August 02, 2025
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टेक्नोलॉजी /शौर्यपथ/ 

दुनियाभर में इलेक्ट्रिक व्हीकल्स को बढ़ावा मिल रहा है। इस साल फोर-व्हीलर्स इलेक्ट्रिक व्हीकल से लेकर ईवी स्कूटर्स और बाइक्स ने पहले दिन से ही लोगों को अट्रैक्ट किया है। यही वजह थी कि ओला स्कूटर को 24 घंटे के दौरान ही एक लाख से ज्यादा बुकिंग मिली थी। देश में तो लगभग 40 से ज्यादा ईवी लॉन्च हुए लेकिन आज हम आपको इस साल लॉन्च हुए टॉप

13 इलेक्ट्रिक व्हीकल्स के बारे में बता रहे जिनमें बजट वाली स्कूटर्स, बाइक्स से लेकर लग्जरी कारें तक शामिल हैं। तो आइए एक एककर जानते हैं……

 1.ओला इलेक्ट्रिक स्कूटर

यह इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर दो ट्रिम्स S1 और S1 Pro में मिलती है। बेस ट्रिम S1 की दिल्ली में एक्स-शोरूम कीमत 85,099 रुपए से शुरू होती है। जबकि हायर ट्रिम S1 Pro की एक्स-शोरूम कीमत 1,10,149 रुपए है। S1 वैरिएंट 2.98 kWh बैटरी पैक के साथ आता है। यह इलेक्ट्रिक वाहन एक बार फुल चार्जिंग पर 121 किमी की ड्राइविंग रेंज देता है। जबकि प्रीमियम ट्रिम S1 Pro स्कूटर 181 किमी की रेंज देता है।

2.सिंपल वन

इसकी कीमत 1.10 लाख रुपए (एक्स-शोरूम) है। इस इलेक्ट्रिक स्कूटर में 4.8 kWh का बैटरी पैक मिलता है जो पोर्टेबल भी है। इसलिए, कोई भी इस ई-स्कूटर से लिथियम-आयन बैटरी पैक को अलग कर सकता है और इसे घर पर चार्ज कर सकता है। इलेक्ट्रिक स्कूटर यूजर को एक बार चार्ज करने पर ईको मोड में 203 किमी ड्राइविंग रेंज देता है। है।

3.KM3000 बाइक

इस बाइक को गोवा की कबीरा मोबिलिटी कंपनी ने लॉन्च किया है। ये 0 से 40km की स्पीड 3.1 सेकेंड में पकड़ लेती हैं। KM3000 में कंपनी ने 4kWh बैटरी का इस्तेमाल किया गया है। इसमें BLDC (ब्रशलैस DC इलेक्ट्रिक मोटर) दी गई है। बाइक ईको मोड में 120KM, सिटी रेंज में 95km और स्पोर्ट्स मोड में 60km तक दौड़ती है। ईको चार्जिंग मोड में ये 6.30 घंटे में चार्ज होती है। वहीं, बूस्ट चार्जर से इसे 2 घंटे में चार्ज किया जा सकता है। दोनों बाइक में स्पीड कंट्रोल के लिए सिंगल डिस्क ब्रेक मिलते हैं।

4. ईवी सोल

ईवी इंडिया की ईवी सोल इलेक्ट्रिक स्कूटर की कीमत 1.39 लाख रुपए की एक्स-शोरूम कीमत पर शुरू होती है। ईवी IoT इनबिल्ट, एंटी-थेफ्ट लॉक सिस्टम, जीपीएस नेविगेशन, USB पोर्ट, सेंट्रल ब्रेकिंग सिस्टम जियो-टैगिंग, कीलेस एक्सपीरिएंस, रिवर्स मोड और जियो-फेंसिंग से लैस है। एक बार फुल चार्ज करने पर यह स्कूटर यूजर को 120 किमी से ज्यादा की रेंज देता है।

5.बाउंस इनफिनिटी

इस इलेक्ट्रिक स्कूटर को बैटरी और चार्जर सहित 68,999 की कीमत पर खरीदा जा सकता है। हालांकि, स्कूटर की कीमत बिना बैटरी के 36,000 रुपए है। यह मार्केट में पहला इलेक्ट्रिक स्कूटर है जिसे
ऑप्शनल बैटरी के साथ पेश किया गया है। कंपनी इस ई-स्कूटर को 'सर्विस एज ए बैटरी' ऑप्शन के साथ भी बेच रही है जो ग्राहकों को बैटरी के बिना स्कूटर खरीदने का मौका दे रही है। इसकी दो किलोवाट-घंटे की लिथियम-आयन बैटरी को एक बार फुल चार्ज करने पर स्कूटर 85 किमी की रेंज देता है।

6.रिवोल्ट RV400

इसकी एक्स-शोरूम कीमत 90,799 रुपए है। इसे 15A के नॉर्मल सॉकेट से फुल चार्ज होने में 4 घंटे का समय लगता है। बाइक की टॉप स्पीड 85 किमी/घंटे तक है। बाइक सिंगल चार्जिंग में 156 किलोमीटर (ARAI सर्टिफाइड) की दूरी तय कर सकती है। यह भारत की पहली ऐसी इलेक्ट्रिक बाइक है जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस टेक्नोलॉजी पर बेस्ड है।

7.ग्रावटन

इसे कंपनी ने 99,000 रुपए की कीमत में लॉन्च किया है। टॉप स्पीड टॉप स्पीड 70 किमी/घंटे हो क्वांटा में बैटरी पावर 3 किलोवाट लिथियम आयन बैटरी मिलती है। जो सिंगल चार्ज पर 150 किमी की रेंज देती है। बैटरी को घर पर 3 घंटे में चार्ज कर सकते हैं।यदि फास्ट चार्जर से चार्ज करेंगे तो यह सिर्फ 90 मिनट में चार्ज हो जाएगी। इसमें अलग से बैटरी लगाकर रेंज को 320 किमी तक बढ़ाया जा सकता है।

8.हीरो इलेक्ट्रिक ऑप्टिमा HX

इसकी टॉप स्पीड 42 किमी प्रति घंटा है और यह एक बार चार्ज होने के बाद 82 किलोमीटर तक जा सकता है। यह दो वैरिएंट्स में है, सिंगल-बैटरी वर्जन की कीमत 55,580 रुपए और डबल बैटरी वर्जन की कीमत 65,640 रुपए एक्स-शोरूम रिवाइज्ड FAME II सब्सिडी के बाद है

 
1.टाटा टिगोर EV जिपट्रोन

इसकी कीमत 11.99 लाख रुपए है। यह 26 Kw लीथियम ऑयन बैटरी से लैस यह इलेक्ट्रिक कार महज 5.7 सेकेंड में 60 kmph की रफ्तार पकड़ लेगी। नई टाटा टिगोर ईवी तीन वेरिएंट में उपलबध होगी। इसमें टाटा टिगोर EV XE की कीमत 11.99 लाख रुपए, टाटा टिगोर EV XM की कीमत 12.49 लाख रुपए और टाटा टिगोर EV XZ+ की कीमत 12.99 लाख रुपए होगी। इसे एक बार फुल चार्ज करके 306 किलोमीटर तक का सफर कर सकते हैं। 1 घंटे में 0 से 80% तक चार्ज हो जाती है।

