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इंस्पायरिंग /शौर्यपथ/
धरती पुत्र का बेटा हूं, सरकारी स्कूल में पढ़ा, जो तमिल मीडियम होते थे। तमिलनाडु के छोटे-से गांव से हूं। वहां मैंने मजेदार जिंदगी जी है। पढ़ाई के साथ हमें खेती भी करना होती थी। मेरे पिता किसान थे और आम का व्यापार भी करते थे। जब भी स्कूल की छुट्टियां होती थीं, हम खेत पर ही पिता जी की मदद के लिए पहुंच जाते थे। आमों के बाग में मैंने खूब काम किया है। मेरे पिताजी मुझे देख खुश हो जाते थे, उनके लिए वहां मैं एक मजदूर की तरह ही था। मेरा काम उन्हें बहुत पसंद था।
जब मेरे कॉलेज जाने का वक्त आया तो उन्होंने यह नहीं देखा कि कौन-सा कॉलेज अच्छा है, कहां बढ़िया टीचर हैं... उन्होंने देखा कि कौन-सा कॉलेज घर के पास है, ताकि मैं खेत पर काम करने आ सकूं। हमारा परिवार जी-तोड़ मेहनत करने वाला था क्योंकि घर के हालात ऐसे नहीं थे कि थोड़ा भी आराम कर पाते। हमें रोज की कमाई का ध्यान रखना होता था। हालात इतने बुरे भी कभी नहीं हुए कि हमें तीन वक्त का खाना नहीं मिले। मुझे भी कभी पढ़ाई के बाद खेत पर जाने में कोई तकलीफ महसूस नहीं हुई।
यकीन मानिए मैंने पहली बार चप्पल तब पहनी थी, जब मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में प्रवेश लिया था। तब तक मैं जहां भी गया... चाहे गांव का स्कूल हो या रिश्तेदारों के यहां, नंगे पैर ही गया। कॉलेज तक मैंने पैंट भी नहीं पहनी थी, धोती में ही जीवन गुज़र कर रहा था।
मैं इंजीनियरिंग करना चाहता था, लेकिन पिताजी बोले कि इतने रुपए उनके पास नहीं हैं इसलिए बीएससी कर लो। मैंने विरोध किया, एक हफ्ते तक भूख हड़ताल की, लेकिन थक-हार मुझे ही अपनी जिद छोड़ना पड़ी। मैंने बीएससी मैथ्स किया। इसके बाद पिताजी बोले - मैंने एक बार तुम्हें रोका था, अब तुम जो चाहो वो पढ़ो। मैं अपनी जमीन बेच दूंगा, लेकिन तुम इंजीनियरिंग कर लो।
बीटेक के बाद मुझे नौकरी मिलने में दिक्कत आई क्योंकि उस दौर में एरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में कम जॉब होते थे। काम नहीं मिला तो आईआईएससी में आगे पढ़ाई करने लगा।
मेरे पूरे करियर के दौरान मैं वो नहीं कर पाया जो मैं करना चाहता था। मैं सैटेलाइट सेंटर जॉइन करना चाहता था, लेकिन विक्रम साराभाई सेंटर में जाना पड़ा। मैं एयर डायनेमिक्स ग्रुप में शामिल होना चाहता था, लेकिन पीएसएलवी प्रोजेक्ट थमा दिया गया।
जो भी मेरे सामने आया उसे सिर्फ इस उद्देश्य से किया कि इस काम को उच्चतम स्तर पर ले जाना है। कभी उसके बारे में सोचने में वक्त नहीं गंवाया जो मुझे नहीं मिला। मुझे जो दिया गया हमेशा ध्यान उस पर रहा। फिर बात पढ़ाई की हो, खेतों में की गई मेहनत की या नौकरी की। आपको हमेशा वो नहीं मिलता जो आप चाहते हो। आपको मिले हुए की कद्र करना होगी और अपना बेस्ट देना होगा। आप बेस्ट देंगे तो वो काम भी बेस्ट होगा।'(तमाम मंचों पर इसरो के पूर्व चेयरमैन डॉ. के सिवन)
प्रख्यात कथक नर्तक बिरजू महाराज का सोमवार को निधन हो गया. उनके निधन पर बॉलीवुड एक्ट्रेस काजोल और माधुरी दीक्षित ने श्रद्धांजलि दी है.
नई दिल्ली /शौर्यपथ/
प्रख्यात कथक नर्तक बिरजू महाराज का सोमवार को निधन हो गया. बिरजू महाराज अगले महीने 84 वर्ष के होने वाले थे. बृज मोहन नाथ मिश्रा यानी पंडित बिरजू महाराज लखनऊ के कालका-बिंदादिन घराना से ताल्लुक रखते थे. बिरजू महाराज किडनी की बीमारी से पीड़ित थे और हाई डायबिटीज की वजह से पिछले महीने से ‘डायलिसिस' पर थे. उनके निधन पर बॉलीवुड हस्तियों ने भी शोक जताया है. बॉलीवुड सुपरस्टार माधुरी दीक्षित और काजोल ने भी पंडित बिरजू महाराज के निधन पर शोक जताया है.
माधुरी दीक्षित ने पंडित बिरजू महाराज को श्रद्धांजलि देते हुए लिखा है, 'वे एक लेजेंड थे लेकिन उनमें बच्चों जैसी मासूमियत भी थी. वह मेरे गुरु थे लेकिन दोस्त भी. उन्होंने मुझे डांस की बारीकियां और अभिनय समझाया लेकिन अपने मजेदार किस्सों से वह मुझे हंसाने से कभी नहीं चूके.'
वहीं काजोल ने पंडित बिरजू महाराज को याद करते हुए लिखा, 'पंडित बिरजू महाराज लेजेंड थे और उन्हें देखना कमाल का अनुभव था. आज दुनिया ने बेशकीमती हस्ती को खोया है. ईश्वर आपकी आत्मा को शांति दे. उनके परिवार के प्रति मेरी गहरी संवेदना है.' इस तरह कला की दुनिया ने एक बेशकीमती रत्न को खो दिया है.
