ गेम्स और ओलंपिक में हिस्सा लिया है। ऐसे में प्रवीण ने खेलों में अपने योगदान को देखते हुए सरकार से पेंशन की मांग की है, जिससे उन्हें अपना जीवन गुजारने में आसानी हो। हालांकि उन्हें बीएसएफ से पेंशन मिल रही है, लेकिन यह उनके हर दिन के खर्चों के लिए काफी नहीं है।
बॉलीवुड /शौर्यपथ/
दिग्गज एक्टर और कॉमेडियन मुश्ताक मर्चेंट का सोमवार (27 दिसंबर) को 67 साल की उम्र में निधन हो गया है। मुश्ताक ने मुंबई के होली फैमिली हॉस्पिटल में आखिरी सांस ली। वे लंबे समय से डायबिटीज की बीमारी से पीड़ित थे। मुश्ताक की फैमिली ने उनके निधन की खबर को कंफर्म किया है।
मुश्ताक ने 'शोले' में भी किया था काम
मुश्ताक मर्चेंट ने 'हाथ की सफाई', 'जवानी दीवानी', 'सीता और गीता', 'जवानी दीवानी', 'फिफ्टी फिफ्टी', 'सागर', 'नसीब वाला', 'प्यार हुआ चोरी चोरी', 'बलवान', 'हमशक्ल' जैसी कई फिल्मों में अभिनय किया था। उन्होंने 1975 में रिलीज हुई अमिताभ बच्चन और धर्मेंद्र की ब्लॉकबस्टर फिल्म 'शोले' में भी काम किया था। लेकिन, फिल्म की लंबाई के कारण उनकी भूमिका वाले सीन काट दिए गए थे।
मर्चेंट ने 'शोले' में ट्रेन ड्राइवर की भूमिका निभाई थी, जिसकी बाइक जय (अमिताभ) और वीरू (धर्मेंद्र) ने फिल्म के गाने 'ये दोस्ती' के दौरान चोरी की थी।
16 साल पहले छोड़ दी थी एक्टिंग
बता दें कि एक्टर और कॉमेडियन होने के अलावा मुश्ताक राइटर भी थे। उन्होंने 'प्यार का साया' का स्क्रिन-प्ले और 'सपने सजन के' फिल्म के डायलॉग लिखे थे। मुश्ताक ने लगभग 16 साल पहले एक्टिंग छोड़ दी थी। एक्टिंग छोड़ने के बाद वे सूफी बन गए थे और खुद को धार्मिक गतिविधियों में व्यस्त रखते थे