2. जगुआर आई-पेस

इसकी कीमत 1.06 करोड़ रुपए से शुरू होती है और 1.12 करोड़ (एक्स-शोरूम) तक जाती है। जगुआर आई-पेस मर्सिडीज-बेंज ईक्यूसी के बाद देश में दूसरी लक्जरी इलेक्ट्रिक SUV बन गई है। आई-पेस में 6-एयरबैग, ABS,ESC, इमरजेंसी ब्रेक असिस्ट, फ्रंट और रियर पार्किंग सेंसर और 360-डिग्री कैमरा मिलता है।

3. ऑडी e-ट्रॉन

इसकी एक्स-शोरूम कीमत 99.99 लाख रुपए है। ई-ट्रॉन सीरीज की 3 नई इलेक्ट्रिक SUV पेश की, जिनकी कीमत 99.99 रुपए से शुरू हैं। इसमें इलेक्ट्रिक SUV ई-ट्रॉन 50, ई-ट्रॉन 55 और ई-ट्रॉन स्पोर्टबैक हैं और इनकी एक्सशोरूम कीमत क्रमश: 99.99 लाख रुपए, 1.16 करोड़ रुपए और 1.18 करोड़ रुपए है। ई-ट्रॉन 55 और ई-ट्रॉन स्पोर्टबैक 55 को एक बार फुल चार्ज होने के बाद 359 किलोमीटर से 484 किलोमीटर तक की दूरी तय कर सकती है। ई-ट्रॉन और ई-ट्रॉन स्पोर्टबैक को 11kW AC होम चार्जर का इस्तेमाल कर लगभग 8.5 घंटे में फुल चार्ज किया जा सकता है।

4. BMW iX

इसकी एक्स-शोरूम कीमत 1.16 करोड़ रुपए है। यह बैटरी पैक सिंगल चार्ज (WLTP साइकिल) पर मैक्सिमम 414 किमी की रेंज देता है। डुअल मोटर्स का आउटपुट 322 BHP और 630 Nm है। जबकि xDrive 50 वैरिएंट में 105.2 kWh बैटरी पैक का इस्तेमाल किया गया है, जो 611 किमी की मैक्सिमम रेंज देती है। यह वैरिएंट 516 BHP का पावर और 765 Nm का टॉर्क जेनरेट करता है और 4.6 सेकेंड में 0 से 100 किमी प्रति घंटा की रफ्तार पकड़ सकता है।

5. पोर्श टेकन

इसकी कीमत 1.5 करोड़ रुपए से शुरू होती है। जो चार मॉडल वैरिएंट - टायकन, टायकन 4S, टर्बो और टर्बो-S में मिलती है। यह कार 0-100 तक की स्पीड सिर्फ 2.8 सेकेंड से लेकर 5.4 सेकेंड में हासिल कर सकती है। वहीं कंपनी का दावा है यह कार एक बार फुल चार्ज करने पर 484 किलोमीटर तक चल सकती है। कंपनी ने बताया है कि फास्ट चार्जर से टायकन सिर्फ 23 मिनट में 5% से 80% तक चार्ज हो सकती है।

 

 

 

लाइफ स्टाइल /शौर्यपथ/ 

ठंड के मौसम में कई बार खाने की नुकसानदेह आदतें लग जाती हैं। इसमें हैरानी नहीं कि हम सर्द सुबह में बाहर

जाकर पसीना बहाने के लिए प्रेरित महसूस नहीं करते। लेकिन विशेषज्ञ कहते हैं कि इंडोर एक्सरसाइज के साथ सही भोजन से हम स्वस्थ जीवनशैली का संतुलन पा सकते हैं। ये रहे कुछ सुझावः

1. सूपः सर्द शाम का बेहतरीन साथी। अगर आप अनाज की खुराक के लिए होल ग्रेन क्रैकर्स (बिस्किट का प्रकार) के साथ सूप पिएंगे तो यह रात के लिए सबसे अच्छा हल्का भोजन होगा।

2. हल्दीयुक्त दूधः यह सर्दियों का सर्वश्रेष्ठ पेय है। सर्दी-खांसी रोकने का यह पुराना नुस्खा है और इम्यूनिटी बढ़ाता है।

3. भोजनः आलू संपूर्ण भोजन है, खासतौर पर युवाओं के लिए। इसमें विटामिन सी और बी6 होता है। एक मध्यम आलू आपकी दिनभर की 25-29% जरूरत पूरी कर देता है। आलू फोलेट का अच्छा स्रोत है जो गर्भवती महिलाओं के लिए जरूरी है। अंडे की जर्दी में ल्यूटीन होता है, जो आंखें स्वस्थ रखता है। ब्रॉकली में भरपूर विटामिन सी है जो झुर्रियां और उम्र संबंधी रूखापन दूर करता है।

4. जड़ वाली और पत्तेदार सब्जियांः शलजम, गाजर, चुकंदर जैसी जड़ वाली सब्जियां और हरी पत्तेदार सब्जियां न सिर्फ सर्दियों में खूब ऊगती हैं, बल्कि विटामिन ए, सी और के से भरपूर होती हैं।

5. फलः अनार में काफी एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं। इसका रस उन लोगों में हृदय तक रक्त प्रवाह बेहतर करता है जो मायोकार्डिएल इसकीमिया से पीड़ित हैं। इस रोग में दिल तक ऑक्सीजन की आपूर्ति प्रभावित होती है क्योंकि नसों में अवरोध आ जाता है। एक संतरा आपकी दिनभर की विटामिन सी की जरूरत पूरी कर देता है। पकी मौसमी में कैरोटेनॉइड होता है जो त्वचा मुलायम बनाता है। टमाटर, गाजर, अमरूद और लाल मिर्च से लायकोपीन मिलता है, जो त्वचा को यूवी के नुकसान से बचाता है।

6. मसाला चायः क्या आपको हमेशा कुछ गर्म पीने की इच्छा होती है क्योंकि आप बोर हो रहे हैं या अच्छा महसूस नहीं कर रहे और कुछ उत्साह चाहते हैं? इसका सबसे अच्छा तरीका है मसालेदार चाय, लेकिन हेल्दी सूप के बाद क्योंकि यह बिना नुकसान उत्साह भी देता है।

7. योगः व्यायाम का यह प्रकार घर में आसानी से कर सकते हैं। अगर आपने पहले कुछ क्लास ली हैं और वे याद हैं तो बस शुरू हो जाएं।

8. सीढ़ियां चढ़ना-उतरनाः अगर आपका दो मंजिला मकान है तो यह अच्छी एक्सरसाइज है। अगर आप ऊंची इमारत के फ्लैट में रहते हैं, तो मजबूत बाथरूम स्टूल लाकर उसे टीवी के सामने रखिए और अपना पंसदीदा शो देखते हुए, स्टूल पर चढ़िए-उतरिए। इससे आपका शरीर सक्रिय और स्वस्थ रहेगा।