अन्य खबर /शौर्यपथ/
कोहली की वाइफ अनुष्का शर्मा ने टेस्ट की कप्तानी छोड़ने पर रिएक्ट किया और भावुक संदेश पति के नाम लिखा है. अनुष्का ने इंस्टाग्राम पर कुछ तस्वीरें पोस्ट की है और साथ ही सात सालों में बतौर कप्तान कोहली कैसे रहें उसके बारे में काफी कुछ लिखा है.
विराट कोहली ने टेस्ट की कप्तानी छोड़ कर हर किसी को हैरान कर दिया. क्रिकेटर्स अपनी-अपनी ओऱ से कोहली की कप्तानी का तारीफ कर रहे हैं और इसपर रिएक्ट करते हुए उन्हें भारत का सबसे महान कप्तान बता रहे हैं. अब कोहली की वाइफ अनुष्का शर्मा ने टेस्ट की कप्तानी छोड़ने पर रिएक्ट किया और भावुक संदेश पति के नाम लिखा है. अनुष्का ने इंस्टाग्राम पर कुछ तस्वीरें पोस्ट की है और साथ ही सात सालों में बतौर कप्तान कोहली कैसे रहें उसके बारे में काफी कुछ लिखा है. अनुष्का ने अपने संदेश में कोहली को बेहतरीन कप्तान बताया ही बल्कि दिल छूने वाली बातें भी लिखी है. उन्होंने लिखा, 'मुझे 2014 का वह दिन याद है जब आपने मुझसे कहा था कि आपको कप्तान बनाया गया है क्योंकि एमएस ने टेस्ट क्रिकेट से संन्यास लेने का फैसला किया था. मुझे याद है एमएस, आप और मैं उस दिन बाद चैट कर रहे थे और उन्होंने मजाक में कहा था कि आपकी दाढ़ी कितनी जल्दी ग्रे होने लगेगी. उस बात पर हमें कितनी हंसी आई थी. उस दिन के बाद से, मैंने आपकी दाढ़ी को ग्रे होने के अलावा और भी बहुत कुछ देखा है.'
अनुष्का ने आगे लिखा, 'मैंने आपमें विकास देखा है, अपार वृद्धि. आपके आसपास और आपके भीतर. और हां, मुझे भारतीय राष्ट्रीय क्रिकेट टीम के कप्तान के रूप में आपके विकास पर और आपके नेतृत्व में टीम की क्या उपलब्धियां हैं, इस पर मुझे बहुत गर्व है. लेकिन आपने अपने भीतर जो विकास हासिल किया है, उस पर मुझे अधिक गर्व है. 2014 में हम इतने छोटे और भोले थे. यह सोचकर कि सिर्फ अच्छे इरादे, सकारात्मक ड्राइव और मकसद ही आपको जीवन में आगे ले जा सकते हैं, वे निश्चित रूप से करते हैं, लेकिन चुनौतियों के बिना नहीं.'
इसके अलावा अनुष्का ने अपने पोस्ट में आगे लिखा कि, 'इनमें से बहुत सी चुनौतियाँ जिनका आपने सामना किया, वे हमेशा मैदान पर नहीं थीं, लेकिन फिर, यह जीवन है ना? यह उन जगहों पर आपका टेस्ट करता है जहां आप कम से कम इसकी उम्मीद करते हैं लेकिन जहां आपको इसकी सबसे ज्यादा जरूरत है...और मेरा प्यार, मुझे आप पर बहुत गर्व है, कि आपने अपने अच्छे इरादों के बीच कुछ भी आड़े नहीं आने दिए आपने उदाहरण का नेतृत्व किया और अपनी ऊर्जा के हर औंस पर मैदान पर जीत हासिल की कि कुछ हार के बाद मैं आपकी आंखों में आंसू और आपके बगल में बैठ गई, जबकि आपने सोचा कि क्या अभी भी कुछ और है जो आप कर सकते थे.'
मखाना एक ऐसा ड्राई फ्रूट्स है जिसे सेहत ही नहीं स्वाद के लिए लिहाज से भी काफी अच्छा माना जाता है. मखाने को व्रत में स्नैक्स और खीर के रूप में खाया जाता है
मखाना एक ऐसा ड्राई फ्रूट्स है जिसे सेहत ही नहीं स्वाद के लिए लिहाज से भी काफी अच्छा माना जाता है. मखाने को व्रत में स्नैक्स और खीर के रूप में खाया जाता है. मखाने को डाइट का हिस्सा बना के वजन को आसानी से कम किया जा सकता है. असल में मखाने में बहुत ही कम कैलोरी होती है, जो वजन को कंट्रोल करने में मदद कर सकती है. वजन घटाने के लिए आप इसे ब्रेकफास्ट में स्नैक्स के तौर पर या ओट्स में डाल कर भी खा सकते हैं. मखाने में एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-बैक्टीरियल, कैल्शियम, मैग्नीशियम और प्रोटीन के गुण पाए जाते हैं, जो शरीर को कई समस्याओं से बचाने में मदद कर सकते हैं. खाली पेट मखाने के सेवन से इम्यूनिटी को मजबूत बनाया जा सकता है. तो चलिए जानते हैं मखाने से मिलने वाले लाभों के बारे में.
सुबह खाली पेट खाएं मखाना, मिलेंगे ये जबरदस्त फायदे
मखाना एक ऐसा ड्राई फ्रूट्स है जिसे सेहत ही नहीं स्वाद के लिए लिहाज से भी काफी अच्छा माना जाता है. मखाने को व्रत में स्नैक्स और खीर के रूप में खाया जाता है
: मखाना भी एक ड्राई फ्रूट है जिसे खाने से शरीर को कई लाभ मिलते हैं.Highlightsमखाने में बहुत ही कम कैलोरी होती है.खाली पेट मखाने के सेवन से इम्यूनिटी को मजबूत बनाया जा सकता है.मखाने में एंटी ऑक्सीडेंट्स गुण पाया जाता है.