9. घर में व्यायामः आप रस्सी कूदने और डांस जैसे स्वाभाविक व्यायाम कर सकते हैं। लेकिन अगर इससे आपकी नीचे वाली मंजिल के लोग परेशान हों तो विशेषज्ञ सफाई के काम, खासतौर पर झाड़ू-पोंछा करने की सलाह देते हैं। यह एक तीर से दो निशाने जैसा है। घर की सफाई के साथ आपकी फिटनेस भी।

10. ऑनलाइन वर्कआउटः अगर आप पुशअप, स्क्वाट्स या क्रंचेस करना चाहते हैं तो इनके ढेरों ऑनलाइन वीडियो हैं। हालांकि मैं इन्हें ट्रेनर की निगरानी में करने की सलाह दूंगा।

फंडा यह है कि सर्दियों का मतलब है शानदार और स्वादिष्ट भोजन लेकिन इसका मतलब खुद को हमेशा की तरह स्वस्थ रखने के लिए वर्कआउट करना भी है।

 

सजगता /शौर्यपथ/

कई ऐसे खाद्य पदार्थ हैं, जो हमारे मुंह के स्वास्थ्य को बेहतर बनाते हैं।

इनके सेवन से शरीर भी सेहतमंद रहता है। आइए आज इनके बारे में जानते हैं

मुंह के स्वास्थ्य को अधिकांश लोग उतना महत्व नहीं देते हैं जितना देना चाहिए। इसकी उपेक्षा करना मुंह की गंभीर बीमारियों के जोखिम में डाल सकता है। इसलिए कुछ ख़ास खाद्य पदार्थों को खानपान में शामिल करना सुनिश्चित करें, जो मुंह के स्वास्थ्य को बेहतर बनाए रखने में मदद करते हैं। हमारे मुंह में एक समय में 6 अरब से अधिक सूक्ष्मजीव होते हैं। कुछ अच्छे होते हैं और कुछ ख़राब। ये जीव मुंह में बचे हुए भोजन पर हमला करते हैं। यही प्लाक, टार्टर (दांतों के बाहर पीले या सफेद पैच के रूप में दिखते हैं), सांसों की बदबू, मसूड़े की सूजन आदि का कारण बनते हैं। ऐसे कई आहार हैं जो दांतों की समस्याओं से लड़ने में मदद करते हैं। मुंह के बेहतर स्वास्थ्य के लिए अपने दैनिक आहार में शामिल करने के लिए यहां आहार के कुछ विकल्प दिए गए हैं...

मेवे/किशमिश/बैरी

शोध कहते हैं कि ये मेवे बैक्टीरिया से लड़ते हैं जो कैविटी और मसूड़ों की बीमारियों का कारण बन सकते हैं। इनका सेवन दिनभर में 10-15 ग्राम कम से कम करना ही चाहिए।

नारियल पानी/ग्रीन टी

चाय और कॉफी दोनों ही मुंह के स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक माने जाते हैं। ये दांतों को दाग़दार बनाते हैं और इनेमल (दांतों का बाहरी आवरण जो दांतों को मज़बूत करता है) को क्षति पहुंचाते हैं। ग्रीन टी और नारियल पानी जैसे पेय पदार्थों को अपनाएं और दांतों के इनेमल की भी रक्षा करें। दिनभर में 200 से 500 मिली सेवन ज़रूर करें।

डार्क चॉकलेट

डार्क चॉकलेट एंटीऑक्सिडेंट्स से भरपूर होती है। इसे एक सुपरफूड के रूप में भी जाना जाता है और यह बैक्टीरिया से लड़ने में मदद करती है जो कैविटी, प्लाक, दांतों की सड़न का कारण बनते हैं। यहां तक कि ये मसूड़ों के उपचार में भी सुधार करती है। इसे एक दिन में अधिकतम 10-15 ग्राम ही लेना चाहिए।

अदरक

अदरक के गुण हमारे मुंह के स्वास्थ्य के लिए फ़ायदेमंद होते हैं। ये कहना भी ग़लत नहीं होगा कि यह हमारे समग्र स्वास्थ्य के लिए ही लाभकारी है। इसका भी दिन में 0.5 ग्राम सेवन करना फ़ायदेमंद होता है।

फल और सब्जि़यां

फल और सब्जि़यां चबाने से दांतों से प्लाक हट सकता है और मुंह को साफ़ करने वाली लार के उत्पादन को प्रोत्साहित किया जा सकता है। आहार में कई रंगों के फल और सब्जि़यों को शामिल करने से निश्चित रूप से स्वस्थ मसूड़े प्राप्त करने में मदद मिलती है। दिनभर में इनका सेवन 300/500 ग्राम करना अच्छा होता है।

डेयरी उत्पाद

दूध बढ़ते शरीर के लिए ही नहीं, बड़ों के लिए भी फ़ायदेमंद होता है। दूध में मौजूद खनिज और प्रोटीन दांतों के लिए फ़ायदेमंद होते हैं, क्योंकि ये दांतों को मज़बूत बनाने में मदद करते हैं। पनीर, दही, दूध और अन्य डेयरी उत्पादों में भी भरपूर मात्रा में कैल्शियम, खनिज और प्रोटीन होते हैं। दिनभर में 300 मिली दूध या 100 ग्राम दही का सेवन करना चाहिए।

ध्यान दें


— हर छह महीने में अपना डेंटल चेकअप ज़रूर कराएं।

— खाने के बाद कुल्ला करना सुनिश्चित करें चाहे नाश्ता किया हो या भोजन।

— रोज़ दिन में दो बार दो-दो मिनट ब्रश करने के बाद दिन में एक बार फ्लॉसिंग करें।

— डिहाइड्रेशन मुंह के स्वास्थ्य के लिए उतना ही बुरा है जितना कि यह शरीर के अन्य भागों के लिए बुरा है। पानी मुंह में बचे हुए खाद्य कणों को निकालने के लिए भी एक बेहतरीन माउथ क्लींज़र है। दिनभर में 2.5 लीटर पानी कम से कम पीना ही चाहिए।

 

 

 

परवरिश /शौर्यपथ/ 

जब बच्चे छोटे होते हैं, तो आपके इर्द-गिर्द मंडराते रहते हैं। दिल में आया हर ख़्याल आपसे बांटते हैं। आपका साथ उन्हें अच्छा लगता है, लेकिन वही बच्चे जब किशोरावस्था में क़दम रखते हैं तो सबकुछ बदल जाता है। अब वे आपसे ज़्यादा, अपने दोस्तों के साथ रहना पसंद करते हैं। अब वे आपको कुछ नहीं बताते। आप कुछ समझाने जाएं, तो वे और झल्लाते हैं, चिढ़ते हैं और आपसी दूरियां बढ़ती ही जाती हैं। उम्र के इस नाज़ुक मोड़ पर ना आप उन्हें समझ पाते हैं, ना ही वे आपको। यह ऐसी उम्र है, जहां आप उन्हें सज़ा नहीं दे सकते, डरा-धमका नहीं सकते, चूंकि ऐसा करने पर वे और बिगड़ेंगे।