मखाना एक ऐसा ड्राई फ्रूट्स है जिसे सेहत ही नहीं स्वाद के लिए लिहाज से भी काफी अच्छा माना जाता है. मखाने को व्रत में स्नैक्स और खीर के रूप में खाया जाता है. मखाने को डाइट का हिस्सा बना के वजन को आसानी से कम किया जा सकता है. असल में मखाने में बहुत ही कम कैलोरी होती है, जो वजन को कंट्रोल करने में मदद कर सकती है. वजन घटाने के लिए आप इसे ब्रेकफास्ट में स्नैक्स के तौर पर या ओट्स में डाल कर भी खा सकते हैं. मखाने में एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-बैक्टीरियल, कैल्शियम, मैग्नीशियम और प्रोटीन के गुण पाए जाते हैं,
जो शरीर को कई समस्याओं से बचाने में मदद कर सकते हैं. खाली पेट मखाने के सेवन से इम्यूनिटी को मजबूत बनाया जा सकता है. तो चलिए जानते हैं मखाने से मिलने वाले लाभों के बारे में.
मखाना खाने के फायदेः
1. इम्यूनिटीः
इम्यूनिटी को मजबूत बनाने के लिए मखाने को डाइट में शामिल कर सकते हैं. इसे नाश्ते में दूध, ओट्स, सलाद में डालकर सुबह खाने से इम्यूनिटी को मजबूत बनाया जा सकता है.
2. ब्लड शुगर लेवलः
अगर आप ब्लड शुगर के मरीज हैं, तो मखाने का सेवन आपके लिए फायदेमंद हो सकता है. खाली पेट मखाना खाने से ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल किया जा सकता है.
3. हार्टः
हार्ट के मरीजों के लिए सुबह खाली पेट मखाने का सेवन करना फायदेमंद हो सकता है. मखाने में एंटी ऑक्सीडेंट्स गुण पाया जाता है, जो हार्ट को हेल्दी रखने में मदद कर सकता है.
4. कब्जः
सुबह खाली पेट मखाने का सेवन पाचन के लिए अच्छा माना जाता है. मखाने में फाइबर ही नहीं बल्कि, आयरन और कैल्शियम के तत्व भी पाए जाते हैं, जो पेट गैस, अपच की समस्या को कम करने में मदद कर सकते हैं.
हर एक फ्रेंड ज़रूरी होता है’, क्योंकि उसकी हमारी ज़िंदगी में ख़ास जगह होती है, और वो भी अलग ढंग से।
अगर आपको यक़ीन ना आए, तो एक फ्रेंड बैंक बनाकर देखिए, आप अपने सारे दोस्तों की अहमियत का निरालापन जान जाएंगे।
दोस्तों के बिना ज़िंदगी वो ज़िंदगी नहीं जिसकी हम कल्पना करते हैं। लेकिन हम सब की ज़िंदगी में एक ऐसा ख़ास दोस्त ज़रूर होता है जिसे हम बेस्ट फ्रेंड कहते हैं। बेस्ट फ्रेंड से हम अपने मन की हर एक बात कह लेते हैं।
हमारी ज़िंदगी में दोस्तों की एक लंबी लिस्ट ना सही एक छोटी लिस्ट तो ज़रूर होती है- दोस्तों का बैंक, फ्रेंड बैंक!
फ्रेंड बैंक होना बेहद ज़रूरी है क्योंकि ये इकलौता ऐसा बैंक है जहाँं ख़ुशनुमा पलों का लेनदेन होता है, ज़िंदगी के उतार-चढ़ाव की समझ बनती है, बिना कुछ सोचे-समझे बिंदास जीने की जगह मिलती है। देखें तो, दोस्तों की फ़ेहरिस्त में कौन से वर्ग हैं—
पक्के दोस्त...
ये ऐसे दोस्त होते हैं जो हर हाल में आपके साथ होते हैं। आपकी बहुत-सी निजी बातें इन्हें पता होती हैं। एक-दूसरे के बारे में छोटी से छोटी बात भी आप जानते हो। कभी-कभार दूरियां भी आ जाती हैं लेकिन रिश्ता नहीं बदलता। परिवार के ठीक बाद इनका ही नाम आता है। अच्छा हो या बुरा, आप इनको हर वक़्त में याद कर सकते हो। अगर आप इनसे दो महीने बाद भी बात करो तो लगेगा जैसे कल ही की बात है।
क्यों ज़रूरी : बेस्ट फ्रेंड आपके सुख-दुख में हमेशा आपके साथ होते हैं। जहां परिवार के लोग आपको निबाह की सीमाओं में बांधकर देखते हैं, वहीं यह परिजन जैसा ही दोस्त आपको एक स्वतंत्र व्यक्तित्व के रूप में स्वीकार करने की आज़ादी देता है।
सुनने वाले दोस्त...
ये आपकी हर बात सुनते हैं। ज़रूरी नहीं कि ये आपको हर वक़्त सलाह दें लेकिन जब भी आपको मन की बात कहनी हो तो ये हमेशा तैयार रहते हैं। ये कभी अपने विचार आप पर थोपते नहीं हैं। आप इनसे हर तरह की बात साझा कर सकते हैं। आपकी दोहराई हुई बातों को भी ये इत्मीनान से सुनते हैं। ये महज़ जवाब या राय देने के लिए ही आपकी बात नहीं सुनते।
क्यों ज़रूरी : कोई बात जो आपको बहुत दिनों से परेशान कर रही हो, आप इनसे कह सकते हैं। इनसे बात करने के बाद ऐसा लगता है जैसे कोई भार कम हो गया हो।
बचपन के दोस्त...
ये दोस्त आपके बचपन को सबसे बेहतर तरीक़े से जानते हैं। ये लंबी दूरी के साथी होते हैं। जब भी आप इनके साथ होते हैं तो ऐसा लगता है मानो समय ने करवट बदल ली और आप बीते दिनों में वापस चले गए। आप इनके साथ बीते हुए ख़ुशनुमा दिनों को एक बार फिर से जी सकते हैं। समय के साथ-साथ व्यक्तित्व और परिस्थितियां बदलने लगती हैं लेकिन इनसे आपका रिश्ता कभी नहीं बदलता। इस दोस्ती में ऊंच-नीच और भेदभाव नहीं होता।
क्यों ज़रूरी : बचपन के दोस्त का साथ हमेशा चलने वाली एलुम्नाई पार्टी की तरह होता है, जहां ढेर सारी यादों के साथ होते हैं असीमित ठहाके। जब भी किसी तरह का तनाव हो तो इनसे बात करके दूर कर सकते हैं।
सामान्य दोस्त...