 किशोरों में ग़ुस्सा, चिड़चिड़ापन, नाराज़गी और बदतमीज़ी से बात करने की आदत आम है। लेकिन इससे घबराएं नहीं। जिन बातों को लेकर आप उनसे नाराज़ हों, शांति से पहले उनके समूचे पक्ष को सुनें और फिर बताएं कि आप उनसे क्यों नाराज़ हैं।  साफ़गोई से अपनी बात रखें। उन्हें विस्तार से यह समझाने की कोशिश करें कि आप उन्हें अगर कुछ करने से रोक रहे हैं, तो इसकी वजह क्या है। इससे उन्हें क्या नुक़सान हो सकते हैं? अगर उन्हें ग़ुस्से में कुछ करने से मना करेंगे, तो वे आपकी बात क़तई नहीं मानेंगे।

 अगर आप यह समझ नहीं पा रहे हैं कि उन पर अपनी नाराज़गी कैसे ज़ाहिर करें, तो सबसे पहले बातचीत ऐसे विषय से शुरू करें, जिसमें उनकी रुचि हो। जैसे, किसी खेल या फिल्म सरीखे हल्के-फुल्के विषय से बात शुरू करें। फिर धीरे-धीरे जब माहौल थोड़ा सहज होने लगे, तब अपनी बात रखें।  ठीक ढंग से अपनी बात रखें। यदि आपको उनका बर्ताव या कोई आदत ख़राब लगती है, तो उन्हें बताएं कि अमुक दिन उन्होंने ऐसा किया, जो बिल्कुल अनुचित था। जैसे, तुम बहुत बदतमीज़ हो कहने के बजाय आप कह सकते हैं – उस दिन जब तुमने इस तरह बात की, मुझे बहुत बुरा और अजीब लगा। तुम इस तरह के बच्चे नहीं हो

 तंज़ कसने या मज़ाक उड़ाने के रवैये में अपनी बात नहीं रखें। किशोरावस्था ऐसी उम्र होती है, जहां आप उन्हें बच्चे की तरह ही देखते हैं, लेकिन वे ख़ुद को वयस्क ही मानते हैं। ऐसे में आप मज़ाक उड़ाने के अंदाज़ में उनसे बात करेंगे, तो उनकी झल्लाहट और बढ़ेगी।

 पैरेंटिंग विज्ञान नहीं, कला है। इसके कोई निश्चित नियम नहीं है, बल्कि हालात को देखते हुए आपको कभी कड़ाई से, तो कभी प्यार से उन्हें समझाना होगा। अपनी नाराज़गी ज़रूर जताएं, साथ ही यह भी एहसास दिलाते रहें कि आप उन्हें भली-भांति समझते हैं।  कई मर्तबा ऐसा होता है कि कुछ मामलों में आप उनसे खुलकर अपना ग़ुस्सा या नाराज़गी नहीं ज़ाहिर कर सकते। आपको लगता है कि आप बच्चों को गु़स्से में कुछ कहेंगे, तो वे आपको और ग़लत समझेंगे। ऐसे में परिवार के किसी सदस्य, दोस्त, स्कूल काउंसलर, स्पोर्ट्स कोच की मदद ली जा सकती है।

 कई शोध और अध्ययनों में पाया गया है कि जिन बच्चों पर पैरेंट्स हाथ उठाते हैं, डराते-धमकाते हैं, उन पर ताउम्र इसका नकारात्मक असर रहता है। यह उनके व्यक्तित्व के विकास में बाधक बनता है। किसी भी स्थिति में मारपीट नहीं करें। यदि आप बहुत ग़ुस्से में हैं, तब कुछ देर के लिए उनसे दूर हो जाएं, गहरी सांस लें और फिर उनके पास जाएं।

 कभी हो सकता है कि वे रात देर से घर लौटें और आप ग़ुस्से में तमतमा रहे हों। यहां आपको थोड़ा सब्र रखने की ज़रूरत है। जब आप गु़स्से में हों, उस वक़्त उनसे बात न करें। अगले दिन, शांति से उन्हें बताएं कि उनकी किन आदतों से आप खफ़ा हैं।

 उनसे तो अपनी नाराज़गी कहना ज़रूरी है ही, लेकिन ख़ुद के भीतर भी झांकंे। देखें कि आपकी परवरिश और बेहतर कैसे हो सकती है। आपका बच्चा इस तरह क्यूं बर्ताव कर रहा है, इसके पीछे अपने स्तर पर भी वजहें तलाशने की कोशिश करें।

 किशोरों में साइबर क्राइम, वॉइलेंट बिहेवियर और ड्रग अब्यूज़ जैसी समस्याएं तेज़ी से बढ़ रही हैं। इसीलिए यह ज़रूरी हो जाता है कि आप उन्हें समझें। उन पर चीख़ने-चिल्लाने से बचें। यदि आप उनसे आक्रामक शैली में बात करेंगे, तो वे और हिंसक हो सकते हैं। संतुलन बरतें। जैसे, उन्हें जताते रहें कि आप उनसे कितना प्यार करते हैं। दूसरी ओर, यह भी साफ़गोई से बताएं कि उनकी कुछ ग़लत आदतों या हरकतों को आप बर्दाश्त नहीं करेंगे।  याद रखें कि आप उनके लिए रोल मॉडल हैं। वे आपको देखकर बहुत कुछ सीखते हैं और वही करने लगते हैं। इसलिए ज़रूरी है कि उन्हें समझाते हुए अपने शब्दों और शैली का ध्यान रखें।

 

 

अन्य खबर /शौर्यपथ/ 

कई बार खाने में कुछ नया आज़माने के लिए थोड़ी मेहनत तो करनी पड़ती है। भले व्यंजन बनाने की प्रक्रिया लम्बी हो, लेकिन अगर स्वाद लाजवाब हो, तो मेहनत सफ़ल समझो।
ऐसे कई व्यंजन हैं जो स्वादिष्ट हैं, लेकिन उन्हें बनाने में थोड़ा समय लग सकता है। ऐसे ही चंद सुझाव हैं, आज़माकर देखिए..