इनके साथ आप घूमने-फिरने जाते हैं, कभी फिल्म देखने तो कभी किसी कैफे में कॉफी पीने। ये दोस्ती गहरी नहीं होती लेकिन इनके साथ समय अच्छा बीतता है। इनके साथ निजी बातें साझा नहीं करते, इसका मतलब ये नहीं कि ये ख़ास नहीं होते। इनकी एक अलग जगह होती है। आप एक-दूसरे को बहुत अच्छी तरह से नहीं जानते, ऐसे में आपको एक-दूसरे के बारे में समय-समय पर नई-नई मज़ेदार बातें पता चलती हैं।
क्यों ज़रूरी : आपको किसी नई जगह जाना हो, ये दोस्त हमेशा तैयार रहते हैं। इनके साथ हुई हल्की-फुल्की बातचीत भी आपके मन को ख़ुश कर देती है।
दफ़्तर वाले दोस्त...
इनसे आपकी दोस्ती दफ़्तर में होती है। आप इनसे काम से संबंधित सारी बातें साझा कर सकते हैं। नौकरी से संबंधित कोई भी बात आपको परेशान कर रही हो तो आप इन्हें बेझिझक बता सकते हैं। आपस में किसी भी तरह की प्रतिस्पर्धा का भाव नहीं होता। आप इनसे बहुत से विषयों पर बातें कर सकते हैं। अगर आप इनके साथ दफ़्तर के अलावा भी कहीं मिलते हैं, तो समय के साथ दोस्ती गहरी होती चली जाती है।
क्यों ज़रूरी : नौकरी में कई तरह का तनाव होता है लेकिन इनसे बातें करके वो कम हो जाता है। इनकी मौजूदगी में आप ऊर्जा से भरे होते हैं और काम पर भी ध्यान अधिक लगता है। किसी प्रोजेक्ट में मुश्किल आ रही हो तो ये आपकी मदद ज़रूर करते हैं।
मज़ेदार दोस्त...
इनके बिना कोई पार्टी ‘पार्टी’ नहीं लगती। ये उदास पलों को भी मज़ेदार-ख़ुशनुमा पलों में बदलना बहुत अच्छी तरह से जानते हैं। इनके हर चुटकुले पर आप पेट पकड़कर हंसने लगते हैं। यह ज़रूरी नहीं कि आप इनसे रोज़ मिलें लेकिन जब भी इनसे मिलते हैं अच्छा महसूस करते हैं। ये भी ज़रूरी नहीं कि ये आपकी मुश्किलों का समाधान दें लेकिन उनसे निपटने का साहस ज़रूर देते हैं।
क्यों ज़रूरी : आप इनके साथ हमेशा सहज महसूस करते हैं। ये आपका मूड अच्छा करने की काबिलियत रखते हैं।
सलाह देने वाले दोस्त
ये आपकी कोई भी मुश्किल को आसान कर देते हैं। इनके पास हर समस्या का कोई ना कोई उपाय ज़रूर होता है। आप कैसी भी मुश्किल इनके पास लेकर जाएं ये तुरंत उसका हल बता देते हैं। ज़रूरी नहीं कि आप इनसे रोज़ मिलंे लेकिन मुसीबत के वक़्त ये काम ज़रूर आते हैं। ये उम्र में आपसे छोटे या बड़े हो सकते हैं।
क्यों ज़रूरी : इनकी दी हुई सलाह आपको रास्ता दिखाने में मददगार हो सकती है। असमंजस की स्थिति में ये आपके बहुत काम आते हैं
बसपन का प्यार गीत गाकर स्टार बने सहदेव दिरदो को फिल्म में रोल मिला है। मोबाइल स्क्रीन पर वायरल हुआ सहदेव जल्द ही बड़े पर्दे पर फिल्म में एक्टिंग करता दिखेगा। उसे छत्तीसगढ़ की बेहद चर्चित बायोपिक में अहम रोल मिला है। सहदेव को फिल्म के मेकर्स ने छत्तीसगढ़ के पहले स्वर्गीय CM अजीत जोगी के बचपन का किरदार निभाने के लिए फाइनल किया है। अजीत जोगी छत्तीसगढ़ बनने के साथ ही सन 2000 से 2003 तक मुख्यमंत्री रहे थे। वे प्रदेश के प्रभावशाली नेता थे। बाद में उन्होंने कांग्रेस से अलग होकर अपनी पार्टी जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ बना ली थी।
अजीत जोगी पर बायोपिक बनाई जा रही है। इस फिल्म के मेकर्स ने हाल ही में रायपुर में सहदेव से मुलाकात की है। अब सहदेव को अजीत जोगी के चाइल्ड कैरेक्टर के लिए फाइनल कर दिया गया है। यह फिल्म अजीत जोगी के बेटे अमित जोगी के कंसल्टेशन में राजश्री सिनेमा के बैनर तले बन रही है। फिल्म के निर्माता मनोज खरे, अरविंद कुर्रे हैं। संगीतकार हेमलाल चतुर्वेदी ने इस फिल्म के लिए बॉलीवुड सिंगर उदित नारायण के साथ गाना रिकॉर्ड किया है।
डायरेक्टर सिखा रहे एक्टिंग
इस फिल्म के डायरेक्टर देवेंद्र जांगड़े हैं, देवेंद्र ने बताया कि उन्होंने खुद सहदेव को अजीत जोगी के बचपन के किरदार के लिए तैयार कर रहे हैं। इसके साथ ही फिल्म के डायरेक्टर का मानना है कि कैमरे के सामने सहदेव अच्छा परफॉर्म करते हैं। एक आदिवासी लुक के बच्चे की तलाश थी। सहदेव इस रोल के लिए सटीक साबित हुआ है
गिरौदपुरी में होगी शूटिंग
फिल्म से जुड़े सूत्रों ने बताया कि 25 जनवरी से फिल्म की शूटिंग शुरू होने जा रही है। पहले चरण के शूट में अजीत जोगी के बचपन को फिल्माया जाएगा। अजीत जोगी का गांव और उनके बचपन की पढ़ाई, स्कूलिंग वगैरह को दिखाया जाएगा। इस फिल्म में दिखाया जाएगा कि एक गरीब आदिवासी परिवेश का बच्चा कैसे प्रोफेसर बना, IPS और IAS बना और कैसे देश के नए राज्य छत्तीसगढ़ का पहला CM। इस प्रोजेक्ट से अजीत जोगी की पत्नी रेणू जोगी जुड़ी हैं, फिल्म मेकर्स के साथ वो अजीत जोगी की जिंदगी से जुड़े पहलू शेयर कर रही हैं।