क्या चाहिए

कोफ्ते के लिए— छोले- 1 कप उबले हुए, प्याज़- 2 बारीक कटा हुआ, हरी मिर्च- 2 कटी हुईं, जीरा- 1 छोटा चम्मच, लहसुन की कलियां- 5-6, ताज़ा हरा धनिया- 1 छोटा चम्मच, 1/2 नींबू का रस, नमक- स्वादानुसार, बेसन- 1 बड़ा चम्मच, खाने वाला सोडा- 1/8 छोटा चम्मच, तेल- तलने के लिए।

ग्रेवी के लिए— दालचीनी के टुकड़े- 2 इंच, चक्र फूल- 1, इलायची- 2, तेज पत्ता- 1, जीरा- 1 छोटा चम्मच, पालक- 1 कप उबली और पीसी हुई, प्याज़ का पेस्ट- 1/2 कप, अदरक- लहसुन का पेस्ट- 1 बड़ा चम्मच, टमाटर प्यूरी- 1/2 कप, लाल मिर्च पाउडर- 1 छोटा चम्मच, हल्दी पाउडर- 1/2 छोटा चम्मच, धनिया पाउडर- 1 छोटा चम्मच, गरम मसाला- 1 छोटा चम्मच, 1/2 नींबू का रस, नमक- स्वादानुसार, तेल- 2 बड़े चम्मच।

ऐसे बनाएं

बोल में छोले, प्याज़, हरी मिर्च, जीरा, लहसुन, हरा धनिया, नींबू का रस और नमक डालकर अच्छी तरह मसलते हुए मिलाएं। इसमें बेसन, हरा धनिया और सोडा मिलाकर नींबू के आकार की गोलियां बना लें। कड़ाही में तेल गर्म करके मध्यम आंच पर कोफ्तों को भूरा होने तक तल लें और एक तरफ़ रख दें। अब कड़ाही में दो बड़े चम्मच तेल गर्म करें। सारे खड़े मसाले और जीरा डालकर भूनें। प्याज़ और अदरक-लहसुन का पेस्ट मिलाकर पांच मिनट या प्याज़ हल्का भूरा होने तक भूनें। गरम मसाला छोड़कर बाकी पाउडर मसाले मिलाएं। टमाटर का पेस्ट अच्छी तरह से मिलाएं। क़रीब पांच मिनट तक या तेल छोड़ने तक मसाला भूनें। पालक की प्यूरी भी मिला लें। क़रीब दो मिनट तक चलाते हुए पकाएं और फिर एक कप गर्म पानी मिलाएं। इसे सात-आठ मिनट तक ढककर पकाएं। तले हुए कोफ्ते और गरम मसाला मिलाएं।

ऐसे परोसें— ऊपर से नींबू का रस निचोड़कर गर्मा-गर्म कोफ्ते नान या रोटी के साथ परोसें।

 

 सुनो भई कहानी /शौर्यपथ/ 

कल्पना का रोचक संसार बनाना कोई बच्चों से सीखे। चलिए डोलू से सीखते हैं, जो दरअसल एक परी को जानती है।
आपको उसका भरोसा करना होगा, तभी तो कहानी में मज़ा आएगा। ना विश्वास हो, तो सुनो कहानी।

‘ना नी मैं पहाड़ ला सकती हूं’- कहकर डोलू हंसी। नानी चौंकी। बोलीं- ‘हे भगवान! लड़की है कि तूफान। लेकिन कैसे? क्या तुम्हारी कोई परी दोस्त है, जो मदद करेगी?’ ‘हां नानी! है न मेरी परी दोस्त।’ ‘अच्छा!’ नानी ने आश्चर्य से आंखें फैलाई - ‘पर तुझ पर विश्वास कौन करेगा। कम्प्यूटर के जमाने में कैसी बातें कर रही है?’ ‘नानी जब देखो तब अपनी ही बातें करती हो। मुझे परी अच्छी लगती है। वही मेरी दोस्त है। ‘अच्छा क्या तुम्हारी परी पहाड़ उठा सकती है?’ नानी ने बात टालने को पूछा। ‘हां, हां...!’ ‘पर परी तो कोमल होती है?’ ‘पर उसमें ताक़त बहुत है। वह बहुत कुछ कर सकती है। एक बार मैंने परी दोस्त से कहा कि धरती पर खड़ी-खड़ी तारा छुओ। परी ने मुझे गोद में उठाया और लम्बी होती चली गई और पहुंच गए हम तारे के पास। मैंने तो ख़ूब छुआ तारे को।’ ‘और क्या-क्या था तारे पर?’ नानी ने पूछा। डोलू को नानी की जिज्ञासा अच्छी लगी। उसने उत्साह से जवाब दिया- ‘तारे पर लम्बे-लम्बे बच्चे थे। बांस जैसे! नीचे खड़े-खड़े ही पहली मंज़िल की छत से सामान उतार सकते थे। मुझे तो ऐसा लगा जैसे कुतुब मीनार के पास खड़ी हूं। सच्ची! और इससे मज़ेदार बात यह है कि उनके मां-पापा क़द में बौने थे।’ ‘ऐं!’ नानी सचमुच चौंक गई थीं। ‘हां मुझे भी अचरज हुआ था नानी। पर परी दोस्त ने बताया कि तारे पर आयु बढ़ने के साथ क़द छोटा होता है धरती पर बड़ा।’ ‘और क्या वे बोलते भी थे। तूने बात की?’ नानी ने पूछा। ‘हां…हां नानी, ख़ूब बातें की। पर मैं आपको बताऊंगी नहीं। अरे, मैंने तो परी को नदी उठाकर आसमान में उड़ते भी देखा है।’ डोलू ने बताया। ‘नदी को उठाकर! और पानी?’ ‘अरे नानी, पानी समेत। बिल्कुल लहराते लम्बे-से कपड़े-सी लग रही थी। दूर-दूर तक। कितना मज़ा आया था।’ नानी को डोलू की बात पर बहुत मज़ा आ रहा था। पर डोलू नाराज होकर कहीं बात रोक न दे, इसका भी तो डर था न! सो बोलीं- ‘अच्छा डोलू तू तो रोज़ परी से मिलती है, परी कभी थकती है कि नहीं?’ ‘थकती है न नानी। जब कोई उस पर विश्वास नहीं करता। जब कोई उसे बोर करता है, तो बहुत थक जाती है। ऐसे लोगों को वह पसंद नहीं करती। मैं तो ना उस पर शक करती हूं और ना ही उसे बोर करती हूं।’ ‘चलो आज से मैं भी तुझ जैसी ही हो गई।’ नानी ने कहा। ‘तो सुनो नानी। एक बार मुस्कराते हुए परी ने कहा - चलो आज तुम्हें पूरा जंगल निगल कर दिखाती हूं। सुनकर मुझे कुछ कुछ अविश्वास हुआ। देखते ही देखते परी का मुंह उतरने लगा। उदासी छाने लगी। मैंने झट से अपनी ग़लती समझी। परी पर विश्वास किया। परी के मुंह पर ख़ुशी लौट आई। वह मुझे जंगल के पास ले गई। परी ने देखते ही देखते पूरा जंगल निगल लिया। मैं तो अचरज से भरी थी। पर ख़ुश बहुत थी। मैंने पूछा- ‘परी, यह जंगल अब क्या तुम्हारे पेट में ही रहेगा?’ परी बोली- ‘नहीं… नहीं! मैंने तो इसे बस तुम्हें मज़ा देने के लिए निगला था। जंगल तो हमारा दोस्त है। क्या-क्या नहीं देता आदमी को! जंगल ख़त्म हो जाए तो आदमी का जीना ही दूभर हो जाए। पता नहीं कैसे राक्षस हैं वे जो जंगलों को काट कर तबाह कर रहे हैं। लो, यह रहा तुम्हारा जंगल कहते-कहते परी ने जंगल उगल दिया। जंगल फिर अपनी जगह था। धुला-धुला शायद परी के पेट में धुल गया था।’ नानी डोलू का मन रखने और उसकी बातों का मज़ा लेने के लिए उत्सुकता दिखा रही थी। उधर डोलू को पूरा मज़ा आ रहा था। ख़ुश होकर बोली- ‘नानी, आप विश्वास करें, तो एक और कारनामा बताऊं।’ ‘हां...हां, ज़रूर सुनाओ!’ डोलू हंसी। उसका चेहरा गर्व से भर उठा था। थोड़ा पानी पीया और दादी-नानी की तरह खंखारा। बोली- ‘नानी, परी तो अपनी आंखों में पूरा समुद्र भी भर सकती है। मछलियों और जीव-जंतुओं समेत। बिल्कुल ‘एक्वेरियम’ लगती हैं तब परी की आंखें। एक बार तो सारे बादल ही पकड़ कर अपने बालों में भर लिए थे। बाल तब कितने सुंदर लगे थे। काले-सफेद। फूले-फूले से। मैंने हाथ लगा कर देखा, तो गीले भी थे। पर थोड़ी ही देर में परी ने उन्हें छोड़ भी दिया। अगर उन्हें पकड़े रखती तो बारिश कैसे होती? और बारिश न होती, तो पूरी धरती को कितना दुःख पहुंचता। परी कहती है कि हमें हमेशा पूरी धरती का हित करना चाहिए। कोई भी नुकसान पहुंचाने वाली बात नहीं करनी चाहिए। नानी, मैं भी किसी को कभी भी नुकसान नहीं पहुंचाऊंगी, प्रॉमिस...’ ‘नानी कहीं आप झूठ तो नहीं समझ रही न?' नानी ज़रा संभलीं। आंखें मसलीं। सिर को भी सहलाया। बोलीं - ‘नहीं-नहीं डोलू! सच जब ऐसे-ऐसे कारनामे अपनी आंखों से देखूंगी, तो कितना मज़ा आएगा। सच, मैं तो अविश्वास की बात मन में लाऊंगी तक नहीं।’ ‘हां-हां, मैं उससे आपको मिला दूंगी!’ डोलू की आवाज़ में गज़ब का विश्वास था। ‘पर पहले यह तो बताओ कि मैं पहाड़ लाकर दिखाऊं?’ ‘अच्छा, दिखा। पर चोट नहीं खा जाना।’- नानी ने बच्चों की तरह कहा। ‘तो फिर आंखें बंद करो। मैं अभी आई पहाड़ लेकर।’ नानी ने आंखें बंद कर लीं। बच्ची जो बन गईं थीं। डोलू थोड़ी ही देर में पहाड़ लेकर आ गई। बोली - ‘नानी आंखें खोलो और देखो यह पहाड़!’ नानी ने आंखें खोल दीं। पूछा - ‘कहां?’ ‘यहां। यह क्या है?’ ‘पहाड़!’ अब क्या था, दोनों ख़ूब हंसीं, ख़ूब हंसी। नानी ने डोलू को खींचकर उसका माथा चूम लिया। प्यार-से बोलीं- ‘तुम सचमुच बहुत नटखट हो डोलू!’ असल में डोलू ने एक काग़ज़ पर पहाड़ का चित्र बना रखा था। उसी को दिखाकर जब उसने नानी से पूछा- ‘यह क्या है’ तो नानी के मुंह से सहज ही निकला- ‘पहाड़!’ नानी ने मुस्कराते हुए पूछा- ‘भई डोलू अपनी परी दोस्त से कब मिलवाओगी?’ ‘कहो तो अभी।’ ‘ठीक है। मिलाओ!’ ‘तो करो आंखें बंद।’ नानी ने आंखें बंद कर लीं। थोड़ी ही देर में डोलू ने कहा- ‘नानी आंखें खोलो।’ नानी ने आंखें खोल दीं। पूछा-‘कहां है परी?’ ‘तो यह क्या है?’ ‘परी।’- नानी ने कहा। दोनों फिर ख़ूब हंसी, ख़ूब हंसी। असल में इस बार डोलू ने अपनी ही फ्रॉक पर कागज लगा रखा था। जिस पर लिखा था- ‘परी।’ नानी ने हंसते-हंसते पूछा- ‘और वे सब कारनामे?’ ‘आप अविश्वास तो नहीं करेंगी न नानी?’ - डोलू ने थोड़ा गम्भीर होते हुए पूछा। ‘अरे, नहीं।’ ‘जब परी मैं हूं तो कारनामे भी तो मेरे ही हुए न!’ नानी की आंखें ख़ुशी से भर आईं। सोचा - ‘कितनी कल्पनाशील है मेरी बच्ची। ईश्वर इसे इसी तरह सृजनात्मक बनाए रखे।’ 

 

 

 

हेल्थ टिप्स /शौर्यपथ/ 

जर्नल ऑफ हजार्डस मटेरियल्स में प्रकाशित एक हालिया रिसर्च के मुताबिक, पर्यावरण में मौजूद माइक्रोप्लास्टिक इंसानों के सेल्स (कोशिकाओं) को काफी नुकसान पहुंचा रहा है। वैज्ञानिकों का कहना है कि अधिक मात्रा में माइक्रोप्लास्टिक कंज्यूम करने से हमें एलर्जी, थाइराइड, कैंसर से लेकर मौत तक का खतरा होता है। प्लास्टिक के ये कण पानी, नमक और सी फूड में ज्यादा पाए जाते हैं।

 माइक्रोप्लास्टिक क्या है?

नेशनल ओशनिक एंड एटमोस्फियरिक एडमिनिस्ट्रेशन के अनुसार, प्लास्टिक के 5 मिलीमीटर से छोटे कणों को माइक्रोप्लास्टिक कहा जाता है। इनका आकार एक तिल के बीज के बराबर या उससे भी छोटा होता है। इस कारण ही ये समुद्र में आसानी से बहते हैं। वैज्ञानिकों की मानें, तो प्लास्टिक के बड़े कण भी सूरज, हवा या दूसरे कारणों से माइक्रोप्लास्टिक में तब्दील हो जाते हैं। ये हमारे दैनिक जीवन के उत्पादों के जरिये ही पर्यावरण में आते हैं।

अमेरिका के प्लास्टिक ओशन एनजीओ की मानें, तो औसतन एक व्यक्ति हर हफ्ते माइक्रोप्लास्टिक के 1769 कण केवल पीने के पानी से ही कंज्यूम कर लेता है। एनवायरनमेंटल साइंस एंड टेक्नोलॉजी जर्नल का एक शोध कहता है कि लोग हर साल 39,000 से 52,000 माइक्रोप्लास्टिक के कणों को निगल जाते हैं।

माइक्रोप्लास्टिक के सोर्स

रोजमर्रा के इस्तेमाल में आने वाली चीजें, जैसे मेकअप और टूथपेस्ट, माइक्रोप्लास्टिक का सोर्स हैं। इनके अलावा, प्लास्टिक के ये कण सिंथेटिक कपड़ों में भी होते हैं। इनमें नायलॉन, स्पैन्डेक्स, एसीटेट, पॉलिएस्टर, ऐक्रेलिक, रेयान आदि शामिल हैं।

क्या कहती है रिसर्च

जर्नल ऑफ हजार्डस मटेरियल्स में प्रकाशित यूनिवर्सिटी ऑफ हल की रिसर्च के अनुसार, अधिक मात्रा में माइक्रोप्लास्टिक का सेवन करने से हमारे सेल्स को नुकसान पहुंचता है, जिससे भविष्य में कई घातक बीमारियां होने का खतरा बढ़ जाता है। रिसर्च में माइक्रोप्लास्टिक से सेल्स पर होने वाले इन 5 प्रभावों को जांचा गया..