अजीत जोगी और उनकी जिंदगी से जुड़े दिलचस्प किस्से
जन्म और मृत्यु की तारीख- छत्तीसगढ़ के बिलासपुर के पेंड्रा में 29 अप्रैल 1946 को अजीत जोगी का जन्म हुआ। इनके पिता का नाम था स्वर्गीय काशी प्रसाद जोगी। संयोग है अजीत जोगी 29 अप्रैल को जन्में और उनका निधन 29 मई को हुआ।
जोगी के शौक और रिकॉर्ड- जोगी को घुड़सवारी, ग्लाइडिंग, स्विमिंग, योगा, ट्रैकिंग, शिकार करना किताबें पढ़ना और तांत्रिक विज्ञान की जानकारी रखने का शौक था। रायपुर के इंजीनियरिंग कॉलेज में साल 1967-68 में लेक्चरर रहे। 1968 से 70 तक आईपीएस रहे, 1970 में आईएएस बने। आजाद हिंदुस्तान में 12 वर्षों तक कलेक्टर रहने का इनके नाम रिकॉर्ड है।
पहला नेता जिसने स्टांप पेपर दिया- 2018 विधानसभा चुनाव में जोगी की पार्टी जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ ने चुनावी वादे स्टांप पेपर पर दिए। यह पहला मौका था जब राज्य में किसी नेता ने ऐसा कदम उठाया। जोगी ने कहा था कि हम जो भी वादे करेंगे। वह हर हाल में पूरा करेंगे। यदि एक भी वादे पूरे नहीं होते हैं तो मैं जेल जाने को तैयार हूं।
मिली थी अजीब सजा- गांव के स्कूल में जोगी की पढ़ाई हुई। एक वीडियो इंटरव्यू में उन्होंने बताया था कि स्कूल में वो शरारती थे। एक दिन मास्टर ने उन्हें दो लड़कियों के बीच बैठने की सजा दे दी थी।
इस वजह से बने कलेक्टर - उन्होंने बताया था कि गांव के लोग कलेक्टर के पैर छूते थे, जब भोपाल में पढ़ रहे थे तो अफसरों का रुतबा देखा, आईपीएस में चुने गए तो वहां आईएएस में चयनित लड़कों को खुद को ऊंचा बताया, तब आईएएस बनकर दिखाया। ये परीक्षाएं जोगी ने सामान्य वर्ग से पास की थीं।
प्रेम भी हुआ था- आईएएस की तैयारी के दिनों में एक लड़की से अजीत जोगी को प्रेम हो गया था, एक वीडियो इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि इस पर परिजन राजी नहीं थे। फिर उनका विवाह परिजन ने रेणू जोगी से तय किया। परिवार वालों की बात रखने के लिए जोगी ने उस युवती से संबंध खत्म कर लिए थे।
जोगी की पसंद- अजीत जोगी, अफसर रहने के दौरान कई बार वक्त मिलने पर फिल्में देखा करते थे। दिलीप कुमार और मधुबाला उनके पसंदीदा कलाकार रहे। इन कलाकारों के गाने वो अपने साथ रखा करते थे। खाने में उन्हें मुनगा, बड़िया, भाजियां पसंद थीं।
बेटी की मौत- किसी वजह से अजीत जोगी की बेटी ने खुदकुशी कर ली थी। घटना के कारणों को लेकर कई तरह की चर्चाएं थीं। जोगी ने खुद अपनी बेटी के शव को मध्यप्रदेश के एक शहर की कब्र से निकलवाया था। ऐसा उन्होंने बेटी की देह को पैतृक जगह में दफनाने के लिए किया था।
सड़क हादसा- अजीत जोगी ने मार्च 2016 में गरियाबंद के मैनपुर के नजदीक बोईरगांव के किसान सम्मेलन में कहा था कि मुझे मारने के लिए तंत्र-मंत्र का सहारा लिया गया था। साल 2004 के लोकसभा चुनाव के दौरान प्रचार से लौटते वक्त मैनपुर क्षेत्र में ही जोगी की कार एक पेड़ से टकरा गई थी। तब से अजीत जोगी चल नहीं पाए व्हील चेयर में उनकी बाकि की जिंदगी बीती।
खाना खजाना / शौर्यपथ /आपका मन अगर कोई डिफरेंट डिश खाने का कर रहा है, तो आप घर पर बटर चिकन पास्ता ट्राई कर सकते हैं। यह चिकन पास्ता न सिर्फ खाने में स्वादिष्ट होता है बल्कि सिम्पल पास्ता से कई ज्यादा हेल्दी भी होता है। आप अपनी पसंद के हिसाब से पास्ता में मसाले एड कर सकते हैं। वहीं, आप चाहें, तो पास्ता में चिकन के साथ बॉयल एग भी शामिल कर सकते हैं। इसे बनाने का सबसे हेल्दी तरीका है कि आप चिकन को बॉयल करके इसे बनाएं। इससे चिकन के पोषक तत्व नष्ट नहीं होंगे और चिकन को ज्यादा पकाने की जरूरत भी नहीं पड़ेगी। आप अपने हिसाब से इसमें चीज भी एड कर सकते हैं लेकिन ऐसा करने के लिए आपको इसमें टोमैटो प्यूरी की मात्रा कम करनी पड़ेगी। आइए, जानते हैं इसकी स्पाइसी रेसिपी।
बटर चिकन पास्ता बनाने के लिए सामग्री
बोनलेस चिकन
प्याज
अदरक
मक्खन
लहसुन
काजू
टोमैटो प्यूरी
गरम मसाला
लाल मिर्च
हल्दी
नमक
काली मिर्च
पास्ता
कैसे बनाएं बटर चिकन पास्ता
सबसे से पहले बोनलेस चिकन के पीस लें, इसमें सभी मसाले और तेल डालकर अच्छी तरह मिलाएं और 2 घंटे मैरीनेट करें। इसके बाद एक पैन में चिकन के पीस डालकर इन्हें रोस्ट कर लें। इसी पैन में मक्खन डालें और इसके बाद प्याज, अदरक, लहसुन डालकर भूनें। सभी मसाले डालें और कुछ देर फिर से भूनें. काजू का पाउडर डालें। अब टोमैटो प्यूरी डालकर पकाएं इसमें रोस्टेड चिकन के पीस डालें। उबला हुआ पास्ता डाकलर मिक्स करें। बटर चिकन पास्ता सर्व करने के लिए तैयार है।