1. माइक्रोप्लास्टिक के कारण सेल का मर जाना।

2. सेल का कम होता इम्यून रिस्पॉन्स।

3. माइक्रोप्लास्टिक की सेल की दीवार तोड़ने की क्षमता।

4. सेल को होने वाले दूसरे नुकसान।

5. सेल के जेनेटिक स्ट्रक्चर में परिवर्तन होना।

जांच के बाद वैज्ञानिकों ने पाया कि माइक्रोप्लास्टिक के कारण सेल्स पर शुरू के 4 प्रभाव होते हैं। साथ ही, प्रभाव कितना शक्तिशाली होगा, ये माइक्रोप्लास्टिक के आकार पर निर्भर करता है। सेल को सबसे ज्यादा नुकसान अनियमित आकार वाले प्लास्टिक के कण से होता है।

 खाने-पीने की कौन सी चीजों में पाया जाता है माइक्रोप्लास्टिक?

1. सी फूड

रॉयल मेलबर्न इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी और हैनान यूनिवर्सिटी के एक शोध के मुताबिक, प्लास्टिक के 12.5% छोटे कणों को मछलियां खाना समझ कर निगल जाती हैं। इससे कछुए और अन्य समुद्री जीव भी अछूते नहीं हैं। जब मनुष्य ऐसे दूषित सी फूड को खाते हैं, तब वे अप्रत्यक्ष रूप से माइक्रोप्लास्टिक खा रहे होते हैं।

2. नमक

सी साल्ट, रॉक साल्ट, लेक साल्ट और वेल साल्ट जैसे नमक में भी माइक्रोप्लास्टिक होता है। हालांकि, इनमें प्लास्टिक के कणों की मात्रा कितनी होती है, ये उसके सोर्स पर निर्भर करता है।

3. पानी

कई रिसर्चों में ये पाया गया है कि नल और बोतल दोनों के ही पानी में माइक्रोप्लास्टिक होता है। हम जितना प्रदूषित पानी पीते हैं, हमारे शरीर में उतना ज्यादा माइक्रोप्लास्टिक जाता है।

 

 

 

 आंखों के दर्द  का मुख्य कारण है, आंखों पर पड़ने वाला दवाब. बढ़ते प्रदूषण और मोबाइल, लैपटॉप, कंप्यूटर के अत्यधिक उपयोग के कारण भी आंखों में कई प्रकार की समस्या होने लगती है. ऐसे में कुछ घरेलू नुस्खे के माध्यम से आंखों को साफ सुथरा रखा जा सकता है, जिससे आपकी आंखों की रोशनी भी बढ़ेगी.

नई दिल्ली /शौर्यपथ/

 आंखें हमारे शरीर के सबसे नाजुक एवं संवेदनशील अंगों में से एक है, इसलिए इन पर किसी भी चीज का प्रभाव बहुत जल्दी पड़ता है. आंखों में कोई भी समस्या होने पर आंखों में दर्द महसूस होने लगता है. आजकल दिन भर कंप्यूटर के सामने बैठकर काम करने या मोबाइल पर आंखें गढ़ाये रखने के कारण भी सिरदर्द के साथ आंखों में दर्द होने लगता है. आजकल अधिकांश लोग मोबाइल  और कंप्यूटर  पर अधिक समय बिता रहे हैं, जिसके चलते आंखों की समस्याएं  लगातार बढ़ रही हैं, लेकिन इनमें सबसे सामान्य समस्या आंखों के जलन की है. हालांकि, इन सबसे अलावा धूल के चलते भी आंखों में जलन की समस्या हो सकती है और इसे नजरअंदाज करने के बजाए इस पर ध्यान देने की जरूरत है, इसलिए हम आपको आंखों का ध्यान रखने के लिए कुछ घरेलू नुस्खे बताने जा रहे हैं. आइए जानते हैं आंखों में जलन या दर्द दूर करने के कुछ घरेलू उपायों के बारे में, जिनसे आपको जल्द राहत मिल सकता है.

आंखों में दर्द के लक्षण 

प्रकाश के प्रति संवेदनशीलता.

आंखों में लाली.

आंखों में जलन होना.

आंखों से पानी बहना.

सिर में दर्द रहना.

माथे में दर्द.


आंखों का दर्द कम करने के लिए घरेलू उपाय 

खीरे की तासीर काफी ठंडी होती है और यही कारण है कि गर्मी के दिनों में लोग इसका खूब सेवन करते हैं. पर क्या आपको पता है कि खीरा आंखों की जलन की समस्या से छुटकारा दिलाने में भी लाभदायक है. दरअसल, खीरे का प्रभाव शीतल होता है, इसलिए आंखों की जलन में इससे राहत मिलती है. इसके लिए पहले आप खीरे को फ्रिज में रख कर ठंडा कर दें. फिर उसे काटकर उसके टुकड़े को आंखों पर कुछ देर के लिए लगाएं.

खीरे की तरह आलू की स्लाइस भी आंखों पर रखे जा सकते हैं और यह भी भरपूर आराम देगा. इसके अलावा आलू के रस को आंख पर लगाया जा सकता है और इससे भी जलन और दर्द में राहत मिल सकती है.

गुलाब जल बहुत ही राहत देने वाला विकल्प है. गुलाब जल के इस्तेमाल से दर्द से तुरंत राहत मिल सकती है. रोजाना सोने से पहले गुलाब जल की एक या दो बूंदें आंखों में डालें. गुलाब जल से आंखें धो भी सकते हैं.

आंख में शहद की एक बूंद डालें, लेकिन जलन होने पर डरें नहीं. यह आंख के दर्द में राहत देगा.

आंखों को साफ करने का एक कारगर उपाय ठंडा दूध भी है. दूध में मौजूद कई तत्व संक्रमण और थकान दूर करने में मदद करते हैं. ठंडे दूध से रोजाना आंखों पर मसाज करें.

मोटापा कम करने के अलावा आंखों की जलन को कम करने के लिए भी टी-बैग्स काफी कारगर हैं. अगर आपको आंखों में जलन है तो आप ग्रीन टी-बैग्स का इस्तेमाल कर सकते हैं. इसके उपयोग से पहले आप टी-बैग्स को फ्रिज में ठंडा कर लें और उसके बाद उसे अपनी आंखों पर रखें. इससे आपको आंखों की जलन की समस्या में राहत मिलेगी.

 

 

 

 

 

हेल्थ टिप्स /शौर्यपथ/ 

कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन से पूरी दुनिया में दहशत का माहौल है। भारत में अब तक मिले ओमिक्रॉन संक्रमितों की कुल संख्या 166 हो गई है। साथ ही, दुनिया भर में इससे 12 लोगों की मौत हो चुकी है। आगे और क्या देखने मिल सकता है, ये सोचकर लोगों में चिंता, तनाव और घबराहट बढ़ती जा रही है। ऐसी स्थिति में हमें अपने शरीर के साथ-साथ मेंटल हैल्थ का ख्याल रखने की भी जरूरत है।

इन 5 साइन्स-बेस्ड तरीकों को फॉलो करके आप अपने मन को शांत रख सकते हैं..

1. अपने शरीर की सुनें

नकारात्मक भावनाओं से लड़ने के लिए सबसे पहले अपने शरीर की खामोश आवाजों को सुनना जरूरी है। क्या आपके पेट में अकड़न है? क्या आपके सिर में दर्द है? क्या आपकी मांसपेशियों में खिंचाव है? अगर इन सभी सवालों का जवाब हां है तो ये आपकी चिंता के शारीरिक लक्षण हैं। इसके लिए आपको रिलैक्स होने की जरूरत है।

शरीर को आराम देने के लिए अपनी पीठ के बल लेट जाएं। इसके बाद, एक किताब को अपने पेट पर रखें और दोनो हाथों को अपनी छाती पर रख लें। अब इतनी गहरी सांस लें कि किताब जितना हो सके उठ जाए। ये एक्सर्साइज कम से कम 7 मिनट तक करें। इसके अलावा, आप एक कटोरे में बर्फीला पानी लेकर अपने मुंह को धो सकते हैं।

2. टॉक्सिक पॉजिटिविटी से रहें दूर

अपनी चिंताओं को पूरी तरह से नजरंदाज करने से आप टॉक्सिक पॉजिटिविटी के शिकार हो सकते हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि ऐसा करके आप अपने दिमाग पर प्रेशर डालते हैं, जिससे मानसिक विकार और बढ़ सकते है। इसलिए जब भी चिंता में हों, खुद से बात करें। अपने दिल पर हाथ रखें और खुद को सहारा दें। ध्यान रखें, कभी-कभी चिंता करना भी सही होता है।


3. गलत आदतों को सुधारें​​​​​​​

चिंता से भागने के लिए अगर सोशल मीडिया का सहारा लेते हैं, तो इस आदत को अभी बदल लें। बिना मतलब के सोशल मीडिया चलाने से आपकी घबराहट और बढ़ जाती है। जर्मनी में हुई एक स्टडी के मुताबिक, महामारी के बारे में ज्यादा पढ़ने से चिंता बढ़ती है।

यदि आप सोशल मीडिया के आदी हैं, तो ऐसे एप्स को अपने फोन से हटा दें जिन्हें चला​​​​​​​कर आप अच्छा महसूस नहीं करते। साथ ही, दूसरों पर निर्भर होने, आलस करने, काम टालने, शराब पीने और कम नींद लेने की आदतों को भी सुधारें।

4. अपना नजरिया बदलें​​​​​​​

कोरोना महामारी का अंत कब होगा, यह सवाल हम सभी के मन में है। हालांकि, इसका जवाब किसी के पास नहीं है। इसलिए हमें अपनी जिंदगी जीने का नजरिया बदलना होगा। चीजों के नकारात्मक और सकारात्मक दोनो ही पहलुओं को परखना होगा। आप यह कल्पना भी कर सकते हैं कि आपकी आज की चिंताएं एक दिन, हफ्ते, महीने या साल बाद कैसी लग सकती हैं।

5. अकेले ना रहें

अकेलापन आपको ज्यादा सोचने पर मजबूर करता है। चिंता दूर करने का सबसे अच्छा तरीका होता है अपने परिवार या दोस्तों से बात करना। साथ ही, आप अपने विचारों को लिखकर उनसे राहत पा सकते हैं। बच्चों और जानवरों के साथ खेलने, ताजी हवा में घूमने और नई हॉबीज एक्सप्लोर करने से भी आप अपनी चिंताओं से मुक्त हो सकते हैं।

 

 

 

चाहे सब्जी हो या लड्डू, हमारे देश में मेथी किसी न किसी रूप में इस्तेमाल की जाती है। इसका कारण- ये कई तरह के रोग घर बैठे ही ठीक कर देती है। मेथी में बहुत सारे विटामिन्स और मिनरल्स मौजूद होते हैं। यह दवाई से लेकर कॉस्मेटिक तक, हर तरह के घरेलू नुस्खे के रूप में काम आती है। सुबह उठकर सबसे पहले मेथी के दाने का पानी पीने से शरीर के दूषित तत्व बाहर निकल जाते हैं। साथ ही, डायबिटीज और कब्ज जैसी समस्याएं कंट्रोल में रहती हैं।


मेथी का पानी बनाने में केवल 10 मिनट का समय लगता है। आप एक से डेढ़ चम्मच मेथी के दानों को रात में ही पानी में भिगो दें। सुबह उठकर इस पानी को अच्छी तरह छान लें। फिर इसे खाली पेट पी जाएं। बचे हुए मेथी दानों को फेकने की जगह बाद में खा भी सकते हैं। ध्यान रखें, मेथी गर्म होती है इसलिए गर्भवती महिलाओं को इसका सेवन डॉक्टर की सलाह पर ही करना चाहिए।


मेथी का पानी पीने के फायदे

1. वजन कम करने में मददगार: मेथी में फाइबर अच्छी मात्रा में होता है, जो वजन कम करने में एक अहम भूमिका निभाता है।

2. त्वचा और बालों को स्वस्थ रखता है: मेथी के दानों में एंटीआक्सिडेंट होते हैं, जो स्किन को स्वस्थ रखने में कारगर हैं। ये त्वचा को जल्दी हील करते हैं। इसके अलावा, बहुत से कॉस्मेटिक्स में भी इनका इस्तेमाल किया जाता है। मेथी में मौजूद प्रोटीन बालों का झड़ना कम करता है।

3. पेट संबंधी समस्याएं घटाता है: मेथी का पानी पाचन तंत्र को दुरुस्त रखता है। यदि आपको पेट संबंधी कोई भी बीमारी है, तो मेथी का पानी जरूर पिएं।

4. दिल को रखता है खुश: मेथी दाने का पानी दिल में ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को कम करता है। साथ ही, ये कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल में रखता है।

5. डायबिटीज को कंट्रोल करने में कारगर: मेथी के दाने पौराणिक समय से ही डायबिटीज को नियंत्रित करने के लिए इस्तेमाल किए जाते रहे हैं। मेथी के पानी का रोजाना सेवन करने से डायबिटीज कंट्रोल में रहती है। फिर भी, रूटीन अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें।

 

 

 

 

 

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