आस्था /शौर्यपथ /सूर्यदेव के उत्तरायण होने के अगले ही दिन पहला शनि प्रदोष व्रत है। हर माह त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है। भगवान शिव को समर्पित इस व्रत में विधिविधान से भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा-अर्चना करने से भगवान शिव प्रसन्न होकर भक्तों पर कृपा बरसाते हैं। शनिवार के दिन यह व्रत होने के कारण इसे शनि प्रदोष व्रत नाम से जाना जाता है। इस दिन विधि विधान से व्रत रखने से भगवान शिव के साथ शनिदेव का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है। संतान प्राप्ति की कामना के लिए शनि प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है।
जो लोग शनि की साढ़े साती, ढैया से परेशान हैं उन्हें शनि प्रदोष व्रत के प्रभाव से लाभ मिलता है। इस व्रत में शिव परिवार का पूजन करें और दिनभर निराहार रहकर व्रत रखें। सायंकाल प्रदोषकाल में शिव परिवार का विधिवत पूजन करें। इस दिन महामृत्युंजय मंत्र का जाप करते हुए भगवान शिव का अभिषेक करने से समस्त सुखों की प्राप्ति होती है। इस व्रत के प्रभाव से आयु और आरोग्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है। सभी संकटों से मुक्ति मिलती है। शनि प्रदोष व्रत में पीपल के वृक्ष की परिक्रमा करते हुए श्री हरि विष्णु मंत्र का जाप करें। जल में काले तिल मिलाकर पीपल को अर्घ्य देने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं। यह व्रत भगवान शिव को अतिप्रिय है। इस व्रत में सच्चे हृदय से भगवान शिव और माता पार्वती का विधि विधान से पूजन करें। शिव चालीसा का पाठ करें। पूरे दिन फलाहार रहते हुए व्रत करें और प्रदोष काल में भगवान शिव का पूजन करें। शिवलिंग पर चंदन से तिलक लगाएं और माता पार्वती को सिंदूर अर्पित करें। प्रदोष काल में पूजन के दौरान प्रदोष व्रत की कथा पढ़ें। भगवान शिव की आरती करें और खीर का भोग अर्पित करें।
नई दिल्ली /शौर्यपथ/
मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी बनाना सदियों से चली आ रही परंपरा है. वैसे तो साल के किसी भी दिन खिचड़ी खाना एक अच्छा चुनाव है लेकिन मकर संक्राति पर इसे खाने की अपनी विशेषता है. ये एक हल्का खाना है जिसे कभी भी बनाकर खाया जा सकता है, कभी फीका तो कभी हल्का चटपटा. लेकिन, इसके साथ किसी साइड डिश या स्नैक खाने पर इसका जो लाजवाब स्वाद आता है उसका कोई और मुकाबला नहीं है. तो आइए, जानें खिचड़ी के साथ खाने के लिए कौनसी 6 चीजें हैं बेस्ट.
पापड़ -
कुरकुरे पापड़ को खिचड़ी के साथ सालों से खाया जाता रहा है. ये दाल, बेसन और मक्के (Corn Papad) के बनते हैं. अगर आपने अबतक इसे खिचड़ी के साथ ट्राई नहीं किया है तो अब जरूर करें.
चटनी -
खिचड़ी को पुदीने की चटनी, धनिया की चटनी (Chutney) और मुंगफली की चटनी के साथ खाना चाहिए. इसका स्वाद चटनी के साथ और बढ़ जाता है.
दही/रायता
रायता और खिचड़ी का कौंबो सदाबहार है. दही (Curd) में थोड़ा जीरा पाउडर, लाल मिर्च, नमक और बूंदी डालकर ये और भी बढ़िया लगता है.
आचार -
कोई भी आचार खिचड़ी के साथ खाने में अच्छा लगता है. लेकिन ज्यादातर आम और मिक्स आचार स्वादिष्ट लगता है.
आलु का चोखा -
आलु के चोखे के साथ खिचड़ी बेहद स्वादिष्ट लगती है. इसे उबले आलु को मैश करके उसमें थोड़ा तेल, कटे प्याज, हरी कटी मिर्च और कुछ मसाले डालकर बनाया जाता है.
साग पकौड़ा -
ये पकौड़े किसी भी तरह के साग से बनाए जा सकते हैं. किसी भी तरह की खिचड़ी के साथ इसे खाने पर उसका स्वाद कई गुना बढ़ जाएगा. बस ये क्रिस्पी होने चाहिए.
शिक्षा /शौर्यपथ/
आज स्वामी विवेवकानंद जयंती मनाई जा रही है। देश में इनकी जयंती को राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाया जाता है। हर वर्ष 12 जनवरी को स्वामी विवेकानंद की जयंती मनाई जाती है। स्वामी विवेकानंद के बचपन का नाम नरेंद्र था और इनका जन्म 12 जनवरी 1863 में कोलकाता में हुआ था। इनके पिता कलकत्ता हाईकोर्ट में एक वकील थे और माता धार्मिक विचारों की महिला थीं। स्वामी विवेकानंद ने 25 की उम्र में परिवार छोड़कर संन्यास धारण कर लिया था। 1893 में अमेरिका के शिकागो में विश्व धर्म महासभा उनके द्वारा दिया गया भाषण विश्व प्रसिद्ध है। इसी भाषण के बाद दुनिया ने उनकी अध्यात्मिक सोच और दर्शन शास्त्र से प्रभावित हुई। स्वामी विवेकानन्द ने जीवन के बारे में कई महत्वपूर्ण बातें कही थी। उनके द्वारा कहे गए विचार जिनको अपनाकर हर कोई अपने जीवन में महत्वपूर्ण और सकारात्मक बदलाव लाया जा सकता है। स्वामी विवेकानन्द की जयंती के अवसर पर आइए जानते हैं उनके कुछ विचार...
स्वामी विवेकानंद के विचार
एक समय में एक काम करो, ऐसा करते समय अपनी पूरी आत्मा उसमें डाल दो और बाकी सब कुछ भूल जाओ।
जिस समय जिस काम के लिए प्रतिज्ञा करो, ठीक उसी समय पर उसे करना ही चाहिए, नहीं तो लोगों का आप पर से विश्वास उठ जाता है।
किसी दिन, जब आपके सामने कोई समस्या ना आए, आप सुनिश्चित हो सकते हैं कि आप गलत मार्ग पर चल रहे हैं।
हम वो हैं, जो हमें हमारी सोच ने बनाया है। इसलिए इस बात का ध्यान रखें कि आप क्या सोचते हैं। जैसा आप सोचते हैं वैसे बन जाते हैं।
उठो, जागो और तब तक नहीं रुको जब तक लक्ष्य हासिल ना हो जाए।
जब तक आप खुद पर विश्वास नहीं करते, तब तक आप भगवान पर विश्वास नहीं कर सकते।
एक विचार लो। उस विचार को अपना जीवन बना लो। उसके बारे में सोचो. उसके सपने देखो, उस विचार को जियो।
सत्य को एक हजार तरीकों से बताया जा सकता है, फिर भी हर एक सत्य ही होगा।
खुद को कमजोर समझना सबसे बड़ा पाप है।
जिस दिन आपके सामने कोई समस्या न आए, आप यकीन कर सकते हैं कि आप गलत रास्ते पर चल रहे हैं।
सबसे बड़ा धर्म है अपने स्वभाव के प्रति सच्चे होना। खुद पर विश्वास करो।
भला हम भगवान को खोजने कहां जा सकते हैं, अगर उसे अपने हृदय और हर एक जीवित प्राणी में नहीं देख सकते।
जो आग हमें गर्मी देती है, हमें नष्ट भी कर सकती है। यह अग्नि का दोष नहीं है।
आपको अंदर से बाहर की ओर विकसित होना है। कोई तुम्हें पढ़ा नहीं सकता, कोई तुम्हें आध्यात्मिक नहीं बना सकता. तुम्हारी आत्मा के आलावा कोई और गुरु नहीं है।
मस्तिष्क की शक्तियां सूर्य की किरणों के समान हैं। जब वो केन्द्रित होती हैं, चमक उठती हैं।
पहले हर अच्छी बात का मजाक बनता है, फिर उसका विरोध होता है और फिर उसे स्वीकार कर लिया जाता है।
किसी भी चीज से मत डरो। तुम अद्भुत काम करोगे। यह निर्भयता ही है जो पलभर में परम आनंद लाती है।
राष्ट्रीय महिला आयोग ने ट्विटर से मांग की थी कि बैडमिंटन खिलाड़ी साइना नेहवाल के खिलाफ ‘भद्दा और अनुचित' ट्वीट करने के लिए अभिनेता सिद्धार्थ के अकाउंट को ब्लॉक किया जाए.
मुंबई /शौर्यपथ/
सोशल मीडिया पर कड़ी आलोचना झेलने के बाद अभिनेता सिद्धार्थ ने अपनी 'आपत्तिजनक टिप्पणी' के लिए मंगलवार रात साइना नेहवाल से माफी मांगी है. इस संबंध उन्होंने ट्विटर पर अपना माफीनामा लिखकर एक पोस्ट किया है. दरअसल, अभिनेता ने 6 जनवरी को नेहवाल के एक पोस्ट को रीट्वीट किया था, जिसमें उन्होंने 5 जनवरी को अपनी पंजाब यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सुरक्षा में चूक पर चिंता व्यक्त की थी.
अपने माफीनामे में सिद्धार्थ ने लिखा है , “डियर साइना, मैं अपने असभ्य मजाक के लिए आपसे माफी मांगना चाहता हूं, जो मैंने कुछ दिन पहले आपके एक ट्वीट के जवाब के रूप में लिखा था. मैं आपसे असहमत हो सकता हूं. जब मैं आपका ट्वीट पढ़ता हूं, तो मेरी हताशा या गुस्सा मेरे लहजे और शब्दों मेरी भावनाओं को बयान नहीं कर पाए. मुझे पता है कि मैं उससे ज्यादा दयालु हूं.” सिद्धार्थ ने लिखा... किसी मजाक को समझाने की जरूरत है. मगर यह बहुत अच्छा मजाक नहीं था. मुझे इस मजाक के लिए खेद है." कोई दुर्भावनापूर्ण इरादा नहीं था और वह महिलाओं का सम्मान करते हैं. बाद में उन्होंने लिखा कि उम्मीद है कि वह इस लेटर को स्वीकार कर लेंगी. आप हमेशा मेरी चैंपियन रहेंगी.
इससे पहले साइना नेहवाल के पिता हरवीर सिंह नेहवाल ने मंगलवार को कहा इस मामले पर अपनी नाराजगी दिखाई थी. उन्होंने टिप्पणी पर नाराजगी जताते हुए कहा कि उन्हें खुलकर सामने आना चाहिए और माफी मांगनी चाहिए हमारा परिवार वास्तव में परेशान है. साइना भी दुखी हैं. इससे पहले राष्ट्रीय महिला आयोग ने ट्विटर से मांग की थी कि बैडमिंटन खिलाड़ी साइना नेहवाल के खिलाफ ‘भद्दा और अनुचित' ट्वीट करने के लिए अभिनेता सिद्धार्थ के अकाउंट को ब्लॉक किया जाए. सिद्धार्थ ने साइना के खिलाफ यह टिप्पणी उनके उस ट्वीट को लेकर की, जो उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा में ‘गंभीर चूक' के मुद्दे को लेकर किया था. सिद्धार्थ के ट्वीट को लेकर सोशल मीडिया में कई लोगों ने नाराजगी जताई.
अन्य खबर /शौर्यपथ/
साउथ के सुपरस्टार महेश बाबू के बड़े भाई और एक्टर-प्रोड्यूसर रमेश बाबू का शनिवार (8 जनवरी) देर रात निधन हो गया है। वे 56 साल के थे और लंबे समय से लीवर की बीमारी से जूझ रहे थे। रमेश के निधन की खबर ऐसे समय में आई है, जब महेश बाबू कोरोना पॉजिटिव हैं और आईसोलेशन में रह रहे हैं। रमेश बाबू के निधन की खबर सामने आने के बाद से उनके फैंस और साउथ इंडस्ट्री के कई सेलेब्स सोशल मीडिया पर पोस्ट शेर कर उन्हें श्रद्धांजलि दे रहे हैं। वहीं महेश बाबू ने भी अपने बड़े भाई रमेश के निधन पर एक इमोशनल नोट शेयर किया है।
महेश बाबू ने अपने भाई रमेश की एक थ्रोबैक फोटो शेयर कर लिखा, "आप मेरी प्रेरणा, ताकत, हिम्मत और सब कुछ थे। अब आप नहीं हो, तो मैं आज उस आदमी का आधा भी नहीं रह गया हूं, जो मैं था। आपने मेरे लिए जो कुछ भी किया है उसके लिए धन्यवाद। अब बस आराम करो। आप हमेशा मेरे 'अन्नया' रहोगे। लव यू फॉरएवर।"
कोरोना के मामलों के बढ़ने के कारण, महाराष्ट्र सरकार ने शनिवार को नए नियम लागू कर दिए हैं। सरकारी सर्कुलर में कहा गया है कि थिएटर, रेस्तरां और बार 50 प्रतिशत क्षमता के साथ खोले जा सकते हैं। जबकि स्वीमिंग पूल, जिम, स्पा, वेलनेस सेंटर बंद रहेंगे। इन्हीं बदलावों पर रिएक्ट करते हुए परेश रावल ने जिम बंद होने के पीछे के तर्क पर सवाल उठाया है।
परेश ने कहा जिम आवश्यक सेवा नहीं
परेश ने ट्वीट किया, “ट्रेनों, थिएटरों और बार और रेस्तरां आदि को 50% क्षमता के साथ खुले रहने की अनुमति है, लेकिन जिम को नहीं !!! इसके पीछे क्या लॉजिक है? क्या अपने स्वास्थ्य की देखभाल करना अपराध है? क्या यह एक आवश्यक सेवा नहीं है?" हालांकि परेश के इस सवाल पर यूजर्स ने उन्हें जिम बंद होने के कारण भी गिनाए हैं।
कोविड से जूझ रहा बॉलीवुड
नई लहर ने बॉलीवुड में फिल्मों की शूटिंग को प्रभावित किया है। जिसके चलते 'जर्सी', 'पृथ्वीराज', 'आरआरआर' और 'राधे श्याम' जैसी फिल्मों की रिलीज को टाल दिया गया है, जबकि 'टाइगर 3' और 'रॉकी और रानी की प्रेम कहानी' की शूटिंग पर रोक दी गई है। हाल के दिनों में जॉन अब्राहम और उनकी पत्नी प्रिया रुंचाल, एकता कपूर, मृणाल ठाकुर, मधुर भंडारकर, नफीसा अली और अरिजीत सिंह जैसी कई बॉलीवुड हस्तियां कोरोना की चपेट में आ चुकी हैं।
अन्य खबर /शौर्यपथ/
उस सुअर से तीन ऐसे जीन बाहर निकाल गए थे, जिनकी वजह से मानव प्रतिरक्षा प्रणाली सुअर के अंगों को स्वीकार नहीं करती है.
वाशिंगटन अमेरिका में मैरीलैंड के रहने वाले 57 वर्षीय एक व्यक्ति की सर्जरी करके जेनेटिक बदलाव के साथ सुअर का दिल लगाया गया है. ऐसी सर्जरी दुनिया में पहली बार हुई है. सुअर का जेनेटिकली मोडिफाइ़ दिल व्यक्ति को लगाया गया है. सफल सर्जरी के तीन दिन बाद मरीज की हालत अब ठीक है. एक विज्ञप्ति के मुताबिक, डेविड बेनेट हृदय रोग से ग्रसित थे. और मौजूदा विकल्पों में सुअर का दिल की 'एकमात्र विकल्प' था. सीएनएन ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि बेनेट के मेडिकल रिकॉर्ड्स देखने के बाद पता चला कि पारंपरिक हृदय प्रत्यारोपण या कृत्रिम हृदय पंप का सहारा नहीं लिया जा सकता.
दुनिया में पहली बार : अमेरिका में डॉक्टरों ने इंसान में लगाया सुअर का दिल
सफल सर्जरी के तीन दिन बाद मरीज की हालत अब ठीक है.
मैरीलैंड मेडिसिन यूनिवर्सिटी की विज्ञप्ति में सर्जरी से पहले बेनेट के हवाले से लिखा गया है, 'हालात ऐसी थी कि या तो मर जाऊं या फिर ये ट्रांसप्लांट किया जाए. मैं जीना चाहता हूं. मुझे पता है कि यह अंधेरे में एक तीर जैसा है, लेकिन यह मेरी आखिरी पसंद है.' यूएस फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन ने 31 दिसंबर को सर्जरी के लिए आपातकालीन मंजूरी दी थी.
उस सुअर से तीन ऐसे जीन बाहर निकाल गए थे, जिनकी वजह से मानव प्रतिरक्षा प्रणाली (Human Immune System) सुअर के अंगों को स्वीकार नहीं करती है. एक जीन को इसलिए निकाला गया, ताकि सुअर के दिल के टिशू की ग्रोथ रोकी जा सके. इसके अलावा उसमें छह जीन डाले गए थे.
डॉक्टर अब बेनेट की कई दिनों से लेकर हफ्तों तक निगरानी करेंगे, ताकि यह देखा जा सके कि ट्रांसप्लांट सही से काम कर रहा है या नहीं. उसके इम्यून सिस्टम से जुड़ी समस्याएं और अन्य जटिलताओं की निगरानी की जाएगी.
सर्जन डॉ बार्टले पी. ग्रिफिथ ने एक बयान में कहा, 'ट्रांसप्लांट के लिए ह्यूमन हार्ट डोनर उपलब्ध नहीं था. हम सावधानी से आगे बढ़ रहे हैं, लेकिन हमें यह भी उम्मीद है कि दुनिया में यह पहली सर्जरी भविष्य में रोगियों के लिए एक अहम और नया विकल्प देगी